अध्याय ११
कपड़े बदलने में और अपना सामान समेटने में मुझे ज्यादा देर नहीं लगी|
अब मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करूं| मुझे वापस लौटना ही था; पर क्या मैं जाने से पहले ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा से मिलकर जाऊं या नहीं यह मेरी समझ में नहीं आ रहा था|
इसलिए मैं लॉकर रूम में रखे एक बेंच पर कुछ देर तक बैठी रही|
इतने में जद्दनबाई ने लॉकर रूम के बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खोला और फिर मुस्कुराती हुई मुझसे बोली, "मिस, आप जाकर मैडम (मैरी डिसूजा) से एक बार मिल लीजिए... उनका ऑफिस ग्राउंड फ्लोर पर है... आप लिफ्ट से ऊपर जाइए लिफ्ट से निकलकर बाई तरफ का दूसरा कमरा उनका ऑफिस है"
"ठीक है"
जब मैं मैरी डिसूजा के ऑफिस में पहुंची तब वहां अकेली थी| वह अधेड़ उम्र का आदमी भी जा चुका था और टॉम भी... मेरा मन थोड़ा सा भारी हो गया... न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि टॉम को एक बार जाने से पहले मुझसे मिलकर जाना चाहिए था|
मैंने इतनी देर ब्लू मून क्लब में बिताया... पर बहुत ही ताज्जुब की बात है, मैरी डिसूजा अभी भी बिल्कुल वैसी ही तरोताजा और खूबसूरत लग रही थी जैसा कि मैंने उन्हें सुबह देखा था|
मैरी डिसूजा ने एक प्यार भरी मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया और अब मैं मन ही मन सोचने लगी... हमें एक ब्लू मून क्लब में आई हूं जोकि एक सेक्सुअली ओरिएंटेड एंटरटेनमेंट (यौन उन्मुख मनोरंजन क्लब) क्लब है...
मैंने यहां काफी देर तक वक्त बिताया... सर्विस के नाम पर मैंने अपना सब कुछ यहां न्योछावर कर दिया अब शायद मुझे पैसे भी देने पड़ेंगे... और यहां की फीस शायद बहुत ही मोटी तगड़ी होगी|
मैरी डिसूजा ने कहा, "तो पीयाली, तुम्हें यहां की सर्विस कैसी लगी?"
मैंने कहा, "जी बहुत ही अच्छी..."
"तुम्हें उम्मीद करती हूं कि तुम अपनी सहेलियों और दोस्तों को भी हमारी सर्विस के बारे में जरूर बताओगी?"
"जी, हां... जरूर"
"बड़ी अच्छी बात है, मैं तुम्हें यह भी बताना चाहती हूं कि हम लोग यहां ब्यूटी पार्लर का कोर्स भी करवाते हैं... और साथ में हम मसाज पार्लर का कोर्स भी करवाते हैं... और इसके अलावा हमारे यहां योगा के क्लासेज भी चलते हैं"
"बड़ी अच्छी बात है... तो आपके पास क्या कोई प्रचार पत्र या फ्लावर वगैरह कुछ है?"
मैरी डिसूजा मेरी तरफ इरादे भरी निगाह से देख कर मुस्कुराई और फिर बोली, "हां है"
यह कहकर उन्होंने मुझे एक ब्रोशर थमा दिया| मैंने देखा कि इसमें विभिन्न सौंदर्य पाठ्यक्रमों के बारे में लिखा है... प्रत्येक पाठ्यक्रम की फीस बहुत ही महंगी है।
पता नहीं क्यों मैं पर्चा पढ़ने में इतना मशगूल हो गया था कि पता ही नहीं चला कि कब मैडम मेरे बगल में खड़ी थी।
फिर मैरी डिसूजा ने मुझसे कहा, "तुमने कहा था कि तुम्हारे पति मर्चेंट नेवी में काम करते हैं... और ज्यादातर घर से बाहर ही रहते हैं"
"हाँ..."
"यानी तुम घर में ज्यादातर अकेली ही रहती हो? राइट?"
मैंने चुपचाप स्वीकृति में अपना सर हिलाया|
" तुम्हें तुमसे एक बात कहना चाहती हूं, हम लोगों के यहां एक और कैंपेन यानी कि अभियान भी चल रहा है"- यह कह कर उन्होंने मुझे एक दूसरा फ्लायर पकड़ाया|
उसमें लिखा हुआ था-
हमारा एक व्यापक अभियान चल रहा है जिसके लिए हमें उदार विचारधारा वाली युवतियों की है तत्काल आवश्यकता है| पूरी गोपनीयता संतुष्टि और उच्च प्रतिफल की गारंटी...
मैंने हैरान होकर पूछा, "इसका मतलब क्या है?"
मैरी डिसूजा ने कहा, "तुम एक बहुत ही खूबसूरत लड़की हो, पीयाली... तुम्हें देखकर ऐसा लगता है कि तुम 20 या 22 साल की ही हो- एकदम एक कॉलेज गर्ल-... तुम्हारे बाल लंबे घुंघराले और घने है... लेकिन इनकी थोड़ी देखभाल करने की जरूरत है... तुम्हारा फिगर भी अच्छा है... तुम्हारे स्तन बड़े-बड़े सुडौल और तने तने से हैं... तुम्हारे कूल्हे मांसल है और कमर पतली... जिन्हें देखकर कोई भी मर्द दीवाना हो सकता है... लेकिन तुम्हें अपने तन और बदन की देखभाल करने की बहुत जरूरत है, क्योंकि मैं देख रही हूं कि यहां वहां थोड़ी बहुत ना पसंदीदा चर्बी जम रही है… तुम यूं ही घर में पड़े पड़े सड़ने के बजाय हमारे क्लब की मेंबर क्यों नहीं बन जाती?... कुछ दिनों तक अगर तुम हमारे यहां योगा और जिम करोगी तो तुम्हारा फिगर और उभर कर आएगा और रूप ही निखर आएगा जिसकी वजह से तुम और भी खूबसूरत और सेक्सी दिखने लगोगी... और उसके बाद अगर तुम हमारे यहां की मेंबर बन गई, तो तुम्हें हर सर्विस के लिए अच्छे पैसे मिलेंगे... अधेड़ उम्र के लोग और विदेशी तो तुम्हारे जैसी लड़की की सर्विस के लिए और ज्यादा पैसे देंगे"
मैंने हैरानी से फटी फटी आंखों से मैरी डिसूजा की तरफ देखा और बोली, "मैडम यह आप क्या कह रही हैं?"
"मैं सच कह रही हूं.... फिलहाल तुम जवान हो, खूबसूरत हो... यौवन का रस तुम्हारे बदन से चू चू कर टपक रहा है... तुम्हारा खून गर्म है" यह कहते कहते मैडम मेरे बालों और गालों में हाथ फिरती हुई हल्के से मेरे एक स्तन को सहलाती बोली, " तुम्हारे बदन में अभी जवानी का कसर और कसाव बरकरार है... तुम्हारी आंखों और चेहरे में एक चमक है... लेकिन जैसे-जैसे तुम्हारी उम्र बढ़ेगी, तुम्हारी जवानी भी ढलेगी तुम्हारे बदन का कसाव और जवानी का रस धीरे-धीरे सूखता जाएगा... और तुम्हारी रौनक धीरे-धीरे फीकी पड़ने लगेगी... तुम्हारी योनि भी उम्र के साथ-साथ धीरे-धीरे सुस्त हो जाएगी... इस तरह अकेले घर में पड़े पड़े अपनी जवानी को बर्बाद मत करो पीयाली... घर में सिर्फ एक उपेक्षित गृहिणी बन कर रहने के बजाय तुम हमारे क्लब की मेंबर बन सकती हो और जीवन का आनंद उठा सकती हो"
"लेकिन” आज सुबह से लेकर अब तक जो घटनाएं मेरे साथ घट रही थी उन सबको समझने में और सुलझाने में मुझे थोड़ी दिक्कत आ रही थी और मैरी डिसूजा उस वक्त तक मेरे स्तनों को प्यार से सहला रही थी और पता नहीं क्यों मुझे यह अच्छा भी लग रहा था इसलिए मैंने कोई विरोध नहीं किया|
मेरी हिचकिचाहट को भाँप कर मैरी डिसूजा ने गहरी सांस ली और उसके बाद उन्होंने अपना आंचल हटा दिया और अपने ब्लाउज के बटन खोल कर अपने स्तनों को नंगा कर दिया और फिर उन्होंने मेरे चेहरे को अपने सीने से लगा लिया... मैं थोड़ा घबरा गई लेकिन उनके तन की छुअन और उनके बदन की खुशबू से मुझे न जाने क्यों एक अजीब तरह का सुकून महसूस हो रहा था|
"सुन मेरी बच्ची, आज तक मैंने अपनी जिंदगी में बहुत से उतार-चढ़ाव देखे हैं... एक वक्त ऐसा था जब मुझे एक वक्त का खाना नसीब होता था और दूसरे वक्त के लिए मैं सोच में पड़ जाती थी... लेकिन भाग्य ने मुझे एक मौका दिया और उसके बाद मैंने कभी भी अपने आप को और अपनी जरूरतों को नजरअंदाज नहीं किया... और मैंने खुद को बहुत अच्छी तरह से मेंटेन करके रखनी कोशिश हमेशा जारी रखें..."
जाहिर सी बात है| शायद इसीलिए ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा जो कि लगभग एक जवान लड़की की मां की उम्र की होंगी लेकिन उनकी खूबसूरती, फिगर और व्यक्तित्व के आकर्षणको देखकर अच्छे-अच्छे मर्द तो क्या जवान जवान लड़के भी लट्टू हो जाएं|
मैरी डिसूजा ने बोलना जारी रखा, "टॉम यह कह रहा था कि तेरे साथ सहवास करके उसे ऐसा लग रहा था कि वह किसी कुंवारी लड़की को भोग रहा है... उसने तो यहां तक भी कहा था कि तेरी थोड़ी बहुत ब्लीडिंग (रक्तपात) भी हुई थी... जब तेरा पति छुट्टी मनाने घर आता है तो क्या तेरे साथ सहवास नहीं करता?"
अब तो मेरी आंखों में आंसू आ गए और मैं अनजाने में ही मैरी डिसूजा से लिपट गई... वह 'तुम' से 'तू' पर आ गई थी... मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद हम दोनों के बीच कोई रिश्ता कायम हो चुका है... और वैसे भी यह कुदरत का करिश्मा ही था कि हम दोनों की शक्ल में काफी हद तक मिलती-जुलती थी... यहां तक कि कोई अनजान आदमी अगर हम दोनों को एक साथ देख ले तो वह यही कहेगा कि शायद हम मां बेटी है|
अब मैंने खुलकर मैरी डिसूजा से पूछा, "तो क्या आप मुझे एक वेश्या बनने के लिए बोल रही है?"
"वेश्या?" मैरी डिसूजा ठहाका मारकर हंस पड़ी, "अरे पगली... हम जिन्हें वैश्या कह कर दुत्कारते हैं, दुनिया वालों को तो उनकी अहमियत का पता ही नहीं... उनकी आंगन की मिट्टी के बिना तो देवी की की मूर्ति बनेगी ही नहीं... और जो लोग इस लाइन में आते हैं ज्यादातर लोग तो मजबूरी में आते हैं... घर में छोटे भाई को कैंसर है... पिता जुआ खेलकर कर्ज में डूबा हुआ है... घर गिरवी पड़ा हुआ है... एक पैसा भी नहीं है... बहन को थैलेसीमिया है... वगैरा-वगैरा... यह सारी बातें कोई नहीं समझेगा लेकिन... जो लड़कियां इस लाइन पर आती है वह तो घर की पूरी की पूरी जिम्मेदारी है अपने कंधों पर उठा लेती है इस बात पर तो कोई और नहीं करता... और वैसे भी देवदासी प्रथा तो सैकड़ों सालों से चली आ रही है- यह कोई पाश्चात्य (Western) सभ्यता का असर नहीं है... मैं तो यही कहूंगी कि पश्चिमी देशों में जो भी सीखा है वह हम लोगों से सीखा है... क्योंकि हमारी सभ्यता बहुत ही प्राचीन है"
पता नहीं मुझे क्यों ऐसा लग रहा था कि शायद मैरी डिसूजा अपने अतीत के बारे में कुछ बता रही हो|
फिर उन्होंने कहा, "लेकिन तेरी हालत ऐसी नहीं है, तू एक अच्छे घर की लड़की है... तेरे पास पैसों की कमी नहीं है... पर तू बिल्कुल उपेक्षित है... और हमारा यह क्लब तेरे जैसी लड़कियों के लिए ही बना है... क्योंकि यह क्लब दोस्ती करने मेलजोल बढ़ाने का एक बहुत ही शानदार तरीका है"
अब मैं मन ही मन सोचने लगी, मेरी जड़े तो पाँक पाड़ा गांव तक जाती है...
वहां तो लेचारी प्रथा आम बात है…. इसकी बदौलत अच्छे-अच्छे घरों की लड़कियां, बहुएं या फिर औरतें अक्सर दूसरे मर्दो के साथ संबंध बना लेती हैं...
इससे उनका अकेलापन भी दूर हो जाता था और फिर घर खर्च या फिर इधर-उधर की जरूरतों के लिए मुझे पैसे या फिर उनकी जरूरतें मैं पूरी हो जाती थी|
है भले ही यह व्यभिचार हो लेकिन इस प्रथा को चुपके चुपके हमारे समाज में स्वीकृति भी दी गई है...
इसलिए लेचारी प्रथा और यहां की मेंबरशिप में मुझे कुछ खास फर्क तो दिखा नहीं|
लेकिन फिर भी मेरे अंदर थोड़ी बहुत हिचकिचाहट भरी हुई थी मैंने कहा, "लेकिन..."
"फिर से वही लेकिन वेकिन?" मैरी डिसूजा ने मानो एक प्यार भरे अंदाज में मुझे डांटते हुए कहा, "अगर अंग्रेजी के 'if' और 'but' फल और मेवे होते तो सोचो आने वाली क्रिसमस कितनी सुंदर होती... अब जरा ध्यान से सोच लड़की... रूप लावण्य और सुंदरता ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती... हमारे यहां जो भी होता है वह सब कुछ जायज और उदार मानसिकता के अनुसार ही होता है... और हमारे यहां कोई पाबंदी नहीं है... हमारे पास हाई प्रोफाइल क्लाइंट्स है और तेरे जैसी हाई प्रोफाइल लड़कियां भी... अगर कोई अपॉइंटमेंट मिले तो मैं तुझे पहले से ही फोन पर बता दूंगी..."
पता नहीं क्यों बातों ही बातों में मैं खुद को मैरी डिसूजा की बहुत ही करीब महसूस कर रही थी|
उन्होंने मेरी जिंदगी के रास्ते में एक नया मोड़ दिखा दिया था... अब यह मुझ पर निर्भर कर रहा था कि मैं उस रास्ते चलूं कि नहीं...
मेरा मन एक अजीब से दोराहे पर खड़ा था....
क्रमशः