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Fantasy ब्रह्माराक्षस

VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय उनहत्तर

वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

संदेश :- ये मैदान देख रहे हो कुमार ये मायावी मैदान है इसके दूसरे तरफ तुम्हे तुम्हारा अगला पत्र मिलेगा और साथ मे ही वो शक्ति भी लेकिन ये मैदान को पर करते वक़्त तुम्हे तुम्हें दो बातों का ख्याल रखना होगा

पहला, जब तुम सफेद खाने के ऊपर से गुजरो, तो तुम्हें अपना वजन हल्का रखना है, वरना तुम उस सफेद खाने के अंदर खींचे जाओगे,

और दूसरा की जब काले खाने के ऊपर से गुजरो, तो अपना वजन बढ़ाकर काले खाने पर से गुजरना वरना ये भी तुम्हें अपने अंदर खिच लेगी

अपने आप को हल्का करने के लिए तुम्हें अपनी इंद्रियों को काबू कर अपने पैरों के सारे वजन को अपने शरीर के उपरी भाग में डालना होगा और वजन बढ़ाने के लिए अपने रक्त प्रवाह को 1000 गुना तक बढ़ाना होगा

जिसमें तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में भार पड़े, ये भी तुम अपनी इच्छा शक्ति से ही कर पाओगे अपने दिमाग को पूरी तरह शांत रखना, और हां सबसे महत्वपूर्ण पूर्ण बात, जब तुम उन दोनों खानों को पार कर रहे होंगे तो याद रखना की वो दोनों अपनी जगह बदलेंगे

इतना पड़ने के बाद में तैयार हो गया आगे बढ़ने के लिए और जैसे ही मे उस मैदान के तरफ दौड़ लगाई तो मुझे अपने सामने एक काला खाना दिख रहा था इसीलिए मैने अपने शरीर के भार को बढ़ा दिया

और जैसे ही मैने उसके उपर कदम रखा वैसे ही उस काले खाने ने अपनी जगह बदल दी और इससे पहले की मे समझ पाता उससे पहले ही वहाँ पर सफेद खाना आ गया और मे सीधा उसके अंदर खींचता चला गया

और जब मे उसके अंदर पूरी तरह से समा गया और जब मैने अपने आस पास देखा तो मे फिर से उसी बक्शे के पास मे था अब मुझे समझ आ गया था कि ये मैदान कैसे काम करता है

अब मे वही पर शांति से खड़ा हो कर उन खानों को जगह बदलते देख रहा था और उनकी ताल को समझने की कोशिश कर रहा था और कुछ ही देर मे मैं उनके जगह बदलने के बारे मे जान गया था

अब मे तैयार था और अब मे अपनी पूरी गति से उस मैदान मे दौड़ते जा रहा था और आवश्यकता अनुसार अपने शरीर के भार को कम ज्यादा करता लेकिन शायद मेरे अंदर के अति आत्मविश्वास आ गया था

इसीलिए अब मेरा ध्यान उन खानो के बदले बक्शे पर था और वो कहावत याद है न सबको *नज़र हटी दुर्घटना घटी* यही मेरे साथ हुआ और मे पहुँच गया शुरवात पर मे अभी फिर से आगे बढ़ने से पहले पूरी तरह से तैयार होना चाहता था

क्योंकि मेरे पास समय सीमित ही था और अगर इसी पड़ाव पर सारा समय निकल गया तो वहा वो महासुरों का आतंक पूरे संसार का विनाश कर देगा इसीलिए मैने अपने दिमाग पूरी तरह से शांत किया

और अपनी शिक्षा के बारे में सोचने लगा और अपनी शिक्षा के बारे में सोचते ही गुरु वानर की सिख मेरे दिमाग मे आने लगी

गुरु वानर :- कुमार मेरी बात को हमेशा याद रखना की मनुष्य या तो दिमाग से सोचता है या फिर हृदय से जिसके कारण हर परिस्थिति मे उसके फैसले लेने की क्षमता अलग अलग होती हैं

या तो वो दिल की सुनता है या दिमाग की कभी कबार वो दोनों के बीच उलझ जाता हैं ऐसा नही है कि इसमें मनुष्य को सफलता नही मिलती सफलता तो मिलती है परंतु उस सफलता की एक सीमा होती है,

जिसे तुम विज्ञान या अपने बुद्धि का जादू कहते हो लेकिन वही अगर तुम मस्तिष्क और हृदय को एक कर के सोचो तो तुम हर एक सीमाओं को तोड़ दोगे और हर विज्ञान या जादू से आगे बढ़ जाओगे

.तुम्हारी सीमा तुम खुद तय करोगे. जिस तरह तुमने आज ध्यान लगाकर अपने इंद्रियों को काबू किया है उसी तरह दिमाग और हृदय को जोड़कर अभ्यास करना परिणाम वो आएगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा

उनकी ये बात याद आते ही मे तुरंत ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी

जहाँ पहले उन खानों को जगह बदलने के लिए जहाँ पल भर का समय भी बहुत था तो वही पल अब मेरे लिए इतना धीमे हो गया था कि मे चलते हुए उस चुनौती को पर कर दिया था

और उस पार जाते ही मैने अपना ध्यान तोड़ दिया और अगले बक्शे तक पहुँच गया था जिसमे एक पत्र और वो अमृत शक्ति थी और जैसे ही मेने उस शक्ति को छुआ वो तुरंत मेरे अंदर समा गयी और साथ मे ही वो संदेश भी उजागर हो गया

संदेश :- अति उत्तम कुमार आज तुमने उस अस्त्र के तरफ और 2 कदम आगे बढ़ा दिये है साथ मे ही तुमने अमृत शक्ति भी पा ली है जिससे तुम इस संसार के सभी विषों से सामना करने योग्य हो गए हो न सिर्फ सामना करने योग्य बल्कि तुम इस दुनिया के सारे विषों का प्रयोग भी कर पाओगे और उनका असर भी खतम कर पाओगे ये बात गो गया इनाम के बारे मे अब कुछ बात मंज़िल के बारे में भी जान लो तुम्हारे मंजिल तक पहुँचने मे अभी केवल 4 पड़ाव शेष है और तुम्हे तुम्हारे अगले 2 पड़ाव यहाँ मिलेंगे

संदेश मे ये पढ़ते ही वो संदेश गायब हो गया और वहाँ पर कुछ चित्र दिखने लगे जो सभी एक जंगल के थे वो जंगल इस सर्प द्वीप के जंगल से भी ज्यादा घना था

वहाँ के ज्यादातर पेड़ बहुत लंबे और घने थे जिसके कारण वहाँ पर सूरज की रोशनी भी न के बराबर थी जिससे वहाँ पर जो पद पौधे छोटे थे वो ज्यादा जी नही सकते थे

तो वही दूसरे चित्र में मुझे कुछ साफ साफ नही दिख रहा था हर तरफ अंधेरा था जितना दिख रहा था मे उसे ध्यान से देखने का प्रयास कर रहा था की तभी उस अंधेरे मे मुझे 4 आँखे दिखने लगी जो बिल्कुल लाल थी इतनी भयानक आँखे मैने आज से पहले कभी नही देखी थी

(शायद भद्रा ने जब कुमार रूप धारण किया था तब उसे आयना देखना चाहिए था तो वो ऐसा न सोचता)

तो वही अगले चित्र मे मुझे कुछ काले रंग के पेड़ दिखा रहे थे जो टूटे हुए थे ऐसा लग रहा था की मानो उन्हे पहले तोडा गया हो और फिर जलाया गया हो जिसके बाद वो सभी चित्र गायब हो गए

इन सभी चित्रों को देखकर मे इतना तो समझ गया था कि ये जंगल भी प्रकृति का चमत्कार नही है बल्कि किसी मायावी का चमत्कार है इसीलिए उसे ढूँढना और भी मुश्किल था मे अभी उस जंगल के बारे मे सोच रहा था

कि तभी मेरे दिमाग मे वो चित्र पुन्हा आने लगे और जब मैने उन चित्रों को ध्यान से देखा तब समझ आया की ये सिर्फ माया नही बल्कि ये एक चकरव्युव है जो किसी शक्तिशाली जादूगर के द्वारा ही निर्मित किया जा सकता हैं

और उसके मायावी शक्ति ऊर्जा का भी सर्वाधिक मात्रा में उपयोग होता है और अब मुझे केवल उस शक्ति ऊर्जा के प्रवाह को ढूँढना था की वो कहाँ से आ रहा है और ये तरकीब के सूझते ही

मे तुरंत ध्यान में बैठ गया और उस स्थर की मायावी ऊर्जा शक्ति को ढूँढने लगा जिसके लिए मैने अपने पृथ्वी अस्त्र की शक्ति को कार्यरत किया और ध्यान मे बैठने के कुछ ही देर बाद मुझे वो जगह मिल भी गयी

जो की धरती के ही एक ऐसे इलाके मे थी कि जहाँ जंगलों के अलावा कुछ और था भी नही वो पुरा इलाका जंगलों से भरा हुआ था और जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला

तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे

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आज के लिए इतना ही

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अध्याय उनहत्तर

वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

संदेश :- ये मैदान देख रहे हो कुमार ये मायावी मैदान है इसके दूसरे तरफ तुम्हे तुम्हारा अगला पत्र मिलेगा और साथ मे ही वो शक्ति भी लेकिन ये मैदान को पर करते वक़्त तुम्हे तुम्हें दो बातों का ख्याल रखना होगा

पहला, जब तुम सफेद खाने के ऊपर से गुजरो, तो तुम्हें अपना वजन हल्का रखना है, वरना तुम उस सफेद खाने के अंदर खींचे जाओगे,

और दूसरा की जब काले खाने के ऊपर से गुजरो, तो अपना वजन बढ़ाकर काले खाने पर से गुजरना वरना ये भी तुम्हें अपने अंदर खिच लेगी

अपने आप को हल्का करने के लिए तुम्हें अपनी इंद्रियों को काबू कर अपने पैरों के सारे वजन को अपने शरीर के उपरी भाग में डालना होगा और वजन बढ़ाने के लिए अपने रक्त प्रवाह को 1000 गुना तक बढ़ाना होगा


जिसमें तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में भार पड़े, ये भी तुम अपनी इच्छा शक्ति से ही कर पाओगे अपने दिमाग को पूरी तरह शांत रखना, और हां सबसे महत्वपूर्ण पूर्ण बात, जब तुम उन दोनों खानों को पार कर रहे होंगे तो याद रखना की वो दोनों अपनी जगह बदलेंगे

इतना पड़ने के बाद में तैयार हो गया आगे बढ़ने के लिए और जैसे ही मे उस मैदान के तरफ दौड़ लगाई तो मुझे अपने सामने एक काला खाना दिख रहा था इसीलिए मैने अपने शरीर के भार को बढ़ा दिया

और जैसे ही मैने उसके उपर कदम रखा वैसे ही उस काले खाने ने अपनी जगह बदल दी और इससे पहले की मे समझ पाता उससे पहले ही वहाँ पर सफेद खाना आ गया और मे सीधा उसके अंदर खींचता चला गया

और जब मे उसके अंदर पूरी तरह से समा गया और जब मैने अपने आस पास देखा तो मे फिर से उसी बक्शे के पास मे था अब मुझे समझ आ गया था कि ये मैदान कैसे काम करता है

अब मे वही पर शांति से खड़ा हो कर उन खानों को जगह बदलते देख रहा था और उनकी ताल को समझने की कोशिश कर रहा था और कुछ ही देर मे मैं उनके जगह बदलने के बारे मे जान गया था


अब मे तैयार था और अब मे अपनी पूरी गति से उस मैदान मे दौड़ते जा रहा था और आवश्यकता अनुसार अपने शरीर के भार को कम ज्यादा करता लेकिन शायद मेरे अंदर के अति आत्मविश्वास आ गया था

इसीलिए अब मेरा ध्यान उन खानो के बदले बक्शे पर था और वो कहावत याद है न सबको *नज़र हटी दुर्घटना घटी* यही मेरे साथ हुआ और मे पहुँच गया शुरवात पर मे अभी फिर से आगे बढ़ने से पहले पूरी तरह से तैयार होना चाहता था

क्योंकि मेरे पास समय सीमित ही था और अगर इसी पड़ाव पर सारा समय निकल गया तो वहा वो महासुरों का आतंक पूरे संसार का विनाश कर देगा इसीलिए मैने अपने दिमाग पूरी तरह से शांत किया

और अपनी शिक्षा के बारे में सोचने लगा और अपनी शिक्षा के बारे में सोचते ही गुरु वानर की सिख मेरे दिमाग मे आने लगी

गुरु वानर :- कुमार मेरी बात को हमेशा याद रखना की मनुष्य या तो दिमाग से सोचता है या फिर हृदय से जिसके कारण हर परिस्थिति मे उसके फैसले लेने की क्षमता अलग अलग होती हैं

या तो वो दिल की सुनता है या दिमाग की कभी कबार वो दोनों के बीच उलझ जाता हैं ऐसा नही है कि इसमें मनुष्य को सफलता नही मिलती सफलता तो मिलती है परंतु उस सफलता की एक सीमा होती है,

जिसे तुम विज्ञान या अपने बुद्धि का जादू कहते हो लेकिन वही अगर तुम मस्तिष्क और हृदय को एक कर के सोचो तो तुम हर एक सीमाओं को तोड़ दोगे और हर विज्ञान या जादू से आगे बढ़ जाओगे

.तुम्हारी सीमा तुम खुद तय करोगे. जिस तरह तुमने आज ध्यान लगाकर अपने इंद्रियों को काबू किया है उसी तरह दिमाग और हृदय को जोड़कर अभ्यास करना परिणाम वो आएगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा

उनकी ये बात याद आते ही मे तुरंत ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी

जहाँ पहले उन खानों को जगह बदलने के लिए जहाँ पल भर का समय भी बहुत था तो वही पल अब मेरे लिए इतना धीमे हो गया था कि मे चलते हुए उस चुनौती को पर कर दिया था

और उस पार जाते ही मैने अपना ध्यान तोड़ दिया और अगले बक्शे तक पहुँच गया था जिसमे एक पत्र और वो अमृत शक्ति थी और जैसे ही मेने उस शक्ति को छुआ वो तुरंत मेरे अंदर समा गयी और साथ मे ही वो संदेश भी उजागर हो गया

संदेश :- अति उत्तम कुमार आज तुमने उस अस्त्र के तरफ और 2 कदम आगे बढ़ा दिये है साथ मे ही तुमने अमृत शक्ति भी पा ली है जिससे तुम इस संसार के सभी विषों से सामना करने योग्य हो गए हो न सिर्फ सामना करने योग्य बल्कि तुम इस दुनिया के सारे विषों का प्रयोग भी कर पाओगे और उनका असर भी खतम कर पाओगे ये बात गो गया इनाम के बारे मे अब कुछ बात मंज़िल के बारे में भी जान लो तुम्हारे मंजिल तक पहुँचने मे अभी केवल 4 पड़ाव शेष है और तुम्हे तुम्हारे अगले 2 पड़ाव यहाँ मिलेंगे

संदेश मे ये पढ़ते ही वो संदेश गायब हो गया और वहाँ पर कुछ चित्र दिखने लगे जो सभी एक जंगल के थे वो जंगल इस सर्प द्वीप के जंगल से भी ज्यादा घना था

वहाँ के ज्यादातर पेड़ बहुत लंबे और घने थे जिसके कारण वहाँ पर सूरज की रोशनी भी न के बराबर थी जिससे वहाँ पर जो पद पौधे छोटे थे वो ज्यादा जी नही सकते थे


तो वही दूसरे चित्र में मुझे कुछ साफ साफ नही दिख रहा था हर तरफ अंधेरा था जितना दिख रहा था मे उसे ध्यान से देखने का प्रयास कर रहा था की तभी उस अंधेरे मे मुझे 4 आँखे दिखने लगी जो बिल्कुल लाल थी इतनी भयानक आँखे मैने आज से पहले कभी नही देखी थी

(शायद भद्रा ने जब कुमार रूप धारण किया था तब उसे आयना देखना चाहिए था तो वो ऐसा न सोचता)

तो वही अगले चित्र मे मुझे कुछ काले रंग के पेड़ दिखा रहे थे जो टूटे हुए थे ऐसा लग रहा था की मानो उन्हे पहले तोडा गया हो और फिर जलाया गया हो जिसके बाद वो सभी चित्र गायब हो गए

इन सभी चित्रों को देखकर मे इतना तो समझ गया था कि ये जंगल भी प्रकृति का चमत्कार नही है बल्कि किसी मायावी का चमत्कार है इसीलिए उसे ढूँढना और भी मुश्किल था मे अभी उस जंगल के बारे मे सोच रहा था

कि तभी मेरे दिमाग मे वो चित्र पुन्हा आने लगे और जब मैने उन चित्रों को ध्यान से देखा तब समझ आया की ये सिर्फ माया नही बल्कि ये एक चकरव्युव है जो किसी शक्तिशाली जादूगर के द्वारा ही निर्मित किया जा सकता हैं

और उसके मायावी शक्ति ऊर्जा का भी सर्वाधिक मात्रा में उपयोग होता है और अब मुझे केवल उस शक्ति ऊर्जा के प्रवाह को ढूँढना था की वो कहाँ से आ रहा है और ये तरकीब के सूझते ही

मे तुरंत ध्यान में बैठ गया और उस स्थर की मायावी ऊर्जा शक्ति को ढूँढने लगा जिसके लिए मैने अपने पृथ्वी अस्त्र की शक्ति को कार्यरत किया और ध्यान मे बैठने के कुछ ही देर बाद मुझे वो जगह मिल भी गयी


जो की धरती के ही एक ऐसे इलाके मे थी कि जहाँ जंगलों के अलावा कुछ और था भी नही वो पुरा इलाका जंगलों से भरा हुआ था और जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला

तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi shandar update bhai
 

Shekhu69

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Bahut Lajawab update
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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अध्याय उनहत्तर

वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

संदेश :- ये मैदान देख रहे हो कुमार ये मायावी मैदान है इसके दूसरे तरफ तुम्हे तुम्हारा अगला पत्र मिलेगा और साथ मे ही वो शक्ति भी लेकिन ये मैदान को पर करते वक़्त तुम्हे तुम्हें दो बातों का ख्याल रखना होगा

पहला, जब तुम सफेद खाने के ऊपर से गुजरो, तो तुम्हें अपना वजन हल्का रखना है, वरना तुम उस सफेद खाने के अंदर खींचे जाओगे,

और दूसरा की जब काले खाने के ऊपर से गुजरो, तो अपना वजन बढ़ाकर काले खाने पर से गुजरना वरना ये भी तुम्हें अपने अंदर खिच लेगी

अपने आप को हल्का करने के लिए तुम्हें अपनी इंद्रियों को काबू कर अपने पैरों के सारे वजन को अपने शरीर के उपरी भाग में डालना होगा और वजन बढ़ाने के लिए अपने रक्त प्रवाह को 1000 गुना तक बढ़ाना होगा


जिसमें तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में भार पड़े, ये भी तुम अपनी इच्छा शक्ति से ही कर पाओगे अपने दिमाग को पूरी तरह शांत रखना, और हां सबसे महत्वपूर्ण पूर्ण बात, जब तुम उन दोनों खानों को पार कर रहे होंगे तो याद रखना की वो दोनों अपनी जगह बदलेंगे

इतना पड़ने के बाद में तैयार हो गया आगे बढ़ने के लिए और जैसे ही मे उस मैदान के तरफ दौड़ लगाई तो मुझे अपने सामने एक काला खाना दिख रहा था इसीलिए मैने अपने शरीर के भार को बढ़ा दिया

और जैसे ही मैने उसके उपर कदम रखा वैसे ही उस काले खाने ने अपनी जगह बदल दी और इससे पहले की मे समझ पाता उससे पहले ही वहाँ पर सफेद खाना आ गया और मे सीधा उसके अंदर खींचता चला गया

और जब मे उसके अंदर पूरी तरह से समा गया और जब मैने अपने आस पास देखा तो मे फिर से उसी बक्शे के पास मे था अब मुझे समझ आ गया था कि ये मैदान कैसे काम करता है

अब मे वही पर शांति से खड़ा हो कर उन खानों को जगह बदलते देख रहा था और उनकी ताल को समझने की कोशिश कर रहा था और कुछ ही देर मे मैं उनके जगह बदलने के बारे मे जान गया था


अब मे तैयार था और अब मे अपनी पूरी गति से उस मैदान मे दौड़ते जा रहा था और आवश्यकता अनुसार अपने शरीर के भार को कम ज्यादा करता लेकिन शायद मेरे अंदर के अति आत्मविश्वास आ गया था

इसीलिए अब मेरा ध्यान उन खानो के बदले बक्शे पर था और वो कहावत याद है न सबको *नज़र हटी दुर्घटना घटी* यही मेरे साथ हुआ और मे पहुँच गया शुरवात पर मे अभी फिर से आगे बढ़ने से पहले पूरी तरह से तैयार होना चाहता था

क्योंकि मेरे पास समय सीमित ही था और अगर इसी पड़ाव पर सारा समय निकल गया तो वहा वो महासुरों का आतंक पूरे संसार का विनाश कर देगा इसीलिए मैने अपने दिमाग पूरी तरह से शांत किया

और अपनी शिक्षा के बारे में सोचने लगा और अपनी शिक्षा के बारे में सोचते ही गुरु वानर की सिख मेरे दिमाग मे आने लगी

गुरु वानर :- कुमार मेरी बात को हमेशा याद रखना की मनुष्य या तो दिमाग से सोचता है या फिर हृदय से जिसके कारण हर परिस्थिति मे उसके फैसले लेने की क्षमता अलग अलग होती हैं

या तो वो दिल की सुनता है या दिमाग की कभी कबार वो दोनों के बीच उलझ जाता हैं ऐसा नही है कि इसमें मनुष्य को सफलता नही मिलती सफलता तो मिलती है परंतु उस सफलता की एक सीमा होती है,

जिसे तुम विज्ञान या अपने बुद्धि का जादू कहते हो लेकिन वही अगर तुम मस्तिष्क और हृदय को एक कर के सोचो तो तुम हर एक सीमाओं को तोड़ दोगे और हर विज्ञान या जादू से आगे बढ़ जाओगे

.तुम्हारी सीमा तुम खुद तय करोगे. जिस तरह तुमने आज ध्यान लगाकर अपने इंद्रियों को काबू किया है उसी तरह दिमाग और हृदय को जोड़कर अभ्यास करना परिणाम वो आएगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा

उनकी ये बात याद आते ही मे तुरंत ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी

जहाँ पहले उन खानों को जगह बदलने के लिए जहाँ पल भर का समय भी बहुत था तो वही पल अब मेरे लिए इतना धीमे हो गया था कि मे चलते हुए उस चुनौती को पर कर दिया था

और उस पार जाते ही मैने अपना ध्यान तोड़ दिया और अगले बक्शे तक पहुँच गया था जिसमे एक पत्र और वो अमृत शक्ति थी और जैसे ही मेने उस शक्ति को छुआ वो तुरंत मेरे अंदर समा गयी और साथ मे ही वो संदेश भी उजागर हो गया

संदेश :- अति उत्तम कुमार आज तुमने उस अस्त्र के तरफ और 2 कदम आगे बढ़ा दिये है साथ मे ही तुमने अमृत शक्ति भी पा ली है जिससे तुम इस संसार के सभी विषों से सामना करने योग्य हो गए हो न सिर्फ सामना करने योग्य बल्कि तुम इस दुनिया के सारे विषों का प्रयोग भी कर पाओगे और उनका असर भी खतम कर पाओगे ये बात गो गया इनाम के बारे मे अब कुछ बात मंज़िल के बारे में भी जान लो तुम्हारे मंजिल तक पहुँचने मे अभी केवल 4 पड़ाव शेष है और तुम्हे तुम्हारे अगले 2 पड़ाव यहाँ मिलेंगे

संदेश मे ये पढ़ते ही वो संदेश गायब हो गया और वहाँ पर कुछ चित्र दिखने लगे जो सभी एक जंगल के थे वो जंगल इस सर्प द्वीप के जंगल से भी ज्यादा घना था

वहाँ के ज्यादातर पेड़ बहुत लंबे और घने थे जिसके कारण वहाँ पर सूरज की रोशनी भी न के बराबर थी जिससे वहाँ पर जो पद पौधे छोटे थे वो ज्यादा जी नही सकते थे


तो वही दूसरे चित्र में मुझे कुछ साफ साफ नही दिख रहा था हर तरफ अंधेरा था जितना दिख रहा था मे उसे ध्यान से देखने का प्रयास कर रहा था की तभी उस अंधेरे मे मुझे 4 आँखे दिखने लगी जो बिल्कुल लाल थी इतनी भयानक आँखे मैने आज से पहले कभी नही देखी थी

(शायद भद्रा ने जब कुमार रूप धारण किया था तब उसे आयना देखना चाहिए था तो वो ऐसा न सोचता)

तो वही अगले चित्र मे मुझे कुछ काले रंग के पेड़ दिखा रहे थे जो टूटे हुए थे ऐसा लग रहा था की मानो उन्हे पहले तोडा गया हो और फिर जलाया गया हो जिसके बाद वो सभी चित्र गायब हो गए

इन सभी चित्रों को देखकर मे इतना तो समझ गया था कि ये जंगल भी प्रकृति का चमत्कार नही है बल्कि किसी मायावी का चमत्कार है इसीलिए उसे ढूँढना और भी मुश्किल था मे अभी उस जंगल के बारे मे सोच रहा था

कि तभी मेरे दिमाग मे वो चित्र पुन्हा आने लगे और जब मैने उन चित्रों को ध्यान से देखा तब समझ आया की ये सिर्फ माया नही बल्कि ये एक चकरव्युव है जो किसी शक्तिशाली जादूगर के द्वारा ही निर्मित किया जा सकता हैं

और उसके मायावी शक्ति ऊर्जा का भी सर्वाधिक मात्रा में उपयोग होता है और अब मुझे केवल उस शक्ति ऊर्जा के प्रवाह को ढूँढना था की वो कहाँ से आ रहा है और ये तरकीब के सूझते ही

मे तुरंत ध्यान में बैठ गया और उस स्थर की मायावी ऊर्जा शक्ति को ढूँढने लगा जिसके लिए मैने अपने पृथ्वी अस्त्र की शक्ति को कार्यरत किया और ध्यान मे बैठने के कुछ ही देर बाद मुझे वो जगह मिल भी गयी


जो की धरती के ही एक ऐसे इलाके मे थी कि जहाँ जंगलों के अलावा कुछ और था भी नही वो पुरा इलाका जंगलों से भरा हुआ था और जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला

तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे

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आज के लिए इतना ही

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Bohot hi umda update tha vajradhikari bhaiya 👌🏻👌🏻 lajabaab👌🏻 budhi bal se nikal ke ab kumar kaha gaya? Ye dekhna hai ab, awesome update again 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥🔥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥
 
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sunoanuj

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वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

संदेश :- ये मैदान देख रहे हो कुमार ये मायावी मैदान है इसके दूसरे तरफ तुम्हे तुम्हारा अगला पत्र मिलेगा और साथ मे ही वो शक्ति भी लेकिन ये मैदान को पर करते वक़्त तुम्हे तुम्हें दो बातों का ख्याल रखना होगा

पहला, जब तुम सफेद खाने के ऊपर से गुजरो, तो तुम्हें अपना वजन हल्का रखना है, वरना तुम उस सफेद खाने के अंदर खींचे जाओगे,

और दूसरा की जब काले खाने के ऊपर से गुजरो, तो अपना वजन बढ़ाकर काले खाने पर से गुजरना वरना ये भी तुम्हें अपने अंदर खिच लेगी

अपने आप को हल्का करने के लिए तुम्हें अपनी इंद्रियों को काबू कर अपने पैरों के सारे वजन को अपने शरीर के उपरी भाग में डालना होगा और वजन बढ़ाने के लिए अपने रक्त प्रवाह को 1000 गुना तक बढ़ाना होगा

जिसमें तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में भार पड़े, ये भी तुम अपनी इच्छा शक्ति से ही कर पाओगे अपने दिमाग को पूरी तरह शांत रखना, और हां सबसे महत्वपूर्ण पूर्ण बात, जब तुम उन दोनों खानों को पार कर रहे होंगे तो याद रखना की वो दोनों अपनी जगह बदलेंगे

इतना पड़ने के बाद में तैयार हो गया आगे बढ़ने के लिए और जैसे ही मे उस मैदान के तरफ दौड़ लगाई तो मुझे अपने सामने एक काला खाना दिख रहा था इसीलिए मैने अपने शरीर के भार को बढ़ा दिया

और जैसे ही मैने उसके उपर कदम रखा वैसे ही उस काले खाने ने अपनी जगह बदल दी और इससे पहले की मे समझ पाता उससे पहले ही वहाँ पर सफेद खाना आ गया और मे सीधा उसके अंदर खींचता चला गया

और जब मे उसके अंदर पूरी तरह से समा गया और जब मैने अपने आस पास देखा तो मे फिर से उसी बक्शे के पास मे था अब मुझे समझ आ गया था कि ये मैदान कैसे काम करता है

अब मे वही पर शांति से खड़ा हो कर उन खानों को जगह बदलते देख रहा था और उनकी ताल को समझने की कोशिश कर रहा था और कुछ ही देर मे मैं उनके जगह बदलने के बारे मे जान गया था

अब मे तैयार था और अब मे अपनी पूरी गति से उस मैदान मे दौड़ते जा रहा था और आवश्यकता अनुसार अपने शरीर के भार को कम ज्यादा करता लेकिन शायद मेरे अंदर के अति आत्मविश्वास आ गया था

इसीलिए अब मेरा ध्यान उन खानो के बदले बक्शे पर था और वो कहावत याद है न सबको *नज़र हटी दुर्घटना घटी* यही मेरे साथ हुआ और मे पहुँच गया शुरवात पर मे अभी फिर से आगे बढ़ने से पहले पूरी तरह से तैयार होना चाहता था

क्योंकि मेरे पास समय सीमित ही था और अगर इसी पड़ाव पर सारा समय निकल गया तो वहा वो महासुरों का आतंक पूरे संसार का विनाश कर देगा इसीलिए मैने अपने दिमाग पूरी तरह से शांत किया

और अपनी शिक्षा के बारे में सोचने लगा और अपनी शिक्षा के बारे में सोचते ही गुरु वानर की सिख मेरे दिमाग मे आने लगी

गुरु वानर :- कुमार मेरी बात को हमेशा याद रखना की मनुष्य या तो दिमाग से सोचता है या फिर हृदय से जिसके कारण हर परिस्थिति मे उसके फैसले लेने की क्षमता अलग अलग होती हैं

या तो वो दिल की सुनता है या दिमाग की कभी कबार वो दोनों के बीच उलझ जाता हैं ऐसा नही है कि इसमें मनुष्य को सफलता नही मिलती सफलता तो मिलती है परंतु उस सफलता की एक सीमा होती है,

जिसे तुम विज्ञान या अपने बुद्धि का जादू कहते हो लेकिन वही अगर तुम मस्तिष्क और हृदय को एक कर के सोचो तो तुम हर एक सीमाओं को तोड़ दोगे और हर विज्ञान या जादू से आगे बढ़ जाओगे

.तुम्हारी सीमा तुम खुद तय करोगे. जिस तरह तुमने आज ध्यान लगाकर अपने इंद्रियों को काबू किया है उसी तरह दिमाग और हृदय को जोड़कर अभ्यास करना परिणाम वो आएगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा

उनकी ये बात याद आते ही मे तुरंत ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी

जहाँ पहले उन खानों को जगह बदलने के लिए जहाँ पल भर का समय भी बहुत था तो वही पल अब मेरे लिए इतना धीमे हो गया था कि मे चलते हुए उस चुनौती को पर कर दिया था

और उस पार जाते ही मैने अपना ध्यान तोड़ दिया और अगले बक्शे तक पहुँच गया था जिसमे एक पत्र और वो अमृत शक्ति थी और जैसे ही मेने उस शक्ति को छुआ वो तुरंत मेरे अंदर समा गयी और साथ मे ही वो संदेश भी उजागर हो गया

संदेश :- अति उत्तम कुमार आज तुमने उस अस्त्र के तरफ और 2 कदम आगे बढ़ा दिये है साथ मे ही तुमने अमृत शक्ति भी पा ली है जिससे तुम इस संसार के सभी विषों से सामना करने योग्य हो गए हो न सिर्फ सामना करने योग्य बल्कि तुम इस दुनिया के सारे विषों का प्रयोग भी कर पाओगे और उनका असर भी खतम कर पाओगे ये बात गो गया इनाम के बारे मे अब कुछ बात मंज़िल के बारे में भी जान लो तुम्हारे मंजिल तक पहुँचने मे अभी केवल 4 पड़ाव शेष है और तुम्हे तुम्हारे अगले 2 पड़ाव यहाँ मिलेंगे

संदेश मे ये पढ़ते ही वो संदेश गायब हो गया और वहाँ पर कुछ चित्र दिखने लगे जो सभी एक जंगल के थे वो जंगल इस सर्प द्वीप के जंगल से भी ज्यादा घना था

वहाँ के ज्यादातर पेड़ बहुत लंबे और घने थे जिसके कारण वहाँ पर सूरज की रोशनी भी न के बराबर थी जिससे वहाँ पर जो पद पौधे छोटे थे वो ज्यादा जी नही सकते थे

तो वही दूसरे चित्र में मुझे कुछ साफ साफ नही दिख रहा था हर तरफ अंधेरा था जितना दिख रहा था मे उसे ध्यान से देखने का प्रयास कर रहा था की तभी उस अंधेरे मे मुझे 4 आँखे दिखने लगी जो बिल्कुल लाल थी इतनी भयानक आँखे मैने आज से पहले कभी नही देखी थी

(शायद भद्रा ने जब कुमार रूप धारण किया था तब उसे आयना देखना चाहिए था तो वो ऐसा न सोचता)

तो वही अगले चित्र मे मुझे कुछ काले रंग के पेड़ दिखा रहे थे जो टूटे हुए थे ऐसा लग रहा था की मानो उन्हे पहले तोडा गया हो और फिर जलाया गया हो जिसके बाद वो सभी चित्र गायब हो गए

इन सभी चित्रों को देखकर मे इतना तो समझ गया था कि ये जंगल भी प्रकृति का चमत्कार नही है बल्कि किसी मायावी का चमत्कार है इसीलिए उसे ढूँढना और भी मुश्किल था मे अभी उस जंगल के बारे मे सोच रहा था

कि तभी मेरे दिमाग मे वो चित्र पुन्हा आने लगे और जब मैने उन चित्रों को ध्यान से देखा तब समझ आया की ये सिर्फ माया नही बल्कि ये एक चकरव्युव है जो किसी शक्तिशाली जादूगर के द्वारा ही निर्मित किया जा सकता हैं

और उसके मायावी शक्ति ऊर्जा का भी सर्वाधिक मात्रा में उपयोग होता है और अब मुझे केवल उस शक्ति ऊर्जा के प्रवाह को ढूँढना था की वो कहाँ से आ रहा है और ये तरकीब के सूझते ही

मे तुरंत ध्यान में बैठ गया और उस स्थर की मायावी ऊर्जा शक्ति को ढूँढने लगा जिसके लिए मैने अपने पृथ्वी अस्त्र की शक्ति को कार्यरत किया और ध्यान मे बैठने के कुछ ही देर बाद मुझे वो जगह मिल भी गयी

जो की धरती के ही एक ऐसे इलाके मे थी कि जहाँ जंगलों के अलावा कुछ और था भी नही वो पुरा इलाका जंगलों से भरा हुआ था और जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला

तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे

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आज के लिए इतना ही

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Adhbhut bahut hi behtarin updates… gajab likh rahe ho aap…. 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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