झोपड़ी के अंदर जो कुछ भी हुआ था उसको लेकर राजू और सोनी दोनों बेहद उत्साहित थे,,, राजू को तो यकीन नहीं हो रहा था कि वह सोनी के खूबसूरत बदन को अपने हाथों से स्पर्श किया है,,,, लाजवाब बेमिसाल अद्भुत खूबसूरती की मालकिन सोनी के भरे हुए बदन को अपनी बाहों में लेकर वह पूरी तरह से गदगद हुआ जा रहा था,,, उसे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था,,,जिसे सिर्फ देख कर आहे भरा करता था उसे अपनी बाहों में लेकर वह अपने आप को सबसे ज्यादा खुश नसीब समझने लगा था,,,,,, नंगी चिकनी टांगो को पकड़कर वह चित्र की उत्तेजना का अनुभव अपने अंदर कर रहा था वह पूरी तरह से उसे अपने बस में कर लिया था लेकिन वह नहीं जानता था कि उसके हाथों से ही उस खूबसूरत औरत की साड़ी कमर तक उठ जाएगी,,,, यह शुभ काम अपने हाथों से होता हुआ देखकर वह ऊतेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था,,,उसकी मानसिक चिकनी कमर पर अपनी हथेलियों की पकड़ को वह अभी तक अपने अंदर महसूस कर रहा था उसके बदन की गर्माहट को अपने अंदर महसूस करके उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पिघल ना जाए,,,,,, उसकी नरम नरम गद्देदार बड़ी बड़ी गांड पर उसके लंड की ठोकर अनजाने में ही लगी थी लेकिन वह जानबूझकर अपनी तरफ से भी हरकत करते हुए अपने लंड का दावा उसकी गांड पर बराबर बनाए हुए था,,, दो दो औरतों का सुख भोग चुका राजू इतना तो समझ गया था कि सोनी को भी उसके लंड की रगड़ साफ महसूस हुई होगी,,,तभी तो वह मुस्कुरा रही थी और जाते समय उसके पहचाने मैंने तंबू की तरफ इशारा करके खुद बोल गई थी कि इसे शांत करके बाहर आ जाना,,,,,, उसकी इस हरकत पर राजू समझ गया था कि सोनी बहुत गरम औरत है वरना जिस तरह की हरकत हुई थी उससे वह क्रोधित हो जाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,,,। राजू के मन में अभी भी एक सवाल उठ रहा था कि वह साड़ी के अंदर क्या पहनी हुई थी जिसे देखकर उसका मन थोड़ा गया कुछ भेजा रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि इतनी बड़ी औरत होने के बावजूद भी अभी भी बच्चों की तरह चड्डी पहनती है,,, क्योंकि राजू को औरतों के अंग वस्त्र के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था क्योंकि गांव की सभी औरतें,,,, साड़ी और सलवार के अंदर कुछ भी नहीं पहनती थी और उन्हें भी इस बारे में कुछ पता भी नहीं था,,,, इसीलिए राजू ने ना तो कमला चाची के साड़ी के अंदर कुछ पहना हुआ देखा था और ना ही अपनी बुआ गुलाबी की सलवार के अंदर,,, इसलिए सोनई की कच्छी को देख कर उसे आश्चर्य हो रहा था,,,।
Soni ki gaand par chaddhi dekhkar raju heraan tha
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अंदर से ब्लैकबोर्ड लेकर वह बाहर आ चुका था,,,। राजु को देखकर सोनी मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सोनी की सोच से ज्यादा हो चुका था,,सोनी के मन में यही था कि झोपड़ी के अंदर ले जाकर क्यों वह किसी भी तरह से राजू को उत्साहित और उत्तेजित करेगी लेकिन अंदर उम्मीद से कुछ ज्यादा ही हो गया था और राजू की उत्तेजना वह अपनी आंखों से उसके पजामे में देख रही थी जिसे वह अपनी बड़ी बड़ी गांड पर महसूस भी कर चुकी थी,,,, उसकी रगड उसका दबाव बड़ी बड़ी गांड पर बेहद अद्भुत था,,, जिसे महसूस करके अभी भी वह पानी पानी हुए जा रही थी,,,,, सोनी को अपनी कच्छी पूरी तरह से गीलीहो चुकी महसूस हो रही थी जिसे वह बार-बार साड़ी के ऊपर से ही अपना हाथ लगा कर व्यवस्थित करने की कोशिश कर रही थी और यह हरकत राजू को एकदम साफ दिखाई दे रही थी और उसकी इस हरकत के कारण उसके तन बदन में काम ज्वाला भड़क रही थी,,,,। राजू समझ गया था कि उत्तेजना के मारे उसका काम रस टपक रहा होगा और वग अपने मन में यही सोचने लगा कि काश उसकी किस्मत में उसकी बुर पर मुंह लगाकर उसका काम रस पीना लिखा होता तो मजा आता ,,,,,,
यह जो खिला दिख रहा है ना पेड में घुसा हुआ इसी मे ब्लैक बोर्ड को टांग दो,,,।
(कोयल सी सुरीली आवाज सुनते ही राजु एकदम मंत्रमुग्ध हो गया और उसके के अनुसार ब्लैक बोर्ड को साफ करके उसी खिले में टांग दिया,,,)
अब ठीक है ना सोनी दीदी,,,,।
हां बिल्कुल ठीक है,,,(इतना कहते हुए वह अपने आप से ही बात करते हुए बोली सोनी दीदी साला मौका मिला होता तो कब से अपना लंड मेरी बुर में डालकर चुदाई कर दिया होता और दीदी कह रहा है,,, फिर वह अपने मन में ही सोचने लगी कि वैसे भी दीदी और भाई के रिश्ते की मर्यादा ही कहां रह गई है उसका बड़ा भाई खुद उसकी चुदाई करता हैं और उसे चोदने के लिए रखा भी है,,, कोई बात नहीं जिंदगी में मजा तो आ रहा है ना बस,,,,)
देखो अब मैं इस ब्लैक बोर्ड पर जो कुछ भी लिखूंगी तुम लोग जमीन पर लिखना कुछ दिन तक ऐसे ही चला लो उसके बाद में तुम लोगों के लिए पाटी लाकर दूंगी,,,,
ठीक है सोनी दीदी,,,(उसकी बात सुनते ही सभी लड़के एक साथ बोल पड़े,,,
Soni
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सोनी ने क ख ग घ,,,, यह चार अक्षर ब्लैक बोर्ड पर लिख दि और उसे,,,,,,, जमीन पर लिखने के लिए बोली सभी लड़के ब्लैक बोर्ड में देखकर जमीन पर लिखने की कोशिश कर रहे थे,,,,बीच-बीच में सोनी उन लोगों का हौसला भी बढ़ा रही थी,,,।
हां ऐसे ही धीरे-धीरे सीख जाओगे पढ़ना लिखना जिंदगी में बहुत जरूरी है कभी हिसाब किताब करना पड़ जाएगा तो कैसे करोगे कोई तो मैं बेवकूफ बना कर चला जाएगा इसलिए पढ़ना लिखना सीखना ही होगा धीरे-धीरे सीख जाओगे,,,,(इतना कहते हुए बार आ चुके सर पर हाथ फिर भी उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी राजू कि उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया दोनों की नजरे आपस में टकराई,,, ना जाने क्यों राजू से नजर मिलते ही,,, सोनी की नजरों में शर्म उतर आई वह शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,, क्योंकि कुछ देर पहले ही राजु ने अपने मर्दाना अंग की रगड़ उसकी गांड पर उसे महसूस करवाया था,,, जिसका एहसास उसकी बुर गीली, कर रहा था,,,, सोनी अपने मन में भाप ली थी कि राजू के साथ उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी,,,,।
ब्लैक बोर्ड में लिखे हुए शब्दों को सभी लड़के लिखने की कोशिश कर रहे थे और धीरे-धीरे कामयाबी हो रहे थे श्याम भी वही कर रहा था लेकिन उसके मन में कुछ और चल रहा था वह अपनी मम्मी यही सोच रहा था कि यह लोग झोपड़ी के अंदर काफी देर से थे यह लोग अंदर कर क्या रहे थे,,,। उससे रहा नहीं गया तो,,, वह धीरे से राजू के कान में बोला,,,।
Raju k intejar me
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तुम दोनों इतनी देर से झोपड़ी में क्या कर रहे थे,,,
वही ढूंढरहे थे जिस पर सब कुछ लिखा हुआ है,,, ऊंचाई पर और सबसे नीचे दबा हुआ था इसलिए उसे निकालने में देर हो गई,,,।
कुछ और तो नहीं कर रहा था ना,,,
पागल हो गया क्या तू,,,, लाला की बहन इनके बारे में कुछ सोचना भी नहीं वरना शामत आ जाएगी समझा,,, आप अपना काम कर और मुझे भी करने दे,,,,(लाला का नाम लेकर वह एक तरह से श्याम को धमकाने की कोशिश कर रहा था क्योंकि राजू जानता था कि लाला का डर उसे ज्यादा कुछ सोचने नहीं देगा,,, सोनी और उसके बीच हुए उस वाक्ये के बारे में मैं नहीं चाहता था कि किसी को भी पता चले,,,, वह दूसरे लड़कों की तरह नहीं था कि किसी भी औरत के साथ संबंध बनाने पर वह अपने दोस्तों को बढ़ा चढ़ा कर बातें करते थे वह बल्कि इस तरह के रिश्ते को एकदम खास रखना चाहता था जिसकी किसी को भनक तक ना लगे,,,, सोनी उसी टेबल पर बैठकर आगे क्या करना है उसके बारे में सोच रही थी,,,, राजू को उसने इसी बगीचे में दोबारा बुलाई थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जिस लंड को अपनी बड़ी-बड़ी गांड पर महसूस करके मस्त हो गई है उसे अपनी बुर में लेकर देखना चाहती है ,,वह देखना चाहती थी कि राजू का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसे कितना मजा देता है,,,। यही सब सोच सोच कर वह मस्त हुए जा रही थी और अपनी बुर को गीली कीए जा रही थी,,,, कुछ देर के बाद सोनी ने सब को छुट्टी दे दी और उन्हें अपने-अपने घर जाने के लिए बोल दी,,,,,
उन लोगों के साथ राजू भी जाने लगा,,,, सोनी वही टेबल पर बैठे उसे देखती रही वह उसका इंतजार कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि राजु जरूर आएगा,,,, राजू अपने दोस्तों को सिर्फ दिखाने के लिए उनके साथ जा रहा था,,, वह अंदर ही अंदर वापस बगीचे में जाने के लिए तड़प रहा था लेकिन इस तरह से सबके सामने जाने में डर था वह नहीं चाहता था कि वह लोग किसी भी तरह का शक करें,,, अपने मन में यही सोच रहा था कि सोने जैसी खूबसूरत औरत अगर उसे दोबारा बगीचे में बुलाई है तो जरूर कुछ ना कुछ होगा,,,,,,।
इसलिए वह सब लड़कों के साथ घर तो पहुंच गए लेकिन सबकी नजर बचाकर वापस बगीचे की तरफ चल दिया उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि बगीचे के अंदर जरूर उसका फायदा होने वाला है क्योंकि खूबसूरत औरतों से सबसे नजर बचाकर वहां बुलाई थी और ऐसे सबकी नजर बचाकर औरत तभी बुलाती है जब उसके मन में उसके लिए कुछ कुछ होता है,,,,,।
थोड़ी देर बाद राजू वापस बगीचे मैं पहुंच गया था चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दोपहर का समय था कड़ी धूप होने के बावजूद भी घने पेड़ चारों तरफ होने की वजह से धूप नीचे जमीन तक नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए हां पर ठंडक बनी हुई थी,,,, राजू का दिल जोरों से धड़क रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि पता नहीं क्या करने के लिए यहां बुलाई है यह सोचकर बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य याद आ जा रहा था जब वह सीढ़ियों पर चढ़ी थी और उसका पैर फिसला था और वह उसकी बाहों में आ गीरी थी,,, राजू के मन में एक मलाल रह गया था कि मौका मिलने के बावजूद भी वह उसकी चूचियों पर हाथ नहीं रख पाया था जो कि किसी पहाड़ी की तरह सीना ताने खड़ी थी,,,,।
बगीचे में पहुंचकर वह सोनी को इधर-उधर ढूंढने लगा सोनी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी तो वह झोपड़ी के अंदर जाकर देखने लगा उसे लगा कि शायद झोपड़ी के अंदर होगी,,, लेकिन झोपड़ी भी खाली थी,,,, राजू को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे लगने लगा कि शायद वह मजाक कर रही थी वह कितने अरमान लेकर बगीचे में आया था उस ख्याल से ही बार-बार उसका लंड मुंह उठाकर खड़ा हो जाता था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से बैठाने की कोशिश कर रहा था,,,,, कुछ देर तक वह झोपड़ी के अंदर ही खड़ा होकर सोचने लगा,,,, और बाहर आ गया इधर-उधर दूर-दूर तक देखने पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था इसलिए वह हेड पंप के पास जाकर हेंडपंप चला कर पानी पीने लगा,,,,। उसका मन उदास हो चुका था,,,। वह वापस घर जाने वाला था कि तभी वह सोचा की झोपड़ी के पीछे जाकर देख लु,,,,।
Soni is tarah se raju ko uttejit karti huyi
और यह सोचकर वह झोपड़ी के पीछे जाने लगा,,,,,,, लेकिन यहां पर कोई नहीं था तो वह धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा थोड़ी ही दूरी पर बेर लगे हुए थे जिसमें बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे वह सोचा कि चलो कुछ नहीं तो बैर ही लेकर खाया जाए,,,, और यह सोचकर वह बेर के पेड़ के पास पहुंच गया,,,,,, वही थोड़ी दूरी पर सोनी पेशाब करने के लिए आई थी और पेशाब करके वह भी बेर तोड़ रही थी राजू को उस तरफ आता देखकर वह पूरी तरह से सकते में आ गई थी वह सोच रही थी कि वह यहां क्या करने आ रहा है,,,, लेकिन तभी उसके दिमाग में खुराफाती चलने लगा,,,,। राजू बैर तोड़ता इससे पहले ही वह उसके सामने अपनी पीठ उसकी तरफ किए हुए जाकर खड़ी हो गई उसकी पायल और चूड़ियों की खनक की आवाज सुनते हैं राजू उस तरफ देखने लगा और ठीक थोड़ी ही दूरी पर अपने सामने सोनी को खड़ी देख कर वह खुश हो गया लेकिन वह कुछ बोल पाता इससे पहले ही सोनी अपना जलवा दिखाते हुए अपनी साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी जैसा कि वह उस दिन झाड़ियों के अंदर छुप कर देखा था यह देखकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा वह समझ गया कि जिस तरह का दृश्य उसने उस दिन देखा था आज भी उसकी किस्मत तेज है आज भी उसे वही देखने को मिलेगा,,,, इसलिए बैर ना तोड़कर वह वहीं खड़ा रह गया और धड़कते दिल के साथ उस दृश्य का आनंद लेने लगा जोकी सोनी जानबूझकरउसे दिखा रही थी जबकि वह पेशाब कर चुकी थी लेकिन आज वह अपनी जवानी की झलक दिखा कर उसे पूरी तरह से अपने बस में कर लेना चाहती थी,,, और वह यह बात नहीं जानती थी कि इस तरह के नजारे को वह पहले भी देख चुका है,,, तभी तो उसके पीछे पीछे लट्टु की तरह घूम रहा था,,,,।
SOni ki laajawab gaand
सोनी अपनी जवानी का जलवा बिखेरना शुरू कर दी थी वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और देखते ही देखते राजु की आंखों के सामने उसने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी थी ऐसा करने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, क्योंकि वह जानती थी कि पीछे खड़ा एक नौजवान लड़का उसे अपनी साड़ी कमर तक उठाते हुए देख रहा है उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख कर मस्त हो रहा है और यह एहसास सोनी के तन बदन में आग लगा रहा था,,,,, देखते ही देखते सोनी अपनी साड़ी को कमर तक उठाती थी राजू की आंखें एक बार फिर से चौंधिया गई थी सोनी को चड्डी पहने हुए देखकर,,,, यह राजू के लिए अत्यधिक उत्तेजनात्मक स्थिति का निर्माण कर रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई औरत इस उमर में भी चड्डी पहनती होगी जबकि चड्डी तो बच्चे पहना करते थे,,,।
Soni ki madmast badi badi gaand
सोनी सब कुछ जानते हुए भी अपनी चड्डी को नीचे की तरफ खासकाने लगी और सोनी की यह हरकत राजू से सीने में छुरियां चला रही थी,,, देखते ही देखते सोनी ने अपनी बड़ी बड़ी गांड को उजागर करते हुए अपनी चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका दी,,,राजू से तो कुछ भी बोला नहीं जा रहा था यहां तक कि सांस भी लेना मुश्किल हुआ जा रहा था और पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ,, पजामे में एक बार फिर से तंबू बन चुका था,,,। गोल गोल गोरी गांड सुनहरी धूप में और ज्यादा चमक रही थी,,, सोनी के अंतर्मन में भी फुलझड़ियां झड़ने लगी थी,,, जवानी की आग में उसका तन जल रहा था,,,। राजू को पाने के लिए वो अपने होशो हवास खो बैठी थी,,,। वह अच्छी तरह से जानती थी कि पीछे खड़ा राजू उसकी नंगी गांड को देख रहा होगा और यही तसल्ली करने के लिए वह पीछे नहीं देखना चाहती थी क्योंकि वह राजू को पूरी तरह से तड़पाना चाहती थी,,,, राजू के लिए उसका नंगा बदन एक तरह से उसके लिए पुरस्कार था और उसे जीतने के लिए उसे खुद सोनी से स्पर्धा करना था जिसमें सोनी को भी मालूम था कि विजेता चाहे जो भी बने फायदा उसी का है,,,, इस खेल में बहुत मजा आने वाला था,,,,
Soni is tarah se raju ko apni jawani ka jalwa dikha rahi thi
सोनी के लिए पहला मौका था जब हुआ इस तरह से किस जवान लड़की को जानबूझकर अपनी गांड दिखा रही थी,,,। और राजु के लिए इस तरह के मौके बनते जा रहे थे,,, सोनी पेशाब कर चुकी थी इसलिए उसे पैसा बिल्कुल भी नहीं लगी थी लेकिन पेशाब करने की कलाकृति दिखाना जरूरी थी इसलिए वह वहीं पर बैठ गई क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी ख्वाइश होती और खूबसूरत औरत को,,,, उनकी बड़ी-बड़ी कहां देख कर और खास करके उन्हें पेशाब करता हुआ देखकर मर्द एकदम से उत्तेजित हो जाते हैं,,,, और वह भी यही चाहती थी कि राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए,,,,।
Apni saree ko kamar tak uthaye huye soni kamaal lag rahi thi
सोनी उसी तरह से बैठीरह गई गई सोने की जानकारी में उसे पेशाब करता हुआ आज तक किसी ने भी नहीं देखा था,,,, लेकिन यही उसकी भुल भी वह इस बात से अनजान थी कि राजू एक बार पहले भी से पेशाब करता हुआ देख चुका है और आज तो वह खुद जानबूझकर उसे दिखा रही थी,,, सोनी के खूबसूरत चेहरे की तरह उसकी गांड भी बहुत खूबसूरत थी वह भरी हुई गुदाज एकदम गदराई हुई,,,। जिसे देखकर राजू का मन कर रहा था किसी से में झाड़ियों में घुस जाए और पीछे से बैठकर उसकी गांड में पूरा लंड डाल दें,,,, लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहता था भले ही वह उसके आकर्षण के जाल में पूरी तरह से बंधा हुआ था लेकिन इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि वह लाला की बहन थी,,,,।
सोनी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी गांड की बड़ी-बड़ी फांकों को दोनों हाथों में लेकर हल्के हल्के सहला रही थी,,, और यह देखकर राजू के सब्र का बांध टूटता चला जा रहा था वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा था,,,। जो की पूरी तरह से पजामें में अपनी अकड़ दिखा रहा था,,। सोनी पूरी तरह से राजु को मस्त कर देना चाहती थी,,, इसलिए अपनी बड़ी-बड़ी काम को दोनों हथेली में भरकर हल्के हल्के दबा भी रही थी,,,, कुछ समय तक वह उसी तरह से बैठी रह गई,,,, वो जानती थी कि उसका काम हो गया है जिस तरह का जादू चलाना था वह जादू चल चुका है,,, इसलिए वह धीरे से खड़ी हो गई,,, लेकिन अपने साड़ी को नीचे करने से पहले और अपनी कच्छी को पहनने से पहले,,,,वो पीछे मुड़कर देखना चाहती थी पर ऐसा जताना चाहती थी कि सब कुछ अनजाने में हुआ है,,,इसलिए थोड़ा सा नीचे झुकी और अपनी कच्छी को दोनों हाथों से पकड़ कर ऊपर करनी चाही रही थी कि पीछे मुड़ कर देखने लगी और तुरंत राजु और सोनी दोनों की नजरें आपस में टकरा गई,,,,,, सोनी अगर गुस्सा करती तो राजू शर्मिंदा हो जाता लेकिन वह ऐसा नहीं चाहती थी क्योंकि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहते थे इसलिए वह राजू की तरफ देखते हूए बोली,,,।
Soni apni gaand ko raju ko dikha k sahla rahi thi
तुम आ गए,,, तुम कब आए,,,,(और ऐसा कहते हुए जानबूझकर उसकी आंखों के सामने ही अपनी चड्डी को पहनने लगी,,,, राजू आंखें फाड़े उसी को देखे जा रहा था,, उसकी सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, राजू उसके छोटी सी चड्ढी को देख रहा था,,, उसे बड़ी ताजुब के साथ साथ उत्तेजना भी छा रही थी,,,, सोनी चड्डी पहन चुकी थी,,,साड़ी को कमर से नीचे गिराने से पहले वह एक बार उसकी तरफ एकदम से खून गई थी वह चड्डी में क्यों अपनी फोटो भी बुरा जी को दिखाना चाहती तुझे अपनी उसकी कच्ची से पूरी तरह से चिपकी हुई थी और उपसी हुई नजर आ रही थी,,,,। राजू की आंखों के सामने उसकी छोटी सी छोटी थी और वह भी आगे से फुली हुई बुर वाली जगह का उभार कुछ ज्यादा ही था,,,,कमला चाची और अपनी बुआ की चुदाई कर चुका राजू अच्छी तरह से जानता था कि दोनों टांगों के बीच औरतों की बुर कौन सी जगह पर होती है,, ईस लिए सोनी की चड्ढी में फूली हुई जगह को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई है,,,।सोनी समझ गई थी कि जो कुछ भी उसमें दिखाई थी वह उसकी उत्तेजना के लिए काफी था क्योंकि उसकी नजर उसके पजामे में बने हुए तंबू पर चली गई थी,,, जिस पर नजर पड़ते ही उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,, और आपने साड़ी को कमर से नीचे गिरा कर,,, वह एक बेहद कामुकता भरे नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,,, ।
राजू के द्वारा पेशाब करता हुआ उसकी नंगी गांड देखने के बावजूद भी वह बिल्कुल सामान्य थी यह देखकर राजू को भी आश्चर्य हो रहा था उसमें किसी भी प्रकार की झिझक नहीं थी,,, वह बड़े आराम से झाड़ियों के बीच में से अपने साड़ी को दोनों हाथों से हल्के से पकड़ कर बाहर की तरफ आने लगी और बोली,,,)
Raju ko soni apni gaand dekhne ka bharpur mauka de rahi thi
मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी मुझे तो लगा तुम आओगे नहीं मुझे बडे जोरो की पिशाब लगी थी तो मैं इधर आ गई,,,,
(सोनी जैसी खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनकर और अभी एकदम खुले शब्दों में राजू की तो हालत खराब हो गई उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था उसके मुंह से पेशाब शब्द सुन कर राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, और उसकी बात सुनकर हक लाते हुए बोला,,,)
ममममम,,, मैं तो कब से आ गया हूं तुम ही कहीं दिखाई नहीं दे रही थी तो पीछे चला आया,,,,।
कोई बात नहीं चलो आगे चलते हैं,,,,।
(इतना कहकर वो आगे आगे चलने लगी और पीछे-पीछे राजू राजू की बोलती बंद थी सांसो की गति तेज हो चुकी थी इतनी उत्तेजक और खूबसूरत औरत उसने आज तक नहीं देखा था उसकी बड़ी बड़ी गांड पर अपनी नजरों को गड़ाए वह उसके पीछे पीछे चलने लगा,,,)