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Adultery बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई (Completed)

Kahani kaisi hai?

  • Achhi hai.

    Votes: 12 100.0%
  • Buri hai.

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andyking302

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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--45
गतांक से आगे ...........
रीत,,,,, आज कैसे याद आ गई हमारी, नवरीत को देखते ही लॉन में बैठी आंटी ने कहा।
अपूर्वा कहां है, नवरीत ने बिना कोई जवाब दिये सीधे ही सवाल किया।
वो अपने रूम में आराम कर रही है, और ये सब कौन हैं, आंटी ने बताया और फिर पूछा।
बाद में बताती हूं, कहते हुए नवरीत सीधी अंदर चली गई।
उसके साथ सोनल, रूपाली और कोमल भी अंदर चली गई। मैं बाहर ही खड़ा रहा।
मैं लॉन में आया और आंटी के पैर छूकर नमस्ते किए।
जीते रहो बेटा, आंटी ने आशीर्वाद देते हुए कहा।
मेरा नाम समीर है आंटी, अपूर्वा के ऑफिस में काम करता हूं, मैंने कहा।
ओहहह----- समीर बेटा,,, अरे आओ,,, कहते हुए आंटी ने उठकर मुझे गले लगा लिया।
मैं थोड़ा सा हैरान हुआ, पर ज्यादा नहीं सोचा इस बारे में।
अपूर्वा हमेशा तुम्हारी ही बातें करती रहती है, आंटी ने कहा।
आंटी की बात सुनकर मैं थोड़ा शरमा गया।
मेरा मन तो हो रहा था कि जाकर अपूर्वा को देखूं, कैसी है, पर हिम्मत नहीं कर पा रहा था, कि आंटी क्या सोचेगी।
वो अपूर्वा कैसी है अब, मैंने आंटी से पूछा।
अब ठीक है, बस आराम कर रही है, जाओ मिल लो, आंटी ने कहा और अंदर चल पड़ी।
मैं आंटी के पिछे पिछे अंदर आ गया।
वो उपर सामने वाला कमरा है, मैं तो उपर कम ही जाती हूं, घुटनों में दर्द हो जाता है, आंटी ने उपर इशारा करते हुए कहा।
आंटी शरीर से इतनी बूढी नहीं लग रही थी, और न ही ज्यादा मोटी थी, पर घुटनों का दर्द शरीर देखकर थोड़े ही आता है, कभी भी लग जाता है।
ओके--- कहता हुआ मैं उपर चल दिया।
रूम में आकर देखा तो सभी लड़कियां बेड पर बैठी हुई थी और अपूर्वा उनके बीच में बैठी थी, जैसे सभी को कोई कहानी सुना रही हो। सभी लड़कियां बहुत गौर से उसकी बातें सुन रही थी।
मेरे अंदर आते ही सबने मेरी तरफ देखा। मुझे देखते ही अपूर्वा बेड से उठी और आकर मेरे गले लग गई।
थैंक्स, अपूर्वा ने मेरे गले लगे हुए ही कहा।
थैंक्स, पर किस लिए,, मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा।
मेरा हाल-चाल पूछने के लिए घर आने के लिए, अपूर्वा ने कहा।
वो मुझे कस कर अपनी बाहों में भींचे हुए थी। मैं उसके बालों को सहला रहा था और मेरा एक हाथ उसकी कमर में था।
तुम्हारा फोन क्यों नहीं मिल रहा, मैंने कहा।
वो पता नहीं क्यों उसमें नेटवर्क ही नहीं आ रहा, अपूर्वा ने कहा।
ओ मैडम, अब ऐसे ही चिपकी रहोगी क्या, नवरीत की आवाज आई।
हमारे गले तो नहीं मिली तुम, नवरीत ने फिर कहा।
नवरीत की बात सुनकर अपूर्वा मुझसे अलग हुई, उसके मुंह पर कुछ पीलापन सा था, पर नवरीत की बात सुनकर गाल फिर भी शरम से लाल हो गये थे।
एकदम पीला निकल आया है चेहरा, मैंने उसके गालों को हथेलियों में भरते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा फिर से मेरे गले लग गई। मेरी नजर पिछे बैठी लड़कियों पर पड़ी, सभी हमें ही देख रही थी।
नवरीत ने मेरी तरफ उंगली हिलाते हुए आंखों से इशारा किया जैसे कह रही हो, ‘तो ये माजरा है’।
मैं अपूर्वा को बांहों में बांधे हुए बेड तक लाया और उसको बेड पर बैठा दिया।
आराम से बैठो, अभी तुम्हें आराम की जरूरत है, मैंने कहा और रूम में नजरें घुमाने लगा।
अपूर्वा शर्म से लाल चेहरा लिए नजरें झुकाकर बैठी थी।
तू इधर आ, तेरी तो मैं अभी क्लास लेती हूं, नवरीत ने उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा।
अपूर्वा लुढकते हुए बेड पर गिर गई। नवरीत ने उसका सिर अपनी गोद में रख लिया।
ओए होए----- कैसे सेब जैसे लाल हो गये हैं गाल, नवरीत ने उसके गालों को मसलते हुए कहा।
मैं रूम में रखी चेयर बेड के पास करके बैठ गया।
अपूर्वा के पैर बेड से नीचे लटक रहे थे। मैंने उठाकर अपनी गोद में रख लिए। अपूर्वा ने सिर उठाकर मेरी तरफ देखा और मुस्करा कर वापिस नवरीत की गोद में सिर रख दिया।
बड़ा प्यार आ रहा है, सोनल ने मेरे गालों को खींचते हुए कहा।
हां हां----- आयेगा क्यों नहीं, आते ही गले जो मिली है, रूपाली ने भी उसका साथ देते हुए कहा।
मैंने कोमल की तरफ देखा, वो थोड़ा शरमा रही थी।
मैं अपूर्वा के पैरों की उंगलियों को मसाज देने लगा।
तभी आंटी अंदर आई और उनके पिछे पिछे कामवाली बाई चाय की ट्रे लेकर आई।
आंटी के आते ही मैंने उठ कर कुर्सी आंटी को ऑफर की।
अरे बेटा बैठो, मैं और ले लेती हूं, कहते हुए आंटी ने एक और चेयर बेड के पास सरका ली और उस पर बैठ गई।

मैं चेयर पर बैठ गया। मेरे बैठते ही अपूर्वा ने अपने पैर फिर से मेरी गोद में रख दिये। मैंने आंटी की तरफ देखा, आंटी हमारी तरफ ही देख रही थी। मेरे देखने पर आंटी मुस्करा दी।
चाय लो बेटा, आंटी ने ट्रे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
बाई ट्रे लेकर मेरे साइड में खड़ी थी। बाकी सभी ने चाय ले ली थी। मैंने एक कप चाय का उठाकर आंटी को दिया और दूसरा खुद ले लिया। उसने नमकीन की प्लेट बेड पर सबके बीच में रख दी।
नवरीत अपूर्वा के सिर को गोद में रखे अपूर्वा के बालों और माथे को सहला रही थीं। अपूर्वा आंखें बंद करके मजे से लेटी थी।
अब मुझे भी तो सभी के बारे में बताओ, कौन किसकी फ्रेंड है, आंटी ने नवरीत की तरफ देखते हुए कहा।
ओह, मैं तो भूल ही गई, अपने माथे पर हाथ मारते हुए नवरीत ने कहा और फिर सभी का इंट्रो कराया।
ये सोनल, मेरी फ्रेंड है, मालवीय नगर में ही रहती है, ये रूपाली सोनल की फ्रेंड है, अब मेरी भी है, और ये हैं कोमल, ये रूपाली की फ्रेंड है, कहकर नवरीत चुप हो गई।
और कोमल हमारे बॉस की साली है, अपूर्वा ने कहा।
अच्छा तो ये है वो कोमल, जिसके बारे में तुम बता रही थी, आंटी ने कहा।
बहुत प्यारी हो बेटी, क्या करती हो, आंटी ने कोमल के गालों को सहलाते हुए कहा।
जी अभी पढ़ाई पूरी की है, कोमल ने कहा।
इस अपूर्वा की बच्ची के पेट में कुछ रूकता भी है या नहीं, मैंने मन ही मन सोचा।
चाय पीकर कप वापिस ट्रे में रख दिये, नमकीन तो मुझे पता ही नहीं चला कब खत्म हो गई। बातों बातों में नवरीत और सोनल ने सारी खत्म कर दी। बाकियों ने तो थोड़ी सी ली होगी।
बेटा घर पर कौन कौन हैं, आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।
जी आंटी, मम्मी-पापा और हम दो भाई हैं, एक बहन है, मैंने कहा।
भाई छोटा है या बड़ा, आंटी ने फिर पूछा।
जी दोनों छोटे हैं, बहन की शादी हो चुकी है, मैंने कहा।
हम भी सोच रहे हैं अब अपूर्वा की शादी के बारे में, आंटी ने कहा।
जी आंटी, मैंने कहते हुए अपूर्वा की तरफ देखा।
वो मुझे ही देखे जा रही थी। नवरीत की नजरें भी मुझ पर ही थी।
तभी कोमल का फोन बजने लगा। वो उठकर बाहर चली गई।
आंटी मुझसे मेरे घर-परिवार के बारे में पूछती रही और मैं बताता रहा।
कुछ देर बाद कोमल वापिस आई और मेरे पास आकर खड़ी हो गई।
दीदी का फोन था, आने के बारे में पूछ रही थी, कोमल ने कहा।
आज इधर ही रूकना है, कल मेरे साथ ही चलना, अपूर्वा ने कहा।
नहीं, नहीं, जाना तो पड़ेगा ही, कोमल ने कहा।
नहीं, आज तुम यहीं पर रूकोगी, आपने प्रोमिस किया था, और आज आई हुई भी हो, तो आज ही रूकना है, अपूर्वा ने कहा।
ओके---- मैं दीदी से बात कर लेती हूं, कहते हुए कोमल उठकर बाहर चली गई।
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andyking302

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अपूर्वा अब आंटी की चेयर पे हाथ रखकर खड़ी थी। उसने अपनी बाहें आंटी के गले में डाल दी और अपना चेहरा आंटी के कानों के पास करके कुछ फुसफुसाई।
आंटी ने मुस्कराते हुए उसके गालों पर एक थपकी दी।
प्लीज, मॉम,,, अपूर्वा ने कहा।
ओके बेटा, मैं देखती हूं, कहते हुए आंटी उठ गई।
मैं नीचे चलती हूं, आप लोग बातें करो, कहकर आंटी बाहर चली गई।
आंटी के जाते ही अपूर्वा मेरी चेयर के पास आई और पिछे से मेरे गले में बाहें डालकर खड़ी हो गई। वो अपने चेहरे को मेरे कान के पास लेकर आई और फिर धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई।
आज यही पर रूकना है आपको भी, मैंने मम्मी को कह दिया है, उसने फुसफुसा कर कहा।
क्या, तुम पागल तो नहीं हो, मैंने आश्चर्य से उसकी तरफ अपना चेहरा करते हुए कहा।
चेहरा घुमाने से मेरे होंठ सीधे उसके होंठों से टकरा गये। मैंने तुरंत अपना चेहरा पिछे किया।
हमें देखकर सभी हंसने लगे, अपूर्वा का चेहरा फिर से शरम से लाल हो गया।
प्लीज रूक जाओ ना, वो फिर से मेरे कान में फुसफुसाई।
नहीं यार, जाना तो पड़ेगा ही, मैंने धीरे से कहा।
तभी नीचे से आंटी की आवाज आई।
आई मम्मी, कहते हुए अपूर्वा बाहर चली गई।
उसके बाहर जाते ही कोमल अंदर आई।
तो जी क्या डिसाइड हुआ, नवरीत ने कहा।
दीदी मना कर रही है, कोमल ने कहा।
अरे मेरे से बात करवाओ, ऐसे कैसे मना कर रही है, नवरीत ने कहा।
ओके, ठीक है, रूक रही हूं, कोमल ने मुस्कराते हुए कहा।
ये हुए ना बात, कहते हुए नवरीत ने कोमल का हाथ पकड़कर बेड पर खींच लिया।
कोमल सीधा उसकी उपर जाकर गिरी।
तुम्हारी ये बात बड़ी बेकार है, लेती हो और ऐसे खींचते हो जैसे कोई खिलोना हो, अगर चोट लग जाये तो, मैंने कहा।

दिखाना कहां चोट लग गई, नवरीत ने कोमल के शरीर को टटोलते हुए कहा।
मेरा मतलब लग सकती है, मैंने कहा।
नवरीत ने मेरी तरफ घूर कर देखा, और फिर मुस्करा दी। मेरी भी हंसी छूट गई।
कैसा है मेरा बेटा, नीचे से किसी आदमी की आवाज आई।
अंकल आ गये, नवरीत ने कहा और उठकर बाहर चल दी।
दीदी नाराज हो रही थी, कह रही थी ऐसे कैसे किसी के भी घर रूक जाओगी, कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
अब ये तुम जानो, मेरी मैम हैं, मैं क्या कह सकता हूं, मैंने कहा।
आपसे बात करवाने के लिए कह रही थी, कोमल ने कहा।
मुझसे, मर गया,,,,, मैंने कहा।
मैंने अपना सैल निकाला और मैम का नम्बर मिलाया।
हैल्लो, फोन उठाते ही मैम ने कहा।
हैल्लो मैम, मैंने कहा।
कहां पर हो, मैम ने पूछा।
अपूर्वा के घर हैं मैम, मैंने कहा।
गये तो कोमल की दोस्त के घर थे, वहां कैसे पहुंच गये, मैम ने पूछा।
वो कोमल की दोस्त मेरे घर पर थी, और फिर वहां से सभी अपूर्वा के घर पर आ गये, मैंने कहा।
तो ये आज रूकने का क्या चक्कर है, मैम ने कहा।
मुझे नहीं पता, वो अपूर्वा कह रही थी इनको रूकने के लिए, मैंने कहा।
क्या करेगी रूककर, मिल ली है, अब रात भर रूकने का क्या मतलब है, मैम ने कहा।
तुम भी उधर ही रूक रहे हो क्या, मैम ने कुछ रूककर फिर पूछा।
मैं यहां कैसे रूक सकता हूं मैम, इनके घर वाले क्या सोचेंगे, मैंने कहा।
ठीक है, अगर तुम वही पर रूक रहे हो, तो कोमल भी रूक जायेगी नहीं तो, उसको रूकने की कोई जरूरत नहीं है, मैम ने कहा।
ठीक है मैम, मैंने कहा और बाये करके फोन काट दिया।
कोमल मेरी तरफ ही देखे जा रही थी, मेरे उतर के इंतजार में। मैंने एक बार उसकी तरफ देखा और बेड पर बैठ गया।
क्या कहा दीदी ने, कोमल ने पास आते हुए कहा।
मैंने बेकार सा मुंह बना दिया, जैसे कहना चाह रहा हों कि मना कर दिया। मैं देखना चाहता था कि ये क्या चाहती है।
मेरे मुंह बनाने से कोमल समझ गई कि मैम ने मना कर दिया है, और उदास सा चेहरा बनाकर बैठ गई।
उदास होने का साफ मतलब था कि वो यहां पर रूकना चाहती है। अब मुझे सोचना था कि ऐसा क्या करूं जिससे मुझे भी ना रूकना पड़े और ये भी यहां पर रूक सके।
क्रमशः.....................
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andyking302

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मैंने चारों तरफ नजर घुमाई,,,,, पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा था। पहाड़ों पर लाल लाइट जल-बुझ रही थी। मैंने आसमान की तरफ देखा तो पूरा आसमान तारों से भरा हुआ था। एकदम साफ आकाश,,,,, छोटा सा चांद दिखाई दे रहा था।
मैं मुंडेर पर चढकर दूसरी साइड पैर लटका कर बैठ गया। दूसरी साइड भी छत थी, इसलिए गिरने की टैंशन नहीं थी। मैं ऐसे ही बैठे हुए आसमान में देखने लगा। शायद तारें गिनने की कोशिश कर रहा हों।

आज काफी समय बाद इस तरह से आसमान में देख रहा था,,, शायद गांव से शहर में आने के बाद पहली बार। मन को बहुत ही शांति सी मिल रही थी। मैं काफी देर तक ऐसे ही आसमान में देखता रहा। तभी मुझे मेरे कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ।
मैंने गर्दन घुमा कर देखा, पिछे अपूर्वा खड़ी थी।
हाए,,,,,, नींद कैसे खुल गई,,,, मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा।
बाथरूम जाने के लिए उठी थी, देखा तो आप वहां पर नहीं थे,,,, फिर दूसरे कमरे में भी देखा,, पर वहां भी नहीं थे,,, अपूर्वा ने कहा।
मैं एकबार तो काफी परेशान हो गई,,, पर फिर ये उपर का दरवाजा खुला हुआ दिखाई दिया तो मैं उपर देखने आ गई,,, अपूर्वा ने थोड़ा रूककर फिर कहा।
नींद नहीं आर ही थी, तो उपर आ गया,,, मैंने कहा।
अपूर्वा भी मुंडेर पर मेरे साइड में बैठ गई।
कितना ब्यूटीफुल नजारा है,,,, अपूर्वा ने कहा।
हम्ममम,,,,, बहुत दिनों बाद आज रात में आसमान को देख रहा हूं,, बहुत ही अच्छा लग रहा है,,,, मैंने उसके हाथ को अपने हाथों में लेकर सहलाते हुए कहा।
मैं तो पता नहीं आज कितने महीनों बाद उपर आई हूं,,,, अपूर्वा ने कहा और अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया।
बहुत ही अच्छा लग रहा है, इस तरह खुले आसमान के नीचे बैठकर,,,, अपूर्वा ने फिर से कहा।
हम्ममममम,,,,, मैंने बस इतना ही कहा और अपना एक हाथ अपूर्वा के सिर में लेजाकर उसके बालों को सहलाने लगा।
अपूर्वा के साथ इस तरह बैठने से मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मन हो रहा था कि बस ऐसे ही बैठा रहूं। पता नहीं पर किसी कोने में बहुत ही मीठा सा आनंद महसूस हो रहा था।
आखिरकार मेरी सबसे अच्छी दोस्त जो थी वो,,, और इस तरह खुले आसमान में रात को हल्की हल्की ठण्ड में बैठना,,,, बहुत ही आनंददायक था।
अपूर्वा ने अपना हाथ मेरी कमर में रख दिया और सरककर पूरी तरह से मुझसे सट गई और दूसरा हाथ मेरी गोद में रख दिया। उसके इस तरह बैठने से उसके उरोज मेरे साइड और छाती पर दब गये थे। बहुत ही कोमल एहसास था। हम कितनी ही बार एक साथ रहे हैं, कितनी बार अपूर्वा मेरे से सटकर बैठी है, परन्तु आज तक कभी भी मेरे मन में उसके लिए कोई गलत विचार नहीं आया था। और आज भी वैसा ही था।
वो बहुत ही प्यारी लग रही थी। उसके चेहरे की मासूमियत कोई भी गलत विचार आने ही नहीं दे सकती थी।
आप घर कब जा रहे हो,,,, अपूर्वा ने ऐसे ही बैठे हुए पूछा।
क्यों,,,,, कोई स्पेशल बात है क्या,,,, मैंने पूछा।
नहीं,,,, वो आंटी का फोन आया था ना आपके रिश्ते की बात के लिए,,,, और आपको संडे को बुलाया था,,,,,,, अपूर्वा ने कहा।
ओ तेरे की,,,,,, मैं तो भूल ही गया था,,,, मैंने हैरान होते हुए कहा।
थैंक्स यार याद दिलाने के लिए,,,,, नहीं तो मम्मी तो यहीं पर पहुंच जाती बेलन लेकर,,,,,,, मैंने हंसते हुए कहा।
अपूर्वा भी हंसने लगी।
कल शनिवार है,,,, कल ही जाउंगा शाम को,,,,, मैंने कहा।
तो अगर आपको लड़की पसंद आ गई तो,,,,, हां कर दोगे,,,,, अपूर्वा ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा।
अरे अभी तो बस रिश्ते वाले आयेंगे,,, लड़की से मिलना तो बाद की बातें हैं,,,,, मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा।
पर हो सकता है,,, साथ ही आज जाये लड़की भी,,,, अपूर्वा ने कहा।
आपकी फोटो तो उन्होंने देख ही रखी होगी,,,,, अगर वो रिश्ता पक्का करने आये तो,,, लड़की भी साथ ही आ सकती है,,,,, अपूर्वा ने मेरे आंखों को टटोलते हुए कहा।
फिर भी,,,,, ऐसे किसी को एकबार देखकर थोड़े ही हां कर दूंगा,,,,,,, वैसे भी मैं अभी एक-दो साल तक तो शादी करने वाला हूं,,,,, मैंने कहा।
क्यों,,,,,, अपूर्वा ने पूछा।
अरे यार,,, मुझे परेशान होना पसंद नहीं है, खुद भी परेशान रहो,,,,, उसको भी परेशान रखो,,,, इसलिए मैं तभी शादी करूंगा तब अच्छा-खासा पैसा हो जायेगा,,,, ताकि फिर कोई टैंशन ना रहे,,,,,, मैंने कहा।
अब ऐसे में शादी कर लूंगा तो मैं तो पैसे कमाने के चक्कर में परेशान रहूंगा,,,, और पैसे की कमी में उसकी जरूरते भी पूरी नहीं होगी तो वो भी परेशान रहेगी,,, मैंने फिर कहा।
मैंने देखा है, खुद महसूस किया है,,,, जो जिंदगी मैंने गरीबी में काटी है,,, मैं नहीं चाहता कि मेरे बीवी-बच्चे भी उसी तरह की जिंदगी जिये,,,,,, मैंने कहा।
अपूर्वा अभी भी मेरी चेहरे पर ही देखे जा रही थी। उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी।
और अगर वो अमीर बाप की इकलौती बेटी हुई तो,,,, तब भी नहीं करोगे,,,,,, अपूर्वा ने मुस्कराते हुए कहा।
हम्ममम,,,, डिपेंड करता है,,,, अगर वो अपनी अमीरी दिखायेंगे तो फिर मेरी ना ही होगी,,,, क्योंकि मैं किसी का गुलाम बनकर जिंदगी नहीं जी सकता।

हां अगर वो अच्छे इंसान हुए,,,,, और अपने पैसों का रूतबा नहीं दिखाते तो फिर उस बारे में सोचा जा सकता है, मैंने बात पूरी करते हुए कहा।
अचानक अपूर्वा ने मेरे गाल पर एक प्यारी सी किस की और अपना चेहरा मेरे छाती में छुपा लिया।
क्रमशः.....................
शानदार जबरदस्त भाई
 
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andyking302

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मैंने चारों तरफ नजर घुमाई,,,,, पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा था। पहाड़ों पर लाल लाइट जल-बुझ रही थी। मैंने आसमान की तरफ देखा तो पूरा आसमान तारों से भरा हुआ था। एकदम साफ आकाश,,,,, छोटा सा चांद दिखाई दे रहा था।
मैं मुंडेर पर चढकर दूसरी साइड पैर लटका कर बैठ गया। दूसरी साइड भी छत थी, इसलिए गिरने की टैंशन नहीं थी। मैं ऐसे ही बैठे हुए आसमान में देखने लगा। शायद तारें गिनने की कोशिश कर रहा हों।

आज काफी समय बाद इस तरह से आसमान में देख रहा था,,, शायद गांव से शहर में आने के बाद पहली बार। मन को बहुत ही शांति सी मिल रही थी। मैं काफी देर तक ऐसे ही आसमान में देखता रहा। तभी मुझे मेरे कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ।
मैंने गर्दन घुमा कर देखा, पिछे अपूर्वा खड़ी थी।
हाए,,,,,, नींद कैसे खुल गई,,,, मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा।
बाथरूम जाने के लिए उठी थी, देखा तो आप वहां पर नहीं थे,,,, फिर दूसरे कमरे में भी देखा,, पर वहां भी नहीं थे,,, अपूर्वा ने कहा।
मैं एकबार तो काफी परेशान हो गई,,, पर फिर ये उपर का दरवाजा खुला हुआ दिखाई दिया तो मैं उपर देखने आ गई,,, अपूर्वा ने थोड़ा रूककर फिर कहा।
नींद नहीं आर ही थी, तो उपर आ गया,,, मैंने कहा।
अपूर्वा भी मुंडेर पर मेरे साइड में बैठ गई।
कितना ब्यूटीफुल नजारा है,,,, अपूर्वा ने कहा।
हम्ममम,,,,, बहुत दिनों बाद आज रात में आसमान को देख रहा हूं,, बहुत ही अच्छा लग रहा है,,,, मैंने उसके हाथ को अपने हाथों में लेकर सहलाते हुए कहा।
मैं तो पता नहीं आज कितने महीनों बाद उपर आई हूं,,,, अपूर्वा ने कहा और अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया।
बहुत ही अच्छा लग रहा है, इस तरह खुले आसमान के नीचे बैठकर,,,, अपूर्वा ने फिर से कहा।
हम्ममममम,,,,, मैंने बस इतना ही कहा और अपना एक हाथ अपूर्वा के सिर में लेजाकर उसके बालों को सहलाने लगा।
अपूर्वा के साथ इस तरह बैठने से मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मन हो रहा था कि बस ऐसे ही बैठा रहूं। पता नहीं पर किसी कोने में बहुत ही मीठा सा आनंद महसूस हो रहा था।
आखिरकार मेरी सबसे अच्छी दोस्त जो थी वो,,, और इस तरह खुले आसमान में रात को हल्की हल्की ठण्ड में बैठना,,,, बहुत ही आनंददायक था।
अपूर्वा ने अपना हाथ मेरी कमर में रख दिया और सरककर पूरी तरह से मुझसे सट गई और दूसरा हाथ मेरी गोद में रख दिया। उसके इस तरह बैठने से उसके उरोज मेरे साइड और छाती पर दब गये थे। बहुत ही कोमल एहसास था। हम कितनी ही बार एक साथ रहे हैं, कितनी बार अपूर्वा मेरे से सटकर बैठी है, परन्तु आज तक कभी भी मेरे मन में उसके लिए कोई गलत विचार नहीं आया था। और आज भी वैसा ही था।
वो बहुत ही प्यारी लग रही थी। उसके चेहरे की मासूमियत कोई भी गलत विचार आने ही नहीं दे सकती थी।
आप घर कब जा रहे हो,,,, अपूर्वा ने ऐसे ही बैठे हुए पूछा।
क्यों,,,,, कोई स्पेशल बात है क्या,,,, मैंने पूछा।
नहीं,,,, वो आंटी का फोन आया था ना आपके रिश्ते की बात के लिए,,,, और आपको संडे को बुलाया था,,,,,,, अपूर्वा ने कहा।
ओ तेरे की,,,,,, मैं तो भूल ही गया था,,,, मैंने हैरान होते हुए कहा।
थैंक्स यार याद दिलाने के लिए,,,,, नहीं तो मम्मी तो यहीं पर पहुंच जाती बेलन लेकर,,,,,,, मैंने हंसते हुए कहा।
अपूर्वा भी हंसने लगी।
कल शनिवार है,,,, कल ही जाउंगा शाम को,,,,, मैंने कहा।
तो अगर आपको लड़की पसंद आ गई तो,,,,, हां कर दोगे,,,,, अपूर्वा ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा।
अरे अभी तो बस रिश्ते वाले आयेंगे,,, लड़की से मिलना तो बाद की बातें हैं,,,,, मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा।
पर हो सकता है,,, साथ ही आज जाये लड़की भी,,,, अपूर्वा ने कहा।
आपकी फोटो तो उन्होंने देख ही रखी होगी,,,,, अगर वो रिश्ता पक्का करने आये तो,,, लड़की भी साथ ही आ सकती है,,,,, अपूर्वा ने मेरे आंखों को टटोलते हुए कहा।
फिर भी,,,,, ऐसे किसी को एकबार देखकर थोड़े ही हां कर दूंगा,,,,,,, वैसे भी मैं अभी एक-दो साल तक तो शादी करने वाला हूं,,,,, मैंने कहा।
क्यों,,,,,, अपूर्वा ने पूछा।
अरे यार,,, मुझे परेशान होना पसंद नहीं है, खुद भी परेशान रहो,,,,, उसको भी परेशान रखो,,,, इसलिए मैं तभी शादी करूंगा तब अच्छा-खासा पैसा हो जायेगा,,,, ताकि फिर कोई टैंशन ना रहे,,,,,, मैंने कहा।
अब ऐसे में शादी कर लूंगा तो मैं तो पैसे कमाने के चक्कर में परेशान रहूंगा,,,, और पैसे की कमी में उसकी जरूरते भी पूरी नहीं होगी तो वो भी परेशान रहेगी,,, मैंने फिर कहा।
मैंने देखा है, खुद महसूस किया है,,,, जो जिंदगी मैंने गरीबी में काटी है,,, मैं नहीं चाहता कि मेरे बीवी-बच्चे भी उसी तरह की जिंदगी जिये,,,,,, मैंने कहा।
अपूर्वा अभी भी मेरी चेहरे पर ही देखे जा रही थी। उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी।
और अगर वो अमीर बाप की इकलौती बेटी हुई तो,,,, तब भी नहीं करोगे,,,,,, अपूर्वा ने मुस्कराते हुए कहा।
हम्ममम,,,, डिपेंड करता है,,,, अगर वो अपनी अमीरी दिखायेंगे तो फिर मेरी ना ही होगी,,,, क्योंकि मैं किसी का गुलाम बनकर जिंदगी नहीं जी सकता।

हां अगर वो अच्छे इंसान हुए,,,,, और अपने पैसों का रूतबा नहीं दिखाते तो फिर उस बारे में सोचा जा सकता है, मैंने बात पूरी करते हुए कहा।
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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--49
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मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी, इसलिए मैं थोड़ा हैरान था और चेहरे पर मुस्कराहट भी थी।
मैंने उसके चेहरे केा पकड़कर उपर उठाया और उसकी आंखों में देखने लगा। उसकी पलकें झुकी हुई थी और गाल एकदम गुलाबी हो चुके थे।
अपूर्वा,,, ये क्या था,,,,,, मैंने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा।
उसने एक बार अपनी पलकें उपर उठाकर मेरी आंखों में देखा और तुरंत ही शरम से वापिस झुका ली और फिर से अपना चेहरा मेरी छाती में छुपा लिया।
अपूर्वा,,,, मैंने उसके बालों में हाल फिराते हुए कहा।
हूं,,,, उसने इतना ही कहा।
तुम बहुत नॉटी हो गई हो,,,, मैंने उसके सिर को वापिस उपर उठाने की कोशिश करते हुए कहा।
मुझे लज्जा आ रही है, प्लीज,,,,, उसने मेरा हाथ पकड़कर मुझे रोकते हुए कहा।
कुछ देर हम इसी तरह से बैठे रहे,,,, मन तो नहीं कर रहा था, पर रात काफी हो गई थी,,, इसलिए सोना भी जरूरी था।
मैंने अपूर्वा को खुद से अलग किया और उसके चेहरे की तरफ देखा।
उसके उस मासूम से चेहरे पर संतुष्टि,,,,, चंचलता एक साथ झलक रही थी।
चलें,,,, सुबह ऑफिस भी जाना है, मैंने कहा।
हूं,,, कहकर अपूर्वा मुंडेर से नीचे उतर गई।
नीचे आकर हमने रूम में देखा तो तीनों की तीनों पूरे बेड पर फैल चुकी थी एकदूसरे के उपर हाथ-पैर डाले सो रही थी।
उन्हें देखकर मैं दूसरे रूम की तरफ बढ़ गया। अपूर्वा भी मेरे साथ ही उसी रूम में आ गई।

मैं तो सोच रहा था कि बढ़िया तरह से कपड़े वगैरह निकाल के सोउंगा,,, पर अपूर्वा के आने से अब ऐसे ही सोना पडेगा। मैं जाकर बेड पर लेट गया और कम्बल ओढ लिया। अपूर्वा ने लाईट बंद करके नाइट लैंप जला दिया और दरवाजे को हल्का सा खुला रखते हुए बंद करके बाहर चली गई।
अब मैं कपड़े निकालकर सो सकता हूं, मैंने मन ही मन सोचा और कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद कपड़े निकाल कर साइड में रख दिये और आराम से आंखें बंद करके बेड पर फैल कर लेट गया।
तभी दरवाजा खुला और मैं तो बस अंदर तक हिल गया। सामने अपूर्वा थी, उसने झिन्नी सी नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उसकी ब्रा और पेंटी हल्की हल्की नजर आ रही थी। ये तो शुक्र था कि नाइट लैंप जल रहा था, नहीं तो शायद उसका पूरा बदन ही उजागर हो जाता।
वो मुस्कुराते हुए बेड के पास आई और कम्बल को उठाकर उसमें घुस गई।
मेरी तो बुरी हालत हो गई थी। मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि मैंने कपड़े क्यों निकाले। मैं थोड़ा सा साइड में सरक गया, जिससे उससे टच न हो पाउं, ताकि उसे पता न चले कि मैंने कपड़े उतार रखे हैं। मेरे शरीर पर बस अंडरवियर और सैंडो ही थी। मुझे बहुत ही शरम आ रही थी। मैं अपूर्वा की तरफ करवट लेकर लेट गया ताकि खुद को उससे टच होने से बचा सकूं।
अपूर्वा मेरी तरफ करवट लेकर लेट गई और मेरी आंखों में देखने लगी। शरम के मारे मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। उसने मेरे गालों पर हाथ रखा और सहलाते हुए बोली, ‘गुड नाइट’।
मैंने भी उसे गुड नाइट कहा और दोनों के बीच में कम्बल की थोड़ी सी दीवार बना दी। अपूर्वा हंसने लगी।
ये क्या कर रहे हो,,, अपूर्वा ने हंसते हुए कहा।
लक्ष्मण रेखा खींच रहा हूं,, मैंने भी हंसते हुए कहा।
इसकी कोई जरूरत नहीं है, कहते हुए अपूर्वा ने कम्बल को थोड़ा सा अपनी तरफ खींचा और मेरी तरफ सरक कर सीधी होकर लेट गई।
जब तक मुझे पूरी तरह विश्वास नहीं हो गया कि वो सो गई है तब तक मैं जागता ही रहा और जब मुझे लगा कि अब तो ये सो ही गई है, तो मैंने भी अपनी आंखें बंद कर ली और धीरे धीरे नींद के आगोश में समा गया।
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ट्रननननननननननननननननननननननननननन--------------------------------------------
कानों में ये कर्कश आवाज पड़ने से मेरी नींद खुली, मैंने हाथ उठाकर अलार्म बंद करना चाहा पर मेरा हाथ नहीं उठ पाया।
सोनम मुझसे चिपक कर सो रही थी, उसका हाथ मेरे हाथ पर रखा हुआ था, जिससे मैं हाथ नहीं उठा पा रहा था। मैंने उसके हाथ के नीचे से अपना हाथ निकाला और अलार्म की तरफ बढ़ाया,,, पर वहां तो कोई अलार्म नहीं था। मैंने थोड़ा सा और हाथ को इधर उधर मारा, पर अलार्म हाथ नहीं लगा। मुझे बेड का स्ट्रक्टचर भी कुछ बदला बदला सा लग रहा था।
तभी मुझे धयान आया कि ये अलार्म की टॉन तो मेरे मोबाइल में की है। मैंने मोबाइल उठाने के लिए सिरहाने पर टटोला तो मेरे हाथ में मेरी जींस आ गई।
हूं,,, कल कपड़े भी सिरहाने ही रख दिये,,, मैंने मन ही मन सोचा और जींस को एकतरफ करके मोबाइल ढूंढने लगा, पर मोबाइल हाथ नहीं आया।
तभी सोनल ने थोड़ी सी हलचल की और,,, और भी ज्यादा मुझसे चिपक गई। उसका एक पैर मेरी जांघों पर था और मेरा लिंग पूरी तरह तना हुआ था। उसका सिर मेरे कंधे पर रखा हुआ था और उसका एक हाथ मेरी छाती पर था। उसके उभार पूरी तरह से मेरे शरीर से दबे हुए थे।
मैंने थोड़ी सी आंखें खोली और गर्दन घुमा कर मोबाइल देखने लगा, पर कहीं मिल नहीं रहा था।
गर्दन घुमाने पर मेरी नजर बेड के साइड में रखे पोट पर पड़ी जिसमें मछलियां तैर रही थी, मैं हैरान हो गया, मेरे रूम में ये मछलियां कहां से आ गई।
मैंने आंखों को मसलते हुए इधर उधर देखा तो ये तो मेरा रूम ही नहीं है, मैंने थोड़ा सा दिमाग पर जोर डाला।
ओ तेरे की,,, मैं तो अपूर्वा के घर पर सोया था,,, मतलब मैं अपूर्वा के घर पर हूं,,, और ये,, ये,,, ओह माई गोड,,, ये अपूर्वा मुझसे इस तरह से चिपक कर सो रही है।
मेरी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। इतना धयान आते ही मैंने जल्दी से जींस को उठाया और उसमें से मोबाइल निकालकर अलार्म बंद किया।
शुक्र था कि अपूर्वा की आंख नहीं खुली, नहीं तो मैं कहीं का नहीं रहता।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही लेटा रहा और सोचता रहा कि अब क्या करूं। फिर काफी देर सोचने के बाद निर्णय लिया कि धीरे से इसको अपने से अलग करता हूं।
मैंने कम्बल को उतार कर साइड में कर लिया। पर जैसे ही मेरी नजर अपूर्वा पर पड़ी मैंने वापिस कम्बल को ओढ़ा दिया। उसकी नाइटी उसकी कमर तक आ चुकी थी और उसका नाभि से नीचे का पूरा शरीर नंगा था, बस एक छोटी सी पेंटी थी।
Shandar जबरदस्त भाई
 
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आंटी को बाये करके हम बाहर आ गये। कोमल आगे ही बैठ गई। मैंने गाड़ी स्टार्ट की और ऑफिस की तरफ चल पडे।
कोमल मेरी तरफ होकर बैठी थी जिससे गियर चेंज करते हुए मेरा हाथ बार-बार उसके घुटनों से टच हो रहा था।
मैंने उसकी तरफ देखा तो मुस्करा दी और फिर सामने देखने लगी।
मुझे लगता है कि अपूर्वा आपसे प्यार करती है, कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
ऐसा कुछ नहीं, हम बस बहुत अच्छे दोस्त हैं, मैंने कहा और मुस्करा दिया।
तुम्हें पता नहीं चला है, पर ये गहरी दोस्ती प्यार में बदल चुकी है, कोमल ने कहा।
तुम चाहे बेशक अभी भी इसको दोस्ती ही समझ रहे हो, पर अपूर्वा तुमसे प्यार करने लगी है, कोमल ने थोड़ा रूककर कहा।
तुम्हें कैसे पता, मैंने सामने देखते हुए ही कहा।
बस मुझे पता है, मैं लडकी हूं, और मुझे पता है कि प्यार में लड़की कैसे बिहेव करती है, आप जब सामने होते हैं तो जो उसके चेहरे पर चमक देखती हूं, जिस तरह से वो आपके साथ घुलती मिलती है, कोमल ने कहा।
अभी कैसे आपका हाथ अपने गालों पर से हटाने नहीं दे रही थी, कोमल ने फिर कहा।
ऐसा नहीं है, हम एक दूसरे से बहुत ज्यादा अटैच हैं, इसलिए हमारे बीच में कोई फॉर्मलटिज नहीं है, और इसीलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है, पर हम बस बहुत ही अच्छे, गहरे दोस्त हैं, और एक दूसरे से भावनात्मक रूप से अटैच हैं, मैंने उसे समझाते हुए कहा।
आप कुछ भी कहो, पर मुझे पता है कि वो आपसे प्यार करती है, कोमल ने अपना डिसीजन सुना दिया।
और आप भी करते हो, कोमल ने थोड़ा रूककर मेरी तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा।
मैं भी उसकी तरफ देखकर बस मुस्करा दिया।
करते हो के नहीं, बताओ,,, कोमल ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, तुम्हें वैसे ही लग रहा है, मैंने अपनी गर्दन को मोड कर उसके हाथ से अपने गाल टच करते हुए कहा।
नहीं, तुम करते हो, बस तुम्हें अभी तक इसका एहसास नहीं हुआ है, कोमल ने कहा और मेरे गालों को पकड़कर खिंच लिया।
आई------ क्या कर रही हो, दर्द हो रहा है,,, मैंने उसका हाथ हटाते हुए कहा।
बातों ही बातों में ऑफिस पहुंच गये।
कोमल उतरकर अंदर चली गई और मैंने गाड़ी को गैरेज में पार्क कर दिया।
बॉस यहीं पर है क्या, मैं गाड़ी को खड़ी करके आया तो कोमल दरवाजे पर ही खड़ी थी।
आज कोई भी नहीं है, दीदी की सहेली के यहां गये हुए हैं, कोई फंक्शन वगैरह है, कोमल ने कहा।
मैं ऑफिस की तरफ चल दिया। मैं अभी ऑफिस में आकर चेयर पर बैठा ही था कि कोमल भी पिछे पिछे आ पहुंची। वो अपूर्वा को चेयर को खींचकर मेरे पास लाई और मेरी चेयर पर अपनी कोहनी टेककर बैठ गई।
मैंने उसकी तरफ देखा और मुस्करा दिया। कोमल भी मुस्करा दी।
तुम पक्का हो ना कि तुम अपूर्वा से प्यार नहीं करते,,, कोमल ने पूछा।
मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो मेरी ही तरफ देख रही थी।
तुम क्यों इतनी इंक्वायरी कर रही हो, मैंने उसकी तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा।
उसने मेरी आंखों में देखते हुए कुछ ढूंढने की कोशिश की और अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया।
क्रमशः....................
जबरदस्त शानदार bhai
 
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andyking302

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हम काफी देर तक ऐसे ही गले लगे रहे। जब अपूर्वा कुछ शांत लगने लगी तो मैंने उसे अपने से अलग किया और उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसकी आंखों में देखने लगा। उसने एक बार तो मेरी आंखों में देखा, और फिर अपनी पलकें झुका ली।
क्या हुआ बेबी, बताओ तो, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
ये नहीं बतायेगी, मैं बताती हूं, नवरीत ने बेड पर बैठते हुए कहा।
अपूर्वा ने उसकी तरफ घूरकर देखा और ना के इशारे में गर्दन हिला दी।
ना की बच्ची, फिर रो क्यों रही थी, नवरीत ने उसकी नाक को दबाते हुए कहा।
कुछ बताओगे भी क्या हुआ, या ऐसे ही पहेलियां बुझाते रहोगे,, मैंने परेशान होते हुए कहा।
देखो जी, बात ऐसी है, ये मेरी बहन अपूर्वा,,, आपसे,,,, नवरीत के मुंह से इतना ही निकला था, कि अपूर्वा ने उसे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और उसके मुंह को अपने हाथ से बंद कर लिया।
नवरीत ने उसे बेड पर एक तरफ धकेला और उठकर थोड़ी दूर जाकर अपूर्वा की तरफ जीभ निकालने लगी। अपूर्वा खड़ी होकर उसके पिछे भागी।
जीजू,,, देख लो इसको,,, कहते हुए वो बाहर की तरफ भाग गई और अपूर्वा उसके पिछे पिछे।
इस ‘जीजू’ शब्द ने और दिमाग खराब कर दिया। अभी अपूर्वा रो क्यों रही थी वो टैंशन तो खत्म नहीं हुई थी और उपर से ये ‘जीजू’ शब्द।
देख लो आंटी, ये आपकी लाडली को, मेरे को मार रही है, नीचे से नवरीत की हल्की हल्की आवाज आई।
क्यों लड रहे हो बेटा, और तुम आराम क्यों नहीं कर रही, कहीं गिर-विर जाओगी तो, चलो उपर जाकर आराम करो, आंटी की आवाज आई।
और समीर भी तो आया था अभी, फिर से आंटी की आवाज आई।
इधर ही आंटी, इनको तो लड़ने की पड़ी हुई है, तो मैं अपना आराम से बेड पर बैठ गया, बाहर आकर ग्रिल के सहारे खड़े होते हुए मैंने कहा।
मम्मी देख लो इसको, ये मुझे परेशान कर रही है, अपूर्वा ने नवरीत का हाथ पकड़कर आंटी की तरफ देखते हुए कहा।
मैं तो बताउंगी, नवरीत ने फिर उसे जीभ निकाल कर चिड़ाते हुए कहा।
अरे तो मैं भी तो कब से सुनने के लिए बेताब हूं, बताउंगी, बताउंगी कर रही हो, बता कुछ रही नहीं हो, मैंने उपर से ही कहा।
जीजू,, वो ये,, ये,,, उउहहह,,, अभी नवरीत बात पूरी कर भी नही पाई थी कि अपूर्वा ने फिर से उसके मुंह को हाथ से बंद कर दिया।
छोड़ो सबकुछ, पहले ये ‘जीजू’ का चक्कर समझाओ मुझे, इस ‘जीजू’ शब्द ने दिमाग खराब कर रखा है, मैंने सीढ़ियों की तरफ आते हुए कहा।
तभी नवरीत अपूर्वा से हाथ छुड़ाकर उपर की तरफ भागी और अपूर्वा उसके पिछे-पिछे।
मान जाओ तुम मरजानियों,,,,, गिर गई तो चोट लग जायेगी,,, आंटी ने उन्हें डांटते हुए कहा, पर किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
जीजू,,, कहते हुए नवरीत आकर मेरे पिछे खड़ी हो गई।
जब भी ये जीजू शब्द सुनाई देता, दिमाग टेंशन में आ जाता। नवरीत के मेरे पिछे आने से अपूर्वा वहीं खड़ी हो गई।
मैं उसके पास गया और उसके बालों को ठीक करके उसका हाथ पकड़ कर अंदर की तरफ चल दिया। अंदर आकर मैंने उसको बेड पर बैठाया।
पहले तो तुम ये बताओ कि रो क्यों रही थी, मैंने उसके पास बैठकर उसके बाल संवारते हुए कहा।
आप नहीं आये इसलिए, नवरीत ने जल्दी से कहा और मेरे साइड में होकर खडी हो गई।
अपूर्वा ने अपना चेहरा नीचे कर लिया और अपने पैर के अंगूठे से चद्दर को कुरेदने लगी।
मैं आ तो गया, मैंने अपूर्वा के चेहरे को पकड़ते हुए उपर उठाते हुए कहा।
अरे तो लेट आये हो ना, कहकर गये थे कि ऑफिस से सीधे आओगे, पर टाइम देखिये साढे छः बज गये हैं, इतने लेट आओगे तो इतने सोचा कि वैसे ही कहकर चले गये, आओगे ही नहीं, नवरीत ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
अरे तो इसमें रोने की क्या बात है, बस लेट हो गया, ऑफिस से लेट निकला था, मैंने अपूर्वा के गालों को सहलाते हुए कहा।
तो इसमें रोने की बात ये है कि आप झूठे हो, आपने फोन भी नहीं किया कि लेट हो जाउंगा, बस इसलिए दीदी रो रही थी, नवरीत ने मेरे कंधे को दबाते हुए कहा।
हूंह,,, प्याली बेबी,,, कहते हुए मैंने अपूर्वा का सिर अपने सिने में रख लिया और अपूर्वा भी सरक कर मेरी बाहों में समा गई।
आप एकदम बुद्धु हो, इतना भी नहीं समझ सकते,, नवरीत ने मेरे कंधे पर मुक्का मारते हुए कहा।
क्या नहीं समझ सकता, मैंने कहा और समझने की बात आते ही मुझे ‘जीजू’ शब्द याद आ गया, परन्तु फिर भी मैं पहले नवरीत के जवाब का इंतजार करने लगा।

क्रमशः...................
Shandar bhai
 
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andyking302

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अपूर्वा कुछ देर तक ऐसे ही मुझसे लिपटी रही, मैंने भी उसे बाहों में भर लिया। पिछे खड़ी रीत ने मेरी तरफ हाथ से परफेक्ट का इशारा किया।
मैंने अपूर्वा को खुद से अलग किया और उसका माथे चूमते हुए बाये कहा और बाइक स्टार्ट करके चल दिया।
बाये जीजू, जल्दी आना, मेरी दीदी इंतजार में कमजोर ना हो जायें कहीं, नवरीत ने पिछे से चिल्लाते हुए कहा।

घर आकर मैं बाईक खड़ी करके सीधा उपर आ गया। सोनल उपर ही थी। पूनम भी उसके साथ ही खड़ी थी।
तो जनाब को हमारी सुद आ ही गई, सोनल ने मुझे देखते ही कहा।
क्या हुआ, क्या काम था जो इतनी जल्दी हो रही थी, मैंने उससे कहा और पूनम से हाथ मिलाया। पूनम तो सीधे गले ही आ लगी।

पूनम से गले मिलकर मैं लॉक खोलकर अंदर आ गया और फोन करके बस की टिकट बुक करवाई।
कहां जा रहे हो, सोनल ने मेरे फोन रखते ही पूछा।
घर जा रहा हूं, शायद बताया तो था तुम्हें, मैंने टाइम देखते हुए कहा।
9 बज गये थे, साढ़े दस बजे तक मुझे जाकर टिकट लेनी थी।
हम्मम,,, तो रिश्ते के लिए जा रहे हो, सोनल कहा।
कल मैं भी चली जाउंगी, सोनल कहकर मेरी तरफ देखने लगीं
कहां, मैंने पूछा।
बुधवार को ज्वाइन करना है, सोनल ने कहा।
ओहहह,,, ये तो बढ़िया है, जूते उतारते हुए मैंने कहा।
अभी शुरू के कुछ महीने तो हैदराबाद ही रखेंगे, उसके बाद शायद नोयडा आ जाउं, सोनल ने कहा।
नोयडा आने के बाद तो फिर हर वीकेंड पर घर आ जाया करूंगी, सोनल ने मुस्कराते हुए कहा और अपनी बांहे मेरे गले में डाल दी।
ये तो बहुत अच्छी बात है, नहीं तो आंटी अकेली रह जायेगी, कहते हुए मैं उठ गया और कपड़े उतारने लगा।
ओके मैं अब तैयार हो लेता हूं, नहीं तो फिर लेट हो जाउंगा, कपड़े उतार कर बाथरूम की तरफ जाते हुए मैंने कहा।
क्या है, मैं कब से इंतजार कर रही हूं, और तुम हो कि ठीक से बात भी नहीं कर रहे हो, सोनल ने झुंझलाते हुए कहा।
बस मैं एक बार तैयार हो जाता हूं, फिर बातें ही करते हैं, कहते हुए मैं बाथरूम में घुस गया।

नहा धोकर मैं बाथरूम से निकला तो सोनल बेड पर लेटी हुई लैपटॉप पर गाने देख रही थी। मेरे बाहर आते ही वो उठ कर बैठ गई। मैं कपड़े पहनने लगा।
सोनल उठकर मेरे पास आई और मेरे हाथ में पकड़ी शर्ट को छीन लिया और मेरी आंखों में देखने लगी।
अचानक उसने शर्ट को साइड में रख दिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मैं इतनी देर से जिस बात से बचना चाह रहा था वो हो ही गई।
मैंने उसे खुद से दूर किया। वो मेरी तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगी।
क्या हुआ, मन नहीं है, सोनल ने वैसे ही मेरी तरफ देखते हुए कहा।
बस पूरे दिन की भाग-दौड़ से थक गया हूं, मैंने कहा।
पर कल मैं चली जाउंगी, और फिर पता नहीं कब मिल पायेंगे, उसने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा।
मैंने उसे सच्चाई से अवगत करवाना ही ठीक समझा, इसलिए उसे आराम से बेड पर बैठाकर सारी बात समझाई।
मेरी सारी बात वो आराम से सुनती रही और जैसे ही मैंने बोलना बंद किया उसने मेरे चेहरे को पकड़ कर एक किस्सस मेरे होंठों पर दी और फिर पिछे हटकर मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगीं
मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूं, मैं ब्यान नहीं कर सकती, मुझे इतनी खुशी हो रही है, मुझे पहले से ही पता था कि अपूर्वा आपसे प्यार करती है, और ये भी अंदाजा कुछ कुछ मुझे हो गया था कि आप भी उससे प्यार करते हैं, परन्तु आपके बारे में मैं स्योर नहीं थी, सोनल बस कहे जा रही थी।
थैंक्स सोनल, तुम मेरी जिंदगी में आई पहली लड़की हो, तुमने मुझे जो खुशियां दी हैं, उनका एहसान मैं जिंदगी भर नहीं उतार सकूंगा, कहते हुए मेरी आंखें थोड़ी भीग गई थी।
सोनल ने मेरा चेहरा पकड़ा और मेरी आंखों से ढुलकें उस एक आंसु को टपकने से पहले ही अपने होंठों से पी गई।
मैं चाहूंगी कि हम पूरी जिंदगी ऐसे ही दोस्त बने रहें, क्योंकि मैं तुमसे बहुत ज्यादा अटैच हो चुकी हूं, और मैं तुम्हारी दोस्ती को खोना नहीं चाहूंगी,,, सोनल की आंखों में थोड़ा सा गम भी दिखाई दिया अबकी बार मुझे।
सोनल तुम मेरे सबसे अच्छी दोस्त हो, तुम्हारे अलावा जो मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी वो अब मेरी वाइफ बनने वाली है, इसलिए तुम ही मेरी दोस्त बची हो, तो मैं तुम्हें कैसे खोने दे सकता हूं, हम पूरी जिंदगी ऐसे ही दोस्त रहेंगे, तुम परेशान होओ,,, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
कोमल ने मेरी शर्ट उठाई और मुझे पहनाने लगी। शर्ट पहनने के बाद जींस मैंने खुद ही पहन ली। फिर हम चेयर लेकर बाहर आ गये और बैठे बैठे बातें करते रहे। बीच में ही मैंने फोन करके टैक्सी को बुला लिया जो ठीक सवा दस बजे पहुंच गई।
मैंने रूम को लॉक किया। लॉक करने के बाद मैंने सोनल को अपनी बाहों में कस लिया और उसके माथे को चूमते हुए उसे बाये बोला और नीचे की तरफ चल दिया। सोनल भी मेरे साथ साथ नीचे आ गई। टैक्सी में मेरे बैठने से पहले उसने एक बार फिर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगी, सोनल ने धीरे से मेरे कान में कहा।
मैं भी, मैंने कहा।
फिर मैं उसे बाये करके टैक्सी में बैठ गया और डायवर को चलने के लिए कहा।
पौन ग्यारह बजे मैं टरेवल एजेंसी के ऑफिस पहुंच गया। वहां से मैंने टिकट ली और बस के बारे में पूछा।
बस को आने में अभी दस मिनट बाकी थे, मैंने एक पानी की बोतल ली और कुछ स्नैक्स लेकर बस का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद बस आ गई। मैंने अपनी सीट ढूंढी, सिंगल स्लीपर बुक करवाई थी। सीट ढूंढकर मैं आराम से लेट गया और आज पूरे दिन भर में घटी घटनायें मेरे दिमाग में चलने लगी।
क्रमशः..................
लाजवाब भाई
 
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andyking302

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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--58
गतांक से आगे ...........
मैं उसका नाम याद करने की कोशिश करते हुए उसकी तरफ देखे जा रहा था। अचानक उसकी नजर मुझपर पड़ी और मुझे खुदको ही घूरते हुए पाकर वो मुस्करा दी। मैं भी मुस्करा दिया।
हाये,,, उसने मुंडेर के पास आकर खड़ी होकर कहा।
हाये,,,, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
कई दिन से दिखे नहीं आप, उसने कहा।
ओहहह,,, घर चला गया था, मैंने कहा।
हम यहां पर नये आये हैं, किसी को जानते नहीं हैं, तो बोर हो जाती हूं पूरे दिन घर पर ही,,,, उसने कहा।
बाहर घूमने चले जाया करिये,,, फिर बोर नहीं होंगी।
अकेली जाकर क्या करूंगी, कोई साथ में जाने वाला तो हाेना ही चाहिए।
आपके साथ वो है ना, मैंने कहा।
कौन, उसने मेरी तरफ आश्चर्य से देखते हुए कहा।
वो लड़का था ना, कुछ दिन पहले देखा था, कया नाम था उसका, हां अभि,,, मैंने कहा।
अरे वो,,, वो तो मुझे छोउ़ने के लिए आया था, पापा के दोस्त का लड़का था, उसने कहा।
आपकी हिंदी काफी अच्छी है, मैंने कहा।
हां, मम्मी इंडियन है तो इसलिए, उसने कहा।
काफी देर हम बातें करते रहे। जब नींद आने लगी तो मैं अंदर आकर सो गया।
ऐसे ही कई दिन गुजर गये। मैं हर रोज ऑफिस जाते समय और ऑफिस से आते समय अपूर्वा के घर पर जाता था, परन्तु अभी तक वो वापिस नहीं आये थे।
इसी बीच अनन्या से बातें होती रही और अब हम एक दूसरे से काफी खुल गये थे और एक बार अनन्या मेरे रूम पर भी आई थी। आंटी कुछ दिन के लिए अपने भाई के घर चली गई थी।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे पूरी तरह से झकझोर के रख दिया और मैं अंदर से टूट गया। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि मेरे साथ ये सच में ही हुआ है। कोई ऐसा भी कर सकता है, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि दिमाग की नसें फट जायेंगी। मैं घर आकर सर दर्द की गोली लेकर आंखे बंद करके लेट गया।
आंखे बंद करते ही कुछ देर पहले की सारी बातें मेरे दिमाग में घूमने लगी।

तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे पूरी तरह से झकझोर के रख दिया और मैं अंदर से टूट गया। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि मेरे साथ ये सच में ही हुआ है। कोई ऐसा भी कर सकता है, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि दिमाग की नसें फट जायेंगी। मैं घर आकर सर दर्द की गोली लेकर आंखे बंद करके लेट गया।
आंखे बंद करते ही कुछ देर पहले की सारी बातें मेरे दिमाग में घूमने लगी।
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तुम जैसे लड़कों की फितरत मैं अच्छी तरह से समझता हूं,,, ऐसा लगा था जैसे किसी ने सिर पर बहुत जोर से हथौड़ा मार दिया हो।

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आज मंगलवार था। सुबह जल्दी उठने की आदत सी हो गई थी कुछ दिनों से, इसलिए मैं अब हर रोज पार्क में टहलने जाने लगा था। आज भी हर दिन की तरह मैं सुबह पार्क में घूमने चला गया। मोनी आज भी दिखाई नहीं दी। पार्क से आकर मैं नाश्ते की तैयारी करने लगा। अभी मैं नाश्ता बना ही रहा था कि अनन्या रूम पा आ गई। अकेला पड़ने से मैं परेशान तो रहता था ही, इसलिए अनन्या को देखकर हल्की सी खुशी हुई। पिछले कुछ दिनों से हमारी दोस्ती गहराती जा रही थी। अभी कुछ दिन पहले ही उससे पहली बार मेरी बात हुई थी, परन्तु इन कुछ दिनों में ही हम काफी करीब आ गये थे। इन चंद दिनों में ही हमारे बीच फॉर्मेलटी जैसी चीज खत्म हो चुकी थी।
उसने मेरे साथ मिलकर नाश्ता तैयार करवाया। फिर कुछ देर तक हम बातें करते रहे।
उसे कॉलेज जाना था तो कुछ देर बाद वो चली गई। मैं भी नहा-धोकर ऑफिस के लिए तैयार हो गया। नाश्ता करके मैं ऑफिस के लिए निकल पड़ा। जैसा कि हर दिन का रूटिन हो गया था, पहले मैं अपूर्वा के घर पर गया, अभी भी वहां पर ताला ही लगा हुआ था। निराश होकर मैं ऑफिस के लिए निकल गया। बाइक पार्क करते वक्त मुझे सुमित की बाइक दिखाई दी।
मन में कुछ खुशी हुई कि आज पूरा दिन अकेले बोर नहीं होना पड़ेगा। अंदर आकर देखा, सुमित काम कर रहा था। बॉस अपने केबिन में ही थे। मैं धीरे से सुमित के पास गया, जिससे उसे पता ना चले।
कैसा है बे, ले आया मजे गोवा के,,, मैंने सुमित के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा।
सुमित एकदम से चौका पर फिर मुझे देखकर मुस्करा दिया।
ठीक हूं यार, रात को ही आया हूं, सफर की थकान महसूस हो रही है, सुमित ने मेरे से हाथ मिलाते हुए कहा।
तो तेरे पास पहलवान भेजे थे किसी ने, जो आज ही उठा लाये, आज आराम करता, कल आता मजे से,,, मैंने कहा।
चल अब आ गया है तो चुपचाप काम कर,,, मैंने कहा और बॉस के केबिन की तरफ चल दिया।
गुड मॉर्निग बॉस, मैंने केबिन में आते हुए कहा।
गुड मॉनिंग, बॉस ने अपनी घड़ी में टाइम देखते हुए कहा।
टाइम से आया हूं बॉस, लेट नहीं हूं, मैंने कहा।
हम्मम,,,,, मैं अभी एक मीटिंग के लिए निकल रहा हूं, कोई इंटरव्यू के लिए आये तो उसका इंटरव्यू ले लेना,,, बॉस ने कहा।
मैं,,,, मैंने आश्चर्य से कहा।
और क्या मैं,,,,, बॉस ने कहा।
मैं कैसे इंटरव्यू लूंगा,,, मुझे खुद इंटरव्यू देते हुए तो डर लगता है, दूसरों का इंटरव्यू लूंगा,,, मैंने कहा।
ठीक है उनका रिज्यूम देख लेना,,, कोई ढंग का हो तो बैठा लेना, मैं 2-3 घण्टें में आ जाउंगा।
ठीक है बॉस, मैंने कहा।
मैं बाहर आकर अपना सिस्टम चालू किया और काम करने लगा। कुछ देर बाद बॉस चले गये।
12 बजे के आसपास दो लड़कियां इंटरव्यू देने के लिए। मैंने उनका रिज्यूम देखा, मेरे से तो बहुत ही ज्यादा बेहतर था। मैंने उनको इंतजार करने के लिए कहा और पियोन को चाय के लिए कह दिया।
वो एंट्री के पास रखे वेटिंग सोफों पर बैठ गई। पियोन चाय लेकर आया। चाय पीते हुए मैंने उन लड़कियों पर नजर डाली। एक का रंग थोड़ा सांवला था, परन्तु नयन-नक्श बहुत ही तीखे। फॉर्मल ड्रेस में बाकी के शरीर का अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल था, परन्तु मस्त फिगर ही लग रहा था।
दूसरी लड़की एकदम गोरी-चिटी थी, रूप भी बहुत ही आकर्षक था और सबसे ज्यादा अटरेक्टिव उसकी नोज रिंग थी, छोटी सी रिंग उसके चेहरे को और भी आकर्षक बना रही थी।
रिज्यूम में एक का नाम मनीषा था और दूसरी का नाम रामया। मैंने दोनों के रिज्यूम एक साथ ले लिए थे, इसलिए ये मालूम नहीं हो सका कि कौनसी का नाम मनीषा है और कौनसी का नाम रामया।
चाय पीते हुए समीर से गपशप भी होती रही और मैं उन लड़कियों को ताड़ता भी रहा। उनकी नजर मुझपर पड़ती तो मैं स्माईल कर देता। वो भी मुस्करा देती।
चाय पीकर मैं अपना काम करने लग गया। थोड़ी देर बाद बॉस आ गये। मैंने उन लड़कियों के बारे में बताया, बॉस ने उन्हें अपने केबिन में बुला लिया।
काफी लम्बे इंटरव्यू के बाद जब वो बाहर आई तो उनके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि जैसे बात बन गई हो।
पांच बजे हम घर के लिए निकल पड़े। हर रोज की तरह मैं अपूर्वा के घर पहुंचा। वहां पहुंचकर मेरी खुशी का ठीकाना ना रहा। मेन गेट का लॉक खुला हुआ था। बाईक खडी करके मैंने बैल बजाई। कुछ देर इंतजार के बाद भी कोई नहीं आया तो मैं दोबारा बैल बजाने ही वाला था कि मुझे किसी के आने की आवाज आई। दरवाजा अंकल ने खोला।
मैंने अंकल के पैर छुए। अंकल ने मेरे सिर पर हाथ रखा।
हां कहो कैसे आना हुआ, मेरे सीधा खड़े होते ही अंकल ने पूछा।
मुझे हैरानी तो हुई, परन्तु खुशी इतनी ज्यादा थी कि इस बात पर कोई खास धयान नहीं दिया।
घर से आया तो यहां पर कोई मिला ही नहीं, अपूर्वा का फोन भी नहीं मिल रहा था, मैंने कहा।
तो,,, अंकल ने कहा।
अंकल के इस रूखे से जवाब ने मुझे चिंता में डाल दिया। अंकल गेट में खड़े रहे। मुझे आश्चर्य तो हो रहा था, पर मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।
अंकल वो अपूर्वा से----- मैंने कहा और अंकल के चेहरे की तरफ देखने लगा।
हां बोलो, क्या काम है, अंकल ने वैसे ही बेरूखी से कहा।
मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था। परन्तु फिर भी मैंने थोड़ी हिम्मत करके कह ही दिया।
Shandar bhai
 
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andyking302

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मैंने सोनल की तरफ देखा। सोनल ने मुझे सांत्वना दी। लगभग 15-20 मिनट बाद अंकल वापिस आये, साथ में आंटी भी थी।
सोनल खड़ी हो गई। मुझे तो कोई होश ही नहीं था, अगर सोनल मेरा हाथ पकड़कर नहीं उठाती तो।
बैठो, बैठो, बेटा, कहते हुए आंटी और अंकल हमारे सामने वाले सोफे पर बैठ गये।
अंकल आपको शायद पता ही होगा कि अपूर्वा की शादी की बात समीर से हुई थी, नवरीत ने शायद आपको बताया होगा, सोनल ने कहा।
हां बेटा, खुद भाईसाहब ने ही बताया था हमें,,, आंटी ने कहा।
तो फिर शायद बाद में क्या हुआ, वो भी बताया होगा, हम अभी उनके घर पर ही गये थे, पर वहां पर लॉक था, सोनल ने कहा।
बेटा, हमारी भी समझ में नहीं आ रहा उन्होंने ऐसा क्यों किया, मैंने उन्हें समझाने की कोशिश भी की थी, परन्तु वो मानने को तैयार ही नहीं हो रहे थे, अंकल ने कहा।
उन्होंने कुछ तो बताया होगा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं, सोनल ने कहा।
बेटा, मैंने बहुत पूछा था उनसे, पर उन्होंने कुछ बताया नहीं, अंकल ने कहा।

अब वो कहां पर हैं, आपको तो पता होगा, सोनल ने पूछा।
वो सभी इंडिया से बाहर गये हुए हैं, अभी भाईसाहब एक दिन के लिए आये थे, कुछ जरूरी काम था, इधर, फिर वापिस चले गए हैं, आंटी ने कहा।
उनका वहां का कॉन्टैक्ट नम्बर तो होगा ही आपके पास, सोनल ने कहा।
बेटा, मेरी उनके साथ थोड़ी कहासुनी हो गई थी इस बारे में, तो अभी तो उनका कोई कॉन्टैक्ट मेरे पास नहीं है, अंकल ने कहा।
अंकल आपके चेहरे के हाव-भाव से मुझे ऐसा लग रहा है कि आप कुछ छुपा रहे हैं, सोनल ने खड़े होते हुए कहा।
ऐसा कुछ नहीं है बेटा,,, अंकल और आंटी भी खड़े हो गए।
तभी नवरीत चाय लेकर आ गई। नवरीत ने मेरी तरफ देखा। मेरी तरफ देखते ही वो कुछ विचलित सी हो गई।
बेटा चाय पीकर जाना आराम से,,, कहते हुए अंकल बाहर चले गए।
नवरीत ने हमें चाय दी, वो हमारे दोनों के लिए ही चाय बनाकर लाई थी।
मेरी नजरें उस पर ही टिकी थी, इस आस में कि क्या पता यहीं से कुछ पता चल जाए।
ओके बेटा मैं नाश्ते की तैयारी कर लेती हूं, तेरे अंकल को जाना है, आप चाय पीओ,, कहते हुए आंटी बाहर चली गई।
आंटी के जाते ही नवरीत मेरे पास आई और घुटनों के बल नीचे बैठ कर मेरे चेहरे को हाथों में समेट कर मेरे चेहरे को देखने लगी।
क्या तुम मुझे कुछ बता सकती हो अपूर्वा के बारे में, वो कहां पर है, और मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है,,, कहते हुए मेरी आंखों में आंसु आ गए।
आई एम सॉरी, पर मुझे किसी ने कुछ नहीं बताया ये सब क्यों हो रहा है, नवरीत ने मेरे आंसु पौंछते हुए कहा।
तुम तो उनके साथ गई हुई थी ना विदेश में, मैंने कहा।
हां, मैं उनके साथ ही गई हुई थी, अभी अंकल आए तब उनके साथ आ गई थी,, नवरीत के चेहरे पर मायूस साफ दिख रही थी।
वो कहां गये हुए हैं, मैं वहीं जाकर अपूर्वा से मिल लूंगा, मैंने नवरीत से विनती करते हुए कहा।
मैं नहंी बता सकती,,, कहते हुए नवरीत की आंखें नम हो गई।

नवरीत बेटा,, बाहर से अंकल की आवाज आई।
नवरीत मायूस नजरों से मेरी तरफ देखते हुए बाहर चली गई। उसकी आंखे नम थी। नवरीत के चेहरे के भावों से मेरा दिल बैठा जा रहा था। जो कुछ भी सोनल के आने से थोड़ा बहुत सुकून मिला था वो एक पल में ही गायब हो चुका था। मुझे किसी अनहोनी की आंशका ने घेर लिया था। अब तो मैं अपूर्वा से मिलने के लिए पहले से भी ज्यादा व्याकुल हो उठा था। परन्तु कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। मेरी आंखों से झर झर आंसु बह रहे थे।
मुझे लग रहा है कि ये कुछ छुपा रहे हैं, सोनल ने खड़े होते हुए कहा।
मैं भी खड़ा होकर बाहर की तरफ चल दिया। हम बाहर आये तो सामने से आंटी हमारी तरफ ही आ रही थी। मेरी आंखों से बहते आंसुओं को देखकर वो मेरे पास आई और मुझे अपने सीने से लगा लिया।
सब कुछ ठीक हो जायेगा बेटा, आंटी के मुंह से इतना ही निकला।
आंटी आप बता दीजिए ना, वो कहां पर गये हैं, मैं वहीं पर चला जाउंगा,,, मेरी आवाज दब रही थी, ऐसा लग रहा था कि कुछ आवाज को बाहर निकलने से रोक रहा है।
आंटी ने मुझे अपने से अलग किया और मेरे सिर में हाथ फेरते हुए कहा, ‘बेटा अब मैं क्या बताउं, तुम्हारे अंकल को ही नहीं पता’।
ऐसा कैसे हो सकता है आंटी, वो आपको कुछ भी बताये बिना कैसे जा सकते हैं, और फिर नवरीत तो उनके साथ भी गई थी, तो कैसे आपको नहीं पता,, मैंने कहा।
अब कुछ भी समझ लो बेटा, कहकर आंटी अंदर चली गई। उनकी आंखों में आंसु थे।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्यों रो रहे हैं, ये क्यों इतने दुखी हैं, जबकि ये सब कुछ जानते हैं।
मैं वहीं पर खड़ा हुआ अंदर की तरफ देखता रहा।
चलो, मुझे कहीं और से कुछ पता करना पड़ेगा,,, सोनल ने मुझे बाहर लाते हुए कहा।
मैं अभी भी अंदर ही देखे जा रहा था, इस उम्मीद में कि शायद कोई कुछ बता ही दे।
घर आकर हम उपर आ गये।उपर आते ही सोनल ने मुझे अपने गले लगा लिया।
सब कुछ ठीक हो जायेगा बेबी,,, मैं आ गई हूं ना अब,,, कहते हुए सोनल मुझे बाहों में भरे हुए अंदर आ गई।
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