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Nahi brother update kal hi toh aaya tha toh iska matlab agla update kal aayegaVAJRADHIKARI bro update ayega ajj kya
No brother update padhkar Aisa lag sakta hai ki use sab kuch jaldi mil Raha hai lekin aap uske piche ke logic ko bhi samajhne ka try Karo ki hero koi aam nahi woh brahmarakshas prajati ka rajkumaar hai saath me hi duniya ki sabse shaktishali Astra yani saptastron ki urja uske sharir me bachpan se hai saath me hi use bachpan se hi mayavi mahaguru banne ke liye shiksha di ja rahi hai mayavi mahaguru yani woh jiske upar sansaar ki mayavi shaktiyon se bachav karne ki jimmedari hoti hai aur sabse badhkar usne un saptastron par aisi maharat haasil ki hai jisse woh astron ka tyag karne ke baad bhi unka istemal karne me saksham haiShandar update sir but app hero ko jyada hi jaldi har cheez de rahe ho
Beautiful updateअध्याय सड़सठ
मैंने अपने हाथों को जॊडा और अपनी अग्नि शक्ति को जागृत किया और उसके अगले ही पल में ज्वालामुखी के मुँह में तेजी से घुस गया और जब मुझे अपने पैरों तले जमीन का आभास हुआ
तो मैने तुरंत अपनी आँखे खोल दी और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को खोला तो मैं सामने का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया क्योंकि मैंने जब अपनी आंखें खोलीं तो मुझे कोई अलग ही जगह दिख रही थी
ऐसा लग रहा था कि जैसे ये ज्वालामुखी सिर्फ एक रास्ता है और ये रास्ता जा किधर रहा था ये तो पता नहीं था लेकिन ये जगह थी बड़ी ख़तरनाक जहाँ बाहर में एक ज्वालामुखी से डर रहा था और यहाँ इस जगह पर तो हर तरफ आग ही आग थी
हर जगह छोटे छोटे ज्वालामुखी फट रहे थे गर्म लावा बह रहा था बल्की ये कहना गलत नहीं होगा कि उसी गर्म लावा की नदी बह रही थी जो हर चीज़ को पिघला रही थी इस पल मैं झूठ नहीं बोलूंगा
मुझे गर्मी लग रही थी आग की तपिश मुझे महसुस हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे इस जगह पर आते ही मेरी ताकत गायब हो गई है या अब मुझे ये ऐसा ही करना होगा बिना किसी शक्ति के जो करना असंभव था
ये लावा मुझे पल भर में पिघला देगा ये बात मुझे अच्छे से पता थी लेकिन हमें अस्त्र को हासिल करना है तो ये तो सहना ही पड़ेगा फिर चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए.
मैंने अपनी आँखों को बंद कर दिये और सबसे पहले आदिदेव का स्मरण किया फिर अपने सभी गुरु और माता पिता का स्मरण किया जिससे मेरे अंदर एक नई ताकत का जनम हुआ
ये नई ताकत संकेत था कि मैं अब तैयार हूं आगे बढ़ने के लिए अब मैंने चारो तरफ ध्यान से देखना शुरू किया आख़िर कहा हो सकता है अगला पत्र तो मेरी नज़र लावा की नदी में एक जगह पर रुकी
लावा के बिल्कुल बीचो बीच एक बेहद ही चमकदार चीज़ तैर रही थी ये देखकर मुझे समझ आया कि यही है मेरी मंज़िल लेकिन मुश्किल तो अब शुरू होने वाली थी क्योंकि वो लावा के एकदम बीच में था
और वहाँ तक पहुंचने का कोई और रास्ता भी नहीं दिख रहा था सिवाय एक के और वो था की मैं तैर कर वहाँ तक जाऊ जो संभव नहीं था वहाँ तक पहुंचने से पहले ही मैं पिघल जाऊंगा किसी आइसक्रीम की तरह
लेकिन आगे तो बढ़ना ही था इसीलिए मैंने अपने हाथो को जोड़ा वहाँ खड़े खड़े ही ध्यान लगाना शुरू किया अभी मे ध्यान में ही था की तभी मुझे मेरे आँखों के सामने कुछ दृश्य दिखने लगे
ये दृश्य उस वक़्त के थे जब मेरे सपने में गुरु अग्नि मुझे शिक्षा दे रहे थे जहाँ उन्होंने मुझे अग्नि से जोड़ने के एक छलावे का निर्माण किया था जिसमे मे एक ऐसे कमरे मे था
जिसे चारों तरफ से एक भयानक अग्नि ने घेर लिया था जिससे बचने का एक ही रास्ता था उस भयानक अग्नि के अंदर कूद कर दूसरे बाजू चले जाना जहाँ गुरु अग्नि खड़े थे
गुरु अग्नि :- क्या कर रहे हो कुमार जल्दी से आग मे कुदिये आप जितनी देर करोगे उतनी ही ये अग्नि भयानक रूप लेगी
मैं- तो मै क्या करूं गुरु अग्नि ये आग मुझे भस्म कर देगी. मैं आपकी तरफ कभी पहुँच ही नहीं पाऊंगा
गुरु अग्नि :- ये सब इसलिए तुम्हे लग रहा है क्योंकि तुम हद से ज्यादा डर रहे हो और एक बात हमेशा याद रखना की अग्नि डर को महसुस कर लेती है और तुम्हारे उसी डर को सच बना देती है. इसलिए तुम्हें ये सब लग रहा है की तुम कभी भी यहाँ पहुँच ही नहीं पाओगे तुम्हें अपने मन से डर को निकलना होगा वर्ना सच में तुम वही भस्म हो जाओगे.
मैं :- मैं पूरी तरह से कोशिश कर रहा हूं गुरु अग्नि परंतु पता नहीं क्यों ये डर मुझे परेशान कर रहा है मै अपने शक्तियों को एकाग्र नही कर पा रहा हूँ
गुरु अग्नि:-- ध्यान लगाओ कुमार याद है न तुम्हे गुरु जल ने क्या कहाँ था अस्त्र तुम्हे शक्तिशाली नही बनाते बल्कि तुम अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो अपने उपर विश्वास करो
इसी के साथ मेरा ध्यान टूट गया और जब मैने अपनी आँखे खोली तो मेरे आँखों में डर नही था और न ही चेहरे पर किसी भी तरह की परेशानी थी
बल्कि चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी और फिर धीरे धीरे मे आगे बढ़ने लगा और फिर जो हुआ वो बहुत ही आश्चर्य जनक था मे उस दहकते हुए लावा पर ऐसे चल रहा था कि जैसे मे किसी लाल रंग की कालीन पर चल रहा हूँ
और ऐसे ही चलते हुए मुझे कुछ हो नही रहा था लेकिन मेरे कपड़े जलने जरूर लगे थे जिसके बाद मै ऐसे ही चलते हुए मै तुरंत उस दूसरे बक्शे तक पहुँच गया था
और उस बक्शे को पाते ही मै पूरी तेजी से उड़ते हुए उस ज्वालामुखी से बाहर निकल गया और जैसे ही मे वहाँ से बाहर निकला मैने तुरंत कुमार के वस्त्रों को धारण कर लिया
केवल वस्त्रों को धारण किया था उसके रूप को नही और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे भी पहले की तरह एक पत्र था जिसे छूते ही वो खुल गया और हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश भद्रा हमे पता था की तुम इस संदेश तक पहुँच जाओगे अब तुम्हे इस संदेश पत्र को भी पहले पत्र के तरह संभालकर रखना है और अब तुमने अजेय अस्त्र की तरफ एक और कदम आगे बढ़ चुके हो पर याद रखना हर पड़ाव पहले पड़ाव से और भी ज्यादा खतरनाक और मुश्किल होगा अब तीसरे पडाव तक पहुँचने के लिए तुम्हारी सहायता ये संदेश ही करेगा
मेरे इतना पढ़ते ही वो पत्र और बक्शा दोनों धुआँ बनकर गायब हो गए और उस धुए ने एक गोलाकार रूप ले लिया और उस रूप मे मुझे कुछ चित्र दिखने लगे वो चित्र दिखने मे बड़े खतरनाक लग रहे थे
ऐसा लग रहा था की जैसे उस जगह पर कोई तूफ़ान आया है हर तरफ तबाही मची हुई थी जमीन पर कुछ अजीबो गरीब निशान बने हुए थे और जब मैने उन अजीबोगरीब निशानों को ध्यान से देखा
तो मेरे हाँथ पाँव कांपने लगे क्योंकि वो निशान कुछ और नही बल्कि साँप थे वो भी हज़ारों की तादाद में थे जिन्हे देखकर अभी मे सोच ही रहा था कि तभी वो दृश्य बदल गए
और मेरे सामने एक और जगह दिखने लगी जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था ये जगह मुझे अजीब दिख रही थी
क्योंकि एक तरफ जहाँ पर पुराने दृश्य किसी न किसी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित थे तो वही ये दृश्य मुझे मायावी लग रहा था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी
और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी और फिर वो दृश्य भी गायब हो गए और साथ मे ही वो गोलाकार धुआ भी गायब हो गया था
जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)
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आज के लिए इतना ही
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Theek hai bro main samjh gayaNo brother update padhkar Aisa lag sakta hai ki use sab kuch jaldi mil Raha hai lekin aap uske piche ke logic ko bhi samajhne ka try Karo ki hero koi aam nahi woh brahmarakshas prajati ka rajkumaar hai saath me hi duniya ki sabse shaktishali Astra yani saptastron ki urja uske sharir me bachpan se hai saath me hi use bachpan se hi mayavi mahaguru banne ke liye shiksha di ja rahi hai mayavi mahaguru yani woh jiske upar sansaar ki mayavi shaktiyon se bachav karne ki jimmedari hoti hai aur sabse badhkar usne un saptastron par aisi maharat haasil ki hai jisse woh astron ka tyag karne ke baad bhi unka istemal karne me saksham hai
Itni kabiliyat aur Shakti hone ke baad tridev ya unke ansh ke alava kon hi hoga jo use hara paye
Bohot hi badhiya update tha vajradhikari bhaiअध्याय अडसठ
जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)
सर्प द्वीप (Snake Island) ब्राजील के तट से कुछ ही दूरी पर है. यहां हर कदम पर सांप ही सांप मिलेंगे. दुनिया के सबसे ज़हरीले सांप अगर कहीं हैं, तो वो यहीं हैं.
यह पृथ्वी पर एकमात्र ऐसी जगह है जहां आपको गोल्डन लैंसहेड (Golden lancehead) सांप मिल सकता है. सांप की यह प्रजाति इतनी घातक है कि इस द्वीप को लोगों की पहुंच से दूर कर दिया गया है
और यही कारण है की मे वहाँ जाने से पहले इतना सोच रहा था वहाँ पर मौजूद ऐसे सर्प जो विलुप्त होने के कगार पे है और अगर वहाँ मैने गलती से भी किसी जादू का या शक्ति का इस्तेमाल नही कर सकता
और अगर मैने ऐसा किया तो वहाँ मौजूद अलौकिक सर्प जिनकी प्रजाति विलुप्त होने के नजदीक है उन्हे नुकसान हो सकता हैं जबकि वो सभी सर्पों की कोई गलती भी नही है
जो मे नही चाहता था इसीलिए मुझे वहाँ बेहद सावधान रहना होगा और गुरु काल ने भी मुझे चेतवानी दी थी की अगर अस्त्र को पाने की राह में किसी बेगुनाह को मेरे कारण हानि पहुंची तो वो अजेय अस्त्र मुझे कभी भी नही मिलेगा (update 63)
और मे ऐसा नही चाहता था लेकिन अब मे पीछे हट भी नही सकता था और न इसके अलावा कोई रास्ता बचा था इसीलिए मेंने अपने सभी इंद्रियों को तेज किया और पहुँच गया सर्प द्वीप पर
जहाँ पहुँचते ही मेरे सामने एक घना जंगल था जिस जंगल मे मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था लेकिन मेरे इंद्रियों के कारण मे जंगल मे मौजूद हर सर्प को महसूस कर सकता था जंगल इतना घना था कि वहाँ सूरज की रोशन भी न आ पाए
मे उस जंगल के अंधेरे को देखकर ये तो जान गया था कि अंदर अंधेरे मे मेरी आँखे मेरा साथ नही देंगी बल्कि मेरे लिए मुश्किल बढ़ा देगी मुझे हर कदम अपने इंद्रियों को बल पर ही रखना था
और न सिर्फ अपने इंद्रियों के बल पर बल्कि मुझे अपने अंदर के एकोलकेशन पर भी भरोसा करना होगा एकोलोकाशन एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें जानवर, अंधेरे में ध्वनि तरंगें उत्पन्न करके अपना रास्ता ढूंढते हैं
जो किसी वस्तु से परावर्तित होने पर गूंजती हैं बिल्कुल किसी चमगादड़ के तरह क्योंकि वे ज्यादातर रात के अंधेरे में शिकार करते हैं, जब रोशनी की स्थिति, निश्चित रूप से, बहुत अंधेरा होती है,
चमगादड़ शिकार के सटीक स्थानों को इंगित करने के लिए इकोलोकेशन पर भरोसा करते हैं और अब मुझे भी इसी तरह आगे बढ़ना था मेरी इंद्रियों को तो मेने पहले ही तेज कर दिया था
लेकिन अब मैने अपने माया से अपने चारों तरफ लगातार एक हल्की ध्वनि का निर्माण करना शुरू कर दिया था बिल्कुल किसी चमगादड़ के तरह और फिर में अपने आँखों पर भी एक पट्टी बाँध दी थी जिससे मे अपने एकोलोकेशन विद्या पर ध्यान दें सकु
और फिर मे धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा था जिससे अब मुझे मेरी आँखे बंद होने के बाद भी पेड़ पौधे पत्थर और सांप सब कहाँ है कैसे चल रहे है मेरे पास आ रहे है या दूर जा रहे हैं सब कुछ पता चल रहा था
सब कुछ मे महसूस कर पा रहे यहाँ तक मे हवा को भी अब महसूस कर पा रहा था ऐसे ही मे आगे चलते जा रहा था मुझे ही पता नही था मे कहाँ जा रहा हूँ के सिर्फ अपने इंद्रियों पर भरोसा रखे चले जा रहा था
और फिर ऐसे ही चलते हुए मे कुछ दूरी पर आ गया था और अब मुझे कुछ भी महसूस नही हो रहा न ही मुझे न ही कोई पेड़ न ही कोई सांप केवल वहाँ अब मुझे सूरज की तपिश और एक अजीब सी मधुर आवाज आ रही थी
जो महसूस करते ही मैने अपनी आँखे खोली तो मे सर्प द्वीप पर न होके किसी और ही जगह पर था जहाँ मेरे सामने पहले की तरह ही एक बक्शा था जो मेरे सामने हवा मे उड़ रहा था
जिसे मेने तुरंत अपने पास खींच लिया और जब मैने उसे खोला तो उसमे से एक संदेश पत्र निकला जो मेरे सामने आकर हवा मे उड़ने लगा
संदेश :- शब्बाश कुमार तुमने सर्प द्वीप को पर कर के एक महा शक्ति को पा लिया है जो है अमृत शक्ति ये वो अमृत नही है जिससे देवता अमर हुए थे ये एक ऐसा अमृत है जिससे तुम्हे इस पूरे संसार के सभी विष से बचने की शक्ति मिल जायेगी और इस शक्ति को पाने के लिए तुम्हे इस एक चुनौती को पार करना होगा
उस संदेश मे इतना पढ़ते ही वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था
जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी
और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया
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आज के लिए इतना ही
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