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Incest बेरहम है तेरा बेटा......1

कौन सा पात्र आपको ज्यादा पसदं है।

  • सोनू- कस्तुरी

    Votes: 7 77.8%
  • सोनू- फातीमा

    Votes: 2 22.2%
  • बेचन- शीला

    Votes: 0 0.0%
  • बेचन- सुगना

    Votes: 3 33.3%
  • कल्लू- मालती

    Votes: 2 22.2%

  • Total voters
    9
  • Poll closed .

Nikhil143

New Member
27
277
49
बेरहम है तेरा बेटा---1

अपडेट----9




वैभवी सोनू को जाते हुए देखते रहती हैं।
आज सोनू को पात नहीं क्यों बहुत तकलीफ हो रहीं थीं। वो
अपने घर पहंचकर सीधा अपने छत पर चला जाता है।
घर में सूुनीता के साथ कस्तुरी और आरती बैठी सोनू को जाते
देख कर सुनीता बोले।
सुुुनीता -- अरे सोनू बेटा कहां जा रहा है। थोड़ी देर बैठ हमारे
साथ भी।
सोनू-- नहीं मां मेेरा सर दुुख रहा हैं , मैं ऊपर छत पर सोने जा रहा
हूँ ।
सुनीता -- अरे बेटा आ मै तेरा सर दबा देती हूँ ......।
सोनू--- नही मा रहने दे।
इतना कह सोनू छत पर चला जता है............
कस्तूरी---- दीदी मैं देखती हूँ ........।
और कस्तुरी भी छत की तरफ चल देती है..........।
सोनू छत पर खाट पर लेट वैभवी की कही हुइ बाते सोच ही रहा
था की तभी कस्तुरी वहा आ जती है.......।
कस्तुरी खाट पर बैठते हुए सोनू के गाल को चूम लेती है ........।
सोनू----- चाची तुम जाओ यहा से........मेरा मुड़ खराब है।
कस्तुरी---- तो मै ठीक कर देती हूँ तेरा मुड़ ।
सोनू----- चाची तू जा अभी नही......मुझे अकेला रहने दे कुछ समय

कस्तुरी---- क्या हुआ कुछ बतायेगा भी?
सोनू---- चाची......मै तेरे हाथ जोड़ता हूं .....अभी जा तू।
कस्तुरी वहां से निचे चली आती है...............।
_____________________________________________________
बचन खेत में से सीधा घर आता है.......... जहा सीमा अपने माँ के
खाट के बगल वाली खाट पर लेटी थी।
सीमा जैसे ही अपने बापू को देखती है उठ कर खाट पर बैठ जाती
है........।
बचन---- सीमा बिटिया माँ नही दीख रही है?
सीमा---- बापू दादी....... शीला काकी के घर गई है.......।
बेचन----- अपने लंड को धोती के उपर से सहलाते हुए बोला की तू
नही गई ........।
सीमा ये नजारा देख शर्मा जाती है..........।
बेचन को इतना इशारा काफी था........... झुमरी तो मस्त
रजाई ओढ़ कर सो रही थी उसे इतना भी नही पता था की
उसकी बेटी और उसका मरद दोनो क्या गुल खिला रहे है..........।
बेचन धीरे से सीमा के नजदीक जा कर उसे अपने गोद में उठा लेता
है......।
सीमा (धीरे से)----- बापू ये क्या कर रहे हो?
बेचन (सीमा के कान में)----- चल उपर छत पे बताता हू........।
और सीमा को अपनी गोद में लिये छत पर आ जाता है। छत के घर
के अंदर बने कमरे में बेचन सीमा को खाट पर लिटा देता है.........

सीमा की सांसे बहुत तेज चल रही थी उसकी दोनो छतिया उपर
निचे हो रही थी....... जिसे देख बेचन खुद को रोक नही पाता
और सीमा के उपर लेट उसकी एक चुची अपने हाथ में ले कर जोर से
मसल देता है.......।
सीमा----- आह .....बापू क्या करते हो, मुझे शरम आती है।
बेचन----- बेटी तू अपने बापू को गलत मत समझ.......लेकीन अगर तुझे
पसंद नही तो रहने देता हू.........।
सीमा अपने बापू को दोनो हाथो से पकड़ लेती है..........।
सीमा----- बापू .......आप ना बड़े वो हो.......
बेचन सीमा की चुची को फीर से दबाकर----- क्या हूं बिटिया
मै ।
सीमा---- आह .....बापू तू पहले आग लगाता है और फीर कहेता है
की रहने दे अगर तूझे ठीक नही लगता तो........।
बेचन का लंड तो अंदर धोती में मस्त हो गया था ............।
बेचन----- बिटिया तेरी आग तो मै ऐसा ठंढा करूंगा की तू अपने
बापू को भूल नही पायेगी ।
सीमा----- तो जल्दी कर ना बापू नही तो वो कमीनी दादी
आ जायेगी ।
ये सुनते ही बेचन ने अपने कपड़े उतार फेंके उसका 6 इन्च का लंड
तंतना कर खड़ा था ......जीसे देख सीमा पागल हो जाती है
......उसने पहेली बार लंड देखा था और वो भी अपने बापू का ।
सीमा---- हाय रे बापू ....... ये कितना बड़ा है।
बेचन सीमा के करीब अपना लंड ले कर जाता है.............।
बेचन------ जरा हाथ में ले कर देख तो सही मेरी लंगडी घोडी ।
सीमा बेचन का लंड हाथ में जैसे ही पकड़ती है उसका शरीर पुरा
अंदर तक कांप जाता है ।
बेचन---- अब इसे हिला थोड़ा बेटी ।
सीमा बेचन के लंड को हिलाने लगती है ....... बेचन इतने जोश में
था की उसने सीमा को नंगी कर दिया ।
सीमा के बड़े बड़े खर्बुजे जैसे चुचीया और उसकी मोटी गोरी
गांड उसे पागल कर दीया ।
बेचन ने सीमा की चुचियो पर धावा बोल उसे आराम आराम से
चूसने और दबाने लगता है ........... तभी एक अवाज उनके सारे
जोश को ठंढा कर देती है......।
बेचन बेटा ........कहा है तू?
सीमा----- आ गई हरामजादि ,
बेचन और सीमा फटाफट अपने कपड़े पहनते है ........और बेचन छत से
नीचे आ जाता है........।
सीमा भी बैठ कर घिसक घिसक कर सीढियों से आंगन में आ
जाती है।
बेचन---- क्या हुआ अम्मा ।
सुगना --- अरे शीला को बिछुुुआ डंंक मार दीया है................।
बेचन---- ठीक है मै जाता हू झाड़ दूंगा ..........उसका लंड धोती
में टेंट बनाये हुए था जीसे उसकी अम्मा ने देख लिया था ।
सुगना समझ गई की ये जरुर कुछ सीमा के साथ गड़बड़ कर रहा था
। लेकीन तब तक बेचन जा चुका था ।
वैभवी अपने घर में बैठी आज यही सोच रही थी की मुझे
ऐसा नही करना चाहिये था ........बेचारा सोनू क्या सोचता
होगा मेरे बारे मे।
तभी उसकी माँ पारुल आ जाती है ......... ।
पारुल---- अरे मेरी प्यारी बेटी कीस खयाल मे डूबी है।
वैभवी ने पारुल को वो सारी बात बता दिया.............।
पारुल----- तुम्हे ऐसा नही करना चाहिये था बेटा । अब कभी
मिलेगी तो सॉरी जरुर बोल देना ।
वैभवी---- अरे माँ मैने sorry बोला उसको, लेकीन वो फीर भी
मुझसे नाराज है । बोलता है आज के बाद कभी बात नही करूंगा
........तो मत करे मुझें कौन सा फर्क गिरता है।
पारुल ( उसके करीब आते हुए)---- अगर फर्क नही गिरता ना तो
मेरी बेटी अकेले में बैठ उसके बारे में सोचती नही ।
वैभवी----- अरे माँ मै तो ......वो इसलिये सोच रही थी की मैने
गलती की है ।
पारुल----- ok बाबा चल अब शांत हो जा ।
वैभवी----- माँ .......मै सोच रही थी की एक बार जा कर फीर से
sorry बोल दूँ ।
पारुल---- ये तो और अच्छी बात है।
वैभवी ठीक है मा तो मै जाती हूँ ..........
parul---- अरे रूक बाद मे चली जाना ।
वैभवी---- मै जा रही हू माँ .........और पारुल से कार की चाभी
ले कर गाव की तरफ चल देती है ।
वैभवी जल्द ही गाँव के रास्ते अपनी कार चलते हुए एक दुकान पर
रोकती है ......।
वैभवी----- काका ये सोनू का घर कहा पडेगा?
बस बेटी वो सफेद मकान उसी का है.......।
वैभवी--- thanks......काका ।
वैभवी की कार सोनू के घर के सामने रुकती है जिसे देख सुनीता
कस्तुरी और अनीता खड़ी हो जाती है।
वैभवी घर में आते ही ..................
वैभवी------ नमस्ते aunty......।
सुनीता----- नमस्ते ।
वैभवी----- सोनू है घर में, मेरा नाम वैभवी है और मै आपके गाँव के
डॉक्टर पारुल की बेटी हूँ ।
सुनीता----- अरे तुम पारुल जी की बेटी हो ....... बैठो ना बेटी
खड़ी क्यूँ हो।
वैभवी खाट पर बैठ जाती है..........।
सुनीता----- कस्तूरी तू सोनू को बुला जरा ।
अनन्या पानी ले के आती है...... और वैभवी को देती है ।
वैभवी पानी का गिलास ले कर पानी पीती है ।
सुनीता----- और बताओ बेटी कैसे आना हुआ ।
वैभवी----- अरे आंटी वो मुझे ना थोड़ा पहाड़ी घुमना था
......और मैं यहा किसी को जानती नही सिर्फ सोनू को छोड़
कर तो सोचा वही मुझे घुमा देगा ।
सुनीता---- हा बेटी जरूर ।
तभी सोनू आ जाता है...... वो वैभवी को देख कर खुश हो
जाता है लेकीन वो अपनी खुशी जाहिर नही करता ।
सोनू----- आप यहाँ हमारे घर पर ।
वैभवी---- क्यूँ मै नही आ सकती क्या aunty..... ?
सुनीता--- अरे कभी भी बेटी । सोनू बेटा इनको पहाड़ी घुमना है
जा जरा घुमा दे .......।
सोनू----- ठीक है माँ ।
और फिर सोनू वैभवी के साथ घर से निकल देता है।
वैभवी की कार एक सुनसान जगह जो गांव के पहाड़ी के तरफ़ था
वहां रुकती है ।
दोनो कार से नीचे उतरते है और वही एक पुल पर बैठ जाते है।
वैभवी--- सोनू मैने आज जो कीया उसके लिए I am really
sorry.....
सोनू---- अरे मैडम आप भी क्या ये बात दील पर ले कर बैठ गई ।
वैभवी--- वो क्या है ना सोनू मुझें थोड़ा भी अच्छा नही लगता
जब कोई अन्दर से दुखी होता है।
सोनू---- अच्छा ठीक है, वैसे एक बात कहूँ ।
वैभवी--- हा कहो ।
सोनू--- आज आप बहुत खूब्सुरत लग रही हू।
वैभवी---- सोनू ........ तुम फीर शुरु हो गये.....और थोड़ा मुस्कुरा
देती है।
सोनू--- पता नही क्यूँ आप को देखता हूँ तो।
वैभवी---- देखते हो तो क्या?
सोनू---- सब कुछ भूल जाता हू......। कुछ समझ नही आता मन
करता है की बस आपके साथ पुरी जिन्दगी गुजार दूं ।
वैभवी----पुरी जिन्दगी गुज़रना साथ में बहुत मुश्क़िल है सोनू । मैं
तुमसे एक बात बताना चाहती हू।
सोनू--- हां बोलिए।
वैभवी--- मैं मुंबई में जीस कॉलेज में पढ़ती हूं । उसी कॉलेज में एक
लड़का पढ़ता है। तो.......मैं और वो एक दुसरे से प्यार करते है.....।
मुझें पता हैं की तुम मुझें चाहते हो .......लेकिन।
सोनू---- लेकीन आप किसी और की हो....... कोई बात नही मैं
तो बस ऐसे ही.....जो मन में आता है बोल देता हू। और वैसे भी
आप5भी डॉक्टर वो भी डॉक्टर दोनो की जोड़ी भी अच्छी
है ।
मेरे साथ भला क्या जोड़ी बनेगी आप की.......।
वैभवी----- सोनू ........लेकीन हम दोस्त हमेशा रहेंगे ।
सोनू---- वो क्या है ना मैडम ...... अगर आप के साथ5ज्यादा
वक़्त बिताउंगा तो बहुत गजब वाला प्यार हो जायेगा । तो
हमारा दूर रहेना ही ठीक होगा ।
वैभवी कुछ बोल नही पाती ........कुछ देर दोनो शांत रहते है फीर
सोनू बोला ।
सोनू-- अन्धेरा होने वाला है ......हमे अब घर चलना चाहिये।
सोनू का दील अन्दर ही अन्दर रह रह कर रो रहा था ।
वैभवी सोनू को घर छोड़ती है और फीर अपने घर चली जाती है ।
सोनू घर में बैठा अकेला वैभवी के बारे में सोच सोच कर रो रहा
था ......
सोनू(मन मे)---- अरे यार कहा से मुझें प्यार व्यार हो गया
......आज के बाद कभी किसी से प्यार ही नही करूंगा ......... ।
--------------------------------------------------------------------------------------
कल्लू अरे वो कल्लू किधर है तू ..................
कल्लू--- हां मां क्या हुआ कल्लू अन्दर से आवाज़ लगाता है?
मालती कल्लू के कमरे में आती है .............
मालती----- तूने आज फीर से मेरी चाद्ढी में छेद कीया, तुझे4शर्म
नही आती.......।
कल्लू--- मां वो मै ........ वो।
मालती----- कल्लू के करीब आती है--- क्या वो मै वो लगा रखा
है ।
कल्लू---- मां तू ना चड्ढी मत पहना कर ।
मालती---- वो हो ......तो क्या नंगी घुमू तेरे सामने ।
कल्लू--- घूम ना मां ......कसम से कितनी मस्त लगेगी तू नंगी ।
मालती--- बेशर्म ......अपनी मा को नंगा करके तुझे शर्म नही
आयेगी?
कल्लू--- नही मा ......एक बार हो जा ना नंगी ।
मालती---- तू बहुत बदमाश हो गया है ........ तुझे शर्म नही आती
लेकीन मुझें तो आती है।
भला मै तेरे सामने नंगी कैसे ................
कल्लू मालती की सारी का पल्लू पकड़ कर खीचने लगता है.......
और फिर मालती के बदन पर लिपटी हुई सारी धीरे धीरे खुलने
लगती है ।
मालती----- बेटा ये क्या कर रहा है तू ......ये गलत है मै तेरी मां हू।
हालाकि मालती भी यही चाहती थी ........लेकीन4उसे
थोड़ी शर्म भी आ रही थी की जब वो एक दम से नंगी हो
जायेगी तो उसका बेटा क्या क्या करेगा उसके साथ
..........................।
कहानी को....... like aur comment Karen ke liye
thanks........dosto,
update thoda late mil raha hai aap logo ko uske liye
sorry..........thanks।
 

Nikhil143

New Member
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बेरहम है तेरा बेटा .......1


अपडेट---10




............नही बेटा ये गलत है....देख मैं तेरी मां हू।
और मां के साथ ऐसा नही करते बेटा ।
कल्लू अब तक मालती की साडी उसके बदन से अलग कर
चुका था ।
मालती अब सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज़ में खड़ी थी
...... ।
कल्लू--- मां पिछले 1 साल से तेरा गदराया बदन देख देख
कर मूठ मार रहा हू.....लेकीन तुझे तो अपने बेटे की कुछ
पड़ी ही नही है।
मालती---- मैं समझ रही हूं बेटा, की अब तू जवान हो
गया हैं, लेकीन ये सब मां के साथ नही करते बेटा ।
कल्लू मालती के करीब आ कर मालती की कमर में हाथ
डालकर जोर से उसे अपनी तरफ़ खींच लेता है।
मालती-- आह ......तू नही मानेगा ना।
कल्लू-- मैं तो मनता हूं, लेकीन ये नही मनता ना मां,
क्या करू?
मालती--- कौन नही मनता?
कल्लू मालती का हाथ पकड़ कर अपने टाइट हो गये लंड
पर उसका हाथ रख देती है.....।
मालती(चौकते हुए)---- हाय ......राम ये तो एक दम
कड़क हो गया हैं ।
कल्लू---- हां ना मां .......यहीं तो बात है।
मालती -- ठीक हैं मै इसे शांत कर देती हूं, लेकीन तू मेरे
साथ कुछ ऐसा वैसा नही करेगा ।
कल्लू--- कैसे शांत करेगी मां तू इसे
मालती--- जो तू अपने हाथो से करता है ......वो मैं कर
दूंगी ।
कल्लू---- मां ........मजा नही आयेगा।
मालती---- ओ ....हो, तो मेरा बेटा पुरा मज़ा चहता है।
कल्लू अपनी मां की एक चुची को अपने हथेली में
भर लेता हैं और वैसे ही रुक जाता हैं ।
मालती---- ये क्या हैं? तूने मेरी चुची क्यूँ पकड़ रखी हैं ।
कल्लू---- इतनी मस्त चुचियो को भला मसले कौन रह
सकता हैं .....मां और फीर कल्लू मालती की चुचियो
को जोर जोर से दबाने लगता है ।
मालती---- आह ......नही बेटा ....धीरे....आह धीरे
कर...दर्द हो रहा हैं ।
मालती खड़ी खड़ी कल्लू के बाहों में अपनी चुचियो
को अपने ही बेटे से मसलवा कर मस्त होती जा रही थी
....।
मालती कल्लू के बाहों में कभी ईधर छटपटाती तो
कभी उधर .।
कल्लू--- मां कसम तेरी चुचियो को देख कर मन कर रहा
है की खा जाऊँ ।
मालती---- आह ......इतनी जोर जोर से दबा रहा है
......इ, अभी खाने का मन कर रहा हैं ।
कल्लू--- मां जरा अपनी चुचिया तो दिखा ।
मालती (मन में)--- अरे ये चुतिया कैसा मर्द हैं हर
चीज पुछ पुछ कर करेगा तो क्या चोदेगा मुझें ।
मालती---- नही बेटा, मुझें शर्म आती हैं । तू खुद देख ले
ना ।
कल्लू इतना सुनते ही उसके ब्लऊज को भी निकाल
फेंकता है .....।
मालती की दोनो चुचिया सोनू के सामने एकदम से
उंची उठी सलामी दे रही थी ।
कल्लू से रहा नही जा रहा था ......वो खड़े खड़े ही
मालती की चुचियो को मुह में भर कर चूसने लगता हैं
......।
मालती---- हाय रे .......बेटा, बचपन में ऐसे क्यूँ नही
चुसता था ।
कल्लू--- बचपन में मेरा खड़ा नही होता था ना मां ।
और फीर दोनो हंसने लगते हैं ........करीब 5 मिनट तक
कल्लू ने मालती की चुचियो को चुस चुस कर उसकी
चुचियो को फूला देता है ।
मालती--- अरे जालिम देख तूने क्या कीया ......मेरी
चुचियो को और बड़ा कर दीया ।
कल्लू----- तेरी चुचिया है ही जबरदस्त ।
कल्लू अपना पैंट उतार कर नंगा हो जाता है
......उसका खड़ा हुआ लंड देख कर मालती सोचने लगती
है ......वाह बेटा तेरा लंड सोनू के जितना भले ही बड़ा
क्यूँ ना हो लेकीन है दमदार की औरतो की बुर की
धज्जियां उड़ा दे ।
मालती---- इतना ......बड़ा कैसे हो गया रे बेटा ।
कल्लू---- तेरा ही दूध पी पी के हुआ है मां ।
मालती--- धत बदमाश, चल अच्छा खाट पर लेट जा मैं
इसे शांत कर देती हूं ।
कल्लू खाट पर लेट जाता है ........उसका लंड भी 7.5
इंच का खड़ा सलामी दे रहा था ।
मालती कल्लू के लंड को हाथ में लिए उपर नीचे करने
लगती है ।
कल्लू--- आह मां .....कसम से अपनी मां के हाथो लंड
हिलवाने का मज़ा ही कुछ और है.....।
मालती---- चुप बदमाश .........एक तो मुझे शर्म आ रही
है ....और उपर से तू इतनी गंदी गंदी बाते कर रहा है ।
कल्लू--- अरे मां, मै तूझे बता नही सकता कितना मज़ा
आ रहा है ।
मालती---- अच्छा एक बात पूछू बेटा?
कल्लू--- ऐसे ही हिलाती रह फ़िर पूंछ जो पूंछना है।
मालती---- तू और सोनू तो इतने चट्टे-बट्टे थे की एक
दुसरे के बिना दीन नही गुजरता था फीर दोनो में
दुश्मनी कैसे हो गायी ।
कल्लू--- तू जानना ही चाहती है तो बताता हूं .......।
वो अपने सरपंच की बेटी है ना ।
मालती--- कौन किरन ।
कल्लू--- हां किरन । उसके पीछे मैं लगा था ......और
बाद में जब मुझें पता चला की सोनू भी पीछे लगा है
तो मेरा मुड़ खराब हो गया । मैं सीधा सोनू के पास
गया और पुछा की तू उसके पीछे क्यूँ लगा हैं । जबकी मैं
उससे प्यार करता हूं ।
मालती---- तो फीर सोनू ने क्या कहा?
कल्लू---- वो बोलने लगा की मुझे पता ही नही था
की तु किरन को पसंद करता हैं नही तो तू तो मेरा यार
है तेरे लिए तो ऐसी हज़ारो लडकीया कुरबान ।
लेकीन मेरा मुड़ खराब था तो मैने उस दीन से उस से बात ही
करना छोड़ दीया ।
मालती---- तू भी ना एकदम पागल है, भला ऐसी छोटी बात पर
कोई बचपन की दोस्ती तोड़ता है क्या ।
कल्लू--- सही कहा मां, मन तो मेरा भी नही लगता बिना अपने
यार के ।
मालती -- तो फीर जा कर बात क्यूँ नही करता ।
कल्लू--- नही मा हिम्मत नही होती ।
मालती--- देख दोस्ती तूने तोडी थी, तो बनाना भी तुझे ही
पड़ेगा ।
कल्लू---- ठीक हैं मेरी प्यारी माँ ।
मालती---- वैसे तुम दोनो हो बड़े बदमाश......।
।कल्लू---- वो कैसे मां
मालती---- एक यहा अपनी मां के साथ बदमाशी कर रहा है और
दूसरा ........।
कल्लू---- दूसरा कहा कर रहा हैं ।
मालती--- छोड़ जाने दे ।
कल्लू --- मां बता ना मुझे जानना है .....।
मालती---- दूसरा सोहन की गांड मार मार कर चौड़ी कर रहा
है और क्या ।
कल्लू-- क्या ...............? तूने देखा
मालती---- हां गलती से । जब वो सोहन की बजा रहा था तो मै
कपडे ले कर घर आ रही थी अचानक से बारिश होने लगा तो मै
सोहन के घर में घुस गई तो वहा देखा तो सोहन की गांड में सोनू
का लंड घुसा था .....और वो किसी गधे की तरह चिल्ला रहा
था ।
कल्लू---- अरे मां ......मेरे यार का लंड है ही शानदार किसी का
भी जान आफत में डाल दे ।
मालती---- सच में कितना बड़ा हैं ......उसका ।
कल्लू--- वो मां ......मेरा भी कुछ कम नही हैं ......।
मालती ये सुन कर हंसने लगती है .......... ।
मालती---- अरे हां .......मेरे बेटे का भी किसी किसी औरत की
जान आफत में डाल सकता हैं ।
कल्लू-- हा लेकीन जब एक बार मेरे यार का लंड घुस जाये तो उस
बुर में ये लंड सिर्फ आने जाने लायक हो जायेगा ।
ये सुन मालती हंसने लगती है .........और बोली अरे तेरा निकल
क्यूं नही रहा हैं ।
कल्लू--- उसे तेरी रसदार बुर चाहिये मां फीर निकलेगा मां ।
मालती--- चुप बदमाश ।
कल्लू--- चल कुतीया बन ना मां तूझे चोदने का बड़ा मन कर रहा है

मालती---- नही मुझे नही चुदाना ।
कल्लू-- इतना तो हो गया मां अब मेरा लंड लेने में क्या तकलीफ
हैं ।
मालती---- तकलीफ है बेटा अगर कोई जान लेगा तो क्या
सोचेगा?
कल्लू - यही सोचेगा की एक बेटा अपनी माँ से कितना प्यार
करता है ।
मालती--- हा बेटा इतना प्यार की अपनी मां को चोद डाला

कल्लू ने अपनी मां को खींच कर अपने उपर लिटा लिया और
उसके गर्म मुह में अपना मुह डाल कर उसके होटो को चूसने लगा
........।
मालती भी कल्लू की बाहों में पड़ी उसका साथ देने लगी.......।
कल्लू मालती के होठो को चुसते चुसते अपना एक हाथ नीचे ले
जा कर उसका पेटी कोट उपर तक चढा दीया और मालती के
गांड को अपनी हथेलियो मे कस मसलने लगता है ।
मालती को और मस्ती छाने लगती है ......उसने कल्लू के होठो से
अपना होठ अलग कर ।
मालती---- ये क्या कर रहा है ....?
कल्लू--- तेरी गांड मसल रहा हूं ।
मालती--- तो सिर्फ मसलेगा ही या कुछ करेगा भी ।
कल्लू ---- सच मां ।
मालती हां में सर हिला देती है .........।
कल्लू खाट पर से उठ सीधा मालती को घोड़ी बना देता
है ।
कल्लू जीस गांड को 1 साल से देख देख कर4मूठ मार रहा था
......आज वही गांड उसके सामने थी । और उसे जैसे ये कह रही हो
आजा घुस जा मेरी गांड में ।
कल्लू अपनी मां की गांड को चूमने चाटने लगता है ...... जिससे
मालती का बदन पुरा का पुरा गरम हो जाता है ।
मालती----- आह .......बेटा कर ले आज जो करना है अपनी मां के
साथ ......आह तुझे मेरी गांड बहुत पसंद है ना ....आज से ये तेरी ही
है बेटा ।
कल्लू अपनी मा की बुर में एक उंगली डाल देता है ......जिससे
मालती की मस्ती और बढ़ जाती है ।
कल्लू अपनी मां की बुर में घपा घप उंगली पेले जा रहा था
.......।
मालती----- आह बेटा, बहुत मज़ा आ रहा है .....तेरी उंगलिया
इतनी कमाल कर रही है तो तेरा लंड कितना कमाल करेगा
....हाय रे दईया ।
कल्लू---- मेरा लंड लेने के लिए अभी तक नाटक कर रही थी साली
तू,
मालती---- अब डाल भी दे मेरा ....... aaaaaaaah.....प्यारा
बेटा । uuuuuuiiii.......मां अब सहा नही जाता ।
कल्लू---- एक थप्पड़ मालती के गांड पर जड़ देता है---- कमाल की
बुर है तेरी मां । चल अब तैयार हो जा अपने बेटे का लंड लेने के लिए

मालती---- आह .......मां, अब बस डाल कर फाड़ दे अपनी मां
की बुर बेटा । बहुत तडपया हैं ना इस बुर ने तुझे आज ले ले बदला
...आ ..aaaaaaaaaa...aaaaa....aaa....फ़ाड ..........दी
..........या रे ।
अब तक कल्लू ने अपनी मा की बुर मे अपना लंड आखरी छोर तक
पेल दीया था .......मालती की चिल्लहट इस बात का सबूत था
की उसकी बहुत दिनो से अनछुदी बुर आज अपने बुर के आखरी छोर
तक अपने बेटे का लंड लिए दर्द से चीख रही थी ।
कल्लू अपनी मस्ती में खोया अपना लंड खपा खप पेले जा रहा
था ,
करीब 5 मिनट मालती को चोदने के बाद ।
कल्लू--- मां मेरा गिरने वाला है .......।
मालती---- आह ........नही बेटा aaaaaaaaa.... मज़ा आ रहा है
। इतना जल्दी मत गिरा .......आह...मु झे......अधूरा मत छोड़
बेटा .....मैं तेरे पैर .......पड़ती हूं । बस थोड़ी देर और ।
कल्लू----- म....मैं .......गया मां ................और फीर कल्लू
अपनी मां को अधूरा छोड़ अपना पुरा पानी मालती के बुर में
छोड़ने लगता है ।
कल्लू अपनी मां के उपर ही गीर जाता है ........।
कल्लू----- मां माफ़ कर दे, वो थोड़ा अपनी मां को चोदने के
जोश में जल्दी झड़ गया ।
मालती---- कोई बात नही बेटा ......पहली बार होता हैं ।
लेकीन कसम से बता रही हूं इतना मज़ा आ रहा था और तू जो
बीच में ही हार मान गया .....दुसरी औरत होती तो तुझे कब का
लात मार कर चली गई होती ।
कल्लू--- आगे से तेरा ध्यान रखुगा मां ।
मालती--- आगे से नही बेटा, अभी फीर से तैयार हो जा और मुझे
संतुष्ट कर।
और फीर मालती कल्लू का लंड मुह में ले कर चूसने लगती है
.....बहुत जल्द ही कल्लू का लंड एकबार फीर से खड़ा हो जाता
है .....।
मालती खाट पर लेट कर अपनी टाँगे हवा में फैला कर अपने हाथो
से पकड़ लेती है ...... .।
मालती---- चल बेटा आजा, और अगर इस बार बीच में झरा तू ।
तो कभी ये बुर नही मिलेगी तुझे ।
कल्लू को अब डर सताने लगा था की कही मै जल्दी ना झर
जाऊँ।
कल्लू अपना बड़ा लंड मालती के बुर पर रख गुस्से में इतनी जोर
का धक्का मरता हैं की ......मालती का मुह खुला का खुला रह
जाता हैं ....वो चिल्लाने लगती है ।
कल्लू--- चुप साली, लंड लेने का बहुत शौक है ना तुझे ले फिर, और
फीर एक जोर दार धक्का जड़ देता है ।
कुछ समय तक मालती दर्द से जूझने के बाद मस्ती की गहराइयों
में पहुंच जाती हैं ।
मालती अब अपनी गांड उठा उठा कर मजे ले रही थी ।
मालती ----- आ.............ह, बेटा झड़ना मत। बहुत मज़ा आ रहा
है.....चोद मुझे अगर ......आह तूने मेरा ......आह पानी निकाल
दीया तो .....उईईईई...मां । तेरी रखैल बन कर आह रहूंगी।
ये सुनते ही कल्लू के अन्दर जोश के गुब्बारे फटने लगते हैं ।
वो मालती को किसी रंडी की तरह जोर जोर से चोदने लगता
है .....।
कल्लू----- ले साली, मदर्चोद तू मेरी रखैल नही .....रंड़ी बनकर
रहेगी । बोल मैं तेरी रंड़ी हूं ।
मालती अपने बुर में इतनी जोर जोर से लग रहे धक्के की वजह से
उसका पानी निकलने के कगार पर आ जाता है .....उसे वो मज़ा
मील रहा था जिसे वो पहले अपने मरद से भी नही पाई थी ।
मालती----- हा आआआआ......मै .....teri रंडी हू......चोद,
साले मैं गई ...... आह ......निक्लालाआआआआ.......mera
panini.....।
और फीर मालती की बुर कल्लू के बुर को जाकाड़ने लगती
है......aurमालती कल्लू से एकदम से चिपक जाती हैं और अपना
पानी छोड़ने लगती है.......।
कल्लू भी 2, 4 धक्के जम कर लगाता है और पानी पुरा मालती
के बुर में भरने लगता हैं ।
तहवस का तुफान शांत हो गया था मां बेटा दोनो मदर्जात
नंगे एक दुसरे से चिपक अपनी-अपनी सांसे काबू में कर रहे थे ।
कल्लू अपना मुह उठा कर मालती की तरफ़ देखता हैं .....।
मालती भी उसे बड़े प्यार से देख उसका बाल सहलाने लगती हैं
....और कल्लू के होठो को चूम लेती हैं ।
कल्लू---- मां तूने क्या कहा था?
मालती (कल्लू का बाल सहलाते हुए)----- मैने क्या कहा था?
कल्लू---- यही की अगर मै तेरा पानी निकाल दीया तो तू मेरी
रंड़ी ।
मालती--- हाय रे दईया ........मतलब तू अपनी मां को अब रंडी
बनाकर रखेगा ।
कल्लू (अपनी मां के होठो को चूम्ते हुए)---- नही मा अपनी
पत्नी बनाकर ।
ये सुन मालती शर्मा जाती है और शर्माते हुए बोली----- तो बना
तो लिया तूने मुझे अपनी पत्नी ।
कल्लू मालती को बड़े प्यार से चूमने चाटने लगता है........।
मालती---- वैसे तेरा दोस्त, मुझें चोदने के फिराक़ में हैं । तो सोच
रही थी एक बार उसके साथ भी सो के देख लूँ ( मालती मज़ाक
करते हुए)
कल्लू--- नही नही ..... अगर एक बार सोनू ने चोदा तो, तू तो मुझे
भूल ही जायेगी । ऐसा मत करना पगली नही तो मै तो जीते
जीते मर जाऊंगा ।
ये सुन मालती कल्लू के मुह पर हाथ रख देती है .......।
मालती---- दुबारा मरने वर्ने की बात मत करना, मरे तेरे दुश्मन ।
क्या चुदाइ तुझसे बढ़ कर है.....मेरे लिए तो तू ही सब कुछ है ....
मेरा बेटा ., मेरा पति .....सब कुछ। और वैसे भी मेरा बेटा, अपनी
मां की बुरी तरह से बजा लेता है ।
कल्लू ने मालती की आंखो में देखा जो अब तक भीग चुकी थी
...... usne मालती की पलको को चूम लिया ।
और फीर दोनो के होठ एक हो जाते है .................... ।
कहनी के 2 lacs views पुरा होने पर thanks dosto.....।
 

Nikhil143

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बेरहम हैं तेरा बेटा ........1


अपडेट------11



अनन्या सुनहरी की बड़ी बेटी घर के आंगन में बने मुसल खाने में
नहा रही थी .......तभी वहा कस्तूरी आ जाती हैं ।
कस्तूरी---- अरे अनन्या कितना देर से नहा रही है, थोड़ा जल्दी
नहा मुझे भी नहाना हैं ।
अनन्या--- बस हो गया चाची नहा चुकी हूं ।
कस्तूरी की नजर अनन्या के बढ़े हुए चुचियो पर पड़ती हैं ।
कस्तूरी---- क्या बात हैं, अभी आम का समय आया भी नही है,
फीर भी मेरी अनन्या बेटी का आम इतना बड़ा हो गया हैं ।
अनन्या--- कैसा आम चाची?
कस्तूरी--- अरे तेरे आम बेटी ।
अनन्या--- शर्मा जाती है , क्या चाची आप भी ना कितनी
गंदी हो ।
कस्तूरी--- अच्छा बेटी, सच बोली तो मैं गंदी हो गई ।
तभी सुनीता भी वहां आ जाती है ........।
सुनीता----- कस्तूरी तू नहायी नही अभी तक ।
कस्तूरी--- अरे दीदी, ये अनन्या को तो पहले नहाने दो । कितना
रगड़ रगड़ कर नहा रही हैं ।
सुनीता---- अच्छा ठीक हैं , तू भी नहा ले जल्दी से....... और कह
कर वहा से चली जाती हैं ।
अनन्या अब तक नहा कर कपड़े भी बदल चुकी थी ।
कस्तूरी भी नहाने के लिए जैसे ही अपना ब्लऊज निकलती हैं ।
अनन्या--- खुद बड़े बड़े खर्बुजे ले के घूम रही हो चाची और तुम आम
की बात कर रही हो ।
कस्तूरी ये सुन कर हंसने लगती है .............अरे अनन्या बेटी, जब
तेरी भी शादी हो जायेगी ना तो तेरा भी आम खर्बुजे जैसा
हो जायेगा ।
ये सुन अनन्या शर्मा कर वहां से भाग जाती हैं .......।
कस्तूरी नहाते नहाते उसका ध्यान उसकी बुर पर जाता है
.......जो सोनू का लंड लेके खुल चुकी थी, कस्तूरी अपने बुर पर
हाथ रखते ही उसके मुह से .......सी, सी की आवाज़ निकलती है
और सोनू के लंड के सपनो में जैसे खो जाती है ।
कस्तूरी (मन में)---- आह ....... सोनू क्या हालत कर दी तूने अपने
चाची के बुर की, पुरा का पुरा खोल दीया । बस अब तू इसको
खोलते जा बेटा तेरे लंड के बिना अब चैन नही आता रे....।
तभी वहा अनीता पहुंच जाती है .......कस्तूरी की आंखे बंद थी
और उसका एक उंगली उसके बुर में था ......कस्तूरी की सूजी हुई बुर
देख कर अनीता ये समझ जाती है की कस्तूरी ने सोनू के लंड से
अपनी बुर खुलवा ली है ।
अनीता--- अब नहा भी लो दीदी ।
ये सुन कस्तूरी हड़बड़ा जाती है .....और जैसे ही आंख खोलती है
उसके सामने अनीता खड़ी थी ।
कस्तूरी---- अरे तुने तो, मुझे डरा ही दीया । मुझे लगा कौन आ
गया?
अनीता--- हा दीदी, तुम्हे लगा सोनू आ गया ।
कस्तूरी --- धत बेशरम .....और शरमा जाती है ।
अनीता----- दीदी, फीर तुमने आखिर सोनू से खुलवा ही लिया
अपना ।
कस्तूरी---- हाय रे, अनीता बड़ा बेरहम है ......सच में औरतों पर
रहम नही करता .....लेकीन मज़ा भी बहुत देता हैं ।
अनीता---- तुम्हारे ही तो मज़े हैं दीदी ।
कस्तूरी---- तू चिंता मत कर, तेरा भी जुगाड़ लगती हूं सोनू का
लंड तेरा भी फाड़ फाड़ कर चोदेगा । तेरी बुर ........
अनीता शर्मा जाती है और जैसे ही वहां से जाने को होती हैं
कस्तूरी उसका हाथ पकड़ अपनी तरफ़ खींच लेती हैं ।
अनीता---- आह .....दीदी क्या करती हो ......छोड़ो कोई देख
लेगा ।
कस्तूरी ने अपना हाथ अनीता की चुचियो पर रख जोर जोर से
मसलने लगती हैं .....।
अनीता---- आह दीदी .....दर्द हो रहा है .....थोड़ा धी.......रे।
तुम भी सोनू से .....आह चुदवा कर उसकी तरह बेरहम हो गई हो
क्या ।
कस्तूरी---- मेरी बेरहमी कुछ नही है ....अनीता । जब सोनू तेरी
चुचिया मसलेगा तब पता चलेगा ....... aur फीर कस्तूरी अपना
मुह अनीता के मुह में डाल देती हैं ।
अनीता भी गरम हो चुकी थी, उसकी शादी होते ही उसका
पति शहर गया तो आया ही नही ......वो भी लंड के लिए हमेशा
तडपती रहती थी ।
और आज जब कस्तूरी ने उसकी जवानी को छेड़ा तो उसका बदन
हवस के आग में जलने लगा ।
कस्तूरी अपने दोनो हाथो से अनीता की चुचिया मसल रही
थी, और अनीता भी अपना पुरा मुह कस्तूरी के मुह में घुसा उसके
होठो को चुस रही थी ......।
अरे बेशर्मो क्या रही हो तुम लोग ..........लेकीन अनीता और
कस्तूरी तो जैसे उस आवज को सुन ही नही रही थी, बस हवस की
आग में एक दुसरे को मसल रही थी ।
सुनीता ने पास जाकर ऊन दोनो को अलग कीया .......।
सुनीता---- घर पर तिन तिन जवान बेटियाँ है और तुम लोग
बेफिकर हो कर मसली मसला कर रही हो ।
कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, जब से तेरे बेटे ने अपना सांड जैसा
लंड घुसेड़ा है । कुछ समझ में ही नही आ रहा हैं ।
सुनीता--- तो क्यूँ घुसवा ली मेरे बेटे का लंड ।
कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, आसमां के तारे जो दिखा देता
है तेरे बेरहम बेटे का लंड ।
ये सुन सुनीता के बदन में तुफान सी उठने लगती हैं .......और
सोचने लगती है, अखिर कितना मज़ा देता है मेरे बेटे का लंड जो
भी ले रही है, उसके लंड की तारिफ करते नही थक रही है ।
कस्तूरी----- क्या हुआ दीदी कीस सोच में पड़ गयी? कही तुम
भी तो ......
सुनीता----- चुप छीनाल, और अपने चेहरे पर हल्की सी शर्म लिए
वहां से चली जाती है ..........।
_________€__________________€______________________
आज सोनू अपने खेत के बने झोपड़े में बैठा वैभवी को अपनी यादों
सें निकाल देने की कोशिश कर रहा था .....लेकीन वैभवी का
वो खुबसूरत प्यारा चेहरा उसके आंखो के सामने आ ही जाता था
.......वो एकदम पागल हो जाता है ।
सोनू सोचने लगा की यार मैं उसको कैसे भूलू , तभी सोहन वहां
आ जाता हैं ।
सोनू सोहन को देख कर सोचा ---- अब तो बस चुदायी करूंगा बस,
ताकी उसका खयाल ना आये.......लेकीन सोनू शायद ये नही
समझ रहा था की ......चुदायी की बात करते समय भी वो
वैभवी की ही बात कर रहा है .......जिसे वो भूल जाना चहता है

सोहन---- अरे मेरे राज क्या सोच रहे हो .......मेरा तो खयाल ही
नही रहा ।
सोनू---- भोस्ड़ी के ज्यादा बोल मत और मेरा लंड निकाल और
चुस ......।
सोहन बिना देर किये सोनू का लंड निकाल अपने मुह में भर लेता
है ।
सोनू लेटा हुआ अपने लंड को उसके मुह में घुसा रहा था
......लेकीन उसका ध्यान तो सिर्फ वैभवी के उपर ही था ।
करीब 5 मिनट से सोहन सोनू के लंड को चुस रहा था ।
सोहन---- क्या बात हैं ......राजा, आज ये फ़ौलाद खड़ा क्यूँ नही
हो रहा हैं ।
सोनू--- तु चुसता रह साले ......।
सोहन और 10 मिनट चुसता है लेकीन सोनू का लंड खड़ा ही
नही होता .......और खड़ा भी कैसे होता सोनू का ध्यान तो
अपने लंड पर नही बल्की वैभवी पर था ।
अखिर थक हार कर सोहन उसका लंड छोड़ देता है .......।
सोहन---- लगता है आज इसका मुड़ नही है ......मैं जा रहा हूं ।
सोनू---- ठीक है जा तू।
सोहन अपना गांड लिए झोपड़े से बाहर निकल जाता हैं ।
सोनू--- अरे यार ये लड़की आखिर मेरे खयालो से जा क्यूं नही रही
हैं । वो एकदम परेशान हो जाता है , और वही खाट पर पड़े फिर से
वैभवी के खयालो में खो जाता है .......।
और ईधर वैभवी भी बिस्तर पर पड़े सोनू के बारे में ही सोच रही
थी ।तभी पायल आ जाती हैं ........।
पायल---- कीस खयाल में खोयी हैं मेरी बेटी ।
वैभवी---- कुछ नही मा, वो मुझे कल मुंबई वापस जाना है exam
हैं, ना तो वही सोच रही थी ।
पायल--- लेकीन मेरी बेटी की आँखे तो कुछ और ही कह रही हैं ।
वैभवी--- अरे मां वही सोच रही थी मैं, और कुछ नही ।
पायल--- सच सच बता क्या बात हैं ......मैं तेरी मां ही नही तेरी
दोस्त भी हूं ।
वैभवी--- वो मां मैं सोनू के बारे में सोच रही थी .......आज उससे
जब मिली तो पता चला की वो मुझसे प्यार करता है........।
पायल--- तो तू भी तो उससे प्यार करती हैं ।
वैभवी--- नही मा मैं नही करती ......वो गांव का अनपढ़ और मैं
एक medical student कैसे, हो ही नही सकता ।
पायाल--- बेटी प्यार किसी status, की मुहमुहताज नही होती
वो तो बस हो जाता हैं । भगवान ने हमे जिन्दगीं दी हैं सिर्फ
जीने के लिए नही, बल्की उसके साथ जीने के लिए जिसके साथ
हम अपनी पुरी जीन्दगी गुजार सके । और रही बात तेरी जो तू
बोल रही है की तू सोनू को प्यार नही करती, अगर सच में नही
करती तो उसके बारे में सोचती ही नही ।
देख बेटी ये जिन्दगी तेरी है तो तू ही फैसला कर सोनू तेरे लिए
सही है या नही ........ ।
वैभवी पारुल की बाहों में अपना सर रख कर लेट जाती हैं .......।
वैभवी --- मां ये लड़का तो मेरी नींद ही चुरा लिया है
......मुंबई में इतने लड़के मेरे दोस्त है, लेकीन कभी उतना नही
सोचा जितना ये कमीने के बारे में सोच रही हूँ ।
पारुल---- यहीं तो प्यार हैं .........जा जाकर बोल दे ।
वैभवी का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है ........।
वैभवी---- नही मा थोड़ा तड़पने दे .......... उसको, अब जब मुंबई से
आऊंगी तब ही उसको propose करूंग। तब तक थोड़ा तडपा लूँ, हक़
है मेरा ।
पारुल---- ठीक है तड़पा ले, बाद में वो वसूल भी कर लेगा, हक़ है
उसका ।
वैभवी (शर्मा कर)----- मां .......तुम भी ना ।
पारुल---- अच्छा सो जा, कल तुझे निकलना भी हैं ।
वैभवी ठीक है मां और फिर बेड पर लेट जाती है...... वो सोने
की कोशिश करती है लेकीन नींद उसकी आंखो से कोशो मील
दूर थी ................।
-----------------------------------------------------------------
()-------------------
बेचन घर में बैठा खाना खा रहा था, बकी लोग सब खाना खा
चुके थे ......वो खाना खाते खाते सीमा को ही देख रहा था,
और साथ में दारु की शीशी भी हलक मे उतार रहा था ।
सुगना --- सीमा तेरा बिस्तरा, बहु के बगल में लगा दीया है ।
सीमा--- तू कहा सोयेगी दादी?
सुगना---- मैं दुसरे कमरे में जा रही हू सोने ।
ये सुन बेचन खुश हो जाता है .....और सोचने लगता हैं की आज
तो अपनी बेटी को कली से फूल बना ही दूंगा, यही जोश में वो
फटा फट दो शीशी पी लेता है ......बेचन को बहुत चढ़ गई थी ।
वो खाना खत्म कर थोड़ा बाहर घुमने चला जाता है ........दारु
के नशे में लड़खड़ा कर चल रहा था ।
सीमा (मन में)--- आज तो बापू मेरी जम कर कुटाई करेंगे , तभी
रितु वहां आ जाती हैं ।
सुगना--- अरे रितु बेटा तू ।
रितु--- हा दाई वो मैं , सीमा को लेने आइ थी । कल से मेरा
परीक्षा है, तो अकेले पढ़ने में मन नही लगता और नींद भी आती हैं
। अगर सीमा रहेगी तो बात करते करते पढ़ भी लूंगी ।
सीमा--- अरे रितु, मुझे नींद आ रही है, तू जा मैं कल से आ जाऊंगी

सुगना--- जा चली जा, उसके साथ रहेगी तो वो पढ़ तो लेगी कम
से कम ।
सीमा भी मरती क्या ना करती, आज उसे रितु पर बहुत गुस्सा
आ रहा था .....लेकीन वो wheelchair पर बैठ रितु के साथ चली
जाती है ।
और ईधर सुगना भी सीमा के बिस्तरे पर लालटेन बुझा कर रजाई
ओढ़ लेट जाती है ।
घर के पिछवाड़े बेचन बीड़ी सुलगा कस लेता हुआ सोच रहा था
की थोड़ा लेट जाऊंगा, तब तक अम्मा भी सोने चली जायेगी ।
बेचन करीब 1 घंटे बाद घर में घुसता हैं, घर में अन्धेरा था, और
उपर से उसने चढा भी रखी थी ।
वो धीरे से सीमा के बिस्तरे के करीब जाता हैं, और रजाई
हटा कर बिस्तरे में घुस जाता हैं .......।
सुगना कस्मसाई, की ये कौन हैं ......तभी उसके कानो के बगल में
बहुत धीरे से आवाज़ आती हैं ।
सीमा बेटी तेरा बाप आ गया, तुझे कली से फूल बनाने ।
लेकीन बेचन को शायद ये नही पता था की, वो जिसे अपनी
बेटी समझ रहा है वो उसकी अम्मा हैं ।
खैर सुगना की हालत तो ये सुनसुनकर ही खराब हो जाती हैं
की एक बाप अपने बेटी को चोदने आया था , लेकीन कही ये
अपनी अम्मा ही ना चोद दे ।
लेकीन सुगना भी कुछ4नही बोलती, क्युकी बगल में उसकी बहु
जो लेती थी ।
बेचन का हाथ सुगना की चुचियो को पकड़ कर जोर जोर से
मस्लना शुरु कर दीया था ।
इतनी जोर जोर से मसलने पर सुगना की चुचियो में दर्द होने
लगा तो उसने अपने मुह में रजाई ठूंस लिया ।
शराब के नशे में धुत्त बेचन सुगना के उपर आ गया, और उसको
होठो को अपने मुह में भर जोर जोर से चूसने लगा ।
बेचन का जोश इतना था की एक 60 साल की औरत का भी
भोस्ड़ा फुदकने लगा, और वो औरत कोई और नही उसकी खुद की
अम्मा थी ।
शायद अब सुगना की भी बची खुची जवानी रंग लाई, उसने
भी सोहन को कस कर अपनी बाहो मे भर लिया, और अपने मुह
का कमाल दिखाने लगी ।
बेचन हवस मे इतना पागल हो गया था की, वो खाट पर खड़ा हो
गया और, अपना 6 इंच का लंड सुगना के मुह में डाल कर उसका
बाल जोर जोर से पकड़ उसका मुह चोदने लगा, जैसे वो बुर चोद
रहा हो
सुगना की सांसे अटक जाती जब बेचन का लंड अन्दर तक घुसता ।
खप्प खप्प की आवाज़ इतनी जोर दार थी की झुमरी की आंखे
खुल गई ।
और ईधर सुगना अपना मुह खोले बचन का लंड मजे से मुह में ले रही
थी ।
तभी बेचन ने सुगना का पैर उपर उठाया उसकी साडी सरक कर
कमर तक आ गई, सोहन ने अपना लंड सुगना के बुर पर रख जोरदार
धक्का मारा?, लंड आराम से सरकता सुगना के बुर पुरा घुस गया ।
सुगना--- आह, उह ......।
की आवाज़ से चदाई के मज़े लेने लगी । पुरे 20 साल बाद उसके
बुर में लंड घुसा था, और बेचन भी हुमच हुमच कर उसको चोद रहा
था ......खाट तो इतनी जोर जोर से चरर मरर कर रही थी की
झुमरी ये जान चुकी थी की किसी की चदाई हो रही है
.......lekink kiski?
अभी तक तो सिर्फ खाट की आवाज़ रही थी लेकीन अब सुगना
के बुर से भी फच्च फच्च की आवाज़ आने लगी ।
सुगना की बुर एक दम पानी से भर चुकी थी जिसके वजह से जब
बेचन का लंड उसमे घुसता तो फच्च फच्च की आवाज़ आती ।
सुगना जोश में बेचन को अपने तरफ़ खींच लेती हैं और कहती है,
सुगना ---- चोद मदर्चोद, अपनी बुढ्ही अम्मा, को चोद मज़ा
आ रहा है, मदर्चोद पहले क्यूँ नही चोदा ।
अपनी अम्मा का आवाज़ सुन कर बेचन का जोश ठंढा पड़
जाता है, और ईधर झुमरी भी आवक रह जाती हैं की उसका मरद
अपनी अम्मा को ही चोद रहा हैं ।
सुगना का पारा तब गरम हो जाता है जब बेचन उसको चोद्ते
चोद्ते रुक जाता है ।
सुगना ने खींच कर एक थप्पड़ बेचन के गाल पर मारा .......चोद
मधर्चोद, चोदने आया था ना , चोद अपनी अम्मा को ।
ये सुनते ही बेचन जोश में आता है और जोर जोर से उसकी बुर में
अपना लंड पलने लगता है ।
बचन---- ले मदर्चोद अपने बेटे का लंड, साली फाड़ दूंगा तेरी बुर मैं
भोस्ड़ी ।
सुगना--- आह .........चोद, और अन्दर डाल मदर्चोद, इतने से ही
.....आह अपनी मा का भोस्ड़ा फाड़ेगा ।
बेचन और तेज तेज धक्के मारने लगता है .....लेकीन जितना लंड है
उतना ही जायेगा ना ।
खैर धक्को की गति ने सुगना को झरने के कगार पर ला कर
खड़ा कर दीया ।
सुगना --- चोद, हा मै गई 20 साल बाद, आह और अन्दर डाल दे रे
कोई तो, और वो खुद बेचन को कस कर पकड़ खाट पर खड़ी हो
जाती है ......और अपनी गांड उठा उठा कर इतनी जोर जोर से
से धक्के मारने लगती है की ।
बचन का भी पानी सुगना के साथ ही निकल जाता है .......।
दोनो मा बेटे हाफ्ते हाँफते खाट पर लेट जाते हैं ........।
सुगना----- आह बेटा, तेरा लंड छोटा पड़ गया लेकीन मेरा पानी
निकाल दीया तुने ।
बेचन---- साली तू 60 साल की छीनाल औरत है, तुने तो मेरा
पानी निकाल दीया ......।
तभी जाग चुकी झुमरी ने कहा .......अरे कोई मेरा पानी भी
तो निकाल दो ...................।
 

Ben Tennyson

Its Hero Time !!
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भाई ये अपडेट तो कमाल कर गये प्यार मोहब्बत, दोस्ती और चरमसुख सब कुछ मिला के एक अलग ही मजा दे दिया
 
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बेरहम हैं तेरा बेटा ........1


अपडेट------11



अनन्या सुनहरी की बड़ी बेटी घर के आंगन में बने मुसल खाने में
नहा रही थी .......तभी वहा कस्तूरी आ जाती हैं ।
कस्तूरी---- अरे अनन्या कितना देर से नहा रही है, थोड़ा जल्दी
नहा मुझे भी नहाना हैं ।
अनन्या--- बस हो गया चाची नहा चुकी हूं ।
कस्तूरी की नजर अनन्या के बढ़े हुए चुचियो पर पड़ती हैं ।
कस्तूरी---- क्या बात हैं, अभी आम का समय आया भी नही है,
फीर भी मेरी अनन्या बेटी का आम इतना बड़ा हो गया हैं ।
अनन्या--- कैसा आम चाची?
कस्तूरी--- अरे तेरे आम बेटी ।
अनन्या--- शर्मा जाती है , क्या चाची आप भी ना कितनी
गंदी हो ।
कस्तूरी--- अच्छा बेटी, सच बोली तो मैं गंदी हो गई ।
तभी सुनीता भी वहां आ जाती है ........।
सुनीता----- कस्तूरी तू नहायी नही अभी तक ।
कस्तूरी--- अरे दीदी, ये अनन्या को तो पहले नहाने दो । कितना
रगड़ रगड़ कर नहा रही हैं ।
सुनीता---- अच्छा ठीक हैं , तू भी नहा ले जल्दी से....... और कह
कर वहा से चली जाती हैं ।
अनन्या अब तक नहा कर कपड़े भी बदल चुकी थी ।
कस्तूरी भी नहाने के लिए जैसे ही अपना ब्लऊज निकलती हैं ।
अनन्या--- खुद बड़े बड़े खर्बुजे ले के घूम रही हो चाची और तुम आम
की बात कर रही हो ।
कस्तूरी ये सुन कर हंसने लगती है .............अरे अनन्या बेटी, जब
तेरी भी शादी हो जायेगी ना तो तेरा भी आम खर्बुजे जैसा
हो जायेगा ।
ये सुन अनन्या शर्मा कर वहां से भाग जाती हैं .......।
कस्तूरी नहाते नहाते उसका ध्यान उसकी बुर पर जाता है
.......जो सोनू का लंड लेके खुल चुकी थी, कस्तूरी अपने बुर पर
हाथ रखते ही उसके मुह से .......सी, सी की आवाज़ निकलती है
और सोनू के लंड के सपनो में जैसे खो जाती है ।
कस्तूरी (मन में)---- आह ....... सोनू क्या हालत कर दी तूने अपने
चाची के बुर की, पुरा का पुरा खोल दीया । बस अब तू इसको
खोलते जा बेटा तेरे लंड के बिना अब चैन नही आता रे....।
तभी वहा अनीता पहुंच जाती है .......कस्तूरी की आंखे बंद थी
और उसका एक उंगली उसके बुर में था ......कस्तूरी की सूजी हुई बुर
देख कर अनीता ये समझ जाती है की कस्तूरी ने सोनू के लंड से
अपनी बुर खुलवा ली है ।
अनीता--- अब नहा भी लो दीदी ।
ये सुन कस्तूरी हड़बड़ा जाती है .....और जैसे ही आंख खोलती है
उसके सामने अनीता खड़ी थी ।
कस्तूरी---- अरे तुने तो, मुझे डरा ही दीया । मुझे लगा कौन आ
गया?
अनीता--- हा दीदी, तुम्हे लगा सोनू आ गया ।
कस्तूरी --- धत बेशरम .....और शरमा जाती है ।
अनीता----- दीदी, फीर तुमने आखिर सोनू से खुलवा ही लिया
अपना ।
कस्तूरी---- हाय रे, अनीता बड़ा बेरहम है ......सच में औरतों पर
रहम नही करता .....लेकीन मज़ा भी बहुत देता हैं ।
अनीता---- तुम्हारे ही तो मज़े हैं दीदी ।
कस्तूरी---- तू चिंता मत कर, तेरा भी जुगाड़ लगती हूं सोनू का
लंड तेरा भी फाड़ फाड़ कर चोदेगा । तेरी बुर ........
अनीता शर्मा जाती है और जैसे ही वहां से जाने को होती हैं
कस्तूरी उसका हाथ पकड़ अपनी तरफ़ खींच लेती हैं ।
अनीता---- आह .....दीदी क्या करती हो ......छोड़ो कोई देख
लेगा ।
कस्तूरी ने अपना हाथ अनीता की चुचियो पर रख जोर जोर से
मसलने लगती हैं .....।
अनीता---- आह दीदी .....दर्द हो रहा है .....थोड़ा धी.......रे।
तुम भी सोनू से .....आह चुदवा कर उसकी तरह बेरहम हो गई हो
क्या ।
कस्तूरी---- मेरी बेरहमी कुछ नही है ....अनीता । जब सोनू तेरी
चुचिया मसलेगा तब पता चलेगा ....... aur फीर कस्तूरी अपना
मुह अनीता के मुह में डाल देती हैं ।
अनीता भी गरम हो चुकी थी, उसकी शादी होते ही उसका
पति शहर गया तो आया ही नही ......वो भी लंड के लिए हमेशा
तडपती रहती थी ।
और आज जब कस्तूरी ने उसकी जवानी को छेड़ा तो उसका बदन
हवस के आग में जलने लगा ।
कस्तूरी अपने दोनो हाथो से अनीता की चुचिया मसल रही
थी, और अनीता भी अपना पुरा मुह कस्तूरी के मुह में घुसा उसके
होठो को चुस रही थी ......।
अरे बेशर्मो क्या रही हो तुम लोग ..........लेकीन अनीता और
कस्तूरी तो जैसे उस आवज को सुन ही नही रही थी, बस हवस की
आग में एक दुसरे को मसल रही थी ।
सुनीता ने पास जाकर ऊन दोनो को अलग कीया .......।
सुनीता---- घर पर तिन तिन जवान बेटियाँ है और तुम लोग
बेफिकर हो कर मसली मसला कर रही हो ।
कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, जब से तेरे बेटे ने अपना सांड जैसा
लंड घुसेड़ा है । कुछ समझ में ही नही आ रहा हैं ।
सुनीता--- तो क्यूँ घुसवा ली मेरे बेटे का लंड ।
कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, आसमां के तारे जो दिखा देता
है तेरे बेरहम बेटे का लंड ।
ये सुन सुनीता के बदन में तुफान सी उठने लगती हैं .......और
सोचने लगती है, अखिर कितना मज़ा देता है मेरे बेटे का लंड जो
भी ले रही है, उसके लंड की तारिफ करते नही थक रही है ।
कस्तूरी----- क्या हुआ दीदी कीस सोच में पड़ गयी? कही तुम
भी तो ......
सुनीता----- चुप छीनाल, और अपने चेहरे पर हल्की सी शर्म लिए
वहां से चली जाती है ..........।
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आज सोनू अपने खेत के बने झोपड़े में बैठा वैभवी को अपनी यादों
सें निकाल देने की कोशिश कर रहा था .....लेकीन वैभवी का
वो खुबसूरत प्यारा चेहरा उसके आंखो के सामने आ ही जाता था
.......वो एकदम पागल हो जाता है ।
सोनू सोचने लगा की यार मैं उसको कैसे भूलू , तभी सोहन वहां
आ जाता हैं ।
सोनू सोहन को देख कर सोचा ---- अब तो बस चुदायी करूंगा बस,
ताकी उसका खयाल ना आये.......लेकीन सोनू शायद ये नही
समझ रहा था की ......चुदायी की बात करते समय भी वो
वैभवी की ही बात कर रहा है .......जिसे वो भूल जाना चहता है

सोहन---- अरे मेरे राज क्या सोच रहे हो .......मेरा तो खयाल ही
नही रहा ।
सोनू---- भोस्ड़ी के ज्यादा बोल मत और मेरा लंड निकाल और
चुस ......।
सोहन बिना देर किये सोनू का लंड निकाल अपने मुह में भर लेता
है ।
सोनू लेटा हुआ अपने लंड को उसके मुह में घुसा रहा था
......लेकीन उसका ध्यान तो सिर्फ वैभवी के उपर ही था ।
करीब 5 मिनट से सोहन सोनू के लंड को चुस रहा था ।
सोहन---- क्या बात हैं ......राजा, आज ये फ़ौलाद खड़ा क्यूँ नही
हो रहा हैं ।
सोनू--- तु चुसता रह साले ......।
सोहन और 10 मिनट चुसता है लेकीन सोनू का लंड खड़ा ही
नही होता .......और खड़ा भी कैसे होता सोनू का ध्यान तो
अपने लंड पर नही बल्की वैभवी पर था ।
अखिर थक हार कर सोहन उसका लंड छोड़ देता है .......।
सोहन---- लगता है आज इसका मुड़ नही है ......मैं जा रहा हूं ।
सोनू---- ठीक है जा तू।
सोहन अपना गांड लिए झोपड़े से बाहर निकल जाता हैं ।
सोनू--- अरे यार ये लड़की आखिर मेरे खयालो से जा क्यूं नही रही
हैं । वो एकदम परेशान हो जाता है , और वही खाट पर पड़े फिर से
वैभवी के खयालो में खो जाता है .......।
और ईधर वैभवी भी बिस्तर पर पड़े सोनू के बारे में ही सोच रही
थी ।तभी पायल आ जाती हैं ........।
पायल---- कीस खयाल में खोयी हैं मेरी बेटी ।
वैभवी---- कुछ नही मा, वो मुझे कल मुंबई वापस जाना है exam
हैं, ना तो वही सोच रही थी ।
पायल--- लेकीन मेरी बेटी की आँखे तो कुछ और ही कह रही हैं ।
वैभवी--- अरे मां वही सोच रही थी मैं, और कुछ नही ।
पायल--- सच सच बता क्या बात हैं ......मैं तेरी मां ही नही तेरी
दोस्त भी हूं ।
वैभवी--- वो मां मैं सोनू के बारे में सोच रही थी .......आज उससे
जब मिली तो पता चला की वो मुझसे प्यार करता है........।
पायल--- तो तू भी तो उससे प्यार करती हैं ।
वैभवी--- नही मा मैं नही करती ......वो गांव का अनपढ़ और मैं
एक medical student कैसे, हो ही नही सकता ।
पायाल--- बेटी प्यार किसी status, की मुहमुहताज नही होती
वो तो बस हो जाता हैं । भगवान ने हमे जिन्दगीं दी हैं सिर्फ
जीने के लिए नही, बल्की उसके साथ जीने के लिए जिसके साथ
हम अपनी पुरी जीन्दगी गुजार सके । और रही बात तेरी जो तू
बोल रही है की तू सोनू को प्यार नही करती, अगर सच में नही
करती तो उसके बारे में सोचती ही नही ।
देख बेटी ये जिन्दगी तेरी है तो तू ही फैसला कर सोनू तेरे लिए
सही है या नही ........ ।
वैभवी पारुल की बाहों में अपना सर रख कर लेट जाती हैं .......।
वैभवी --- मां ये लड़का तो मेरी नींद ही चुरा लिया है
......मुंबई में इतने लड़के मेरे दोस्त है, लेकीन कभी उतना नही
सोचा जितना ये कमीने के बारे में सोच रही हूँ ।
पारुल---- यहीं तो प्यार हैं .........जा जाकर बोल दे ।
वैभवी का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है ........।
वैभवी---- नही मा थोड़ा तड़पने दे .......... उसको, अब जब मुंबई से
आऊंगी तब ही उसको propose करूंग। तब तक थोड़ा तडपा लूँ, हक़
है मेरा ।
पारुल---- ठीक है तड़पा ले, बाद में वो वसूल भी कर लेगा, हक़ है
उसका ।
वैभवी (शर्मा कर)----- मां .......तुम भी ना ।
पारुल---- अच्छा सो जा, कल तुझे निकलना भी हैं ।
वैभवी ठीक है मां और फिर बेड पर लेट जाती है...... वो सोने
की कोशिश करती है लेकीन नींद उसकी आंखो से कोशो मील
दूर थी ................।
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बेचन घर में बैठा खाना खा रहा था, बकी लोग सब खाना खा
चुके थे ......वो खाना खाते खाते सीमा को ही देख रहा था,
और साथ में दारु की शीशी भी हलक मे उतार रहा था ।
सुगना --- सीमा तेरा बिस्तरा, बहु के बगल में लगा दीया है ।
सीमा--- तू कहा सोयेगी दादी?
सुगना---- मैं दुसरे कमरे में जा रही हू सोने ।
ये सुन बेचन खुश हो जाता है .....और सोचने लगता हैं की आज
तो अपनी बेटी को कली से फूल बना ही दूंगा, यही जोश में वो
फटा फट दो शीशी पी लेता है ......बेचन को बहुत चढ़ गई थी ।
वो खाना खत्म कर थोड़ा बाहर घुमने चला जाता है ........दारु
के नशे में लड़खड़ा कर चल रहा था ।
सीमा (मन में)--- आज तो बापू मेरी जम कर कुटाई करेंगे , तभी
रितु वहां आ जाती हैं ।
सुगना--- अरे रितु बेटा तू ।
रितु--- हा दाई वो मैं , सीमा को लेने आइ थी । कल से मेरा
परीक्षा है, तो अकेले पढ़ने में मन नही लगता और नींद भी आती हैं
। अगर सीमा रहेगी तो बात करते करते पढ़ भी लूंगी ।
सीमा--- अरे रितु, मुझे नींद आ रही है, तू जा मैं कल से आ जाऊंगी

सुगना--- जा चली जा, उसके साथ रहेगी तो वो पढ़ तो लेगी कम
से कम ।
सीमा भी मरती क्या ना करती, आज उसे रितु पर बहुत गुस्सा
आ रहा था .....लेकीन वो wheelchair पर बैठ रितु के साथ चली
जाती है ।
और ईधर सुगना भी सीमा के बिस्तरे पर लालटेन बुझा कर रजाई
ओढ़ लेट जाती है ।
घर के पिछवाड़े बेचन बीड़ी सुलगा कस लेता हुआ सोच रहा था
की थोड़ा लेट जाऊंगा, तब तक अम्मा भी सोने चली जायेगी ।
बेचन करीब 1 घंटे बाद घर में घुसता हैं, घर में अन्धेरा था, और
उपर से उसने चढा भी रखी थी ।
वो धीरे से सीमा के बिस्तरे के करीब जाता हैं, और रजाई
हटा कर बिस्तरे में घुस जाता हैं .......।
सुगना कस्मसाई, की ये कौन हैं ......तभी उसके कानो के बगल में
बहुत धीरे से आवाज़ आती हैं ।
सीमा बेटी तेरा बाप आ गया, तुझे कली से फूल बनाने ।
लेकीन बेचन को शायद ये नही पता था की, वो जिसे अपनी
बेटी समझ रहा है वो उसकी अम्मा हैं ।
खैर सुगना की हालत तो ये सुनसुनकर ही खराब हो जाती हैं
की एक बाप अपने बेटी को चोदने आया था , लेकीन कही ये
अपनी अम्मा ही ना चोद दे ।
लेकीन सुगना भी कुछ4नही बोलती, क्युकी बगल में उसकी बहु
जो लेती थी ।
बेचन का हाथ सुगना की चुचियो को पकड़ कर जोर जोर से
मस्लना शुरु कर दीया था ।
इतनी जोर जोर से मसलने पर सुगना की चुचियो में दर्द होने
लगा तो उसने अपने मुह में रजाई ठूंस लिया ।
शराब के नशे में धुत्त बेचन सुगना के उपर आ गया, और उसको
होठो को अपने मुह में भर जोर जोर से चूसने लगा ।
बेचन का जोश इतना था की एक 60 साल की औरत का भी
भोस्ड़ा फुदकने लगा, और वो औरत कोई और नही उसकी खुद की
अम्मा थी ।
शायद अब सुगना की भी बची खुची जवानी रंग लाई, उसने
भी सोहन को कस कर अपनी बाहो मे भर लिया, और अपने मुह
का कमाल दिखाने लगी ।
बेचन हवस मे इतना पागल हो गया था की, वो खाट पर खड़ा हो
गया और, अपना 6 इंच का लंड सुगना के मुह में डाल कर उसका
बाल जोर जोर से पकड़ उसका मुह चोदने लगा, जैसे वो बुर चोद
रहा हो
सुगना की सांसे अटक जाती जब बेचन का लंड अन्दर तक घुसता ।
खप्प खप्प की आवाज़ इतनी जोर दार थी की झुमरी की आंखे
खुल गई ।
और ईधर सुगना अपना मुह खोले बचन का लंड मजे से मुह में ले रही
थी ।
तभी बेचन ने सुगना का पैर उपर उठाया उसकी साडी सरक कर
कमर तक आ गई, सोहन ने अपना लंड सुगना के बुर पर रख जोरदार
धक्का मारा?, लंड आराम से सरकता सुगना के बुर पुरा घुस गया ।
सुगना--- आह, उह ......।
की आवाज़ से चदाई के मज़े लेने लगी । पुरे 20 साल बाद उसके
बुर में लंड घुसा था, और बेचन भी हुमच हुमच कर उसको चोद रहा
था ......खाट तो इतनी जोर जोर से चरर मरर कर रही थी की
झुमरी ये जान चुकी थी की किसी की चदाई हो रही है
.......lekink kiski?
अभी तक तो सिर्फ खाट की आवाज़ रही थी लेकीन अब सुगना
के बुर से भी फच्च फच्च की आवाज़ आने लगी ।
सुगना की बुर एक दम पानी से भर चुकी थी जिसके वजह से जब
बेचन का लंड उसमे घुसता तो फच्च फच्च की आवाज़ आती ।
सुगना जोश में बेचन को अपने तरफ़ खींच लेती हैं और कहती है,
सुगना ---- चोद मदर्चोद, अपनी बुढ्ही अम्मा, को चोद मज़ा
आ रहा है, मदर्चोद पहले क्यूँ नही चोदा ।
अपनी अम्मा का आवाज़ सुन कर बेचन का जोश ठंढा पड़
जाता है, और ईधर झुमरी भी आवक रह जाती हैं की उसका मरद
अपनी अम्मा को ही चोद रहा हैं ।
सुगना का पारा तब गरम हो जाता है जब बेचन उसको चोद्ते
चोद्ते रुक जाता है ।
सुगना ने खींच कर एक थप्पड़ बेचन के गाल पर मारा .......चोद
मधर्चोद, चोदने आया था ना , चोद अपनी अम्मा को ।
ये सुनते ही बेचन जोश में आता है और जोर जोर से उसकी बुर में
अपना लंड पलने लगता है ।
बचन---- ले मदर्चोद अपने बेटे का लंड, साली फाड़ दूंगा तेरी बुर मैं
भोस्ड़ी ।
सुगना--- आह .........चोद, और अन्दर डाल मदर्चोद, इतने से ही
.....आह अपनी मा का भोस्ड़ा फाड़ेगा ।
बेचन और तेज तेज धक्के मारने लगता है .....लेकीन जितना लंड है
उतना ही जायेगा ना ।
खैर धक्को की गति ने सुगना को झरने के कगार पर ला कर
खड़ा कर दीया ।
सुगना --- चोद, हा मै गई 20 साल बाद, आह और अन्दर डाल दे रे
कोई तो, और वो खुद बेचन को कस कर पकड़ खाट पर खड़ी हो
जाती है ......और अपनी गांड उठा उठा कर इतनी जोर जोर से
से धक्के मारने लगती है की ।
बचन का भी पानी सुगना के साथ ही निकल जाता है .......।
दोनो मा बेटे हाफ्ते हाँफते खाट पर लेट जाते हैं ........।
सुगना----- आह बेटा, तेरा लंड छोटा पड़ गया लेकीन मेरा पानी
निकाल दीया तुने ।
बेचन---- साली तू 60 साल की छीनाल औरत है, तुने तो मेरा
पानी निकाल दीया ......।
तभी जाग चुकी झुमरी ने कहा .......अरे कोई मेरा पानी भी
तो निकाल दो ...................।
Awesome updates bro , just keep it up
 
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