हम काफी देर तक ऐसे ही गले लगे रहे। जब अपूर्वा कुछ शांत लगने लगी तो मैंने उसे अपने से अलग किया और उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसकी आंखों में देखने लगा। उसने एक बार तो मेरी आंखों में देखा, और फिर अपनी पलकें झुका ली।
क्या हुआ बेबी, बताओ तो, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
ये नहीं बतायेगी, मैं बताती हूं, नवरीत ने बेड पर बैठते हुए कहा।
अपूर्वा ने उसकी तरफ घूरकर देखा और ना के इशारे में गर्दन हिला दी।
ना की बच्ची, फिर रो क्यों रही थी, नवरीत ने उसकी नाक को दबाते हुए कहा।
कुछ बताओगे भी क्या हुआ, या ऐसे ही पहेलियां बुझाते रहोगे,, मैंने परेशान होते हुए कहा।
देखो जी, बात ऐसी है, ये मेरी बहन अपूर्वा,,, आपसे,,,, नवरीत के मुंह से इतना ही निकला था, कि अपूर्वा ने उसे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और उसके मुंह को अपने हाथ से बंद कर लिया।
नवरीत ने उसे बेड पर एक तरफ धकेला और उठकर थोड़ी दूर जाकर अपूर्वा की तरफ जीभ निकालने लगी। अपूर्वा खड़ी होकर उसके पिछे भागी।
जीजू,,, देख लो इसको,,, कहते हुए वो बाहर की तरफ भाग गई और अपूर्वा उसके पिछे पिछे।
इस ‘जीजू’ शब्द ने और दिमाग खराब कर दिया। अभी अपूर्वा रो क्यों रही थी वो टैंशन तो खत्म नहीं हुई थी और उपर से ये ‘जीजू’ शब्द।
देख लो आंटी, ये आपकी लाडली को, मेरे को मार रही है, नीचे से नवरीत की हल्की हल्की आवाज आई।
क्यों लड रहे हो बेटा, और तुम आराम क्यों नहीं कर रही, कहीं गिर-विर जाओगी तो, चलो उपर जाकर आराम करो, आंटी की आवाज आई।
और समीर भी तो आया था अभी, फिर से आंटी की आवाज आई।
इधर ही आंटी, इनको तो लड़ने की पड़ी हुई है, तो मैं अपना आराम से बेड पर बैठ गया, बाहर आकर ग्रिल के सहारे खड़े होते हुए मैंने कहा।
मम्मी देख लो इसको, ये मुझे परेशान कर रही है, अपूर्वा ने नवरीत का हाथ पकड़कर आंटी की तरफ देखते हुए कहा।
मैं तो बताउंगी, नवरीत ने फिर उसे जीभ निकाल कर चिड़ाते हुए कहा।
अरे तो मैं भी तो कब से सुनने के लिए बेताब हूं, बताउंगी, बताउंगी कर रही हो, बता कुछ रही नहीं हो, मैंने उपर से ही कहा।
जीजू,, वो ये,, ये,,, उउहहह,,, अभी नवरीत बात पूरी कर भी नही पाई थी कि अपूर्वा ने फिर से उसके मुंह को हाथ से बंद कर दिया।
छोड़ो सबकुछ, पहले ये ‘जीजू’ का चक्कर समझाओ मुझे, इस ‘जीजू’ शब्द ने दिमाग खराब कर रखा है, मैंने सीढ़ियों की तरफ आते हुए कहा।
तभी नवरीत अपूर्वा से हाथ छुड़ाकर उपर की तरफ भागी और अपूर्वा उसके पिछे-पिछे।
मान जाओ तुम मरजानियों,,,,, गिर गई तो चोट लग जायेगी,,, आंटी ने उन्हें डांटते हुए कहा, पर किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
जीजू,,, कहते हुए नवरीत आकर मेरे पिछे खड़ी हो गई।
जब भी ये जीजू शब्द सुनाई देता, दिमाग टेंशन में आ जाता। नवरीत के मेरे पिछे आने से अपूर्वा वहीं खड़ी हो गई।
मैं उसके पास गया और उसके बालों को ठीक करके उसका हाथ पकड़ कर अंदर की तरफ चल दिया। अंदर आकर मैंने उसको बेड पर बैठाया।
पहले तो तुम ये बताओ कि रो क्यों रही थी, मैंने उसके पास बैठकर उसके बाल संवारते हुए कहा।
आप नहीं आये इसलिए, नवरीत ने जल्दी से कहा और मेरे साइड में होकर खडी हो गई।
अपूर्वा ने अपना चेहरा नीचे कर लिया और अपने पैर के अंगूठे से चद्दर को कुरेदने लगी।
मैं आ तो गया, मैंने अपूर्वा के चेहरे को पकड़ते हुए उपर उठाते हुए कहा।
अरे तो लेट आये हो ना, कहकर गये थे कि ऑफिस से सीधे आओगे, पर टाइम देखिये साढे छः बज गये हैं, इतने लेट आओगे तो इतने सोचा कि वैसे ही कहकर चले गये, आओगे ही नहीं, नवरीत ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
अरे तो इसमें रोने की क्या बात है, बस लेट हो गया, ऑफिस से लेट निकला था, मैंने अपूर्वा के गालों को सहलाते हुए कहा।
तो इसमें रोने की बात ये है कि आप झूठे हो, आपने फोन भी नहीं किया कि लेट हो जाउंगा, बस इसलिए दीदी रो रही थी, नवरीत ने मेरे कंधे को दबाते हुए कहा।
हूंह,,, प्याली बेबी,,, कहते हुए मैंने अपूर्वा का सिर अपने सिने में रख लिया और अपूर्वा भी सरक कर मेरी बाहों में समा गई।
आप एकदम बुद्धु हो, इतना भी नहीं समझ सकते,, नवरीत ने मेरे कंधे पर मुक्का मारते हुए कहा।
क्या नहीं समझ सकता, मैंने कहा और समझने की बात आते ही मुझे ‘जीजू’ शब्द याद आ गया, परन्तु फिर भी मैं पहले नवरीत के जवाब का इंतजार करने लगा।
क्रमशः...................