बेरहम हैं तेरा बेटा ........1
अपडेट------11
अनन्या सुनहरी की बड़ी बेटी घर के आंगन में बने मुसल खाने में
नहा रही थी .......तभी वहा कस्तूरी आ जाती हैं ।
कस्तूरी---- अरे अनन्या कितना देर से नहा रही है, थोड़ा जल्दी
नहा मुझे भी नहाना हैं ।
अनन्या--- बस हो गया चाची नहा चुकी हूं ।
कस्तूरी की नजर अनन्या के बढ़े हुए चुचियो पर पड़ती हैं ।
कस्तूरी---- क्या बात हैं, अभी आम का समय आया भी नही है,
फीर भी मेरी अनन्या बेटी का आम इतना बड़ा हो गया हैं ।
अनन्या--- कैसा आम चाची?
कस्तूरी--- अरे तेरे आम बेटी ।
अनन्या--- शर्मा जाती है , क्या चाची आप भी ना कितनी
गंदी हो ।
कस्तूरी--- अच्छा बेटी, सच बोली तो मैं गंदी हो गई ।
तभी सुनीता भी वहां आ जाती है ........।
सुनीता----- कस्तूरी तू नहायी नही अभी तक ।
कस्तूरी--- अरे दीदी, ये अनन्या को तो पहले नहाने दो । कितना
रगड़ रगड़ कर नहा रही हैं ।
सुनीता---- अच्छा ठीक हैं , तू भी नहा ले जल्दी से....... और कह
कर वहा से चली जाती हैं ।
अनन्या अब तक नहा कर कपड़े भी बदल चुकी थी ।
कस्तूरी भी नहाने के लिए जैसे ही अपना ब्लऊज निकलती हैं ।
अनन्या--- खुद बड़े बड़े खर्बुजे ले के घूम रही हो चाची और तुम आम
की बात कर रही हो ।
कस्तूरी ये सुन कर हंसने लगती है .............अरे अनन्या बेटी, जब
तेरी भी शादी हो जायेगी ना तो तेरा भी आम खर्बुजे जैसा
हो जायेगा ।
ये सुन अनन्या शर्मा कर वहां से भाग जाती हैं .......।
कस्तूरी नहाते नहाते उसका ध्यान उसकी बुर पर जाता है
.......जो सोनू का लंड लेके खुल चुकी थी, कस्तूरी अपने बुर पर
हाथ रखते ही उसके मुह से .......सी, सी की आवाज़ निकलती है
और सोनू के लंड के सपनो में जैसे खो जाती है ।
कस्तूरी (मन में)---- आह ....... सोनू क्या हालत कर दी तूने अपने
चाची के बुर की, पुरा का पुरा खोल दीया । बस अब तू इसको
खोलते जा बेटा तेरे लंड के बिना अब चैन नही आता रे....।
तभी वहा अनीता पहुंच जाती है .......कस्तूरी की आंखे बंद थी
और उसका एक उंगली उसके बुर में था ......कस्तूरी की सूजी हुई बुर
देख कर अनीता ये समझ जाती है की कस्तूरी ने सोनू के लंड से
अपनी बुर खुलवा ली है ।
अनीता--- अब नहा भी लो दीदी ।
ये सुन कस्तूरी हड़बड़ा जाती है .....और जैसे ही आंख खोलती है
उसके सामने अनीता खड़ी थी ।
कस्तूरी---- अरे तुने तो, मुझे डरा ही दीया । मुझे लगा कौन आ
गया?
अनीता--- हा दीदी, तुम्हे लगा सोनू आ गया ।
कस्तूरी --- धत बेशरम .....और शरमा जाती है ।
अनीता----- दीदी, फीर तुमने आखिर सोनू से खुलवा ही लिया
अपना ।
कस्तूरी---- हाय रे, अनीता बड़ा बेरहम है ......सच में औरतों पर
रहम नही करता .....लेकीन मज़ा भी बहुत देता हैं ।
अनीता---- तुम्हारे ही तो मज़े हैं दीदी ।
कस्तूरी---- तू चिंता मत कर, तेरा भी जुगाड़ लगती हूं सोनू का
लंड तेरा भी फाड़ फाड़ कर चोदेगा । तेरी बुर ........
अनीता शर्मा जाती है और जैसे ही वहां से जाने को होती हैं
कस्तूरी उसका हाथ पकड़ अपनी तरफ़ खींच लेती हैं ।
अनीता---- आह .....दीदी क्या करती हो ......छोड़ो कोई देख
लेगा ।
कस्तूरी ने अपना हाथ अनीता की चुचियो पर रख जोर जोर से
मसलने लगती हैं .....।
अनीता---- आह दीदी .....दर्द हो रहा है .....थोड़ा धी.......रे।
तुम भी सोनू से .....आह चुदवा कर उसकी तरह बेरहम हो गई हो
क्या ।
कस्तूरी---- मेरी बेरहमी कुछ नही है ....अनीता । जब सोनू तेरी
चुचिया मसलेगा तब पता चलेगा ....... aur फीर कस्तूरी अपना
मुह अनीता के मुह में डाल देती हैं ।
अनीता भी गरम हो चुकी थी, उसकी शादी होते ही उसका
पति शहर गया तो आया ही नही ......वो भी लंड के लिए हमेशा
तडपती रहती थी ।
और आज जब कस्तूरी ने उसकी जवानी को छेड़ा तो उसका बदन
हवस के आग में जलने लगा ।
कस्तूरी अपने दोनो हाथो से अनीता की चुचिया मसल रही
थी, और अनीता भी अपना पुरा मुह कस्तूरी के मुह में घुसा उसके
होठो को चुस रही थी ......।
अरे बेशर्मो क्या रही हो तुम लोग ..........लेकीन अनीता और
कस्तूरी तो जैसे उस आवज को सुन ही नही रही थी, बस हवस की
आग में एक दुसरे को मसल रही थी ।
सुनीता ने पास जाकर ऊन दोनो को अलग कीया .......।
सुनीता---- घर पर तिन तिन जवान बेटियाँ है और तुम लोग
बेफिकर हो कर मसली मसला कर रही हो ।
कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, जब से तेरे बेटे ने अपना सांड जैसा
लंड घुसेड़ा है । कुछ समझ में ही नही आ रहा हैं ।
सुनीता--- तो क्यूँ घुसवा ली मेरे बेटे का लंड ।
कस्तूरी---- अब क्या करू दीदी, आसमां के तारे जो दिखा देता
है तेरे बेरहम बेटे का लंड ।
ये सुन सुनीता के बदन में तुफान सी उठने लगती हैं .......और
सोचने लगती है, अखिर कितना मज़ा देता है मेरे बेटे का लंड जो
भी ले रही है, उसके लंड की तारिफ करते नही थक रही है ।
कस्तूरी----- क्या हुआ दीदी कीस सोच में पड़ गयी? कही तुम
भी तो ......
सुनीता----- चुप छीनाल, और अपने चेहरे पर हल्की सी शर्म लिए
वहां से चली जाती है ..........।
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आज सोनू अपने खेत के बने झोपड़े में बैठा वैभवी को अपनी यादों
सें निकाल देने की कोशिश कर रहा था .....लेकीन वैभवी का
वो खुबसूरत प्यारा चेहरा उसके आंखो के सामने आ ही जाता था
.......वो एकदम पागल हो जाता है ।
सोनू सोचने लगा की यार मैं उसको कैसे भूलू , तभी सोहन वहां
आ जाता हैं ।
सोनू सोहन को देख कर सोचा ---- अब तो बस चुदायी करूंगा बस,
ताकी उसका खयाल ना आये.......लेकीन सोनू शायद ये नही
समझ रहा था की ......चुदायी की बात करते समय भी वो
वैभवी की ही बात कर रहा है .......जिसे वो भूल जाना चहता है
।
सोहन---- अरे मेरे राज क्या सोच रहे हो .......मेरा तो खयाल ही
नही रहा ।
सोनू---- भोस्ड़ी के ज्यादा बोल मत और मेरा लंड निकाल और
चुस ......।
सोहन बिना देर किये सोनू का लंड निकाल अपने मुह में भर लेता
है ।
सोनू लेटा हुआ अपने लंड को उसके मुह में घुसा रहा था
......लेकीन उसका ध्यान तो सिर्फ वैभवी के उपर ही था ।
करीब 5 मिनट से सोहन सोनू के लंड को चुस रहा था ।
सोहन---- क्या बात हैं ......राजा, आज ये फ़ौलाद खड़ा क्यूँ नही
हो रहा हैं ।
सोनू--- तु चुसता रह साले ......।
सोहन और 10 मिनट चुसता है लेकीन सोनू का लंड खड़ा ही
नही होता .......और खड़ा भी कैसे होता सोनू का ध्यान तो
अपने लंड पर नही बल्की वैभवी पर था ।
अखिर थक हार कर सोहन उसका लंड छोड़ देता है .......।
सोहन---- लगता है आज इसका मुड़ नही है ......मैं जा रहा हूं ।
सोनू---- ठीक है जा तू।
सोहन अपना गांड लिए झोपड़े से बाहर निकल जाता हैं ।
सोनू--- अरे यार ये लड़की आखिर मेरे खयालो से जा क्यूं नही रही
हैं । वो एकदम परेशान हो जाता है , और वही खाट पर पड़े फिर से
वैभवी के खयालो में खो जाता है .......।
और ईधर वैभवी भी बिस्तर पर पड़े सोनू के बारे में ही सोच रही
थी ।तभी पायल आ जाती हैं ........।
पायल---- कीस खयाल में खोयी हैं मेरी बेटी ।
वैभवी---- कुछ नही मा, वो मुझे कल मुंबई वापस जाना है exam
हैं, ना तो वही सोच रही थी ।
पायल--- लेकीन मेरी बेटी की आँखे तो कुछ और ही कह रही हैं ।
वैभवी--- अरे मां वही सोच रही थी मैं, और कुछ नही ।
पायल--- सच सच बता क्या बात हैं ......मैं तेरी मां ही नही तेरी
दोस्त भी हूं ।
वैभवी--- वो मां मैं सोनू के बारे में सोच रही थी .......आज उससे
जब मिली तो पता चला की वो मुझसे प्यार करता है........।
पायल--- तो तू भी तो उससे प्यार करती हैं ।
वैभवी--- नही मा मैं नही करती ......वो गांव का अनपढ़ और मैं
एक medical student कैसे, हो ही नही सकता ।
पायाल--- बेटी प्यार किसी status, की मुहमुहताज नही होती
वो तो बस हो जाता हैं । भगवान ने हमे जिन्दगीं दी हैं सिर्फ
जीने के लिए नही, बल्की उसके साथ जीने के लिए जिसके साथ
हम अपनी पुरी जीन्दगी गुजार सके । और रही बात तेरी जो तू
बोल रही है की तू सोनू को प्यार नही करती, अगर सच में नही
करती तो उसके बारे में सोचती ही नही ।
देख बेटी ये जिन्दगी तेरी है तो तू ही फैसला कर सोनू तेरे लिए
सही है या नही ........ ।
वैभवी पारुल की बाहों में अपना सर रख कर लेट जाती हैं .......।
वैभवी --- मां ये लड़का तो मेरी नींद ही चुरा लिया है
......मुंबई में इतने लड़के मेरे दोस्त है, लेकीन कभी उतना नही
सोचा जितना ये कमीने के बारे में सोच रही हूँ ।
पारुल---- यहीं तो प्यार हैं .........जा जाकर बोल दे ।
वैभवी का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है ........।
वैभवी---- नही मा थोड़ा तड़पने दे .......... उसको, अब जब मुंबई से
आऊंगी तब ही उसको propose करूंग। तब तक थोड़ा तडपा लूँ, हक़
है मेरा ।
पारुल---- ठीक है तड़पा ले, बाद में वो वसूल भी कर लेगा, हक़ है
उसका ।
वैभवी (शर्मा कर)----- मां .......तुम भी ना ।
पारुल---- अच्छा सो जा, कल तुझे निकलना भी हैं ।
वैभवी ठीक है मां और फिर बेड पर लेट जाती है...... वो सोने
की कोशिश करती है लेकीन नींद उसकी आंखो से कोशो मील
दूर थी ................।
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बेचन घर में बैठा खाना खा रहा था, बकी लोग सब खाना खा
चुके थे ......वो खाना खाते खाते सीमा को ही देख रहा था,
और साथ में दारु की शीशी भी हलक मे उतार रहा था ।
सुगना --- सीमा तेरा बिस्तरा, बहु के बगल में लगा दीया है ।
सीमा--- तू कहा सोयेगी दादी?
सुगना---- मैं दुसरे कमरे में जा रही हू सोने ।
ये सुन बेचन खुश हो जाता है .....और सोचने लगता हैं की आज
तो अपनी बेटी को कली से फूल बना ही दूंगा, यही जोश में वो
फटा फट दो शीशी पी लेता है ......बेचन को बहुत चढ़ गई थी ।
वो खाना खत्म कर थोड़ा बाहर घुमने चला जाता है ........दारु
के नशे में लड़खड़ा कर चल रहा था ।
सीमा (मन में)--- आज तो बापू मेरी जम कर कुटाई करेंगे , तभी
रितु वहां आ जाती हैं ।
सुगना--- अरे रितु बेटा तू ।
रितु--- हा दाई वो मैं , सीमा को लेने आइ थी । कल से मेरा
परीक्षा है, तो अकेले पढ़ने में मन नही लगता और नींद भी आती हैं
। अगर सीमा रहेगी तो बात करते करते पढ़ भी लूंगी ।
सीमा--- अरे रितु, मुझे नींद आ रही है, तू जा मैं कल से आ जाऊंगी
।
सुगना--- जा चली जा, उसके साथ रहेगी तो वो पढ़ तो लेगी कम
से कम ।
सीमा भी मरती क्या ना करती, आज उसे रितु पर बहुत गुस्सा
आ रहा था .....लेकीन वो wheelchair पर बैठ रितु के साथ चली
जाती है ।
और ईधर सुगना भी सीमा के बिस्तरे पर लालटेन बुझा कर रजाई
ओढ़ लेट जाती है ।
घर के पिछवाड़े बेचन बीड़ी सुलगा कस लेता हुआ सोच रहा था
की थोड़ा लेट जाऊंगा, तब तक अम्मा भी सोने चली जायेगी ।
बेचन करीब 1 घंटे बाद घर में घुसता हैं, घर में अन्धेरा था, और
उपर से उसने चढा भी रखी थी ।
वो धीरे से सीमा के बिस्तरे के करीब जाता हैं, और रजाई
हटा कर बिस्तरे में घुस जाता हैं .......।
सुगना कस्मसाई, की ये कौन हैं ......तभी उसके कानो के बगल में
बहुत धीरे से आवाज़ आती हैं ।
सीमा बेटी तेरा बाप आ गया, तुझे कली से फूल बनाने ।
लेकीन बेचन को शायद ये नही पता था की, वो जिसे अपनी
बेटी समझ रहा है वो उसकी अम्मा हैं ।
खैर सुगना की हालत तो ये सुनसुनकर ही खराब हो जाती हैं
की एक बाप अपने बेटी को चोदने आया था , लेकीन कही ये
अपनी अम्मा ही ना चोद दे ।
लेकीन सुगना भी कुछ4नही बोलती, क्युकी बगल में उसकी बहु
जो लेती थी ।
बेचन का हाथ सुगना की चुचियो को पकड़ कर जोर जोर से
मस्लना शुरु कर दीया था ।
इतनी जोर जोर से मसलने पर सुगना की चुचियो में दर्द होने
लगा तो उसने अपने मुह में रजाई ठूंस लिया ।
शराब के नशे में धुत्त बेचन सुगना के उपर आ गया, और उसको
होठो को अपने मुह में भर जोर जोर से चूसने लगा ।
बेचन का जोश इतना था की एक 60 साल की औरत का भी
भोस्ड़ा फुदकने लगा, और वो औरत कोई और नही उसकी खुद की
अम्मा थी ।
शायद अब सुगना की भी बची खुची जवानी रंग लाई, उसने
भी सोहन को कस कर अपनी बाहो मे भर लिया, और अपने मुह
का कमाल दिखाने लगी ।
बेचन हवस मे इतना पागल हो गया था की, वो खाट पर खड़ा हो
गया और, अपना 6 इंच का लंड सुगना के मुह में डाल कर उसका
बाल जोर जोर से पकड़ उसका मुह चोदने लगा, जैसे वो बुर चोद
रहा हो
सुगना की सांसे अटक जाती जब बेचन का लंड अन्दर तक घुसता ।
खप्प खप्प की आवाज़ इतनी जोर दार थी की झुमरी की आंखे
खुल गई ।
और ईधर सुगना अपना मुह खोले बचन का लंड मजे से मुह में ले रही
थी ।
तभी बेचन ने सुगना का पैर उपर उठाया उसकी साडी सरक कर
कमर तक आ गई, सोहन ने अपना लंड सुगना के बुर पर रख जोरदार
धक्का मारा?, लंड आराम से सरकता सुगना के बुर पुरा घुस गया ।
सुगना--- आह, उह ......।
की आवाज़ से चदाई के मज़े लेने लगी । पुरे 20 साल बाद उसके
बुर में लंड घुसा था, और बेचन भी हुमच हुमच कर उसको चोद रहा
था ......खाट तो इतनी जोर जोर से चरर मरर कर रही थी की
झुमरी ये जान चुकी थी की किसी की चदाई हो रही है
.......lekink kiski?
अभी तक तो सिर्फ खाट की आवाज़ रही थी लेकीन अब सुगना
के बुर से भी फच्च फच्च की आवाज़ आने लगी ।
सुगना की बुर एक दम पानी से भर चुकी थी जिसके वजह से जब
बेचन का लंड उसमे घुसता तो फच्च फच्च की आवाज़ आती ।
सुगना जोश में बेचन को अपने तरफ़ खींच लेती हैं और कहती है,
सुगना ---- चोद मदर्चोद, अपनी बुढ्ही अम्मा, को चोद मज़ा
आ रहा है, मदर्चोद पहले क्यूँ नही चोदा ।
अपनी अम्मा का आवाज़ सुन कर बेचन का जोश ठंढा पड़
जाता है, और ईधर झुमरी भी आवक रह जाती हैं की उसका मरद
अपनी अम्मा को ही चोद रहा हैं ।
सुगना का पारा तब गरम हो जाता है जब बेचन उसको चोद्ते
चोद्ते रुक जाता है ।
सुगना ने खींच कर एक थप्पड़ बेचन के गाल पर मारा .......चोद
मधर्चोद, चोदने आया था ना , चोद अपनी अम्मा को ।
ये सुनते ही बेचन जोश में आता है और जोर जोर से उसकी बुर में
अपना लंड पलने लगता है ।
बचन---- ले मदर्चोद अपने बेटे का लंड, साली फाड़ दूंगा तेरी बुर मैं
भोस्ड़ी ।
सुगना--- आह .........चोद, और अन्दर डाल मदर्चोद, इतने से ही
.....आह अपनी मा का भोस्ड़ा फाड़ेगा ।
बेचन और तेज तेज धक्के मारने लगता है .....लेकीन जितना लंड है
उतना ही जायेगा ना ।
खैर धक्को की गति ने सुगना को झरने के कगार पर ला कर
खड़ा कर दीया ।
सुगना --- चोद, हा मै गई 20 साल बाद, आह और अन्दर डाल दे रे
कोई तो, और वो खुद बेचन को कस कर पकड़ खाट पर खड़ी हो
जाती है ......और अपनी गांड उठा उठा कर इतनी जोर जोर से
से धक्के मारने लगती है की ।
बचन का भी पानी सुगना के साथ ही निकल जाता है .......।
दोनो मा बेटे हाफ्ते हाँफते खाट पर लेट जाते हैं ........।
सुगना----- आह बेटा, तेरा लंड छोटा पड़ गया लेकीन मेरा पानी
निकाल दीया तुने ।
बेचन---- साली तू 60 साल की छीनाल औरत है, तुने तो मेरा
पानी निकाल दीया ......।
तभी जाग चुकी झुमरी ने कहा .......अरे कोई मेरा पानी भी
तो निकाल दो ...................।