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Incest बैलगाड़ी,,,,,

AssNova

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rohnny4545
Such an Amazing work of art and Creation.
Your story writing is undoubtedly one of the best here and once again you have proved it.

सर जी, मै आपकी कहानियों का बहोत बढ़ा प्रंशंषक रहा हु
चाहे वो बरसात की रात हो या रिश्तो के डोर.
शुरू में मैंने इस कहानी को पढ़ा तो ऐसा लगा ये कहानी हरीया के इर्द गिर्द रहेगी , परन्तु अब आगे का पढ़ के देखा तो ज्यादा अच्छा लगा .
मातृ प्रेम को जिस तरह आप लिख सकते हैं उस तरह शायद बहोत कम ही लोग यहाँ लिख पाए, जिस तरह दैनिक दिनचर्या का उपयोग करके धीरे धीरे आप पत्रों में नज़दीकियां लाते हैं वो अद्भुत है.


परन्तु कुछ इच्छाएं है इस kahani से jo मैं आप से साझा
करना चाहूंगा
:-> अमूमन आप अपनी कहानी माँ बेटे के मिलान के बाद
समाप्त कर देते हैं , परन्तु मैं निवेदन करना चाहूंगा की इस कथा को महा कथा का रूप दीजियेगा और सिर्फ माँ बेटे के मिलान पर मत रोकियेगा , और आगे लेके जाईयेगा , परिवार के और भी
रिश्तेदारो को दिखाईये जैसे की सगी चची , ताई , मौसी या ननिहाल या कोई और . यह आपके लिए भी एक नया अनुभव होगा ज़रूर और आपको भी मज़ा आएगा

:-> आप कहानी में चल रहे दृश्य को डेस्क्रिबे करने में ज़्यादा
ज़ोर देते हैं और वही आपकी लेखनी की जान भी है परन्तु मुझे ऐसा लगता है की आप patro के बिच के डायलाग पे थोड़ा
काम ध्यान देते हैं और आपकी कहानियों में वार्तालाप और चटपटी मुहफट कन्वर्सेशन की थोड़ी कमी रहती है , इस विचार
पे भी अवस्य नज़र डाले

Also huge congrats on getting 1 million views 🥳.
Baaki sab me to aap awwaal hai, isi tarah hal jaise pathko ka manorjan karte rahiye, bahut bahut
धन्यवाद


--Keep up the good work & keep updating--
 
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rohnny4545

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rohnny4545
Such an Amazing work of art and Creation.
Your story writing is undoubtedly one of the best here and once again you have proved it.

सर जी, मै आपकी कहानियों का बहोत बढ़ा प्रंशंषक रहा हु
चाहे वो बरसात की रात हो या रिश्तो के डोर.
शुरू में मैंने इस कहानी को पढ़ा तो ऐसा लगा ये कहानी हरीया के इर्द गिर्द रहेगी , परन्तु अब आगे का पढ़ के देखा तो ज्यादा अच्छा लगा .
मातृ प्रेम को जिस तरह आप लिख सकते हैं उस तरह शायद बहोत कम ही लोग यहाँ लिख पाए, जिस तरह दैनिक दिनचर्या का उपयोग करके धीरे धीरे आप पत्रों में नज़दीकियां लाते हैं वो अद्भुत है.


परन्तु कुछ इच्छाएं है इस kahani से jo मैं आप से साझा
करना चाहूंगा
:-> अमूमन आप अपनी कहानी माँ बेटे के मिलान के बाद
समाप्त कर देते हैं , परन्तु मैं निवेदन करना चाहूंगा की इस कथा को महा कथा का रूप दीजियेगा और सिर्फ माँ बेटे के मिलान पर मत रोकियेगा , और आगे लेके जाईयेगा , परिवार के और भी
रिश्तेदारो को दिखाईये जैसे की सगी चची , ताई , मौसी या ननिहाल या कोई और . यह आपके लिए भी एक नया अनुभव होगा ज़रूर और आपको भी मज़ा आएगा

:-> आप कहानी में चल रहे दृश्य को डेस्क्रिबे करने में ज़्यादा
ज़ोर देते हैं और वही आपकी लेखनी की जान भी है परन्तु मुझे ऐसा लगता है की आप patro के बिच के डायलाग पे थोड़ा
काम ध्यान देते हैं और आपकी कहानियों में वार्तालाप और चटपटी मुहफट कन्वर्सेशन की थोड़ी कमी रहती है , इस विचार
पे भी अवस्य नज़र डाले

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Baaki sab me to aap awwaal hai, isi tarah hal jaise pathko ka manorjan karte rahiye, bahut bahut
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बहुत-बहुत धन्यवाद दोस्त,,, मैं आपके अभिप्राय पर जरूर विचार करुंगा
 
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राजू का लंड दिखाने वाली बात आई गई हो गई थी राजू इस बात को भूल चुका था,,,,,, वह फिर से अपनी मस्ती में मस्त हो गया था और हरिया उसी तरह से रोज बैलगाड़ी को रेलवे स्टेशन ले जाता है और वहां से सवारी ढोकर अपना जीवन निर्वाह कर रहा था,,,,,,,

गुलाबी अपनी जवानी के एक-एक पल को बड़ी मुश्किल से बिता रही थी उसके तन बदन में जवानी की लहर चिकोटीयां काट रही थी,,, इसमें उसका दोस्त बिल्कुल भी नहीं था एक तो उसकी उम्र शादी लायक हो चुकी थी और अभी तक उसकी शादी नहीं हुई थी ऐसे में जवानी की उफान उसके बदन में हर तरफ से बाहर की तरफ झांक रहा था और ऊपर से अपने भैया और भाभी के कमरे में से आ रही मादक चुदाई की सिसकारीयो की आवाज से वह पूरी तरह से मस्त हो जाती थी,,,,,, उसके बदन में जवानी किसी बाढ़ के पानी की तरह थी जो कि सब्र के बांध से बंधी हुई थी जिस दिन अगर यह सब्र का बांध टूट गया तो उसकी जवानी पिघल कर ना जाने कितनों को डुबा ले जाएगी,,,,,, वैसे गुलाबी इस उफान मारती उम्र में भी अपनी जवानी को किसी की नजर लगने नहीं दी थी ऐसा नहीं था कि किसी की नजर उस पर पडती नहीं थी गांव के सभी जवान लड़कों की नजर उस पर हमेशा बनी रहती थी वैसे उसकी भाभी कीमत मस्त जवानी का आकर्षण गुलाबी से एक कदम आगे ही था लेकिन फिर भी गुलाबी किसी से कम नहीं थी गोरा रंग तीखे नैन नक्श ऊपर से जवानी की दस्तखत रूपी उसके दोनों अमरूद जान लेवा थे हालांकि अब तक यह दोनों अमरुद किसी के हाथों मैं नहीं आए थे इसलिए उसके उभार कुछ ज्यादा नहीं था लेकिन आकर्षण का केंद्र बिंदु जरूर था,,,, पतली कमर कमर के नीचे का उन्नत नितंबों का उभार ज्यादा घेरा उधार नहीं था लेकिन सीमित रूप से उसका भौगोलिक आकार बेहद आकर्षक और मस्त कर देने वाला था जिसकी लचक पगडंडियों पर चलते हुए पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर उधर लुढकती रहती थी जैसे अपने दोनों हाथों में लेकर संभालने के लिए गांव के बूढ़े और जवान दोनों मचलते रहते थे,,, लेकिन गुलाबी ना किसी को आज तक ऐसा मौका नहीं दी थी,,,,,
उसके साथ के सहेलियों कि धीरे-धीरे एक-एक करके शादी होती जा रही थी,,। उसकी खुद की भतीजी जो कि उसे छोटी थी उसकी भी शादी हो चुकी थी लेकिन वह अभी तक कुंवारी थी,,, मन से भी और तन से भी,,,,,,।

धीरे-धीरे जैसे समय गुजरता चाह रहा था वैसे वैसे गुलाबी से अपनी जवानी संभाले संभल नहीं रही थी,,,,, अपनी भाभी की कसम से शिकारियों की आवाज से उसका तन बदन मचल उठता था पहचानती थी कि बगल वाले कमरे में उसका बड़ा भाई उसकी भाभी के साथ क्या कर रहा है,,,। हालांकि अभी तक उसने अपनी आंखों से अपने भैया भाभी की चुदाई देखी नहीं थी और अभी तक कोशिश भी नहीं की थी,,,,।

लेकिन आज उससे रहा नहीं जा रहा था,,, उसकी भाभी की मादक सिसकारियां उसके कानों में मधुर रस खोल रही थी साथ ही उसके तन बदन को मदहोश कर रही थी एक अजीब सा नशा उसके तन बदन को अपनी गिरफ्त में लिया जा रहा था आंखों में खुमारी छा रही थी,,,,,,,,

आहहहह आआआआहहहह,,,ऊईईईई, मां ,,,,मर गई रे आहहहह,,,आपका तो बहुत मोटा है,,,,(यह शब्द जैसे ही गुलाबी के कानों में पड़े उसके कान एकदम से खड़े हो गए और उसका रोम-रोम पुलकित हो गया,,,,वह एक नजर लालटेन की रोशनी में राजू के ऊपर डाली वह पूरी तरह से गहरी नींद में सो रहा था और यही उसकी खासियत भी थी जब होता था तो घोड़े बेच कर सोता था उसे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता था कि क्या हो रहा है कहां से आवाज आ रही है या उसके साथ क्या किया जा रहा है वापस सोने में मस्त रहता था इसलिए उसके जागने की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी,,,, वह धीरे से खटिया पर से ऊठी ओर बगल वाले कमरे में देखा जा सके ऐसी जगह ढुंढने लगी,,,, आज तक उसने इस तरह की हिम्मत और हिमाकत नहीं की थी वह अपने भैया भाभी की बहुत इज्जत करती थी और इसीलिए उन्हें इस हाल में देखना उसके लिए पांच था लेकिन आज वह मजबूर हो गई थी जवानी से भरपूर है उम्र से ऐसा करने पर मजबूर कर रही थी अपने संस्कार अपनी मर्यादा को एक तरफ रख कर वह अपने बदन की जरूरत पर ध्यान देते हुए बड़ी शिद्दत से बगल वाले कमरे में देखा जा सके ऐसा कोई छेंद देखने लगी,,,,दोनों कमरों के बीच एक पतली कच्ची दीवार थी जो जगह-जगह से उसकी इंटे खिसक चुकी थी जिसमें थोड़ा-थोड़ा दरार पड़ चुका था इन दरारों पर कभी भी गुलाबी का ध्यान नहीं गया था लेकिन आज उसकी किस्मत कुछ और खेल खेलना चाहती थी,,,, इसलिए जल्दी उसे ईटों के बीच की एक पतली दरार नजर आ गई जिसमें से उसे बगल वाले कमरे की लालटेन की रोशनी नजर आ रही थी,,,, लालटेन की रोशनी नजर आते ही उसके दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि आज तक उसने किसी भी औरत मर्द की चुदाई को अपनी आंखों से नहीं देखी थी बस कल्पना भर की थी लेकिन आज वह जो करने जा रही थी अगर उसकी किस्मत अच्छी रही तो उसे हुआ नजारा भी देखने को मिल जाएगा इसके बारे में सिर्फ वह कल्पना करके अपनी जवानी को सुलगा रही थी,,,।

ईटों के बीच की पत्नी दरार के बीच मिटटी भरी हुई थी,,, जिससे अंदर का दृश्य साफ नजर नहीं आ रहा था,,,इसलिए वह अपने कमरे में लालटेन की रोशनी में एक छोटी सी पतली लकड़ी ढूंढ कर ले आई और उसे से कुरेद कुरेद कर वह मिट्टी को नीचे गिराने लगे वजह से ही पतली दरार में फंसी हुई मिट्टी नीचे गिर गई,,,,,, और मिट्टी के गिरते ही कमरे का दृश्य एकदम साफ नजर आने लगा,,,,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, वह अपनी प्यासी आंखों को उस दरार से सटा दी जैसे,, एक खगोल शास्त्री नक्षत्रों का मुआयना करने के लिए टेलिस्कोप से अपनी आंखें सटा देता है,,,,,, और अगले ही पल उसे जो दृश्य नजर आया,,, उसे देखते ही उसकी प्यासी बुर कुल बुलाने लगी,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,।

उसकी आंखें जिंदगी में पहली बार ईस तरह का दृश्य देख रही थी,,,यह दृश्य देखने के बावजूद उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था उसे लग रहा था कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रही है,,,।लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखें जो कुछ भी देख रही थी वह सनातन सत्य था,,। उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसके भैया और भाभी बिना कपड़ों के थी उसकी भाभी 1 दिन की खटिया पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,, उसकी साड़ी साया और ब्लाउज खटीए के नीचे बिखरे हुए थे उसके भैया भी बिना कपड़ों के एकदम नंगे थे,,,,,,, शायद एक बार वह उसकी भाभी की चुदाई कर चुके थे और दोबारा प्रदान करने की तैयारी कर रहे थे ऐसा गुलाबी सोच रही थी और जो कि सच भी था क्योंकि कुछ देर पहले उसकी भाभी की गरम सिसकारियां और आहहह आहहहह की आवाज उसके कानों में पड रही थी लेकिन इस समय उसके भैया खटिया पर नहीं थे बल्कि खटिया के पास खड़े होकर सरसों के तेल को कटोरी में से अपने खड़े लंड पर गिरा रहे थे,,,, और जैसे ही गुलाबी की आंखें अपने बड़े भैया के लंड पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए,,,, एकदम काला लंड एकदम किसी काले नाग की तरह हवा में लहरा रहा था जिस पर सरसों का तेल गिलाकर उसका भाई अपने लंड की मालिश कर रहा था,,,, यह दृश्य गुलाबी के लिए उत्तेजना की संपूर्ण पराकाष्ठा थी इसलिए तो उसकी बुर तुरंत गीली हो गई,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह कभी सोची नहीं थी कि मर्दों के पास इस तरह का लंड होता है,,,,। एक बार तो वह सचमुच में घबरा गई थी अपने भाई के लंड को देख करके इतना मोटा लंबा लंड छोटे से छेद में जाता कैसे होगा,,,,। वह सांसो को बांधकर अंदर के नजारे का लुफ्त उठाने लगी,,,, उसकी भाभी प्यासी नजरों से उसके भैया के लंड को देख रही थीऔर साथ में अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल भी रही थी,,,।


मैं हु ना मेरी रानी तुम अपने हाथों को क्यों तकलीफ देती हो मैं अपने हाथों से तुम्हारी चूची दबा दबा कर लाल कर दूंगा,,,(हरिया अपने लंड पर तेल की मालिश करते हुए बोला और अपने भाई की इतनी गंदी बात को सुनकर गुलाबी का गुलाबी गाल शर्म से लाल हो गया,,,वह कभी सोची नहीं थी किसके भैया इस तरह से गंदी बात करते होंगे लेकिन आज सब कुछ उसकी आंखों के सामने था,,,,)


आप बहुत शैतान है जी एक बार चोद चुके हो फिर भी आपका मन नहीं भर रहा है,,,,


भला औरत की बुर से कभी मन भरता है,,, अगर मर्दों का मन भर जाए तो औरत और मर्द के बीच प्यार का रिश्ता ही खत्म हो जाए,,,,,,, यही प्यास है जो हम दोनों के बीच अभी भी प्यार को बरकरार रखा हुआ है,,,,।


लेकिन आपका बहुत मोटा है दर्द करता है,,,


मोटा है तभी तो मजा आता है मेरी रानी और तभी तो तुम अभी तक जाग रही हो तुम्हें भी दुबारा लेने का मन कर रहा है तभी तो तुम्हारी बुर कितना पानी छोड़ रही है,,,

(अंदर का गरमा गरम दृश्य और साथ ही गरमा गरम वार्तालाप गुलाबी के तन बदन में मदहोशी भर रहा था,,, वह कभी सपने में नहीं सोचा थी कि वह अपनी आंखों से इस तरह का दृश्य देखेगी सब कुछ अद्भुत था,,,,गुलाबी की सांसे सिर्फ अंदर के नजारे को देखकर उनकी बातों को सुनकर बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,)


अब देखना रानी एक बार पानी छोड़ दिया हूं अब देखना कितनी देर तक तुम्हारी चुदाई करता हूं,,,,


जोर जोर से मत करना दर्द करने लगता है,,,,(इस बार इतना कहते हुए गुलाबी की भाभी अपनी हथेली को अपनी दोनों टांगों के बीच लाकर अपनी बुर को मसलते हुए बोली तो इस नजारे को देख कर गुलाबी एकदम से मचल उठी और अपने आप ही उसका हाथ सलवार के ऊपर से ही बुर पर चला गया जिसे वह मसलना शुरू कर दी,,,,,)


जोर जोर से चोदने में ही मजा आता है धीरे धीरे से तो बिल्कुल भी मजा नहीं आता और तुम ही तो कहती हो और जोर से और जोर से मेरे राजा और जोर से,,,,
(इस बात पर गुलाबी की भाभी एकदम से शर्मा गई और बोली)


अच्छा अब जल्दी से आ जाओ मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है,,,,


ओहहहह ,,,,, मेरी रानी मैं जानता हूं मेरे लंड को देखकर तुम्हारी बुर में पानी आ जा रहा है,,,, लो अभी तुम्हारी इच्छा पूरी कर देता हूं,,,,(और इतना कहते ही हरिया और गुलाबी की भाभी खुद अपनी दोनों टांगों को फैला दी गुलाबी को अंदर का दृश्य साफ नजर आ रहा था अपनी भाभी का गोरा बदन उसकी गुदाज पन को देखकर खुद गुलाबी के मुंह में और बुर में पानी आ रहा था,,, उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघों को देखकर गुलाबी का होश खो रहा था देखते-देखते उसका भाई उसकी भाभी के दोनों टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,,, सब कुछ भुला भी कोई तुम साफ नजर आ रहा था उसका सब्र अब टूटता हुआ नजर आ रहा था उसने भी आनंद खाना मैं अपनी सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार को नीचे कदमों में गिरा दी और अपनी नंगी बुर पर अपनी हथेली को रगड़ना शुरु कर दी,,,,और दूसरी तरफ उसका भाई अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी भाभी की बुर में डालना शुरू कर दिया इसे देखकर गुलाबी से रहा नहीं गया और वह अपनी उंगली को अपनी बुर में डाल दी,,,,गुलाबी के लिए पहला मौका था जब वह अपनी उंगली को बुर में डाल रही थी इससे पहले वह बुर को अपनी हथेली से मसलती भर थी,,,। लेकिन आज उसे बहुत मजा आ रहा था मसलने से ज्यादा अपनी बुर में उंगली डालने में उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, दूसरी तरफ उसका भाई अपना पूरा लंड उसकी भाभी की बुर में डाल चुका था,,,।

अंदर कमरे में लालटेन की रोशनी में से साफ नजर आ रहा था जिसका कारण था कि लालटेन की रोशनी कि लोग कुछ ज्यादा ही की गई थी जिसका मतलब साफ था कि हरिया को रात के अंधेरे में नहीं बल्कि रात के उजाले में चुदाई करने में ज्यादा आनंद आता था,,,,लेकिन गांव में ऐसा होता नहीं था क्योंकि गांव की औरतों को शर्म के मारे अंधेरे में ही चुदवाने में मजा आता था और अंधेरे में चुदवाती भी थी,,,,,लेकिन गुलाबी अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि उसके भाई और भाभी को ऊजाले में चुदाई करने का शौक है जिसकी बदौलत वह अपनी आंखों से सब कुछ साफ-साफ देख पा रही थी,,,।

क्या जबरदस्त और मादकता से भर देने वाला नजारा था,,, बगल के कमरे में गुलाबी के भैया और भाभी चुदाई में पूरी तरह से तल्लईन हो चुके थे और बगल के कमरे में गुलाबी खुद अपनी सलवार को खोलकर अपनी बुर में उंगली पेल रही थी,,, जिसमें उसे बहुत मजा आ रहा था और दूसरी तरफ राजू घोड़े बेच कर सो रहा था अगर ऐसे में कोई और लड़का होता तो उसकी आंख खुल गई होती और अब तक तो वह अपनी बुआ की बुर में लंड भी डाल दिया होता और जो कि उस समय उसकी बुआ को भी यही पसंद भी होता,,,।


धक्कों की गति बड़ी तेजी से खटिया को चरमरा रही थी जिससे उसकी भाभी की दोनों चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह चल रही थी जो कि इस समय उसके भाई के दोनों हाथों में उसकी शोभा बढ़ा रही थी,,,।

गुलाबी के गाल शर्म के मारे और उत्तेजना से लाल हो चुके थे,,, वह साफ तौर पर देख पा रही थी कि उसके भैया बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहे थे और उसकी भाभी मस्ती भरी सिसकारी ले रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था जो कि उसके चेहरे से बंया हो रहा था,,,। देखते ही देखते गुलाबी का बड़ा भाई उसकी भाभी पर ढेर हो गया इसका मतलब साफ था कि दोनों का काम हो चुका था और इधर गुलाबी जोर जोर से अपनी बुर में उंगली डालकर पानी निकाल चुकी थी,,,, गुलाबी का भी गर्म लावा ठंडा हो चुका था,,,इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी सलवार को ऊपर की ओर डोरी बांधकर वापस खटिया पर आकर सो गई,,।
Adbhut, atulniya, avishvarniya.... Itni achi detailing aur kamukta k ras se bhari hui koi kahani maine pehli bar padi hai
 

Sanju@

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झोपड़ी के अंदर जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर राजू और सोनी दोनों बेहद उत्साहित थे,,, राजू को तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह सोनी के खूबसूरत बदन को अपने हाथों से स्पर्श किया है,,,, लाजवाब बेमिसाल अद्भुत खूबसूरती की मालकिन सोनी के भरे हुए बदन को अपनी बाहों में लेकर वह पूरी तरह से गदगद हुआ जा रहा था,,, उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था,,,जिसे सिर्फ देख कर आहे भरा करता था उसे अपनी बाहों में लेकर वह अपने आप को सबसे ज्यादा खुश नसीब समझने लगा था,,,,,, नंगी चिकनी टांगो को पकड़कर वह चित्र की उत्तेजना का अनुभव अपने अंदर कर रहा था वह पूरी तरह से उसे अपने बस में कर लिया था लेकिन वह नहीं जानता था कि उसके हाथों से ही उस खूबसूरत औरत की साड़ी कमर तक उठ जाएगी,,,, यह शुभ काम अपने हाथों से होता हुआ देखकर वह ऊतेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था,,,उसकी मानसिक चिकनी कमर पर अपनी हथेलियों की पकड़ को वह अभी तक अपने अंदर महसूस कर रहा था उसके बदन की गर्माहट को अपने अंदर महसूस करके उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पिघल ना जाए,,,,,, उसकी नरम नरम गद्देदार बड़ी बड़ी गांड पर उसके लंड की ठोकर अनजाने में ही लगी थी लेकिन वह जानबूझकर अपनी तरफ से भी हरकत करते हुए अपने लंड का दावा उसकी गांड पर बराबर बनाए हुए था,,, दो दो औरतों का सुख भोग चुका राजू इतना तो समझ गया था कि सोनी को भी उसके लंड की रगड़ साफ महसूस हुई होगी,,,तभी तो वह मुस्कुरा रही थी और जाते समय उसके पहचाने मैंने तंबू की तरफ इशारा करके खुद बोल गई थी कि इसे शांत करके बाहर आ जाना,,,,,, उसकी इस हरकत पर राजू समझ गया था कि सोनी बहुत गरम औरत है वरना जिस तरह की हरकत हुई थी उससे वह क्रोधित हो जाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,,,। राजू के मन में अभी भी एक सवाल उठ रहा था कि वह साड़ी के अंदर क्या पहनी हुई थी जिसे देखकर उसका मन थोड़ा गया कुछ भेजा रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि इतनी बड़ी औरत होने के बावजूद भी अभी भी बच्चों की तरह चड्डी पहनती है,,, क्योंकि राजू को औरतों के अंग वस्त्र के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था क्योंकि गांव की सभी औरतें,,,, साड़ी और सलवार के अंदर कुछ भी नहीं पहनती थी और उन्हें भी इस बारे में कुछ पता भी नहीं था,,,, इसीलिए राजू ने ना तो कमला चाची के साड़ी के अंदर कुछ पहना हुआ देखा था और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की सलवार के अंदर,,, इसलिए सोनई की कच्छी को देख कर उसे आश्चर्य हो रहा था,,,।
Soni ki gaand par chaddhi dekhkar raju heraan tha

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अंदर से ब्लैकबोर्ड लेकर वह बाहर आ चुका था,,,। राजु को देखकर सोनी मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सोनी की सोच से ज्यादा हो चुका था,,सोनी के मन में यही था कि झोपड़ी के अंदर ले जाकर क्यों वह किसी भी तरह से राजू को उत्साहित और उत्तेजित करेगी लेकिन अंदर उम्मीद से कुछ ज्यादा ही हो गया था और राजू की उत्तेजना वह अपनी आंखों से उसके पजामे में देख रही थी जिसे वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस भी कर चुकी थी,,,, उसकी रगड उसका दबाव बड़ी बड़ी गांड पर बेहद अद्भुत था,,, जिसे महसूस करके अभी भी वह पानी पानी हुए जा रही थी,,,,, सोनी को अपनी कच्छी पूरी तरह से गीलीहो चुकी महसूस हो रही थी जिसे वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपना हाथ लगा कर व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही थी और यह हरकत राजू को एकदम साफ दिखाई दे रही थी और उसकी इस हरकत के कारण उसके तन बदन में काम ज्वाला भड़क रही थी,,,,। राजू समझ गया था कि उत्तेजना के मारे उसका काम रस टपक रहा होगा और वग अपने मन में यही सोचने लगा कि काश उसकी किस्मत में उसकी बुर पर मुंह लगाकर उसका काम रस पीना लिखा होता तो मजा आता ,,,,,,


यह जो खिला दिख रहा है ना पेड में घुसा हुआ इसी मे ब्लैक बोर्ड को टांग दो,,,।
(कोयल सी सुरीली आवाज सुनते ही राजु एकदम मंत्रमुग्ध हो गया और उसके के अनुसार ब्लैक बोर्ड को साफ करके उसी खिले में टांग दिया,,,)

अब ठीक है ना सोनी दीदी,,,,।


हां बिल्कुल ठीक है,,,(इतना कहते हुए वह अपने आप से ही बात करते हुए बोली सोनी दीदी साला मौका मिला होता तो कब से अपना लंड मेरी बुर में डालकर चुदाई कर दिया होता और दीदी कह रहा है,,, फिर वह अपने मन में ही सोचने लगी कि वैसे भी दीदी और भाई के रिश्ते की मर्यादा ही कहां रह गई है उसका बड़ा भाई खुद उसकी चुदाई करता हैं और उसे चोदने के लिए रखा भी है,,, कोई बात नहीं जिंदगी में मजा तो आ रहा है ना बस,,,,)


देखो अब मैं इस ब्लैक बोर्ड पर जो कुछ भी लिखूंगी तुम लोग जमीन पर लिखना कुछ दिन तक ऐसे ही चला लो उसके बाद में तुम लोगों के लिए पाटी लाकर दूंगी,,,,


ठीक है सोनी दीदी,,,(उसकी बात सुनते ही सभी लड़के एक साथ बोल पड़े,,,
Soni

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सोनी ने क ख ग घ,,,, यह चार अक्षर ब्लैक बोर्ड पर लिख दि और उसे,,,,,,, जमीन पर लिखने के लिए बोली सभी लड़के ब्लैक बोर्ड में देखकर जमीन पर लिखने की कोशिश कर रहे थे,,,,बीच-बीच में सोनी उन लोगों का हौसला भी बढ़ा रही थी,,,।



हां ऐसे ही धीरे-धीरे सीख जाओगे पढ़ना लिखना जिंदगी में बहुत जरूरी है कभी हिसाब किताब करना पड़ जाएगा तो कैसे करोगे कोई तो मैं बेवकूफ बना कर चला जाएगा इसलिए पढ़ना लिखना सीखना ही होगा धीरे-धीरे सीख जाओगे,,,,(इतना कहते हुए बार आ चुके सर पर हाथ फिर भी उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी राजू कि उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया दोनों की नजरे आपस में टकराई,,, ना जाने क्यों राजू से नजर मिलते ही,,, सोनी की नजरों में शर्म उतर आई वह शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,, क्योंकि कुछ देर पहले ही राजु ने अपने मर्दाना अंग की रगड़ उसकी गांड पर उसे महसूस करवाया था,,, जिसका एहसास उसकी बुर गीली, कर रहा था,,,, सोनी अपने मन में भाप ली थी कि राजू के साथ उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी,,,,।
ब्लैक बोर्ड में लिखे हुए शब्दों को सभी लड़के लिखने की कोशिश कर रहे थे और धीरे-धीरे कामयाबी हो रहे थे श्याम भी वही कर रहा था लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह अपनी मम्मी यही सोच रहा था कि यह लोग झोपड़ी के अंदर काफी देर से थे यह लोग अंदर कर क्या रहे थे,,,। उससे रहा नहीं गया तो,,, वह धीरे से राजू के कान में बोला,,,।
Raju k intejar me

type math symbols


तुम दोनों इतनी देर से झोपड़ी में क्या कर रहे थे,,,

वही ढूंढरहे थे जिस पर सब कुछ लिखा हुआ है,,, ऊंचाई पर और सबसे नीचे दबा हुआ था इसलिए उसे निकालने में देर हो गई,,,।


कुछ और तो नहीं कर रहा था ना,,,


पागल हो गया क्या तू,,,, लाला की बहन इनके बारे में कुछ सोचना भी नहीं वरना शामत आ जाएगी समझा,,, आप अपना काम कर और मुझे भी करने दे,,,,(लाला का नाम लेकर वह एक तरह से श्याम को धमकाने की कोशिश कर रहा था क्योंकि राजू जानता था कि लाला का डर उसे ज्यादा कुछ सोचने नहीं देगा,,, सोनी और उसके बीच हुए उस वाक्ये के बारे में मैं नहीं चाहता था कि किसी को भी पता चले,,,, वह दूसरे लड़कों की तरह नहीं था कि किसी भी औरत के साथ संबंध बनाने पर वह अपने दोस्तों को बढ़ा चढ़ा कर बातें करते थे वह बल्कि इस तरह के रिश्ते को एकदम खास रखना चाहता था जिसकी किसी को भनक तक ना लगे,,,, सोनी उसी टेबल पर बैठकर आगे क्या करना है उसके बारे में सोच रही थी,,,, राजू को उसने इसी बगीचे में दोबारा बुलाई थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जिस लंड को अपनी बड़ी-बड़ी गांड पर महसूस करके मस्त हो गई है उसे अपनी बुर में लेकर देखना चाहती है ,,वह देखना चाहती थी कि राजू का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसे कितना मजा देता है,,,। यही सब सोच सोच कर वह मस्त हुए जा रही थी और अपनी बुर को गीली कीए जा रही थी,,,, कुछ देर के बाद सोनी ने सब को छुट्टी दे दी और उन्हें अपने-अपने घर जाने के लिए बोल दी,,,,,
उन लोगों के साथ राजू भी जाने लगा,,,, सोनी वही टेबल पर बैठे उसे देखती रही वह उसका इंतजार कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि राजु जरूर आएगा,,,, राजू अपने दोस्तों को सिर्फ दिखाने के लिए उनके साथ जा रहा था,,, वह अंदर ही अंदर वापस बगीचे में जाने के लिए तड़प रहा था लेकिन इस तरह से सबके सामने जाने में डर था वह नहीं चाहता था कि वह लोग किसी भी तरह का शक करें,,, अपने मन में यही सोच रहा था कि सोने जैसी खूबसूरत औरत अगर उसे दोबारा बगीचे में बुलाई है तो जरूर कुछ ना कुछ होगा,,,,,,।


इसलिए वह सब लड़कों के साथ घर तो पहुंच गए लेकिन सबकी नजर बचाकर वापस बगीचे की तरफ चल दिया उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि बगीचे के अंदर जरूर उसका फायदा होने वाला है क्योंकि खूबसूरत औरतों से सबसे नजर बचाकर वहां बुलाई थी और ऐसे सबकी नजर बचाकर औरत तभी बुलाती है जब उसके मन में उसके लिए कुछ कुछ होता है,,,,,।

थोड़ी देर बाद राजू वापस बगीचे मैं पहुंच गया था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दोपहर का समय था कड़ी धूप होने के बावजूद भी घने पेड़ चारों तरफ होने की वजह से धूप नीचे जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए हां पर ठंडक बनी हुई थी,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि पता नहीं क्या करने के लिए यहां बुलाई है यह सोचकर बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य याद आ जा रहा था जब वह सीढ़ियों पर चढ़ी थी और उसका पैर फिसला था और वह उसकी बाहों में आ गीरी थी,,, राजू के मन में एक मलाल रह गया था कि मौका मिलने के बावजूद भी वह उसकी चूचियों पर हाथ नहीं रख पाया था जो कि किसी पहाड़ी की तरह सीना ताने खड़ी थी,,,,।


बगीचे में पहुंचकर वह सोनी को इधर-उधर ढूंढने लगा सोनी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी तो वह झोपड़ी के अंदर जाकर देखने लगा उसे लगा कि शायद झोपड़ी के अंदर होगी,,, लेकिन झोपड़ी भी खाली थी,,,, राजू को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे लगने लगा कि शायद वह मजाक कर रही थी वह कितने अरमान लेकर बगीचे में आया था उस ख्याल से ही बार-बार उसका लंड मुंह उठाकर खड़ा हो जाता था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से बैठाने की कोशिश कर रहा था,,,,, कुछ देर तक वह झोपड़ी के अंदर ही खड़ा होकर सोचने लगा,,,, और बाहर आ गया इधर-उधर दूर-दूर तक देखने पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था इसलिए वह हेड पंप के पास जाकर हेंडपंप चला कर पानी पीने लगा,,,,। उसका मन उदास हो चुका था,,,। वह वापस घर जाने वाला था कि तभी वह सोचा की झोपड़ी के पीछे जाकर देख लु,,,,।
Soni is tarah se raju ko uttejit karti huyi

और यह सोचकर वह झोपड़ी के पीछे जाने लगा,,,,,,, लेकिन यहां पर कोई नहीं था तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा थोड़ी ही दूरी पर बेर लगे हुए थे जिसमें बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे वह सोचा कि चलो कुछ नहीं तो बैर ही लेकर खाया जाए,,,, और यह सोचकर वह बेर के पेड़ के पास पहुंच गया,,,,,, वही थोड़ी दूरी पर सोनी पेशाब करने के लिए आई थी और पेशाब करके वह भी बेर तोड़ रही थी राजू को उस तरफ आता देखकर वह पूरी तरह से सकते में आ गई थी वह सोच रही थी कि वह यहां क्या करने आ रहा है,,,, लेकिन तभी उसके दिमाग में खुराफाती चलने लगा,,,,। राजू बैर तोड़ता इससे पहले ही वह उसके सामने अपनी पीठ उसकी तरफ किए हुए जाकर खड़ी हो गई उसकी पायल और चूड़ियों की खनक की आवाज सुनते हैं राजू उस तरफ देखने लगा और ठीक थोड़ी ही दूरी पर अपने सामने सोनी को खड़ी देख कर वह खुश हो गया लेकिन वह कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनी अपना जलवा दिखाते हुए अपनी साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी जैसा कि वह उस दिन झाड़ियों के अंदर छुप कर देखा था यह देखकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा वह समझ गया कि जिस तरह का दृश्य उसने उस दिन देखा था आज भी उसकी किस्मत तेज है आज भी उसे वही देखने को मिलेगा,,,, इसलिए बैर ना तोड़कर वह वहीं खड़ा रह गया और धड़कते दिल के साथ उस दृश्य का आनंद लेने लगा जोकी सोनी जानबूझकरउसे दिखा रही थी जबकि वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन आज वह अपनी जवानी की झलक दिखा कर उसे पूरी तरह से अपने बस में कर लेना चाहती थी,,, और वह यह बात नहीं जानती थी कि इस तरह के नजारे को वह पहले भी देख चुका है,,, तभी तो उसके पीछे पीछे लट्टु की तरह घूम रहा था,,,,।
SOni ki laajawab gaand

सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरना शुरू कर दी थी वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते ही देखते राजु की आंखों के सामने उसने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी थी ऐसा करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, क्योंकि वह जानती थी कि पीछे खड़ा एक नौजवान लड़का उसे अपनी साड़ी कमर तक उठाते हुए देख रहा है उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख कर मस्त हो रहा है और यह एहसास सोनी के तन बदन में आग लगा रहा था,,,,, देखते ही देखते सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाती थी राजू की आंखें एक बार फिर से चौंधिया गई थी सोनी को चड्डी पहने हुए देखकर,,,, यह राजू के लिए अत्यधिक उत्तेजनात्मक स्थिति का निर्माण कर रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई औरत इस उमर में भी चड्डी पहनती होगी जबकि चड्डी तो बच्चे पहना करते थे,,,।
Soni ki madmast badi badi gaand

सोनी सब कुछ जानते हुए भी अपनी चड्डी को नीचे की तरफ खासकाने लगी और सोनी की यह हरकत राजू से सीने में छुरियां चला रही थी,,, देखते ही देखते सोनी ने अपनी बड़ी बड़ी गांड को उजागर करते हुए अपनी चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका दी,,,राजू से तो कुछ भी बोला नहीं जा रहा था यहां तक कि सांस भी लेना मुश्किल हुआ जा रहा था और पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,, पजामे में एक बार फिर से तंबू बन चुका था,,,। गोल गोल गोरी गांड सुनहरी धूप में और ज्यादा चमक रही थी,,, सोनी के अंतर्मन में भी फुलझड़ियां झड़ने लगी थी,,, जवानी की आग में उसका तन जल रहा था,,,। राजू को पाने के लिए वो अपने होशो हवास खो बैठी थी,,,। वह अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे खड़ा राजू उसकी नंगी गांड को देख रहा होगा और यही तसल्ली करने के लिए वह पीछे नहीं देखना चाहती थी क्योंकि वह राजू को पूरी तरह से तड़पाना चाहती थी,,,, राजू के लिए उसका नंगा बदन एक तरह से उसके लिए पुरस्कार था और उसे जीतने के लिए उसे खुद सोनी से स्पर्धा करना था जिसमें सोनी को भी मालूम था कि विजेता चाहे जो भी बने फायदा उसी का है,,,, इस खेल में बहुत मजा आने वाला था,,,,

Soni is tarah se raju ko apni jawani ka jalwa dikha rahi thi

सोनी के लिए पहला मौका था जब हुआ इस तरह से किस जवान लड़की को जानबूझकर अपनी गांड दिखा रही थी,,,। और राजु के लिए इस तरह के मौके बनते जा रहे थे,,, सोनी पेशाब कर चुकी थी इसलिए उसे पैसा बिल्कुल भी नहीं लगी थी लेकिन पेशाब करने की कलाकृति दिखाना जरूरी थी इसलिए वह वहीं पर बैठ गई क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी ख्वाइश होती और खूबसूरत औरत को,,,, उनकी बड़ी-बड़ी कहां देख कर और खास करके उन्हें पेशाब करता हुआ देखकर मर्द एकदम से उत्तेजित हो जाते हैं,,,, और वह भी यही चाहती थी कि राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए,,,,।
Apni saree ko kamar tak uthaye huye soni kamaal lag rahi thi

सोनी उसी तरह से बैठीरह गई गई सोने की जानकारी में उसे पेशाब करता हुआ आज तक किसी ने भी नहीं देखा था,,,, लेकिन यही उसकी भुल भी वह इस बात से अनजान थी कि राजू एक बार पहले भी से पेशाब करता हुआ देख चुका है और आज तो वह खुद जानबूझकर उसे दिखा रही थी,,, सोनी के खूबसूरत चेहरे की तरह उसकी गांड भी बहुत खूबसूरत थी वह भरी हुई गुदाज एकदम गदराई हुई,,,। जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था किसी से में झाड़ियों में घुस जाए और पीछे से बैठकर उसकी गांड में पूरा लंड डाल दें,,,, लेकिन वह‌ ऐसा नहीं करना चाहता था भले ही वह उसके आकर्षण के जाल में पूरी तरह से बंधा हुआ था लेकिन इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,,,।


सोनी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड की बड़ी-बड़ी फांकों को दोनों हाथों में लेकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और यह देखकर राजू के सब्र का बांध टूटता चला जा रहा था वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,। जो की पूरी तरह से पजामें में अपनी अकड़ दिखा रहा था,,। सोनी पूरी तरह से राजु को मस्त कर देना चाहती थी,,, इसलिए अपनी बड़ी-बड़ी काम को दोनों हथेली में भरकर हल्के हल्के दबा भी रही थी,,,, कुछ समय तक वह उसी तरह से बैठी रह गई,,,, वो जानती थी कि उसका काम हो गया है जिस तरह का जादू चलाना था वह जादू चल चुका है,,, इसलिए वह धीरे से खड़ी हो गई,,, लेकिन अपने साड़ी को नीचे करने से पहले और अपनी कच्छी को पहनने से पहले,,,,वो पीछे मुड़कर देखना चाहती थी पर ऐसा जताना चाहती थी कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,इसलिए थोड़ा सा नीचे झुकी और अपनी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर करनी चाही रही थी कि पीछे मुड़ कर देखने लगी और तुरंत राजु और सोनी दोनों की नजरें आपस में टकरा गई,,,,,, सोनी अगर गुस्सा करती तो राजू शर्मिंदा हो जाता लेकिन वह ऐसा नहीं चाहती थी क्योंकि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहते थे इसलिए वह राजू की तरफ देखते हूए बोली,,,।
Soni apni gaand ko raju ko dikha k sahla rahi thi


तुम आ गए,,, तुम कब आए,,,,(और ऐसा कहते हुए जानबूझकर उसकी आंखों के सामने ही अपनी चड्डी को पहनने लगी,,,, राजू आंखें फाड़े उसी को देखे जा रहा था,, उसकी सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, राजू उसके छोटी सी चड्ढी को देख रहा था,,, उसे बड़ी ताजुब के साथ साथ उत्तेजना भी छा रही थी,,,, सोनी चड्डी पहन चुकी थी,,,साड़ी को कमर से नीचे गिराने से पहले वह एक बार उसकी तरफ एकदम से खून गई थी वह चड्डी में क्यों अपनी फोटो भी बुरा जी को दिखाना चाहती तुझे अपनी उसकी कच्ची से पूरी तरह से चिपकी हुई थी और उपसी हुई नजर आ रही थी,,,,। राजू की आंखों के सामने उसकी छोटी सी छोटी थी और वह भी आगे से फुली हुई बुर वाली जगह का उभार कुछ ज्यादा ही था,,,,कमला चाची और अपनी बुआ की चुदाई कर चुका राजू अच्छी तरह से जानता था कि दोनों टांगों के बीच औरतों की बुर कौन सी जगह पर होती है,, ईस लिए सोनी की चड्ढी में फूली हुई जगह को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई है,,,।सोनी समझ गई थी कि जो कुछ भी उसमें दिखाई थी वह उसकी उत्तेजना के लिए काफी था क्योंकि उसकी नजर उसके पजामे में बने हुए तंबू पर चली गई थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,, और आपने साड़ी को कमर से नीचे गिरा कर,,, वह एक बेहद कामुकता भरे नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,,, ।

राजू के द्वारा पेशाब करता हुआ उसकी नंगी गांड देखने के बावजूद भी वह बिल्कुल सामान्य थी यह देखकर राजू को भी आश्चर्य हो रहा था उसमें किसी भी प्रकार की झिझक नहीं थी,,, वह बड़े आराम से झाड़ियों के बीच में से अपने साड़ी को दोनों हाथों से हल्के से पकड़ कर बाहर की तरफ आने लगी और बोली,,,)
Raju ko soni apni gaand dekhne ka bharpur mauka de rahi thi

मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी मुझे तो लगा तुम आओगे नहीं मुझे बडे जोरो की पिशाब लगी थी तो मैं इधर आ गई,,,,
(सोनी जैसी खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनकर और अभी एकदम खुले शब्दों में राजू की तो हालत खराब हो गई उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था उसके मुंह से पेशाब शब्द सुन कर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, और उसकी बात सुनकर हक लाते हुए बोला,,,)

ममममम,,, मैं तो कब से आ गया हूं तुम ही कहीं दिखाई नहीं दे रही थी तो पीछे चला आया,,,,।


कोई बात नहीं चलो आगे चलते हैं,,,,।
(इतना कहकर वो आगे आगे चलने लगी और पीछे-पीछे राजू राजू की बोलती बंद थी सांसो की गति तेज हो चुकी थी इतनी उत्तेजक और खूबसूरत औरत उसने आज तक नहीं देखा था उसकी बड़ी बड़ी गांड पर अपनी नजरों को गड़ाए वह उसके पीछे पीछे चलने लगा,,,)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
राजू घर जाकर वापिस बगीचे में आ जाता है लेकिन उसे सोनी कही दिखाई नहीं देती है तो झोपड़े के पीछे चला जाता है वहा सोनी पेसाब करते हुए मिलती हैं उसकी गांड़ देखकर राजू उत्तेजित हो जाता है देखते हैं आगे क्या करता है राजू
 
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