• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई (Completed)

Kahani kaisi hai?

  • Achhi hai.

    Votes: 12 100.0%
  • Buri hai.

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    12
  • Poll closed .

kumarrajnish

kumaruttem
1,411
3,920
159
waise bank ki karyawaahi Sameer ke liye acchi jaa rahi hai .. ab to ye dekhna hai ki kab tak ye he kaarwa chalta rahega ...

Iss kahani mein to Rajnish babu aapne jhand-de gaad diye hai .. magar muzhe aapki Suhagan ka beech mein rukne ka bhi malal hai .. pata nahi kab aapki daya drishti us aur kendrit hogi ...
Wo bhi complete hogi bro thodi masroofiyat hai
 

kumarrajnish

kumaruttem
1,411
3,920
159
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--41
गतांक से आगे ...........
मैंने रूपाली की तरफ देखा, वो हमें ही देख रही थी, परन्तु जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा उसने अपनी नजरें नीची कर ली।
मैं धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ने लगा। उसने नजर उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर से अपनी नजरें झुका ली। जैसे जैसे मैं उसकी तरफ बढ़ रहा था उसकी धड़कनें तेज होती जा रही थी और उसके हाथ दरवाजे की कुंडी पर कसते जा रहे थे।
बीच बीच में वो मेरे झुलते हुए लिंग पर चोरी चोरी नजरें फिरा रही थी। जैसे ही मैं उसके नजदीक आया उसने अपना मुंह फेरकर दरवाजे की तरफ कर लिया और दरवाजे से सटकर खडी हो गई। पिछे से उसके छोटे छोटे गोल कुल्हों जिन पर कुर्ती कसी हुई थी ने तो कहर ही ढा दिया।
आगे होकर मैंने उसके कंधों पर अपने हाथ रख दिये और मेरा लिंग सीधा उसके कुल्हों के बीच की गहराई में कपड़ों के उपर से ही जा चिपका।

मेरा स्पर्श पाते ही वो सिहर उठी और उसके मुंह से एक आहहह निकली। वो और भी ज्यादा दरवाजे से चिपक गई और अपने कुल्हों को आगे करने की कोशिश करने लगी। पर आगे तो दरवाजा था। मैं और आगे सरक गया और मेरा लिंग उसके कुल्हों पर सेट हो गया। मैंने उसकी कमर के साइड से अपने हाथ आगे किये और उसके उभारों पर रख दिये। छोटे छोटे उभार पूरे के पूरे मेरे हाथों में समा गये। मेरे लिंग का दबाव उसके कुल्हों पर बढ गया था। मैं अपने कुल्हों को हिला हिलाकर उसके कुल्हों पर अपने लिंग को मसल रहा था।
मैंने एक हाथ नीचे किया और उसकी कुर्ती को उपर सरका दिया। मेरा लिंग उसकी मखमली सलवार के उपर से उसके कुल्हों पर दब गया। सलवार इतनी कोमल थी कि लग ही नहीं रहा था कि मेरे लिंग और उसके कुल्हों के बीच सलवार भी है। मैंने अपने लिंग को उसके कुल्हों के बीच में सैट किया और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
उसके दिल की धडकन इतनी बढ गई थी मैं मेरे हाथ भी उसके उभार के साथ में उछल रहे थे। मैंने अपने दूसरे हाथ को नीचे ले जाकर उसकी कुर्ती के अंदर डाल दिया और कुर्ती को उपर उठाते हुए उसके पेट को सहलाने लगा। उसका पेट रह रहकर उछल रहा था। उसके पेट को सहलाते हुए मैंने अपना हाथ धीरे से उसकी सलवार के अंदर डाल दिया और उसकी पेंटी के उपर से उसकी योनि को सहलाने लगा। जैसे ही मेरा हाथ उसकी योनि पर लगा उसके शरीर ने एक झटका खाया और उसके कुल्हें पीछे को निकल आये जिससे मेरा लिंग उसकी सलवार के साथ उसकी गहराई में समा गया। मैं लिंग को जोर जोर से उसकी गहराई में मसलने लगा।
रूपाली की सिसकियों की आवाज तेज होने लगी। उसकी पेंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैंने अपना हाथ बाहर निकालते हुए उसकी सलवार के नाड़े को पकड़ लिया और बाहर निकलते ही खींचकर खोल दिया और कमर को हलका सा पिछे कर लिया। उसकी सलवार सीधी उसके घुटनों पर जाकर अटक गई जो कि दरवाजे के साथ चिपके हुए थे।
सलवार निकलते ही मैंने वापिस अपना लिंग उसकी कुल्हों के बीच सैट कर दिया। पेंटी उसके नितम्बों के बीच की गहराई में फंसी हुई थी। मैंने फिर से अपने हाथों को हरकत दी और उसकी पैंटी को भी नीचे सरका दिया और घुटनों तक करके अपना लिंग उसके नंगे नितम्बों के बीच सैट करके हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
रूपाली का शरीर कांप रहा था और उसके मुंह से दबी हुई सिसकारियां निकल रही थी। मैंने अपना एक हाथ उसकी योनि पर रखा और अपनी उंगली से उसकी फांको को अलग करके उसके स्वर्ग द्वार को कुरेदने लगा।
रूपाली पागल हो उठी और घुमकर अपने हाथ मेरी कमर में डाल दिये और मुझे कसकर जकड़कर मेरे सीने में चिपक गई। उसके घुमने से मेरा लिंग सीधा उसकी योनि पर टकर मारने लगा। मैंने अपने हाथ उसके कुल्हों पर रखे और उसे उपर उठा लिया। घूमते समय पहले ही सलवार उसके पैरों में नीचे जा चुकी थी, जैसे ही मैंने उसे उठाया सलवार उसके पैरों से निकलकर फर्श पर जा गिरी।
मैंने उसे उठाकर पास में रखी टेबल पर बैठा दिया। वो मुझसे जोक की तरह चिपक गई थी, दूर होने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैंने उसके हाथों को अपनी कमर में से हटाया और उसको खुद से दूर करते हुए उसकी कुर्ती को पकड़कर उसके शरीर से अलग कर दिया।
व्हाईट कलर की ब्रा में कैद उसके छोटे छोटे उभार देखकर मैं पागल हो गया और पिछे हाथ लेजाकर उसकी ब्रा के हुक खोलते हुए ब्रा को निकालकर एक तरफ उछाल दिया।
रूपाली ने अपने चेहरे को अपने हाथों में छिपा लिया। उसके नंगे बदन को देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था। मैंने अपने हाथ उसके उभारों पर कस दिये और जोर जोर से उन्हें मसलने लगा।
रूपाली ने अपने हाथ मेरे हाथों पर रख दिये। मैंने अपने होंठ आगे बढ़ाये और उसने तुरंत ही मेरे होंठों को कैद कर लिया।
एकदम नरम गुलाब की पंखुड़ियों जैसे, अनछुए लबों पर जब मेरे होंठ पड़े तो मैं उनमें ही गुम हो गया। मैं बहुत ही जोर जोर से उसके होंठों को चूसने लगा। कभी उपर वाले होंठ को कभी नीचे वाले होंठ को चूस रहा था। उसके हाथ मेरे सिर पर थे। उनमें अपनी जांघों को मेरे कुल्हों पर लपेट दिया जिससे मेरा लिंग उसकी योनि पर टक्कर मारने लगा। मुझे किस करते हुए वो अपनी कमर को आगे पिछे कर रही थी। मेरा लिंग उसकी योनि से निकलते अमृत से भिगता जा रहा था और चिकना होकर उसकी योनि पर जोरदार टक्कर मार रहा था, चिकना होने के वजह से बार बार फिसल कर उसके अकड़े हुए दाने को कुचलता हुआ पेट पर चुम्बन ले रहा था।
अचानक मुझे अपने कुल्हों पर ठंडे ठंडे हाथ महसूस हुये। रूपाली के होंठ चूसने में मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं उनसे किसी भी हालत में दूर नहीं होना चाहता था। रूपाली के हाथ मेरे सिर पर थे, ओह तो ये तान्या के हाथ हैं, मैंने मन ही मन सोचा और निश्चिंत होकर रूपाली के होंठों का रस पान करने में लगा रहा। तान्या ने अपने हाथ मेरी पीठ पर फिराने शुरू कर दिये थे। मेरे शरीर में आनंद की लहरें दौड़ रही थी
 

kumarrajnish

kumaruttem
1,411
3,920
159
रूपाली भी मेरे होंठों को चूसने में बराबर साथ दे रही थी। जब काफी देर तक चूसने के कारण मेरे होंठ दर्द करने लगे तो मैंने उसके लबों को उसके लबों से अलग किया। हमारे सांसे उखड चुकी थी। मैंने रूपाली को अपनी बांहों में भरकर उठाया और बेड पर लाकर लेटा दिया और खुद उसके साथ लेट गया। मैं अपनी सांसे दुरूस्त करने की कोशिश कर रहा था।
तान्या मुंह लटका कर वहीं टेबल पर अपने पैर लटका कर बैठ गई। जब मेरी सांसे कुछ नोर्मल हुई तो मैं रूपाली के उपर आ गया और उसके योनि के लबों को अपने हाथों से अलग किया। उसकी योनि पर एक भी बाल नहीं था, देखने से ऐसा लग रहा था कि अभी आये ही नहीं है। गोरी चिटी योनि की मोटी मोटी फांके देखते ही मेरा लिंग पागल हो उठा और जोर जोर से झटके मारने लगा। मैंने अपनी उंगलियों से उसकी योनि के लबों को एक दूसरे से अलग किया। अंदर पूरी तरह से गीली गुलाबी योनि को देखते ही मेरी लार टपक गई और मेरे होंठ सीधे उसकी योनि से जाकर चिपक गये। मेरी जीभ उसकी योनि की फांकों के बीच अपना पहुंच गई।
जैसे ही मेरे होंठ उसकी योनि पर टच हुए रूपाली की कमर हवा में उठ गई और उसके मुंह से जोर की आहहह निकली और उसके हाथ सीधे मेरे सिर पर पहुंच कर मेरे सिर को अपनी योनि पर दबाने लगे। मैंने अपनी जीभ से उसका अम्त चाटना शुरू कर दिया। हल्का हल्का बकबका सा रस, पर शायद आज पहली बार बह रहा था। मैंने अपने होंठों को उसके स्वर्ग द्वार पर सैट किया और जोर से अपनी अंदर की तरफ खींचने लगा। उसकी योनि अमृत रस खिंचता चला आया और मेरे मुंह को भर दिया।
रूपाली का शरीर अकड़ कर हवा में उठ गया। सिर्फ उसका सिर और पैरों के पंजे ही बेड पर टिके थे।
मैंने अपनी जीभ को बाहर निकाला और उसके योनि द्वार पर लगाकर अंदर की तरफ धकेलने लगा। परन्तु उसकी योनि बहुत ही टाइट थी, जीभ अंदर जा ही नहीं रही थी।
एक बार झडने के बाद उसका शरीर वापिस धड़ाम से बेड पर गिरा और वो जोर जोर से सांसे लेने लगी।
मैं उपर की तरफ होता हुआ उसकी नाभि तक आया और अपनी जीभ उसकी नाभि में डाल दी। धीरे धीरे मैं उपर की तरफ आता गया और उसके उभारों के पास आकर मैंने अपनी जीभ उसके एक निप्पल पर टच की और फिर उसके ऐरोला पर फिराने लगा। रूपाली के पैरों में फिर से हरकत होनी शुरू हो गई। वो अपनी जांघों को भिंचने लगी।
मैं उसके उपर लेट गया और लिंग को उसकी योनि पर सैट करके हल्का सा धक्का लगाया। पर लिंग साइड में फिसल गया। मैंने दोबारा ट्राई किया पर फिर लिंग साइड में फिसल गया। मैंने लिंग को हाथ में पकड़कर उसकी योनि के द्वार पर सैट किया और एक हल्का सा धक्का लगाया। मेरा लिंग हल्का सा अंदर हो गया, केवल सुपाड़े के आगे का भाग।
रूपाली का शरीर एक बार कांपा और फिर ढीला पड़ गया। उसने मुझे कसके अपनी बाहों में भींच लिया। मैंने लिंग को वैसे ही पकउ़े पकउ़े थोड़ा सा दबाव डाला तो रूपाली की कमर बेड से उपर उठ गई और उसके मुंह से हल्की सी दर्द भरी आह निकली।
उसके हिलने से मेरा लिंग साइड में फिसल गया। मैंने फिर से लिंग को उसकी योनि पर सैट किया और हल्का सा दबाव डाला, पर जैसे ही मैं दबाव डालता वो हिलती और लिंग साइड में फिसल जाता। परेशान होकर मैं बैठ गया और एक तकिया उठाकर उसके कुल्हों के नीचे सैट किया और फिर बैठे बैठे ही अपना लिंग उसकी योनि द्वार पर सैट किया और उसके उपर लैट गया। तकिया लगाने से मेरा लिंग उसकी योनि पर सही तरह से सैट हो गया था। मैंने अपने लिंग को थोड़ा सा पिछे किया, मेरा हाथ अभी भी लिंग को उसकी योनि द्वार के अलाइन में बनाये हुये था और फिर एक धक्का मारा। मेरा लिंग थोड़ा सा अंदर होकर वापिस बाहर की तरफ फिसल गया। पर उस थोउ़े से अंदर होने से ही रूपाली के शरीर में एक दर्द की लहर दौड़ गई।
उसने अपने पैर मेरे कुल्हों पर लपेट दिये और जोर से भींच लिये। उसके ऐसा करने से मैं हिल नहीं पा रहा था, जिससे धक्का नहीं लगा सकता था। मैंने वैसे ही लेटे हुए उसके होंठों को अपने होंठों से पकड़ा और चूसने लगा।
मस्ती में आकर उसके पैरों की पकड़ कुछ ढीली हो गई और मौके का फायदा उठाते हुए मैंने लिंग को उसकी योनि द्वार पर सैट किया और एक जोर का धक्का मार दिया। मेरा सुपाड़ा उसकी योनि की दीवारों को चीरता हुआ आधा अंदर समा गया।
रूपाली का शरीर अकड़ गया और उसकी आंखों से अश्रु धारा बह निकली। उसके पैरों की पकड़ एकदम कस गई और उसके हाथ सीधे मेरी पीठ पर पर्हुच गये और उसके नाखून मेरी पीठ में उतर गये, उसके नाखून चुभने से मुझे भी काफी दर्द हुआ।
उसके मुंह से निकली चीख मेरे लबों में दब कर रह गई। मैंने ऐसे ही रहते हुए लिंग को थोड़ा थोड़ा दबाव डालने लगा। लिंग योनि की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुसने लगा। रूपाली के नाखून मेरी कमर में गडने लगे और मेरे होंठों में उसका दांत। दर्द तो बहुत हो रहा था पर जो आनंद उसकी कसी हुई कच्ची टाइट योनि में आ रहा था, उसके सामने दर्द कम ही था। दबाव डालते डालते लिंग लगभग 2 इंच अंदर पहुुंच चुका था। आगे कुछ अड़चन महसूस हो रही थी शायद उसकी झिल्ली थी। मैं कुछ देर वहीं पर रूक गया। जब रूपाली कुछ नोर्मल हुई और उसके नाखून का दबाव मेरी कमर में कम हो गया और होंठों पे दांतों का तो मैंने अपनी कमर को उठाते हुए लिंग को बाहर खींचा और फिर एक जोरदार धक्का मार दिया। लिंग उसकी झिल्ली को फाडता हुआ सीधा उसके गर्भाश्य से जा टकराया।
उसने भी बदला लेते हुए मेरे होंठों को बुरी तरह से काट लिया और नाखून कमर में गाड़ कर खरोंच दिये। दर्द के मारे मेरी आह निकली गई।

उसकी योनि ने मेरे लिंग को इस तरह जकड़ लिया था कि अभी के अभी उसकी जान निकाल लेगी। झिल्ली फटने से बहता गर्म खून आग में घी का काम कर रहा था। इतना दर्द हो रहा था मुझे कि मन कर रहा था उसको कच्च चबा जाउं। मैं ऐसे कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा, कुछ मेरे दर्द के कारण कुछ उसके दर्द के कारण। जब कुछ समय बाद उसके नाखूनों और दांतों की पकउ़ ढीली हुई तो मैंने राहत की सांस ली। उसकी योनि ने अभी भी मेरे लिंग को उसी तरह जकड़ रखा था। जब वो नोर्मल हो गई तो मैंनें उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। मजे में दर्द को तो मैं भूल ही चुका था। थोउ़ी ही देर में वो अपने कुल्हे हिलाने लगी। मैंने अपने लिंग को बाहर खींचा और फिर से एक जोर का धक्का मारा। उसके मुंह से आह निकल कर मेरे मुंह में गुम हो गई और उसकी हाथ मेरी कमर पर कस गये और पैर कुल्हों पर। गनीमत थी की अबकी बार नाखून और दांत नहीं कसे थे।
फिर तो धक्कों ने जो रफतार पकड़ी तो उसकी कुल्हें भी ताल से ताल मिलाकर साथ देने लगे।
उसकी योनि के अंदर की गर्मी और इतना ज्यादा कसाव मेरा लिंग सहन नहीं कर पाया और उसके अंदर की आग को शांत करने के लिए अपना रस उगलना शुरू कर दिया। जैसे ही उसने मेरे रस को महसूस किया उसका शरीर अकड़ा और उसने मुझे इस तरह से अपनी बाहों में भींच लिया कि मानो दो टुकउ़े कर देगी। उसकी योनि ने भी अपना रस बहाना शुरू कर दिया।
मेरा लिंग जड़ तक उसकी योनि में घुसा हुआ था। कुछ देर बाद हम स्वर्ग से वापिस लौटे तो हमारी सांसे उखडी हुई थी और शरीर में दर्द का अहसास तडपा रहा था।
ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे होंठ को काट कर मुझसे अलग कर दिया है। दर्द के अहसास के कारण मेरा लिंग सिकुड कर छोटा सा हो गया और उसकी योनि से बाहर निकल गया।
वो बुरी तरह से मेरे मुंह को चाटने और चूमने लगी।
मेरे होंठ में दर्द हो रहा था इसलिए मैंने खुद को उससे अलग किया और उठ कर बेड पर बैठ गया। मेरा धयान उसकी योनि की तरफ गया तो वो बुरी तरफ से फट चुकी थी और उसका मुंह खुला हुआ था। उसकी योनि से मेरा और उसका रस बह रहा था, जो हलका हलका लाल लाल सा था।
रूपाली बेड पर लेटी हुई अपनी आंखें बंद करके मुस्करा रही थी। मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और बाथरूम में लाकर शॉवर चलाकर उसके नीचे खड़ी कर दिया। परन्तु खड़े होते ही उसे योनि में असीम दर्द का अहसास हुआ जिस कारण से वो मेरे गले में बाहें डालकर झूल गई।
मैंने उसे सहारा देकर कमोड़ पर बैठा दिया और फिर गीजर चालू कर दिया। गर्म गर्म पानी से उसकी योनि को साफ किया और फिर नहाने के लिए शॉवर के नीचे आ गया।
सॉरी----- आई एम सो सॉरी,,, अचानक उसकी आवाज आई।
क्या हुआ,,,, सॉरी क्यों बोल रही हो, मैंने कहा।
उसने अपनी उंगली मेरी कमर की तरफ कर दी। मैंने पिछे मुंह करके सीसे में अपनी कमर देखी तो कमर पर खून जमा हुआ था और जगह जगह घाव हो रहे थे। मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कराया।
इट्स ओके---- टैंशन मत लो, मैंने कहा।
मेरी बात सुनते ही वो उठने लगी पर जैसे ही उसने उठकर एक कदम आगे बढ़ाया उसके शरीर में दर्द की लहर दौड़ गई और वो वापिस कमोड़ पर बैठ गई।
मैंने उसे सहारा देकर उठाया और शॉवर के नीचे लाकर खडी कर दिया। उसने मेरे कंधे को पकड़ लिया और धीरे धीरे नीचे बैठ गई। शॉवर से निकलता हलका गर्म पानी बहुत ही राहत दे रहा था।
क्रमशः.....................
 
Top