यह कहानी मैंने भी गोसिप पर पढ़ी थी । लेकिन यह नहीं पता था कि बाद के कुछ अपडेट्स किसी दूसरे राइटर ने लिखा था ।
बाद के कुछ अपडेट्स बढ़िया थे लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो इस कहानी के स्टैंडर्ड्स से जस्टिफाई नहीं कर पा रहे थे ।
जैसे दिल्ली में होटल प्रवास के दौरान जय सिंह और मणिका के बीच बाथरूम वाला इवेंट.....जय सिंह का अपनी छोटी लड़की कनिका के पीछे भी सेक्सुअली रूप से पड़ना.....वैगेरह । हां लेकिन , छत पर हुआ सेक्सुअल एनकाउंटर बढ़िया लिखा गया था जो मुझे अब पता चला कि वो पुरा अपडेट किसी और ने लिखा था ।
जहां इस कहानी के अब तक के अपडेट्स की समीक्षा की बात है तो नो डाउट , आला दर्जे की लेखनी रही है अभी तक । कोई जल्दबाजी नहीं.... किसी घटना को चाहे वो छोटी या बड़ी कुछ भी हो , कन्सन्ट्रेट करके लिखना..... किरदारों के मनोभावों को परफेक्ट तरीके से प्रस्तुत करना और सबसे अहम बात सिलसिलेवार तरीके से घटना क्रम को प्रस्तुत करना...... राइटर की काबिलियत दिखाता है कि एक जहीन और कुसाग्र बुद्धि की युवती है । लेखन शैली ऐसी है कि कोई भी एक्सपर्ट राइटर्स यह नहीं कह सकता कि यह स्टोरी इनकी पहली रचना है ।
मुझे लगता है बाप और बेटी के उपर लिखी गई यह इन्सेस्ट स्टोरी......इन्सेस्ट कैटेगरी में लिखी हुई कहानियों में मील का पत्थर साबित होगी ।
रीडर्स की कामुकता आनन फानन सेक्स करते हुए कहानियों को पढ़कर नहीं होता है बल्कि सिडक्सन में होता है..... स्लोलि स्लोलि सिडक्सन में होता है..... पर्दे की ओट में पनप रही हवस मिटाने की भूख पर होता है.....लव बर्डस के बीच हुई डबल मीनिंग सेक्सुअल बातों से होता है ।
और हमारी राइटर महोदया ने इन सभी बातों का बखूबी ध्यान रखा है । उन्होंने इस बात का भी ख्याल रखा है कि दोनों लव बर्डस के बीच उम्र का ऐसा फासला भी न हो कि रीडर्स उत्तेजना ही महसूस न कर सके । जय सिंह की उम्र जवानी के पिक पिरियड पर ही है । कहते हैं चालीस साल के बाद जवानी एक बार फिर से उफान मारना शुरू कर देती है जो बहुत लम्बे अरसे तक जारी रहती है । इस उम्र में कुछ मनुष्य पहले से भी ज्यादा हैंडसम दिखने लगते हैं ।
इस कहानी का माइनस प्वाइंट - सिर्फ एक ही है और वह है जय सिंह की मन ही मन में सोची हुई बातें । मनिका के प्रति वो सेक्सुअल एराउज है । उसके साथ हमबिस्तर होने के लिए कई प्रकार की कल्पना करते हैं । यहां तक सब सही है लेकिन साथ में ही कुछ ऐसे शब्द भी सोच लेते हैं जो उन्हें शोभा नहीं देता । क्योंकि उनका कैरेक्टर एक सुलझे हुए इंसान के रूप में दिखाया गया है ।
इस कहानी की एक विशेषता यह भी रही है कि एक बार भी शरीर के प्राइवेट पार्ट का उल्लेख खुलकर नहीं किया गया है । सभ्य भाषा में ही इस्तेमाल किया गया है ।
यह थिंकिंग भी राइटर की सराहनीय रही है । क्योंकि प्राइवेट पार्ट का नाम ही इतना ज्यादा सेंसेटिव है कि लोग सिर्फ नाम लेने भर से उत्तेजित हो जाएं ! यह नाम ऐसे होते हैं कि पति-पत्नी तक एक दूसरे से अभिसार के वक्त कह नहीं पाते । शर्म और हया की दीवार आड़े आने लगती है ।
लेकिन यही शब्द यदि प्रेमी और प्रेमिका के द्वारा उन अंतरंग लम्हों में फुसफुसाहट वाले लफ्जों में इस्तेमाल करते हैं तो वह कामुकता की हदें पार करने वाला हो जाता है ।
सभी अपडेट्स बेहद ही शानदार थे मणिका जी । मुझे नहीं लगता आप से बेहतर और कोई इस कहानी के साथ न्याय कर पाता ! आप के पास शब्दों का भंडार है जिसे सही जगह पर सही तरीके से इस्तेमाल भी कर रही है आप ! इंग्लिश शब्द भी आपने वह डाला है जो किसी को भी आसानी से समझ में आ जाए !
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड......... जगमग जगमग ।