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Nice and superb update....अध्याय सत्तर
जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था
क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा
तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया
लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था
जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की
तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही
मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि
अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये
जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी
आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से
ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं
ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है
लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता
जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था
और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता
और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की
तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती
लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती
लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था
लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा
आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..
अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था
और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही
बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि
तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था
की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया
और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था
कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
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आज के लिए इतना ही
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Nice update...अध्याय सत्तर
जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था
क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा
तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया
लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था
जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की
तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही
मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि
अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये
जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी
आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से
ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं
ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है
लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता
जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था
और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता
और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की
तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती
लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती
लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था
लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा
आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..
अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था
और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही
बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि
तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था
की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया
और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था
कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
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आज के लिए इतना ही
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Nice update....अध्याय सत्तर
जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था
क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा
तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया
लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था
जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की
तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही
मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि
अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये
जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी
आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से
ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं
ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है
लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता
जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था
और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता
और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की
तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती
लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती
लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था
लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा
आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..
अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था
और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही
बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि
तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था
की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया
और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था
कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
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आज के लिए इतना ही
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Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय सत्तर
जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था
क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा
तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया
लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था
जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की
तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही
मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि
अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये
जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी
आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से
ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं
ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है
लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता
जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था
और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता
और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की
तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती
लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती
लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था
लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा
आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..
अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था
और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही
बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि
तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था
की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया
और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था
कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
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जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था
क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा
तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया
लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था
जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की
तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही
मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि
अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये
जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी
आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से
ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं
ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है
लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता
जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था
और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता
और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की
तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती
लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती
लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था
लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा
आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..
अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था
और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही
बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि
तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था
की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया
और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था
कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
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आज के लिए इतना ही
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अध्याय सत्तर
जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था
क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा
तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया
लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था
जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की
तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही
मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि
अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये
जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी
आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से
ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं
ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है
लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता
जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था
और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता
और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की
तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती
लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती
लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था
लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा
आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..
अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था
और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही
बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि
तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था
की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया
और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था
कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
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आज के लिए इतना ही
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