राजू के जीवन में जो कुछ भी हो रहा था राजू उससे बहुत खुश था,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे गांव की सारी औरतों की बुर पर धीरे-धीरे उसके लंड का नाम लिखता चला जा रहा है,,,,,,,, श्याम की मां की चुदाई करने के बाद तो बड़ा सातवें आसमान में था ,,, ऐसा नहीं था कि श्याम की मां गांव की सबसे खूबसूरत औरत में से एक थी,,, वह सामान्य ही थी,,, लेकिन उसे चोदने का है अजब ही मजा था राजू के लिए,,, राजू श्याम की मां की दोनों टांगों के बीच विजय पाकर आने वाले समय में एक तीर से ढेर सारे शिकार करने वाला था,,,, श्याम की मां की चुदाई करके वह श्याम और श्याम की मां दोनों को अपने काबू में कर लिया था,,,, जोकि आगे चलकर झुमरी और राजू दोनों का मिलन करवाने में काम आने वाला था,,,,।
श्याम की मां को चोदने का एक अजब अनुभव और भी इसलिए था कि राजू पहली बार एक बेटे के सामने ही उसकी मां की चुदाई कर रहा था जो कि इस बात से उसकी मां बिल्कुल भी अनजान थे लेकिन बेटा पूरी तरह से जानता था और,,, सब कुछ जानते हुए भी वह खुद उसे अपनी मां के पास ले गया था,,,कैसा लगता होगा जब एक बेटा खुद अपनी मां को चोदने के लिए अपने दोस्त को अपने घर पर लेकर जाएं इस अनुभव से श्याम गुजर चुका था और राजू को इस बात का अहसास था कि उसकी मां को चोदते समय जब जब वह श्याम की तरफ देख रहा था तो उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई नजर आती है उसे गुस्सा भी बहुत आता था लेकिन कुछ कर सकने की स्थिति में उस समय वह बिल्कुल नहीं था,,,,
श्याम की मां को चोदने में राजू को बहुत मजा आया था उसकी बड़ी बड़ी गांड दोनों हाथों से पकड़ कर उसके गुलाबी छेद में लंड डालकर धक्के मारने में उसे अत्यधिक सुख का अहसास हुआ था,,,,,,, धीरे-धीरे राजू गांव की औरतों में प्रख्यात होता जा रहा था,,,, ऐसा नहीं था कि यह राज किसी को पता था यह राज राज ही था राजू किस औरत की चुदाई करता है किस को चोदना चाहता है यह सब राज ही था,,,,।
सुबह का समय था और हरिया आंगन में खटिया डालें बीड़ी पी रहा था और जोर जोर से खांस रहा था,,, उसे इस तरह से खांसता हुआ देखकर मधु बोली,,,।
आपको मैं कितनी बार कहीं हूं कि बीड़ी छोड़ दीजिए आप की तबीयत ठीक नहीं रहती,,,,
अब क्या करूं कितना भी छोड़ना चाहु छुटती नहीं है,,,
अरे आगे का तो सोचिए अभी बहुत कुछ करना है बीमार पड़ जाएंगे तो कैसे चलेगा,,,
इसीलिए तो कहता हूं कि राजू को मेरे साथ भेज दिया कर,,, वह भी धीरे-धीरे बैलगाड़ी सीख जाएगा तो कमाने खाने लगेगा और परिवार की मदद भी कर पाएगा,,,,
(हरिया का यह कहना था कि तभी बाहर से राजू दातुन करता हुआ घर में प्रवेश किया उसे देखते ही हरिया बोला)
अरे राजू तू मेरे साथ रेलवे स्टेशन चलाकर,,,
क्यों पिता जी,,,,?
अरे वहां चलकर सीख कैसे सवारी बुलाई जाती है क्या काम है किराया कितना होता है और धीरे-धीरे बेल गाड़ी चलाना सीख जा तो मुझे भी आराम हो जाएगा,,,,
क्या मैं बैंक गाड़ी चला लूंगा पिताजी,,,,
अरे क्यों नहीं चला पाएगा रेलगाड़ी थोड़ी ना है बेल गाड़ी तो है,,, बस हांकना रहता है बेल खींच कर ले जाएंगे तुझे सिर्फ बैठे रहना है,,,।
ठीक है पिताजी कल से मैं चलूंगा,,,
ठीक है कल से तैयार रहना तुझे भी दुनियादारी सिखा दुं,,
(अपने बेटे की रजामंदी देखकर मधु मन ही मन खुश हो रही थी,,,वह भी अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर राजू काम में हाथ बंटाने लग जाता तो उसके पिताजी को आराम मिल जाता,,,। वैसे भी राजू धीरे-धीरे बड़ा हो गया काम धाम करेगा नहीं तो दिन भर आवारा लड़कों के साथ घूम फिर कर अपना जीवन बर्बाद करेगा,,,, यही अपने मन में सोचते हुए मधु उठी और हाथ में बाल्टी ले ली वह कुएं पर पानी भरने जा रही थी यह देखकर राजू अपनी मां से बोला,,,)
मैं भी चलता हूं मैं कुएं पर पानी भरने में तुम्हारी मदद हो जाएगी,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु हां कहने वाली थी लेकिन उसे उस दिन वाली बात याद आ गई जो कि इसी तरह से पानी भरने में मदद करते हुए राजीव ठीक उसके पीछे खड़ा होकर अपनी जवानी का खूंटा उसकी गांड रुपी जमीन में गाड़ देना चाहता था,,, यह ख्याल आते ही वह राजु से बोली,,,)
नहीं नहीं तु रहने दे मैं भर लाऊंगी,,,,,(यह क्या करो अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ से इंकार कर दिया वरना यह जाता तो उस दिन वाली गलती करने लगता और वैसे भी सुबह-सुबह बहुत लोग होते हैं,,,लेकिन उस दिन की घटना याद आते ही मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा हो गई थी वह तुरंत अपने आप को दुरुस्त करके घर से बाहर निकल गई और राजू वहीं खड़ा अपनी मां को जाते हुए देखता रहा खास करके उसकी बड़ी बड़ी गांड को जो की साड़ी के ऊपर से भी अपना कहर बराबर बरसा रही थी,,,।मधु के चले जाने के बाद राजू एक नजर अपने पिताजी पर डाला जो कि अभी भी बीड़ी पीने में व्यस्त थे उन्हें देखकर वह अपने मन में सोचने लगा कि उसके पिताजी की किस्मत कितनी अच्छी है जो इतनी खूबसूरत औरत उनके पास है,,,, राजू को उसकी बुआ कहीं नजर नहीं आ रही थी,,, इसलिए हाथ मुंह धोकर वह भी वहीं बैठ गया,,,थोड़ी देर बाद मैं तो दोनों हाथ में भरी बाल्टी लेकर आई और आंगन में रख दी,,,। और अपने दोनों हाथों को कमर पर टिका कर गहरी सांस लेते हुए राजू से बोली,,,,(गहरी सांस लेते समय उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर की तरफ निकले हुए नजर आ रही थे जिसे देखकर राजू के मुंह में पानी आ रहा था,,)
राजू चल बकरीया बांध दे इधर-उधर भागने लगती है तो मुझसे पकड़ा नहीं जाता,,,(गहरी सांस लेते हुए मधु बोली उसके माथे पर पसीने की बूंदें मोती के दाने की तरह चमक रही थी,, राजू को कोई और काम नहीं था इसलिए वह तैयार हो गया और दोनों मां-बेटे घर के पीछे की तरफ जानवरों के लिए बने बड़े-बड़े लकड़ियों से घिरे हुए जगह पर आ गए जिसमें घास फूस की झोपड़ी भी बनी हुई थी जिसमें बेल रहते थे और गाय रहती थी,,,, चारों तरफ बड़ी-बड़ी हरि हरि कहां से गई हुई थी जिसमें सारे बकरी और बकरी या घास खा रही थी गाय भी घास चर रही थी,,,,
चल बेटा जल्दी से बकरियों को पकड़कर अंदर झोपड़ी में डाल दें बहुत देर से घास खा रही है,,,,(इतना कहते हो मैं खुद मधु भी बकरियों को पकड़कर झोपड़ी के अंदर करने लगे बकरियों को पकड़ने में मदद इधर-उधर धीरे-धीरे भाग रही थी और इस तरह से इधर-उधर भागते हुए उसकी भारी भरकम गांड पानी भरे गुब्बारे की तरह उछाल मार रही थी ऐसा लग रहा था कि मधु की गांड रब्बर से बनी हुई है,,, राजू बकरियों को छोड़कर अपनी मां को ही देख रहा थागांड की दोनों आंखें इतनी बड़ी-बड़ी थी कि उछलते समय ऐसा लग रहा था कि साड़ी फाड़कर बाहर की तरफ उभर आएंगी,,।उसकी मां कभी बकरियों को पकड़ने के लिए लपकती थी तो कभी पीछे की तरफ आती थी तो कभी झुक जाती थी ऐसा करने से उसके साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर जाता था और उसकी भारी-भरकम खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए तैयार हो जाती थी यह देखकर राजू के लंड का तनाव बढ़ता जा रहा था,,, अपनी मां का चंचलता भरा मादक रूप देकर करवा पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था,,,,,राजू को उसकी मां में सबसे ज्यादा आकर्षक लगती थी तो उसकी बड़ी बड़ी गांड जिसे देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी और इस समय तो वह अपनी मां की गांड का हर एक रुप देख रहा था भले ही साड़ी के अंदर कैद थीं लेकिन,,, कसी हुई साड़ी में गांड की दोनों बड़ी बड़ी फांकें अपना पूरा कहर बरसा रही थी,,,, अपनी मां के मदमस्त रूप यौवन को देख कर राजु को श्याम की मां याद आ गई जो अपने बेटे को चोदने तो देती थी,,,।
Madhu ki mast jawani
कुछ बकरी और बकरे को राजू ब झोपड़ी में डालने में मदद किया,,,, एक बकरी के बच्चे को हाथ में लेकर खड़ा हो गया और उसे खिलाने लगा,,,, मधु भी खड़े-खड़े गहरी सांस ले रही थी,,, वह इधर उधर भाग कर थक गई थी राजू अपनी मां को ही देख रहा था उसकी गहरी सांस को चलते हुए देख रहा था साथ में उसकी उठती बैठती बड़ी-बड़ी चुचियों को देख रहा था,,, वह जानता था कि उसकी मां थक गई है और उसे थका हुआ देखकर वह अपने मन में सोचने लगा कि,, रात भर करवट बदल बदल कर चुदवाती है तब बिल्कुल भी नहीं सकती और दो चार बकरीया पकडने में कैसे थक गई,,,,।
मधु वही खड़े-खड़े गहरी सांस लेते हुए सामने खड़ी जोड़े को देख रही थी जो कि वह दोनों भी एकदम चौकन्ने थे,,, लेकिन घास खा रहे थे कुछ देर तक मत हुआ दोनों को देखती रही फिर राजू की तरफ देखकर हांफते हुए बोली,,,,
राजू अब मुझसे नहीं होगा तु ही दोनों को पकड़कर अंदर कर,,,,(मधु का इतना कहना था कि बकरा आवाज निकालता में बकरी पर चढ़ गया और अपना लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया यह देख कर दे एकदम से हैरान रह गई और यही हाल राजू का भी था दोनों मां-बेटे की आंखों के सामने बकरा चुदाई कर रहा था,,,, मधु के तन बदन में शर्म की लहर दौड़ने लगी वह शर्मसार हुए जा रही थी क्योंकि उसका बेटा भी वही दृश्य देख रहा था जो वह देख रही थी,,,,। मधु तो शर्म से पानी-पानी में जा रही थी लेकिन राजू आंख फाडे वही देख रहा थाऐसा नहीं था कि राजू पहली बार इस तरह के दृश्य को देख रहा था वह पहले भी बकरियां चराते समय इस तरह के दृश्य को देख चुका था लेकिन आज का माहौल कुछ और था क्योंकि उसके पास में उसकी मां खड़ी थी जिसको देखकर वह खुद उत्तेजित हो जा रहा था और उसकी उत्तेजना बढ़ाने के लिए उसकी आंखों के सामने उसकी मां की उपस्थिति में बकरा बकरी पर चढ़ गया था,,,,। मधु शर्मिंदा होते हुए उन दोनों को भगाते हैं वहीं खड़ी खड़ी मुंह से आवाज निकाल रही थी,,,।
हआआआआआ,,,हआआआआआ,,,,,,
(राजू अपनी मां की असहजता को अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए वह बकरी के बच्चे को नीचे उतारकर डंडा लेकर उस बकरे के पीछे भागा और जोर से उसे मारते हुए बोला,,,)
अभी चढ़ना जरूरी था,,, चल अंदर,,,,चल,,,(इतना कैसे हो एक एक लकड़ी दोनों को मारा और वह दोनों भागते हुए घास की बनी झोपड़ी में घुस गए और राजू और छोटे से बच्चे को हाथ में लेकर झोपड़ी के करीब गया और झोपड़ी में उसे भी डाल दिया,,,,,, मधु पूरी तरह से असहजता महसूस कर रही थी दूसरी तरफ राजू पूरी तरह से उत्तेजित था वह अपने मन में सोच रहा था कि बकरी की चुदाई देखकर उसकी मां क्या सोचती होगी,,,, अभी यही सब चल रहा था कि तभी मधु जोर से चिल्लाई,,,।
उधर नहीं,,,, उधर नहीं,,, और सामने की तरफ लपकी,,,,
(राजू ने देखा तो गाय दो न कड़ो के बीच से उस तरफ निकल रही थी और नीचे ढलान था अगर उस तरफ निकल जाती तो उसे लाने में दिक्कत हो जाती मधु तुरंत पहुंचकर रस्सी पकड़ ली और उसे अंदर की तरफ खींचने लगी लेकिन गाय की ताकत ज्यादा थी वह जानती थी कि अकेले उसकेबस का बिल्कुल भी नहीं है इसलिए वह राजू को आवाज लगाते हुए बोली,,,)
राजू जल्दी रस्सी खींच नहीं तो गाय नीचे उतर जाएगी तो मुश्किल हो जाएगा,,,,,
(राजू भी अच्छी तरह से जानता था कि गाय अगर नीचे उतर गई तो उसे लाने भी दिक्कत होगी इसलिए वह भी दौड़ता हुआ गया और अपनी मां के नजदीक पहुंचते हैं उसकी नजर उसकी बड़ी बड़ी गांड पर पड़ी जो कि वह थोड़ा सा झुकी हुई दम लगाकर रस्सी को खींच रही थी जिसकी वजह से उसकी गांड का उभार कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकला हुआ था,, यह नजारा देखते ही पल भर में ही राजू का दिमाग घूम गया और वह तुरंत अपनी मां के पीछे खड़ा होकर रस्सी को पकड़ लिया और जोर से खींचने लगा कुछ देर तक तो पता ही नहीं चला मधु को लगा कि उसका बेटा उसकी मदद कर रहा है लेकिन जब उसे अपनी गांड के बीचो बीच एक बार फिर से कठोर चीज चुभती हुई महसूस हुई तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका बेटा क्या कर रहा है को एकदम से सिहर उठी,,,, राजू गाय को खींचते समय जानबूझकर कुछ ज्यादा ही जोर लगा रहा था और ऐसा करने पर वह अपनी कमर को और ज्यादा अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर सटा दे रहा था और उसकी यह हरकत मधु की गांड की फांक के बीचो बीच हलचल मचा रही थी मधु अनुभव से भरी हुई थी अपने बेटे के लंड को साड़ी के ऊपर से ही अपनी गांड की दरार के बीचो-बीच महसूस करते ही उसे समझ में आ गया था कि उसके बेटे का लंड बहुत ज्यादा दमदार है,,,,
जोर से खींचो मां,,, नहीं तो गाय नीचे उतर जाएगी,,,,
(ऐसा कहते हुए राजू जानबूझकर अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल दिया और ऐसा करते हैं राजू का लंड साड़ी सहित मधु की बुर पर ठोकर मारने लगा,,, मधु अपनी बुर पर हुए लंड के वार से पूरी तरह से सिहर उठीउसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे का लंड कितना दमदार और लंबा है कि साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर तक ठोकर मार रहा है,,,, उत्तेजना के मारे मधु का बदन कांप रहा था उसकी दोनों टांगे थरथरा रही थी,,। राजू रस्सी खींचने के बहाने अपनी मां की गांड पर बराबर पकड़ बनाया हुआ था,,,,,, मधु अपने मन में सोचने लगी कि कुए पर पानी भरने में मदद करने के लिए वह इसीलिए आना चाहता था वहां तो इंकार करती लेकिन यहां पर अनजाने में ही यह सब हो गयाअपने बेटे की हरकत को देखते हुए मैं तो समझ गई थी कि उसका बेटा जवान हो गया है और बहुत चालाक भी,,,, मधु से एक शब्द नहीं निकल रहा था वह तो अपनी हालत पर ही अजीब सी स्थिति में फंसी हुई थी और दूसरी तरफ राजू बार बार जोर से रस्सी खींचने के बहाने और रस्सी खींचने के लिए बोलते हुए बार-बार से लगातार दो दो बार अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल दे रहा था मानो कि जैसे वह पीछे से अपनी मां की चुदाई कर रहा हूं और यही है साथ उसके धक्के मारने पर मधु को भी होता था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी अपने बेटे के द्वारा इस तरह की गंदी हरकत को देखते हुए उसे बड़ा अजीब लग रहा था लेकिन उसके लंड की पहुंच उसकी बुर तक साड़ी के ऊपर से ही पहुंच रही थी या देखते हुए ना जाने क्यों उसे अपने बेटे के मर्दाना ताकत पर गर्व भी वहो रहा था,,,, पल भर में ही मधु की बुर पानी छोड़ने लगी अपने बेटे की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी गाय को खींचना वह भूल चुकी थी जो भी ताकत लगा रहा था वह राजू ही लगा रहा था जितना ताकत वह गाय को खींचने में लगा रहा था उतना ही ताकत वह अपनी मां की गांड पर अपना लंड से हटाने में लगा रहा था और दोनों में कामयाब भी वहो रहा थाअपनी मां की गोलाकार भारी-भरकम कांड की गर्मी है उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर को और ज्यादा बढ़ा रही थी कि लंड का तनाव अपनी पूरी औकात में था चुदाई से भी ज्यादा मजा राजू को अपनी इस हरकत में आ रहा था,,,,, राजू के सांसो की गर्मी मधु अपनी गर्दन पर महसूस कर के और ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी,,,, वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी मानो कि जैसे वह बिस्तर पर अपने पति के साथ हो,,, और इस बार राजू अपनी मां को रस्सी को और जोर से खींचने के लिए बोल कर लगातार अपनी मां की गांड पर दो बार धक्का मारा और इस बार मधु से बर्दाश्त नहीं हुआ वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान होते हुए झड़ने लगी,,, उसका काम रस उसकी बुर से बाहर निकलने लगा,,,,राजू की मर्दाना ताकत का सबूत मधु को मिल चुका था वह बिना चोदे ही उसका पानी निकाल दिया था,,,, अभी मधु झड़ने की अद्भुत मधुर सुख की अनुभूति को प्राप्त कर ही रही थी कि गाय के गले से रस्सी टुटी और मधु और राजू दोनों गिर गए राजू नीचे और मधु उपर,,,, लेकिन जिस तरह से मधु गिरी ,,,उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठ गई और वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,,,
एकाएक गिरी थी इसलिए उसे यकीन ही नहीं हुआ कि वह गिर गई ,, है ,,,वह राजू के ऊपर थी,,राजू ठीक उसके नीचे और उसकी दोनों टांगे फैली हुई थी जिसके पीछे पीछे उसकी मां पीठ के बल की हुई थी,,, राजू की नजर उसकी मां की साड़ी पर गिरते समय ही चली गई थी वह जान गया था किउसकी मां की सारी उसकी कमर तक उठ गई है और कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी यह अहसास होते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की अद्भुत लहर उठने लगी उसका मन लगने लगा किसी भी बहाने से अपनी मां के नंगे बदन को स्पर्श करने के लिए उसकी मोटी मोटी जांघों को छूने के लिए और खास करके उसकी जवानी से भरी हुई फूली हुई बुर पर हाथ रखने के लिए,,, राजू यह मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था,,,, एहसास ही उसके लंड में खलबली मचाया हुआ था,,,,
एक बहाने से अपने दोनों हथेली को अपनी मां की मोटी मोटी चिकनी जांघ पर रखकर हल्के से मसलते हुए बोला,,,
तुम्हें चोट तो नहीं लगी मां,,,,
मधु कुछ बोल पाती इससे पहले ही अपने बेटे की हथेली को अपनी नंगी चिकनी जांघों पर महसूस करते ही वह पूरी तरह से सिहर उठी उसे इस बात का अहसास हुआ कि वह कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी हो गई है,,,इस अहसास से वह पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, वह जल्द से जल्द अपनी साड़ी को अपनी कमर से नीचे कर लेना चाहती थी,, अपने नंगे पन को अपने बेटे की आंखों के सामने से ढंक लेना चाहती थी लेकिन उसके बेटे ने पहले ही उसकी दोनों जहां पर अपनी हथेली रख दिया था,,,, वह इस तरह से गिरी थी कि ठीक से उठ नहीं पा रही थी उठने की कोशिश कर रही थी,,,और यही मौका राजू के लिए ठीक था वह इस मौके पर पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था और अपनी मां को अपने ऊपर से उठाने का बहाना करते हुए वह अपनी हथेली को उसकी जांघों से हटाकर ठीक उसकी दोनों टांगों के बीच की फूली हुई बुर पर रख दिया और उसे अपनी हथेली से हलके से मसलता हुआ वह अपनी हथेली को उपर कि तरफ इस तरह से लाया कि उसकी बीच वाली उंगली उसकी मां की बुर की गहराई में धंसते हुए ऊपर की तरफ आ रही थीअपने बेटे की इस हरकत की वजह से मधु पूरी तरह से मचल उठी,,, वह पल भर के लिए सांस लेना भूल गई,,,,,, उसके मुंह से एक शब्द तक फूट नहीं रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है,,,,लेकिन अपनी हरकत की वजह से राजू उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया था,,, मधु की गांड के नीचे राजू का खड़ा लंड दबा हुआ था,,,, और मधु उसके ऊपर कसमसा रही थी पहले तो उसे अपनी गांड के नीचे दबे लंड का एहसास नहीं हुआ लेकिन थोड़ी देर में उसे एहसास होने लगा कि वह अपने बेटे के लंड पर गांड रखकर बैठी हुई है,,,, वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे की हरकत की वजह से वह उस पर गुस्सा करेगी उस का आनंद लें लेकिन वह कर भी क्या सकती थी उसके बेटे ने जिस तरह की हरकत उसके साथ किया था उससे वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,। अपने बेटे की हरकत की वजह से हुआ एक बार झाड़ चुकी थी और इस समय उसका बेटा उसकी बुर पर अपनी हथेली को रगड चुका था हालांकि अभी भी उसकी हथेली मधु की फूली हुई बुर पर थी और उसकी गर्माहट से वह अपने तन बदन में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह जल्द से जल्द उठना चाहती थी इसलिए उठने की कोशिश करते हुए बोली।
आहहह उठने दे मुझे,,,
रुको मैं मदद करता हूं,,,(और ऐसा कहते हो एक बार फिर से वह अपनी मां की फूली हुई पुर पर अपनी हथेली को मसलते हुए ऊपर की तरफ ना है और इस बार भी उसकी बीच वाली उंगलीमधु की बुर की गहराई में हंसते हुए ऊपर की तरफ आइ इस बार फिर से मधु से बर्दाश्त नहीं हुआ और वह एक बार फिर से झड़ गई,,, बुर से निकला काम रस में राजू की पूरी हथेली गीली हो चुकी थी अपनी मां की बुर को अकेला पाकर राजू मन ही मन बहुत खुश हो रहा था क्योंकि उसे यकीन हो गया था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां को भी बहुत मजा आ रहा था,,, लेकिन ज्यादा देर तक वह ऐसा नहीं करना चाहता था इसलिए अपनी मां की बुर पर से अपनी हथेली को हटाकर इस बार वह अपनी मां की चिकनी कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा और बोला,,,।
अब धीरे से उठ जाओ ,,, अच्छा हुआ कि तुम्हें चोट नहीं लगी,,,,(एक बार फिर से मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी क्योंकि उसके बेटे की दोनों हथेलियों उसकी कमर को थामे हुए थे और वह अपने बेटे का सहारा लेकर उठ रही थी लेकिन उठते उठते वह अपनी साड़ी को नीचे कर पाती इससे पहले ही राजू को उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड के दर्शन हो गए,,, और वह पूरी तरह से मस्त हो गया इस बारउससे अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं भी काफी देर से लंड का तनाव से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और अपने लंड पर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड महसूस करके वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था और अपनी मां को उठाते उठाते अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करते ही उसके लंड से पानी फेंक दिया,,, और देखते ही देखते उसका पजामा गीला हो गया,,,पैसा नहीं था कि वह अपनी मां की नंगी गांड का पहली बार दर्शन कर रहा था वह पहले भी कई बार अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था लेकिन इस समय जो हालात थे उसे देखते हुए राजू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और उसी उत्तेजना के चलते वह झड़ गया था,,,मधु खड़ी हो गई थी उसकी पीठ राजू की तरफ से और राजू अभी भी घास में लेटा हुआ था,,,क्योंकि वह धीरे-धीरे झड़ रहा था और उसे आनंद की पराकाष्ठा का अनुभव हो रहा था,,,, मधु खड़ी हो चुकी थी और अपनी साड़ी को कमर से नीचे गिरा कर कमर के नीचे के नंगे पन को उठा कर ली थी राजू से नजर मिलाने की हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए वह राजू की तरफ देखे बिना ही उसे गाय को वापस लाने के लिए बोल कर वहां से चली गई राजू अपनी मां को जाते हुए देख रहा था उसकी मटकती हुई गांड को देखकर गर्म आहें भर रहा था,,,।