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Romance भंवर (पूर्ण)

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Update:-136








लंबे चले सेशन के बाद दोनो सोने चल दिए। अपस्यु सोने से पहले कुछ जरूरी काम निपटाने बैठ गया, जिसके लिए ऐमी को भी जगाना पर गया। सबसे पहले तो कॉल गया होम मिनिस्टर के पास। पूरी कहानी समझाने के बाद अपस्यु ने पूछ लिया कि 10000 करोड़ का क्या किया जाए?


होम मिनिस्टर अमाउंट सुनकर ही झटका खा गए। सबसे पहले तो उन्होंने 5000 करोड़ का काला धन की पूरी डिटेल सेंड करने बोल दिया, ताकि देश को फायदा हो और केस पुरा मजबूत बने। उसके बाद 2000 करोड़ का अनुदान उन्होंने अपने स्विस अकाउंट में लिया, वो भी पुरा कारन समझते…. कि कुछ कमीनो को आउटसोर्स से हटाना होता है, जिसके लिए काफी पैसे लगते है। कभी-कभी गलत को गलत साबित करने के लिए भी पैसे देने पड़ते है, ठीक वैसे ही जैसे आज गिरफ्तार लोग अंजाम तक पहुंचेंगे।


बचे 3000 करोड़ के फैसले के लिए होम मिनिस्टर ने विपक्ष और पक्ष के अध्यक्ष को कॉन्फ्रेंस में लिया और पकड़े गए लोगों को कोर्ट से सजा के लिए डील तय होना शुरू हो गया। 500-500 करोड़ दोनो अध्यक्ष के निजी खाते में और बचे 2000 करोड़ में से 600 करोड़ विपक्ष के पार्टी फंड और 1400 करोड़ पक्ष के पार्टी फंड में जमा करने का फैसला लिया गया।


होम मिनिस्टर से पैसों और सजा का हिसाब किताब होने के बाद अपस्यु ने पूरे घटना की मीडिया कहानी भी उसे अच्छे से समझा दिया। जबतक बात हो रही थी तबतक ऐमी सबके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर मारकर चेक करने के लिए बोल दी। होम मिनिस्टर तो सुनिश्चित था, लेकिन पक्ष और विपक्ष जिसका समर्थन अब तक पन्नों पर था, पैसा मिलते ही सुबह से अमल में आना शुरू हो गया।


होम मिनिस्टर से बात करने के बाद अपस्यु ने नंदनी को कॉल लगाया। नंदनी को सबसे पहले सुकून देते हुए बता दिया कि हर एक सुरक्षित है और वो अपने पिता के सपने को अब पुरा साकार कर सकती है। कुछ देर की बातचीत के बाद कॉल डिस्कनेक्ट ही गया।


जैसे ही फोन सर्विस का काम खत्म हुआ ऐमी…… "अपस्यु जीतनें भी लोगों ने आज अपने काला अकाउंट को पार्टी हॉल से लॉगिन किया था, उसके टोटल अमाउंट 22000 करोड़ है, और 41 लॉगिन। इसके अलावा लोकेश के अकाउंट में 12000 करोड़, विक्रम के अकाउंट में 600 करोड़ और कौन बनेगा अरबपति में प्रकाश जिंदल ने तो सबसे ज्यादा बाजी मारी है, 16000 करोड़।


अपस्यु आश्चर्य से आखें बड़ी करते… "50600 करोड़। सालों ने कितनो कि लाश के ऊपर से ये पैसा बनाया होगा। पॉलिटीशियन को शो कर दूं ये अमाउंट तो पता ना कितने पैसे देश के पास पहुंचेगा, मै चाहता हूं ये पुरा अमाउंट आरबीआई को जाए।


ऐमी:- मामला ठंडा होने दो वरना होम मिनिस्टर को शक हो जाएगा और ये पैसा भी हवा हो जाएगा। दृश्य भईया का अमाउंट वैसे ट्रांसफर मार दिया है, और ये 50600 करोड़, 9500 करोड़ वाले अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया है। दृश्य भईया को केवल उनके 9500 करोड़ ट्रांसफर किए है, और मेघा के 500 करोड़ भी अपने ही पास है। इनके हिसाब का क्या करना है। 1000 करोड़ का कैश भी परा है यार।


अपस्यु:- एक काम करो मेघा को 1000 करोड़ ट्रांसफर कर दो, और उस 50600 करोड़ के फिगर को राउंड करके, बचे पैसे उन्हीं से पूछकर ट्रांसफर मार देना।.. कैश को फिलहाल यहीं के लॉकर में रखवा दो, उसका बाद में सोचते है। थक गया स्वीटी, कोई काम और बचा है क्या..


ऐमी:- हां, बस मुझे प्यार से चूमना रह गया।


अपस्यु, बिस्तर पर लेटकर, ऐमी को बाहों में भींचते प्यार से उसके होंठ को चूमा और सुकून से आखें मूंद लिया। दोनो कुछ ही देर में काफी गहरी नींद में थे। वैसे यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आज इस महल में जितने भी लोग सो रहे थे वो काफी सुकून में थे।


16 अगस्त के सुबह 5 बजे से ही खबरों का बाजार गरम था। लोग इंटेलिजेंस टीम की छापेमारी और हाई प्रोफाइल लोगों को सलाखों के पीछे की खबर सुनकर आधी खुली नींद चौंक कर पूरी खुल जाती। 16 अगस्त की खबरों में सुबह से ही होम मिनिस्ट्री और इंटेलिजेंस के ही छापे की चर्चा चल रही थी, जिसमें लगभग 70 लोगों पर काले धन छुपाना और देशद्रोह जैसे इल्ज़ाम, सबके ऊपर सामान्य रूप से लगे थे। इसके अलावा मिले सबूत के अनुसार हर किसी पर अलग-अलग लोगों मारने की साजिश रचने और बलात्कार जैसे इल्ज़ाम भी लगे थे। 40 अरेस्ट होकर पहुंचे थे 27 को इंटेलिजेंस टीम ने उनके घर से उठाया था, जिसमें से एक विक्रम का बड़ा बेटा कंवल भी था।


3 मास्टरमाइंड, प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश राठौड़ भागने में कामयाब हो गए। जिस पर देशद्रोह और मर्डर केस के अलावा नंदनी रघुवंशी के पति और बेटे की हत्या कि साजिश रचने और कुंवर सिंह राठौड़ के पूरे परिवार की हत्या का इल्ज़ाम लग चुका था। देशभर के तमाम थाने में तीनों की तस्वीर पहुंचा दी गई थी। 80 लोगों को इंटेलिजेंस टीम ने मौके पर मार गिराया जो इन मास्टरमाइंड के इशारे पर किसी भी काम को अंजाम दिया करते थे।


कई सारे लोग जो लापता हो चुके थे, वो लोकेश के सिस्टम से मिल गए, जिनका कत्ल यहीं उसके बेस पर किया गया था। कुल मिलाकर सभी के लिए ऐसा केस बाना था जिसमे कम से कम उम्र कैद तो तय थी।


नील, काया, मेघा, और वहां काम करने वाले कई लोग सरकारी गवाह थे, जिनकी गवाही से केस को और भी ज्यादा मजबूत बनाया गया और उसी के साथ यूएस पॉलिटिक्स में भी काफी भूचाल देखने को मिला था, जहां के एक सीनेटर को किसी विदेशी अदालत में सजा तय होनी थी और ये सजा तय करवाने में जेम्स हॉप्स और उसकी टीम की गवाही भी अहम थी।


मेघा उसी वक़्त से जेम्स हॉप्स जैसे लोगों पर हंस रही थी, जबसे उसे पता चला था कि हवाले के पैसे गायब करने में अपस्यु का हाथ था और ये निकम्मे बस केवल संभावित कारणों को लेकर आगे बढ़े थे, ताकि काम देने वालों का विश्वास बाना रहे। तभी से मेघा ने उसकी पूरी टीम को स्टैंडबाय मोड पर डाल चुकी थी। अपस्यु ने सुबह ही मेघा को कॉल करके उसका भविष्य बताया था, इसी के चलते मेघा ने पहले अपने पिता का कच्चा चिट्ठा यूएस में खुलवा दिया और यहां अपनी टीम के साथ गवाही दर्ज करवाने चली आयी थी।


अपस्यु के साथ देने का कारन भी साफ नजर आ रहा था। शायद उस घमंडी मेघा में इतनी तो अक्ल जरूर थी, जो भांप चुकी थी कि जो लड़का इंडिया में बैठकर, योजना बनाकर यूरोप से पैसा ले उड़ा, वो कोई मामूली प्लानर नहीं हो सकता। जो लड़का सबके सामने रहकर भी छिपा रहा वो दिमाग का इतना भी कमजोर नहीं हो सकता की लोकेश के मौत के जाल में फस जाए। सभी बातों पर समीक्षा करके अंत में फैसला उसने यही किया कि वो बस किनारे होकर तमाशा देखने में विश्वास रखेगी, चाहे नतीजा जो भी हो।


शायद ये बात वो होशियार लोकेश समझ जाता तो आज उसकी स्थिति मजबूत होती। लेकिन गलती लोकेश की भी नहीं थी, क्योंकि अपस्यु की शार्प प्लांनिंग का ही असर था, कि वो पुरा समय लेकर अंदर जड़ तक घुसा। उसे किसी भी बात की जल्दी बिल्कुल नहीं थी। खुद को हमेशा काम का साबित किया, जिससे उसका वर्तमान रौशन नजर आए और अतीत पर किसी की भनक तक ना परे।


खुद को अकेला काम करने वाला दिखाया ताकि कोई समझ ना पाए कि ये यूरोप जैसे देश में भी अपने ऑपरेशन करता आया हो। क्या दिमाग पाया था उसने। लोग हमेशा छिपे हुए को ढूंढ़ते है और ये कभी किसी से छिपा ही नहीं। किसी के साथ ना होकर भी उसे सामने से ऑब्जर्व करता रहा। खुद को इतना आसान टारगेट दिखाया कि लोगों को हमेशा ये फीलिंग रही की इसे मारना तो कितना आसान है और जब वक़्त आया तांडव दिखने का, फिर तो ऐसा उत्पात मचाया की किसी के पास रिएक्ट करने तक का मौका नहीं था।


संतुलन बनाए रखने की अभूपूर्व नीति, जिसमे पॉलिटीशियन के साथ ना होकर भी, उनके ही बीच के लोगों को सजा तक पहुंचना। किसे पकड़ना है, किसे छोड़ना है और पैसों को कहां लुटा दिया जाए, इसका ज्ञान का ही नतीजा था कि जितने भी बिग शॉट पकड़े गए थे, एक तरफ तो उन्हें आर्थिक रूप से इतना कंगाल कर चुका था कि वो अपने केस में किसी को खरीद ना सके, वहीं दूसरी ओर उसी का पैसा इस्तमाल करके, उन्हें सही या ग़लत तरीके से उनकी सजा लगभग तय करवा चुका था।


वहीं दूसरी बड़ी खबर में, नंदनी, सिन्हा जी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थी, जहां पहले नंदनी चुप थी और सिन्हा जी एक-एक करके सारे टेक्निकल सवाल ले रहे थे। नंदनी रघुवंशी के इतने सालों तक छिपे रहने कि वजह सामने आ चुकी थी। इस मामले में एक बार और होम मिनिस्ट्री को ही क्रेडिट दिया गया, जहां नंदनी रघुवंशी अपनी बात रखती हुई बताई की उसके पति और बेटे की हत्या हुई थी और ठीक उसी वक़्त यहां उसके परिवार को भी मार दिया गया था।


तब उसके ऊपर बच्चो कि जीमेमदरी थी और उनके बच्चों के कत्ल की आशंका भी, इसलिए वो छिपकर अपने बच्चो को पाल रही थी और साथ में मौत के गुत्थी को भी सुलझने की कोशिश कर रही थी। इसी सिलसिले में साल भर पहले होम मिनिस्टर से उनकी पहली मुलाकात हुई और ये केस इंटेलिजेंस वालों को सौंपा गया। काफी तकलीफ झेलनी पड़ी लेकिन न्यान पालिका ने अपना काम किया।

कंपनी के अधिकार और विक्रम के परिवार को लेकर जब सवाल हुए उसपर नंदनी जवाब देती हुई कहने लगी… जो गुनहगार थे उन्हें सजा मिल गई, लेकिन जो निर्दोष है उनके साथ अन्याय नहीं होना चाहिए, इसलिए नंदनी रघुवंशी ने विक्रम की दोनो बहू में 5000 करोड़ को राशि बराबर बंटवारा करने का फैसला लिया, जिसपर पूर्ण रूप से उनका अधिकार होगा।

विक्रम राठौड़ की बेटी कुसुम को कंपनी अगले 10 वर्षों तक कंपनी का 30% प्रोफिट दिया जाएगा। यह एक स्पेशल क्लोज लिया गया है ताकि कुसुम राठौड़ और उसकी मां को पूर्ण सहयोग मिले। इन सबके अलावा ये अभी शुरवती फैसले है, आगे विक्रम राठौड़ की फैमिली से विचार करके यदि कोई फेर बदल होती है तो सूचना मिल जाएगा।


कंपनी के नया मालिक के विषय में चर्चा करती हुई नंदनी रघुवंशी ने साफ तौर पर अपनी मनसा जाहिर कर दी कि कंपनी उनके बच्चों के बीच बराबर की है, लेकिन कंपनी चलाने का स्वतंत्र प्रभार केवल और केवल आरव रघुवंशी का होगा, जिसमें उसकी भी कोई दखलंदाजी नहीं होगी।


साथ ही साथ उनके पिताजी एक सपना था हाई टेक मॉडल गांव जिसके तर्ज पर उन्होंने विशेन गांव (वहीं गांव जो लोकेश का बेस था) का निर्माण किया था। अफ़सोस उस गांव को किसी और काम के लिए इस्तमाल कर लिया गया और क्रेडिट खुद बटोर कर अच्छे आदमी को बदनाम कर दिया गया। इसके अलावा जो हमारा पैतृक गांव हुआ करता था, निषेम गांव (वीरभद्र का गांव), वहां के मॉडल पर काम शुरू होने से पहले ही उन्हें कत्ल कर दिया गया। इसलिए मै उस अधूरे काम को शुरू करने के लिए आज शाम ही नीव रखूंगी और आनेवाले 3 महीने में वो गांव भी पुरा तैयार हो चुका होगा। उसके बाद दोनो गांव सैलानियों तथा अन्य लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे।


सुबह का समाचार जैसे कईयों के लिए खुशी के का संकेत लेकर आया था, वहीं काफी लोग हताश भी थे। दोपहर के खाने के वक़्त से थोड़ा पहले ऐमी और अपस्यु को जगाया गया। दोनो जागते ही सबसे पहले न्यूज ही देखना शुरू किये। जिंदगी में पहली बार न्यूज देखना इतने सुकून भड़ा लग रहा था।


कुछ ही देर में सभी लोग फ्रेश होकर नीचे महल के हॉल में पहुंचे। हर कोई चेहरे से खुश नजर आ रहा था।…. "पार्थ नजर नहीं आ रहा यहां।".. ऐमी पूछी।


स्वास्तिका:- कहां गया होगा, अपनी लैला के पीछे-पीछे उसके घर।


अपस्यु:- मां ने सबको वीरभद्र के यहां 5 बजे तक पहुंचने कहा है, आज उस गांव को भी हाई-टेक बनाने की नीव रखी जाएगी।


ऐमी:- ठीक है फिर चलो, अधूरा काम पूरा कर लिया जाए।


अपस्यु:- स्वास्तिका, हमारे गुनहगारों के सारे काम पूरा हो गए है क्या?


स्वास्तिका:- हां


तीन बड़े सूटकेस तैयार रखे थे। हेलीकॉप्टर ले जाने के लिए एविएशन डिपार्टमेंट की भी क्लीयरेंस मिल चुकी थी, लेकिन स्वास्तिका की हिम्मत नहीं हुई अपस्यु के साथ जाने की और जब स्वास्तिका नहीं गई तो कुंजल भी स्वास्तिका के साथ वीरभद्र के यहां निकलने का फैसला कर ली।
 
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इधर अपस्यु, ऐमी और आरव बड़ा सा सूटकेस लेकर हेलीकॉप्टर से निकल गए। जैसे-जैसे वो अपने बचपन के ठिकाने पर पहुंचने लगे, तीनों की ही धड़कने काफी बढ़ी हुई थी, और सीने में दर्द सा उठने लगा था।….


जैसे-जैसे हेलीकॉप्टर नीचे आ रही थी, गुरुकुल की वो जगह देखकर तीनों के आखों से कब आशु आने लगे, उन्हें खुद भी पता नहीं चला। आरव और ऐमी के लिए खुद को संभालना अब मुश्किल हो रहा था। दोनो अपस्यु के कंधे पर अपना सर डाले रोते रहे। रुवासी आवाज़ में अपस्यु कहने लगा… "हमने उन्हें आजमा लिया आरव, ऐमी.. कहीं दूर तक नहीं वो हमारे सामने टिक नहीं पाए। चलो अपनी तरप का बदला लिया जाए, उनको सजा दिया जाए।"…


लोकेश की जब आखें खुली तब वो जंगल के किसी इलाके में खुद को लेटा हुआ पाया। हाथ और पाऊं बंधे हुए थे, जिसका एक सिरा खूंटे से बंधा था। लेकिन खूंटा निकालने के लिए बेचारा कोशिश भी नहीं कर सकता था क्योंकि उसके दोनो हथेली फिलहाल तो काम करने से रहे।


पास में ही उसके पापा और प्रकाश जिंदल भी लेटा हुआ था। लोकेश उसे हिलाते और "पैं, पै" करते उठाने लगा। निम्मी के वार से जुबान ने भी काम करना बंद कर दिया था। 2 बार थोड़ी सी आवाज निकालने से ही दर्द का ऐसा आभाष हुआ कि उसने बोलना बंद करके, किसी तरह हिलाने लगा।


प्रकाश और विक्रम उठकर पहले लोकेश को देखे फिर चारो ओर देखने लगे। प्रकाश, लोकेश से पूछने लगा… "ये हमें कहां लेकर आया है?".. लोकेश इशारों में बताने लगा कि उसकी जुबान काम नहीं कर रही और वो कुछ बोलने कि हालात में नहीं है। तभी अचानक से प्रकाश तेज तेज चिंखने लगा… "नहीं, नहीं, नहीं.. ये नहीं हो सकता… नहीं।"..


प्रकाश:- क्या हुआ विक्रम?


विक्रम:- ये वही आश्रम है जिसे हमने प्लान बनाकर जला दिया था।


प्रकाश और लोकेश दोनो सवालिया नज़रों से विक्रम को देखने लगा। तभी पीछे से तीनों ताली बजाते हुए सामने आए… "7 साल पुरानी बात याद आ गई।"


विक्रम, काफी हैरानी से उन तीनों को देखते हुए… "कौन हो तुम लोग?"..


अपस्यु:- बस थोड़ी देर में ही पता चल जाएगा… हमने भी इस पल का बहुत लंबे अरसे से इंतजार किया है, थोड़ा तुम भी कर लो। आरव तीनों को लोड कर दे जरा।


आरव ने खुली ट्रूक में उन्हें किसी सामान की तरह लोड कर दिया। ऐमी और आरव ड्राइव करने लगे और अपस्यु विक्रम और प्रकाश को बिठाकर वो जगह दिखाते हुए… "ये सारा इलाका देख रहा है, कुछ दिन पहले ही तुम लोगों के हवाले के जो पैसे उड़ाए थे उससे ये सारी जमीन खरीद ली। कमाल है ना। अरे प्रकाश, विक्रम पहुंच गए यार..


जैसे ही विक्रम ने वो जगह देखी लड़खड़ा कर पीछे हो गया। वहां अब भी 20 फिट गहरा और तकरीबन 5 मीटर के रेडियस का गोलाकार बना हुआ था। आरव अपने आखों में खून उतारकर विक्रम का गला पकड़ते हुए कहने लगा… "क्या हुआ खुद का भी वहीं हाल सोचकर कलेजा दहल रहा है क्या? फिक्र मत कर तेरे लिए सजा तय हुई है मौत नहीं।"


वहां एक पिलर में लगे एक स्विच को ऐमी ने ऑन किया और नीचे का सरफेस ऊपर आने लगा। ऐमी प्रकाश के सर पर एक टाफ्ली मारती… "अबे देख क्या रहा है घोंचू, ये स्पेशल लिफ्ट है।


लिफ्ट की बनावट कुछ इस प्रकार थी कि गड्ढे के ऊपर जब वो आयी तो उसके उपरी सुरफेस और नीचे के बीच 7 फिट लोहे का का चादर लगा था। ऐमी उस लोहे के चादर पर अपनी हथेली लगाई और बीच से दरवाजा खुल गया… "देवर जी मेहमानों को अंदर ले आओ।"


ओह माय गॉड.. लिफ्ट जब ऊपर अाई तो उसके उपरी सरफेस पुरा धूल में डूबा था। सरफेस से नीचे तक जो 7 फिट की चादर थी वो जंग लगी, और जब अंदर दाखिल हुए तो पुरा फर्निश लुक। चारो ओर हार्ड फाइबर बिल्कुल चमचमाता हुआ। हर जगह डिजिटल लुक और तभी ऐमी ने अपने आवाज़ का कमांड दिया… "जारा चेहरा दिखाने के लिए आइना लगा दिया जाए, मेरी ननद स्वास्तिका ने कुछ कीड़ों के रूप को सवार दिया है।"


जैसे ही ऐमी ने कमांड दिया चारो ओर सीसे आ गए जिसमें विक्रम, जिंदल और लोकेश खुद को पाऊं से लेकर सर तक देख सकता था.. जैसे ही लोकेश ने अपना हुलिया देखा, आखें बड़ी करते… फिर से बोलने कि नाकाम कोशिश… "पै, पै".. और दो बार बोलकर अपना सर इधर उधर झटकने लगा।


लोकेश के साथ-साथ विक्रम और प्रकाश का भी वही हाल था। ऊपर सर के बाल ऐसे गायब हुए थे, जैसे वो कभी थे है नहीं। चेहरे से लेकर हाथों तक के बाल गायब। कपड़े उतारे नहीं, वरना शरीर से पुरा बाल गायब हो चुका था। हाथ और पाऊं के नाखून भी गायब हो चुके थे।


प्रकाश और विक्रम चिल्लाने लगे, बेबस होकर उनसे पूछने लगे…. "आखिर वो उनके साथ करने क्या वाले है?"..


अपस्यु मुसकुराते हुए…. "कई सारे सवालों के जवाब ढूंढ़ने में हमे वर्षों लग गए, थोड़ा धीरज रख सब पता चलेगा।"


लिफ्ट के रुकते ही ऐमी ने फिर से अपने हथेली का कमांड दिया और सामने से एक दरवाजा तो खुला, लेकिन कुछ नजर नहीं आ रहा था।… "भाभी आज पहला दिन है, जारा इनके नए घर को रौशन तो कर दो।"…. "ठीक है देवर जी, जैसा आप कहें।" .. ऐमी, आरव की बात मानकर लाइट का कमांड दी। दरवाजा से लगा 5 फिट का पैसेज नजर आने लगा जो तकरीबन 20 फिट लंबा था।


पैसेज का जब अंत हुआ तो अंदर की जगह काफी लंबी-चौड़ी और बड़ी थी। ऐसा लग रहा था किसी होटल के रिसेप्शन में खड़े है।… आरव, प्रकाश और विक्रम के सर कर हाथ मारते हुए कहने लगा… "मस्त बनी है ना जगह, तुम लोगों के हवाले के पैसे जो हमने गायब किए थे उसका पूरा इस्तमाल यहीं किया है। आओ अब कमरा में ले चलता हूं।"


ऐमी ने कमांड दिया और किनारे से 3 दरवाजे खुले। जैसे ही तीनों ने अंदर झांका, बड़ा ही अजीब सा बनावट था। नीचे कोई फर्श नहीं बल्कि रेत थी। तीन ओर की दीवार रस्सी और पुआल की बनी दीवार थी जिसके ऊपर जालीदार लगा कर पुरा टाईट किया गया था।


आरव:- भाभी इनका जीवन कैसा होना है जारा डेमो दे दिया जाए..


ऐमी मुस्कुराती हुई… "हां बिल्कुल देवर जी, क्यों नहीं। डालना शुरू करो अंदर।


पहले लोकेश को डाला जा रहा था एक दरवाजे के अंदर, वो प्रतिरोध तो कर रहा था लेकिन उसे खुद के शरीर में कुछ जान ही नहीं लग रहा था। जैसे ही वो गया, ऐमी ने उसका दरवाजा बंद कर दिया। ठीक यही सब एक के बाद एक प्रकाश और विक्रम के साथ भी हुआ।


तकरीबन 10 मिनट बाद ऐमी ने दरवाजा खोला। तीनों 10 मिनट में ही पागल की तरह बाहर आए। बाहर आते ही विक्रम, प्रकाश और लोकेश जमीन पर बैठ कर पाऊं पड़ने लगे।…. मात्र 10 मिनट अंधेरे में बिताया गया समय का असर था, जो तीनों भविष्य की कल्पना कर डर चुके थे।


प्रकाश:- तुम जो बोलोगे वो मै करूंगा, मेरे पास उम्मीद से बढ़कर पैसा है वो सब ले लो लेकिन मुझे जाने दो।


अपस्यु:- कितना पैसा है रे खजूर… यदि तू अपने 16000 करोड़ की बात कर रहा तो उसे मैंने उड़ा दिया। इसके अलावा है तो बता फिर तेरी रिहाई का सोचूंगा।


प्रकाश अपस्यु का गला पकड़ते…. "तूने मेरे सारे पैसे चोरी कर लिए।"..


अपस्यु ने बस नजर घुमा कर ऐमी और आरव के ओर देखा और दोनो के हाथ की पतली छड़ी उन पर बरसने लगी। विक्रम का भी पैसा गायब हो चुका था लेकिन प्रकाश के पीठ पर छड़ी के मार के छाले को देखकर उसने कुछ ना किया। दोनो में लोकेश चालाक निकला। उंगलियां चलाकर उसने अपना दूसरा अकाउंट ओपन किया और उस खाते के पैसे को देखकर तो आरव का मुंह खुला रह गया… "साला मामलामाल वीकली एक्सप्रेस, 30000 करोड़ इस खाते में भी हैं।"..


अपस्यु:- चल भाई लोकेश तू पीछे बैठ जा तेरी रिहाई का समय आ गया है। हां लेकिन बाप को ले जाने की बात करेगा तो जा नहीं पाएगा।


लोकेश अपने रिहाई की बात सुनकर खुश होते हुए एक किनारे बैठ गया। अपस्यु प्रकाश और विक्रम को देखकर कहने लगा… "यार तुम दोनो ने तो पैसे दिए नहीं, अच्छा चलो मेरे सवाल का जवाब दे दो और बदले में अपनी रिहाई ले लो। एक और बंपर ऑफर है, जवाब यदि काम का हुआ तो बदले में सारे केस हटवाकर खाते में 1000 करोड़ भी डलवा दूंगा, ताकि तुम्हारी बची जिंदगी आराम से कट सके। तो तैयार हो।"…. दोनो ने अपना सर हां में हिला दिया।


अपस्यु:- चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- चन्द्रभान रघुवंशी, तुम कैसे जानते हो?


चार छड़ी विक्रम की पीठ पर और छटपटा कर रह गया वो…. "सवालों के जवाब बस चाहिए, सवाल के बदले सवाल नहीं।"


ऐमी:- हुंह !


अपस्यु:- तुम्हे क्या हुआ स्वीटी.. अब ये गुस्सा क्यों?


ऐमी:- बेबी थोड़ा सा दे दो ना क्लैरिफिकेशन..


अपस्यु:- ऐमी ने कहा इसलिए बता देता हूं। हम तीनो इसी गुरुकुल के शिष्य है, और अपने 160 साथियों का बदला ले रहे है। विक्रम तुम्हारी सच्चाई जब मैंने नंदनी रघुवंशी से बताई तो वो मेरी हर बात मानती चली गई। उसे जो चाहिए था वो उसे मिला, और मुझे जो चाहिए था वो मुझे मिला। इसके बाद अब कोई सवाल मत पूछना, वरना बिना जवाब लिए मै जाऊंगा और तुम्हारी पूरी जिंदगी नरक बाना दूंगा। चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- उसकी 2 शादियां थी। एक शादी उसकी देहरादून में हुई थी, अचार्य माहिदीप की बहन अनुप्रिया से, और दूसरी शादी उसकी राजस्थान में कहीं हुई थी। अनुप्रिया से उसके 3 बच्चे है… सबसे बड़ी बेटी कलकी राधाकृष्ण, उससे छोटा एक बेटा परमहंस राधाकृष्ण और सबसे छोटा युक्तेश्वर राधाकृष्ण। दूसरी पत्नी को वो विदेश में रखता था इसलिए उसके बारे में पता नहीं, बस एक बेटा था उस पत्नी से।


अपस्यु:- बड़ा पेंचीदा इतिहास है रे बाबा। पहले तो तू ये बता की क्या अनुप्रिया को चन्द्रभान कि दूसरी शादी के बारे में पता था, और क्या उसकी दूसरी पत्नी या उसके परिवार को चन्द्रभान कि पहली शादी के बारे में पता था?


प्रकाश:- चन्द्रभान की दूसरी पत्नी को चन्द्रभान के बारे में कुछ नहीं पता था, और ना ही उसके परिवार को। हालांकि उनके परिवार को शक था लेकिन उन्हें इस बात का कभी फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि वो किसी भी तरह से अपनी बेटी की ब्याहना चाहते थे। दहेज में काफी धन संपत्ति भी मिला था चन्द्रभान को। शुरू में दोनो जयपुर रहे लेकिन बाद में चन्द्रभान कि दूसरी पत्नी की बहन ने चन्द्रभान को यूरोप में बिजनेस शुरू करने के लिए काफी मदद कि और वो लोग वहीं सैटल हो गए। यूं समझ लो कि उसकी दूसरी पत्नी के कारन वो खुद को यूरोप में स्थापित कर चुका था।


अपस्यु:- इसकी पहली पत्नी अनुप्रिया के बारे में बता?


प्रकाश:- अनुप्रिया मोहिनी है, ऐसा रूप जिसमे हर कोई फंस जाय।


विक्रम:- साले ठीक से बता ना तेरे भी उसके साथ संबंध रहे है, और ये जो तू कुछ साल पहले तक उसे आंख बंद करके सपोर्ट जो करता था, वो क्यों करता था?


अपस्यु:- मैंने सोचा छड़ी का प्रयोग ना करू लेकिन तुम मजबुर कर रहे विक्रम…


प्रकाश:- "मै बताता हूं पूरी कहानी। यदि तुम इस गुरुकुल के शिष्य रहे हो तो ये लोग तुम्हारे सीनियर बैच के है। गुरु निशी के पहले शिष्य। अनुप्रिया मतलब यूं समझ लो कि हम सबकी बॉस, आचार्य माहीदीप उसका भाई और उसकी साम्राज्य का सबसे दमदार खिलाड़ी, उसे सेकंड बॉस मान लो। जब इनकी सिक्षा पूरी हुई थी, तब इन दोनों भाई बहन ने गुरु निशी के नक्शे पर चलने का फैसला लिया और गुरुकुल का प्रचार करते थे।"

"गुरु निशी नैनीताल में आश्रम बनाए हुए थे और उनका आश्रम देहरादून के आसपास था। आचार्य माहीदीप देहरादून में शिष्यों को शिक्षा देते थे। वहीं अनुप्रिया भ्रमण करके गुरुकुल की सीक्षा का प्रचार किया करती थी। इसके 2 साथी और थे, जो शुरू से छिपे है। हालांकि हम लोगों के बीच ये चर्चा आम थी कि अनुप्रिया के द्वारा ये 2 साथी केवल भ्रमाने के लिए बताए गए थे, वरना इनका कोई अस्तित्व नहीं।"

"अगर उस मनगढ़ंत कैरेक्टर को सच भी मान ले तो ये लोग कुल 4 साथी थे, जिनके अंदर पागलपन कि भूख सवार रहती थी। मेरे पापा यूएस में एक प्रोफेसर थे और हमारी आमदनी भी अच्छी थी। हमारी पहली मुलाकात यूएस में ही हुई थी, जब अनुप्रिया यहां गुरुकुल के प्रचार के लिए आयी थी।"

"मै अनुप्रिया को देखकर जैसे पागल सा हो गया था। फिर उसके प्रवचन सुनने लगा। इनकी टोली में सामिल हो गया और 3 महीने मुझे माहीदीप के पास रखकर इसने मुझे ढोंगी वाचक बनना सिखाया था। मै पहली बार इसके मकसद से रू बरु हो रहा था। अनुप्रिया ने उसी दिन मुझ से कहा था, यदि मै उसके बताए रास्ते पर चलूंगा तो कुछ सालों बाद यूएस की पॉलिटिक्स में मेरा बहुत बड़ा नाम होगा। "

"जैसा-जैसा वो बोलती गई, वैसा मैं करता गया। इंडियन कम्युनिटी में मेरा अच्छा नाम हुआ। इसके अलावा कई यूएस के सिटिज़न भी हम से जुड़ गए और देखते ही देखते वहां मेरा नाम होने लगा।"

आरव अपने सर का बाल नोचते, 4-5 छड़ी घुमा दिया… "चुटिया हम तुम्हारा भूतो और वर्तमान तो जानते ही है, ज्यादा बकवास की ना तो भविष्य भी यहीं लिख देंगे।"
 
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itne sare updates ka reply dena hain.
bhut kuch chal raha hain dimag main.
or kuch bhi nahi chal raha hain dimag main
is liye abhi ke liye in updates par fear kabhi
ek satha ladai kare ge :dazed:
:) Ohk thik hai fir kabhi ladai kar lenge .. baki khyal rakhi apna :hug:
 
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nain11ster

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:superb: :good: amazing update hai nain bhai, Behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
lokesh ne to poori planning taiyar kar li hai,
lekin abhi tak ye log apasyu ko bahot halke mein le rahe hain,
vahin udhar apasyu aur amy ne apni taiyari poori kar li hai,
aur ye jk aur pallavi kahin kisi khatre mein to nahin padne wale hain,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai,
Waiting for next update
Jk aur Pallavi ki seperate kahani hai.. wo to govt agent hain .. bus .. mission par jane se pahle thodi chintit ho gaya apasyu... Baki dekhiye planning to abhi chal hi rahi hai... Anth natija kya hota hai.. :)
 
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nain11ster

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Bhai kuch saval he lekin aap bura mat manna
Apasyu dris ko bata rahahe badle me andha hokar kitne parivar barbad kardiye ye vo to bhai apsyu bhi vahi karraha he emi pe hamla huva to usne sreya ke 5 aadmi mare or jisne contrect diya tha use bhi mardiya to fhir etna lamba choda bhasan dekar kudko sahi sabit kyun kiya bas yahi puchna tha
Dono me thoda sa difference hai... Drish ne jo bhi kiya wo calculative nahi tha... Yani ki jo aaya raste me sabko maut ki saja...

Ek bar apasyu ki ladai maine dikhayi thi pahle bhi jahan kunjal fasi thi drug mafia ke changul me ... Wahan bhi apasyu ne raste me aane wale gundon ko ghayal kiya tha aur mukhya aaropi ko hi kewal dard bhada maut diya tha...

Bus ye basic difference hai.. baki katl to dono ne kiye hai.. bus apasyu ye bhi dhyan rakhta hai ki jinka katl hua hai kya unhe marna jaroori hai ki nahi.. sath me unke pariwar ki jankari ek baar to leta hi hai
 
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Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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Update:-129





लोकेश:- पुरा सिस्टम तेरे हाथ में है, रात के अंधेरे में किसे पता कौन कहां है, बस कांड प्रकाश में आना चाहिए नाम नहीं। बाकी तू समझदार है।


अजय:- येस बॉस। जैसा आप कहें…


दृश्य का टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट अारुब को लिंक मिलते ही, वो भी तुरंत सर्वर से कनेक्ट हो गया। दृश्य अपनी पूरी टीम के साथ कंट्रोल रूम की सर्विलेंस ले ही रहा था, कि अजय और लोकेश के बीच की चल रही बातों का पता चला। उसके आखों में तो जैसे खून उतर आया हो…. "आज से पहले किसी को मारने की तलब इतनी तेज नहीं थी। आरूब पूछ जारा तेरा बॉस बक्शी इंटरेस्टेड है कि नहीं अपने साथ काम करने के लिए।"


अारूब:- भाई बक्शी सर को लाइन पर ले रहा हूं….


बक्शी:- क्या हुआ चैम्प, कोई समस्या है क्या?


दृश्य:- देखो सर मेरा भेजा फ्राय मत करो, कितने लोग भेज रहे हो जल्दी बताओगे, ताकि मै यहां प्लान करूं।


बक्शी:- यार तेरा क्या है तू उन वीरदोयी से तो निपट लेगा, लेकिन मैं उन वीरदोयी से निपटने के लिए कितने लोगों को भेजूं, वो समझ में नहीं आ रहा।


अारूब:- सर आप टीम मत भेजो, अपने पास कितने स्नाइपर है वो बताओ।


बक्शी:- डिपार्टमेंट में तो इस वक़्त 4 है।


अारूब:- क्या सर, कल इस लोकेश को 3 एरिया में टारगेट को एलिमिनेट करना था तो 6 स्निपर भेजे थे और आप के पास 4 है।


बक्शी:- प्लान क्या है वो बताओ, फिर मै सोचता हूं।


अारूब:- टोटल 120 वीरदोयी है। 10 के समूह में ये 8 अलग-अलग ठिकाने पर है। हमने इनके बीच का संपर्क प्रणाली तो हैक कार लिया है, लेकिन इनका अलार्म सिस्टम मैनुअल है, साथ में वाकी भी है। जिस जगह को भी हम साफ करेंगे वो एक साथ साफ करना होगा।


बक्शी:- हम्मम ! मतलब 10 स्निपर चाहिए वही ना। ठीक है मै होम मिनिस्टर से स्पेशल परमिशन लेकर अलग-अलग डिपार्टमेंट से अरेंज करता हूं। वैसे ये 80 लोग है, और बचे 40 लोग।


अारूब:- उन 40 का जिम्मा अपने भाई और उसके भाई की माथा पची है, क्योंकि वो बचे 40, कंट्रोल रूम से लेकर वहां के महल तक फैले है जिसे सामने से खत्म किया जाना है।


बक्शी:- सामने से खत्म करोगे और वो कहेगा आओ और मुझे मारकर निकल जाओ। क्या आर्म्स नहीं होंगे उनके पास।


अारूब:- कंट्रोल रूम और महल के आसपास किसी को भी हथियार रखने की अनुमति नहीं है। इमरजेंसी के लिए ये लोग हथियार अम्मुनेशन सेक्शन से लेंगे, जिसे हम लॉक कर चुके होंगे।


बक्शी:- ठीक है मै 10 स्नाइपर भेजता हूं, और साथ में 20 कचरा साफ करने वालों को। याद रहे कुछ भी करके इस लोकेश का चेप्टर एंड होना चाहिए, और इतने बड़े ऑपरेशन को हमने अंजाम क्यों दिया है उसकी ठोस वजह मुझे कल तक अपने टेबल पर चाहिए होगी। कमांडिंग ऑफिसर तुम ही होगे अारूब, इसलिए हर एक कि जिम्मेदारी तुम्हारी होगी।


दृश्य:- सर कचरा साफ करने के लिए 40 तेज ऑफिसर चाहिए। 20 मत भेजना।


बक्शी:- ठीक है हो जाएगा। 1 घंटे के अंदर पूरी टीम तुमसे संपर्क करेगी।


बक्शी ने जैसे ही कॉल डिस्कनेक्ट किया, दृश्य… "आदिल अपनी टीम स्टेटस बताओ।"


आदिल:- भाई 10 ट्रेंड फाइटर है और 10 स्नाइपर।


दृश्य:- आदिल, अप्पू तुम्हे अब लीड करेगा। अप्पू तेरे पास अब 20 स्निपर और 50 लोग है। काम हो जाएगा।


अारूब:- 20 स्नाइपर का मतलब है कब मौत उन्हें अपने सिकांजे में घेर लिया उन्हें पता तक नहीं चलेगा। काम खत्म करके संदेश भेजता हूं भाई।


पूरी तैयारी हो जाने के बाद दृश्य अपने साथ निम्मी और अश्क को लेकर चल दिया। दृश्य अपने चलने के साथ ही अपस्यु को सूचित कर दिया। सुचना मिलते ही अपस्यु ने लोकेश को कॉल लगाया…. "जी अपस्यु सर कहिए"


अपस्यु:- मै प्रताप ग्रुप के मालिक साहिल प्रताप को लेने जा रहा हूं। अपने सीमा को खुलवाकर रखो।


प्रताप ग्रुप और साहिल प्रताप का नाम बहुत बड़े उद्योगपति में आता था, ऊपर से प्रताप फैमिली राजस्थान की बहुत रेपुटेड परिवार था। लोकेश तो कनेक्शन देखकर ही चकरा चुका था। हालांकि दृश्य का नाम सुनकर तो लोकेश के वीरदोयी भी चक्कर खा जाते, लेकिन फिलहाल अभी तो दृश्य को छिपाकर रखना था।


शाम के 6.30 बजे तक दृश्य, अश्क और निम्मी के साथ महल में था। कैप ने नीचे अपना चेहरा छिपाए दृश्य सीधा अपस्यु के कमरे में पहुंचा।… "क्या भाभी, लुकिंग हॉटी, कहां बिजली गिराने आयी है।".. कमरे में पहुंचते ही अपस्यु ने अश्क से कहा।


अश्क:- दृश्य, बहुत बदतमीज है ये तुम्हारा भाई।


दृश्य:- क्या ही कर सकते है, एक तो भाई है ऊपर से डेविल ग्रुप का मुखिया, अब इससे पंगा कौन लेगा।


अश्क:- आज जारा मै व्यस्त हूं वरना इसे मै बताती…


"क्या भाभी… उमाम्मम्मह … बहुत ही गजब ढा रही हो"… आरव भी कमरे में आते कहा.. अब अश्क वो भी क्या रिएक्ट करे। पहले अपस्यु अब आरव ने छेड़ दिया। अश्क आरव के साथ आए सभी लोगो को एक बार देखी और कहने लगी…


"हीहीहीही… ये दोनो भाई पागल है। लेकिन जरा देखूं तो ये साथ ने कौन आया है इनके साथ.. ये है मेरी नंनद कुंजल, और ये दूसरी है स्वास्तिका… एक जिसे मै नहीं पहचान पा रही, ये मुंह लटकाए कौन खड़ा है।"..


अपस्यु, अश्क के कान में निम्मी और पार्थ की पूरी कहानी संक्षिप्त में समझाकर हटा। अश्क निम्मी और पार्थ के देखकर एक बार मुस्कुराई और अपस्यु के कान में वो भी धीमे से कहने लगी… "इनका जोड़ा लगाना के लिए हम सब मिलकर कोशिश करेंगे।".. पार्थ के लिए खुश होकर अपस्यु, अश्क के गाल को चूमते हुए… "लव यू भाभी" कहते पीछे हटा।


दृश्य:- सुनो अश्क, तुम ये अपस्यु के आस पास ना रहा करो। ये तो तुमसे मिलते ही तुम्हे चूमने लग जाता है। ..


दृश्य अभी अपनी बात समाप्त ही किया था, कि इतने ने दरवाजे से दो खूबसूरत कन्या अंदर आयी, एक ने तो कुछ नहीं किया लेकिन दूसरी ने खींच कर एक तमाचा जड़ दिया दृश्य को।


जैसे ही दृश्य को थप्पड़ पड़ा, वैसे ही सभी लोग एक्शन में आ गए, सिवाय अपस्यु और ऐमी के। उन दोनों ने काया को अपने बीच में लिया और गुस्साए लोग को किनारे होकर शांत खड़ा रहने के लिए कहने लगा… तभी दृश्य, गुस्से में आखें लाल किए… "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे मारने की।"… तभी दृश्य के दूसरे गाल पर काया ने एक और तमाचा चिपका दिया।


दृश्य गुस्से में खड़ा काया को घूरता रहा… "दोबारा अगर मेरे बच्चे वैभव को यदि अपस्यु और ऐमी के पास से ले जाने की कोशिश भी किए, तो मैं तुम्हे जान से मार दूंगी। वो सिर्फ मेरा और सिर्फ मेरा बच्चा है, कभी अपने बाप होने की धौंस उसपर मत दिखाना।"..


अभी जो सबके गुस्से की भावना थी, वो एकदम से आश्चर्य के रूप में बदल गया, और सबसे ज्यादा इस वक़्त गुस्सा तो अश्क को आ रहा था, वो भी दृश्य पर…. अश्क दृश्य को आखें गुर्राती…. "वो तुम्हारे बच्चे की मां बन गई और तुम्हे याद भी नहीं।"…


दृश्य:- नहीं क्यूटी मुझे तो पुरा याद है…


अश्क:- ठीक है नाम बताओ इसका..


दृश्य:- हाय निल कैसी हो, कभी सोचा ना था तुमसे दोबारा मुलाकात होगी…


अश्क, दृश्य पर झपटती हुई…. "इसकी हिम्मत तो देखो, मेरे ही सामने कैसे हंसकर बात कर रहे। कुछ दो मेरे हाथ में इन्हे मारने के लिए।"


ऐमी:- क्या दीदी आप भी पुरानी बातों को कुरेदने लगी। काया प्लीज क्या तुम यहां से जाओगी।


काया:- हां मेरा काम तो हो गया। बस नील अपने बच्चे को देखने के लिए व्याकुल थी, तो मै यहां ले आयी।


ऐमी, अश्क से…. "दीदी वो बस अपने बच्चे को देखने की चाहत में आयी है। आप प्लीज शांत हो जाओ।"


अपने सामने अपनी 2 सौतन को देखकर भला अश्क क्यों शांत हो। गुस्से में वो कमरे के बाहर चली गई। इधर दृश्य काया से माफी मांगते हुए कहने लगा…


"हम दोनों ही एक लंबे साजिश में फसे थे। तुम्हे तो सच्चाई पता भी थी, लेकिन मुझे और अश्क को तो कुछ और ही सच्चाई से अवगत कराया गया था। तुम यकीन मानो, यदि मुझे पता होता की बच्चा उन्हें एक्सपरिमेंट के लिए चाहिए तो तुम्हे ये दिन ना देखने परते। मेरे नाक के नीचे था वो कमीना डॉक्टर भार्गव।खैर उस दौड़ में बहुत सी गलितियां भी हुई, और मै हमेशा अपने भाई अपस्यु का शुक्रगुजार रहूंगा, क्योंकि वो मेरी हर गलत को चुपचाप सही करते चला गया।


नील:- ओय गलत तरीके से तुमने और काया ने मिलकर बच्चे पैदा किए थे, इसमें मुझे मत समिल करो। मैंने जो भी किया वो अपनी इक्छा से और बिल्कुल होश में। हां बस उनकी क्रूरता और नीयत को देखकर कभी अपने बच्चे को उनके बीच पालते नहीं देख सकती थी, इसलिए तुम्हे दे दी। पहले जाकर अपनी नकचढ़ी पत्नी को संभालो दृश्य। खुद ही 2 बच्चे देने की शर्त पर हामी भरी थी, लेकिन आज भी वो दोष तुम्हे ही दे रही।


दृश्य:- जब रिश्ता गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड का होता है, तब तो किसी लड़के या लड़की को बर्दाश्त ही नहीं होता कोई भी दूसरा संबंध, फिर तो वो मेरी पत्नी थी। फोन लाइन के उस ओर से उसने मुझसे कहा था सब करने, वो भी बिना ये जताए की उसके दिल पर क्या बीती होगी। उसके हर नखरे मुझे उम्र भर मजूर है। वैसे भी उसे मनाने का मज़ा ही कुछ और है।


नील हंसती हुई…. "हां मै ये बात जानती हूं। वैसे 6.30 बज रहे है, उम्मीद है तुमलोग यहां घूमने तो नहीं ही आए होगे।


अपस्यु:- जी हम बिल्कुल शेड्यूल से है। स्वास्तिका तुम दृश्य भईया निम्मी का जारा चेहरा ऐसा मस्त खिला सा बनाओ की कोई पहचान ना पाए। एक टफ बिजनेसमैन लुक और उसकी कमाल कि पीए। ऐमी तुम भाभी को के साथ बैठकर उन्हें मोबाइल ऑपरेटिंग कमांड सिखाओ, ताकि रियल टाइम में वो हमे कंप्लीट टेक्निकल सपोर्ट दे सके। आरव कुंजल तैयार होकर आधे घंटे में सब इसी कमरे में इकट्ठा हो जाओ.. 8 बजे से एक्शन शुरू होगा और हम लाइव कवरेज देखेंगे। सब जल्दी,जल्दी.. और हां काया तुम भी हमारे साथ पार्टी में चलोगी, आज तुम्हारा और अजय का भी हिसाब किताब सैटल कर दूंगा। चलो चलो सब निकलो…


सबके निकलते ही अपस्यु ने नीचे रिसेप्शन पर कॉल लगाया, छोटे से बार का सारा सामान उन्हें ऑर्डर करके जल्दी से रूम में भिजवाने के लिए बोल दिया। इधर हर किसी के कमरे में अपस्यु ने अपना एक ड्रिंक पहले से भिजवा चुका था। सेल रिप्लेसमेंट थेरेपी वाली वो माइक्रो लिक्वड के साथ न्यूरो एनरज़ाइजर.. ऐसा कॉम्बो जो खुद से कहीं ज्यादा शरारिक क्षमतावान दुश्मनों से लडने के लिए तैयार किया गया था।


बक्शी से लेकर अपस्यु तक सबको पता था कि, वीरदोयी ऐसे लोगों का समूह है जो एक साइंटिस्ट के एक्सपेरिमेंट का नतीजा है। लगभग 20 गुना तक उनकी शारीरिक क्षमता इस कदर बढ़ाई गई थी, जबतक एक सामान्य क्षमता वाले लोग रिस्पॉन्ड करते, ये वीरदोयी अपना काम खत्म करके, दूसरे पर ध्यान दे चुके होते।


न्यूरो एनरज़ाइजर के बारे में भी अपस्यु को गुरु निशी से ही पता चला था। एक बेहद दुर्लभ जड़ी-बूटी जो गुरु निशी अपने शिष्यों पर अत्यंत ठंड में इस्तमाल करते थे। इस जड़ी बूटी के परिणाम और दुष्परिणाम दोनो ही गुरु निशी अपस्यु से चर्चा करते थे। हालाकि दुष्परिणाम सामान्य से थे, लेकिन इंसानी शरीर में इस जड़ी-बूटी के लगातार सेवन से इसके लत लगना लाजमी था। ठीक कोकीन और अफीम की तरह, लेकिन ये जड़ी बूटी कोकीन और अफीम जैसी बिल्कुल नशीली नहीं थी।


न्यूरो एनरज़ाइजर के इस्तमाल और परिमाण की आकलन करे तो, इस जड़ी बूटी के कारन शारीरिक क्षमता कई गुना तक बढ़ाई जा सकती थी, वो भी कोकीन और चरस के मुकाबले बिल्कुल निम्न दुष्परिणाम के। इस जड़ी-बूटी का लगातार इस्तमाल इसलिए भी नहीं किया जा सकता था क्योंकि यह अति दुर्लभ जड़ीबूटियां में से एक थी, जिसके सेवान की लत अपस्यु को काफी दुख दे जाती।


दृश्य को छोड़कर हर किसी ने उसका सेवन किया। आराम से मस्त होकर तैयार हुए। इधर ऐमी अश्क के पास बैठकर कुछ टेक्निकल डिस्कसन कर रही थी, कुछ आसान से कमांड बताने के बाद वो अश्क के साथ बैठी…. "क्या हुआ दीदी, इतना भी किस सोच में डूब गई।"..


अश्क:- वो एक दौर था जो गुजर गया। गलतियां हम दोनों से हुई, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ होगा की दृश्य ने एक ही बात के लिए 4 बार नाराजगी जताई हो, और देख ना मैंने दृश्य से यहां भी झगड़ा कर लिया।
Super fantastic update bhai
 
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nain11ster

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Fabulous update.
Yaha in charo ne achhi planing ki hai aage ki lekin takkar to lagta hai jordar hone hi wali hai.
Waise aaj megha k sath night mai kya jhatka deta hai apasyu ye dekhna hai.
Udhar parth k sath vire or uski pagli bahan ka bhi kuch dikha do bhai.
Hahaha .. uski pagli bahan aur Parth ko bhula na hum chunmun bhai ... Dikhenge.. wo bhi jald hi dikhenge ... Aur abhi to planning hai.. maidan to abhi baki hai.. ran ek baar aur sanjne wala hai.. bus aapke darshan na ho rahe
 
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