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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Ek number

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झोपड़ी के अंदर जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर राजू और सोनी दोनों बेहद उत्साहित थे,,, राजू को तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह सोनी के खूबसूरत बदन को अपने हाथों से स्पर्श किया है,,,, लाजवाब बेमिसाल अद्भुत खूबसूरती की मालकिन सोनी के भरे हुए बदन को अपनी बाहों में लेकर वह पूरी तरह से गदगद हुआ जा रहा था,,, उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था,,,जिसे सिर्फ देख कर आहे भरा करता था उसे अपनी बाहों में लेकर वह अपने आप को सबसे ज्यादा खुश नसीब समझने लगा था,,,,,, नंगी चिकनी टांगो को पकड़कर वह चित्र की उत्तेजना का अनुभव अपने अंदर कर रहा था वह पूरी तरह से उसे अपने बस में कर लिया था लेकिन वह नहीं जानता था कि उसके हाथों से ही उस खूबसूरत औरत की साड़ी कमर तक उठ जाएगी,,,, यह शुभ काम अपने हाथों से होता हुआ देखकर वह ऊतेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था,,,उसकी मानसिक चिकनी कमर पर अपनी हथेलियों की पकड़ को वह अभी तक अपने अंदर महसूस कर रहा था उसके बदन की गर्माहट को अपने अंदर महसूस करके उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पिघल ना जाए,,,,,, उसकी नरम नरम गद्देदार बड़ी बड़ी गांड पर उसके लंड की ठोकर अनजाने में ही लगी थी लेकिन वह जानबूझकर अपनी तरफ से भी हरकत करते हुए अपने लंड का दावा उसकी गांड पर बराबर बनाए हुए था,,, दो दो औरतों का सुख भोग चुका राजू इतना तो समझ गया था कि सोनी को भी उसके लंड की रगड़ साफ महसूस हुई होगी,,,तभी तो वह मुस्कुरा रही थी और जाते समय उसके पहचाने मैंने तंबू की तरफ इशारा करके खुद बोल गई थी कि इसे शांत करके बाहर आ जाना,,,,,, उसकी इस हरकत पर राजू समझ गया था कि सोनी बहुत गरम औरत है वरना जिस तरह की हरकत हुई थी उससे वह क्रोधित हो जाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,,,। राजू के मन में अभी भी एक सवाल उठ रहा था कि वह साड़ी के अंदर क्या पहनी हुई थी जिसे देखकर उसका मन थोड़ा गया कुछ भेजा रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि इतनी बड़ी औरत होने के बावजूद भी अभी भी बच्चों की तरह चड्डी पहनती है,,, क्योंकि राजू को औरतों के अंग वस्त्र के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था क्योंकि गांव की सभी औरतें,,,, साड़ी और सलवार के अंदर कुछ भी नहीं पहनती थी और उन्हें भी इस बारे में कुछ पता भी नहीं था,,,, इसीलिए राजू ने ना तो कमला चाची के साड़ी के अंदर कुछ पहना हुआ देखा था और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की सलवार के अंदर,,, इसलिए सोनई की कच्छी को देख कर उसे आश्चर्य हो रहा था,,,।
Soni ki gaand par chaddhi dekhkar raju heraan tha

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अंदर से ब्लैकबोर्ड लेकर वह बाहर आ चुका था,,,। राजु को देखकर सोनी मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सोनी की सोच से ज्यादा हो चुका था,,सोनी के मन में यही था कि झोपड़ी के अंदर ले जाकर क्यों वह किसी भी तरह से राजू को उत्साहित और उत्तेजित करेगी लेकिन अंदर उम्मीद से कुछ ज्यादा ही हो गया था और राजू की उत्तेजना वह अपनी आंखों से उसके पजामे में देख रही थी जिसे वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस भी कर चुकी थी,,,, उसकी रगड उसका दबाव बड़ी बड़ी गांड पर बेहद अद्भुत था,,, जिसे महसूस करके अभी भी वह पानी पानी हुए जा रही थी,,,,, सोनी को अपनी कच्छी पूरी तरह से गीलीहो चुकी महसूस हो रही थी जिसे वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपना हाथ लगा कर व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही थी और यह हरकत राजू को एकदम साफ दिखाई दे रही थी और उसकी इस हरकत के कारण उसके तन बदन में काम ज्वाला भड़क रही थी,,,,। राजू समझ गया था कि उत्तेजना के मारे उसका काम रस टपक रहा होगा और वग अपने मन में यही सोचने लगा कि काश उसकी किस्मत में उसकी बुर पर मुंह लगाकर उसका काम रस पीना लिखा होता तो मजा आता ,,,,,,


यह जो खिला दिख रहा है ना पेड में घुसा हुआ इसी मे ब्लैक बोर्ड को टांग दो,,,।
(कोयल सी सुरीली आवाज सुनते ही राजु एकदम मंत्रमुग्ध हो गया और उसके के अनुसार ब्लैक बोर्ड को साफ करके उसी खिले में टांग दिया,,,)

अब ठीक है ना सोनी दीदी,,,,।


हां बिल्कुल ठीक है,,,(इतना कहते हुए वह अपने आप से ही बात करते हुए बोली सोनी दीदी साला मौका मिला होता तो कब से अपना लंड मेरी बुर में डालकर चुदाई कर दिया होता और दीदी कह रहा है,,, फिर वह अपने मन में ही सोचने लगी कि वैसे भी दीदी और भाई के रिश्ते की मर्यादा ही कहां रह गई है उसका बड़ा भाई खुद उसकी चुदाई करता हैं और उसे चोदने के लिए रखा भी है,,, कोई बात नहीं जिंदगी में मजा तो आ रहा है ना बस,,,,)


देखो अब मैं इस ब्लैक बोर्ड पर जो कुछ भी लिखूंगी तुम लोग जमीन पर लिखना कुछ दिन तक ऐसे ही चला लो उसके बाद में तुम लोगों के लिए पाटी लाकर दूंगी,,,,


ठीक है सोनी दीदी,,,(उसकी बात सुनते ही सभी लड़के एक साथ बोल पड़े,,,

सोनी ने क ख ग घ,,,, यह चार अक्षर ब्लैक बोर्ड पर लिख दि और उसे,,,,,,, जमीन पर लिखने के लिए बोली सभी लड़के ब्लैक बोर्ड में देखकर जमीन पर लिखने की कोशिश कर रहे थे,,,,बीच-बीच में सोनी उन लोगों का हौसला भी बढ़ा रही थी,,,।



हां ऐसे ही धीरे-धीरे सीख जाओगे पढ़ना लिखना जिंदगी में बहुत जरूरी है कभी हिसाब किताब करना पड़ जाएगा तो कैसे करोगे कोई तो मैं बेवकूफ बना कर चला जाएगा इसलिए पढ़ना लिखना सीखना ही होगा धीरे-धीरे सीख जाओगे,,,,(इतना कहते हुए बार आ चुके सर पर हाथ फिर भी उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी राजू कि उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया दोनों की नजरे आपस में टकराई,,, ना जाने क्यों राजू से नजर मिलते ही,,, सोनी की नजरों में शर्म उतर आई वह शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,, क्योंकि कुछ देर पहले ही राजु ने अपने मर्दाना अंग की रगड़ उसकी गांड पर उसे महसूस करवाया था,,, जिसका एहसास उसकी बुर गीली, कर रहा था,,,, सोनी अपने मन में भाप ली थी कि राजू के साथ उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी,,,,।
ब्लैक बोर्ड में लिखे हुए शब्दों को सभी लड़के लिखने की कोशिश कर रहे थे और धीरे-धीरे कामयाबी हो रहे थे श्याम भी वही कर रहा था लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह अपनी मम्मी यही सोच रहा था कि यह लोग झोपड़ी के अंदर काफी देर से थे यह लोग अंदर कर क्या रहे थे,,,। उससे रहा नहीं गया तो,,, वह धीरे से राजू के कान में बोला,,,।
Raju k intejar me

type math symbols


तुम दोनों इतनी देर से झोपड़ी में क्या कर रहे थे,,,

वही ढूंढरहे थे जिस पर सब कुछ लिखा हुआ है,,, ऊंचाई पर और सबसे नीचे दबा हुआ था इसलिए उसे निकालने में देर हो गई,,,।


कुछ और तो नहीं कर रहा था ना,,,


पागल हो गया क्या तू,,,, लाला की बहन इनके बारे में कुछ सोचना भी नहीं वरना शामत आ जाएगी समझा,,, आप अपना काम कर और मुझे भी करने दे,,,,(लाला का नाम लेकर वह एक तरह से श्याम को धमकाने की कोशिश कर रहा था क्योंकि राजू जानता था कि लाला का डर उसे ज्यादा कुछ सोचने नहीं देगा,,, सोनी और उसके बीच हुए उस वाक्ये के बारे में मैं नहीं चाहता था कि किसी को भी पता चले,,,, वह दूसरे लड़कों की तरह नहीं था कि किसी भी औरत के साथ संबंध बनाने पर वह अपने दोस्तों को बढ़ा चढ़ा कर बातें करते थे वह बल्कि इस तरह के रिश्ते को एकदम खास रखना चाहता था जिसकी किसी को भनक तक ना लगे,,,, सोनी उसी टेबल पर बैठकर आगे क्या करना है उसके बारे में सोच रही थी,,,, राजू को उसने इसी बगीचे में दोबारा बुलाई थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जिस लंड को अपनी बड़ी-बड़ी गांड पर महसूस करके मस्त हो गई है उसे अपनी बुर में लेकर देखना चाहती है ,,वह देखना चाहती थी कि राजू का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसे कितना मजा देता है,,,। यही सब सोच सोच कर वह मस्त हुए जा रही थी और अपनी बुर को गीली कीए जा रही थी,,,, कुछ देर के बाद सोनी ने सब को छुट्टी दे दी और उन्हें अपने-अपने घर जाने के लिए बोल दी,,,,,
उन लोगों के साथ राजू भी जाने लगा,,,, सोनी वही टेबल पर बैठे उसे देखती रही वह उसका इंतजार कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि राजु जरूर आएगा,,,, राजू अपने दोस्तों को सिर्फ दिखाने के लिए उनके साथ जा रहा था,,, वह अंदर ही अंदर वापस बगीचे में जाने के लिए तड़प रहा था लेकिन इस तरह से सबके सामने जाने में डर था वह नहीं चाहता था कि वह लोग किसी भी तरह का शक करें,,, अपने मन में यही सोच रहा था कि सोने जैसी खूबसूरत औरत अगर उसे दोबारा बगीचे में बुलाई है तो जरूर कुछ ना कुछ होगा,,,,,,।


इसलिए वह सब लड़कों के साथ घर तो पहुंच गए लेकिन सबकी नजर बचाकर वापस बगीचे की तरफ चल दिया उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि बगीचे के अंदर जरूर उसका फायदा होने वाला है क्योंकि खूबसूरत औरतों से सबसे नजर बचाकर वहां बुलाई थी और ऐसे सबकी नजर बचाकर औरत तभी बुलाती है जब उसके मन में उसके लिए कुछ कुछ होता है,,,,,।

थोड़ी देर बाद राजू वापस बगीचे मैं पहुंच गया था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दोपहर का समय था कड़ी धूप होने के बावजूद भी घने पेड़ चारों तरफ होने की वजह से धूप नीचे जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए हां पर ठंडक बनी हुई थी,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि पता नहीं क्या करने के लिए यहां बुलाई है यह सोचकर बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य याद आ जा रहा था जब वह सीढ़ियों पर चढ़ी थी और उसका पैर फिसला था और वह उसकी बाहों में आ गीरी थी,,, राजू के मन में एक मलाल रह गया था कि मौका मिलने के बावजूद भी वह उसकी चूचियों पर हाथ नहीं रख पाया था जो कि किसी पहाड़ी की तरह सीना ताने खड़ी थी,,,,।


बगीचे में पहुंचकर वह सोनी को इधर-उधर ढूंढने लगा सोनी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी तो वह झोपड़ी के अंदर जाकर देखने लगा उसे लगा कि शायद झोपड़ी के अंदर होगी,,, लेकिन झोपड़ी भी खाली थी,,,, राजू को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे लगने लगा कि शायद वह मजाक कर रही थी वह कितने अरमान लेकर बगीचे में आया था उस ख्याल से ही बार-बार उसका लंड मुंह उठाकर खड़ा हो जाता था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से बैठाने की कोशिश कर रहा था,,,,, कुछ देर तक वह झोपड़ी के अंदर ही खड़ा होकर सोचने लगा,,,, और बाहर आ गया इधर-उधर दूर-दूर तक देखने पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था इसलिए वह हेड पंप के पास जाकर हेंडपंप चला कर पानी पीने लगा,,,,। उसका मन उदास हो चुका था,,,। वह वापस घर जाने वाला था कि तभी वह सोचा की झोपड़ी के पीछे जाकर देख लु,,,,।

और यह सोचकर वह झोपड़ी के पीछे जाने लगा,,,,,,, लेकिन यहां पर कोई नहीं था तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा थोड़ी ही दूरी पर बेर लगे हुए थे जिसमें बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे वह सोचा कि चलो कुछ नहीं तो बैर ही लेकर खाया जाए,,,, और यह सोचकर वह बेर के पेड़ के पास पहुंच गया,,,,,, वही थोड़ी दूरी पर सोनी पेशाब करने के लिए आई थी और पेशाब करके वह भी बेर तोड़ रही थी राजू को उस तरफ आता देखकर वह पूरी तरह से सकते में आ गई थी वह सोच रही थी कि वह यहां क्या करने आ रहा है,,,, लेकिन तभी उसके दिमाग में खुराफाती चलने लगा,,,,। राजू बैर तोड़ता इससे पहले ही वह उसके सामने अपनी पीठ उसकी तरफ किए हुए जाकर खड़ी हो गई उसकी पायल और चूड़ियों की खनक की आवाज सुनते हैं राजू उस तरफ देखने लगा और ठीक थोड़ी ही दूरी पर अपने सामने सोनी को खड़ी देख कर वह खुश हो गया लेकिन वह कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनी अपना जलवा दिखाते हुए अपनी साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी जैसा कि वह उस दिन झाड़ियों के अंदर छुप कर देखा था यह देखकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा वह समझ गया कि जिस तरह का दृश्य उसने उस दिन देखा था आज भी उसकी किस्मत तेज है आज भी उसे वही देखने को मिलेगा,,,, इसलिए बैर ना तोड़कर वह वहीं खड़ा रह गया और धड़कते दिल के साथ उस दृश्य का आनंद लेने लगा जोकी सोनी जानबूझकरउसे दिखा रही थी जबकि वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन आज वह अपनी जवानी की झलक दिखा कर उसे पूरी तरह से अपने बस में कर लेना चाहती थी,,, और वह यह बात नहीं जानती थी कि इस तरह के नजारे को वह पहले भी देख चुका है,,, तभी तो उसके पीछे पीछे लट्टु की तरह घूम रहा था,,,,।
SOni ki laajawab gaand

सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरना शुरू कर दी थी वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते ही देखते राजु की आंखों के सामने उसने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी थी ऐसा करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, क्योंकि वह जानती थी कि पीछे खड़ा एक नौजवान लड़का उसे अपनी साड़ी कमर तक उठाते हुए देख रहा है उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख कर मस्त हो रहा है और यह एहसास सोनी के तन बदन में आग लगा रहा था,,,,, देखते ही देखते सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाती थी राजू की आंखें एक बार फिर से चौंधिया गई थी सोनी को चड्डी पहने हुए देखकर,,,, यह राजू के लिए अत्यधिक उत्तेजनात्मक स्थिति का निर्माण कर रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई औरत इस उमर में भी चड्डी पहनती होगी जबकि चड्डी तो बच्चे पहना करते थे,,,।
Soni ki madmast badi badi gaand

सोनी सब कुछ जानते हुए भी अपनी चड्डी को नीचे की तरफ खासकाने लगी और सोनी की यह हरकत राजू से सीने में छुरियां चला रही थी,,, देखते ही देखते सोनी ने अपनी बड़ी बड़ी गांड को उजागर करते हुए अपनी चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका दी,,,राजू से तो कुछ भी बोला नहीं जा रहा था यहां तक कि सांस भी लेना मुश्किल हुआ जा रहा था और पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,, पजामे में एक बार फिर से तंबू बन चुका था,,,। गोल गोल गोरी गांड सुनहरी धूप में और ज्यादा चमक रही थी,,, सोनी के अंतर्मन में भी फुलझड़ियां झड़ने लगी थी,,, जवानी की आग में उसका तन जल रहा था,,,। राजू को पाने के लिए वो अपने होशो हवास खो बैठी थी,,,। वह अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे खड़ा राजू उसकी नंगी गांड को देख रहा होगा और यही तसल्ली करने के लिए वह पीछे नहीं देखना चाहती थी क्योंकि वह राजू को पूरी तरह से तड़पाना चाहती थी,,,, राजू के लिए उसका नंगा बदन एक तरह से उसके लिए पुरस्कार था और उसे जीतने के लिए उसे खुद सोनी से स्पर्धा करना था जिसमें सोनी को भी मालूम था कि विजेता चाहे जो भी बने फायदा उसी का है,,,, इस खेल में बहुत मजा आने वाला था,,,,

Soni is tarah se raju ko apni jawani ka jalwa dikha rahi thi

सोनी के लिए पहला मौका था जब हुआ इस तरह से किस जवान लड़की को जानबूझकर अपनी गांड दिखा रही थी,,,। और राजु के लिए इस तरह के मौके बनते जा रहे थे,,, सोनी पेशाब कर चुकी थी इसलिए उसे पैसा बिल्कुल भी नहीं लगी थी लेकिन पेशाब करने की कलाकृति दिखाना जरूरी थी इसलिए वह वहीं पर बैठ गई क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी ख्वाइश होती और खूबसूरत औरत को,,,, उनकी बड़ी-बड़ी कहां देख कर और खास करके उन्हें पेशाब करता हुआ देखकर मर्द एकदम से उत्तेजित हो जाते हैं,,,, और वह भी यही चाहती थी कि राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए,,,,।
Apni saree ko kamar tak uthaye huye soni kamaal lag rahi thi

सोनी उसी तरह से बैठीरह गई गई सोने की जानकारी में उसे पेशाब करता हुआ आज तक किसी ने भी नहीं देखा था,,,, लेकिन यही उसकी भुल भी वह इस बात से अनजान थी कि राजू एक बार पहले भी से पेशाब करता हुआ देख चुका है और आज तो वह खुद जानबूझकर उसे दिखा रही थी,,, सोनी के खूबसूरत चेहरे की तरह उसकी गांड भी बहुत खूबसूरत थी वह भरी हुई गुदाज एकदम गदराई हुई,,,। जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था किसी से में झाड़ियों में घुस जाए और पीछे से बैठकर उसकी गांड में पूरा लंड डाल दें,,,, लेकिन वह‌ ऐसा नहीं करना चाहता था भले ही वह उसके आकर्षण के जाल में पूरी तरह से बंधा हुआ था लेकिन इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,,,।


सोनी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड की बड़ी-बड़ी फांकों को दोनों हाथों में लेकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और यह देखकर राजू के सब्र का बांध टूटता चला जा रहा था वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,। जो की पूरी तरह से पजामें में अपनी अकड़ दिखा रहा था,,। सोनी पूरी तरह से राजु को मस्त कर देना चाहती थी,,, इसलिए अपनी बड़ी-बड़ी काम को दोनों हथेली में भरकर हल्के हल्के दबा भी रही थी,,,, कुछ समय तक वह उसी तरह से बैठी रह गई,,,, वो जानती थी कि उसका काम हो गया है जिस तरह का जादू चलाना था वह जादू चल चुका है,,, इसलिए वह धीरे से खड़ी हो गई,,, लेकिन अपने साड़ी को नीचे करने से पहले और अपनी कच्छी को पहनने से पहले,,,,वो पीछे मुड़कर देखना चाहती थी पर ऐसा जताना चाहती थी कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,इसलिए थोड़ा सा नीचे झुकी और अपनी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर करनी चाही रही थी कि पीछे मुड़ कर देखने लगी और तुरंत राजु और सोनी दोनों की नजरें आपस में टकरा गई,,,,,, सोनी अगर गुस्सा करती तो राजू शर्मिंदा हो जाता लेकिन वह ऐसा नहीं चाहती थी क्योंकि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहते थे इसलिए वह राजू की तरफ देखते हूए बोली,,,।
Soni apni gaand ko raju ko dikha k sahla rahi thi


तुम आ गए,,, तुम कब आए,,,,(और ऐसा कहते हुए जानबूझकर उसकी आंखों के सामने ही अपनी चड्डी को पहनने लगी,,,, राजू आंखें फाड़े उसी को देखे जा रहा था,, उसकी सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, राजू उसके छोटी सी चड्ढी को देख रहा था,,, उसे बड़ी ताजुब के साथ साथ उत्तेजना भी छा रही थी,,,, सोनी चड्डी पहन चुकी थी,,,साड़ी को कमर से नीचे गिराने से पहले वह एक बार उसकी तरफ एकदम से खून गई थी वह चड्डी में क्यों अपनी फोटो भी बुरा जी को दिखाना चाहती तुझे अपनी उसकी कच्ची से पूरी तरह से चिपकी हुई थी और उपसी हुई नजर आ रही थी,,,,। राजू की आंखों के सामने उसकी छोटी सी छोटी थी और वह भी आगे से फुली हुई बुर वाली जगह का उभार कुछ ज्यादा ही था,,,,कमला चाची और अपनी बुआ की चुदाई कर चुका राजू अच्छी तरह से जानता था कि दोनों टांगों के बीच औरतों की बुर कौन सी जगह पर होती है,, ईस लिए सोनी की चड्ढी में फूली हुई जगह को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई है,,,।सोनी समझ गई थी कि जो कुछ भी उसमें दिखाई थी वह उसकी उत्तेजना के लिए काफी था क्योंकि उसकी नजर उसके पजामे में बने हुए तंबू पर चली गई थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,, और आपने साड़ी को कमर से नीचे गिरा कर,,, वह एक बेहद कामुकता भरे नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,,, ।

राजू के द्वारा पेशाब करता हुआ उसकी नंगी गांड देखने के बावजूद भी वह बिल्कुल सामान्य थी यह देखकर राजू को भी आश्चर्य हो रहा था उसमें किसी भी प्रकार की झिझक नहीं थी,,, वह बड़े आराम से झाड़ियों के बीच में से अपने साड़ी को दोनों हाथों से हल्के से पकड़ कर बाहर की तरफ आने लगी और बोली,,,)

मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी मुझे तो लगा तुम आओगे नहीं मुझे बडे जोरो की पिशाब लगी थी तो मैं इधर आ गई,,,,
(सोनी जैसी खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनकर और अभी एकदम खुले शब्दों में राजू की तो हालत खराब हो गई उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था उसके मुंह से पेशाब शब्द सुन कर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, और उसकी बात सुनकर हक लाते हुए बोला,,,)

ममममम,,, मैं तो कब से आ गया हूं तुम ही कहीं दिखाई नहीं दे रही थी तो पीछे चला आया,,,,।


कोई बात नहीं चलो आगे चलते हैं,,,,।
(इतना कहकर वो आगे आगे चलने लगी और पीछे-पीछे राजू राजू की बोलती बंद थी सांसो की गति तेज हो चुकी थी इतनी उत्तेजक और खूबसूरत औरत उसने आज तक नहीं देखा था उसकी बड़ी बड़ी गांड पर अपनी नजरों को गड़ाए वह उसके पीछे पीछे चलने लगा,,,)
Behtreen update
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
21,163
56,374
259
झोपड़ी के अंदर जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर राजू और सोनी दोनों बेहद उत्साहित थे,,, राजू को तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह सोनी के खूबसूरत बदन को अपने हाथों से स्पर्श किया है,,,, लाजवाब बेमिसाल अद्भुत खूबसूरती की मालकिन सोनी के भरे हुए बदन को अपनी बाहों में लेकर वह पूरी तरह से गदगद हुआ जा रहा था,,, उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था,,,जिसे सिर्फ देख कर आहे भरा करता था उसे अपनी बाहों में लेकर वह अपने आप को सबसे ज्यादा खुश नसीब समझने लगा था,,,,,, नंगी चिकनी टांगो को पकड़कर वह चित्र की उत्तेजना का अनुभव अपने अंदर कर रहा था वह पूरी तरह से उसे अपने बस में कर लिया था लेकिन वह नहीं जानता था कि उसके हाथों से ही उस खूबसूरत औरत की साड़ी कमर तक उठ जाएगी,,,, यह शुभ काम अपने हाथों से होता हुआ देखकर वह ऊतेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था,,,उसकी मानसिक चिकनी कमर पर अपनी हथेलियों की पकड़ को वह अभी तक अपने अंदर महसूस कर रहा था उसके बदन की गर्माहट को अपने अंदर महसूस करके उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पिघल ना जाए,,,,,, उसकी नरम नरम गद्देदार बड़ी बड़ी गांड पर उसके लंड की ठोकर अनजाने में ही लगी थी लेकिन वह जानबूझकर अपनी तरफ से भी हरकत करते हुए अपने लंड का दावा उसकी गांड पर बराबर बनाए हुए था,,, दो दो औरतों का सुख भोग चुका राजू इतना तो समझ गया था कि सोनी को भी उसके लंड की रगड़ साफ महसूस हुई होगी,,,तभी तो वह मुस्कुरा रही थी और जाते समय उसके पहचाने मैंने तंबू की तरफ इशारा करके खुद बोल गई थी कि इसे शांत करके बाहर आ जाना,,,,,, उसकी इस हरकत पर राजू समझ गया था कि सोनी बहुत गरम औरत है वरना जिस तरह की हरकत हुई थी उससे वह क्रोधित हो जाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,,,। राजू के मन में अभी भी एक सवाल उठ रहा था कि वह साड़ी के अंदर क्या पहनी हुई थी जिसे देखकर उसका मन थोड़ा गया कुछ भेजा रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि इतनी बड़ी औरत होने के बावजूद भी अभी भी बच्चों की तरह चड्डी पहनती है,,, क्योंकि राजू को औरतों के अंग वस्त्र के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था क्योंकि गांव की सभी औरतें,,,, साड़ी और सलवार के अंदर कुछ भी नहीं पहनती थी और उन्हें भी इस बारे में कुछ पता भी नहीं था,,,, इसीलिए राजू ने ना तो कमला चाची के साड़ी के अंदर कुछ पहना हुआ देखा था और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की सलवार के अंदर,,, इसलिए सोनई की कच्छी को देख कर उसे आश्चर्य हो रहा था,,,।
Soni ki gaand par chaddhi dekhkar raju heraan tha

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अंदर से ब्लैकबोर्ड लेकर वह बाहर आ चुका था,,,। राजु को देखकर सोनी मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सोनी की सोच से ज्यादा हो चुका था,,सोनी के मन में यही था कि झोपड़ी के अंदर ले जाकर क्यों वह किसी भी तरह से राजू को उत्साहित और उत्तेजित करेगी लेकिन अंदर उम्मीद से कुछ ज्यादा ही हो गया था और राजू की उत्तेजना वह अपनी आंखों से उसके पजामे में देख रही थी जिसे वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस भी कर चुकी थी,,,, उसकी रगड उसका दबाव बड़ी बड़ी गांड पर बेहद अद्भुत था,,, जिसे महसूस करके अभी भी वह पानी पानी हुए जा रही थी,,,,, सोनी को अपनी कच्छी पूरी तरह से गीलीहो चुकी महसूस हो रही थी जिसे वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपना हाथ लगा कर व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही थी और यह हरकत राजू को एकदम साफ दिखाई दे रही थी और उसकी इस हरकत के कारण उसके तन बदन में काम ज्वाला भड़क रही थी,,,,। राजू समझ गया था कि उत्तेजना के मारे उसका काम रस टपक रहा होगा और वग अपने मन में यही सोचने लगा कि काश उसकी किस्मत में उसकी बुर पर मुंह लगाकर उसका काम रस पीना लिखा होता तो मजा आता ,,,,,,


यह जो खिला दिख रहा है ना पेड में घुसा हुआ इसी मे ब्लैक बोर्ड को टांग दो,,,।
(कोयल सी सुरीली आवाज सुनते ही राजु एकदम मंत्रमुग्ध हो गया और उसके के अनुसार ब्लैक बोर्ड को साफ करके उसी खिले में टांग दिया,,,)

अब ठीक है ना सोनी दीदी,,,,।


हां बिल्कुल ठीक है,,,(इतना कहते हुए वह अपने आप से ही बात करते हुए बोली सोनी दीदी साला मौका मिला होता तो कब से अपना लंड मेरी बुर में डालकर चुदाई कर दिया होता और दीदी कह रहा है,,, फिर वह अपने मन में ही सोचने लगी कि वैसे भी दीदी और भाई के रिश्ते की मर्यादा ही कहां रह गई है उसका बड़ा भाई खुद उसकी चुदाई करता हैं और उसे चोदने के लिए रखा भी है,,, कोई बात नहीं जिंदगी में मजा तो आ रहा है ना बस,,,,)


देखो अब मैं इस ब्लैक बोर्ड पर जो कुछ भी लिखूंगी तुम लोग जमीन पर लिखना कुछ दिन तक ऐसे ही चला लो उसके बाद में तुम लोगों के लिए पाटी लाकर दूंगी,,,,


ठीक है सोनी दीदी,,,(उसकी बात सुनते ही सभी लड़के एक साथ बोल पड़े,,,

सोनी ने क ख ग घ,,,, यह चार अक्षर ब्लैक बोर्ड पर लिख दि और उसे,,,,,,, जमीन पर लिखने के लिए बोली सभी लड़के ब्लैक बोर्ड में देखकर जमीन पर लिखने की कोशिश कर रहे थे,,,,बीच-बीच में सोनी उन लोगों का हौसला भी बढ़ा रही थी,,,।



हां ऐसे ही धीरे-धीरे सीख जाओगे पढ़ना लिखना जिंदगी में बहुत जरूरी है कभी हिसाब किताब करना पड़ जाएगा तो कैसे करोगे कोई तो मैं बेवकूफ बना कर चला जाएगा इसलिए पढ़ना लिखना सीखना ही होगा धीरे-धीरे सीख जाओगे,,,,(इतना कहते हुए बार आ चुके सर पर हाथ फिर भी उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी राजू कि उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया दोनों की नजरे आपस में टकराई,,, ना जाने क्यों राजू से नजर मिलते ही,,, सोनी की नजरों में शर्म उतर आई वह शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,, क्योंकि कुछ देर पहले ही राजु ने अपने मर्दाना अंग की रगड़ उसकी गांड पर उसे महसूस करवाया था,,, जिसका एहसास उसकी बुर गीली, कर रहा था,,,, सोनी अपने मन में भाप ली थी कि राजू के साथ उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी,,,,।
ब्लैक बोर्ड में लिखे हुए शब्दों को सभी लड़के लिखने की कोशिश कर रहे थे और धीरे-धीरे कामयाबी हो रहे थे श्याम भी वही कर रहा था लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह अपनी मम्मी यही सोच रहा था कि यह लोग झोपड़ी के अंदर काफी देर से थे यह लोग अंदर कर क्या रहे थे,,,। उससे रहा नहीं गया तो,,, वह धीरे से राजू के कान में बोला,,,।
Raju k intejar me

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तुम दोनों इतनी देर से झोपड़ी में क्या कर रहे थे,,,

वही ढूंढरहे थे जिस पर सब कुछ लिखा हुआ है,,, ऊंचाई पर और सबसे नीचे दबा हुआ था इसलिए उसे निकालने में देर हो गई,,,।


कुछ और तो नहीं कर रहा था ना,,,


पागल हो गया क्या तू,,,, लाला की बहन इनके बारे में कुछ सोचना भी नहीं वरना शामत आ जाएगी समझा,,, आप अपना काम कर और मुझे भी करने दे,,,,(लाला का नाम लेकर वह एक तरह से श्याम को धमकाने की कोशिश कर रहा था क्योंकि राजू जानता था कि लाला का डर उसे ज्यादा कुछ सोचने नहीं देगा,,, सोनी और उसके बीच हुए उस वाक्ये के बारे में मैं नहीं चाहता था कि किसी को भी पता चले,,,, वह दूसरे लड़कों की तरह नहीं था कि किसी भी औरत के साथ संबंध बनाने पर वह अपने दोस्तों को बढ़ा चढ़ा कर बातें करते थे वह बल्कि इस तरह के रिश्ते को एकदम खास रखना चाहता था जिसकी किसी को भनक तक ना लगे,,,, सोनी उसी टेबल पर बैठकर आगे क्या करना है उसके बारे में सोच रही थी,,,, राजू को उसने इसी बगीचे में दोबारा बुलाई थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जिस लंड को अपनी बड़ी-बड़ी गांड पर महसूस करके मस्त हो गई है उसे अपनी बुर में लेकर देखना चाहती है ,,वह देखना चाहती थी कि राजू का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसे कितना मजा देता है,,,। यही सब सोच सोच कर वह मस्त हुए जा रही थी और अपनी बुर को गीली कीए जा रही थी,,,, कुछ देर के बाद सोनी ने सब को छुट्टी दे दी और उन्हें अपने-अपने घर जाने के लिए बोल दी,,,,,
उन लोगों के साथ राजू भी जाने लगा,,,, सोनी वही टेबल पर बैठे उसे देखती रही वह उसका इंतजार कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि राजु जरूर आएगा,,,, राजू अपने दोस्तों को सिर्फ दिखाने के लिए उनके साथ जा रहा था,,, वह अंदर ही अंदर वापस बगीचे में जाने के लिए तड़प रहा था लेकिन इस तरह से सबके सामने जाने में डर था वह नहीं चाहता था कि वह लोग किसी भी तरह का शक करें,,, अपने मन में यही सोच रहा था कि सोने जैसी खूबसूरत औरत अगर उसे दोबारा बगीचे में बुलाई है तो जरूर कुछ ना कुछ होगा,,,,,,।


इसलिए वह सब लड़कों के साथ घर तो पहुंच गए लेकिन सबकी नजर बचाकर वापस बगीचे की तरफ चल दिया उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि बगीचे के अंदर जरूर उसका फायदा होने वाला है क्योंकि खूबसूरत औरतों से सबसे नजर बचाकर वहां बुलाई थी और ऐसे सबकी नजर बचाकर औरत तभी बुलाती है जब उसके मन में उसके लिए कुछ कुछ होता है,,,,,।

थोड़ी देर बाद राजू वापस बगीचे मैं पहुंच गया था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दोपहर का समय था कड़ी धूप होने के बावजूद भी घने पेड़ चारों तरफ होने की वजह से धूप नीचे जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए हां पर ठंडक बनी हुई थी,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि पता नहीं क्या करने के लिए यहां बुलाई है यह सोचकर बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य याद आ जा रहा था जब वह सीढ़ियों पर चढ़ी थी और उसका पैर फिसला था और वह उसकी बाहों में आ गीरी थी,,, राजू के मन में एक मलाल रह गया था कि मौका मिलने के बावजूद भी वह उसकी चूचियों पर हाथ नहीं रख पाया था जो कि किसी पहाड़ी की तरह सीना ताने खड़ी थी,,,,।


बगीचे में पहुंचकर वह सोनी को इधर-उधर ढूंढने लगा सोनी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी तो वह झोपड़ी के अंदर जाकर देखने लगा उसे लगा कि शायद झोपड़ी के अंदर होगी,,, लेकिन झोपड़ी भी खाली थी,,,, राजू को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे लगने लगा कि शायद वह मजाक कर रही थी वह कितने अरमान लेकर बगीचे में आया था उस ख्याल से ही बार-बार उसका लंड मुंह उठाकर खड़ा हो जाता था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से बैठाने की कोशिश कर रहा था,,,,, कुछ देर तक वह झोपड़ी के अंदर ही खड़ा होकर सोचने लगा,,,, और बाहर आ गया इधर-उधर दूर-दूर तक देखने पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था इसलिए वह हेड पंप के पास जाकर हेंडपंप चला कर पानी पीने लगा,,,,। उसका मन उदास हो चुका था,,,। वह वापस घर जाने वाला था कि तभी वह सोचा की झोपड़ी के पीछे जाकर देख लु,,,,।

और यह सोचकर वह झोपड़ी के पीछे जाने लगा,,,,,,, लेकिन यहां पर कोई नहीं था तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा थोड़ी ही दूरी पर बेर लगे हुए थे जिसमें बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे वह सोचा कि चलो कुछ नहीं तो बैर ही लेकर खाया जाए,,,, और यह सोचकर वह बेर के पेड़ के पास पहुंच गया,,,,,, वही थोड़ी दूरी पर सोनी पेशाब करने के लिए आई थी और पेशाब करके वह भी बेर तोड़ रही थी राजू को उस तरफ आता देखकर वह पूरी तरह से सकते में आ गई थी वह सोच रही थी कि वह यहां क्या करने आ रहा है,,,, लेकिन तभी उसके दिमाग में खुराफाती चलने लगा,,,,। राजू बैर तोड़ता इससे पहले ही वह उसके सामने अपनी पीठ उसकी तरफ किए हुए जाकर खड़ी हो गई उसकी पायल और चूड़ियों की खनक की आवाज सुनते हैं राजू उस तरफ देखने लगा और ठीक थोड़ी ही दूरी पर अपने सामने सोनी को खड़ी देख कर वह खुश हो गया लेकिन वह कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनी अपना जलवा दिखाते हुए अपनी साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी जैसा कि वह उस दिन झाड़ियों के अंदर छुप कर देखा था यह देखकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा वह समझ गया कि जिस तरह का दृश्य उसने उस दिन देखा था आज भी उसकी किस्मत तेज है आज भी उसे वही देखने को मिलेगा,,,, इसलिए बैर ना तोड़कर वह वहीं खड़ा रह गया और धड़कते दिल के साथ उस दृश्य का आनंद लेने लगा जोकी सोनी जानबूझकरउसे दिखा रही थी जबकि वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन आज वह अपनी जवानी की झलक दिखा कर उसे पूरी तरह से अपने बस में कर लेना चाहती थी,,, और वह यह बात नहीं जानती थी कि इस तरह के नजारे को वह पहले भी देख चुका है,,, तभी तो उसके पीछे पीछे लट्टु की तरह घूम रहा था,,,,।
SOni ki laajawab gaand

सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरना शुरू कर दी थी वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते ही देखते राजु की आंखों के सामने उसने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी थी ऐसा करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, क्योंकि वह जानती थी कि पीछे खड़ा एक नौजवान लड़का उसे अपनी साड़ी कमर तक उठाते हुए देख रहा है उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख कर मस्त हो रहा है और यह एहसास सोनी के तन बदन में आग लगा रहा था,,,,, देखते ही देखते सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाती थी राजू की आंखें एक बार फिर से चौंधिया गई थी सोनी को चड्डी पहने हुए देखकर,,,, यह राजू के लिए अत्यधिक उत्तेजनात्मक स्थिति का निर्माण कर रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई औरत इस उमर में भी चड्डी पहनती होगी जबकि चड्डी तो बच्चे पहना करते थे,,,।
Soni ki madmast badi badi gaand

सोनी सब कुछ जानते हुए भी अपनी चड्डी को नीचे की तरफ खासकाने लगी और सोनी की यह हरकत राजू से सीने में छुरियां चला रही थी,,, देखते ही देखते सोनी ने अपनी बड़ी बड़ी गांड को उजागर करते हुए अपनी चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका दी,,,राजू से तो कुछ भी बोला नहीं जा रहा था यहां तक कि सांस भी लेना मुश्किल हुआ जा रहा था और पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,, पजामे में एक बार फिर से तंबू बन चुका था,,,। गोल गोल गोरी गांड सुनहरी धूप में और ज्यादा चमक रही थी,,, सोनी के अंतर्मन में भी फुलझड़ियां झड़ने लगी थी,,, जवानी की आग में उसका तन जल रहा था,,,। राजू को पाने के लिए वो अपने होशो हवास खो बैठी थी,,,। वह अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे खड़ा राजू उसकी नंगी गांड को देख रहा होगा और यही तसल्ली करने के लिए वह पीछे नहीं देखना चाहती थी क्योंकि वह राजू को पूरी तरह से तड़पाना चाहती थी,,,, राजू के लिए उसका नंगा बदन एक तरह से उसके लिए पुरस्कार था और उसे जीतने के लिए उसे खुद सोनी से स्पर्धा करना था जिसमें सोनी को भी मालूम था कि विजेता चाहे जो भी बने फायदा उसी का है,,,, इस खेल में बहुत मजा आने वाला था,,,,

Soni is tarah se raju ko apni jawani ka jalwa dikha rahi thi

सोनी के लिए पहला मौका था जब हुआ इस तरह से किस जवान लड़की को जानबूझकर अपनी गांड दिखा रही थी,,,। और राजु के लिए इस तरह के मौके बनते जा रहे थे,,, सोनी पेशाब कर चुकी थी इसलिए उसे पैसा बिल्कुल भी नहीं लगी थी लेकिन पेशाब करने की कलाकृति दिखाना जरूरी थी इसलिए वह वहीं पर बैठ गई क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी ख्वाइश होती और खूबसूरत औरत को,,,, उनकी बड़ी-बड़ी कहां देख कर और खास करके उन्हें पेशाब करता हुआ देखकर मर्द एकदम से उत्तेजित हो जाते हैं,,,, और वह भी यही चाहती थी कि राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए,,,,।
Apni saree ko kamar tak uthaye huye soni kamaal lag rahi thi

सोनी उसी तरह से बैठीरह गई गई सोने की जानकारी में उसे पेशाब करता हुआ आज तक किसी ने भी नहीं देखा था,,,, लेकिन यही उसकी भुल भी वह इस बात से अनजान थी कि राजू एक बार पहले भी से पेशाब करता हुआ देख चुका है और आज तो वह खुद जानबूझकर उसे दिखा रही थी,,, सोनी के खूबसूरत चेहरे की तरह उसकी गांड भी बहुत खूबसूरत थी वह भरी हुई गुदाज एकदम गदराई हुई,,,। जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था किसी से में झाड़ियों में घुस जाए और पीछे से बैठकर उसकी गांड में पूरा लंड डाल दें,,,, लेकिन वह‌ ऐसा नहीं करना चाहता था भले ही वह उसके आकर्षण के जाल में पूरी तरह से बंधा हुआ था लेकिन इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,,,।


सोनी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड की बड़ी-बड़ी फांकों को दोनों हाथों में लेकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और यह देखकर राजू के सब्र का बांध टूटता चला जा रहा था वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,। जो की पूरी तरह से पजामें में अपनी अकड़ दिखा रहा था,,। सोनी पूरी तरह से राजु को मस्त कर देना चाहती थी,,, इसलिए अपनी बड़ी-बड़ी काम को दोनों हथेली में भरकर हल्के हल्के दबा भी रही थी,,,, कुछ समय तक वह उसी तरह से बैठी रह गई,,,, वो जानती थी कि उसका काम हो गया है जिस तरह का जादू चलाना था वह जादू चल चुका है,,, इसलिए वह धीरे से खड़ी हो गई,,, लेकिन अपने साड़ी को नीचे करने से पहले और अपनी कच्छी को पहनने से पहले,,,,वो पीछे मुड़कर देखना चाहती थी पर ऐसा जताना चाहती थी कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,इसलिए थोड़ा सा नीचे झुकी और अपनी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर करनी चाही रही थी कि पीछे मुड़ कर देखने लगी और तुरंत राजु और सोनी दोनों की नजरें आपस में टकरा गई,,,,,, सोनी अगर गुस्सा करती तो राजू शर्मिंदा हो जाता लेकिन वह ऐसा नहीं चाहती थी क्योंकि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहते थे इसलिए वह राजू की तरफ देखते हूए बोली,,,।
Soni apni gaand ko raju ko dikha k sahla rahi thi


तुम आ गए,,, तुम कब आए,,,,(और ऐसा कहते हुए जानबूझकर उसकी आंखों के सामने ही अपनी चड्डी को पहनने लगी,,,, राजू आंखें फाड़े उसी को देखे जा रहा था,, उसकी सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, राजू उसके छोटी सी चड्ढी को देख रहा था,,, उसे बड़ी ताजुब के साथ साथ उत्तेजना भी छा रही थी,,,, सोनी चड्डी पहन चुकी थी,,,साड़ी को कमर से नीचे गिराने से पहले वह एक बार उसकी तरफ एकदम से खून गई थी वह चड्डी में क्यों अपनी फोटो भी बुरा जी को दिखाना चाहती तुझे अपनी उसकी कच्ची से पूरी तरह से चिपकी हुई थी और उपसी हुई नजर आ रही थी,,,,। राजू की आंखों के सामने उसकी छोटी सी छोटी थी और वह भी आगे से फुली हुई बुर वाली जगह का उभार कुछ ज्यादा ही था,,,,कमला चाची और अपनी बुआ की चुदाई कर चुका राजू अच्छी तरह से जानता था कि दोनों टांगों के बीच औरतों की बुर कौन सी जगह पर होती है,, ईस लिए सोनी की चड्ढी में फूली हुई जगह को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई है,,,।सोनी समझ गई थी कि जो कुछ भी उसमें दिखाई थी वह उसकी उत्तेजना के लिए काफी था क्योंकि उसकी नजर उसके पजामे में बने हुए तंबू पर चली गई थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,, और आपने साड़ी को कमर से नीचे गिरा कर,,, वह एक बेहद कामुकता भरे नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,,, ।

राजू के द्वारा पेशाब करता हुआ उसकी नंगी गांड देखने के बावजूद भी वह बिल्कुल सामान्य थी यह देखकर राजू को भी आश्चर्य हो रहा था उसमें किसी भी प्रकार की झिझक नहीं थी,,, वह बड़े आराम से झाड़ियों के बीच में से अपने साड़ी को दोनों हाथों से हल्के से पकड़ कर बाहर की तरफ आने लगी और बोली,,,)
Raju ko soni apni gaand dekhne ka bharpur mauka de rahi thi

मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी मुझे तो लगा तुम आओगे नहीं मुझे बडे जोरो की पिशाब लगी थी तो मैं इधर आ गई,,,,
(सोनी जैसी खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनकर और अभी एकदम खुले शब्दों में राजू की तो हालत खराब हो गई उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था उसके मुंह से पेशाब शब्द सुन कर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, और उसकी बात सुनकर हक लाते हुए बोला,,,)

ममममम,,, मैं तो कब से आ गया हूं तुम ही कहीं दिखाई नहीं दे रही थी तो पीछे चला आया,,,,।


कोई बात नहीं चलो आगे चलते हैं,,,,।
(इतना कहकर वो आगे आगे चलने लगी और पीछे-पीछे राजू राजू की बोलती बंद थी सांसो की गति तेज हो चुकी थी इतनी उत्तेजक और खूबसूरत औरत उसने आज तक नहीं देखा था उसकी बड़ी बड़ी गांड पर अपनी नजरों को गड़ाए वह उसके पीछे पीछे चलने लगा,,,)
Wah. Wah Wah. Kya man mohak or uttejna-poorn update Tha bhai majedar
 

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झोपड़ी के अंदर जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर राजू और सोनी दोनों बेहद उत्साहित थे,,, राजू को तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह सोनी के खूबसूरत बदन को अपने हाथों से स्पर्श किया है,,,, लाजवाब बेमिसाल अद्भुत खूबसूरती की मालकिन सोनी के भरे हुए बदन को अपनी बाहों में लेकर वह पूरी तरह से गदगद हुआ जा रहा था,,, उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था,,,जिसे सिर्फ देख कर आहे भरा करता था उसे अपनी बाहों में लेकर वह अपने आप को सबसे ज्यादा खुश नसीब समझने लगा था,,,,,, नंगी चिकनी टांगो को पकड़कर वह चित्र की उत्तेजना का अनुभव अपने अंदर कर रहा था वह पूरी तरह से उसे अपने बस में कर लिया था लेकिन वह नहीं जानता था कि उसके हाथों से ही उस खूबसूरत औरत की साड़ी कमर तक उठ जाएगी,,,, यह शुभ काम अपने हाथों से होता हुआ देखकर वह ऊतेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था,,,उसकी मानसिक चिकनी कमर पर अपनी हथेलियों की पकड़ को वह अभी तक अपने अंदर महसूस कर रहा था उसके बदन की गर्माहट को अपने अंदर महसूस करके उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पिघल ना जाए,,,,,, उसकी नरम नरम गद्देदार बड़ी बड़ी गांड पर उसके लंड की ठोकर अनजाने में ही लगी थी लेकिन वह जानबूझकर अपनी तरफ से भी हरकत करते हुए अपने लंड का दावा उसकी गांड पर बराबर बनाए हुए था,,, दो दो औरतों का सुख भोग चुका राजू इतना तो समझ गया था कि सोनी को भी उसके लंड की रगड़ साफ महसूस हुई होगी,,,तभी तो वह मुस्कुरा रही थी और जाते समय उसके पहचाने मैंने तंबू की तरफ इशारा करके खुद बोल गई थी कि इसे शांत करके बाहर आ जाना,,,,,, उसकी इस हरकत पर राजू समझ गया था कि सोनी बहुत गरम औरत है वरना जिस तरह की हरकत हुई थी उससे वह क्रोधित हो जाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,,,। राजू के मन में अभी भी एक सवाल उठ रहा था कि वह साड़ी के अंदर क्या पहनी हुई थी जिसे देखकर उसका मन थोड़ा गया कुछ भेजा रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि इतनी बड़ी औरत होने के बावजूद भी अभी भी बच्चों की तरह चड्डी पहनती है,,, क्योंकि राजू को औरतों के अंग वस्त्र के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था क्योंकि गांव की सभी औरतें,,,, साड़ी और सलवार के अंदर कुछ भी नहीं पहनती थी और उन्हें भी इस बारे में कुछ पता भी नहीं था,,,, इसीलिए राजू ने ना तो कमला चाची के साड़ी के अंदर कुछ पहना हुआ देखा था और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की सलवार के अंदर,,, इसलिए सोनई की कच्छी को देख कर उसे आश्चर्य हो रहा था,,,।
Soni ki gaand par chaddhi dekhkar raju heraan tha

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अंदर से ब्लैकबोर्ड लेकर वह बाहर आ चुका था,,,। राजु को देखकर सोनी मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सोनी की सोच से ज्यादा हो चुका था,,सोनी के मन में यही था कि झोपड़ी के अंदर ले जाकर क्यों वह किसी भी तरह से राजू को उत्साहित और उत्तेजित करेगी लेकिन अंदर उम्मीद से कुछ ज्यादा ही हो गया था और राजू की उत्तेजना वह अपनी आंखों से उसके पजामे में देख रही थी जिसे वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस भी कर चुकी थी,,,, उसकी रगड उसका दबाव बड़ी बड़ी गांड पर बेहद अद्भुत था,,, जिसे महसूस करके अभी भी वह पानी पानी हुए जा रही थी,,,,, सोनी को अपनी कच्छी पूरी तरह से गीलीहो चुकी महसूस हो रही थी जिसे वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपना हाथ लगा कर व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही थी और यह हरकत राजू को एकदम साफ दिखाई दे रही थी और उसकी इस हरकत के कारण उसके तन बदन में काम ज्वाला भड़क रही थी,,,,। राजू समझ गया था कि उत्तेजना के मारे उसका काम रस टपक रहा होगा और वग अपने मन में यही सोचने लगा कि काश उसकी किस्मत में उसकी बुर पर मुंह लगाकर उसका काम रस पीना लिखा होता तो मजा आता ,,,,,,


यह जो खिला दिख रहा है ना पेड में घुसा हुआ इसी मे ब्लैक बोर्ड को टांग दो,,,।
(कोयल सी सुरीली आवाज सुनते ही राजु एकदम मंत्रमुग्ध हो गया और उसके के अनुसार ब्लैक बोर्ड को साफ करके उसी खिले में टांग दिया,,,)

अब ठीक है ना सोनी दीदी,,,,।


हां बिल्कुल ठीक है,,,(इतना कहते हुए वह अपने आप से ही बात करते हुए बोली सोनी दीदी साला मौका मिला होता तो कब से अपना लंड मेरी बुर में डालकर चुदाई कर दिया होता और दीदी कह रहा है,,, फिर वह अपने मन में ही सोचने लगी कि वैसे भी दीदी और भाई के रिश्ते की मर्यादा ही कहां रह गई है उसका बड़ा भाई खुद उसकी चुदाई करता हैं और उसे चोदने के लिए रखा भी है,,, कोई बात नहीं जिंदगी में मजा तो आ रहा है ना बस,,,,)


देखो अब मैं इस ब्लैक बोर्ड पर जो कुछ भी लिखूंगी तुम लोग जमीन पर लिखना कुछ दिन तक ऐसे ही चला लो उसके बाद में तुम लोगों के लिए पाटी लाकर दूंगी,,,,


ठीक है सोनी दीदी,,,(उसकी बात सुनते ही सभी लड़के एक साथ बोल पड़े,,,

सोनी ने क ख ग घ,,,, यह चार अक्षर ब्लैक बोर्ड पर लिख दि और उसे,,,,,,, जमीन पर लिखने के लिए बोली सभी लड़के ब्लैक बोर्ड में देखकर जमीन पर लिखने की कोशिश कर रहे थे,,,,बीच-बीच में सोनी उन लोगों का हौसला भी बढ़ा रही थी,,,।



हां ऐसे ही धीरे-धीरे सीख जाओगे पढ़ना लिखना जिंदगी में बहुत जरूरी है कभी हिसाब किताब करना पड़ जाएगा तो कैसे करोगे कोई तो मैं बेवकूफ बना कर चला जाएगा इसलिए पढ़ना लिखना सीखना ही होगा धीरे-धीरे सीख जाओगे,,,,(इतना कहते हुए बार आ चुके सर पर हाथ फिर भी उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी राजू कि उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया दोनों की नजरे आपस में टकराई,,, ना जाने क्यों राजू से नजर मिलते ही,,, सोनी की नजरों में शर्म उतर आई वह शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,, क्योंकि कुछ देर पहले ही राजु ने अपने मर्दाना अंग की रगड़ उसकी गांड पर उसे महसूस करवाया था,,, जिसका एहसास उसकी बुर गीली, कर रहा था,,,, सोनी अपने मन में भाप ली थी कि राजू के साथ उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी,,,,।
ब्लैक बोर्ड में लिखे हुए शब्दों को सभी लड़के लिखने की कोशिश कर रहे थे और धीरे-धीरे कामयाबी हो रहे थे श्याम भी वही कर रहा था लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह अपनी मम्मी यही सोच रहा था कि यह लोग झोपड़ी के अंदर काफी देर से थे यह लोग अंदर कर क्या रहे थे,,,। उससे रहा नहीं गया तो,,, वह धीरे से राजू के कान में बोला,,,।
Raju k intejar me

type math symbols


तुम दोनों इतनी देर से झोपड़ी में क्या कर रहे थे,,,

वही ढूंढरहे थे जिस पर सब कुछ लिखा हुआ है,,, ऊंचाई पर और सबसे नीचे दबा हुआ था इसलिए उसे निकालने में देर हो गई,,,।


कुछ और तो नहीं कर रहा था ना,,,


पागल हो गया क्या तू,,,, लाला की बहन इनके बारे में कुछ सोचना भी नहीं वरना शामत आ जाएगी समझा,,, आप अपना काम कर और मुझे भी करने दे,,,,(लाला का नाम लेकर वह एक तरह से श्याम को धमकाने की कोशिश कर रहा था क्योंकि राजू जानता था कि लाला का डर उसे ज्यादा कुछ सोचने नहीं देगा,,, सोनी और उसके बीच हुए उस वाक्ये के बारे में मैं नहीं चाहता था कि किसी को भी पता चले,,,, वह दूसरे लड़कों की तरह नहीं था कि किसी भी औरत के साथ संबंध बनाने पर वह अपने दोस्तों को बढ़ा चढ़ा कर बातें करते थे वह बल्कि इस तरह के रिश्ते को एकदम खास रखना चाहता था जिसकी किसी को भनक तक ना लगे,,,, सोनी उसी टेबल पर बैठकर आगे क्या करना है उसके बारे में सोच रही थी,,,, राजू को उसने इसी बगीचे में दोबारा बुलाई थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जिस लंड को अपनी बड़ी-बड़ी गांड पर महसूस करके मस्त हो गई है उसे अपनी बुर में लेकर देखना चाहती है ,,वह देखना चाहती थी कि राजू का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसे कितना मजा देता है,,,। यही सब सोच सोच कर वह मस्त हुए जा रही थी और अपनी बुर को गीली कीए जा रही थी,,,, कुछ देर के बाद सोनी ने सब को छुट्टी दे दी और उन्हें अपने-अपने घर जाने के लिए बोल दी,,,,,
उन लोगों के साथ राजू भी जाने लगा,,,, सोनी वही टेबल पर बैठे उसे देखती रही वह उसका इंतजार कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि राजु जरूर आएगा,,,, राजू अपने दोस्तों को सिर्फ दिखाने के लिए उनके साथ जा रहा था,,, वह अंदर ही अंदर वापस बगीचे में जाने के लिए तड़प रहा था लेकिन इस तरह से सबके सामने जाने में डर था वह नहीं चाहता था कि वह लोग किसी भी तरह का शक करें,,, अपने मन में यही सोच रहा था कि सोने जैसी खूबसूरत औरत अगर उसे दोबारा बगीचे में बुलाई है तो जरूर कुछ ना कुछ होगा,,,,,,।


इसलिए वह सब लड़कों के साथ घर तो पहुंच गए लेकिन सबकी नजर बचाकर वापस बगीचे की तरफ चल दिया उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि बगीचे के अंदर जरूर उसका फायदा होने वाला है क्योंकि खूबसूरत औरतों से सबसे नजर बचाकर वहां बुलाई थी और ऐसे सबकी नजर बचाकर औरत तभी बुलाती है जब उसके मन में उसके लिए कुछ कुछ होता है,,,,,।

थोड़ी देर बाद राजू वापस बगीचे मैं पहुंच गया था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दोपहर का समय था कड़ी धूप होने के बावजूद भी घने पेड़ चारों तरफ होने की वजह से धूप नीचे जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए हां पर ठंडक बनी हुई थी,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि पता नहीं क्या करने के लिए यहां बुलाई है यह सोचकर बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य याद आ जा रहा था जब वह सीढ़ियों पर चढ़ी थी और उसका पैर फिसला था और वह उसकी बाहों में आ गीरी थी,,, राजू के मन में एक मलाल रह गया था कि मौका मिलने के बावजूद भी वह उसकी चूचियों पर हाथ नहीं रख पाया था जो कि किसी पहाड़ी की तरह सीना ताने खड़ी थी,,,,।


बगीचे में पहुंचकर वह सोनी को इधर-उधर ढूंढने लगा सोनी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी तो वह झोपड़ी के अंदर जाकर देखने लगा उसे लगा कि शायद झोपड़ी के अंदर होगी,,, लेकिन झोपड़ी भी खाली थी,,,, राजू को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे लगने लगा कि शायद वह मजाक कर रही थी वह कितने अरमान लेकर बगीचे में आया था उस ख्याल से ही बार-बार उसका लंड मुंह उठाकर खड़ा हो जाता था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से बैठाने की कोशिश कर रहा था,,,,, कुछ देर तक वह झोपड़ी के अंदर ही खड़ा होकर सोचने लगा,,,, और बाहर आ गया इधर-उधर दूर-दूर तक देखने पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था इसलिए वह हेड पंप के पास जाकर हेंडपंप चला कर पानी पीने लगा,,,,। उसका मन उदास हो चुका था,,,। वह वापस घर जाने वाला था कि तभी वह सोचा की झोपड़ी के पीछे जाकर देख लु,,,,।

और यह सोचकर वह झोपड़ी के पीछे जाने लगा,,,,,,, लेकिन यहां पर कोई नहीं था तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा थोड़ी ही दूरी पर बेर लगे हुए थे जिसमें बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे वह सोचा कि चलो कुछ नहीं तो बैर ही लेकर खाया जाए,,,, और यह सोचकर वह बेर के पेड़ के पास पहुंच गया,,,,,, वही थोड़ी दूरी पर सोनी पेशाब करने के लिए आई थी और पेशाब करके वह भी बेर तोड़ रही थी राजू को उस तरफ आता देखकर वह पूरी तरह से सकते में आ गई थी वह सोच रही थी कि वह यहां क्या करने आ रहा है,,,, लेकिन तभी उसके दिमाग में खुराफाती चलने लगा,,,,। राजू बैर तोड़ता इससे पहले ही वह उसके सामने अपनी पीठ उसकी तरफ किए हुए जाकर खड़ी हो गई उसकी पायल और चूड़ियों की खनक की आवाज सुनते हैं राजू उस तरफ देखने लगा और ठीक थोड़ी ही दूरी पर अपने सामने सोनी को खड़ी देख कर वह खुश हो गया लेकिन वह कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनी अपना जलवा दिखाते हुए अपनी साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी जैसा कि वह उस दिन झाड़ियों के अंदर छुप कर देखा था यह देखकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा वह समझ गया कि जिस तरह का दृश्य उसने उस दिन देखा था आज भी उसकी किस्मत तेज है आज भी उसे वही देखने को मिलेगा,,,, इसलिए बैर ना तोड़कर वह वहीं खड़ा रह गया और धड़कते दिल के साथ उस दृश्य का आनंद लेने लगा जोकी सोनी जानबूझकरउसे दिखा रही थी जबकि वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन आज वह अपनी जवानी की झलक दिखा कर उसे पूरी तरह से अपने बस में कर लेना चाहती थी,,, और वह यह बात नहीं जानती थी कि इस तरह के नजारे को वह पहले भी देख चुका है,,, तभी तो उसके पीछे पीछे लट्टु की तरह घूम रहा था,,,,।
SOni ki laajawab gaand

सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरना शुरू कर दी थी वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते ही देखते राजु की आंखों के सामने उसने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी थी ऐसा करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, क्योंकि वह जानती थी कि पीछे खड़ा एक नौजवान लड़का उसे अपनी साड़ी कमर तक उठाते हुए देख रहा है उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख कर मस्त हो रहा है और यह एहसास सोनी के तन बदन में आग लगा रहा था,,,,, देखते ही देखते सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाती थी राजू की आंखें एक बार फिर से चौंधिया गई थी सोनी को चड्डी पहने हुए देखकर,,,, यह राजू के लिए अत्यधिक उत्तेजनात्मक स्थिति का निर्माण कर रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई औरत इस उमर में भी चड्डी पहनती होगी जबकि चड्डी तो बच्चे पहना करते थे,,,।
Soni ki madmast badi badi gaand

सोनी सब कुछ जानते हुए भी अपनी चड्डी को नीचे की तरफ खासकाने लगी और सोनी की यह हरकत राजू से सीने में छुरियां चला रही थी,,, देखते ही देखते सोनी ने अपनी बड़ी बड़ी गांड को उजागर करते हुए अपनी चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका दी,,,राजू से तो कुछ भी बोला नहीं जा रहा था यहां तक कि सांस भी लेना मुश्किल हुआ जा रहा था और पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,, पजामे में एक बार फिर से तंबू बन चुका था,,,। गोल गोल गोरी गांड सुनहरी धूप में और ज्यादा चमक रही थी,,, सोनी के अंतर्मन में भी फुलझड़ियां झड़ने लगी थी,,, जवानी की आग में उसका तन जल रहा था,,,। राजू को पाने के लिए वो अपने होशो हवास खो बैठी थी,,,। वह अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे खड़ा राजू उसकी नंगी गांड को देख रहा होगा और यही तसल्ली करने के लिए वह पीछे नहीं देखना चाहती थी क्योंकि वह राजू को पूरी तरह से तड़पाना चाहती थी,,,, राजू के लिए उसका नंगा बदन एक तरह से उसके लिए पुरस्कार था और उसे जीतने के लिए उसे खुद सोनी से स्पर्धा करना था जिसमें सोनी को भी मालूम था कि विजेता चाहे जो भी बने फायदा उसी का है,,,, इस खेल में बहुत मजा आने वाला था,,,,

Soni is tarah se raju ko apni jawani ka jalwa dikha rahi thi

सोनी के लिए पहला मौका था जब हुआ इस तरह से किस जवान लड़की को जानबूझकर अपनी गांड दिखा रही थी,,,। और राजु के लिए इस तरह के मौके बनते जा रहे थे,,, सोनी पेशाब कर चुकी थी इसलिए उसे पैसा बिल्कुल भी नहीं लगी थी लेकिन पेशाब करने की कलाकृति दिखाना जरूरी थी इसलिए वह वहीं पर बैठ गई क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी ख्वाइश होती और खूबसूरत औरत को,,,, उनकी बड़ी-बड़ी कहां देख कर और खास करके उन्हें पेशाब करता हुआ देखकर मर्द एकदम से उत्तेजित हो जाते हैं,,,, और वह भी यही चाहती थी कि राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए,,,,।
Apni saree ko kamar tak uthaye huye soni kamaal lag rahi thi

सोनी उसी तरह से बैठीरह गई गई सोने की जानकारी में उसे पेशाब करता हुआ आज तक किसी ने भी नहीं देखा था,,,, लेकिन यही उसकी भुल भी वह इस बात से अनजान थी कि राजू एक बार पहले भी से पेशाब करता हुआ देख चुका है और आज तो वह खुद जानबूझकर उसे दिखा रही थी,,, सोनी के खूबसूरत चेहरे की तरह उसकी गांड भी बहुत खूबसूरत थी वह भरी हुई गुदाज एकदम गदराई हुई,,,। जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था किसी से में झाड़ियों में घुस जाए और पीछे से बैठकर उसकी गांड में पूरा लंड डाल दें,,,, लेकिन वह‌ ऐसा नहीं करना चाहता था भले ही वह उसके आकर्षण के जाल में पूरी तरह से बंधा हुआ था लेकिन इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,,,।


सोनी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड की बड़ी-बड़ी फांकों को दोनों हाथों में लेकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और यह देखकर राजू के सब्र का बांध टूटता चला जा रहा था वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,। जो की पूरी तरह से पजामें में अपनी अकड़ दिखा रहा था,,। सोनी पूरी तरह से राजु को मस्त कर देना चाहती थी,,, इसलिए अपनी बड़ी-बड़ी काम को दोनों हथेली में भरकर हल्के हल्के दबा भी रही थी,,,, कुछ समय तक वह उसी तरह से बैठी रह गई,,,, वो जानती थी कि उसका काम हो गया है जिस तरह का जादू चलाना था वह जादू चल चुका है,,, इसलिए वह धीरे से खड़ी हो गई,,, लेकिन अपने साड़ी को नीचे करने से पहले और अपनी कच्छी को पहनने से पहले,,,,वो पीछे मुड़कर देखना चाहती थी पर ऐसा जताना चाहती थी कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,इसलिए थोड़ा सा नीचे झुकी और अपनी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर करनी चाही रही थी कि पीछे मुड़ कर देखने लगी और तुरंत राजु और सोनी दोनों की नजरें आपस में टकरा गई,,,,,, सोनी अगर गुस्सा करती तो राजू शर्मिंदा हो जाता लेकिन वह ऐसा नहीं चाहती थी क्योंकि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहते थे इसलिए वह राजू की तरफ देखते हूए बोली,,,।
Soni apni gaand ko raju ko dikha k sahla rahi thi


तुम आ गए,,, तुम कब आए,,,,(और ऐसा कहते हुए जानबूझकर उसकी आंखों के सामने ही अपनी चड्डी को पहनने लगी,,,, राजू आंखें फाड़े उसी को देखे जा रहा था,, उसकी सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, राजू उसके छोटी सी चड्ढी को देख रहा था,,, उसे बड़ी ताजुब के साथ साथ उत्तेजना भी छा रही थी,,,, सोनी चड्डी पहन चुकी थी,,,साड़ी को कमर से नीचे गिराने से पहले वह एक बार उसकी तरफ एकदम से खून गई थी वह चड्डी में क्यों अपनी फोटो भी बुरा जी को दिखाना चाहती तुझे अपनी उसकी कच्ची से पूरी तरह से चिपकी हुई थी और उपसी हुई नजर आ रही थी,,,,। राजू की आंखों के सामने उसकी छोटी सी छोटी थी और वह भी आगे से फुली हुई बुर वाली जगह का उभार कुछ ज्यादा ही था,,,,कमला चाची और अपनी बुआ की चुदाई कर चुका राजू अच्छी तरह से जानता था कि दोनों टांगों के बीच औरतों की बुर कौन सी जगह पर होती है,, ईस लिए सोनी की चड्ढी में फूली हुई जगह को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई है,,,।सोनी समझ गई थी कि जो कुछ भी उसमें दिखाई थी वह उसकी उत्तेजना के लिए काफी था क्योंकि उसकी नजर उसके पजामे में बने हुए तंबू पर चली गई थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,, और आपने साड़ी को कमर से नीचे गिरा कर,,, वह एक बेहद कामुकता भरे नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,,, ।

राजू के द्वारा पेशाब करता हुआ उसकी नंगी गांड देखने के बावजूद भी वह बिल्कुल सामान्य थी यह देखकर राजू को भी आश्चर्य हो रहा था उसमें किसी भी प्रकार की झिझक नहीं थी,,, वह बड़े आराम से झाड़ियों के बीच में से अपने साड़ी को दोनों हाथों से हल्के से पकड़ कर बाहर की तरफ आने लगी और बोली,,,)
Raju ko soni apni gaand dekhne ka bharpur mauka de rahi thi

मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी मुझे तो लगा तुम आओगे नहीं मुझे बडे जोरो की पिशाब लगी थी तो मैं इधर आ गई,,,,
(सोनी जैसी खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनकर और अभी एकदम खुले शब्दों में राजू की तो हालत खराब हो गई उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था उसके मुंह से पेशाब शब्द सुन कर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, और उसकी बात सुनकर हक लाते हुए बोला,,,)

ममममम,,, मैं तो कब से आ गया हूं तुम ही कहीं दिखाई नहीं दे रही थी तो पीछे चला आया,,,,।


कोई बात नहीं चलो आगे चलते हैं,,,,।
(इतना कहकर वो आगे आगे चलने लगी और पीछे-पीछे राजू राजू की बोलती बंद थी सांसो की गति तेज हो चुकी थी इतनी उत्तेजक और खूबसूरत औरत उसने आज तक नहीं देखा था उसकी बड़ी बड़ी गांड पर अपनी नजरों को गड़ाए वह उसके पीछे पीछे चलने लगा,,,)
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Naik

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राजू पढ़ने जाने के लिए तैयार हो गया था,,,, उसके मन में भी बेहद उत्सुकता,, थी,,,, पढ़ने के लिए नहीं बल्कि सोनी से मिलने के लिए उसके बाद खुशबू को अपने अंदर महसूस करने के लिए,,,, उसका गोरा चिकना बदन राजू के मन भा गया था,,,,,,,, जब इतनी खूबसूरत मैम साब पढ़ाने वाली होंगी तो पढ़ने में मन किसका लगेगा,,,,,,,अच्छे से तैयार होकर बालों में तेल लगाकर कभी करके घर से निकल गया था और वह भी अपनी मां और अपनी डूबा का आशीर्वाद देकर अपनी मां का पैर छूकर आशीर्वाद लेकिन उसे किसी भी प्रकार की दिक्कत नजर नहीं आ रही थी लेकिन उसकी मां की कया अनुसार उसकी बुआ के पैर छूने में उसे शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि उसकी बुआ के साथ उसके शारीरिक संबंध जो बन गए थे और वह उस औरत के पैर छूकर कैसे आशीर्वाद ले सकता है जिसकी रात भर चुदाई करता हो,,,,,,, पैर छूते वक्त भी राजू कैसा महसूस हो रहा था कि वह उसके पैर नहीं बल्कि उसकी बुर को हाथ लगा रहा हो,,,, राजू की असहजता को गुलाटी अच्छी तरह से पहचान गई थी इसलिए बात को संभालते हुए उस पर जोर देने लगी पैर छूने के लिए और वह पैर छु कर चला गया,, गुलाबी को भी अपने भतीजे को आशीर्वाद देने में असहजता महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह उसे आशीर्वाद दे दि वह भी अपने मन में यही सोच रही थी कि जो लड़का रात भर अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई करता हूं भला हुआ कैसे ऐसे लड़के को आशीर्वाद दे सकती है,,,, क्योंकि दोनों के बीच बुआ और भतीजा का रिश्ता तो खत्म हो चुका था एक औरत और मर्द का रिश्ता शुरू हो गया था,,,,।


दूसरे लड़के की पढ़ने के लिए तैयार हो चुके थे और रास्ते में सब इकट्ठा हो गए श्याम को राजू से पहले से ही जलन होती थी जब वह कमला चाची से बातें किया करता था और कमला चाची उसके ऊपर पूरी तरह से फिदा रहती थी अब तो छोटी मालकिन क्यों वहां पढ़ने जाना था और श्याम इसीलिए राजू से असहजता महसूस कर रहा था क्योंकि राजू उन सब में सबसे आकर्षक लड़का था और जब से हमने उसके मोटे तगड़े और लंबे लंड को देखा है तब से तो वह राजू से और ज्यादा जलने लगा है,,,, वह जानता था कि छोटी मालकिन भी उस पर ही फिदा हो जाएगी और उन लोगों की दाल गलने वाली नहीं है इसीलिए तो वहां छोटी मालकिन को राजू के बारे में बता ही नहीं रहा था वह तो अपने आप ही वह राजू का पता लगा ली थी,,,,,,

रास्ते में साथ साथ जाते हुए श्याम राजू को एक तरह से धमकाते हुए बोल रहा था,,,।

देख राजु वहां पर किसी भी प्रकार की चालाकी मत करना,,,,,, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,


क्या कर लेगा तू,,,, बोलना क्या कर लेगा तु,,, मैं वहां पर पढ़ने जा रहा हूं तेरी तरह ताका झांकी करने के लिए नहीं,,,,


इसीलिए कह रहा हूं कि वहां पर ज्यादा बनने की कोशिश मत करना,,,,(श्याम की बात सुनकर दूसरे लड़के उन दोनों को समझाते हुए अलग कर दिए,,, श्याम इस बात से हैरान था कि,,,वह कभी पलट कर जवाब नहीं देता था लेकिन अब उसकी बात का जवाब देने लगा था,,, यह बदलाव राजु में कैसे आया यह उसके समझ के बाहर था,,,, शायद यह बदलाव राजू मैं औरतों की संगत के कारण आया था वह बड़े अच्छे तरीके से औरतों को अपने लंड से संतुष्टि प्रदान कर रहा था,,,शायद औरतों को संतुष्टि प्रदान करने की ताकत की वजह से ही उसके व्यक्तित्व में बदलाव आने लगा था,,,,।



दूसरी तरफ सोनी बहुत खुश थी,,,,घर में बने गुसलखाने में वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर नहा रही थी,,, वैसे तो अगर वह ना भी ना आए तो कोई कह नहीं सकता था कि वह नहाई नहीं है एकदम गोरी चिट्टी होने के नाते वह हमेशा तरोताजा दिखाई देती थी लेकिन आज का दिन उसके लिए भी बहुत खास था आज वह अपने हुस्न का जादू पूरी तरह से राजू पर बिखेर देना चाहती थी,,,, इसलिए अपने बदन को रगड़ रगड़ कर नहा रही थी,,,,,,,
Soni nangi hone k bad

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बड़े घराने की होने के नाते घर में ही सब सुख सुविधा मौजूद थीं,,, घर में बने गुशलखाने में आदम कद का आईना लगा हुआ थाजिसमें सोनी अपने प्रतिबिंब को देख रही थी और मन ही मन अपनी खूबसूरती पर गर्व कर रही थी,,,,,, एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतार कर वह नंगी हो चुकी थी,,,,। केवल उसके बदन पर मरून रंग की कच्छी थी,,,,,, वह जानती थी कि गांव में कोई भी औरत कच्छी नहीं पहनती थी,,, और वैसे भी गांव में किसी औरत को कच्छी के बारे में कुछ भी पता नहीं था,,, इसलिए तो गांव की औरतें साड़ी के अंदर और सलवार के अंदर नंगी ही रहती है,,, शायद सोनी भी दूसरी औरतों की तरह कभी कच्छी ना पहनती अगर वह,,, अपने पति के साथ कुछ दिन के लिए शहर रहने ना गई होती कौन से निकलकर शहर पहुंचने के बाद वहां की चकाचौंध भरी जिंदगी देकर सोनी पूरी तरह से पागल हो गई थी,,, जल्द ही वहां पर उसने एक सहेली बना ली थी और उसी के चलते उसे इस बात का ज्ञान हुआ कि,,, साड़ी के अंदर और ब्लाउज के अंदर औरतों के लिए पहनने के लिए एक और वस्त्र होता है जिसे ब्रा और पेंटी कहा जाता है,,, लेकिन सोनी ब्लाउज के अंदर पहनने वाले वस्त्र को बुरा तो कहती थी लेकिन साड़ी के अंदर पहनने वाली पैंटी को कच्छी कहती थी,,,, और अपने सहेली के द्वारा वह अपने लिए दर्जनों अंतर्वस्त्र खरीद कर रखी थी उसकी जिंदगी बड़े अच्छे से कट रही थी लेकिन दुर्भाग्यवश उसके पति का देहांत हो गया और वह फिर से गांव वापस आ गई और अपने बड़े भाई के घर रहने लगी,,,, यहां पर आकर वह ब्रा पहनना बंद कर दी क्योंकि उसके भाई ने उसकी चूचियों को दबा दबा कर एकदम खरबूजा जैसा कर दिया था और ब्रा का साइज छोटा था और कभी कबार वह किसी खास मौके पर कच्छी पहनी थी थी जिसमें उसे काफी उतेजना का अनुभव होता था,,,।
Soni raju ko yad karke mast hote huye

आईने के सामने खड़ी होकर,,, सोनी अपनी कच्छी को अपनी नाजुक उंगलियों में फंसाकर धीरे-धीरे उतारना शुरू कर दी,,,,, और देखते ही देखते अपनी मांसल चिकनी सुडोल जांघों से होते हुए वह अपनी लंबी टांग में से उस मारो नारंग की कच्छी को निकालकर वही नीचे रख‌दी,,, और बड़ी प्यार भरी नजरों से अपनी दोनों टांगों के बीच बस दो इंच की ऊभरी हुई दरार को देखने के लिए जो भी हल्के हल्के बालों से घीरी हुई थी,,,,, अपनी हथेली को उस पर रखकर हल्के से दबाते हुए अपने मन में सोचने लगी कि मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी यही है जिसके चलते और इस दुनिया में किसी को भी अपने वश में कर सकती हैं अपना मनचाहा काम करा सकती है,,,,,, जैसा कि वह अपनी बुरके बदोलत अपने भाई को पूरी तरह से अपने वश में की हुई थी,,, और उसका भाई भी अपनी छोटी बहन के रूप जाल में पूरी तरह से बंध सा गया था,,,।
Soni ki masti

infiniti g37 0 60 time


सोनी अपनी बुर और हां तेरी रख कर उसे हल्के हल्के से सहला भी रही थी और उसे रगड़ कर गर्म भी कर रही थी,,, जिससे उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,
Soni raju k sath is tarah ki kalpna karte huye

उसे राजू याद आने लगा,,,, उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में लहराता हुआ नजर आने लगा जिसके बदौलत सोनी इतना तर कट रची थी,,,,यह सारा ताम झाम राजू के मोटे तगड़े लंबे लंड के प्रति आकर्षण का ही नतीजा था,,,वह किसी भी कीमत पर राजु के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर के अंदर लेना चाहती थी,,,,, उत्तेजना से भरी हुई सोनी वैसे भी पहले से ही कामुक औरत थी,,, और इस समय राजू टैलेंट को याद करके वह पूरी तरह मदहोश हो सो चुकी थी,,, उसकी बुर से काम रस टपक रहा था,,, ऊससे रहा नहीं जा रहा था और वह,,,, गुसलखाना का दरवाजा खोलकर गुसलखाने से बाहर निकल गई,, और वह भी एकदम नंगी,,, बेझिझक उसके चेहरे पर शर्म का कोई भाव नहीं था,,, वैसे भी वह जानती थी कि घर में कोई भी नहीं है और वह इस समय पूरी हवेली में एकदम अकेली थी इसलिए वह भी झिझक बिना कपड़ों के गुशल खाने से बाहर निकल गई थी और चहल कदमी करते हुए रसोई घर की तरफ जा रही थी,,,,

उसकी चाल एकदम मादक थी उसके नितंबों की थिरकन अद्भुत थी,,, कमर की बलखाहट,,, कयामत ढा रही थी छातियों की शोभा बढ़ा रही दोनों दशहरी आम सीना ताने किसी सरहद पर तैनात जवान कि तरह आगे बढ़ रही थी,,, दिन रात लाला मुंह में भरकर दबाती हुई अपनी बहन की चूची और कार आसान कर रहा था लेकिन फिर भी सोनी की चूचीयों की कडकपन बरकरार थी,,,, पतली कमर के नीचे मैं मदमस्त उभार ली हुई गांड,,, कि दोनों फांकें आपस में रगड़ खा रही थी जिससे पूरे बदन में और ज्यादा गर्मी पैदा हो रही थी,,, सोनी अपनी खूबसूरती और अपनी खूबसूरत बदन पर गर्व करते हुए और ज्यादा इतरा कर चल रही थी वह तो अच्छा था कि इस हार ने उसे देखने वाला इस समय कोई नहीं था अगर उसे हिसाब में कोई देख लेता तो शायद उसके साथ मनमानी करने पर उतारू हो जाता या तो देख भर पानी से ही उसका पानी निकल जाता वैसे भी सोने कीमत मस्त जवानी बेलगाम थी,,, और बेलगाम जवानी को काबू में करने के लिए हट्टा कट्टा नौजवान की जरूरत थी,,, जो अपने मदमस्त मोटे तगड़े लंबे लंड रुपी खूंटे में बांध सके,,,,

Soni raju ko yad karke began se maja le rahi thi


सोनी के लिए यह पहली बार नहीं था कि वह हवेली में इधर से उधर पूरे कपड़े उतार कर नंगी घूम रही हो ऐसा वह पहले भी कर चुकी थी,,,, खास करके लाला की मौजूदगी में क्योंकि वह खुद,,, अपनी छोटी बहन सोनी को घर में उसकी मौजूदगी में जब वह उस की चुदाई करके मस्त हो गया हो तब उसे बिना कपड़ों के हवेली में घूमने के लिए रहता था ताकि वह घर में इधर से उधर नंगी घूमती हुई अपनी बहन की नंगी बड़ी बड़ी गांड को देखकर और उसकी रबड़ के गेंद की तरह उछलती हुई चुचियों को देखकर फिर से जोश में आ सके और फिर से अपने लंड को खड़ा करके उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर सके और ऐसा होता भी था,,,,,

बिना कपड़ों के घर में इधर से उधर खूब मैंने सोनी को भी ज्यादा तेजना का अनुभव होता था और वैसे भी वह इस समय काफी उत्तेजित हो चुकी थी,,, रसोई घर में पहुंचते हैं अपने हाथों से तोड़ कर लाई हुई ताजी सब्जियों के बीच रखे हुए उस मोटे तगड़े लंबे बैगन को ढुंढने लगी जो कि वह आज सुबह-सुबह ही खेतों में जाकर सब्जियों के साथ तोड़कर अपने लिए लाई थी,,, उसे हाथ में लेते ही उसके गोरे गोरे गाल शर्म के मारे लाल हो गए ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथों में बैगन नहीं राजू का लंड आ गया हो,,,
वह तुरंत उस बेगन को लेकर वापस गुसल खाने में आ गई,,,।

ऐसा लग रहा था कि जैसे वह गुसल खाने में बेगन नहीं बल्कि किसी जवान लड़की को लेकर आई हो इस तरह से वह काफी उत्साहित नजर आ रही थी,,, वह अपनी हथेली में उस बेगन की मोटाई को लेकर राजू के लंड के बारे में सोच रही थी,,, अपने मन में उस बैगन की तुलना राजू के लंड से कर रही थी,,,, उस पर ढेर सारा थूक लगाकर वह एक टांग उठा कर टेबल पर रख दी और उस बैगन के टॉप को अपनी गुलाबी दूर के छेद के मुहाने पर रखकर धीरे धीरे उसे अंदर की तरफ जाने लगी और अपनी आंखों को बंद कर ली,,, आंखों को बंद करके वह राजू के बारे में कल्पना कर रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे राजू उसकी पतली कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने मौटे तगड़े लंड को उसकी बुर में डाल रहा हो,,,। इस ख्याल से सोनी पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी और एक ही बार में,, पूरे बैगन को अपनी बुर की गहराई में डाल दी,,, कुर्सी धीरे धीरे अंदर बाहर करते हो यह सोचने लगी कि राजू अपने लंड को उसकी बुर में डालकर धीरे-धीरे अपनी कमर हिला कर उसे चोद रहा है,,,,।
Nahane k bad

2018 infiniti q50 0 60

यह ख्याल उसके लिए पूरी तरह से मदहोश कर देने वाला था वह एकदम मस्त हुए जा रही थी,,,,ओहहह राजू और जोर से राजू और जोर से,,,, ऐसा कहते हुए सोनी पूरी तरह से बावली होकर बैगन से मजा ले रही थी,,,, और देखते ही देखते वह एकदम से झड़ गई,,, इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव वह पहली बार कर रही थी,,,, शांत होने के बाद वह बैंगन का पानी से धोकर वही रख दीऔर नहाने के बाद उसे अपने साथ वापस लेकर आई और रसोई घर में रखकर अपने कमरे की तरफ चल दी और वह भी उसी तरह से एकदम नंगी,,,,।
Taiyar hone k bad


थोड़ी ही देर में वो बड़े अच्छे से तैयार हो गई सोनी पहले से ही ज्यादा खूबसूरत थी लेकिन आज उसकी खूबसूरती निखर कर सामने आ रही थी और वह,,, आम के बगीचे की तरफ चल दी,,,।
Bahot khoob shaandaar update bhai
 

Naik

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सोनी आज बहुत खुश नजर आ रही थी,,,, जिसे वह महीनों से ढूंढ रही थी आज वह उसके पास पढ़ने के लिए आ रहा था सोनी को यह पता नहीं था कि वह उसे वास्तव में शिक्षा का अभ्यास कराने के लिए बुला रही थी या,,, संभोग कला के अध्याय के हर एक पन्ने को बड़ी बारीकी से पढ़ाने के लिए,,,,,,, सोनी को अपनी मदमस्त जवानी पर पूरा भरोसा था कि वह राजू को अपनी दोनों टांगों के बीच लेकर आएगी,,, और अपनी प्यासी जवानी की प्यास बुझाएगी,,, राजू के जबरदस्त लंड की वजह से उसकी रातों की नींद हराम हो गई थी,,, दिन रात उसकी आंखों के सामने राजू का टनटनाया हुआ लंड ही नजर आता था,,। जिसे पाने के लिए उसे अपनी बुर के अंदर लेने के लिए उसका तन बदन मचल रहा था,,,,,।किसी भी हाल में वह राज्यों को अपने आगे घुटने टेक देने पर मजबूर करने के लिए पूरी तैयारी के साथ घर से निकली थी,,, अपने नितंबों पर साड़ी का कसाव कुछ ज्यादा ही बढ़ा कर उसने साड़ी को पहनी थी,,, ताकि उसकी गांड और ज्यादा बड़ी लगे क्योंकि वह अच्छी तरह से जानते थे कि मर्दों की निगाह औरतों के किस अंग पर सबसे पहले पडती है और सबसे ज्यादा आकर्षित करती है,,, औरतों की बड़ी बड़ी गांड देखकर ही मर्दों की उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाती है इसीलिए वह किसी भी प्रकार की कसर छोड़ना नहीं चाहती थी वह चाहती थी कि उसकी बड़ी-बड़ी मटकती गांड देखकर राजू पूरी तरह से मदहोश हो जाए उसका ईमान डगमगा जाए,,,, और इसीलिए ब्लाउज भी अपनी चूचियों की साईज से छोटा ही पहनी थी,,, और उसकी चुचियों की बीच की गहरी लकीर काफी लंबी नजर आ रही थी,,,, और आधे से ज्यादा चुची ब्लाउज से बाहर जा रही थी,,,, और आज उसने साड़ी भी पारदर्शी पहनी हुई थी जिसमें से सब कुछ नजर आ रहा था,,, कुल मिलाकर यह सब सोनी ने राजू के लिए जाल बिछा कर रखी थी उसे एक पंछी की तरह अपनी जवानी के जाल में फंसाना चाहती थी,,,,और वैसे भी दुनिया का कौन सा मर्द होगा जो ऐसी खूबसूरत औरत की मदमस्त जवानी के जाल में फंसना चाहता हो,,,,,,

Soni ki badi badi chuchiyo ko dekh kar raju ka man use dabane ka kar raha tha

आम का बगीचा सोनी का ही था गांव से अलग होने की वजह से यहां पर कोई आता जाता नहीं था इसलिए शिक्षा और संभोग के लिए ये जगह बहुत अच्छी थी,,,,,,, सोनी ऊंची नीची पगडंडियों से होती हुई आगे बढ़ रही थी और ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखने की वजह से उसकी गांड की थिरकन कुछ ज्यादा ही बढ़ जा रही थी,,, बेहद मादक और अद्भुत दृश्य था,,, सोनी को इस तरह से ऊंची नीची पगडंडियों पर चलते हुए देखना भी,,किस्मत की बात थी उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड की चाल देखकर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता था और यह बात सोनी भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, उसके लिए यह बात सबसे अच्छी थी कि वह काम से बाहर रहती थी और गांव और बगीचे के बीच का रास्ता हमेशा सुनसान रहता था,,,, इसलिए उसकी ऐसी मादक चाल देखने वाला वहां कोई नहीं था,,,।
थोड़ी देर में चलते-चलते सोनी अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच गई,,, आम का बगीचा काफी बड़ा था,, और काफी खाना भी था उसे उसे बड़े-बड़े पेड़ और सभी पेड़ों पर आम लगे हुए थे,,,,, लदा लद आम लगे होने के कारण नजारा काफी खूबसूरत दिखाई दे रहा था,,,,,,, आम के बगीचे में एक झोपड़ी नुमा घर बना हुआ था,,,, जिसमें आम की रखवाली करने वाला माली रहता था लेकिन अभी वहां कोई नहीं रहता था,,,, पास में ही पानी पीने के लिए हेड पंप लगा हुआ था,,,,।
Raju ko yad karke soni ki chut gili huyi ja rahi thi

राजू श्याम और उसके दोस्त एक घने पेड़ के नीचे खड़े होकर सोनी का इंतजार कर रहे थे,,,,वह लोग आम के बगीचे को चकर पकर देख रहे थे क्योंकि उनमें से कोई भी यहां पर कभी भी नहीं आया था और इतने सारे आम लगे होने की वजह से वह लोगों के मुंह में पानी आ रहा था,,,, राजू को तो केवल सोनी का ही इंतजार था,,,, और सामने से आती हुई देखकर राजू का मन हर्षोल्लास से भर गया,,, उसके दिल की धड़कन तेज हो गई ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान से उतरकर कोई परी उसके सामने चलती हुई उसके पास आ रही हो,,,, अद्भुत मादस चाल देखकर राजू के साथ साथ बाकी लोगों का भी दिल मचलने लगा था,,,, सोनी बला की खूबसूरत थी,,,,। सभी के सभी आख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,, उसका जलवा खूबसूरती अद्भुत थी,,,। पास में पहुंचते ही वह लोग शालीनता दिखाते हुए हाथ जोड़कर सोनी का अभिवादन किया जवाब में इतना भी मुस्कुरा कर उन लोगों का अभिवादन की,,,, खास करके उसकी नजर राजू पर ही टिकी हुई थी उसका भोला मासूम चेहरा देखकर सोनी को यकीन नहीं हो रहा था कि इतने मासूम भोले चेहरे वाले लड़के के पजामे में बलशाली औजार होगा,,,।

वह मादक मुस्कान बिखेरते हुए राजू से बोली,,,,

तुम जाओ पहले उसमें से टेबल लेकर के आओ,,,(उस घास फूस की झोपड़ी की तरफ उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,आते ही राजू से बातचीत की शुरुआत होते ही राजू तो मन ही मन प्रसन्न होने लगा लेकिन श्याम अंदर ही अंदर क्रोधित होने लगा खुश होकर राजू तुरंत और छोकरी की तरफ गया और लकड़ी से बने दरवाजे को धीरे से खोलकर अंदर से टेबल लेकर बाहर आ गया,,,,।)
Soni apni chut ki pyas apni ungliyo se bujhane ki koshis karte huye


हां ठीक है इसे यहां पर रख दो,,,,(आपके घने पेड़ के नीचे छांव देखकर सोनी वही टेबल रखने के लिए बोली जिस पर बैठकर वह उन लोगों को पढ़ाने वाली थी,,, राजू अच्छे से साफ करके टेबल वही रख दिया,,,, खास करके टेबल के ऊपर वाले भाग को वह अच्छे से साफ करके धुल मिटटी साफ कर दिया था ताकि,,,उसकी साड़ी गंदी ना हो जाए क्योंकि टेबल पर ही वह अपनी खूबसूरत गांड रखकर बैठने वाली थी,,,,, राजू के हाऊ भगत को देखकर सोनी मन ही मन खुश होने लगी और मुस्कुराते हुए टेबल पर अपनी गांड रख कर बैठ गई,,,,)

अब तुम लोग बैठ जाओ,,,,

(सोनी की बात सुनते ही लड़की नीचे जमीन पर बैठ गए,,, और वह एक शिक्षिका के तौर पर उन लड़कों से बोली,,)

आज तुम लोगों का पहला दीन है,,,, इसलिए एक दूसरे का परिचय होना जरूरी है,,,, मेरा नाम सोनी है,,,, और तुम लोग अपना नाम एक-एक करके बताओ,,,,
(उसकी बात सुनकर सब लड़के बारी-बारी से अपना नाम बताने लगे,,, राजू की बारी है आते ही सोनी बोली)

तुम्हारा नाम क्या है,,,,


मेरा नाम राजू है,,,

बड़ा प्यारा नाम है,,,,
(इतना कहकर सोनी मुस्कुराने लगी राजू को भी सोने की बातें उसकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी लग रही थी खास करके उसका ध्यान सोनी की छातियों पर जा रहा था,,, क्योंकि पारदर्शी साड़ी पहनी होने की वजह से उसकी भरपूर छातियां अपने संपूर्ण आभा बिखेर रही थी,,, राजू के मुंह में तो पानी आ रहा था ऐसा नहीं था की सिर्फ राजू की नजर उस पर थी,,, बाकी लड़कों की भी नजर उसकी गोलाकार छातियों पर जा रही थी ऐसा लग रहा था कि सभी के सभी पढ़ने नहीं करती उसे ताकने झांकने के लिए आए हैं,,, अपने नाम की तारीफ सुनकर राजू से भी रहा नहीं गया और वह भी जवाब में बोला,,,)


तुम्हारा नाम भी बहुत खूबसूरत है,,,सोनी,,, हम लोग आपको सोनी दीदी कह कर बुलायेंगे,,,

सोनी दीदी,,,,( राजू के मुंह से सोनी दीदी सुनकर वह अपने आप में ही बोलते हुए अपने मन में सोचने लगी कि सोनी दीदी,,,, अगर इन लड़कों के साथ राजू कि मुझे सोनी दीदी कहेगा तो मैं तो उसकी बड़ी बहन हो जाऊंगी तभी उसके मन में ख्याल आया कि वैसे तो वह अपने बड़े भाई की भी छोटी बहन है फिर भी तुम अपने बड़े भाई से चुदवाती है अगर राजू भी उसे चोदेगा तो कौन सी आफत आ जाएगी,,, मन में यह ख्याल आते ही उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी और वह मुस्कुरा कर बोली,,,)

ठीक है तुम लोग मुझे सोनी दीदी कहना,,,, अच्छा यह तो हो गया हम लोगों का परिचय अब थोड़ी पढ़ाई कर लेते हैं इससे पहले तो तुम लोग कभी पढ़े नहीं होगे,,,
Soni ki madhosh jawani



जी सोनी दीदी,,,,(श्याम एकदम से बोला क्योंकि वह भी सोनी से किसी भी तरह से बातचीत करना चाहता था)


ठीक है इसलिए तुम लोगों को शुरू से पढ़ाना होगा तभी जाकर कुछ सीख पाओगे वरना कुछ नहीं आएगा,,,,,, तुम लोग पहले थोड़ा थोड़ा दूरी बना कर बैठ जाओ क्योंकि तुम लोगों के पास लिखने के लिए पाटी नहीं है,,,कुछ दिन तक ऐसे ही पढ़ लो उसके बाद में तुम लोगों को पाटी लाकर दूंगी तब उस पर लिखना,,,।


ठीक है दीदी,,,,(उनमें से एक लड़का बोला और सभी लोग अपने से थोड़ी थोड़ी दूरी बना कर बैठ गए,,,)

हां अब ठीक है,,,,अब मैं तुम लोगों को क ख ग घ सिखाऊंगी,,,,(इतना कहते हुए वह टेबल पर से उठ कर खड़ी हो गई,,,जिस पेड़ के नीचे बैठी थी उस पेड़ की तरफ मुंह करके कुछ सोचने लगी ऐसा करने पर उसकी पीठ उन लड़कों की तरफ हो गई और सभी लड़कों की नजर उसकी कसी हुई गांड पर चली गई जो कि बेहद आकर्षक लग रही थी उसकी पतली चिकनी कमर देख कर ऊन लड़कों का ईमान फिसल रहा था,,, श्याम की भी हालत पतली हो रही थी राजू पूरी तरह से उसके रूप रंग का दीवाना हो गया था,,, राजू अच्छी तरह जानता था कि साड़ी के अंदर वह गजब का माल छुपा कर रखी है क्योंकि वह इकलौता सक्सेना उन लड़कों में जिसने अपनी आंखों से सोनी की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते हुए देखा था,,, और उसकी मदमस्त गोरी गोरी गोल गांड को देखकर उसका दीवाना हो गया था और साथ ही पेशाब करते समय उसकी बुर से निकल रही मधुर आवाज को सुनकर वह पूरी तरह से बावला हो गया था जिसके चलते वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था और उसी जगह पर उसे पेशाब करते हुए देख कर मुठ मारना शुरू कर दिया था और वहीं पर अपना पानी गिरा दिया था,,,,बाकी के लड़के तो सिर्फ उसके बारे में कल्पना भर कर सकते थे लेकिन राजू ने जो देखा था शायद इस बारे में उन लोगों को आभास तक नहीं था इसीलिए तो राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी कसी हुई साड़ी के अंदर कैसा बवाल छुपा हुआ है जिसे देख कर राजू का लंड तुरंत खड़ा हो गया था,,,,। सोनी कुछ देर तक पेड़ की तरफ देखकर सोचती रही फिर वापस मुड़कर,,, राजू से बोली,,,।


राजू तुम मेरे साथ चलो झोपड़ी में से ब्लैक बोर्ड लाना है,,,(ऐसा कहते हुए वहां अपनी साड़ी की किनारी को अपनी कमर में खोसने लगी यह नजारा राजू के साथ सर बाकी लड़कों के लिए भी जान लेवा था मांसल चिकनी कमर देखकर सभी लड़कों के मन पर भारी असर हो रहा था सोनी की बात सुनकर,,, राजू आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)

क्या क्या-क्या लाना है दीदी,,,,


अरे तुम चलो तो सही,,,(सोनी अच्छी तरह से जानती थी कि ब्लैक बोर्ड के बारे में इन लोगों को कुछ भी पता नहीं है इसीलिए वह बताना नहीं बल्कि दिखाना चाहती थी,,,, और इतना कहकर वह आगे आगे चलने लगी,,,,राजू अपनी जगह पर खड़ा हो गया था और उसके पीछे-पीछे चलने लगा था उसके पीछे-पीछे चलने में भी राजू की हालत खराब हो रही थी क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसकी मतवाली मदमस्त बड़ी बड़ी गांड मटक रही थी उसे देखकर राजू का मन कर रहा था कि आगे बढ़ कर उसकी गांड को अपनी बाहों में भर लें और उस पर चुंबनों की बरसात कर दें,,, सोने की जवानी पूरी तरह से गदराई हुई थी उसकी जवानी को रोंदने वाला उसके रस को निचोड़ने वाला मर्द अभी तक उसे मिला नहीं था,,, इसलिए उसकी जवानी और ज्यादा उफान मार रही थी,,,, श्याम और उसके साथी उन दोनों को जाते हुए देखते रह गए उसकी मटकती हुई गांड को देखकर श्याम आपने साथी से बोला,,)

हाय क्या चीज है यार कसम से अगर ये अपनी आंखों के सामने कपड़े उतार कर नंगी हो जाए तो मुझे तो लगता है कि हम लोगों का खड़े-खड़े पानी निकल जाए,,,,


हां यार सच कह रहा है तू शायद इसकी जवानी को संभाल पाना अपने लोगों के बस की बात नहीं है,,, इसलिए तो राजू ही ठीक है,,,,,
(अपने साथी की इस तरह की बातें सुनकर श्याम उसे गुस्से से देखने लगा और बोला)

क्यों रे पागल हो गया क्या तू हम लोगों में कौन सी कमी है जो हम लोग इसकी जवानी को संभाल नहीं पाएंगे,,,


अरे यार तू नाराज मत हो लेकिन तो यह बात अच्छी तरह से जानता है कि औरतों को मोटे तगड़े लंबे लंड से ही मजा आता है और राजू का लंड देखा हा ना तु तेरी बोलती बंद हो गई थी,,,,
(राजू के लंड का जिक्र आते ही श्याम खामोश हो क्या क्योंकि वह अपनी आंखों से देख चुका था वाकई में उसका लंड एकदम मुसल कि तरह था,,, उन लोगों की बात सुन उनका एक साथी बीच में बोल पड़ा ,,,)


अरे तुम लोगों की शामत आई है क्या अपनी मौत को दावत दे रहे हो,,, उसके बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे हो अगर पता है उसे भनक लग गई तो क्या होगा,,,,, साले मारे जाओगे पता भी नहीं चलेगा कहां चले गए लाला की बहन है,,,, और उसके पास हम लोगों की सब लोगों की जमीन गिरवी पड़ी है कुर्सी पता चल गया कि तुम लोग उसकी बहन के बारे में गंदी गंदी बातें करते हो तो तुम्हारी जुबान खींच लेगा,,,,


(उसकी बात सुनते ही सब खामोश हो गए क्योंकि जो कुछ भी वह कह रहा था वह सच था ,,, लाला बहुत हारामी था और उसके पास सभी लोगों की जमीन गिरवी पड़ी थी इसलिए कोई भी उससे जानबूझकर भी दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहता था इसलिए वह लोग एकदम खामोश बैठे हैं और राजू और सोनी दोनों ऊस छोटे से झोपड़ी के करीब पहुंच गए,,,,।)

अब क्या करना है दीदी,,,,


दरवाजा खोलो,,,,,

(इतना सुनते ही राजू लकड़ी के दरवाजे को धीरे से खोल दिया पहले सोनी जोकि लंबाई में थोड़ी बड़ी होने के नाते अंदर प्रवेश करते समय थोड़ा सा झुककर अंदर की तरफ जाने लगी और इस तरह से झुकने में उसकी बड़ी बड़ी गांड बाहर की तरह उभर कर सामने आ गई है देखकर राजू का मन कर रहा था कि उसे पीछे से पकड़ ले उसके साड़ी कमर तक उठाकर उसकी चुदाई कर दें लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसने बिल्कुल भी नहीं दी क्योंकि वह यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,, सोनी के अंदर प्रवेश करते ही राजु भी पीछे पीछे हल्का सा झुककर अंदर घुस गया,,, अंदर पहुंचते ही बोला,,,)

Soni ki tu thirkati huyi badi badi gaand dekhkar raju ekdam madhosh gaya

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अब क्या करना है दीदी,,,?


कहीं-कहीं ब्लैक बोर्ड रखा होगा,,, उसे ढूंढना है,,,(सोनी इधर-उधर चकर पकर देखते हुए बोली,,हालांकि वह झूठ तो रही थी ब्लैकबोर्ड लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह किसी भी तरह से राजु को अपनी जवानी का जलवा दिखाना चाहती तो उसे अपनी जवानी का रस खिलाना चाहती थी उसे उत्तेजित करना चाहती थी इसीलिए उस बारे में युक्ति सोच रही थी,,,)

दीदी तुम जो कुछ भी कह रही हो इस बारे में मुझे बिल्कुल भी पता नहीं है,,,

मैं जानती हूं राजू,,,,(इतना कहते हुए उसे ब्लैक बोर्ड दिखाई दे क्या जो की झोपड़ी के अंदर थोड़ी ऊंचाई पर रखा हुआ था,,,, वह चाहती तो टेबल पर चढ़कर उसे उतार सकती थीलेकिन उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था क्योंकि झोपड़ी के अंदर आते ही उसकी नजर सीडी पर पड़ी थी जो कि तीन चार पट्टे की ही थी ज्यादा ऊंचाई उसकी नहीं थी और वह राजू को उत्तेजित करने के लिए उसी सीडी का उपयोग करना चाहती थी,,,)

राजू तुम वो सीढ़ी लेकर आओ,,,,(उंगली से कोने की तरफ इशारा करते हुए बोली और राजू तुरंत वह सीढी लेकर आ गया,,,)
Soni ki saree raju k hatho is tarah se kamar tak uth gayi thi

how to remove duplicates
लो दीदी,,,,(इतना कहते हुए वह सीडी को सोनी के एकदम करीब अपने हाथ का सहारा देकर रखते हुए बोला सोनी राजू की हर एक हरकत को देख रही थी उसे देखकर उत्तेजित होने जा रही थी बार-बार उसे उसके पजामे के अंदर उसका लंड झुलता हुआ नजर आ रहा था,,, सोने के मन में क्या चल रहा है राजू को इसका आभास तक नहीं था,,, अगर उसे पहले से ही सोने के मन का आभास हो जाता तो शायद यह सारा तिकडम रचाना ही नहीं पड़ता,,, अब तक तो वह सोनी की साड़ी उठाकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,,,,,, सोनी उस छोटी सी सीढ़ी को बड़े गौर से देख रही थी नीचे से दूसरे नंबर की पाटी,, एकदम ढीली थी जो कि कभी भी टूट सकती थी,,, और उसी को देखकर उसके मन में युक्ति जन्म ले रही थी उसका दिमाग बड़ी जोरों से चल रहा था शायद ऐसे मामले में उसका दिमाग और ज्यादा तेज चलने लगता था,,, सोनी जानबूझकर सीढ़ी के नीचे वाले पाटी की मजबूती परखने के लिए नीचे की तरफ झुक गई जिसकी वजह से उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया और उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचियां,,,,जो कि जंगली कबूतर की तरह ब्लाउज के अंदर कैद अपने पंख फड़फड़ा रहे थे वह तुरंत बाहर आने के लिए बेकाबू हो गए,,,, सोने की भारी-भरकम छातियों को देखते हुए राजू की हालत खराब हो गई,,,, राजू का मन एकदम से ललच उठा,,,उसकी चुचियों को देखते ही राजु मन में ख्याल आने लगा कि एक एक चूची 1 लीटर दूध से भरी होगी,,,,जिसे मुंह में भर कर पीने में बहुत मजा आएगा,,,, चुचियों के साईज से छोटा ब्लाउज अपने छोटे-छोटे बटन के सहारे ना जाने कैसे उसकी भारी-भरकम चुचियों को सहारा देकर थामे हुए था,,,,,,अगर थोड़ा सा और झटका खाता तो शायद उसके ब्लाउज के बटन चरचरा कर टूट जाता है और उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियां एकदम से बाहर आकर राजू से गुफ्तगू करने लगती,,,,राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि कहां से उसके ब्लाउज का बटन टूट जाता है तो उसे उसकी नंगी चूचियों को देखने का मौका मिल जाता नंगी गांड के दर्शन तो वह झाड़ियों में कर ही चुका था,,, वह एकटक आंखें आंखें झुकी हुई सोनी की ब्लाउज में लटक रहे चुचियों को देख रहा थाइस बेहद कामोत्तेजक नजारे का असर राजू को अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,, उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया था,,, और सोनी अपनी जाल फेंकने में कामयाब हो गई थी लेकिन वह तसल्ली कर लेना चाहती थी कि वह पूरी तरह से अपनी चाल में कामयाब हुई है कि नहीं क्योंकि वह जानबूझकर इस तरह से चुकी थी और अपनी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा ही थी यही देखने के लिए राजू की तरफ देखिए कि वह उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है कि नहीं और उसे अपनी चूचियों की तरफ पागलों की तरह देखता पाकर वह मन ही मन खुश होने लगी,,,, जितना झलक दिखाना था उतना सोनी ने दिखा चुकी थी और मुस्कुरा कर अपने पल्लू को पकड़कर खड़ी होते हुए अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर रखकर दोनों हाथों से उसे अपनी छातियों पर खींचकर ढकते हुए बोली,,,
Is halaat me raju ka man soni ki chudai karne ko kar raha tha


बाप रे मुझे तो शर्म आ रही है,,,,(राजू अभी भी उसकी भारी-भरकम छातियों की तरफ देख रहा था,,, राजू को इस तरह से ताकता हुआ देख कर सोनी को अपनी बुर में कुछ होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, सोनी की बात सुनकर राजू बोला,,,)

किस बात के लिए दीदी,,,


इसीलिए कि मेरा साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिर गया,,,


अरे वह तो जानबूझकर थोड़ी ना गिरा है अनजाने में गिर गया,,,,,


हां कह तो तुम सच ही रहे हो,,,,(इतना क्या करूं मुस्कुराने लगी,,, और सीढ़ी को यह जगह लगाने के लिए बोल कर वह बोली,,,)

संभाल तो लोगे ना,,,


हां दीदी सामान तो लूंगा लेकिन मुझे कह दो मैं उतार दूंगा क्या उतारना है,,,


तुम्हें अगर मालूम होता तो तुम ही को बोलती लेकिन तुम्हें मालूम नहीं है इसलिए मुझे ही उतारना होगा,,,, तीन चार लकड़ियों के के बीच दबा हुआ है,,,,,,,


ठीक है दीदी तुम सीढ़ी पर चढ़ो मै संभाल लूंगा,,,


मेरा वजन ज्यादा है राजू,,,



कोई बात नहीं दीदी मैं भी हट्टा कट्टा जवान हूं आराम से संभाल लूंगा,,,
(राजू की बात सुनते ही सोनी मन ही मन मुस्कुराने लगी और अपने मन में ही बोली इसीलिए तो अपनी जवानी तुझे सोपने का इरादा कर लि हुं)

चलो तुम पर मुझे पूरा भरोसा है आराम से पकड़ना,,, दूसरे नंबर की पाटी एकदम कमजोर है,,,(सीढी को योग्य स्थान पर लगाते हुए वह बोली,,)

चिंता मत करो दीदी में गिरने नहीं दूंगा,,,(राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था सोनी के तन से उठा रही मादक खुशबू राजू को मदहोश कर रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था इतने करीब से वह सोनी के खूबसूरत बदन की गर्मी को अपने अंदर महसूस कर रहा था हालांकि वह पहले भीसाड़ियों के अंदर सोने की नंगी गांड को देख चुका है उस के नंगे पन के दर्शन कर चुका है लेकिन इस समय के हालात कुछ और थे,,, सोनी के द्वारा बिना कपड़े उतारे ही राजू पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, इसका असर उसे अपने दोनों टांग के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, राजू की बात सुनकर वह तसल्ली के साथ सीढ़ी पर चढ़ने लगी पहली सीढ़ी पर पैर रखने से पहले वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा उठा कर अपनी कमर में खोंश दी जिससे उसकी साड़ी उसके घुटने तक उठ गई और उसकी नंगी दूधिया चिकनी पिंडलिया नजर आने लगी,,,जिसे देखते ही राजू की आंखों में हमारी जाने लगी राजू का मन उसकी नंगी चिकनी टांगों को छूने का कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,, झोपड़ी के अंदर क्या हो रहा है बाहर बैठे लड़कों को इसका अहसास तक नहीं था लाला की बहन होने के नाते वालों किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहते थे इसलिए वहीं बैठे रह गए ,,, हालांकि उन लोगों के मन में भी उत्तेजना का सैलाब रहा था लेकिन किसी तरह से वह लोग अपने आप पर काबू किए हुए थे,,,


राजू की किस्मत बड़े जोरों पर थी कुछ ही दिन में उसे एक-एक करके नई-नई औरतों का संगत प्राप्त होता जा रहा था पहले कमला चाची फिर उसकी खुद की जवान होगा और अब लाला की बहन सोनी जो अपनी जवानी के जलवे बिखेर रही थी,,,, सोनी का भी दिल जोरों से धड़क रहा था साड़ी को थोड़ा सा उठा कर कमर मैं खोसने की जगह वह अपने मन में सोच रही थी कि क्यों ना साड़ी को कमर तक उठाकर राजू को अपने नंगे पन का दर्शन करा दे अपनी बुर्का दर्शन करा दे जिसे देखकर वह पूरी तरह से बावला हो जाए और उसका गुलाम बन जाए,,, लेकिन ऐसा करना शायद उसके भी संस्कार में नहीं था खुले तौर पर वह इस तरह की हरकत नहीं करना चाहती थी भले ही वह अपनी कामुक अवस्था को संभालना पा रही हो लेकिन खुले तौर पर इस तरह की हरकत उसे भी मंजूर नहीं थी वह इस खेल में धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहती थी,,,, ताकि राजू को भी लगे कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी और वह अपनी एक टांग सीढ़ी पर रखकर चढना शुरु कर दी थी पहली सीढ़ी मजबूत थी इसलिए उसे दिक्कत नहीं हुई लेकिन वो जानती थी कि दूसरी सीढ़ी कमजोर है और उस पर धीरे से पैर रखकर वह आगे बढ़ने लगी दूसरी सीढ़ी पर पहुंचते ही टांग उठाने की वजह से उसकी गोलाकार गांड बड़े-बड़े तरबूज की तरह उभर कर सामने आ गई,,, मानो कि जैसे खेतों में झाड़ियों के बीच सबसे बड़ा तरबूज उठाए खड़ा हो,,,,गोल गोल गांड देख कर राजू की हालत खराब हो रही थी उसका मन कर रहा था कि अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी गांड को थाम ले उसकी गर्मी को अपने अंदर महसूस करें,,, लेकिन वह सिर्फ देखता ही रह गया,,, देखते ही देखते सोनी तीसरे सीढ़ी पर चढ़ चुकी थी और नीचे खड़ा राजू,,, नजर उठाए ऊपर की तरफ देख रहा था उसकी कोशिश पूरी थी कि उसकी नजर उसकी साड़ियों के बीच अंदर तक पहुंच जाएं लेकिन सोनी नहीं पीनी भी साड़ी ऊपर नहीं उठाई थी कि उसकी नजर उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच पाती अंदर बहुत अंधेरा था इसलिए उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था,,, सोनी राजू को बराबर समय दे रही थी ताकि वह उसकी खूबसूरत जवानी के रस को अपनी आंखों से पी सके,,,,,,।


ठीक से पकड़े रहना राजू,,,, कहीं में गिर ना जाऊं,,,


नहीं गिरोगी दीदी मैं पकड़ा हूं,,,


अरे सीढ़ी नहीं मेरे पैर पकड़ मेरे पैरों में कंपन हो रहा है मेरा पैर कांप रहा है,,,, कहीं में गिर ना जाऊं,,,,
(फिर पकड़ने वाली बात सुनकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा एक तरह से उसके नंगे जिस्म को छुने का आमंत्रण था और वह ऐसा मौका भला कैसे अपने हाथ से जाने देता उसकी बात सुनते ही तुरंत सीढ़ीयों को छोड़कर वह सोने की टांग को पकड़ लिया और वही उसकी पिंडलियों को जिसे अपनी हथेली में दबाते ही उसका तन बदन जोश से भर गया,,,, और सोनी की भी हालत खराब हो गई राजू के प्रति को पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी थी इसलिए कहा क्योंकि हथेली अपनी नंगी चिकनी टांग पर पढ़ते हैं उसकी बुर से मदन रस की बूंद टपक गई यह सोने की तरफ से राजू के चरणों में समर्पण का भाव था और पूरी तरह से राजू को समर्पित हो चुकी थी मन से लेकिन अभी तन से बाकी था,,,,)

अब ठीक है ना दीदी,,,


हां राजू संभालना,,,
(राजू का तो लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था पजामे में तंबू सा बन गया था,,,, सोनी ऊंचाई पर रखे हुए ब्लैक बोर्ड को उतारने लगी जो कि दो चार लकड़ियों के नीचे रखा हुआ था,,,,ब्लैक बोर्ड को उतारते समय उसके मन में गई हो रहा था कि राजू जिस तरह से नीचे खड़ा होकर ऊपर की तरफ देख रहा है अगर वह अपनी साड़ी को उठाकर थोड़ा और ऊपर कर दी होती तो उसे उसकी जवानी की दहलीज नजर आने लगती,,,और , राजू को वह पूरी तरह से अपना दीवाना बना देती,,,,लेकिन जितना भी व कर रही थी राजू के लिए काफी था राजू पूरी तरह से अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था एक तो उसके बदन से उठ रही खुशबू उसके होश उड़ा रही थी,,, और ऊपर से वह उसकी नंगी पिंडलियों को पकड़े हुए था जिससे उसका जोश दुगुना होता जा रहा था,,,। उत्तेजना के मारे सोनी को भी अपनी कच्छी गीली होती महसूस हो रही थी,,।

जिस चीज को वह ढूंढ रही थी वह मिल चुका था वह उसके हाथों में था अब नीचे उतरना चाहती थी,,,, इसलिए मैं अपना एक पैर नीचे की तरफ लाकर पाटी,, पर रख दी,,,बार-बार राजू की नजर उसकी गोलाकार गांड पर चली जा रही थी जो कि ऊपर नीचे पैर करने की वजह से उसकी गांड कुछ ज्यादा ही उभरकर बड़ी हो जा रही थी जिसे अपने दोनों हाथों में थामने का मन कर रहा था,,,,, सोनी भी यही चाहती थी कि राजू अपने हाथों में उसकी दोनों गांड की फाको को थाम ले,,, और अपने मन में बस यही सोच ही रही थी वह सोच रही थी आखिरी सीढ़ी जब आएगी तो जरूर वह कुछ ऐसा करेगी जिससे राजू को उसकी गांड पकड़ना ही पड़ेगा,,,,। अंतिम दो सीढ़ी बाकी थी और दूसरे नंबर की सीढ़ी कमजोर थी वह तीसरी सीडी पर आराम से खड़ी थी,,,, राजू ठीक सीढ़ियों के इर्द गिर्द अपनी दोनों टांगों को रखकर बीचो-बीच खड़ा था,,, ताकि अगर सोनी गिरे तो वह उसे थाम ले,,,,वह दूसरी सीढ6 पर अपने पैर रखती ईससे पहले ही उत्तेजना के मारे वो एकदम से लड़खड़ा गई,,,,

अरे अरे राजू देखना,,,,( और उसका इतना कहना था कि उसका पैर फिसल गया तीसरी सीढ़ी से ही नीचे फिसल कर गिरने लगी,,,,, लेकिन राजू पूरी तरह सचेत था एकदम तैनात,,,, वह सोनी की टांगों को पकड़े रह गया और उसकी हथेली उसकी नंगी चिकनी टांग ऊपर फिसलते हुए जैसे-जैसे भी नीचे आ रही थी वैसे वैसे उसकी हथेली उपर की तरफ जा रही थी,,,,और उसके पैर नीचे जमीन को छूते इससे पहले ही राजू की हथेली उसकी कमर तक पहुंच गई थी और उसकी साड़ी कमर तक उठ गई थी क्योंकि राजू की हथेली उसकी कमर पर थी और उसकी सारी पूरी तरह से उसकी हथेली के ऊपर टिकी हुई थी,,, लेकिन राजू ने अपनी मजबूत हाथों का सहारा देकर उसे थाम लिया था उसे गिरने नहीं दिया था ना ही उसे चोट लगने दिया था,,,,।
जैसे ही सोनी के पैर जमीन पर पड़े उसकी सांसे तेजी से चलने लगी वो एकदम से घबरा गई थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह सीढ़ी पर से नीचे गिर गई है क्योंकि वह तो दूसरी सीढ़ी पर पैर रखकर सिर्फ नाटक करने वाली थी लेकिन वह हकीकत में ही गिर गई थी,,,,,, जब उसे इस बात का एहसास हुआ तब वह अपने आपको राजू की बाहों में पाई जैसा कि वह चाहती भी थी लेकिन यह सब अनजाने में हुआ था,,,, राजू की दोनों हथेली सोने की चिकनी मांसल कमर पर थी,,, जोकि राजु ने कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था,,,, सोनू का बदन राजू के बदन से एकदम चिपका हुआ था एक तरह से राजू ने उसे कमर पकड़कर अपनी बाहों में ले लिया था पजामे के अंदर राजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जो कि तुरंत उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बड़ी बड़ी गांड के बीच धंसना शुरू कर दिया था,,।राजू कोचर इस बात का एहसास हुआ तो वह पूरी तरह से मस्त हो गया पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका लंड इस तरह से उसकी गांड को स्पर्श होगा,,, पल भर में राजू की सांसे तेजी से चलने लगी दूसरी तरफ सोनी की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,,,,


राजू ने उसे अपनी मजबूत बजाओ में पकड़ कर उसे गिरने से बचाया था इस बात की तसल्ली सोनी को अच्छी तरह से थी लेकिन जैसे ही उसे अपनी गांड के बीचों बीच कुछ कठोर चीज है जो भी महसूस हुई तो एकदम से दंग रह गई,,,तब जाकर उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह राजू की बाहों में थी और राजू का लंड जोकि पजामे में होने के बावजूद भी उसकी गांड में धंशा जा रहा था,,, पल भर में सोनी की भी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,, जिस तरह से वह राजू के साथ उसे उत्तेजित करना चाहते थे अनजाने में ही वह होता जा रहा था,,,

राजू के मोटे तगड़े लंबे लंड की ताकत को वह अपनी गांड पर महसूस कर रही थी,,,, उसे अंदाजा लग गया था कि राजू का लंड कितना दमदार है,,,वह अपनी स्थिति की तरफ ध्यान दे तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठ गई है और कमर के नीचे वह पूरी तरह से अपनी कच्छी को छोड़कर नंगी ही थी और उसका कच्छी के लिए सोनी को अपने आप पर गुस्सा आने लगा था अपने मन में सोचने लगी कि अगर कच्छी ना पहनी होती तो आज राजू के लंड को अपने गांड के बीचो बीच अपनी बुर पर महसूस कर ली होती,,,, राजू था कि उसे छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था उसे तो मजा आ रहा था चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों में थाम कर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह सोनी को चोदने की तैयारी कर रहा हो,,, राजू अपने आपको किस्मत वाला समझने लगा था मौके का फायदा उठाते हुए अपनी कमर को वह आगे की तरफ फैल रहा था जिसका एहसास सोनी को बड़े अच्छे से हो रहा था और राजू की इस हरकत पर वह पूरी तरह से पानी पानी हुए जा रही थी,,,उसे उम्मीद नहीं थी कि अनजाने में ही उसकी साड़ी कमर तक उठ जाएगी और वह भी राजू के हांथो,,,,।

सोनी अपने मन में सोच रही थी कि अब राजू छोड़ेगा अब राजू छोड़ेगा लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था वह तो और मदहोशी के साथ उसे पकड़े हुए था और साथ ही पजामे में होने के बावजूद भी,,, अपने लंड को उसकी बड़ी बड़ी गांड के बीचो-बीच दे रहा था,,,, लेकिन उसे भी गांड के बीच कपड़ा सा महसूस हो रहा था इसलिए वह सोनी को ऊपर से नीचे की तरफ देख रहा था उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठी हुई थी और इसीलिए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार साड़ी पूरी तरह से ऊपर की तरह टूट जाने के बावजूद भी कौन सा कपड़ा लगा हुआ है क्योंकि वह भी नहीं जानता था कि शहरी औरतें साड़ी के अंदर कच्छी पहनती हैं,,,,,, सोनी की बुर पूरी तरह से पानी छोड़ रही थी,,, अगर बाहर दूसरे लड़के ना होते तो उसी समय राजू के लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवा ली होती,, लेकिन इस समय मजबूर थीलेकिन अपनी हरकत से भी राजू ने उसे पूरी तरह से उत्तेजना के महासागर में डुबो दिया था उसकी कच्ची पूरी तरह से काम रस से गीली हो चुकी थीउसे इस बात का डर था कि काफी समय हो गया था झोपड़ी के अंदर कहीं कोई लड़का यहां आ ना जाए इसलिए वह राजू से बोली,,,।



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अच्छा हुआ राजू तूने मुझे संभाल लिया वरना आज तो मैं गिर गई होती,,,

मेरे होते हुए मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा दीदी,,,


बस कर अब छोड़ो मुझे ब्लैकबोर्ड बाहर लेकर चलना है,,,

(राजू का छोड़ने का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था सोने के बदन की गर्माहट उसे पूरी तरह से उत्तेजित किए हुए थी और उसकी बड़ी बड़ी गांड का स्पर्श पाकर उसका लंड लोहे के रोड की तरह हो गया था,,, लेकिन फिर भी उसकी बात मानते हुए वह उसे अपनी बाहों की कैद से आजाद कर दिया,,,, सोनी की सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,, राजू से अलग होते हैं सोनी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने लगी व्यवस्थित करते समय,,, राजू को उसकी कच्छी नजर आ गई जिसे देख कर उसे थोड़ा अचरज हुआ लेकिन समझ नहीं पाया,,,,सोनी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी नजर राजू की पर जाने की तरफ चली गई थी जो की पूरी तरह से उठा हुआ था,, और वह यही चाहती भी थी,,, सोनी का दिल जोरों से धड़क रहा,,,अपनी साड़ी को व्यवस्थित करने के बाद वह मुस्कुराते हुए राजू के पजामे में बने तंबू को देख कर बोली,,।)


तो यही था जो मेरे पीछे चुभ रहा था,,, लगता है बहुत बड़ा है,,,।
(सोनी के मुंह से इतना सुनकर राजू पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गया उसे लगने लगा कि जैसे उसके लिए रास्ता साफ होता जा रहा है वह मन ही मन बहुत खुश होने लगा लेकिन अपने पजामे में बने तंबू को छुपाने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं किया,,,, बस खड़ा मुस्कुरा रहा था और उसकी मुस्कुराहट को देखकर सोनी भी समझ गई थी कि यही वह लड़का है जो उसकी जवानी की गर्मी को शांत करेगा,,,,)

चलो जल्दी चलो काफी देर हो गई में हमें,,,(इतना सुनकर जैसे ही राजू चलने को हुआ राजू के तंबू की तरफ देखते हुए वह बोली,,,)

इस हाल में चलोगे,,(उंगली से राजू के तंबू की तरफ इशारा करते हुए) ऐसे चलोगे तो वह लोग क्या सोचेंगे मैं चलती हूं तुम इस ब्लैकबोर्ड को साफ करके लेते आना तब तक तुम्हारे पजामे का तूफान शांत हो जाएगा,,, और हां सबके साथ छूटने पर जाना जरूर लेकिन थोड़ी देर में वापस इधर ही आ जाना क्योंकि मैं तुम्हारा यही इंतजार करूंगी,,,(इतना कहकर वो मुस्कुरा कर बाहर निकल गई और राजू उसे देखता रह गया और फिर जल्दी-जल्दी ब्लैकबोर्ड को साफ करने लगा,,, इतनी देर में उसका लंड शांत भी हो गया और वह ब्लैकबोर्ड लेकर बाहर आ गया,,,।)
Bahot behtareen shaandaar update bhai
 

Naik

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झोपड़ी के अंदर जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर राजू और सोनी दोनों बेहद उत्साहित थे,,, राजू को तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह सोनी के खूबसूरत बदन को अपने हाथों से स्पर्श किया है,,,, लाजवाब बेमिसाल अद्भुत खूबसूरती की मालकिन सोनी के भरे हुए बदन को अपनी बाहों में लेकर वह पूरी तरह से गदगद हुआ जा रहा था,,, उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था,,,जिसे सिर्फ देख कर आहे भरा करता था उसे अपनी बाहों में लेकर वह अपने आप को सबसे ज्यादा खुश नसीब समझने लगा था,,,,,, नंगी चिकनी टांगो को पकड़कर वह चित्र की उत्तेजना का अनुभव अपने अंदर कर रहा था वह पूरी तरह से उसे अपने बस में कर लिया था लेकिन वह नहीं जानता था कि उसके हाथों से ही उस खूबसूरत औरत की साड़ी कमर तक उठ जाएगी,,,, यह शुभ काम अपने हाथों से होता हुआ देखकर वह ऊतेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था,,,उसकी मानसिक चिकनी कमर पर अपनी हथेलियों की पकड़ को वह अभी तक अपने अंदर महसूस कर रहा था उसके बदन की गर्माहट को अपने अंदर महसूस करके उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पिघल ना जाए,,,,,, उसकी नरम नरम गद्देदार बड़ी बड़ी गांड पर उसके लंड की ठोकर अनजाने में ही लगी थी लेकिन वह जानबूझकर अपनी तरफ से भी हरकत करते हुए अपने लंड का दावा उसकी गांड पर बराबर बनाए हुए था,,, दो दो औरतों का सुख भोग चुका राजू इतना तो समझ गया था कि सोनी को भी उसके लंड की रगड़ साफ महसूस हुई होगी,,,तभी तो वह मुस्कुरा रही थी और जाते समय उसके पहचाने मैंने तंबू की तरफ इशारा करके खुद बोल गई थी कि इसे शांत करके बाहर आ जाना,,,,,, उसकी इस हरकत पर राजू समझ गया था कि सोनी बहुत गरम औरत है वरना जिस तरह की हरकत हुई थी उससे वह क्रोधित हो जाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,,,। राजू के मन में अभी भी एक सवाल उठ रहा था कि वह साड़ी के अंदर क्या पहनी हुई थी जिसे देखकर उसका मन थोड़ा गया कुछ भेजा रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि इतनी बड़ी औरत होने के बावजूद भी अभी भी बच्चों की तरह चड्डी पहनती है,,, क्योंकि राजू को औरतों के अंग वस्त्र के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था क्योंकि गांव की सभी औरतें,,,, साड़ी और सलवार के अंदर कुछ भी नहीं पहनती थी और उन्हें भी इस बारे में कुछ पता भी नहीं था,,,, इसीलिए राजू ने ना तो कमला चाची के साड़ी के अंदर कुछ पहना हुआ देखा था और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की सलवार के अंदर,,, इसलिए सोनई की कच्छी को देख कर उसे आश्चर्य हो रहा था,,,।
Soni ki gaand par chaddhi dekhkar raju heraan tha

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अंदर से ब्लैकबोर्ड लेकर वह बाहर आ चुका था,,,। राजु को देखकर सोनी मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सोनी की सोच से ज्यादा हो चुका था,,सोनी के मन में यही था कि झोपड़ी के अंदर ले जाकर क्यों वह किसी भी तरह से राजू को उत्साहित और उत्तेजित करेगी लेकिन अंदर उम्मीद से कुछ ज्यादा ही हो गया था और राजू की उत्तेजना वह अपनी आंखों से उसके पजामे में देख रही थी जिसे वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस भी कर चुकी थी,,,, उसकी रगड उसका दबाव बड़ी बड़ी गांड पर बेहद अद्भुत था,,, जिसे महसूस करके अभी भी वह पानी पानी हुए जा रही थी,,,,, सोनी को अपनी कच्छी पूरी तरह से गीलीहो चुकी महसूस हो रही थी जिसे वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपना हाथ लगा कर व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही थी और यह हरकत राजू को एकदम साफ दिखाई दे रही थी और उसकी इस हरकत के कारण उसके तन बदन में काम ज्वाला भड़क रही थी,,,,। राजू समझ गया था कि उत्तेजना के मारे उसका काम रस टपक रहा होगा और वग अपने मन में यही सोचने लगा कि काश उसकी किस्मत में उसकी बुर पर मुंह लगाकर उसका काम रस पीना लिखा होता तो मजा आता ,,,,,,


यह जो खिला दिख रहा है ना पेड में घुसा हुआ इसी मे ब्लैक बोर्ड को टांग दो,,,।
(कोयल सी सुरीली आवाज सुनते ही राजु एकदम मंत्रमुग्ध हो गया और उसके के अनुसार ब्लैक बोर्ड को साफ करके उसी खिले में टांग दिया,,,)

अब ठीक है ना सोनी दीदी,,,,।


हां बिल्कुल ठीक है,,,(इतना कहते हुए वह अपने आप से ही बात करते हुए बोली सोनी दीदी साला मौका मिला होता तो कब से अपना लंड मेरी बुर में डालकर चुदाई कर दिया होता और दीदी कह रहा है,,, फिर वह अपने मन में ही सोचने लगी कि वैसे भी दीदी और भाई के रिश्ते की मर्यादा ही कहां रह गई है उसका बड़ा भाई खुद उसकी चुदाई करता हैं और उसे चोदने के लिए रखा भी है,,, कोई बात नहीं जिंदगी में मजा तो आ रहा है ना बस,,,,)


देखो अब मैं इस ब्लैक बोर्ड पर जो कुछ भी लिखूंगी तुम लोग जमीन पर लिखना कुछ दिन तक ऐसे ही चला लो उसके बाद में तुम लोगों के लिए पाटी लाकर दूंगी,,,,


ठीक है सोनी दीदी,,,(उसकी बात सुनते ही सभी लड़के एक साथ बोल पड़े,,,

सोनी ने क ख ग घ,,,, यह चार अक्षर ब्लैक बोर्ड पर लिख दि और उसे,,,,,,, जमीन पर लिखने के लिए बोली सभी लड़के ब्लैक बोर्ड में देखकर जमीन पर लिखने की कोशिश कर रहे थे,,,,बीच-बीच में सोनी उन लोगों का हौसला भी बढ़ा रही थी,,,।



हां ऐसे ही धीरे-धीरे सीख जाओगे पढ़ना लिखना जिंदगी में बहुत जरूरी है कभी हिसाब किताब करना पड़ जाएगा तो कैसे करोगे कोई तो मैं बेवकूफ बना कर चला जाएगा इसलिए पढ़ना लिखना सीखना ही होगा धीरे-धीरे सीख जाओगे,,,,(इतना कहते हुए बार आ चुके सर पर हाथ फिर भी उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी राजू कि उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया दोनों की नजरे आपस में टकराई,,, ना जाने क्यों राजू से नजर मिलते ही,,, सोनी की नजरों में शर्म उतर आई वह शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,, क्योंकि कुछ देर पहले ही राजु ने अपने मर्दाना अंग की रगड़ उसकी गांड पर उसे महसूस करवाया था,,, जिसका एहसास उसकी बुर गीली, कर रहा था,,,, सोनी अपने मन में भाप ली थी कि राजू के साथ उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी,,,,।
ब्लैक बोर्ड में लिखे हुए शब्दों को सभी लड़के लिखने की कोशिश कर रहे थे और धीरे-धीरे कामयाबी हो रहे थे श्याम भी वही कर रहा था लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह अपनी मम्मी यही सोच रहा था कि यह लोग झोपड़ी के अंदर काफी देर से थे यह लोग अंदर कर क्या रहे थे,,,। उससे रहा नहीं गया तो,,, वह धीरे से राजू के कान में बोला,,,।
Raju k intejar me

type math symbols


तुम दोनों इतनी देर से झोपड़ी में क्या कर रहे थे,,,

वही ढूंढरहे थे जिस पर सब कुछ लिखा हुआ है,,, ऊंचाई पर और सबसे नीचे दबा हुआ था इसलिए उसे निकालने में देर हो गई,,,।


कुछ और तो नहीं कर रहा था ना,,,


पागल हो गया क्या तू,,,, लाला की बहन इनके बारे में कुछ सोचना भी नहीं वरना शामत आ जाएगी समझा,,, आप अपना काम कर और मुझे भी करने दे,,,,(लाला का नाम लेकर वह एक तरह से श्याम को धमकाने की कोशिश कर रहा था क्योंकि राजू जानता था कि लाला का डर उसे ज्यादा कुछ सोचने नहीं देगा,,, सोनी और उसके बीच हुए उस वाक्ये के बारे में मैं नहीं चाहता था कि किसी को भी पता चले,,,, वह दूसरे लड़कों की तरह नहीं था कि किसी भी औरत के साथ संबंध बनाने पर वह अपने दोस्तों को बढ़ा चढ़ा कर बातें करते थे वह बल्कि इस तरह के रिश्ते को एकदम खास रखना चाहता था जिसकी किसी को भनक तक ना लगे,,,, सोनी उसी टेबल पर बैठकर आगे क्या करना है उसके बारे में सोच रही थी,,,, राजू को उसने इसी बगीचे में दोबारा बुलाई थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जिस लंड को अपनी बड़ी-बड़ी गांड पर महसूस करके मस्त हो गई है उसे अपनी बुर में लेकर देखना चाहती है ,,वह देखना चाहती थी कि राजू का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसे कितना मजा देता है,,,। यही सब सोच सोच कर वह मस्त हुए जा रही थी और अपनी बुर को गीली कीए जा रही थी,,,, कुछ देर के बाद सोनी ने सब को छुट्टी दे दी और उन्हें अपने-अपने घर जाने के लिए बोल दी,,,,,
उन लोगों के साथ राजू भी जाने लगा,,,, सोनी वही टेबल पर बैठे उसे देखती रही वह उसका इंतजार कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि राजु जरूर आएगा,,,, राजू अपने दोस्तों को सिर्फ दिखाने के लिए उनके साथ जा रहा था,,, वह अंदर ही अंदर वापस बगीचे में जाने के लिए तड़प रहा था लेकिन इस तरह से सबके सामने जाने में डर था वह नहीं चाहता था कि वह लोग किसी भी तरह का शक करें,,, अपने मन में यही सोच रहा था कि सोने जैसी खूबसूरत औरत अगर उसे दोबारा बगीचे में बुलाई है तो जरूर कुछ ना कुछ होगा,,,,,,।


इसलिए वह सब लड़कों के साथ घर तो पहुंच गए लेकिन सबकी नजर बचाकर वापस बगीचे की तरफ चल दिया उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि बगीचे के अंदर जरूर उसका फायदा होने वाला है क्योंकि खूबसूरत औरतों से सबसे नजर बचाकर वहां बुलाई थी और ऐसे सबकी नजर बचाकर औरत तभी बुलाती है जब उसके मन में उसके लिए कुछ कुछ होता है,,,,,।

थोड़ी देर बाद राजू वापस बगीचे मैं पहुंच गया था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दोपहर का समय था कड़ी धूप होने के बावजूद भी घने पेड़ चारों तरफ होने की वजह से धूप नीचे जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए हां पर ठंडक बनी हुई थी,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि पता नहीं क्या करने के लिए यहां बुलाई है यह सोचकर बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य याद आ जा रहा था जब वह सीढ़ियों पर चढ़ी थी और उसका पैर फिसला था और वह उसकी बाहों में आ गीरी थी,,, राजू के मन में एक मलाल रह गया था कि मौका मिलने के बावजूद भी वह उसकी चूचियों पर हाथ नहीं रख पाया था जो कि किसी पहाड़ी की तरह सीना ताने खड़ी थी,,,,।


बगीचे में पहुंचकर वह सोनी को इधर-उधर ढूंढने लगा सोनी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी तो वह झोपड़ी के अंदर जाकर देखने लगा उसे लगा कि शायद झोपड़ी के अंदर होगी,,, लेकिन झोपड़ी भी खाली थी,,,, राजू को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे लगने लगा कि शायद वह मजाक कर रही थी वह कितने अरमान लेकर बगीचे में आया था उस ख्याल से ही बार-बार उसका लंड मुंह उठाकर खड़ा हो जाता था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से बैठाने की कोशिश कर रहा था,,,,, कुछ देर तक वह झोपड़ी के अंदर ही खड़ा होकर सोचने लगा,,,, और बाहर आ गया इधर-उधर दूर-दूर तक देखने पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था इसलिए वह हेड पंप के पास जाकर हेंडपंप चला कर पानी पीने लगा,,,,। उसका मन उदास हो चुका था,,,। वह वापस घर जाने वाला था कि तभी वह सोचा की झोपड़ी के पीछे जाकर देख लु,,,,।

और यह सोचकर वह झोपड़ी के पीछे जाने लगा,,,,,,, लेकिन यहां पर कोई नहीं था तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा थोड़ी ही दूरी पर बेर लगे हुए थे जिसमें बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे वह सोचा कि चलो कुछ नहीं तो बैर ही लेकर खाया जाए,,,, और यह सोचकर वह बेर के पेड़ के पास पहुंच गया,,,,,, वही थोड़ी दूरी पर सोनी पेशाब करने के लिए आई थी और पेशाब करके वह भी बेर तोड़ रही थी राजू को उस तरफ आता देखकर वह पूरी तरह से सकते में आ गई थी वह सोच रही थी कि वह यहां क्या करने आ रहा है,,,, लेकिन तभी उसके दिमाग में खुराफाती चलने लगा,,,,। राजू बैर तोड़ता इससे पहले ही वह उसके सामने अपनी पीठ उसकी तरफ किए हुए जाकर खड़ी हो गई उसकी पायल और चूड़ियों की खनक की आवाज सुनते हैं राजू उस तरफ देखने लगा और ठीक थोड़ी ही दूरी पर अपने सामने सोनी को खड़ी देख कर वह खुश हो गया लेकिन वह कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनी अपना जलवा दिखाते हुए अपनी साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी जैसा कि वह उस दिन झाड़ियों के अंदर छुप कर देखा था यह देखकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा वह समझ गया कि जिस तरह का दृश्य उसने उस दिन देखा था आज भी उसकी किस्मत तेज है आज भी उसे वही देखने को मिलेगा,,,, इसलिए बैर ना तोड़कर वह वहीं खड़ा रह गया और धड़कते दिल के साथ उस दृश्य का आनंद लेने लगा जोकी सोनी जानबूझकरउसे दिखा रही थी जबकि वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन आज वह अपनी जवानी की झलक दिखा कर उसे पूरी तरह से अपने बस में कर लेना चाहती थी,,, और वह यह बात नहीं जानती थी कि इस तरह के नजारे को वह पहले भी देख चुका है,,, तभी तो उसके पीछे पीछे लट्टु की तरह घूम रहा था,,,,।
SOni ki laajawab gaand

सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरना शुरू कर दी थी वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते ही देखते राजु की आंखों के सामने उसने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी थी ऐसा करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, क्योंकि वह जानती थी कि पीछे खड़ा एक नौजवान लड़का उसे अपनी साड़ी कमर तक उठाते हुए देख रहा है उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख कर मस्त हो रहा है और यह एहसास सोनी के तन बदन में आग लगा रहा था,,,,, देखते ही देखते सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाती थी राजू की आंखें एक बार फिर से चौंधिया गई थी सोनी को चड्डी पहने हुए देखकर,,,, यह राजू के लिए अत्यधिक उत्तेजनात्मक स्थिति का निर्माण कर रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई औरत इस उमर में भी चड्डी पहनती होगी जबकि चड्डी तो बच्चे पहना करते थे,,,।
Soni ki madmast badi badi gaand

सोनी सब कुछ जानते हुए भी अपनी चड्डी को नीचे की तरफ खासकाने लगी और सोनी की यह हरकत राजू से सीने में छुरियां चला रही थी,,, देखते ही देखते सोनी ने अपनी बड़ी बड़ी गांड को उजागर करते हुए अपनी चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका दी,,,राजू से तो कुछ भी बोला नहीं जा रहा था यहां तक कि सांस भी लेना मुश्किल हुआ जा रहा था और पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,, पजामे में एक बार फिर से तंबू बन चुका था,,,। गोल गोल गोरी गांड सुनहरी धूप में और ज्यादा चमक रही थी,,, सोनी के अंतर्मन में भी फुलझड़ियां झड़ने लगी थी,,, जवानी की आग में उसका तन जल रहा था,,,। राजू को पाने के लिए वो अपने होशो हवास खो बैठी थी,,,। वह अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे खड़ा राजू उसकी नंगी गांड को देख रहा होगा और यही तसल्ली करने के लिए वह पीछे नहीं देखना चाहती थी क्योंकि वह राजू को पूरी तरह से तड़पाना चाहती थी,,,, राजू के लिए उसका नंगा बदन एक तरह से उसके लिए पुरस्कार था और उसे जीतने के लिए उसे खुद सोनी से स्पर्धा करना था जिसमें सोनी को भी मालूम था कि विजेता चाहे जो भी बने फायदा उसी का है,,,, इस खेल में बहुत मजा आने वाला था,,,,

Soni is tarah se raju ko apni jawani ka jalwa dikha rahi thi

सोनी के लिए पहला मौका था जब हुआ इस तरह से किस जवान लड़की को जानबूझकर अपनी गांड दिखा रही थी,,,। और राजु के लिए इस तरह के मौके बनते जा रहे थे,,, सोनी पेशाब कर चुकी थी इसलिए उसे पैसा बिल्कुल भी नहीं लगी थी लेकिन पेशाब करने की कलाकृति दिखाना जरूरी थी इसलिए वह वहीं पर बैठ गई क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी ख्वाइश होती और खूबसूरत औरत को,,,, उनकी बड़ी-बड़ी कहां देख कर और खास करके उन्हें पेशाब करता हुआ देखकर मर्द एकदम से उत्तेजित हो जाते हैं,,,, और वह भी यही चाहती थी कि राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए,,,,।
Apni saree ko kamar tak uthaye huye soni kamaal lag rahi thi

सोनी उसी तरह से बैठीरह गई गई सोने की जानकारी में उसे पेशाब करता हुआ आज तक किसी ने भी नहीं देखा था,,,, लेकिन यही उसकी भुल भी वह इस बात से अनजान थी कि राजू एक बार पहले भी से पेशाब करता हुआ देख चुका है और आज तो वह खुद जानबूझकर उसे दिखा रही थी,,, सोनी के खूबसूरत चेहरे की तरह उसकी गांड भी बहुत खूबसूरत थी वह भरी हुई गुदाज एकदम गदराई हुई,,,। जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था किसी से में झाड़ियों में घुस जाए और पीछे से बैठकर उसकी गांड में पूरा लंड डाल दें,,,, लेकिन वह‌ ऐसा नहीं करना चाहता था भले ही वह उसके आकर्षण के जाल में पूरी तरह से बंधा हुआ था लेकिन इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,,,।


सोनी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड की बड़ी-बड़ी फांकों को दोनों हाथों में लेकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और यह देखकर राजू के सब्र का बांध टूटता चला जा रहा था वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,। जो की पूरी तरह से पजामें में अपनी अकड़ दिखा रहा था,,। सोनी पूरी तरह से राजु को मस्त कर देना चाहती थी,,, इसलिए अपनी बड़ी-बड़ी काम को दोनों हथेली में भरकर हल्के हल्के दबा भी रही थी,,,, कुछ समय तक वह उसी तरह से बैठी रह गई,,,, वो जानती थी कि उसका काम हो गया है जिस तरह का जादू चलाना था वह जादू चल चुका है,,, इसलिए वह धीरे से खड़ी हो गई,,, लेकिन अपने साड़ी को नीचे करने से पहले और अपनी कच्छी को पहनने से पहले,,,,वो पीछे मुड़कर देखना चाहती थी पर ऐसा जताना चाहती थी कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,इसलिए थोड़ा सा नीचे झुकी और अपनी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर करनी चाही रही थी कि पीछे मुड़ कर देखने लगी और तुरंत राजु और सोनी दोनों की नजरें आपस में टकरा गई,,,,,, सोनी अगर गुस्सा करती तो राजू शर्मिंदा हो जाता लेकिन वह ऐसा नहीं चाहती थी क्योंकि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहते थे इसलिए वह राजू की तरफ देखते हूए बोली,,,।
Soni apni gaand ko raju ko dikha k sahla rahi thi


तुम आ गए,,, तुम कब आए,,,,(और ऐसा कहते हुए जानबूझकर उसकी आंखों के सामने ही अपनी चड्डी को पहनने लगी,,,, राजू आंखें फाड़े उसी को देखे जा रहा था,, उसकी सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, राजू उसके छोटी सी चड्ढी को देख रहा था,,, उसे बड़ी ताजुब के साथ साथ उत्तेजना भी छा रही थी,,,, सोनी चड्डी पहन चुकी थी,,,साड़ी को कमर से नीचे गिराने से पहले वह एक बार उसकी तरफ एकदम से खून गई थी वह चड्डी में क्यों अपनी फोटो भी बुरा जी को दिखाना चाहती तुझे अपनी उसकी कच्ची से पूरी तरह से चिपकी हुई थी और उपसी हुई नजर आ रही थी,,,,। राजू की आंखों के सामने उसकी छोटी सी छोटी थी और वह भी आगे से फुली हुई बुर वाली जगह का उभार कुछ ज्यादा ही था,,,,कमला चाची और अपनी बुआ की चुदाई कर चुका राजू अच्छी तरह से जानता था कि दोनों टांगों के बीच औरतों की बुर कौन सी जगह पर होती है,, ईस लिए सोनी की चड्ढी में फूली हुई जगह को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई है,,,।सोनी समझ गई थी कि जो कुछ भी उसमें दिखाई थी वह उसकी उत्तेजना के लिए काफी था क्योंकि उसकी नजर उसके पजामे में बने हुए तंबू पर चली गई थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,, और आपने साड़ी को कमर से नीचे गिरा कर,,, वह एक बेहद कामुकता भरे नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,,, ।

राजू के द्वारा पेशाब करता हुआ उसकी नंगी गांड देखने के बावजूद भी वह बिल्कुल सामान्य थी यह देखकर राजू को भी आश्चर्य हो रहा था उसमें किसी भी प्रकार की झिझक नहीं थी,,, वह बड़े आराम से झाड़ियों के बीच में से अपने साड़ी को दोनों हाथों से हल्के से पकड़ कर बाहर की तरफ आने लगी और बोली,,,)
Raju ko soni apni gaand dekhne ka bharpur mauka de rahi thi

मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी मुझे तो लगा तुम आओगे नहीं मुझे बडे जोरो की पिशाब लगी थी तो मैं इधर आ गई,,,,
(सोनी जैसी खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनकर और अभी एकदम खुले शब्दों में राजू की तो हालत खराब हो गई उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था उसके मुंह से पेशाब शब्द सुन कर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, और उसकी बात सुनकर हक लाते हुए बोला,,,)

ममममम,,, मैं तो कब से आ गया हूं तुम ही कहीं दिखाई नहीं दे रही थी तो पीछे चला आया,,,,।


कोई बात नहीं चलो आगे चलते हैं,,,,।
(इतना कहकर वो आगे आगे चलने लगी और पीछे-पीछे राजू राजू की बोलती बंद थी सांसो की गति तेज हो चुकी थी इतनी उत्तेजक और खूबसूरत औरत उसने आज तक नहीं देखा था उसकी बड़ी बड़ी गांड पर अपनी नजरों को गड़ाए वह उसके पीछे पीछे चलने लगा,,,)
Shaandaar update bhai lajawab
 
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