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Nice and superb update....अध्याय सतहत्तर (अंतिम युद्ध)
अभी भद्रा अपने कमरे मे प्रिया और शांति के नग्न शरीर के नीचे दबकर बिना किसी चिंता के सो रहा था इस बात से अंजान की उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध मेरे तरफ पूरी गति से बढ़ते जा रहा है
आज के युद्ध मे जैसे ही मायासुर ko भद्रा की असलियत का पता चला वैसे ही उसने युद्ध क्षेत्र से अपने कदम पीछे ले लिया और अपनी दुम दबाकर भाग उठा और और सीधा वो पहुँच गया कालि के पास
ये कालि कोई और न होके वही गद्दार है जिसने असुरों की गुलामी स्वीकार करके अपने ही सम्राट अपने ही प्रजाति को धोख़ा दिया था ये है ब्रामहारक्षस प्रजाति का नया सम्राट
जिसने असुरों के साथ मिलकर त्रिलोकेश्वर और दमयंती को मारने का प्रयास किया था और जब असुरो द्वारा उन्हे कैद कर लिया तो इसने असुरों की गुलामी कर त्रिलोकेश्वर का सम्राट पद ले लिया
और इतने सालों तक ब्रामहराक्षस प्रजाति पर राज करने से इसे ऐसा लगने लगा था की से कोई हरा ही नही सकता और इसी के चलते उसके मन मे घमंड पैदा हो गया था
और जब उसने सुना की उसका सालों पुराना शिकार त्रिलोकेश्वर और दमयंती का बेटा वापस आ गया है
तब उसके मन में अपना राज पाठ गंवाने का भय और अपने शिकार की खबर उसका शिकार करने की इच्छा और सबसे ज्यादा उसका घमंड जिसने क्रोध के रूप को धारण कर लिया था
जो उसके चेहरे साफ दिखाई दे रहा था और इन्ही सब कारणों की वजह से कालि ने अपने विश्वसनिया सैनिकों और योद्धाओं की टुकड़ी लेकर चल पड़ा कालविजय आश्रम की तरफ गुप्त हमला करने
तो वही मायासुर की सारी असुरी सेना तो खतम हो गयी थी इसीलिए अब मायासुर के पास इन ब्रामहारक्षसों की सेना के अलावा कोई भी और असुरी सैनिक नही था
और जब उसे लगा की इसके अलावा और कोई रास्ता नही है तो उसने गुरु शुक्राचार्य की उस खास सैन्य दल को भी इस युद्ध मे सम्मलित कर लिया जिन्हे शुक्राचार्य ने देवासुर युद्ध के लिए संभाल के रखा था
उस सैन्य दल को वरदान था की कोई भी सात्विक शक्ति उनका अंत नही कर शक्ति चाहे वो सप्त अस्त्र ही क्यों न हो और इसी कारण से मायासुर ने उस दल को भी अपने साथ युद्ध मे सामिल किया था
उसके पास सैन्य शक्ति केवल इतनी ही थी तो वही अस्त्रों के नाम पर केवल उसकी मायावी शक्तियाँ और शुक्राचार्य द्वारा दी ही तलवार यही थे
तो वही कालि ने भी इतने सालों से ब्रामहराक्षसों पर राज करने के साथ ही एक ऐसी शक्ति का निर्माण किया था जिसका इस्तेमाल केवल कोई उसके जैसा महाशक्तिशाली ब्रामहारक्षस ही कर सकता है
और उस शक्ति के मदद से वो किसी भी ब्रामहाराक्षस को बिना ब्रम्हास्त्र के भी खतम कर सकता था अब वो दोनों पृथ्वी लोक के सीमा तक पहुँच गए थे और वो अभी आगे बढ़ते
की तभी न जाने कहा से एक तीर सीधा आकर उनके पैरों के पास की जमीन पर लगा जिससे वो वही रुक गए और हमला करने वाले को ढूँढने लगे और जब वो हमलावर उनके सामने आया तो उसे देखकर उन दोनों को झटका लगा क्योंकि वो कोई और नही अपना भद्रा ही था (भद्रा के रूप में)
कुछ समय पहले
अभी मे अपने कमरे मे आराम से सो रहा था कि तभी मुझे कुछ अजीब सा एहसास होने लगा जिससे मेरा दम घुट रहा था इसीलिए मे अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गया
जहाँ पर खुले आसमान के नीचे अब मुझे थोड़ा बेहतर लग रहा था लेकिन फिर भी दिल मे कुछ बुरा बहुत ही बुरा होने का एहसास हो रहा था इसीलिए मे वही ध्यान मे बैठकर इसके पीछे की वजह ढूँढने लगा
और कुछ ही देर ऐसे ध्यान लगाने के बाद मुझे वो वजह भी दिखने लगी थी मुझे पृथ्वी लोक की सीमा पर मुझे कालि और मायासुर उनकी सेना के साथ दिख रहे थे
जिन्हे देखकर मेरे चेहरे पर शैतानी मुस्कान छा गया जिसके बाद मे बिना किसी को पता लगे हुए तुरंत वहाँ से निकल गया और जाने से पहले मैने आश्रम के चारों तरफ एक कवच लगा दिया
और उस कवच के उपर मैने एक ऐसे चक्रव्युव की रचना की जिसमे कदम रखते ही वो सब वही हालत होगी जो हर सुबह (peak hours me) लोकल पकड़ने वाले की होती हैं
(If you not understand this so search on google central railway in peak hours )
और अभी इस वक़्त मे अपने भद्रा वाले अवतार मे ही मायासुर और कालि के सामने खड़ा था और जब मायासुर ने कालि को मेरा परिचय बताया तो कालि मेरा इंसानी रूप देखकर मुझे कमजोर समझने लगा
उसके घमंड ने उसके आँखों पर इस कदर पट्टी बांध कर रखी थी उसने ये तक नही सोचा कि अगर मे कमजोर होता तो मायासुर उसके पास ऐसे बीच युद्ध से भागते न आता लेकिन हम कर भी क्या सकते है सच कहा है किसीने विनाश काले विपरीत बुद्धि
कालि :- (मेरा मजाक उड़ाते हुए) कितनी बुरी बात है ब्रामहराक्षसों का राजकुमार इतना कमजोर है ऐसे मे क्या होगा हमारे अगली पीढ़ी का
मे :- अगर तुम्हे मे इतना ही कमजोर लग रहा हूँ तो आओ आगे बढ़ो लढो मुझसे पता चल जायेगा
कालि :- आज तेरी मौत पक्की है लड़के तुझे मारकर तेरी माँ को मैं अपनी रखैल बनाकर रखूँगा
अब उसने ये बोलकर सारी सिमाये लाँघ दी थी और अब मेरा भी क्रोध काबू से बाहर हो गया था जिससे अब मेरा कुमार वाला रूप बाहर आ गया था जो देखकर मायासुर और बाकी सारे सैनिक डर रहे थे तो वही कालि के चेहरे पर मुस्कान छा गयी थी
मे (गुस्से मे) :- आज तूने तेरी सारी सिमाये लाँघ दी है कालि आज तु नही बचेगा
मेरा बोलना अभी पुरा होता की उससे पहले ही कालि ने मेरी तरफ एक आग का गोला फेक दिया जिससे बचने के लिए मे बाजू मे हट गया जिससे मेरा संतुलन बिगड़ गया
और मे जमीन पर गिर गया और जैसे ही मै गिरा वैसे ही वो कालि दौड़ते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा और इससे पहले मे कुछ कर पाता उसने तुरंत मेरे पेट मे लात मार दी जिसके कारण मे 5 कदम दूर जा गिरा
कालि :- क्या हुआ कुमार सारी हेकड़ी निकल गयी मैने सही कहा था बड़ा कमजोर है तू अब तेरे आँखों के सामने मे तेरे माँ का वस्त्र हरण ना किया तो मेरा नाम भी कालि नही
उसकी ये बात सुनकर अब मेरा दिमाग खराब हो गया था मैने तुरंत कुरुमा को बाहर बुलाया जिसे देखकर अब कालि की भी हट गयी थी मैने कुरुमा को सभी सैनिकों के तरफ भेज दिया
और मे खुद अब कालि के तरफ बढ़ने लगा अभी मै कुछ करता की तभी उस कालि ने फिर से एक और अग्नि गोले हमला किया लेकिन इस बार मै उस गोले के सामने मै खुद आ गया
और जैसे ही वो गोला मुझसे टकराया वैसे ही वो मेरे अंदर समा गया ये देख कर वो कालि दंग रह गया मायासुर ने अभी तक कालि को सप्तस्त्रों के बारे मे बताया नही था जिसके बाद मैने आगे बढ़कर एक लात सीधा कालि को मार दी जिसे वो सीधा 10 कदम दूर जाके गिर गया
मैं :- कालि आज तेरा और तेरे घमंड दोनों का अंतिम दिन है तेरे घमंड के वजह से तुमने आज तक कितने ही बड़े पाप किये है और उपर से तुमने जो भी अपशब्द मेरे मा के लिए इस्तेमाल किये है उसके बाद तुम्हारा तुम्हे खतम करना ही मेरी सर्वोत्तम जिम्मेदारि है
कालि :- तुम मेरा अंत करोगे बच्चे अपने प्राणों से प्रेम नही हैं क्या तुम्हे क्या लगा है मेरा एक हमला रोक लिया तो क्या तुम मुझे मारने के लिए सक्षम बन जाओगे आओ तुम्हारा ये अहंकार भी आज उतार दु
इतना बोलके वो तेजी से मेरे तरफ बढ़ने लगा ये देखकर मे भी तैयार हो गया और जैसे ही वो मेरे पास पहुँचा तो उसने तुरंत एक विद्युत तरंग सी हमला किया
लेकिन मे उससे बच गया और तुरंत मैने उसके उपर एक ऊर्जा प्रहार किया जिसे वो बचा गया फिर से हम दोनों मे युद्ध आरंभ हो गया लेकिन इस बार भी ना वो मुझे हरा पा रहा था और ना मे उस हरा पा रहा था लेकिन तभी मैने एक आग का गोला बनाकर उसकी तरफ भेज दिया जिससे वो उड़ कर दूर जाके गिरा
जिसके बाद वो फिर से खड़ा हो गया और अपने बाये हाथ को उपर की तरफ कर दिया जिससे उसके हाथ मे एक चमचमाती हुई तलवार आ गयी जिसे देखकर मेरे मन मे अजीब सा डर निर्माण होने लगा
क्योंकि ये तलवार वही तलवार थी जिससे किसी भी ब्रामहाराक्षस को खतम करने की ताकत रखती है जिसके बारे मे मुझे कुरुमा ne बता दिया था और जैसे ही कालि के हाथो मे वो तलवार आई
तो वो तुरंत ही भागते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा जो देख कर मैने तुरंत ही अपनी आँखे बंद कर के ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया
और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी बिल्कुल वैसे ही जैसे मुझे उस तीसरे पडाव को पार करते हुए दिखाई दे रहे थे और ऐसा होते ही मुझे कालि कछुए से भी धीमा दिखाई दे रहा था
जिसके बाद मे वहाँ से आगे बढ़कर उसके पास गया और उसके हाथ से वो तलवार बिल्कुल उसी तरह निकाल ली जैसे किसी 2 महीने बच्चे के हाथ से पानी की बोटेल छिनना और जैसे ही वो तलवार मेरे हाथ मे आई
मैने तुरंत उसकी गर्दन उसके धड़ से अलग कर दी जिसके बाद मैने सब फिर से पहले के जैसा कर दिया और जब कुरुमा से लढते हुए मायासुर ने ये देखा तो वो एक बार फिर से वहाँ से भागने लगा
तो वही अब तक कुरुमा ने सारे असुरों को और ब्रामहारक्षसों को जिंदा निगल लिया था जो देखकर उसकी और फट गयी थी जिसके बाद वो जैसे ही भागने का प्रयास करता मे उसके सामने आ कर खड़ा हो गया
और अपनी तलवार से सीधा उसकी भी गर्दन को धड़ से अलग कर दिया और जब ये खबर शुक्राचार्य को पता चली तो उसका क्रोध इतना बड़ा की उसने अपने सभी शक्तियों का स्मरण करके धरती पर हमला बोलने का तय किया
उन्होंने आज तक बहुत कोशिशे की थी की वो सप्तस्त्र उनके हो हो जाए लेकिन उनके हाथो मे केवल हार ही लगी उन्होंने हर तरह के षड्यंत्र रचे लेकिन उनका कोई भी षड्यंत्र उन्हे सप्तस्त्र नही दिला सका
जिस वजह से उन्हे मानसिक आघात पहुँचा था और इसी आघात के साथ उन्होंने पुरे विश्व मे अकाल प्रलय लाने का प्रयास किया लेकिन उस प्रलय को रोकने के लिए स्वयं प्रभु काशीनाथ आदिदेव बीच मे आगये और क्रोधवश आके उन्हे उनके ग्रह यानी शुक्र ग्रह मे सदा सदा के लिए कैद कर दिया
तो वही दूसरी तरफ उन दोनों को मारने के बाद मै आश्रम लौट आया और फिर अगले दिन मे माँ बाबा को साथ लेकर ब्रामहराक्षसों के लोक पहुँच गया और फिर वहाँ पर मेरे पिताजी का राज्याभिषेक करने का तय किया लेकिन पिताजी ने उसके लिए मना कर दिया और फिर उन्होंने उनके बदले मुझे सम्राट बनाया
गया जिसके बाद हम सब का जीवन हसी खुशी से कटने लगा
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THE END
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Nice update.....अध्याय सतहत्तर (अंतिम युद्ध)
अभी भद्रा अपने कमरे मे प्रिया और शांति के नग्न शरीर के नीचे दबकर बिना किसी चिंता के सो रहा था इस बात से अंजान की उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध मेरे तरफ पूरी गति से बढ़ते जा रहा है
आज के युद्ध मे जैसे ही मायासुर ko भद्रा की असलियत का पता चला वैसे ही उसने युद्ध क्षेत्र से अपने कदम पीछे ले लिया और अपनी दुम दबाकर भाग उठा और और सीधा वो पहुँच गया कालि के पास
ये कालि कोई और न होके वही गद्दार है जिसने असुरों की गुलामी स्वीकार करके अपने ही सम्राट अपने ही प्रजाति को धोख़ा दिया था ये है ब्रामहारक्षस प्रजाति का नया सम्राट
जिसने असुरों के साथ मिलकर त्रिलोकेश्वर और दमयंती को मारने का प्रयास किया था और जब असुरो द्वारा उन्हे कैद कर लिया तो इसने असुरों की गुलामी कर त्रिलोकेश्वर का सम्राट पद ले लिया
और इतने सालों तक ब्रामहराक्षस प्रजाति पर राज करने से इसे ऐसा लगने लगा था की से कोई हरा ही नही सकता और इसी के चलते उसके मन मे घमंड पैदा हो गया था
और जब उसने सुना की उसका सालों पुराना शिकार त्रिलोकेश्वर और दमयंती का बेटा वापस आ गया है
तब उसके मन में अपना राज पाठ गंवाने का भय और अपने शिकार की खबर उसका शिकार करने की इच्छा और सबसे ज्यादा उसका घमंड जिसने क्रोध के रूप को धारण कर लिया था
जो उसके चेहरे साफ दिखाई दे रहा था और इन्ही सब कारणों की वजह से कालि ने अपने विश्वसनिया सैनिकों और योद्धाओं की टुकड़ी लेकर चल पड़ा कालविजय आश्रम की तरफ गुप्त हमला करने
तो वही मायासुर की सारी असुरी सेना तो खतम हो गयी थी इसीलिए अब मायासुर के पास इन ब्रामहारक्षसों की सेना के अलावा कोई भी और असुरी सैनिक नही था
और जब उसे लगा की इसके अलावा और कोई रास्ता नही है तो उसने गुरु शुक्राचार्य की उस खास सैन्य दल को भी इस युद्ध मे सम्मलित कर लिया जिन्हे शुक्राचार्य ने देवासुर युद्ध के लिए संभाल के रखा था
उस सैन्य दल को वरदान था की कोई भी सात्विक शक्ति उनका अंत नही कर शक्ति चाहे वो सप्त अस्त्र ही क्यों न हो और इसी कारण से मायासुर ने उस दल को भी अपने साथ युद्ध मे सामिल किया था
उसके पास सैन्य शक्ति केवल इतनी ही थी तो वही अस्त्रों के नाम पर केवल उसकी मायावी शक्तियाँ और शुक्राचार्य द्वारा दी ही तलवार यही थे
तो वही कालि ने भी इतने सालों से ब्रामहराक्षसों पर राज करने के साथ ही एक ऐसी शक्ति का निर्माण किया था जिसका इस्तेमाल केवल कोई उसके जैसा महाशक्तिशाली ब्रामहारक्षस ही कर सकता है
और उस शक्ति के मदद से वो किसी भी ब्रामहाराक्षस को बिना ब्रम्हास्त्र के भी खतम कर सकता था अब वो दोनों पृथ्वी लोक के सीमा तक पहुँच गए थे और वो अभी आगे बढ़ते
की तभी न जाने कहा से एक तीर सीधा आकर उनके पैरों के पास की जमीन पर लगा जिससे वो वही रुक गए और हमला करने वाले को ढूँढने लगे और जब वो हमलावर उनके सामने आया तो उसे देखकर उन दोनों को झटका लगा क्योंकि वो कोई और नही अपना भद्रा ही था (भद्रा के रूप में)
कुछ समय पहले
अभी मे अपने कमरे मे आराम से सो रहा था कि तभी मुझे कुछ अजीब सा एहसास होने लगा जिससे मेरा दम घुट रहा था इसीलिए मे अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गया
जहाँ पर खुले आसमान के नीचे अब मुझे थोड़ा बेहतर लग रहा था लेकिन फिर भी दिल मे कुछ बुरा बहुत ही बुरा होने का एहसास हो रहा था इसीलिए मे वही ध्यान मे बैठकर इसके पीछे की वजह ढूँढने लगा
और कुछ ही देर ऐसे ध्यान लगाने के बाद मुझे वो वजह भी दिखने लगी थी मुझे पृथ्वी लोक की सीमा पर मुझे कालि और मायासुर उनकी सेना के साथ दिख रहे थे
जिन्हे देखकर मेरे चेहरे पर शैतानी मुस्कान छा गया जिसके बाद मे बिना किसी को पता लगे हुए तुरंत वहाँ से निकल गया और जाने से पहले मैने आश्रम के चारों तरफ एक कवच लगा दिया
और उस कवच के उपर मैने एक ऐसे चक्रव्युव की रचना की जिसमे कदम रखते ही वो सब वही हालत होगी जो हर सुबह (peak hours me) लोकल पकड़ने वाले की होती हैं
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और अभी इस वक़्त मे अपने भद्रा वाले अवतार मे ही मायासुर और कालि के सामने खड़ा था और जब मायासुर ने कालि को मेरा परिचय बताया तो कालि मेरा इंसानी रूप देखकर मुझे कमजोर समझने लगा
उसके घमंड ने उसके आँखों पर इस कदर पट्टी बांध कर रखी थी उसने ये तक नही सोचा कि अगर मे कमजोर होता तो मायासुर उसके पास ऐसे बीच युद्ध से भागते न आता लेकिन हम कर भी क्या सकते है सच कहा है किसीने विनाश काले विपरीत बुद्धि
कालि :- (मेरा मजाक उड़ाते हुए) कितनी बुरी बात है ब्रामहराक्षसों का राजकुमार इतना कमजोर है ऐसे मे क्या होगा हमारे अगली पीढ़ी का
मे :- अगर तुम्हे मे इतना ही कमजोर लग रहा हूँ तो आओ आगे बढ़ो लढो मुझसे पता चल जायेगा
कालि :- आज तेरी मौत पक्की है लड़के तुझे मारकर तेरी माँ को मैं अपनी रखैल बनाकर रखूँगा
अब उसने ये बोलकर सारी सिमाये लाँघ दी थी और अब मेरा भी क्रोध काबू से बाहर हो गया था जिससे अब मेरा कुमार वाला रूप बाहर आ गया था जो देखकर मायासुर और बाकी सारे सैनिक डर रहे थे तो वही कालि के चेहरे पर मुस्कान छा गयी थी
मे (गुस्से मे) :- आज तूने तेरी सारी सिमाये लाँघ दी है कालि आज तु नही बचेगा
मेरा बोलना अभी पुरा होता की उससे पहले ही कालि ने मेरी तरफ एक आग का गोला फेक दिया जिससे बचने के लिए मे बाजू मे हट गया जिससे मेरा संतुलन बिगड़ गया
और मे जमीन पर गिर गया और जैसे ही मै गिरा वैसे ही वो कालि दौड़ते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा और इससे पहले मे कुछ कर पाता उसने तुरंत मेरे पेट मे लात मार दी जिसके कारण मे 5 कदम दूर जा गिरा
कालि :- क्या हुआ कुमार सारी हेकड़ी निकल गयी मैने सही कहा था बड़ा कमजोर है तू अब तेरे आँखों के सामने मे तेरे माँ का वस्त्र हरण ना किया तो मेरा नाम भी कालि नही
उसकी ये बात सुनकर अब मेरा दिमाग खराब हो गया था मैने तुरंत कुरुमा को बाहर बुलाया जिसे देखकर अब कालि की भी हट गयी थी मैने कुरुमा को सभी सैनिकों के तरफ भेज दिया
और मे खुद अब कालि के तरफ बढ़ने लगा अभी मै कुछ करता की तभी उस कालि ने फिर से एक और अग्नि गोले हमला किया लेकिन इस बार मै उस गोले के सामने मै खुद आ गया
और जैसे ही वो गोला मुझसे टकराया वैसे ही वो मेरे अंदर समा गया ये देख कर वो कालि दंग रह गया मायासुर ने अभी तक कालि को सप्तस्त्रों के बारे मे बताया नही था जिसके बाद मैने आगे बढ़कर एक लात सीधा कालि को मार दी जिसे वो सीधा 10 कदम दूर जाके गिर गया
मैं :- कालि आज तेरा और तेरे घमंड दोनों का अंतिम दिन है तेरे घमंड के वजह से तुमने आज तक कितने ही बड़े पाप किये है और उपर से तुमने जो भी अपशब्द मेरे मा के लिए इस्तेमाल किये है उसके बाद तुम्हारा तुम्हे खतम करना ही मेरी सर्वोत्तम जिम्मेदारि है
कालि :- तुम मेरा अंत करोगे बच्चे अपने प्राणों से प्रेम नही हैं क्या तुम्हे क्या लगा है मेरा एक हमला रोक लिया तो क्या तुम मुझे मारने के लिए सक्षम बन जाओगे आओ तुम्हारा ये अहंकार भी आज उतार दु
इतना बोलके वो तेजी से मेरे तरफ बढ़ने लगा ये देखकर मे भी तैयार हो गया और जैसे ही वो मेरे पास पहुँचा तो उसने तुरंत एक विद्युत तरंग सी हमला किया
लेकिन मे उससे बच गया और तुरंत मैने उसके उपर एक ऊर्जा प्रहार किया जिसे वो बचा गया फिर से हम दोनों मे युद्ध आरंभ हो गया लेकिन इस बार भी ना वो मुझे हरा पा रहा था और ना मे उस हरा पा रहा था लेकिन तभी मैने एक आग का गोला बनाकर उसकी तरफ भेज दिया जिससे वो उड़ कर दूर जाके गिरा
जिसके बाद वो फिर से खड़ा हो गया और अपने बाये हाथ को उपर की तरफ कर दिया जिससे उसके हाथ मे एक चमचमाती हुई तलवार आ गयी जिसे देखकर मेरे मन मे अजीब सा डर निर्माण होने लगा
क्योंकि ये तलवार वही तलवार थी जिससे किसी भी ब्रामहाराक्षस को खतम करने की ताकत रखती है जिसके बारे मे मुझे कुरुमा ne बता दिया था और जैसे ही कालि के हाथो मे वो तलवार आई
तो वो तुरंत ही भागते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा जो देख कर मैने तुरंत ही अपनी आँखे बंद कर के ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया
और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी बिल्कुल वैसे ही जैसे मुझे उस तीसरे पडाव को पार करते हुए दिखाई दे रहे थे और ऐसा होते ही मुझे कालि कछुए से भी धीमा दिखाई दे रहा था
जिसके बाद मे वहाँ से आगे बढ़कर उसके पास गया और उसके हाथ से वो तलवार बिल्कुल उसी तरह निकाल ली जैसे किसी 2 महीने बच्चे के हाथ से पानी की बोटेल छिनना और जैसे ही वो तलवार मेरे हाथ मे आई
मैने तुरंत उसकी गर्दन उसके धड़ से अलग कर दी जिसके बाद मैने सब फिर से पहले के जैसा कर दिया और जब कुरुमा से लढते हुए मायासुर ने ये देखा तो वो एक बार फिर से वहाँ से भागने लगा
तो वही अब तक कुरुमा ने सारे असुरों को और ब्रामहारक्षसों को जिंदा निगल लिया था जो देखकर उसकी और फट गयी थी जिसके बाद वो जैसे ही भागने का प्रयास करता मे उसके सामने आ कर खड़ा हो गया
और अपनी तलवार से सीधा उसकी भी गर्दन को धड़ से अलग कर दिया और जब ये खबर शुक्राचार्य को पता चली तो उसका क्रोध इतना बड़ा की उसने अपने सभी शक्तियों का स्मरण करके धरती पर हमला बोलने का तय किया
उन्होंने आज तक बहुत कोशिशे की थी की वो सप्तस्त्र उनके हो हो जाए लेकिन उनके हाथो मे केवल हार ही लगी उन्होंने हर तरह के षड्यंत्र रचे लेकिन उनका कोई भी षड्यंत्र उन्हे सप्तस्त्र नही दिला सका
जिस वजह से उन्हे मानसिक आघात पहुँचा था और इसी आघात के साथ उन्होंने पुरे विश्व मे अकाल प्रलय लाने का प्रयास किया लेकिन उस प्रलय को रोकने के लिए स्वयं प्रभु काशीनाथ आदिदेव बीच मे आगये और क्रोधवश आके उन्हे उनके ग्रह यानी शुक्र ग्रह मे सदा सदा के लिए कैद कर दिया
तो वही दूसरी तरफ उन दोनों को मारने के बाद मै आश्रम लौट आया और फिर अगले दिन मे माँ बाबा को साथ लेकर ब्रामहराक्षसों के लोक पहुँच गया और फिर वहाँ पर मेरे पिताजी का राज्याभिषेक करने का तय किया लेकिन पिताजी ने उसके लिए मना कर दिया और फिर उन्होंने उनके बदले मुझे सम्राट बनाया
गया जिसके बाद हम सब का जीवन हसी खुशी से कटने लगा
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NICE STORY BHAI MAZA A GAYA THANKSASHA KARTE HA JALD HE NEW STORY KE SATH A GAYEअध्याय सतहत्तर (अंतिम युद्ध)
अभी भद्रा अपने कमरे मे प्रिया और शांति के नग्न शरीर के नीचे दबकर बिना किसी चिंता के सो रहा था इस बात से अंजान की उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध मेरे तरफ पूरी गति से बढ़ते जा रहा है
आज के युद्ध मे जैसे ही मायासुर ko भद्रा की असलियत का पता चला वैसे ही उसने युद्ध क्षेत्र से अपने कदम पीछे ले लिया और अपनी दुम दबाकर भाग उठा और और सीधा वो पहुँच गया कालि के पास
ये कालि कोई और न होके वही गद्दार है जिसने असुरों की गुलामी स्वीकार करके अपने ही सम्राट अपने ही प्रजाति को धोख़ा दिया था ये है ब्रामहारक्षस प्रजाति का नया सम्राट
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और इतने सालों तक ब्रामहराक्षस प्रजाति पर राज करने से इसे ऐसा लगने लगा था की से कोई हरा ही नही सकता और इसी के चलते उसके मन मे घमंड पैदा हो गया था
और जब उसने सुना की उसका सालों पुराना शिकार त्रिलोकेश्वर और दमयंती का बेटा वापस आ गया है
तब उसके मन में अपना राज पाठ गंवाने का भय और अपने शिकार की खबर उसका शिकार करने की इच्छा और सबसे ज्यादा उसका घमंड जिसने क्रोध के रूप को धारण कर लिया था
जो उसके चेहरे साफ दिखाई दे रहा था और इन्ही सब कारणों की वजह से कालि ने अपने विश्वसनिया सैनिकों और योद्धाओं की टुकड़ी लेकर चल पड़ा कालविजय आश्रम की तरफ गुप्त हमला करने
तो वही मायासुर की सारी असुरी सेना तो खतम हो गयी थी इसीलिए अब मायासुर के पास इन ब्रामहारक्षसों की सेना के अलावा कोई भी और असुरी सैनिक नही था
और जब उसे लगा की इसके अलावा और कोई रास्ता नही है तो उसने गुरु शुक्राचार्य की उस खास सैन्य दल को भी इस युद्ध मे सम्मलित कर लिया जिन्हे शुक्राचार्य ने देवासुर युद्ध के लिए संभाल के रखा था
उस सैन्य दल को वरदान था की कोई भी सात्विक शक्ति उनका अंत नही कर शक्ति चाहे वो सप्त अस्त्र ही क्यों न हो और इसी कारण से मायासुर ने उस दल को भी अपने साथ युद्ध मे सामिल किया था
उसके पास सैन्य शक्ति केवल इतनी ही थी तो वही अस्त्रों के नाम पर केवल उसकी मायावी शक्तियाँ और शुक्राचार्य द्वारा दी ही तलवार यही थे
तो वही कालि ने भी इतने सालों से ब्रामहराक्षसों पर राज करने के साथ ही एक ऐसी शक्ति का निर्माण किया था जिसका इस्तेमाल केवल कोई उसके जैसा महाशक्तिशाली ब्रामहारक्षस ही कर सकता है
और उस शक्ति के मदद से वो किसी भी ब्रामहाराक्षस को बिना ब्रम्हास्त्र के भी खतम कर सकता था अब वो दोनों पृथ्वी लोक के सीमा तक पहुँच गए थे और वो अभी आगे बढ़ते
की तभी न जाने कहा से एक तीर सीधा आकर उनके पैरों के पास की जमीन पर लगा जिससे वो वही रुक गए और हमला करने वाले को ढूँढने लगे और जब वो हमलावर उनके सामने आया तो उसे देखकर उन दोनों को झटका लगा क्योंकि वो कोई और नही अपना भद्रा ही था (भद्रा के रूप में)
कुछ समय पहले
अभी मे अपने कमरे मे आराम से सो रहा था कि तभी मुझे कुछ अजीब सा एहसास होने लगा जिससे मेरा दम घुट रहा था इसीलिए मे अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गया
जहाँ पर खुले आसमान के नीचे अब मुझे थोड़ा बेहतर लग रहा था लेकिन फिर भी दिल मे कुछ बुरा बहुत ही बुरा होने का एहसास हो रहा था इसीलिए मे वही ध्यान मे बैठकर इसके पीछे की वजह ढूँढने लगा
और कुछ ही देर ऐसे ध्यान लगाने के बाद मुझे वो वजह भी दिखने लगी थी मुझे पृथ्वी लोक की सीमा पर मुझे कालि और मायासुर उनकी सेना के साथ दिख रहे थे
जिन्हे देखकर मेरे चेहरे पर शैतानी मुस्कान छा गया जिसके बाद मे बिना किसी को पता लगे हुए तुरंत वहाँ से निकल गया और जाने से पहले मैने आश्रम के चारों तरफ एक कवच लगा दिया
और उस कवच के उपर मैने एक ऐसे चक्रव्युव की रचना की जिसमे कदम रखते ही वो सब वही हालत होगी जो हर सुबह (peak hours me) लोकल पकड़ने वाले की होती हैं
(If you not understand this so search on google central railway in peak hours )
और अभी इस वक़्त मे अपने भद्रा वाले अवतार मे ही मायासुर और कालि के सामने खड़ा था और जब मायासुर ने कालि को मेरा परिचय बताया तो कालि मेरा इंसानी रूप देखकर मुझे कमजोर समझने लगा
उसके घमंड ने उसके आँखों पर इस कदर पट्टी बांध कर रखी थी उसने ये तक नही सोचा कि अगर मे कमजोर होता तो मायासुर उसके पास ऐसे बीच युद्ध से भागते न आता लेकिन हम कर भी क्या सकते है सच कहा है किसीने विनाश काले विपरीत बुद्धि
कालि :- (मेरा मजाक उड़ाते हुए) कितनी बुरी बात है ब्रामहराक्षसों का राजकुमार इतना कमजोर है ऐसे मे क्या होगा हमारे अगली पीढ़ी का
मे :- अगर तुम्हे मे इतना ही कमजोर लग रहा हूँ तो आओ आगे बढ़ो लढो मुझसे पता चल जायेगा
कालि :- आज तेरी मौत पक्की है लड़के तुझे मारकर तेरी माँ को मैं अपनी रखैल बनाकर रखूँगा
अब उसने ये बोलकर सारी सिमाये लाँघ दी थी और अब मेरा भी क्रोध काबू से बाहर हो गया था जिससे अब मेरा कुमार वाला रूप बाहर आ गया था जो देखकर मायासुर और बाकी सारे सैनिक डर रहे थे तो वही कालि के चेहरे पर मुस्कान छा गयी थी
मे (गुस्से मे) :- आज तूने तेरी सारी सिमाये लाँघ दी है कालि आज तु नही बचेगा
मेरा बोलना अभी पुरा होता की उससे पहले ही कालि ने मेरी तरफ एक आग का गोला फेक दिया जिससे बचने के लिए मे बाजू मे हट गया जिससे मेरा संतुलन बिगड़ गया
और मे जमीन पर गिर गया और जैसे ही मै गिरा वैसे ही वो कालि दौड़ते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा और इससे पहले मे कुछ कर पाता उसने तुरंत मेरे पेट मे लात मार दी जिसके कारण मे 5 कदम दूर जा गिरा
कालि :- क्या हुआ कुमार सारी हेकड़ी निकल गयी मैने सही कहा था बड़ा कमजोर है तू अब तेरे आँखों के सामने मे तेरे माँ का वस्त्र हरण ना किया तो मेरा नाम भी कालि नही
उसकी ये बात सुनकर अब मेरा दिमाग खराब हो गया था मैने तुरंत कुरुमा को बाहर बुलाया जिसे देखकर अब कालि की भी हट गयी थी मैने कुरुमा को सभी सैनिकों के तरफ भेज दिया
और मे खुद अब कालि के तरफ बढ़ने लगा अभी मै कुछ करता की तभी उस कालि ने फिर से एक और अग्नि गोले हमला किया लेकिन इस बार मै उस गोले के सामने मै खुद आ गया
और जैसे ही वो गोला मुझसे टकराया वैसे ही वो मेरे अंदर समा गया ये देख कर वो कालि दंग रह गया मायासुर ने अभी तक कालि को सप्तस्त्रों के बारे मे बताया नही था जिसके बाद मैने आगे बढ़कर एक लात सीधा कालि को मार दी जिसे वो सीधा 10 कदम दूर जाके गिर गया
मैं :- कालि आज तेरा और तेरे घमंड दोनों का अंतिम दिन है तेरे घमंड के वजह से तुमने आज तक कितने ही बड़े पाप किये है और उपर से तुमने जो भी अपशब्द मेरे मा के लिए इस्तेमाल किये है उसके बाद तुम्हारा तुम्हे खतम करना ही मेरी सर्वोत्तम जिम्मेदारि है
कालि :- तुम मेरा अंत करोगे बच्चे अपने प्राणों से प्रेम नही हैं क्या तुम्हे क्या लगा है मेरा एक हमला रोक लिया तो क्या तुम मुझे मारने के लिए सक्षम बन जाओगे आओ तुम्हारा ये अहंकार भी आज उतार दु
इतना बोलके वो तेजी से मेरे तरफ बढ़ने लगा ये देखकर मे भी तैयार हो गया और जैसे ही वो मेरे पास पहुँचा तो उसने तुरंत एक विद्युत तरंग सी हमला किया
लेकिन मे उससे बच गया और तुरंत मैने उसके उपर एक ऊर्जा प्रहार किया जिसे वो बचा गया फिर से हम दोनों मे युद्ध आरंभ हो गया लेकिन इस बार भी ना वो मुझे हरा पा रहा था और ना मे उस हरा पा रहा था लेकिन तभी मैने एक आग का गोला बनाकर उसकी तरफ भेज दिया जिससे वो उड़ कर दूर जाके गिरा
जिसके बाद वो फिर से खड़ा हो गया और अपने बाये हाथ को उपर की तरफ कर दिया जिससे उसके हाथ मे एक चमचमाती हुई तलवार आ गयी जिसे देखकर मेरे मन मे अजीब सा डर निर्माण होने लगा
क्योंकि ये तलवार वही तलवार थी जिससे किसी भी ब्रामहाराक्षस को खतम करने की ताकत रखती है जिसके बारे मे मुझे कुरुमा ne बता दिया था और जैसे ही कालि के हाथो मे वो तलवार आई
तो वो तुरंत ही भागते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा जो देख कर मैने तुरंत ही अपनी आँखे बंद कर के ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया
और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी बिल्कुल वैसे ही जैसे मुझे उस तीसरे पडाव को पार करते हुए दिखाई दे रहे थे और ऐसा होते ही मुझे कालि कछुए से भी धीमा दिखाई दे रहा था
जिसके बाद मे वहाँ से आगे बढ़कर उसके पास गया और उसके हाथ से वो तलवार बिल्कुल उसी तरह निकाल ली जैसे किसी 2 महीने बच्चे के हाथ से पानी की बोटेल छिनना और जैसे ही वो तलवार मेरे हाथ मे आई
मैने तुरंत उसकी गर्दन उसके धड़ से अलग कर दी जिसके बाद मैने सब फिर से पहले के जैसा कर दिया और जब कुरुमा से लढते हुए मायासुर ने ये देखा तो वो एक बार फिर से वहाँ से भागने लगा
तो वही अब तक कुरुमा ने सारे असुरों को और ब्रामहारक्षसों को जिंदा निगल लिया था जो देखकर उसकी और फट गयी थी जिसके बाद वो जैसे ही भागने का प्रयास करता मे उसके सामने आ कर खड़ा हो गया
और अपनी तलवार से सीधा उसकी भी गर्दन को धड़ से अलग कर दिया और जब ये खबर शुक्राचार्य को पता चली तो उसका क्रोध इतना बड़ा की उसने अपने सभी शक्तियों का स्मरण करके धरती पर हमला बोलने का तय किया
उन्होंने आज तक बहुत कोशिशे की थी की वो सप्तस्त्र उनके हो हो जाए लेकिन उनके हाथो मे केवल हार ही लगी उन्होंने हर तरह के षड्यंत्र रचे लेकिन उनका कोई भी षड्यंत्र उन्हे सप्तस्त्र नही दिला सका
जिस वजह से उन्हे मानसिक आघात पहुँचा था और इसी आघात के साथ उन्होंने पुरे विश्व मे अकाल प्रलय लाने का प्रयास किया लेकिन उस प्रलय को रोकने के लिए स्वयं प्रभु काशीनाथ आदिदेव बीच मे आगये और क्रोधवश आके उन्हे उनके ग्रह यानी शुक्र ग्रह मे सदा सदा के लिए कैद कर दिया
तो वही दूसरी तरफ उन दोनों को मारने के बाद मै आश्रम लौट आया और फिर अगले दिन मे माँ बाबा को साथ लेकर ब्रामहराक्षसों के लोक पहुँच गया और फिर वहाँ पर मेरे पिताजी का राज्याभिषेक करने का तय किया लेकिन पिताजी ने उसके लिए मना कर दिया और फिर उन्होंने उनके बदले मुझे सम्राट बनाया
गया जिसके बाद हम सब का जीवन हसी खुशी से कटने लगा
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THE END
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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय सतहत्तर (अंतिम युद्ध)
अभी भद्रा अपने कमरे मे प्रिया और शांति के नग्न शरीर के नीचे दबकर बिना किसी चिंता के सो रहा था इस बात से अंजान की उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध मेरे तरफ पूरी गति से बढ़ते जा रहा है
आज के युद्ध मे जैसे ही मायासुर ko भद्रा की असलियत का पता चला वैसे ही उसने युद्ध क्षेत्र से अपने कदम पीछे ले लिया और अपनी दुम दबाकर भाग उठा और और सीधा वो पहुँच गया कालि के पास
ये कालि कोई और न होके वही गद्दार है जिसने असुरों की गुलामी स्वीकार करके अपने ही सम्राट अपने ही प्रजाति को धोख़ा दिया था ये है ब्रामहारक्षस प्रजाति का नया सम्राट
जिसने असुरों के साथ मिलकर त्रिलोकेश्वर और दमयंती को मारने का प्रयास किया था और जब असुरो द्वारा उन्हे कैद कर लिया तो इसने असुरों की गुलामी कर त्रिलोकेश्वर का सम्राट पद ले लिया
और इतने सालों तक ब्रामहराक्षस प्रजाति पर राज करने से इसे ऐसा लगने लगा था की से कोई हरा ही नही सकता और इसी के चलते उसके मन मे घमंड पैदा हो गया था
और जब उसने सुना की उसका सालों पुराना शिकार त्रिलोकेश्वर और दमयंती का बेटा वापस आ गया है
तब उसके मन में अपना राज पाठ गंवाने का भय और अपने शिकार की खबर उसका शिकार करने की इच्छा और सबसे ज्यादा उसका घमंड जिसने क्रोध के रूप को धारण कर लिया था
जो उसके चेहरे साफ दिखाई दे रहा था और इन्ही सब कारणों की वजह से कालि ने अपने विश्वसनिया सैनिकों और योद्धाओं की टुकड़ी लेकर चल पड़ा कालविजय आश्रम की तरफ गुप्त हमला करने
तो वही मायासुर की सारी असुरी सेना तो खतम हो गयी थी इसीलिए अब मायासुर के पास इन ब्रामहारक्षसों की सेना के अलावा कोई भी और असुरी सैनिक नही था
और जब उसे लगा की इसके अलावा और कोई रास्ता नही है तो उसने गुरु शुक्राचार्य की उस खास सैन्य दल को भी इस युद्ध मे सम्मलित कर लिया जिन्हे शुक्राचार्य ने देवासुर युद्ध के लिए संभाल के रखा था
उस सैन्य दल को वरदान था की कोई भी सात्विक शक्ति उनका अंत नही कर शक्ति चाहे वो सप्त अस्त्र ही क्यों न हो और इसी कारण से मायासुर ने उस दल को भी अपने साथ युद्ध मे सामिल किया था
उसके पास सैन्य शक्ति केवल इतनी ही थी तो वही अस्त्रों के नाम पर केवल उसकी मायावी शक्तियाँ और शुक्राचार्य द्वारा दी ही तलवार यही थे
तो वही कालि ने भी इतने सालों से ब्रामहराक्षसों पर राज करने के साथ ही एक ऐसी शक्ति का निर्माण किया था जिसका इस्तेमाल केवल कोई उसके जैसा महाशक्तिशाली ब्रामहारक्षस ही कर सकता है
और उस शक्ति के मदद से वो किसी भी ब्रामहाराक्षस को बिना ब्रम्हास्त्र के भी खतम कर सकता था अब वो दोनों पृथ्वी लोक के सीमा तक पहुँच गए थे और वो अभी आगे बढ़ते
की तभी न जाने कहा से एक तीर सीधा आकर उनके पैरों के पास की जमीन पर लगा जिससे वो वही रुक गए और हमला करने वाले को ढूँढने लगे और जब वो हमलावर उनके सामने आया तो उसे देखकर उन दोनों को झटका लगा क्योंकि वो कोई और नही अपना भद्रा ही था (भद्रा के रूप में)
कुछ समय पहले
अभी मे अपने कमरे मे आराम से सो रहा था कि तभी मुझे कुछ अजीब सा एहसास होने लगा जिससे मेरा दम घुट रहा था इसीलिए मे अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गया
जहाँ पर खुले आसमान के नीचे अब मुझे थोड़ा बेहतर लग रहा था लेकिन फिर भी दिल मे कुछ बुरा बहुत ही बुरा होने का एहसास हो रहा था इसीलिए मे वही ध्यान मे बैठकर इसके पीछे की वजह ढूँढने लगा
और कुछ ही देर ऐसे ध्यान लगाने के बाद मुझे वो वजह भी दिखने लगी थी मुझे पृथ्वी लोक की सीमा पर मुझे कालि और मायासुर उनकी सेना के साथ दिख रहे थे
जिन्हे देखकर मेरे चेहरे पर शैतानी मुस्कान छा गया जिसके बाद मे बिना किसी को पता लगे हुए तुरंत वहाँ से निकल गया और जाने से पहले मैने आश्रम के चारों तरफ एक कवच लगा दिया
और उस कवच के उपर मैने एक ऐसे चक्रव्युव की रचना की जिसमे कदम रखते ही वो सब वही हालत होगी जो हर सुबह (peak hours me) लोकल पकड़ने वाले की होती हैं
(If you not understand this so search on google central railway in peak hours )
और अभी इस वक़्त मे अपने भद्रा वाले अवतार मे ही मायासुर और कालि के सामने खड़ा था और जब मायासुर ने कालि को मेरा परिचय बताया तो कालि मेरा इंसानी रूप देखकर मुझे कमजोर समझने लगा
उसके घमंड ने उसके आँखों पर इस कदर पट्टी बांध कर रखी थी उसने ये तक नही सोचा कि अगर मे कमजोर होता तो मायासुर उसके पास ऐसे बीच युद्ध से भागते न आता लेकिन हम कर भी क्या सकते है सच कहा है किसीने विनाश काले विपरीत बुद्धि
कालि :- (मेरा मजाक उड़ाते हुए) कितनी बुरी बात है ब्रामहराक्षसों का राजकुमार इतना कमजोर है ऐसे मे क्या होगा हमारे अगली पीढ़ी का
मे :- अगर तुम्हे मे इतना ही कमजोर लग रहा हूँ तो आओ आगे बढ़ो लढो मुझसे पता चल जायेगा
कालि :- आज तेरी मौत पक्की है लड़के तुझे मारकर तेरी माँ को मैं अपनी रखैल बनाकर रखूँगा
अब उसने ये बोलकर सारी सिमाये लाँघ दी थी और अब मेरा भी क्रोध काबू से बाहर हो गया था जिससे अब मेरा कुमार वाला रूप बाहर आ गया था जो देखकर मायासुर और बाकी सारे सैनिक डर रहे थे तो वही कालि के चेहरे पर मुस्कान छा गयी थी
मे (गुस्से मे) :- आज तूने तेरी सारी सिमाये लाँघ दी है कालि आज तु नही बचेगा
मेरा बोलना अभी पुरा होता की उससे पहले ही कालि ने मेरी तरफ एक आग का गोला फेक दिया जिससे बचने के लिए मे बाजू मे हट गया जिससे मेरा संतुलन बिगड़ गया
और मे जमीन पर गिर गया और जैसे ही मै गिरा वैसे ही वो कालि दौड़ते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा और इससे पहले मे कुछ कर पाता उसने तुरंत मेरे पेट मे लात मार दी जिसके कारण मे 5 कदम दूर जा गिरा
कालि :- क्या हुआ कुमार सारी हेकड़ी निकल गयी मैने सही कहा था बड़ा कमजोर है तू अब तेरे आँखों के सामने मे तेरे माँ का वस्त्र हरण ना किया तो मेरा नाम भी कालि नही
उसकी ये बात सुनकर अब मेरा दिमाग खराब हो गया था मैने तुरंत कुरुमा को बाहर बुलाया जिसे देखकर अब कालि की भी हट गयी थी मैने कुरुमा को सभी सैनिकों के तरफ भेज दिया
और मे खुद अब कालि के तरफ बढ़ने लगा अभी मै कुछ करता की तभी उस कालि ने फिर से एक और अग्नि गोले हमला किया लेकिन इस बार मै उस गोले के सामने मै खुद आ गया
और जैसे ही वो गोला मुझसे टकराया वैसे ही वो मेरे अंदर समा गया ये देख कर वो कालि दंग रह गया मायासुर ने अभी तक कालि को सप्तस्त्रों के बारे मे बताया नही था जिसके बाद मैने आगे बढ़कर एक लात सीधा कालि को मार दी जिसे वो सीधा 10 कदम दूर जाके गिर गया
मैं :- कालि आज तेरा और तेरे घमंड दोनों का अंतिम दिन है तेरे घमंड के वजह से तुमने आज तक कितने ही बड़े पाप किये है और उपर से तुमने जो भी अपशब्द मेरे मा के लिए इस्तेमाल किये है उसके बाद तुम्हारा तुम्हे खतम करना ही मेरी सर्वोत्तम जिम्मेदारि है
कालि :- तुम मेरा अंत करोगे बच्चे अपने प्राणों से प्रेम नही हैं क्या तुम्हे क्या लगा है मेरा एक हमला रोक लिया तो क्या तुम मुझे मारने के लिए सक्षम बन जाओगे आओ तुम्हारा ये अहंकार भी आज उतार दु
इतना बोलके वो तेजी से मेरे तरफ बढ़ने लगा ये देखकर मे भी तैयार हो गया और जैसे ही वो मेरे पास पहुँचा तो उसने तुरंत एक विद्युत तरंग सी हमला किया
लेकिन मे उससे बच गया और तुरंत मैने उसके उपर एक ऊर्जा प्रहार किया जिसे वो बचा गया फिर से हम दोनों मे युद्ध आरंभ हो गया लेकिन इस बार भी ना वो मुझे हरा पा रहा था और ना मे उस हरा पा रहा था लेकिन तभी मैने एक आग का गोला बनाकर उसकी तरफ भेज दिया जिससे वो उड़ कर दूर जाके गिरा
जिसके बाद वो फिर से खड़ा हो गया और अपने बाये हाथ को उपर की तरफ कर दिया जिससे उसके हाथ मे एक चमचमाती हुई तलवार आ गयी जिसे देखकर मेरे मन मे अजीब सा डर निर्माण होने लगा
क्योंकि ये तलवार वही तलवार थी जिससे किसी भी ब्रामहाराक्षस को खतम करने की ताकत रखती है जिसके बारे मे मुझे कुरुमा ne बता दिया था और जैसे ही कालि के हाथो मे वो तलवार आई
तो वो तुरंत ही भागते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा जो देख कर मैने तुरंत ही अपनी आँखे बंद कर के ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया
और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी बिल्कुल वैसे ही जैसे मुझे उस तीसरे पडाव को पार करते हुए दिखाई दे रहे थे और ऐसा होते ही मुझे कालि कछुए से भी धीमा दिखाई दे रहा था
जिसके बाद मे वहाँ से आगे बढ़कर उसके पास गया और उसके हाथ से वो तलवार बिल्कुल उसी तरह निकाल ली जैसे किसी 2 महीने बच्चे के हाथ से पानी की बोटेल छिनना और जैसे ही वो तलवार मेरे हाथ मे आई
मैने तुरंत उसकी गर्दन उसके धड़ से अलग कर दी जिसके बाद मैने सब फिर से पहले के जैसा कर दिया और जब कुरुमा से लढते हुए मायासुर ने ये देखा तो वो एक बार फिर से वहाँ से भागने लगा
तो वही अब तक कुरुमा ने सारे असुरों को और ब्रामहारक्षसों को जिंदा निगल लिया था जो देखकर उसकी और फट गयी थी जिसके बाद वो जैसे ही भागने का प्रयास करता मे उसके सामने आ कर खड़ा हो गया
और अपनी तलवार से सीधा उसकी भी गर्दन को धड़ से अलग कर दिया और जब ये खबर शुक्राचार्य को पता चली तो उसका क्रोध इतना बड़ा की उसने अपने सभी शक्तियों का स्मरण करके धरती पर हमला बोलने का तय किया
उन्होंने आज तक बहुत कोशिशे की थी की वो सप्तस्त्र उनके हो हो जाए लेकिन उनके हाथो मे केवल हार ही लगी उन्होंने हर तरह के षड्यंत्र रचे लेकिन उनका कोई भी षड्यंत्र उन्हे सप्तस्त्र नही दिला सका
जिस वजह से उन्हे मानसिक आघात पहुँचा था और इसी आघात के साथ उन्होंने पुरे विश्व मे अकाल प्रलय लाने का प्रयास किया लेकिन उस प्रलय को रोकने के लिए स्वयं प्रभु काशीनाथ आदिदेव बीच मे आगये और क्रोधवश आके उन्हे उनके ग्रह यानी शुक्र ग्रह मे सदा सदा के लिए कैद कर दिया
तो वही दूसरी तरफ उन दोनों को मारने के बाद मै आश्रम लौट आया और फिर अगले दिन मे माँ बाबा को साथ लेकर ब्रामहराक्षसों के लोक पहुँच गया और फिर वहाँ पर मेरे पिताजी का राज्याभिषेक करने का तय किया लेकिन पिताजी ने उसके लिए मना कर दिया और फिर उन्होंने उनके बदले मुझे सम्राट बनाया
गया जिसके बाद हम सब का जीवन हसी खुशी से कटने लगा
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THE END
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Behtreen update ke sath badhiya end kiya hai story kaअध्याय सतहत्तर (अंतिम युद्ध)
अभी भद्रा अपने कमरे मे प्रिया और शांति के नग्न शरीर के नीचे दबकर बिना किसी चिंता के सो रहा था इस बात से अंजान की उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध मेरे तरफ पूरी गति से बढ़ते जा रहा है
आज के युद्ध मे जैसे ही मायासुर ko भद्रा की असलियत का पता चला वैसे ही उसने युद्ध क्षेत्र से अपने कदम पीछे ले लिया और अपनी दुम दबाकर भाग उठा और और सीधा वो पहुँच गया कालि के पास
ये कालि कोई और न होके वही गद्दार है जिसने असुरों की गुलामी स्वीकार करके अपने ही सम्राट अपने ही प्रजाति को धोख़ा दिया था ये है ब्रामहारक्षस प्रजाति का नया सम्राट
जिसने असुरों के साथ मिलकर त्रिलोकेश्वर और दमयंती को मारने का प्रयास किया था और जब असुरो द्वारा उन्हे कैद कर लिया तो इसने असुरों की गुलामी कर त्रिलोकेश्वर का सम्राट पद ले लिया
और इतने सालों तक ब्रामहराक्षस प्रजाति पर राज करने से इसे ऐसा लगने लगा था की से कोई हरा ही नही सकता और इसी के चलते उसके मन मे घमंड पैदा हो गया था
और जब उसने सुना की उसका सालों पुराना शिकार त्रिलोकेश्वर और दमयंती का बेटा वापस आ गया है
तब उसके मन में अपना राज पाठ गंवाने का भय और अपने शिकार की खबर उसका शिकार करने की इच्छा और सबसे ज्यादा उसका घमंड जिसने क्रोध के रूप को धारण कर लिया था
जो उसके चेहरे साफ दिखाई दे रहा था और इन्ही सब कारणों की वजह से कालि ने अपने विश्वसनिया सैनिकों और योद्धाओं की टुकड़ी लेकर चल पड़ा कालविजय आश्रम की तरफ गुप्त हमला करने
तो वही मायासुर की सारी असुरी सेना तो खतम हो गयी थी इसीलिए अब मायासुर के पास इन ब्रामहारक्षसों की सेना के अलावा कोई भी और असुरी सैनिक नही था
और जब उसे लगा की इसके अलावा और कोई रास्ता नही है तो उसने गुरु शुक्राचार्य की उस खास सैन्य दल को भी इस युद्ध मे सम्मलित कर लिया जिन्हे शुक्राचार्य ने देवासुर युद्ध के लिए संभाल के रखा था
उस सैन्य दल को वरदान था की कोई भी सात्विक शक्ति उनका अंत नही कर शक्ति चाहे वो सप्त अस्त्र ही क्यों न हो और इसी कारण से मायासुर ने उस दल को भी अपने साथ युद्ध मे सामिल किया था
उसके पास सैन्य शक्ति केवल इतनी ही थी तो वही अस्त्रों के नाम पर केवल उसकी मायावी शक्तियाँ और शुक्राचार्य द्वारा दी ही तलवार यही थे
तो वही कालि ने भी इतने सालों से ब्रामहराक्षसों पर राज करने के साथ ही एक ऐसी शक्ति का निर्माण किया था जिसका इस्तेमाल केवल कोई उसके जैसा महाशक्तिशाली ब्रामहारक्षस ही कर सकता है
और उस शक्ति के मदद से वो किसी भी ब्रामहाराक्षस को बिना ब्रम्हास्त्र के भी खतम कर सकता था अब वो दोनों पृथ्वी लोक के सीमा तक पहुँच गए थे और वो अभी आगे बढ़ते
की तभी न जाने कहा से एक तीर सीधा आकर उनके पैरों के पास की जमीन पर लगा जिससे वो वही रुक गए और हमला करने वाले को ढूँढने लगे और जब वो हमलावर उनके सामने आया तो उसे देखकर उन दोनों को झटका लगा क्योंकि वो कोई और नही अपना भद्रा ही था (भद्रा के रूप में)
कुछ समय पहले
अभी मे अपने कमरे मे आराम से सो रहा था कि तभी मुझे कुछ अजीब सा एहसास होने लगा जिससे मेरा दम घुट रहा था इसीलिए मे अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गया
जहाँ पर खुले आसमान के नीचे अब मुझे थोड़ा बेहतर लग रहा था लेकिन फिर भी दिल मे कुछ बुरा बहुत ही बुरा होने का एहसास हो रहा था इसीलिए मे वही ध्यान मे बैठकर इसके पीछे की वजह ढूँढने लगा
और कुछ ही देर ऐसे ध्यान लगाने के बाद मुझे वो वजह भी दिखने लगी थी मुझे पृथ्वी लोक की सीमा पर मुझे कालि और मायासुर उनकी सेना के साथ दिख रहे थे
जिन्हे देखकर मेरे चेहरे पर शैतानी मुस्कान छा गया जिसके बाद मे बिना किसी को पता लगे हुए तुरंत वहाँ से निकल गया और जाने से पहले मैने आश्रम के चारों तरफ एक कवच लगा दिया
और उस कवच के उपर मैने एक ऐसे चक्रव्युव की रचना की जिसमे कदम रखते ही वो सब वही हालत होगी जो हर सुबह (peak hours me) लोकल पकड़ने वाले की होती हैं
(If you not understand this so search on google central railway in peak hours )
और अभी इस वक़्त मे अपने भद्रा वाले अवतार मे ही मायासुर और कालि के सामने खड़ा था और जब मायासुर ने कालि को मेरा परिचय बताया तो कालि मेरा इंसानी रूप देखकर मुझे कमजोर समझने लगा
उसके घमंड ने उसके आँखों पर इस कदर पट्टी बांध कर रखी थी उसने ये तक नही सोचा कि अगर मे कमजोर होता तो मायासुर उसके पास ऐसे बीच युद्ध से भागते न आता लेकिन हम कर भी क्या सकते है सच कहा है किसीने विनाश काले विपरीत बुद्धि
कालि :- (मेरा मजाक उड़ाते हुए) कितनी बुरी बात है ब्रामहराक्षसों का राजकुमार इतना कमजोर है ऐसे मे क्या होगा हमारे अगली पीढ़ी का
मे :- अगर तुम्हे मे इतना ही कमजोर लग रहा हूँ तो आओ आगे बढ़ो लढो मुझसे पता चल जायेगा
कालि :- आज तेरी मौत पक्की है लड़के तुझे मारकर तेरी माँ को मैं अपनी रखैल बनाकर रखूँगा
अब उसने ये बोलकर सारी सिमाये लाँघ दी थी और अब मेरा भी क्रोध काबू से बाहर हो गया था जिससे अब मेरा कुमार वाला रूप बाहर आ गया था जो देखकर मायासुर और बाकी सारे सैनिक डर रहे थे तो वही कालि के चेहरे पर मुस्कान छा गयी थी
मे (गुस्से मे) :- आज तूने तेरी सारी सिमाये लाँघ दी है कालि आज तु नही बचेगा
मेरा बोलना अभी पुरा होता की उससे पहले ही कालि ने मेरी तरफ एक आग का गोला फेक दिया जिससे बचने के लिए मे बाजू मे हट गया जिससे मेरा संतुलन बिगड़ गया
और मे जमीन पर गिर गया और जैसे ही मै गिरा वैसे ही वो कालि दौड़ते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा और इससे पहले मे कुछ कर पाता उसने तुरंत मेरे पेट मे लात मार दी जिसके कारण मे 5 कदम दूर जा गिरा
कालि :- क्या हुआ कुमार सारी हेकड़ी निकल गयी मैने सही कहा था बड़ा कमजोर है तू अब तेरे आँखों के सामने मे तेरे माँ का वस्त्र हरण ना किया तो मेरा नाम भी कालि नही
उसकी ये बात सुनकर अब मेरा दिमाग खराब हो गया था मैने तुरंत कुरुमा को बाहर बुलाया जिसे देखकर अब कालि की भी हट गयी थी मैने कुरुमा को सभी सैनिकों के तरफ भेज दिया
और मे खुद अब कालि के तरफ बढ़ने लगा अभी मै कुछ करता की तभी उस कालि ने फिर से एक और अग्नि गोले हमला किया लेकिन इस बार मै उस गोले के सामने मै खुद आ गया
और जैसे ही वो गोला मुझसे टकराया वैसे ही वो मेरे अंदर समा गया ये देख कर वो कालि दंग रह गया मायासुर ने अभी तक कालि को सप्तस्त्रों के बारे मे बताया नही था जिसके बाद मैने आगे बढ़कर एक लात सीधा कालि को मार दी जिसे वो सीधा 10 कदम दूर जाके गिर गया
मैं :- कालि आज तेरा और तेरे घमंड दोनों का अंतिम दिन है तेरे घमंड के वजह से तुमने आज तक कितने ही बड़े पाप किये है और उपर से तुमने जो भी अपशब्द मेरे मा के लिए इस्तेमाल किये है उसके बाद तुम्हारा तुम्हे खतम करना ही मेरी सर्वोत्तम जिम्मेदारि है
कालि :- तुम मेरा अंत करोगे बच्चे अपने प्राणों से प्रेम नही हैं क्या तुम्हे क्या लगा है मेरा एक हमला रोक लिया तो क्या तुम मुझे मारने के लिए सक्षम बन जाओगे आओ तुम्हारा ये अहंकार भी आज उतार दु
इतना बोलके वो तेजी से मेरे तरफ बढ़ने लगा ये देखकर मे भी तैयार हो गया और जैसे ही वो मेरे पास पहुँचा तो उसने तुरंत एक विद्युत तरंग सी हमला किया
लेकिन मे उससे बच गया और तुरंत मैने उसके उपर एक ऊर्जा प्रहार किया जिसे वो बचा गया फिर से हम दोनों मे युद्ध आरंभ हो गया लेकिन इस बार भी ना वो मुझे हरा पा रहा था और ना मे उस हरा पा रहा था लेकिन तभी मैने एक आग का गोला बनाकर उसकी तरफ भेज दिया जिससे वो उड़ कर दूर जाके गिरा
जिसके बाद वो फिर से खड़ा हो गया और अपने बाये हाथ को उपर की तरफ कर दिया जिससे उसके हाथ मे एक चमचमाती हुई तलवार आ गयी जिसे देखकर मेरे मन मे अजीब सा डर निर्माण होने लगा
क्योंकि ये तलवार वही तलवार थी जिससे किसी भी ब्रामहाराक्षस को खतम करने की ताकत रखती है जिसके बारे मे मुझे कुरुमा ne बता दिया था और जैसे ही कालि के हाथो मे वो तलवार आई
तो वो तुरंत ही भागते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा जो देख कर मैने तुरंत ही अपनी आँखे बंद कर के ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया
और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी बिल्कुल वैसे ही जैसे मुझे उस तीसरे पडाव को पार करते हुए दिखाई दे रहे थे और ऐसा होते ही मुझे कालि कछुए से भी धीमा दिखाई दे रहा था
जिसके बाद मे वहाँ से आगे बढ़कर उसके पास गया और उसके हाथ से वो तलवार बिल्कुल उसी तरह निकाल ली जैसे किसी 2 महीने बच्चे के हाथ से पानी की बोटेल छिनना और जैसे ही वो तलवार मेरे हाथ मे आई
मैने तुरंत उसकी गर्दन उसके धड़ से अलग कर दी जिसके बाद मैने सब फिर से पहले के जैसा कर दिया और जब कुरुमा से लढते हुए मायासुर ने ये देखा तो वो एक बार फिर से वहाँ से भागने लगा
तो वही अब तक कुरुमा ने सारे असुरों को और ब्रामहारक्षसों को जिंदा निगल लिया था जो देखकर उसकी और फट गयी थी जिसके बाद वो जैसे ही भागने का प्रयास करता मे उसके सामने आ कर खड़ा हो गया
और अपनी तलवार से सीधा उसकी भी गर्दन को धड़ से अलग कर दिया और जब ये खबर शुक्राचार्य को पता चली तो उसका क्रोध इतना बड़ा की उसने अपने सभी शक्तियों का स्मरण करके धरती पर हमला बोलने का तय किया
उन्होंने आज तक बहुत कोशिशे की थी की वो सप्तस्त्र उनके हो हो जाए लेकिन उनके हाथो मे केवल हार ही लगी उन्होंने हर तरह के षड्यंत्र रचे लेकिन उनका कोई भी षड्यंत्र उन्हे सप्तस्त्र नही दिला सका
जिस वजह से उन्हे मानसिक आघात पहुँचा था और इसी आघात के साथ उन्होंने पुरे विश्व मे अकाल प्रलय लाने का प्रयास किया लेकिन उस प्रलय को रोकने के लिए स्वयं प्रभु काशीनाथ आदिदेव बीच मे आगये और क्रोधवश आके उन्हे उनके ग्रह यानी शुक्र ग्रह मे सदा सदा के लिए कैद कर दिया
तो वही दूसरी तरफ उन दोनों को मारने के बाद मै आश्रम लौट आया और फिर अगले दिन मे माँ बाबा को साथ लेकर ब्रामहराक्षसों के लोक पहुँच गया और फिर वहाँ पर मेरे पिताजी का राज्याभिषेक करने का तय किया लेकिन पिताजी ने उसके लिए मना कर दिया और फिर उन्होंने उनके बदले मुझे सम्राट बनाया
गया जिसके बाद हम सब का जीवन हसी खुशी से कटने लगा
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THE END
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Nice update....अध्याय सतहत्तर (अंतिम युद्ध)
अभी भद्रा अपने कमरे मे प्रिया और शांति के नग्न शरीर के नीचे दबकर बिना किसी चिंता के सो रहा था इस बात से अंजान की उसके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध मेरे तरफ पूरी गति से बढ़ते जा रहा है
आज के युद्ध मे जैसे ही मायासुर ko भद्रा की असलियत का पता चला वैसे ही उसने युद्ध क्षेत्र से अपने कदम पीछे ले लिया और अपनी दुम दबाकर भाग उठा और और सीधा वो पहुँच गया कालि के पास
ये कालि कोई और न होके वही गद्दार है जिसने असुरों की गुलामी स्वीकार करके अपने ही सम्राट अपने ही प्रजाति को धोख़ा दिया था ये है ब्रामहारक्षस प्रजाति का नया सम्राट
जिसने असुरों के साथ मिलकर त्रिलोकेश्वर और दमयंती को मारने का प्रयास किया था और जब असुरो द्वारा उन्हे कैद कर लिया तो इसने असुरों की गुलामी कर त्रिलोकेश्वर का सम्राट पद ले लिया
और इतने सालों तक ब्रामहराक्षस प्रजाति पर राज करने से इसे ऐसा लगने लगा था की से कोई हरा ही नही सकता और इसी के चलते उसके मन मे घमंड पैदा हो गया था
और जब उसने सुना की उसका सालों पुराना शिकार त्रिलोकेश्वर और दमयंती का बेटा वापस आ गया है
तब उसके मन में अपना राज पाठ गंवाने का भय और अपने शिकार की खबर उसका शिकार करने की इच्छा और सबसे ज्यादा उसका घमंड जिसने क्रोध के रूप को धारण कर लिया था
जो उसके चेहरे साफ दिखाई दे रहा था और इन्ही सब कारणों की वजह से कालि ने अपने विश्वसनिया सैनिकों और योद्धाओं की टुकड़ी लेकर चल पड़ा कालविजय आश्रम की तरफ गुप्त हमला करने
तो वही मायासुर की सारी असुरी सेना तो खतम हो गयी थी इसीलिए अब मायासुर के पास इन ब्रामहारक्षसों की सेना के अलावा कोई भी और असुरी सैनिक नही था
और जब उसे लगा की इसके अलावा और कोई रास्ता नही है तो उसने गुरु शुक्राचार्य की उस खास सैन्य दल को भी इस युद्ध मे सम्मलित कर लिया जिन्हे शुक्राचार्य ने देवासुर युद्ध के लिए संभाल के रखा था
उस सैन्य दल को वरदान था की कोई भी सात्विक शक्ति उनका अंत नही कर शक्ति चाहे वो सप्त अस्त्र ही क्यों न हो और इसी कारण से मायासुर ने उस दल को भी अपने साथ युद्ध मे सामिल किया था
उसके पास सैन्य शक्ति केवल इतनी ही थी तो वही अस्त्रों के नाम पर केवल उसकी मायावी शक्तियाँ और शुक्राचार्य द्वारा दी ही तलवार यही थे
तो वही कालि ने भी इतने सालों से ब्रामहराक्षसों पर राज करने के साथ ही एक ऐसी शक्ति का निर्माण किया था जिसका इस्तेमाल केवल कोई उसके जैसा महाशक्तिशाली ब्रामहारक्षस ही कर सकता है
और उस शक्ति के मदद से वो किसी भी ब्रामहाराक्षस को बिना ब्रम्हास्त्र के भी खतम कर सकता था अब वो दोनों पृथ्वी लोक के सीमा तक पहुँच गए थे और वो अभी आगे बढ़ते
की तभी न जाने कहा से एक तीर सीधा आकर उनके पैरों के पास की जमीन पर लगा जिससे वो वही रुक गए और हमला करने वाले को ढूँढने लगे और जब वो हमलावर उनके सामने आया तो उसे देखकर उन दोनों को झटका लगा क्योंकि वो कोई और नही अपना भद्रा ही था (भद्रा के रूप में)
कुछ समय पहले
अभी मे अपने कमरे मे आराम से सो रहा था कि तभी मुझे कुछ अजीब सा एहसास होने लगा जिससे मेरा दम घुट रहा था इसीलिए मे अपने कमरे से निकल कर बाहर आ गया
जहाँ पर खुले आसमान के नीचे अब मुझे थोड़ा बेहतर लग रहा था लेकिन फिर भी दिल मे कुछ बुरा बहुत ही बुरा होने का एहसास हो रहा था इसीलिए मे वही ध्यान मे बैठकर इसके पीछे की वजह ढूँढने लगा
और कुछ ही देर ऐसे ध्यान लगाने के बाद मुझे वो वजह भी दिखने लगी थी मुझे पृथ्वी लोक की सीमा पर मुझे कालि और मायासुर उनकी सेना के साथ दिख रहे थे
जिन्हे देखकर मेरे चेहरे पर शैतानी मुस्कान छा गया जिसके बाद मे बिना किसी को पता लगे हुए तुरंत वहाँ से निकल गया और जाने से पहले मैने आश्रम के चारों तरफ एक कवच लगा दिया
और उस कवच के उपर मैने एक ऐसे चक्रव्युव की रचना की जिसमे कदम रखते ही वो सब वही हालत होगी जो हर सुबह (peak hours me) लोकल पकड़ने वाले की होती हैं
(If you not understand this so search on google central railway in peak hours )
और अभी इस वक़्त मे अपने भद्रा वाले अवतार मे ही मायासुर और कालि के सामने खड़ा था और जब मायासुर ने कालि को मेरा परिचय बताया तो कालि मेरा इंसानी रूप देखकर मुझे कमजोर समझने लगा
उसके घमंड ने उसके आँखों पर इस कदर पट्टी बांध कर रखी थी उसने ये तक नही सोचा कि अगर मे कमजोर होता तो मायासुर उसके पास ऐसे बीच युद्ध से भागते न आता लेकिन हम कर भी क्या सकते है सच कहा है किसीने विनाश काले विपरीत बुद्धि
कालि :- (मेरा मजाक उड़ाते हुए) कितनी बुरी बात है ब्रामहराक्षसों का राजकुमार इतना कमजोर है ऐसे मे क्या होगा हमारे अगली पीढ़ी का
मे :- अगर तुम्हे मे इतना ही कमजोर लग रहा हूँ तो आओ आगे बढ़ो लढो मुझसे पता चल जायेगा
कालि :- आज तेरी मौत पक्की है लड़के तुझे मारकर तेरी माँ को मैं अपनी रखैल बनाकर रखूँगा
अब उसने ये बोलकर सारी सिमाये लाँघ दी थी और अब मेरा भी क्रोध काबू से बाहर हो गया था जिससे अब मेरा कुमार वाला रूप बाहर आ गया था जो देखकर मायासुर और बाकी सारे सैनिक डर रहे थे तो वही कालि के चेहरे पर मुस्कान छा गयी थी
मे (गुस्से मे) :- आज तूने तेरी सारी सिमाये लाँघ दी है कालि आज तु नही बचेगा
मेरा बोलना अभी पुरा होता की उससे पहले ही कालि ने मेरी तरफ एक आग का गोला फेक दिया जिससे बचने के लिए मे बाजू मे हट गया जिससे मेरा संतुलन बिगड़ गया
और मे जमीन पर गिर गया और जैसे ही मै गिरा वैसे ही वो कालि दौड़ते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा और इससे पहले मे कुछ कर पाता उसने तुरंत मेरे पेट मे लात मार दी जिसके कारण मे 5 कदम दूर जा गिरा
कालि :- क्या हुआ कुमार सारी हेकड़ी निकल गयी मैने सही कहा था बड़ा कमजोर है तू अब तेरे आँखों के सामने मे तेरे माँ का वस्त्र हरण ना किया तो मेरा नाम भी कालि नही
उसकी ये बात सुनकर अब मेरा दिमाग खराब हो गया था मैने तुरंत कुरुमा को बाहर बुलाया जिसे देखकर अब कालि की भी हट गयी थी मैने कुरुमा को सभी सैनिकों के तरफ भेज दिया
और मे खुद अब कालि के तरफ बढ़ने लगा अभी मै कुछ करता की तभी उस कालि ने फिर से एक और अग्नि गोले हमला किया लेकिन इस बार मै उस गोले के सामने मै खुद आ गया
और जैसे ही वो गोला मुझसे टकराया वैसे ही वो मेरे अंदर समा गया ये देख कर वो कालि दंग रह गया मायासुर ने अभी तक कालि को सप्तस्त्रों के बारे मे बताया नही था जिसके बाद मैने आगे बढ़कर एक लात सीधा कालि को मार दी जिसे वो सीधा 10 कदम दूर जाके गिर गया
मैं :- कालि आज तेरा और तेरे घमंड दोनों का अंतिम दिन है तेरे घमंड के वजह से तुमने आज तक कितने ही बड़े पाप किये है और उपर से तुमने जो भी अपशब्द मेरे मा के लिए इस्तेमाल किये है उसके बाद तुम्हारा तुम्हे खतम करना ही मेरी सर्वोत्तम जिम्मेदारि है
कालि :- तुम मेरा अंत करोगे बच्चे अपने प्राणों से प्रेम नही हैं क्या तुम्हे क्या लगा है मेरा एक हमला रोक लिया तो क्या तुम मुझे मारने के लिए सक्षम बन जाओगे आओ तुम्हारा ये अहंकार भी आज उतार दु
इतना बोलके वो तेजी से मेरे तरफ बढ़ने लगा ये देखकर मे भी तैयार हो गया और जैसे ही वो मेरे पास पहुँचा तो उसने तुरंत एक विद्युत तरंग सी हमला किया
लेकिन मे उससे बच गया और तुरंत मैने उसके उपर एक ऊर्जा प्रहार किया जिसे वो बचा गया फिर से हम दोनों मे युद्ध आरंभ हो गया लेकिन इस बार भी ना वो मुझे हरा पा रहा था और ना मे उस हरा पा रहा था लेकिन तभी मैने एक आग का गोला बनाकर उसकी तरफ भेज दिया जिससे वो उड़ कर दूर जाके गिरा
जिसके बाद वो फिर से खड़ा हो गया और अपने बाये हाथ को उपर की तरफ कर दिया जिससे उसके हाथ मे एक चमचमाती हुई तलवार आ गयी जिसे देखकर मेरे मन मे अजीब सा डर निर्माण होने लगा
क्योंकि ये तलवार वही तलवार थी जिससे किसी भी ब्रामहाराक्षस को खतम करने की ताकत रखती है जिसके बारे मे मुझे कुरुमा ne बता दिया था और जैसे ही कालि के हाथो मे वो तलवार आई
तो वो तुरंत ही भागते हुए मेरे तरफ बढ़ने लगा जो देख कर मैने तुरंत ही अपनी आँखे बंद कर के ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया
और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी बिल्कुल वैसे ही जैसे मुझे उस तीसरे पडाव को पार करते हुए दिखाई दे रहे थे और ऐसा होते ही मुझे कालि कछुए से भी धीमा दिखाई दे रहा था
जिसके बाद मे वहाँ से आगे बढ़कर उसके पास गया और उसके हाथ से वो तलवार बिल्कुल उसी तरह निकाल ली जैसे किसी 2 महीने बच्चे के हाथ से पानी की बोटेल छिनना और जैसे ही वो तलवार मेरे हाथ मे आई
मैने तुरंत उसकी गर्दन उसके धड़ से अलग कर दी जिसके बाद मैने सब फिर से पहले के जैसा कर दिया और जब कुरुमा से लढते हुए मायासुर ने ये देखा तो वो एक बार फिर से वहाँ से भागने लगा
तो वही अब तक कुरुमा ने सारे असुरों को और ब्रामहारक्षसों को जिंदा निगल लिया था जो देखकर उसकी और फट गयी थी जिसके बाद वो जैसे ही भागने का प्रयास करता मे उसके सामने आ कर खड़ा हो गया
और अपनी तलवार से सीधा उसकी भी गर्दन को धड़ से अलग कर दिया और जब ये खबर शुक्राचार्य को पता चली तो उसका क्रोध इतना बड़ा की उसने अपने सभी शक्तियों का स्मरण करके धरती पर हमला बोलने का तय किया
उन्होंने आज तक बहुत कोशिशे की थी की वो सप्तस्त्र उनके हो हो जाए लेकिन उनके हाथो मे केवल हार ही लगी उन्होंने हर तरह के षड्यंत्र रचे लेकिन उनका कोई भी षड्यंत्र उन्हे सप्तस्त्र नही दिला सका
जिस वजह से उन्हे मानसिक आघात पहुँचा था और इसी आघात के साथ उन्होंने पुरे विश्व मे अकाल प्रलय लाने का प्रयास किया लेकिन उस प्रलय को रोकने के लिए स्वयं प्रभु काशीनाथ आदिदेव बीच मे आगये और क्रोधवश आके उन्हे उनके ग्रह यानी शुक्र ग्रह मे सदा सदा के लिए कैद कर दिया
तो वही दूसरी तरफ उन दोनों को मारने के बाद मै आश्रम लौट आया और फिर अगले दिन मे माँ बाबा को साथ लेकर ब्रामहराक्षसों के लोक पहुँच गया और फिर वहाँ पर मेरे पिताजी का राज्याभिषेक करने का तय किया लेकिन पिताजी ने उसके लिए मना कर दिया और फिर उन्होंने उनके बदले मुझे सम्राट बनाया
गया जिसके बाद हम सब का जीवन हसी खुशी से कटने लगा
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THE END
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