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Incest बेटी को लंड की प्यासी रंडी बनाया

कौनसा किरदार आपको सबसे अच्छा लगा?


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Shivgoyal

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Shivgoyal

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अब इतना बोल नुपुर और शिवम् रूम में आ जाते हैं और दिव्या के बगल में दोनो बैठ जाते हैं और दिव्या बारी बारी दोनो को kiss करने लगती हैं।
अब आगे....
Update - 51
Kiss करने के बाद दिव्या शिवम् की आंखों में देखती हैं। तो शिवम् पूछता हैं: ऐसे क्या देख रही हैं।
दिव्या: पापा आप सच में ना तयार हो मुझे चोदने के लिए। आप चोदोगे ना मुझे।
शिवम्: हां मेरी जान तुझे तो चोदना ही पड़ेगा क्युकी एक तो तेरी प्यास बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से अगर मैने नही चोदा तुझे तो तू खुद को किसी न किसी तरह चुदवा ही लेगी मुझसे। और दूसरी बात तू दिन बा दिन बहुत मस्त होती जा रही हैं। आज कल तो तेरे खयाल से ही लंड एक दम फटने को हो जाता हैं। तो अपने लिए ना सही तो तेरे लिए और इस लंड के लिए तो तुझे अपने नीचे लाना ही पड़ेगा।
दिव्या: सच में पापा मैं आज कल आपको ज्यादा सेक्सी लगने लगी हूं।
शिवम्: हां में जान तुम आज कल मस्त माल टाइप लगने लगी हैं तू इस वक्त इतनी सेक्सी हो गई हैं के तू कपड़ो में मर्दों को मार दे। मुझे तो तू नंगी दिखती हैं मेरा सोच मेरा क्या हाल होता होगा।
दिव्या: अच्छा जरा बताओ कहा कहा से माल लगने लगी हूं मैं।
शिवम्: तेरी ये जो चूत हैं अब देख कितनी जवान होती जा रही हैं। (शिवम् यहां दिव्या की चूत को उसकी पैंटी के ऊपर से मलने लगत हैं)
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ये तेरी चूत हर वक्त तो गीली रहती हैं जैसे कह रही हो मुझे लंड की प्यास हैं पापा।
दिव्या: आह... हां... पा..पापा... सच में ये बहुत प्यासी हैं इस..इसको...दे..दो अपना लंड आह्ह्ह्ह्ह...।
अब शिवम् उसकी पैंटी से अपनी उंगली हटाता हैं और उसके मुंह में डालता हैं जिसको दिव्या बहुत प्यार से चूसती हैं।
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अब शिवम् अपना दूसरे हाथ को दिव्या की गांड पे रख के दबाते हुए बोलता हैं: तेरी चूत तो आज कल पैंटी में छुप के तहलका मचा रही वही तेरी तेरी मस्त मस्त गांड हैं जो तेरी पूरी पैंटी को निगल के अपने आपको बड़ा दिखाने में लगी हुई हैं।
इसपे दिव्या उंगली चूसते हुए मुस्कुरा देती हैं।
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अब शिवम् अपने एक हाथ को दिव्या की चूतड़ से हटा के उसकी कमर पे रखता हैं वही दूसरी हाथ को दिव्या के मुंह से निकल के उसकी नाभी में अपनी गीली उंगली को चलाने लगता हैं। अब एक तरफ दिव्या की शिवम् दूसरी तरफ उसकी नाभी में अपनी थूक से सनी हुई उंगली को चला रहा होता हैं जिससे फिर जोश में आ जाती हैं। अब बगल में बैठ नुपुर भी बाप बेटी की सरारत भरा प्यार देख अपनी चूत में उंगली डाल लेती हैं।
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अब दिव्या जोश में आ रही होती हैं पर वो खुद को कुछ करने से रोकती हैं और वापस शिवम् की तरफ देख उसको आगे तारीफ करने का इशारा करती हैं।
शिवम्: तेरी पतली कमर जिसको अगर कोई मर्द देख ले तो उसको तेरी ये मोती चूतड़ को देखने की जरूरत ही नहीं हैं। तेरी चिकनी कमर किसी भी लंड को तेरे सामने झुका सकती हैं। पीछे से तू एक अप्सरा से कम नहीं लगती हैं।
दिव्या शिवम् की आंखों में देखते हुए (इस वक्त तक उसकी आंखे लाल हो चुकी हैं सेक्स के नशे में) पूछती हैं: पा..पापा.. मैं क्या बस पीछे से ही अप्सरा लगती हूं। हां..आह..
शिवम्: तुझे पीछे से तो अप्सरा बोला भी जा सकता हैं मेरी जान क्युकी आगे की तेरी खूबसूरती देख कर तो अप्सरा भी शर्मा जाए। तेरी ये गोल नाभी ऐसे लालच देती जैसे ये तेरी चूत की तरह ही किसी लंड की प्यासी हो। तुझे देख मन तो करता तेरा हर एक अंग चोद दूं। तू अपनी इस नाभी को देख कैसे मेरी उंगली का सारा थूक पी रही हैं। और उसके ऊपर तेरे ये फूल हुए गुबारे ऐसे दिखते हैं जैसे तू कितने ही मर्दों से चुदवा के आई हो पर फिर भी मुलायम ऐसे हैं जैसे इनसे ज्यादा जवान चूचियां कोई हैं ही नहीं। तेरे जिस्म का इतना हिस्सा मलाई जैसा लगता हैं तो तेरी चूचियां उस मलाई से बनी हुई मटकी। और उसके बाद तेरी इन चुचियों को चूस ऐसा लगता हैं जैसे इस दुनिया में स्वादिष्ट भोजन कोई हो ही ना।
दिव्या: पापा बस इतना ही।
शिवम्: नही मेरी जान इन चुचियों के ऊपर ये जो तेरे होंठ हैं।
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अब शिवम् दिव्या के होंठो को चूमते हुए उसको बोलता हैं: ये होंठ इतने रसीले लगते हैं के कोई स्वादिष्ट फल जिसके अंदर अमृत भरा हो। तू जब जब चूमती हैं ना तो लगता मैने अपनी जिंदगी की सबसे सुंदर सबसे खूबसूरत और स्वादिष्ट चीज का स्वाद लिया हो। मुझे ऐसा लगता हैं के तेरे इस प्यार से मेरा पूरा जीवन तृप्त हो गया हो।
अब शिवम् इस वक्त फिर दिव्या की चूत मल रहा होता हैं।
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दिव्या इतनी तारीफ सुनके और शिवम् के छुने से पूरी गरम हो चुकी होती हैं और उसका अपने शरीर पे से काबू छूटता जा रहा होता हैं। दिव्या अब अपनी आखें बंद कर बस शिवम् की तारीफ और उसकी उंगलियों की हरकत पे ही ध्यान लगा लेती हैं। अब शिवम् उसके पास आके उसको किनारे से पकड़ के अपनी बाहों में भर लेता है और अपने आगे वाले हाथ से उसकी चूत सहला रहा होता हैं पैंटी के ऊपर से वही दूसरे हाथ को दिव्या की कमर के पीछे से घुमा के उसकी दूसरी तरफ वाली चूची को मसल ने लगता हैं। और दिव्या के पूरा पास आके दिव्या का एक हाथ अपने पे रखवाता हैं जिसपे दिव्या इसको हिलाने लगती हैं। अब दिव्या के कान में बड़े प्यार से बोलता हैं: आह.. मेरी जान तेरा ये हाथ जब भी मेरे लंड को छूता हैं तो अंदर एक बिजली सी दौड़ जाती हैं ऐसा लगता हैं पता नही मेरे इस पत्थर जैसे लंड के पता नही फूलो की पंखुड़ी से मुलायम किसी चीज ने जकड़ लिया हो और वो मेरे लंड को मजबूर कर रहे हो उनकी गर्मी से पिघलने को। तेरे हाथो में तेरे मुंह में मेरी जान इतनी गर्मी हैं के ऐसा लगता ये मेरे लंड को पिघला के गायब कर देंगे वही तेरे होंठ और हाथ फूलो की तरह मुलायम हैं जिनके स्पर्श से मेरा लंड बेकाबू हो जाता है।
शिवम्: तू इतनी प्यारी हैं के तुझे पाने वाले मर्द से तो भगवान भी जल भुन के रख हो जाए इंसान तो छोर ही दे तू।
दिव्या: पापा अब या तो मेरी प्यास भुजा दो या फिर मुझे मार दो क्युकी अब मैं खुद पे काबू नही रख पाऊंगी और मेरी ये गर्मी मुझे मार देगी।
अब दिव्या की आंखे लाल हो चुकी होती हैं और उनमें आंसू आ जाता हैं। अब उन आंसुओ को देख कर दिव्या की आंखों के पास अपने होंठ लेके जाता हैं और उनको चूमता हैं और उसके होंठो पे अपने होंठ रख के उसको बिस्तर पे लिटा देता हैं।
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अब शिवम् दिव्या की पँटी में हाथ डालता हैं और चूत को छूता हैं तो महसूस करता हैं दिव्या की चूत बहुत बुरी तरह से पानी छोड़ रही होती हैं वो उंगली निकालके अपने पास लाता हैं तो और दिव्या के होंठ छोर के उंगली देखता हैं तो वो दिव्या के चूत के पानी और खून से गीली होती हैं। अब शिवम् दिव्या को अपनी उंगली दिखाता हैं। उंगली देख दिव्या बोलती हैं: पापा सुबह से मेरा यही हाल है मैं बहुत तड़प रही हूं मुझे कुछ समझ नही आ रहा है पूरा शरीर गरम हैं और चूत खून और पानी दोनो से सनी हुई हैं। मैं ना चुद पा रही हूं ना चैन ले पा रही हूं। अब आपने मुझे और तड़पा दिया है। अब अपनी इस बेटी को आजाद कर दो इस दर्द से पापा।
नुपुर: अग्रवाल जी मुझसे भी अब देखा नही जा रहा हैं इसका दर्द इसको चोद के इसके दर्द को कम कर दो।
शिवम्: दिव्या की आंखों में देख के बोलता हैं तेरी ये चूत इस वक्त चुदने के हाल में तो नही हैं। पर तू अगर मुझसे प्यार करती हैं और चुदना चाहती हैं तो तेरी इस मोती चूतड़ को चोद सकता हूं।
दिव्या रोते हुए: पापा इस दुनिया में आपही को प्यार किया हैं आपके लिए इस जिस्म का कोई हिस्सा नहीं हैं जो मैं कुर्बान नही कर सकती हूं। आपको जो छेद चोदना हो चोद लो पर अब मुझे आजाद कर दो सब चीजों से।
शिवम्: तो फिर तू पलट जा।
अब दिव्या शिवम् के सामने उल्टी हो के लेट जाती हैं।
 

Shivgoyal

Faminc
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प्रिय पाठकों मुझको लग रहा हैं आप सबको मेरी ये कहानी अच्छी नहीं लग रही हैं इसलिए पीछले कुछ अपडेट्स से ना ज्यादा कोई लाइक आ रहा हैं और ना ही कोई कॉमेंट कर रहा हैं। इसलिए मैं अब विचार कर रहा हूं इस कहानी को यही इस जगह पे रोक दूं। आप सबने इस कहानी को पहले जो प्यार दिया उसके लिए दिल से शुक्रिया ❤️❤️ अब इस कहानी को आगे ले जाने का कोई मतलब नहीं हैं अगर किसी को इस कहानी में कोई मजा ना आ रहा हो तो। मैं जितना अच्छा कर सकता था उतना अच्छा मैने लिखने की कोशिश की हैं।
धन्यवाद आप सभी का❣️❣️❣️
 
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prkin

Well-Known Member
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प्रिय पाठकों मुझको लग रहा हैं आप सबको मेरी ये कहानी अच्छी नहीं लग रही हैं इसलिए पीछले कुछ अपडेट्स से ना ज्यादा कोई लाइक आ रहा हैं और ना ही कोई कॉमेंट कर रहा हैं। इसलिए मैं अब विचार कर रहा हूं इस कहानी को यही इस जगह पे रोक दूं। आप सबने इस कहानी को पहले जो प्यार दिया उसके लिए दिल से शुक्रिया ❤️❤️ अब इस कहानी को आगे ले जाने का कोई मतलब नहीं हैं अगर किसी को इस कहानी में कोई मजा ना आ रहा हो तो। मैं जितना अच्छा कर सकता था उतना अच्छा मैने लिखने की कोशिश की हैं।
धन्यवाद आप सभी का❣️❣️❣️
मैं कुछ दिनों से कहानी नहीं देख पा रहा हूँ. मैंने पढ़नी आरम्भ की थी परन्तु किन्हीं कारणों से छूट गई. मैं इस पर फिर से ध्यान दूँगा।
 
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Shivgoyal

Faminc
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अब दिव्या शिवम् के सामने उल्टी हो के लेट जाती हैं।
अब आगे....
Update 52
शिवम् अब दिव्या के ऊपर चढ़ जाता हैं और उसकी गांड पे अपना लंड सहलाने लगता हैं। दिव्या की पैंटी के ऊपर से शिवम् का कारनामा दिव्या को बिल्कुल पसंद नहीं आता हैं और वो गुस्से में बोल पड़ती हैं: आपको मुझसे बिल्कुल प्यार नही हैं मैं तड़प रही हूं और आप बस अपना सुख देख रहे हो।
शिवम्: जान आज तुझे क्या हुआ हैं?
ये बोलके शिवम् पीछे से उसके गालों को चूम लेता हैं।
दिव्या: पापा नाराज ना हूं तो क्या करू आप बताओ। पीछले दो दिन से बस गरम हो रही हूं मम्मी अभी छू तो रही थी चलो कल तक पर सुबह से बस मैं एक बार खुदको झाड़ पाई हूं कोई छू भी नहीं रहा हैं। आप मुझे प्यार नही दे रहे हो। मैं कितना और तदपु आप के लिए ये बताओ। अब नही रहा जा रहा हैं।
नुपुर: अरे बेटा माफ कर दो मैं तेरी परेशानी समझती हूं। और अब तुझे और नही तड़पाएंगे बस।
दिव्या: हां मम्मी इनसे कहो ना डाल दे।
दिव्या ने ये बात बहुत दुखी होके बोली होती हैं तो शिवम् बोलता हैं: जान मैं अभी तेरी गांड में डाल दूंगा पर तू प्रोमिस कर बिलकुल नहीं चिलायेगी।
नुपुर: हां दिव्या अगर हल्की सी भी आवाज आई तो पापा तुझे कभी नही चोदेंगे।
दिव्या ये सुनके डर जाती हैं और कहती हैं: मम्मी मैं बिल्कुल भी नहीं चिल्लाऊंगी।
शिवम्: तो तू बस ऐसे ही लेटी रह बाकी अब मैं करूंगा। तुझे आज पूरा सुख दे दूंगा मेरी जान।
दिव्या: पापा जान नही रंडी बोलो।
दिव्या ये बोलते ही आखें बंद कर के मुंह को गादे में दबा लेती हैं। शिवम् मुस्कुरा के दिव्या की पैंटी नीचे खींच के फेक देता हैं और दिव्या की गांड को सूंघने लगता हैं। जैसे ही शिवम् की सांसें दिव्या को अपनी गांड पे महसूस होती हैं वो अपना मुंह उठाके एक सिसकी लेती हैं। अब नुपुर उसके कान के पास जाती हैं और बोलती हैं: दिव्या मुंह दबा के चिल्लाने की आवाज न सुनाई दे ऐसा नहीं कहा हैं हमने। बल्कि हमारी शर्त ये हैं के तू चिलाएगी ही नही। तो मुंह ऊपर रख और जितना भी दर्द हो उसको सह और जो पापा कर रहे हैं करने दे ना उनको रोक न ही चिल्ला समझी।
दिव्या हां मैं गर्दन हिला देती हैं और शिवम् अपना लंड दिव्या की गांड के ऊपर चलाने लगता हैं। अब नुपुर फिर दिव्या के पास जाती हैं और बोलती हैं: दिव्या तेरी गांड में जो butt plug हैं उसको मैं निकल दे रही हूं। और अब पापा एक झटके में पूरा लंड तेरी गांड में सुखा डालेंगे। तुझे ऐसा दर्द होगा के जैसे तुझे किसीने बीच में से फाड़ दिया हो। पर शर्त याद रखना भले ही कितना दर्द हो। ये तुझे समझने के लिए हैं चुदाई आसान नहीं होती हैं अगर दर्द सह नहीं सकती हो तुम तो।
दिव्या: मम्मी इतना ही दर्द होगा जितना इस वक्त हो रहा हैं मुझे।
नुपुर: इस से भी लाख गुना ज्यादा।
दिव्या: हां समझ गई मम्मी इस दर्द को भी सह लूंगी बस अब डलवा दो।
नुपुर: पक्का ना सोच ले। एक बार तूने रोका अगर तो जिंदगी भर कुंवारी रहेगी।
दिव्या: मम्मी मुझे वो सुख चाहिए और इसके लिए सब दर्द सहूंगी। और मुझे पता हैं बस एक exam हैं मेरा। आप दोनो को गर्व होगा मूझपे बस अब पापा से कह दो ना ये परीक्षा चालू करे।
नुपुर शिवम् की ओर देखती हैं और डालने का इशारा करती हैं। शिवम् भी पहले दिव्या गांड में तीन उंगलियां घुसता हैं जिससे वो उतनी खुल जाए के लंड उसपे सेट हो सके। दो मिन तक उंगलियों को अंदर बाहर करने के बाद शिवम् अपने लंड को दिव्या पे सेट करता हैं। दिव्या तुरंत अपने आप को तयार करते हुए अपने हाथो में बिस्तर को जोर से दबा लेती हैं और मुंह को जोर से बंद कर लेती हैं। अब शिवम् धक्का देने से पहले बोलता हैं: दिव्या जान तयार हो जा।
दिव्या अपनी आंखें बंद कर लेती हैं और अपने बदन को अकड़ लेती हैं। अब शिवम् अपनी पूरी ताकत बटोर के एक झटका मरता हैं जिस से उसका आधा लंड दिव्या के अंदर चला जाता हैं। दिव्या की आंखे एक दम खुल के बाहर आने को हो जाती हैं। मुंह से आवाज आने को होती हैं जो वो अपने होटों को दबाते हुए रोकती हैं और उसकी आंखो से बहुत आंसू निकल आते हैं। उसको ऐसे लगता हैं जैसे कोई उसको चीर ने की कोशिश कर रहा हैं। शिवम् नुपुर को देखता हैं जो कहती हैं एक और झटका दो। नुपुर दिव्या के कान में बोलती हैं: जान बहुत अच्छे बस एक झटका और फिर तुम्हारे हर दर्द का इलाज मैं करूंगी।
दिव्या अपना मुंह बिस्तर में दबाती हैं तो नुपुर उसके बाल सहलाने लगती हैं शिवम् को आगे बढ़ने का इशारा दे देती हैं। अब शिवम् हल्का सा पीछे होके पूरी ताकत बटोरता हैं और दोबारा धक्का देता है जिस से पूरा लंड दिव्या की गांड में समा जाता हैं और दिव्या इस झटक से अब पूरी तड़प उठती हैं और किसी तरह अपनी आवाज को मुंह से निकलने से रोकती हैं और पूरी निढाल होके बिस्तर पे गिर जाती हैं। नुपुर शिवम् से लंड निकालने को कहती हैं और दिव्या को उठाके पानी देती हैं। शिवम् अपना लंड देखता हैं तो उसमें खून लगा होता हैं और दिव्या की गांड पे भी खून होता हैं। अब वो देख ही रहा होता हैं नुपुर दिव्या को पानी पिला चुकी होती हैं और शिवम् को देखती हैं जो अपने लंड को देख रहा हैं। अब नुपुर उसके लंड को देखती हैं तो बोल पड़ती हैं: आज बाप ने अपने लंड को बेटी का खून पीला ही दिया हो ही गया ये पवन रिश्ता आप दोनो का पूरा आज।
ये बात सुनके दिव्या भी देखती हैं शिवम् की तरफ अब उसको एक हसी आती हैं। वो खून दिव्या के हर दर्द पर एक सुकून की छाव सा होता हैं। अभी भी उसको दर्द हो रहा होता हैं पर वो एक मिन के लिए इस नापाक रिश्ते के एक पवन रिश्ते में बदलते हुए रूप को देख सब भूल जाती हैं। अब नुपुर दिव्या को kiss करती हैं और पूछती है: बेटा आज तुम आखिरकार मेरी बहन बन ही गई। आज तुमने अपने पापा को अपना शरीर दे ही दिया। कैसा लगा मेरी बहन को?
दिव्या: मम्मी अब बहुत खुशी हो रही हैं। पर मैं आपकी बहन कैसे बन गई?
नुपुर: हम रंडिया हैं ना तो बस तुमने मेरे पति से चुदवा लिया तो तुम मेरी बहन बन गई। अच्छा तुम थोड़ा आराम करोगी दवाई लगवाओगी और बाद में चुदोगी या फिर अभी पूरी तरह से चुदके बाद में दवाई लगवा के आराम करोगी।
दिव्या: मम्मी अभी दर्द हैं ही तो पहले अब वो सुख तक पहुंच लेते हैं जिसके लिए मैं मारी जा रही हूं। एक बार बस ये सुख ले लूं फिर आराम से आराम करूंगी।
नुपुर: हाए मेरी जान तेरी ये अदा ही मुझे पसंद हैं जहा सारी लड़कियां यहां पे चुदाई छोर देती हैं तू अभी भी पूरी तयार हैं। अब थोड़ा सहला दूं तेरी गांड फिर तू घोड़ी बन जा। आज पापा को अपनी सवारी करवा ही दे।
शिवम् दिव्या को kiss करने जाता हैं और उसको चूमते हुए बोलता हैं: बहुत दर्द तो नहीं हो रहा ना मेरी जान।
इसको सुनके दिव्या ना में गर्दन हिला देती हैं। और नुपुर दिव्या की गांड सहलाते सहलाते उसकी चुचियों को मसलने लगती हैं अब दिव्या थोड़ी देर में पूरा दर्द भूल के पूरी तरह गरम हो जाती हैं। तभी नुपुर और शिवम् उसकी गांड को अपनी अपनी थूक से घिला करने लगते हैं।


Dosto peechle kuch updates mujhe koi na hi response aur na hi koi like mil raha hain aur isliye main iss update ko ek last update ki tarah daal raha hun. Kyuki ab main tabhi koi update dunga jab mujhe samne se koi response dekhega warna aap log maan lijiyega ye story band hogayi hain.
Iss story mei divya ki chudai main thi ab utne aage story nahi le jaa sakta hun to aap logo ke liye itna banta tha to daal diya aage next update tabhi aayega jab mere updates pe koi response aayega.
 

Shivgoyal

Faminc
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Agar aap sab chahte hai ke mai aage iss story ko continue Karu to mujhe aap log baatayiye ki divya ke saath kya kya hona chahiye. Mujhe story mei divya ke saath aur bhi gandi chize karni chahiye ya phir issi tarah aage chalna chahiye
 
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