कमला चाची की हालत को देखकर राजू को लग रहा था कि कमला चाची को बहुत दर्द कर रहा है और वैसे भी चींटी के काटने के दर्द से वह अनजान नहीं था वह चित्र से जानता था कि जिस जगह पर चींटी काटती है तो थोड़ा उस जगह जलन भी करती है और सूज भी जाती है,,,। इसलिए राजू को भी चिंता हो रही थी,,,, राजू के मन में दो भाव पैदा हो रहे थे एक तो उसे कमला चाची की चिंता भी हो रही थी और उसके इस तरह से उछल कूद में जाने की वजह से जिस तरह से उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में गदर मचा रही थी उसे देखकर उसे उत्तेजना भी महसूस हो रही थी और तो कमला चाची जब खुद बात बोल दी कि तु ही चींटी निकाल दे तो इस बात से राजू एकदम उत्तेजना से भर गया,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, वह बस एक टक कमला चाची को देखे जा रहा था,,,,। उसे इस तरह से आश्चर्य से देखते हुए कमला चाची बोली,,,।
ऐसे क्या देख रहा है तू ही निकाल दे,,,,
ममममम,,, में,,, कैसे चाची,,,,
अरे क्यों नहीं,,,? , तु निकाल सकता है,,,, देख राजु मेरी जल्दी मदद कर बड़े जोरों से काट रही है,,,,,आहहहहह ,,,ऊईईईईई,, मां,,,,,(दर्द से आह भरते हुए कमला चाची साड़ी के ऊपर से ही जोर से अपनी बुर को हथेली में दबोच ली,,,, कमला चाची की इस हरकत पर राजू पूरी तरह से मोहित हो गया,,,,,,, अपने अंदर वह अजीब सी हलचल तो महसूस कर रहा था उसके पजामे में पूरी तरह से तंबू तन चुका था,,, जिस पर राजू का तो नहीं लेकिन कमला चाची का ध्यान बराबर बना हुआ था कमला चाची के तन बदन में राजू के तंबू को देखकर सुरूर सा चढने लगा था,,,।राजू को इसी तरह से खाना देखकर कमला चाची अपने मन में सोची कि उसे ही कुछ करना होगा इसलिए वह,,, बोली,,)
राजु,,,, जल्दी कुछ कर,,,,,( और इतना कहने के साथ ही कमला चाची,,,एक झटके से अपनी साड़ी पकड़कर कमर तक उठा दी,,,,, पल भर के लिए भी अपनी इस हरकत को लेकर कमला चाची शर्मा महसूस नहीं की वो एकदम से बेशर्म बन चुकी थी वह जानती थी कि वह क्या कर रही है वह पूरी तरह से होशो हवास में थी,,,,साड़ी के अंदर उसे किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं थी उसे किसी चींटी ने नहीं काटी थी बस वह तो 1 बहाने से मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी दिखाना चाहती थी इसे देखते हैं मर्दो पर मदहोशी छाने लगती है और वही मदहोशी वह राजू के तन बदन में उसके चेहरे पर देखना चाहती थी,,,,कमला चाची एक झटके से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी कमर को थोड़ा सा आगे की तरफ कर दी एक बेहद अद्भुत दुर्लभ और अतुल्य दृश्य राजू की आंखों के सामने था उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने कोई औरत इस तरह से हरकत करेगी और कमला चाची पर तो उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,,,,,
दोपहर का समय था दुर दुर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था सिर्फ पंछियों के कलरव की आवाज ही सुनाई दे रही थी,,, ऐसे में खेतों के बीच अद्भुत और कामुकता से भरा हुआ दृश्य अपनी कामुकता फैला रहा था,,,,,, राजू की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी सब कुछ उसकी आंखों के सामने था फिर भी उसे किसी सपने की तरह लग रहा था क्योंकि हकीकत की तो उसे उम्मीद भी नहीं थी,,,, कमला चाची की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थीक्योंकि वह जिसके सामने अपनी साड़ी उठाकर खड़ी थी और उसके बेटे से भी कम उम्र का था और कभी कमला चाची ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी कम उम्र के लड़के के सामने उसे इस तरह से साड़ी उठाकर अपनी वासना का प्रदर्शन करना होगा और वैसे भी बहुत पहले से ही वासनामई औरत थी,,,,,,। गहरी सांस लेते हुए कमला चाची बोली,,,।
देख राजु चीटियां नजर आ रही है कि नहीं,,,,! (कमला चाची को अच्छी तरह से मालूम था कि कोई चींटी वीटी नहीं थी फिर भी वह एक बहाने से राजू को अपने पास बुलाना चाहती थी ताकी अपनी रसीली बुर कि उसे दर्शन करा सकें,,,कमला चाची की बात सुनते ही वह अपना एक कदम आगे बढ़ाया उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह वहीं रुक कर कमला चाची की दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेने लगा,,, राजु के तन बदन में आग लग रही थी,,,, वह वहीं खड़ा हो कर देख रहा था आगे बढ़ने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी तो कमला चाची फिर बोली,,,)
अरे दूर से क्या देख रहा है पास आकर देख,,,,
(कमला चाची की इस तरह की बातें राजू के लिए खुला आमंत्रण थी लेकिन राजू उसके आमंत्रण को उसके इशारे को समझ नहीं पा रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वाकई में कमला चाची से चीटियां देखने के लिए कह रही है,,,, कमला चाची की बात सुनकर और एक कदम और आगे बढ़ाया उसके और कमला चाची के बीच केवल अब 1 फीट की दूरी का ही फासला रह गया था,,,, अद्भुत नजारा राजू ने कभी सपने में भी नहीं देखा था राजू के लिए यह नजारा मादकता का विस्फोट कि तरह था,,, किसी जवान औरत का इस तरह से साड़ी उठाकर अपनी बुर दिखाना शायद इतना उत्तेजक नहीं होता उनकी एक उम्र दराज औरत का इस तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बुर का प्रदर्शन करना बेहद कामोत्तेजक और उन मादक था राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर अपने चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी अगर उत्तेजना नापने का कोई साधन होता तो शायद इस समय उत्तेजना का कांटा पार कर गया होता,, जैसे ज्वर नापने का थर्मामीटर होता है अगर इसी तरह से कुत्ते से ना कभी थर्मामीटर होता तो शायद उत्तेजना के मारे थर्मामीटर भी भूल जाता है इस तरह की उत्तेजना का अनुभव राजू अपने तन बदन में कर रहा था कमला चाची की सांसे भी तेजी से चुल रही थीक्योंकि उम्र के इस दौर में अब तक उसने इस तरह की हरकत कभी नहीं की थी हालांकि मर्दों के प्रति उसका आकर्षण हमेशा से बनाई रहता था लेकिन राजू के उम्र के लड़के के साथ यह उसका पहला अनुभव था,,,,।
कमला चाची उसी तरह से साड़ी को कमर तक उठाएं अपनी बुर दिखा रही थी जिस पर झांटों का झुरमुट से बना हुआ था,,,, और घूंघराले बालों के झुरमुट में छुपी बुर को देखने की कोशिश राजू बड़े जोड़-तोड़ से कर रहा था लेकिन घने बालों की वजह से कमला चाची की बुर उसे नजर नहीं आ रही थी,,,, राजू बड़े गौर से कमला चाची की बुर वाली जगह पर देख रहा था कि तभी कमला चाची बोल पड़ी,,,,
आहहहहह राजु,,, देखना कब से काट रही है मुझे परेशान की हुई है और तू दूर से बस देखे जा रहे हैं पास आकर देख जल्दी से इसे अपने हाथों से निकाल,,,,(कमला चाची उत्तेजना में और राजू को मदहोश करने के उद्देश्य से ऐसा बोलते हुए अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे मसल दी,,,राजू के लिए कमला चाची की हरकत उत्तेजना की पराकाष्ठा थी वह और ज्यादा नजदीक आ गया उसका खुद का मन कर रहा था कि वह अपने हाथों से कमला चाची की बुर को स्पर्श करें उसे छू ले लेकिन उसे डर लग रहा था,,,,,,, वो डरते हुए कमला चाची से बोला,,,)
अब क्या करूं चाची,,,,
अरे करना क्या है मेरी बुर पर देख झांट के बाल में देख,,, चिंटीव फसी हो तो जल्दी से निकाल,,,,(कमला चाची गहरी सांस लेते हुए बोली,,, राजू अजीब सी उलझन में फंसा हुआ था जो कुछ भी कमला चाची कह रही थी वह सब उसे करने का बहुत मन कर रहा था लेकिन डर रहा था,,,, फिर भी डरते हुए बोला)
मैं करूं चाची,,,,
हां और कौन करेगा मैं ठीक से ढूंढ नहीं पाऊंगी,,,,
लेकिन कोई देख लेगा तो,,,( राजू घबराते में चारों तरफ नजर दौड़ाते हुए बोला,,,,राजू की बातें सुनकर कमला चाची मन में ही मुस्कुराने लगी वह इस बात से ही संतुष्ट थी कि चलो रांची को इतना तो पता है कि यह सब अकेले में सबसे छिपकर किया जाता है,,,)
तू डर मत यहां कोई नहीं आने वाला है और कोई देखने वाला भी नहीं है और वैसे भी तू कोई केयर थोड़ी है तो अच्छा लड़का है तुझे मैं अपना समझती हूं इसलिए मैं तुझे बोल रही हूं फिर जगह अगर कोई होता तो मैं उससे से थोड़ी बोलती,,,
(कमला चाची की बातें सुनकर राजु को थोड़ी तसल्ली हुई वह,,, थोड़ा सा छुप गया था कि कमला चाची की बुर को अच्छे से देख सके,,,, झुकने पर राजू को कमला चाची की बुर बड़े अच्छे से दिखाई दे रही थी अपना हाथ आगे बढ़ा कर कमला चाची के घुंघराले बालों पर रख दिया और उसके अंदर उंगली घुमाने लगा राजू की यह हरकत कमला चाची के तन बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ावा दे रही थी,,,, राजू तो सच में जाटों के झुरमुट के बीच में चीटियों को ढूंढ रहा था उसकी उंगली चारों तरफ घूम रही थी इस हरकत को अंजाम देने में राजू को भी अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी रह रह कर उसकी उंगलियां कमला चाची की बुर पर स्पर्श हो जा रही थी जिससे कमला चाची की उत्तेजना पर जा रही थी और राजू की हालत खराब हो जा रही थी,,,, वह अपनी उंगली को झांटों में गोल गोल घुमा रहा था,,,, तो कमला चाची बोली,,,।
क्या हुआ मिला क्या,,,,?
नहीं चाची कुछ भी नजर नहीं आ रहा है,,, मुझे लगता है कि चींटी चली गई है,,,,(कमला चाची की तरफ देखते हुए राजू बोला)
आहहहहह,,,, ऐसे कैसे चली गई है देख मुझे अभी भी काट रही है अच्छे से देख बालों को फैला फैलाकर देख,,,,।
(राजू बड़े अच्छे से कमला चाची की बुर को देखना चाहता था जिंदगी में एक ही बार गुड़ के दर्शन किया था और वह भी अपनी बुआ गुलाबी की बुर के जो कि एक पतली दरार के रूप में थी और बेहद खूबसूरत नजार आ रहीं थी उस पर हल्के हल्के ही बाल थे,,,, लेकिन कमला चाची की बुर पर तो बालों का जंगल उगा हुआ थागुलाबी की बुर देखने में राजू को बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हो रही थी लेकिन कमला चाची की बुर देखने में राजू को दिक्कत महसूस हो रही थी लेकिन अब चाची की बात सुनते ही उसे उम्मीद की किरण नजर आने लगी और वह अपने हाथों की उंगलियों से कमला चाची की बुर के बाल को इधर-उधर फैलाते हुए उसकी बुर देखने की कोशिश करने लगा और ऐसा करने पर उसे कमला चाची की बुर उसकी गुलाबी पत्ती उसकी पतली दरार बड़े अच्छे से नजर आने लगी,,,,,कमला चाची की फोटो देखने में उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसकी बाकि पुर मात्र एक पतली दरार के रूप में नजर आ रही थी और कमला चाची की बुक हल्की सी खुली हुई थी शायद यह उम्र की वजह से थी,,।
राजू अपनी उंगली से बड़े अच्छे से बुरके ऊपर ईधर उधर घुमा कर चींटी को ढूंढ रहा था,,, लेकिन उसे चींटी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी लेकिन ऐसा करने में उसे ऐसा सुख प्राप्त हो रहा था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था कमला चाची की बुर से अनजाने में खेलते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच लटकता खंजर में दर्द महसूस होने लगा था,,,, क्योंकि उसके लंड की अकड़ बढ़ते जा रही थी,,,,दूसरी तरफ एक जवान लड़के के ऊंगलीयो का स्पर्श अपनी बुर के ऊपर महसूस करके कमला चाची पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी इस उम्र में भी उसकी उत्तेजना बरकरार थी,,, राजू की हरकतों में उसे पूरी तरह से चुदवासी बना दिया था जिसके चलते उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,,, जोकि धीरे-धीरे राजू की अंगुलियों पर रीश रहा था,,,। राजू का ध्यान पूरी तरह से कमला चाची की बुर पर टिका हुआ था,,, वह अपनी नजरों को इधर उधर भी नहीं घुमा रहा था,,,। कमला चाची की बुर का जायजा लेने में वह पूरी तरह से मशरुफ हो चुका था,,। देखते-देखते अनजाने में ही राजू ने अपनी उंगली के पोर से कमला चाची की बुर के गुलाबी पत्तियों को छेड़ दिया,,,, तो वैसे ही तुरंत कमला चाची के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,।
nicem cute emojis
सहहहहह आहहहहहहह,,,,,,,,ऊमममममममम,,,,
क्या हुआ चाची,,,(उसकी गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर राजेश की तरफ देखते हुए बोला,,,)
ककककक,,, कुछ नहीं राजू फिर से काट रही है,,,,(कमला चाची गर्म आहे भरते हुए बोली,,,)
लेकिन चाची यहां तो मुझे कुछ भी नजर नहीं आ रहा है,,,,(राजू अपने दोनों हाथों की उंगलियों से झांट के बालों को फैलाते हुए बोला,,,)
ध्यान से देख राजु मुझे बड़ी तकलीफ हो रही है,,,,आहहहहह नहीईईईई,,,,,।
क्या चाची सच में बहुत तकलीफ हो रही है,,,
अरे बहुत तकलीफ हो रही है मुझे तो डर है कहीं सूज ना जाए,,,,। देख बड़े अच्छे से मेरी बुर को देख,,,,आहहहहह राजु,,,
(कमला चाची के मुंह से बुर शब्द सुन कर राजु पूरी तरह से रोमांचित हो उठा,,,)
रुको चाची में फिर से देखता हूं,,,,,,
(कमला चाची उसी तरह से अपनी साड़ी उठाए हुए राजू को अपनी बुर बड़े अच्छे से दिखा रही थी और राजू को मजा भी आ रहा था लेकिन इस बात से अनजान था कि कमला चाची उसे चींटी वाली बात झूठ कह रही है और वह चींटी ढूंढने में ही व्यस्त था,,, लेकिन चींटी ढुंढते हुए उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी,,,, राजू फिर से बड़े ध्यान से देखने लगा राजू को कमला चाची की बुर का गुलाबी छेद बड़े साफ तौर पर नजर आ रहा था वह उसे गुलाबी छेद को देखते हुए कमला चाची से बोला,,,)
चाची चींटी तो नहीं नजर आ रही है लेकिन तुम्हारे बुर का गुलाबी छेद नजर आ रहा है,,,,।
(राजू के मुंह से बुर शब्द और गुलाबी छेद सुनकर वह पूरी तरह से मस्त हो गई,,, पलवल में ही राजू के इन शब्दों ने उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा दिया क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि राजू किस बारे में बात कर रहा है,,, इसलिए मदहोशी भरे शब्दों में वह बोली,,)
हां,,, राजू लगता है चींटी उसी चीज में चली गई है मुझे वही दर्द हो रहा है,,,,सहहहहह,,आहहहहहह,,,,,(कमला चाची पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उसकी बातों को सुनकर राजु बोला,,,)
तो अब क्या करूं चाची,,,,(राजू उत्सुकता बस कमला चाची की तरफ देखते हुए बोला,,,, राजू की बात सुनकर कमला चाची बोली)
करना क्या है राजू उसे निकालना तो पड़ेगा ही अपनी उंगली डालकर उसे निकाल बाहर वरना यह मेरी बुर सुजा देगा,,,,,,
(कमला चाची पर हस्ताक्षर में बनी कमला चाची की इस तरह की गंदी बातों को सुनकर राजू के तन बदन में जो आग लग रही थी उसे बयां करना शायद शब्दों में मुश्किल हो रहा था कमला चाची की गंदी बातें उत्तेजना की आग में घी डालने का काम कर रहा था,,,, कमला चाची की बातें सुनकर राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढने लगी और उसका गला सूखने लगा,,, इसलिए वह अपने थुक से अपने गले को गिला करने की कोशिश करने लगा,,,, कमला चाची ने उसे अद्भुत काम सौंप दीया था,,,। जिसे करने में राजू को बहुत खुशी भी हो रही थी और वह उत्सुक भी था,,, कमला चाची चाहती तो राजू से सीधे-सीधे उसका लंड अपनी बुर में डालने के लिए कह देती और राजू इंकार भी नहीं करता लेकिन उसे न जाने क्यों धीरे-धीरे इस खेल में मजा आ रहा था राजू के नादानियत उसे और ज्यादा मदहोश कर रही थी,,,
राजू के दिल की धड़कन बढने लगी थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, वह अपनी बीच वाली उंगली को बुरके छेद में डालना शुरू कर दिया,,,,कमला चाची अपने मन में यही सोच रही थी कि राजू के लिए यह संभोग का पहला शबक था जिसमें वह धीरे-धीरे कामयाब हो रहा था,,, कमला चाची की बुर उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसीलिए राजू की उंगली बड़े आराम से अंदर की तरफ सरक रही थी,,,,जैसे-जैसे राजू की उंगली बुर के अंदर जा रही थी वैसे वैसे कमला चाची की हालत खराब होती जा रही थी उसके चेहरे का हाव भाव उसका रंग बदलता जा रहा था और पल भर में ही उसके गोरे गोरे गाल लाल टमाटर कि तरह हो गए,,,,, राजू की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, उसे मजा आ रहा था कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दोबारा कभी उसे इतनी नजदीक से किसी औरत की बुर को देखने का मौका भी मिलेगा और उसने उंगली डालने का भी मौका मिलेगा लेकिन राजू के सोचने के विपरीत हो रहा था और इसमें राजू को मजा भी आ रहा था,,,,धीरे-धीरे करके राजु अपनी आधी से ज्यादा ऊंगली वकमला चाची की बुर के अंदर डाल दिया था,,, बुर के अंदर अपनी उंगली पर बेहद गर्मी महसुस हो रही थी,,, इसलिेए वह उत्सुकता बस बोला,,,,।
चाची तुम्हारे बुर के अंदर तो बहुत गर्मी है,,,
क्यों क्या हुआ रे,,,,(कमला चाची मदहोश होते हुए बोली,,)
मेरी उंगली तुम्हारी बुर के अंदर जाकर जल रही है,,,,
(राजू की बात सुनकर पूरी तरह से कामोत्तेजना मे मदहोश होते हुए भी हंसने लगी और वह बोली,,)
तो क्या तुझे क्या लगा औरत की बुर ऐसे ही नरम नरम होती है सिर्फ ऊपर से ही मुलायम होती है अंदर तो शोला दहकता रहता है,,,,
सच में चाची बहुत गर्म है,,,,,(ऐसा कहते हुए राजू अपनी पूरी उंगली कमला चाची की बुर में डाल दिया,,, जैसे ही उसकी पूरी उंगली बुर के अंदर तक घुशी वैसे ही कमला चाची कि सिसकारी फूट पड़ी,,,,)
सहहहहह आहहहहहहह,,,,,
क्या हुआ ,,,, चाची,,,,
ककककक,,,कुछ नहीं अपनी उंगली को अंदर बाहर कर ताकि चींटी आराम से बाहर भी कर सकें,,,
(कमला चाची की बात सुनते ही राजू उसी तरह से अपनी ऊंगलीको अंदर बाहर करते हुए अनजाने में ही उसकी बुर में अपनी उंगली पेलने लगा,,, कमला चाची की उत्तेजना और सिसकारी बढ़ने लगी,,,, राजू का मजा आने लगा,,, राजू जो कि अभी तक औरत की बुर तो देख लिया मैंने तुम कहां के दर्शन नहीं कर पाया था जो कि उसकी आंखों के बेहद करीब थी लेकिन फिर भी उसका ध्यान कमला चाची की गांड पर ना होकर उसकी बुर पर ही टिका हुआ था,,, लेकिन उत्तेजना के मारे वहअपना एक हाथ कमला चाची के पीछे की तरफ ले जाकर उसकी नरम नरम बड़ी-बड़ी गांड को अपनी हथेली में दबाए हुए था,,,जिससे वह पूरी तरह से अनजान था लेकिन कमला चाची को इसका अहसास बड़ी अच्छी तरह से था और जिस तरह से वह अपनी हथेली में जोर-जोर से उसकी गांड को दबा रहा था उससे चाची का मजा दोगुना होता जा रहा था,,,।
सहहहहह आहहहहह ,,,आहहहहहहह,,,,, और जोर से राजू और जोर से अंदर बाहर कर,,,,आहहहहहहहह,,,,
Kamlaa chachi
(कमला चाची की बातें सुनकर राजू बड़ी तेजी से अपनी ऊंगली को बुर के अंदर बाहर कर रहा था जिसमें से चप-चप की आवाज आना शुरू हो गई थी,,,कमला और राजू दोनों चींटी के बारे में बिल्कुल भी भुल गए थे बस दोनों अपने अपने तरीके से मजा ले रहे थे,,,, कमला की गरम सिसकारियां खेतों में गूंजने लगी थी वह गर्म सिसकारी लेते हुए बोली,,,।)
सहहहहह ,आहहहहह,,, राजु तुझे मेरी बुर कैसी लगी,,,?
आहहहहहह बहुत अच्छी है चाची ,,,,, बहुत खूबसूरत है,,,,
मेरी बुर के अंदर तेरी उंगली तुझे बहुत गर्म महसूस हो रही है ना,,
बहुत ज्यादा गर्म लग रही है चाची,,,
मैं जानती हूं बुर के अंदर उंगली बुर की गर्मी नही सहन कर पाती,,,, बुर के अंदर केवल एक ही चीज इसकी गर्मी को सहन कर पाती है,,,।
कौन सी चीज है चाची,,(राजू लपालप अपनी उंगली को कमला की बुर में पेलते हुए बोला,,,)
लंड,,,,,,
(कमला चाची के मुंह से लंड शब्द सुनकर जैसे कि राजू को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था इसलिए वह दोबारा पूछा,,)
क्या चाची,,,?
लंड रे,,,,,बुर की गर्मी को केवल लंड ही सहन कर सकता है और बुर की गर्मी को उतार भी सकता है,,,,
क्या कह रही हो चाची,,,,
(राजू आश्चर्य जताते हुए बोला चाची के मुंह से सुनी यह बातें राजु के लिए बिल्कुल नंई थी,,, कमला चाची इसी मौके की तलाश में थी वह राजू से एकदम से पूछ बैठी,,,)
तु अपनी उंगली की जगह लंड डालेगा इसमें,,,,
(कमला चाची के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर राजू उत्सुकता उत्तेजना और आश्चर्य से कमला चाची की तरफ देखने लगा उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कमला चाची उससे यह सवाल पूछ रही है,,,, राजू का गला सूखता जा रहा था,,,, कमला चाची की बुर में अभी भी उसकी उंगली पूरी तरह से घुसी हुई थी,,, कमला चाची देखना चाहती थी कि राजू क्या कहता है व चित्र से जानती थी कि राजु उसकी बात को इंकार नहीं कर पाएंगा,,, राजू ही क्यों कोई भी लड़का उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा नहीं पाएगा वह अच्छी तरह से जानती थी,,, राजू कि हां मैं जवाब देता इससे पहले ही उसके कानों में और कमला के कानों में जो आवाज पड़ी उससे वह दोनों एकदम से चौक गए,,,।
माजी खाना लेकर आई हूं,,,,
(इतना सुनते ही कमला चाची के होश उड़ गए वह तुरंत राजू से बोली,,)
निकाल निकाल अपनी उंगली निकाल जल्दी कर,,,,(राजू की आवाज सुनकर हैरान हो गया था और तुरंत अपनी उंगली को कमला चाची की बुर से बाहर निकाल लिया था,,, कमला चाची तुरंत अपनी साड़ी को कमर से नीचे छोड़ दी और व्यवस्थित करने लगी और अपनी बहू रमा के आने से पहले ही बाहर राजू को जो काम कर रहा था वह काम करने के लिए बोल दिया और इस बारे में उसी से बिल्कुल भी बात ना करें,, यह बात, राजू भी अच्छी तरह से जानता था कि इस तरह की बातें किसी को बताना नहीं चाहिए था इसलिए व कमला चाची की बात मानते हुए घास उखाड़ना शुरू कर दिया,,, कमला चाची अपने काम में लग गई,,, और उसकी बहू रमा खाना लेकर पहुंच गई,,,।