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Romance भंवर (पूर्ण)

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Update:-134



पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..


अपस्यु की आवाज़ बता रही थी कि अब इंसाफ होगा, रक्त का खेल खत्म हुआ। अपस्यु की आवाज़ पर एक-एक करके जैसे सबकी हिम्मत टूटी हो, सब के सब बेसुध होकर अपनी जगह बैठकर, कुछ देर तक रोते रहे। अपस्यु के आखों में भी आशु थे, ऐसा लगा जैसे अब शरीर में उसके भी जान नही, लेकिन खुद को संभाले वो अब बस अपने बचे दुश्मनों को देख रहा था।


इसी बीच अारूब की अगुवाई वाली इटेलिजेंस टीम भी वहां पहुंच गई। उफ्फ क्या मंजर था, पूरी जगह से खून की बू आ रही थी और कटे हुए लाश के पास कुछ रोते लोग और खून में पूरे डूबे सिना ताने खड़ा 2 आदमी दृश्य और अपस्यु।


इंटेलिजेंस टीम का एक एजेंट:- माय गॉड, दरिंदगी और हैवानियत है ये.. किसने किया ये पुरा कांड..


अपस्यु एक कदम आगे आकर… "अपनी एजेंसी में बता दीजिएगा, जेके और पल्लवी खत्री के शागिर्दों ने ये पुरा कांड किया है।"


इंटेलिजेंस ऑफिसर:- आज क्या हमे पुरा कचरा साफ करने के लिए रखा गया है?


अारूब:- हम ऑर्डर फॉलो करेंगे ऑफिसर। जो आज के दिन खत्म हुए है वो कोई साधु या महात्मा नहीं है।


अपस्यु:- काया, इन लोगों को जारा दिखा दो, किन कमीनो को अरेस्ट करना है।


काया ने जैसे ही अपने द्वारा अलग किए लोगों को दिखाई, वैसे ही प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश चिल्लाने लगा… "हमे भी अरेस्ट कर लो प्लीज, हमे भी अरेस्ट कर लो।"..


जैसे ही लोकेश ने अपनी जुबान खोली, निम्मी एक बड़ी मोटी सी पीन उसके जुबान के इस पार से उस पार निकालती, उसकी जुबान बंद कर दी। सारे ऑफिसर्स देखकर ही दंग रह गए… "सर आप अपना काम करो ना, ये कुछ ज्यादा ही बोल गुहार लगा रहा था, इसलिए जुबान बंद कर दी।


अारूब:- ऑफिसर्स टेक चार्ज और इन लोगों को इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर लेकर चलो। भाई अगर प्रूफ मिल जाता तो आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती।


दृश्य:- अपस्यु इनके अरेस्ट होने की वजह दो।


अपस्यु:- कुंजल बेटा वो इनके सर्वर की बैकअप फाइल की हार्ड डिस्क दे दो।


अारूब वो हार्ड डिस्क लेने के बाद…. "थैंक्स ए लौट, हमारा काम खत्म हो गया है। हम कल तक का इंतजार करेंगे, बचे हुए मुख्य आरोपी की कहानी हम तक पहुंच जानी चाहिए।"..


अपस्यु:- मेघा, मनीष मिश्रा के साथ तुम यहां से निकलो। और हां अपने पिता को आखरी बार देखते जाना, बाकी बात मै बाद में करूंगा।


मेघा:- अपस्यु वो मेरे डैड है।


अपस्यु:- मेघा तुम्हे एक मौका मिल रहा है, और ये मौका मै तुम्हे केवल और केवल ध्रुव के वजह से दे रहा हूं, इसलिए तुम डिसाइड कर लो, तुम्हे यहां रुकना है या सुकून से आगे की जिंदगी, ईमानदारी से बितानी है।


मेघा:- सॉरी डैड, शायद स्वार्थी होना मैंने आपसे ही सीखा है। अपना ख्याल रखना।


तकरीबन 40 व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को लेकर वहां से इंटलीजेंस टीम निकल गई। साथ में 2 ड्रॉप थे मेघा और मनीष मिश्रा। उन सबके जाते ही 300 लोग उस पार्टी हॉल में पहुंच चुके थे। तकरीबन 100 वीरदोयी लड़कियां जो मन मारकर मजबूरी में उन करुर वीरदोयी के साथ फसी हुई थी, जिनको जीने का हौसला नील देती आ रही थी। इसके अलावा 20 के करीब वीरदोयी पुरुष भी बचे हुए थे जो अपने औरतों कि मजबूरी देखकर यहां रुकने और उनका कहा मानने पर विवश थे। 180 के करीब यहां के इनोसेंट स्टाफ और मज़े के लिए लाई गई लड़कियां थी जो यहां के लोगों के लिए काम करने के साथ उनका मनोरंजन भी किया करती थी।


नील:- कंट्रोल रूम में सजा में हकदार लोग चिपके है, मै चाहती हूं उस खोल दो ताकि उनका भी हिसाब इसी हॉल में हम कर दे। बहुत सोषण किया है हमारा इन हरामजादों ने।


ऐमी:- जैसा तुम चाहो।


ऐमी अपनी बात कहती कमांड ऑफ कर दी और सभी डस्ट पार्टिकल को वापस आने का कमांड दे दी।


दृश्य:- निम्मी जो शुरू किया है उसे अंजाम तक पहुंचा दो।


निम्मी:- नहीं मै नरक की आग ने जी हूं, इसने मेरे जिस्म को उन भूखे कुत्तों के सामने नहीं फेका था, बल्कि मेरे रूह को भी फेका था। मै चाहती हूं, ये जिंदा क्यों है इस बात के लिए तरसे। हर पल खुद को मारने के नए नए तरीके ढूंढे लेकिन इसे मौत ना मिले। नाह ! इसे मारना नहीं है, जिस नरक की आग से मै गुजरी हूं, उस नरक की आग ने जलाना है।


अपस्यु:- स्वास्तिका, इस धरती के बोझ को तैयार करो और मेडिकल सपोर्ट दो। लगता है दोनो बाप बेटे साथ ही रहेंगे। विक्रम राठौड़ तुम्हारे लिए तो ये अच्छी खबर है।


इतने में काया और नील के इशारे पर सभी टेक्निकल टीम के लोगों को उस हॉल में ले आया गया। उन लोगों ने जब वहां की हालत देखी और जिनके सह पर यहां के लड़कियों और औरतों को, बड़े ही निचपुर्ण ढंग से नोचते थे, उसकी लाशों के ढेर देखकर तो कितनों कि मूत निकल आयी। पहला हमला काया ने ही किया था। किसी पागल की तरह वो लगातार रोती हुई, उस अजय को जब चाकू से चीरना शुरू की, तब कई निर्दोष जो इनके सताए थे, सब की आग ऐसी भड़की की केवल लतों और घुसो से उनका काम तमाम कर दिया। ..


लगभग सारा माहौल पूर्ण रूप से शांत पर चुका था। वहां केवल 3 लोग जिंदा बचे थे, और तीनों को बांधकर बार काउंटर के पीछे डाल दिया गया था। अपस्यु काया को इशारे करते हुए कहने लगा, ये जगह तुमलोग साफ करके सभी लोग महल में मिलो।


रात के 11 बजे महल में सभा लग चुकी थी। काया और नील दोनो बराबर बैठी थी। अश्क, नील और काया की हालत देखकर शायद खुद में शर्मिंदा थी। बस यही ख्याल आता, इनके लड़कपन के दिनों में पहले उस डॉक्टर भार्गव ने इन्हे छला, और बाद में इनके अपने ही लोगों ने यहां लाकर इन्हे नोचा। उन्हें देखकर अश्क अपने कान पकड़ती हुई सॉरी कहने लगी… नील और काया दोनो ने उसके कान से हाथ हटाकर कहने लगी… "दिल में प्यार हो तो रिश्ते बने रहते है। अब फिर से मै बीते वक़्त की चर्चा नहीं कर सकती, शायद अब हम कभी ना मिले, कल तक हम ये जगह छोड़कर जा चुके होंगे। एक ही अच्छी याद लेकर जाऊंगी, मेरा बच्चा कोई दरिंदा नहीं बनेगा और तुमने हमारे लिए आशु बहाए।"..



आरव:- अरे आप सब जाने की बात क्यों कर रही हो। मै इस जगह को कमर्शियली डेवलप करने वाला हूं, नए लोगों को कहां से खोज कर लाऊंगा। इस जगह को डेवलप करने के लिए मै 2500 करोड़ देता हूं। आप दोनो यहीं रुको, और सबको पहले कि तरह लीड करो। इस जगह को अच्छे से डेवलप करो.. 4 रुपया आप प्रोफिट बनाओ, उसमे से बस 20 पैसा मुझे दे देना बाकी 3.80 रुपया आपस में बांट लो। अगर ये जगह डेवलप करने में 2500 करोड़ कम लग रहे हैं तो बता दो, मैं और फंडिंग कर दूंगा, बस ये जगह ना छोड़कर जाओ।


आरव की बात सुनकर, दृश्य हैरानी से देखते… "अबे ये क्या है, मतलब ये बहुत बड़ा बिजनेस खोपड़ी है क्या?"..


ऐमी:- येस ! पूरा मायलो ग्रुप की कमान ये सिंगल हैंड संभालने वाला है। इसकी बिजनेस करने का तरीका और आईडिया कमाल के है। ये किसी को भी फेयर टक्कर दे सकता है, बाकी गलत तरीके से कोई हमे टक्कर दे सकता है क्या।


अश्क:- नील, काया, काम भी मिल रहा है और जिम्मेदारी भी। प्लीज यहां से मत जाओ… तुम यहां रुकी रहोगी तो जूनियर और वैभव भी तुम्हरे पास आ जाएंगे। और उन दोनों से मिलने हम भी आते रहेंगे। सॉरी लव, सॉरी अपस्यु, मैंने बिना पूछे अपनी जुबान दे दी।


अश्क की बात सुनकर अपस्यु केवल ऐमी को ही देख रहा था, और ऐमी काया को… ऐसा लग रहा था जैसे अपस्यु और ऐमी का दिल जोड़ों से धड़क रहा हो और वो कुछ भी फैसला नहीं कर पा रहे।..


नील:- हम यहीं रुक रहे है। मेरा बच्चा अपनी दादा दादी के पास पल रहा है, उन्हें वहीं रहने दो। मै ही जाकर मिल लिया करूंगी। ऐमी, अपस्यु तुम्हारे बच्चे तुमसे कोई नहीं लेगा, क्योंकि सबको पता है उनके मां बाप कमजोर नहीं।


काया:- मै भी अपने बच्चे से मिल लीया करूंगी, उसे वहीं रहने दो, और दोनो ऐसे मायूस ना हो। हां लेकिन ये अश्क जुबान बहुत देती है। अश्क जी बस एक ख्वाहिश पूरी करने की जुबान दे दो। एक बार ये दृश्य बिना मेरा नाम जाने और मेरा चेहरा ठीक से देखे, मेरे साथ जो किया था, वो दोबारा अब करने बोलो, मुझे जानने के बाद, फिर मै यहां रुकती हूं।


अश्क:- हीहीहीही.. कपड़े उतारने के बाद किस बेवकूफ को नाम जानने या चेहरा देखने में इंट्रेस्ट रहता है झल्ली। जा ले जा, ना मै रोकूंगी और ना ही दृश्य को ताने दूंगी। बस इस बार ये मत कह देना, वीरदोयी अपना जबजों का वंश बढ़ने के लिए दृश्य और तुम्हरे मिलन से एक बच्चा चाहता है।…


अश्क की बात सुनकर सब लोग हंसने लगे.. इसी बीच स्वास्तिका हाथ के इशारे से दिखाने लगी, जहां पार्थ अकेले में बैठा ड्रिंक ले रहा था और उसके करीब निम्मी जा रही थी।…. स्वास्तिका इशारा करती हुई ऐमी से कहने लगी… "भाभी, प्लीज मुझे इन दोनों की बातें सुननी है।"..


ऐमी मुस्कुराती हुई सबको देखी, पार्थ के लिए हर कोई मुस्कुरा रहा था।.. ऐमी ने उस एरिया का ऑडियो कनेक्ट करके, सबके मोबाइल पर ऑडियो-वीडियो लाइव प्ले लिंक भेज दिया। हर कोई इयरपीस लगाकर, मोबाइल के जरिए कान और आंख दोनो पर लगाए…


निम्मी, पार्थ के ठीक सामने बैठकर अपनी हाथ आगे बढ़ती हुई… "हाय, मै निम्मी सिंह।"..


पार्थ:- नाइस टू मीट यू निम्मी, वैसे ये अजनबी की तरह मिलना।


निम्मी:- तुम्हरे पूरे टीम से मिली हूं, हर कोई कमाल का है और हर किसी में अद्भुत गुण, बस मै तुम्हे जज करने मै असफल हूं की तुममें कौन से गुण हैं।


पार्थ:- कमाल है जी, मैंने एक सवाल पूछा और उसका जवाब देने के बदले उल्टा एक अलग ही सवाल पूछ लिया।

निम्मी:- शायद मै गलत तरीके से मिली और मुझे तुम्हारे सवालों ने ये फील करवाया इसलिए जवाब ना देकर बात आगे बढ़ा दी।


पार्थ:- हाहाहाहा, चलो ये भी अच्छा है। और हां मुझमें कोई गुण नहीं। पहले तो ये भ्रम था कि मैं लड़कियों को पटाकर अपना काम निकाल सकता हूं, तुमसे मिला तो औक़द पता चली कि जिन लड़कियों को मैंने पटाया, वो दरसअल मुझ से खुद पटना चाहती थी।


निम्मी:- मतलब तुम इन लोगों के साथ केवल दोस्ती की वजह से हो, बाकी तुममें कुछ खास नहीं।


पार्थ:- हां मेरा दिल बहलाने के लिए मेरे दोस्त मुझसे कह देते थे कि मै ये जाल बनता हूं, वो जाल बनता हूं, लेकिन हम दोनों को ही पता था कि सब फेक है। हां लेकिन ऐसा नहीं कि मुझमें कोई खास बात नहीं। मै उनसे अलग होकर कहीं कोई गुमनाम ज़िन्दगी बिताऊं और कोई मुझे मारकर चले जाए। बस उनके कान तक ये खबर पहुंच जाए, फिर स्टेटस उनका जो भी हो, उनकी बैंक स्टोरी कितनी भी स्ट्रॉन्ग क्यों ना हो, मेरे दोस्त आएंगे और सबको साफ कर जाएंगे। सो मुझे खास बनाते हैं मेरे दोस्त और मुझे नहीं लगता कि इससे खास भी कुछ हो सकता है।


निम्मी:- हम्मम ! चलो अब मै चलती हूं। एक बार फिर से थैंक्स।


पार्थ:- ओ हसीना, शायद तुमने ठीक से सुना नहीं, मैंने कहा था जितनी लड़कियों को मैंने पटाया वो दरसअल खुद मुझसे पटना चाहती थी..


निम्मी:- तो..


पार्थ:- जब 2 महीने में इतने फासले तय करके सामने बैठ ही गई हो, तो कुछ अपने बारे में भी बताती चली जाओ..


निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।
 
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निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।

एक दिन मै गांव की सरहद पर थी, जब लोकेश की गाड़ी गुजर रही थी। शायद मेरे जिंदगी कि बहुत बड़ी भुल, क्योंकि हमारे यहां देवता की तरह वो पूजा जाता था। उसकी गाड़ी जब रुकी तो मै जिंदगी में पहली बार अपनी पूरी खुशी का इजहार कर दी। मुझे लगा भले लोग है, इसलिए उनकी मेहमान नवाजी भी स्वीकार कर ली। लगा सहर के लोग है किसी के हसने या बोलने का गलत मतलब ये लोग थोड़े ना निकाल सकते है। दिल्ली में तो मुझसे भी खूबसूरत लड़कियां बेवाक होकर हर तरह की बातें कर देती है। ये लोग कंजर्वेटिव माइंड के नहीं होंगे। मेरा बहुत बरा भ्रम, जिसका खामियाजा मुझे इस तरह से देना परा की अब बस दृश्य भईया के साथ टांग जाऊंगी और उन्हीं के साथ काम करूंगी। इतनी ही कहानी है मेरे बारे में।


पार्थ:- तुम्हारी कहानी में मै नहीं?


निम्मी:- तुम भी सहर के ओपन खयालात के लोग हो पार्थ।


पार्थ:- चलो मान लो कि मेरी जगह अपस्यु होता और वो तुमसे अपने दिल की बात कर रहा होता, तो तुम क्या करती।


निम्मी:- पार्थ गलत टॉपिक है ये, यहां बात हम दोनों की है।


पार्थ:- हां क्यों नहीं। वो छोटी आंख वाला, मासूम सी सूरत वाला जिसे प्यार तो बचपन से था और चुपके से अफेयर में भी था। अफेयर में होने के बावजूद भी उसके संबंध.. संबंध मतलब फिजिकल संबंध, कम से कम 12 लड़कियों से होंगे और वो मेघा भी इसकी लिस्ट में आती है।


जैसे ही पार्थ संबंध पर था, ठीक उसी वक़्त ऐमी ने ऑडियो पॉज कर दिया.... जैसे ही ऑडियो पॉज हुआ, हर कोई हैरानी से देख रहा था। ऐमी, अपस्यु का हाथ थामकर बस मुस्कुरा रही थी। स्वास्तिका सबका कन्फ्यूजन दूर करती हुई कहने लगी…. "वो कहावत नहीं सुनी क्या, हर एक फ्रेंड कामिना होता है।"..


अश्क:- लेकिन फिर भी ये ऐमी की बच्ची कलंक है लड़कियों के नाम पर। अभी तक तो झगड़ा करके रूठ जाना चाहिए था, थोड़ा भाव खाना चाहिए था, ड्रामे 3 दिनों तक होते रहने चाहिए थे।


कुंजल:- हुंह ! जब दोनो प्यार करते है तो इतने ड्रामे क्यों? पुरानी सोच।


अश्क:- इसको कोई अब तक मिला नहीं है क्या?


ऐमी:- हमारे घर की पहली अरेंज मैरेज होगी, कुंजल की शादी।


कुंजल:- येस !!


अश्क:- ठीक है बेटा तुझसे बात मैं तेरे शादी के बाद करूंगी, और फिर जान लूंगी तेरी फिलॉस्फी भी..


आरव:- तुम सब बाहर जाकर ये ड्रामा करो, भाभी ऑडियो ऑन करो, सुनने तो दो, उस कमिने का घर बसा या नहीं?


जैसे ही ऑडियो ऑन हुई, उधर से निम्मी कह रही थी…. "किसी को गलत साबित करके खुद कैसे सही हो सकते हो पार्थ, वैसे भी यकीन बड़ी बात है। मै तुम दोनों को निंजी तौर पर नहीं जानती, फिर उनका कैरेक्टर कैसे तय कर सकती हूं?"


पार्थ:- हां दुनिया में एक चरेक्टरलेस मै ही हूं।


निम्मी:- अगर ऐसा है तो फिर पहले कैरेक्टर को ही सुधारो।


पार्थ:- अरे यार और कितना भाव खाओगी, कुछ तो बताओ की क्या करूं मै तुम्हारे लिए।


निम्मी:- अभी जितनी बातें हमारे बीच हुई है उसमे तुम्हारे सवालों के जवाब है। अपनी दिलफेंक आदतें बंद कर देना और जवाब जल्दी ढूंढ लेना, क्योंकि मै दृश्य भईया की टीम ज्वाइन कार चुकी हूं और मुझे उनके साथ काम करने में काफी मज़ा भी आ रहा है।


शायद इनकी बातें बन गई, अभी के माहौल से तो ऐसा ही लग रहा था। और बात बने भी क्यों ना, आज का तो दिन ही है हर बात के बनने का। एक लंबे से युद्ध का लगभग विराम लग चुका था। वक़्त अभी तो पूर्ण खुशी का नहीं था, किन्तु जो लोग दर्द को भी चीरकर, खुशी के पल ढूंढ लेते हो, उनके लिए तो वाकई ये बहुत बड़ा खुशी का समय चल रहा था।


फिर वही हो जाता है, अकेले खुश हुए तो क्या खुश हुए। अपस्यु के साथियों के अलावा भी कई ऐसे लोग थे जो उनके काम के परिणाम से काफी खुश थे। वहां काम कर रहे स्टाफ के लिए आज इतनी खुशी की रात थी कि उनकी खुशी देखते बनती थी। जबतक लोग बातों में लगे थे, तबतक उनके पास ही खाने से लेकर ड्रिंक तक सर्व होने लगा।


सबसे खास ट्रे तो अपस्यु के आगे लगा। उसकी पसंदीदा ड्रिंक सर्व की जाने लगी और वो सबसे बात करते हुए आराम से ड्रिंक का मज़ा लेने लगा… "अबे कितना पिएगा, तुम्हे चढ़ती है कि नहीं।"… दृश्य अपस्यु को एक हाथ मारते हुए पूछा।


आरव:- ये और इसकी ड्रिंक, कभी ना छुटने वाली है। भोले बाबा की आराधना करते-करते ये पक्का नशेड़ी बन गया हैं।


दृश्य:- पागल हो तुम लोग, 4 पेग के बाद बॉडी रिस्पॉन्ड करती है अल्कोहल। हां लोग कम, ज्यादा या बहुत ज्यादा ड्रिंक लेते है, लेकिन उन सबमें एक बात सामान्य होती है उनका नाश में होना। कितना भी छिपाने कि कोशिश क्यों ना करे नशा में है पता चल जाता है।


स्वास्तिका:- प्वाइंट तो बी नोटेड, लेकिन ये कितना भी पीकर दिखाने की कोशिश करे, पता नहीं चलता कि ये नशे में है। इसका मतलब साफ है या तो इसे पता है कि ये "क्यों" पी रहा है। या फिर इसे अपने "क्यों" का पता नहीं लेकिन अपने उसी "क्यों" के लिए पीता है। भाभी जी जारा इस राज से पर्दा उठा देंगी।


ऐमी:- अरे यार कुछ नहीं बस ये अपने ध्यान लगाने की प्रक्रिया को निपुण कर रहे है। शून्य काल तक कैसे अपने मस्तिष्क को पहुंचाया जाए, उसी की प्रैक्टिस जारी है। ये नशे के लिए नहीं बल्कि अपने मस्तिष्क में उपजे नशे को कंट्रोल करने का एक्सपेरिमेंट कर रहे। सीधा-सीधा कहूं तो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को ऑटो मोड से मैनुअल मोड पर डालने की कोशिश जारी है।


दृश्य:- कमाल का कॉन्सेप्ट है, मै भी ट्राय करूं क्या क्यूटी।


अश्क:- पहले नाजायज बच्चों पर कंट्रोल करना सीखो, अभी तो यूएस नहीं गई 2-3 साल वहां भी तो रुके थे।


सब लोगों के ठहाके निकल आए। रातें छोटी सी थी और बातें काफी लंबी। सुबह के 4 बज चुके थे। एक-एक करके हर कोई उसी हॉल में सो गया। बस केवल दृश्य और अपस्यु जागे थे। दोनो भाई एक छोटे से वॉक पर निकले..


अपस्यु:- अब कहां निकल रहे हो भाई।


दृश्य:- निजी स्वार्थ के कारन तो बहुत खून बहाया है अपस्यु, अब ऑर्डर फॉलो करूंगा। बक्शी सर ने एक रिजिलियांट ग्रुप का केस दिया है, पूरी टीम को लेकर मै उसी मिशन पर निकल रहा हूं। वैसे तुमने काफी हैरान किया, तुम्हारे रिफ्लेक्स इतने तेज थे कि कई मौकों पर मै जबतक देखता, उससे पहले तुम काम खत्म कर चुके होते। मैं तो कभी उतनी तेज रिफ्लेक्स की सोच भी नहीं सकता। तुम्हारी तैयारी इन चूहों से बहुत ऊपर की है.. फिर इतना वक़्त इंतजार क्यों?


अपस्यु:- वक़्त मैंने बदला लेने के लिए नहीं लिया था भई, बल्कि मुझे लोगों को उनके जीने कि वजह देनी थी, वरना आज जो अच्छा दिख रहा है वो कल को बुरा बनते देर नहीं लगती। इसलिए मै तो बस अपना परिवार समेट रहा था।


दृश्य:- तुमसे बहुत कुछ सीखना है अपस्यु। चाहत तो मेरी यह थी कि तुम्हे भी इस मिशन के लिए आमंत्रण दू, लेकिन मुझे यकीन है कि तुमने अपनी कहानी मुझे पूरी नहीं बताई। थोड़ा बुरा जरूर लगा है इस बात का, लेकिन शायद कुछ सोचकर ही नहीं बताया होगा।


अपस्यु:- सॉरी भईया, मै नहीं चाहता था कि आप अपना फोकस मुझ पर दे, सिर्फ इस वजह से नहीं बताया। हा लेकिन आपका मेरे पास आना, मेरे प्लान का हिस्सा था। तब मुझे निम्मी का केस तो पता नहीं था, लेकिन वीरदोयी के सामने हमारी टीम नहीं टिक पाती, इसलिए मैंने गुप्त रूप से आप तक सूचना भिजवाई थी कि आपका बच्चा मेरे पास है।


दृश्य:- पागल है तू पुरा। कितनी जल्दी और कितनी सफाई से तू प्लान कर लेता है।


अपस्यु:- हां लेकिन आप बिना प्लान के ही किसी कि भी धज्जियां उड़ा सकते हो। वैसे भाभी से मैंने अब तक माफी नहीं मांगी और शायद हिम्मत भी नहीं होगी। आपको भड़काने कि बहुत चिप ट्रिक अपनाया था मैंने।


दृश्य:- हाहाहाहा.. और भड़काने के बाद भी जिंदा बच गया, कमाल का गुट्स और कमाल की प्लांनिंग थी। वैसे उस दिन अनजाने में ही बहुत सी बातें सीखा गए, और मुझे ऐमी की याद दिला गए।


अपस्यु:- अारूब जब उनके बारे में बता रहा था, उनके जाज़्बे और आप सब के साथ की कहानी ने रुला दिया। एक स्वार्थहिन चालाक मेंटोर की कहानी जो हर खतरे से निकल सकती थी, बस दोस्ती के मोह में फस गई।


दृश्य:- सुन ना मै समर वैकेशन में सब बच्चो…

अपस्यु:- बस भाई ये समर वैकेशन की बात अभी रहने दो फिर कभी कर लेंगे। वैसे मुझ पर विश्वास दिखाकर मेरा प्लान फॉलो करने के लिए दिल से धन्यवाद।


दृश्य:- अरे ऐसे कैसे थैंक्स, हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत थी, अब मुझे तुम्हारी कैसे जरूरत थी वो एक्सप्लेन करने पर मजबूर ना कर और पहले तू मेरा सुन.. मै उन वीरदोयी के बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पाया, इसलिए मेरे ओर से उसकी जिम्मेदारी भी तू उठा लेना। कल कंपनी मर्ज के पेपर मिल जाएगा, आरव को बोलना दोनो कंपनी की रेस्पोसिबिलिटी ले लेने के लिए। मै अपनी पायल दीदी और जीजू को कंपनी से रिलीफ करना चाहता हूं, ताकि जो ज़िन्दगी जीना भूलकर कंपनी के पीछे पीस रहे है, वो छोड़कर पुरा वक़्त घर पर दे सके। वैसे भी जीजू बहुत बुरे बिजनेसमैन है यार। और अंत में मुझे बहुत से टेक्निकल सपोर्ट की जरूरत होगी, इसलिए क्या ऐमी फ्री रहेगी हमे टेक्निकल सपोर्ट देने के लिए।


अपस्यु:- सारी बातें तो अच्छी है, लेकिन ये कंपनी मर्जर कुछ ज्यादा ना हो रहा।


दृश्य:- ओह बातों बातों में मै भुल ही गया, मै वैदेही को भेज रहा हूं दिल्ली, वो तुम लोगो के साथ रहेगी। 10000 करोड़ का एक फंड मै हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के लिए सेंक्शन कर चुका हूं, लेकिन किसी पर यकीन नहीं था इसलिए वैदेही को अकेले ही रिसर्च करने के लिए कहा। स्वास्तिका से बाकी बातें हो गई है। दोनो मिलकर एक साथ काम करेंगे और दोनो की जैसी रिक्वायरमेंट हो वैसा पुरा करवा देना, पैसों की कोई चिंता मत करना।


अपस्यु:- भई वो सब तो ठीक है लेकिन कंपनी मर्जर..


दृश्य:- देख सिम्पल सी बात है हम में से तो किसी से कंपनी चलने से रही। मेरे जीजू भी हम में से एक ही है। अब किसी दूसरे के हाथ में कंपनी देने से कहीं लोकेश वाला ना हाल हो जाए, यार पैसे का सीधा रिश्ता पॉवर से होता है और पॉवर का नशा तो तू जानता ही है ना। इसलिए अब कोई बहस नहीं, और हां उस वैदेही मत कहना बल्कि वेली पुकारना।


अपस्यु:- और कोई हुक्म सर..


दृश्य:- नहीं सर, चलकर आराम किया जाए। तेरे मुताबिक जगह की पूरी बनावट कर दी गई है, अारूब ने पूरी डिटेल ऐमी से साझा कर दिया है। और हां जल्दी से अब उन्हें भी अंजाम तक पहुंचा दो, जो बचे हुए है और मुझे फिर पूरी कहानी डिटेल में बता देना।
 
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Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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ऐमी जब पीछे मुरी तब अपस्यु की हरकत देख वो भी हसने लगी। कुंजल का चिल्लाना सुनकर पीछे से वीरभद्र और निम्मी भी वहां पहुंचे। अपस्यु खड़ा होकर कुंजल को अपने पास बुलाया…. "ये क्या है कुंजल, तेरा मुंह क्यों फुल गया।".. तबतक वीरभद्र और निम्मी भी उनके पास पहुंच गए थे।


कुंजल वीरभद्र और निम्मी को देखती हुई कहने लगी… "अगर वीरे जी से मुझे शादी करनी हुई, तो क्या आपको ऐतराज होगा।"..


अपस्यु:- हाहाहाहाहा…. नाह बिल्कुल ऐतराज नहीं होगा, हां बस तुमसे शादी के लिए वीरे को तुम्हारा दिल जीतना होगा। क्या कोई मालिक नौकर वाली बात कही किसी ने?


कुंजल:- हां इसकी बहन निम्मी ने।


अपस्यु:- तुम्हारा हाथ कैसा है निम्मी।


निम्मी, खामोशी से… "ठीक है, बस हल्का स्क्रैच आया था। मै सोचती थी बस मेरा निशाना ही परफेक्ट है, लेकिन आपने मेरा भ्रम तोड़ दिया।"..


ऐमी:- हमारी छोटी से ऐसा क्या कह दी, जो बेचारी का खिला चेहरा उतर गया।


निम्मी:- कुछ नहीं, बस आप सब बड़े लोग है और छोटी सी गलतफहमी बहुत असर करती है। मेरे भाई की तो परमानेंट नौकरी है, इसलिए वो रहेगा तो आप लोगों के साथ ही, और इनका मज़ाक कहीं कोई गलतफहमी ना पैदा कर दे इसलिए पहले से सचेत कर रही थी।


ऐमी:-:हां ये गलतफहमी अच्छी चीज नहीं। लेकिन अगर वीरे चाहे तो कुंजल का दिल जीतने की कोशिश कर सकता है। हम दोनो को लड़का पसंद है।


कुंजल:- अरे अरे अरे… ये आप लोग कौन सा स्टेशन पकड़ लिए। मैं तो बस निम्मी को समझना चाहती थी कि हमारे घर में कोई ऐसा नहीं जिन्हें मेरा वीर जी से बात करना बुरा लगे।


निम्मी:- हां मै जानती हूं ये बात। और मैंने आपके लिए नहीं कहा था। मैं अपने भाई को ही समझा रही थी। कई बार हम लड़कियों का हंसकर बात करना, हमारे लिए पाप हो जाता है। हम तो बस हंसकर बात करते है और सामने वाला कोई और ही मतलब निकाल लेता है।


अपस्यु:- हम्मम ! बात तो निम्मी की भी सही है। क्यों भाई वीरे जी आपका क्या सोचना है इस मुद्दे पर।


वीरभद्र:- मुझे नहीं पता कि निम्मी ने अचानक चल रहे अच्छे माहौल में ऐसी बातें क्यों कही, लेकिन विश्वास रखिए, मै कुंजल जी के मज़ाक को महज मज़ाक के तौर पर लेता हूं। किसी भी बेवाक कहीं बात पर ना तो मेरी सोच गलत हो सकती है और ना ही मेरी नजर।


अपस्यु:- अब क्या कहना है निम्मी…


निम्मी:- कुछ नहीं छोड़िए सर, शायद मै ही कुछ पुराने बातों को लेकर कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर गई।


निम्मी, अपस्यु को लेकर एकांत में लती हुई..… "मै चाहती हूं आप मेरे भाई को वहां ना लेकर जाएं, कुछ बातें उसे ना ही पता चले तो अच्छा है।"


अपस्यु:- ना ही वो जाएगा और ना ही तुम्हारे साथ क्या हुआ वो जान पाएगा। अब खुश।


निम्मी:- खुशी तो कबकी खत्म हो गई है सर, बस जिंदा हूं।


अपस्यु:- पार्थ तुम्हे पसंद करता है, तुम उसे थोड़ा वक़्त क्यों नहीं देती।


निम्मी:- नहीं सर, अब मन नहीं किसी को भी वक़्त देने का। लोकेश से अपना हिसाब बराबर करने के बाद मै दृश्य भईया के साथ निकलूंगी। अब मेरा काम और मेरा जीवन उन्हीं को समर्पित है। उनके साथ काम करके कम से कम सुकून तो रहता है।


अपस्यु:- पार्थ को तुम भी चाहती हो ना।


निम्मी:- प्लीज सर दिल के अरमानों के तार मत छेड़ो। मेरी भी इक्छाएं है लेकिन पार्थ जैसे लोग किसी एक के होकर नहीं हो सकते। किसी भी तरह के अरमान उसके साथ संजोना ही बेईमानी होगी। वैसे भी कल जब उसे मेरे बारे में सब पता चलेगा फिर उसकी चाहत भी खत्म हो जानी है।


अपस्यु:- और यदि सब सच जानने के बाद भी तुम्हारे पीछे आया तब..

निम्मी:- एक तो ऐसा होगा नहीं लेकिन ऐसा हुआ तो मैं यही समझूंगी की आपने अपने दोस्त का ब्रेनवाश किया है। ऊपर से मै वो क्षण झेलना नहीं चाहती जब किसी दिन के झगड़े में वो मेरे अतीत को उलट दे।


अपस्यु:- एक बात का भरोसा मै तुम्हे दिलाता हूं, वो कभी भी गांव के माहौल में नहीं पला इसलिए वो बीती बातों को मुद्दा नहीं बनाएगा। रही बात उसके ब्रेनवाश की तो मै कुछ नहीं बताने वाला, यकीन मानो। अब बताओ.. सब सच जानने के बाद भी वो तुम्हारे पीछे आया तो…


निम्मी, मुस्कुराती हुई… "फिर उसकी नजर और दिलफेंक अदा को कैसे काबू में रखना है वो मै जानती हूं।"


अपस्यु:- उम्मीद करता हूं तुम्हारे अरमानों के पंख को हवा मिल जाए।


निम्मी गुमसुम आयी थी, लेकिन मुसकुराती हुई लौट रही थी। इधर आरव और स्वास्तिका, अपने बड़बोले और दिलफेंक दोस्त को सुन रहे थे, और पार्थ की बात सुनते हुए दोनो की हंसी ही नहीं रुक रही थी। पार्थ के अनुसार उसने आज तक इतनी गंभीर और फोकस लड़की को नहीं देखा। जितना काम होता है उतने के अलावा वो बात ही नहीं करती।


पार्थ के अनुसार निम्मी, ना तो ज्यादा बात बनना और ना ही इधर-उधर की बातों में कोई रुचि लेना। अपने भाई और मां के आलावा किसी से हंसी मज़ाक नहीं करती और कोई कुछ भी उल्टा बोल दे या कुछ ग़लत कर दे, फिर तो उसके गुस्से का प्रकोप फुट परता है। कुल मिलाकर पार्थ अपना दिल हार चुका था, लेकिन लगभग 2 महीने में निम्मी उससे ठीक से बात तक नहीं करती।


पार्थ की हालत पर आरव और स्वास्तिका दोनो बहुत ही हंसे जा रहे थे। तभी आरव जब अपस्यु के ओर देखा…… "अबे तेरे साथ कोई बात आगे नहीं बढ़ी और तेरी निम्मी अपस्यु के साथ बात करते हुई मुस्कुरा रही है।"...


पार्थ की नजर भी उस ओर गई…. "क्या यार ये पहली बार मिल रहा है फिर उसके साथ इतना अच्छे से बात कर रही, मुझमें क्या काटें लगे है।"


स्वास्तिका:- तुझमें काटें नहीं लगे पार्थ, बस उसके छोटे से अरमान होंगे कि जो उससे प्यार करे वो सिर्फ उसी का होकर रहे और ये यकीन तू उसे दिला नहीं पाया है। चल आरव इसकी लव स्टोरी फ्लॉप है।


पार्थ:- तू ऐसा क्यों बोल रही..


आरव:- क्योंकि तू जिसके प्यार में परा है उसके अरमान तो तुम्हे समझ में नहीं आए, तो अपने लिए उसके दिल में विश्वास क्या घंटा पैदा करोगे। स्वार्थ वाली भावना है तुम्हारी पार्थ, जिसमें केवल तुम्हे अपने दिल के अरमान दिख रहे। फिर तो शायद तुम्हारा प्यारा, प्यारा ना होकर बल्कि एक फीलिंग हो की इतनी लड़कियों को पटाने के बाद, इसने तुम्हे इग्नोर क्यों कर दिया।


आरव और स्वास्तिका पार्थ को उसके हाल पर छोड़कर सबके बीच आ गए। कुछ देर की बातचीत के बाद सब लोग घर के अंदर पहुंचे। रात के खाने के बाद सब लोगों के बीच काफी लंबी चर्चा चली। हंसी मज़ाक और तीखी नोक-झोंक के कारन घर का पूरा माहौल की हसी की की किलकारियों से गूंज रहा था।


रात के तकरीबन 11 बजे सब सोने चल दिए। तैयारियां पूरी होने के बाद एक सुकून की रात थी। अपस्यु रात की इस खामोशी को अपना साथी और साक्ष्य बनाते, खुले छत के ऊपर लेटा आसमान को ताक रहा था। एक के बाद एक हुई सभी घटना जैसे उसके दिमाग में चल रही थी और आंखों के किनारे से कुछ बूंदे बहते चले जा रहे थे।


कमाल की मनोदशा थी उसकी। आखों में गम के आशु थे, लेकिन हर जाने वाले को मुसकुराते चेहरे से याद कर रहा था। उनकी हर प्यारी छवि और तस्वीर उसके दिमाग में थी। ख़ामोश रात उसके लिए जैसे समा बांध रहा हों।


छोटी सी उंगली, एक-एक करती अपस्यु के आंसू पोंछती, उसके होंठ से होंठ को स्पर्श करके ऐमी उसके पास लेट गई… "वो दूर देखो 2 तारे जो साथ में है, एक सुनीता (ऐमी की मां) है और दूसरी सुनंदा (अपस्यु की मां)। दोनो साथ ही है और ऊपर से हमे देख रही।"


अपस्यु करवट लेकर ऐमी के ओर मुरकर, अपनी उंगली उसके चेहरे पर फिराते…. "तब तो उन दोनों ने हमे चूमते हुए देखा होगा।"..


ऐमी भी अपस्यु के ओर करवट लेती, उसके नाक पर अपनी उंगली फीराती… "नाह ! दोनो ने अपनी आखें मूंद ली होगी और ऊपर से मुसकुराते हुए आशीवार्द से रही होगी।"


अपस्यु नाक से नाक को स्पर्श करते… "बस तुम्हे यकीन है ना कि वो दोनो खुश होंगे।"..


ऐमी:- हां बिल्कुल खुश होंगे। तुमने तो अपने बदला लेने से पहले, दोनो के प्रिय लोगों को संजोए है। खुश क्यों नहीं होंगे।


अपस्यु:- नाह ! मैंने एक के साथ बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया ऐमी। मैं कुंजल और मां को देखता हूं तो खुद में दोषी सा महसूस करने लगता हूं। जैसे मैंने अपनी मासी की तलाश की थी, उसी प्रकार पहले मुझे अपने बहन और छोटी मा की तलाश करनी चाहिए थी। अंदर के द्वेष ने मुझे रोका और हर पल मुझे इस बात का एहसास होते है कि काश मैंने कोशिश की होती तो उन्हें नरक के कई साल झेलने ना परते।


ऐमी, अपस्यु का चेहरा अपने सीने से लगाकर बालों में हाथ फेरते हुए कहने लगी…. "तुम्हे जीते देखती हूं तो अच्छा लगता है। खुद को बीते वक़्त में ले जाने से अच्छा है, अब जब वो साथ है तो उन्हें हर खुशी दी जाए।"


अपस्यु, सुकून से अपना आखें बंद करते… " हां ये भी सही है अवनी"..


ऐमी:- हां मै समझ रही हूं, तुम मुझे अवनी क्यों पुकार रहे हो। ठीक है कल का काम खत्म करके चलेंगे मासी और मामा के यहां। मै भी जोड़ने कि एक कोशिश करती हूं, लेकिन अब भी यदि कोई विकार उगल दिए उन लोगों ने…


अपस्यु:- तो उसे मात्र एक इंसानी स्वाभाविक सोच, समझकर हम मुकुराएंगे और यह मान लेंगे की वो भी अपने है, बस सोच नहीं बदली जा सकती।


ऐमी:- आई लव यू..


अपस्यु अपना चेहरा ऐमी के सीने से अलग किया और उसके चेहरे को देखते हुए मुस्कुराने लगा। ऐमी भी मुसकुराते हुए अपनी ललाट ऊपर खींचती इशारे में पूछने लगी "क्या हुआ"…


अपस्यु जवाब में ऐमी के होंठ से होंठ लगाकर प्यार से चूमते हुए अलग हुआ और उसके आखों में आखें डालकर कहने लगा…. "लव यू टू"..… दोनो एक दूसरे को देखकर मुसकुराते रहे और अपस्यु अपने आलिंगन में ऐमी को लेकर सो गया। सुबह कौतूहल में दोनो की नींद टूट गई। सुबह के 6 बज रहे थे, और बच्चे काफी उत्साह से फ्लैग होस्टिंग के लिए कतार बनाकर जा रहे थे।


अपस्यु उनके कतार को देखकर मुस्कुराते हुए कहने लगा…. "देश तो इन बच्चो के दिलों में धड़क रहा है, वरना हम तो काम में इतने फिक्रमंद हो गए की कभी जुबान से देश का नाम नहीं निकला।


ऐमी:- टैक्स चोरी नहीं कर रहे ना, बस हो गई देश सेवा, और आज तो हम अपना निजी स्वार्थ साधने के चक्कर में कहीं ना कहीं देश के काम भी आ ही जाएंगे..


अपस्यु:- वकील की बेटी हो ना, लॉजिक तो जोड़ ही दोगी। चलो चलकर फ्लैग होस्टिंग का हम भी हिस्सा बने।


अपस्यु जल्दी से तैयार होकर सबको हॉल में बुला लिया। सब लोग इकट्ठा होकर टीवी चालू करके झंडारोहण में हिस्सा लेने लगे। पूरा कार्यक्रम सब ने देखा। शक्ति प्रदर्शन को देखकर गर्व सा महसूस करते सबने एक बार उन सहासी वीर जवानों को नमन किया।


सुबह के 9 बजे, सब वहां से निकल गए। अपस्यु, वीरभद्र को कुछ बातें समझाकर वहां से सबसे आखरी में निकला। 6 गाडियां एक कतार में एक जैस गति को बनाए, लोकेश के इलाके में घुस रहे थे। लोकेश के हाई टेक गांव के सरहद पर अपस्यु के पुरा कारवां रोककर कंट्रोल रूम से संपर्क किया गया। वहां से ऑर्डर मिलते ही सभी गाड़ियों को आगे जाने दिया गया।


तकरीबन 2 किलोमीटर अंदर घुसने के बाद विक्रम राठौड़ का भी साम्राज्य दिखने लगा, जिसे लोकेश के इशारे पर री मॉडलिंग किया गया था। चारो ओर खूबसूरत बिल्डिंग, सड़क और फेंसिंग ऐसी मानो हॉलीवुड की पुरा कॉपी करके उतार दिया गया हो। 12 लेन की सड़क के दोनों ओर निश्चित दूरी पर डुप्लेक्स मकान बने हुए थे जिनके आगे का इंटरियर पूरे सिसे का था। हर घर के आगे बागवानी और पुरा गांव छोटी सी घाटी में बसा था। दूर से देखने पर ऐसा लगता था, एक घर के ठीक ऊपर दूसरा घर बना है, लेकिन जब उन घरों के बीच से निकलो, फिर पता चलता कि घाटियों की घुमावदार सड़क है, जो हल्का स्लोप बनाते उपर की ओर ले जाती है।
Super fantastic update bhai
To Lanka me ghus gaye Apasyu and team ab dekhna hai ki Lanka ko kaise jalayenge
 

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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सबसे ऊपर और घाटी के आखरी में एक शानदार महल बाना था, जिसकी सीमा तकरीबन 500 मीटर में फैली थी। महल की बाउंड्री से कई सारे स्वीट्स और 3-4 मनमोहक स्विमिंग पूल थी, और ठीक उन सब के बीचों बीच, बड़ा सा महल था… तकरीबन 200 मीटर के दायरे में 80 फिट ऊंचा महल।


एक-एक करके सभी गाडियां उस महल में घुसने लगी। एक स्टाफ ने इशारे से सभी कार को सेपरेट पार्किंग देकर, अपने पीछे आने के लिए कहा। कुछ छोटी सी पिकअप वैन उन्हें लेने के लिए पहुंची। भाव्य महल के मुख्य द्वार पर लोकेश और मेघा दोनो खड़े थे। अपस्यु को सामने देखकर उसके गले मिलते हुए लोकेश कहने लगा…. "आज से पहले किसी से मिलने की इतनी बेताबी कभी नहीं हुई।"..


"क्यों हम सब का श्राद यहीं पर करने के लिए मरे तो ना जा रहे लोकेश सर।"… पीछे से आरव से तंज कसते हुए कहने लगा।


लोकेश:- जब साथ मिलकर हम पूरी दुनिया जीत सकते है फिर एक दूसरे को मारकर ताकत कम क्यों करना। राजपुताना इतिहास गवाह है कि जब-जब भाइयों कि शक्ति इकात्रित हुई है, हमने फतह हासिल की है।


आरव:- फिर ऐमी सिन्हा यानी कि ये तो मेरी भाभी की बेज्जती कर रहे है, क्योंकि वो हमारे साथ ना हो तो दुनिया तो दूर की बात है, गाली फतह ना कर पाए।


स्वास्तिका:- क्यों आप इन सब बातों को छेड़कर बाबा अपस्यु को बोलने पर मजबूर कर रही हो, जो खुद को ब्राह्मण मानता है।


ऐमी:- और ये आरव तो वैश्य है ना।


लोकेश इनकी बातें सुनकर हैरानी से सबका चेहरा देखते…. "ये तुम लोग मेरे साथ मज़ाक कर रहे हो ना।"


कुंजल, लोकेश का कन्फ्यूजन से भरा चेहरा देखती हुई कहने लगी…. "बस भी करो सब, बंद करो लोकेश भईया को छेड़ना। लोकेश भैय्या इनकी बातों को ध्यान मत दो, वरना आपको संन्यास लेना होगा। वो आपका स्टाफ हमारा बैग लेकर वहां क्या कर रहा है?


स्वास्तिका:- कितने शर्म कि बात है, हमारे अंडरगारमेंट्स को आखें फाड़े ये लोग नुमाइश के तौर पर देख रहे है, वो देखो एक-एक कपड़ा उठाकर चेक कर रहे। शर्म आनी चाहिए आपको।


अपस्यु:- लोकेश भईया, उनसे कहो अभी के अभी बैग पैक कर दे। विश्वास मानो अगर मुझे यहां का पूरा कुनवा साफ करने का इरादा होता तो महज एक रात की कहानी थी। आपसी विवाद ना हो कहीं इन छोटी छोटी बातों से और मै ये सोचने पर मजबूर हो जाऊं की भीख में मिली हमारी इस जगह पर आप हमारी बेज्जती कर रहे हो।


बातों ही बातों में लोकेश की ऐसी घोर बेज्जती हो गई की वो गुस्से का घूंट पीकर अपने स्टाफ के पास गया और खींचकर तमाचा मारते हुए अच्छे से समझा दिया कि जो आए है वो मेहमान नहीं, बल्कि परिवार के लोग है, बैग को पैक करके चुपचाप कमरे तक पहुंचा दिया जाए।


वहां के स्टाफ को समझाने के बाद लोकेश स्टाफ हेड मिस काया के पास पहुंचा और आए हुए लोगों के बारे में सभी बातें समझाकर, वापस अपस्यु के पास लौटा…. "लगता है हम दोनों को कुछ वक़्त साथ गुजरना होगा एक दूसरे को समझने के लिए। अभी हुई बदतमीजी के लिए मै माफी चाहता हूं, यहां केवल बाहरी लोग आते है और काम ऐसा है कि एक छोटी सी गड़बड़ी के कारन हमारी छिपी दुनिया बाहर आ सकती है। कभी यहां परिवार लेकर आए ही नहीं जो इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते। अभी के लिए माफ करो, मैंने यहां के स्टाफ हेड काया को सब समझा दिया है, एक इंच भर की भी परेशानी नहीं आएगी।"..


अपस्यु:- थैंक्स भईया, ये जगह को आपने कमाल का डेवलप किया है, यहां अगर परिवार को नहीं लाते हैं, तो गलती आपकी है।


लोकेश:- चलो इस गलती को भी जल्द सुधार लूंगा, अभी मै चलता हूं। यहां आराम से घूमो फिरो, एन्जॉय करो। रात को सभी पार्टनर्स के साथ एक छोटी सी पार्टी है और पार्टी के होस्ट हम सब ही है, इसलिए शार्प 8 बजे तक पार्टी हॉल में ही मुलाकात होगी और फिर काम कि सारी बातों पर चर्चा कल सुबह।


अपस्यु:- ठीक है भईया।


लोकेश मेघा की लेकर वहां से निकल गया और ये सभी लोग काया के साथ अपने अपने कमरे के ओर चल दिए। जैसे ही लोकेश महल से बाहर आया, मेघा से झुंझलाकर कहने लगा…. "ये लोग क्या पागल है, मेरी जगह पर खड़े होकर मुझे ही बेज्जत कर रहे थे। 2 मिनट नहीं लगेंगे और सबकी कहानी समाप्त हो जाएगी।"


मेघा, लोकेश के चिढ़े चेहरे को देख सुकून सी महसूस करती हुई ठंडी श्वांस अपने अंदर खींची और हंसती हुई कहने लगी…. "तुम बेवकूफ हो क्या लोकेश। तुम्हरे बुलाने पर वो पुरा परिवार लेकर आया है और तुम ऐसे उसके कपड़े चेक करवा रहे थे। यार सच में बहुत बेगैरत हो। एक भाई का खून तो खौलेगा ही।"

किसी के बैग की ऐसी चैकिंग मतलब उस आदमी पर संदेह होना। साथ मिलकर काम भी करना है और इतना छोटा सोच भी रखना है। अब कम से कम यह दावा मत करना की उन्हें 2 मिनट में समाप्त कर सकते हो, ऐसा होता तो उनको ऐसे संदेह से नहीं देखते, बल्कि खुद में विश्वास होना चाहिये था की बैग में ये कुछ भी लेकार आओ लेकिन यहां का बादशाह मै हूं और यहां तुम मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते।


लोकेश:- हम्मम ! हां अब सब साफ समझ में आया। लगता है बहुत बड़ी गलती हो गई। खैर काया को और अच्छे से समझा दू और सारे रिस्ट्रिक्शन हटाने कहता हूं।


लोकेश फौरन काया से बात करके उसे साफ समझ दिया कि इस जगह पर जो अन्य लोगों के लिए प्रतिबंध होता है, वो इनपर लागु ना किए जाए, सिवाय कंट्रोल रूम के। वहां छोड़कर जहां जाने की इक्छा है वहां ले जाओ, जो करना चाहते है वो करने दो और जो वो कहते है, वो काम पहले पुरा होना चाहिए।


काया इस वक़्त जो अपस्यु और ऐमी के साथ उसके कमरे में आयी थी, लोकेश से बात करके हां में अपना सर हिला दी…. "क्या हुआ लोकेश ने बोल दिया हर रूम के सर्विलेंस को बढ़ा दो और उन लोगों की एक्टिविटी लगातार वॉच करते रहो। ये इतना लीचड़ कैसे हो सकता है।".. ऐमी तंज करती हुई कहने लगी।


काया:- नो मैम, उन्होंने कहा है की रूम के जितने भी सर्विलेंस है उन्हें हटा दिया जाए और आप सब फैमिली मेंबर है, इसलिए उन्होंने कहा है आप को मालिक की तरह ट्रीट किया जाए। बस केवल कंट्रोल रूम के ओर मना किया है आने से। वो चाहते हैं कि शाम की पार्टी और मीटिंग के बाद लोकेश आपको वो पूरी जगह खुद दिखाए और आराम से समझा सके कि वहां से क्या-क्या होता है।


काया हर सर्विलेंस को बंद करके अपस्यु के पास पहुंची… "लंच में अभी टाइम है सर, आप कहीं घूमकर आना चाहेंगे।"..


अपस्यु:- हां, हां क्यों नहीं, लेकिन आप हमे घूमने लेकर चलें और कोई मस्त सी जगह हो।


काया मुस्कुराती हुई अपस्यु को देखी और बस 2 मिनट बाद बाहर आने कही। 2 मिनट बाद जब अपस्यु और ऐमी बाहर आए, काया एक कार लिए दरवाजे पर इंतजार कर रही थी। अपस्यु और ऐमी, काया के साथ निकले। तकरीबन 10 मिनट की ड्राइविंग के बाद तीनों एक आर्टिफिशियल झील के पास पहुंचे। काया दोनो को झील दिखाते हुए आगे बढ़ने लगी।


चलते-चलते तीनों झील के पीछे पहुंचे जहां झील की पहली नीव रखी हुई थी। जैसे ही तीनों वहां पहुंचे, काया झट से अपस्यु के क़दमों में गिरती… "मेरा बच्चा कैसा है। कितना बड़ा हो गया वो। कोई तस्वीर हो तो प्लीज मुझे दिखा दो।"


ऐमी काया को उठाती….. "आपका बच्चा यूं समझो अब हमारा बच्चा है, और विश्वास मानिए उसके नए पिता बहुत ही केयरिंग है।"..


काया:- हां मै जानती हूं। बहुत दर्दनाक फैसला था वो, लेकिन मै कभी नहीं चाहूंगी की मेरा बच्चा या तो मुझ जैसा बने या अपने बाप जैसा।


अपस्यु:- उसके बाप में क्या बुराई है?


काया:- मुझे नहीं लगता कि तुम्हे बताने कि जरूरत है। जब मैंने तुम्हे वैभव को सौंपी थी तभी बताई थी… जिन बच्चों का हाथ तुमने थामा है, उसे ना तो वो देखने आए जो हमारे दिमाग को खराब करके हमे गलत करने के लिए मजबूर करते थे और ना ही उसने कभी ध्यान दिया जो सबको एक तराजू में तौलकर अपने तांडव से सबको बस यतीम करता चला गया।


अपस्यु:- वो आया था अपना बच्चा लेने..


काया, अपस्यु के ओर सवालिया नज़रों से देखने लगी, मानो उसका धड़कता दिल पूछ रहा हो, क्या मेरा बच्चा अभी उसके पास है या उसका पिता लेकर गया। काया की दुविधा को भांपते हुए ऐमी कहने लगी…. "ना तो तुम्हारा बच्चा यतीम है और ना ही उसके अभिभावक कमजोर। फिर यह ख्याल क्यों आया कि वो हमसे उस बच्चे को ले गया होगा।"


काया:- हम्मम ! थैंक्स.. वैसे सुनकर थोड़ा सुकून हुआ की कम से कम अपने बच्चे को ढूंढने तो आया दृश्य। वैसे तुम दोनो इस जल्लाद लोकेश के परिवार से हो, सुनकर थोड़ा अजीब लगता है।


अपस्यु:- एक अजीब बात और बताऊं, तुम्हारे बच्चे का बाप जो है, वो मेरा मौसेरा भाई है।


काया:- आह ! तभी मै सोचूं की वो अपने बच्चे को लेने आया और खाली हाथ कैसे गया। शायद तुम उसके भाई थे यह सोचकर कुछ नहीं किया वरना उसका गुस्सा सही गलत में फर्क नहीं करता।


अपस्यु:- काया ये बहुत लंबी कहानी है और समझना थोड़ा पेंचीदा। मुझे और दृश्य दोनो को पता है कि बचे हुए वीरदोयी लोकेश को अपनी सेवा दे रहे है।

काया:- नहीं, सभी बचे हुए वीरदोयी तो यहां नहीं है लेकिन हां जिनको खून खराबा और पॉवर का नशा सर पर है वो यहां है। और उन वीरदोयी के यहां होने से बहुत से वीरदोयी मजबूरी में फस गए जो आम ज़िन्दगी जीने की ख्वाहिश रखते थे। लेकिन दृश्य को पता चल चुका है कि बचे हुए वीरदोयी यहां है तो क्या वो आ रहा है?


अपस्यु:- घबराओ मत वो यहां तुम्हारे लिए नहीं आया था। तुम समझ सकती हो की यदि वो यहां आया होगा तो किसके पीछे आया होगा और उसके कारन एक बार फिर से तुम लोग उसके नज़रों में आ गए।


काया:- हम्मम ! किस्मत देखो.. बहुत से वीरदोयी यहां मज़े के लिए काम करते है तो बहुत से मजबूरी में। मैं दृश्य को भी गलत कहकर क्या करूंगी, जब अपने ही लोग अपना अस्तित्व मिटाने पर लगे है।


अपस्यु:- लंच के बाद तुम मेरे कमरे में मिलो, वहां हम दोनों मिलकर उन लोगो को बचा सकते है जो मजबूरी में यहां फसे है।


काया:- संभव नहीं है। मै इस कोने में इसलिए तुमसे बात कर पा रही हूं, क्योंकि यहां उनका सर्विलेंस नहीं है। वैसे भी जिस तरह से तुम लोगों ने लोकेश को डरा रखा है कम से कम 10 नजरें तो तुम सब पर टिकी ही होगी।


अपस्यु:- लोकेश क्या वाकई में डरा हुआ है?


काया:- हां ये बात सभी वर्किंग स्टाफ और उसके ऑपरेशन हैंडलर को पता है, तभी तो तुम लोगों के आने से पहले, 40 वीरदोयी लड़ाके को कंट्रोल रूम से लेकर महल तक काम पर लगाया है, वरना पहले तो सर्विलेंस के जरिए ही पुरा नजर रखा जाता था।


अपस्यु:- कोई बात नहीं है उसे डरने दो। तुम बस लंच के बाद मेरे कॉल का इंतजार करना।


ऐमी:- फिलहाल एक काम कर दो हमारे लिए। ऐसी जगह जहां कोई सर्विलेंस ना हो और वहां तारों का पूरा जाल बिछा हो।


काया, वैभव की मां और दृश्य की एक अनचाही पार्टनर, जिसे सिर्फ़ इसलिए दृश्य के बच्चे की मां बनने पर मजबूर किया गया था ताकि दृश्य को यदि मारना परे तो तो आगे के एक्सपेरिमेंट, काया और अपस्यु से पैदा हुए बच्चे पर किया जाना था। लेकिन बच्चे को जन्म देते ही, एक मां कि ममता जाग गई और वो अपने बच्चे को किसी पागल साइंटिस्ट के हाथ में नहीं सौंपना चाहती थी जो उसके ऊपर अपना एक्सपेरिमेंट करे।


छिपते भागते उसे एक दिन अपस्यु के बारे में पता चला था और रात के अंधेरे में वो अपने बच्चे को अपस्यु को हाथ में सौंप अाई थी। उसके बाद वो आज मिली थी। हालांकि अपस्यु को पहले से पता था कि दृश्य के तूफान से बचे वीरदोयी एक जगह जमा होकर कहां काम कर रहे है।


काया के मिलने से अपस्यु का काफी समय बच गया, वरना तारों के जाल को अपने माइक्रो डिवाइस से ढूंढने में काफी वक़्त लग जाता। अपस्यु ने जैसा बताया काया ने ठीक वैसी एक जगह पर अपस्यु को ले गई। ऐमी के लिए ये जैकपॉट से कम नहीं था, क्योंकि सर्वर का मुख्य कनेक्शन वायर मिल चुकी थी। 5 मिनट में हैकिंग डिवाइस सेट हो चुका था। वापस दोनो अपने कार पार्किंग से होते हुए लौटे और कार से हर जरूरत का सामान निकालकर अपने बैग में पैक हो चुका था।
Kaya baibhav ke maa nikli aur uski bajha se Ami ne haking device bhi set kardiya super
 

nain11ster

Prime
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Back to back six update.... Wow Nain bhai ?

छः अपडेट में रिभियू तो बहुत बड़ा होगा लेकिन मैं कम से कम शब्दों में करने की कोशिश करता हूं ।

दृश्य... किसी ने उसे अनाथ बना दिया और उसके बदले में कई बच्चों को उसने अनाथ कर दिया....कई बच्चों के सर से मां बाप का साया हमेशा के लिए खतम कर दिया उसने..... ये उसने बदले की भावना से ग्रस्त हो कर किया ।...
लेकिन उससे भी कहीं अधिक जिसने गम के प्यालों को पिया हो... अपस्यू....बदला भी इंसाफ के तराजू पर तौल कर ले रहा है ।......... इसीलिए तो वो मेरा फेवरेट है ।

दृश्य...वीरदोयी समाज ने उसका क्या बिगाड़ा था ?..... और वो अनाथ कैसे हो गया जबकि उसके माता-पिता सही सलामत है...... शायद कुछ और ही ट्विस्ट होगा ।

सुनंदा.........

इस बेचारी की कहानी तो बहुत ही दर्दनाक है.........

सुलेखा ... उसकी सहेली किसी अय्याश के कुकर्मों का पैदाइश थी.... और उसकी मां को उस अय्याश के कुकर्मों का फल अपनी जान देकर चुकानी पड़ी..... फिर उस अनाथ बच्ची को एक ब्राह्मण परिवार ने गोद लिया लेकिन दुर्भाग्य ने यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ा...उस ब्राह्मण परिवार में से ही किसी ने अपनी कुदृष्टि उस अभागी बच्ची पर डाली....।

लेकिन सुनंदा....जो अब तक सुलेखा की सहेली बन चुकी थी..... अपनी सहेली को उस दुराचारी से बचाने के लिए अपने उपर बलात्कार का आरोप लगवाई .... जिसके फलस्वरूप उस ब्राह्मण परिवार को गांव से हमेशा के लिए परित्याग करना पड़ा ।....... और फिर वो सुनंदा परिवार का हिस्सा बन गई.....शायद इस ब्राह्मण परिवार को भी बाद के अपडेट्स में पढ़ने को मिलेगा ।

सुनंदा.... जिसने अपने सहेली की इज्जत को बचाया.... लेकिन उसके बाद तो उसकी दुनिया ही बदल गई.... लोग-बाग उसे हर समय ताना मारते रहे....उसे छेड़ते रहे । उसकी शादी जो हो चुकी थी... सिर्फ गौना नहीं हुआ था... वो भी टुट गई.... बड़ी मुश्किल से उसकी शादी एक बदनाम रघुवंशी परिवार में हुई.... हसबैंड बहुत ही घटिया मिला......उस बेचारी को जिंदगी भर कष्ट का सामना करना पड़ा.... थोड़ी सी अपनी जीवन जी भी तो अपस्यू और आरव को जन्म देकर ।.......काश आप सुनंदा को एक बार फिर से चमत्कारिक ढंग से जिंदा कर देते और उसकी खुशियां वापस कर देते ।

* सवाल है कि कंचन और सुनंदा के घर में पहले भी... एक शादी होने के बाद भी टुट गया था... सुनंदा की तरह.... किसका ?

* वो धोखेबाज कौन था जिसने दृश्य को धोखा दिया और क्या धोखा दिया था ? उसका अंजाम क्या हुआ ?
* वीरदोयी समाज ने दृश्य के साथ ऐसा क्या कर दिया था कि दृश्य उनका नामोनिशान मिटा देना चाहता था ?
* सुनंदा और कंचन का उस ब्राह्मण परिवार से क्या ताल्लुक था ?
* ये निम्मी और दृश्य का जुगलबंदी कब हो गया ?
* सुलेखा के मां बाप कौन थे ?
* ब्राह्मण परिवार कौन था और इसी परिवार का वो दुष्कर्म व्यक्ति कौन था जिसने सुलेखा पर बुरी नजर रखी हुई थी ?
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आखिर में जिंदल परिवार ने सार्जेंट हाॅप्स की सेवा ले ही लिया... अपस्यू और सार्जेंट हाॅप्स के बीच दिमाग और टेक्नोलॉजी का युद्ध होगा.....जो कि मुझे लगता है काफी मजेदार होगा ।

छः ऋतुएं की तरह छः अपडेट.... Awesome... Outstanding.... Superb.
Drish ki apni ek puri kahani hai jahan jise maine karib 280+ update me likha hai... "Kuch Nahi Tere Bin" .. wahan aap virdoyi.. drish ki past aur present story sab dekh sakte hain... Complete romance action thrill hai...

Kanchan aur Sunanda ke ghar me uski badi bahan kanchan ki shadi todi gayi thi ... Wo bhi Pratap ke dwara... Kafi drama hua tha jab Kanchan aur pratap ka pyar panpa tha.. naubat kanchan ko jahar dene tak aa gayi thi... Tab pratap ne action dikhaya .. panchayat baithi thi.. jahan veer ne pahle hi uss ladke mil aaya tha jiss se kanchan ki shadi thi aur panchayat ke bich wo shadi todi gayi thi ...

Nahi virdoyi samaj ne aisa kuch bhi nahi kiya tha jo drishy uska namonishan mita de .. haan lekin ye virdoyi apne khatarnak irade ke sath drishy ko gherne me lage the .. aur jab drish marne par aaya tha tab kahan use kuch dikha tha...

Nimmi ka section aage cover hoga ...

Main udhar Sulekha ke past detail me nahi jaunga .. halanki ek chhubd mansikta wale ne jabardasti kukarm kiye the..

Udhar ki past story par maine jyada mehnat nahi ki kyonki jo main highlites the wo maine dikha diya .. warna har charecter ki seperate story ho jati... Fir sunanda ko hi le lijiye.. ya fir Bhushan aur Nandni ki love story... Ya fir Sulekha ki story .. ya fir chandrbhan ki kahani .... Isliye thode se highlights ke sath thoda past aur surwati jivan sab ke ujagar kar diye hain...

Baki aapke ati priye shabdon ka shuruya .. sath me mafi bhi chahunga kyonki ... Sunanda ki kahani aur jivan lila uss agni me samapt ho chuki thi.. kabhi kabhi hum likhne walon ke bhi bahut se ristricrtions hote hain ..

Kahani kuch concepts ke sath likhna shuru kiya tha... Chunki pahle mara dikhana fir sajis hui baad me wo jivit hai.. aisa mai likh chuka tha .. isliye iss baar shuru se maintain tha ... Jo mara wo mara .... Ab kisi vidhi nahi aane wale..

Next charecters ache hote hain aur logon ke bich rahkar sajis karte hain aur anth me pata chalta hai oh to ye dhokebaj tha... Is bar ise bhi minus kar diya ... Bure aur sajiskarta ek ore aur ache aur achha karne wale dusri ore...

Shukriya aap ke itne vranit comment ka... Aise hi apne vichar dete rahiye aur .. koi sawal rah gaya ho to awashya puchhiyega :hug:
 

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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Update:-128





काया के मिलने से अपस्यु का काफी समय बच गया, वरना तारों के जाल को अपने माइक्रो डिवाइस से ढूंढने में काफी वक़्त लग जाता। अपस्यु ने जैसा बताया काया ने ठीक वैसी एक जगह पर अपस्यु को ले गई। ऐमी के लिए ये जैकपॉट से कम नहीं था, क्योंकि सर्वर का मुख्य कनेक्शन वायर मिल चुकी थी। 5 मिनट में हैकिंग डिवाइस सेट हो चुका था। वापस दोनो अपने कार पार्किंग से होते हुए लौटे और कार से हर जरूरत का सामान निकालकर अपने बैग में पैक हो चुका था।



काया साथ थी, और लोकेश का आदेश फिर बैग कौन चेक करता है। दोनो वहां से अलग अलग कमरे में गए। अगले 1 घंटे में बिना लोकेश के टेक्निकल टीम की जानकारी के बगैर सारे फायरबॉल को भेदकर, ऐमी उनके पूरे सिस्टम में घुस चुकी थी।


बस थोड़ी देर की मेहनत और सभी कमरों की काल्पनिक ऑडियो-वीडियो फुटेज चलना शुरू हो चुका था। जैसे ही ऐमी का काम खत्म हुआ, अपस्यु ने सबको तुरंत संदेश भेजकर बता दिया कि, कमरे कि कहां-कहां की वायर को काटना है ताकि उनका असली ऑडियो, लोकेश के कंट्रोल रूम तक नहीं पहुंचे। 2 मिनट बाद सबके वापस संदेश पहुंच गए… "काम हो गया।"..


लोकेश के सर्विलेंस को छलने के बाद अपस्यु ने नीचे रिसेप्शन पर कॉल लगाया… जैसे ही उधर से हेल्लो कि आवाज़ आयी, अपस्यु ने काया को लाइन पर बुलाया और अपने अरमान जाहिर करते हुए कहने लगा…. "तुम्हारे साथ घूमने के बाद ऐसा लगा कि अब तुम्हारे एक-एक कपड़े निकालकर, तुम्हारे हरे-भरे बदन पर भी घूम लूं, जल्दी से मेरे कमरे में आ जाओ।"…


काया, अपस्यु की बात सुनकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी और लोकेश को कॉल करके अपस्यु का इरादा बताने लगी। लोकेश के दिमाग में मेघा और अपस्यु की छवि पहले से ही साफ थी। लोकेश खुश होकर काया को उसके कमरे में जाने के लिए बोल दिया। लोकेश को समझ में आ चुका था कि क्या होगा अंदर, इसलिए वो ऑपरेटर अजय को लगातार कमरे कि सर्विलेंस करने और उसके जोश को नोटिस करने बोल दिया।


काया जैसे ही कमरे के अंदर पहुंची, अपस्यु ने झटके से दरवाजा बंद कर दिया। इधर ऐमी पोर्न वीडियो के ऑडियो-विजुअल में अपस्यु और काया को एडिट कर, उस कमरे को फ्रेम कर दी और प्ले होता छोड़ दी। ऐमी अपना काम पूरा करने के बाद अपस्यु को 20 मिनट का संदेश भेजी।


इधर काया शांत उसके बिस्तर पर बैठी यही सोच रही थी कि अपस्यु के बारे में वो क्या राय बनाए।…. "हमारे पास बस 20 मिनट है, अब मुझे उस घटना कि जानकारी चाहिए जिसमें एक लोकल लड़की के साथ ग्रुप सेक्स किया था।"..


काया हैरानी से उसे देखती… "तुम्हे पता भी है तुमने मुझे क्यों बुलाया है, इस वक़्त कम से कम 20 लोग हमे देख और सुन रहे होंगे।"..


अपस्यु:- वो तो अभी हमारे सेक्स कि शुरवाती सीन देख रहे होंगे। मन में कोई दुविधा मत पलो, बस तुमसे लंबी जानकारी चाहिए इसलिए ऐसे बहाने से बुलाया है। अब जो पूछा वो बता दो।


काया:- "यहां लोकल बहुत कम लड़कियां लाई जाती है। हां पर उस चकुबाज लड़की को नहीं भुल सकती। जब वो यहां आयी थी तब हंसती हुई आयी थी। लोकेश उसके लिए कोई महान शक्सियत था, जिसके पास वो खुद को खड़ी पाकड़, काफी फक्र महसूस कर रही थी। पहले उसे लोकेश ने नोचा था, फिर बारी बारी से कई लोगों ने।"

"लगभग 15 दिन वो यहां रही थी। पहले 3 दिन तो वो लोकेश की होकर रही थी उसके बाद लोकेश ने एक मिशन सफल होने की खुशी में 40 लड़कियों को बुलाया था उन्हीं के साथ उस लड़की को भी सबके पास भेजा दिया। किसी ने उसकी सुनी नहीं। बस दिन रात नोचते रहे। 40 लड़कियां जो आयी थी उनका काम ही था जिस्मफरोशी, जबकि उस लड़की का विरोध करना और रोना सबको ज्यादा आकर्षित करता था जैसे। सब पहले उसी को नोचते फिर कहीं और मुंह मारते। इस से पहले भी लोकल की 2 और लड़कियां लाई गई थी। एक ने यहां की जिल्लत से आत्महत्या कर ली और दूसरी को कोई बड़ा नेता अपने साथ ले गया।


अपस्यु:- फिर वो चाकूबाज लड़की निम्मी, इनके चंगुल से कैसे निकली ?


काया:- श्वांस बंद हो रही थी, नब्ज से खुन लगातार निकालते रहे और किसी ने रोका तक नहीं था। बल्कि उस कुत्ते भार्गव के एक्सपेरिमेंट वीरदोयी, उसके नब्ज से खून निकल रहा था और उसके साथ सेक्स चल रहा था। मत याद दिलाओ वो मंजर। उस मंजर को देखकर तो हैवान तक का कलेजा कांप जाए। उस लड़की निम्मी की लाश को बाकी लाश के साथ फेक आए थे, ऐसे निकली वो।


अपस्यु:- हम्मम ! तो ये कनेक्शन है।


काया:- कैसा कनेक्शन।


अपस्यु:- बुरे फंसे हो तुमलोग, इसलिए वो दृश्य इतना पगलाया है और लोकेश को हर कीमत पर साफ करना चाहता है। निम्मी को मारा समझकर इन लोगों ने जिस अंधेरे में उसे फेका होगा, वहां दृश्य को निम्मी मिली होगी। पहले तो उसे बचाया होगा, फिर उसकी कहानी जाना होगा।


काया:- हाहाहाहाहा… अपस्यु इसे कर्मा कहते है। दृश्य की बेरहमी तो मै देख चुकी हूं, बस अब तुम्हारी बेरहमी देखनी है। वो 40 वीरदोयी जो कंट्रोल रूम से लेकर महल तक फैले है, नोचने वाली पूरी यही टीम है और उनका बाप वो लोकेश। ऐसा मारना कि बस दिल खुश हो जाए…


अपस्यु:- केवल वही 40 लोग है या और भी है?


काया:- यहां केवल वीरदोयी थोड़े ना काम करते है। यहां डिपार्मेंट बने है। 2 डिपार्मेंट एक ऑपरेशन हैंडलर और दूसरा टेक्निकल टीम, इनमे काम करने वाले लगभग लोग, 100% जल्लाद, गंदी नली के कीड़े हैं, केवल 4 को छोड़कर। उसके अलावा जैसे तरबूज को देखकर तरबूज का रंग बदलता है, ठीक वैसे ही अलग-अलग डिपार्मेंट में भी कई ऐसे लोग है जिनके वजह से यहां के कई इनोसेंट स्टाफ की लड़कियां मुक्ति पाना चाहती है।


अपस्यु, लैपटॉप के स्टाफ लिस्ट खोलकर… "इनमें से दूसरे डिपार्टमेंट के उन लोगों को चिन्हित करो जिनका मरना बेहद जरूरी है। और हां वो जो 4 इनोसेंट है जिसके बारे में कहीं थी, उन्हें भी दिखा देना। वैसे यहां के कितने लोग काम करते हैं?

काया:- लगभग 1200 लोग का स्टाफ है। 40 लोगों की सर्विलेंस टीम है और 12 सॉफ्टवेर इंजिनियर काम करते है। इनमे से 1 को छोड़कर बाकी कोई भी जिंदा रहने के काबिल नहीं। और हां इसकी टीम का हेड है वो अजय, अगर हो सके तो उसे मारने का मौका मुझे दे देना, तुम्हारी एहसानमंद रहूंगी।


अपस्यु:- एक काम करो यहां स्क्रीन को देखकर मुझे सभी लोगों की लिस्ट दे दो जिनकी आत्मा मर चुकी है। तुम्हे जितना वक़्त चाहिए उतना वक़्त लो, और आराम से अलग करो…


काया को फ्री छोड़कर अपस्यु ने ऐमी को कॉल लगा दिया। उसे दूसरा वीडियो अपलोड करने के लिए कह दिया। साथ में यह भी कहा कि थोड़ा स्लो स्टार्ट वाला वीडियो प्ले करे, जबतक वो काम खत्म होने से 5 मिनट पहले इंफॉर्मेशन भेज देगा।


काया को ज्यादा वक़्त नहीं लगा। तकरीबन आधे घंटे में उसने संभावित लोगों की तस्वीर को टिक कर दिया। अपना काम खत्म करने के बाद काया कहने लगी… "कोई अगर छूट जाएगा और उसकी करतूत बाहर आ जाएगी, उसके लिए दृश्य या तुम्हे परेशान होने की जरूरत नहीं, उन्हें हम देख लेंगे।"


काम खत्म हो चुका था, अपस्यु ने ऐमी को को संदेश भेजा और ठीक 5 मिनट बाद ऐमी… "3 की गिनती से उसे बाहर जाने कहो।".. अपस्यु ने काया को इशारा किया। काया अपने बाल और हालात को पहले ही बिगाड़ चुकी थी, अपस्यु की 3 की गिनती मिलते ही वो बाहर निकल गई।


एक पल के लिए वहां बैठे ऑपरेटर अजय को शक हुआ कि अंदर से बाहर निकलते वक़्त काया के हुलिया में कुछ तो फर्क था। उसने वीडियो रिवाइंड किया लेकिन ऐमी भी उसकी गुरु थी, जैसे ही काया बाहर हुई, उसकी करंट इमेज को तुरंत दरवाजे के पीछे वाली इमेज से रिप्लेस कर चुकी थी।


काया के रूम से निकलते ही, अपस्यु भी अपना कमरा छोड़कर ऐमी के कमरे में आ गया। ऐमी अपने लैपटॉप से, हर चप्पे-चप्पे को देख रही थी। ऐमी तेजी से अपना काम करती, अपस्यु को बीच-बीच में कुछ कहती और अपस्यु भी उसके आदेश अनुसार काम को आरव, स्वास्तिका, कुंजल और खुद में बांट लेता।


तकरीबन 2 घंटे तक बैठकर सबने मिलकर काम को खत्म कर लिया। जैसे ही काम खत्म हुआ अपस्यु ने पूरी डिटेल दृश्य से साझा कर दिया। साथ में अपस्यु ने एक छोटा सा लिंक भी साझा किया, जिसके जरिए दृश्य का टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट आरूब आसानी से सर्वर में घुस जाए।


शाम के 4 बजे तक सारा काम खत्म कर चुका था। काम समाप्त करने के बाद ऐमी और अपस्यु दोनो हॉल में पहुंच गए। अपस्यु को देखकर ऐमी मुस्कुराती हुई कहने लगी… "मै कुछ पीना चाहती हूं, क्या तुम मेरा साथ दोगे।"


अपस्यु:- तुम्हारा साथ नहीं दे पाया तो फिर किसका साथ दूंगा स्वीटी, आज जो तुम पीना चाहो वो तुम पियो, और तुम्हारे साथ निभाने के लिए मै अपना प्यारा कॉकटेल पियूंगा।


ऐमी:- मिस्टर अपस्यु रघुवंशी..


अपस्यु:- येस मैम, आदेश करें।


ऐमी:- मेरे साथ देने का मतलब है कि मै जो पियूंगी वो तुम्हे पीना पड़ेगा।


अपस्यु:- तुम अब वो जेम्स बोंड वाली वेस्पर मार्टिनी कॉकटेल लोगी और वो मुझे पसंद नहीं।


ऐमी:- हुंह, तुम्हरे उस बकवास एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल से तो कई गुना बेहतर है।


अपस्यु:- हां तो तुम मार्टिनी पियो मै एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल पीता हूं, और एक दूसरे का साथ देंगे।


ऐमी:- ओह हो हो हो! अभी तो 2 मिनट पहले कह रहे थे कि मेरा साथ नहीं दोगे तो किसका दोगे। अब तुम जरा चुप बैठो। भईया यहां आना..


ऐमी ने एक स्टाफ को आवाज़ लगाई और वो तुरंत ऐमी के पास आकर खड़ा हो गया। ऐमी… "एक काम करो, हमारे लिए 2 मार्टिनी ले आओ।"


स्टाफ:- जी मैम, और कुछ..


ऐमी:- और कुछ हल्का फुल्का स्नैक्स ले आना।


स्टाफ:- सर आपके लिए कुछ लेकर आऊं..


अपस्यु:- कुछ लेकर मत आ, मैडम को ही बार काउंटर पर ले जा।


"क्या हुआ भाई, आपका मुंह क्यों उतरा हुआ है।"… जबतक अपस्यु बार काउंटर पर ले जाने की बात कर रहा था, तबतक कुंजल उसके पास आकर बैठती हुई, पूछने लगी।


ऐमी:- सुनो एक काम करो आप तो जल्दी से 5 मार्टिनी और एक बेस्ट माकटेल भिजवा दो।


कुंजल:- भाभी, भईया को क्या हुआ है, ये ऐसे इनका मुंह क्यों लटका है।


आरव:- ऐमी ने ड्रिंक ऑर्डर किया है ना..


कुंजल:- हां भाई..


आरव:- हां तो इसका मुंह लटकाना ही था। अभी कहेगा नहीं-नहीं मुझे मार्टिनी पसंद नहीं और ना-ना बोलकर 10 मार्टिनी गटक जाएगा।


स्वास्तिका:- तुम लोग बड़े एहसान फरमोश निकले, कम से कम बता दिया होता की सब यहां बैठने वाले हो।


ऐमी, पार्थ के ओर इशारा करती…. "इस गरीब को क्या हो गया, कल से देख रही हूं बड़ा गुमसुम हैं।"


अपस्यु:- मैंने इश्क़ दा लगाया रोग, मेनू बचने दी नय्यो उम्मीद।


अपस्यु का तंज सुनकर सब लोग हसने लगे। इतने में सबकी ड्रिंक भी पहुंच गई। सभी लोग टोस्ट करते हुए अपना जाम उठा लिए। फिर वही हुआ जैसा आरव ने कहा था। सब लोग 2 ड्रिंक के बाद रुक गए और अपस्यु बड़े आराम से 10 ड्रिंक लेने के बाद वहां से उठा।


लोकेश को तो लगातार एक के बाद एक खुशखबरी मिलती जा रही थी। पहले सबाब फिर शराब। विकृत मानसिकता वाले इंसान के सभी लक्षण अपस्यु में नजर आने लगे थे। अपस्यु में खुद के जैसे गुण देखकर लोकेश जोर से हंसते हुए कहने लगा….


"यार अजय हटा ले इसपर से सर्विलेंस, बच्चा अबतक मां की छत्रछाया में था इसलिए अभी तक अच्छा और बुरे काम के बीच फसा हुआ है। मै तो इसके अंदर पुरा हैवान देख रहा हूं, बस सही राह की जरूरत है।"


अजय, भी हंसते हुए… सर इसकी क्षमता कल परख चुके है और आदत आज। ये तो हम में से एक है। ऊपर से उसके लाजवाब कॉन्टैक्ट, कौन इसे नहीं जानता, दिल्ली से लेकर मुंबई तक। लेकिन थोड़ा मेंटल है क्या?


लोकेश:- क्यों क्या हुआ अजय..


अजय:- नहीं हमारे बीच 3 हॉट आइटम ले कर चला आया है। इसे खबर नहीं की इन तीनों का यहां होना कितनों के दिल में आग लगा सकता है। बॉस रात को कुछ गड़बड़ी हो जाए तो फिर मुझे मत कहना।


लोकेश:- यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करे। वैसे भी जब ये अपस्यु पार्टी के बाद अपने कमरे में एक साथ कई अप्सराओं के साथ जन्नत की सैर में होगा, तो इसे घंटा कुछ फर्क पड़ेगा कि पास वाले कमरे में वही खेल चल रहा है।


अजय:- सो तो है बॉस। चलो इसपर से सर्विलेंस हटता हूं। इनफैक्ट मै तो चला दोस्तों के बीच। वैसे मेरे लिए अप्सरा का इंतजाम है कि नहीं।


लोकेश:- क्यों आज रात तू काया के साथ नहीं होगा क्या..


अजय:- काया की याद ना दिलाओ बॉस। जिस तरह से उस अपस्यु ने रौंदा है काया को, उसे याद करके मै उनके साथ आयी लड़कियों के साथ कुछ कर ना दू, ये डर है मुझे…
Bahut bura hua nimi ke sath . Apasyu ne jal bichha diya hai ab dekhna padega ki jal me sab kese phaste hain
 
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nain11ster

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Lokesh ne chal to achchhi chali hai Nandni ko fashane ke liye Megha ko dhal banane ki per Apsue ne bhi daav lagaya hai Megha per. Ab dekhte hai yeh kish per barsenege. Bash ek anjana dar hai Jk v Pallawi ka Ami ko per Apsue ushe chintamukt kar deta hai apne dust ke baare me batlakar jo ushne in dono ko gift diye hai.
Bahut hi romanchak v chitakarshak update hai mitr.

Ji shukriya Nevil bhai ... abhi to jaal bunna shuru hi hua hai... Dekhiye aage ki kahani me kya hota hai.. kyonki chalbaj to dono hi hai.. kaun kitna bhadi raha .. uska jawab aaj mil jayega
 
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