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Adultery बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई (Completed)

Kahani kaisi hai?

  • Achhi hai.

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  • Buri hai.

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andyking302

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मैं मुडकर चलने लगा तो उसने मुझे पिछे से आवाज लगाई, ‘समीर’।
मैं अपना नाम सुनकर चौंक गया और उसकी तरफ देखा। इसको मेरा नाम कैसे पता चला।
वो मेरे पास आई, और मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया और हाय कहा।
मैंने उससे हाय कहा।
मैं: सॉरी, पर आपको मेरा नाम कैसे पता चला।
लड़की: तुमने मुझे पहचाना नहीं?
मैं: अब मुंह पर तो ऐसे कपड़ा बांध रखा है जैसे पता नहीं कहां मुंह काला करवाकर आई हो और कपड़ा बांधकर छिपाने की कोशिश कर ही हो, तो पहचानूंगा कैसे।
वो मेरी बात सुनकर थोडा सा नाराज हो गई और उसने कपड़ा खोल दिया।
उसे देखकर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया।

तुम, तभी तो मैं सोचूं कि ये लड़की इतनी बेशर्म कैसे है, जो किसी अनजान के साथ ऐसे मजे ले रही है, मैंने उसे देखते हुए कहा।
वो खड़ी खड़ी मुस्करा रही थी।
मैं: तुम्हारे पास तो स्कूटी पर, फिर बस में।
निशा: वो मम्मी को कहीं जाना था तो, इसलिए स्कूटी नहीं लाई।
मैं: इधर क्या काम है?
निशा (मुस्कराते हुए): कुछ भी नहीं, मैं तो कॉलेज जा रही थी, आप उतरे तो सोचा आपको थोडा सरप्राइज दे दूं।
तभी दूसरी बस आ गई। निशा ने मेरे गालों पर एक पप्पी दी और बायें कहते हुए बस में बैठ गई।
मैं बॉस के घर पर आकर ऑफिस में आ गया।
मैं अभी ऑफिस में घुस ही रहा था कि अपूर्वा अंदर आती हुई दिखाई दी। मैं बाहर ही खड़ा हो गया। अपूर्वा ने अपनी स्कूटी खड़ी की और इधर-उधर नजर दौडाई और ऑफिस की तरफ चल दी।
मैं: हाय! आज तो लगता है किसी की जान ही लेकर रहोगी।
अपूर्वा: क्यों, ऐसे क्यों कह रहे हो?
मैं: बस, तुम लग ही इतनी ब्यूटीफुल रही हो कि किसी को तो हर्ट अटैक आयेगा ही आज।
अपूर्वा ने सफेद चुडीदार सलवार और हल्के गुलाबी रंग की कुर्ती पहनी हुई थी। कुर्ती उसकी जांघों से थोड़ी सी नीचे तक थी और उसकी जांघों से चिपकी हुई थी और उसकी मांसल जांघें की शेप उजागर हो रही थी।
हाय, अपूर्वा ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा।
क्रमशः.....................
Jandar
 
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andyking302

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मैं हैरान रह गया, मुझे लग ही नहीं रहा था कि मेरा लिंग किसी योनि में है। मैंने सवालियां नजरों से मैम की तरफ देखा, पर उनकी आंखें बंद थी और वो हलके हलके धक्के लगा रही थी। अचानक ही उनके धक्के बढ़ गये और उनका शरीर अकड़ने लगा। उन्होंने मेरे मुंह को अपने उभारों पर दबा दिया और तेज तेज धक्के मारने लगी। मुझे कुछ भी मजा नहीं आ रहा था। मैम के मुंह से लम्बी लम्बी सिसकारियां निकलने लगी और मुझे लगा कि कुछ चीज मेरे लिंग को जकड़ रही है। मैम के धक्के अब ज्यादा ही तेज हो गये थे और उन्होंने चार पांच और तेज धक्के मारे और मुझे मेरे लिंग पर गर्म गर्म पानी महसूस हुआ और उनकी योनि ने मेरे लिंग को बुरी तरह से जकड़ लिया। वो कभी मेरे लिंग को जकड़ लेती और कभी छोड़ देती। कुछ मैम का गर्म पानी और कुछ उनकी योनि की इस तरह की जकड़न के साथ तेज धक्के, मैं भी दूसरी बार झड गया और अपने पानी से मैम की योनि भर दी।
मैं मेरे उपर लेटकर तेज तेज सांसे लेने लगी और मेरे बालों को सहलाने लगी। वो मेरे चेहरे को चूम रही थी, चाट रही थी। उनकी योनि अभी भी मेरे लिंग को कभी जकड़ रही थी और कभी छोड़ रही थी। उनकी योनि की ये छोउ़ पकड़ मेरे लिंग को ढीला नहीं पड़ने दे रही थी। मैंने उन्हें पकड़ा और बेड पर पलट दिया और उनके उपर आ गया। मैम अपनी आंखें बंद करके शांत होकर लेट गई। मैंने नीचे होकर उनकी योनि को देखा, वो एकदम से फैली हुई थी, ऐसा लग रहा था कि कोई गुफा है। मैंने मैम की तरफ देखा, मेरे चेहरे पर सवाल देखकर मैम मुस्कराई।
मैम: तुम्हारे सर बिस्तर में ज्यादा देर टिकते नहीं हैं, कभी कभी तो दो तीन धक्कों में ही झड जाते हैं और एक बार झडने के बाद उनका फिर खड़ा ही नहीं होता, तो मैं प्यासी ही रह जाती हूं, इसलिए फिर मैं डिल्डो से काम चलाती हूं, और डिल्डो बहुत मोटा है तो इस कारण मेरी चूत इतनी चौड़ी हो गई है। अब तो हर रोज डिल्डो मेरी चूत की प्यार बुझाता है तो इसलिए ये हमेशा ऐसे ही खुली रहती है।
इतना कहकर मैम ने मेरा हाथ पकड़कर अपने उपर खींच लिया और मुझे अपनी बाहों में कस लिया।
पर आज तेरे साथ मैं जल्दी ही झड गई, सच में तेरे साथ बहुत मजा आया, और मैम ने नीचे हाथ करके मेरे लिंग को फिर से अपनी योनि पर सैट कर दिया। मेरा लिंग सिकुडा हुआ था तो मैम अपनी योनि को मेरे लिंग पर रगड़ने लगी और उनकी योनि की गर्मी से वो जल्दी ही फिर से तन कर खड़ा हो गया। चूंकि मैडम ने लिंग को अपनी योनि पर सैट कर रखा था, इसलिए जैसे जैसे मेरा लिंग खड़ा होता गया, वैसे वैसे ही उनकी योनि में घुसता गया और पूरा तन कर उनकी योनि में गर्भ पर ठोकरे मारने लगा। मुझे बस मेरा लिंग अंदर उनके गर्भ से टकराता हुआ ही महसूस हो रहा था, बाकी लग नहीं रहा था कि मेरा लिंग किसी योनि में घुसा हुआ है। मैंने अपने लिंग को बाहर खींचा और एक जोर का धक्का मारा, मैम के मुंह से आह निकल गई और वो अपने कुल्हों को नीचे से उछालने लगी। मैंने आठ दस धक्के लगाये पर कोई मजा ही नहीं आ रहा था। मैंने अपना लिंग बाहर निकाल लिया और मैम के पैरों को उठाकर अपने कंधों पर रख लिया और अपने लिंग को उनके पिछे के छेद पर सैट कर दिया। मेरे लिंग को पिछे के छेद पर लगते ही मैम सिहर गई और अपने पैर मेरी कमर में डाल कर कसकर जकड़ लिये। मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया तो मेरा लिंग का सुपाड़ा उनके छेद में घुस गया। मैम थोड़ा सा कसमसाई और फिर अपने कुल्हों को नीचे की तरफ धक्का दे दिया। मेरा पूरा लिंग उनके अंदर घुस गया। उनकी पिछे का छेद कुछ टाइट था तो अब मुझे भी मजा आ रहा था और मैंने तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिये। मैम बार बार अपनी गांड को सिकोड रही थी जिससे मुझसे सहन नहीं हुआ और थोड़ी देर में ही मैं फिर से झड गया, मेरा वीर्य अपने अंदर महसूस करते ही मैम का शरीर भी अकड़ गया और उनकी योनि ने भी पानी निकालना शुरू कर दिया। मैं उनके उपर लेट गया और अपना चेहरा उनकी चूचियों पर रख दिया।
हम ऐसे ही लेटे रहे। मुझे हलकी हलकी नींद आने लगी थी कि तभी मैम का मोबाइल बजने लगा।
मैम ने देखा, कोमल का फोन था। मैम ने फोन रिसीव किया, कोमल वापिस आ चुकी थी, उसने अपना रूम नंबर बताया और हम फ्रेश होकर अपने कपड़े पहनकर कोमल के रूम की तरफ चल दिये।
क्रमशः.....................
जबरदस्त भाई
 
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andyking302

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Ja
उसने बस अपनी गर्दन हिलाकर हूं कहा और अपनी लम्बी लम्बी उंगलियां की-बोर्ड पर टिका दी।
मैंने उसके सिर पर हाथ रखा और हलके से मसल दिया, और ‘पागल, मम्मी के डांटने पर भी कोई रोता है’ कहते हुए अपनी चेयर पर आ गया।
उसने अपने बाल ठीक किये और फिर से काम में लग गई। मैंने छः बजे वाले शो के दो टिकट आइनोक्स, क्रिस्टल पाम के बुक करवा लिये और प्रिंट करके अपने पर्स में रख लिए।
कुछ देर बाद बॉस आ गये और हमसे दो चार बातें करके वहीं तीसरे सिस्टम पर बैठ गये और ऑन करके कुछ प्रोजेक्ट देखने लग गये।
साढ़े चार बजे मैम चाय लेकर आई, और तीनों को दे दी, उनके पिछे पिछे कोमल आ रही थी, उसके हाथ में नमकीन वाली ट्रे थी।
साइड से टेबल सेन्टर में रखके मैम ने नमकीन उसपर रख दी और एक चेयर पर बैठ गई। कोमल मैम की चेयर के साथ पिछे से हाथ रखके खड़ी हो गई। सभी ने चाय पी और थोड़ी थोड़ी नमकीन ली।
कोमल कभी मुझे घूर रही थी तो कभी अपूर्वा की तरफ देख रही थी।
चाय पीने के बाद मैम कप और ट्रे लेकर चली गई। मैं कुछ देर में आती हूं, कहकर कोमल वहीं रूक गई।
वो चेयर को अपूर्वा की चेयर के पास करके उसके पास जाकर बैठ गई। कोमल ने अपूर्वा की तरफ हाथ बढ़ाया और अपना परिचय भी दिया। अपूर्वा ने भी उससे हाथ मिलाया और अपना परिचय दिया।
फिर तो उनके बीच फुसफुस शुरू हो गई, मुझे बस फुसफुस ही सुनाई पड़ रही थी, वो क्या बातें कर रही हैं, कुछ नहीं सुन रहा था।
पांच बजे मैंने अपना सिस्टम ऑफ किया और बॉस से जाने की अनुमति मांगी।
मेरी आवाज सुनकर अपूर्वा ने टाइम देखा और उसने भी अपना सिस्टम ऑफ कर दिया। और खड़ी हो गई। कोमल भी खड़ी हो गई। हम बाहर आ गये। कोमल अंदर मैम के पास चली गई और मैं और अपूर्वा बाहर आंगन में गेट के पास आ गये।
तुम्हारी बाईक कहां है, अपूर्वा ने पूछा।
आज नहीं लाया, उसका पैट्रोल खत्म हो गया था, मैंने जवाब दिया।
क्या, इतना बुरा टाइम आ गया, कि पैट्रोल के भी पैसे नहीं है, अपूर्वा ने छेड़ते हुए कहा।

ओए, वो तो मैं डलवाना भूल गया, नहीं तो पैसों की कमी नहीं है मेरे पास, बात करती है, मैंने भी उसको उसी के लहजे में जवाब दिया।
चाबी, कहते हुए मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ा दिया।
उसने अपने पर्स में से चाबी निकाली और मुझे देते हुए कहा, ‘रोज-रोज की आदत पड़ गई लगता है, फ्री में गाड़ी चलाने की’।
अब हम तो ऐसे ही हैं, पानी नहीं मिले तो कोक पीकर काम चला लेते हैं, मैंने कहा।
अपूर्वा हंसने लगी।
कोमल दरवाजे में खड़ी खड़ी हमें ही घूर रही थी। मैंने स्कूटी को स्टार्ट किया और अपूर्वा पिछे बैठ गई।
हम बाहर सड़क पर आ गये और मैंने स्कूटी को दूसरी साइड में घुमा दिया।
उधर किधर जा रहे हो, रस्ता भूल गये क्या, अपूर्वा में मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
आज मन कर रहा है कि जयपुर का एक चक्कर लगा लेता हूं, मेरा कौन सा पैट्रोल जलेगा, मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
ये इसको संभालों, कहीं गिर गई तो फिर से रोना शुरू कर दोगी, मैंने फिर से उसे छेड़ते हुए कहा।
उसने टिकट ली और देखकर मेरी कमर में एक घूसा जमा दिया।
‘हाउ स्वीट, मुझे पहले क्यों नही बताया’ कहते हुए उसने मुझे पिछे से बाहों में भर लिया और उसके उभार मेरी कमर में दब गये।
मैंने जानबूझ कर ‘आउच’ की आवाज निकाली।
क्या हुआ, अपूर्वा ने हैरान होते हुए पूछा।
‘वो चुभ रहे हैं, कमर में’, मैंने पिछे इशारा करते हुए कहा। मैं बैक मिरर से उसे देख रहा था।
मेरी बात सुनकर उसका चेहरा लाल हो गया और थोड़ा पिछे होकर बैठ गई।
पर मैं कहा उसको पिछे होकर बैठने देने वाला था, मैंने स्कूटी में रेस दी और फिर एकदम से ब्रेक लगा दिये। उसके उभार वापिस मेरी कमर में दब गये और अबकी बार उसके मुंह से ‘आहह’ निकली।
क्या हुआ, चोट तो नहीं लगी, मैंने कहा।
बदमाश, कहते हुए उसने मेरे कंधे पर मुक्का मारा और अपना चेहरा मेरे कंधे से सटाकर पीछे पर टिका दिया और हाथों से मेरे पेट को कस लिया।
अभी शो में टाइम था तो मैं स्कूटी को धीरे धीरे चलाने लगा। उसकी गर्म गर्म सांस मुझे मेरे कंधे के पास महसूस हो रही थी।
आधे घंटे में हम बाईस गोदाम पहुंच गये, पर देखा तो सर्किल पर सीधे जाने का रास्ता बंद कर रखा था तो हम पिछे से घूमकर मॉल में आ गये। स्कूटी को पार्क करके हम मॉल में अंदर आ गये। अभी मूवी स्टार्ट होेने में 20 मिनट थे। मैंने प्रिंट आउट देकर टिकट ली और हम अंदर आ गये। अपूर्वा ने मेरे एक हाथ को पकड़ रखा था और अपना सिर मेरे कंधे पर रखा हुआ था।
हमारा रिस्ता फ्रेंडशिप से आगे बढ़ चुका था, पर अभी इसका पता हम दोनों (खासकर मुझे) नहीं लगा था।
चैंकिंग वगैरह क्लियर करके हमने खाने के लिए पॉपकॉर्नर लिये। तभी पिछला शो खत्म हो गया और थोड़ी देर में ही एंट्री शुरू हो गई। हम थोड़ी देर बाहर ही रूके रहे, क्योंकि भीड़ बहुत ज्यादा थी और मैं नहीं चाहता था कि भीड़ में कोई अपूर्वा से छेड़छाड़ करे। सबके बाद में हम अंदर आ गये और पिछे की सीट जो मैंने बुक की थी, पर जाकर बैठ गये। हॉल लगभग फुल था। शो स्टार्ट हो गया। पूरी मूवी के दौरान मेरा हाथ अपूर्वा के हाथ में रहा जो उसकी जांघों पर रखा था। इंटरवल में अपूर्वा ने कोक और समोसे के लिए ऑर्डर कर दिया था।
मूवी ठीक ठाक थी, पर अपूर्वा के साथ देखने में और ज्यादा मजा आया था। मूवी के बीच में कई बार अपूर्वा का फोन बजा पर उसने साइलेंस पर कर दिया।
हम बाहर आ गये, 9 बजने वाले थे। अपूर्वा ने मुझे घर छोड़ा और फिर अपने घर के लिए निकल गई।
मैं उपर आ गया, सोनल छत पर ही खड़ी थी और उसके साथ पूनम भी खड़ी थी।
तुम्हारी तो मौज है जी, रात को 9 बजे लड़कियां घर छोउ़कर जाती हैं, सोनल ने मुस्कराते हुए कहा।
और क्या, दो दो तो घर पे हैं, और एक ये बाहर, और क्या पता एक ही है या और भी हैं, पूनम ने उसका साथ देते हुए कहा।
मैंने उनकी बातों पर ज्यादा धयान नहीं दिया और रूम खोलकर अंदर आ गया। सोनल और पूनम बाहर ही खड़ी-खड़ी बतियां रही थी।
कुछ खाने को मिलेगा क्या, मैंने अंदर से ही सोनल को आवाज लगाई।
अच्छा जी, उस स्कूटी वाली ने नहीं खिलाया-पिलाया क्या, ऐसे ही रात के 9 बजे तक परेशान करती रही, सोनल की आवाज आई।
और वो दोनों अंदर आ गई।
क्रमशः.....................
जबरदस्त भाई
 
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andyking302

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हम उनके घर के हॉल में थे और आंटी के बेडरूम में से वहां दिखाई नहंी देता था और बाहर से तो कुछ दिखाई ही नहीं दे सकता था।
मैं समझ गया कि उसने अपने बूब्स बाहर निकाल लिये हैं और मेरी कमर में चोट वाली जगह पर सहला रही है। अब तो मैं और भी ज्यादा दर्द की एक्टिंग करने लगा ताकि वो इसी तरह सहलाती रहे, पर कहते हैं ना कि ज्यादा एक्टिंग नुकसान दायक ही होती है, और वही मेरे साथ भी हुआ। मेरे इस तरह ज्यादा कराहने से वो समझ गई कि अब मुझे दर्द नहीं हो रहा और मैं मजे लेने के लिए दर्द होने की एक्टिंग कर रहा हूं। उसने अपने उभार मेरी छाती में से हटा लिए।
मैंने सोचा शायद अब कुछ और मजेदार होने वाला है, पर जब कुछ देर तक उसके शरीर का कोई हिस्सा मेरे शरीर से टच नहीं हुआ तो मैंने पिछे मुड़कर देखा तो वो अपनी कमर में हाथ रखे खड़ी थी और मुस्करा रही थी। मैंने उसकी तरफ देखते ही फिर से आहहहह, आहहह बहुत दर्द हो रहा है, एक्टिंग करनी शुरू कर दी।
उसने मेरी बाजू पर एक घुस्सा जमा दिया, पर अबकी बार उसने अंगूठी को निकाल लिया था। मैं हंसने लगा और वो भी हंसने लगी। वो अंगूठी को अंदर रख आई और हम उपर आ गये। पूनम छत पर ही बैठी थी।
खाना ठंडा हो जायेगा, खा लो, पूनम ने कुर्सी पर से खड़े होते हुए कहा।
वो तो मैं तुरंत ही गर्म कर दूंगा, ठंडा होने की टेंशन मत लो, मैंने उसकी तरफ आंख मारते हुए कहा।
मेरी बात का मतलब समझते ही वो शरमा गई और अपनी नजरें नीचे झुका ली।

हम अंदर आ गये और पूनम ने तीन थालियों में खाना लगा दिया। बेड पर बैठकर हम खाना खाने लगे। मैंने रोटी का कौर तोड़कर सब्जी लगाई तो मेरी उंगली सब्जी में चली गई, सब्जी काफी गर्म थी, जिससे उंगली जल गई, पर मैंने किसी को आभास नहीं होने दिया और फुंक मार मारकर खाने लगा। जैसे ही सोनल ने सब्जी लगाने के लिए रोटी का कौर कटोरी में डाला, तो अब उंगली तो सब्जी में जानी ही थी, वो जोर से चिल्लाई, आहहहहहहहहहहहहह!
उसकी आहहहहहहहहह सुनकर मेरी हंसी छूट गई। उसके हाथ से रोटी का कौर सब्जी में ही गिर गया था, और वो अपनी उंगली को मुंह में लिए चूस रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और देखा तो उसकी उगंली पर फफोला हो गया था, जलने से। मैं उठा और फर्स्ट ऐड बॉक्स ले आया और उसकी उंगली पर दवाई लगा दी और फिर से खाना खाने बैठ गया। सोनल ने अपनी थाली मेरी तरफ सरका दी। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुंह बनाते हुए कहा।
सोनल: आप खिलाओं ना, मेरा हाथ जल रहा है।
मैं: तो मेरे हाथ क्या लोहे के हैं, जो जलेंगे नहीं।
मेरी बात सुनकर सोनल ने मुंह फुला लिया और एक तरफ होकर बैठ गई। मैंने पूनम की तरफ देखा वो मुस्करा रही थी। फिर मैंने एक कौर लेकर सब्जी लगाई और सोनल के मुंह के सामने कर दिया। सोनल खुश हो गई और खाने के लिए मुंह खोलकर आगे बढ़ा दिया, पर उसके मुंह में जाने से पहले ही मैंने वो कौर खुद ही खा लिया। पूनम की हंसी छूट गई और सोनल फिर से मुंह फुलाकर बैठ गई।
मैंने फिर से एक कौर तोड़ा और उसके मुंह के सामने कर दिया, उसने मेरी तरफ देखा, पर ऐसे ही मुंह फुलाए बैठी रही।
मैं: अच्छा तो चल, अबकी बार नहीं करूंगा, चल खा ले, पक्का नहीं करूंगा अब।
और सोनल ने मुंह खोलकर आगे बढ़ाया तो मैंने फिर से वैसे ही किया और खुद ही खा गया। अबकी बार तो सोनल गुस्सा हो गई और बेड पर से उठकर जाने लगी।
मैंने उसे पकड़ कर बैठाया और माफी मांगते हुए कहा कि अब बिल्कुल नहीं, चलो अब खा लो और एक कौर को सब्जी लगाकर उसके मुंह के सामने कर दिया। जैसे ही उसने मुंह खोला तो मैंने अबकी बार भी खुद ही खा लिया। सोनल ने मेरे कंधे पर एक मुक्का मारा और एक साइड में होकर बैठ गई और रोने की एक्टिंग करने लगी।
मैं: लो यार, मुक्का तो मुझे लगा है, और रो तुम रही हो, ये क्या बात हुई?
मुझसे बात मत करो, सोनल ने झल्लाते हुए कहा।
मैंने एक कौर पर सब्जी लगाई और अपनी जगह से उठकर सोनल के पास आया और उसके मुंह के सामने कौर कर दिया। सोनल ने एकबार मेरी तरफ देखा और फिर अपना मुंह खोला, पर आगे बढ़ाने से पहले अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ा और फिर अपना मुंह आगे बढ़ाकर कौर सीधा मुंह में। मेरी उंगली भी थोड़ी सी उसके मुंह में चली गई और उसने उंगली को हलका सा काट लिया।
मैं नहीं खिलाता तुझे, एक तो खाना खिलाओ, और उपर से उंगली भी काटवाओ, मैंने कहा।
ओके, ओके, अब नहीं काटूंगी, प्लीज खिलाओ न, बहुत स्वादिष्ट लग रहा है तुम्हारे हाथों से, सोनल ने चहकते हुए कहा।
फिर मैंने एक कौर तोड़कर उसको खिलाया और फिर एक खुद खा लिया, इस तरह से हमने खाना शुरू किया। पूनम ने भी खाना शुरू कर दिया। खाने के आखिर में एक रोटी मैंने पूनम को भी खिलाई और सोनल ने मुझे और पूनम को व पूनम ने मुझे व सोनल को खिलाई। दोनों के हाथ से खाना खाकर बहुत ही मजा आया।
क्रमशः.....................
Nice
 
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andyking302

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ऐसा कुछ नहीं है, और आप है ना, ऐसे बेइज्जती ना करो लड़कियों की, आजकल लड़कियां लड़कों से आगे हैं।
वो तो होंगी ही, लड़कों को पिछे ज्यादा मजा जो आता है, इसलिए वो आगे जाने देते हैं, मैंने कहते हुए उसकी तरफ आंख मार दी।
मतलब क्या है आपका, आप है ना मुझसे ज्यादा दो-अर्थी बात मत करो, मैं सब समझती हूं आपकी बात का मतलब, सोनी ने मुंह बनाते हुए कहा।
अब समझाने के लिए ही तो मैंने बात कही है, अच्छा हुआ आप समझ गई नहीं तो मुझे समझाना पड़ता तो मुश्किल होती, मैंने हंसते हुए कहा।
देखो, मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं, आप है ना तमीज से बात करो, मोनी ने फिरसे मुंह बनाकर कहा।
लो जी, हर बार तो आपको आप कहकर ही बोला हूं, और कुछ गलत भी नहीं कहा है, फिर भी आप खामखां नाराज हो रही हैं, मैंने हंसते हुए कहा।
छोड़ो, आप ये बताओ की सोनी को कैसे जानते हो, मोनी ने बात बदलते हुए कहा।
लो भूल गई, आपने ही तो बताया था कि आप दो बहनें हो, सोनी और मोनी, मैंने अपने पैरों को सीधे करते हुए कहा।
और मैं अपने पैरों को सीधा करके हाथ पिछे टिका कर बैठ गया। हाथ पिछे करते वक्त मेरे हाथ मोनी के कुल्हों से टकरा गये और मैंने उसके कुल्हों से सटाकर ही अपना हाथ रख दिया। मेरी उंगलियां थोड़ी सी उसके कुल्हों के नीचे घुस गई थी।
मैंने मोनी की तरफ देखा, उसका चेहरा थोड़ा सा लाल हो गया था, पर उसने खुद को हटाया नहीं।
आपके घर में कौन कौन है, मोनी ने शरमाते हुए पूछा। (शरमा वो मेरे हाथ के कारण रही थी)।
जी हम तो अकेले ही रहते हैं, अब कोई है नहीं आप जैसा साथ रहने के लिए, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
क्यों, मम्मी-पापा नहीं रहते साथ में, मोनी ने कहा।
मम्मी-पापा गांव में रहते हैं, यहां पर मैं अकेला ही रहता हूं, मैंने कहा।
मोनी मेरी बात सुनकर मुस्कराने लगी, आप कहा रहते हैं, मोनी ने कहा।
यही पास में, वो गली में मुडकर जो कोने वाला मकान है, उसी में सबसे उपर वाली मंजिल पर रहता हूं, कभी आइयेगा, मैंने कहा।
जरूर, आप बुलायेगें तो जरूर आउंगी, मोनी ने कहा।
अचानक मेरे हाथ पर शायद चींटी ने काटा होगा, जिससे मैंने हाथ को एकदम से उठाकर सामने लाया। झटके से उठाने के कारण मेरा हाथ मोनी के कुल्हों से घर्षण करता हुआ उपर को हुआ तो उसके बूब्स से साइड से छू गया। मैं हाथ को देखने लगा।
क्या हुआ, मोनी ने पूछा।
सॉरी, शायद चींटी ने काट लिया, मैंने उसे सॉरी बोलते हुए कहा।
सॉरी क्यों, मोनी ने कहा।
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, वो ऐसे बिहेव कर रही थी कि जैसे मेरा हाथ उसके शरीर से टच हुआ ही ना हो।
बस ऐसे ही, मैंने बात टालते हुए कहा और फिर से अपना हाथ उसके शरीर से रगड़ते हुए पिछे ले जाकर गया और अपनी कोहनी को घास पर टिका दिया और अपना हाथ उसके दूसरी तरफ लेजाकर उसके कुल्हे पर सैट कर दिया। इस तरह से मेरी दो उंगलियां तो उसके कुल्हों के नीचे थी और बाकी की दो उसके कुल्हें पर साइड से रखी हुई थी, जैसे तरबूज को एक हाथ से पकड़ते हैं उस प्रकार। और मेरा अंगूठा उसके पिछे की तरफ उसके कुल्हों के बीच की गहराई में टच हो रहा था।

मैंने अपना हाथ इस तरह से रख तो लिया था, पर मेरे दिल की धड़कन एकदम बढ़ गई थी और मुझे उम्मीद भी थी कि मेरे गालों पर एक चांटा आने वाला है, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
इसके उलटे मोनी ने भी अपने पैरों को आगे की तरफ इस फैला दिया, उसका एक पैर मेरे पैर पर आकर टिक गया, जिसे मेरी जांघें साइड से उसकी जांघों से सट गई। उसने अपने हाथ भी पिछे घास पर टिका दिये और बैठ गई।
उसके इस तरह बैठने से एक फायदा ये हुआ कि अब वो मेरे से बिल्कुल सटकर बैठी थी, परन्तु इससे ज्यादा नुकसान ही हुआ, क्योंकि मेरा हाथ उसके कुल्हों के नीचे दब गया था और नीचे की जमीन में पड़ी छोटी छोटी कंकर उंगलियों में चुभ रही थी।
मोनी का चेहरा लाल हो गया था और वो सामने की तरफ देख रही थी। मेरे चेहरे पर दर्द की शिकन साफ महसूस की जा सकती थी, पर वो तो तब उसे पता चलता जब वो मेरी तरफ देखती, वो तो बस सामने ही देखे जा रही थी और मंद मंद मुस्करा रही थी।
आप क्या करते हैं, मेरा मतलब किस चीज की तैयारी कर रहे हैं, उसने सामने देखते हुए ही कहा।
अब तक तो आपको समझ जाना चाहिए था कि मैं किस चीज की तैयारी कर रहा हूं, मैंने कहते हुए अपनी उंगलियों को थोड़ा सा उसके कुल्हों पर दबा दिया।
मेरी द्वारा कुल्हों को दबाये जाने पर वो समझ शायद वो समझ गई कि मैं क्या कहना चाहता हूं, और उसके गाल धीरे धीरे फड़कने लगे और साथ ही उसकी एक आंख भी।
मेरा मतलब वो नहीं था, उसने कहते हुए अपना पैर उठाकर मेरे पैर पर अपनी ऐडी से वार किया।
आउच, तो क्या था, अब मुझे क्या पता क्या मतलब था आपका, जो मेरी समझ में आया मैंने बता दिया, मैंने अपना दूसरा पैर उसके पैर के उपर जो कि मेरे पैर पर रखा हुआ था, रखते हुए कहा।
मेरी उंगलियों में अब ज्यादा दर्द होने लगा था तो मैंने उसके कुल्हें को मुट्ठी में भर लिया, सोनी के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली, जिसे वो दबा गई।
मेरे पैर को उसके पैर के उपर रखने से उसकी पैर घुटनों से थोड़े से उपर तक मेरे पैर के उपर था। उसके कुल्हों को मुट्ठी में भरने से उसका उस पैर का दबाव मेरे नीचे वाले पैर पर बढ़ गया।
बताओ ना क्या करते हो, मोनी ने हकलाते हुए सा कहा।
अब पहले मतलब समझा दो कि किस के बारे में पूछ रही हो, नहीं तो फिर कहोगी कि मेरा ये मतलब नहीं था, मैंने अपने पैर को उसके पैर पर थोड़ा सा दबाते हुए कहा।
मेरा मतलब है कि आप काम क्या करते हो, किसी चीज की कोचिंग कर रहे हो या, फिर अभी पढ़ रहे हो, या जॉब करते हो, अब की बार उसने अच्छी तरह से समझाते हुए कहा।
ओह तो आप ये पूछना चाहती थी, पहले ही ऐसे कहना चाहिए था ना, मैंने कहा।
तो अब बता दो, अब तो समझा दिया कि क्या पूछना चाहती हूं, मोनी ने कहा।
मैं जॉब करता हूं, आई-टी- फील्ड मैं, तुम क्या कर रही हो, मैंने कहा।
आई-टी- फील्ड में, सॉफ्रटवेयर इंजीनियर हो, मोनी ने अबकी बार मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैंने उसकी तरफ आंख मारी, नहीं, वेब डेवलपर हूं।
वॉव, वेब डेवलपर, फिर तो एक मेरी भी वेबसाइड बनाना, बढ़िया सी, मोनी ने चहकते हुए कहा।
आप क्या करती हो, मैंने पूछा।
मैं तो एम-टेक कर रही हूं, इलेक्ट्रोनिक्स से, जेएनयू से, उसने कहा।
वाह, बहुत खूब, इलेक्ट्रोनिक्स से, मैंने कहा।
आप मेरी वेबसाइड बनाओगे ना, प्लीज, मोनी ने कहा।
किस चीज की वेबसाइट बनवानी है तुम्हें, मैंने कहा।
हम्मममम--- अभी सोचा नहीं है, पर आप तो बना देना बस, मैं सोचकर बता दूंगी, उसने अपने होंठों पर उंगली रखते हुए कहा।
ठीक है जी, आप बता देना, मैंने अपना घर तो आपको बता ही दिया है, आ जाना कभी भी, जब आप सोच लो कि किस चीज की बनवानी है।
तभी उसका मोबाइल बजने लगा।
ओ-के, अब मैं चलती हूं, नहीं तो कॉलेज के लिए लेट हो जाउंगी, कहकर वो अपने कुल्हों को मेरे हाथ पर मसलते हुए उठ गई।
क्रमशः.....................
जबरदस्त भाई
 
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समीज भी नहीं पहना, मैंने फिर से उसके कान में कहा।
नहीं, उसने थोड़ा सा शर्माते हुए कहा।
मैंने अपने हाथ सीधे उसके उभारों पर रख कर दबा दिये, उसके मुंह से हलकी सिसकारी निकली, और साथ ही निकला, हटाओ कोई देख लेगा।
मैंने थोड़ा सा उसके उभारों को दबाकर वापिस अपने हाथ उसके पेट पर रख दिये। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने ब्रा नहीं पहनी है, क्योंकि उसके उभार एकदम शेप में थे।
हम्मम,, लगता है हमेशा ही गीली रहती है तो तुम जो बगैर ब्रा के भी तुम्हारी चूचियां सीधी तनी हुई हैं।
ऐसी ही हैं मेरी चूचियां, औरों की तरह नहीं हैं लटकी हुई, मैं गरम नहीं होती तब भी ये नहीं लटकती। हमेशा तनी हुई रहती हैं।
मैंने उसे जोर से बाहों में भीच लिया।
ओह शिटटटटअअअअअअअअ मर गये, सोनल ने ब्रेक लगाते हुए कहा।
क्या हुआ, मैंने पूछा।
सामने देखों, मामू खडे हैं, उसने कहा। तब तक एक पुलिस वाला हमारी तरफ ही भागता हुआ, सीटी बजाता हुआ आ रहा था।
दरअसल वो मोड मुड़ते ही थोडी सी दूरी पर खड़े थे, जिससे दूर से दिखे नहीं, पर अब कुछ नहीं हो सकता था। दोनों में से किसी ने भी हेलमेट नहीं पहना था।
चलो साइड में लगाओ, पुलिस वाले ने आते ही चाबी निकाल ली और साइड में इशारा करते हुए कहा।
मैं नीचे उतर गया और सोनल ने स्कूटी साइड में खडी कर दी।
हेलमेट क्यों नहीं है, चलो लाइसेंस दिखाओ, पुलिस वाले ने कहा।
सोनल का चेहरा तो एकदम देखने लायक हो गया था। घबराओ मत, मैंने सोनल से कहा।
मैंने अपना लाइसेंस निकाल के दिखाया, पुलिस वो का धयान पूरी तरह से हमारी तरफ नहीं था। वो बार बार इधर उधर देख रहा था।
कागज दिखाओ, लाइसेंस देखते हुए पुलिस वाले ने कहा।
जी वो चाबी, वो कागज लॉक में रखे हैं, सोनल ने पुलिस वाले से कहा।
हेलमेट क्यों नहीं लगाया, चालान कटेगा, पुलिस वाले ने कहा।
तो सर मना कौन कर रहा है, काट दो, मैंने बीच में ही कहा।
पुलिस वाला मुझे घूरकर देखने लगा। स्कूटी ये चला रही थी, ना तुम अपना लाइसेंस दिखाओ।
सोनल ने स्कूटी पर से अपना बैग उठाया और चैन खोलकर लाइसेंस ढूंढने लगी।
जी ये लीजिए, लाइसेंस निकाल कर सोनल ने पुलिस वाले से कहा।
हम्मममम----- चलो ठीक है, आगे से हेलमेल पहनकर चलना, चलो अब 50 रूपये निकालो और चलते बनो।
उसने सोनल का लाइसेंस वापिस कर दिया।
आप चालान काटिये, मैंने उससे कहा।
चालान पांच सौ का कटेगा, 50 में काम चल रहा है, चलो जल्दी दो।
सोनल बैग में से पर्स निकाला, और पैसे निकालने लगी।
क्या कर रही हो, पागल हो क्या, सोनल से कहा।
आप चालान काटिए कोई दिक्कत नहीं, आप पांच सौ क्या, हजार का काटिए, मैंने पुलिस वाले से कहा।

दे दो ना पैसे, अब कहां चालान भरते फिरेंगे, सोनल ने मुझसे कहा।
आप चालान काटिए, मैंने फिर से कहा।
वो मुझे घूरते हुए देखने लगा और फिर अपने दूसरे साथी को आवाज लगाकर हमारी तरफ इशारा किया।
जाओ, उधर जाकर कटवाओ, उसने नाराज होते हुए कहा।
मैंने आगे खडी पुलिस की गाड़ी के पास जाकर चालान कटवाया। अपना लाइसेंस लिया और चल पडे।
सोनल थोड़ी नाराज सी लग रही थी। उसने पूरे रास्ते बात नहीं की। ऑफिस पहुंचकर उसने मुझे उतारा और बगैर कुछ बोले ही चली गई। मैं अंदर आ गया, अपूर्वा की स्कूटी खडी थी, मैंने टाइम देखा तो मैं पंद्रह मिनट लेट हो गया था। जैसे ही मैं अंदर घुसा सामने से बोस बाहर आये।
गुड मॉर्निग सर, मैंने सर को कहा।
गुड मॉनिंग, लेट कैसे हो गये, सर ने कहा।
सर वो बाइक में पेैटरोल खत्म हो गया था, तो उस चक्कर में लेट हो गया।
आज हम बाहर जा रहे हैं, घूमने फिरने, तो तुम चाहो तो छुट्टी कर लो, बॉस ने कहा।
ठीक है सर, एक काम भी है, तो मैं बारह बजे निकल जाउंगा, मैंने कहा।
मैं ऑफिस में आ गया।
वॉव, लगता है आज तो किसी का कत्ल करने का इरादा है, मैंने ऑफिस में घुसते ही कहा।
गुलाबी तंग कुर्ती, बहुत ही महीन सी थी, ब्रा की स्ट्रैप साफ झलक रही थी, नीचे महीन व्हाइट पजामी, जिसमें से पेंटी लाइन साफ दिखाई दे रही थी, कुल्हों की शेप को इस तरह उजागर कर रही थी, मानों कुछ पहना ही ना हो, कुर्ती कुछ उपर उठ गई थी, जिस वजह से पजामी के थोड़ी उपर तक कमर दिख रही थी।
क्रमशः.....................
जबरदस्त भाई
 
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मैं खड़ा हो गया और झुककर उसे अपने सीने से लगा लिया।
अगर बताने की बात नहीं है तो, कोई बात नहीं, पर ऐसे हिम्मत नहीं हारा करते, देखो तुम रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती, मैंने उसके सिर में हाथ फिराते हुए कहा।
अच्छा ठीक है, आज शाम को मूवी देखने चलेंगे, अब तो खुश हो जाओ, मैंने बच्चों की तरफ उसे बहलाते हुए कहा।
अपूर्वा ने अपने नाकों से बह रहे पानी को वापिस खींचा और अपने चेहरे को मेरे सीने में से पिछे हटाया और मुस्कराते हुए हां में गर्दन हिला कर अपना नाक पौंछने लगी।
अच्छे बच्चे रोते नहीं, कोई बात नहीं, सुबह अपने मायके चली जाना, अब रोना बंद करो।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा ने एक मुक्का मेरी छाती में जमा दिया और फिर हंसते हुए बोली।
कौन-सी मूवी देखने चलेंगे, आज ई-पी- में चलते हैं, मैं वहां कभी नहीं गई हूं।
ओ-के-, मैंने उसके सिर पर हाथ फिराते हुए कहा।
पर तुम तो अभी चले जाओगे, तो फिर मूवी देखने कैसे चलेंगे, उसने थोड़ा सा सीरियस चेहरा बनाते हुए कहा।
शाम को चलेंगे ना, अभी जाकर मुझे आंटी को डॉक्टर के पास लेकर जाना है, एक-दो घंटे का काम है, फिर शाम को चार बजे के आस-पास तुम आ जाना घर पर, मैंने कहा।
या फिर अभी मेरे घर पर ही चलना, और शाम को फिर सीधे वहीं से चल पडेगें, मैंने अपूर्वा को कहा।

आप तो डॉक्टर के चले जाओगे, मैं वहां बोर होती रहूंगी, मैं शाम को ही आ जाउंगी, अपूर्वा ने कहा।
हां ये भी ठीक है, तुम वहां खामखां बोर होती रहोगी, चलो तुम शाम को ही आ जाना, पर 4 बजे से पहले पहले आ जाना, नहीं तो फिर लेट हो जायेंगे, उधर के शो टाइम का भी पता नहीं है, मैंने कहा।
हां, मैं चार बजे तक आ जाउंगी, अपूर्वा ने कहा।
फिर हम काम करने लगे। मैंने 12 बजे का अलार्म सैट कर दिया ताकि लेट ना होउं। ठीक बारह बजे अलार्म बजा तो हमने अपने सिस्टम बंद किये और बाहर आ गये। सामने से कामवाली चाय लेकर आ रही थी।
क्या हुआ साहब, मैं तो चाय लेकर आई थी, कामवाली ने हमें बाहर देखकर कहा।
अभी तो पी थी चाय, इतनी जल्दी फिर ले आई, मैम को पता चल गया ना तो तेरी तनख्वाह में से पैसे काट लेगी, मैंने चुटकी लेते हुए कहा।
वो तो यहां पर हैं ही नहीं, सभी घूमने गये हैं, कोई भी नहीं हैं, तो पता कैसे चलेगा, कामवाली ने चहकते हुए कहा।
मैं एक मिनट अभी आई, अपूर्वा ने अपनी छोटी उंगली दिखाते हुए कहा और वापिस ऑफिस में चली गई।
मैं भी अंदर ऑफिस में आ गया और कामवाली भी चाय लेकर ऑफिस में ही आइ गई।
अपूर्वा दूसरे दरवाजे से बाथरूम में चली गई।
कामवाली ने चाय टेबल पर रख दी। मैं अपनी चेयर के साथ ही खड़ा था, जब उसने चाय टेबल पर रखी तो उसके कुल्हें मुझसे टच हो गये। मैं तुरंत पिछे घूम गया और मेरी जांघें सीधे उसके कुल्हों पर सैट हो गई। मैंने बाथरूम की तरफ देखा, पर वहां से बाथरूम दिखाई नहीं दे रहा था।
मेरा लिंग एकदम पोजीशन में आ गया और उसके जींस में उभार बनाते हुए उसके कुल्हों को दबाने लगा। कामवाली भी वैसे रहकर टेबल पर चाय के कपों को इधर उधर करती रही। जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने उसके कुल्हों पर दबाव बढ़ा दिया और अपने हाथों से उसकी जांघों को पकड़ लिया। सच्ची मुझसे इतना सैक्स भर गया था कि अगर आज अपूर्वा न होती तो उसका तो काम हो ही जाना था। मेरी नजर बार बार दरवाजे पर ही चैक कर रही थी कि कहीं अपूर्वा तो नहीं आ जाये।
मैं उसकी जांघों को पकड़कर कपड़ों में से ही धक्के मारने लगा। मेरे हर धक्के से वो आगे को सरक जाती और फिर वापिस पिछे हो जाती। बहुत मजा आ रहा था ऐसे डर डर कर मजे लेते हुए।
तभी बाथरूम का दरवाज खुलने की आवाज आई और मैं अपनी चेयर पर बैठ गया। वो भी खड़ी हो गई। उसका चेहरा एकदम लाल हो रखा था और उसकी सांसे भी तेज चल रही थी। मैंने इशारे से उसे बाहर जाने को कहा, और वो तुरंत अपूर्वा के अंदर आने से पहले बाहर निकल गई। मैंने एक कप अपूर्वा को दिया और एक खुद ले लिया और चाय पीने लगे। मैंने अपूर्वा की तरफ देखा तो वो चाय पीते हुए मुझे ही देखे जा रही थी।
क्या बात है, ऐसे क्या घूर रही हो, मैंने कहा।
क्यों देख नहीं सकती, मेरी मर्जी मैं जिसे चाहूं देखूं, अपूर्वा ने मुस्कराते हुए कहा।
देख सकती हो, देख सकती हो, तुम्हारी आंखें हैं, तुम्हारी जो मर्जी हो वो देखों, मैं तो बस वैसे ही पूछ रहा था, मैंने कहा।
हमने चाय खत्म की और बाहर आ गये।
आपकी बाइक कहां है, अपूर्वा ने पूछा।
वो---------- पैटरोल------ नहीं था------- ना----- तो वो----- मैं आज भी भूल गया, डलवाना, इसलिए आज भी नहीं लाया, मैंने कहा।
पर तुम टेंशन मत लो, तुम्हें परेशान नहीं करूंगा, आज मैं बस से जाउंगा, काफी दिन हो गये बस से सफर किये, मैंने बात पूरी करते हुए कहा।
ज्यादा बकवास मत करो, आपको लगता है कि मैं आपको घर तक छोडती हूं तो मैं परेशान हो जाती हूं, मुझे कोई परेशानी नहीं होती, उल्टा अच्छा ही लगता है, कुछ देर और आपके साथ रह लेती हूं, अपूर्वा ने कहा।
मेरा मतलब, कुछ देर और साथ हो जाता है, मतलब मेरा मतलब---------- मतलब मैं कहना चाहती हूं कि, मतलब वो-------।
क्या मतलब, इतने मतलब तो मैंने एक साथ कभी सुने ही नहीं, मैंने चुटकी लेते हुए कहा।
मेरा मतलब है कि थोडी देर और बाहर घूम लेती हूं, नहीं तो घर जाकर तो घर में ही रहती हूं फिर, अपूर्वा ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा।
ओ-के- चलो अब, मतलब मतलब,,,, बस आने वाली होगी, निकल गई तो दस पंद्रह मिनट वेट करना पड़ेगा, मैंने कहा।
बस से कयों जाओगे, मैं छोड़ देती हूं, घर पर, अपूर्वा ने स्कूटी स्टार्ट करते हुए कहा।
नहीं, आज मैं बस से ही जा रहा हूं, तुम सीधे अपने घर पहुंचो, मैंने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा।
ओ-के- बाय- टेक केयर, अपूर्वा ने स्कूटी बाहर निकालते हुए कहा।
क्रमशः.....................
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हाय, मैंने दोनों की तरफ एक एक हाथ बढ़ा दिया।
मुझे दोनों हाथ बढ़े देखकर सभी हंसने लगी और उन दोनों ने हाथ मिलाया।
और ये हैं मिस्टर समीर, मैं बस इतना ही जानती हूं, ज्यादा परिचय करना हो तो आप खुद ही कर लेना, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
आप दोनों एक दूसरे को कैसे जानते हो, पहले मुझे ये बताओ, मैंने अपूर्वा और नवरीत की तरफ देखते हुए कहा।
हम दोनों तो बहनें हैं, नवरीत अपूर्वा के बगल में जाकर खड़ी हो गई उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया।
दरअसल वो पहले हम गुरदासपुर में रहते थे, पंजाब में, रीत के पापा और मेरे पास बहुत ही अच्छे दोस्त हैं, अपूर्वा ने नवरीत को अपनी तरफ भींचते हुए कहा।
और जब अंकल की टरांसफर जयपुर हुई तो पापा भी जयपुर आ गये, नवरीत ने आगे बताया।
ओह तो बहुत ही गहरी दोस्ती है, दोनों अंकलों में, मैंने कनक्लूजन निकालते हुए कहा।
गहरी, सगे भाईयों से बढ़कर प्यार है दोनों में, और इतना ही हमारी दोनों मम्मीयों में, नवरीत ने कहा।
जब अंकल का टरांसफर हो गया और उन्होंने ये बात पापा को बताई तो पापा ने तभी कह दिया कि अकेले अकेले थोड़े ही जाने दूंगा, जहां तुम वहां हम, नवरीत ने अपनी फैमिली की दोस्ती की गहराई को और बयान किया।
वॉव, आजकल ऐसी दोस्ती कहां देखने को मिलती है, मैंने कहा।
मिलती क्यों नहीं, हमारे पापाओं की देख लो, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
मेरा मतलब उन जैसी और नहीं देखने को मिलती, मैंने कहा।
हे हे----- उन जैसी तो कहीं मिल भी नहीं सकती आपको, नवरीत ने फिर से कहा।
आप रीत दी से पार नहीं पा सकते, बातों में कभी भी नहीं जीतने देती किसी को, अपूर्वा ने मुस्कराते हुए कहा।
जी आप कुछ अपने बारे में भी बताइये, मैंने रिया और सुमन की तरफ मुखातिब होते हुए कहा।

चलो, चलो, शो का टाइम हो गया, नवरीत ने बीच में ही बात काटते हुए कहा।
आपने कौन-सी मूवी की टिकट ली हैं, मैंने नवरीत से पूछा।
जिसकी आपने ली हैं, नवरीत ने टिकटें दिखाते हुए कहा।
हम अंदर आ गये।
मैं कुछ स्नैक्स ले आती हूं, भूख भी लगी हुई है, नवरीत ने स्नैक्स की स्टॉल की तरफ बढ़ते हुए कहा।
मैं भी उसके साथ चल पड़ा, अब स्नैक्स तो मुझे भी खाने थे ना। नवरीत ने पांच सॉफ्रटड्रिंक और तीन समोसे और तीन पॉपकॉर्न लिए।
मैंने पेयमेन्ट की और हम आ गये। समोसे और पॉपकॉर्न उसने रिया और सुमन को पकड़ा दिये। तब तक एंट्री स्टार्ट हो गई थी। अंदर आकर हमने अपनी सीटें ढूंढी। रिया और सुमन सबसे अंदर वाली सीट पर जाकर बैठ गई। उनके दूसरी साइड में एक लड़का और उससे आगे दो लड़कियां बैठी थी। हमारी रो सबसे उपर से दूसरी थी। अभी सबसे उपर वाली रो पूरी खाली पड़ी थी। हमारी रो में हमारी सीटें लगभग बीच में ही थी। हमारी और नवरीत की रो तो एक ही थी पर सीटें थोड़े गैप पर थी। बीच में चार सीटों पर एक अंकल, आंटी और दो बच्चे थे, शायद पूरी फैमिली ही होगी। अपूर्वा अपनी सीट पर बैठ गई। नवरीत भी अपनी सीट के पास पहुंच गई थी। नवरीत के कुछ देर इधर उधर देखा।
अंकल जी, अगर आप बच्चों को उधर वाली सीट पर बैठा लेते तो, वो उधर आपके साथ वाली दोनों सीटें हमारी हैं, हम पांच हैं, तो एक साथ बैठ जाते, अगर आप बच्चों को उधर वाली सीट पर बैठा लेते तो, नवरीत ने अंकल से कहा।
ऐसे कैसे बैठा लें, टिकट हमने खरीदी हैं इन सीटों की, बीच में ही आंटी बोल पड़ी।
गयी भैंस पानी में, बड़बड़ाते हुए मैं भी अपनी सीट पर बैठ गया और नवरीत को भी बैठने का इशारा किया।
बेटा, आप लोग इधर आ जाओ, अंकल वाली सीट पर, अंकल उधर बैठ जायेंगे, अंकल ने अपने बच्चों से मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा।
अपूर्वा खुश हो गई और तुंरत उठकर रिया के साथ वाली सीट पर बैठ गई। सुमन सबसे बाद वाली सीट पर बैठी थी। उसके बाद बैठे लड़के ने सीट बदल ली थी और अब उसके बाद वाली सीट पर लड़की बैठी थी और वो लड़का लड़के के बाद बैठा था।
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andyking302

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मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया ताकि वो चिकोटी ना काट सके और मूवी देखने लगा।
मत बताओ, मैं इससे ही पूछ लूंगी, नवरीत ने थोड़ा नाराज होते हुए थोउ़ी तेज आवाज में कहा।
क्या हुआ, अपूर्वा ने अपना सिर उठाकर हमारी तरफ देखते हुए कहा।
कुछ नहीं, मैंने कहा।
नवरीत ने मेरी तरफ इशारा करते हुए अपूर्वा को आंख मार दी, जिससे वो थोड़ा शरमा गई और फिर से मेरे कंधे पर सिर रख दिया।
अपूर्वा ने अपना हाथ मेरी काख में से निकालते हुए मेरे हाथ की उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा दी और अपना हाथ मेरी सातल पर रख लिया।
दूसरी तरफ से नवरीत का हाथ मेरी दूसरी सातल पर था, जिसको मैंने पकड़ा हुआ था, ताकि वो चुटकी ना काट सके।
मैं आराम से बैठकर मूवी देखने लगा। कुछ देर बाद नवरीत ने भी झमाई लेते हुए अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया और अपने हाथ की उंगलियां मेरे हाथ में फंसा ली।
मैंने उसकी तरफ देखा, पर उसकी नजरें पर्दे पर टिकी थी।
वैसे आपका सोनल के साथ वो वाला चक्कर है ना, नवरीत ने धीमें से कहा।
कौन से वाला, मैंने वैेसे ही बैठे हुए आराम से कहा।
वही वाला, नवरीत ने कहा।
कौनसा वही वाला, मैंने भी उसकी लहजे में सवाल किया।
चलो छोड़ो मैं ये भी उसी से पूछ लूंगी, उसने मेरी उंगलियों को भिंचते हुए कहा।
सच में अपूर्वा में साथ तुम्हारा कोई चक्कर नहीं हैं, नवरीत ने थोड़ी देर बाद फिर से सवाल किया।
नहीं, मैंने हलका से जवाब दिया।
तुम्हारा बेशक ना हो, पर इसका तो तुम्हारे साथ कुछ चक्कर है, नवरीत ने फिर कहा।
क्यों, तुम्हें कैसे पता, मैंने कहा।
और क्या, ऐसे ही थोड़े तुम्हारे कंधे पर सिर रखकर बैठेगी, नवरीत ने कहा।
वो तो तुमने भी रखा हुआ है, इसका मतलब तुम्हारा भी कुछ चक्कर है, मुझसे, मैंने उसका हाथ दबाते हुए कहा।
मेरी बात अलग है, मैं तो अभी दूसरी बार ही मिली हूं तुमसे, पर वो तो हमेशा साथ ही रहती है, मुझे पता तो लगाना ही पड़ेगा, क्या चक्कर है, नवरीत ने कहा।
यार, अब तक ये भी नहीं पता कि मूवी में क्या हुआ है, तो मुझे लगता है अब मूवी पर धयान देना चाहिए, ताकि बाहर कोई पूछ ले कि कैसी थी तो कुछ तो बता सकें, मैंने कहा।
नाहहह,,,, मूवी तो कभी भी देखी जा सकती है, तुम थोड़े ही बार बार मिलोगे, नवरीत ने कहा।
अपूर्वा और नवरीत पॉपकॉर्न उठा उठाकर खा रही थी, पर मेरे तो दोनों हाथ बंधे हुए थे। नवरीत वाला हाथ तो मैं हटा नहीं सकता था, नहीं तो वो फिर से चुटकी काटने लग जाती। इसलिए मैंने अपूर्वा वाला हाथ उठाना चाहा तो उसने अपना दूसरा हाथ भी रख दिया और मेरे हाथ को पकड़ कर बैठ गई।
नवरीत शायद समझ गई थी, उसने खुद खाने के साथ साथ मुझे भी पॉपकॉर्न खिलाने शुरू कर दिये।
पूरी मूवी खत्म हो गई पर उसकी बातें खत्म नहीं हुई, पर मुझे भी तो मजा आ रहा था उसकी बातों में, इसलिए मूवी कब खत्म हुई पता ही नहीं चला। वो तो जब सभी खड़े होने लगे, तब पता चला कि मूवी खत्म हो गई है, और तो और मुझे तो इंटरवल का भी पता नहीं चला। पूरी मूवी में वो कभी सोनल के बारे में कभी अपूर्वा के बारे में, ऐसे ही पूछती रही।
मूवी खत्म होने पर हम बाहर आ गये। रिया मुझे कुछ अजीब तरह से घूर रही थी। पर मैंने ज्यादा धयान नहीं दिया।
चलो ना उंट की सवारी करते हैं, अपूर्वा ने कहा।
हां, मैं भी आज तक उंट पर नहीं बैठी हूं, सुमन ने भी सहारा लगाया।

चलो ठीक है, तो आज उंट की सवारी भी हो जाये, मैंने कहा।
मैं तो नहीं बैठूंगी, मुझे तो डर लगता है, रिया ने मुंह बनाते हुए कहा।
हम उंट वाले के पास आ गये, उसने एक पर्सन के पचास रूपये बताये। पहले अपूर्वा उंट की तरफ बढ़ी और मुझे भी कोहनी मार कर आने के लिए कहा। पर जब तक मैं आगे बढ़ता सुमन बढ़ चुकी थी।
अपूर्वा उंट पर बैठ गई, पर जब उसने मुझे दूर खड़े देखा और देखा कि सुमन साथ में बैठ रही है तो बुरा सा मुंह बना लिया। पर अब हो भी क्या सकता था।
वो दोनों उंट पर बैठ गई। सुमन ने अपने हाथ अपूर्वा मे पेट पर रख दिये और उसको कसकर पकड़ लिया। वो कुछ डर रही थी।
डर के आगे जीत है, मैंने जोर से आवाज लगाकर उसे कहा। वो मुस्कराई और अपूर्वा से चिपक के बैठ गई। मैंने अपने मोबाइल से उनके कुछ फोटो लिए। उंट वाला उन्हें पार्क में थोड़ी दूर तक घुमा कर लाया और वापिस आकर उंट को नीचे बैठा कर दिया। दोनों उतर गई।
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