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Incest बेटे की फैंटसी

Who do you think make better pair?

  • 1) Ravi - Tanya

    Votes: 40 61.5%
  • 2) Ravi - Rekha

    Votes: 39 60.0%
  • 3) Samrat - Rekha,

    Votes: 11 16.9%
  • 4) Samrat - Saloni

    Votes: 14 21.5%

  • Total voters
    65

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,650
8,436
173
घर पहुँचते ही तरुणा ने अपनी साडी उतार दी और सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में आ गई। रवि भी सिर्फ एक बरमूडा में हो गया। रेखा ने ऐज उसुअल एक शार्ट और टी-शर्ट पहन ली।
तीनो ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गए। तरुणा तीन ग्लास और ढेर सारा बर्फ लेकर आई। रवि ने बोतल खोल दिया। पहली सिप जाते ही रवि का मुँह अजीब सा बन गया। उसने कहा कैसे पी लेते हैं लोग ? तरुणा को भी उसका स्वाद थोड़ा अजीब ही लगा। उसने बहुत दिनों बाद बियर को हाथ लगाया था। तीनो में रेखा ही नार्मल थी क्योंकि वो अक्सर पी लेती थी। कुछ घूँट जाने के बाद तरुणा और रवि बहकने लगे।
रवि - माँ अब तो तू मुझे पक्का मादरचोद बना देगी न। सिर्फ तुझे पाने को मैंने इतनी मेहनत की है।
तरुणा - भक बकलन्ड। कैसी बात करता है। अब तू डॉक्टर बन कर तूने अपना भविष्य बनायेगा । मेरे सपने को पूरा करेगा। अब एक बार डॉक्टर बन जा चूतो की लाइन लग जाएगी।
रेखा - औरतो का डॉक्टर बन जाना बे। चूत ही चूत और चूत से निकलते तुम जैसे मादरचोद। हाहाहाहाहा
रवि - कितनी घटिया बात कर दी।
तरुणा - गलत क्या कहा? औरतें तो आएंगी चेक उप कराने को तुझे तो उनका सारा शरीर देखना पड़ेगा।
रवि - चुप हो जाओ तुम दोनों मैं एक अच्छा डॉक्टर बनूँगा। चूत के लिए मरीज थोड़े ही चाहिए। लेना होगा तो साथ की डॉक्टर की ले लूंगा। इतनी नर्स तो रहेंगी आस पास। कोई भी दे देगी।
रेखा हँसते हुए - तब तो तू बहनचोद भी हो जायेगा
रवि - कैसे ?
रेखा - हीहीहीही नर्सेज को सिस्टर कहते हैं न। सिस्टर को चोदेगा तो बहनचोद ही बनेगा। हीहीहीहीहीही
तीनो हंस पड़े।
रवि सीरियस होकर बोला - पर मैं किसी की नहीं लूंगा। मुझे तो बस माँ की चाहिए।
तरुणा - अरे पगले तेरी माँ तो तेरी है ही पर मेर सच में इच्छा है की तू पहले एक कुँवारी चूत ले ले फिर मेरी जितनी मन करे मार लेना। तू तब मेरी चूत का भोसड़ा भी बना देगा तो फर्क नहीं।
रवि - गांड दोगी?
तरुणा नशे में - हां।
रवि - पर मुझे तो इनाम आज ही चाहिए। और इनाम में तेरी ही चूत चाहिए। दिखाओ न प्लीज।
तरुणा भी कड़ी हो गई और एकदम से रवि के सामने कड़ी होकर अपना पेटीकोट उतार दिया। अंदर उसने पैंटी नहीं पहनी थी। अवि उसके चिकने चूत को देख कर पालक झपकाना भूल गया। इतने नजदीक से चूत पहली बार देख रहा था। उसने तरुणा को कमर से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। बोला - माँ तेरी चूत तो एकदम चिकनी है। मन करता है चूम लू।
तरुणा - रोका किसने है। लेले
रवि ने उसकी चूत को चूम लिया। तब रेखा ने कहा - साले इसे चूमते नहीं हैं चाटते हैं। कह कर उसने अपनी जीभ तरुणा की चूत पर फेर दी।
रवि ने भी देखा देखि वैसे किए और अपनी जीभ उसकी चूत पर नीचे से ऊपर फेर दिया। नमकीन चूत के पानी ने और भी नशा कर दिया।
रवि एक बार और चाटने को हुआ तभी रेखा ने बियर की ग्लास से थोड़ा बियर तरुणा की पेट से होते हुए चूत की तरफ गिरा दिया। रवि ने झट से बहता बियर पी लिया। रेखा ने भी तरुणा के जांघो पर आता बियर चाट लिया। अब तरुणा रवि के गोद में बैठ गई। रवि का लंड बरमूडा से निकलने को बेताब था। वो चाह रहा था की नंगा हो जाये अपने लंड को आजाद कर दे पर तरुणा ने होने नहीं दिया। पर तरुणा ने रेखा से कहा - क्यों रे मेरी रांड , मुझे तो नंगा कर दिया खुद पुरे कपड़ो में है उतार अपने कपडे।
रवि - हाँ हां उतारो। हमाम में सब नंगे होने चाहिए।
रेखा को भी थोड़ा शुरूर चढ़ रहा था। उसने भी जोश जोश में अपना शर्ट उतार दिया।
तरुणा ने कहा - पेंट कौन उतारेगा तेरा बाप।
रेखा - उस बेटीचोद का नाम मत लो। हाथ भी नहीं लगाने दिया उसे मैंने। एक बार कोशिश की थी छुरी उठा लिया था। तब से सिर्फ मुझे मारा ही करता था। इज्जत पर हाथ नहीं लगा पाया।
तरुणा को एह्साह हुआ की गलती हो गई है। उसने कहा - सॉरी माय डिअर। मेरा मतलब नहीं था। जाने दे उस भड़ुए को क्यों याद कर रही है। बैठ जा।
रेखा - हम्म। कोई नहीं। कहकर रेखा ने अपनी पेंट उतार दी। अब वो भी नंगा था।
उसे इस रूप में देख रवि के लंड ने नीचे से सलामी दी। तरुणा ने फिर रवि की तरफ पीठ करके उसके गोद में बैठ गई और झुक कर रेखा की चूत चाटने लगी। चूत चाटते चाटते वो अपने कमर को रवि के लंड पर हिला भी रही थी। रवि ने अपना हाथ आगे कर करके तरुणा की चूत को छु रहा था , कभी वो उसकी चूत को सहलाता , कभी उसके क्लीट को उँगलियों के बीच में पकड़ता। पर वो वास्तव में अपना बरमूडा उतार कर तरुणा की चूत में समां जाना चाहता था। तरुणा सब समझ रही थी पर उसके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। तरुणा थोड़ी देर बाद रवि के गोद से उतर गई और निचे बैठ गई। उसने रवि का बरमूडा उतार दिया। उसने रेखा का हाथ पकड़ रवि के बगल में बिठा दिया। फिर उसने अपना चेहरा रेखा के जांघो के बीच में घुसा दिया और अपने एक हाथ से रवि के लंड को सहलाने लगी। अब वो मुँह से रेखा की चूत चाट रही थी और हाथ से धीरे धीरे रवि को मुठिया रही थी। रेखा को जैसे ही मस्त चढ़ी, तरुणा ने चाल बदल दी। अब वो रवि के लौड़े को चूमने लगी और बोली - क्या मस्त लौड़ा है मेरे बेटे का। जवान बेटे का घोड़े जैसा लंड। कितना मजा आएगा जब मेरी चूत में जायेगा।
वो फिर उसके लंड के टोपे को चूमने लगी। रेखा की चूत पनिया चुकी थी। पर ऐन मोके पर तरुणा ने उसकी चूत को छोड़ रवि के लौड़े पर फोकस कर दिया था। तरुणा ने अपने अपना एक हाथ रेखा की चूत पर ही रखा था और उसे धीरे धीरे सहला रही थी पर रेखा को उसमे मजा नहीं आ रहा था। उसने कहा - पहले मेरा कर दो। आग लगा कर क्यों अलग कर दिया।
तरुणा - आती हूँ तेरे पास भी। पर देख न इतना मस्त लौड़ा है कैसे छोड़ दू। आजा तू भी ले ले इस लॉलीपॉप को। मजा आ जायेगा।
रेखा ने रवि के लंड की तरफ देखा और अपनी ही चूत में ऊँगली करने लगी। तरुणा ने तब अपना चेहरा फिर से उसके चूत पर रख दिया। उसने अबकी बार उसके क्लीट को चूसना शुरू किए और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी।
रेखा पूरी मस्ती में थी। रवि उसके इस रूप को देख कर मस्त हो गया। उसने झुक कर रेखा के बूब्स को अपने हाथ में ले लिया। रेखा पूरी मस्ती में आँख बंद किये हुए थी। उसने रवि के हाथो को अपने बूब्स पर और जोर से दबा लिया। अब रवि उसके निप्पल निचोड़ रहा था और तरुणा उसके क्लीट को।
रेखा - आह आह क्या मस्त चीज हो तुम माँ बेटे। क्या चूसती हो मेरी जान। उसने तरुणा के सर को अपने पैरो के बीच में दबोच लिया और रवि के सर को अपने मुम्मे पर। अब रवि उसके मुम्मे चूस रहा था। तरुणा ने रेखा का एक हाथ रवि के लौड़े पर रख दिया। रेखा ने अपना हाथ हटा लिया। तरुणा ने उसकी चूत को चाटना छोड़ दिया। रेखा समझ गई तरुणा नहीं मानेगी। उसने फिर आखिर में रवि के लंड को पकड़ ही लिया। उसके हाथ लगते ही रवि का लंड फनफना उठा। तरुणा ने तब अपनी दो ऊँगली उसके चूत में डाल दी। रेखा को दर्द तो हुआ पर तरुणा माहिर थी। थोड़ी ही देर में रेखा मस्त हो गई। रेखा - आह आह आह , क्या मजे हैं। माँ तेरी उंगलिया कमाल करती हैं। थोड़ा और अंदर डालो न। हां ऐसे ही बस तेजी से करो। मेरी चूत को खुश कर दो मेरी जान। आह क्या करती हो।
तरुणा ने थोड़ी देर तेज ऊँगली करि और फिर उठ कर कड़ी हो गई। बोली - क्या रे सिर्फ अपना सोचती है। मेरी चूत जो पनियाई है उसका क्या ? चल चाट इसे। रेखा एकदम से मिन्नत करने लगी - बस मेरा होने वाला है प्लीज कर दो न।
तरुणा - तेरे हाथ में हथियार है और मेरी ऊँगली चाहिए। चुदना है तो बैठ जा उसके लंड पर। सच कह रही हूँ जो मजा मिलेगा ऊँगली भूल जाएगी।
रेखा ने रवि के लंड को देखा। उसका मन सच में किए की बैठ जाए उस पर उसकी चूत की खुजली मिट जाएगी। पर इतना बड़ा लंड देख डर रही थी। उसने नजरे फेर ली और उसके लंड को छोड़ दिया।
तरुणा तब तक सोफे के हैंडल पर पर बैठ गई और रवि को बोला - चल अब माँ की चूत की सेवा कर। चाट जरा। बहुत दिनों से मांग रहा था न। लेले अपनी माँ की चूत मुँह में। तरुणा ने अपने चूत की फांको को अलग किए और अपना क्लीट दिखा कर बोली ये तेरी माँ का लंड है। इसे भी प्यार करना। रवि तो खो गया था गुलाबी गुलाबी चूत देख क। उसने मुँह लगा दिया। तरुणा - शाबाश मेरे लाल। ले ले अपनी माँ की चूत। खा जा। इसने तुझे बहुत तड़पाया है चाट ले। काट ले। रवि कुत्ते की तरह तरुणा की चूत पर जीभ चलाने लगा।
तरुणा - आह आह क्या मस्त कुत्ते की तरह चाट रहा है। चाट ले। निकाल दे मेरा पानी। डाल अपनी एक ऊँगली डाल।
रवि - कहो तो लंड डाल कर शांत कर दूँ माँ। मेरा लंड भी तो तेरी चूत में समाने को तैयार है।
तरुणा - खबरदार जो लंड डाला तो। तू तभी मुझे छोड़ पायेगा जब जब मुझसे पहले एक कुँवारी चूत की अपने लंड से मांग भरेगा।
रवि - माँ ये कैसी जिद्द है। इतना इंतजार के बाद ऐसा क्यों ?
तरुणा - चाट ले पहले। चाट के मुझे झड़वा।
रवि फिर चाटने में लग गया।
इधर रेखा का ध्यान रवि के लंड पर से नहीं हट रहा था। उसे तरुणा के ताने भी सुनाई दे रहे थे। उसका नशा उतर चूका था। बल्कि उसे ज्यादा नशा हुआ ही नहीं था। उसने एक पैग और बनाया और पीने लगी। उसने सोचा रवि को माँ की चूत नहीं मिलेगी। तरुणा की चेहरे पर मस्ती थी पर अजीब सी जिद्द भी थी। वो उठ कर तरुणा के पास गई और उसे किस कर लिया। तरुणा - क्या मजे हैं मेरे बेटा निचे ले लिप्स पी रहा है और बेटी ऊपर के।
उसने रेखा के मुम्मे दबोच लिए और पीने लगी। रेखा ने रवि की लम्बे हिलते लौड़े को देखा उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगी।
उसने फिर रवि को हटा दिया और खुद लग गई तरुणा की चूत चाटने। अब तरुणा सोफे पर बैठी थी और निचे रेखा कुतिया बानी उसकी चूत चाट रही थी। रवि रेखा की पीठ सहला रहा था। उसने कहा - तुम दोनों अपने अपने चूत का तो सोच रही हो मेरा लंड बेचारा बस हवा में लहरा रहा है।
रेखा ने फिर उसका लंड एक हाथ से पकड़ लिया। रवि - कब तक हाथ से काम चलूँगा। दो दो चूत सामने है पर कोई भी मेरा नहीं है।
तरुणा - देख मेरी चूत तो बिजी है। रेखा से पूछ ले।
रेखा - मादरचोद अब भी पूछेगा क्या ही भड़ुए। कुतिया बानी गांड लहरा लहरा कर न्योता दे रही हूँ अब मेरी चूत थोड़े ही बोलेगी की सैया
आओ समां जाओ।
रवि लपक के रेखा के पीछे पहुँच गया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट करने लगा। तरुणा बोली - बहनचोद, कुँवारी चूत तैयार हुई है ऐसे ही थोड़े मिलेगी। रुक।
वो फिर उठी और रेखा को सोफे पर बैठा दी। किचन से हल्दी और तेल ले आई। कमरे से सिन्दूर और थाली में दिया। उसने पहले रवि के लंड को हल्दी का टीका लगाया। रेखा की चूत पर सिन्दूर और दोनों की आरती करने लगी। उसने रेखा की चूत को चूमा और रवि के लौड़े को। फिर खूब सारा तेल रवि के लंड पर उड़ेल दिया। चूत पर भी तेल लगा दी। अब उसने फिर रेखा से कहा की - सवारी करेगी या करवाएगी ?
रेखा - करने में मजा भी है और अपने हिसाब से लुंगी।
तरुणा - समझदार है तू। अब रवि के दोनों तरफ पैर करके रेखा ने अपनी चूत उसके लंड पर सेट कर लिया और धीरे धीरे उस पर बैठने लगी। चूत में दो ऊँगली तो पूरी गई नहीं थी मोटा लंड कैसे जाता। तरुणा ने रेखा को ग्लास में बियर दिया और बोला पी ले दर्द काम हो जायेगा। जैसे ही रेखा ने बियर ख़त्म की तरुणा के उसके कंधे पर हाथ रख कर जोर से दबा दिया। रेखा की चूत में रवि का लंड सटाक से घुस गया।
रेखा- मआदारचोद मार डाला। ऐसे कोई करता है क्या मेरी चूत फाड़ दी तूने।
तरुणा - चुदना तो था ही इतना नाटक क्यों। अब खेल शुरू कर
रेखा थोड़ा ऊपर उठी और फिर धीरे से बैठ गई। अब उसके चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था। उसका दर्द काफूर था , दर्द ने मजे का रूप ले लिया था। अब वो रवि के लंड पर मस्त झूला झूल रही थी।
रेखा - सच में क्या मजा आता है। मादरचोद से पहले बहनचोद बन गया। तेरी तो बचपन की इच्छा पूरी हो गई रे ।
रवि का लंड टाइट चूत में जल सा रहा था। वो एकदम हवा में था। थोड़ी देर बाद उसने रेखा को उठाया और हवा में लेकर चोदने लगा। रेखा एकदम बेहाल थी। उसे सहारा देने के लिए पीछे तरुणा कड़ी थी। रेखा माँ बेटे के बीच में हवा में चुद रही थी। रवि में ना जाने कहाँ से ताकत आ गई थी। नशे का असर था उसका जोश भी काम नहीं हो रहा था। ऊपर उठाये उठाये कुछ देर चोदने के बाद उसने रेखा को डाइनिंग टेबल पर लिटा दिया और जोरदार तरीके से चोदने लगा।
रेखा - मार देगा क्या मुझे भोसड़ी के। कितनी बेरहमी से छोड़ रहा है। आराम से कर। चूत छोड़ कर भाग थोड़े ही जाएगी। चोद जम कर चोद पर प्यार से।
रवि कहाँ मानने वाला था। उसने कहा - तूने मुझे बहुत तड़पाया है। ऐसे थोड़े ही छोडूंगा। आज तेरी चूत का कबाड़ा कर दूंगा। कितनी मस्त चूत है तेरी एकदम सील पैक। चूस लिया है अंदर मेरे लंड को। आह आह आह।
रवि और रेखा दोनों उन्माद में काँप रहे थे। दोनों झड़ने वाले थे। तरुणा - शाबाश मादरचोद शेर अब तू पक्का चोदू बन गया है। आज तुझे सील चूत भी मिल गई अब तू मेरी चूत ले मादरचोद बन या मेरी गांड मार ले फर्क नहीं पड़ता। मेरी मुराद पूरी हो गई।
रवि माँ के इस रूप को देख कर तेजी से झड़ने लगा। उसने सारा वीर्य रेखा की चूत के अंदर उड़ेल दिया। और डाइनिंग टेबल पर ही रेखा के ऊपर अधलेटी अवस्था में हो गया। तरुणा दोनों को सर पर हाथ रख बालों को सहला रही थी रेखा तो लगभग बेहोशी वाली हालत में थी।
उसने तरुणा और रवि का कर्ज उतार दिया था। वो हर तरह से संतुष्ट थी। मन से भी तन से भी।
Woww finally Ravi got to fuck a virgin chut.
 
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घर पहुँचते ही तरुणा ने अपनी साडी उतार दी और सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट में आ गई। रवि भी सिर्फ एक बरमूडा में हो गया। रेखा ने ऐज उसुअल एक शार्ट और टी-शर्ट पहन ली।
तीनो ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठ गए। तरुणा तीन ग्लास और ढेर सारा बर्फ लेकर आई। रवि ने बोतल खोल दिया। पहली सिप जाते ही रवि का मुँह अजीब सा बन गया। उसने कहा कैसे पी लेते हैं लोग ? तरुणा को भी उसका स्वाद थोड़ा अजीब ही लगा। उसने बहुत दिनों बाद बियर को हाथ लगाया था। तीनो में रेखा ही नार्मल थी क्योंकि वो अक्सर पी लेती थी। कुछ घूँट जाने के बाद तरुणा और रवि बहकने लगे।
रवि - माँ अब तो तू मुझे पक्का मादरचोद बना देगी न। सिर्फ तुझे पाने को मैंने इतनी मेहनत की है।
तरुणा - भक बकलन्ड। कैसी बात करता है। अब तू डॉक्टर बन कर तूने अपना भविष्य बनायेगा । मेरे सपने को पूरा करेगा। अब एक बार डॉक्टर बन जा चूतो की लाइन लग जाएगी।
रेखा - औरतो का डॉक्टर बन जाना बे। चूत ही चूत और चूत से निकलते तुम जैसे मादरचोद। हाहाहाहाहा
रवि - कितनी घटिया बात कर दी।
तरुणा - गलत क्या कहा? औरतें तो आएंगी चेक उप कराने को तुझे तो उनका सारा शरीर देखना पड़ेगा।
रवि - चुप हो जाओ तुम दोनों मैं एक अच्छा डॉक्टर बनूँगा। चूत के लिए मरीज थोड़े ही चाहिए। लेना होगा तो साथ की डॉक्टर की ले लूंगा। इतनी नर्स तो रहेंगी आस पास। कोई भी दे देगी।
रेखा हँसते हुए - तब तो तू बहनचोद भी हो जायेगा
रवि - कैसे ?
रेखा - हीहीहीही नर्सेज को सिस्टर कहते हैं न। सिस्टर को चोदेगा तो बहनचोद ही बनेगा। हीहीहीहीहीही
तीनो हंस पड़े।
रवि सीरियस होकर बोला - पर मैं किसी की नहीं लूंगा। मुझे तो बस माँ की चाहिए।
तरुणा - अरे पगले तेरी माँ तो तेरी है ही पर मेर सच में इच्छा है की तू पहले एक कुँवारी चूत ले ले फिर मेरी जितनी मन करे मार लेना। तू तब मेरी चूत का भोसड़ा भी बना देगा तो फर्क नहीं।
रवि - गांड दोगी?
तरुणा नशे में - हां।
रवि - पर मुझे तो इनाम आज ही चाहिए। और इनाम में तेरी ही चूत चाहिए। दिखाओ न प्लीज।
तरुणा भी कड़ी हो गई और एकदम से रवि के सामने कड़ी होकर अपना पेटीकोट उतार दिया। अंदर उसने पैंटी नहीं पहनी थी। अवि उसके चिकने चूत को देख कर पालक झपकाना भूल गया। इतने नजदीक से चूत पहली बार देख रहा था। उसने तरुणा को कमर से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया। बोला - माँ तेरी चूत तो एकदम चिकनी है। मन करता है चूम लू।
तरुणा - रोका किसने है। लेले
रवि ने उसकी चूत को चूम लिया। तब रेखा ने कहा - साले इसे चूमते नहीं हैं चाटते हैं। कह कर उसने अपनी जीभ तरुणा की चूत पर फेर दी।
रवि ने भी देखा देखि वैसे किए और अपनी जीभ उसकी चूत पर नीचे से ऊपर फेर दिया। नमकीन चूत के पानी ने और भी नशा कर दिया।
रवि एक बार और चाटने को हुआ तभी रेखा ने बियर की ग्लास से थोड़ा बियर तरुणा की पेट से होते हुए चूत की तरफ गिरा दिया। रवि ने झट से बहता बियर पी लिया। रेखा ने भी तरुणा के जांघो पर आता बियर चाट लिया। अब तरुणा रवि के गोद में बैठ गई। रवि का लंड बरमूडा से निकलने को बेताब था। वो चाह रहा था की नंगा हो जाये अपने लंड को आजाद कर दे पर तरुणा ने होने नहीं दिया। पर तरुणा ने रेखा से कहा - क्यों रे मेरी रांड , मुझे तो नंगा कर दिया खुद पुरे कपड़ो में है उतार अपने कपडे।
रवि - हाँ हां उतारो। हमाम में सब नंगे होने चाहिए।
रेखा को भी थोड़ा शुरूर चढ़ रहा था। उसने भी जोश जोश में अपना शर्ट उतार दिया।
तरुणा ने कहा - पेंट कौन उतारेगा तेरा बाप।
रेखा - उस बेटीचोद का नाम मत लो। हाथ भी नहीं लगाने दिया उसे मैंने। एक बार कोशिश की थी छुरी उठा लिया था। तब से सिर्फ मुझे मारा ही करता था। इज्जत पर हाथ नहीं लगा पाया।
तरुणा को एह्साह हुआ की गलती हो गई है। उसने कहा - सॉरी माय डिअर। मेरा मतलब नहीं था। जाने दे उस भड़ुए को क्यों याद कर रही है। बैठ जा।
रेखा - हम्म। कोई नहीं। कहकर रेखा ने अपनी पेंट उतार दी। अब वो भी नंगा था।
उसे इस रूप में देख रवि के लंड ने नीचे से सलामी दी। तरुणा ने फिर रवि की तरफ पीठ करके उसके गोद में बैठ गई और झुक कर रेखा की चूत चाटने लगी। चूत चाटते चाटते वो अपने कमर को रवि के लंड पर हिला भी रही थी। रवि ने अपना हाथ आगे कर करके तरुणा की चूत को छु रहा था , कभी वो उसकी चूत को सहलाता , कभी उसके क्लीट को उँगलियों के बीच में पकड़ता। पर वो वास्तव में अपना बरमूडा उतार कर तरुणा की चूत में समां जाना चाहता था। तरुणा सब समझ रही थी पर उसके दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। तरुणा थोड़ी देर बाद रवि के गोद से उतर गई और निचे बैठ गई। उसने रवि का बरमूडा उतार दिया। उसने रेखा का हाथ पकड़ रवि के बगल में बिठा दिया। फिर उसने अपना चेहरा रेखा के जांघो के बीच में घुसा दिया और अपने एक हाथ से रवि के लंड को सहलाने लगी। अब वो मुँह से रेखा की चूत चाट रही थी और हाथ से धीरे धीरे रवि को मुठिया रही थी। रेखा को जैसे ही मस्त चढ़ी, तरुणा ने चाल बदल दी। अब वो रवि के लौड़े को चूमने लगी और बोली - क्या मस्त लौड़ा है मेरे बेटे का। जवान बेटे का घोड़े जैसा लंड। कितना मजा आएगा जब मेरी चूत में जायेगा।
वो फिर उसके लंड के टोपे को चूमने लगी। रेखा की चूत पनिया चुकी थी। पर ऐन मोके पर तरुणा ने उसकी चूत को छोड़ रवि के लौड़े पर फोकस कर दिया था। तरुणा ने अपने अपना एक हाथ रेखा की चूत पर ही रखा था और उसे धीरे धीरे सहला रही थी पर रेखा को उसमे मजा नहीं आ रहा था। उसने कहा - पहले मेरा कर दो। आग लगा कर क्यों अलग कर दिया।
तरुणा - आती हूँ तेरे पास भी। पर देख न इतना मस्त लौड़ा है कैसे छोड़ दू। आजा तू भी ले ले इस लॉलीपॉप को। मजा आ जायेगा।
रेखा ने रवि के लंड की तरफ देखा और अपनी ही चूत में ऊँगली करने लगी। तरुणा ने तब अपना चेहरा फिर से उसके चूत पर रख दिया। उसने अबकी बार उसके क्लीट को चूसना शुरू किए और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी।
रेखा पूरी मस्ती में थी। रवि उसके इस रूप को देख कर मस्त हो गया। उसने झुक कर रेखा के बूब्स को अपने हाथ में ले लिया। रेखा पूरी मस्ती में आँख बंद किये हुए थी। उसने रवि के हाथो को अपने बूब्स पर और जोर से दबा लिया। अब रवि उसके निप्पल निचोड़ रहा था और तरुणा उसके क्लीट को।
रेखा - आह आह क्या मस्त चीज हो तुम माँ बेटे। क्या चूसती हो मेरी जान। उसने तरुणा के सर को अपने पैरो के बीच में दबोच लिया और रवि के सर को अपने मुम्मे पर। अब रवि उसके मुम्मे चूस रहा था। तरुणा ने रेखा का एक हाथ रवि के लौड़े पर रख दिया। रेखा ने अपना हाथ हटा लिया। तरुणा ने उसकी चूत को चाटना छोड़ दिया। रेखा समझ गई तरुणा नहीं मानेगी। उसने फिर आखिर में रवि के लंड को पकड़ ही लिया। उसके हाथ लगते ही रवि का लंड फनफना उठा। तरुणा ने तब अपनी दो ऊँगली उसके चूत में डाल दी। रेखा को दर्द तो हुआ पर तरुणा माहिर थी। थोड़ी ही देर में रेखा मस्त हो गई। रेखा - आह आह आह , क्या मजे हैं। माँ तेरी उंगलिया कमाल करती हैं। थोड़ा और अंदर डालो न। हां ऐसे ही बस तेजी से करो। मेरी चूत को खुश कर दो मेरी जान। आह क्या करती हो।
तरुणा ने थोड़ी देर तेज ऊँगली करि और फिर उठ कर कड़ी हो गई। बोली - क्या रे सिर्फ अपना सोचती है। मेरी चूत जो पनियाई है उसका क्या ? चल चाट इसे। रेखा एकदम से मिन्नत करने लगी - बस मेरा होने वाला है प्लीज कर दो न।
तरुणा - तेरे हाथ में हथियार है और मेरी ऊँगली चाहिए। चुदना है तो बैठ जा उसके लंड पर। सच कह रही हूँ जो मजा मिलेगा ऊँगली भूल जाएगी।
रेखा ने रवि के लंड को देखा। उसका मन सच में किए की बैठ जाए उस पर उसकी चूत की खुजली मिट जाएगी। पर इतना बड़ा लंड देख डर रही थी। उसने नजरे फेर ली और उसके लंड को छोड़ दिया।
तरुणा तब तक सोफे के हैंडल पर पर बैठ गई और रवि को बोला - चल अब माँ की चूत की सेवा कर। चाट जरा। बहुत दिनों से मांग रहा था न। लेले अपनी माँ की चूत मुँह में। तरुणा ने अपने चूत की फांको को अलग किए और अपना क्लीट दिखा कर बोली ये तेरी माँ का लंड है। इसे भी प्यार करना। रवि तो खो गया था गुलाबी गुलाबी चूत देख क। उसने मुँह लगा दिया। तरुणा - शाबाश मेरे लाल। ले ले अपनी माँ की चूत। खा जा। इसने तुझे बहुत तड़पाया है चाट ले। काट ले। रवि कुत्ते की तरह तरुणा की चूत पर जीभ चलाने लगा।
तरुणा - आह आह क्या मस्त कुत्ते की तरह चाट रहा है। चाट ले। निकाल दे मेरा पानी। डाल अपनी एक ऊँगली डाल।
रवि - कहो तो लंड डाल कर शांत कर दूँ माँ। मेरा लंड भी तो तेरी चूत में समाने को तैयार है।
तरुणा - खबरदार जो लंड डाला तो। तू तभी मुझे छोड़ पायेगा जब जब मुझसे पहले एक कुँवारी चूत की अपने लंड से मांग भरेगा।
रवि - माँ ये कैसी जिद्द है। इतना इंतजार के बाद ऐसा क्यों ?
तरुणा - चाट ले पहले। चाट के मुझे झड़वा।
रवि फिर चाटने में लग गया।
इधर रेखा का ध्यान रवि के लंड पर से नहीं हट रहा था। उसे तरुणा के ताने भी सुनाई दे रहे थे। उसका नशा उतर चूका था। बल्कि उसे ज्यादा नशा हुआ ही नहीं था। उसने एक पैग और बनाया और पीने लगी। उसने सोचा रवि को माँ की चूत नहीं मिलेगी। तरुणा की चेहरे पर मस्ती थी पर अजीब सी जिद्द भी थी। वो उठ कर तरुणा के पास गई और उसे किस कर लिया। तरुणा - क्या मजे हैं मेरे बेटा निचे ले लिप्स पी रहा है और बेटी ऊपर के।
उसने रेखा के मुम्मे दबोच लिए और पीने लगी। रेखा ने रवि की लम्बे हिलते लौड़े को देखा उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगी।
उसने फिर रवि को हटा दिया और खुद लग गई तरुणा की चूत चाटने। अब तरुणा सोफे पर बैठी थी और निचे रेखा कुतिया बानी उसकी चूत चाट रही थी। रवि रेखा की पीठ सहला रहा था। उसने कहा - तुम दोनों अपने अपने चूत का तो सोच रही हो मेरा लंड बेचारा बस हवा में लहरा रहा है।
रेखा ने फिर उसका लंड एक हाथ से पकड़ लिया। रवि - कब तक हाथ से काम चलूँगा। दो दो चूत सामने है पर कोई भी मेरा नहीं है।
तरुणा - देख मेरी चूत तो बिजी है। रेखा से पूछ ले।
रेखा - मादरचोद अब भी पूछेगा क्या ही भड़ुए। कुतिया बानी गांड लहरा लहरा कर न्योता दे रही हूँ अब मेरी चूत थोड़े ही बोलेगी की सैया
आओ समां जाओ।
रवि लपक के रेखा के पीछे पहुँच गया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट करने लगा। तरुणा बोली - बहनचोद, कुँवारी चूत तैयार हुई है ऐसे ही थोड़े मिलेगी। रुक।
वो फिर उठी और रेखा को सोफे पर बैठा दी। किचन से हल्दी और तेल ले आई। कमरे से सिन्दूर और थाली में दिया। उसने पहले रवि के लंड को हल्दी का टीका लगाया। रेखा की चूत पर सिन्दूर और दोनों की आरती करने लगी। उसने रेखा की चूत को चूमा और रवि के लौड़े को। फिर खूब सारा तेल रवि के लंड पर उड़ेल दिया। चूत पर भी तेल लगा दी। अब उसने फिर रेखा से कहा की - सवारी करेगी या करवाएगी ?
रेखा - करने में मजा भी है और अपने हिसाब से लुंगी।
तरुणा - समझदार है तू। अब रवि के दोनों तरफ पैर करके रेखा ने अपनी चूत उसके लंड पर सेट कर लिया और धीरे धीरे उस पर बैठने लगी। चूत में दो ऊँगली तो पूरी गई नहीं थी मोटा लंड कैसे जाता। तरुणा ने रेखा को ग्लास में बियर दिया और बोला पी ले दर्द काम हो जायेगा। जैसे ही रेखा ने बियर ख़त्म की तरुणा के उसके कंधे पर हाथ रख कर जोर से दबा दिया। रेखा की चूत में रवि का लंड सटाक से घुस गया।
रेखा- मआदारचोद मार डाला। ऐसे कोई करता है क्या मेरी चूत फाड़ दी तूने।
तरुणा - चुदना तो था ही इतना नाटक क्यों। अब खेल शुरू कर
रेखा थोड़ा ऊपर उठी और फिर धीरे से बैठ गई। अब उसके चूत में लंड अंदर बाहर कर रहा था। उसका दर्द काफूर था , दर्द ने मजे का रूप ले लिया था। अब वो रवि के लंड पर मस्त झूला झूल रही थी।
रेखा - सच में क्या मजा आता है। मादरचोद से पहले बहनचोद बन गया। तेरी तो बचपन की इच्छा पूरी हो गई रे ।
रवि का लंड टाइट चूत में जल सा रहा था। वो एकदम हवा में था। थोड़ी देर बाद उसने रेखा को उठाया और हवा में लेकर चोदने लगा। रेखा एकदम बेहाल थी। उसे सहारा देने के लिए पीछे तरुणा कड़ी थी। रेखा माँ बेटे के बीच में हवा में चुद रही थी। रवि में ना जाने कहाँ से ताकत आ गई थी। नशे का असर था उसका जोश भी काम नहीं हो रहा था। ऊपर उठाये उठाये कुछ देर चोदने के बाद उसने रेखा को डाइनिंग टेबल पर लिटा दिया और जोरदार तरीके से चोदने लगा।
रेखा - मार देगा क्या मुझे भोसड़ी के। कितनी बेरहमी से छोड़ रहा है। आराम से कर। चूत छोड़ कर भाग थोड़े ही जाएगी। चोद जम कर चोद पर प्यार से।
रवि कहाँ मानने वाला था। उसने कहा - तूने मुझे बहुत तड़पाया है। ऐसे थोड़े ही छोडूंगा। आज तेरी चूत का कबाड़ा कर दूंगा। कितनी मस्त चूत है तेरी एकदम सील पैक। चूस लिया है अंदर मेरे लंड को। आह आह आह।
रवि और रेखा दोनों उन्माद में काँप रहे थे। दोनों झड़ने वाले थे। तरुणा - शाबाश मादरचोद शेर अब तू पक्का चोदू बन गया है। आज तुझे सील चूत भी मिल गई अब तू मेरी चूत ले मादरचोद बन या मेरी गांड मार ले फर्क नहीं पड़ता। मेरी मुराद पूरी हो गई।
रवि माँ के इस रूप को देख कर तेजी से झड़ने लगा। उसने सारा वीर्य रेखा की चूत के अंदर उड़ेल दिया। और डाइनिंग टेबल पर ही रेखा के ऊपर अधलेटी अवस्था में हो गया। तरुणा दोनों को सर पर हाथ रख बालों को सहला रही थी रेखा तो लगभग बेहोशी वाली हालत में थी।
उसने तरुणा और रवि का कर्ज उतार दिया था। वो हर तरह से संतुष्ट थी। मन से भी तन से भी।
Woww finally Ravi got to fuck a virgin chut.
इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद भी रवि के लैंड में तनाव अब भी बना हुआ था। न सिर्फ उसका लंड टाइट था बल्कि उसके मन में सिर्फ चूत और चुदाई चल रही थी। उसने देखा की उसकी माँ एकदम नंग धडंग होकर डाइनिंग टेबल पर झुके झुके रेखा के बालों को सहला रही थी। उसकी माँ की गांड बाहर की तरफ निकली थी और उसके मुम्मे टेबल पर लटके से थे। लम्बे बाल एक तरफ गिरे हुए थे। एकदम चुदासी माल लग रही थी। रवि निचे उतरा और अपनी माँ के गांड में अपना लंड डालने लगा।
तरुणा - बहनचोद मन नहीं भरा क्या ? गांड ही लेगा क्या पहले। चूत निचे होता है। उसमे डाल। उसने अपना हाथ पीछे लेजाकर उसके लंड को अपनी चूत का रास्ता दिखाया। रवि ने एडाम से उसकी चूत में लौड़ा डाल दिया। उसकी चूत पहले से पनिया रखी थी। लंड आराम से अंदर चला गया। रवि ने तरुणा के बाल को पकड़ लिया। लग रहा था घोड़ी के लगाम पकड़ रखा हो। उसने फिर ताबड़तोड़ पिलाई शुरू कर दी।
तरुणा - आह आह आह मार ले मेरी कुत्ते। इसी दिन का इंतजार तो था मेरी चूत को। छोड़ना मत। चोद दे। फाड़ दे मेरी चूत। आह रविइइइइइइ मदरचूऊऊद पेलूउउउउ आह आह आह माअअअअअअअ आआ फाड़ डाला रे आह आह
तरुणा की चीख सुन कर रेखा ने आँखे खोली
रवि की जबरदस्त चुदाई देख वो दांग रह गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था की इतने देर तक उसे चोदने के बाद भी वो फिर तैयार हो जायेगा। पर उसे क्या पता था की रवि आज शांत होने और थकने के लिए तैयार नहीं था। उसने बीच में मौका निकाल कर अपने लिए सेक्स पावर के लिए दवा ले लिया था। दवा और बियर के कॉम्बिनेशन ने रवि को जानवर बना दिया था।
रवि अपनी माँ की चूत में धक्के लगाने में लगा था। उसकी स्पीड कम ही नहीं हो रही थी।
रवि - माँ क्या मस्त चूत है तुम्हारी। एकदम रंडी हो तुम। आह आह लग रहा है तुम्हारी चूत नहीं एक सुन्दर गुफा है जिसमे से मेरा लंड निकलना ही नहीं चाह रहा।
तरुणा - कौन कह रहा है निकालो, डालते रहो, पेलते रहो । मेरी चूत कितने दिनों की प्यासी है। आज उसकी प्यास बुझा दे। आह आह और जोर से , पेल पेल पेल पेल दे
रेखा को उसकी हालत देख कर समझ नहीं आ रहा था की खुश हो या तरस करे। आखिर तरुणा इतने दिनों से सब्र रखे हुए थी। रेखा तो गे थी पर तरुणा को तो लंड चाहिए था। उसे लड़कियों का टच अच्छा लगता था पर तरुणा को तो मर्द चाहिए थे। आज सच में उसकी ख्वाहिश पूरी हो गई। पर उसे खुद पर भी यकीन नहीं था की कैसे उसने रवि को चोदने के लिए अलाउ कर दिया। क्या सच में उसे रवि का टच अच्छा लगा था या सिर्फ एहसान उतारने के लिए चुदी थी। वो कंफ्यूज थी उस पर से पूरा बदन दर्द कर रहा था। मीठा मीठा दर्द।
रवि अभी तक माँ को पेले जा रहा था। तरुणा की हालत अब खराब हो गई थी। उसने कहा - अरे जानवर बन गया है क्या ? मेर चूत सच में फट जाएगी। अबे फट गई तो किसकी लेगा ? बस कर। मुझे बक्श दे। तेरी सोनिया मैडम को बुला दूंगी तू उनकी ले लेना। उनसे भी मन नहीं भरा तो वो नमिता मैम को लंच पर बुलाऊंगी उसके चुचे बड़े है न उनको दबा लेना। वो प्रिंसिपल को बुला दूंगी। बस मुझे छोड दे अभी।
टीचर्स का नाम सुनकर रवि और उतीजीत हो गया। उसे लगा की वो एक एक करके सब टीचर्स की चूत में लंड डाल रहा है। उसका लंड बस आग उगलने को ही था। तरुणा की बातें सुन आखिर में उसके लंड ने पूरा माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। इतने देर की लगातार चुदाई से तरुणा के पैर काँप रहे थे। वो धड़ाम से निचे गिर पड़। रवि भी खुद को संभाल नहीं पाया और लड़खड़ाते हुए सोफे पर गिर पड़ा।
Ek hi din me maa beti dono ki le li Ravi ne.
 

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घर पहुँचने पर दरवाजा रेखा ने खोला। रेखा को देखते ही रवि एकदम से खुश हो गया। रेखा ने एक छोटा सा स्कर्ट पहन रखा था जो की बमुश्किल उसके जांघों तक पहुँच रहा था। उसका टॉप एकदम छोटा था ढीला जैसे लग रहा हो मुम्मे के ऊपर बस एक हल्का सा पर्दा पड़ा हो। अंदर उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी तो उसके निप्पल उभरे हुए से दिख रहे था। लग रहा था जैसे छेद करके निकल आएंगे।
उसे देखते ही रवि ने उसे बाहों में भर लिया और उसे ताबड़तोड़ किस करने लगा। रेखा भी उसका साथ देने लगी। रवि ने हाथ पीछे से रेखा के स्कर्ट के अंदर डाला और उसके गांड को छूने लगा। रेखा ने अंदर एक छोटी से चड्ढी पहन राखी थी जो उसकी गांड के फांकी के अंदर घुसी हुई थी और पीछे के दोनों नितम्ब नंगे थे।
रवि ने उसे गोद में उठा लिया। रेखा ने भी दोनों पैर कैंची से बनाकर उसके कमर के दोनों तरफ लपेट लिए और उसके गर्दन से बाहें डाल उस पर झूल गई। अब वो रवि के ऊपर लटकी थी और दोनों एक दुसरे को किस कर रहे थे। रवि उसे ऐसे ही गोदी में उठाये उठाये डाइनिंग टेबल तक ले आया और उस पर बिठा दिया। खुद उसके सामने एक चेयर पर बैठ गया। अब रेखा टेबल पर पैर फैलाये बैठी थी और रवि उसके टॉप के अंदर हाथ डाल कर उसके मुम्मे दबा रहा था। रेखा झुक कर रवि के होठों को चूस रही थी। थोड़ी देर में रवि ने रेखा के टॉप को ऊपर किया और उसके मुम्मो पर मुँह लगा दिया। रेखा ने जोर से सिसकारी ली - स्स्स्सस्स्स्स रविइइइइइइ पी जाओ। चूस लो मेरी अमिया को। आह आह।
रवि एक कभी एक मुम्मे को पीता , कभी दुसरे को। उसके हाथ रेखा के स्कर्ट के अंदर से उसकी जांघो को सहला रहे थे। दोनों अपने इस काम में इतने अगन थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब तरुणा उस कमरे में आ चुकी है और अपनी जगह ले चुकी हैं। तरुणा दरअसल टेबल के निचे दूसरी साइड से घुसी और रवि की कुर्सी के पास पहुँच कर उसके पेंट का जिपर खोल उसके लैंड को बहार निकाल चुकी थी।
रवि को जब अपने लैंड पर किसी के हाथ का एहसास हुआ तब उसने निचे देखा तो उसकी माँ उसके लैंड को हाथो में लेकर ललचाई नज़र से देख रही थी। अब रवि ने रेखा के मुम्मे छोड़ दिए और स्कर्ट के अंदर मुँह डाल कर उसकी चूत चाटने लगा। रेखा की पैंटी पहले से गीली हो राखी थी। रवि ने रेखा को उसके चूतड़ों से ऊपर उठाया और उसकी पैंटी निकाल दी। अब रवि उसके चूत पर टूट पड़ा।
इधर तरुणा रवि के लैंड को अपने मुँह में ले चुकी थी और लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।
रेखा - आह आह रविइइइइइ क्या चूसते हो। चूत में आग लगा दिया है तुमने। आह आह। जीभ डालो न। हां थोड़ा और। यससससस।
अब रवि रेखा की चूत में जीभ अंदर बाहर कर रहा था। रेखा ने अपने मुम्मे खुद से दबाने शुरू कर दिए थे। कमरे में सिर्फ रेखा की सिसकारी
गुन्ज रही थी और सडप सडप की आवाज आ रही थी।
रेखा - अब नहीं रहा जाता। अब मुझे लैंड चाहिए। तुम्हारा मोटा मुसल जैसा लैंड मुझे चूत में चाहिए। चोदो मुझे।
रवि ने फिर रेखा को उतार लिया और अपने गोद में बिठा लिया। तरुणा पहले ही रवि के पेंट को उतार कर उसे नंगा कर चुकी थी। .
रेखा ने पहले तो ऊपर से ही रवि के लैंड पर अपनी चूत को थोड़ी देर तक रगड़ा फिर धीरे से उठ कर उसके लैंड को अपनी चूत में सेट करके पूरा घुसा लिया। अब रेखा रवि को कुर्सी पर दबा कर अपने कमर को तेजी से उचकाने लगी। रवि ने उसे अपने बाहों में जकड लिया था। अब रेखा रवि से एक रिथम में कमर आगे पीछे करके चुद रही थी।
रवि - आह आह रेखा मेरी जान क्या मस्त कमर हिला रही हो। बस ऐसे ही करती रहो। ले लो मेरा लैंड मेरी बहना। आज मैं तुम्हारा गुलाम हूँ चोद लो। आह आह
रेखा - गुलाम तो मैं तुम्हारी हूँ भैया। भैया मेरे सैयां। क्या मस्त लौड़ा है तुम्हारा। मेरे अंदर तक जाकर तूफ़ान मचा रहा है। आह आह। माँ तो मिल ही गई थी , मुँहबोली बहन भी मिल गई। तुम तो मादरचोद पहले से थे बहनचोद भी बन गए।
रवि - मत भूलो , माँ से पहले मैंने तुम्हारी कुँवारी चूत ली थी। पहले बहन फिर माँ। मज़ा आ गया
रेखा - आह आह आह।
तरुणा तब तक निचे से बाहर आ चुकी थी। उसने भी रेखा द्वारा दिलवाया छोटा स्कर्ट और टॉप डाला हुआ था। पर उसके बदन में दोनों टाइट लग रहे थे। स्कर्ट तो मुश्किल से अत था। उसके गांड से एकदम चिपका हुआ। पर निचे फ्राक जैसे की स्कूल यूनिफार्म हो। वो रवि और रेखा के बगल में आकर खड़ी हो गईं बीच बीच में वो दोनों लो चूम लेती थी।
रवि की नज़र जब अपनी माँ पर गई तो उन्हें देख उसका लैंड और जोर पकड़ लिया। उसने अपना एक हाथ तरुणा के स्कर्ट के अंदर डाल दिया। तरुणा ने झुक कर उसकी पप्पी ली और कहा - कैसा लग रहा है अपनी बहन चोद कर।
रवि तो लाजवाब था। इधर रेखा अपने चरम पर पहुँचने वाली थी। उसका सारा बदन काँप रहा था। उसके पैर थरथरा रहे थे। उसे बहित ही तगड़ा सा ओर्गास्म आय। उसके रवि के लैंड को अपने चूत के एकदम अंदर तक ले लिया और जोर से अपने शरीर को रवि के शरीर से चिपका लिया। उसकी चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ दिया था। रेखा तो सर्रेंडर कर चुकी थी पर रवि का लैंड अभी शांत नहीं हुआ था।
उसके रेखा को गोद से उठाया और अपने लैंड को उसके चूत में डाले डाले ही खड़े खड़े चोदना शुरू कर दिया। कुछ मिनट खड़े खड़े चोदने के बाद उसने रेखा को वहीँ टेबल पर लिटा दिया और उसकी मस्त चुदाई करने लगा। रेखा टेबल पर सिसक रही थी तड़प रही थी और रवि तेजी से चोद रहा था।
रेखा - बस करो। मेरी चूत फट जाएगी। छोड़ दो मुझे। आह आह बहन के लौड़े बस कर। देख तेरी चुदक्कड़ माँ बगल में खड़ी है उसे चोद ले। देख मादरचोद मेरी चूत को कुछ हुआ तो तेरा लंड काट लुंगी। आह आह ससससस माँ अपने बेटे से कहो थोड़ा धीरे धीरे चोदे। आह आह। मादरचोदड़ड़ड़ड़ड़ड़। माआआआआआ आह आह
रेखा की चीख से रवि को फर्क नहीं पड़ रहा था। वो तो मस्त चोदने में लगा था। तरुणा ने देखा की उसका लंड बेकाबू हो चूका है तो टेबल पर उचक कर बैठ गई और अपने स्कर्ट उठा कर अपनी चूत रवि को दिखाते हुए हाथो से सहलाने लगी। उसकी इस मादक अदा को देखते ही रवि के लंड ने ख़ुशी से अपना सारा पानी रेखा की चूत में उड़ेल दिया। पर उसके लंड की कसावट काम नहीं हुई थी। उसने अपना लंड रेखा की चूत निकाल कर तरुणा की चूत में डाल दिया।
बोला - रंडी माँ मेरा लंड है न सेवा करने को तुम हाथो को क्यों कष्ट दे रही हो। तरुणा टेबल पर बैठी थी और रवि उसे चोद रहा था। चूँकि उसके लंड ने अभी अभी पानी निकाला था तो इस बार टाइम लगना ही था। अब तरुणा की सिसकियाँ गूंज रही थी।
थोड़ी देर इस तरह चोदने के बाद रवि ने तरुणा को वही टेबल से उतार कुतिया की तरह खड़ा कर दिया और उसके पीछे से अपना लंड उसकी चूत में डाल कर ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा। रेखा का पूरा बदन पसीने पसीने हो रखा था , उसके बाल बिखरे हुए थे और उसमे मुम्मे तेजी से हिल रहे थे।
रवि - उसे चोदते हुए उसके गांड पर थप्पड़ भी मारने लगा और कहा - मस्त चुदक्कड़ कुतिया है तू माँ। आह आह। तेरी चूत में जाकर कितना सकूं मिलता है
तरुणा - हाँ रे मादरचोद। माँ को चोद कर सकूं तो मिलेगा ही। चोद ले। सबको अपनी माँ नहीं मिलती। तुझे मिली है चोद ले आह आह आह
फाड़ दे मेरी चूत। बना दे उसका भोसड़ा। ले ले मेरी आह आह रविइइइ क्या पेलता है रे।
अब तक रेखा अपने होशो हवाश में आ चुकी थी। उसकी चूत फिर से पनिया रही थी। वो पीछे खिसकी और अपनी चूत तरुणा के चेहरे के सामने कर दी। तरुणा ने तपाक से उसकी चूत पर जीभ लपलपाना शुरू कर दिया। रवि के हर झटके से तरुणा का मुँह रेखा की चूत पर रगड़ खाता। दोनों को इस रूप में देख रवि अपने चरम पर पहुँचने वाला था। रेखा की सिसकियाँ भी तेज हो चुकी थी। पहले चटाई , फिर जबरदस्त चुदाई और अब तरुणा से वापस चुसाई से उसे फिर से तगड़ा वाला ओर्गास्म आया। इस बार उसकी चूत की रस के साथ साथ मूत भी निकल आई। वो बेशर्मो की तरह से तरुणा के चेहरे को अपनी धार से भिगोने लगी। तरुणा भी उसकी चूत पर थपप्पड़ मार कर कभी धार रोक देती कभी आने देती। दोनों रेखा के पेशाब से खेल रही थी। इस मादक खेल को देख रवि के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया। कुछ ही क्षणों में रवि की भी पेशाब निकल आई जो वो तरुणा की पीठ पर गिराने लगा। तरुणा ऊपर से रेखा की मूत से और निचे रवि के मूत से नाहा रही थी। कमरे में चूत के रस महक, वीर्य की महक और पेशाब की महक तीनो का मिश्रण फ़ैल चूका था। अजीब सा नशीला महक जिसके नशे में तीनो डूबे हुए थे।
Erotic update.
 

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अगले कुछ दिन रवि के लिए बहुत हेक्टिक थे। कॉलेज में फुल फ्लेज पढाई चल रही थी। उस पर से सीनियर्स भी थोड़ा बहुत परेशान करते थे। उनके मुताबिक उसे तीनो लड़कियों को रोज गुलाब का फूल देना था और प्रोपोज़ भी करना था जब तक वो मान न जाएँ। रवि दिन भर क्लासेज के बीच में उन्हें ढूंढता और उन्हें प्रोपोज़ करता। शुरू में तो उसे बुरा लगता। वो ये देखता की आस पास कोई है तो नहीं क्योंकि उसे लड़कियों के पीछे भागना और प्रोपोज़ करना बुरा लगता। आस पास खड़े स्टूडेंट्स एंड लोग उसे ऐसा करते देख हँसते थे। पर बाद में उसे मजा आने लगा। इसमें उसका फायदा भी था। सीनियर्स उसे पहचानने लगे थे। उसे कुछ भी पूछना या माँगना होता तो वो उनसे बेधड़क बात कर लेता था। उसके बाकी क्लासमेट्स खुद में खोये रहते या जस्ट सीनियर्स से बात करते पर रवि की पहुँच थर्ड ईयर वालों तक भी हो गई थी।
उन तीन लड़कियों ने उसका प्रपोजल रिजेक्ट करना जारी रखा पर वैसे वो उससे बात कर लेती थी।
सिगरेट पीने वाली का नाम सोनल था , दूसरी का नाम भावना और तीसरी तान्या थी। तीनो हमेशा एक साथ ही रहती थी। तीनो की तिकड़ी मशहूर थी कॉलेज में। बैच में पहला तीन पोजीशन इन तीनो में से ही किसी का रहता था। अक्सर भावना टॉप करती थी। उसके माँ बाप दोनों के दोनों IAS अफसर थे। उसका एक भाई था जो IPS था। उसकी शादी नहीं हुई थी। सोनल के फादर किसी बड़े फर्म में वाईस प्रेसिडेंट थे और अक्सर टूर पर रहते। उसकी माँ शहर के ही कॉलेज में बायो की प्रोफेसर थी। वो अपने माँ बाप की इकलौती लड़की थी।

जैसा की आप पाठक गण जानते हैं तान्या के माँ बाप दोनों डॉक्टर हैं। जी ये वही तान्या है डॉक्टर रमेश और मेहर की लड़की। दोनों इस कॉलेज के ट्रस्टी भी हैं तो उसका अलग रुतबा था। उसका भाई तन्मय हार्ट सर्जन था जो की अमेरिका से सुपर स्पेशलाइजेशन कर रहा था और उसकी एक अमेरिकन गर्ल फ्रेंड भी थी।

रवि ने अब असली गुलाब का फूल लाना शुरू कर दिया था। सुबह कॉलेज के लिए निकलता तो तीन गुलाब के फूल लेता। सबसे पहले उन तीनो को हाय बोलता फूल देता। थोड़ी बहुत बात चीत के बाद अपने क्लासेस में लग जाता। नैना भी रवि की वजह से उन तीनो के करीब आ चुकी थी। बीच में जब भी मौका मिलता रवि सोनल , भावना और तान्या के पास भी पहुँच जाता।
एक दिन तान्या ने उन दोनों से कहा - यार , कुछ ज्यादा ही फ्रैंक नहीं हो रहा है। जब देखो तब हमारे पास चला आता है। और ये गुलाब और प्रपोजल कब तक चलेगा ? चलकर महेश एंड ग्रुप को बोलना पड़ेगा की बंद करे ये नाटक। महीनो हो गए।
महेश रवि का वही सीनियर था जिसने उसे ये प्रपोजल वाला असाइनमेंट दिया था।
भावना हँसते हुए बोली - अरे महेश तो अब इससे ये भी नहीं पूछता की हमारा क्या चल रहा है। कुछ हफ़्तों तक उसने इसे डराया धमकाया था पर किसके पास टाइम है। ये तो इसने आदत बना ली है फूल देने और प्रोपोज़ करने की।
सोनल - जब तुझे पता था तो तूने हमें बताया क्यों नहीं ? बेकार में दो साल जूनियर को भाव दिए जा रहे थे।
तान्या - यार ये तो टू मच है। तुमने ऐसा क्यों किया ?
भावना - यार मैं उस लड़के का दिल नहीं तोडना चाहती थी।
तान्या - फिर प्रपोजल मान ले
भावना - मैं तो कब का मान लेती पर वो तीनो की हाँ लेने पास अड़ा है।
तान्या - तुमने उसे समझाया नहीं ?
भावना - कहता है मुझे आप तीनो अच्छी लगती हो
तान्या - अब क्या वो सच में हम तीनो से शादी करेगा क्या? या तो वो बेवक़ूफ़ है या जरूरत से ज्यादा स्मार्ट।
भावना - यार हम तीनो की पुरे कॉलेज में कितने दोस्त ही हैं ? लड़के तो बस हाय हेलो और काम की बात में रह जाते हैं। देख सबकी सेटिंग है। हमारी तो कोई भी नहीं। यहाँ तो अभी से जोड़ियां बन चुकी है। शादी और बच्चे से लेकर साथ में क्लिनिक और हॉस्पिटल चलाने तक की बात चल पड़ी है और हम बस पढाई में लगे हुए है। इस लौंडे की वजह से कम से कम ये तो है की एक लड़का हमारे आजु बाजू घूमता है।
सोनल - तू तो ऐसे बोल रही है जैसे की फॉरएवर वर्जिन है। प्रोफेसर राव के चैम्बर में तू गांड मरवाने जाती है ?
भावना - हीहीहीहीहीहीहीहीही सच में। साला खूसट गांड भी मारता है। हम तीनो को उसके नोट्स और प्रैक्टिकल में पुरे नंबर ऐसे ही नहीं मिल जाते। और सोनल तू भी सती सावित्री तो है नहीं। साली कॉलेज में तो एकदम नर्ड बानी रहती है पर घर में अपनी माँ के स्टूडेंट्स को चूत में घुसाए रहती हो। वो साले भी सोचते हैं की मैडम को पता नहीं छुपकर उनकी बेटी पटा ली है पर उन्हें पता नहीं की तुम और तुम्हारी माँ दोनों कितनी बड़ी रंडीबाज हो। तू चूत चवाती है और वो तेरी लाइव ब्रॉडकास्ट देखती है।
तान्या - एनफ। हम तीनो के अपने अपने राज है। तभी तो कह रही हूँ इस लौंडे को कब तक भाव देना है ? या तो प्रपोजल एक्सेप्ट करो और ये रोज का टंटा बंद करवाओ। वार्ना सच में वो सीरियस हो गया तो मुसीबत हो जाएगी।
भावना - भाई मुझे तो प्रोफेसर राव से छुट्टी पानी है। इस लड़के में दम है। मुझे तो लगता है राव के चंगुल से यही निकाल पायेगा ।
तान्या - देख ले कहीं मुसीबत गले न पड़ जाए। जो भी करना है सोच समझ कर करो। मैं किसी मामले में फंसना नहीं चाहती हूँ।

दरअसल तान्या रवि को पहचान गई थी। पहचान तो उसे रवि भी गया था। उसने तान्या की पूरी हिस्ट्री पता कर ली थी। उसे पता चल गया था की डॉक्टर रमेश और मेहर पति पत्नी है और तान्या उनकी लड़की। उसे ये शक था की तान्या उसके इलाज के बारे में जानती है। शायद जानती है की डॉक्टर मेहर ने रवि के साथ क्या क्या किया था। पर वो पक्का नहीं था। उसे ये जानना था की तान्या क्या क्या जानती है उसके बारे में। क्या वो उसके और माँ के सम्बन्धो को जानती है ? कम से कम डॉक्टर मेहर तो जानती थी क्योंकि ये सब उनका ही किया धरा था।
पर रवि तान्या और उसकी फॅमिली के ट्विस्टेड रिलेशनशिप के बारे में नहीं जानता था। क्योंकि ये सिर्फ या तो तान्या की फॅमिली के अंदर पता था या फिर उसकी इन ख़ास सहेलियों को। इन तीनो की दोस्ती बचपन की थी और ये एक दुसरे के बारे में सब जानती थी। पर इनके परिवार को ये नहीं पता था की ये आपस में क्या क्या शेयर करती है।
दूसरी बात ये थी की रवि को धीरे धीरे तान्या पसंद आने लगी थी। पर वो सोचता था की तान्या कभी भी उसे उसके पास्ट मेडिकल हिस्ट्री की वजह से कभी पसंद नहीं करेगी। इस लिए वो अपने व्यक्तित्व का दूसरा पहलु भी दिखाना चाहता था। वो एक सफल डॉक्टर बनना चाहता था। दिखाना चाहता था की वो काफी आगे निकल आया है। एक तरफ तो वो ये सोचता , दूसरी तरफ फिर उसे माँ और रेखा का ख्याल आ जाता। वो उनसे दूर भी नहीं जाना चाहता था। अब तो रेखा भी करीब आ गई थी। घर पहुँच कर वो सब भूल जाता और उन दोनों में खो जाता।
पर खाली समय में वो अपने परिवार में उलझे रिश्तों के बारे में ही सोचता रहता। पर उसके दिमाग में ये तो पक्का था की वो माँ और रेखा को ऐसे अकेले नहीं छोड़ सकता है। उसे किसी और की परवाह नहीं थी। पर कुछ महीनो से उसे तान्या पसंद आने लगी थी।
इधर इन सबके बीच सुनैना थी। वो चुलबुली लड़की जो रेखा को भी पसंद करती थी और रवि को भी। जब से जवानी में कदम रखा है उसने लड़को और लड़कियों दोनों से प्यार किया है। गोवा के खुले माहौल में उसके परिवार के लिए सेक्स कोई टैबू नहीं था। पर उसके बदले में उसे कीमत चुकानी पड़ती थी। जो उसे बिलकुल पसंद नहीं था पर उसकी मज़बूरी थी। इस लिए तो उसने गोवा से इतनी दूर आकर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया था। उसके लिए भी उसे कितने पापड़ बेलने पड़े थे और कितनी शर्तें माननी पड़ी थी। यहाँ रेखा और रवि को देख कर वो अपना सब दुःख दर्द भूल जाती थी।
Chuton ki bharmaar hai ravi ke liye.
 

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
52,101
53,927
354
गाडी में छेड़ छाड़ चलती रही। शायद दोनों लगी हुई आग को बुझने नहीं देना चाहते थे। दोनों की फैंटसी पूरी नहीं हुई थी। ये तो एक बस एक ब्रेक था। जर्नी तो लम्बी थी।
सम्राट ने गाडी की स्पीड बढ़ा दी थी। वो जल्दी से घर पहुँच जाना चाहता था। घर पहुँच सम्राट ने गाडी गराज में लगाई औऱ उसका डोर बंद कर दिया। उनके गराज से ही घर में जाने का रास्ता था छुट्टी थी तो कोई नौकर चाकर घर में नहीं था।
गराज का दरवाजा बंद करके जैसे ही वो पीछे मुड़ा , देखा तो भावना अपना शर्ट उतार चुकी थी औऱ उसकी पैंटी उसके हाथ में थी। सम्राट को देखते ही भावना ने अपनी गीली पैंटी उसकी तरफ फेंक दिया। उसने पैंटी के आगे का हिस्सा देखा तो वो उसकी चूत के रस से गिला हो चूका था। वो उसे सूंघते हुए भावना की तरफ बढ़ा। भावना गाडी से ही टेक लगाकर कड़ी थी। सम्राट ने उसके बालों को सहलाते हुए किस कर लिया औऱ बोला - अभी मन नहीं भरा।
भावना - अभी अभी तो तुम्हारे आइसक्रीम कोन का स्वाद लिया है। अभी कैसे मन भर जायेगा।
सम्राट ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा - आइसक्रीम तो फिर से तैयार है चख लो।
भावना फिर से निचे बैठ गई। उसने सम्राट के पैंट औऱ अंडरवियर दोनों उतार दिए औऱ लंड को हाथो में ले लिया।
उसने कहा - कितना तगड़ा हथियार है।
सम्राट - पुलिस वाले का है।
भावना - इसमें गोली भी है ?
सम्राट - दनादन चलाता है बस चलाने वाला एक्सपर्ट होना चाहिए।
भावना टेस्ट करती हूँ। उसने उसके लंड को मुँह में ले लिया औऱ उसके आड़ुओ को सहलाने लगी। उसने अपने मुँह से खूब सारा थूक निकाल लिया औऱ लंड को मुँह में ही अंदर बाहर करने लगी।
सम्राट - एकदम रंडी जैसे चूस रही हो। आह आह। हथियार में दम है न। आह अंदर लो औऱ अंदर।
भावना ने एक बार पूरा मुँह में लेने की कोशिश की पर उसका लंड बहुत लम्बा था पूरा मुँह में जा ही नहीं रहा था।
सम्राट को भावना के मुँह को नहीं चोदना था। उसने उसके बाल पकड़ कर उठा लिया औऱ उसे पीछे घुमा दिया। भावना का गांड उस टाइट से पैंट में पूरा उभरा हुआ था। सम्राट ने उसे सहलाया , कहा - क्या गांड है तुम्हारी। मन करता है फाड़ दूँ।
भावना - गांड मत लेना प्लीज। राव ने बहुत बार जबरदस्ती की थी। तुम तभी लेना जब मेरी मर्जी हो।
सम्राट - ठीक है बहना। चूत तो मिलेगी न।
भावना - वो तो कब से तैयार है।
सम्राट ने उसकी पैंट पकड़ कर निचे खिंच दिया। फिर उसे गाडी के साइड से झुका दिया औऱ पीछे से लंड चूत में लंड डाल दिया।
अब भावना गाडी के साइड में उसके सहारे कुतिया की तरह झुकी थी औऱ सम्राट का लंड उसके अंदर था। उसने उसके मुम्मे पकड़ रखे थे।
सम्राट - इंजन स्टार्ट करु?
भावना - मोबिल आयल पड़ा हुआ है भाई। लुब्रिकेशन पूरा है। चलाओ इंजन।
सम्राट ने अब पीछे से उसे चोदना शुरू कर दिया।
भावना - क्या बात है भइआ। पुरे कमांड से चला रहे हो। स्पीड बढ़ाओ न।
सम्राट अब तेजी से अपना कमर हिलाने लगा।
भावना - आह भइआ , क्या मस्त चोदते हो। आह आह तुम्हारी बहन तुमसे बहुत प्यार करती है। उसने अपनी चूत तुम्हारे लिए तैयार कर राखी है। पेल दो आह आह। ससस मायआआअअअअअा । भइआ आइसक्रीम ही नहीं खिलता है , गाडी भी बहुत अच्छी चलाता है। कर लेना सवारी। बहुत मजा आएगा।
भावना की बात सुन कर सम्राट का लंड औऱ टाइट हो गया। उसने स्पीड भी बढ़ा दी। भावना समझ रही थी की माँ की बात सुन भाई औऱ उत्तेजित हो रहा है।
भावना ने कहा - रेखा को पता नहीं क्या मिस किया उसने। भाई की सवारी करती तो पता चलता। आह आह भाई मौका मिले तो रेखा को चोद लेना। मैं मना नहीं करुँगी। पेलो जोर से पेलो।
सम्राट का लंड पानी छोड़ने वाला था तभी रेखा ने उसे रोक दिया। उसने कहा अभी रुको ।
उसने गाडी का दरवाजा खोला औऱ सीट पर लेट गई। बोली - आ जाओ राजा , यहाँ चोदो। जब भी मैं कोई खड़ी गाडी हिलती हुई देखती तो यही सोचती थी की अंदर चुदाई चल रही होगी। आओ आज तुम भी मुझे गाडी में चोदो। हिला कर रख दो मुझे औऱ पूरी गाडी को।
सम्राट भी गाडी के अंदर घुस कर उसके ऊपर लेट गया औऱ उसने दनादन उसे पेलने लगा। भावना की सिसकारियां तेज हो गई थी। उसकी चूत ने तो कई बार पानी छोड़ दिया था। सम्राट के लंड ने भी थोड़ी देर में खूब सारा पानी उड़ेल दिया।
ओर्गास्म के बाद भावना ने सम्राट के माथे को चूम लिया औऱ कहा - थैंक यू भइआ। सच में आज पता चला की प्यार कैसे होता है। उस राक्षस ने तो सिर्फ मेरा शरीर नोचा था। पर सेक्स औऱ उसके मजे तो तुमने दिए है। गाडी में चुदने की बड़े दिनों से इच्छा थी। आज तुमने मेरी वो फैंटसी भी पूरी कर दी। आई लव यु भइआ।
सम्राट ने कहा - तुम्हारे हर सपने को मैं पूरा करूँग।
उसके बाद दोनों गाडी से निकल पड़े। कपडे उसने वही गाड़ी में ही डाल दिया औऱ भावना को नंगे ही अपने बाहो में लेकर बेडरूम की तरफ चल पड़ा। अभी चुदाई ख़त्म नहीं हुई थी।
रात तो अभी जवान हुई ही थी।
Awesome super duper gazab story
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Premkumar65

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एक दिन कॉलेज में भावना अकेली थी। रवि ने उसे अकेले देखकर सोचा अच्छा मौका है थोड़ा और डिटेल लिया जाय।
उसने भावना से कहा - एक बात बताओ तु। इतने दिन हो गए मैं तुम लोगो के आगे पीछे घूम रहा हूँ। मुझमे कोई बुराई भी नहीं है। बैच में टोपर हूँ और तुम लोगों ने अभी तक मेरा प्रपोजल माना क्यों नहीं।
भावना - ज्यादा सयाणा मत बनो। महेश की बात को दिल से तुमने लगाया है। हम तो तुम्हे फिर भी भाव दे रहे हैं। सच तो ये है मेरी वजह से ही तुम हमारे पास आ पाते हो वार्ना सोनल और तान्या तो कब का तुम्हे भगा देते। मुझे ये भी पता है की तुम किसके पीछे पड़े हो पर बहुत मुश्किल है उसे पाना।
रवि - जब सब जानती हो तो मेरी मदद करो। मैं रियली तान्या के करीब जाना चाहता हूँ। मुझे पता है की मुझे वो रिजेक्ट करेगी पर एक बार उससे खुल कर दिल की बात रखना चाहता हूँ। उससे सही मायने में दोस्ती करना चाहता हूँ। ऐसा दोस्त बनाना चाहता हूँ जिससे दिल की बात कर सकूँ। उसके लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ।
भावना - ऐसा है तो मेरा एक काम करो। उसके लिए तान्या तो क्या सोनल की भी दिला दूंगी।
रवि - अरे तेरे घर में तो सब अफसर हैं। तुम्हारा कौन सा काम रुकता है।
भावना - कुछ चीजें तो घर वाले बिलकुल नहीं सॉल्व कर सकते।
रवि - फिर बताओ क्या बात है। मैं मदद करूँगा तुम्हारी।
भावना - ठीक है फिर सुनो। मेरी कुछ इंटिमेट वीडियोस डॉक्टर राव के पास हैं। जिसकी वजह से वो मुझे ब्लैकमेल कर रहा है।
रवि - क्या बात करती हो डॉक्टर राव तो डीन हैं। कितनी इज्जत है उनकी यहाँ। बल्कि सारा कॉलेज तो यही जानता है की तुम तीनो अपनी बच्चियों की तरह मानते हैं वो। कुछ तो अफवाह है की इसी वजह से यौम तीनो को मार्क्स भी बढ़िया मिलते हैं।
भावना - ये सच है की मार्क्स उनकी वजह से मिलते हैं। बल्कि उसी के चक्कर में तो मैं फंस गई। पर मुझे अपनी बेटी सिर्फ जमाने के सामने मानते हैं। प्राइवेट में तो साला बेटीचोद है।
रवि को कुछ समझ नहीं आया। फिर भावना ने उसे डिटेल में पूरी बात बताई।
डॉक्टर राव बहुत ही कड़क इंसान माने जाते हैं। उनकी उम्र साठ। से ऊपर है और उनके परिवार में कोई नहीं है। एक लड़का है वो भी विदेश में रहता है। अकेले रहने की वजह से वो सिर्फ हॉस्पिटल और कॉलेज में टाइम देते हैं। वास्तव में वो कॉलेज के स्टूडेंट को अपने बच्चे ही मानते थे जब तक की भावना ने उन्हें नहीं रिझाया। गलती उसी की थी जिसमे वो शिकार करने निकली थी पर खुद ही शिकार हो गई।
दरअसल फर्स्ट ईयर में भावना के हर सब्जेक्ट में बढ़िया नॅम्बर थे। डॉक्टर राव के थ्योरी पेपर में भी नंबर थे बस प्रैक्टिकल में नंबर नहीं थे। बल्कि किसी के नहीं थे। भावना बड़े घर से आती थी हारना उसे आता नहीं था। उसे नंबर चाहिए थे। उसने डॉक्टर राव से नजदीकियां
बढ़ानी शुरू की। उनके सामने टाइट जीन्स, छोटे टॉप , स्कर्ट इत्यादि में जाने लगी। अक्सर डाउट पूछने के बहाने उनके चैम्बर में उन्हें अकेला देख जाने लगी। डीप नैक शर्ट ,छोटे स्कर्ट्स और परफ्यूम ने अपना असर दिखाना शुरू किया।
वास्तव में सब डॉक्टर राव को मेंटर, सीनियर और फादर फिगर की तरह ही ट्रीट करते थे। भावना ने पहली बार उनकी मर्दानगी की बुझी आग में माचिस लगाने का काम किया था। और असर होने भी लगा था। धीरे धीरे भावना उनका ख्याल रखने लगी। दुनिया के सामने बेटी की तरह पर अकेले में एक लड़की की तरह। शुरुआत उनके खाने पीने , दवा के सेडुल, हेल्थ इत्यादि से बाद में कभी कभार सर दबाकर। पहली बार एक्चुअली उन्हें थका देख कर उसने सर को दबाया था तभी डॉक्टर राव पिघल गए थे। पत्नी के जाने के बाद पहली बार कोई ख्याल रखने वाली मिली थी। बात धीरे धीरे इतनी बढ़ी की चैम्बर के बजाय अकेले में मिलने लगे। भावना के घर वाले खुले विचारों के थे उसका लेट आना कोई बड़ी बात नहीं थी। पर इन सबमे राजदार उनकी दोस्त तान्या और सोनल थी। भावना ने डॉक्टर राव को फिर से जवान बना दिया था। पर दुनिया के सामने वो उनकी बेटी जैसी ही थी।

एक बार कॉलेज में दो दिन की छुट्टी थी। भावना ने डॉक्टर राव से शहर से बाहर चलने को कहा। भावना ने घर में बताया की कॉलेज का कोई ट्रिप है। कुछ ही लोग जा रहे हैं। डॉक्टर राव को तो किसी से इजाजत नहीं लेनी थी। दोनों कार से निकल पड़े। कोई उन पर शक भी नहीं कर सकता था। बाहर भावना डॉक्टर राव को डैड कहती थी और वो उसे बेटी। जब शहर से उनकी गाडी निकली तो भावना ने डॉक्टर राव की किस कर लिया। पलट कर उन्होंने भी उसे किस कर लिया।
दोनों उत्तराखंड के एक छोटे पर भीड़ भाड़ से दूर शहर की चुना था। वहां एक होम स्टे था जहाँ उन्होंने अपना परिचय बाप बेटी का दिया और कहा हेल्थ बेनिफिट के लिए आये है। केयर टेकर भी पास के गाओं में रहता था। उसने सारा सामान वहां रख दिया था। शाम हुई तो सनसेट के टाइम डॉक्टर राव होम स्टे के गार्डन में रखे झूले पर बैठे थे। भावना ने एक छोटे से स्कर्ट और ब्रा के ऊपर गाउन डाला और चाय लेकर उनके पास बैठ गई।दोनों प्रेमी जोड़े की तरह बैठे थे। चाय ख़त्म होते ही डॉक्टर राव ने भावना को अपने नजदीक किया और बाँहों में भर लिया। भावना एकदम चिपक गई और उनके गाल पर किस कर लिया।
बोली – डैडी आई लव यू।
डॉक्टर राव - डैडी ?
भावना - हम यही बोल कर तो रुके हैं। कहकर खिलखिला पड़ी।
राव भी हंस पड़े और उसे किस कर लिया। भावना थोड़ी देर बाद उनके गोद में बैठ गई और उनके सीने पर सर रख लिया और कहा - डैडी मुझे प्यार करो न।
राव ने उसके गाउन के अंदर हाथ डाल दिया और उसके मुम्मे दबाने लगे।
भावना सिसक पड़ी। बोली - सससस पहली बार है। थोड़ा प्यार से।
राव ने दबाना जारी रखा। फिर भावना ने उनका सर अपने गाउन के अंदर कर लिया और राव एक बच्चे की तरह उसके मुम्मे पीने लगे।
थोड़ी देर बाद भावना ने झूले पर डॉक्टर राव खिसकाया और स्कर्ट ऊपर करके उनके ऊपर बैठ गई। वो नीचे से एकदम नागि थी। पर राव ने पैजामा पहना हुआ था। उन्हें जैसे ही समझ आया की लड़की नंगी है उनका लंड टाइट हो गया। भावना झूले को धीरे धीरे हिलाते हुए ऊपर से ही उनके लंड पर चूत रगड़ना शुरू किया।
राव - कपडे उतार दू
भावना - अभी नहीं। अभी तो मै अपने पापा का साइज ले रही हूँ। देख रही हूँ की जब वो बेटी चोदने को होंगे तो उनकी बेटी को कितना दर्द होगा। भावना ने स्पीड बढ़ा दी थी। राव भी उसके मुम्मे दबाते हुए निचे से धक्का दे रहे थे।
वो बोले - पहली बार चुदेगी क्या मेरी बेटी।
भावना को पता था की डॉक्टर से झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं है। उसने कहा - पहली बार तो नहीं है पर नुन्नी से ही पाला पड़ा था। मर्द का लंड पहली बार लुंगी।
खुद की तारीफ सुनकर डॉक्टर राव के लंड ने पानी छोड़ दिया। जल्दी तो नहीं था , पर डॉक्टर बोले - अगली बार दवा लेकर चोदूंगा। वैसा मजा तो जवान भी नहीं देंगे। थोड़ी देर तक वैसे ही दोनों बैठे रहे फिर अंदर चले गए।
अंदर कमरे में पहुँचते ही भावना नंगी हो गई और राव से लिपट गई। थोड़ी देर लिपटने और चूमने के बाद राव ने अपने बैग से एक कैप्सूल निकाल कर खा लिया। उसके बाद उन्होंने भावना को बिस्तर पर लिटाया और सीधे अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और चोदना स्टार्ट कर दिया। भावना को इतनी जल्दी की उम्मीद नहीं थी पर दवा का असर था डॉक्टर राव जानवर बन चुके थे। उन्होंने बेरहमी से भावना को चोदा । पहले राउंड के ख़त्म होते तक भावना की चूत का कबाड़ा हो चूका था। डॉक्टर राव की जब रियलाइज हुआ तो उन्होंने से उससे खूब माफ़ी मांगी । भावना रात भर रोटी रही। उसे पता नहीं था की वो एक जानवर के साथ रात गुजारने वाली है। खैर अगले दिन किसी तरह से डॉक्टर राव उसे मनाने में सफल हो गए। सेक्स तो नहीं हुआ पर उन्होंने भावना से काफी प्यार से बात की। उसकी पढाई के बारे में पोछा , फ्रेंड्स और फॅमिली के बारे में पुछा। अपने बारे में बताया। कुल मिलाकर फिर से बात बन गई।
अगली बार लौट कर भावना थोड़ा सतर्क तो हुई पर राव ने उसे कन्विंस कर लिया की वो सावधानी रखेंगे। दोनों के बीच फिर से खेल चालू हो गया। सबके सामने बाप बेटी जैसा वर्ताव और अकेले होते ही रास लीला।
डॉक्टर राव ने लेकिन धोखा नहीं दिया। उन्होंने भावना को नोटस भी देने शुरू किये। प्रक्टिकल्स में नंबर भी मिलने लगे। न सिर्फ भावना को बल्कि उसकी दोनों दोस्तों को भी। कुछ समय बाद भावना ने जब सेक्स बंद करना चाहा तो डॉक्टर राव ब्लैकमेल करने लगे , डराने लगे।
डॉक्टर राव खेले खाये आदमी थे ,बाल यूँ ही नहीं सफ़ेद किये थे। उन्हें ये डर पहले दिन से था की कहीं भावना उन्हें मीटू में न फंसा दे या उल्टा ब्लैकमेल न करे इस लिए उन्होंने उसके कुछ वीडियो और ऑडियो रिकॉर्ड कर लिए थे। बातों बातों में ये उससे बुलवा लिया था की वो ही उसे पसंद करती है और ये सब कोनसेन्सुअल सेक्स है। उसने ये सब शुरू किया ताकि उसे बढ़िया मार्क्स मिल सकें।
एक आध रिकॉर्डिंग तो ऐसी थी इसमें डॉक्टर राव भावना को सेक्स के लिए मना कर रहे हैं और वो उनसे जबरदस्ती कर रही है।
भावना उन्हें फंसाने चली थी और खुद ही फंस गई। शिकारी खुद शिकार हो गया था। डॉक्टर राव ने उसकी फॅमिली रेपुटेशन भी ख़त्म करने की धमकी दी थी। घर में आईएएस और आईपीएस होने के वावजूद वो लाचार थी।

ये सब सुनकर रवि का खून खौल गया। उसे लगा की सिर्फ वो ही बीमार नहीं है। ऊपर से स्वस्थ दिखने वाला हर आदमी बीमार है। हर कोई अपने अंदर बैठे राक्षस से लड़ रहा है। कोई उससे जीत जाता है कोई उससे हार जाता है। सेक्स को लेकर वो उसके अंदर भी अनैतिक भावनाएं थी पर उसका कोई भी कृत्य जबरदस्ती किया हुआ नहीं था । उसके टैबू कभी रियल फिजिकल जोर जबरदस्ती वाले रिलेशन में नहीं बदले। रेखा ने भी उसे खुद ही सौंपा था। उन रिश्तों में कोई जोर जबरदस्ती नहीं थी , आपसी सहमति और प्यार था। पर यहाँ तो डॉक्टर राव न सिर्फ जबरदस्ती सेक्स कर रहे थे बल्कि वहशीपन और अप्राकृतिक तरीके से कर रहे थे।
उसने सारी बातें गौर से सुनी , और भावना को कहा की वो कुछ प्लान करेगा। उसने वादा किया की वो न सिर्फ भावना को उनसे मुक्त करेगा बल्कि उसे इस कॉलेज से निकलवा कर ही दम लेगा।
भावना ने भी वादा किया की वो कोशिश करेगी की तान्या के साथ रवि की दोस्ती हो जाये। उनके बीच बात कुछ आगे बढे।
Nice update. Almost har story me hero to sab ko chodna chahta hai par agar koi aur ladki ko chod raha hota hai to bidak jata hai. Ye to nainsaafi hai.
 
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