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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

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Update:-122




तकरीबन 10 मिनट बाद वहां से ऑडियो और वीडियो दोनो आने बंद हो गए। ऑपरेटर हेल्लो, हेल्लो करता रह गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। ऑपरेटर अजय से जब ये गुत्थी नहीं सुलझी, तब वो आनन फानन में गोवा के लोकल गैंग से संपर्क किया और 2 करोड़ की एक डील तय करके आधे पैसे उन तक पहुंचा दिए।


लोकल गैंग के लिए लाख रुपए में कत्ल करना कोई बड़ी बात नहीं थी, यहां तो मामला करोड़ में था। तकरीबन 20 गुंडों की टीम मोरजिम बीच के लिए रवाना हो गई। आरव और लावणी दोनो एक छोटे से पत्थर पर बैठकर सुबह के हसीन नजारा का लुफ्त उठा रहे थे।


इधर 20 लोगों की टीम जब निकली तो वो भी ऑडियो और वीडियो के साथ कनेक्ट होकर निकली थी। ये लोग जंगल में छिपकर, बड़ी सी स्निपर राइफल निकालकर, चुपके से निशाना लगाने वालों में से नहीं थे, बल्कि सीधा घुसो मारकर निकलो वाली नीति थी।


4 जीप में 5-5 लोग सवार होकर, घनघनाते हुए, मोरजिम बीच पर अपनी गाड़ी आगे बढाते टारगेट की पहचान करने लगे। बीच के दूसरे किनारे टारगेट की पहचान हो गई। फिर तो जीप पूरे पिकअप के साथ आगे बढ़ी। लेकिन जीप जब आधे रास्ते पर थी, तभी समुद्र के लहरों के साथ 20-25 अनियंत्रित जेट-की हवा से छलांग लगती एक साथ चारो जीप से टकराई।


क्या नजारा था वो जेट-की उड़ती हुई सीधा जीप के ऊपर गिर रही थी और उनके घेरे में तो वो सभी जीप दिखना ही बंद हो गए थे। ऑपरेट और कमांड दे रहे अजय को, गोवा में क्या चल रहा है कुछ भी समझ में ही नहीं आ रहा था। पहले 9 लोग गायब हो गए, अब ये 20 लोग गंभीर रूप से घायल होकर हॉस्पिटल में। ऊपर से कोई जवाब तक नहीं दे पा रहा था।


सुबह के 5 से 6 बजे के खेल में लोकेश के टारगेट को भनक तक ना लगी कि उसपर जानलेवा हमला होने वाला है और किसी ने आकर उसके पूरे गेम की बैंड बजा दी। अजय कुछ सोचकर गोवा के ऑपरेशन को होल्ड में डालकर मुंबई और दिल्ली पर फोकस करने लगा।


अजय को लगने लगा था कि अपस्यु ही इकलौता सबको मॉनिटर कर रहा है और यदि अपस्यु साफ हो गया तो नंदनी का पूरा परिवार साफ हो जाएगा। वक़्त था एक जल्दी एक्शन का इसलिए अजय ने तुरंत 4 बेस्ट फाइटर को अपस्यु के फ्लैट पर ही रवाना होने बोल दिया।


8 बजे तक वो चारो अपस्यु के अपार्टमेंट में थे और निर्भीक होकर फ्लैट नंबर 301 के लिए बढ़ने लगे। ये चारो भी ऑडियो वीडियो के साथ आगे बढ़ रहे थे। चारो, चोरी से जैसे ही अपस्यु के घर में दाखिल हुए, गेट अपने आप की लॉक हो गया। सारे मीडिया कनेक्शन ऑटोमेटिक डिस्कनेक्ट हो गए। अजय हेल्लो-हेल्लो करता रह गया लेकिन उधर से कोई आवाज़ नहीं आया।


इधर जैसे ही वो चारो अंदर दाखिल हुए, अपस्यु आराम से डायनिंग टेबल पर बैठकर सूप पी रहा था और अपने कंप्यूटर स्क्रीन को देख रहा था। चारो अंदर आते ही अपस्यु को देखकर तेजी दिखाते हुए, आव देखा ना ताव और एसएमजी (smg) से फायरिंग शुरू कर दी।


बौखलाहट में फायरिंग तो शुरू कर दिया, लेकिन पूरे मैगज़ीन खाली करने के बाद भी अपस्यु वहीं बैठकर आराम से अब भी सूप पी रहा था। चारो अपनी बड़ी सी आखें किए बस अपस्यु को ही देख रहे थे…. "अबे वो काल्पनिक इमेज देख रहे हो, होलोग्राम वाली गधे।"


चारो ओर से अपस्यु की आवाज़ गूंजने लगी और आवाज़ के साथ ही अपस्यु ने एक छोटा सा कमांड दिया और दीवार के अंदर से कई सारी पतली पाइप निकल आयी। देखते ही देखते उनसे निडिल निकलकर उन चारो के बदन में घुस गए। चारो वहीं बेहोश।


अजय ने जिनको भेजा था वो चार केवल ट्रेंड प्रोफेशनल नहीं थे बल्कि वो लोकेश के टीम के वो जल्लाद थे, जिन्होंने आज तक हार का मुंह नहीं देखा था। अजय का इन लोगों से भी संपर्क टूट चुका था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे क्या ना करें। अजय को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके दिमाग के नसों की सारी वायरिंग ही ढीली पर चुकी है।


बौखलाए अजय ने दिल्ली में कई सक्रिय गैंग से संपर्क किया लेकिन जब सबने टारगेट डिटेल मांगी और नाम अपस्यु रघुवंशी का आया, तो किसी ने भी काम हाथ में नहीं लिया, क्योंकि सिन्हा जी के होने वाला दामाद और होने मिनिस्टर का मुंह बोले बेटे से किसी भी कीमत पर पंगा लेने की हिम्मत किसी में नहीं थी।


सबका एक ही बात कहना था, कुछ दिन पहले अपस्यु रघुवंशी और उसकी होने वाली बीवी ऐमी सिन्हा पर पार्किंग में हमला हुआ था, दोनो तो बच गए लेकिन उसी रात दिल्ली में तूफान सा आया था। एक पूरी लोकल गैंग गायब हो गई। उस लोकल गैंग को जिस प्रोफेशनल ने हायर किया था उनकी लाश उसी के अपार्टमेंट से निकली और जिसने मर्डर प्लान किया था, उसे घर में घुसकर गोली मारी थी। यहां प्रशाशन से बढ़कर कोई गुंडा नहीं, अपस्यु रघुवंशी को दिल्ली में मारने का मतलब है, खुद के मौत की तैयारी कर लो, फिर 500 करोड़ की डील हो या 1000 करोड़ की, जान जाने के बाद किसका होगा ये पैसा।


अजय अब तक समझ चुका था कि जल्दबाजी में लोकेश से भयंकर चूक हो गई है। जिन लोगों को बेस से बाहर भेजकर काम पर लगाया गया था, वो लोकेश के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट के वो सिपाही थे, जो अब तक किसी भी असंभव काम को संभव करते आए थे। उनके फसने का सीधा मतलब था कि लोकेश के जीत का राज सामने आ जाना, ऊपर से दिल्ली के सभी लोकल गैंग और गुंडों ने अपस्यु पर हाथ डालने से मना कर दिया।


असमंजस की स्तिथि में अजय ने बेस से एक पूरी टीम भेजी, जिसमें 1 स्नाइपर, 2 शूटर और 7 फाइटर थे। 4 खास हाई क्लास प्रोफेशनल को गवाने के बाद अजय की बुद्धि थोड़ी खुली। अगली टीम को उसके घर के अंदर हमला ना करके, घात लगाकर बस वहां रुके और अपस्यु के बाहर निकालने का इंतजार करे।


इधर मुंबई में 2 टारगेट, स्वास्तिका और कुंजल और फ्लैट के बाहर खबरी नजर दिए। दोनो ही बहने आपस में हंसी मज़ाक में लगी हुई थी और नंदनी सुबह का नाश्ता तैयार कर रही थी। 2 दिन बाद ही वापस दिल्ली लौटना था इसलिए चोरी से दीपेश के साथ कुछ वक़्त बिताने का प्लान बना।


दोनो बहन 11 बजे के लगभग शॉपिंग के बहाने फ्लैट से निकली। जैसे ही खबरी दोनो को बाहर जाते देखा, एक के बाद एक, चेन के माध्यम से यह खबर ऑपरेटर तक पहुंची। वो ऑपरेटर अजय अब बेहद ही चिंता में आ चुका था। हर जगह पहुंची उसकी हमला करने वाली टीम गायब हो रही थी, जिसकी कोई खबर ना थी। उपर से लोकल कॉन्ट्रैक्ट किलर भी निकम्मे साबित हो चुके थे। गोवा और दिल्ली के शिकस्त के बाद, अजय ने फिर से हिम्मत बांधी और गोवा की तरह यहां भी 2 स्नाइपर और 7 गनमैन फाइटर की टीम को पीछे लगाया।


उपयुक्त माहौल कुछ देर में ही मिल गया। कुंजल और स्वास्तिका एक बड़े से शॉपिंग मॉल की पार्किंग में अपनी कार पार्क कर रही थी और सभी गनमैन क्लोज रेंज में निशाना लेना शुरू कर दिए। इधर नंदनी को उसके फ्लैट से उठाने के लिए 4 लोग उसके फ्लैट के ओर बढ़े।


अजय और उसके सहयोगी लगातार स्क्रीन पर बने हुए थे। एक ओर जहां पार्किंग के सीने में घटना यह हो गई की कुछ लोगों की भीड़ अचानक से वहां पहुंच गई और गनमैन अपना शॉट लेते-लेते रुक गए। लेकिन इस बार हमले के तरीके में अजय ने बदलाव कर दिया था। सभी 7 गनमैन को पार्किंग में फ़ैल जाने तथा जैसे ही भिड़ से हटकर दोनो लड़कियां दिखे, सीधा शूट कर देना।


गनमैन सब फ़ैल चुके थे। स्वास्तिका कार के बाहर खड़ी होकर दीपेश को कॉल लगाई और कुछ देर की बातचीत के बाद दोनो बहने पैदल निकली। दोनो कुछ ही कदम आगे बढ़ी, और वो भिड़ से अलग हो गई, इस से पहले की पिस्तौल से कोई फायरिंग होती, वहां चारो ओर धुआं ही धुआं हो गया, केवल बाहर निकालने वाले रास्ते को छोड़कर।


स्क्रीन पर धुआं का नजारा देखकर ही अजय पागलों की तरह चिल्लाने लगा…. "नहीं, नहीं, नहीं… ये नहीं हो सकता। साला ये आधा कच्चा इंसान हमे इतनी आसानी से मात नहीं से सकता।"…


जैसा कि धुआं देखकर अजय को पहले ही समझ में आ चुका था कि पार्किंग के टीम का भी वही हाल होना तय था, जैसा दिल्ली और गोवा में हुआ। अजय ने नंदनी को उठाने गए टीम का भविष्य सोचकर, अंत में उसे वापस लौटने का हुक्म दिया। नंदनी को किडनैप करने गई टीम को कुछ समझ में नहीं आया और वो वापस लौटने लगी। लेकिन आज तो अनहोनी होकर रहनी थी, और यहां के टीम का भी वहीं हाल हुआ। सब के सब संपर्क से बाहर हो गए।


दिल्ली अपस्यु का गढ़ था लेकिन मायानगरी, वो जगह तो अंडरवर्ल्ड के कंट्रोल में थी। अजय ने सीधा अंडरवर्ल्ड से संपर्क किया और 2 लड़की को मारने और 1 औरत के उठाने का कॉन्ट्रैक्ट उन्हें 200 करोड़ में दे दिया। उन लोगों ने जब डिटेल मांगा और सामने नंदनी, कुंजल और स्वास्तिका की तस्वीर खुली… अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन खुद ही लाइन पर आकर कहने लगा…

"साले चुटिए, तू इसका कॉन्ट्रैक्ट मुझे देने आया था, किसी को कहना भी मत। चल अब फोन रख, और मुंबई तो क्या अखी इंडिया में इसका कॉन्ट्रैक्ट कोई नहीं ले सकता।"..


अजय:- एक 22 साल का लड़का अपस्यु, तुम सब का बाप बना बैठा है। खुद को माफिया और डॉन कहना छोड़ दो।


डॉन:- सुन बे चूहे, यें जो तू जिसका भी नाम ले रायला है, उसे हम में से कोई नहीं जानता, लेकिन उसके पीछे जो है, उसकी कहानी तू ना ही जान और ना ही उससे उलझ तो बेहतर होगा। पूरा मुंबई उसके नाम से पेशाब कर देती है। चल अब फोन रख और दोबारा कभी फोन मत करना।


गोवा, दिल्ली, मुंबई हर जगह नाकामी झेलने के बाद अजय ने अपस्यु के पीछे लगे टीम को वापस बुला लिया, और सर पकड़ कर बैठ गया। 12 बजे के करीब अजय ने लोकेश से संपर्क किया। इधर लोकेश अपने आलीशान महल में जीत के रथ पर सवार अपने प्राइवेट रूम में जश्न माना रहा था..


3 नंगी लड़कियों के बीच अकेला सवार, और हर लड़की उसके अंग को चूसते और चाटते हुए भरपूर मज़े के बीच, एक-एक करके सवारी का मज़ा ले रही थी। अजय ने 12 बजे के आसपास लोकेश को इमरजेंसी संदेश भेज दिया था, लेकिन 1 बजे तक लोकेश की कोई खबर नहीं थी।


तकरीबन 2 बजे लोकेश तैयार होकर कंट्रोल रूम पहुंचा और सैंपैन की बॉटल उड़ाते हुए ही अंदर आया…. "अजय, अजय, अजय… क्यों इतना एक्साइटेड थे, समझना चाहिए था मै कहां बिज़ी हूं। तो बताओ नंदनी रघुवंशी कहां पहुंची?


लोकेश को लगा 12 बजे के करीब सभी टारगेट को एलिमिनेट करने के बाद, नंदनी को अपने कब्जे में लेकर अजय उसे इमरजेंसी संदेश भेजा हैं। और संदेश मिलने के 2 घंटे बाद लोकेश इसलिए पहुंचा था कि नंदनी रघुवंशी के आने का इंतजार ना करना परे।
 
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अजय:- सर अपने 4 हाई क्लास स्नाइपर, 22 हाई क्लास ट्रेंड सिपाही लापता है। गोवा के एक गैंग के 20 मेंबर इस वक़्त हॉस्पिटल में है। उनकी गंभीर हालात देखकर और अन्य जगह पता लगाने के बाद, गोवा के कॉन्ट्रैक्ट किलर्स ने अपने टारगेट का कॉन्ट्रैक्ट लेने से मना कर दिया। दिल्ली और मुंबई में तो इस से भी बुरे हाल थे। गोवा में तो एक ने कॉन्ट्रैक्ट ले भी लिया लेकिन मुंबई और दिल्ली के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट किलर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनका कॉन्ट्रैक्ट ले सके। आपने अपने दुश्मन को बहुत कम आंका सर।


अजय की पूरी डिटेल सुनने के बाद लोकेश तो पागल सा हो गया। कहां होम मिनिस्टर को मारने कि प्लांनिंग हो रही थी और यहां एक लड़का और उसका परिवार मार नहीं पाए, उल्टा अपने सबसे बेस्ट लड़के और शार्प शूटर्स को भी खो दिया। अजय को खींचकर 2 थप्पड़ लगाने के बाद वहां उसे कंट्रोल रूम से बाहर भेजकर लोकेश सभी फुटेज को देखने लगा।


एक ही सीन को बार-बार, कई बार दोहरा कर देखते हुए समझने की कोशिश कर रहा था कि वहां हुआ क्या होगा? कौन है ये अपस्यु और कितनी बड़ी है उसकी गैंग, जिसकी सुपाड़ी अंडरवर्ल्ड तक नहीं के रहा।


लोकेश को जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उसने मेघा को दिल्ली से वापस अपने बेस पर बुला लिया। लोकेश ने अजय को भी वापस कंट्रोल रूम में बुलाया और बंद हुए ऑडियो वीडियो डिवाइस से पुनः कनेक्शन बनाने के लिए कहने लगा। अजय अपने काम में लग गया और लोकेश अपनी मूर्खता पर बस इतना ही सोच रहा था कि…..


"मैंने पूरी ताकत से हमला किया, उस लड़के को कोई फर्क नहीं पड़ा, ये दिल्ली में ही था, जब चाहता तब मुझे मार सकता था, लेकिन क्षमता होने के बावजूद भी मारा क्यों नहीं?"..


लोकेश का दिमाग पजल बाना हुआ था और अपस्यु उसके लिए किसी रहस्य से कम नहीं। तभी ऑपरेटर अजय चौंककर कहने लगा… "सर स्क्रीन देखो।"


लोकेश ने जैसे ही स्क्रीन देखा… सामने अपस्यु, ऐमी, और आरव तीनों उनके लाइन पर थे और अपना हाथ हिला रहे थे। लोकेश उन्हें देखकर जवाब में अपना हाथ हिलाया।


आरव:- क्यों खडूस ये अपने लोकेश भईया कुछ ज्यादा ही कंफ्यूज दिख रहे है।


अपस्यु:- हां कंफ्यूज तो दिख रहा है ये आस्तीन का सांप, लेकिन सुबह से कितना डराया है हमे। अपने बुआ के परिवार पर हमला, जारा इसे भी डर से परिचय करवाओ।


ऐमी:- क्यों नहीं अभी करवा देते है।


लोकेश ख़ामोश होकर तीनों की बातें सुन रहा था, तभी उनके स्क्रीन पर चिल्ड्रंस केयर की विजुअल आने लगे, जहां लोकेश की प्यारी पत्नी मीरा और उसकी लाडली बहन कुसुम, चिल्ड्रंस केयर के लड़के-लड़कियों के साथ प्यार से वक़्त बिता रहे थे।


लोकेश अपने चेहरे का पसीना साफ करते…. "देखो मानता हूं मैंने गलत किया है, लेकिन प्लीज उन्हें जाने दो।"


आरव:- लोकेश भईया, पत्नी तो सबको प्यारी होती है, फिर मेरी होने वाली पत्नी पर हमला।


लोकेश:- देखो मै ताकत के नशे में अंधा हो गया था। प्लीज उन्हें जाने दो… (लोकेश यहां तक मिन्नते भरे लहजे में विनती कर रहा था.. उसके बाद गूंजी उसकी अट्टहास भारी हंसी)… या फिर खुद ही रख ले या मार दे, लेकिन तुम जैसे पिद्दी ये सोच लो कि मुझे ब्लैकमेल कर सकते हो, तो यह तुम्हारी भुल होगी। मेरे पास इतना पैसा है कि मै मीरा जैसी चार पत्नियां घर में रख लूं। दूसरी वो बहन, जब तेरे मामा ने अपनी जिंदा बहन का श्राद्ध कर दिया। मेरा बाप तेरी मां को गोली मारने से पहले सोचेगा तक नहीं, ऐसे कुल में पैदा हुए लड़के को तू बहन के नाम से डरा रहा है। शौक से मार दे।


अपस्यु:- जैसी तुम्हारी इक्छा।


अपस्यु इतना कहकर इशारा किया और लोकेश के नज़रों के सामने 2 स्निपर की गोली एक साथ चली, एक कुसुम और दूसरी मीरा को लगी। लोकेश हंसते हुए कहने लगा…. "तेरा तो मै फैन हो गया। मुझे ऐसे लोग पसन्द है जो बातों से ज्यादा एक्शन दिखाते है। मैंने तेरे परिवार को जान से मारने कि कोशिश की और बदले में तुमने मेरे 26 लोग और 2 परिवार के सदस्य को लुढ़का दिया। दिल जीत लिया तूने।"


आरव:- ये भाई इतनी तारीफ काहे कर रहा है। लगता है दिमाग में कहीं ना कहीं होगा की लोभ दो, अपने बेस पर बुलाओ और टपका डालो।


लोकेश:- ओह मतलब मुझपर पूरा होमवर्क करके आए हो। मेरा कोई बेस है यह तक पता है तुम लोगों को। शाबाश !!!


ऐमी:- सॉरी जेठ जी, लेकिन आप जैसे लोग को यहां दिल्ली में चुटिया कहते है। हमे तो बस विक्रम राठौड़ चाहिए, आप बेकार में खुद को हाईलाइट किए हो।


लोकेश:- कुछ बातें पब्लिक के बीच ना हो तो ही अच्छा है। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि हम साथ मिलकर बहुत ज्यादा धमाल कर सकते हैं। तुम तीनों कोई आम इंसान तो कतई नहीं हो सकते। मेरा न्योता स्वीकार करो और यहां चले आओ।


अपस्यु:- तुम पर भरोसा नहीं लोकेश… इसलिए तुम ही यहां दिल्ली क्यों नहीं चले आते।


लोकेश:- भरोसा तो तुम पर भी मुझे नहीं अपस्यु। अभी-अभी तुम्हारे परिवार को मारने कि मैंने कोशिश की और जिस हिसाब से तुमने उन्हें सुरक्षा दे रखा था, तुम पहले से हमले ले लिए तैयार थे। इसलिए हालात को समझे और परिवार के प्रति तुम्हारे प्यार को देखते हुए मेरी तो इक्छा ही मर गई अपने बेस से निकलने की।


अपस्यु:- फिर चलने दो चूहे बिल्ली का खेल, मुझे तो मज़ा आ रहा है।


लोकेश:- लेकिन मुझे तो मज़ा नहीं आ रहा ना। तुम कुछ ऐसा बताओ जिसके करने के बाद तुम्हे मुझ पर यकीन हो जाए।


अपस्यु:- तुम पर यकीन नहीं लेकिन मै खुद पर तो यकीन करता हूं। 15 अगस्त की शाम, आजादी का जश्न तुम्हारे यहां ही होगा। तुम्हारे सारे आदमी सुरक्षित है, कल उन्हें 16 अगस्त के बाद उठा लेना। तुम्हारी प्यारी पत्नी और बहन को मैंने ट्रांकुलाइजार दिया था। उनके होश में आते ही मै उन्हें सुरक्षित पहुंचा दूंगा।


लोकेश:- रहम दिल अपस्यु। खैर अब मेरे ओर से भी कोई कोशिश नहीं होगी, मिलते हैं 15 अगस्त को फिर।


जबतक लोकेश अपस्यु से बात कर रहा था, मेघा भी वहां पहुंच गई। वो ख़ामोश एक कोने में खड़ी होकर दोनो की बातें सुन रही थी। अपस्यु से बात समाप्त करके लोकेश और मेघा प्राइवेट मीटिंग रूम में पहुंचे। कल से जो जीत के घोड़े पर सवार था, आज मेघा से बात करते वक़्त तो ऐसा लग रहा था कि उसके जीत के घोड़े में पंख भी लग गया हो।


कहानी जैसे पुरा ही पलटी मार चुकी थी, और कहानी की यह पलटी कहीं ना कहीं मेघा के मन में वो ज़हर घोल गई, जिसका अंदाज़ा लोकेश नहीं लगा सकता था। जिस अपस्यु को महज एक छोटा मोहरा बोलकर मेघा को यह कहने पर मजबूर किया गया कि… "काम को लेकर अब उसकी रुचि अपस्यु में नहीं रही"… आज वही लोकेश, अपस्यु के साथ मिलकर अपने भविष्य की नीति बाना रहा था।


आज उसी लोकेश को अपस्यु एक मामूली प्यादा नहीं, बल्कि बराबर का एक साथी मान रहा था। जिस होम मिनिस्टर को कल से मारने का सपना संजोए जा रहे थे, आज उसी होम मिनिस्टर को अपने पाले में मिलने और आने वाला लोकनसभा इलेक्शन पर नजरें बनाया जा रहा था। एक ही रात में कहानी ने ऐसी पलटी मारी, की मेघा का दिमाग ही घूम गया।


अपस्यु को लेकर उसके बदले विचार के बारे में जब पूछा गया, तब लोकेश ने अजय को बुला लिया और सुबह से हुई सारी घटना सुनाने के लिए बोल दिया। अजय जब एक-एक करके सभी बातों पर प्रकाश डाला, तब कहीं जाकर मेघा के दिल को सुकून मिला। मेघा अपने साथ हुए धोक को लेकर हताश तो थी ही किन्तु उसे लोकेश का भविष्य भी समझ में आ चुका था।


सारी बातें सुनने के बाद मेघा हंसती हुई कहने लगी… "कल तो मै उसे साथ मिलाकर काम करने वाली थी, और आज उसी अपस्यु को तुमने अपने पाले में मिला लिया।"


लोकेश:- तुमने उसे कम आंका और मैंने उसी अनुसार योजना बनाई। आज सुबह जब मै उससे टकराया तब मुझे उसकी क्षमता का अंदाज़ा हुआ।


मेघा:- क्षमता का अंदाज़ा तो ठीक है लेकिन क्या वो साथ काम करेगा ?


लोकेश:- देखा जाए तो अभी वो 40000 करोड़ का वारिस है। जितना क्षमता और कनेक्शन है उसके, वो चाहता तो कबका मायलो ग्रुप का पूरा मालिक बन जाता। और हां ! मैं तो उसके बारे में कल से जाना हूं, लेकिन वो तो मेरे बारे में बहुत पहले से जानता था। एक छोटी सी भी यदि वो प्लांनिंग करता, तो मुझे भनक भी नहीं लगती और मैं खत्म। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, इसका मतलब साफ है वो दुश्मन बनाने में नहीं, बल्कि साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखता है।


मेघा:- एक ही दिन में इतना विश्वास?


लोकेश:- विश्वास की कहानी इतनी सी है कि हम दोनों को साथ काम करना है। कुछ तो छिपे मकसद उसके भी है और कुछ छिपे मकसद मेरे। हम दोनों के छिपे मकसद जबतक पूरे नहीं होते तबतक हम एक दूसरे को नहीं ही मार सकते है।


मेघा:- और उसके बाद..


लोकेश:- उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को जान चुके होंगे। तब तो 2 ही बात होगा, या तो मौका देखकर हम में से कोई एक दूसरे को खत्म कर देगा या फिर एक मकसद खत्म होने के बाद किसी दूसरे मकसद के लिए राजी कर लिया जाए।


मेघा:- ऐसा लग रहा है तुम्हारे सारे सितारे जोड़ मार रहे है। ..


लोकेश हंसते हुए कहने लगा… "मेरे सितारे की नई दिशा जो तय करने वाला है वो लकी तो तुम्हारे गोद में पुरा बैठा है, ये क्यों भुल जाती हो। हो ना हो वो अपने हर काम में तुम्हे साथ रखेगा।"..


मेघा:- वो तो आने वाले 15 तारीख को ही पता चलेगा… फिलहाल और कुछ जो हमे करना चाहिए..


लोकेश:- हां बिल्कुल, मायलो ग्रुप की मालकिन लौट आयी है, ये बात सबको पता चलना चाहिए।


लोकेश और मेघा अपनी बातचीत खत्म करके दिल्ली के लिए रवाना हो गए। कुछ ही देर में एक बड़े से प्रेस कॉन्फेंस का आयोजन किया गया, जिसमें मायलो ग्रुप की मालकिन को दिखाया गया। साथ ही साथ कई सारे सवालों का जवाब लोकेश और विक्रम ने दिए।


मायलो ग्रुप के मालकिन के बारे में जानकर फिर तो प्रेस रिपोर्ट्स ने सवालों के बौछार लगा दिए। जिसमे नंदनी रघुवंशी का उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ना आना, पारिवारिक कलह और बीते इतने वर्षों में वो क्यों छिपी रही, यह प्रमुख सवालों में से एक था।


लोकेश सभी सवालों से बचते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया और बस यह कहकर निकल लिया की उनके सवाल का जवाब नंदनी बेहतर तरीके से दे सकती है। उन्हें भी नंदनी रघुवंशी के बारे में आज ही पता चला है, वो भी कई वर्षों की तलाश के बाद।


अपस्यु बड़े सुकून से अपने घर के हॉल में बैठा हुआ था। ऐमी बिल्कुल उसके पास और दोनो बैठकर आराम से लोकेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस का मज़ा ले रहे थे। ऐमी, अपस्यु के ओर मुस्कुराती हुई देखने लगी…


अपस्यु:- हेय लव तुम्हे क्या हुआ?


ऐमी:- शायद कल रात हम दोनों की कुछ चिंता थी, अभी काफी सुकून मिल रहा है।


अपस्यु, किनारे से ऐमी को अपने बाहों में समेटकर उसके गले को चूमते…. "आह ! ऐसा नहीं लग रहा, काफी सुकून में आ गए हैं हम दोनों।"


ऐमी:- अच्छा और सुकून में आते ही ये तुम्हारे हाथ जो साइड से शरारतें कर रहा है उसका क्या?


अपस्यु, ऐमी के कानो को नीचे चूमते… "आप को जब पता हो कि कल आपके पूरे परिवार पर हमला होने वाला है, तब ऐसे ऐसे बुरे ख्याल दिल में आते है कि एक पल काटना दूभर हो जाता है।


"आव, बेशर्म... दूर रहो थोड़ा सा, और चलो जारा अपने गॉडफादर और गॉडमदर से भी बात कर लिया जाए। दोनो वादा करके मुकड़ गए।"… ऐमी अपस्यु के बाहों के घेरे से उठती हुई, अपनी बात कही और प्राइवेट लाइन से कनेक्ट हो गए..


पल्लवी:- हाय रात को याद कर रहा है मेरा देवर, कुछ-कुछ होने तो ना लगा..


ऐमी:- भाभी, मेरे होने वाले को रिझाना बंद करो, वरना झगड़ा हो जाएगा।


पल्लवी:- सुन ले अपस्यु मै कहे देती हूं, ये ऐमी की बच्ची तेरे लिए ठीक ना है, अभी से हमारे बीच की दीवार बन रही है।


अपस्यु:- आप दोनो बस भी करो। भाभी काम कि बात कुछ कर ले।


पल्लवी:- सबसे ज्यादा काम कि बात तो कर ही रही हूं, तू है कि दुनिया कि तमाम चीजें कर केवल एक यह जबरदस्त काम छोड़कर।


जेके:- बस भी करो तुम पल्लवी। अपस्यु बधाई हो, आज तो कमाल ही कर दिया। हम दोनों न्यूज में तुम्हारी ही खबर देख रहे थे।


अपस्यु:- आप सब तो शर्मिंदा ना कीजिए। किसने बताया था मुझे की लोकेश आधे दिन में हमारे परिवार की पूरी जानकारी पता लगाएगा। बचे आधे दिन में वो अपने सारे एक्सपर्ट को हमारे पूरे परिवार को मारने के लिए हमारे पीछे लगाएगा और अगले दिन सुबह से ही मौका देखकर सबको साफ कर दिया जाएगा।


जेके:- तुमने भी तो जगदीश राय की तिजोरी से मुझे वो डायरी दी थी, जिसकी मदद से 6 महीने में सॉल्व होने वाला केस, सिर्फ 2 महिने में निपट गया। ऊपर से हम जिसे नहीं ढूंढ पाते, उस डायरी की मदद से हमने उन्हें भी खोद निकला।


अपस्यु:- इसमें तो थैंक्स फिर मेरे ससुर जी को दे दो। क्योंकि उन्होंने ही मुझे जगदीश राय की तिजोरी खोलने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था और वहीं पर ये काम की डायरी दिख गई तो मैंने चुरा लिया।


जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।
 
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nain11ster

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to megha ko bhi india bulaya ja raha hai sahi hai baki dono updates amy aur apasyu ke romance se bhare huye hai aur india gate wala scene mashaallah jabardast maja aa gaya :applause: :applause: :applause:
aur yaar acha khasa romance chal raha tha dono pe hamla karwa diye writer babu ab dekhte hai agle updates main kya action dekhne milega
badhiya updates
Romance ke baad action ki khwaish to dono couple ke bich chal rahi thi na .. ab kya karen dono ki ikchha hai to...:D .. aap to bus action ka maza len
 
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nain11ster

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apasyu ke ghar se police ko kuch milne ka to sawaal hi paida nahi hota wo apna kaam safai se karne main mahir hai aur rahi baat shreya ki team kito jab tak amy ya apasyu na chahe unko kuch bhi pata nahi chalega
bahiya update :applause:
Hahaha ... Kya baat hai couple par inna bhadosa :D .. acha to aap ko unke bare me kaise pata chalta hai ye raaj na bataeyega :D
 
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