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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Siraj Patel

The name is enough
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words tak ho sakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. . Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writers ko Awards k alawa Cash prizes bhi milenge jinki jaankaari rules thread mein dedi gayi hai, Total 7000 Rupees k prizes iss baar USC k liye diye jaa rahe hain, sahi Suna aapne total 7000 Rupees k cash prizes aap jeet shaktey hain issliye derr matt kijiye or apni kahani likhna suru kijiye.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 28th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.


Rules Check karne ke liye is thread ka use karein — Rules & Queries Thread

Contest ke regarding Chit Chat karne ke liye is thread ka use karein — Chit Chat Thread



Prizes
Position Benifits
Winner 3000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3000 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

rohnny4545

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लाला की हालत को देखकर खुद राजू सोच में पड़ गया था वही लाला की हालत पर हैरान था उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह विक्रम सिंह है कौन जिसका नाम सुनते ही लाला की हालत खराब हो गई,,,। यही जानने के लिए राजु वही एक कोने में जाकर खड़ा हो गया और सब कुछ अपनी आंखों से देखने लगा,,, लाला अपनी जगह से खड़ा हो गया था उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी और दूर से घोड़ों की टॉप की आवाज सुनाई दे रही थी,,,,,।

देखते ही देखते घोड़ा गाड़ी और साथ में 2 घुड़सवार जिनके कंधों पर दो नाली वाली बंदूक टंगी हुई थी वह दोनों घोड़े पर से पहले उतरे और घोड़ा गाड़ी के करीब जाकर खड़े हो गए ,,, थोड़ी ही देर में विक्रम सिंह नीचे उतरा,,, तकरीबन 6 फुट का हट्टा कट्टा चौड़ी छाती वाला आदमी देख कर ही कोई भी समझ जाएगी यह जमीदार ही हैं,,, उसका व्यक्तित्व था ही उस लायक,,, बड़ी-बड़ी मूछें उम्र तकरीबन 45 के करीब फिर भी अपने कद घाटी के हिसाब से 35 साल का ही नजर आता था,,,,,,, विक्रम सिंह घोड़ा गाड़ी से नीचे उतरा ही था कि खुद लाला अपनी जगह से दौड़ता हुआ उसके करीब गया और हाथ जोड़ते हुए उसका अभिवादन करते हुए बोला,,,।


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अरे विक्रम सिंह आपने क्यों कष्ट उठाया खबर भिजवा दीए होते तो मैं खुद चला आता,,,,,,


वह तो मैं देख ही रहा हूं लाला,,,, पर तुम भी अच्छी तरह से जानते हो कि समय भी पूरा हो गया है लेकिन तुम्हारी कोई खोज खबर नहीं मिल रही थी तो हमें खुद आना पड़ा,,,,,

अरे विक्रम साहब,,,(अपने चारों तरफ नजर घुमा कर इधर-उधर देखते हुए) यहां बड़ी धुप है,,चलो हवेली पर चलकर बात करते हैं,,,,,,
(इतना कहने के साथ ही लाला भी विक्रम सिंह की घोड़ा गाड़ी में उसके साथ बैठ गया और वह लोग लाला की हवेली की तरफ निकल गए,,,, लेकिन जाते-जाते राजू को अच्छे से काम देखने के लिए बोल कर गया था इसलिए बाकी का काम राजू ने वही खड़े-खड़े सबसे करवाया लेकिन वह सोच में पड़ गया थी आखिरकार यह विक्रम सिंह है कौन सी बला और किस समय की बात कर रहा था यह सब राजू के सोच के परे था लेकिन राजू को हैरान कर देने वाला था क्योंकि वह अभी तक यही सोच रहा था कि लाला ही पूरे गांव का मुखिया और रुबाबदार पैसे वाला इंसान है लेकिन यहां तो शेर को सवा शेर मिल गया था,,, फिर आ जाओ अपने मन में सोचा अपने कोई से क्या मतलब लाला जाने उसका काम जाने और यह सोचकर वह सारे काम करा कर वापस घर लौट आया,,,, मधु अपने बेटे के साथ चुदाई का असीम सुख पाकर अपने बेटे के लंड के लिए तड़प रही थी वह भी मौके की तलाश में ही रहती थी लेकिन उसे किसी भी प्रकार से मौका नहीं मिल पाता था हालांकि एक दो बार घर में कुछ पल के लिए दोनों अकेले मिले जरूर थे लेकिन आगे बढ़ने की हिम्मत मधु में बिल्कुल भी नहीं थी वह डर के मारे आगे नहीं बढ़ पाई और राजू पूरी तरह से निश्चिंत हो चुका था क्योंकि वह जानता था कि वह जब चाहे मौका मिलते ही अपनी मां की चुदाई कर सकता है और जो सुख उसे अपनी मां की बुर से मिला था वह सुख उसे आज तक किसी की भी बुर से नहीं मिल पाया था,,,,,


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ऐसे ही 1 दिन घर में काम कुछ ज्यादा था गेहूं की सफाई भी करनी थी और खेतों में काम भी था खाना बनाते समय मधु अपने मन में कुछ सोच रही थी तभी वह गुलाबी से बोली,,,।

गुलाबी,,

जी भाभी,,,

ऐसा करना कि तुम खाना खा लेने के बाद गेहूं की सफाई कर लेना और मैं खेतों में काम कर लूंगी क्योंकि खेत में काम करना भी बहुत जरूरी है,,,

जी भाभी मैं गेहूं साफ कर लूंगी,,,
(इतना कहना था कि तभी वहां पर राजू भी आ धमका और उसे देखकर मधु की बुर फुदकने लगी,,,,, आते ही राजू अपनी मां से बोला,,,)

मां खाना तैयार हो गया क्या,,,,(राजू अपनी मां के बेहद करीब जाकर खड़ा हो गया था जहां से राजू को अपनी मां के ब्लाउज में से उसके दोनों खरबूजे साफ नजर आ रहे थे और इस बात का आभास मधु को हो गया तो वह बोली)

हां तैयार तो हो गया है लेकिन तुझे खाना क्या है,,,,
(इतना कहते हुए वह राजू की तरफ देख कर मुस्कुरा कर बोली) यह तो बता दे,,,,



मुझे तो मां गरम गरम रोटी बहुत पसंद है और वह भी फूली हुई जब तवे पर गर्म होती है ना तो एकदम फुल जाती है वही रोटी मुझे सबसे ज्यादा पसंद है,,,
(राजू फूली हुई रोटी की उपमा अपनी मां की बुर से कर रहा था और इस बात का एहसास मधु को हो चुका था इसीलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए बोली)

कभी कभी रोटी फूलती नहीं है तो क्या खाएगा नहीं,,,

तुम बस रोटी को तवे पर रख दो उसे फुलाना मेरा काम है क्योंकि फुलाए बिना ना तो रोटी देखने में अच्छी लगती है और ना ही उससे भूख मिटाने में मजा आता है,,,,
(अपने बेटे की दो अर्थ वाली बातों को सुनकर मधु की बुर पानी पानी हो रही थी,,, गुलाबी को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि मां बेटे दोनों दो अर्थ में गंदी बातें कर रहे हैं वह तो अपने काम में बस बोलते क्योंकि उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि दोनों मां बेटों के बीच खिचड़ी पक चुकी है,,,,)


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तू चिंता मत कर आज तुझे मालपुआ खिलाऊंगी और वह भी रस टपकता हुआ,,,

वाह क्या बात है मां तुमने तो मेरी भूख (गुलाबी से नजर बचाकर पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए) बढ़ा दी,,,(अपने बेटे को इस तरह की हरकत करता हुआ देख कर मधु एकदम से सिहर उठी,,,, उसकी बुर की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी उसे अपनी बुर में अपने बेटे के लंड देने की चाहत और ज्यादा प्रबलित होने लगी,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) सच कह रही हो ना ना भूल तो नहीं जाओगी,,,

बिल्कुल भी नहीं भूलूंगी लेकिन तुझे खेतों में मेरा हाथ बंटाना पड़ेगा,,,,


बुआ भी चलेंगी खेत पर,,,

नहीं,,,(उत्तेजना के मारे अपने निचले हो तो को दांत से काटते हुए) मैं और तू बस हम दोनों चलेंगे बुआ घर का काम करेंगी,,,
(इतना सुनते ही राजू का लंड तन गया उसे समझ में आ गया था कि आज उसकी मां कुछ और सोच कर रखी है राजू के होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,,,)

रुक मैं तुझे खाना निकाल कर देती हूं,,,,,
(मधु खाना बनाने बैठी थी और गर्मी की वजह से वह अपनी साड़ी को घुटनो तक उठा कर बैठी हुई थी जिससे राजू बार-बार उसके साड़ी के अंदर झांकने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह कुछ देख नहीं पा रहा था अपने बेटे की हरकत को मधु अच्छी तरह से समझ रही थी और उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी तो राजू भी मौका देखकर अपनी बुआ से नजर बचाकर अपने हाथ की 2 उंगलियों को बुर की मुद्रा में बनाकर उसे दिखाने के लिए बोल रहा था अपने बेटे की हरकत से मधु के तन बदन में आग लगी हुई थी उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी काफी दिन हो गए थे अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लिए इसलिए अपने बेटे की हसरत को देखते हुए वह भी गुलाबी की तरफ देखी तो दूसरी तरफ मुंह करके काम कर रही थी और मौका देखते ही मधु तुरंत अपनी साड़ी को थोड़ा सा खोलकर अपने दोनों टांगों को फैला दी और अपने बेटे को अपनी रसीली बुर के दर्शन करा दी अपनी मां की बुर को देखते ही राजू से रहा नहीं गया और वह गहरी सांस लेते हुए कसके पजामे के ऊपर से यह अपने लंड को दबोच लिया,,,,।


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बस अब खेत में,,,(मधुर एकदम से धीमे स्वर में बोली और अपनी मां की बात सुनते ही उसके तन बदन में खुशी की लहर दौड़ने लगी वह तुरंत वहीं बैठ कर खाना खाने लगा और थोड़ी ही देर में मधु भी खाना खा ली और राजू से पहले ही खेत में चली गई और राजू को आने के लिए बोली थी ,,,,,,, थोड़ी देर में गुलाबी खाना खाकर घर के काम में लग गई तो मौका देखकर राजू भी खेत की तरफ निकल गया,,,, राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां खेतों के बीचो बीच में काम कर रही होगी जहां पर छोटी सी झोपड़ी बनी हुई है और देखते ही देखते राजू उस जगह पर दबे पांव पहुंच गया वह देखना चाहता था कि उसकी मां कर क्या रही है,,,,,,,, राजू समय से थोड़ा जल्दी ही खेत पर पहुंच गया था और मधु थोड़ा बहुत काम करके उसे बड़े जरूर की पेशाब लगे हुई थी और वह घनी झाड़ियों के बीच धीरे-धीरे जा रही थी तभी राजू की नजर अपनी मां पर पड़ गई और वह दबे पांव उसके पीछे-पीछे नजर बचाकर जाने लगा वह देखना चाहता था कि उसकी मां क्या करती है,,,, वैसे तो वहां अपनी मां के साथ आप कुछ भी कर सकता था लेकिन उसकी हार एक क्रिया उसकी हरकत राजू के तन बदन में आग लगा देती थी और वही देखने के लिए उत्सुक भी था क्योंकि जिस तरफ उसकी मां जा रही थी उसे अंदेशा हो रहा था कि उसकी मां पेशाब करने जा रही है और ऐसा ना जा रहा हूं अपनी आंखों से कैसे जाने दे सकता था देखते ही देखते हो ठीक है अपनी मां के पीछे एक पड़े से पेड़ के पीछे छुप गया जैसा कि झुमरी को नंगी देखने के लिए किया था,,,
Madhu is tarah se pesaab karne k liye Beth gayi


मधु को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह तुरंत अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दे और एक बार फिर से राजू की आंखों के सामने उसकी उत्तेजना बढ़ा देने वाला उसका सबसे पसंदीदा अंग उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड नजर आने लगी और वह भी एकदम नंगी,,,, मधु को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए साड़ी उठाने के साथ ही वह तुरंत नीचे बैठ गई और पेशाब करना शुरू कर दी है नजारा देखकर राजू के दिलों दिमाग पर बद‌हवासी और मदहोशी छाने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, राजू पेड़ के पीछे छुप कर अपनी मां की गोल गोल चिकनी गांड को देख रहा था जो कि कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आ रही थी और पेशाब करने की वजह से उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज पूरे वातावरण को अपनी मधुर ध्वनि में डूबा दे रही थी उस सीटी की आवाज को सुनकर राजू से रहा नहीं गया और वह धीरे से पेड़ के पीछे से निकलकर ठीक है अपनी मां के पीछे खड़ा होकर बोला,,,।
Madhu


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क्या मा अकेले अकेले मुत रही हो मुझे भी तो साथ ले ली होती,,,।
(अपने पीछे से आ रही आवाज को सुनकर पल भर के लिए मधु एकदम से चूक गए लेकिन जैसे उसे इस बात का आभास हुआ कि उसका बेटा उसके ठीक पीछे खड़ा है तब जाकर उसे राहत हुई लेकिन अपने बेटे के सामने खड़ी दोपहरी में दिन के उजाले में इस तरह से पेशाब करने में उसे बहुत शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह धीरे से बोली,,,,)

इसके लिए भी किसी को आमंत्रण दिया जाता है क्या,,,,।

(इतना सुनते ही राजू से रहा नहीं गया उसे भी जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी और वह भी पजामे को घुटनो तक नीचे खींच कर अपनी मां की तरह ही बैठ गया यह देख कर मधु के तन बदन में आग लग गई क्योंकि वह औरतों की तरह बैठकर पेशाब करने जा रहा था और यह नजारा देखना उसके लिए भी किसी अद्भुत नजारे से कम नहीं था वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाई और वहां अपनी नजरों को थोड़ा सा आगे की तरफ झुक कर अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच देखने लगी जैसे कि एक मर्द एक औरत की दोनों टांगों के बीच देखता है,,, अपनी मां की उत्सुकता के बीच राजू मुतना शुरू कर दिया,,,, उसके लंड से पेशाब की धार दूर तक जा रही थी जहां तक कि उसकी मां की पेशाब की धार नहीं पहुंच पा रही थी,,,,, और पेशाब की धार को और दूर मारते हुए बेशर्मी की हद पार करते हुए राजू अपनी मां से बोला,,,)

देखी मा मेरे लंड की ताकत,,, तुमसे दूर तक मुत रहा हूं,,,


तू मेरे से दूर तक मुतेगा ही ना तेरा लंड भी तो पाइप की तरह है और मेरे पास क्या है एक छोटा सा छेद है जिसमें से कितनी दूर तक जाएगा,,,,
(मधु भी एकदम रंगीन होती जा रही थी उसके शब्द उसकी बातें भी अश्लील होती जा रही थी और उसके मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर राजू पूरी तरह से मस्त वाला हुआ जा रहा था और वह अपना हाथ अपनी मां की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर रखते हुए बोला,,)

सच में मां तुम्हारी चिकनी बुर से ज्यादा दूर तक पेशाब नहीं जा सकता,,,, और तुम चाहोगी तो भी नहीं कर सकती,,,(इतना कहते हैं राजू अपनी मां की गुलाबी छेद पर अपनी हथेली को रगड़ रहा था और उसकी हरकत मधु के तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रही थी वह पूरी तरह से चुदवासी हुए जा रही थी,,,, उत्तेजना के मारे मधु का गला सूखने लगा था और राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मेरे लंड को पकड़ कर थोड़ा सा और ऊपर उठाओ देखो कितनी दूर तक जाता है,,,.


(राजू अपनी कामुक मदहोश कर देने वाली बातों से अपनी हरकतों से अपनी मां को पूरी तरह से चुदवासी कर दिया था उसके बदन में उत्तेजना भर दिया था,,, एक तरह से अपने बेटे की गुलाम बन चुकी थी और उसकी बात मानते हुए तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़े दी काफी दिनों बाद वह अपने बेटे के लंड को पकड़ रही थी उसकी गर्मी उसे सहन नहीं हो रही थी और उसकी‌ तपन उसे अपनी बुर पर महसूस होने लगी थी,,,, मधु अपने बेटे के मोटे और लंबे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसके सुपारी को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा ही और राजू ने फिर से पेशाब करना शुरू कर दिया और पेशाब की धार और ज्यादा दूर तक गिरने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे पौधों को पानी दे रहा हो यह देख कर मधु की बुर पानी फेंक रही थी इस तरह का नजारा वह कभी देखी नहीं थी और ना ही इस तरह की हरकत करने की कभी वह सोची थी लेकिन राजू के चलते वह पूरी तरह से बदहवास हो चुकी थी वह अब अच्छे बुरे के बीच फर्क करना भूल गई थी वह मां बेटे के बीच के पवित्र देशों के बीच इस तरह के शारीरिक संबंध को अब गलत नहीं समझ रही थी वह एक दूसरे की जरूरत को ही समझ रही थी और इस समय मधु को भी जरूरत थी और राजू को भी एक दूसरे की,,,,,,,।

दोनों मां बेटे बैठकर पेशाब कर रहे थे,,, मधु ने आज तक किसी लड़के को इस तरह से बैठकर पेशाब करते हुए नहीं देखा था लेकिन आज उसे अपने बेटे को इस तरह से पेशाब करते हुए देखकर उसकी बुर पानी-पानी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और वह भी एक दूसरे के अंगों से खेल भी रहे थे,,, राजू अपनी मां की बुर को सहला रहा था और मधु अपने बेटे के लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दी थी,,,,,,, देखते ही देखते दोनों एकदम गर्म होने लगे,, मधु की नाराम नाराम हथेली में राजू का लंड और भी ज्यादा कड़क होने लगा था और राजू की हथेली में बार-बार मधु की बुर से पानी के छींटे बाहर निकल रहे थे जो कि उसका मदन रस था और यह मदन रस राजू के लिए अमृत की धार से कम नहीं था,,,, कड़ी धूप में दोनों बैठे हुए थे झाड़ियों के बीच और चारों तरफ हरे हरे खेत लहरा रहे थे कोई देखना चाहे तो भी किसी को दोनों नजर ना आए इस तरह से यह जगह झाड़ियों से गिरी हुई थी और इसी का फायदा उठाते हुए राजू और मधु दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबने लगे थे देखते ही देखते राजू अपने पैसे होठों पर अपनी मां के लाल लाल होठों पर करीब ले जाने लगा और मधु भी अपने तपते हुए हो उसको अपने बेटे के होठ से लगाने के लिए आगे बढ़ने लगी और दोनों के हाथ अपनी-अपनी क्रिया कर ही रहे थे,,, और देखते ही देखते दोनों के होंठ कब एक हो गए दोनों को पता ही नहीं चला राजू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होठों से लगाकर उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह शराब की बोतल को पूरा का पूरा अपने होठों से लगा लिया हो पल भर में उसके तन बदन में नशा छाने लगा था आंखों में खुमारी छाने लगी थी और यही हाल मधु का भी था,,, मधु कभी सपने में नहीं सोचा थी कि वह अपने बेटे की संगत में इस तरह से निर्लज्ज हो जाएगी कि अपने ही बेटे के साथ रंगरेलियां मनाने पर उतारू हो जाएगी,,, क्योंकि खेत पर बुलाने का उसका ही बहाना था वह अपने बेटे के साथ एक बार फिर से चुदाई का खेल खेलना चाहती थी क्योंकि उससे रहा नहीं जा रहा था अपने पति के साथ अब उसे मजा नहीं आता अपने बेटे के मोटे लंड़की रगड़ उसे अपनी बुर के अंदर फिर से महसूस करना था,,,

राजू भी अपनी मां को अपने रंग में रंग लिया था दोनों मां-बेटे के सर पर वासना का तूफान छाया हुआ था जो कि अपना असर दिखा रहा था मधु अपने लाल-लाल होठों को अपने बेटे के लिए खुल चुकी थी और राजू अपनी जीभ को अपनी मां के मुंह में डालकर उसके लार को चाट रहा था,,,, इस तरह के चुंबन का सुख आज तक उसके पति ने नहीं दिया था और ना ही इस तरह से कभी चुंबन किया था लेकिन राजू उसे एक अद्भुत चुंबन की भाषा सिखा रहा था जिसमें औरत और मर्द दोनों कैसे एक दूसरे में खो जाते हैं राजू एक तरह से मधु के लिए संभोग के अध्याय का शिक्षक था जो उसे नए-नए क्रियाकलापों से अवगत करा रहा था और उन क्रियाकलापों का उसे भरपूर आनंद भी दे रहा था,,,,

देखते ही देखते अपनी मां की बुर को सहला रही उंगलियों को कब उसने अपनी मां की बुर में डाल दिया यह मधु को पता ही नहीं चला और वह अपनी उंगली को अपनी मां की बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया देखते ही देखते चुंबन में लीन मधु के मुख से गरमा गरम सिसकारियां निकलने लगी चौकी इस समय इस तरह के खुले वातावरण में उन दोनों के सिवा सुनने वाला और कोई नहीं था अपनी मां की गरमा गरम सिसकारियों को सुनकर राजू के तन बदन में आग लग रही थी,,,, मधु से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मधु के तन बदन में अकड़न बढ़ने लगी थी ऐसा लग रहा था कि किसी भी वक्त उसकी बुर से पानी का फव्वारा फूट पड़ेगा और इसीलिए वह तुरंत अपनी जगह से खड़ी हुई और अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही ठीक अपने बेटे के सामने आ गई उसका बेटा अभी भी पेशाब करने की मुद्रा में बैठा हुआ था और राजू को समझ पाता इससे पहले ही मधु अपने दोनों हाथों से राजू के बाल को पकड़कर उसके प्यासे होठों को अपनी बुर से सटा ली अपनी मां की यह कामुक मदहोश कर देने वाली हरकत देखते ही रह चुके तन बदन में आग लग गई और वह तुरंत अपनी जीत को बाहर निकालकर अपने मां के गुलाबी छेद में डाल दिया और उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,,।


सहहहरह आहहहहह आहहहहहहह राजू मेरे बेटे पूरी जीभ डालकर चाट,,,,(ऐसा कहते हुए मधु पूरी तरह से मदहोश और उत्तेजित होकर अपनी कमर को हिला रही थी और ऐसा करने से राजू अपनी जगह पर ठीक से बैठ नहीं पा रहा था,,, अपनी मां की योग्यता भरी उत्तेजना को देखकर राजू भी अत्यंत उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, और वह तुरंत अपनी स्थिति को बदलते हुए घुटनों के बल बैठकर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया और तुरंत अपने दोनों हाथ को साड़ी में डालते हो अपनी मां की कमर को थाम लिया और उसकी नरम नरम गांड पर अपनी उंगलियों को रखकर दबाव देते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया और जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को बुर में डालकर चाटना शुरू कर दिया,,,,,।

मधु की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसकी गरमा गरम सांसे तेज होती जा रही थी उसकी सिसकारियां की आवाज से पूरा खेत गूंज रहा था,,, शायद खुलकर इस तरह की गरमा गरम शिसकारियों का आनंद हुआ खुद पहली बार ले रही थी,,,, इस तरह से खुले खेतों के बीच इस तरह की काम क्रीड़ा के बारे में वह कभी सोची भी नहीं थी और ना ही उसके पति ने कभी इस तरह का मौके का फायदा उठाते हुए उसके साथ इस तरह की काम क्रीड़ा का खेल खेला था लेकिन उसके बेटे ने उसे अद्भुत सूखी देते हुए खेतों के बीचो बीच उसकी बुर चाटते हुए उसे मदहोश कर रहा था,,,, उत्तेजना बस अपने आप ही मधु की कमर एक मर्द की भांति आगे पीछे हो रही थी ऐसा लग रहा था कि वह अपने बेटे के मुंह को चोद रही हो बुर से निकला बदन रस की चिपचिपाहट से राजू का पूरा चेहरा गिला हो चुका था और उसमें से आ रही मादक खुशबू से राजू के तन बदन में आग लगी हुई,,,, मधु इतना ज्यादा उत्तेजित हो जा रही थी कि अपना एक पाव उठाकर अपने बेटे के कंधे पर रख दे रहे थे उसे अपनी बुर से दबा ले रही थी,,, इस तरह की उत्तेजना और काम चेस्टा वह पहले कभी नहीं की थी,,,, उसके जीवन का यह पहला अवसर था जब वह अपने बेटे के साथ मनमानी कर रही थी,,,,,।

राजू औरत को खुश करने का हुनर अच्छी तरह से जानता था इसलिए जितना हो सकता था आपने जीव को उसकी बुर की गहराई में उतार दे रहा था और लगातार अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को अपनी हथेली में लेकर दबा रहा था,,, मदहोशी भरे आनंद के सागर में गोते लगाते हुए रह-रहकर मधु के हाथों से उसकी साड़ी छूट जा रही थी जिससे राजू पूरी तरह से अपनी मां के साड़ी के अंदर आ जा रहा था और और उसी स्थिति में मधु अपनी कमर हिला कर अपनी बेटे के मुंह को ही चोद रही थी,,,, लेकिन इस तरह से साया के अंदर आ जाने से राजू को बहुत ज्यादा गर्मी का एहसास होने लगता था वह तो वह खुद ही अपनी मां की साड़ी उठाकर फिर से कमर तक कर देता था और फिर वापस उसी क्रिया में लग जा रहा था,,,, राजू अपनी जीभ का करामत दिखाते हुए अपनी मां को स्वर्ग का सुख दे रहा था इस तरह का सुख की कल्पना कभी मधु ने नहीं की थी,,,,,,,,

राजू और मधु दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे क्योंकि दोनों एकदम धूप में खड़े थे लेकिन जिस तरह का शुभ दोनों को मिल रहा था उससे उन दोनों को धूप गर्मी का एहसास बिल्कुल भी नहीं हो रहा था भले ही दोनों का बदन पसीने से भीगा हुआ था आखिरकार दोनों मेहनत भी तो उसी तरह की कर रहे थे इसलिए पसीना बहना लाजमी था,,,, देखते ही देखते मधु का बदन अकड़ने लगा उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और वह अपने बेटे के बाल को कस के पकड़ कर अपने बुर से उसके होंठ को कच कचा के सटाकर झड़ना शुरू कर दी उसकी बुर से गर्म लावा बाहर निकलने लगा और राजू बेहद उत्साहित और उत्सुक था वह जीभ लगाकर अपनी मां की बुर से निकले हुए मदन रस को अमृत की धार समझकर अपने गले के नीचे घटक ने लगा कसैला स्वाद भी उसे मधुर लग रहा था और देखते ही देखते वह तब तक अपनी मां की बुर में चिप डालकर जागता रहा जब तक की बुर से निकला पानी साफ नहीं हो गया,,,

मधु अभी भी गहरी गहरी सांस लेते हुए अपने बेटे के मुंह पर कमर का झटका मार रही थी,,,,,,, राजू की पूरी तरह से मस्त हो चुका था लेकिन वह जानता था यह तो शुरुआत है अभी तो खेतों में काम बहुत बाकी है और वह जानता था कि खेत में इस तरह का काम करने में बहुत मजा आने वाला है,,,।
 
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