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आस्था अपने माँ बाप की इकलौती बेटी थी, माँ बाप दोनों ने मिलकर आस्था को बड़े प्यार से पाल पोस कर बड़ा किया, उन्होंने अपने प्यार में कही कोई कसार नहीं होने दी थी, लेकिन आज जो प्यार अंकुश ने आस्था पर न्योछावर किया था वो अनोखा था, सबसे अलग, सबसे जुड़ा प्यार, आस्था अंकुश के प्यार में ऐसे खोयी थी जैसे जन्मो की प्यासी हो और अंकुश का प्यार उसको जन्मो की प्यास बुझा रहा था,
वो एक दूसरे को बाहों में कसे एक दूसरे के मधु के प्यालो से रसपान कर रहे थे, दोनों इस वक़्त से दुनिया से बेखबर एक दुसरो की बाहों में खोकर प्रेम और सपनो की दुनिआ में खोये हुए थे,
अंकुश ने आस्था को हाथो में संभाले हुए उसे हलके से उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया, आस्था बिना किसी विरोध के बेड पर लेट गयी, अंकुश भी बिना देरी किये आस्था के बगल में लेट गया, अपनी बाहों को फैला कर उसने फिर एक बार आस्था को अपनी मज़बूत बाहों में समेट लिया और फिर एक बार किसी प्यासे भवरें की तरह उसके गुलाबी होंटो से जवानी का रस भोगने लगा।
बिस्तर पर लेटे अंकुश ने अब अपने हाथ आस्था के मासूम और कमसिन बदन पर फिरना शुरू कर दिया था, उसके हर स्पर्श से आस्था का नाज़ुक कमसिन बदन काँप उठता था, वो अंकुश के होंटो को चूसने और अपने होठो को रस पिलाने में इतनी खो गयी थी की उसे पता ही नहीं चला की कब अंकुश अपना हाथ उसकी पीठ से ससारते हुए उसकी कड़क उभरी हुई चूँचियों पर ले आया, उस बेचारी को अंकुश के हाथ के एहसास तो तब हुआ जब अंकुश ने कच्चे अमरुद जैसी ठोस ब्रा में कैद चूचियों को कुर्ती के ऊपर से ही रगड़ दिया, आस्था अंकुर के इस प्रहार से एक दम चौंक गयी और उसके नाज़ुक गुलाबी होंठ किस को तोड़ कर सीत्कार कर उठे।
आस्था कोई बच्ची तो थी नहीं, भले ही उसने कभी कुछ न किया हो लेकिन जानती सब थी, कई बार साइबर कैफ़े गयी थी प्रोजेक्ट्स के लिये और वहा उसने चोरी चोरी देसिबाबा पर चुदाई की नंगी फोटोज और छोटी छोटी क्लिप्स देखि थी, वो जानती थी की की जब चूत में लण्ड जाता है तो चुदाई होती है और चुदाई में बहुत मज़ा आता है, लेकिन उसने अंकुश के साथ पहली बार में ही चुदाई का सपने में भी नहीं सोचा था, अंकुश के उसकी चूचियों को छू कर अपने मन की इच्छा जाता दी थी लेकिन आस्था इतना आगे जाने लिए अभी तैयार नहीं थी,
सीत्कार करते हुए आस्था अंकुश की बाहों से अलग हुई और उठ कर बिस्तर पर बैठ गयी, अंकुश समझ गया था लेकिन अनजान बनते हुए आस्था से पूछा
"क्या हुआ जानू, मेरे पास आओ ना"
"अब हो गया, इतना ज़ायदा अभी ठीक है" आस्था ने नज़रे चुराते हुए कहा
"ओह्ह जानू कुछ भी नहीं कर रहा, बस अपने होने वाली पत्नी को प्यार ही तो कर रहा हूँ " अंकुश ने शरारत से कहा
"तो कर लिये प्यार और कितना करोगे, इतने से पेट नहीं भरा क्या " आस्था ने शर्म से दोहरी होते हुए कहा
"भला प्यार से किसका पेट भरा है आजतक, और फिर जब तुम्हारे जैसे पत्नी हो तो पुरे जीवन प्यार से पेट न भरे" अंकुश ने आस्था की तारीफों के पल बांधे
"हम्म बस करो ना अंकुश, बाद में कर लेना" आस्था ने भी थोड़ा सा नखरा दिखाया
"बस पांच मिनट और उसके बाद अगर मना करोगी तो नहीं करूँगा " अंकुश आस्था के कमज़ोर ना के पीछे की हाँ को पहचानता हुआ बोला और आस्था को अपनी बाहों में समेटने के लिए अपनी बाहें आगे बढ़ा दी
आस्था वैसे भी इस टाइम अंकुश के प्यार के मोहपाश में बंधी थी भला कैसे इंकार करती, किसी चुम्बक की भांति अंकुश की बाहों में समाती चली गयी, फिर एक बार दोनों एक दूसरे के शहद से भरे पयालो पर टूट पड़े और एक दूसरे का रस निचोड़ने लगे, अंकुश ने इस बार किस के साथ साथ हाथो का सफर भी जारी रखा था, कभी उसकी कोमल गद्देदार चूतड़ों को सहलाता और कभी उसकी कुर्ती के नीचे हाथ लेजाकर नंगी पीठ को सहलाकर आस्था की उत्तेजना बढ़ाता।
आस्था नयी नयी जवान हुई लड़की थी, अंकुश का प्यार और स्पर्श पा कर उसका रोम रोम खिल उठा था, जैसे जैसे अंकुश का हाथ उसके जिस्म पर घूम रहा था वैसे वैसे उसका शरीर अंकुश के शरीर से चिपकता जा रहा था, अब हालत ये थी की आस्था की ठोस चूचियां अंकुश के सीने में धंसी हुई थी और दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे, अंकुश का एक हाथ आस्था की नरम नाज़ुक गांड को सहला रहा था तो दूसरा हाथ कुर्ती के अंदर से उसके नंगे शरीर को छेड़ते हुए जिस्म की आग भड़का रहा था,
अंकुश ने किस तोड़ते हुए आस्था को अपने शरीर से हल्का से अलग किया और उसकी सफ़ेद चमकती हुई आँखों में देखा, उसके मस्ती के लाल डोरे साफ़ नज़र आरहे थे, आस्था अंकुश को अपनी आँखों में देखता पा कर लजा गयी, अंकुश ने भी मौका देख कर झट से अपने दोनों हाथो से उसकी गोलाइयों को थाम लिया और धीरे धीरे उनका मर्दन करने लगा, आस्था मज़े से दोहरी होती हुई सीसियाने लगी, जीवन में पहली बार किसी पुरुष के हाथ इस तरह से उसकी इन गोलाइयों को सहला रहे थे, पहली बार उसे एहसास हो रहा था की ये चूचियां देखने मात्र के लिए नहीं बल्कि आनंद पाने के लिए भी होती है।
बेड पर बैठे बैठे अंकुश ने आस्था को खींच कर अपनी गोदी में बिठा लिया और धीरे धीरे आस्था की कुर्ती को उतारने लगा, आस्था ने अंकुश की ओर देख कर विरोध जाताना चाहा लेकिन तब तक देर हो चुकी थी अंकुश ने तेज़ी दिखते हुए उसके कुर्ती के बटन खोल दिए थे और एक झटके में उसके जिस्म से कुर्ती को अलग कर दिया, आस्था ने भी अपने हाथ ऊपर उठा कर अपनी मौन स्वीकृति दे दी।
आस्था का शरीर एक दम गोरा और चिकना था, बाल तो दूर की बात एक रोया तक नहीं था, क्रीम कलर की ब्रा में कैद उसकी चूचियां हवा में तन कर निमंत्रण दे रही थी, अंकुश बिना एक पल गवाए उसके नंगे बदन पर टूट पड़ा, अंकुश ब्रा के ऊपर से ही आस्था की कठोर चूचियों को चुम रहा था और चाट रहा था, आस्था भी अंकुश से अपनी चूचियां दबवाकर और उसका रस पिला कर निहाल हो रही थी, अंकुश से अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था उसने आस्था की बायीं चूची को रगड़ते हुए उसे ब्रा से खींच कर बाहर निकल दिया, इससे पहले की आस्था अंकुश को टोकती या रोकती उसने बिना कोई मौका गवाए उसकी गोरी चूची के गुलाबी छोटे निप्पल को अपने होठो में ले लिये और किसी भूखे बच्चे की तरह उसको पीने लगा।
आस्था जो अभी तक किस करने और चूची दबवाने के मज़े में ही खोयी थी की इस नए मज़े को पाकर किसी और ही दुनिया में पहुंच गयी, अब उसके मुँह से केवल सिसकारियां ही निकल रही थी और बेचैन हो कर अंकुश के घुंघराले बालो में हाथ चला रही थी। अंकुश भी पूरी तन्मन्यता से आस्था की चूची को पी रहा था, लेकिन एक ही चूची को वो भी ब्रा से बाहर निकल कर पीने में बात नहीं बन रही थी इसलिए उसने आस्था के निप्पल्स को चूसते चूसते अपने हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी कच्चे अमरुद जैसी चूचियों को ब्रा की कैद से आज़ाद कर दिया।
आस्था को जैसे ही एहसास हुआ की अब वो ऊपर से पूरी नंगी हो चुकी है तो उसने अपनी दायीं चूची को छुपाने की नाकाम कोशिश की, क्यूंकि अब अंकुश ने उसकी बायीं चूची से अपने मुँह को हटा कर उसकी दायीं चूची पर कब्ज़ा जमा लिये था, आस्था शर्म और मज़े से दुहरी हुई जा रही थी, लेकिन शर्म पर मज़ा भाड़ी पड़ रहा था और धीरे धीरे वो भी बेशर्म होकर अंकुश से अपनी चूचियों को दबवाने और उसका रस पिलाने लगी,
अंकुश आस्था जैसे सुंदरी को पा कर निहाल था उसने धीरे धीरे करके आस्था को बेड पर लिटा दिया था और अब उसके छोटे से नाज़ुक शरीर के ऊपर लेटा हुआ उसकी चूचियों को अपने होंटो से चूस रहा था कभी अपने दांतो से काटा रहा था, आस्था मज़े से बेहाल तरह तरह की आवाज़े निकल रही थी। अंकुश ने आस्था को मस्ती से बेहाल तो कर दिया था लेकिन अभी असली काम बाकी था, आस्था को नीचे से नंगा करने का।
अंकुश ने एक हाथ से उसकी चूची को दबाते और मुँह से दूसरी चूची को चूसते हुए अपना दूसरा हाथ आस्था की नाभि पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा, आस्था जो मज़े में डूबी हुई थी उसे पता भी नहीं चला और कब अंकुश ने चुपके से उसकी जीन्स के बटन के साथ साथ ज़िप को भी खोल दिया, आस्था को पता तब चला जब अंकुश अपना मुँह आस्था की चूचियों से हटा कर अलग हुआ और उसके पैरो में बैठ गया, आस्था ने गर्दन उठा कर अंकुश की ओर देखा तो अंकुश ने एक फ्लाइंग किस उसकी ओर उछाल दी, अंकुश ने आस्था की नंगी कमर को अपने दोनों हाथो से संभाला और उसे बेड के सिरहाने की ओर खिसकने का इशारा किया, आस्था ने जैसे ही अपने शरीर को ऊपर की ओर सरकने के लिए बिस्तर से ऊँचा किया बस उसी पल अंकुश ने आस्था की कमर को छोड़ कर उसकी जीन्स को पकड़ा और एक झटके से खींच दिया, जीन्स के साथ साथ उसकी काळा रंग की पेंटी भी उतरती चली गयी और घुटनो पर आकर अटक गयी।
इतने देर से जो खेल उन दोनों के बीच चल रहा था उसने आस्था की कुवारी चूत को पानी पानी कर दिया था, उसकी पेंटी उतारते ही अंकुश को उसकी चूत रस से सनी चूत नज़र आगयी। क्या प्यारी चूत थी उसकी, एक दम गोरी और चिंकी चूत, इतनी चिकनी जैसे कभी चूत पर बाल आये ही ना हो, ऊपर से उभरी और फूली हुई भी, उसने झट से अपने होंठ उसकी चूत पर लगा कर चुम लिया। अंकुश ने बहुत छूटे छोड़ी थी, लेकिन ऐसे गोरी चिकनी चूत केवल ब्लू फिल्मो में देखि थी, शायद उसके असमियाँ जीन के कारन।
आस्था अंकुश की इस हरकत से घबरा गयी और उठ कर बिस्तर पर बैठ गयी,
"बस अंकुश अब और नहीं, बहुत हो गया "
"बस जानू थोड़ी देर और, क्या मज़ा नहीं रहा है तुमको " अंकुश ने प्यार भले शब्दों में कहा
"अच्छा लग रहा अंकुश लेकिन बस अब रुक जाओ, इस से आगे फिर कभी कर लेंगे। "
"आयी लव यू आस्था, मेरी जान प्लीज मत रोको मुझे "
"नहीं अंकुश इस आगे नहीं प्लीज, मैं मन नहीं कर रही लेकिन फिर और दिन कर लेना " आस्था ने मिन्नत की
"उह आस्था क्या तुम मुझपर विश्वास नहीं करती, मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ, तुम्हारे लिए जान दे सकता हूँ, लेकिन तुम मुझे तुमको प्यार करने से भी रोक रही हो।
"नहीं अंकुश, मुझे आप पर पूरा भरोसा है लेकिन..............................."
"लेकिन क्या आस्था, यही न की तुम मुझ पर पूरा भरोसा नहीं करती "
"नहि अंकुश आप पर दुनिया में सबसे ज़्यदा भरोसा है लेकिन बस डरती हूँ , कही कुछ हो न जाये तो फिर क्या करेंगे हम "
"कुछ नहीं होगा जानू, मैं अपनी पत्नी को अपनी जान को कुछ नहीं होने दूंगा, और अगर इतना ही दर है तो रुको " इतना बोल कर अंकुश जल्दी से बेड से उठा और अलमारी में से एक छोटी से डिब्बी निकल लाया
"ये क्या है आस्था ने पूछा "
अंकुश ने डिब्बी खोली, उसमे एक चंडी की अंगूठी चमचमा रही थी, उसके अंगूठी निकल कर आस्था को पहना दी,
"अब विश्वास आया की नहीं"" अंकुश ने थोड़ा रूखे स्वर में पूछा
आस्था अंकुश के रूखे स्वर को सुन कर घबरा गयी, उसका प्रेमी नाराज़ हो गया था, वो कुछ भी कर सकती थी लेकिन अपने प्रेमी को नाराज़ कैसे कर सकती थी, आस्था जो बिलकुल नंगी बिस्तर पर बैठी थी अंकुश की नाराज़गी बर्दाश्त नहीं कर पायी और उठ कर अंकुश के गले लग गयी, अंकुश के होंटो को अपने गुलाबी होंठ हवाले करते हुए बड़बड़ाई
"नाराज़ मत हो अंकुश, मुझे पूरा विश्वास है आप पर, जब मैं आपकी हूँ तो मेरा जिस्म भी आपका ही है अंकुश, जो मन आये कर लो मैं मना नहीं करुँगी "
अंकुश को हरी झंडी मिल चुकी थी वो ख़ुशी से झूमते हुए "आयी लव यू आस्था " चिल्लाया और आस्था को ले कर नरम बिस्तर पर धम्म से गिर गया, आस्था भी अपने प्रेमी को खुश देख कर खिल पड़ी
अंकुश ने फिर एक बार फिर आस्था के कमसिन जिस्म से खेलाना शरू कर दिया, इस बार आस्था ने भी खुल कर साथ दिया। अंकुश ने आस्था की चूचियों को चूस चूस कर लाल कर दिया, बहुत देर तक आस्था की चूचियों से खेलने के बाद अंकुश वापिस से आस्था की टांगो के बीच में आकर बैठ गया ,
क्या चूत थी उसकी, एक दम साफ़ सुथरी लार टपकाती चूत, एक दम मजबूती से बंद चूत के दोनों होंठ और उसके बीच से हल्का सा झांकते चूत के अंदर के लिप्स बिलकुल गुलाब की अधखिली कली की तरह, अंकुश ने झट से चूत के बाहरी होंटो को चाट लिया, आस्था चूत को चाटे जाने से सिहर उठी, उसने अपने कपकपाते पैरो को मिलाने की कोशिश की लेकिन अंकुश ने रोक लिया, वो अब पूरा धयान लगा कर उसकी चिकनी चूत को चाटने में लगा हुआ था, अंकुश चूत चाटता रहा और आस्था मज़े से बिलबिलाती रही, अब दोनों से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, अंकुश ने हाथ बढ़ा कर सिरहाने से तकिया उठा और आस्था के चूतड़ों के नीचे रख दिया, इसबार आस्था ने कोई विरोध नहीं किया था बल्कि खुद अपने चूतड़ उठा कर तकिया रखने की जगह दी थी।
अंकुश ने भी जल्दी से अपने कपडे उतार फेंके और नंगा हो कर अपने लण्ड को सहलाता हुआ आस्था के पैरो के बीच घुटनो बल बैठ गया, उसने आस्था की ओर देखा उसकी आंखे बंद थी, और तेज़ तेज़ सांसे ले रही, उसका मन था की आस्था उसकी ओर देखे, उसका लण्ड देखे और सहलाये लेकिन उसके लिए अभी टाइम नहीं था, उसे दर था की कही आस्था फिर उसे रोक न दे, उसने झट से आस्था की दोनों चिकनी जांघो को उठाया और अपने कंधो पर रख लिया, उसने लण्ड की खाली खींच कर नीचे की और सूपड़ा आस्था की चुतरस से भीगी चिकनी चूत पर लगा दिया, लण्ड का स्पर्श चूत पर पाकर आस्था कसमसाई लेकिन अंकुश की पकड़ मज़बूत थी, उसने दूसरे हाथ से चूत का मुँह हल्का सा खोला और लण्ड का सूपड़ा एक हलके धक्के के साथ चूत के मुँह पर टिका दिया।
आस्था के मुँह से एक आह निकल गयी, अंकुश ने उसकी दोनों जाँघे छोड़ उसकी कमर पकड़ ली और और अपनी पूरी ताकत लगा कर एक ज़ोर का झटका लगाया, अंकुश का लण्ड आस्था की कुवारी चूत की सील को चीरता हुआ आधा घुस गया, आस्था दर्द से बिलबिला कर चीख उठी
"मर गयी मम्मी, ओह्ह माँ बहुत दर्द हो रहा है "
"बस जानू हो गया, बस एक मिनट और " कह कर अंकुश ने बिना कोई मौका दिए आस्था की चूत में दूसरा झटका लगा दिया, आस्था फिर एक बार दर्द से बिलबिलाई और चीख पड़ी, अब अंकुश का पूरा लण्ड आस्था की चूत में था, अंकुश ने आस्था की टाँगे अपने कंधे से उतारी और उसके नंगे जिस्म पर लेट गया और उसके बाएं बूब्स को मुँह में लेकर चुभलाने लगा, आस्था धीरे धीरे सिसक रही थी, उसकी आँख के कोने से एक आंसू टपक कर बिस्तर पर गिर गया।
अंकुश उसके अमरुद जैसी कच्ची चूचियों को चूसता कभी दबाता और कभी उसके गुलाबी होंटो को चुस्ता, कुछ ही देर में आस्था की सिसकियाँ रुक गयी और उसके जिस्म में फिर से गर्मी आने लगी थी, अंकुश ने आस्था के ऊपर लेटे ही लेट अपनी कमर चलनी शुरू कर दी, कुवारी चूत थी तो टाइट होना लाज़मी था, उसे बड़ी मुश्किल हो रही थी कमर चलने में, लण्ड आस्था की चूत में जकड गया था, उसने ताकत लगा आकर आधा लण्ड चूत से बाहर खीचा और फिर वापस धीरे धीरे घुसा दिया, तीन चार बार ऐसे करने पर चूत थोड़ा ढीली हुई और फिर अंकुश ने स्पीड बढ़ा दी, आस्था की चूत में जो दर्द था उसमे अब चुदाई का मज़ा भी शामिल हो गया था, अब उसके मुँह से दर्द और मज़े की मिली जुली सिसकारियां निकल रही थी, अंकुश भी अब पुरे जोश से आस्था की चिकनी जांघो को संभाले टपा तप धक्के मार रहा था और आस्था चुदाई और प्रेम की मिलेजुले सागर में डूबी हुई कराह रही थी।
अंकुश लगभग एक घंटे से अपने लण्ड पर काबू किये आस्था के जिस्म से खेल रहा था उसके लिए देर तक टिकना मुश्किल हो रहा था, इसलिए उसने अपने धक्को के स्पीड बढ़ा दी और अब उसकी लण्ड राजधानी एक्सप्रेस की तरह धकाधाक आस्था की चूत में धक्के मार रहा था, उधर आस्था भी मज़े से सीसिया रही थी की तभी उसकी चूत में मानो एक तूफ़ान सा उठा और उसका शरीर अकड़ने लगा, उसने हाथ आगे बढ़ा कर अंकुश को अपनी बाहों में लेना चाहा लेकिन अंकुश भी बस अपने चरम के करीब था उसने आखरी धक्का आस्था की चूत में लगाया और लण्ड आस्था की चूत से खींच कर बेड से कूद गया, उसने टेबल पर पड़े अखबार को खींचा और भरभरा कर सारा माल अख़बार पर निकल दिया, उसकी टाँगे काँप रही थी, उसने अखबार ज़मीन पर डाला और बिस्तर आकर आस्था के बगल में ढेर हो गया।
वो एक दूसरे को बाहों में कसे एक दूसरे के मधु के प्यालो से रसपान कर रहे थे, दोनों इस वक़्त से दुनिया से बेखबर एक दुसरो की बाहों में खोकर प्रेम और सपनो की दुनिआ में खोये हुए थे,
अंकुश ने आस्था को हाथो में संभाले हुए उसे हलके से उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया, आस्था बिना किसी विरोध के बेड पर लेट गयी, अंकुश भी बिना देरी किये आस्था के बगल में लेट गया, अपनी बाहों को फैला कर उसने फिर एक बार आस्था को अपनी मज़बूत बाहों में समेट लिया और फिर एक बार किसी प्यासे भवरें की तरह उसके गुलाबी होंटो से जवानी का रस भोगने लगा।
बिस्तर पर लेटे अंकुश ने अब अपने हाथ आस्था के मासूम और कमसिन बदन पर फिरना शुरू कर दिया था, उसके हर स्पर्श से आस्था का नाज़ुक कमसिन बदन काँप उठता था, वो अंकुश के होंटो को चूसने और अपने होठो को रस पिलाने में इतनी खो गयी थी की उसे पता ही नहीं चला की कब अंकुश अपना हाथ उसकी पीठ से ससारते हुए उसकी कड़क उभरी हुई चूँचियों पर ले आया, उस बेचारी को अंकुश के हाथ के एहसास तो तब हुआ जब अंकुश ने कच्चे अमरुद जैसी ठोस ब्रा में कैद चूचियों को कुर्ती के ऊपर से ही रगड़ दिया, आस्था अंकुर के इस प्रहार से एक दम चौंक गयी और उसके नाज़ुक गुलाबी होंठ किस को तोड़ कर सीत्कार कर उठे।
आस्था कोई बच्ची तो थी नहीं, भले ही उसने कभी कुछ न किया हो लेकिन जानती सब थी, कई बार साइबर कैफ़े गयी थी प्रोजेक्ट्स के लिये और वहा उसने चोरी चोरी देसिबाबा पर चुदाई की नंगी फोटोज और छोटी छोटी क्लिप्स देखि थी, वो जानती थी की की जब चूत में लण्ड जाता है तो चुदाई होती है और चुदाई में बहुत मज़ा आता है, लेकिन उसने अंकुश के साथ पहली बार में ही चुदाई का सपने में भी नहीं सोचा था, अंकुश के उसकी चूचियों को छू कर अपने मन की इच्छा जाता दी थी लेकिन आस्था इतना आगे जाने लिए अभी तैयार नहीं थी,
सीत्कार करते हुए आस्था अंकुश की बाहों से अलग हुई और उठ कर बिस्तर पर बैठ गयी, अंकुश समझ गया था लेकिन अनजान बनते हुए आस्था से पूछा
"क्या हुआ जानू, मेरे पास आओ ना"
"अब हो गया, इतना ज़ायदा अभी ठीक है" आस्था ने नज़रे चुराते हुए कहा
"ओह्ह जानू कुछ भी नहीं कर रहा, बस अपने होने वाली पत्नी को प्यार ही तो कर रहा हूँ " अंकुश ने शरारत से कहा
"तो कर लिये प्यार और कितना करोगे, इतने से पेट नहीं भरा क्या " आस्था ने शर्म से दोहरी होते हुए कहा
"भला प्यार से किसका पेट भरा है आजतक, और फिर जब तुम्हारे जैसे पत्नी हो तो पुरे जीवन प्यार से पेट न भरे" अंकुश ने आस्था की तारीफों के पल बांधे
"हम्म बस करो ना अंकुश, बाद में कर लेना" आस्था ने भी थोड़ा सा नखरा दिखाया
"बस पांच मिनट और उसके बाद अगर मना करोगी तो नहीं करूँगा " अंकुश आस्था के कमज़ोर ना के पीछे की हाँ को पहचानता हुआ बोला और आस्था को अपनी बाहों में समेटने के लिए अपनी बाहें आगे बढ़ा दी
आस्था वैसे भी इस टाइम अंकुश के प्यार के मोहपाश में बंधी थी भला कैसे इंकार करती, किसी चुम्बक की भांति अंकुश की बाहों में समाती चली गयी, फिर एक बार दोनों एक दूसरे के शहद से भरे पयालो पर टूट पड़े और एक दूसरे का रस निचोड़ने लगे, अंकुश ने इस बार किस के साथ साथ हाथो का सफर भी जारी रखा था, कभी उसकी कोमल गद्देदार चूतड़ों को सहलाता और कभी उसकी कुर्ती के नीचे हाथ लेजाकर नंगी पीठ को सहलाकर आस्था की उत्तेजना बढ़ाता।
आस्था नयी नयी जवान हुई लड़की थी, अंकुश का प्यार और स्पर्श पा कर उसका रोम रोम खिल उठा था, जैसे जैसे अंकुश का हाथ उसके जिस्म पर घूम रहा था वैसे वैसे उसका शरीर अंकुश के शरीर से चिपकता जा रहा था, अब हालत ये थी की आस्था की ठोस चूचियां अंकुश के सीने में धंसी हुई थी और दोनों के होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे, अंकुश का एक हाथ आस्था की नरम नाज़ुक गांड को सहला रहा था तो दूसरा हाथ कुर्ती के अंदर से उसके नंगे शरीर को छेड़ते हुए जिस्म की आग भड़का रहा था,
अंकुश ने किस तोड़ते हुए आस्था को अपने शरीर से हल्का से अलग किया और उसकी सफ़ेद चमकती हुई आँखों में देखा, उसके मस्ती के लाल डोरे साफ़ नज़र आरहे थे, आस्था अंकुश को अपनी आँखों में देखता पा कर लजा गयी, अंकुश ने भी मौका देख कर झट से अपने दोनों हाथो से उसकी गोलाइयों को थाम लिया और धीरे धीरे उनका मर्दन करने लगा, आस्था मज़े से दोहरी होती हुई सीसियाने लगी, जीवन में पहली बार किसी पुरुष के हाथ इस तरह से उसकी इन गोलाइयों को सहला रहे थे, पहली बार उसे एहसास हो रहा था की ये चूचियां देखने मात्र के लिए नहीं बल्कि आनंद पाने के लिए भी होती है।
बेड पर बैठे बैठे अंकुश ने आस्था को खींच कर अपनी गोदी में बिठा लिया और धीरे धीरे आस्था की कुर्ती को उतारने लगा, आस्था ने अंकुश की ओर देख कर विरोध जाताना चाहा लेकिन तब तक देर हो चुकी थी अंकुश ने तेज़ी दिखते हुए उसके कुर्ती के बटन खोल दिए थे और एक झटके में उसके जिस्म से कुर्ती को अलग कर दिया, आस्था ने भी अपने हाथ ऊपर उठा कर अपनी मौन स्वीकृति दे दी।
आस्था का शरीर एक दम गोरा और चिकना था, बाल तो दूर की बात एक रोया तक नहीं था, क्रीम कलर की ब्रा में कैद उसकी चूचियां हवा में तन कर निमंत्रण दे रही थी, अंकुश बिना एक पल गवाए उसके नंगे बदन पर टूट पड़ा, अंकुश ब्रा के ऊपर से ही आस्था की कठोर चूचियों को चुम रहा था और चाट रहा था, आस्था भी अंकुश से अपनी चूचियां दबवाकर और उसका रस पिला कर निहाल हो रही थी, अंकुश से अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था उसने आस्था की बायीं चूची को रगड़ते हुए उसे ब्रा से खींच कर बाहर निकल दिया, इससे पहले की आस्था अंकुश को टोकती या रोकती उसने बिना कोई मौका गवाए उसकी गोरी चूची के गुलाबी छोटे निप्पल को अपने होठो में ले लिये और किसी भूखे बच्चे की तरह उसको पीने लगा।
आस्था जो अभी तक किस करने और चूची दबवाने के मज़े में ही खोयी थी की इस नए मज़े को पाकर किसी और ही दुनिया में पहुंच गयी, अब उसके मुँह से केवल सिसकारियां ही निकल रही थी और बेचैन हो कर अंकुश के घुंघराले बालो में हाथ चला रही थी। अंकुश भी पूरी तन्मन्यता से आस्था की चूची को पी रहा था, लेकिन एक ही चूची को वो भी ब्रा से बाहर निकल कर पीने में बात नहीं बन रही थी इसलिए उसने आस्था के निप्पल्स को चूसते चूसते अपने हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी कच्चे अमरुद जैसी चूचियों को ब्रा की कैद से आज़ाद कर दिया।
आस्था को जैसे ही एहसास हुआ की अब वो ऊपर से पूरी नंगी हो चुकी है तो उसने अपनी दायीं चूची को छुपाने की नाकाम कोशिश की, क्यूंकि अब अंकुश ने उसकी बायीं चूची से अपने मुँह को हटा कर उसकी दायीं चूची पर कब्ज़ा जमा लिये था, आस्था शर्म और मज़े से दुहरी हुई जा रही थी, लेकिन शर्म पर मज़ा भाड़ी पड़ रहा था और धीरे धीरे वो भी बेशर्म होकर अंकुश से अपनी चूचियों को दबवाने और उसका रस पिलाने लगी,
अंकुश आस्था जैसे सुंदरी को पा कर निहाल था उसने धीरे धीरे करके आस्था को बेड पर लिटा दिया था और अब उसके छोटे से नाज़ुक शरीर के ऊपर लेटा हुआ उसकी चूचियों को अपने होंटो से चूस रहा था कभी अपने दांतो से काटा रहा था, आस्था मज़े से बेहाल तरह तरह की आवाज़े निकल रही थी। अंकुश ने आस्था को मस्ती से बेहाल तो कर दिया था लेकिन अभी असली काम बाकी था, आस्था को नीचे से नंगा करने का।
अंकुश ने एक हाथ से उसकी चूची को दबाते और मुँह से दूसरी चूची को चूसते हुए अपना दूसरा हाथ आस्था की नाभि पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा, आस्था जो मज़े में डूबी हुई थी उसे पता भी नहीं चला और कब अंकुश ने चुपके से उसकी जीन्स के बटन के साथ साथ ज़िप को भी खोल दिया, आस्था को पता तब चला जब अंकुश अपना मुँह आस्था की चूचियों से हटा कर अलग हुआ और उसके पैरो में बैठ गया, आस्था ने गर्दन उठा कर अंकुश की ओर देखा तो अंकुश ने एक फ्लाइंग किस उसकी ओर उछाल दी, अंकुश ने आस्था की नंगी कमर को अपने दोनों हाथो से संभाला और उसे बेड के सिरहाने की ओर खिसकने का इशारा किया, आस्था ने जैसे ही अपने शरीर को ऊपर की ओर सरकने के लिए बिस्तर से ऊँचा किया बस उसी पल अंकुश ने आस्था की कमर को छोड़ कर उसकी जीन्स को पकड़ा और एक झटके से खींच दिया, जीन्स के साथ साथ उसकी काळा रंग की पेंटी भी उतरती चली गयी और घुटनो पर आकर अटक गयी।
इतने देर से जो खेल उन दोनों के बीच चल रहा था उसने आस्था की कुवारी चूत को पानी पानी कर दिया था, उसकी पेंटी उतारते ही अंकुश को उसकी चूत रस से सनी चूत नज़र आगयी। क्या प्यारी चूत थी उसकी, एक दम गोरी और चिंकी चूत, इतनी चिकनी जैसे कभी चूत पर बाल आये ही ना हो, ऊपर से उभरी और फूली हुई भी, उसने झट से अपने होंठ उसकी चूत पर लगा कर चुम लिया। अंकुश ने बहुत छूटे छोड़ी थी, लेकिन ऐसे गोरी चिकनी चूत केवल ब्लू फिल्मो में देखि थी, शायद उसके असमियाँ जीन के कारन।
आस्था अंकुश की इस हरकत से घबरा गयी और उठ कर बिस्तर पर बैठ गयी,
"बस अंकुश अब और नहीं, बहुत हो गया "
"बस जानू थोड़ी देर और, क्या मज़ा नहीं रहा है तुमको " अंकुश ने प्यार भले शब्दों में कहा
"अच्छा लग रहा अंकुश लेकिन बस अब रुक जाओ, इस से आगे फिर कभी कर लेंगे। "
"आयी लव यू आस्था, मेरी जान प्लीज मत रोको मुझे "
"नहीं अंकुश इस आगे नहीं प्लीज, मैं मन नहीं कर रही लेकिन फिर और दिन कर लेना " आस्था ने मिन्नत की
"उह आस्था क्या तुम मुझपर विश्वास नहीं करती, मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ, तुम्हारे लिए जान दे सकता हूँ, लेकिन तुम मुझे तुमको प्यार करने से भी रोक रही हो।
"नहीं अंकुश, मुझे आप पर पूरा भरोसा है लेकिन..............................."
"लेकिन क्या आस्था, यही न की तुम मुझ पर पूरा भरोसा नहीं करती "
"नहि अंकुश आप पर दुनिया में सबसे ज़्यदा भरोसा है लेकिन बस डरती हूँ , कही कुछ हो न जाये तो फिर क्या करेंगे हम "
"कुछ नहीं होगा जानू, मैं अपनी पत्नी को अपनी जान को कुछ नहीं होने दूंगा, और अगर इतना ही दर है तो रुको " इतना बोल कर अंकुश जल्दी से बेड से उठा और अलमारी में से एक छोटी से डिब्बी निकल लाया
"ये क्या है आस्था ने पूछा "
अंकुश ने डिब्बी खोली, उसमे एक चंडी की अंगूठी चमचमा रही थी, उसके अंगूठी निकल कर आस्था को पहना दी,
"अब विश्वास आया की नहीं"" अंकुश ने थोड़ा रूखे स्वर में पूछा
आस्था अंकुश के रूखे स्वर को सुन कर घबरा गयी, उसका प्रेमी नाराज़ हो गया था, वो कुछ भी कर सकती थी लेकिन अपने प्रेमी को नाराज़ कैसे कर सकती थी, आस्था जो बिलकुल नंगी बिस्तर पर बैठी थी अंकुश की नाराज़गी बर्दाश्त नहीं कर पायी और उठ कर अंकुश के गले लग गयी, अंकुश के होंटो को अपने गुलाबी होंठ हवाले करते हुए बड़बड़ाई
"नाराज़ मत हो अंकुश, मुझे पूरा विश्वास है आप पर, जब मैं आपकी हूँ तो मेरा जिस्म भी आपका ही है अंकुश, जो मन आये कर लो मैं मना नहीं करुँगी "
अंकुश को हरी झंडी मिल चुकी थी वो ख़ुशी से झूमते हुए "आयी लव यू आस्था " चिल्लाया और आस्था को ले कर नरम बिस्तर पर धम्म से गिर गया, आस्था भी अपने प्रेमी को खुश देख कर खिल पड़ी
अंकुश ने फिर एक बार फिर आस्था के कमसिन जिस्म से खेलाना शरू कर दिया, इस बार आस्था ने भी खुल कर साथ दिया। अंकुश ने आस्था की चूचियों को चूस चूस कर लाल कर दिया, बहुत देर तक आस्था की चूचियों से खेलने के बाद अंकुश वापिस से आस्था की टांगो के बीच में आकर बैठ गया ,
क्या चूत थी उसकी, एक दम साफ़ सुथरी लार टपकाती चूत, एक दम मजबूती से बंद चूत के दोनों होंठ और उसके बीच से हल्का सा झांकते चूत के अंदर के लिप्स बिलकुल गुलाब की अधखिली कली की तरह, अंकुश ने झट से चूत के बाहरी होंटो को चाट लिया, आस्था चूत को चाटे जाने से सिहर उठी, उसने अपने कपकपाते पैरो को मिलाने की कोशिश की लेकिन अंकुश ने रोक लिया, वो अब पूरा धयान लगा कर उसकी चिकनी चूत को चाटने में लगा हुआ था, अंकुश चूत चाटता रहा और आस्था मज़े से बिलबिलाती रही, अब दोनों से बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, अंकुश ने हाथ बढ़ा कर सिरहाने से तकिया उठा और आस्था के चूतड़ों के नीचे रख दिया, इसबार आस्था ने कोई विरोध नहीं किया था बल्कि खुद अपने चूतड़ उठा कर तकिया रखने की जगह दी थी।
अंकुश ने भी जल्दी से अपने कपडे उतार फेंके और नंगा हो कर अपने लण्ड को सहलाता हुआ आस्था के पैरो के बीच घुटनो बल बैठ गया, उसने आस्था की ओर देखा उसकी आंखे बंद थी, और तेज़ तेज़ सांसे ले रही, उसका मन था की आस्था उसकी ओर देखे, उसका लण्ड देखे और सहलाये लेकिन उसके लिए अभी टाइम नहीं था, उसे दर था की कही आस्था फिर उसे रोक न दे, उसने झट से आस्था की दोनों चिकनी जांघो को उठाया और अपने कंधो पर रख लिया, उसने लण्ड की खाली खींच कर नीचे की और सूपड़ा आस्था की चुतरस से भीगी चिकनी चूत पर लगा दिया, लण्ड का स्पर्श चूत पर पाकर आस्था कसमसाई लेकिन अंकुश की पकड़ मज़बूत थी, उसने दूसरे हाथ से चूत का मुँह हल्का सा खोला और लण्ड का सूपड़ा एक हलके धक्के के साथ चूत के मुँह पर टिका दिया।
आस्था के मुँह से एक आह निकल गयी, अंकुश ने उसकी दोनों जाँघे छोड़ उसकी कमर पकड़ ली और और अपनी पूरी ताकत लगा कर एक ज़ोर का झटका लगाया, अंकुश का लण्ड आस्था की कुवारी चूत की सील को चीरता हुआ आधा घुस गया, आस्था दर्द से बिलबिला कर चीख उठी
"मर गयी मम्मी, ओह्ह माँ बहुत दर्द हो रहा है "
"बस जानू हो गया, बस एक मिनट और " कह कर अंकुश ने बिना कोई मौका दिए आस्था की चूत में दूसरा झटका लगा दिया, आस्था फिर एक बार दर्द से बिलबिलाई और चीख पड़ी, अब अंकुश का पूरा लण्ड आस्था की चूत में था, अंकुश ने आस्था की टाँगे अपने कंधे से उतारी और उसके नंगे जिस्म पर लेट गया और उसके बाएं बूब्स को मुँह में लेकर चुभलाने लगा, आस्था धीरे धीरे सिसक रही थी, उसकी आँख के कोने से एक आंसू टपक कर बिस्तर पर गिर गया।
अंकुश उसके अमरुद जैसी कच्ची चूचियों को चूसता कभी दबाता और कभी उसके गुलाबी होंटो को चुस्ता, कुछ ही देर में आस्था की सिसकियाँ रुक गयी और उसके जिस्म में फिर से गर्मी आने लगी थी, अंकुश ने आस्था के ऊपर लेटे ही लेट अपनी कमर चलनी शुरू कर दी, कुवारी चूत थी तो टाइट होना लाज़मी था, उसे बड़ी मुश्किल हो रही थी कमर चलने में, लण्ड आस्था की चूत में जकड गया था, उसने ताकत लगा आकर आधा लण्ड चूत से बाहर खीचा और फिर वापस धीरे धीरे घुसा दिया, तीन चार बार ऐसे करने पर चूत थोड़ा ढीली हुई और फिर अंकुश ने स्पीड बढ़ा दी, आस्था की चूत में जो दर्द था उसमे अब चुदाई का मज़ा भी शामिल हो गया था, अब उसके मुँह से दर्द और मज़े की मिली जुली सिसकारियां निकल रही थी, अंकुश भी अब पुरे जोश से आस्था की चिकनी जांघो को संभाले टपा तप धक्के मार रहा था और आस्था चुदाई और प्रेम की मिलेजुले सागर में डूबी हुई कराह रही थी।
अंकुश लगभग एक घंटे से अपने लण्ड पर काबू किये आस्था के जिस्म से खेल रहा था उसके लिए देर तक टिकना मुश्किल हो रहा था, इसलिए उसने अपने धक्को के स्पीड बढ़ा दी और अब उसकी लण्ड राजधानी एक्सप्रेस की तरह धकाधाक आस्था की चूत में धक्के मार रहा था, उधर आस्था भी मज़े से सीसिया रही थी की तभी उसकी चूत में मानो एक तूफ़ान सा उठा और उसका शरीर अकड़ने लगा, उसने हाथ आगे बढ़ा कर अंकुश को अपनी बाहों में लेना चाहा लेकिन अंकुश भी बस अपने चरम के करीब था उसने आखरी धक्का आस्था की चूत में लगाया और लण्ड आस्था की चूत से खींच कर बेड से कूद गया, उसने टेबल पर पड़े अखबार को खींचा और भरभरा कर सारा माल अख़बार पर निकल दिया, उसकी टाँगे काँप रही थी, उसने अखबार ज़मीन पर डाला और बिस्तर आकर आस्था के बगल में ढेर हो गया।