Superb update bro but mahua sath dono bapbeta milkar pregnant karte toh double maza aata...
राजू बैलगाड़ी हांकता हुआ लाला की हवेली की तरफ चला जा रहा था,,, शाम ढलने की लगी थी और धीरे-धीरे अंधेरा कह रहा था जा रहा था सड़क पर इक्का-दुक्का लोग ही नजर आ रहे थे बाकी दूर दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था,,,
राजू बैलगाड़ी हांकता हुआ लाला की हवेली की तरफ चला जा रहा था,,, शाम ढलने की लगी थी और धीरे-धीरे अंधेरा कह रहा था जा रहा था सड़क पर इक्का-दुक्का लोक ही नजर आ रहे थे बाकी दूर दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था,,,
राजू अपनी धुन में था बेल गाड़ी चलाने में उसे मजा आने लगी थी रोज नई-नई सवारी को रेलवे स्टेशन से उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाना अब रोज का उसका काम हो गया था,,, और इस काम को वह बखूबी निभा रहा था,,,, गांव की कई औरतों के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उनकी जवानी का मजा लूटने के बावजूद भी राजू पूरी तरह से प्यासा जवान मर्द था इसलिए पगडंडी पर अपने बेल को ले जाते समय वह दूर दूर तक निगाह डालता रहता था क्योंकि वह जानता था कि शाम धरने के बाद गांव की औरतें शौच करने के लिए खेतों में जाती हैं,,, और वह शौच करते समय उन औरतों की नंगी गांड की झलक लेना चाहता था बस इतने मात्र से ही उसे उत्तेजना का साधन मिल जाता था,,, और यह वास्तविक ही है की मर्द को दुनिया की चाहे कितनी भी खूबसूरत औरत मिल जाए लेकिन उसकी प्यास कभी बुझती नहीं है,,,, औरतों की मदमस्त कर देने वाली बड़ी बड़ी गांड से लेकर उसकी खरबूजे जैसी चुचियों के साथ-साथ दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर मर्द हमेशा से लार टपका ता ही रहता है,,, इसीलिए राजू भी इन सब से अछूता नहीं था,,,,,, कमला चाची से लेकर अपनी बड़ी दीदी तक की बुर का स्वाद वह चख चुका था,,, लेकिन नई बुर की तलाश उसे हमेशा रहती थी,,,,।
वह बैलगाड़ी को लाला की हवेली की तरफ ले जाते हुए अपनी बड़ी दीदी के बारे में सोच रहा था,,, अपने मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के आगे अपनी बहन को बड़ी आसानी से घुटने टेकता हुआ देखकर उसे पक्का यकीन हो गया था कि हर औरत की यही स्थिति होती है,,, औरत जवान मर्द की प्यासी होती है उनके मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के आगे वह अपने आप को बेबस समझने लगती है,,,,,।
शादी के 2 साल गुजरने के बावजूद भी उसकी दीदी मां नहीं बन पाई थी और यह सारी जिम्मेदारी राजू के सर आ चुकी थी इस बात का अंदाजा और एहसास उसे अच्छी तरह से था इसीलिए वह अपनी बहन पर पूरी मेहनत निछावर कर देता था रात भर अपनी बहन पर मेहनत करके पसीना बाहर आया था और उसे पूरा यकीन था कि उसकी यह मेहनत जरूर रंग लाएगी,,,,,, अपनी बहन की कसी हुई बुर में अपने लंड की रगड़ को देखकर वह समझ गया था कि उसका लंड औरो के लंड से कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है तभी तो औरतें उससे चुदवाने के लिए तड़पती रहती थी,,,,,,,,, वह अपने मन में यह सोच कर अपने बदन में और भी ज्यादा उत्तेजना और व्याकुलता का एहसास करने लगा था कि अभी तक वह गांव की सभी औरतों की चुदाई कर चुका था लेकिन उसके हाथ अभी तक उसकी मां नहीं आई थी,,, खेत में अपनी मां की आंख के सामने ही जिस तरह से अपनी मां को दिखाते हुए वह अपने लंड को हिला रहा था और हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया था,,, उस समय वह अपनी मां के चेहरे पर उस लंड को अपनी बुर में लेने की वकील ता को अच्छी तरह से पढ़ पाया था,,, राजू इस बात से भी अच्छी तरह से वाकिफ था कि उसके पिताजी से भी ज्यादा मोटा तगड़ा और लंबा लंड उसका था पर इस बात का एहसास उसने अपनी मां को भी करा दिया था लेकिन इस बात से हैरान था कि अभी तक उसकी मां,,, उसके नीचे नहीं आई थी वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,,, यही बात उसे हैरान कर रही थी क्योंकि आज तक उसने जिसे को भी अपने लंड के दर्शन कराया था वह औरत या लड़की उसके नीचे आने से बिल्कुल भी मना नहीं कर पाई थी,,,, अपने ही सवाल का जवाब अपने ही मन में ढूंढते हुए वह अपने आप से बोला,,,।
सभी औरतों में और उसकी मां में जमीन आसमान का फर्क है एक तो गांव की औरतों से सबसे ज्यादा खूबसूरत उसकी मां है और दोनों के बीच मां-बेटे का पवित्र रिश्ता है और दूसरी औरतों से उतना खास रिश्ता नहीं था केवल बुआ और दीदी को छोड़कर लेकिन बुआ और उसकी दीदी की भी मजबूरियां और जरूरत थी इसके लिए वह दोनों ने लंड लेने में बिल्कुल भी नानुकुर नहीं की,,, लेकिन उसकी मां के आगे कोई भी मजबूरी नहीं थी क्योंकि रोज रात को उसके पिताजी जमकर उस की चुदाई करते थे उसे रोज लंड अपनी बुर में मिल रहा था,,, इसलिए राजू के आगे वह विश्वास नहीं हुई,,,,, एक गर्म आहा भरते हुए राजू अपने मन में आए अपनी मां के ख्याल के आगे पुण्रविराम लगा दिया,,,, लेकिन मायूस बिल्कुल भी नहीं हुआ निराश होना उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं था उम्मीद की किरण उसे हर जगह नजर आती थी इसीलिए तो आज वह इस मुकाम पर पहुंच चुका था कि गांव की औरतों से लेकर हवेली की महारानी जैसी जिंदगी जीने वाली औरत की भी चुदाई कर चुका था,,, इसीलिए उसे पूरा विश्वास था कि,,, वह पूरी कोशिश करता रहेगा और उसकी कोशिश जरूर रंग लाएगी एक न एक दिन जरूर वह अपनी मां की मदमस्त जवानी का स्वाद चखेगा,,,, यही सब अपने मन में सोचता हुआ लाला की हवेली पर कब पहुंच गया उसे पता ही नहीं चला,,, लाला की हवेली के आगे बड़ा सा बगीचा बना हुआ था जिसमें लंबे लंबे पेड़ लगे हुए थे,,,,,,, दूर से देखने पर लाला की हवेली खूबसूरत तो लगती ही थी लेकिन पास से इसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,,,,।
राजू बैलगाड़ी को हवेली के बाहर खड़ा कर दिया और नीचे उतर कर चारों तरफ देखने लगा दरवाजे पर कोई नजर नहीं आ रहा था एक दो बार उसने आवाज भी दिया लेकिन कोई दरबान वहां खड़ा नहीं था इसलिए वह खुद ही बड़े से दरवाजे को अपने हाथ से खोल कर अंदर की तरफ जाने लगा,,, बिना काम के अगर वह लाला के पास आता तो शायद इस तरह से उसके हवेली में प्रवेश करने की उसकी हिम्मत ना होती लेकिन वह तो लाला को उसके ब्याज के पैसे देने आया था इसलिए किसी भी हाल में वह हवेली में प्रवेश करने का हकदार था,,, वह अपने चारों तरफ नजर घुमाता हुआ हवेली की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,, रात में उजाले के लिए जगह जगह पर मसाल चल रही थी जिससे चारों तरफ उजाला नजर आ रहा था,,,, देखते ही देखते राजू हवेली के मुख्य द्वार पर पहुंच गया जहां से वह सीधा हवेली में प्रवेश कर सकता था उधर भी खड़े होकर चारों तरफ नजर घुमाया तो कोई नहीं था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आज हवेली के नौकर चाकर गए कहां,,, फिर अपने मन में ही यह सोचकर खैर उससे क्या मतलब उसे तो ब्याज के पैसे देने हैं और इसी बहाने वह सोनी से भी मिल लेगा,,,,,।
हवेली के मुख्य द्वार पर खड़ा होकर राजू को एकाएक उस दिन वाली बात याद आ गई जब वह हवेली में लाला की गैर हाजिरी में उसकी बहन की जबरदस्ती चुदाई कर रहा था और उसी समय लाला घर वापस आ गया था बाल-बाल उस दिन बचा था लेकिन हवेली में सोनी की चुदाई करने का एक अलग ही मजा था इस बात को याद करके उसके पजामे में हलचल होने लगी,,,,। हवेली के मुख्य द्वार पर खड़ा होकर एक बार फिर से उसने आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब ही नहीं मिला तो खुदा ही हवेली में प्रवेश कर गया और हवेली में प्रवेश करते ही हवेली की खूबसूरती को देखकर दंग रह गया,,,, अपने मन में सोचने लगा कि लाला किसी राजा से बिल्कुल भी कम नहीं था,,,,,, राजू जहां पर खड़ा था वह जगह काफी बड़ी थी उसे समझते देर नहीं लगी कि यह बैठक खंड था जहां पर लाला गांव वालों से और मेहमानों से मुलाकात करता था लेकिन यहां पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था सामने ही सीढ़ी बनी हुई थी जो ऊपर की तरफ जा रही थी,,,, राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह रुके या जाए,,,, फिर अपने मन में सोचने लगा कि उसके पिताजी उसे ब्याज के पैसे देख कर ही आने के लिए कहे थे इसलिए वह सीढ़ियों से ऊपर की तरफ जाने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि जो होगा देखा जाएगा उसे इस बात का डर था कि कहीं लाला उस पर चोरी का इल्जाम ना लगा दे कि चोरी-छिपे वह उसके हवेली में घुस रहा है लेकिन वह भला क्या चुराने वाला था,,,, औरतों के जवान बदन और उनकी खूबसूरती के सिवा वह किसी और धन में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं लेता था,,,,
एक एक सीढ़ियां चढ़ता हुआ राजू ऊपर के मंजिलें पर पहुंच गया जहां पर चारों तरफ ढेर सारे कमरे बने हुए थे,,,
तभी उसे ख्याल आया कि यह सहेली में तो वह पहले भी सोनी के साथ आ चुका था लेकिन उस समय सोनी को छोड़ देने के चक्कर में वह हवेली पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था आज वह हवेली की खूबसूरती और उस की जगमगाहट को पहली बार अपनी आंखों से देख रहा था और यही सोच रहा था कि,,, औरत की जवानी के आगे एक मर्द को और कुछ नहीं दिखाई देता और यही उसके साथ भी हुआ था उस दिन वह सोनी की खूबसूरत बदन को प्राप्त करने के चक्कर में किसी और चीज पर ध्यान नहीं दिया था सीधा उसके कमरे में प्रवेश कर गया था,,,, वहीं खड़ा होकर राजू यही सब सोच ही रहा था कि तभी उसे एक कमरे से हंसने और बात करने की आवाज आने लगी और राजू उस कमरे की ओर जाने लगा,,,,,।
राजू के मन में अपनी माँ को चोदने की लालसा बढ़ती जा रही है .......राजू बैलगाड़ी हांकता हुआ लाला की हवेली की तरफ चला जा रहा था,,, शाम ढलने की लगी थी और धीरे-धीरे अंधेरा कह रहा था जा रहा था सड़क पर इक्का-दुक्का लोग ही नजर आ रहे थे बाकी दूर दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था,,,
राजू बैलगाड़ी हांकता हुआ लाला की हवेली की तरफ चला जा रहा था,,, शाम ढलने की लगी थी और धीरे-धीरे अंधेरा कह रहा था जा रहा था सड़क पर इक्का-दुक्का लोक ही नजर आ रहे थे बाकी दूर दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था,,,
राजू अपनी धुन में था बेल गाड़ी चलाने में उसे मजा आने लगी थी रोज नई-नई सवारी को रेलवे स्टेशन से उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाना अब रोज का उसका काम हो गया था,,, और इस काम को वह बखूबी निभा रहा था,,,, गांव की कई औरतों के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उनकी जवानी का मजा लूटने के बावजूद भी राजू पूरी तरह से प्यासा जवान मर्द था इसलिए पगडंडी पर अपने बेल को ले जाते समय वह दूर दूर तक निगाह डालता रहता था क्योंकि वह जानता था कि शाम धरने के बाद गांव की औरतें शौच करने के लिए खेतों में जाती हैं,,, और वह शौच करते समय उन औरतों की नंगी गांड की झलक लेना चाहता था बस इतने मात्र से ही उसे उत्तेजना का साधन मिल जाता था,,, और यह वास्तविक ही है की मर्द को दुनिया की चाहे कितनी भी खूबसूरत औरत मिल जाए लेकिन उसकी प्यास कभी बुझती नहीं है,,,, औरतों की मदमस्त कर देने वाली बड़ी बड़ी गांड से लेकर उसकी खरबूजे जैसी चुचियों के साथ-साथ दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर मर्द हमेशा से लार टपका ता ही रहता है,,, इसीलिए राजू भी इन सब से अछूता नहीं था,,,,,, कमला चाची से लेकर अपनी बड़ी दीदी तक की बुर का स्वाद वह चख चुका था,,, लेकिन नई बुर की तलाश उसे हमेशा रहती थी,,,,।
वह बैलगाड़ी को लाला की हवेली की तरफ ले जाते हुए अपनी बड़ी दीदी के बारे में सोच रहा था,,, अपने मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के आगे अपनी बहन को बड़ी आसानी से घुटने टेकता हुआ देखकर उसे पक्का यकीन हो गया था कि हर औरत की यही स्थिति होती है,,, औरत जवान मर्द की प्यासी होती है उनके मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के आगे वह अपने आप को बेबस समझने लगती है,,,,,।
शादी के 2 साल गुजरने के बावजूद भी उसकी दीदी मां नहीं बन पाई थी और यह सारी जिम्मेदारी राजू के सर आ चुकी थी इस बात का अंदाजा और एहसास उसे अच्छी तरह से था इसीलिए वह अपनी बहन पर पूरी मेहनत निछावर कर देता था रात भर अपनी बहन पर मेहनत करके पसीना बाहर आया था और उसे पूरा यकीन था कि उसकी यह मेहनत जरूर रंग लाएगी,,,,,, अपनी बहन की कसी हुई बुर में अपने लंड की रगड़ को देखकर वह समझ गया था कि उसका लंड औरो के लंड से कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है तभी तो औरतें उससे चुदवाने के लिए तड़पती रहती थी,,,,,,,,, वह अपने मन में यह सोच कर अपने बदन में और भी ज्यादा उत्तेजना और व्याकुलता का एहसास करने लगा था कि अभी तक वह गांव की सभी औरतों की चुदाई कर चुका था लेकिन उसके हाथ अभी तक उसकी मां नहीं आई थी,,, खेत में अपनी मां की आंख के सामने ही जिस तरह से अपनी मां को दिखाते हुए वह अपने लंड को हिला रहा था और हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया था,,, उस समय वह अपनी मां के चेहरे पर उस लंड को अपनी बुर में लेने की वकील ता को अच्छी तरह से पढ़ पाया था,,, राजू इस बात से भी अच्छी तरह से वाकिफ था कि उसके पिताजी से भी ज्यादा मोटा तगड़ा और लंबा लंड उसका था पर इस बात का एहसास उसने अपनी मां को भी करा दिया था लेकिन इस बात से हैरान था कि अभी तक उसकी मां,,, उसके नीचे नहीं आई थी वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,,, यही बात उसे हैरान कर रही थी क्योंकि आज तक उसने जिसे को भी अपने लंड के दर्शन कराया था वह औरत या लड़की उसके नीचे आने से बिल्कुल भी मना नहीं कर पाई थी,,,, अपने ही सवाल का जवाब अपने ही मन में ढूंढते हुए वह अपने आप से बोला,,,।
सभी औरतों में और उसकी मां में जमीन आसमान का फर्क है एक तो गांव की औरतों से सबसे ज्यादा खूबसूरत उसकी मां है और दोनों के बीच मां-बेटे का पवित्र रिश्ता है और दूसरी औरतों से उतना खास रिश्ता नहीं था केवल बुआ और दीदी को छोड़कर लेकिन बुआ और उसकी दीदी की भी मजबूरियां और जरूरत थी इसके लिए वह दोनों ने लंड लेने में बिल्कुल भी नानुकुर नहीं की,,, लेकिन उसकी मां के आगे कोई भी मजबूरी नहीं थी क्योंकि रोज रात को उसके पिताजी जमकर उस की चुदाई करते थे उसे रोज लंड अपनी बुर में मिल रहा था,,, इसलिए राजू के आगे वह विश्वास नहीं हुई,,,,, एक गर्म आहा भरते हुए राजू अपने मन में आए अपनी मां के ख्याल के आगे पुण्रविराम लगा दिया,,,, लेकिन मायूस बिल्कुल भी नहीं हुआ निराश होना उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं था उम्मीद की किरण उसे हर जगह नजर आती थी इसीलिए तो आज वह इस मुकाम पर पहुंच चुका था कि गांव की औरतों से लेकर हवेली की महारानी जैसी जिंदगी जीने वाली औरत की भी चुदाई कर चुका था,,, इसीलिए उसे पूरा विश्वास था कि,,, वह पूरी कोशिश करता रहेगा और उसकी कोशिश जरूर रंग लाएगी एक न एक दिन जरूर वह अपनी मां की मदमस्त जवानी का स्वाद चखेगा,,,, यही सब अपने मन में सोचता हुआ लाला की हवेली पर कब पहुंच गया उसे पता ही नहीं चला,,, लाला की हवेली के आगे बड़ा सा बगीचा बना हुआ था जिसमें लंबे लंबे पेड़ लगे हुए थे,,,,,,, दूर से देखने पर लाला की हवेली खूबसूरत तो लगती ही थी लेकिन पास से इसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,,,,।
राजू बैलगाड़ी को हवेली के बाहर खड़ा कर दिया और नीचे उतर कर चारों तरफ देखने लगा दरवाजे पर कोई नजर नहीं आ रहा था एक दो बार उसने आवाज भी दिया लेकिन कोई दरबान वहां खड़ा नहीं था इसलिए वह खुद ही बड़े से दरवाजे को अपने हाथ से खोल कर अंदर की तरफ जाने लगा,,, बिना काम के अगर वह लाला के पास आता तो शायद इस तरह से उसके हवेली में प्रवेश करने की उसकी हिम्मत ना होती लेकिन वह तो लाला को उसके ब्याज के पैसे देने आया था इसलिए किसी भी हाल में वह हवेली में प्रवेश करने का हकदार था,,, वह अपने चारों तरफ नजर घुमाता हुआ हवेली की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,, रात में उजाले के लिए जगह जगह पर मसाल चल रही थी जिससे चारों तरफ उजाला नजर आ रहा था,,,, देखते ही देखते राजू हवेली के मुख्य द्वार पर पहुंच गया जहां से वह सीधा हवेली में प्रवेश कर सकता था उधर भी खड़े होकर चारों तरफ नजर घुमाया तो कोई नहीं था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आज हवेली के नौकर चाकर गए कहां,,, फिर अपने मन में ही यह सोचकर खैर उससे क्या मतलब उसे तो ब्याज के पैसे देने हैं और इसी बहाने वह सोनी से भी मिल लेगा,,,,,।
हवेली के मुख्य द्वार पर खड़ा होकर राजू को एकाएक उस दिन वाली बात याद आ गई जब वह हवेली में लाला की गैर हाजिरी में उसकी बहन की जबरदस्ती चुदाई कर रहा था और उसी समय लाला घर वापस आ गया था बाल-बाल उस दिन बचा था लेकिन हवेली में सोनी की चुदाई करने का एक अलग ही मजा था इस बात को याद करके उसके पजामे में हलचल होने लगी,,,,। हवेली के मुख्य द्वार पर खड़ा होकर एक बार फिर से उसने आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब ही नहीं मिला तो खुदा ही हवेली में प्रवेश कर गया और हवेली में प्रवेश करते ही हवेली की खूबसूरती को देखकर दंग रह गया,,,, अपने मन में सोचने लगा कि लाला किसी राजा से बिल्कुल भी कम नहीं था,,,,,, राजू जहां पर खड़ा था वह जगह काफी बड़ी थी उसे समझते देर नहीं लगी कि यह बैठक खंड था जहां पर लाला गांव वालों से और मेहमानों से मुलाकात करता था लेकिन यहां पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था सामने ही सीढ़ी बनी हुई थी जो ऊपर की तरफ जा रही थी,,,, राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह रुके या जाए,,,, फिर अपने मन में सोचने लगा कि उसके पिताजी उसे ब्याज के पैसे देख कर ही आने के लिए कहे थे इसलिए वह सीढ़ियों से ऊपर की तरफ जाने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि जो होगा देखा जाएगा उसे इस बात का डर था कि कहीं लाला उस पर चोरी का इल्जाम ना लगा दे कि चोरी-छिपे वह उसके हवेली में घुस रहा है लेकिन वह भला क्या चुराने वाला था,,,, औरतों के जवान बदन और उनकी खूबसूरती के सिवा वह किसी और धन में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं लेता था,,,,
एक एक सीढ़ियां चढ़ता हुआ राजू ऊपर के मंजिलें पर पहुंच गया जहां पर चारों तरफ ढेर सारे कमरे बने हुए थे,,,
तभी उसे ख्याल आया कि यह सहेली में तो वह पहले भी सोनी के साथ आ चुका था लेकिन उस समय सोनी को छोड़ देने के चक्कर में वह हवेली पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था आज वह हवेली की खूबसूरती और उस की जगमगाहट को पहली बार अपनी आंखों से देख रहा था और यही सोच रहा था कि,,, औरत की जवानी के आगे एक मर्द को और कुछ नहीं दिखाई देता और यही उसके साथ भी हुआ था उस दिन वह सोनी की खूबसूरत बदन को प्राप्त करने के चक्कर में किसी और चीज पर ध्यान नहीं दिया था सीधा उसके कमरे में प्रवेश कर गया था,,,, वहीं खड़ा होकर राजू यही सब सोच ही रहा था कि तभी उसे एक कमरे से हंसने और बात करने की आवाज आने लगी और राजू उस कमरे की ओर जाने लगा,,,,,।
राजू बैलगाड़ी हांकता हुआ लाला की हवेली की तरफ चला जा रहा था,,, शाम ढलने की लगी थी और धीरे-धीरे अंधेरा कह रहा था जा रहा था सड़क पर इक्का-दुक्का लोग ही नजर आ रहे थे बाकी दूर दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था,,,
राजू बैलगाड़ी हांकता हुआ लाला की हवेली की तरफ चला जा रहा था,,, शाम ढलने की लगी थी और धीरे-धीरे अंधेरा कह रहा था जा रहा था सड़क पर इक्का-दुक्का लोक ही नजर आ रहे थे बाकी दूर दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था,,,
राजू अपनी धुन में था बेल गाड़ी चलाने में उसे मजा आने लगी थी रोज नई-नई सवारी को रेलवे स्टेशन से उनके गंतव्य स्थल तक पहुंचाना अब रोज का उसका काम हो गया था,,, और इस काम को वह बखूबी निभा रहा था,,,, गांव की कई औरतों के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उनकी जवानी का मजा लूटने के बावजूद भी राजू पूरी तरह से प्यासा जवान मर्द था इसलिए पगडंडी पर अपने बेल को ले जाते समय वह दूर दूर तक निगाह डालता रहता था क्योंकि वह जानता था कि शाम धरने के बाद गांव की औरतें शौच करने के लिए खेतों में जाती हैं,,, और वह शौच करते समय उन औरतों की नंगी गांड की झलक लेना चाहता था बस इतने मात्र से ही उसे उत्तेजना का साधन मिल जाता था,,, और यह वास्तविक ही है की मर्द को दुनिया की चाहे कितनी भी खूबसूरत औरत मिल जाए लेकिन उसकी प्यास कभी बुझती नहीं है,,,, औरतों की मदमस्त कर देने वाली बड़ी बड़ी गांड से लेकर उसकी खरबूजे जैसी चुचियों के साथ-साथ दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर मर्द हमेशा से लार टपका ता ही रहता है,,, इसीलिए राजू भी इन सब से अछूता नहीं था,,,,,, कमला चाची से लेकर अपनी बड़ी दीदी तक की बुर का स्वाद वह चख चुका था,,, लेकिन नई बुर की तलाश उसे हमेशा रहती थी,,,,।
वह बैलगाड़ी को लाला की हवेली की तरफ ले जाते हुए अपनी बड़ी दीदी के बारे में सोच रहा था,,, अपने मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के आगे अपनी बहन को बड़ी आसानी से घुटने टेकता हुआ देखकर उसे पक्का यकीन हो गया था कि हर औरत की यही स्थिति होती है,,, औरत जवान मर्द की प्यासी होती है उनके मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के आगे वह अपने आप को बेबस समझने लगती है,,,,,।
शादी के 2 साल गुजरने के बावजूद भी उसकी दीदी मां नहीं बन पाई थी और यह सारी जिम्मेदारी राजू के सर आ चुकी थी इस बात का अंदाजा और एहसास उसे अच्छी तरह से था इसीलिए वह अपनी बहन पर पूरी मेहनत निछावर कर देता था रात भर अपनी बहन पर मेहनत करके पसीना बाहर आया था और उसे पूरा यकीन था कि उसकी यह मेहनत जरूर रंग लाएगी,,,,,, अपनी बहन की कसी हुई बुर में अपने लंड की रगड़ को देखकर वह समझ गया था कि उसका लंड औरो के लंड से कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है तभी तो औरतें उससे चुदवाने के लिए तड़पती रहती थी,,,,,,,,, वह अपने मन में यह सोच कर अपने बदन में और भी ज्यादा उत्तेजना और व्याकुलता का एहसास करने लगा था कि अभी तक वह गांव की सभी औरतों की चुदाई कर चुका था लेकिन उसके हाथ अभी तक उसकी मां नहीं आई थी,,, खेत में अपनी मां की आंख के सामने ही जिस तरह से अपनी मां को दिखाते हुए वह अपने लंड को हिला रहा था और हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया था,,, उस समय वह अपनी मां के चेहरे पर उस लंड को अपनी बुर में लेने की वकील ता को अच्छी तरह से पढ़ पाया था,,, राजू इस बात से भी अच्छी तरह से वाकिफ था कि उसके पिताजी से भी ज्यादा मोटा तगड़ा और लंबा लंड उसका था पर इस बात का एहसास उसने अपनी मां को भी करा दिया था लेकिन इस बात से हैरान था कि अभी तक उसकी मां,,, उसके नीचे नहीं आई थी वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,,, यही बात उसे हैरान कर रही थी क्योंकि आज तक उसने जिसे को भी अपने लंड के दर्शन कराया था वह औरत या लड़की उसके नीचे आने से बिल्कुल भी मना नहीं कर पाई थी,,,, अपने ही सवाल का जवाब अपने ही मन में ढूंढते हुए वह अपने आप से बोला,,,।
सभी औरतों में और उसकी मां में जमीन आसमान का फर्क है एक तो गांव की औरतों से सबसे ज्यादा खूबसूरत उसकी मां है और दोनों के बीच मां-बेटे का पवित्र रिश्ता है और दूसरी औरतों से उतना खास रिश्ता नहीं था केवल बुआ और दीदी को छोड़कर लेकिन बुआ और उसकी दीदी की भी मजबूरियां और जरूरत थी इसके लिए वह दोनों ने लंड लेने में बिल्कुल भी नानुकुर नहीं की,,, लेकिन उसकी मां के आगे कोई भी मजबूरी नहीं थी क्योंकि रोज रात को उसके पिताजी जमकर उस की चुदाई करते थे उसे रोज लंड अपनी बुर में मिल रहा था,,, इसलिए राजू के आगे वह विश्वास नहीं हुई,,,,, एक गर्म आहा भरते हुए राजू अपने मन में आए अपनी मां के ख्याल के आगे पुण्रविराम लगा दिया,,,, लेकिन मायूस बिल्कुल भी नहीं हुआ निराश होना उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं था उम्मीद की किरण उसे हर जगह नजर आती थी इसीलिए तो आज वह इस मुकाम पर पहुंच चुका था कि गांव की औरतों से लेकर हवेली की महारानी जैसी जिंदगी जीने वाली औरत की भी चुदाई कर चुका था,,, इसीलिए उसे पूरा विश्वास था कि,,, वह पूरी कोशिश करता रहेगा और उसकी कोशिश जरूर रंग लाएगी एक न एक दिन जरूर वह अपनी मां की मदमस्त जवानी का स्वाद चखेगा,,,, यही सब अपने मन में सोचता हुआ लाला की हवेली पर कब पहुंच गया उसे पता ही नहीं चला,,, लाला की हवेली के आगे बड़ा सा बगीचा बना हुआ था जिसमें लंबे लंबे पेड़ लगे हुए थे,,,,,,, दूर से देखने पर लाला की हवेली खूबसूरत तो लगती ही थी लेकिन पास से इसकी खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,,,,।
राजू बैलगाड़ी को हवेली के बाहर खड़ा कर दिया और नीचे उतर कर चारों तरफ देखने लगा दरवाजे पर कोई नजर नहीं आ रहा था एक दो बार उसने आवाज भी दिया लेकिन कोई दरबान वहां खड़ा नहीं था इसलिए वह खुद ही बड़े से दरवाजे को अपने हाथ से खोल कर अंदर की तरफ जाने लगा,,, बिना काम के अगर वह लाला के पास आता तो शायद इस तरह से उसके हवेली में प्रवेश करने की उसकी हिम्मत ना होती लेकिन वह तो लाला को उसके ब्याज के पैसे देने आया था इसलिए किसी भी हाल में वह हवेली में प्रवेश करने का हकदार था,,, वह अपने चारों तरफ नजर घुमाता हुआ हवेली की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,, रात में उजाले के लिए जगह जगह पर मसाल चल रही थी जिससे चारों तरफ उजाला नजर आ रहा था,,,, देखते ही देखते राजू हवेली के मुख्य द्वार पर पहुंच गया जहां से वह सीधा हवेली में प्रवेश कर सकता था उधर भी खड़े होकर चारों तरफ नजर घुमाया तो कोई नहीं था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आज हवेली के नौकर चाकर गए कहां,,, फिर अपने मन में ही यह सोचकर खैर उससे क्या मतलब उसे तो ब्याज के पैसे देने हैं और इसी बहाने वह सोनी से भी मिल लेगा,,,,,।
हवेली के मुख्य द्वार पर खड़ा होकर राजू को एकाएक उस दिन वाली बात याद आ गई जब वह हवेली में लाला की गैर हाजिरी में उसकी बहन की जबरदस्ती चुदाई कर रहा था और उसी समय लाला घर वापस आ गया था बाल-बाल उस दिन बचा था लेकिन हवेली में सोनी की चुदाई करने का एक अलग ही मजा था इस बात को याद करके उसके पजामे में हलचल होने लगी,,,,। हवेली के मुख्य द्वार पर खड़ा होकर एक बार फिर से उसने आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब ही नहीं मिला तो खुदा ही हवेली में प्रवेश कर गया और हवेली में प्रवेश करते ही हवेली की खूबसूरती को देखकर दंग रह गया,,,, अपने मन में सोचने लगा कि लाला किसी राजा से बिल्कुल भी कम नहीं था,,,,,, राजू जहां पर खड़ा था वह जगह काफी बड़ी थी उसे समझते देर नहीं लगी कि यह बैठक खंड था जहां पर लाला गांव वालों से और मेहमानों से मुलाकात करता था लेकिन यहां पर भी कोई नजर नहीं आ रहा था सामने ही सीढ़ी बनी हुई थी जो ऊपर की तरफ जा रही थी,,,, राजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह रुके या जाए,,,, फिर अपने मन में सोचने लगा कि उसके पिताजी उसे ब्याज के पैसे देख कर ही आने के लिए कहे थे इसलिए वह सीढ़ियों से ऊपर की तरफ जाने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि जो होगा देखा जाएगा उसे इस बात का डर था कि कहीं लाला उस पर चोरी का इल्जाम ना लगा दे कि चोरी-छिपे वह उसके हवेली में घुस रहा है लेकिन वह भला क्या चुराने वाला था,,,, औरतों के जवान बदन और उनकी खूबसूरती के सिवा वह किसी और धन में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं लेता था,,,,
एक एक सीढ़ियां चढ़ता हुआ राजू ऊपर के मंजिलें पर पहुंच गया जहां पर चारों तरफ ढेर सारे कमरे बने हुए थे,,,
तभी उसे ख्याल आया कि यह सहेली में तो वह पहले भी सोनी के साथ आ चुका था लेकिन उस समय सोनी को छोड़ देने के चक्कर में वह हवेली पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया था आज वह हवेली की खूबसूरती और उस की जगमगाहट को पहली बार अपनी आंखों से देख रहा था और यही सोच रहा था कि,,, औरत की जवानी के आगे एक मर्द को और कुछ नहीं दिखाई देता और यही उसके साथ भी हुआ था उस दिन वह सोनी की खूबसूरत बदन को प्राप्त करने के चक्कर में किसी और चीज पर ध्यान नहीं दिया था सीधा उसके कमरे में प्रवेश कर गया था,,,, वहीं खड़ा होकर राजू यही सब सोच ही रहा था कि तभी उसे एक कमरे से हंसने और बात करने की आवाज आने लगी और राजू उस कमरे की ओर जाने लगा,,,,,।