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Romance भंवर (पूर्ण)

Nevil singh

Well-Known Member
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Update:-122




तकरीबन 10 मिनट बाद वहां से ऑडियो और वीडियो दोनो आने बंद हो गए। ऑपरेटर हेल्लो, हेल्लो करता रह गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। ऑपरेटर अजय से जब ये गुत्थी नहीं सुलझी, तब वो आनन फानन में गोवा के लोकल गैंग से संपर्क किया और 2 करोड़ की एक डील तय करके आधे पैसे उन तक पहुंचा दिए।


लोकल गैंग के लिए लाख रुपए में कत्ल करना कोई बड़ी बात नहीं थी, यहां तो मामला करोड़ में था। तकरीबन 20 गुंडों की टीम मोरजिम बीच के लिए रवाना हो गई। आरव और लावणी दोनो एक छोटे से पत्थर पर बैठकर सुबह के हसीन नजारा का लुफ्त उठा रहे थे।


इधर 20 लोगों की टीम जब निकली तो वो भी ऑडियो और वीडियो के साथ कनेक्ट होकर निकली थी। ये लोग जंगल में छिपकर, बड़ी सी स्निपर राइफल निकालकर, चुपके से निशाना लगाने वालों में से नहीं थे, बल्कि सीधा घुसो मारकर निकलो वाली नीति थी।


4 जीप में 5-5 लोग सवार होकर, घनघनाते हुए, मोरजिम बीच पर अपनी गाड़ी आगे बढाते टारगेट की पहचान करने लगे। बीच के दूसरे किनारे टारगेट की पहचान हो गई। फिर तो जीप पूरे पिकअप के साथ आगे बढ़ी। लेकिन जीप जब आधे रास्ते पर थी, तभी समुद्र के लहरों के साथ 20-25 अनियंत्रित जेट-की हवा से छलांग लगती एक साथ चारो जीप से टकराई।


क्या नजारा था वो जेट-की उड़ती हुई सीधा जीप के ऊपर गिर रही थी और उनके घेरे में तो वो सभी जीप दिखना ही बंद हो गए थे। ऑपरेट और कमांड दे रहे अजय को, गोवा में क्या चल रहा है कुछ भी समझ में ही नहीं आ रहा था। पहले 9 लोग गायब हो गए, अब ये 20 लोग गंभीर रूप से घायल होकर हॉस्पिटल में। ऊपर से कोई जवाब तक नहीं दे पा रहा था।


सुबह के 5 से 6 बजे के खेल में लोकेश के टारगेट को भनक तक ना लगी कि उसपर जानलेवा हमला होने वाला है और किसी ने आकर उसके पूरे गेम की बैंड बजा दी। अजय कुछ सोचकर गोवा के ऑपरेशन को होल्ड में डालकर मुंबई और दिल्ली पर फोकस करने लगा।


अजय को लगने लगा था कि अपस्यु ही इकलौता सबको मॉनिटर कर रहा है और यदि अपस्यु साफ हो गया तो नंदनी का पूरा परिवार साफ हो जाएगा। वक़्त था एक जल्दी एक्शन का इसलिए अजय ने तुरंत 4 बेस्ट फाइटर को अपस्यु के फ्लैट पर ही रवाना होने बोल दिया।


8 बजे तक वो चारो अपस्यु के अपार्टमेंट में थे और निर्भीक होकर फ्लैट नंबर 301 के लिए बढ़ने लगे। ये चारो भी ऑडियो वीडियो के साथ आगे बढ़ रहे थे। चारो, चोरी से जैसे ही अपस्यु के घर में दाखिल हुए, गेट अपने आप की लॉक हो गया। सारे मीडिया कनेक्शन ऑटोमेटिक डिस्कनेक्ट हो गए। अजय हेल्लो-हेल्लो करता रह गया लेकिन उधर से कोई आवाज़ नहीं आया।


इधर जैसे ही वो चारो अंदर दाखिल हुए, अपस्यु आराम से डायनिंग टेबल पर बैठकर सूप पी रहा था और अपने कंप्यूटर स्क्रीन को देख रहा था। चारो अंदर आते ही अपस्यु को देखकर तेजी दिखाते हुए, आव देखा ना ताव और एसएमजी (smg) से फायरिंग शुरू कर दी।


बौखलाहट में फायरिंग तो शुरू कर दिया, लेकिन पूरे मैगज़ीन खाली करने के बाद भी अपस्यु वहीं बैठकर आराम से अब भी सूप पी रहा था। चारो अपनी बड़ी सी आखें किए बस अपस्यु को ही देख रहे थे…. "अबे वो काल्पनिक इमेज देख रहे हो, होलोग्राम वाली गधे।"


चारो ओर से अपस्यु की आवाज़ गूंजने लगी और आवाज़ के साथ ही अपस्यु ने एक छोटा सा कमांड दिया और दीवार के अंदर से कई सारी पतली पाइप निकल आयी। देखते ही देखते उनसे निडिल निकलकर उन चारो के बदन में घुस गए। चारो वहीं बेहोश।


अजय ने जिनको भेजा था वो चार केवल ट्रेंड प्रोफेशनल नहीं थे बल्कि वो लोकेश के टीम के वो जल्लाद थे, जिन्होंने आज तक हार का मुंह नहीं देखा था। अजय का इन लोगों से भी संपर्क टूट चुका था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे क्या ना करें। अजय को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके दिमाग के नसों की सारी वायरिंग ही ढीली पर चुकी है।


बौखलाए अजय ने दिल्ली में कई सक्रिय गैंग से संपर्क किया लेकिन जब सबने टारगेट डिटेल मांगी और नाम अपस्यु रघुवंशी का आया, तो किसी ने भी काम हाथ में नहीं लिया, क्योंकि सिन्हा जी के होने वाला दामाद और होने मिनिस्टर का मुंह बोले बेटे से किसी भी कीमत पर पंगा लेने की हिम्मत किसी में नहीं थी।


सबका एक ही बात कहना था, कुछ दिन पहले अपस्यु रघुवंशी और उसकी होने वाली बीवी ऐमी सिन्हा पर पार्किंग में हमला हुआ था, दोनो तो बच गए लेकिन उसी रात दिल्ली में तूफान सा आया था। एक पूरी लोकल गैंग गायब हो गई। उस लोकल गैंग को जिस प्रोफेशनल ने हायर किया था उनकी लाश उसी के अपार्टमेंट से निकली और जिसने मर्डर प्लान किया था, उसे घर में घुसकर गोली मारी थी। यहां प्रशाशन से बढ़कर कोई गुंडा नहीं, अपस्यु रघुवंशी को दिल्ली में मारने का मतलब है, खुद के मौत की तैयारी कर लो, फिर 500 करोड़ की डील हो या 1000 करोड़ की, जान जाने के बाद किसका होगा ये पैसा।


अजय अब तक समझ चुका था कि जल्दबाजी में लोकेश से भयंकर चूक हो गई है। जिन लोगों को बेस से बाहर भेजकर काम पर लगाया गया था, वो लोकेश के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट के वो सिपाही थे, जो अब तक किसी भी असंभव काम को संभव करते आए थे। उनके फसने का सीधा मतलब था कि लोकेश के जीत का राज सामने आ जाना, ऊपर से दिल्ली के सभी लोकल गैंग और गुंडों ने अपस्यु पर हाथ डालने से मना कर दिया।


असमंजस की स्तिथि में अजय ने बेस से एक पूरी टीम भेजी, जिसमें 1 स्नाइपर, 2 शूटर और 7 फाइटर थे। 4 खास हाई क्लास प्रोफेशनल को गवाने के बाद अजय की बुद्धि थोड़ी खुली। अगली टीम को उसके घर के अंदर हमला ना करके, घात लगाकर बस वहां रुके और अपस्यु के बाहर निकालने का इंतजार करे।


इधर मुंबई में 2 टारगेट, स्वास्तिका और कुंजल और फ्लैट के बाहर खबरी नजर दिए। दोनो ही बहने आपस में हंसी मज़ाक में लगी हुई थी और नंदनी सुबह का नाश्ता तैयार कर रही थी। 2 दिन बाद ही वापस दिल्ली लौटना था इसलिए चोरी से दीपेश के साथ कुछ वक़्त बिताने का प्लान बना।


दोनो बहन 11 बजे के लगभग शॉपिंग के बहाने फ्लैट से निकली। जैसे ही खबरी दोनो को बाहर जाते देखा, एक के बाद एक, चेन के माध्यम से यह खबर ऑपरेटर तक पहुंची। वो ऑपरेटर अजय अब बेहद ही चिंता में आ चुका था। हर जगह पहुंची उसकी हमला करने वाली टीम गायब हो रही थी, जिसकी कोई खबर ना थी। उपर से लोकल कॉन्ट्रैक्ट किलर भी निकम्मे साबित हो चुके थे। गोवा और दिल्ली के शिकस्त के बाद, अजय ने फिर से हिम्मत बांधी और गोवा की तरह यहां भी 2 स्नाइपर और 7 गनमैन फाइटर की टीम को पीछे लगाया।


उपयुक्त माहौल कुछ देर में ही मिल गया। कुंजल और स्वास्तिका एक बड़े से शॉपिंग मॉल की पार्किंग में अपनी कार पार्क कर रही थी और सभी गनमैन क्लोज रेंज में निशाना लेना शुरू कर दिए। इधर नंदनी को उसके फ्लैट से उठाने के लिए 4 लोग उसके फ्लैट के ओर बढ़े।


अजय और उसके सहयोगी लगातार स्क्रीन पर बने हुए थे। एक ओर जहां पार्किंग के सीने में घटना यह हो गई की कुछ लोगों की भीड़ अचानक से वहां पहुंच गई और गनमैन अपना शॉट लेते-लेते रुक गए। लेकिन इस बार हमले के तरीके में अजय ने बदलाव कर दिया था। सभी 7 गनमैन को पार्किंग में फ़ैल जाने तथा जैसे ही भिड़ से हटकर दोनो लड़कियां दिखे, सीधा शूट कर देना।


गनमैन सब फ़ैल चुके थे। स्वास्तिका कार के बाहर खड़ी होकर दीपेश को कॉल लगाई और कुछ देर की बातचीत के बाद दोनो बहने पैदल निकली। दोनो कुछ ही कदम आगे बढ़ी, और वो भिड़ से अलग हो गई, इस से पहले की पिस्तौल से कोई फायरिंग होती, वहां चारो ओर धुआं ही धुआं हो गया, केवल बाहर निकालने वाले रास्ते को छोड़कर।


स्क्रीन पर धुआं का नजारा देखकर ही अजय पागलों की तरह चिल्लाने लगा…. "नहीं, नहीं, नहीं… ये नहीं हो सकता। साला ये आधा कच्चा इंसान हमे इतनी आसानी से मात नहीं से सकता।"…


जैसा कि धुआं देखकर अजय को पहले ही समझ में आ चुका था कि पार्किंग के टीम का भी वही हाल होना तय था, जैसा दिल्ली और गोवा में हुआ। अजय ने नंदनी को उठाने गए टीम का भविष्य सोचकर, अंत में उसे वापस लौटने का हुक्म दिया। नंदनी को किडनैप करने गई टीम को कुछ समझ में नहीं आया और वो वापस लौटने लगी। लेकिन आज तो अनहोनी होकर रहनी थी, और यहां के टीम का भी वहीं हाल हुआ। सब के सब संपर्क से बाहर हो गए।


दिल्ली अपस्यु का गढ़ था लेकिन मायानगरी, वो जगह तो अंडरवर्ल्ड के कंट्रोल में थी। अजय ने सीधा अंडरवर्ल्ड से संपर्क किया और 2 लड़की को मारने और 1 औरत के उठाने का कॉन्ट्रैक्ट उन्हें 200 करोड़ में दे दिया। उन लोगों ने जब डिटेल मांगा और सामने नंदनी, कुंजल और स्वास्तिका की तस्वीर खुली… अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन खुद ही लाइन पर आकर कहने लगा…

"साले चुटिए, तू इसका कॉन्ट्रैक्ट मुझे देने आया था, किसी को कहना भी मत। चल अब फोन रख, और मुंबई तो क्या अखी इंडिया में इसका कॉन्ट्रैक्ट कोई नहीं ले सकता।"..


अजय:- एक 22 साल का लड़का अपस्यु, तुम सब का बाप बना बैठा है। खुद को माफिया और डॉन कहना छोड़ दो।


डॉन:- सुन बे चूहे, यें जो तू जिसका भी नाम ले रायला है, उसे हम में से कोई नहीं जानता, लेकिन उसके पीछे जो है, उसकी कहानी तू ना ही जान और ना ही उससे उलझ तो बेहतर होगा। पूरा मुंबई उसके नाम से पेशाब कर देती है। चल अब फोन रख और दोबारा कभी फोन मत करना।


गोवा, दिल्ली, मुंबई हर जगह नाकामी झेलने के बाद अजय ने अपस्यु के पीछे लगे टीम को वापस बुला लिया, और सर पकड़ कर बैठ गया। 12 बजे के करीब अजय ने लोकेश से संपर्क किया। इधर लोकेश अपने आलीशान महल में जीत के रथ पर सवार अपने प्राइवेट रूम में जश्न माना रहा था..


3 नंगी लड़कियों के बीच अकेला सवार, और हर लड़की उसके अंग को चूसते और चाटते हुए भरपूर मज़े के बीच, एक-एक करके सवारी का मज़ा ले रही थी। अजय ने 12 बजे के आसपास लोकेश को इमरजेंसी संदेश भेज दिया था, लेकिन 1 बजे तक लोकेश की कोई खबर नहीं थी।


तकरीबन 2 बजे लोकेश तैयार होकर कंट्रोल रूम पहुंचा और सैंपैन की बॉटल उड़ाते हुए ही अंदर आया…. "अजय, अजय, अजय… क्यों इतना एक्साइटेड थे, समझना चाहिए था मै कहां बिज़ी हूं। तो बताओ नंदनी रघुवंशी कहां पहुंची?


लोकेश को लगा 12 बजे के करीब सभी टारगेट को एलिमिनेट करने के बाद, नंदनी को अपने कब्जे में लेकर अजय उसे इमरजेंसी संदेश भेजा हैं। और संदेश मिलने के 2 घंटे बाद लोकेश इसलिए पहुंचा था कि नंदनी रघुवंशी के आने का इंतजार ना करना परे।
Khud ko kya samjhti hai college me nayi-nayi aai ek ladki hai. Lokesh babu saamne The great Apasue hai.
Shaandaar shado se ek aur dhamakedaar update laaye hai Nain bhai.
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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Update:-120




शाम लगभग ढलने को थी। मेघा की अपस्यु से मिलने की रुचि जो सुबह थी, वो कहीं ना कहीं ठंडी पर चुकी थी। वैसे भी मेघा अब अपस्यु से मिलकर करती भी क्या, जो कभी भी शिकार हो सकता था। इन्हीं सब बातों का आकलन करती हुई मेघा पब के लिए निकल गई।


7 बजे के करीब वो एक आलीशान पब में पहुंची। जैसे ही वो पहुंची, एक वेटर उसे ड्रिंक सर्व करने पहुंच गया। मेघा उस वेटर को देखकर कहने लगी… "जाकर ये ड्रिंक उसके मुंह पर मार आओ, जिसने भी भेजा है।"..


वेटर:- सर ने बताया था आप का जवाब ऐसा ही कुछ होगा, इसलिए साथ में एक पत्र भी दिया है।


मेघा उस पत्र को देखी, उसपर बड़े अक्षरों में "अपस्यु" लिखा था। मेघा उसकी अदा पर मुस्कुराती हुई ड्रिंक उठाई और अपने कदम बढ़ाती बार काउंटर तक पहुंची…. "हेय हीरो ! कोई उम्मीद नहीं थी कि तुम यहां मिलोगे।"..


अपस्यु:- हाय ये झूठ बोलने की अदा। मुझे ऐसा क्यूं लग रहा है आंटी की आप मेरा पीछा कर रही है।


मेघा, आंखें गुर्राती :- सिर्फ 31 साल का होना से आंटी की श्रेणी में आता है। बहुत ही भद्दा था ये…


अपस्यु:- अच्छा तो फिर मैं अपने से 9-10 साल बड़ी लेडी को क्या कहूं?


मेघा:- चलो कहीं अकेले में चलकर सब समझाती हूं कि क्या कहना चाहिए और क्या करना चाहिए मुझ जैसी हॉट, टॉप क्लास मॉडल के साथ।


अपस्यु:- हम्मम ! तुम्हारी अदा और तुम्हारी बातें आज कुछ मैच नहीं हो रही मेघा। लगता है तुम्हे जो मुझ से उम्मीदें थीं वो कोई और पुरा कर रहा है।


मेघा:- तुम कहना क्या चाहते हो…


अपस्यु अपने राउंड टेबल को घुमाया और उसके होंठो को अपने होंठ से छूकर खड़ा हो गया और चलते-चलते…. "सॉरी स्वीट हार्ट, तुम मुझे शाम को मिलने का वादा करके अपना कार्यक्रम बदल ली। फिर कभी मुलाकात होगी।" … इतना कहकर, अपस्यु फिर माईक लेकर जोड़ से कहने लगा…. "श्रेया तुम केवल बेवकूफ हो, इस से ज्यादा कुछ नहीं। मेरा पीछा करने से अच्छा, मुझ से सामने से बात करती तो तुम्हारे लिए मै ज्यादा फायदेमंद होता। मै ज़रा अकेले घूमना चाहता हूं इसलिए प्लीज मेरे पीछे मत आना।"…


मेघा को अपने लिए कही बात तो समझ में आ गई, लेकिन बीच में ये श्रेया कौन आ गई, इसपर वो सोचती रह गई। तभी मेघा ने देखा पब के कोने से एक लड़की उठकर अपस्यु के पीछे भागी। मामला थोड़ा पेंचीदा था, इसलिए मेघा भी उसके पीछे जाने लगी, और इन दोनों के पीछे लोकेश का एक शातिर आदमी, जो सुबह से अपस्यु के पीछे था, पब के पीछे सुनसान से जगह को सुनिश्चित करने के बाद…. उसने तुरंत लोकेश से संपर्क किया…


"सर आप का शक सही निकला। शायद इस लड़के को आपके बारे में सब पता है।"… इतना कहने के बाद लोकेश से वो आज सुबह से लेकर अब तक की घटनाओं का ब्योरा देने लगा, जिसमें एक क्लोज डोर मीटिंग की बात बताया, जो इतना हाई टेक जगह था कि जितने भी जतन उसने किए, लेकिन अपस्यु के साथ किसकी बात हुई और क्या बात हुई, वो सुन नहीं सका। अपस्यु, मेघा को उलझाने के लिए कैसे उस पब में पहले से पहुंचा और साथ में यह भी उसपर एक लड़की पहले से नजर बनाए हुई थी जिसके बारे में अपस्यु को पहले से पता था। ..


लोकेश ने जब उसके आखरी के कुछ बातें सुनी, फिर वो समझ चुका था कि जितना छोटा उसने अपने इस नए दुश्मन को समझा था वो उतना भी छोटा नहीं। अपने जासूस कि बात पर वो तेज हसने लगा। फोन लाइन के दूसरे ओर उसके अट्टहास भरि हंसी वो जासूस सुन रहा था, तभी एक चींख निकली और वो जासूस सदा के लिए ख़ामोश हो गया।


दूसरे फोन लाइन से लोकेश को आवाज़ आयी… "काम हो गया।"… लोकेश उसे फिर आज रात अपस्यु को खत्म करने का हुक्म देकर लाइन कट किया, और दूसरे लाइन से मेघा को सुनने लगा।…


इधर पब से निकलकर अपस्यु पार्किंग के ओर बढ़ा, श्रेया दौड़ती हुई उसके पीछे पहुंची और उसके कपड़े को पकड़ कर खींचने लगी… अपस्यु पीछे मुड़कर उसे देखते ही हसने लगा।…. "मै अभी एक काम निपटा रहा हूं, इसलिए अभी कुछ भी समझा नहीं पाऊंगा। तुम सीधा अपने फ्लैट चली जाओ, मै आज रात तुमसे मिलता हूं।".. श्रेया इससे पहले कुछ कहती सामने से मेघा भी उसी के ओर आने लगी। उसे देखते ही अपस्यु एक बार फिर बोला…. "अब जाओ यहां से और हमारे बारे में अपने टीम से भी डिस्कस मत करना। वरना अपनी बेवकूफी का एक परिणाम तुम पहले भी देख चुकी हो। अब जाओ।"…


श्रेया अनगिनत सवाल अपने मन में लिए वहां से चली गई। इधर जबतक अपने इठलाते क़दमों को आगे बढ़ती हुई मेघा अपस्यु के पास पहुंची…. "ओह तो ये श्रेया है।"


अपस्यु:- हां जबसे मेरा और ऐमी का रिश्ता सामने आया है, बेचारी का दिल टूट गया और मुझे रिझाने के लिए ये मेरे आस पास ही मिल जाती है।


मेघा:- ओह ! मतलब तुम्हे बस संका थी और उसी आधार पर तुमने एक तीर मारा था।


अपस्यु:- हां हर होशियार इस अंधेरे के तीर का शिकार हो ही जाता है। हम तो कुछ नहीं जानते, लेकिन जैसे ही उसे आभाष करा दो हमे उसके बारे में सब पता है फिर हड़बड़ी में गड़बड़ी कर ही जाते है। खैर छोड़ो, आज तो मै शिकार पर निकला हूं, खाली हाथ थोड़े ना अपनी रात बिताऊंगा..


मेघा:- हीहीहीही… शिकार यहां खुद तैयार हैं। वैसे हां ये सही है कि अब काम को लेकर तुम में कोई रुचि नहीं रही। लेकिन फुरसत की एक रात के लिए तो हमेशा ही रुचि रहेगी… क्यों ना आज रात तुम मेरा शिकार कर लो…


अपस्यु, मेघा को आंख मारते… "आ जाओ बैठ जाओ फिर, आज रात फिर से एक बार सिना जोड़ी का खेल हो जाए।".. "नहीं प्लीज वो खेल नहीं।"…. "क्यों तुम्हे मज़ा नहीं आया था क्या।"…. "हीहीहीही… मज़ा था या साजा आज तक तय नहीं कर पा रही, लेकिन जो भी था, वो कातिलाना था।"…


दोनो की हॉट एरोटिक बातें शुरू हो गई। लोकेश उनकी बात सुन सुनकर विचित्र ही मनोदशा में चला गया था। कभी एक मन सोचता कि लड़के ने तुक्का मरा और मेरा एक एजेंट मरा गया, तो फिर दिमाग में ख्याल आता कि मेघा को कहीं कोई ऑफर देने से पहले उसे फसा तो नहीं रहा। कुल मिलकर लोकेश की भी वहीं हालत हो चुकी थी, जैसा कुछ दिन पहले श्रेया की थी। …


बिल्कुल भ्रमित करने वाला माहौल, जिसमे एक पल लगे कि ये लड़का अपस्यु सब कुछ जान रहा है और लंबी योजना पर काम कर रहा है, तो अगले पल लगता कि कुछ नहीं जानता केवल एक दिलफेंक आवारा है जो अपनी मर्जी का कर रहा।


इधर लोकेश उनकी आवाज़ साफ सुन रहा था.. दरवाजा खुलने से बंद होने तक की आवाज़। फिर उधर से को हंसी की किलकारियों के साथ कभी मादक आह तो कभी तेज जोड़ की चीखें। कभी मेघा की मिन्नतें तो कभी अट्टहास भरी हंसी। और इसी बीच एक तेज खटाक की आवाज़ और उस ओर से आने वाली सभी आवाज़ बंद…


लोकेश अपने ऑपरेटर से जवाब तलब करते… "क्या हुआ ये आवाज़ आना क्यों बंद हो गया।"


ऑपरेटर:- सर लगता है ब्रा पाऊं के नीचे आ गया होगा, डिवाइस बेकार हो गई है।


लोकेश चिल्लाते हुए…. "आखिर उसे पता कैसे चला की हमने माईक ब्रा में छिपा रखी थी।"


ऑपरेटर:- सर दोनो का जोश को देखकर लगता नहीं कि उन्हें कुछ पता भी होगा।


लोकेश:- कुछ भी करो लेकिन मुझे अभी उसकी बात सुननी है।


ऑपरेटर:- बस कुछ देर सर..


वो ऑपरेटर कंप्यूटर पर काफी तेज खिटीर पिटीर करते अपने हाथ चलाया और एक मिनट बाद लोकेश को इशारे से मेघा को कॉल लगाने के लिए कहने लगा। लोकेश ने मेघा को कॉल लगाया। पहली घंटी पूरी हो गई मेघा ने कॉल नहीं लिया। लोकेश ने दोबारा फोन लगाया.. कुछ देर के बाद मेघा कॉल पिक करती… "अभी .. आह्ह्हह्ह ! बाद में बात करो!" .. तेज चढ़ती श्वांस में मेघा ने जल्दी से अपनी बात कही और कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।


इधर से ऑपरेटर जीत का अंगूठा दिखाते, फोन के माईक से आ रही आवाज़ को सुनाने लगा। अब भी मेघा की मादक सिसकारी आ रही थी। कभी तेज दो कभी धीमी। ऐसा लग रहा था जैसे वहां सब बिना वीडियो के पोर्न के ऑडियो का पूरा मज़ा ले रहे थे।


और कुछ देर बाद वहां बिल्कुल सन्नाटा पारा रहा, बस बीच-बीच में एक दो बार चूमने कि आवाज़ और लगभग 15 मिनिट… "कहां जा रही हो मुझे छोड़कर"


मेघा:- आह्ह ! क्या मज़ा दिया है तुमने… एक हॉट शॉवर लेकर वापस आती हूं।


अपस्यु:- तुम ऐसे नंगी खड़ी ना रहो मेरा खड़ा हो जाता है…


मेघा:- हीहीहीहीही… तुम्हारा क्या होता है और क्या नहीं ये मुझे क्यों बता रहे हो। मैं तो यहां जबतक हूं पूरी ओपन हूं।


तभी फिर कुछ क़दमों कि आवाज़ और फोन से बिल्कुल आवाज़ आना बंद हो गया। लोकेश वापस से चिल्लाया, ऑपरेटर अपना छोटा सा मुंह बनाते…. "सर अब दोनो बाथरूम के अन्दर रास लीला मना रहे, तो इसमें मै क्या कर सकता हूं। शूटर को भेजकर दोनो को खत्म ही कर दीजिए ना।


लोकेश:- नहीं, शूटर को वापस बुला लो। इसपर से सारे सर्विलेंस हटाओ, हम गलत जगह फोकस कर रहे है। इसे और इसके परिवार को हम जब चाहे तब मार सकते है, और जब मारना ही है तो इसपर इतना ध्यान क्यों। वैसे भी इसकी जो भी प्लांनिंग होगी वो उद्योगपति विक्रम राठौड़ और लोकेश राठौड़ के लिए होगी। इसकी तो रूह ही समझेगी की मै क्या हूं?


इधर जैसे ही अपस्यु फ्लैट पहुंचा, उसका खेल शुरू हो चुका था। सेक्स के दौरान वो इतना हावी रहा की मेघा पागल हो गई उन उन्माद में। जैसे ही वो माईक टूटा अपस्यु को एक छोटा सा विंडो मिल गया। तुरंत ही उसने ब्रा की कारीगरी में छिपे माईक को दिखाते हुए, अपस्यु ने मेघा से कहा था कि ये बेकार हो गया है, अब लोकेश उसकी बात सुनने के लिए कोई नया हथकंडा अपनाएगा।


मेघा तो दंग थी, लेकिन अपस्यु ने उसके सारे आश्चर्य के भाव को पुनः एक कामुक उन्माद में परिवर्तित करते हुए बस अभी उसे फॉलो करने और एन्जॉय करने का सलाह दिया। फोन छोड़कर दोनो बाथरूम में जाने के बदले एक कमरे में गए…


मेघा, जैसे ही कमरे में पहुंची…. "तो वो तुम और तुम्हारी टीम थी जो लोकेश से बदला लेने के चक्कर में हमारे पैसों का नुकसान किया।"..


अपस्यु:- क्या बात है, मैंने एक माईक क्या दिखा दिया तुम तो जड़ से पकड़ना शुरू कर दी।


मेघा:- यह मेरे सवाल का जवाब नहीं..


अपस्यु:- जब बात बदले कि हो रही हो, तो सीधा सा गणित होता है मेघा, गेहूं के साथ घुन भी पिसता है। क्या ऑफर किया लोकेश ने अपने बेस पर, आज सुबह की मीटिंग में…


मेघा:- ओह तो तुम्हे उसके साम्राज्य और उसके ठिकाने का पूरा पता है और वो होशियार समझता है कि तुम्हारी प्लांनिंग दिल्ली के बॉडी गार्ड को देखते हुए होगी। खैर तुम्हे उसके साम्राज्य के बारे में पता होने से क्या होता है, तुम और तुम्हारी फैमिली वैसे भी मरोगे, क्योंकि उसके पाले सैतानो का मुकाबला करना किसी के बस की बात नहीं। तुम्हारे जाने का थोड़ा सा अफ़सोस तो होगा डार्लिंग, लेकिन खुशी इस बात की होगी की हमारे बीच रहकर जिस दुश्मन को पहचान ना पाए, वो मर जाएगा। चिंता मत करो, तुम्हारे इस राज के बारे में मै किसी को नहीं बताउंगी।


अपस्यु:- हाहाहाहाहा… जी शुक्रिया, वैसे एक बात बताओ, हवाला के पैसे जाने का शक तो पहले एक दूसरे पर ही किए होगे, फिर अब तुम दोनो मिल गए तो पुरा इल्ज़ाम किस गरीब के सर फोड़ दी?


मेघा:- अच्छा सवाल है। वैसे कमाल का गेम था वो भी वाकई, लेकिन ये क्यों भुल जाते हो, हम लंबे समय से पार्टनर्स है और बिना भरोसे धंधा नहीं होता। और कहते है ना जो गड्ढा खोदता है लोग उसी में फंसते है। बस तुम्हारे खेल का नतीजा भी वही होगा। तुम्हारा क्लोज वो होम मिनिस्टर और उसके साथ तुम्हारे प्यारे भाई का वो ससुर राजीव मिश्रा साथ में उसकी पत्नी, बेटी, बेटा सब मरेंगे। ये कतई नहीं सोचना कि मै तुम्हारी बातों में आकर ये राज खोल रही, बस तुमने मुझे एहसास करवाया की कोई मुझ पर लगातार नजर दिए है सो उसके बदले मैंने तुम्हे यह जानकारी दी।
Wow bhai aaj to megha ke saath masti ke saath saath apasyu ne baatein bhi kar li,
lekin megha abhi use bahot halke mein le rahi hai,
vahin lokesh ne bhi ab uspar se apni nazarein hata li hai,
 

Nevil singh

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अजय:- सर अपने 4 हाई क्लास स्नाइपर, 22 हाई क्लास ट्रेंड सिपाही लापता है। गोवा के एक गैंग के 20 मेंबर इस वक़्त हॉस्पिटल में है। उनकी गंभीर हालात देखकर और अन्य जगह पता लगाने के बाद, गोवा के कॉन्ट्रैक्ट किलर्स ने अपने टारगेट का कॉन्ट्रैक्ट लेने से मना कर दिया। दिल्ली और मुंबई में तो इस से भी बुरे हाल थे। गोवा में तो एक ने कॉन्ट्रैक्ट ले भी लिया लेकिन मुंबई और दिल्ली के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट किलर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनका कॉन्ट्रैक्ट ले सके। आपने अपने दुश्मन को बहुत कम आंका सर।


अजय की पूरी डिटेल सुनने के बाद लोकेश तो पागल सा हो गया। कहां होम मिनिस्टर को मारने कि प्लांनिंग हो रही थी और यहां एक लड़का और उसका परिवार मार नहीं पाए, उल्टा अपने सबसे बेस्ट लड़के और शार्प शूटर्स को भी खो दिया। अजय को खींचकर 2 थप्पड़ लगाने के बाद वहां उसे कंट्रोल रूम से बाहर भेजकर लोकेश सभी फुटेज को देखने लगा।


एक ही सीन को बार-बार, कई बार दोहरा कर देखते हुए समझने की कोशिश कर रहा था कि वहां हुआ क्या होगा? कौन है ये अपस्यु और कितनी बड़ी है उसकी गैंग, जिसकी सुपाड़ी अंडरवर्ल्ड तक नहीं के रहा।


लोकेश को जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उसने मेघा को दिल्ली से वापस अपने बेस पर बुला लिया। लोकेश ने अजय को भी वापस कंट्रोल रूम में बुलाया और बंद हुए ऑडियो वीडियो डिवाइस से पुनः कनेक्शन बनाने के लिए कहने लगा। अजय अपने काम में लग गया और लोकेश अपनी मूर्खता पर बस इतना ही सोच रहा था कि…..


"मैंने पूरी ताकत से हमला किया, उस लड़के को कोई फर्क नहीं पड़ा, ये दिल्ली में ही था, जब चाहता तब मुझे मार सकता था, लेकिन क्षमता होने के बावजूद भी मारा क्यों नहीं?"..


लोकेश का दिमाग पजल बाना हुआ था और अपस्यु उसके लिए किसी रहस्य से कम नहीं। तभी ऑपरेटर अजय चौंककर कहने लगा… "सर स्क्रीन देखो।"


लोकेश ने जैसे ही स्क्रीन देखा… सामने अपस्यु, ऐमी, और आरव तीनों उनके लाइन पर थे और अपना हाथ हिला रहे थे। लोकेश उन्हें देखकर जवाब में अपना हाथ हिलाया।


आरव:- क्यों खडूस ये अपने लोकेश भईया कुछ ज्यादा ही कंफ्यूज दिख रहे है।


अपस्यु:- हां कंफ्यूज तो दिख रहा है ये आस्तीन का सांप, लेकिन सुबह से कितना डराया है हमे। अपने बुआ के परिवार पर हमला, जारा इसे भी डर से परिचय करवाओ।


ऐमी:- क्यों नहीं अभी करवा देते है।


लोकेश ख़ामोश होकर तीनों की बातें सुन रहा था, तभी उनके स्क्रीन पर चिल्ड्रंस केयर की विजुअल आने लगे, जहां लोकेश की प्यारी पत्नी मीरा और उसकी लाडली बहन कुसुम, चिल्ड्रंस केयर के लड़के-लड़कियों के साथ प्यार से वक़्त बिता रहे थे।


लोकेश अपने चेहरे का पसीना साफ करते…. "देखो मानता हूं मैंने गलत किया है, लेकिन प्लीज उन्हें जाने दो।"


आरव:- लोकेश भईया, पत्नी तो सबको प्यारी होती है, फिर मेरी होने वाली पत्नी पर हमला।


लोकेश:- देखो मै ताकत के नशे में अंधा हो गया था। प्लीज उन्हें जाने दो… (लोकेश यहां तक मिन्नते भरे लहजे में विनती कर रहा था.. उसके बाद गूंजी उसकी अट्टहास भारी हंसी)… या फिर खुद ही रख ले या मार दे, लेकिन तुम जैसे पिद्दी ये सोच लो कि मुझे ब्लैकमेल कर सकते हो, तो यह तुम्हारी भुल होगी। मेरे पास इतना पैसा है कि मै मीरा जैसी चार पत्नियां घर में रख लूं। दूसरी वो बहन, जब तेरे मामा ने अपनी जिंदा बहन का श्राद्ध कर दिया। मेरा बाप तेरी मां को गोली मारने से पहले सोचेगा तक नहीं, ऐसे कुल में पैदा हुए लड़के को तू बहन के नाम से डरा रहा है। शौक से मार दे।


अपस्यु:- जैसी तुम्हारी इक्छा।


अपस्यु इतना कहकर इशारा किया और लोकेश के नज़रों के सामने 2 स्निपर की गोली एक साथ चली, एक कुसुम और दूसरी मीरा को लगी। लोकेश हंसते हुए कहने लगा…. "तेरा तो मै फैन हो गया। मुझे ऐसे लोग पसन्द है जो बातों से ज्यादा एक्शन दिखाते है। मैंने तेरे परिवार को जान से मारने कि कोशिश की और बदले में तुमने मेरे 26 लोग और 2 परिवार के सदस्य को लुढ़का दिया। दिल जीत लिया तूने।"


आरव:- ये भाई इतनी तारीफ काहे कर रहा है। लगता है दिमाग में कहीं ना कहीं होगा की लोभ दो, अपने बेस पर बुलाओ और टपका डालो।


लोकेश:- ओह मतलब मुझपर पूरा होमवर्क करके आए हो। मेरा कोई बेस है यह तक पता है तुम लोगों को। शाबाश !!!


ऐमी:- सॉरी जेठ जी, लेकिन आप जैसे लोग को यहां दिल्ली में चुटिया कहते है। हमे तो बस विक्रम राठौड़ चाहिए, आप बेकार में खुद को हाईलाइट किए हो।


लोकेश:- कुछ बातें पब्लिक के बीच ना हो तो ही अच्छा है। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि हम साथ मिलकर बहुत ज्यादा धमाल कर सकते हैं। तुम तीनों कोई आम इंसान तो कतई नहीं हो सकते। मेरा न्योता स्वीकार करो और यहां चले आओ।


अपस्यु:- तुम पर भरोसा नहीं लोकेश… इसलिए तुम ही यहां दिल्ली क्यों नहीं चले आते।


लोकेश:- भरोसा तो तुम पर भी मुझे नहीं अपस्यु। अभी-अभी तुम्हारे परिवार को मारने कि मैंने कोशिश की और जिस हिसाब से तुमने उन्हें सुरक्षा दे रखा था, तुम पहले से हमले ले लिए तैयार थे। इसलिए हालात को समझे और परिवार के प्रति तुम्हारे प्यार को देखते हुए मेरी तो इक्छा ही मर गई अपने बेस से निकलने की।


अपस्यु:- फिर चलने दो चूहे बिल्ली का खेल, मुझे तो मज़ा आ रहा है।


लोकेश:- लेकिन मुझे तो मज़ा नहीं आ रहा ना। तुम कुछ ऐसा बताओ जिसके करने के बाद तुम्हे मुझ पर यकीन हो जाए।


अपस्यु:- तुम पर यकीन नहीं लेकिन मै खुद पर तो यकीन करता हूं। 15 अगस्त की शाम, आजादी का जश्न तुम्हारे यहां ही होगा। तुम्हारे सारे आदमी सुरक्षित है, कल उन्हें 16 अगस्त के बाद उठा लेना। तुम्हारी प्यारी पत्नी और बहन को मैंने ट्रांकुलाइजार दिया था। उनके होश में आते ही मै उन्हें सुरक्षित पहुंचा दूंगा।


लोकेश:- रहम दिल अपस्यु। खैर अब मेरे ओर से भी कोई कोशिश नहीं होगी, मिलते हैं 15 अगस्त को फिर।


जबतक लोकेश अपस्यु से बात कर रहा था, मेघा भी वहां पहुंच गई। वो ख़ामोश एक कोने में खड़ी होकर दोनो की बातें सुन रही थी। अपस्यु से बात समाप्त करके लोकेश और मेघा प्राइवेट मीटिंग रूम में पहुंचे। कल से जो जीत के घोड़े पर सवार था, आज मेघा से बात करते वक़्त तो ऐसा लग रहा था कि उसके जीत के घोड़े में पंख भी लग गया हो।


कहानी जैसे पुरा ही पलटी मार चुकी थी, और कहानी की यह पलटी कहीं ना कहीं मेघा के मन में वो ज़हर घोल गई, जिसका अंदाज़ा लोकेश नहीं लगा सकता था। जिस अपस्यु को महज एक छोटा मोहरा बोलकर मेघा को यह कहने पर मजबूर किया गया कि… "काम को लेकर अब उसकी रुचि अपस्यु में नहीं रही"… आज वही लोकेश, अपस्यु के साथ मिलकर अपने भविष्य की नीति बाना रहा था।


आज उसी लोकेश को अपस्यु एक मामूली प्यादा नहीं, बल्कि बराबर का एक साथी मान रहा था। जिस होम मिनिस्टर को कल से मारने का सपना संजोए जा रहे थे, आज उसी होम मिनिस्टर को अपने पाले में मिलने और आने वाला लोकनसभा इलेक्शन पर नजरें बनाया जा रहा था। एक ही रात में कहानी ने ऐसी पलटी मारी, की मेघा का दिमाग ही घूम गया।


अपस्यु को लेकर उसके बदले विचार के बारे में जब पूछा गया, तब लोकेश ने अजय को बुला लिया और सुबह से हुई सारी घटना सुनाने के लिए बोल दिया। अजय जब एक-एक करके सभी बातों पर प्रकाश डाला, तब कहीं जाकर मेघा के दिल को सुकून मिला। मेघा अपने साथ हुए धोक को लेकर हताश तो थी ही किन्तु उसे लोकेश का भविष्य भी समझ में आ चुका था।


सारी बातें सुनने के बाद मेघा हंसती हुई कहने लगी… "कल तो मै उसे साथ मिलाकर काम करने वाली थी, और आज उसी अपस्यु को तुमने अपने पाले में मिला लिया।"


लोकेश:- तुमने उसे कम आंका और मैंने उसी अनुसार योजना बनाई। आज सुबह जब मै उससे टकराया तब मुझे उसकी क्षमता का अंदाज़ा हुआ।


मेघा:- क्षमता का अंदाज़ा तो ठीक है लेकिन क्या वो साथ काम करेगा ?


लोकेश:- देखा जाए तो अभी वो 40000 करोड़ का वारिस है। जितना क्षमता और कनेक्शन है उसके, वो चाहता तो कबका मायलो ग्रुप का पूरा मालिक बन जाता। और हां ! मैं तो उसके बारे में कल से जाना हूं, लेकिन वो तो मेरे बारे में बहुत पहले से जानता था। एक छोटी सी भी यदि वो प्लांनिंग करता, तो मुझे भनक भी नहीं लगती और मैं खत्म। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, इसका मतलब साफ है वो दुश्मन बनाने में नहीं, बल्कि साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखता है।


मेघा:- एक ही दिन में इतना विश्वास?


लोकेश:- विश्वास की कहानी इतनी सी है कि हम दोनों को साथ काम करना है। कुछ तो छिपे मकसद उसके भी है और कुछ छिपे मकसद मेरे। हम दोनों के छिपे मकसद जबतक पूरे नहीं होते तबतक हम एक दूसरे को नहीं ही मार सकते है।


मेघा:- और उसके बाद..


लोकेश:- उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को जान चुके होंगे। तब तो 2 ही बात होगा, या तो मौका देखकर हम में से कोई एक दूसरे को खत्म कर देगा या फिर एक मकसद खत्म होने के बाद किसी दूसरे मकसद के लिए राजी कर लिया जाए।


मेघा:- ऐसा लग रहा है तुम्हारे सारे सितारे जोड़ मार रहे है। ..


लोकेश हंसते हुए कहने लगा… "मेरे सितारे की नई दिशा जो तय करने वाला है वो लकी तो तुम्हारे गोद में पुरा बैठा है, ये क्यों भुल जाती हो। हो ना हो वो अपने हर काम में तुम्हे साथ रखेगा।"..


मेघा:- वो तो आने वाले 15 तारीख को ही पता चलेगा… फिलहाल और कुछ जो हमे करना चाहिए..


लोकेश:- हां बिल्कुल, मायलो ग्रुप की मालकिन लौट आयी है, ये बात सबको पता चलना चाहिए।


लोकेश और मेघा अपनी बातचीत खत्म करके दिल्ली के लिए रवाना हो गए। कुछ ही देर में एक बड़े से प्रेस कॉन्फेंस का आयोजन किया गया, जिसमें मायलो ग्रुप की मालकिन को दिखाया गया। साथ ही साथ कई सारे सवालों का जवाब लोकेश और विक्रम ने दिए।


मायलो ग्रुप के मालकिन के बारे में जानकर फिर तो प्रेस रिपोर्ट्स ने सवालों के बौछार लगा दिए। जिसमे नंदनी रघुवंशी का उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ना आना, पारिवारिक कलह और बीते इतने वर्षों में वो क्यों छिपी रही, यह प्रमुख सवालों में से एक था।


लोकेश सभी सवालों से बचते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया और बस यह कहकर निकल लिया की उनके सवाल का जवाब नंदनी बेहतर तरीके से दे सकती है। उन्हें भी नंदनी रघुवंशी के बारे में आज ही पता चला है, वो भी कई वर्षों की तलाश के बाद।


अपस्यु बड़े सुकून से अपने घर के हॉल में बैठा हुआ था। ऐमी बिल्कुल उसके पास और दोनो बैठकर आराम से लोकेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस का मज़ा ले रहे थे। ऐमी, अपस्यु के ओर मुस्कुराती हुई देखने लगी…


अपस्यु:- हेय लव तुम्हे क्या हुआ?


ऐमी:- शायद कल रात हम दोनों की कुछ चिंता थी, अभी काफी सुकून मिल रहा है।


अपस्यु, किनारे से ऐमी को अपने बाहों में समेटकर उसके गले को चूमते…. "आह ! ऐसा नहीं लग रहा, काफी सुकून में आ गए हैं हम दोनों।"


ऐमी:- अच्छा और सुकून में आते ही ये तुम्हारे हाथ जो साइड से शरारतें कर रहा है उसका क्या?


अपस्यु, ऐमी के कानो को नीचे चूमते… "आप को जब पता हो कि कल आपके पूरे परिवार पर हमला होने वाला है, तब ऐसे ऐसे बुरे ख्याल दिल में आते है कि एक पल काटना दूभर हो जाता है।


"आव, बेशर्म... दूर रहो थोड़ा सा, और चलो जारा अपने गॉडफादर और गॉडमदर से भी बात कर लिया जाए। दोनो वादा करके मुकड़ गए।"… ऐमी अपस्यु के बाहों के घेरे से उठती हुई, अपनी बात कही और प्राइवेट लाइन से कनेक्ट हो गए..


पल्लवी:- हाय रात को याद कर रहा है मेरा देवर, कुछ-कुछ होने तो ना लगा..


ऐमी:- भाभी, मेरे होने वाले को रिझाना बंद करो, वरना झगड़ा हो जाएगा।


पल्लवी:- सुन ले अपस्यु मै कहे देती हूं, ये ऐमी की बच्ची तेरे लिए ठीक ना है, अभी से हमारे बीच की दीवार बन रही है।


अपस्यु:- आप दोनो बस भी करो। भाभी काम कि बात कुछ कर ले।


पल्लवी:- सबसे ज्यादा काम कि बात तो कर ही रही हूं, तू है कि दुनिया कि तमाम चीजें कर केवल एक यह जबरदस्त काम छोड़कर।


जेके:- बस भी करो तुम पल्लवी। अपस्यु बधाई हो, आज तो कमाल ही कर दिया। हम दोनों न्यूज में तुम्हारी ही खबर देख रहे थे।


अपस्यु:- आप सब तो शर्मिंदा ना कीजिए। किसने बताया था मुझे की लोकेश आधे दिन में हमारे परिवार की पूरी जानकारी पता लगाएगा। बचे आधे दिन में वो अपने सारे एक्सपर्ट को हमारे पूरे परिवार को मारने के लिए हमारे पीछे लगाएगा और अगले दिन सुबह से ही मौका देखकर सबको साफ कर दिया जाएगा।


जेके:- तुमने भी तो जगदीश राय की तिजोरी से मुझे वो डायरी दी थी, जिसकी मदद से 6 महीने में सॉल्व होने वाला केस, सिर्फ 2 महिने में निपट गया। ऊपर से हम जिसे नहीं ढूंढ पाते, उस डायरी की मदद से हमने उन्हें भी खोद निकला।


अपस्यु:- इसमें तो थैंक्स फिर मेरे ससुर जी को दे दो। क्योंकि उन्होंने ही मुझे जगदीश राय की तिजोरी खोलने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था और वहीं पर ये काम की डायरी दिख गई तो मैंने चुरा लिया।


जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।
Aate hi chha gaye dost. Saanp bhi maar diya aur laathi bhi na tuti. Ab shayad Lokesh baba thoda samjhne laga hai Apsue bhiya ko. Shabdo ki jaadugari se sab ko apne naino ke pash me bandh kar ye kajrare nain chit chura le gaye apni update se.
 

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अपस्यु:- बस मुझे इतना ही जानना था, बाकी खेल तो शुरू हो ही गया है, मज़े लो बस…


मेघा:- हां मै तो पॉपकॉर्न के साथ मज़े लूंगी इस सह और मात के खेल का। वैसे तुम्हे डर नहीं लग रहा।


अपस्यु:- अपना डर दूर करने ही तो मैदान में उतरा हूं.. वरना मुझे क्या परी थी।


मेघा:- जिंदा रहे तो फिर मज़े करेंगे डार्लिंग। अब मैं चलती हूं।


मेघा वहां से निकल गई और अपस्यु अपने सिगरेट का धुआं उड़ाते कुछ सोच में डूबता चला गया। एक छोटे से चिंतन के बाद अपस्यु मुक्ता अपार्टमेंट से अपने फ्लैट लौटा और श्रेया को मिलने का आमंत्रण दिया।


श्रेया किसी घायल शेरनी की तरह पगलाई अपस्यु का इंतजार कर रही थी। जैसे ही वो मिलने के लिए फ्लैट में घुसी, ना कोई बात ना कोई वार्निग, सीधा फायरिंग शुरू कर दी। गुस्से में पगलाई श्रेया ने जैसे ही पुरा मैग्जीन खाली किया अपस्यु ने उसे तेजी से पकड़ा।….


श्रेया खुद को छुड़ाने के जद्दो जेहद में लग गई। काफी कोशिश के बाद जब वो नाकाम सी महसूस करने लगी, छटपटाने बंद करके वो स्थिर हो गई और तेज-तेज श्वांस लेती श्रेया गुस्से में पागल होकर इधर-उधर देखने लगी….


अपस्यु अपने हाथों की पकड़ बनाए….. "तुम मुझे जान से मारने कि कोशिश कर रही हो, लेकिन मार नहीं पा रही। कहीं मैंने सोच लिया तो तुम्हारे साथ-साथ यहां रह रही तुम्हारी पूरी टीम भी साफ हो जाएगी। बेहतरी इसी में है कि हम बैठकर बातें कर ले।"


श्रेया अपनी पिस्तौल नीचे गिराती हुई "हां" कही और अपस्यु ने उसे छोड़ दिया। ख़ामोश होकर वो हॉल में बैठी… "बताओ क्या बात करनी है।"


अपस्यु:- ये सीधा गोली मारना कहां से सीखी।


श्रेया:- जब खून सवार होता है तो सीधा गोली ही मारी जाती है, बातचीत तो समझौते का रास्ता खोलती है।


अपस्यु:- और खून क्यों सवार हो गया तुम्हारे सर पर..


श्रेया:- मेरे 5 लोग को बड़ी बेरहमी से मारने के बाद ऐसा पूछ रहे, कमाल हो गया ये तो।


अपस्यु:- वो तुम्हारे लोग थे और तुम मेरे पीछे हो, ये मुझे अगले दिन पता चला, इसलिए इसका दोष मुझपर ना ही दो तो अच्छा है। मेरे सामने भी मुझे और ऐमी को जान से मारने कि कोशिश हुई थी। तुम्हारे 5 लोगों को जान से मारने का अफ़सोस है, लेकिन मुझे फसाने के लिए तुमने गलत रास्ता चुना था। अगर कुछ इतना ही जरूरी था तो सीधा बात कर लेती, उस जगदीश राय को मारने के लिए भी मुझे सोचना पड़ता क्या?


श्रेया:- आई एम् सॉरी। मैं एक तरफा सोचकर ही सब गड़बड़ कर गई।


अपस्यु:- उन 5 लोगों की फैमिली डिटेल मुझे दे देना। उनका कर्जदार हूं मै, क्योंकि योजना तुम्हारी थी और पीस गए गलत लोग, जिन्हें मौत तो नहीं ही मिलनी चाहिए थी, क्योंकि वो ऑर्डर फॉलो कर रहे थे।


श्रेया:- मेरे टीम के लोग थे इसलिए मै मौत का बदला ले रही थी बस, बाकी मुझे कोई गिल्ट नहीं उन 5 के मरने का। सच मानो तो 10 और ऐसे लोग है, जो मेरे टीम से चले जाए तो शायद उनके मरने का बदला मै ले लूं, लेकिन उनके जीने से ज्यादा उनके मरने कि ही ख्वाहिश दिल में है।


अपस्यु:- एक खतरनाक टीम लीड करने वाली की इतनी भावनाएं। हुआ क्या था, जो इन 15 से लोगों से तुम नफरत करती हो?


श्रेया:- कुछ बातें ना ही जानो तो अच्छा होगा। खुद को बड़ी हिम्मत से खड़ा किया है, तुम्हारे कहे शब्द और एक दोस्त की तरह मुझे समझना, मुझे फिर से किसी और दौड़ में ले जाएगा। इसलिए मेरी इतनी रिक्वेस्ट मान लो। और हां, आई एम् ए बैड गर्ल, इसलिए मेरे किसी दिमागी फितूर के कारन मुझे जान से मारना पड़े तो अफ़सोस मत करना, बाकी मुझे यदि तुम्हे मारना होगा तो पहले तुम्हे मारूंगी और बाद में थोड़ा सा अफ़सोस कर लूंगी।.. हीहीहीहीही…


अपस्यु:- पूरे पागल हो तुम !


श्रेया:- सो तो हूं। अब छोड़ो इन सब बातों को, सीधे मुद्दे पर आती हूं। तुम मेरे बारे में जानते हो और मै तुम्हारे बारे में, सो अब ये लुका-छिपी का खेल क्यों? सीधे बात करते हैं।


अपस्यु:- मै भी यही सोचकर पब में सब ओपन कर दिया था।


श्रेया:- मेरी ट्रेनिग एक कातिल के रूप में हुई है। हमारी टीम अबतक 4 काम को चुपचाप अंजाम दे चुकी है, लेकिन हमलोग 2 टारगेट में फंस गए। 2 टारगेट में फसना भी गलत होगा, जगदीश राय को ही मारने में इतने बुरी तरह से असफल हो गए की दूसरा टारगेट तो उससे कई गुना हाई लेवल का है। हम लोग जब जगदीश राय की फील्डिंग कर रहे थे, तब मैंने तुम्हारा जलवा देखा था, उसके अंडरग्राउंड फाइट क्लब में। जहां पर कोई जगदीश राय के खिलाफ कुछ करने की सोच नहीं सकता, उस जगह तुम 2 लोग सामने से अंदर घुसे और अपना काम करके निकल गए।

"हम लोग तो दंग ही हो गए थे ये सब देखकर। हमारी, जगदीश राय को मारने कि पहली प्लांनिंग ही चल रही थी, और जोश इतना था कि हमने जीत जश्न में इतना ही कहा था… "जब दो लोग सामने से घुसकर इतनी तबाही मचा सकते हैं, फिर हमारे पास तो एक पूरी टीम है।"

"वक़्त बीतता रहा लेकिन जगदीश राय क्या चीज है, हमे समय-समय पर पता चलता रहा। हम समझ चुके थे कि ये जगदीश राय हमसे बहुत ऊपर की चीज है इसलिए फिर हमने तुम्हे ढूंढ़ना शुरू किया। केवल 2 मकसद थे, तुम्हे समझकर अपने साथ मिलाना या साथ मिलकर काम करने लायक नहीं हुए तो तुम्हे फसाकर काम निकलवाना। बेसिकली हमारी पूरी टीम ही इस मामले में कच्चे है, किसी को फसाकर काम निकलवाने में हम लोग फिसड्डी साबित हुए।"

"मेरे काम के अंदाज़ से तो तुम समझ ही चुके होगे कि ये हमारा पहला हाई केवल काम था और तुम्हे जाल में फंसाकर हमे 2 बड़े टारगेट एलिमिनेट करने का काम मिला था। एक को तो तुमने साफ कर दिया। अब बस अपना एक हाई क्लास टारगेट एलिमिनेट करवाना है।"


अपस्यु:- नाम बताओ, यदि अनैतिक नहीं होगा तो मै ये काम कर दूंगा।


श्रेया:- मैं जानती हूं तुम्हारे काम करने के तरीके को। मेरे टारगेट का नाम सुनकर तुम मना नहीं कर सकते इस काम को।


अपस्यु:- नाम, काम और दाम बताओ।


श्रेया:- लोकेश प्रताप सिंह.. कीमत तुम खुद बता दो।


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है अगले 3 दिन में यह काम जो जाएगा। उम्मीद है तुम और तुम्हारी टीम का काम यहां खत्म हो गया, सो तुमलोग अपने ये रेंट का फ्लैट छोड़कर आराम से निकल जाओ, और इस काम के बाद ना तो मै तुम्हे जानता हूं, और ना तुम मुझे। इस काम कि कीमत होगी 50 करोड़।


श्रेया:- लेकिन तुम्हारी कीमत तो 2 करोड़ हुआ करती है ना।


अपस्यु:- लोकेश राठौड़ इतनी बड़ी मछली है कि तुम तो 100 करोड़ निकलवाओ अपने बॉस से, 50 तुम्हारे और 50 मेरे। और हां, हम दोनों एक दूसरे के बारे में जानते है, ये किसी को भनक भी नहीं लगने देना।


श्रेया:- कीमत ज्यादा है पहले उसपर बात जर लें, फिर दूसरी चर्चा भी हो जाएगी।


अपस्यु:- इसलिए मैं लड़कियों के साथ डील नहीं करता, यहां भी बारगेनिंग।


श्रेया:- सो तो है। तो डील कुछ ऐसी है कि तुम्हे में 10 करोड़ दिलवाती हूं।


अपस्यु:- 50 करोड़ से सीधा 10 करोड़, ये कैसी बारगेनिंग है।


श्रेया:- लवली बारगेन है। आज तुम्हारा पीछा करके मै जान गई हूं कि तुम्हारा भी वही टारगेट है जो मेरा है। मै 10 करोड़ ना भी दूं तो भी ये काम तुम करोगे। सो पैसों की डील तय हो गई। अब आते हैं दूसरे हिस्से पर। तुम मेरी सच्चाई नहीं जानते। ठीक है तुम मेरी सच्चाई नहीं जानते, लेकिन इस डील के लिए मैंने तुम्हे राजी कैसे किया। सो एक दमदार एग्जॉटिक प्ले होगा और तुम मेरे बिछाए हुस्न के जाल में फस गए।


अपस्यु:- मुझे तुम्हारे साथ फिजिकल होने में कोई ऐतराज नहीं, लेकिन तुम्हे ये जरूरी लगता है तो अभी कर लो, वरना मुझे काम पर फोकस करना है।


श्रेया:- हम्मम ! कोई नहीं, ठीक है इस बार बच गए लेकिन मै अपनी डिजायर तो कभी ना कभी पूरी कर ही लूंगी। अलविदा दोस्त फिर शायद ही हम कभी मिले।


अपस्यु 2 मीटिंग समाप्त कर चुका था लेकिन रात के इस प्रहर में अंदर से हृदय थोड़ा कमजोर सा पड़ता जा रहा था। जिंदगी में पहली बार उसे डर का आभास सा हो रहा था। अपस्यु एक बहुत बड़े खेल का हिस्सा बन तो गया था, लेकिन आने वाले पल की कल्पना अपस्यु के अंदर डर का माहौल बनाए हुए थे।


अपस्यु को भले ही खेल शुरू होने से पहले, अनचाहे डर ने उसे घेर रखा था, लेकिन लोकेश अपनी मकसद को पूरा करने के लिए पूरे जोर से आगे बढ़ना शुरू कर चुका था। सुबह जिस नंदनी रघुवंशी का चेहरा, लोकेश ने अपस्यु के मोलबाइल में देखा, रात तक उसकी और उसके पूरे परिवार की डिटेल सामने थी।


12 अगस्त की रात विक्रम और लोकेश मीटिंग हॉल में बैठकर नंदनी की पूरी डिटेल देख रहे थे…. "पापा क्या यही है आप की बहन"..


विक्रम:- सौ फीसदी यही है नंदनी रघुवंशी।


लोकेश:- ठीक है पापा फिर कल दिन में उनके यहां आने की स्वागत कीजिए। अब अपना पुरा दाव खेलने का समय आ गया है।


विक्रम:- लोकेश वो सेंट्रल होम मिनिस्टर है , उसपर हाथ देने का मतलब तुम समझ रहे हो।


लोकेश:- पापा, जब विपक्ष अपने साथ हो, उसके पार्टी के कई नेता अपने साथ हो, पुरा मामला मायलो ग्रुप के मालिक और सेंट्रल होम मिनिस्टर के बीच का होना है, फिर आप चिंता क्यों करते है? अब आप समझे की हमे नंदनी रघुवंशी की इतनी जरूरत क्यो थी?


लोकेश के इस छोटे से मीटिंग के बाद, सबसे पहले अपस्यु और उसके परिवार पर ही गाज गिरने की तैयारी शुरू होने लगी, क्योंकि लोकेश के अपने सबसे बड़े दाव के लिए नंदनी रघुवंशी का उसके पास होना जरूरी था और 12 अगस्त की पूरी रिसर्च के बाद 13 अगस्त, दिन के 2 बजे तक उसे हर हाल में नंदनी रघुवंशी अपने बेस पर चाहिए था।


गोवा से लेकर मुंबई और मुंबई से लेकर दिल्ली तक, अपस्यु और उसके परिवार के नाम की लिस्ट निकल चुकी थी। हर जगह के लोकेश के पाले प्रोफेशनल पहुंच चुके थे और सबका काम और टारगेट बांट दिया गया था। एक रात और जीने की गुंजाइश के बाद, नंदनी के सारे परिवार को दिन के 2 बजे तक समाप्त करके नंदनी को राजस्थान लाने कि सारी तैयारियां हो चुकी थी।


सुबह के लगभग 5 बजे से ही हर कोई फील्डिंग लगाकर बैठ चुका था। गोवा में आरव और लावणी एक हसीन रात बिताने के बाद सुबह के 5 बजे, मोरजिम बीच घूमने के लिए निकले थे। हाथों में हाथ थामे एक और हसीन सुबह लुफ्त उठाने। दोनो जैसे ही अपने रिजॉर्ट से बाहर निकले, खबरी ने तुरंत यह संदेश आगे तक पहुंचाया।


एक चेन के माध्यम से खबर लोकेश के ऑपरेटिंग रूम तक पहुंची, और वहां का ऑपरेटर अजय लाइव वीडियो फुटेज ऑन करके टारगेट को एलिमिनेट करने का हुक्म दिया। 2 स्नाइपर और 7 गनमैन फाइटर के साथ ये लोग भी मोरजिम बीच के पास, जंगल झाड़ियों में अपना ठिकाना बनाया।


शूटर 1:- लड़का मेरे निशाने पर है।
शूटर 2:- उसकी कमाल कि हॉट गर्लफ्रेंड मेरे निशाने पर है।


लोकेश के कंट्रोल रूम का ऑपरेटर अजय…. "दोनो टारगेट को खत्म करो"…


इधर फायरिंग के आदेश आए और उधर 9 लोगों की भीड़ में कौतूहल का माहौल हो गया। वीडियो आरा तिरछा आ रहा था, किसी की कमीज़ दिख रही थी तो किसी की पैंट। आवाज़ से इतना तो समझ में आ रहा था कि उस जगह पर मारपीट हो रही थी, लेकिन कौन किसको मार रहा था कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।


तकरीबन 10 मिनट बाद वहां से ऑडियो और वीडियो दोनो आने बंद हो गए। ऑपरेटर हेल्लो, हेल्लो करता रह गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। ऑपरेटर अजय से जब ये गुत्थी नहीं सुलझी, तब वो आनन फानन में गोवा के लोकल गैंग से संपर्क किया और 2 करोड़ की एक डील तय करके आधे पैसे उन तक पहुंचा दिए।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
to shreya ke saath bhi apasyu ne deal kar hi liya :D,
Aur ye ladkiyan kitni bhi tarakki kar le lekin inki bargaining ki aadat nahin jaane wali hai :lol:
 

aman rathore

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तकरीबन 10 मिनट बाद वहां से ऑडियो और वीडियो दोनो आने बंद हो गए। ऑपरेटर हेल्लो, हेल्लो करता रह गया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। ऑपरेटर अजय से जब ये गुत्थी नहीं सुलझी, तब वो आनन फानन में गोवा के लोकल गैंग से संपर्क किया और 2 करोड़ की एक डील तय करके आधे पैसे उन तक पहुंचा दिए।


लोकल गैंग के लिए लाख रुपए में कत्ल करना कोई बड़ी बात नहीं थी, यहां तो मामला करोड़ में था। तकरीबन 20 गुंडों की टीम मोरजिम बीच के लिए रवाना हो गई। आरव और लावणी दोनो एक छोटे से पत्थर पर बैठकर सुबह के हसीन नजारा का लुफ्त उठा रहे थे।


इधर 20 लोगों की टीम जब निकली तो वो भी ऑडियो और वीडियो के साथ कनेक्ट होकर निकली थी। ये लोग जंगल में छिपकर, बड़ी सी स्निपर राइफल निकालकर, चुपके से निशाना लगाने वालों में से नहीं थे, बल्कि सीधा घुसो मारकर निकलो वाली नीति थी।


4 जीप में 5-5 लोग सवार होकर, घनघनाते हुए, मोरजिम बीच पर अपनी गाड़ी आगे बढाते टारगेट की पहचान करने लगे। बीच के दूसरे किनारे टारगेट की पहचान हो गई। फिर तो जीप पूरे पिकअप के साथ आगे बढ़ी। लेकिन जीप जब आधे रास्ते पर थी, तभी समुद्र के लहरों के साथ 20-25 अनियंत्रित जेट-की हवा से छलांग लगती एक साथ चारो जीप से टकराई।


क्या नजारा था वो जेट-की उड़ती हुई सीधा जीप के ऊपर गिर रही थी और उनके घेरे में तो वो सभी जीप दिखना ही बंद हो गए थे। ऑपरेट और कमांड दे रहे अजय को, गोवा में क्या चल रहा है कुछ भी समझ में ही नहीं आ रहा था। पहले 9 लोग गायब हो गए, अब ये 20 लोग गंभीर रूप से घायल होकर हॉस्पिटल में। ऊपर से कोई जवाब तक नहीं दे पा रहा था।


सुबह के 5 से 6 बजे के खेल में लोकेश के टारगेट को भनक तक ना लगी कि उसपर जानलेवा हमला होने वाला है और किसी ने आकर उसके पूरे गेम की बैंड बजा दी। अजय कुछ सोचकर गोवा के ऑपरेशन को होल्ड में डालकर मुंबई और दिल्ली पर फोकस करने लगा।


अजय को लगने लगा था कि अपस्यु ही इकलौता सबको मॉनिटर कर रहा है और यदि अपस्यु साफ हो गया तो नंदनी का पूरा परिवार साफ हो जाएगा। वक़्त था एक जल्दी एक्शन का इसलिए अजय ने तुरंत 4 बेस्ट फाइटर को अपस्यु के फ्लैट पर ही रवाना होने बोल दिया।


8 बजे तक वो चारो अपस्यु के अपार्टमेंट में थे और निर्भीक होकर फ्लैट नंबर 301 के लिए बढ़ने लगे। ये चारो भी ऑडियो वीडियो के साथ आगे बढ़ रहे थे। चारो, चोरी से जैसे ही अपस्यु के घर में दाखिल हुए, गेट अपने आप की लॉक हो गया। सारे मीडिया कनेक्शन ऑटोमेटिक डिस्कनेक्ट हो गए। अजय हेल्लो-हेल्लो करता रह गया लेकिन उधर से कोई आवाज़ नहीं आया।


इधर जैसे ही वो चारो अंदर दाखिल हुए, अपस्यु आराम से डायनिंग टेबल पर बैठकर सूप पी रहा था और अपने कंप्यूटर स्क्रीन को देख रहा था। चारो अंदर आते ही अपस्यु को देखकर तेजी दिखाते हुए, आव देखा ना ताव और एसएमजी (smg) से फायरिंग शुरू कर दी।


बौखलाहट में फायरिंग तो शुरू कर दिया, लेकिन पूरे मैगज़ीन खाली करने के बाद भी अपस्यु वहीं बैठकर आराम से अब भी सूप पी रहा था। चारो अपनी बड़ी सी आखें किए बस अपस्यु को ही देख रहे थे…. "अबे वो काल्पनिक इमेज देख रहे हो, होलोग्राम वाली गधे।"


चारो ओर से अपस्यु की आवाज़ गूंजने लगी और आवाज़ के साथ ही अपस्यु ने एक छोटा सा कमांड दिया और दीवार के अंदर से कई सारी पतली पाइप निकल आयी। देखते ही देखते उनसे निडिल निकलकर उन चारो के बदन में घुस गए। चारो वहीं बेहोश।


अजय ने जिनको भेजा था वो चार केवल ट्रेंड प्रोफेशनल नहीं थे बल्कि वो लोकेश के टीम के वो जल्लाद थे, जिन्होंने आज तक हार का मुंह नहीं देखा था। अजय का इन लोगों से भी संपर्क टूट चुका था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे क्या ना करें। अजय को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके दिमाग के नसों की सारी वायरिंग ही ढीली पर चुकी है।


बौखलाए अजय ने दिल्ली में कई सक्रिय गैंग से संपर्क किया लेकिन जब सबने टारगेट डिटेल मांगी और नाम अपस्यु रघुवंशी का आया, तो किसी ने भी काम हाथ में नहीं लिया, क्योंकि सिन्हा जी के होने वाला दामाद और होने मिनिस्टर का मुंह बोले बेटे से किसी भी कीमत पर पंगा लेने की हिम्मत किसी में नहीं थी।


सबका एक ही बात कहना था, कुछ दिन पहले अपस्यु रघुवंशी और उसकी होने वाली बीवी ऐमी सिन्हा पर पार्किंग में हमला हुआ था, दोनो तो बच गए लेकिन उसी रात दिल्ली में तूफान सा आया था। एक पूरी लोकल गैंग गायब हो गई। उस लोकल गैंग को जिस प्रोफेशनल ने हायर किया था उनकी लाश उसी के अपार्टमेंट से निकली और जिसने मर्डर प्लान किया था, उसे घर में घुसकर गोली मारी थी। यहां प्रशाशन से बढ़कर कोई गुंडा नहीं, अपस्यु रघुवंशी को दिल्ली में मारने का मतलब है, खुद के मौत की तैयारी कर लो, फिर 500 करोड़ की डील हो या 1000 करोड़ की, जान जाने के बाद किसका होगा ये पैसा।


अजय अब तक समझ चुका था कि जल्दबाजी में लोकेश से भयंकर चूक हो गई है। जिन लोगों को बेस से बाहर भेजकर काम पर लगाया गया था, वो लोकेश के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट के वो सिपाही थे, जो अब तक किसी भी असंभव काम को संभव करते आए थे। उनके फसने का सीधा मतलब था कि लोकेश के जीत का राज सामने आ जाना, ऊपर से दिल्ली के सभी लोकल गैंग और गुंडों ने अपस्यु पर हाथ डालने से मना कर दिया।


असमंजस की स्तिथि में अजय ने बेस से एक पूरी टीम भेजी, जिसमें 1 स्नाइपर, 2 शूटर और 7 फाइटर थे। 4 खास हाई क्लास प्रोफेशनल को गवाने के बाद अजय की बुद्धि थोड़ी खुली। अगली टीम को उसके घर के अंदर हमला ना करके, घात लगाकर बस वहां रुके और अपस्यु के बाहर निकालने का इंतजार करे।


इधर मुंबई में 2 टारगेट, स्वास्तिका और कुंजल और फ्लैट के बाहर खबरी नजर दिए। दोनो ही बहने आपस में हंसी मज़ाक में लगी हुई थी और नंदनी सुबह का नाश्ता तैयार कर रही थी। 2 दिन बाद ही वापस दिल्ली लौटना था इसलिए चोरी से दीपेश के साथ कुछ वक़्त बिताने का प्लान बना।


दोनो बहन 11 बजे के लगभग शॉपिंग के बहाने फ्लैट से निकली। जैसे ही खबरी दोनो को बाहर जाते देखा, एक के बाद एक, चेन के माध्यम से यह खबर ऑपरेटर तक पहुंची। वो ऑपरेटर अजय अब बेहद ही चिंता में आ चुका था। हर जगह पहुंची उसकी हमला करने वाली टीम गायब हो रही थी, जिसकी कोई खबर ना थी। उपर से लोकल कॉन्ट्रैक्ट किलर भी निकम्मे साबित हो चुके थे। गोवा और दिल्ली के शिकस्त के बाद, अजय ने फिर से हिम्मत बांधी और गोवा की तरह यहां भी 2 स्नाइपर और 7 गनमैन फाइटर की टीम को पीछे लगाया।


उपयुक्त माहौल कुछ देर में ही मिल गया। कुंजल और स्वास्तिका एक बड़े से शॉपिंग मॉल की पार्किंग में अपनी कार पार्क कर रही थी और सभी गनमैन क्लोज रेंज में निशाना लेना शुरू कर दिए। इधर नंदनी को उसके फ्लैट से उठाने के लिए 4 लोग उसके फ्लैट के ओर बढ़े।


अजय और उसके सहयोगी लगातार स्क्रीन पर बने हुए थे। एक ओर जहां पार्किंग के सीने में घटना यह हो गई की कुछ लोगों की भीड़ अचानक से वहां पहुंच गई और गनमैन अपना शॉट लेते-लेते रुक गए। लेकिन इस बार हमले के तरीके में अजय ने बदलाव कर दिया था। सभी 7 गनमैन को पार्किंग में फ़ैल जाने तथा जैसे ही भिड़ से हटकर दोनो लड़कियां दिखे, सीधा शूट कर देना।


गनमैन सब फ़ैल चुके थे। स्वास्तिका कार के बाहर खड़ी होकर दीपेश को कॉल लगाई और कुछ देर की बातचीत के बाद दोनो बहने पैदल निकली। दोनो कुछ ही कदम आगे बढ़ी, और वो भिड़ से अलग हो गई, इस से पहले की पिस्तौल से कोई फायरिंग होती, वहां चारो ओर धुआं ही धुआं हो गया, केवल बाहर निकालने वाले रास्ते को छोड़कर।


स्क्रीन पर धुआं का नजारा देखकर ही अजय पागलों की तरह चिल्लाने लगा…. "नहीं, नहीं, नहीं… ये नहीं हो सकता। साला ये आधा कच्चा इंसान हमे इतनी आसानी से मात नहीं से सकता।"…


जैसा कि धुआं देखकर अजय को पहले ही समझ में आ चुका था कि पार्किंग के टीम का भी वही हाल होना तय था, जैसा दिल्ली और गोवा में हुआ। अजय ने नंदनी को उठाने गए टीम का भविष्य सोचकर, अंत में उसे वापस लौटने का हुक्म दिया। नंदनी को किडनैप करने गई टीम को कुछ समझ में नहीं आया और वो वापस लौटने लगी। लेकिन आज तो अनहोनी होकर रहनी थी, और यहां के टीम का भी वहीं हाल हुआ। सब के सब संपर्क से बाहर हो गए।


दिल्ली अपस्यु का गढ़ था लेकिन मायानगरी, वो जगह तो अंडरवर्ल्ड के कंट्रोल में थी। अजय ने सीधा अंडरवर्ल्ड से संपर्क किया और 2 लड़की को मारने और 1 औरत के उठाने का कॉन्ट्रैक्ट उन्हें 200 करोड़ में दे दिया। उन लोगों ने जब डिटेल मांगा और सामने नंदनी, कुंजल और स्वास्तिका की तस्वीर खुली… अंडरवर्ल्ड माफिया डॉन खुद ही लाइन पर आकर कहने लगा…

"साले चुटिए, तू इसका कॉन्ट्रैक्ट मुझे देने आया था, किसी को कहना भी मत। चल अब फोन रख, और मुंबई तो क्या अखी इंडिया में इसका कॉन्ट्रैक्ट कोई नहीं ले सकता।"..


अजय:- एक 22 साल का लड़का अपस्यु, तुम सब का बाप बना बैठा है। खुद को माफिया और डॉन कहना छोड़ दो।


डॉन:- सुन बे चूहे, यें जो तू जिसका भी नाम ले रायला है, उसे हम में से कोई नहीं जानता, लेकिन उसके पीछे जो है, उसकी कहानी तू ना ही जान और ना ही उससे उलझ तो बेहतर होगा। पूरा मुंबई उसके नाम से पेशाब कर देती है। चल अब फोन रख और दोबारा कभी फोन मत करना।


गोवा, दिल्ली, मुंबई हर जगह नाकामी झेलने के बाद अजय ने अपस्यु के पीछे लगे टीम को वापस बुला लिया, और सर पकड़ कर बैठ गया। 12 बजे के करीब अजय ने लोकेश से संपर्क किया। इधर लोकेश अपने आलीशान महल में जीत के रथ पर सवार अपने प्राइवेट रूम में जश्न माना रहा था..


3 नंगी लड़कियों के बीच अकेला सवार, और हर लड़की उसके अंग को चूसते और चाटते हुए भरपूर मज़े के बीच, एक-एक करके सवारी का मज़ा ले रही थी। अजय ने 12 बजे के आसपास लोकेश को इमरजेंसी संदेश भेज दिया था, लेकिन 1 बजे तक लोकेश की कोई खबर नहीं थी।


तकरीबन 2 बजे लोकेश तैयार होकर कंट्रोल रूम पहुंचा और सैंपैन की बॉटल उड़ाते हुए ही अंदर आया…. "अजय, अजय, अजय… क्यों इतना एक्साइटेड थे, समझना चाहिए था मै कहां बिज़ी हूं। तो बताओ नंदनी रघुवंशी कहां पहुंची?


लोकेश को लगा 12 बजे के करीब सभी टारगेट को एलिमिनेट करने के बाद, नंदनी को अपने कब्जे में लेकर अजय उसे इमरजेंसी संदेश भेजा हैं। और संदेश मिलने के 2 घंटे बाद लोकेश इसलिए पहुंचा था कि नंदनी रघुवंशी के आने का इंतजार ना करना परे।
Ye lokesh maharaj to alag hi khushfahmi mein ji rahein hain :lol1:
 

Nevil singh

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जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. लेकिन आपमें और मुख्य सचिव में तो बनती नहीं थी ना भैय्या।


जेके:- "हां सो तो है, लेकिन जब वो मदद मांगने आया तो उसका विषय सुनकर मै मदद किए बिना रह नहीं पाया। हुआ ये था कि मायलो ग्रुप के विपक्ष और पक्ष के संबंध को देखकर होम मिनिस्टर थोड़ा सचेत हो गया था। याद है, राजीव मिश्रा की हरकत, उस वक़्त मायलो ग्रुप ने पुरा महाभियोग चला दिया और होम मिनिस्टर को उसके पद से हटाने की वो पूरी तैयारी कर चुका था।"

"बस इसी बात से खिसियाकर, होम मिनिस्टर ने उस बक्शी को ही मायलो ग्रुप के पीछे लगा दिया। बक्शी जब इसके पीछे गया, तभी तो सारी बातों का खुलासा हुआ। मायलो ग्रुप में जिसके पीछे बक्शी की पूरी इन्वेस्टिगेशन चल रही थी, यानी कि नंदनी रघुवंशी, मायलो ग्रुप की मालकिन, वो कभी बक्शी को मिली ही नहीं। बक्शी भी चक्कर खा गया और मेरे पास पता लगाने आया था कि नंदनी रघुवंशी कैसे पर्दे के पीछे सारा खेल रच रही है?

"वहीं से फिर पता चला था कि ये लोकेश, नंदनी रघुवंशी के नाम पर बहुत से कांड किए है और चूंकि नंदनी रघुवंशी को किसी ने देखा नहीं, इसलिए सब इस बात में जुटे रह गए की जिसके मालिक ने आज तक एक भी दस्तावेज सिग्नेचर नहीं किए उसे कैसे फसाया जाए।"

"तभी तो मैंने तुझसे कहा था कि जिस दिन नंदनी इन लोगों को मिलेगी। केवल 2 दिन में ये लोग अपना सभी बड़े टारगेट को खत्म करके नंदनी रघुवंशी पर सारा इल्ज़ाम डालेंगे और खुद बाहर रहकर पुरा कंट्रोल अपने हाथ में रखेंगे।"


अपस्यु:- इस डेढ़ साने का बड़ा टारगेट होम मिनिस्टर ही था। अब समझ में आया मुझे, की इसने देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केवल इतना क्यों कहा कि मायलो ग्रुप की मालकिन मिल गई और प्रेस के किसी भी सवाल का उत्तर क्यों नहीं दिया।


जेके:- हां वो तो मैंने भी देखा। अब भी इसके दिमाग ने खिचड़ी पक ही रही है।


अपस्यु:- हां शायद, तभी तो दूसरों को हिंट कर गया कि मां शुरू से पर्दे की पीछे थी, बस अब सामने आ रही है।


जेके:- कर लेने दे अब उसे अपनी बची खुची प्लांनिंग, मैंने बक्शी को नंदनी और उसका पूरा इतिहास खोल दिया है। तू तो बस 15 अगस्त की अब प्लांनिंग कर, बाकी का काम तो बक्शी की टीम कर जाएगी क्योंकि उन्हें अब मामला समझ में आ चुका है और एक्शन प्लान तो उनका बन ही चुका होगा।


अपस्यु:- हां इधर सब संतुलन में ही है समझो। आप दोनो से लेकिन मै काफी नाराज हूं। कहां गए ना तो वो बताए हो और ना ही ये की कब मिशन शुरू कर रहे।


जेके:- हम एक्शन प्लान से बाहर है, बस कुछ इन्वेस्टिगेशन का जिम्मा मिला है।


पल्लवी:- सॉरी ये वादा मैंने किया था और मै तुम दोनों को अपडेट नहीं कर सकी। हम दोनों इस वक़्त रोंचेस्टर सिटी में है और मयो क्लीनिक का इन्वेस्टिगेशन में आए है।


अपस्यु:- ये वही मायो क्लीनिक है ना जिसके लिए कुछ इंडियन डॉक्टर्स ने रिक्वेस्ट की थी और तब नाना जी ने अपने कंपनी में नाम से यह हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर खोला था।


पल्लवी:- लड़का अपने खानदान का पूरा इतिहास समेटे है। हां ये वही मायो क्लीनिक है।


अपस्यु:- ठीक है भाभी, आप दोनो इन्वेस्टिगेशन का मजा लो और हमे अपडेट करते रहना। पता नहीं क्यों मेरा भी दिल कर रहा है आप दोनो के साथ एक बार पूरे एक केस पर काम करने की।


जेके:- चल रे इमोशनलेस प्राणी, लोगों के बीच रहकर ज्यादा इमोशनल होने वाली बीमारी ना पाल।


पल्लवी:- हां अपस्यु जेके ने सही कहा। हम दोनों जल्द ही मिलते है, तबतक तुम दोनो मिलकर एक जूनियर ऐमी या जूनियर अपस्यु का प्रोडक्शन करके रखना। यह हमारा आखरी केस है, इसके बाद हमने फैसला किया है कि फील्ड जॉब छोड़कर नए रिक्रूट को ट्रेंड करेंगे।


ऐमी:- बेरा गर्क हो। ओय भाभी फिर उस फक्र की मौत का क्या जिसके हसीन सपने दोनो मियां बीवी देखते थे, फील्ड में एक्शन करते हुए मरना।


पल्लवी:- हीहीहीही… अब फील्ड तो नसीब ही नहीं होगा। यहां भी तो हमे फील्ड से बाहर रखकर बस इन्वेस्टिगेशन में डाले हैं। केवल इन्वेस्टिगेशन करो और रिपोर्ट दो। चल अब रखती हूं, दोनो अपना ख्याल रखना और हमारे आने तक एक जूनियर को ले आना।


पल्लवी अपनी बात पूरी करके कॉल डिस्कनेक्ट कर दी। और इधर ऐमी को देखकर अपस्यु… "चलो फिर चलते है।"..


ऐमी:- कहां बेबी।


अपस्यु:- सुनी नहीं क्या भाभी ने क्या कहा, उनके लौटने तक मेहनत करके एक बच्चा उनकी गोद में देना है।


ऐमी, अपनी आखें बड़ी करती… "तुम्हे नहीं लगता आंटी के जाने के बाद तुम्हे खुला खजाना मिल गया है।"


अपस्यु, ऐमी को पकड़ने की कोशिश कर ही रहा था कि ठीक उसी वक़्त घर की बेल बजी…. "जाओ देखो आ गई छिपकली, हमारा रोमांस खत्म करने। अगर श्रेया हुई ना तो तुम देख लेना।"..


अपस्यु, दरवाजे के ओर बढ़ते… "और नहीं हुई तो क्या करोगी।"..


ऐमी:- मैंने केवल श्रेया के होने पर क्या होगा वो बताई, बाकी ना होगी तो तुम्हारे लिए अच्छा होगा। अब दरवाजा खोलकर सस्पेंस दूर कर लो।


अपस्यु:- डफर, सीसीटीवी भी नहीं देखती क्या, दरवाजे पर कुसुम है।


अपस्यु दरवाजा खोलने लगा और ऐमी अपने सर पर हाथ मारती दरवाजे के ओर देखने लगी। दरवाजा खुलते ही कुसुम अंदर आयी और दरवाजा बंद करके हॉल में बैठ गई। थोड़ी परेशान दिख रही थी। ऐमी कुसुम के ओर पानी बढ़ाती… "तुम इतनी परेशान क्यों नजर आ रही हो।"


कुसुम:- जब से सुनी हूं, भईया मेरे कजिन है तब से जितनी खुश नहीं हूं, उस से ज्यादा मै परेशान हूं। आप लोग मेरे भाई और पापा को नहीं जानते, वो अच्छे लोग नहीं है।


अपस्यु:- हेय । मैं तो कुसुम को जनता हूं ना, वो तो अच्छी और प्यारी है। तुम चिंता नहीं कर, हमे कुछ नहीं होगा।


कुसुम:- भईया आप समझते क्यों नहीं, सब के सब झल्लाद है। जबतक स्वार्थ है तबतक आपके साथ है, एक बार इनका मतलब निकल गया, फिर ये लोग, लोगों को गायब कर देते है।


कुसुम की चिंता उसकी बातों से साफ झलक रही थी। तकरीबन आधे घंटे तक कुसुम केवल यह समझने की कोशिश में जुटी रही की उसके पिता और भाई पॉवर और पैसों के लिए कुछ भी कर सकते है, और अपस्यु बस इधर उधर की बातों से उसका दिल बहलाता रहा।


अंत में जब वो वहां से जाने लगी तब भी वो गुमसुम थी, एक फीकी मुस्कान के साथ वो अपस्यु को अपना ख्याल रखने के लिए बोलकर चली गई। कुसुम कबका दरवाजे से निकल गई, लेकिन ऐमी अब भी दरवाजे के ओर ही देख रही थी…. "इतनी गहरी सोच, बहुत मासूम है ना वो।"..


ऐमी, तेज श्वांस छोड़ती…. "और बहुत मायूस भी थी, आगे आने वाला वक्त इसके लिए काफी मुश्किल से भड़ा होगा।"…… "ऑफ ओ अपस्यु"..


"ऐमी, उसके लिए तो आने वाला वक्त मुश्किलों से भड़ा है, लेकिन मेरा भारी वक़्त तो ना जाने कब से शुरू है।"…


ऐमी, अपस्यु को मुसकुराते हुई देखी, अपने होंठ से अपस्यु के होंठ को स्पर्श करती…. "हम हर मुश्किल वक़्त को बांट लेंगे। आधा तुम्हारा आधा मेरा।"..


14 अगस्त की सुबह….


प्यार भरे सुकून के पल बांटने के बाद एक खुशनुमा सुबह की शुरवात हो रही थी। ऐमी मीठी अंगड़ाई लेकर जाग रही थी और अपस्यु वहीं पास में सुकून से लेटा हुआ था। उसे खामोशी से यूं सुकून से लेटे देख, ऐमी कुछ सोच कर हंसने लगी।


ऐमी अपने दोनो पाऊं उसके कमर के दोनों ओर करके, उसका गला पकड़कर जोड़-जोड़ से हिलाने लगी…. अपस्यु ने जैसे ही अपनी आखें खोली, उसके होंठ से होंठ लगाकर जोरदार और लंबी किस्स करना शुरू कर दी। आह्हह ! इस से बेहतरीन सुबह की शुरवात भला हो सकती थी क्या? अपस्यु तो मदहोश होकर जागा।


ऐमी जब किस्स को तोड़कर अलग हुई, दोनो की श्वांस चढ़ी हुई और आखों में चमक और हंसती हुई कहने लगी…. "किसी एक दिन मेरी सुबह की शुरवात भी इतनी धमाकेदार हुई थी लेकिन पुरा दिन किसी को मेरा ख्याल नहीं आया। पे बैक टाइम बेबी"

इससे पहले कि अपस्यु उठकर उसे दबोच पता, ऐमी हंसती हुई उसके पास से भागकर दूसरे कमरे में आ गई, और दरवाजा लॉक करके हंसने लगी। ऐमी बिस्तर पर बैठकर हसने लगी और इधर अपस्यु भी उसकी इस अदा पर हंस रहा था।…. कुछ ही देर में दोनों तैयार होकर हॉल में बैठे थे। अपस्यु सोफे से टिका था और ऐमी उसके सीने पर सर रखकर दोनो प्यार भरी बातें कर रहे थे। तभी खटाक की आवाज़ के साथ दरवाजा खुला और सामने आरव था।


आरव की देखकर, ऐमी और अपस्यु के चेहरे खिल गए। आरव दौड़ता हुआ पहुंचा दोनो के बीच और तीनों गले मिलने लगे…. तीनों साथ बैठकर कुछ देर बात करते रहे, फिर आरव वहां से उठकर अपने कमरे चला गया।


ऐमी:- 15 को लौटता ना ये तो, एक दिन पहले चला आया।


अपस्यु:- अब ये तो आरव ही जाने, लेकिन आज सुबह की शुरवात जिस जोरदार रोमांस से हुई थी, उसमे ये ग्रहण लगाने चला आया।


ऐमी:- हीहीहीहीही… बोल दूं क्या चला जाए यहां से।


अपस्यु:- कभी-कभी ना तुम्हारी ये खीखी मेरा सुलगा देती है।


ऐमी अपनी पाचों उंगली अपस्यु के चेहरे पर फिराती…. "रात ही तो अपनी मर्जी का सब किए थे, अब सुबह-सुबह ऐसे चिढ़ जाओगे तो कैसे काम चलेगा। चलो, स्माइल करो।


अपस्यु, ऐमी को खींचकर अपने सीने से टिकते… "होंठ से बस होंठ को छू लो, स्माइल तो ऐसे ही आ जाने है।"..


ऐमी बड़ी अदा से मुस्कुराती हुई…. "और किस्स ना करूं तो बेबी के फेस पर स्माइल नहीं रहेगी क्या?"..


अपस्यु:- स्माइल तो तब भी रहेगी लेकिन जो स्माइल तुम्हारी नजरें ढूंढती है वो ना रहेगी।


ऐमी अपना चेहरा ऊंचा करके धीरे-धीरे ऊपर बढाने लगी। अपस्यु के होटों पर आयी मुस्कान को देखकर ऐमी का चेहरा खिल गया। इंच दर इंच धीरे-धीरे ऐमी के होंठ अपस्यु के होंठ के बिल्कुल करीब आ गए। होंठ से होंठ स्पर्श होने लगे और दिल में कुछ गुदगुदा सा महसूस होने लगा। सौम्य सी छुअन थी होंठ की और दोनो की आखें बंद होने लगी।


गले की तेज खड़ास की आवाज़ के साथ… "इतनी बेख्याली की लोग कब घर में घुसे पता ही ना चले।"..


गले की खराश की आवाज़ के साथ ही दोनो झटक कर अलग हो गए। नंदनी जबतक अपना डायलॉग बोल रही थी, तबतक कुंजल दौर कर अपस्यु से लिपट गई और ऐमी अपना सर पुरा नीचे झुकाए, अंदर ही अंदर हंस रही थी, जिसे अपस्यु भाली-भांति महसूस कर रहा था।


इस से पहले की नंदनी कुछ सवाल-जवाब करती, ऐमी झट से नंदनी के पास पहुंची और उसके पाऊं छूकर कहने लगी…. "मां, मै आपसे आकर मिलती हूं। बस जा ही रही थी और विदाई सेशन चल रहा था हमरा।".. नंदनी, ऐमी को रोकती रह गई लेकिन वो रुकी नहीं।


नंदनी, ऐमी का चुलबुला पन देखकर हसने लगी और हंसती हुई अपने कमरे में चली गई। इधर कुंजल, अपस्यु को बिठाकर बातें करने लगी और अपस्यु का ध्यान स्वास्तिका के खिले हुए चेहरे पर था। वो स्वास्तिका के अंदर चल रहे खुशी को महसूस कर सकता था।


"भईया, सुनो तो आप, मै क्या कह रही हूं।"… कुंजल अपस्यु का ध्यान अपनी ओर खींचती हुई कहने लगीं। अपस्यु, कुंजल को कुछ देर शांत रहने का इशारा करके स्वास्तिका को अपने पास बुलाया…. "15 अगस्त की रात से पहले इन आखों में आशु नहीं आने चाहिए। तुम समझ रही है ना।"..


स्वास्तिका, कुछ बोल तो नहीं पाई लेकिन खुशी से अपना सर "हां" में हिलानें लगी। स्वास्तिका को अपने पास बिठाकर उसके सर को सीने से लगाकर अपस्यु कहने लगा…. "वर्षों से जल रही आग का कल हिसाब हो जाएगा। हम जब कल उन्हें आजमाना शुरू करेंगे, तो वादे अनुसार उनको हम अपने कतरे-कतरे जले अरमानों से अवगत करवा देंगे।"


कुंजल:- मुझे भी अपनी जलन शांत करनी है। क्या मैं भी आपके साथ चल सकती हूं।


स्वास्तिका:- नहीं ! वहां बहुत खतरा है।


अपस्यु:- ये अपनी दीदी और भाभी के बीच रहेगी। जिसके आगे पीछे इसके दो भाई रहेंगे, और सर के ऊपर पुरा सुरक्षित शाया। कल मेरी बहन जाएगी और जरूर जाएगी। लेकिन एक बात याद रखना, 7 साल का नासूर दर्द सीने में है, कोई किसी को मारना मत। मृत्यु उनके लिए मोक्ष होगी और मै किसी को भी मोक्ष नहीं देना चाहता।


"तुम कहां जा रहे हो और क्या होने वाला है, उसमे कितना खतरा है ये सब देखने की जिम्मेदारी तुम्हारी है अपस्यु लेकिन मुझे अपने सभी बच्चे मेरे नजरों के सामने चाहिए, बिना किसी नुकसान के।" … नंदनी पीछे से आकर तीनों के सर पर हाथ फेरती हुई कहने लगी।
Ab toh Apsue ka tandav kya rang laayega ye toh woqt ka paimana hi taye karega koun jeetega koun haarega. Atiutam vakyo se suniyojit dhang se avyakt karti hui ek aur paritoshik update lekhak ki tulika se.
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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Update:-123







अजय:- सर अपने 4 हाई क्लास स्नाइपर, 22 हाई क्लास ट्रेंड सिपाही लापता है। गोवा के एक गैंग के 20 मेंबर इस वक़्त हॉस्पिटल में है। उनकी गंभीर हालात देखकर और अन्य जगह पता लगाने के बाद, गोवा के कॉन्ट्रैक्ट किलर्स ने अपने टारगेट का कॉन्ट्रैक्ट लेने से मना कर दिया। दिल्ली और मुंबई में तो इस से भी बुरे हाल थे। गोवा में तो एक ने कॉन्ट्रैक्ट ले भी लिया लेकिन मुंबई और दिल्ली के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट किलर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनका कॉन्ट्रैक्ट ले सके। आपने अपने दुश्मन को बहुत कम आंका सर।


अजय की पूरी डिटेल सुनने के बाद लोकेश तो पागल सा हो गया। कहां होम मिनिस्टर को मारने कि प्लांनिंग हो रही थी और यहां एक लड़का और उसका परिवार मार नहीं पाए, उल्टा अपने सबसे बेस्ट लड़के और शार्प शूटर्स को भी खो दिया। अजय को खींचकर 2 थप्पड़ लगाने के बाद वहां उसे कंट्रोल रूम से बाहर भेजकर लोकेश सभी फुटेज को देखने लगा।


एक ही सीन को बार-बार, कई बार दोहरा कर देखते हुए समझने की कोशिश कर रहा था कि वहां हुआ क्या होगा? कौन है ये अपस्यु और कितनी बड़ी है उसकी गैंग, जिसकी सुपाड़ी अंडरवर्ल्ड तक नहीं के रहा।


लोकेश को जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उसने मेघा को दिल्ली से वापस अपने बेस पर बुला लिया। लोकेश ने अजय को भी वापस कंट्रोल रूम में बुलाया और बंद हुए ऑडियो वीडियो डिवाइस से पुनः कनेक्शन बनाने के लिए कहने लगा। अजय अपने काम में लग गया और लोकेश अपनी मूर्खता पर बस इतना ही सोच रहा था कि…..


"मैंने पूरी ताकत से हमला किया, उस लड़के को कोई फर्क नहीं पड़ा, ये दिल्ली में ही था, जब चाहता तब मुझे मार सकता था, लेकिन क्षमता होने के बावजूद भी मारा क्यों नहीं?"..


लोकेश का दिमाग पजल बाना हुआ था और अपस्यु उसके लिए किसी रहस्य से कम नहीं। तभी ऑपरेटर अजय चौंककर कहने लगा… "सर स्क्रीन देखो।"


लोकेश ने जैसे ही स्क्रीन देखा… सामने अपस्यु, ऐमी, और आरव तीनों उनके लाइन पर थे और अपना हाथ हिला रहे थे। लोकेश उन्हें देखकर जवाब में अपना हाथ हिलाया।


आरव:- क्यों खडूस ये अपने लोकेश भईया कुछ ज्यादा ही कंफ्यूज दिख रहे है।


अपस्यु:- हां कंफ्यूज तो दिख रहा है ये आस्तीन का सांप, लेकिन सुबह से कितना डराया है हमे। अपने बुआ के परिवार पर हमला, जारा इसे भी डर से परिचय करवाओ।


ऐमी:- क्यों नहीं अभी करवा देते है।


लोकेश ख़ामोश होकर तीनों की बातें सुन रहा था, तभी उनके स्क्रीन पर चिल्ड्रंस केयर की विजुअल आने लगे, जहां लोकेश की प्यारी पत्नी मीरा और उसकी लाडली बहन कुसुम, चिल्ड्रंस केयर के लड़के-लड़कियों के साथ प्यार से वक़्त बिता रहे थे।


लोकेश अपने चेहरे का पसीना साफ करते…. "देखो मानता हूं मैंने गलत किया है, लेकिन प्लीज उन्हें जाने दो।"


आरव:- लोकेश भईया, पत्नी तो सबको प्यारी होती है, फिर मेरी होने वाली पत्नी पर हमला।


लोकेश:- देखो मै ताकत के नशे में अंधा हो गया था। प्लीज उन्हें जाने दो… (लोकेश यहां तक मिन्नते भरे लहजे में विनती कर रहा था.. उसके बाद गूंजी उसकी अट्टहास भारी हंसी)… या फिर खुद ही रख ले या मार दे, लेकिन तुम जैसे पिद्दी ये सोच लो कि मुझे ब्लैकमेल कर सकते हो, तो यह तुम्हारी भुल होगी। मेरे पास इतना पैसा है कि मै मीरा जैसी चार पत्नियां घर में रख लूं। दूसरी वो बहन, जब तेरे मामा ने अपनी जिंदा बहन का श्राद्ध कर दिया। मेरा बाप तेरी मां को गोली मारने से पहले सोचेगा तक नहीं, ऐसे कुल में पैदा हुए लड़के को तू बहन के नाम से डरा रहा है। शौक से मार दे।


अपस्यु:- जैसी तुम्हारी इक्छा।


अपस्यु इतना कहकर इशारा किया और लोकेश के नज़रों के सामने 2 स्निपर की गोली एक साथ चली, एक कुसुम और दूसरी मीरा को लगी। लोकेश हंसते हुए कहने लगा…. "तेरा तो मै फैन हो गया। मुझे ऐसे लोग पसन्द है जो बातों से ज्यादा एक्शन दिखाते है। मैंने तेरे परिवार को जान से मारने कि कोशिश की और बदले में तुमने मेरे 26 लोग और 2 परिवार के सदस्य को लुढ़का दिया। दिल जीत लिया तूने।"


आरव:- ये भाई इतनी तारीफ काहे कर रहा है। लगता है दिमाग में कहीं ना कहीं होगा की लोभ दो, अपने बेस पर बुलाओ और टपका डालो।


लोकेश:- ओह मतलब मुझपर पूरा होमवर्क करके आए हो। मेरा कोई बेस है यह तक पता है तुम लोगों को। शाबाश !!!


ऐमी:- सॉरी जेठ जी, लेकिन आप जैसे लोग को यहां दिल्ली में चुटिया कहते है। हमे तो बस विक्रम राठौड़ चाहिए, आप बेकार में खुद को हाईलाइट किए हो।


लोकेश:- कुछ बातें पब्लिक के बीच ना हो तो ही अच्छा है। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि हम साथ मिलकर बहुत ज्यादा धमाल कर सकते हैं। तुम तीनों कोई आम इंसान तो कतई नहीं हो सकते। मेरा न्योता स्वीकार करो और यहां चले आओ।


अपस्यु:- तुम पर भरोसा नहीं लोकेश… इसलिए तुम ही यहां दिल्ली क्यों नहीं चले आते।


लोकेश:- भरोसा तो तुम पर भी मुझे नहीं अपस्यु। अभी-अभी तुम्हारे परिवार को मारने कि मैंने कोशिश की और जिस हिसाब से तुमने उन्हें सुरक्षा दे रखा था, तुम पहले से हमले ले लिए तैयार थे। इसलिए हालात को समझे और परिवार के प्रति तुम्हारे प्यार को देखते हुए मेरी तो इक्छा ही मर गई अपने बेस से निकलने की।


अपस्यु:- फिर चलने दो चूहे बिल्ली का खेल, मुझे तो मज़ा आ रहा है।


लोकेश:- लेकिन मुझे तो मज़ा नहीं आ रहा ना। तुम कुछ ऐसा बताओ जिसके करने के बाद तुम्हे मुझ पर यकीन हो जाए।


अपस्यु:- तुम पर यकीन नहीं लेकिन मै खुद पर तो यकीन करता हूं। 15 अगस्त की शाम, आजादी का जश्न तुम्हारे यहां ही होगा। तुम्हारे सारे आदमी सुरक्षित है, कल उन्हें 16 अगस्त के बाद उठा लेना। तुम्हारी प्यारी पत्नी और बहन को मैंने ट्रांकुलाइजार दिया था। उनके होश में आते ही मै उन्हें सुरक्षित पहुंचा दूंगा।


लोकेश:- रहम दिल अपस्यु। खैर अब मेरे ओर से भी कोई कोशिश नहीं होगी, मिलते हैं 15 अगस्त को फिर।


जबतक लोकेश अपस्यु से बात कर रहा था, मेघा भी वहां पहुंच गई। वो ख़ामोश एक कोने में खड़ी होकर दोनो की बातें सुन रही थी। अपस्यु से बात समाप्त करके लोकेश और मेघा प्राइवेट मीटिंग रूम में पहुंचे। कल से जो जीत के घोड़े पर सवार था, आज मेघा से बात करते वक़्त तो ऐसा लग रहा था कि उसके जीत के घोड़े में पंख भी लग गया हो।


कहानी जैसे पुरा ही पलटी मार चुकी थी, और कहानी की यह पलटी कहीं ना कहीं मेघा के मन में वो ज़हर घोल गई, जिसका अंदाज़ा लोकेश नहीं लगा सकता था। जिस अपस्यु को महज एक छोटा मोहरा बोलकर मेघा को यह कहने पर मजबूर किया गया कि… "काम को लेकर अब उसकी रुचि अपस्यु में नहीं रही"… आज वही लोकेश, अपस्यु के साथ मिलकर अपने भविष्य की नीति बाना रहा था।


आज उसी लोकेश को अपस्यु एक मामूली प्यादा नहीं, बल्कि बराबर का एक साथी मान रहा था। जिस होम मिनिस्टर को कल से मारने का सपना संजोए जा रहे थे, आज उसी होम मिनिस्टर को अपने पाले में मिलने और आने वाला लोकनसभा इलेक्शन पर नजरें बनाया जा रहा था। एक ही रात में कहानी ने ऐसी पलटी मारी, की मेघा का दिमाग ही घूम गया।


अपस्यु को लेकर उसके बदले विचार के बारे में जब पूछा गया, तब लोकेश ने अजय को बुला लिया और सुबह से हुई सारी घटना सुनाने के लिए बोल दिया। अजय जब एक-एक करके सभी बातों पर प्रकाश डाला, तब कहीं जाकर मेघा के दिल को सुकून मिला। मेघा अपने साथ हुए धोक को लेकर हताश तो थी ही किन्तु उसे लोकेश का भविष्य भी समझ में आ चुका था।


सारी बातें सुनने के बाद मेघा हंसती हुई कहने लगी… "कल तो मै उसे साथ मिलाकर काम करने वाली थी, और आज उसी अपस्यु को तुमने अपने पाले में मिला लिया।"


लोकेश:- तुमने उसे कम आंका और मैंने उसी अनुसार योजना बनाई। आज सुबह जब मै उससे टकराया तब मुझे उसकी क्षमता का अंदाज़ा हुआ।


मेघा:- क्षमता का अंदाज़ा तो ठीक है लेकिन क्या वो साथ काम करेगा ?


लोकेश:- देखा जाए तो अभी वो 40000 करोड़ का वारिस है। जितना क्षमता और कनेक्शन है उसके, वो चाहता तो कबका मायलो ग्रुप का पूरा मालिक बन जाता। और हां ! मैं तो उसके बारे में कल से जाना हूं, लेकिन वो तो मेरे बारे में बहुत पहले से जानता था। एक छोटी सी भी यदि वो प्लांनिंग करता, तो मुझे भनक भी नहीं लगती और मैं खत्म। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, इसका मतलब साफ है वो दुश्मन बनाने में नहीं, बल्कि साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखता है।


मेघा:- एक ही दिन में इतना विश्वास?


लोकेश:- विश्वास की कहानी इतनी सी है कि हम दोनों को साथ काम करना है। कुछ तो छिपे मकसद उसके भी है और कुछ छिपे मकसद मेरे। हम दोनों के छिपे मकसद जबतक पूरे नहीं होते तबतक हम एक दूसरे को नहीं ही मार सकते है।


मेघा:- और उसके बाद..


लोकेश:- उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को जान चुके होंगे। तब तो 2 ही बात होगा, या तो मौका देखकर हम में से कोई एक दूसरे को खत्म कर देगा या फिर एक मकसद खत्म होने के बाद किसी दूसरे मकसद के लिए राजी कर लिया जाए।


मेघा:- ऐसा लग रहा है तुम्हारे सारे सितारे जोड़ मार रहे है। ..


लोकेश हंसते हुए कहने लगा… "मेरे सितारे की नई दिशा जो तय करने वाला है वो लकी तो तुम्हारे गोद में पुरा बैठा है, ये क्यों भुल जाती हो। हो ना हो वो अपने हर काम में तुम्हे साथ रखेगा।"..


मेघा:- वो तो आने वाले 15 तारीख को ही पता चलेगा… फिलहाल और कुछ जो हमे करना चाहिए..


लोकेश:- हां बिल्कुल, मायलो ग्रुप की मालकिन लौट आयी है, ये बात सबको पता चलना चाहिए।


लोकेश और मेघा अपनी बातचीत खत्म करके दिल्ली के लिए रवाना हो गए। कुछ ही देर में एक बड़े से प्रेस कॉन्फेंस का आयोजन किया गया, जिसमें मायलो ग्रुप की मालकिन को दिखाया गया। साथ ही साथ कई सारे सवालों का जवाब लोकेश और विक्रम ने दिए।


मायलो ग्रुप के मालकिन के बारे में जानकर फिर तो प्रेस रिपोर्ट्स ने सवालों के बौछार लगा दिए। जिसमे नंदनी रघुवंशी का उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ना आना, पारिवारिक कलह और बीते इतने वर्षों में वो क्यों छिपी रही, यह प्रमुख सवालों में से एक था।


लोकेश सभी सवालों से बचते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया और बस यह कहकर निकल लिया की उनके सवाल का जवाब नंदनी बेहतर तरीके से दे सकती है। उन्हें भी नंदनी रघुवंशी के बारे में आज ही पता चला है, वो भी कई वर्षों की तलाश के बाद।


अपस्यु बड़े सुकून से अपने घर के हॉल में बैठा हुआ था। ऐमी बिल्कुल उसके पास और दोनो बैठकर आराम से लोकेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस का मज़ा ले रहे थे। ऐमी, अपस्यु के ओर मुस्कुराती हुई देखने लगी…


अपस्यु:- हेय लव तुम्हे क्या हुआ?


ऐमी:- शायद कल रात हम दोनों की कुछ चिंता थी, अभी काफी सुकून मिल रहा है।


अपस्यु, किनारे से ऐमी को अपने बाहों में समेटकर उसके गले को चूमते…. "आह ! ऐसा नहीं लग रहा, काफी सुकून में आ गए हैं हम दोनों।"


ऐमी:- अच्छा और सुकून में आते ही ये तुम्हारे हाथ जो साइड से शरारतें कर रहा है उसका क्या?


अपस्यु, ऐमी के कानो को नीचे चूमते… "आप को जब पता हो कि कल आपके पूरे परिवार पर हमला होने वाला है, तब ऐसे ऐसे बुरे ख्याल दिल में आते है कि एक पल काटना दूभर हो जाता है।


"आव, बेशर्म... दूर रहो थोड़ा सा, और चलो जारा अपने गॉडफादर और गॉडमदर से भी बात कर लिया जाए। दोनो वादा करके मुकड़ गए।"… ऐमी अपस्यु के बाहों के घेरे से उठती हुई, अपनी बात कही और प्राइवेट लाइन से कनेक्ट हो गए..


पल्लवी:- हाय रात को याद कर रहा है मेरा देवर, कुछ-कुछ होने तो ना लगा..


ऐमी:- भाभी, मेरे होने वाले को रिझाना बंद करो, वरना झगड़ा हो जाएगा।


पल्लवी:- सुन ले अपस्यु मै कहे देती हूं, ये ऐमी की बच्ची तेरे लिए ठीक ना है, अभी से हमारे बीच की दीवार बन रही है।


अपस्यु:- आप दोनो बस भी करो। भाभी काम कि बात कुछ कर ले।


पल्लवी:- सबसे ज्यादा काम कि बात तो कर ही रही हूं, तू है कि दुनिया कि तमाम चीजें कर केवल एक यह जबरदस्त काम छोड़कर।


जेके:- बस भी करो तुम पल्लवी। अपस्यु बधाई हो, आज तो कमाल ही कर दिया। हम दोनों न्यूज में तुम्हारी ही खबर देख रहे थे।


अपस्यु:- आप सब तो शर्मिंदा ना कीजिए। किसने बताया था मुझे की लोकेश आधे दिन में हमारे परिवार की पूरी जानकारी पता लगाएगा। बचे आधे दिन में वो अपने सारे एक्सपर्ट को हमारे पूरे परिवार को मारने के लिए हमारे पीछे लगाएगा और अगले दिन सुबह से ही मौका देखकर सबको साफ कर दिया जाएगा।


जेके:- तुमने भी तो जगदीश राय की तिजोरी से मुझे वो डायरी दी थी, जिसकी मदद से 6 महीने में सॉल्व होने वाला केस, सिर्फ 2 महिने में निपट गया। ऊपर से हम जिसे नहीं ढूंढ पाते, उस डायरी की मदद से हमने उन्हें भी खोद निकला।


अपस्यु:- इसमें तो थैंक्स फिर मेरे ससुर जी को दे दो। क्योंकि उन्होंने ही मुझे जगदीश राय की तिजोरी खोलने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था और वहीं पर ये काम की डायरी दिख गई तो मैंने चुरा लिया।


जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
aaj to aapne dil hi khush kar diya hai bhai :love2:
 

Nevil singh

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अपस्यु:- मां आप बेफिक्र रहो। कल हम सब वैसे भी एक्शन ना के बराबर करेंगे और पुरा शो पॉपकॉर्न के साथ एन्जॉय करेंग। आप भी हमारे साथ क्यों नहीं चलती।


नंदनी:- नहीं मै नहीं आ सकती बेटा। जैसे तुम्हारी अपनी योजना है वैसे ही मेरी अपनी योजना है। एक अच्छे आदमी का नाम खराब किया है अपस्यु इन लोगो ने। मरणोपरांत किसी के नाम को मिट्टी में मिला दिया गया। मेरे पापा और मेरे भाई ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा, और ना ही कभी पैसों को तब्बजो दिया है। बस अपनी मां की एक ख्वाहिश पूरी कर देना, जब तुम लौटो तो उनका नाम पर लगा कलंक साफ हो जाना चाहिए, और इधर मै उनके एक बहुत बड़े सपने को साकार करने की दिशा में काम करूंगी। 16 अगस्त को जब सब सामान्य हो जाएगा, मै उसी दिन ये घोषणा करना चाहती हूं। क्या तुम मेरे लिए एक अच्छी टीम अरेंज कर सकते हो जो मेरे प्रोजेक्ट को पूरी तरह से प्लान कर दे।


अपस्यु:- मेरे बापू कब काम आएंगे मां। आप सिन्हा जी से मिल लीजिए, आपका सारा काम हो जाएगा….


नंदनी:- मै भी वही सोच रही थी। तुम सब अपने काम में लग जाओ, और हां ऐमी को भी बुला लो, उसे इस वक़्त यहां होना चाहिए।


कुंजल:- आप खाली थप्पड़ चलाने के लिए हो क्या मां, इतना तो आप भी कर सकती है, वो भी पूरे हक से।


स्वास्तिका, कुंजल के सर पर एक हाथ मारती…. "पागल कहीं की, बोलते-बोलते कुछ भी बोल जाती है।"..


अपस्यु:- हो गया, छोटी के मुंह से कुछ ज्यादा निकल गया हो तो एडजस्ट कर लो तुम लोग।


नंदनी:- तेरे छोटी और बड़ी कि हेंकरी तो मै 17 अगस्त से निकालूंगी, अभी जारा मै काम कर लूं। वैसे आते वक़्त मैंने गुफरान और प्रदीप को नहीं देखी, दोनो को कहीं भेजे हो क्या?


अपस्यु:- दोनो काम छोड़ गए मां। रुको आरव को बोलता हूं छोड़ आएगा।


तीनों एक साथ आश्चर्य… "आरव यहां है और अब तक कमरे के बाहर नहीं आया।"


अपस्यु:- कुछ जरूरी काम कर रहा होगा इसलिए बाहर नहीं आया।


नंदनी:- नहीं उसे रहने दो , मैं सिन्हा जी को बोल देती हूं किसी को भेज देंगे। और ऐमी को भी फोन लगा देती हूं।


अपस्यु:- मां, आज आप अकेली ही रहना, हम सब कुछ देर में राजस्थान के लिए निकलेंगे।


नंदनी:- मै अकेली क्यों रहूंगी, श्रेया तो है ना।


अपस्यु:- नाह ! उसने तो कल ही फ्लैट छोड़ दिया।


नंदनी:- हम्मम ! कोई बात नहीं, आज मै अपने 120 पोते-पोतियों के बीच सोऊंगी। पूरा भड़ा पुरा माहौल में, वो भी पूरी मस्ती के साथ। तुम लोगों को जहां जाना है वहां जाओ।


नंदनी ने ऐमी को ही कॉल लगाकर किसी ड्राइवर के साथ आने के लिए कह दी। कुछ देर बाद ऐमी फ्लैट के अंदर थी और नंदनी सिन्हा जी से मिलने चली गई। सुबह के 11 बज रहे थे, अपस्यु सबको वैन में लेकर दिल्ली राजस्थान हाईवे पर था।


सभी के मन में कई सवाल थे लेकिन अपस्यु बस उन्हें शांत रहकर सरप्राइज का इंतजार करने के लिए कहने लगा। 10 मिनट के बाद वैन एक बड़े से स्क्रैप यार्ड के पास खड़ी हो गई। सबको वैन में रुकने के लिए बोलकर, अपस्यु स्क्रैप यार्ड के अंदर घुसा और वहां एक लड़के से बात करने लगा। उस से बात करने के बाद अपस्यु वापस वैन में बैठा और वैन कुछ दूर आगे जाकर रुकी।


अपस्यु सबको नीचे आने का कहकर एक बड़े से गराज का शटर खोला, अंदर एक लाइन में 5 कार खड़ी थी जिसके ऊपर पेपर का कवर चढ़ाया गया था।… "क्या यार हम राजस्थान के लिए निकले है या यहां एनएच के कबाड़खाना देखने आए है।"…


"हम्मम ! अच्छा सवाल हैं। लेकिन इस सवाल का जवाब इन पेपर के अंदर छिपे कार में है।"….. अपस्यु एक कार के ऊपर के सारे पेपर हटाते हुए कहने लगा। … "पेश है पूरी तरह कस्टम की गई फरारी। ऑटोमोबाइल इंजीनियिंग का नायाब कारीगरी, जिसे आपकी प्यारी भाभी और मेरी होनी वाली प्यारी पत्नी ने आप सबको गिफ्ट किया है।"


कुंजल:- ऐसा क्या खास कस्टम किया है भाई ?


अपस्यु:- "कार की खास बात सिर्फ इतनी सी है कि, हम किसी के यहां बुलावे पर खाली हाथ अशहाय की तरह पहुंचेंगे और हमारी सारी जरूरत ये कार पूरी करेगी। इसके अलावा बहुत से और भी गुण के साथ इसे कस्टम किया है। हर किसी के लिए यहां उसकी अपनी कस्टम कार है और हर कार पर उसके मालिक का नाम लिखा है। 100% कंप्यूटराइज्ड बायोमेट्रिक सुरक्षा तकनीक के साथ जिसे बिना आपके कमांड के ऑपरेट नहीं किया जा सकता। इसके अलवा अंदर के सारे फंक्शन भी आपके हुक्म के गुलाम है।"

"बाकी सारी डिटेल कार के अंदर है, धीरे-धीरे सभी खूबियां समझ में आ जाएगी। यहां से वीरभद्र के गांव का सफर लगभग 700 किलोमीटर का है । हम बीच में जयपुर में हॉल्ट लेकर लंच करेंगे और फिर वहां से उदयपुर और उदयपुर से वीरभद्र के गांव। जयपुर हॉल्ट का जीपीएस लोकेशन मैंने भेज दिया है, यहां से हम अपनी कार में रेस करते हुए निकलेंगे।"


सभी लोग हूटिंग करते हुए कार का कवर खोले। कुछ ही समय में सभी कार सड़क पर थी। इंजन की आवाज़ घन-घन करने लगी और सबने अपने कार को भगाना शुरू कर दिया। कार हवा से बातें करना शुरू कर चुकी थी। जल्द ही सबके कार की गति 140-150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के हिसाब से चलने लगी थी। इससे ज्यादा तेज गति में कार ले जाने की हिम्मत किसी में नहीं हुई सिवाय अपस्यु के, जो टॉप स्पीड में लगभग 300 से 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ते हुए सबके बीच दूरियां बनता जा रहा था।


सभी लोगों कि गाड़ी हॉल्ट डेस्टिनेशन पर जैसे ही रुकी…. "आज क्या गाड़ियों की सेल लगी थी, जो हर कोई फरारी लिए घूम रहा है।"… आरव पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करते हुए सोचने लगा। यही हाल स्वास्तिका और कुंजल का भी था।


"ज्यादा आश्चर्य करने की जरूरत नहीं है, 20 कार कस्टम की गई थी, जिसमें से 7 अपने पास है।"…. ऐमी तीनों के पीछे खड़ी होकर कहने लगी।


आरव:- ओह हो मतलब 13 गाडियां कॉलीब्रेशन की है। अब मुझे समझ में आ गया कि दृश्य भईया किस धरती के बोझ की बात कर रहे थे, और अपस्यु ने अचानक ही सारे योजना को किनारे करके नई योजना पर क्यों काम शुरू कर दिया।


स्वास्तिका:- तुम दोनो कोड में बात क्यों कर रहे हो।


कुंजल:- उम्मीद है इस कोड का खुलासा किए बिना अब हमे इंतजार करने के लिए कहा जाएगा।


ऐमी:- हां इंतजार करने कहा जाएगा और साथ में यह भी की शादी जैसा माहौल होने वाला है।


सभी एक साथ…. "ये शादी जैसा माहौल का क्या मतलब है।"


ऐमी:- जैसे एक रिश्ता, शादी तक पहुंचाने के लिए घरवाले पूरी मेहनत करते हैं ठीक वैसे ही हमने अपने काम को आखरी अंजाम तक पहुंचा दिया है। अब शादी में बस हम सब को एन्जॉय करना है, पुरा एन्जॉय और शादी का पूरा भार किसी जिम्मेदार को सौंप दिया है।


कुंजल:- लेकिन भाभी, थोड़ा-नाच गाना और विधि वाले काम तो हमारे हिस्से में है ना।


ऐमी:- हां हां वो हमारे हिस्से में ही है और हम लोग पूरे मज़े के साथ उसे करने वाले है। चलो अन्दर चला जाए।


सभी लोग जैसे ही अंदर पहुंचे, अपस्यु किसी के गले लगकर उसके कानों में कुछ कहा और वो पलट कर सबको हाथ दिखता वहां से चला गया। सभी लोग एक टेबल पर आकर बैठ गए…. "अब ये महाशय कौन है।"… स्वास्तिका ने पूछा।


आरव:- ये दृश्य भईया है, मौसेरे भाई। शादी का पूरा व्यवस्था देखना इन्हीं के जिम्मे है और अपना काम होगा पूरी शादी एन्जॉय करना।


कुंजल, अपनी छोटी सी आंख बनाती, कुछ कहने ही वाली थी, उस से पहले ही अपस्यु कहने लगा…. "सब आराम से यहां लंच एन्जॉय करो। वैसे भी तमाम उम्र सवाल जवाब में ही गुजरा है, सो मैं चाहता हूं तुमलोग शादी एन्जॉय करो, बाकी बातें तो ये इवेंट एन्जॉय करने के बाद भी होता रहेगा।"


अपस्यु की बात मानकर सभी लंच करने लगे। लंच के दौरान तीखी बहस छिड़ी हुई थी। आपस में चिढाना और खींचा तानी लगा हुआ था। जयपुर हॉल्ट से सभी लोग तकरीबन 3 बजे निकले। इस बार जब जयपुर से निकले, तभी कुंजल सबको आखें दिखती कह दी… "इस बार कोई आगे पीछे नहीं भागेगा। सब साथ में चलेंगे।"


कुंजल की बता भला कोई ना माने। ऐमी ने सभी 5 गाड़ी के एसेस कंट्रोल लिया और अपस्यु के कार को कमांड दे दिया। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी का क्या कॉम्बो कस्टम किया था। सभी कार ऑटो ड्राइव कमांड में थे। आगे अपस्यु अपनी कार ड्राइव कर रहा था, और पीछे इंजन से लगे बोगी की तरह बाकी कार चल रही थी।


ऐमी कुंजल के साथ आकर बैठ गई और आरव स्वास्तिका के साथ। बातचीत करते हुए सभी 6 बजे के आसपास उदयपुर की सीमा में घुसे। वहां से फिर सभी अपने-अपने कार में सवार होकर वीरभद्र के घर। सायं-सायं करती सभी कार वीरभद्र के घर के आगे रुकी। चूंकि वीरभद्र को पहले से सूचना थी, इसलिए वो बाहर खड़ा ही उनका इंतजार कर रहा था।


इतनी सारी कार एक साथ आते देख लोगों की भीड़ भी आकर वहां जमा होना शुरू हो गई। वीरभद्र ने तुरंत सभी कार को अपने पीछे आने का इशारा किया। थोड़ी ही देर में कार वीरभद्र के वर्किंग सेक्शन के पास खड़ी थी। अपस्यु के इशारे पर आरव सबको लेकर वीरभद्र के ट्रेनिंग एरिया के ओर चल दिया…


कुंजल:- वीरे जी..

वीरभद्र:- जी कुंजल जी…


कुंजल:- अरे मै इतने दिन बाद मिल रही हूं, ना कोई दुआ ना कोई सलाम, आप तो इधर-उधर घूम रहे है।


निम्मी:- ये छोड़ा जारा शर्मिला है। लड़कियों से ठीक से बात नहीं कर पाता, ऊपर से मालिक की बेटी, कहां से नजर मिला पाएगा।


कुंजल:- और तुम्हारी तारीफ।


एक छोटे से परिचय के बाद सब लोग आपस में बात करने लगे। पार्थ भी वहीं पर था, लेकिन सभी लोगों ने जो एक बात गौर की वो था पार्थ का बदला स्वभाव। बोल्ड और बेवाक बातें करने वाला पार्थ, किसी भीगी बिल्ली की तरह बस थोड़ा सा हंस रहा था और थोड़ा सा बोल रहा था।


स्वास्तिका और आरव उसे लेकर कोने में पहुंचे। निम्मी, पार्थ के विषय में बहुत कुछ देखकर भी अनदेखा करके वीरभद्र और कुंजल के साथ बातों में लगी हुई थी। तीनों आपस में बातें कर रहे थे, बीच, बीच में कुंजल वीरभद्र को छेड़ देती और उसका शर्माना देखकर निम्मी और कुंजल हंसने लगती। बातों के दौरान कुंजल के हंसी मजाक को देखकर निम्मी ने कह ही दिया…


"आप हमारे मालिक की बेटी है, और जिस तरह से आप घुल मिलकर मज़ाक कर रही है उस से लगता है, आप सबकी चहेती होंगी। देखने में तो कोई जवाब ही नहीं, किसी भी लड़के का दिल धड़क जाए… मेरी विनती है कि मालिक और नौकर के बीच मेल-जोल थोड़ा कम ही रहे तो अच्छा है।"..



कुंजल का हंसता चेहरा, निम्मी की बात सुनकर जैसे मुरझा सा गया हो। वीरभद्र भी समझ नहीं पाया कि अचानक ही निम्मी ने ऐसा क्यों कह दिया। लेकिन उसे भी निम्मी की बात कहीं ना कहीं सही ही लगी, इसलिए उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया। कुंजल चुपचाप वहां से उठकर अपस्यु और ऐमी के पास चली आयी जो इस वक़्त कार के अंदर की सब व्यवस्था पर चर्चा कर रहे थे।


दोनो आपस में बात कर रहे थे, तभी बात करते-करते दोनो की नजर कुंजल पर गई।… "बच्ची का मुंह कहे उतरा है। अभी तो इसकी खिली सी हंसी की आवाज़ आ रही थी।"… अपस्यु कुंजल को देखते हुए ऐमी से कहा।


ऐमी:- लगता है कोई बात चुभ गई है। चलो देखते हैं।


ऐमी जैसे ही 2 कदम आगे बढ़ी अपस्यु पीछे से जमीन पर लेटकर नागिन डांस करने लगा। कुंजल के उतरे चेहरे पर हंसी की लहर तैर गई। जोर से चिल्लाती हुई वो कहने लगी… "भाभी, इनकी नौटंकी शुरू हो गई। प्लीज उठाओ भईया को, कहीं भी लेटकर नागिन डांस दिखाने लगते है।"


ऐमी जब पीछे मुरी तब अपस्यु की हरकत देख वो भी हसने लगी। कुंजल का चिल्लाना सुनकर पीछे से वीरभद्र और निम्मी भी वहां पहुंचे। अपस्यु खड़ा होकर कुंजल को अपने पास बुलाया…. "ये क्या है कुंजल, तेरा मुंह क्यों फुल गया।".. तबतक वीरभद्र और निम्मी भी उनके पास पहुंच गए थे।
Waah bhai yeh nagin danse bhi gajab ka tadka laga diya aapne mitr. Sukhmaye kshano ko apne aanchal me samet kar rachiyta ne bun di ek aur tarikh me likhi jaane wali bemishaal update.
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. लेकिन आपमें और मुख्य सचिव में तो बनती नहीं थी ना भैय्या।


जेके:- "हां सो तो है, लेकिन जब वो मदद मांगने आया तो उसका विषय सुनकर मै मदद किए बिना रह नहीं पाया। हुआ ये था कि मायलो ग्रुप के विपक्ष और पक्ष के संबंध को देखकर होम मिनिस्टर थोड़ा सचेत हो गया था। याद है, राजीव मिश्रा की हरकत, उस वक़्त मायलो ग्रुप ने पुरा महाभियोग चला दिया और होम मिनिस्टर को उसके पद से हटाने की वो पूरी तैयारी कर चुका था।"

"बस इसी बात से खिसियाकर, होम मिनिस्टर ने उस बक्शी को ही मायलो ग्रुप के पीछे लगा दिया। बक्शी जब इसके पीछे गया, तभी तो सारी बातों का खुलासा हुआ। मायलो ग्रुप में जिसके पीछे बक्शी की पूरी इन्वेस्टिगेशन चल रही थी, यानी कि नंदनी रघुवंशी, मायलो ग्रुप की मालकिन, वो कभी बक्शी को मिली ही नहीं। बक्शी भी चक्कर खा गया और मेरे पास पता लगाने आया था कि नंदनी रघुवंशी कैसे पर्दे के पीछे सारा खेल रच रही है?

"वहीं से फिर पता चला था कि ये लोकेश, नंदनी रघुवंशी के नाम पर बहुत से कांड किए है और चूंकि नंदनी रघुवंशी को किसी ने देखा नहीं, इसलिए सब इस बात में जुटे रह गए की जिसके मालिक ने आज तक एक भी दस्तावेज सिग्नेचर नहीं किए उसे कैसे फसाया जाए।"

"तभी तो मैंने तुझसे कहा था कि जिस दिन नंदनी इन लोगों को मिलेगी। केवल 2 दिन में ये लोग अपना सभी बड़े टारगेट को खत्म करके नंदनी रघुवंशी पर सारा इल्ज़ाम डालेंगे और खुद बाहर रहकर पुरा कंट्रोल अपने हाथ में रखेंगे।"


अपस्यु:- इस डेढ़ साने का बड़ा टारगेट होम मिनिस्टर ही था। अब समझ में आया मुझे, की इसने देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केवल इतना क्यों कहा कि मायलो ग्रुप की मालकिन मिल गई और प्रेस के किसी भी सवाल का उत्तर क्यों नहीं दिया।


जेके:- हां वो तो मैंने भी देखा। अब भी इसके दिमाग ने खिचड़ी पक ही रही है।


अपस्यु:- हां शायद, तभी तो दूसरों को हिंट कर गया कि मां शुरू से पर्दे की पीछे थी, बस अब सामने आ रही है।


जेके:- कर लेने दे अब उसे अपनी बची खुची प्लांनिंग, मैंने बक्शी को नंदनी और उसका पूरा इतिहास खोल दिया है। तू तो बस 15 अगस्त की अब प्लांनिंग कर, बाकी का काम तो बक्शी की टीम कर जाएगी क्योंकि उन्हें अब मामला समझ में आ चुका है और एक्शन प्लान तो उनका बन ही चुका होगा।


अपस्यु:- हां इधर सब संतुलन में ही है समझो। आप दोनो से लेकिन मै काफी नाराज हूं। कहां गए ना तो वो बताए हो और ना ही ये की कब मिशन शुरू कर रहे।


जेके:- हम एक्शन प्लान से बाहर है, बस कुछ इन्वेस्टिगेशन का जिम्मा मिला है।


पल्लवी:- सॉरी ये वादा मैंने किया था और मै तुम दोनों को अपडेट नहीं कर सकी। हम दोनों इस वक़्त रोंचेस्टर सिटी में है और मयो क्लीनिक का इन्वेस्टिगेशन में आए है।


अपस्यु:- ये वही मायो क्लीनिक है ना जिसके लिए कुछ इंडियन डॉक्टर्स ने रिक्वेस्ट की थी और तब नाना जी ने अपने कंपनी में नाम से यह हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर खोला था।


पल्लवी:- लड़का अपने खानदान का पूरा इतिहास समेटे है। हां ये वही मायो क्लीनिक है।


अपस्यु:- ठीक है भाभी, आप दोनो इन्वेस्टिगेशन का मजा लो और हमे अपडेट करते रहना। पता नहीं क्यों मेरा भी दिल कर रहा है आप दोनो के साथ एक बार पूरे एक केस पर काम करने की।


जेके:- चल रे इमोशनलेस प्राणी, लोगों के बीच रहकर ज्यादा इमोशनल होने वाली बीमारी ना पाल।


पल्लवी:- हां अपस्यु जेके ने सही कहा। हम दोनों जल्द ही मिलते है, तबतक तुम दोनो मिलकर एक जूनियर ऐमी या जूनियर अपस्यु का प्रोडक्शन करके रखना। यह हमारा आखरी केस है, इसके बाद हमने फैसला किया है कि फील्ड जॉब छोड़कर नए रिक्रूट को ट्रेंड करेंगे।


ऐमी:- बेरा गर्क हो। ओय भाभी फिर उस फक्र की मौत का क्या जिसके हसीन सपने दोनो मियां बीवी देखते थे, फील्ड में एक्शन करते हुए मरना।


पल्लवी:- हीहीहीही… अब फील्ड तो नसीब ही नहीं होगा। यहां भी तो हमे फील्ड से बाहर रखकर बस इन्वेस्टिगेशन में डाले हैं। केवल इन्वेस्टिगेशन करो और रिपोर्ट दो। चल अब रखती हूं, दोनो अपना ख्याल रखना और हमारे आने तक एक जूनियर को ले आना।


पल्लवी अपनी बात पूरी करके कॉल डिस्कनेक्ट कर दी। और इधर ऐमी को देखकर अपस्यु… "चलो फिर चलते है।"..


ऐमी:- कहां बेबी।


अपस्यु:- सुनी नहीं क्या भाभी ने क्या कहा, उनके लौटने तक मेहनत करके एक बच्चा उनकी गोद में देना है।


ऐमी, अपनी आखें बड़ी करती… "तुम्हे नहीं लगता आंटी के जाने के बाद तुम्हे खुला खजाना मिल गया है।"


अपस्यु, ऐमी को पकड़ने की कोशिश कर ही रहा था कि ठीक उसी वक़्त घर की बेल बजी…. "जाओ देखो आ गई छिपकली, हमारा रोमांस खत्म करने। अगर श्रेया हुई ना तो तुम देख लेना।"..


अपस्यु, दरवाजे के ओर बढ़ते… "और नहीं हुई तो क्या करोगी।"..


ऐमी:- मैंने केवल श्रेया के होने पर क्या होगा वो बताई, बाकी ना होगी तो तुम्हारे लिए अच्छा होगा। अब दरवाजा खोलकर सस्पेंस दूर कर लो।


अपस्यु:- डफर, सीसीटीवी भी नहीं देखती क्या, दरवाजे पर कुसुम है।


अपस्यु दरवाजा खोलने लगा और ऐमी अपने सर पर हाथ मारती दरवाजे के ओर देखने लगी। दरवाजा खुलते ही कुसुम अंदर आयी और दरवाजा बंद करके हॉल में बैठ गई। थोड़ी परेशान दिख रही थी। ऐमी कुसुम के ओर पानी बढ़ाती… "तुम इतनी परेशान क्यों नजर आ रही हो।"


कुसुम:- जब से सुनी हूं, भईया मेरे कजिन है तब से जितनी खुश नहीं हूं, उस से ज्यादा मै परेशान हूं। आप लोग मेरे भाई और पापा को नहीं जानते, वो अच्छे लोग नहीं है।


अपस्यु:- हेय । मैं तो कुसुम को जनता हूं ना, वो तो अच्छी और प्यारी है। तुम चिंता नहीं कर, हमे कुछ नहीं होगा।


कुसुम:- भईया आप समझते क्यों नहीं, सब के सब झल्लाद है। जबतक स्वार्थ है तबतक आपके साथ है, एक बार इनका मतलब निकल गया, फिर ये लोग, लोगों को गायब कर देते है।


कुसुम की चिंता उसकी बातों से साफ झलक रही थी। तकरीबन आधे घंटे तक कुसुम केवल यह समझने की कोशिश में जुटी रही की उसके पिता और भाई पॉवर और पैसों के लिए कुछ भी कर सकते है, और अपस्यु बस इधर उधर की बातों से उसका दिल बहलाता रहा।


अंत में जब वो वहां से जाने लगी तब भी वो गुमसुम थी, एक फीकी मुस्कान के साथ वो अपस्यु को अपना ख्याल रखने के लिए बोलकर चली गई। कुसुम कबका दरवाजे से निकल गई, लेकिन ऐमी अब भी दरवाजे के ओर ही देख रही थी…. "इतनी गहरी सोच, बहुत मासूम है ना वो।"..


ऐमी, तेज श्वांस छोड़ती…. "और बहुत मायूस भी थी, आगे आने वाला वक्त इसके लिए काफी मुश्किल से भड़ा होगा।"…… "ऑफ ओ अपस्यु"..


"ऐमी, उसके लिए तो आने वाला वक्त मुश्किलों से भड़ा है, लेकिन मेरा भारी वक़्त तो ना जाने कब से शुरू है।"…


ऐमी, अपस्यु को मुसकुराते हुई देखी, अपने होंठ से अपस्यु के होंठ को स्पर्श करती…. "हम हर मुश्किल वक़्त को बांट लेंगे। आधा तुम्हारा आधा मेरा।"..


14 अगस्त की सुबह….


प्यार भरे सुकून के पल बांटने के बाद एक खुशनुमा सुबह की शुरवात हो रही थी। ऐमी मीठी अंगड़ाई लेकर जाग रही थी और अपस्यु वहीं पास में सुकून से लेटा हुआ था। उसे खामोशी से यूं सुकून से लेटे देख, ऐमी कुछ सोच कर हंसने लगी।


ऐमी अपने दोनो पाऊं उसके कमर के दोनों ओर करके, उसका गला पकड़कर जोड़-जोड़ से हिलाने लगी…. अपस्यु ने जैसे ही अपनी आखें खोली, उसके होंठ से होंठ लगाकर जोरदार और लंबी किस्स करना शुरू कर दी। आह्हह ! इस से बेहतरीन सुबह की शुरवात भला हो सकती थी क्या? अपस्यु तो मदहोश होकर जागा।


ऐमी जब किस्स को तोड़कर अलग हुई, दोनो की श्वांस चढ़ी हुई और आखों में चमक और हंसती हुई कहने लगी…. "किसी एक दिन मेरी सुबह की शुरवात भी इतनी धमाकेदार हुई थी लेकिन पुरा दिन किसी को मेरा ख्याल नहीं आया। पे बैक टाइम बेबी"

इससे पहले कि अपस्यु उठकर उसे दबोच पता, ऐमी हंसती हुई उसके पास से भागकर दूसरे कमरे में आ गई, और दरवाजा लॉक करके हंसने लगी। ऐमी बिस्तर पर बैठकर हसने लगी और इधर अपस्यु भी उसकी इस अदा पर हंस रहा था।…. कुछ ही देर में दोनों तैयार होकर हॉल में बैठे थे। अपस्यु सोफे से टिका था और ऐमी उसके सीने पर सर रखकर दोनो प्यार भरी बातें कर रहे थे। तभी खटाक की आवाज़ के साथ दरवाजा खुला और सामने आरव था।


आरव की देखकर, ऐमी और अपस्यु के चेहरे खिल गए। आरव दौड़ता हुआ पहुंचा दोनो के बीच और तीनों गले मिलने लगे…. तीनों साथ बैठकर कुछ देर बात करते रहे, फिर आरव वहां से उठकर अपने कमरे चला गया।


ऐमी:- 15 को लौटता ना ये तो, एक दिन पहले चला आया।


अपस्यु:- अब ये तो आरव ही जाने, लेकिन आज सुबह की शुरवात जिस जोरदार रोमांस से हुई थी, उसमे ये ग्रहण लगाने चला आया।


ऐमी:- हीहीहीहीही… बोल दूं क्या चला जाए यहां से।


अपस्यु:- कभी-कभी ना तुम्हारी ये खीखी मेरा सुलगा देती है।


ऐमी अपनी पाचों उंगली अपस्यु के चेहरे पर फिराती…. "रात ही तो अपनी मर्जी का सब किए थे, अब सुबह-सुबह ऐसे चिढ़ जाओगे तो कैसे काम चलेगा। चलो, स्माइल करो।


अपस्यु, ऐमी को खींचकर अपने सीने से टिकते… "होंठ से बस होंठ को छू लो, स्माइल तो ऐसे ही आ जाने है।"..


ऐमी बड़ी अदा से मुस्कुराती हुई…. "और किस्स ना करूं तो बेबी के फेस पर स्माइल नहीं रहेगी क्या?"..


अपस्यु:- स्माइल तो तब भी रहेगी लेकिन जो स्माइल तुम्हारी नजरें ढूंढती है वो ना रहेगी।


ऐमी अपना चेहरा ऊंचा करके धीरे-धीरे ऊपर बढाने लगी। अपस्यु के होटों पर आयी मुस्कान को देखकर ऐमी का चेहरा खिल गया। इंच दर इंच धीरे-धीरे ऐमी के होंठ अपस्यु के होंठ के बिल्कुल करीब आ गए। होंठ से होंठ स्पर्श होने लगे और दिल में कुछ गुदगुदा सा महसूस होने लगा। सौम्य सी छुअन थी होंठ की और दोनो की आखें बंद होने लगी।


गले की तेज खड़ास की आवाज़ के साथ… "इतनी बेख्याली की लोग कब घर में घुसे पता ही ना चले।"..


गले की खराश की आवाज़ के साथ ही दोनो झटक कर अलग हो गए। नंदनी जबतक अपना डायलॉग बोल रही थी, तबतक कुंजल दौर कर अपस्यु से लिपट गई और ऐमी अपना सर पुरा नीचे झुकाए, अंदर ही अंदर हंस रही थी, जिसे अपस्यु भाली-भांति महसूस कर रहा था।


इस से पहले की नंदनी कुछ सवाल-जवाब करती, ऐमी झट से नंदनी के पास पहुंची और उसके पाऊं छूकर कहने लगी…. "मां, मै आपसे आकर मिलती हूं। बस जा ही रही थी और विदाई सेशन चल रहा था हमरा।".. नंदनी, ऐमी को रोकती रह गई लेकिन वो रुकी नहीं।


नंदनी, ऐमी का चुलबुला पन देखकर हसने लगी और हंसती हुई अपने कमरे में चली गई। इधर कुंजल, अपस्यु को बिठाकर बातें करने लगी और अपस्यु का ध्यान स्वास्तिका के खिले हुए चेहरे पर था। वो स्वास्तिका के अंदर चल रहे खुशी को महसूस कर सकता था।


"भईया, सुनो तो आप, मै क्या कह रही हूं।"… कुंजल अपस्यु का ध्यान अपनी ओर खींचती हुई कहने लगीं। अपस्यु, कुंजल को कुछ देर शांत रहने का इशारा करके स्वास्तिका को अपने पास बुलाया…. "15 अगस्त की रात से पहले इन आखों में आशु नहीं आने चाहिए। तुम समझ रही है ना।"..


स्वास्तिका, कुछ बोल तो नहीं पाई लेकिन खुशी से अपना सर "हां" में हिलानें लगी। स्वास्तिका को अपने पास बिठाकर उसके सर को सीने से लगाकर अपस्यु कहने लगा…. "वर्षों से जल रही आग का कल हिसाब हो जाएगा। हम जब कल उन्हें आजमाना शुरू करेंगे, तो वादे अनुसार उनको हम अपने कतरे-कतरे जले अरमानों से अवगत करवा देंगे।"


कुंजल:- मुझे भी अपनी जलन शांत करनी है। क्या मैं भी आपके साथ चल सकती हूं।


स्वास्तिका:- नहीं ! वहां बहुत खतरा है।


अपस्यु:- ये अपनी दीदी और भाभी के बीच रहेगी। जिसके आगे पीछे इसके दो भाई रहेंगे, और सर के ऊपर पुरा सुरक्षित शाया। कल मेरी बहन जाएगी और जरूर जाएगी। लेकिन एक बात याद रखना, 7 साल का नासूर दर्द सीने में है, कोई किसी को मारना मत। मृत्यु उनके लिए मोक्ष होगी और मै किसी को भी मोक्ष नहीं देना चाहता।


"तुम कहां जा रहे हो और क्या होने वाला है, उसमे कितना खतरा है ये सब देखने की जिम्मेदारी तुम्हारी है अपस्यु लेकिन मुझे अपने सभी बच्चे मेरे नजरों के सामने चाहिए, बिना किसी नुकसान के।" … नंदनी पीछे से आकर तीनों के सर पर हाथ फेरती हुई कहने लगी।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
ab kunjal bhi inke saath jaane wali hai :asw1:
 
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