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Adultery बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई (Completed)

Kahani kaisi hai?

  • Achhi hai.

    Votes: 12 100.0%
  • Buri hai.

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    12
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sunoanuj

Well-Known Member
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Bhai waiting for next update
 

kumarrajnish

kumaruttem
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Nice and fantastic update

Bahut hee jabardast update diya hai maza...
Kahani bhi thodi aagey badhi hai ...

Komal kah to sahi rahi hai... Lekin Sameer ko abhi is ka ahsaas nahin hua hai....

Nice Update...

Super update hai bhai

NICE UPDATE

Soooppeeerrrbbbb update.. pls continue rakhna

lovely....

Bhai waiting for next update

Bhai Update karne k liye overtime kar chahe par update kar yar

Kaha hai bro.
Waiting for the next update.

Komal ka opening hai ...dosto .....jaldi aa jana :wink:
thanks brother's
 
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kumarrajnish

kumaruttem
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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--51
गतांक से आगे ...........
तभी कामवाली अंदर आई।
मैं जा रही हूं, मेमसाहब, शाम को आ जाउंगी,,, कामवाली ने कहा।
हां ठीक है, अगर जरूरत हुई तो मैं फोन कर दूंगी,, तुम्हारा नम्बर तो है ना यहां पर,,, कोमल ने हाथ हटाते हुए कहा।
मेरे पास फोन नहीं है मेमसाहब,,, कामवाली ने कहा।
ठीक है तुम रहने देना, आज कोई है भी नहीं, तो मैं बाहर ही खा लूंगी,, कोमल ने कहा।
ओके मेमसाहब,, कामवाली ने मेरी तरफ देखते हुए मुस्करा कर कहा और बाहर चली गई।
कोमल उठकर बाहर गई और कुछ देर बाद वापिस आई।
कहां गई थी, मैंने पूछा।
दरवाजा बंद करके आई हूं, कोमल ने कहा और दूसरे दरवाजे से बाहर बाथरूम की तरफ निकल गई।
मैं उसे जाते हुए देखने लगा। सफेद झिन्नी पायजामी में से लाल पेंटी की हल्की सी झलक मिल रही थी।
उसके बाहर जाने के बाद मैं दरवाजे की तरफ ही देखता रहा।
कुछ देर बाद वो वापिस आई और मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी।
आकर वो चेयर पर बैठ गई और अपना हाथ मेरी चेयर पर गर्दन के पास रख लिया। उसके हाथ की उंगलिया मेरी गर्दन पर टच हो रही थी।
मैं काम करने लगा, और कोमल बैठे बैठे मुझे देखती रही। मुझे उसकी उंगलियां अपनी गर्दन पर ज्यादा टच होती हुई महसूस होने लगी।
उसकी उंगलिया धीरे धीरे मेरी गर्दन पर बढ़ती जा रही थी। मुझे उसके अपने हाथ पर उसके बूब्स का हल्का हल्का स्पर्श महसूस हुआ। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था और उसकी सांसे तेज चल रही थी।
मैं उसकी तरफ देखकर मुस्करा दिया। उसे तो जैसे सिग्नल मिल गया हो। उसने अचानक से मेरा मुंह पकड़ा और अपने तपते हुए होंठ मेरे होंठों पर रख दिये।
एक बार तो मैं शॉक रह गया, पर फिर मेरे हाथ भी उसके सिर के पिछे चले गये और मैं उसके लबों को चूसने लगा।
तभी दरवाजे पर मुझे कोई खड़ा हुआ महसूस हुआ।
मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो कामवाली खडी थी। उसका मुंह खुला हुआ था और वो शाक्ड होकर हमें ही देखी जा रही थी।
मैंने हाथ से उसे जाने का इशारा किया तो उसने अपने हाथ में पकड़ी चाबी दिखाई, मैंने साइड में रखने का इशारा किया।
वो बिना कोई आवाज किये चाबी को पास वाली टेबल पर रखकर चली गई।
कोमल तो पागलों की तरह मुझे किस्स्ससस किये जा रही थी, उसे तो पता भी नहीं चला कि कामवाली आई थी।
जब हमारी सांसे उखड़ने लगी तो मैंने उसको खुद से अलग किया।
मैं तुमसे आखिरी बार पूछ रही हूं, तुम अपूर्वा से प्यार नहीं करते ना,,, कोमल ने बदहवासी में कहा।
मैंने अपने हाथ उसके सिर के पिछे रखे और उसको खींचकर उसके लबों को अपने लबों में फिर से कैद कर लिया और जोर जोर से चूसने लगा।
कोमल मेरे होंठों को काटने लगी। उसके हाथ मेरी शर्ट पर पहुंच गये और वो मेरे बटन खोलने लगी। बटन खोलकर उसने शर्ट को साइड में कर दिया और कभी मेरी छाती और कभी मेरी कमर में हाथ घुमाने लगी। उसके हाथ घुमाने से मुझे गुदगुदी हो रही थी।
मेरे हाथ उसके उरोजों पर पहुंच गये। आहहहह क्या अहसास था एकदम नरम नरम और तने हुए उरोज। मेरा लिग बाहर निकलने के लिए छटपटाने लगा।
कोमल कभी मेरे निप्पल्स को अपनी उंगलियाें बीच लेकर मसल देती थी कभी मेरी नाभि में अपनी उंगली डालकर हलके हलके घुमाने लगती थी।
मैं पागलों की तरह उसके उरोजों को दबाये जा रहा था, बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। इस मजे के कारण लिंग ने पी्रकम की कुछ बूंदे भी अंडरवियर के हवाले कर दी थी, शायद बाहर निकलने के लिए रिश्वत दे रहा था, या डरा-धमका रहा था।
कोमल का हाथ मेरी जींस पर आया और वो बेल्ट खोलने लगी।
मैंने उसे अपने से दूर किया। वो प्रश्नवाचक दृष्टि से मेरी आंखों में देखने लगी, मानो पूछना चाह रही हो ‘क्या हुआ’?
मैम कब तक आयेगी, मैंने उससे पूछा।
वो तो देर से आयेंगे रात को, कोमल ने कहा और अपने हाथ मेरे सिर के पिछे रखकर मेरे सिर को अपनी तरह खिंचने लगी।
तुम अंदर जाओ, मैंने कोमल से कहा।
कोमल आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी।
क्यों, मुझे करना है, मैं कहीं नहीं जा रही, कोमल ने कहा और मेरे होंठों पर टूट पड़ी।
मैंने कुछ देर उसके होंठ चूसकर उसे अलग किया।
यहां कहां करोगी फिर, अंदर आराम से करेंगे, मैंने कहां
मेरी बात सुनकर कोमल मुस्कराई और मेरे गालों को भींचते हुए खड़ी हो गई और बाहर की तरफ चल दी।
दरवाजे के पास जाकर उसने अदा के साथ पिछे गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और अपनी उंगली से पिछे पिछे आने का इशारा किया।
उसके इस इशारे से तो मैं घायल ही हो गया।
तुम चलो मैं अभी आ रहा हूं, मैंने कहा और उसकी तरफ आंख दबा दी।
मेरे साथ आओ ना, कोमल ने मेरी तरफ मुड़ते हुए कहा।
कहा ना आ रहा हूं, तुम चलो,,,, मैंने कहा।
मैं नहीं चाहता था कि पड़ोसी हमें साथ-साथ अंदर जाते हुए देखे। इसलिए मैं बाद में जाने के लिए कह रहा था।
कोमल चली गई। कुछ देर बाद मैं उठा और ऑफिस से बाहर आ गया। कोमल जा चुकी थी।
मैं इधर उधर देखते हुए अंदर आ गया। कोमल दरवाजे के पास ही खड़ी थी। जैसे ही मैं अंदर आया उसने मुझे कसकर बाहों में भींच लिया और मेरे लबों पर टूट पड़ी।
मैंने उसे बाहों में उठा लिया और मैम के बेडरूम की तरफ चल पड़ा। उसके हाथ मेरी छाती में मेरे निप्पल से छेड़छाड़ कर रहे थे।
बेडरूम में आकर मैंने उसे बेड पर पटक दिया।
आउचचचच, आराम से नहीं लेटा सकते थे,,, कोमल ने अपनी कमर में हाथ रखकर सहलाते हुए कहा।
अगले ही पल वो बेड पर घुटनों के बल हुई और मेरी शर्ट को पकड़कर मुझसे अलग कर दिया और फिर मेरी बेल्ट को निकाल कर जींस को हुक भी खोल दिया।
मैंने उसे उपर की तरफ खींचा और उसकी टी-शर्ट को पकड़कर उसके शरीर से अलग कर दिया। टी-शर्ट निकलते ही उसके दूध से सफेद उरोज मेरी आंखों के सामने आ गये। पूरी तरह से उन्नत, एकदम तने हुए, मेरे होंठों को आमंत्रित कर रहे थे।
उसका गोरा सपाट पतला सा पेट, पूरी तरह से चर्बी रहित, और उस पर सुशोभित लम्बी नाभि तो जुल्म ही ढा रही थी।
जब तक मैंने उसकी टी-शर्ट निकाली उसने मेरी जींस को सरकाकर घुटनों तक कर दिया था और मेरा कड़क तना हुआ लिंग उसके हाथों में पहुंच चुका था।
उसने मुझे पकड़कर बेड पर खिंच लिया और फिर धक्का धेकर लेटा दिया और मेरी जींस और अंडरवियर को मेरे पैरों से अलग करके घुटनों के बल ही खडे हुए मेरे लिंग को घूरघूर कर देखने लगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने उपर खिंच लिया। वो झटके से मेरे उपर आ गिरी। उसके उरोज मेरी छाती में दबने से उसके मुंह से एक दर्द भरी आह निकली।
पर उस दर्द में उसको जो मजा आया होगा, क्योंकि उसने सीधे मेरे लबों को अपने लबों में कैद कर लिया और जोर जोर कभी उपर वाले होंठ को तो कभी नीचे वाले होंठ को चूसने लगी।
वो सरककर पूरी तरह से मेरे उपर हो गई। मेरा लिंग उसकी योनि पर पजामी के उपर से ही दब गया। उसके मुंह से आह निकल कर मेरे मुंह में समा गई।
उसने अपनी योनि को मेरे लिंग पर जोरों से रगड़ना शुरू कर दिया। पजामी इतनी मखमली और झिन्नी थी कि ऐसा लग रहा था कि मेरा लिंग सीधा उसकी योनि पर ही रगड़ रहा है। मैंने अपने हाथ उसके नितम्बों पर रख दिये और जोर जोर से मसलने लगा। मैं नीचे से कमर उठाकर लिंग को उसकी योनि पर दबा देता और साथ ही उसके नितम्बों को कसकर नीचे की तरफ दबा देता। दोनों के मुंह से मजे में आह निकलकर एक दूसरे में मुंह में समा जाती।
मैंने कोमल को झटका देकर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके उपर आ गया। कुछ देर तक उसके होंठों को चुसता रहा और लिंग से उसकी योनि पर हल्के हल्के धक्के मारता रहा। जैसे ही मैं लिंग को उपर उठाता उसके साथ साथ कोमल के कुल्हें भी हवा में उठकर मेरे लिंग से योनि को चिपकाने की कोशिश करते।
मैं उससे अलग हुआ और उसकी पजामी को उसके शरीर से अलग कर दिया।
कोमल वासना के ज्वर में बुरी तरह तप रही थी। उसने अपने कुल्हों को उपर उठाकर पजामी निकालने में हैल्प की और जैसे ही मैंने पजामी निकाल कर साइड में रखी उसने मुझे पकड़ कर अपने उपर खिंच लिया और अपनी नंगी योनि को मेरे लिंग पर जोरों से मसलने लगी।
मैंने अपने होंठ उसके उरोजों पर रख दिये और उसके निप्पल को होंठों के बीच लेकर चुसने लगा। कोमल मचल उठी और, और भी जोर से अपनी योनि को उछाल-उछाल कर मेरे लिंग पर मारने लगी। मेरा लिंग उसकी जांघों के बीच में घुस गया और उसकी योनि छिद्र पर ठोकरें मारने लगा।
मैं उसके उभारों को चुसे जा रहा था और वो पागल होती जा रही थी। उसके हाथ मेरे सिर को अपने उभारों पर दबा रहे थे। उसके मुंह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थी।
उसके उभारों को चुस चुस कर जब मेरा मुंह दुखने लगा तो मैंने अपना मुंह हटाया और उसके मस्त पेट को चुमते हुए नीचे की तरफ आने लगा।
कोमल के पैर मेरे पैरों से बुरी तरह जंग लड़ रहे थे, जिससे मेरे पैरों के बात खिंचने के कारण मुझे दर्द हो रहा था। पर जो मजा आ रहा था उसके सामने ये दर्द कुछ भी नहीं था।
मेरे नीचे की तरफ आने के कारण मेरा लिंग उसकी योनि से दूर हो गया था, जो उसे सहन नहीं हुआ और उसने मुझे वापिस अपने उपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी।
उसने अपने हाथ हमारे जांघों के बीच में किए और लिंग को अपनी योनि पर सैट करने लगी। मैं समझ गया कि अब ये नहीं रूकने वाली। मैंने थोडा उपर होकर लिंग सैट करने में उसकी हैल्प की और जैसे ही लिंग उसके योनी छिद्र पर लगा मैंने एक हल्का सा धक्का मार दिया।
कुछ तो उसकी योनि से बहते यौवन रस की चिकनाई और कुछ उसके हाथों का सपोर्ट जिससे लिंग इधर उधर नहीं फिसला और सुपाडा उसकी योनि में प्रवेश कर गया।
उसके मुंह से दर्द के मारे जोर की चीख निकली। मैंने तुरंत उसके मुंह को अपने होंठों से बंद कर दिया और उसकी बाकी की चीख मेरे मुंह में गुम हो गई।
उसने अपनी योनि को इधर उधर करके लिंग को बाहर निकाल दिया। उसकी आंखों में आंसू थे। मैंने उसके आंसुओं को अपने होंठों से पिया और उसकी आंखों में देखने लगा।
बहुत दर्द हो रहा है, उसने सुबकते हुए कहा।
पहली बार तो होगा ही, पर ज्यादा देर नहीं होगा, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
मैंने ऐसे ही अपने लिंग को उसकी योनि के उपर सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद वो वापिस अपने हाथों को जांघों के बीच लाई और मेरे लिंग को अपनी योनि पर सैट किया।
अबकी बार एक बार में ही पूरा डाल देना, बार बार दर्द तो नहीं होगा, उसने कहा।
मैंने हल्का सा दबाव डाला तो मेरा सुपाड़ा उसकी योनि में घुस गया। उसकी आंखें दर्द से फैल गई। परन्तु अबकी बार उसने लिंग को बाहर नहीं निकाला। उसके हाथ अभी भी मेरे लिंग को पकड़े हुए थे।
कुछ देर ऐसे ही रहकर मैंने एक जोर का झटका मारा और मेरा लिंग उसकी योनि की दीवारों को चीरता हुआ दो इंच तक अंदर घुस गया।
उसका शरीर दर्द से कांप उठा और उसकी मुट्ठी मेरे लिंग पर कस गई। ऐसा लग रहा था कि वो भींच कर मेरे लिंग को फोड़ देगी। बहुत ज्यादा दर्द हुआ लिंग में। पर मैंने सह लिया।
मैंने थोड़ा सा उपर उठते हुए अपने हाथ उसके उभारों पर कस दिये और मसलने लगा। उसके दूसरे उभार को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा। कुछ देर में वो शांत हुई और नीचे से अपने कुल्हों केा थोड़ा थोड़ा उठाने लगी।
अभी तो पूरा बाहर ही है, जब इतने से में इतना ज्यादा दर्द हो रहा है तो, फिर पूरा अंदर जायेगा तो कितना दर्द होगा, कोमल ने मेरे लिंग को अपने हाथ से नापते हुए कहा।
उसके चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था, पर उस डर में मजे के चिह्न भी दिखाई दे रहे थे।
मैंने उसके हाथों को बीच में से निकाला और लिंग को हल्का सा बाहर खींचा, परन्तु साथ साथ कोमल के कुल्हे भी उपर उठे। मैंने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लिंग सीधा उसकी गहराईयों में उतरकर उसके गर्भाश्य से जा टकराया। उसकी चीख निकले उससे पहले ही मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को सील कर दिया।
क्रमशः.....................
 

kumarrajnish

kumaruttem
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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--52
गतांक से आगे ...........
उसकी आंखों से झर-झर पानी बहने लगा और उसके मुंह से घुटी घुटी चीख निकलकर मेरे मुंंह में समाने लगी। उसका शरीर अकड़ गया और उसके हाथ बेड पर चद्दर पर कस गये और उसकी योनि ने इतने दर्द के बाद भी अपना लावा उगल दिया।
इस दर्द में शायद उसे मजा कहीं ज्यादा आया था, क्योंकि उसकी योनि पानी छोउ़े जा रही थी। मैं कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा और उसके होंठों को चूसता रहा। मेरा लिंग उसकी योनि में बुरी तरह फंसा हुआ था।
जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो वो नोर्मल होकर बेड पर लेट गई। उसके लेटने के कारण मेरा लिंग थोड़ा सा बाहर निकल आया।
मैंने लिंग को और आधा बाहर निकाला और फिर से एक जोर दार धक्का मारा। लिंग सीधा गर्भाश्य से जाकर टकराया। उसका शरीर एक बार फिर से हवा में उठ गया, परन्तु अगले ही पल वापिस बेड पर जा गिरा।
वो अपने कुल्हों को उपर उठाकर मेरे लिंग को और अंदर लेने की कोशिश करने लगी। उसके पैर मेरी कमर पर लिपट गए और उसके हाथ मेरे बालों को सहलाने लगे और वो मेरे होंठों को काटने लगी। बार बार वो अपने उभारों को मेरी छाती पर मसल रही थी।
अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया और मैंने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये। जल्दी ही वो भी अपने कुल्हे उठा उठा कर मजे लेने लगी।
उसकी योनि की इतनी ज्यादा कसावट और गर्मी मैं सह न सका और दो मिनट में ही मेरे लिंग ने उसके अंदर पिचकारियां मारनी शुरू कर दी। मेरी पिचकारियों महसूस करते हुए उसका शरीर भी अकड़ गया और उसने भी अपना रस मेरे रस में मिला दिया।
कुछ सैकंड तक उसका शरीर अकड़ा रहा और उसकी योनि मेरे लिंग को कभी छोड़ती और फिर जकड़ लेती। छोउ़ने का अहसास बस हलका सा हो रहा था, क्योंकि लिंग योनि में बुरी तरह से फंसा हुआ था और अंदर बिल्कुल भी जगह नहीं थी।
जब चरम की लहरें थमी तो मैं उसके उपर गिर गया। अब मुझे लिंग में हल्का हल्का दर्द भी महसूस हो रहा था।
मैं उसके उपर ऐसे ही लेटा रहा और वो मेरे बालों और कमर को सहलाती रही।
कुछ देर बाद उसने मेरे चेहरे को पकड़कर उपर उठाया और मेरे माथे, गालों और फिर होंठों पर छोटी-छोटी चुम्मी देने लगी। उसे मुझपर बहुत ही प्यार आ रहा था शायद।
मेरा लिंग जो हल्का हल्का सुस्त हो गया था, उसकी चुम्मीयों के कारण फिर से अकड़ गया। मेरे लिंग को अकड़ता महसूस करके उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कान तैर गईं और उसने अपने कुल्हों को उपर की तरफ उठा दिया। मैं ऐसे ही लेटा रहा।
वो बार बार अपने कुल्हों को उपर उठाने लगी, परन्तु मैं कुछ नहीं कर रहा था। आखिरकार उसने हार मानकर मेरी पीठ में मुक्के मारने शुरू कर दिए।
करो ना, क्यों तड़पा रहे हो, उसके मुक्के मारते हुए बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा और मेरे गालों को चुमने लगी।
मैंने लिंग को पूरा बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे करके पूरा अंदर डाल दिया। कोमल उसी तरह मेरे गालों को चूमती ही जा रही थी।
मैंने फिर से अपने लिंग को पूरा बाहर निकाला और जैसे ही धीरे धीरे अंदर करने लगा, कोमल ने नीचे से अपने कुल्हों को उपर उछाल दिया और मेरा लिंग सीधा उसकी गहराईयों में उतर गया। उसके मुंह से आनंद भरी आह निकली।
फिर तो ऐसे ही शुरू हो गया, मैं लिंग को पूरा बाहर निकालता और जब धीरे धीरे अंदर करता तो वो नीचे से अपने कुल्हें उछाल देती और लिंग एकदम से पूरा अंदर पहुंच जाता।
अबकी बार ये मिलन कुछ ज्यादा देर तक चला, पर बहुत ज्यादा देर न चल सका। जल्दी ही कोमल ने मुझे अपनी बाहों में जोरों से कस लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर कस दिये। उसके पैर मेरे कुल्हों पर बुरी तरह जकड़ गये और उसकी योनि ने मेरे लिंग को जकड़ लिया। उसकी ये जकड़न मैं भी सहन नहीं कर सका और फिर से अपना प्रेम रस उसके प्रेम रस में मिलाना शुरू कर दिया।
चरम आनंद को प्राप्त करने के बाद हम ऐसे ही लेट गये और कब हमारी आंख लगी पता ही नहीं चला।
जब मेरे मोबाइल की घंटी बजी तो कोमल ने मुझे झकझोर कर उठाया। मैंने आंखें खोलते हुए उसकी तरफ देखा।
मोबाइल बज रहा है, उसने कहा।
कोमल के चेहरा पर परम संतुष्टि दिखाई दे रही थी। मेरा लिंग सिकुड कर छोटा सा होकर उसकी योनि से बाहर आ चुका था।
मैं जैसे ही उठने लगा कोमल भी मेरे साथ ही उपर उठ गई। उसकी योनि रस और मेरे रस के कारण हमारे अंग हल्के से आपस में चिपक गये थे, जिसके कारण मेरे उठने पर उसे दर्द हुआ। हल्का सा मुझे भी हुआ। खिंचाव महसूस होते ही हमारे अंग अलग हो गये।
इनका तो अलग होने का मन ही नहीं कर रहा, चिपके बैठे थे,, कहकर कोमल हंसने लगी।
उसकी बात सुनकर मैं भी हंसने लगा। मैंने जींस में से मोबाइल निकाल कर देखा तो सोनल का फोन था।
हाय, मैंने कॉल पिक करके कहा।
हाय, कितनी देर में आ रहे हो,,, सोनल ने कहा।
हूं,,, साढ़े पांच बजे तक आ जाउंगा, मैंने कहा।
कहां खोये हुये हो मिस्टर 6 बज चुके हैं,, कोमल ने हंसते हुए कहा।
क्या,,, मेरे मुंह से आश्चर्य से निकला।
मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो 6 बजकर 10 मिनट हो चुके थे।
बस निकल रहा हूं, कुछ देर में पहुंच जाउंगा,, मैंने कहा और बाये करके कॉल काट दी।
तभी मुझे याद आया कि अपूर्वा के घर भी जाना था।
मर गया यार, अपूर्वा के घर भी जाना था।
मैं उठकर जल्दी से कपड़े उठाकर बाथरूम में गया और फ्रेश होकर कपड़े पहन लिए।
कोमल भी उठ गई थी और अपने कपड़े पहन चुकी थी।
जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो कोमल बेड की चदद्र को उठा रही थी जो उसके और मेरे रस से भीगी हुई थी।
उसने एकबार मेरी तरफ देखा और फिर शरमाकर नीचे देखने लगी।
मैं उसके पास गया और उसके माथे पर एक किस्सस की।
ओके मैं अब चलता हूं, बहुत लेट हो गया हूं, अपूर्वा भी इंतजार कर रही होगी, सुबह कहकर आया था कि ऑफिस से सीधा आउंगा और सोनल का फोन भी आया था, मैंने उसे कहा और उसके होंठों को चूसने लगा।
अब लेट नहंी हो रहे, कोमल ने मुझे धक्का देकर अलग किया।
ओके बाये, चलता हूं, कहते हुए मैं बाहर की तरफ चल दिया।
अचानक कोमल ने मुझे पिछे से पकड़ लिया और मुझसे लिपट गई।
थैंक्स, उसने कहा।
मैंने उसके हाथों को अलग किया और उसकी तरफ घूमते हुए उसके गालों पर किस करते हुए कहा - थैंक्स तो मुझे तुम्हें कहना चाहिए।
मैं उसके होंठों पर एक किस लेकर बाहर आ गया और बाइक उठाकर चल दिया। कोमल दरवाजे पर खड़ी हुई मुझे जाते हुए देख रही थी।

मैं सीधा अपूर्वा के घर पहुंचा। पहुंचकर मैंने बैल बजाई।
कुछ देर बाद दरवाजा खुला, सामने नवरीत खड़ी थी।
हाय, कहते हुए मैं अंदर जाने लगा।
जैसे ही मैं अंदर घुसा नवरीत ने मेरे गाल पर एक तमाचा जड़ दिया। मैं तो वहीं पर एक दम सुन्न हो गया, मेरा हाथ मेरे गाल पर पहुंच गया और आंखे नवरीत को देखने लगी।
सॉरी, ज्यादा तेज लग गया, मैं तो बस हल्का सा मारना चाहती थी, नवरीत ने अपना हाथ मेरे गाल पर मेरे हाथ के उपर रखकर सहलाते हुए कहा।
पर क्यों मारना चाहती थी, मैंने क्या किया है?, मैंने अपना हाथ उसके हाथ के नीचे से निकालते हुए कहा।
उसका हाथ अब सीधा मेरे गाल को सहला रहा था।
मेरी बात सुनकर उसने मेरा हाथ पकड़ा और खिंचते हुए मुझे उपर ले गई अपूर्वा के रूम में। अंकल आंटी नीचे ही सोफे पर बैठे हुए थे। मैंने उन्हें गुड इवनिंग कहा। पर नवरीत तो मुझे खींचे ही ले जा रही थी। रूम में जाते ही मैंने देखा कि अपूर्वा बेड पर औंधी लेटी हुई है।
लो ले आई हूं पकड़ कर, अब सम्भहाल लेना अपने सैया को, कहते हुए नवरीत ने मुझे हाथ से खिंच कर बेड की तरफ धकेल दिया।
उसके मुंह से सैंया सुनकर मैं तो हक्का-बक्का ही रह गया था, अपूर्वा भी उसकी बात सुनकर एकदम से उठकर बैठ गई।
उसकी आंखे एकदम से लाल थी और गालों पर सूखे आंसुओं की पट्टी दिखाई दे रही थी। उसको इस तरह देखकर नवरीत की कही बात तो हवा हो चुकी थी।
अपूर्वा मुझे देखते उठने लगी। मैं उसकी ये हालत देखकर सीधा उसके पास पहुंचा।
क्या हुआ, तबीयत तो ठीक है ना, ज्यादा तो खराब नहीं हो गई, मैंने बेड पर बैठकर उसके गालों को अपने हाथों में लेते हुए कहा।
अपूर्वा ने अपने हाथ मेरे हाथों पर रख दिये और फिर अगले ही पल घुटनों के बल उठकर मेरे गले लग गई।
मैं बेड पर पैर नीचे करके बैठा था और वो बेड पर घुटनों के बल खडी थी, तो गले मिलने पर बस हमारी गर्दन ही एक दूसरे को टच हो रही थी। उसके हाथ मेरे कमर में कस गये।
ओह,, बेबी,, कया हुआ,, तुम रो क्यों रही हो,, मैंने उसकी कमर को सहलाते हुए कहा।
मेरी नजर बेड पर रखे तकिये पर पड़ी, जो काफी गीला था। शायद नवरीत ने मुझे तकीये की तरफ देखते हुए देख लिया था।
पूरे एक घण्टे से आंसु बहा रही है, गीला तो होना ही था, नवरीत ने कहा।
 

kumarrajnish

kumaruttem
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हम काफी देर तक ऐसे ही गले लगे रहे। जब अपूर्वा कुछ शांत लगने लगी तो मैंने उसे अपने से अलग किया और उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसकी आंखों में देखने लगा। उसने एक बार तो मेरी आंखों में देखा, और फिर अपनी पलकें झुका ली।
क्या हुआ बेबी, बताओ तो, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
ये नहीं बतायेगी, मैं बताती हूं, नवरीत ने बेड पर बैठते हुए कहा।
अपूर्वा ने उसकी तरफ घूरकर देखा और ना के इशारे में गर्दन हिला दी।
ना की बच्ची, फिर रो क्यों रही थी, नवरीत ने उसकी नाक को दबाते हुए कहा।
कुछ बताओगे भी क्या हुआ, या ऐसे ही पहेलियां बुझाते रहोगे,, मैंने परेशान होते हुए कहा।
देखो जी, बात ऐसी है, ये मेरी बहन अपूर्वा,,, आपसे,,,, नवरीत के मुंह से इतना ही निकला था, कि अपूर्वा ने उसे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और उसके मुंह को अपने हाथ से बंद कर लिया।
नवरीत ने उसे बेड पर एक तरफ धकेला और उठकर थोड़ी दूर जाकर अपूर्वा की तरफ जीभ निकालने लगी। अपूर्वा खड़ी होकर उसके पिछे भागी।
जीजू,,, देख लो इसको,,, कहते हुए वो बाहर की तरफ भाग गई और अपूर्वा उसके पिछे पिछे।
इस ‘जीजू’ शब्द ने और दिमाग खराब कर दिया। अभी अपूर्वा रो क्यों रही थी वो टैंशन तो खत्म नहीं हुई थी और उपर से ये ‘जीजू’ शब्द।
देख लो आंटी, ये आपकी लाडली को, मेरे को मार रही है, नीचे से नवरीत की हल्की हल्की आवाज आई।
क्यों लड रहे हो बेटा, और तुम आराम क्यों नहीं कर रही, कहीं गिर-विर जाओगी तो, चलो उपर जाकर आराम करो, आंटी की आवाज आई।
और समीर भी तो आया था अभी, फिर से आंटी की आवाज आई।
इधर ही आंटी, इनको तो लड़ने की पड़ी हुई है, तो मैं अपना आराम से बेड पर बैठ गया, बाहर आकर ग्रिल के सहारे खड़े होते हुए मैंने कहा।
मम्मी देख लो इसको, ये मुझे परेशान कर रही है, अपूर्वा ने नवरीत का हाथ पकड़कर आंटी की तरफ देखते हुए कहा।
मैं तो बताउंगी, नवरीत ने फिर उसे जीभ निकाल कर चिड़ाते हुए कहा।
अरे तो मैं भी तो कब से सुनने के लिए बेताब हूं, बताउंगी, बताउंगी कर रही हो, बता कुछ रही नहीं हो, मैंने उपर से ही कहा।
जीजू,, वो ये,, ये,,, उउहहह,,, अभी नवरीत बात पूरी कर भी नही पाई थी कि अपूर्वा ने फिर से उसके मुंह को हाथ से बंद कर दिया।
छोड़ो सबकुछ, पहले ये ‘जीजू’ का चक्कर समझाओ मुझे, इस ‘जीजू’ शब्द ने दिमाग खराब कर रखा है, मैंने सीढ़ियों की तरफ आते हुए कहा।
तभी नवरीत अपूर्वा से हाथ छुड़ाकर उपर की तरफ भागी और अपूर्वा उसके पिछे-पिछे।
मान जाओ तुम मरजानियों,,,,, गिर गई तो चोट लग जायेगी,,, आंटी ने उन्हें डांटते हुए कहा, पर किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
जीजू,,, कहते हुए नवरीत आकर मेरे पिछे खड़ी हो गई।
जब भी ये जीजू शब्द सुनाई देता, दिमाग टेंशन में आ जाता। नवरीत के मेरे पिछे आने से अपूर्वा वहीं खड़ी हो गई।
मैं उसके पास गया और उसके बालों को ठीक करके उसका हाथ पकड़ कर अंदर की तरफ चल दिया। अंदर आकर मैंने उसको बेड पर बैठाया।
पहले तो तुम ये बताओ कि रो क्यों रही थी, मैंने उसके पास बैठकर उसके बाल संवारते हुए कहा।
आप नहीं आये इसलिए, नवरीत ने जल्दी से कहा और मेरे साइड में होकर खडी हो गई।
अपूर्वा ने अपना चेहरा नीचे कर लिया और अपने पैर के अंगूठे से चद्दर को कुरेदने लगी।
मैं आ तो गया, मैंने अपूर्वा के चेहरे को पकड़ते हुए उपर उठाते हुए कहा।
अरे तो लेट आये हो ना, कहकर गये थे कि ऑफिस से सीधे आओगे, पर टाइम देखिये साढे छः बज गये हैं, इतने लेट आओगे तो इतने सोचा कि वैसे ही कहकर चले गये, आओगे ही नहीं, नवरीत ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
अरे तो इसमें रोने की क्या बात है, बस लेट हो गया, ऑफिस से लेट निकला था, मैंने अपूर्वा के गालों को सहलाते हुए कहा।
तो इसमें रोने की बात ये है कि आप झूठे हो, आपने फोन भी नहीं किया कि लेट हो जाउंगा, बस इसलिए दीदी रो रही थी, नवरीत ने मेरे कंधे को दबाते हुए कहा।
हूंह,,, प्याली बेबी,,, कहते हुए मैंने अपूर्वा का सिर अपने सिने में रख लिया और अपूर्वा भी सरक कर मेरी बाहों में समा गई।
आप एकदम बुद्धु हो, इतना भी नहीं समझ सकते,, नवरीत ने मेरे कंधे पर मुक्का मारते हुए कहा।
क्या नहीं समझ सकता, मैंने कहा और समझने की बात आते ही मुझे ‘जीजू’ शब्द याद आ गया, परन्तु फिर भी मैं पहले नवरीत के जवाब का इंतजार करने लगा।

क्रमशः...................
 
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