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Adultery बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई (Completed)

Kahani kaisi hai?

  • Achhi hai.

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kumarrajnish

kumaruttem
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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--46
गतांक से आगे ...........
तभी नवरीत और रूपाली अंदर आई। उनके पिछे ही अंकल भी अंदर आये। अंकल को देखते ही हम सभी खड़े हो गये।
अरे बैठो बैठो, अंकल ने हंसते हुए कहा।
मैं अपूर्वा का पापा हूं, अंकल ने खुद ही अपना इंट्रो देते हुए कहा।
नमस्ते अंकल, मैं समीर, अपूर्वा के ऑफिस में काम करता हूं, मैंने अंकल के पैर छूते हुए कहा।
वाह बेटा, बड़े अच्छे संस्कार है तुम्ळारे, अंकल ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा।
अंकल की बात सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया।
फिर कोमल, रूपाली और सोनल ने भी अंकल को गुड इवनिंग की। कोमल ने अंकल के पैर छूए।
ये मेरे बॉस की साली हैं, अपूर्वा ने अंकल को बताया।
ओह------- तब तो हमारी स्पेशल मेहमान हैं, अंकल ने कोमल के सिर पर हाथ रखते हुए कहा।
जी--- पापा--- और इसीलिए आज ये यहीं पर रूकेंगी, अपूर्वा ने कहा।
कोमल ने मेरी तरफ देखा और फिर अपूर्वा की तरफ देखकर कुछ इशारा करने लगी।
अपूर्वा ने उसकी तरफ आंख मार दी।
ये मेरी फ्रेंड सोनल है, नवरीत ने सोनल की तरफ इशारा करते हुए कहा, और ये सोनल और मेरी दोनों की फ्रेंड रूपाली, नवरीत ने रूपाली पर हाथ रखते हुए कहा।
बहुत अच्छे, सभी अच्छे अच्छे दोस्त हैं तुम्हारे, अंकल ने कहा।
आज एकसाथ कैसे आना हो गया, सभी का, अंकल ने थोड़ा असमंझज में होते हुए कहा।
हम सभी सोनल के घर पर थे, तभी समीर ने बताया कि अपूर्वा की तबीयत खराब थी आज, तो हम सभी मिलने के आ गये, नवरीत ने अंकल को समझाया।
हां--- वो सुबह बुखार था हल्का-सा, अंकल ने कहा।
ठीक है बच्चों, एंजॉय करो, कहते हुए अंकल बाहर निकल गये।

अंकल के जाते ही सभी की सभी बेड पर धडामममम धडाममममम धडाममममम,,,, जैसे जान ही ना बची हो किसी में।
मैं खड़ा खड़ा उन्हें गिरते हुए देखता रहा। कोमल शायद ऐसे ना बेड पर धडाम करती पर नवरीत ने उसका हाथ पकड़ा हुआ था, इसलिए वो भी उसके साथ ही साथ बेड पर धडामममम हो गई।
थोड़ी देर तक सभी ऐसे ही पड़ी पड़ी हंसती रही और फिर एक दूसरे के उपर सिर-पैर डालकर आराम से लेट गई।
ओ-के- अब मैं चलती हूं, फिर ज्यादा अंधेरा हो जायेगा, कोमल ने उठते हुए कहा।
कहां जा रही हो, बैठो इधर,, अपूर्वा ने उसका हाथ पकड़कर खींचते हुए कहा।
कोमल अभी आधी ही उठ पाई थी कि अपूर्वा के वापिस खींचने से फिर से धडामममममम------
देखो बात ऐसी है कि मैं तो जा रहा हूं, और आप इधर ही रूक जाओ,,, मैंने कोमल की तरफ देखते हुए कहा।
मेरी बात सुनते ही अपूर्वा एकदम से उठी और मेरी तरफ उंगली दिखाने लगी।
इधर ही रूकना है आज, मम्मी-पापा से भी मैंने पूछ लिया है, अगर नहीं रूके तो फिर देख लियो------ अपूर्वा ने तमतमाये हुए चेहरे से कहा।
मैं चुप हो गया। अपूर्वा मुझे घूर कर देखती रही। कोमल भी उठ कर बैठ चुकी थी।
मैम ने कह दिया है, तुम रूक सकती हो यहां पर, मैंने कोमल से कहा।
पहले मेरी बात का जवाब दो, अपूर्वा ने फिर पूछा।
जी बिल्कुल,,,,, मेरा अभी कोई इरादा नहीं है नरकवासी होने का,,,,,, मैंने थोड़ा गंभीर चेहरा बनाकर कहा,,,, पर मन ही मन हंसी आ रही थी अपूर्वा का एकदम टमाटर जैसा लाल चेहरा देखकर।
हां,, कहे देती हूं,,,,, नहीं रूके तो फिर ,,,,,, कहकर अपूर्वा ने अपनी उंगली नीचे कर ली जो अभी तक दुनाली की तरह मुझ पर तनी हुई थी।
मैंने अपने सीने पर हाथ रखकर एक ठण्डी सांस ली।
यार कुछ करते हैं तूफानी, ऐसे तो बोर होते रहेंगे यहां पर, फिर रूकने का क्या फायदा होगा, सोनल ने उठकर बैठते हुए कहा।
तभी रूपाली का मोबाइल बजने लगा।
मम्मी का है, एक मिनट चुप रहो, कहते हुए रूपाली ने कॉल पिक की।
हैल्लो मम्मा, रूपाली ने स्पीकर ऑन करते हुए कहा।
मम्मा की बच्ची कहां है तू अभी तक, उधर से आंटी की आवाज आई।
सोनल के पास हूं मम्मा, बस अभी दस मिनट में आ रही हूं, रूपाली ने कहा।
नवरीत ने उसे घूर कर देखते हुए ना के इशारे में अपनी उंगली हिलाई।
ठीक है, जल्दी आ जा, देख अंधेरा भी हो गया है, आंटी की आवाज आई।
ओ-के- मम्मा, बाये,, कहकर रूपाली ने फोन काट दिया।
मम्मा की बच्ची, तुझे मैं बताती हूं, कहते हुए नवरीत ने रूपाली को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया जिससे वो लेट सी गई और फिर उसके पेट पर गुदगुदी करने लगी।
रूपाली हंसने लगी और अपने पैरों को मोड़कर गुदगुदी से बचने की कोशिश करने लगी।
उसके पैर कोमल को लगे तो कोमल ने उसके पैरों को पकड़कर सीधे कर दिया और पकड़े रखे। अब बेचारी रूपाली पैरों को मोड़ भी नहीं सकती थी। नवरीत उसे गुदगुदी किये ही जा रही थी। रूपाली की आंखों में हंसते हंसते पानी आने लगा था।
गुदगुदी करने की वजह से रूपाली की कुर्ती उपर को सरक गई थी जिससे उसका मखमली सपाट पेट नंगा दिखने लगा था। ट्यूबलाइट की रोशनी में तो उसका पेट और भी ज्यादा दूधिया दिख रहा था।
जब नवरीत ने गुदगुदी करनी बंद नहीं की तो रूपाली ने रोना शुरू कर दिया।
 

kumarrajnish

kumaruttem
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आंहनननंहहहननननन प्लीज,, बस ,,,,, प्लीज,,,,,,, और नहीं,,,, प्लीज,,,,, आंनननननननंननहनहहहहहह
जब फिर भी नवरीत ने गुदगुदी करनी बंद नहीं की तो रूपाली ने उसको हाथों को पकड़ने की कोशिश की पर सोनल ने उसके हाथ पकड़ लिये। अब तो नवरीत बिना किसी बाधा के उसे गुदगुदी कर सकती थी। नवरीत ने उसके बगल (काख, आर्मपिट) में गुदगुदी करनी शुरू कर दी।
रूपाली ने एकदम से अपने पैरों को पटका, कोमल की पकड़ शायद ढीली हो गई थी, इस वजह से उसके पैर आजाद हो गये और वो अपने पैरों को बेड पर रखते हुए सिर और पैरों के बल उपर उठ गई।
इस तरह उठने से उसकी कुर्ती जो पहले ही उसकी नाभि से उपर जा चुकी थी, अब उसके उभारों के सहारे जाकर अटक गई।
मेरे लिंग ने अंगडाई लेनी शुरू कर दी।
ठीक है, नहीं जाउंगी, अब तो छोड़ दो,,,,, हार मानते हुए रूपाली ने कहा।
क्या कहा दीदी ने आप बताइये ना, कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैम ने कहा है कि तुम रूक सकती हो, अगर मैं भी यहां पर रूक रहा हूं तो, मैंने उसे बताया।
येय,,,,,, अपूर्वा खुश होते हुए चिल्लाई।
पर मैं नहीं रूक रहा तो आप नहीं रूक सकती, मैंने गंभीर चेहरा बनाते हुए कहा।
अब तो मैं बस,,,,,, कहते हुए अपूर्वा घुटनों के बल चलते हुए मेरे पास आई और मेरे गालों को पकड़कर खींच लिया।
आइइइइइइइइ,,,,, मैं तो मजाक कर रिया था,,,,,,,, मैंने दर्द भरी आह के साथ कहा।
हाहाहाहाहा,,,,,हेहेहेहेहे,,,,, ये ‘रिया’ क्या होता है------- नवरीत ने हंसते हुए पूछा।
मतलब ‘रहा’ वो थोड़ी जीभ लडखड़ा जाती है तो ‘रिया’ निकल जाता है, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
हम्मममम,,,,, आपकी भी जबान लडखड़ाती है, सोनल ने गंभीर चेहरा बनाते हुए कहा और कहकर हंसने लगी।
मैं अभी आई, रूपाली ने उठते हुए कहा और बाहर की तरफ जाने लगी।
कहां---- कहीं भागने का प्लान तो नहीं है, अपूर्वा ने पूछा।
हेहेेहेहे, बस अभी आ रही हूं,,,,,,, रूपाली ने कहा और बाहर निकल गई।
बेटा, खाना तैयार हो गया है, सभी खाना खा लो गर्म गर्म, नीचे से आंटी की आवाज आई।
ओ-के- मॉम, अभी आते हैं, अपूर्वा ने वहीं से मरी-सी आवाज में जवाब दिया।
अपूर्वा, बेटा, आ जाओ खाना खा लो, नीचे से अबकी बार अंकल की आवाज आई।
शायद अपूर्वा की आवाज नीचे तक नहीं पहुंची थी।
मैं उठकर रूम से बाहर आया।
जी अंकल अभी आ रहे हैं, मैंने बाहर आकर कहा।
अंकल नीचे सामने सोफे पर बैठकर कोई बुक पढ़ रहे थे।
अंकल ने मेरी तरफ देखा और फिर हाथ से नीचे आने का इशारा किया।
मैं नीचे जा रहा हूं, अंकल बुला रहे हैं, मैंने कमरे में झांकते हुए कहा और नीचे चल दिया।
आओ बेटा बैठो, अंकल ने अपने बगल में इशारे करते हुए कहा।
मैं साइड वाले सोफे पर बैठ गया।
कैसे हो बेटा, अंकल ने बुक टेबल पर रखते हुए कहा।
ठीक हूं अंकल, मैंने कहा।
काफी टेंलेटेड हो, अंकल ने मेरी तरफ मुस्कराते हुए कहा।
जी, मैं समझा नहीं, मैंने थोड़ा टेंशन में होते हुए कहा।
मुझे लगा कि पता नहीं किस टेलेंट की बात कर रहे हैं,,,, ।
आठवीं तक पढ़े हो, फिर भी आई-टी- प्रोफेशनल हो, अच्छी कम्पनी में नौकरी है, अच्छी पोजीशन पर हो, तो टेलेंटेड ही तो हुए, अंकल ने समझाते हुए कहा।
अंकल की बात सुनकर मेरी जान में जान आई।
ओहह---- हां, वो तो बस ऐसे ही, ज्यादा कुछ नहीं, मैंने चैन की ठण्डी सांस लेते हुए कहा।
अपूर्वा बहुत बातें करती रहती है तुम्हारे बारे में, सब उसी से पता चला, अंकल ने उपर की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मैंने अंकल के इशारे की तरफ देखा, सभी लड़कियां बाहर ही खड़ी थी और हमारी तरफ ही देख रही थी। अपूर्वा ने मेरी तरफ थम्स-अप करके बेस्ट ऑफ लक कहा। मैं थोड़ा कन्फयूज हो गया।

इसके बाद अंकल मुझसे मेरे आगे की लाइफ के बारे में क्या सोचा है, मेरे घर-परिवार के बारे में , आदि आदि पूछते रहे। (दोस्तों मैंने ये पूरी कनवर्जेशन लिखी तो है, पर मुझे लगा कि आप सब बोर हो जायेंगे पढ़कर इसलिए पोस्ट नहीं की)।
चलो अब खाना खा लो, खाना लग गया है, आंटी ने कहा।
मैंने आवाज की तरफ देखा, सभी लड़किया डायनिंग टेबल पर बैठी थी और बाई और आंटी खाना लगा रही थी।
मैंने इधर उधर देखा, एक कोने में वाश-बेसिन था। मैंने जाकर हाथ-मुंह धोये और आकर चेयर पर बैठ गया। कुछ देर बाद अंकल भी आकर बैठ गये।
सभी ने खाना आरंभ किया। सभी चुपचाप खाना खा रहे थे। कोई कुछ नहीं बोल रहा था।
सभी खाना खा ही रहे थे कि मेरे पैर पर मुझे कुछ महसूस हुआ। और तुरंत ही मुझे पता चल गया कि ये किसी का पैर है। मेरे सामने नवरीत बैठी थी। मैंने उसकी तरफ देखा तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि उसका पैर हो सकता है। उसका पूरा धयान खाना खाने में था।
मैंने उसके पास में बैठी कोमल की तरफ देखा तो वो भी खाने में मग्न लग रही थी। उसके बाद बैठी अपूर्वा खाना खा रही थी और मेरी तरफ टुकूर टुकूर देख रही थी।
मैंने एकबार कन्फर्म करने के लिए सोनल की तरफ भी देखा पर वो भी खाना खाने में मग्न थी।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि ये अपूर्वा का पैर हो सकता है। पर सिचुएशन देखकर यही लग रहा था कि पैर अपूर्वा का ही है।
 

kumarrajnish

kumaruttem
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मैंने अपने पैर को थोड़ा सा पिछे कर लिया। पर उसका पैर फिर से मेरे पैर तक पहुंच गया और मेरी पेंट को उपर उठाकर अंदर घुसने की कोशिश करने लगा।
अचानक उसने अपने पैर के अंगूठे और उंगली के बीच में मेरे पैर की चमड़ी को भींच दिया। मैंने रोटी का कौर मुंह में लिया ही था, उसकी इस हरकत से एकदम से कौर स्वांस नली में चला गया और मुझे जोर की खांसी आ गई। वो तो गनीमत है कि मैंने मुंह पर हाथ रख लिया था, नहीं तो गड़बड़ हो जाती।
अपूर्वा एकदम उठी और पानी का गिलास मेरी तरफ बढ़ाया। मैंने उसकी तरफ देखा, उसके चेहरे पर परेशानी झलक रही थी।
मेरी आंखों में पानी आ गया था। मैंने पानी पीया और उठकर वाश-बेसिन पर जाकर मुंह धोया और रूमाल से पौंछकर फिर से आकर खाना खाने लगा। अबकी बार मैंने अपने पैरों को चेयर की तरफ पिछे कर लिया था।
मैंने सबकी तरफ एक नजर घुमाई, नवरीत मुस्करा रही थी, अपूर्वा के चेहरे पर कुछ पेरशानी की रेखाएं थी, कोमल और सोनल भी हल्के हल्के मुस्करा कर मेरी तरफ ही देख रही थीं।

क्रमशः.....................
 

kumarrajnish

kumaruttem
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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--47
गतांक से आगे ...........
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये किसकी हरकत थी। अपूर्वा जिस तरह से परेशान दिख रही थी, हो सकता है उसकी हरकत हो, परन्तु फिर नवरीत पर नजर जाती तो उसकी वो कातिल मुस्कान देखकर लगता कि हो न हो इसकी ही हरकत है। परन्तु फिर कोमल व सोनल का मुस्कराता चेहरा दिखता तो उन पर भी शक होता। वैसे कोमल पर ज्यादा शक नहीं हो रहा था। परन्तु सोनल और नवरीत पर सबसे ज्यादा शक हो रहा था।
माना कि खाना हमारी तरफ से है और स्वादिष्ट भी है, पर कहीं भागा तो नहीं जा रहा था ना, और हम सब तो थोड़ा थोड़ा ही खाते हैं, तो सारा आपके लिए ही था, फिर भी पता नहीं किस बात का डर था कि इतनी जल्दी थी खाने की,,,,, नवरीत ने अपनी आंखें नचाते हुए कहा और चेयर पर पिछे की तरफ पीठ टिका कर बैठ गई।
सभी हंसने लगे। उसकी ये बात सुनकर तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि हो न हो इसी की हरकत है। मैंने फिर से खाना शुरू कर दिया।
लो भई, मेरा पेट तो भर गया, अब तुम लोग खाओ आराम से, कहते हुए अंकल उठ गये और बाई(कामवाली) आकर उनके बर्तन उठा ले गई।
अंकल के जाते ही मुझे फिर से मेरे पैर पर किसी का पैर महसूस हुआ। मैंने सभी की तरफ गौर से देखा पर सभी ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे वो कुछ कर ही नहीं रही।
मैंने अपना दूसरा पैर उठाया और जोर से उसके पैर पर मारने ही वाला था कि तभी मन में विचार आया कि यार जिसका भी है, है तो लड़की का ही, और यह विचार आते ही मैंने उसके पैर पर मारने का इरादा त्याग दिया।
अब उस पैर की हरकत कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। अब वो पैर मेरे घुटनों तक आ गया था। नवरीत अपने चेयर पर कुछ नीचे को खिसक गई थी। मतलब वो ही ये हरकत कर रही है।
अगर बैठा नहीं जा रहा तो आराम से सोफे पे जाकर पसर जा, यहां क्या टेबल को गिराने का इरादा है, मैंने नवरीत की तरफ घूरते हुए कहा।
मेरी मर्जी मैं कहीं भी पसरूं, आपको मतलब, उसने मेरी तरफ जीभ निकालते हुए कहा।
रोटियां और चाहिए बेटा, आंटी की आवाज आई।
मैंने गर्दन घुमा कर देखा, आंटी रोटियां लिए आ रही थी। नवरीत सीधी होकर बैठ गई। पर वो पैर अभी भी मेरे पैर से छेड़छाड़ कर रहा था।
अब तो मैं टैंशन में आ गया था, पैर नवरीत का नहीं है तो किसका है। अब मैंने अपना निश्चय पक्का किया और हल्के से उस पर पैर दूसरे पैर से मार दिया।
आइइइइई-------- तुरंत ही रिएक्शन मिला, और कोमल के मुंह से दर्द भरी आह निकली।
क्या हुआ, किसी ने मारा, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
कोमल ने मेरी तरफ घूर कर देखा और फिर खाना खाने लगी।
क्या हुआ दीदी, आइइइई क्यों की थी आपने अभी, नवरीत ने थोड़ा आगे झुककर उसे देखते हुए कहा।
कुछ नहीं, वो,,, वो,,,,, वो,,,, थोड़ा,,, सा ,,,,, बस,,,,,, वो,,,,, उंगली दांतों के नीचे आ गई थी, कोमल ने नवरीत को अपनी उंगली दिखाते हुए कहा।
हेहेहेहेहेहेहेहे,,,,,,, नवरीत खिलखिलाकर हंस पड़ी।

हंसते हुए वो बहुत ही प्यारी लग रही थी। मैं तो बस उसे देखता ही रह गया। उसके गाल पर पड़े वो डिम्पल मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे।
नहीं,,, नहीं,,, आंटी ओर नहीं,,, बस पेट भर गया, मैंने आंटी को और रोटियां रखने से मना करते हुए कहा, पर आंटी ने जबरदस्ती दो रोटियां और रख दी।
आज तो दो इंच पेट बढ़ ही जायेगा, एक तो इतना ज्यादा मक्खन और उपर से दो रोटियां एक्स्ट्रा,,,, मैंने आंटी की तरफ देखते हुए कहा।
पतली पतली तो रोटियां बनाती हूं मैं, अभी दो रोटी ही तो खाई हैं तुमने, लो ये एक और लो,,,,,,, आंटी ने एक रोटी और रखते हुए कहा।
अरे आंटी, चार रोटियां खा चुका हूं,,,, मैंने आंटी को रोटी रखने से रोकते हुए कहा।
ले लो, बार बार नहीं मिलेंगी आंटी के हाथ की रोटियां, वैसे भी तुम आधे टाइम तो भूखे ही रहते होंगे, नवरीत ने मेरा हाथ एकतरफ हटाते हुए कहा और आंटी ने वो रोटी भी थाली में रख दी।
मैंने नवरीत को घूर कर देखा, और फिर खाना खाने लगा।
हे,,,,, ऐसे क्या देख रहे हो, एक तो एक रोटी एक्सट्रा दिला दी, उपर से गुस्सा हो रहे हो, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
मैंने दो रोटियां उठाई और सीधे नवरीत की थाली में पहुंचा दी।
हे, हे, ये चीटिंग है, अपनी रोटियां मेरी थाली में क्यों रखी, इती मुश्किल से तो तुम्हें दिलाई है,,,, नवरीत ने रोटियां उठाकर वापिस मेरी थाली की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
अरे,,,,, तुम भी ना रीत,,,,,, ये कहना चाहते हैं कि इनके हाथ दुखने लगे हैं रोटियां तोड़ते तोड़ते, इसलिए अब तुम अपने हाथों से खिला दो, कोमल ने मुस्कराते हुए कहा।
अच्छा तो ये बात है, चलो तुम भी क्या याद रखोगे, कहते हुए नवरीत ने आधी रोटी का एक कौर बनाया और सब्जी लगाकर मेरी तरफ बढ़ा दिया।
मैं उसकी तरफ टुकुर टुकूर देखने लगा।
ऐसे क्या टूकुर टुकूर देख रहे हो, अब खाओ, मेरे हाथ से खाना किसी किसी को नसीब होता है, और वो भी कभी कभी,,,,,,, अब जल्दी से खा लो नहीं तो हो सकता है मेरा मूड बदल जाये, फिर हाथ मलते रह जाओगे,,,,,,,, नवरीत ने अपनी मोटी मोटी आंखें नचाते हुए कहा।
खा लो, खा लो, सालियां खिला रही हों तो, ज्यादा नखरे नहीं करने चाहिए,,,, आंटी ने पास से गुजरते हुए कहा।
सालियााााााााां,,,,, मैंने आश्चर्य से आंटी की तरफ देखा, पर तब तक आंटी रसोई में जा चुकी थी।
चलो अब जल्दी से मुंह खोलो, नवरीत ने कहा।
मैंने अपूर्वा की तरफ देखा, वो मेरी तरफ ही देख रही थी और मुस्करा रही थी। जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा, उसने शरमा कर अपनी नजरें झुका ली और फिर अदा से एक बार वापिस उपर को उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर तुरंत ही वापिस नीचे झुका ली।
उसकी इस अदा ने तो मुझे मार ही डाला, और मेरा मुंह खुल गया। मौके का फायदा उठाकर नवरीत ने रोटी सीधा मेरे मुंह में ठूंस दी।
 

kumarrajnish

kumaruttem
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उंहहननननननननन,,,,, मेरे मुंह से बस इतना ही निकल पाया। नवरीत ने अपना हाथ हटा लिया, नीचे ना गिरे इसलिए मैंने अपनी हथेली होठों के पास कर ली।
देखो, देखो, भूखे को,,,,, कैसे बेनिता होकर खा रहा है, खाना कहीं नहीं भागा जा रहा, आराम से भी खा सकते हो, थोउ़ा थोउ़ा करके, नवरीत ने हंसते हुए कहा। उसका एक हाथ मेरी तरफ उठा हुआ था।
तुम भी ना रीत,,,,, ये भी कोई तरीका है,,,,, अपूर्वा ने कहा और उठकर अपनी चुन्नी से मेरे मुंह पर लगी सब्जी को साफ कर दिया।
ओए होए,,,,,,, बहुत दया आ रही है, नवरीम ने अपूर्वा के गालों को खिंचते हुए कहा।
एक साथ इतना ज्यादा खाने के कारण सब्जी की चरचराहट गले में चली गई थी, जिस कारण खांसी तो नहीं हुई, पर आंखों से पानी बहने लगा था।
अपूर्वा उठी और मेरे पास आकर बैठ गई और नवरीत की थाली से रोटियां उठाकर मेरी थाली में रख ली।
देखो, देखो, कैसे मेरी थाली से रोटियां उठा ली भूखों ने, कितने बेनिते हो तुम लोग, नवरीत ने थोड़ा सा सीरियस चेहरा बना कर कहा और कहकर फिर से हंसने लगी।
अपूर्वा ने उसको घूर कर देखा, और फिर अपनी चुन्नी से मेरे आंखों से बहता पानी साफ किया और पीने के लिए पानी दिया।
मैंने पानी पिया। अपूर्वा ने रोटी में से छोटा सा कौर तोउ़ा और सब्जी लगाकर मेरे मुंह के सामने कर दिया। मैंने उसकी तरफ देखा और फिर अपना मुंह खोल दिया। उसने बहुत ही प्यार से मुझे खिलाया। फिर एक कौर खुद खाया और फिर मुझे खिलाया।
मेरा पेट भरा हुआ था, पर कोई इतने प्यार से खिलाए तो कैसे मना किया जाए। वो मुझे खिलाती गई और मैं खाता गया। आधी रोटियां उसने खुद खाई और आधी मुझे खिलाई।
नवरीत हमें देखकर हंसे जा रही थी। कोमल भी हंसने में उसका साथ दे रही थी। सोनल बस हमें घूर घूर कर देख रही थी।
खाना खाने के बाद सभी उठे और वाश बेसिन पर पहुंच गये।

हे पहले मेरा नम्बर है, बाकी सभी लाइन लगा कर खड़े हो जाओ, नवरीत ने सबसे आगे निकलते हुए कहा और वाश बेसिन पर अपने हाथ धोने लगी।
वो कुछ ज्यादा ही टाइम लगा रही थी। मैं एक साइड खड़ा हुआ इंतजार कर रहा था कि कब ये सब जगह दें और मेरा नम्बर आये।
आखिर काफी देर बाद नवरीत ने जगह दी।
हे,,,, ज्यादा टाइम तो नहीं लगाया ना मैंने, इता टाइम तो लगता ही है ना अच्छी तरह से कुल्ला करने में, नहीं तो दांतों में सड़ने हो जायेगी, नवरीत ने मेरे पास आकर खड़े होते हुए कहा।
और हां, आप भी अच्छे से करना, कहीं खाने की तरह जल्दी जल्दी में,,,,,, नहीं तो दांत सड़ जायेंगे, नवरीत ने मेरे गाल का सहलाते हुए कहा।
सभी ने हाथ धोये और आकर सोफे पर बैठ गये। नवरीत और अपूर्वा रसोई में चली गई।
नवरीत व अपूर्वा के रसाई में चले जाने पर मुझे लड़कियां कुछ कम लगी। तभी मुझे धयान आया कि रूपाली तो है ही नहीं।
मैं किसी से कुछ पूछता, उससे पहले ही मेरे कानों में और दूसरी आवाज पड़ी।
हे,,, चलो चलो, उपर, यहां क्या बैठे हो, नवरीत ने रसोई से निकलते हुए कहा। उसके हाथों में दो प्लेटे थीं, प्लेटों में क्या था ये तो दिखाई नहीं दिया। पर ये कहते हुए उपर की तरफ चल दी।
उसके पिछे पिछे अपूर्वा रसोई से निकली, उसके हाथों में भी एक प्लेट थी। वो भी उपर आने का इशारा करते हुए नवरीत के पिछे पिछे चल दी।
हम तीनों खड़े हुए और उपर की तरफ चल पड़े।
समीर बेटा, एक मिनट आप इधर आओ, आपसे कुछ बात करनी है, सामने से आते हुए अंकल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैं कुछ शंकित सा हो गया, कि पता नहीं क्या बात हो गई, जो मुझे अकेले को बुला रहे हैं, पर उनके चेहरे की मुस्कराहट देखकर कुछ शांति मिली।
मैं उनके साथ वापिस सोफे की तरफ मुड गया।
पापा,,,,,,, अभी नहीं, अपूर्वा की आवाज आई।
पर बेटा,,,,,,,, अंकल ने इतना ही कहा।
उउंउंहहहहहह,,,,,, अभी नहीं ना पापा,,,,, फिर से अपूर्वा की आवाज आई।
वो सीढ़ीयों में खड़ी थी, नवरीत उपर पहुंच चुकी थी, बाकी की दोनों लडकिया अपूर्वा के पिछे ही खडी थी।
चलो, जैसी तुम्हारी मर्जी, कहते हुए अंकल सोफे पर बैठ गये।
 

kumarrajnish

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क्या बात है, अंकल,,,,, मैंने थोड़ा शंकित होते हुए अंकल से पूछा।
वो बेटा, बात ऐसी है कि,,,,,, अंकल ने इतना ही कहा था कि तभी फिर से अपूर्वा की आवाज आई।
नहीं ना पापा,,,,,,, अभी नहीं,,,,, उसने कहा।
ओ-के- बेटा,,,,, अंकल ने कहा।
और आप उपर आओ,,,,,,, अपूर्वा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैं असमंझस में सिर खुजलाते हुए उपर की तरफ चल दिया। समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसी क्या बात है, और जब अंकल बता रहे थे तो अपूर्वा ने मना क्यों किया। इसी असमंझस में मैं उपर पहुंच गया।
मेरे उपर आते ही अपूर्वा मेरा हाथ पकड़कर खिंचते हुए अंदर ले गई और अंदर आकर बेड पर बैठा दिया। और फिर प्लेट को टेबल पर रखते हुए टेबल को बेड के पास सरका लिया। नवरीत ने भी अपनी प्लेटे उस टेबल पर रख दी।
प्लेट में रखी मिठाईयां देखते ही मेरे मुंह में पानी आ गया। बंगालियां मिठाईयां और बर्फी, जो कि मेरी बहुत ही मनपसंद मिठाईया हैं।
आराम से बैठो ना उपर पैर करके,,, अपूर्वा ने कहा।
मैंने अपने जूतों की तरफ देखा और फिर जैसे ही जूते उतारने के लिए झुकने लगा, मुझसे पहले ही अपूर्वा नीचे बैठ गई। बैठते हुए उसके उरोज मेरे घुटनों से टकरा गये, पर उसने कोई धयान नहीं दिया और नीचे बैठकर मेरे जूते उतारने लगी।
हे,,, ये क्या कर रही हो, मैं खुद उतार लूंगा, मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।
अब तो आदत डाल लो जीजू,,,,, नवरीत ने चहकते हुए कहा।
जीजू,,,,,, मेरे मुंह से आश्चर्य से निकला।
ये क्या चक्कर है, नीचे आंटी सालियां कह रही थी और यहां पर तुम ये जीजू,,,,,,, ये क्या है,,, मैंने कन्फयूज होते हुए सीरियस चेहरा बनाते हुए कहा।
अपूर्वा ने नवरीत की तरफ घूर कर देखा। नवरीत ने अपने होंठों पर उंगली रख ली और ‘सॉरी’ कहा।
अपूर्वा फिर मेरे जूते उतारने लगी।
हे,,, बताओ ना, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,, मैंने कहा।
सब समझ में आ जायेगा टाइम आने पर,,,,, कोमल ने कहा।
मैंने उसकी तरफ देखा। वो आराम से बेड पर बैठी थी और उसके हाथ में एक बर्फी थी।

मैंने बुरा सा मुंह बना दिया।
चलो,,, अब आराम से उपर पैर करके बैठ जाओ,,,,, अपूर्वा ने मेरे जूते उतारकर साइड में रखते हुए कहा।
मैं आराम से उपर पैर करके बेड के सहारे कमर लगाकर बैठ गया और पैरों को सीधे करके उनपर कम्बल डाल लिया।
सोनल, जो कि दीवार के सहारे कमर लगाकर अपने पैरों को सिकोड़ कर बैठी थी उसने भी पैरों को सीधा करके मेरे पैरों के उपर रख लिये। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने एक आंख दबा दी।
कोमल सोनल के पास ही दीवार से कमर लगाकर बैठी थी, वो मेरे साइड में ही बैठी थी और अपने पैरों को सिकोड़े हुए थी। उसने अपने पैरों को थोड़ा सा आगे की तरफ सरका दिया जिससे उसके पैरों की उंगलियां मेरी जांघों की साइड में आकर जम गई। मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्करा दी।
नवरीत बेड पर चढी और अपनी कमर पर हाथ रखकर इधर उधर देखने लगी और फिर मेरे और कोमल के बीच में आकर बेड से कमर लगा कर मुझसे सटकर बैठ गई। पर उसे पैर फैलाने के लिए जगह नहीं मिली।
उसने एक पैर मेरी जांघों के उपर से फैला कर रख लिया और दूसरा शायद कोमल के पैरों के बीच से उसके नितम्बों और पैरों के बीच रख लिया।
अभी तक नवरीत के बारे में बारे में कभी भी उलटा नहीं सोचा था, पर आज जब उसने इस तरह से मेरी जांघों पर पैर रखा तो,,,,, न चाहते हुए भी मेरा लिंग अपना सिर उठाने लगा।
क्रमशः...................
 

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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--48
गतांक से आगे ...........
अपूर्वा ने एक प्लेट उठाई और मेरे साइड में कम्बल में घुसकर बैठ गई और प्लेट मेरी जांघों पर रख दी। मैंने एक बर्फी उठाई और खाने लगा।
अपूर्वा भी मेरे पास ही बेड से कमर लगाकर कम्बल में घुस गई। और अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया। मैंने उसकी तरफ देखा तो वो अपनी आंखें बंद किए हुए थी और होंठों पर हल्की मुस्कान थी। मैंने उसके गालों को सहलाया और एक और बर्फी उठाकर खाने लगा।
रूपाली कहां गई, मैंने पूछा।
भाग गई वो गोली देकर,,,,, उसे तो मैं अच्छी तरह बताउंगी,,,,, सोनल ने कहा।
तभी कोमल का मोबाइल बजने लगा।
दीदी का है, कोमल ने कॉल उठाते हुए कहा।
हैल्लो, हां दीदी,------------------------- नहीं, इधर ही रूक रही हूं,,,,,,, नहीं वो इधर ही हैं,,,,,,,,,, बस बैठे हैं,----------- हां,, खा लिया,,,,,,,,,,-------------------------------------- ठीक है, ----------- ओके बाये------------- बातें करके कोमल ने फोन काट दिया और मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगी।
क्या----- मैंने उसे मुस्कराते हुए देखकर कहा।
कुछ नहीं------- कहकर वो और भी ज्यादा मुस्कराने लगी।
आपके घर पर कौन कौन है,,,,,, नवरीत ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखते हुए पूछा।
उसका हाथ मेरी गर्दन के पिछे से होता हुआ अपूर्वा के बालों पर पहुंच गया और उसके बालों को सहलाने लगी। नवरीत का एक उभार मेरे हाथ पर हल्का सा टच होने लगा।
मम्मी,,, पापा,,,, भाई और सिस्टर की शादी हो चुकी है, मैंने कहा।
भाई आपसे बड़ा है या छोटा,,,,, अपूर्वा ने पूछा।
छोटा,,,,,, मैंने कहा।
आप बीच के हो-------- कोमल ने कहा।
नहीं, मैं सबसे बड़ा हूं,,,,, मैंने कहा।
ऐसे ही काफी देर बातें चलती रहीं। अपूर्वा मेरे कंधे पर सिर रखकर बैठी थी और उसका हाथ मेरी गोद में था। सारी मिठाईयां खत्म हो चुकी थी। ज्यादा मैंने ही खाई थी। अपूर्वा ने प्लेट उठाकर टेबल पर रख दी और वापिस मेरे कंधे पर सर रखकर बैठ गई।
उउउउउउउउंहहहह,,, मुझे तो नींद आ रही है, नवरीत ने उंघते हुए कहा और अपना एक पैर मोडते हुए मेरी जांघों पर आगे करके मेरे पेट से सटा दिया। उसकी एक जांघ पूरी तरह मेरे उपर थी और उसकी योनि वाला भाग मेरे जांघों पर टच हो रहा था। उसका हाथ पहले से ही मेरी गर्दन के पिछे से अपूर्वा के बालों में था। उसके इस तरह मेरे से सट कर बैठने से उसके उभार मेरे हाथ पर दब गये। बहुत ही नरम और मुलायम अहसास था।
सोनल पर मेरी नजर पड़ी तो वो तो वैसे ही बैठे बैठे सपनों की दुनिया में पहुंच चुकी थी। उकडू बैठे बैठे (पैरों को मोड कर बैठे हुए) कोमल के घुटनें भी शायद दुखने लगे थे, वो थोडा सा एडजस्ट हुई और अपने पैर मेरे और नवरीत के पैरों के उपर से सीधे कर दिय। उसकी जांघों का नीचे वाला हिस्सा मेरे और नवरीत के पैरों पर आ गया। उसने भी एक जम्हाई ली और अपनी आंखें बंद करके दीवार से सर लगा लिया।
नवरीत के इस तरह होने से अपूर्वा का जो कम्बल के उपर से मेरी गोद में रखा था वो हट गया तो अपूर्वा ने अपना हाथ कम्बल के अंदर कर लिया और मेरी जांघों और पेट पर रख दिया। मैंने अपूर्वा की तरफ देखा, उसकी आंखें बंद थी और उसके चेहरे पर बहुत ही खुशी झलक रही थी।
सो गई क्या,,, मैंने धीरे से अपूर्वा के कान में कहा।
हूंहहहूं,,,, उसने धीमा सा जवाब दिया।

मैंने अपना हाथ उसके बालों में रख दिया और सहलाने लगा। वो थोड़ा सा एडजस्ट हुई और नीचे को सरक कर अपने गाल मेरी जांघों पर रख दिये और सो गई। उसका एक हाथ नवरीत के नितम्बों पर था।
सभी तरफ से लड़कियाें से घिरा हुआ मैं, बहुत ही असहज फील कर रहा था, क्योंकि उनके अंग मुझसे सटे हुए थे जिस कारण मेरा लिंग बार बार झटके ले रहा था।
नवरीत के पैर और अपूर्वा के सिर के कारण मैं उसे एडजस्ट भी नहीं कर सकता था।
सभी लगभग नींद में पहुंच चुके थे। मैंने भी अपना सिर पिछे बेड पर टिका दिया और आंखें करके अपूर्वा के बालों को सहलाने लगा।
तभी आंटी हाथ में ट्रे लेकर रूम में आई।
ये लो,,,,, मैं तो दूध लेकर आई हूं,, और ये सब लम्बी तान गये,,, आंटी ने कहा।
आंटी की आवाज सुनकर मैंने आंखें खोली और आंटी की तरफ देखा।
लो बेटा दूध पी लो,,,, और अपूर्वा और नवरीत तो अब उठेंगी नहीं, कोमल और सोनल को उठा दो,, वो भी पी लेंगी, कहते हुए आंटी ने ट्रे को टेबल पर रख दिया और अपूर्वा के सिर को सहलाते हुए उसके बालों में एक चुम्मी दी और उसको बेड पर सही तरह से लेटा दिया।
मैंने नवरीत को थोड़ा सा अपने से अलग किया और बेड से उठते हुए उसको सीधा करके सही तरह से लेटा दिया।
हलचल होने से कोमल का आंख खुल गई,,,, उसने आंखें मलते हुए चारों तरफ देखा और फिर नवरीत को साइड में लुढक गई।
कोमल,,,,, उठो,,, दूध पी लो,,, फिर सो जाना,,, मैंने उसे हिलाते हुए कहा।
नहीं,,, मुझे सोने दो,,,, कोमल ने नींद में कहा और कम्बल को अपने उपर खींच लिया।
मैंने बेड पर चढकर उसके गालों पर हल्के हल्के चप्पल लगाई,,,, उठो,,,, खामखां में खराब होगा,,, अब आंटी ले आई है,,,, चलो एक बार उठकर पी लो,,, ,फिर आराम से सो जाना।
उउउंहहहहंउउउहहह करते हुए कोमल उठ कर बैठ गई। मैंने एक गिलास उठाकर उसके हाथ के पास कर दिया।
कोमल ने आंखें खोले बगैर ही गिलास पकड़ लिया।
धयान से कहीं इनके उपर गिरा दो,,,,, उसको ऐसे उंघते हुए देखकर मैंने कहा।
उसने गिलास मुंह से लगाया और एक ही घूंट में सारा दूध पी गई और गिलास आगे की तरफ बढा दिया।
उसे देखकर मुझे हंसी आ गई, उसने एक बार भी अपनी आंखें नहीं खोली थी और खाली गिलास सोनल की तरफ कर रखा था।
मैंने उसके हाथ से गिलास लिया और टेबल पर रख दिया।
वो वापिस लेट गई और करवट लेकर नवरीत से चिपक गई। उसका एक हाथ नवरीत की छाती पर पहुंच गया।
मैंने सोनल की तरफ देखा तो आंटी उसके पास खडी थी और चददर को सही कर रही थी।
मैंने सोनल को उठाकर उसको भी दूध पिलाया। उसने भी नींद में ही दूध पिया,,, बस गनीमत इतनी थी कि उसकी आंखें आधी खुली हुई थी। दूध पीकर वो वैसे ही दीवार से सिर लगाकर फिर से सो गई।
मैंने उसे गोद में उठाया और अपूर्वा के साइड में लेटाकर कम्बल ओढा दिया।
लो बेटा, तुम भी पी लो,,, आंटी ने गिलास मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा।
मैंने गिलास लिया और चेयर पर बैठकर दूध पीने लगा।
यहां सोना चाहो तो यहां सो जाना,,,, बेटा,,,,, और नहीं तो साथ वाला रूम भी खाली है,,, चाहों तो उसमें सो जाना,,, मैं कम्बल रख देती हूं उसमें,,,, जहां चाहों वहां सो जाना,,, कहते हुए आंटी गिलास और ट्रे लेकर चली गई।
मैंने दूध पिया और उठकर बाथरूम करने चला गया। वापिस आकर मैं दूसरे रूम को देखने के लिए बाहर आया। दूसरे रूम में जाकर देखा, काफी शानदार रूम था,,, सलीके से सजा हुआ था। इसमें भी डबल बेड था।
तभी आंटी कम्बल लेकर अंदर आई।
ये लो बेटा,,,,, यहां पर आराम से सोना,,,,,,, कहते हुए आंटी ने कम्बल बेड पर रख दिया।
गुड नाइट बेटा,,, अपना ही घर समझना,, और आराम से सोना,,, कहते हुए आंटी वापिस चली गई।
मैं जाकर बेड पर बैठ गया। पता नहीं आज नींद आंखों से काफी दूर थी। फिर भी मैंने लेट कर कम्बल ओढ लिया। पर नींद आने का नाम ही नहीं ले रही थी।
थोड़ी देर मैं ऐसे ही करवटें बदलता रहा, पर नींद नहीं आई तो मैं उठकर बाहर आ गया। सामने मुझे उपर जाने के लिए सीढ़ियां दिखाई दी तो मैं उपर की तरफ चल दिया।
छत पर आकर मैं मुंडेर के सहारे आकर खड़ा हो गया। बहुत ही शांति छाई हुई थी। ठंड का मौसम होने से कुत्ते भी कहीं दुबक कर सो रहे थे शायद।
 

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मैंने चारों तरफ नजर घुमाई,,,,, पूरा शहर रोशनी से जगमगा रहा था। पहाड़ों पर लाल लाइट जल-बुझ रही थी। मैंने आसमान की तरफ देखा तो पूरा आसमान तारों से भरा हुआ था। एकदम साफ आकाश,,,,, छोटा सा चांद दिखाई दे रहा था।
मैं मुंडेर पर चढकर दूसरी साइड पैर लटका कर बैठ गया। दूसरी साइड भी छत थी, इसलिए गिरने की टैंशन नहीं थी। मैं ऐसे ही बैठे हुए आसमान में देखने लगा। शायद तारें गिनने की कोशिश कर रहा हों।

आज काफी समय बाद इस तरह से आसमान में देख रहा था,,, शायद गांव से शहर में आने के बाद पहली बार। मन को बहुत ही शांति सी मिल रही थी। मैं काफी देर तक ऐसे ही आसमान में देखता रहा। तभी मुझे मेरे कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ।
मैंने गर्दन घुमा कर देखा, पिछे अपूर्वा खड़ी थी।
हाए,,,,,, नींद कैसे खुल गई,,,, मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा।
बाथरूम जाने के लिए उठी थी, देखा तो आप वहां पर नहीं थे,,,, फिर दूसरे कमरे में भी देखा,, पर वहां भी नहीं थे,,, अपूर्वा ने कहा।
मैं एकबार तो काफी परेशान हो गई,,, पर फिर ये उपर का दरवाजा खुला हुआ दिखाई दिया तो मैं उपर देखने आ गई,,, अपूर्वा ने थोड़ा रूककर फिर कहा।
नींद नहीं आर ही थी, तो उपर आ गया,,, मैंने कहा।
अपूर्वा भी मुंडेर पर मेरे साइड में बैठ गई।
कितना ब्यूटीफुल नजारा है,,,, अपूर्वा ने कहा।
हम्ममम,,,,, बहुत दिनों बाद आज रात में आसमान को देख रहा हूं,, बहुत ही अच्छा लग रहा है,,,, मैंने उसके हाथ को अपने हाथों में लेकर सहलाते हुए कहा।
मैं तो पता नहीं आज कितने महीनों बाद उपर आई हूं,,,, अपूर्वा ने कहा और अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया।
बहुत ही अच्छा लग रहा है, इस तरह खुले आसमान के नीचे बैठकर,,,, अपूर्वा ने फिर से कहा।
हम्ममममम,,,,, मैंने बस इतना ही कहा और अपना एक हाथ अपूर्वा के सिर में लेजाकर उसके बालों को सहलाने लगा।
अपूर्वा के साथ इस तरह बैठने से मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मन हो रहा था कि बस ऐसे ही बैठा रहूं। पता नहीं पर किसी कोने में बहुत ही मीठा सा आनंद महसूस हो रहा था।
आखिरकार मेरी सबसे अच्छी दोस्त जो थी वो,,, और इस तरह खुले आसमान में रात को हल्की हल्की ठण्ड में बैठना,,,, बहुत ही आनंददायक था।
अपूर्वा ने अपना हाथ मेरी कमर में रख दिया और सरककर पूरी तरह से मुझसे सट गई और दूसरा हाथ मेरी गोद में रख दिया। उसके इस तरह बैठने से उसके उरोज मेरे साइड और छाती पर दब गये थे। बहुत ही कोमल एहसास था। हम कितनी ही बार एक साथ रहे हैं, कितनी बार अपूर्वा मेरे से सटकर बैठी है, परन्तु आज तक कभी भी मेरे मन में उसके लिए कोई गलत विचार नहीं आया था। और आज भी वैसा ही था।
वो बहुत ही प्यारी लग रही थी। उसके चेहरे की मासूमियत कोई भी गलत विचार आने ही नहीं दे सकती थी।
आप घर कब जा रहे हो,,,, अपूर्वा ने ऐसे ही बैठे हुए पूछा।
क्यों,,,,, कोई स्पेशल बात है क्या,,,, मैंने पूछा।
नहीं,,,, वो आंटी का फोन आया था ना आपके रिश्ते की बात के लिए,,,, और आपको संडे को बुलाया था,,,,,,, अपूर्वा ने कहा।
ओ तेरे की,,,,,, मैं तो भूल ही गया था,,,, मैंने हैरान होते हुए कहा।
थैंक्स यार याद दिलाने के लिए,,,,, नहीं तो मम्मी तो यहीं पर पहुंच जाती बेलन लेकर,,,,,,, मैंने हंसते हुए कहा।
अपूर्वा भी हंसने लगी।
कल शनिवार है,,,, कल ही जाउंगा शाम को,,,,, मैंने कहा।
तो अगर आपको लड़की पसंद आ गई तो,,,,, हां कर दोगे,,,,, अपूर्वा ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा।
अरे अभी तो बस रिश्ते वाले आयेंगे,,, लड़की से मिलना तो बाद की बातें हैं,,,,, मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा।
पर हो सकता है,,, साथ ही आज जाये लड़की भी,,,, अपूर्वा ने कहा।
आपकी फोटो तो उन्होंने देख ही रखी होगी,,,,, अगर वो रिश्ता पक्का करने आये तो,,, लड़की भी साथ ही आ सकती है,,,,, अपूर्वा ने मेरे आंखों को टटोलते हुए कहा।
फिर भी,,,,, ऐसे किसी को एकबार देखकर थोड़े ही हां कर दूंगा,,,,,,, वैसे भी मैं अभी एक-दो साल तक तो शादी करने वाला हूं,,,,, मैंने कहा।
क्यों,,,,,, अपूर्वा ने पूछा।
अरे यार,,, मुझे परेशान होना पसंद नहीं है, खुद भी परेशान रहो,,,,, उसको भी परेशान रखो,,,, इसलिए मैं तभी शादी करूंगा तब अच्छा-खासा पैसा हो जायेगा,,,, ताकि फिर कोई टैंशन ना रहे,,,,,, मैंने कहा।
अब ऐसे में शादी कर लूंगा तो मैं तो पैसे कमाने के चक्कर में परेशान रहूंगा,,,, और पैसे की कमी में उसकी जरूरते भी पूरी नहीं होगी तो वो भी परेशान रहेगी,,, मैंने फिर कहा।
मैंने देखा है, खुद महसूस किया है,,,, जो जिंदगी मैंने गरीबी में काटी है,,, मैं नहीं चाहता कि मेरे बीवी-बच्चे भी उसी तरह की जिंदगी जिये,,,,,, मैंने कहा।
अपूर्वा अभी भी मेरी चेहरे पर ही देखे जा रही थी। उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी।
और अगर वो अमीर बाप की इकलौती बेटी हुई तो,,,, तब भी नहीं करोगे,,,,,, अपूर्वा ने मुस्कराते हुए कहा।
हम्ममम,,,, डिपेंड करता है,,,, अगर वो अपनी अमीरी दिखायेंगे तो फिर मेरी ना ही होगी,,,, क्योंकि मैं किसी का गुलाम बनकर जिंदगी नहीं जी सकता।

हां अगर वो अच्छे इंसान हुए,,,,, और अपने पैसों का रूतबा नहीं दिखाते तो फिर उस बारे में सोचा जा सकता है, मैंने बात पूरी करते हुए कहा।
अचानक अपूर्वा ने मेरे गाल पर एक प्यारी सी किस की और अपना चेहरा मेरे छाती में छुपा लिया।
क्रमशः.....................
 
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