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Incest बेटी को लंड की प्यासी रंडी बनाया

कौनसा किरदार आपको सबसे अच्छा लगा?


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Gary1511

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पायल इस बात पे हस देती हैं और फिर दिव्या और काव्या में मीठी से नोक झोंक होती हैं और चारो हसने लगते हैं और नुपुर कार पायल की घर की तरफ ले पड़ती हैं।
Update - 35
अब आगे...
नुपुर पायल के घर पहुंचती हैं। अब शाम के 5 बज चुके होते हैं तो पायल नुपुर को चाय का पूछती है तो नुपुर वो मना कर देती क्युकी उसको घर पे तयारी भी करनी होती हैं जिसपे पायल उसको फोर्स नही करती है और उसको एक kiss कर के गाड़ी से उतर जाती हैं अब नुपुर ने घर के बाहर रोड पे रोकी होती है तो पायल उतरते ही घर में घुस जाती। पर वही पे काव्या दिव्या को kiss करती हैं तो दोनो उसमें डूब जाते हैं और दिव्या काव्या की ओर का दरवाज़ा kiss करते हुए खोलती हैं।
अब दोनो उतरती हैं तो रोड पे kiss करने लगती हैं जिसपे आस पास के लोग दोनो को घूर रहे होते हैं। दोनो किसी तरह एक दूसरे को छोड़ते हैं पर दोनो ने उतनी kiss के दौरान एक दूसरे कपड़े उतार दिए होते हैं जिस कारण दोनो सड़क पे नंगे होते और दोनो की ड्रेस गाड़ी में होती हैं।
नुपुर इन दोनो को देख कर हस रही होती हैं और इस सीन के मजे ले रही होती हैं। अब पायल अंदर से दोनो को देखती हैं तो उसको एहसास हो जाता है के उसकी बेटी अब सारे मोहल्ले की रंडी बन गई हैं तो उसको भी शर्म लिहाज छोर देनी चाहिए। और वो भी सोचती हैं के चलो बिना कोट के ही चलती हूं देखू तो मर्द कैसे देखते मुझे। और वो कोट अंदर डाल के नंगी ही काव्या को लेने चल पड़ती हैं।
वही काव्या और दिव्या को ये समझ आ चुका होता हैं के दोनो नंगी हैं और अब कुछ हो नही सकता हैं क्युकी सब उनको देख चुके हैं तो वो आस पास के मर्दों की नजरो को खुद पे महसूस करते हुए वापस kiss करने लग जाते हैं।
अब सीन कुछ ऐसा है कि दिव्या और काव्या नंगी पूरे मोहल्ले के सामने एक दूसरे को चूम रही हैं। नुपुर कार में सब एंजॉय कर रही है वीडियो बनाते हुए। और पायल नंगी होकर दोनो को रोकने निकलती हैं।
अब जब पायल गेट पे आती हैं तो नुपुर उसको देख लेती हैं और उसको कार से ही रुकने का इशारा करती हैं और उसको फोन मिलती हैं। पायल फोन उठाती हैं तो उधर से नुपुर बोलती है: क्या तू कहा आ रही हैं नंगी होके कुछ पहन के आ।
पायल: क्यू तू बता अब क्या फायदा घर की इज्जत तो सड़क पर नंगी ही हैं तो अब की शर्म करू सबसे। जब बेटी देख ही ली है तो मां को भी देखने दे।
नुपुर: पर बदनामी होगी तू आयेगी तो।
पायल: अभी नही होगी या बाद में न होती जब मेरी बेटी मर्दों को ढूंढती जैसा हम करते थे कभी याद है कुछ।
नुपुर: पर शंकर।
पायल: वो कुछ नही कहेंगे उल्टा ये अच्छा ही हुआ अब अगर सबको पता चल जायेगा के क्या होता है तो मेरी बेटी आराम से सब जगह घूम सकेगी और अपने बाप से चुद सकेगी। और ये अपने मोहल्ले में नंगी हुई मतलब के इसमें अब कोई शर्म नही हैं और ये तो अच्छा है ना तो मुझे तो साथ देना ही पड़ेगा इसका।
नुपुर: तो तू आ रही हैं तेरे सास ससुर का क्या।
पायल: पहली बात हम दोनो पहले भी नंगी रही है और बिना किसी की चिंता के हम दोनो बहुत नंगे घुम्हे हैं और ये तू चाहती हैं के हम्हारी इज्जत के लिए हमारी बेटियां ना करें। और दूसरी वो घूम रहे हैं और अगर शंकर से बोलूंगी तो किसी अच्छी जगह उनको सेटल भी कर देगा तो उनको यहां आना ही नही पड़ेगा इस से मेरी बेटी को चाहे कर सकेगी और मैं उसका साथ दूंगी हर चीज में। तो मैं आ रही हूं तू फोन रख ये दोनो रुकेंगी नही।
नुपुर: ठीक हैं समझ गई तेरी बात।
अब पायल बिना कपड़ो के उनके पास आती हैं और काव्या को पकड़ती हैं और अपनी तरफ खींचती हैं और बोलती हैं: अब घर चलेगी के आज यही पे चुदने का प्लान हैं तेरा। अब किसी और दिन कर लेना तुम दोनो और अब अंदर चलो मुझे भी करना हैं तेरे साथ सेक्स। काव्या: ठीक हैं मम्मी चलो अंदर।
काव्या नुपुर और दिव्या को बाई बोलके अंदर जाने लगती हैं और दिव्या आगे वाली सीट पे बैठ जाती हैं। और नुपुर गाड़ी वहा से ले चलती हैं। अब थोड़ी दूर पहुंचते ही दिव्या बोलती हैं: मम्मी बहुत मजा आया काव्या को बीच रोड पे ऐसे kiss करते हुए। सारे मर्दों के पैंट टाइट हो चुके थे हम दोनो को देख के।
नुपुर दिव्या की बाते नही सुन रही होती हैं क्युकी उसका मन पायल की बातो में होता है क्युकी पायल ने आज काव्या के लिए एक बहुत ही बोल्ड स्टेप उठाया होता हैं। नुपुर को लगता हैं के वो तो दिव्या की लिए ये सब करने से तो डर रही थी और वो सोचती थी के वो दिव्या से प्यार करती हैं और उसके लिए उसको आजादी देने के लिए कर रही हैं पर वो इस बात पे दुखी होती हैं के वो भी अपनी मां की तरह घर की इज्जत का सोचने लग गई हैं और उसको लगने लग जाता हैं के उसने बस शिवम् और दिव्या का फायदा उठाया अपने incest परिवार के सपने को पूरा करने के लिए ताकि उसको सेक्स के वक्त उसकी बेटी भी मिल सके पर कही न कही आगे दिव्या उसके जैसी बनने की कोशिश करती तो वो घर की इज्जत का सोच उसको रोक देती और यही सब सोचते हुए वो गाड़ी चला रही होती हैं। वही बगल में दिव्या उसको अपना kiss वाला experience और पायल की बड़ाई कर रही होती हैं।
उतने में उसका ध्यान जाता हैं के नुपुर का ध्यान न रोड पे है और न ही उसपे हैं तो वो नुपुर को हिलती हैं और बोलती हैं: मम्मी क्या सोच रही हो मैं कितनी देर बात कर रही हूं आपसे।
नुपुर: सॉरी कुछ सोच रही थी तो सुना नहीं। बोलो क्या बोल रही थी तुम।
दिव्या: मम्मी क्या हुआ क्या सोच रही थी आप?
नुपुर: हम्म एक बात कहूं तू मानेगी?
दिव्या: आपकी तो सब बाते मानूंगी बोलो तो।
नुपुर: आज से तू मुझे नाम से बुलाएगी भले ही कोई सामने क्यू ना हो तुम मम्मी नही ही बोलेगी अब से।
दिव्या: क्यू?
नुपुर: क्युकी मैं अच्छी मां नही हूं तुझे आजादी बोलके मैं बस अपना फायदा देख रही थी। तुझे मोहल्ले में नंगा जाने से लिए मैं इसलिए रोक रही थी कही न कही के घर की इज्जत का क्या होगा और इसलिए आज दो बार तू रोड पे उन कपड़ो में गई और मैं ना उतरी तेरे साथ अपनी इज्जत का सोच के। तो तू अब से सब कर सकती और मैं भी तेरे सब करूंगी इसलिए हम दोनो आज से दोस्त और पार्टनर्स बोल मंजूर हैं।
दिव्या: हां मम्मी मंजूर हैं।
नुपुर: मम्मी नही नुपुर बोलो जान।
दिव्या: अच्छा हां नुपुर मुझे मंजूर हैं।
नुपुर: तो बता क्या खाएंगी।
दिव्या: हां?
नुपुर: सुबह से चूत के अलावा क्या खाया हैं तूने?
दिव्या: वैसे तो कुछ नही।
नुपुर: तो भूख लग रही हैं?
दिव्या: हां अब आपने बोला तो लगी।
नुपुर: गधी। चल पापा के पास चलते हैं वहा ऑर्डर कर लेंगे खाना और ये आप वाप बोलना छोर दे।
दिव्या: ठीक हैं पर पापा के ऑफिस में ऐसे?
नुपुर: हम्म तो होटल चले?
दिव्या: ऐसे?
नुपुर: हां तू रोड पे नंगी kiss करती हैं दो अलग अलग दुकानदारों के सामने जा सकती हैं और अपनी दोस्त के साथ होटल नही चल सकती हैं। हम दोनो एक रूम बुक कर लेंगे और वहा खाना मंगवा लेंगे। और बोलेगी तो पापा को भी बुला लेंगे। बोलो।
दिव्या: ठीक हैं जैसा आप कहो.... सॉरी कैसा तुम कहो मेरी रंडी।
नुपुर: ये हुई न बात अब सीख जाओगी जल्दी सब कुछ।
अब नुपुर कार होटल की तरफ ले लेती हैं और शिवम् को भी मैसेज कर बोल देती हैं होटल आने को जिस से वही खाना खा सके तीनो साथ में।
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अब ऐसे ही दोनो कमरे में पहुंच जाती हैं और नुपुर शिवम् का टीवी बंद कर देती हैं वही दिव्या पलक को बुला लाती हैं सोने के लिए।
अब आगे....
Update - 58
दिव्या पलक के साथ रूम में आती हैं तो नुपुर दोनो से तुरंत बोल देती हैं: तुम दोनो अब सो जाओ चुप चाप आज कोई चुदाई का प्रोग्राम नही होगा।
इस बात पे दोनो हां बोल देती हैं। अब नुपुर बोलती है: कल सुबह 4 बजे तक उठ जाना क्योंकि पापा के साथ तुम दोनो को गाड़ी सीखने जाना हैं। और फिर पलक तुमको मेरे साथ डॉक्टर के यहां भी चलना हैं क्योंकि कल की मैने अपॉइंटमेंट ले ली हैं।
पलक: कौनसी डॉक्टर के पास मम्मी?
नुपुर: बेटा मेरी प्रेगनेंसी का टेस्ट करवाना था न उसी के लिए जाना हैं।
पलक: ठीक हैं मम्मी। तो सिर्फ मैं और आप चलेंगे क्या?
नुपुर: नही मैं तुम और पापा हम तीनो चलेंगे। दिव्या घर पे रहेगी। ठीक हैं कोई दिक्कत तो नही दोनो को।
अब दोनो हां बोल देती हैं। और चारो लोग सोने की तयारी में लग जाते हैं। अब सोने का ऐसे होता हैं के दोनो लड़किया नुपुर और शिवम् के बीच में सोने के लिए लेट जाती हैं। दिव्या शिवम् से चिपक के लेट जाती हैं वही पलक नुपुर से चिपक जाती हैं।
दिव्या शिवम् की तरफ पीठ करके लेट जाती हैं और पलक दिव्या की तरफ पीठ कर लेती हैं और नुपुर के मुंह के बिल्कुल पास अपना मुंह करके उससे चिपक के सो जाती हैं। अब दिव्या पलक की पीठ पे चिपक जाती हैं जिससे उसकी चूचियां पलक की पीठ से दब जाए। और शिवम् दिव्या से चिपक जाता हैं और अपने लंड को थोड़ा adjust कर के दिव्या की गांड की दरार में घुसा देता हैं।
इससे अब बिस्तर में चारो आराम से आ भी जाते हैं उसके ऊपर से चारो का जिस्म दूसरे जिस्म की गर्मी महसूस कर रहा होता हैं। दिव्या थोड़ी देर तक इंतजार करती हैं सबके सोने का उसके बाद वो शिवम् के लंड को अपनी गांड के छेद पे लगा देती हैं। शिवम् भी दिव्या की इस हरकत का इंतजार कर रहा होता हैं। अब जैसे ही दिव्या शिवम् के लंड को गांड पे लगाती हैं शिवम् तुरंत के हाथ से दिव्या को जकड़ लेता हैं और दूसरे हाथ से उसके मुंह को दबा लेता हैं और फिर तुरंत ही एक जोरदार झटका मरते हुए अपना पूरा लंड दिव्या की गांड में घुसा देता हैं।
दिव्या जिसने गांड मरवाना ही चीखे शिखा था वो तो वैसे ही चिल्लाने से परहेज करती पर शिवम् के मुंह दबाने से दिव्या की सासों तक की आवाज रूक गई होती हैं।
अब शिवम् आराम से दोनो मिनट अपना लंड दिव्या की गांड में घूमता है और फिर दिव्या के मुंह से हाथ हटा के उसकी चूचियां मसलने लगता हैं वही दिव्या भी अब अपनी गांड शिवम् के लंड पे घुमाने लगती हैं। थोड़ी देर ऐसे ही दोनो शांति से एक दूसरे के साथ बस जिस्म के मजे ले रहे होते हैं और क्युकी दोनो आज नुपुर की बात मानने वाले थे इसलिए दोनो कोई चुदाई नही करते हैं और शिवम् ऐसे दिव्या की गांड में लंड फसा के सो जाता हैं। वही दिव्या पहले थोड़ी देर परेशानी सी होती हैं पर वो मन में सोचती हैं: अगर मैने आज पापा से बोल दिया के उनके लंड की वजह से मुझे परेशानी हो रही हैं तो फिर पापा आगे कभी मुझे परेशानी न हो इसलिए ऐसे नही सोएंगे मेरे साथ और मुझे पापा के साथ ऐसे ही रहना हैं के पापा मेरे किसी भी छेद में जब मन करे अपना लंड डाल के सो सके।
अब ये सोचते सोचते दिव्या मन में इस परेशानी को झेलने का ठान लेती हैं। अब थोड़ी देर में उसको भी नींद आ जाती हैं।
अब सुभे 4 बजे सबसे पहले दिव्या की नींद ही खुलती हैं। वो नींद खुलते ही अपने पीछे देखती हैं शिवम् अभी भी दिव्या को जकड़े हुए हैं और लंड छोटा होगया है पर अभी दिव्या की गांड में ही अटका हुआ हैं। दिव्या शिवम् को देख के मुस्कुराती हैं और मन में सोचती हैं: पापा कितने अच्छे लग रहे हैं सोते हुए। और सच में रात में नींद कितनी अच्छी आई और मैं बेफर्जी में ही परेशान हो रही थी। पापा सच में मेरी जान हैं अब उनकी खुशी के लिए सब करूंगी मैं।
अब यही सोचते हुए दिव्या टाइम देखती हैं तो 4 बज हैं। तो वो तुरंत अपने हाथ से शिवम् के लंड को अपनी गांड से बाहर निकलती हैं। और फिर पलट के शिवम् की तरफ मुंह करके लेट जाती हैं। दिव्या शिवम् को दो मिनट तक एक टक देखती हैं फिर अपने हाथो को उसके गालों पे रखके धीरे से उसके होंठो के पास अपने होंठ ले जाके उसको होंठो को बहुत प्यार से चूमने लगती हैं। होंठ को चूमने से शिवम् की भी नींद खुल जाती हैं और वो भी अपने हाथ दिव्या के चेहरे पे रख लेता हैं। अब थोड़ा सा kiss कर के दिव्या अपने होंठ हटा लेती हैं और शिवम् को बहुत प्यारी सी आवाज में बोलती हैं: गुड मॉर्निंग पापा।
शिवम्: गुड मॉर्निंग जान। अगर तुम इतनी प्यारी गुड मॉर्निंग रोज करोगी ना तो तुम्हारे पापा का पता नही क्या होगा।
दिव्या बड़े प्यार से: क्या होगा पापा।
शिवम् दिव्या की आंखों में देखते हुए: मेरी जान से बेइंतहा प्यार हो जायेगा। और ऐसी गुड मॉर्निंग से तो पूरा दिन उसके ख्यालों में ही बीतेगा और कुछ काम नहीं होगा।
दिव्या थोड़ा सा शर्माते हुए और बहुत प्यारी सी मुस्कान के साथ: अच्छा तो अभी तक आप अपनी जान से प्यार नही हुआ हैं।
शिवम्: उस से प्यार तो हैं पर अब समझ नही आ रहा हैं मेरी जान मेरा क्या करना चाह रही हैं।
दिव्या अब हल्का हस्ते हुए बात को बदलते हुए बोलती हैं: आप ना अजीब हो सुबह सुबह अपनी बेटी से flirting चालू कर दी। चलो जल्दी से उठ जाओ आपको हम दोनो को गाड़ी भी शिखानी हैं।
शिवम् हस्ते हुए: जो हुकुम मेरी रानी।
दिव्या ये सुनके शर्माते हुए उठ जाती हैं और दूसरी साइड पे नुपुर और पलक को उठा देती हैं। अब शिवम् फ्रेश होने बाथरूम जा चुका होता हैं। पलक भी उठ के बाथरूम चली जाती हैं। नुपुर दिव्या से पूछती हैं: तुम नही जा रही हो बाथरूम गाड़ी नही शिखनी हैं महारानी साहिबा।
दिव्या हस्ते हुए: शिखनी हैं मेरी माता पर आप पापा और दी को पहले भेज दो।
नुपुर: क्यू भला।
दिव्या: वो अंकल आयेंगे ना कूड़ा उठाने इसलिए।
नुपुर: अच्छा तो तुम इन दोनो को उस हरकत का पता नही चलने देना चाह रही हो।
दिव्या: हैं मेरी जान और दूसरी बात अब जब जिस्म दिखा ही दिया हैं तो उनके साथ भी मजे ले ही लेटी हूं।
नुपुर: बिलकुल ठीक बात मैं तेरे साथ हूं तू यही बैठियो इन दोनो को मैं बोल दूंगी ये दोनो जाए तुम मेरे साथ कुछ काम करवा के आओगी।
दिव्या: थैंक यू जान।
नुपुर: हम रंडिया में थैंक यू नही चलता हैं। लेन देन चलता हैं।
दिव्या: चलो मैं मदद ली हैं तो तुमको क्या दूं।
नुपुर दिव्या की चूत पे हाथ रखते हुए: मेरी तो यही पसंदीदा चीज है।
दिव्या: ले लेना जितना लेना हो पर ये अभी बस खून निकाल रही हैं तो कुछ दिन रुक के लेना।
नुपुर: हां वो तो मैं भी जानती हूं पर तुम पलट गई तो।
दिव्या: तो तुम लंड मत देना। उस लंड के लिए तो तुम्हे दे ही दूंगी तो क्यू सोचती हो तुम ये सब।
नुपुर: हां ये भी बात सही बोली तुमने चलो फिर जब मुझे मेरी पसंदीदा चीज मिल ही रही हैं तो तो मैं तुम्हारे सारे काम करूंगी।
अब शिवम् और पलक बाथरूम से आ जाते हैं और देखते दिव्या और नुपुर अभी भी बिस्तर पे बैठे बाते कर रहे हैं।
 
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अब शिवम् और पलक बाथरूम से आ जाते हैं और देखते दिव्या और नुपुर अभी भी बिस्तर पे बैठे बाते कर रहे हैं।
अब आगे....
Update - 59
शिवम् दिव्या को बैठा देख पूछता हैं: तुम यहां अभी तक बैठी हो चलना नही हैं।
दिव्या: चलना तो हैं पर...
शिवम्: पर?
नुपुर: पर घर पे काम हैं जिसमें इनको मेरी मादत करनी है तो आप बस पलक को लेके जाओ अभी दिव्या थोड़ी देर में आयेगी।
शिवम्: अरे ये क्या बात हैं।
नुपुर: आप ये बताओ एक साथ दोनो को ड्राइविंग सीट पे बैठाल के शिखा दोगे क्या। नही न तो बस पलक को शिखाओ पहले आप तब तक दिव्या भी आ रही हैं वहा पे।
अब नुपुर पलक की ओर देखते हुए बोलती हैं ठीक हैं पलक और उसको आंख मार देती हैं। पलक मन में सोचती हैं: मम्मी ने कल बोला था न पापा और मुझे अकेले टाइम दिलवाएंगी इसलिए दिव्या को रोका होगा उन्होंने। और ये सोचते हुए वो हां में गर्दन हिला देती हैं।
उधर नुपुर का इशारा दिव्या ने देख लिया होता हैं तो वो कन्फ्यूज हो जाती हैं के मम्मी दी को आंख क्यू मार रही हैं।
अब शिवम् बोलता हैं: ठीक हैं भाई तुम चलो कपड़े पहनो मैं भी पहनता हूं। फिर निकलते हैं। और तुम दोनो को कोई काम हैं या गप्पे मरने बैठी हो यहां।
नुपुर: ये हमारा घर हैं हमारा बिस्तर हम गप्पे मारे या जो करे आप अपना काम करिए ना।
शिवम्: ठीक हैं मेरी मां मेरी ही गलती हैं तुमसे बात कर ली मैने।
अब पलक कपड़े बदलने जाती हैं तो नुपुर दिव्या को इशारा करती हैं शिवम् को कपड़े पहनाने का। शिवम् उसका इशारा देख लेता हैं तो वो दिव्या के पास आके बोलता हैं: तेरी मां भी कह रही हैं अब उठ के अपने पापा की मदात कर दे।
दिव्या मुस्कुराते हुए उठ जाती हैं और शिवम् के कपड़े निकालती हैं अब शिवम् कपड़े देखता हैं तो पूछता हैं: इसमें undergarments कहा हैं जान।
दिव्या: ये सब चीज माना हैं याद नही। बस दिखावे के कपड़े पहनने हैं आपको।
शिवम्: अच्छा मेरी जान इस से तो अच्छा फिर न ही पहनू। मेरी जान के साथ नंगा ही रहूं।
दिव्या: मम्मी के सामने भी flirt कर रहे हो। चलो चुप चाप खड़े हो जाओ मैं पहना देती हूं कपड़े आपको।
शिवम् अब एक तरफ खड़ा हो जाता हैं पहले दिव्या पैंट पहनाती हैं फिर उसको एक टी शर्ट पहना देती हैं। इतने में शिवम् दिव्या को अपनी बाहों में जकड़ लेता हैं और पूछता हैं: जान सॉरी रात के लिए तुमसे बिना पूछे ही डाल के सो गया। तुमको परेशानी तो नहीं हुई।
दिव्या शर्माते हुए धीमी सी आवाज में: किसी बेटी को अपने पापा के प्यार से परेशानी हो सकती हैं क्या?
शिवम्: मुझे नहीं पता तुम बताओ मेरी जान को तो नही हुई ना।
दिव्या: नही आपकी जान को बहुत अच्छा लगा था और नींद में भी और अच्छी आई थी।
शिवम्: तो क्या मेरी जान....
दिव्या: हां आपकी जान रोज ऐसे ही सोएगी आपके साथ अब छोड़िए।
नुपुर: दो तीन बाते वैसे मुझे कहनी हैं पहले तो आप दोनो का होगया हो तो दूर हट जाइए पलक आती होगी।
ये सुनते ही दोनो अलग हो जाते हैं और दिव्या वापस नुपुर के पास आके बैठ जाती हैं और शर्माके आंखे नीचे करी बैठी रहती हैं। नुपुर आगे बोलती हैं: दूसरी बात रात में क्या हुआ है आप दोनो के बीच में क्या कुछ मेरे जानने लायक है। क्या कुछ ऐसा हैं जो मुझे पता होना चाहिए।
इस पे दिव्या कहती हैं: मम्मी पापा और पलक दी निकल जाए तब बाटती हूं आपको सब।
नुपुर: ठीक हैं ये भी सही हैं। और तीसरी बात आप दोनो को जब भी ये रोमांस करना हुआ करे न मुझे आधा घंटा पहले बता दिया करो। मैं पॉपकॉर्न लेके बैठा करूंगी।
दिव्या और शिवम् शर्मा जाते हैं और दिव्या बोलती हैं: आपको बहुत इंटरेस्ट आता हैं अपनी बेटी का रोमांस देखने में।
नुपुर: क्यू नही आयेगा भाई मेरा ही बोया हुआ बीज हैं ये तो इस पेड़ के आम तो मैं चखूंगी ही।
दिव्या: चखलो आप सारे आम। ये बीज से जब एक पौधा निकलेगा ना तो आप ही पालना उसको।
ये बात दिव्या ने शर्माते हुए शिवम् को देखते हुए बोली होती हैं। शिवम् इस बात से मतलब समझ जाता हैं और मन ही मन खुश हो जाता हैं।
नुपुर: बस जान तू पौधा दे तो मैं उसको अपने दूध से सीचूंगी।
दिव्या: सीच लेना अब चलो हम फ्रेश होते हैं।
अब दोनो फ्रेश होने के लिए उठते है उतने में पलक भी आ जाती हैं। और शिवम् और पलक गाड़ी में बैठ के निकल जाते हैं। अब नुपुर और दिव्या फ्रेश होके बाहर आते हैं तो नुपुर के साथ दिव्या किचन की ओर चलती हैं तब ही नुपुर उस से पूछती हैं: हां तो रात में क्या हुआ था।
दिव्या: कुछ नही मम्मी बस मै पापा की तरफ पीठ करी हुई लेटी थी। तो पहले तो उनके लंड को अपनी गांड की दरार में रख हुआ था मैंने। फिर जैसे ही आप दोनो सो गए थे तो बस मैने पापा के लंड को गांड पे सेट कर दिया और पापा ने एक झटके में मेरा मुंह दबा के लंड अंदर घुसा दिया। और डाल के ही सो गए।
नुपुर: अच्छा तो तुम्हे नींद आई थी ठीक से।
दिव्या: शुरू में अजीब लगा पर फिर इतनी सुकून की नींद आई के आपको क्या बताऊं।
नुपुर: होता हैं। अच्छा तेरे अंकल आने वाले होंगे उनको जिस्म दिखाओ अपना।
दिव्या: हां मम्मी बिलकुल। आपकी बेटी अपना फर्ज निभायेगी।
दोनो इस बात पे हसने लगती हैं। नुपुर किचन में नाश्ता तैयार करने लगती हैं दिव्या डस्टबिन से कूड़ा निकल लेती हैं उतनी देर में बेल बजती हैं दरवाजे की तो दिव्या कूड़ा लेके दरवाजे की ओर चल देती हैं। दरवाजा खोलती है तो सामने कूड़ा उठाने वाला खड़ा होता हैं। जो दिव्या को एक टक देख रहा होता हैं और उसका लंड पैंट में पूरा खड़ा हो चुका होता हैं। नुपुर वही किचन से हल्का सा झांक कर ये सब देख रही होती हैं। वही दिव्या उनके लंड को देखती हैं और बोलती हैं: अंकल आपको ये सब अच्छा लगता हैं क्या?
कूड़ा उठाने वाला हां में गर्दन हिला देता हैं तो दिव्या बोलती हैं: सच में पर ये सब तो कितना गन्दा होता हैं।
वो अभी भी दिव्या की बात पे ध्यान नहीं दे रहा होता हैं तो दिव्या बोलती हैं: अंकल वैसे आपका नाम क्या हैं?
कूड़ा उठाने वाला: राजेश।
दिव्या: हम्मम ठीक हैं राजेश अंकल पर आप देखोगे या पकड़ोगे भी।
राजेश अब दिव्या की ओर देखता हैं तो दिव्या कहती हैं: अब तक जब मैं आपसे आपके काम के बारे में बात कर रही थीं तब तो सुन नही रहे थे। अब अपने शरीर के बारे में बात की तो ऐसे देख रहे हो।
अब दिव्या राजेश का हाथ पकड़ के अपनी चुचियों पे रख देती हैं और दबवाने लगती हैं। फिर एक हाथ को पकड़ के अपनी होंठो के पास लाती हैं और चूसने लगती है उसकी उंगलियों को। दिव्या फिर उनके हाथ को अपने शरीर पे छोर कर उनके गालों पे हाथ रखते हैं और उनसे kiss करने लगती हैं। फिर बोलती हैं: अंकल आप बहुत अच्छे हो और मैं आपकी बेटी की तरह ही हूं तो मुझे पुरा हक है आपका। तो मैं आपके लिए ही नंगी आती हूं तो मेरे पूरे मजे लिया करो आप।
राजेश दिव्या की बात पे हां में गर्दन हिला देता हैं। अब नुपुर दिव्या को आवाज लगा देती हैं तो दिव्या राजेश को छोड़ती हैं और बोलती हैं: अंकल कल आयेंगे तो मैं और बताऊंगी अपने बारे में।
अब राजेश हां में गर्दन हिला देता हैं और दिव्या पीछे होके दरवाजा बंद कर नुपुर के पास चली जाती हैं।
नुपुर: ये बहुत बुरी बात है तुम मर्दों पे जो जुलम करती हो।
दिव्या: क्या जुर्म किया मैंने।
नुपुर: उनको तड़पाया वो जुर्म मैं देख रही थी सब कितना बुरा करती हो तुम। दया नाम की चीज ही नहीं हैं तुम्हारे अंदर।
दिव्या: जुर्म दिख रहा आपको पर जो रहमत मैने की वो वो नहीं दिखी न। उनके दिमाग उनकी आंखों को वो दर्शन दिया है जिस से उनकी सारी तड़प मिट जाए। और जो हिस्सा उनका तड़पा हैं ना उस हिस्से को वो मेरे जिस्म को ही याद कर के ही शांत करेंगे। मैं आप जैसी औरतों की तरह नही हूं मैं एक सच्ची रंडी हूं। लंड खड़ा करवाती हूं तो उसको अपने जिस्म को दिखाके शांत करने का उपाय भी देती हूं।
नुपुर: वो तो हैं मेरी जान तू सच में मेरी प्यारी रंडी बन गई हैं।
दिव्या: वैसे मम्मी अभी जब पापा और दी जा रहे थे तो अपने दी को अकेले भेजते हुए उन्हें आंख क्यू मारी।
नुपुर: वो मैने इसलिए मारी क्युकी कल मैंने उस से बात की थी के तुझे पापा के साथ अकेले टाइम बिताने का मौका दूंगी तो इस से उसको लगा के मैने जनभूज के तुझे रोका हैं। जबकि बात कुछ और थी।
दिव्या: दी को क्यू टाइम बिताना हैं पापा के साथ अकेले में।
नुपुर: क्युकी जब तू होती हैं तो वो कुछ नही कर पाती हैं पापा के साथ और तू भी तो पापा के साथ हर समय अकेले रहना चाहती हैं। तो पलक कैसे गलत हैं तू नही चाहती हैं के उसको कुछ मिले। हां बोल तू उसके लिए अगर कल को पापा को छोड़ने की बात आयेगी तो नही करेगी यही प्यार करती हैं उस से तू और अगर यही था तो उसको अपनी बहन क्यू बनाया तूने।
दिव्या: ऐसा नहीं मम्मी मैं बहुत प्यार करती हूं दी से और पापा को भी छोर सकती हूं।
नुपुर: बस तो अब वो टाइम बिता रही हैं पापा के साथ। अब तुम तयार होके जाओ और पलक को घर भेज दो और तुम टाइम बिताओ पापा के साथ।
दिव्या: ठीक हैं मम्मी।
अब दिव्या कपड़े पहनने चली जाती हैं और वहां पे जब पलक और शिवम् पहुंचते हैं तो शिवम् कहता हैं: पलक से बेटा ये रोड खाली रहती हैं तो इसी पे हम सीखेंगे गाड़ी चलाना।
पलक: ठीक हैं पापा।
शिवम्: अब तुम ड्राइविंग सीट पे बैठो मैं तुम्हारे बगल में बैठ के तुम्हे शिखाता जाऊंगा।
पलक: पापा ऐसे कैसे सीख पाऊंगी मैं।
शिवम्: क्यू नही सीख पाओगी।
पलक: पापा कोई गलती कर दी तो गाड़ी का एक्सीडेंट हो जायेगा। और आप कैसे संभाल पाओगे गाड़ी को।
शिवम्: बेटा उसके लिए तो मुझे कार कोचिंग वालो की तरह अपनी गाड़ी में दूसरी साइड भी क्लच और ब्रेक लगाना पड़ेगा।
पलक: पापा एक और तरीका है।
शिवम्: और क्या तरीका हैं?
पलक: पापा मैं आपकी गोदी में बैठ के ड्राइविंग करू तो क्या दिक्कत हैं।
शिवम् हैरानी से देखता हैं पलक को और कहता हैं: बेटा ऐसे कैसे सीख पाओगी।
पलक: पापा मैं सीख जाऊंगी और ऐसा भी नहीं हैं के मैं नंगी नही हुई हूं आपके सामने जो आपको मुझे गोदी में बैठाते हुए शर्म आ रही हो। अब बात अलग हैं के ये सब मेरे लिए नही हैं तो।
शिवम्: ऐसा कुछ नही चल तू जैसे बोल रही हैं वैसे ही ड्राइविंग शिखात हूं तुझे।
अब इतना बोल शिवम् पहले गाड़ी में बैठ जाता हैं और पलक उसकी गोदी में बैठ जाती हैं। पलक अपनी पूरी गांड शिवम् के लंड के ऊपर हिलाती हैं। इस पे शिवम् उसको कमर से पकड़ के पूरा चिपका लेता हैं और धीरे से कान में बोलता हैं: बेटा आज पहला ही दिन हैं आज ही सारा मजा भी चाहिए क्या? अभी ये खड़ा नही होगा कुछ दिन और ड्राइविंग सीख ले फिर मजा देगा ये।
पलक शिवम् की बात समझ जाती हैं। अब शिवम् पलक को गाड़ी के बारे में बताने लगता हैं। और थोड़ी देर में सब समझने के बाद वो पलक से गाड़ी स्टार्ट करवाता हैं और धीरे धीरे रोड चलवाता हैं। ये पलक ड्राइविंग सीख रही होती हैं तो थोड़ी देर में दिव्या भी घर से तयार होके आ जाती हैं और पलक को शिवम् की गोद में बैठ के ड्राइविंग सीखते हुए देख सोचती हैं: हम्म्म दी अकेले टाइम का पूरा मजा ले रही हैं। अब मैं भी लूंगी।
इतने में पलक का एक राउंड हो जाता हैं और वो गाड़ी से उतर जाती हैं। दिव्या पलक से बोलती हैं के घर पे मम्मी ने बुलाया हैं और अपनी स्कूटी की चाभी दे देती हैं पलक को।
अब पलक स्कूटी लेके निकल जाती हैं घर और अब शिवम् दिव्या को शिखाने के लिए गाड़ी से उतर जाता हैं दिव्या को ड्राइविंग सीट पे बैठने को कहता हैं।
दिव्या: पापा ये भेद भाव कब से शुरू हुआ हैं।
शिवम्: कौनसा भेद भाव?
दिव्या: जैसे दी को शिखा रहे थे मुझे भी वैसे ही शिखना हैं।
शिवम्: पर...
दिव्या: कोई पर वर नही।
शिवम्: चल ठीक हैं मेरी जान।
अब शिवम् गाड़ी में बैठता है तो दिव्या उसकी सीट के पास आके उसकी पैंट को देखती हैं जो अब खड़ा होना शुरू कर रहा होता हैं। इस को देख दिव्या पूछती हैं: पापा मैं आपको इतनी पसंद हूं के दी के वक्त ये शांत था और मेरे आने का सोच के ही खड़ा हो रहा हैं।
शिवम्: तुझे नही पता था क्या के मुझे तू कितनी पसंद हैं।
दिव्या: पता तो था पर अब बिल्कुल यकीन होगया हैं। अब चलो आज अच्छे से शिखेंगे गाड़ी और हम तीनो में कोई भी परेशान नहीं होगा इतनी देर।
शिवम्: मतलब।
दिव्या: समझाती हूं मतलब रुको तो।
दिव्या अपनी स्कर्ट नीचे कर देती हैं और पैंटी भी नीचे खिसका के खड़ी हो जाती हैं और फिर झुकके शिवम् की पैंट खोलते उसमें से लंड को निकाल लेती हैं और उसको पूरा मजबूत करने के लिए मुंह से थोड़ा चूसती हैं बाहर ऐसे ही नंगी रह कर। जैसे ही शिवम् का लंड पूरा मजबूत हो जाता हैं वो थोड़ा सा उसपे थूक देती हैं और उसपे थूक को मलते ही गाड़ी में बैठने लगती हैं और लंड को अपनी गांड के छेद पे टिका लेती हैं। अब शिवम् भी उसको जकड़ लेता और अपने लंड पे बैठा देता हैं। जिसके अंदर जाते ही दिव्या के मुंह से एक आह निकलती हैं और फिर वो बोलती हैं पापा कैसा लग रहा हैं।
शिवम्: बेटा अब लग रहा है गाड़ी शिखाने में बहुत मजा आएगा।
दिव्या: बस पापा हम तीनो गाड़ी मजे लेते हुए शीखेंगे।
शिवम्: बिलकुल मेरी जान। अब शुरू करे।
दिव्या: हां पापा। पर पापा गाड़ी शिखाने के बाद मेरी गर्मी भी शांत करिएगा।
शिवम्: बिलकुल मेरी जान।
अब शिवम् दिव्या को भी सब बताता हैं और फिर थोड़ी देर में दिव्या भी ड्राइविंग शुरू कर देती हैं।
 
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meri marlo

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Thank you bro aur update aa gaya hain
Bro not you can call me whore slut etc I would like be slave
And i m not bro i m your sis
 
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Shivgoyal

Faminc
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अब शिवम् दिव्या को भी सब बताता हैं और फिर थोड़ी देर में दिव्या भी ड्राइविंग शुरू कर देती हैं।
अब आगे....
Update - 60
शिवम् दिव्या को ड्राइविंग शिखाते हुए उसको बिलकुल कस के पकड़ लेता हैं और अपने हाथो से उसकी चुचियों को मसलने लगता हैं दिव्या भी गाड़ी चलाने के साथ साथ हल्के हल्के अपनी गांड हिला रही होती हैं। अब सड़क पूरी तरह सुनसान होने की वजह से दोनो बहुत आराम से चलती हुई गाड़ी में ये सब कर पा रहे होते हैं। शिवम् अब दिव्या की गर्दन को चूमने लगता हैं। थोड़ी देर तक गाड़ी चलने के बाद शिवम् दिव्या से पूछता हैं: जान गाड़ी सही से चल रही हैं ना तुमसे?
दिव्या पूरी हवस भरी आवाज में: हम्मम पापा। अब मुझसे ये गाड़ी नही चल पाएगी।
शिवम्: क्यू जान अभी तो शुरू किया हैं।
दिव्या: पापा ये जो शुरू किया हैं हमने वो खतम करो वरना मैं गाड़ी कही लड़ा दूंगी।
शिवम्: अच्छा ठीक हैं गाड़ी साइड में लगा।
अब दिव्या गाड़ी को साइड में करती हैं तो शिवम् भी स्टेयरिंग पकड़ लेता हैं और गाड़ी एक किनारे लगा लेता हैं। फिर ब्रेक लगा के गाड़ी बंद कर देता हैं। गाड़ी बंद होते ही शिवम् दिव्या से बोलता हैं: जान जरा नीचे झुको और नीचे सीट पीछे करने वाला लीवर होगा उसको खींचो।
दिव्या भी नीचे झुक कर सीट पीछे कर देती हैं। अब शिवम् बोलता हैं: अब जान को तुम्हारा मन था वो करे।
दिव्या: हां पापा। अब मैं खुद पे काबू नही कर पाऊंगी। चोद दो अपनी इस रंडी की गांड को।
शिवम्: जान वो तो मैं कर दूंगा। पर मेरा मन कर रहा था तेरी चूत के ऊपर अपना सारा वीर्य निकालू।
दिव्या: हां पापा ठीक हैं आप मेरी पैंटी के ऊपर निकाल देना। जिस से आपका रस मेरी चूत से चिपका रहे।
शिवम्: पर तेरी बहन को नही पता लगेगा के हम दोनो क्या किए हैं।
दिव्या: ठीक हैं ना मैं देख लूंगी सब।
शिवम्: अच्छा सुन मैं तेरे मुंह में ही निकाल देता हूं। बाद में जब ये तेरे पीरियड्स खतम हो जायेंगे तब मैं रोज तुम्हारी चूत में ही निकाला करूंगा।
दिव्या: पर पापा।
शिवम्: अब समझ न बेटा हम चुदाई कर लेते हैं जल्दी से और तू मुंह ले लियो अपने पापा का रस।
दिव्या: ठीक हैं पापा।
अब दिव्या शिवम् के लंड पे उछलने लगती हैं और शिवम् उसके बाल पकड़ के उसकी गर्दन को अपनी तरफ खीच रहा होता हैं। और अपने दूसरे हाथ से उसकी चुचियों को मसलने लगता हैं। दिव्या बहुत जोश में कूदने लगती हैं। ऐसे ही दोनो थोड़ी देर तक चुदाई करते हैं और दिव्या की चूत एक बार पानी छोड़ चुकी होती हैं। दिव्या की आहे तेज हो जाती हैं और कार में खून गिरा होता हैं क्युकी उसकी चूत से बह रहा होता हैं। दिव्या बड़बड़ाने लगती हैं: आह्ह्ह्ह्ह मेरे बेटीचोद बाप ऐसे ही इस रंडी की गांड को अपने लंड की गुलाम बनाओ आह्ह्ह्ह्ह तेरे से चुद के तेरी बेटी को वो खुशी मिली हैं जैसे आह्ह्ह्हह जैसे उसको स्वर्ग की रंडी बना दिया हो आआआह्हह्ह बेटीचोद मां के लौड़े ऐसे ही चोदो और तेज और तेज आआआह्हह्ह्ह
अब शिवम् भी झड़ को तयार हो जाता हैं। शिवम् बोलता हैं: मेरी जान मेरा निकलने वाला हैं आह्ह्ह्ह्ह नीचे आ मेरी जान आह्ह्ह्ह्ह
दिव्या तुरंत अपनी गांड उठा लेती हैं और उसके सामने कार में घुटनो के बल बैठ जाती हैं और उसका लंड मुंह में लेके चूसने लगती हैं। अब जरा सा चूसने के बाद ही शिवम् दिव्या के मुंह में झड़ जाता हैं और दिव्या शिवम् पूरा माल पी लेती हैं और फिर शिवम् को kiss करके वापस उसकी गोद में बैठ जाती हैं। शिवम् दिव्या से बोलता हैं: चल अब पैंट ऊपर कर ले तू भी मैं भी कर लेता हूं फिर तू गाड़ी चला के ऐसे ही मेरी गोदी में बैठे बैठे घर तक चल।
दिव्या: ठीक हैं पापा।
अब दिव्या अपने कपड़े ठीक करती हैं और शिवम् अपने सही कार्य हैं और फिर सीट आगे करके दिव्या वापस शिवम् को गोद में बैठ के गाड़ी चलाते हुए उसको घर ले आती हैं।
 
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meri marlo

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Tumhari lunga aur Tumhari marunga Bhi Main aur bahut jald
Wo q bhala
Apni raand samajh liye ho kya jo jab mann me ayega lund gila karke meri chut aur gaand me ghusa kar chod chod kar bhosada bana doge
 
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