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To fir tumhari marji bhai, apna sath isi story tak rahega as a reader kyu ki mujhe hinglish me padhna acha nahi lagta. Us se acha to English me hi padh lu.Is baat ki guarantee nahi de sakta bro mujhe hinglish hi jyada sahi lagti hai jisme mujhe typing karne me bhi easy hoti hai aur emotion bhi achhe se express kar sakta hun jaise abhi ka le lo ye sab agar me devnagari me likhu toh aadhe words kisi ko samajh bhi nahi aayenge
Bhai is baar ye bilkul bhi nahi keh sakta ki ye ek bohot badhiya update tha, mana ki story bohot hi achi thi. Lekin and me poori kahani ka jaldbaji me satyanash kar dena achi baat nahi Khair tumhari story tu. Janoअध्याय छिहत्तर
जब मे युद्ध क्षेत्र मे पहुंचा तो वहाँ का हाल देखकर मेरा क्रोध इतना बढ़ गया कि मेरा ब्रामहारक्षस का रूप बाहर आ गया मेरे शरीर से वही भयानक ऊर्जा निकलने लगी
जिसे महसूस करके वहाँ सब दंग रह गए क्योंकि इससे पहले की वो मुझे देख पाते उससे पहले ही मे हवा से भी तेज गति से तुरंत प्रिया और माँ के पास पहुँच गया
फिर मैने तुरंत कामिनी और मोहिनी का गला पकड़ कर उन्हे हवा मे उठाने लगा वही ये सब इतनी जल्दी हुआ की वो दोनों समझ ही नही पा रहे थे की आखिर हुआ क्या है
उन्हे होश तब आया जब उनको अपने गर्दन के उपर दबाव महसूस हुआ जिसे महसूस करके जब उन दोनो ने अपने सामने देखा तो उन दोनों की चीख निकल गयी
जिसने वहाँ मौजूद सबका ध्यान अपने उपर खींच लिया और जब सबने उस दिशा मे देखा तो सारे हैरान हो गए क्योंकि अब मे पूरी तरह से ब्रामहारक्षस मे बदल गया था मेरा शरीर किसी हीरे की तरह चमक रहा था
और मेरे शरीर के कपड़े पूरी तरीके से काले थे मेरी कमर पर दो खंजर थे तो दूसरी तरफ दो तलवारे लटक रही थी मेरे पीठ पर एक गोल ढाल थी तो सबसे सर पर दो सिंग उगे हुए थे
जो की मेरे कपड़ो के तरह काले थे तो वही मेरे आँखों से खून आँसुओं की तरह बह रहे थे जब सबने मेरी आँखों पर गौर किया तो सबको और एक झटका लगा
क्योंकि मेरी आँखे पूरी तरह से लाल हो गयी थी जिसे देखकर सब डर के मारे कांपने लगे थी सिवाए ब्रामहारक्षस प्रजाति के तो वही कामिनी और मोहिनी दोनों की ही हालत पतली हो गयी थी
एक तो मेरे इस रूप को इतनी नज़दिक से देखकर वो पहले ही डर के मारे कुछ कर नही पा रहे थी उपर मेरे हाथों की मजबूत पकड़ उनके गर्दन पर कसती जा रही थी वो दोनों इतना डर गयी थी कि वो मुझे रोक भी नही पा रही थी
मै :- (गुस्से मे) इतनी शक्तिशाली हो गयी तुम दोनों जो मेरे परिवार पर आक्रमण करने की गुस्ताखी की
जब वहाँ मौजूद सबने मेरी आवाज सुनी तो सबके चेहरों पर ऐसे भाव आ गये थे की जैसे उनका दिल डर के मारे ही फट जायेगा इसके पीछे का कारण था
मेरी आवाज पहले से भी ज्यादा गहरी और गंभीर हो गयी थी जिसे सुनकर वहाँ खड़े सब के बदन पर रुएँ खड़ी हो गयी थी क्योंकि जब मैने पहले ये रूप धारण किया था
तब मैरी आवाज सिर्फ किसी शक्तिशाली राजकुमार जैसी थी लेकिन आज मेरी आवाज मे एक तरह की क्रूरता थी ऐसी क्रूरता जिसके बारे मे कभी किसी ने सोचा भी नही होगा
अभी मैने उन दोनों का गला पकडा हुआ था की तभी उनका शरीर निर्जीव होकर मेरे हाथों मे लटक गया था
मुझे भी पता नही था की वो दोनों मेरे द्वारा उनके गला घोंटने से मेरे है या मेरी आवाज से मरे है तो वही जब मायासुर ने मुझे देखा तो वो तुरंत मेरी असलियत समझ गया
उसने पहचान लिया था की असल मे त्रिलोकेश्वर और दमयंती का ही पुत्र हूँ और इसी लिए उसने अपने सभी सिपाहियों को सारे अच्छाई और सच्चाई के योद्धाओं को छोड़ केवल मेरे उपर हमला करने के लिए बोल दिया था
मेरा ये हैवानों वाला रूप देखकर कोई मेरे तरफ बढ़ना नही चाहता था लेकिन मायासुर उनका सम्राट था उसके खिल्लाफ़ वो लोग जा नही सकते थे
उनके पास उसकी बात सुनने के अलावा और कोई चारा नही था तो वही मैने उन सब को अपने पास आते देखकर महागुरु se युद्ध क्षेत्र मे मौजूद हमारे सभी सिपाहियों और योद्धाओं को वापस बुलाने के लिए कहा
इस वक्त मेरी आवाज मे इतनी क्रूरता थी की महागुरु मुझे मना कर ही नहीं सकते थे और जब उन्होंने सभी सेना को वापस बुलाया तो मे सीधा एक छलाँग मारकर असुरी सेना के बिचो बीच पहुँच गया था
वहाँ पहुँच कर मैने सीधा कुरुमा को बुला लिया और जैसे ही कुरुमा बीच युद्ध क्षेत्र मे प्रकट हुआ उस देखकर वहाँ मौजूद हर एक शक्स डर गया था वो सभी कुरुमा के रूप मे अपनी मौत को देख रहे थे
तो वही जब उन सातों महासुरों ने कुरुमा को देखा तो उनका खून मानो सुख गया था वो सभी जानते थे की कुरुमा क्या है कौन है वो किस शक्ति की सुरक्षा करता है सब ज्ञात था
और कुरुमा को अपने सामने देखकर डर के मारे पीछे हटने लगे थे तो वही जब मैने उन्हे मैने मैदान छोड़कर भागते हुए देखा तो मैने तुरंत अपने अजेय अस्त्र को जो एक तलवार रूप मे थी
(अजेय अस्त्र :- एक ऐसा अस्त्र जो सात हिस्सों जी बटा हुआ अस्त्र उसका हर एक भाग समान शक्तिशाली है इस अस्त्र को उसके मिश्रित रूप में इस्तेमाल करना नामुमकिन है उसे उसके 7 भागों मे विभाजित करके ही इस्तेमाल किया जा सकता हैं)
मैने अभी उस अजेय अस्त्र को उसके सात भागों मे विभाजित कर दिया और साथ मे ही मैने अपनी मायावी ऊर्जा के मदद से उन्हे छोटे खंजरों का रूप दे दिया जिससे वो किसी को दिखाई न दे
और जब मैने देखा की उन सातों महासुर और उस मैदान मे मौजूद सबका ध्यान मेरे कुरुमा पर था तो मैने इसी बात का फायदा उठाकर मैने तुरंत उन सातों खंजरों को महासुरों के तरफ फेक दिये जो जाके सीधा सातों महासुरों के दिल मे जा लगे
जब उनके शरीर मे वो खंजर लगे तब भी उनके अंदर जो अस्त्र अंश था वो खतम हो गया और अब वो सिर्फ मामूली असुर बन गए थे जिसके बाद युद्ध पुरा एक तरफा ही हो गया था
कुरुमा ने आधे से भी ज्यादा असुरी सेना को अपना भोजन बना लिया था तो वही उन सातों महासुरों को मैने अपने अस्त्र शक्तियों से ही खतम कर दिया था मुझे उनके पास भी नही जाने की जरूरत नही पड़ी थी
तो वही मायासुर तो मेरा असली रूप देखकर ही डर के भाग गया था जिसके बाद मैने और कुरुमा ने मिलकर बाकी बचे असुरी सैनिकों को ख़तम कर दिया था
जिसके बाद में और मेरे सभी साथी अपने आप ही आश्रम पहुँच गए जहाँ पर सप्त अस्त्रों की शक्ति के मदद से जीतनी भी तबाही मची थी उस पूरी तबाही को ठीक कर दिया गया था
जिसके बाद महागुरु ने अपने विशोशन अस्त्र से सारे जख्मी योद्धाओं का इलाज कर दिया था जिसके बाद हम सभी यानी मै सप्तगुरु मेरे माता पिता प्रिया और शिबू इस वक्त महागुरु के कक्ष मे मौजूद थे इस वक्त मे अपने भद्रा के रूप मे वापस आ गया था
महागुरु :- आज हम सब के लिए बड़ा ही शुभ दिन है क्योंकि आज हम सब ने हमको मिले हुए जिम्मेदारियों पर देवताओं और सप्तस्त्रों के द्वारा किये गए विश्वास को हमने अच्छे से निभाया है और ये सब बिना ब्रामहारक्षसों के सहयोग बिना नही हो पाता इसके लिए मे उन सबका शुक्रिया करता हूँ
त्रिलोकेश्वर :- नही आचार्य राघवेंद्र ये आप गलत कह रहे है भले ही इस युद्ध मे हम आपके साथ मौजूद थे लेकिन ये युद्ध को आप सबने केवल अपने बलबुते पर विजयी किया है
प्रिया :- वैसे भद्रा वो भेड़िया कौन था और तुम्हे कहाँ मिला और बिना किसी अस्त्र के इतने आराम से उन महासुरों ko मारने मै सफल कैसे हो गए
प्रिया की बात सुनकर सबने मेरे तरफ देखना शुरू कर दिया जैसे कि उन सबको भी इस सवाल का जवाब जानना था जिसके बाद मैने उन्हे मेरे प्रवास के बारे में सब कुछ बता दिया अब मे भी इन सबसे कोई सच छुपाना नही चाहता था
जिसके बाद सब कुछ हसी खुशी से निपट गया अभी मे अपने कमरे मे प्रिया और शांति के नग्न शरीर के नीचे दबकर बिना किसी चिंता के सो रहा था इस बात से अंजान की मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध (और इस कहानी का अंतिम युद्ध) मेरे तरफ पूरी गति से बढ़ते जा रहा है
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आज के लिए इतना ही
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Nice and superb update....अध्याय छिहत्तर
जब मे युद्ध क्षेत्र मे पहुंचा तो वहाँ का हाल देखकर मेरा क्रोध इतना बढ़ गया कि मेरा ब्रामहारक्षस का रूप बाहर आ गया मेरे शरीर से वही भयानक ऊर्जा निकलने लगी
जिसे महसूस करके वहाँ सब दंग रह गए क्योंकि इससे पहले की वो मुझे देख पाते उससे पहले ही मे हवा से भी तेज गति से तुरंत प्रिया और माँ के पास पहुँच गया
फिर मैने तुरंत कामिनी और मोहिनी का गला पकड़ कर उन्हे हवा मे उठाने लगा वही ये सब इतनी जल्दी हुआ की वो दोनों समझ ही नही पा रहे थे की आखिर हुआ क्या है
उन्हे होश तब आया जब उनको अपने गर्दन के उपर दबाव महसूस हुआ जिसे महसूस करके जब उन दोनो ने अपने सामने देखा तो उन दोनों की चीख निकल गयी
जिसने वहाँ मौजूद सबका ध्यान अपने उपर खींच लिया और जब सबने उस दिशा मे देखा तो सारे हैरान हो गए क्योंकि अब मे पूरी तरह से ब्रामहारक्षस मे बदल गया था मेरा शरीर किसी हीरे की तरह चमक रहा था
और मेरे शरीर के कपड़े पूरी तरीके से काले थे मेरी कमर पर दो खंजर थे तो दूसरी तरफ दो तलवारे लटक रही थी मेरे पीठ पर एक गोल ढाल थी तो सबसे सर पर दो सिंग उगे हुए थे
जो की मेरे कपड़ो के तरह काले थे तो वही मेरे आँखों से खून आँसुओं की तरह बह रहे थे जब सबने मेरी आँखों पर गौर किया तो सबको और एक झटका लगा
क्योंकि मेरी आँखे पूरी तरह से लाल हो गयी थी जिसे देखकर सब डर के मारे कांपने लगे थी सिवाए ब्रामहारक्षस प्रजाति के तो वही कामिनी और मोहिनी दोनों की ही हालत पतली हो गयी थी
एक तो मेरे इस रूप को इतनी नज़दिक से देखकर वो पहले ही डर के मारे कुछ कर नही पा रहे थी उपर मेरे हाथों की मजबूत पकड़ उनके गर्दन पर कसती जा रही थी वो दोनों इतना डर गयी थी कि वो मुझे रोक भी नही पा रही थी
मै :- (गुस्से मे) इतनी शक्तिशाली हो गयी तुम दोनों जो मेरे परिवार पर आक्रमण करने की गुस्ताखी की
जब वहाँ मौजूद सबने मेरी आवाज सुनी तो सबके चेहरों पर ऐसे भाव आ गये थे की जैसे उनका दिल डर के मारे ही फट जायेगा इसके पीछे का कारण था
मेरी आवाज पहले से भी ज्यादा गहरी और गंभीर हो गयी थी जिसे सुनकर वहाँ खड़े सब के बदन पर रुएँ खड़ी हो गयी थी क्योंकि जब मैने पहले ये रूप धारण किया था
तब मैरी आवाज सिर्फ किसी शक्तिशाली राजकुमार जैसी थी लेकिन आज मेरी आवाज मे एक तरह की क्रूरता थी ऐसी क्रूरता जिसके बारे मे कभी किसी ने सोचा भी नही होगा
अभी मैने उन दोनों का गला पकडा हुआ था की तभी उनका शरीर निर्जीव होकर मेरे हाथों मे लटक गया था
मुझे भी पता नही था की वो दोनों मेरे द्वारा उनके गला घोंटने से मेरे है या मेरी आवाज से मरे है तो वही जब मायासुर ने मुझे देखा तो वो तुरंत मेरी असलियत समझ गया
उसने पहचान लिया था की असल मे त्रिलोकेश्वर और दमयंती का ही पुत्र हूँ और इसी लिए उसने अपने सभी सिपाहियों को सारे अच्छाई और सच्चाई के योद्धाओं को छोड़ केवल मेरे उपर हमला करने के लिए बोल दिया था
मेरा ये हैवानों वाला रूप देखकर कोई मेरे तरफ बढ़ना नही चाहता था लेकिन मायासुर उनका सम्राट था उसके खिल्लाफ़ वो लोग जा नही सकते थे
उनके पास उसकी बात सुनने के अलावा और कोई चारा नही था तो वही मैने उन सब को अपने पास आते देखकर महागुरु se युद्ध क्षेत्र मे मौजूद हमारे सभी सिपाहियों और योद्धाओं को वापस बुलाने के लिए कहा
इस वक्त मेरी आवाज मे इतनी क्रूरता थी की महागुरु मुझे मना कर ही नहीं सकते थे और जब उन्होंने सभी सेना को वापस बुलाया तो मे सीधा एक छलाँग मारकर असुरी सेना के बिचो बीच पहुँच गया था
वहाँ पहुँच कर मैने सीधा कुरुमा को बुला लिया और जैसे ही कुरुमा बीच युद्ध क्षेत्र मे प्रकट हुआ उस देखकर वहाँ मौजूद हर एक शक्स डर गया था वो सभी कुरुमा के रूप मे अपनी मौत को देख रहे थे
तो वही जब उन सातों महासुरों ने कुरुमा को देखा तो उनका खून मानो सुख गया था वो सभी जानते थे की कुरुमा क्या है कौन है वो किस शक्ति की सुरक्षा करता है सब ज्ञात था
और कुरुमा को अपने सामने देखकर डर के मारे पीछे हटने लगे थे तो वही जब मैने उन्हे मैने मैदान छोड़कर भागते हुए देखा तो मैने तुरंत अपने अजेय अस्त्र को जो एक तलवार रूप मे थी
(अजेय अस्त्र :- एक ऐसा अस्त्र जो सात हिस्सों जी बटा हुआ अस्त्र उसका हर एक भाग समान शक्तिशाली है इस अस्त्र को उसके मिश्रित रूप में इस्तेमाल करना नामुमकिन है उसे उसके 7 भागों मे विभाजित करके ही इस्तेमाल किया जा सकता हैं)
मैने अभी उस अजेय अस्त्र को उसके सात भागों मे विभाजित कर दिया और साथ मे ही मैने अपनी मायावी ऊर्जा के मदद से उन्हे छोटे खंजरों का रूप दे दिया जिससे वो किसी को दिखाई न दे
और जब मैने देखा की उन सातों महासुर और उस मैदान मे मौजूद सबका ध्यान मेरे कुरुमा पर था तो मैने इसी बात का फायदा उठाकर मैने तुरंत उन सातों खंजरों को महासुरों के तरफ फेक दिये जो जाके सीधा सातों महासुरों के दिल मे जा लगे
जब उनके शरीर मे वो खंजर लगे तब भी उनके अंदर जो अस्त्र अंश था वो खतम हो गया और अब वो सिर्फ मामूली असुर बन गए थे जिसके बाद युद्ध पुरा एक तरफा ही हो गया था
कुरुमा ने आधे से भी ज्यादा असुरी सेना को अपना भोजन बना लिया था तो वही उन सातों महासुरों को मैने अपने अस्त्र शक्तियों से ही खतम कर दिया था मुझे उनके पास भी नही जाने की जरूरत नही पड़ी थी
तो वही मायासुर तो मेरा असली रूप देखकर ही डर के भाग गया था जिसके बाद मैने और कुरुमा ने मिलकर बाकी बचे असुरी सैनिकों को ख़तम कर दिया था
जिसके बाद में और मेरे सभी साथी अपने आप ही आश्रम पहुँच गए जहाँ पर सप्त अस्त्रों की शक्ति के मदद से जीतनी भी तबाही मची थी उस पूरी तबाही को ठीक कर दिया गया था
जिसके बाद महागुरु ने अपने विशोशन अस्त्र से सारे जख्मी योद्धाओं का इलाज कर दिया था जिसके बाद हम सभी यानी मै सप्तगुरु मेरे माता पिता प्रिया और शिबू इस वक्त महागुरु के कक्ष मे मौजूद थे इस वक्त मे अपने भद्रा के रूप मे वापस आ गया था
महागुरु :- आज हम सब के लिए बड़ा ही शुभ दिन है क्योंकि आज हम सब ने हमको मिले हुए जिम्मेदारियों पर देवताओं और सप्तस्त्रों के द्वारा किये गए विश्वास को हमने अच्छे से निभाया है और ये सब बिना ब्रामहारक्षसों के सहयोग बिना नही हो पाता इसके लिए मे उन सबका शुक्रिया करता हूँ
त्रिलोकेश्वर :- नही आचार्य राघवेंद्र ये आप गलत कह रहे है भले ही इस युद्ध मे हम आपके साथ मौजूद थे लेकिन ये युद्ध को आप सबने केवल अपने बलबुते पर विजयी किया है
प्रिया :- वैसे भद्रा वो भेड़िया कौन था और तुम्हे कहाँ मिला और बिना किसी अस्त्र के इतने आराम से उन महासुरों ko मारने मै सफल कैसे हो गए
प्रिया की बात सुनकर सबने मेरे तरफ देखना शुरू कर दिया जैसे कि उन सबको भी इस सवाल का जवाब जानना था जिसके बाद मैने उन्हे मेरे प्रवास के बारे में सब कुछ बता दिया अब मे भी इन सबसे कोई सच छुपाना नही चाहता था
जिसके बाद सब कुछ हसी खुशी से निपट गया अभी मे अपने कमरे मे प्रिया और शांति के नग्न शरीर के नीचे दबकर बिना किसी चिंता के सो रहा था इस बात से अंजान की मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध (और इस कहानी का अंतिम युद्ध) मेरे तरफ पूरी गति से बढ़ते जा रहा है
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आज के लिए इतना ही
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Bhai unhone pahle bhi bola tha ki woh story jald hi khatam kar denge aur agar practically socha Jaye toh mahasuron ko maarne ke liye unhone big fight na dikha kar jaise sabka dhyaan kurma pe daal ke apne sabse shaktishali Astra ko chupa ke unko khatam karna ye achi tarkeeb thi it's my opinion and yes me bhi maanta hoon ki story ki ending bahut fast thi lekin agar waha maujood sabki taakat aur hero ke full potential ki taakat ko compare Kiya Jaye toh hero ko ek god level being ki tarah setup Kiya Gaya tha isiliye yuddh ko ek hi jhatke me khatam karna koi badi baat nahiBhai is baar ye bilkul bhi nahi keh sakta ki ye ek bohot badhiya update tha, mana ki story bohot hi achi thi. Lekin and me poori kahani ka jaldbaji me satyanash kar dena achi baat nahi Khair tumhari story tu. Jano
Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय छिहत्तर
जब मे युद्ध क्षेत्र मे पहुंचा तो वहाँ का हाल देखकर मेरा क्रोध इतना बढ़ गया कि मेरा ब्रामहारक्षस का रूप बाहर आ गया मेरे शरीर से वही भयानक ऊर्जा निकलने लगी
जिसे महसूस करके वहाँ सब दंग रह गए क्योंकि इससे पहले की वो मुझे देख पाते उससे पहले ही मे हवा से भी तेज गति से तुरंत प्रिया और माँ के पास पहुँच गया
फिर मैने तुरंत कामिनी और मोहिनी का गला पकड़ कर उन्हे हवा मे उठाने लगा वही ये सब इतनी जल्दी हुआ की वो दोनों समझ ही नही पा रहे थे की आखिर हुआ क्या है
उन्हे होश तब आया जब उनको अपने गर्दन के उपर दबाव महसूस हुआ जिसे महसूस करके जब उन दोनो ने अपने सामने देखा तो उन दोनों की चीख निकल गयी
जिसने वहाँ मौजूद सबका ध्यान अपने उपर खींच लिया और जब सबने उस दिशा मे देखा तो सारे हैरान हो गए क्योंकि अब मे पूरी तरह से ब्रामहारक्षस मे बदल गया था मेरा शरीर किसी हीरे की तरह चमक रहा था
और मेरे शरीर के कपड़े पूरी तरीके से काले थे मेरी कमर पर दो खंजर थे तो दूसरी तरफ दो तलवारे लटक रही थी मेरे पीठ पर एक गोल ढाल थी तो सबसे सर पर दो सिंग उगे हुए थे
जो की मेरे कपड़ो के तरह काले थे तो वही मेरे आँखों से खून आँसुओं की तरह बह रहे थे जब सबने मेरी आँखों पर गौर किया तो सबको और एक झटका लगा
क्योंकि मेरी आँखे पूरी तरह से लाल हो गयी थी जिसे देखकर सब डर के मारे कांपने लगे थी सिवाए ब्रामहारक्षस प्रजाति के तो वही कामिनी और मोहिनी दोनों की ही हालत पतली हो गयी थी
एक तो मेरे इस रूप को इतनी नज़दिक से देखकर वो पहले ही डर के मारे कुछ कर नही पा रहे थी उपर मेरे हाथों की मजबूत पकड़ उनके गर्दन पर कसती जा रही थी वो दोनों इतना डर गयी थी कि वो मुझे रोक भी नही पा रही थी
मै :- (गुस्से मे) इतनी शक्तिशाली हो गयी तुम दोनों जो मेरे परिवार पर आक्रमण करने की गुस्ताखी की
जब वहाँ मौजूद सबने मेरी आवाज सुनी तो सबके चेहरों पर ऐसे भाव आ गये थे की जैसे उनका दिल डर के मारे ही फट जायेगा इसके पीछे का कारण था
मेरी आवाज पहले से भी ज्यादा गहरी और गंभीर हो गयी थी जिसे सुनकर वहाँ खड़े सब के बदन पर रुएँ खड़ी हो गयी थी क्योंकि जब मैने पहले ये रूप धारण किया था
तब मैरी आवाज सिर्फ किसी शक्तिशाली राजकुमार जैसी थी लेकिन आज मेरी आवाज मे एक तरह की क्रूरता थी ऐसी क्रूरता जिसके बारे मे कभी किसी ने सोचा भी नही होगा
अभी मैने उन दोनों का गला पकडा हुआ था की तभी उनका शरीर निर्जीव होकर मेरे हाथों मे लटक गया था
मुझे भी पता नही था की वो दोनों मेरे द्वारा उनके गला घोंटने से मेरे है या मेरी आवाज से मरे है तो वही जब मायासुर ने मुझे देखा तो वो तुरंत मेरी असलियत समझ गया
उसने पहचान लिया था की असल मे त्रिलोकेश्वर और दमयंती का ही पुत्र हूँ और इसी लिए उसने अपने सभी सिपाहियों को सारे अच्छाई और सच्चाई के योद्धाओं को छोड़ केवल मेरे उपर हमला करने के लिए बोल दिया था
मेरा ये हैवानों वाला रूप देखकर कोई मेरे तरफ बढ़ना नही चाहता था लेकिन मायासुर उनका सम्राट था उसके खिल्लाफ़ वो लोग जा नही सकते थे
उनके पास उसकी बात सुनने के अलावा और कोई चारा नही था तो वही मैने उन सब को अपने पास आते देखकर महागुरु se युद्ध क्षेत्र मे मौजूद हमारे सभी सिपाहियों और योद्धाओं को वापस बुलाने के लिए कहा
इस वक्त मेरी आवाज मे इतनी क्रूरता थी की महागुरु मुझे मना कर ही नहीं सकते थे और जब उन्होंने सभी सेना को वापस बुलाया तो मे सीधा एक छलाँग मारकर असुरी सेना के बिचो बीच पहुँच गया था
वहाँ पहुँच कर मैने सीधा कुरुमा को बुला लिया और जैसे ही कुरुमा बीच युद्ध क्षेत्र मे प्रकट हुआ उस देखकर वहाँ मौजूद हर एक शक्स डर गया था वो सभी कुरुमा के रूप मे अपनी मौत को देख रहे थे
तो वही जब उन सातों महासुरों ने कुरुमा को देखा तो उनका खून मानो सुख गया था वो सभी जानते थे की कुरुमा क्या है कौन है वो किस शक्ति की सुरक्षा करता है सब ज्ञात था
और कुरुमा को अपने सामने देखकर डर के मारे पीछे हटने लगे थे तो वही जब मैने उन्हे मैने मैदान छोड़कर भागते हुए देखा तो मैने तुरंत अपने अजेय अस्त्र को जो एक तलवार रूप मे थी
(अजेय अस्त्र :- एक ऐसा अस्त्र जो सात हिस्सों जी बटा हुआ अस्त्र उसका हर एक भाग समान शक्तिशाली है इस अस्त्र को उसके मिश्रित रूप में इस्तेमाल करना नामुमकिन है उसे उसके 7 भागों मे विभाजित करके ही इस्तेमाल किया जा सकता हैं)
मैने अभी उस अजेय अस्त्र को उसके सात भागों मे विभाजित कर दिया और साथ मे ही मैने अपनी मायावी ऊर्जा के मदद से उन्हे छोटे खंजरों का रूप दे दिया जिससे वो किसी को दिखाई न दे
और जब मैने देखा की उन सातों महासुर और उस मैदान मे मौजूद सबका ध्यान मेरे कुरुमा पर था तो मैने इसी बात का फायदा उठाकर मैने तुरंत उन सातों खंजरों को महासुरों के तरफ फेक दिये जो जाके सीधा सातों महासुरों के दिल मे जा लगे
जब उनके शरीर मे वो खंजर लगे तब भी उनके अंदर जो अस्त्र अंश था वो खतम हो गया और अब वो सिर्फ मामूली असुर बन गए थे जिसके बाद युद्ध पुरा एक तरफा ही हो गया था
कुरुमा ने आधे से भी ज्यादा असुरी सेना को अपना भोजन बना लिया था तो वही उन सातों महासुरों को मैने अपने अस्त्र शक्तियों से ही खतम कर दिया था मुझे उनके पास भी नही जाने की जरूरत नही पड़ी थी
तो वही मायासुर तो मेरा असली रूप देखकर ही डर के भाग गया था जिसके बाद मैने और कुरुमा ने मिलकर बाकी बचे असुरी सैनिकों को ख़तम कर दिया था
जिसके बाद में और मेरे सभी साथी अपने आप ही आश्रम पहुँच गए जहाँ पर सप्त अस्त्रों की शक्ति के मदद से जीतनी भी तबाही मची थी उस पूरी तबाही को ठीक कर दिया गया था
जिसके बाद महागुरु ने अपने विशोशन अस्त्र से सारे जख्मी योद्धाओं का इलाज कर दिया था जिसके बाद हम सभी यानी मै सप्तगुरु मेरे माता पिता प्रिया और शिबू इस वक्त महागुरु के कक्ष मे मौजूद थे इस वक्त मे अपने भद्रा के रूप मे वापस आ गया था
महागुरु :- आज हम सब के लिए बड़ा ही शुभ दिन है क्योंकि आज हम सब ने हमको मिले हुए जिम्मेदारियों पर देवताओं और सप्तस्त्रों के द्वारा किये गए विश्वास को हमने अच्छे से निभाया है और ये सब बिना ब्रामहारक्षसों के सहयोग बिना नही हो पाता इसके लिए मे उन सबका शुक्रिया करता हूँ
त्रिलोकेश्वर :- नही आचार्य राघवेंद्र ये आप गलत कह रहे है भले ही इस युद्ध मे हम आपके साथ मौजूद थे लेकिन ये युद्ध को आप सबने केवल अपने बलबुते पर विजयी किया है
प्रिया :- वैसे भद्रा वो भेड़िया कौन था और तुम्हे कहाँ मिला और बिना किसी अस्त्र के इतने आराम से उन महासुरों ko मारने मै सफल कैसे हो गए
प्रिया की बात सुनकर सबने मेरे तरफ देखना शुरू कर दिया जैसे कि उन सबको भी इस सवाल का जवाब जानना था जिसके बाद मैने उन्हे मेरे प्रवास के बारे में सब कुछ बता दिया अब मे भी इन सबसे कोई सच छुपाना नही चाहता था
जिसके बाद सब कुछ हसी खुशी से निपट गया अभी मे अपने कमरे मे प्रिया और शांति के नग्न शरीर के नीचे दबकर बिना किसी चिंता के सो रहा था इस बात से अंजान की मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध (और इस कहानी का अंतिम युद्ध) मेरे तरफ पूरी गति से बढ़ते जा रहा है
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आज के लिए इतना ही
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Jaise mahasuro ko dikhaya gaya hai story me unko itni aasani se khatam kar diya, jaise Manulife koi sainik ho, or kahi bhi disastrous ka Priya nahi kiya bhadra ne, bohot hi mamuli ant hua Mahasur or unki sena ka.Bhai unhone pahle bhi bola tha ki woh story jald hi khatam kar denge aur agar practically socha Jaye toh mahasuron ko maarne ke liye unhone big fight na dikha kar jaise sabka dhyaan kurma pe daal ke apne sabse shaktishali Astra ko chupa ke unko khatam karna ye achi tarkeeb thi it's my opinion and yes me bhi maanta hoon ki story ki ending bahut fast thi lekin agar waha maujood sabki taakat aur hero ke full potential ki taakat ko compare Kiya Jaye toh hero ko ek god level being ki tarah setup Kiya Gaya tha isiliye yuddh ko ek hi jhatke me khatam karna koi badi baat nahi