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Romance भंवर (पूर्ण)

Nevil singh

Well-Known Member
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Update:-131








अश्क, पार्थ से… देखो दोस्त या तो प्यार में देवदास बन जाओ या फिर प्यार को प्यार से अपने ओर आकर्षित करने की कोशिश करो, मर्जी तुम्हारी है।..


पार्थ:- नाह मै अभी प्यार के बारे में नहीं सोच रहा, ये वक़्त तो हमारे परिवार का है.. और मैं पार्थ आप सबका होस्ट, आप सबका दोस्त, यहां आप सबको आज की इस महफिल में स्वागत करता हूं। पीकर होश खोने की रात नहीं है, क्योंकि ये होश में पूरे एन्जॉय करके बेहोश होने की रात है। और इस शाम को यादगार बनाने के लिए मै अपनी खूबसूरत और हॉट दोस्त ऐमी को एक डांस के लिए इन्वाइट करना चाहूंगा।..


जैसे ही पार्थ का जोश भड़ा अनाउंसमेंट हुआ, सभी लोग हूटिंग करना शुरू कर दिए।…. "रुको, रुको, रुको… शो शुरू होने में केवल 10 मिनट रह गए हैं, तो मुझे भी एक डांस पार्टनर की जरूरत है।".... अश्क भी उनके पागलपन में शरीक होती कहने लगी।


आरव अपने घुटने पर बैठते… "भाभी, ऐसे चिल्लाकर कहोगी तो एक पार्टनर नहीं, अनेक पार्टनर की लाइन लग जाएगी।"…


अपस्यु ने म्यूज़िक प्ले कर दिया और एक ओर पार्थ नाचने लगा और दूसरी ओर आरव। ऐमी की नजर डांस करते हुए भी लगातार अपस्यु पर बनी हुई थी। जब से वो कमरे में घुसी थी, उसे ऐसा लग रहा था मानो अपस्यु का आकर्षण उसे खींच रहा है। अपस्यु भी मुसकुराते हुए बस ऐमी को देख रहा था और हवा में जाम लहराते हुए टेस्ट कर रहा था।


इसी बीच दृश्य भी पहुंच गया और वहां का नजारा देखकर थोड़ा हैरान सा हो गया। कुछ बोलने से अच्छा सीधा बार काउंटर पर चला गया… "8 बजने वाले है, प्लान पर एक्शन लेने का समय है, और ऐसे समय में तुम"..


कुंजल, दृश्य से:- सुनो भईया, क्या आपने प्लान पहले से बना लिया लिया था?


दृश्य:- हां, वो भी बिल्कुल परफेक्ट..


कुंजल:- सबको प्लान के हिसाब से उसका काम अच्छे से समझा दिया?


दृश्य:- हां बिल्कुल..


कुंजल:- यहां पर मौजूद लोगों में से उसके हिस्से का काम शुरू हो चुका है क्या?


दृश्य:- ना अभी उसमे समय है…


कुंजल:- फिर इतना टेंशन में क्यों हो, आराम से ड्रिंक लीजिए और एन्जॉय कीजिए, जब हमारा वक़्त आएगा तब हम अपना काम शुरू करेंगे।


दृश्य:- इसे लापरवाही कहते है। अपस्यु तुम सुन भी रहे हो?


कुंजल:- वो अपनी बीवी को देखने में व्यस्त है। वैसे अश्क भाभी भी कम मस्त नहीं लग रही, चाहे तो आप भी उन्हें बड़े प्यार से देख सकते है। वैसे भी आपसे नाराज होकर गई थी।


दृश्य:- है तो सबसे छोटी लेकिन बातें बड़ी-बड़ी..


कुंजल:- भईया एक बात पूछूं..


दृश्य:- हां पूछो ना..


कुंजल:- दिखने में तो आप करेला लगते हो फिर इतनी मस्त आइटम पटाई कैसे।


कुंजल अपनी बात कहकर हंसने लगी और उधर से अपस्यु का एक हाथ सीधा कुंजल के सर पर लगा, जबकि उसकी नजरें ऐमी पर ही थी…. "देखा दृश्य भईया, इनका ध्यान हमारी बातों पर ही था, लेकिन नजरे और दिल वहीं टिकी है।"..


तभी वहां का म्यूज़िक बंद हो गया.. अचानक से एक बार लाइट गई और फिर आयी…. "अब आप सब यहां आकर आराम से बिना कोई आवाज़ के शो का मज़ा ले।"… अपस्यु अपनी बात कहते हुए बड़े से स्क्रीन को चालू कर दिया और सभी लोग अपस्यु के द्वारा व्यवस्थित बार काउंटर के पास अपनी-अपनी जगह ले लिए।


अारूब एक लाइन पर दृश्य से संपर्क बनाए हुए था, साथ में सबको कमांड भी दे रहा था और इधर अपस्यु अपने लैपटॉप के स्क्रीन पर पार्टी में आए मेहमानों पर नजर दिए हुए था। पार्टी में शिरकत करते मेहमान को देख अपस्यु कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था इंतकाम और न्याय सब एक साथ मिल जाएगा।


कुछ लोग जैसे शिपिंग किंग जवेरी, साची के पिता मनीष मिश्रा, प्रकाश जिंदल और एक छिपा हुआ एक स्लीपिंग पार्टनर अमोघ अग्रवाल, एक प्राइवेट बैंक का मालिक, ये सब विक्रम राठौड़ के साथ शुरू से बने हुए थे। इसके अलावा आने वालों मेहमानों को देखकर बहुत सारी तस्वीरें खुद व खुद साफ हो गई।


पक्ष और विपक्ष के नेता जो होम मिनिस्टर के लिए गड्ढे खोद रहा था, कई नाम चिह्न बिजनेसमैन, जिन्हे काले और उजले पैसों में काफी रुचि रहती है। सरकारी पदों पर अच्छे पोस्ट को होल्ड किए कई सरकारी डिपार्टमेंट के उच्च अधिकारी और निदेशक। इन सब का साथ होना केवल इसी ओर इशारा कर रहा था कि लोकेश ने वीरदोयी की मदद से इनके कई सपने साकार किए होंगे।


इधर उस कमरे का माहौल शांत होते ही, ऐमी मुस्कुराती हुई बार काउंटर के पीछे आयी। अपस्यु की देखकर तो ऐमी कबसे खींची जा रही थी। सबकी व्यस्त देखकर ऐमी अपनी दबी अरमान को हवा देती, अपस्यु के होंठ को प्यार से चुमकर अलग हटी। अपस्यु आश्चर्य से अपनी आखें बड़ी करके वो चारो ओर देखने लगा। हर कोई अपनी नजर बड़ी सी टीवी स्क्रीन पर डाले हुए था।

अपस्यु, पहले खुद काउंटर के नीचे बैठा और ऐमी का हाथ खींचने के लिए जैसे ही अपना हाथ उपर लेकर गया, ऐमी फिर खड़ी हंसती हुई अपस्यु को अंगूठा दिखा रही थी। अपस्यु गुस्से से ऐमी को घूरा और चुपचाप उठकर खड़ा हो गया।

ऐमी अंदर ही अंदर हंसती हुई सबका ध्यान अपनी ओर खींच और सबके लिए एक ड्रिंक बनाने लगी। पहला ड्रिंक कुंजल को सर्व हुआ जो मोकटेल की जगह मार्टिनी था। कुछ नज़रों के संवाद कुंजल और ऐमी के बीच हुआ और कुंजल ऐमी की चतुराई पर हंसे बिना नहीं रह पाई।


दूसरी ओर अारूब का एक्शन पैक धमाल भी शुरू हो चुका था। अपस्यु अपने स्क्रीन से पार्टी हॉल पर नजर जमाए हुए था और सभी लोग रूम के स्क्रीन पर नजरें जमाए… अपस्यु ने दृश्य को होल्ड का सिग्नल भेजा और लगातार अपने स्क्रीन देख रहा था।


8 बजे से शुरू होने वाला मिशन 8.15 तक होल्ड पर रखा हुआ था। अपस्यु जब सुनिश्चित हो गया कि इतने मेहमानों के बीच में लोकेश अब फंस गया है, तब अपस्यु ने कंप्लीट फॉरवर्ड का इशारा किया और ऐमी के कान में कुछ समझाकर बड़े आराम से लोकेश की पार्टी के लिए निकल गया।


अपस्यु, काया को साथ लेकर पार्टी में पहुंचा। बहुत से व्हाइट कॉलर लोगों के अलावा बहुत से ब्लैक कॉलर लोग भी पहुंचे थे। माहौल किसी रंगीन पार्टी जैसा था, जिसमें बदन कि नुमाइश करती कई सारी लड़कियां ड्रिंक और स्नैक्स सर्व करती हुई, लोगों के आखों और हाथों का भी मनोरंजन कर रही थी।


अपस्यु जैसे ही अंदर घुसा, काया के कान में कुछ बोलते हुए, लोकेश के ओर बढ़ने लगा, जो इस वक़्त आपने पापा विक्रम राठौड़ और प्रकाश जिंदल के साथ खड़ा, अपने एक बिजनेस पार्टनर के. डी. जवेरी से बात कर रहा था। लोकेश की नजर जैसे ही अपस्यु पर गई, अपने दोनो हाथ खोलकर उसे वेलकम करते हुए माईक पर बोलने लगा….. "आज की शाम जिस खास होस्ट के नाम है वो हमारे बीच चला आया। क्या आप में से कोई बता सकता है कि ये कौन है?"..


कुछ को छोड़कर बाकियों को कुछ भी पता नहीं था। लोकेश 15 सेकंड का एक पॉज लेकर, फिरसे बोलना शुरू किया….

"सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वाकील अनुरुद्ध सिन्हा का होने वाला दामाद, सेंट्रल होम मिनिस्टर का मुंह बोला बेटा, दिल्ली के लोकल गैंग से लेकर मुंबई अंडरवर्ल्ड तक जिसके नाम की सुपाड़ी नहीं के सकते, प्रतप ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक का खास दोस्त, और मायलो ग्रुप का मालिक मिस्टर अपस्यु रघुवंशी।"…


"मेरा परिचय तो काफी धांसू था, लव यू ब्रो। यहां आए सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को मेरा नमस्कार। यहां मौजूद ज्यादातर लोग को मै जानता हूं, चाहे वो मशहूर बिजनेस मैन माणिकचंद जी हो या फिर शिपिंग किंग जवेरी। मै किसी से परिचय करने में रुचि नहीं रखता, मै काम करने में विश्वास करता हूं, शायद इसलिए कम वक़्त मेरा अपना मुकाम है। इसलिए प्लीज मेरे पास भिड़ लगाकर अपना परिचय देने से अच्छा है कोई काम की बात हो तो ही मेरे पास आइए, वरना ये पार्टी एन्जॉय करने के लिए है। आप भी एन्जॉय कीजिए और मुझे भी पार्टी एन्जॉय करने दीजिए।"

"एक बात और, मै शुरू से फैमिली बिजनेस करता हूं, इसलिए अपने भाई लोकेश के साथ आज खड़ा हूं। यहां आयी लड़कियों के कपड़े में थोड़ी तब्दीली मैंने कर दी है, आप सब भी अपने आचरण के तब्दीली कर लीजिए। और यदि औरत की जरूरत इतनी ही मेहसूस होती हो तो घर से अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड को लेकर चला कीजिए, क्योंकि यहां आप की जरुरत बढ़ रही होगी और पता चला कि उसकी जरूरत कोई और पूरी कर रहा हो। मुझे सुनने के लिए धायवाद, एन्जॉय दी पार्टी।"


अपस्यु अपने तेवर से वाकिफ करवाते बार काउंटर पर आकर अपना ड्रिंक एन्जॉय करने लगा और इधर लोकेश के लिए परिस्थिति से निपटना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। अपस्यु ने अपने शब्द के तीर ऐसे चला चुका था की हर कोई घायल होकर बिलबिला रहा था। लोकेश ने मेघा को इशारा से अपस्यु के पास भेजा और खुद एक वीरदोयी के कान में कुछ ऐसा कहा जिससे वो हसने लगा।


वो वीरदोयी लोकेश की बात को संदेश के तौर पर सभी वीरदोयी के पास तुरंत भेज दिया। वो लोग भी संदेश खोलकर देखते हुए हंसे और चुपके से वहां मौजूद सभी लोगों के बीच फैला दिया। इधर मेघा, अपस्यु के साथ बैठकर अपना ड्रिंक टोस्ट करने लगी।…. "हम्मम ! आते ही अपने तेवर से सबको वाकिफ करवा गए।"..


अपस्यु, मुसकुराते हुए…. "लुकिंग कूल मेघा। लगता है पार्टी के ख्याल से पिछले 5 घंटे से तैयार हो रही हो।"


मेघा:- औरतों के तैयार होने में लगे वक़्त का तुम्हे बड़ा अनुभव है, क्यों ऐमी को बिठाकर तुम खुद ही तैयार करते हो क्या?


"क्या बच्चे, ये क्या सॉफ्ट ड्रिंक पी रहा है "… अपस्यु के पास एक वीरदोयी लड़ाका खड़ा होते हुए कहने लगा… "तुम्हारी यहां जरूरत है क्या?"… मेघा ने जवाब दिया..


लड़ाका…. "मैं तो बस देखने आया था कि जिस अंदाज़ में इसने बात किया, उस अंदाज़ के लायक भी है क्या?


अपस्यु, हंसते हुए…. "तू यहां का स्टाफ है ना जाकर काम देख। काम से छुट्टी मिली है तो पार्टी एन्जॉय कर, बाकी मेरे लायक या नालायक होने का प्रूफ आराम से देते रहेंगे, अभी तू तो यहीं रहेगा ना।"


वीरदोयी लड़ाका…. बात मुझ अकेले की नहीं है, बल्कि यहां मौजूद सभी लोगों की है। बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण भी तो होने चाहिए ना सर।


अपस्यु चिल्लाते हुए कहने लगा…. "तो यहां सबको ये बात खटक रही की, बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण होने चाहिए… और बेसिकली वो गुण कौन से होने चाहिए…


वीरदोयी लड़ाका….. "हमे हराकर दिखाओ और हमारी वफादारी पाओ।"..


अपस्यु:- क्यों लोकेश ने भी यही किया था क्या?


वीरदोयी लड़का:- नहीं उसने ऐसा नहीं किया, इसलिए तो वो हमारा बॉस नहीं, हम पार्टनर्स है और सभी पार्टनर्स ने लोकेश की लीडरशिप को एक्सेप्ट किया है, और तुम हमारी जगह पर खड़े होकर, हमारे लीडरशिप को चैलेंज कर रहे… कहां से काम चलेगा मुन्ना…


अपस्यु:- "मुझे पता था कि तू मुझे लड़ने कि ही चुनौती देगा। वो क्या है ना हर ताकतवर के साथ यही समस्या होती है, उसे अक्ल से ज्यादा बड़ी भैंस लगती है, इसलिए शारीरिक बल होने के बाद भी किसी नेते के पास रहकर उसके जूते चाटना, किसी बिजनेस मैन के हाथों की कठपुतली होना, यही उनकी किस्मत है। मूल रूप से ताकत और बुद्धि का कोई मेल नहीं, और बहुत कम लोगों के पास ये दोनो साथ होते है।"

"मै फाइट करूंगा, लेकिन एक शर्त पर, कम से कम 5000 करोड़ की बेटिंग होनी चाहिए। मैं बिना किसी फायदे या नुकसान के कोई काम नहीं करता। बॉस का एटिट्यूड है इसलिए पैसा बनाऊंगा और शेर का जिगरा है इसलिए किसी भी जगह पर खड़े होने की हिम्मत है।"..


मेघा अपस्यु की बात सुनकर सिटी बजाती हुई कहने लगी…. "500 करोड़ मै लगाऊंगी अपस्यु तुम्हारे ओर से।"..


अपस्यु:- लव यू मेघा, मुझे यकीन था कि तुम्हे मेरे एटिट्यूड से कोई पंगा नहीं होगा। और बाकी के लोग आपस में सलाह मशवरा करके जल्दी से पैसों का इंतजाम करके मुझे सूचना दो, जबतक मै अपना ड्रिंक एन्जॉय करता हूं।


अपस्यु अपनी बात कहकर वापस बार काउंटर पर आकर ड्रिंक लेने लगा। प्रकाश जिंदल जो इस वक़्त अपने कुछ खास दोस्तों के बीच था, वो मेघा को अपने साथ कोने में ले जाकर, उसके फैसले पर उसे बहुत सुनाने लगा। लेकिन मेघा भी अपने फैसले को लेकर बहुत ही सुनिश्चित थी, इसलिए वो अपने पापा के खिलाफ चली गई।


एक ओर अारूब का मिशन शुरू हो चुका था, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर अपस्यु ने पुरे माहौल को ऐसा फसाया था कि हर किसी को 5000 करोड़ अपनी खोली में नजर आ रहा था। एक 21-22 का अय्याश और आवारा लड़का, वीरदोयी लड़ाका से लड़ेगा, और साथ 5000 करोड़ की शर्त।


चूंकि मामला 5000 करोड़ का था और इतने पैसे लगाना किसी एक के बूते की बात थी नही, इसलिए सब अपना ज्यादा-ज्यादा पैसा लगाने के लिए पैसों के इंतजाम में जुटे हुए थे। सबसे ज्यादा चमक तो लोकेश के ही आखों में नजर आ रहा था। लोकेश को भी कमाने की चाहत काफी बढ़ चुकी थी। 1000 करोड़ कैश तो उसके इस बेस पर था, लेकिन वो इस डील में कम से कम 2500 करोड़ लगाना चाहता था, इसलिए वो भी बंदोबस्त में जुट गया।


चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।
Lokesh babu khel toh khela ja chuka hai yahan shikari khud shikar hoga.samjh lo bhiya baap se bada rupaiya.
Khubsurat shabd hi toh hai joh Nain bhai ish fight per bet laga rahe hai Megha sang deel kari hai ish update ko laane ki Apsue sang chupke se.
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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Update:-130





अश्क:- वो एक दौर था जो गुजर गया। गलतियां हम दोनों से हुई, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ होगा की दृश्य ने एक ही बात के लिए 4 बार नाराजगी जताई हो, और देख ना मैंने दृश्य से यहां भी झगड़ा कर लिया।


"कोई बात नहीं है दीदी, अब चलो भी तैयार हो जाओ। पहले बारातियों का स्वागत देखना है फिर बाद में हमे भी तो धमाल मचाना है।".. ऐमी अपने कपड़े बदलती हुई बात करने लगी।


अश्क:- आह ! मै तो आलसी हूं, आज तेरा एक्शन देखूंगी बस..


ऐमी:- क्यों अपने लव का एक्शन देखते-देखते बोर हो गई क्या।


अश्क:- कूल, ये फैंसी लिंगरी की शॉपिंग मुझे भी करवाएगी क्या?


ऐमी:- आप नहीं खरीदती क्या?


अश्क:- यार सोचकर जाती तो हूं कि खरीदना है, लेकिन जब वो दिखता है तो बस इत्तू सा छोटा कपड़ा लगता है कुछ समझ में ही नहीं आता।


ऐमी, स्ट्रेचेबल पेंसिल जीन्स डालती… "ठीक है जब कभी भी दिल्ली आना तो साथ चलेंगे शॉपिंग पर। अब उठो भी, वहां कहां आप बिस्तर पर जमी है। आप पहले किसी के साथ तैयार ना हुई क्या, जो ऐसे बैठकर मुझे तैयार होते देख रही है।"..


अश्क:- नाह मुझे देखना है कि जब तुम जैसी ट्रेंड फाइटर तैयार होती है तो अपने कपड़ों के साथ क्या-क्या कैरी करती है।


ऐमी:- दीदी ये फिर कभी और किसी मौके पर देखने को मिलेगा, क्योंकि आज का थीम है, उन्हीं के चराग से उन्ही का आशियाना जलाना है।


अश्क:- ओह ! चल ठीक है फिर मै भी तैयार हो लू..


इधर स्वास्तिका ने अपना बैग खोलकर बिस्तर पर सारा समान बिखेर दी, बड़ी तेजी से वो दृश्य के चेहरे पर हाथ चलाती गई, और अंत में एक गाढ़े हरे रंग की कॉन्टैक्ट लेंस दृश्य के आखों में लगाने के बाद… "ये हो गया आप का मेकअप सर"..


दृश्य:- ये सर क्या है, तू मुझे भाई नहीं मानती क्या?


स्वास्तिका:- मै रिश्ते मानने में नहीं, रिश्ते निभाने में विश्वास रखती हूं।


दृश्य:- प्वाइंट तो बी नोटेड, और हां मेरे लिए रिश्ता मुंहबोली नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा होता है, इसलिए ज्यादा बातें नहीं, और मुझे अच्छा लगेगा जब तुम हक दिखाओगी।


स्वास्तिका हंसती हुई…. "जी भईया, वैसे कैसा लगा मेकअप।"


दृश्य:- निम्मी जारा देखकर बताओ की मै पहचाना जाऊंगा या नहीं।


निम्मी:- भईया आपके करीबी को छोड़कर कोई आपको पहचान नहीं पाएगा। और कितना भी करीबी क्यों ना हो, जबतक ध्यान से ना देखे पता, नहीं चलने वाला है।


दृश्य, स्वास्तिका के दोनो गाल खिंचते…. "थैंक्यू सो मच, क्या मेरे कुछ लोगों ये कला सीखा सकती हो।"


स्वास्तिका:- बिल्कुल भाई, दिल्ली में ही रहूंगी और अपना हॉस्पिटल खोलने वाली हूं, साथ में मेरा एक सपना है कि बहुत बरा रिसर्च सेंटर भी होता, लेकिन आपकी कहानी जानने के बाद वो विचार मैंने छोड़ दिया। सो एक हॉस्पिटल और उसमे मेरे अपने छोटे-छोटे क्यूट से रिसर्च। आप भी उनको भेज देना जिन्हे ये कला सीखनी हो।


दृश्य:- ऐसा नहीं है कि रिसर्च कोई भी बुरा होता है। हां लेकिन कुछ विकृत मानसिकता के महत्वकांक्षी लोग, उस प्रयोग को अभिशाप बना देते है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि अच्छे काम छोड़ दिए जाए। जब ऐमी का टेक्निकल सपोर्ट मिलेगा, तब तुम्हारे एक्सपेरिमेंट को कोई चुरा नहीं सकता, इसलिए अपना आइडिया ड्रॉप मत करो। और हां इसी बहाने मुझे भी किसी के लिए कुछ करने का मौका मिल जाएगा…


स्वास्तिका:- किसके लिए भाई?


दृश्य:- वैदेही है…. जिसने अपने एक्सपेरिमेंट से मेरे अंदर जीवन की नई परिभाषा डाली, डॉक्टर शांतनु की बेटी। वो भी अपने पिता की तरह एक काबिल खोजकर्ता है, लेकिन उसके पिता की दुर्गति जब मुझे याद आती है, तो मेरा रूह कांप जाता है। तुम्हारे हॉस्पिटल में वो सबके बीच और तुम्हारे टीम के साथ अपना प्रयोग जारी रख सकती है। क्या तुम मेरी मदद करोगी ?


स्वास्तिका:- इसपर आराम से बैठकर बात करेंगे भाई, अभी आप जाओ मुझे निम्मी को भी तैयार करना है, आपके पीए की तरह।


दृश्य जैसे ही बाहर निकला, स्वास्तिका निम्मी का मेकअप करती… "निम्मी, एक बात कहूं।"


निम्मी:- मै जानती हूं वो बात, मैंने अपस्यु को दी है सारी बातें। इसलिए प्लीज पार्थ को लेकर कोई बात नहीं करो।


स्वास्तिका:- हम्मम ! ठीक है नहीं करती, मै अपने बारे में तो कर सकती हूं ना।


निम्मी:- हां क्यों नहीं।


स्वास्तिका:- मैंने 19 साल की उम्र में अपनी वर्जिनिटी लूज की थी। 2 टाइमपास बॉयफ्रेंड रहे है और अपनी मर्जी अनुसार सेक्स को एन्जॉय किया। फिर एक दिन दीपेश से मुलाकात हुई, दिल में प्यार वाली फीलिंग जागी, उसके बाद मेरी सारी खुशियां उससे जुड़ गई। एक बात बड़े ईमानदारी से कहूंगी, आज तक कभी मेरे दिल मे उसके पिछले अफेयर जानने का ख्याल नहीं आया और ना ही उसने कभी अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से मेरे अफेयर्स के बारे में जानने की कोशिश किया।


निम्मी:- आप लोग अलग सोसायटी में पले बढ़े हो और मैं अलग।


स्वास्तिका:- "यही तो मै भी समझाना चाहती हूं। उसने भी कई सालों से अलग सोसायटी को देखा है, आज बस तुम्हारा होकर रहना चाहता है। मै तुम्हे फोर्स नहीं कर रही लेकिन बस इतना समझना चाहती हूं कि जैसे मेरे या दीपेश के दिल में कभी अतीत को लेकर कोई ख्याल नहीं आया, ठीक वैसे ही कभी पार्थ तुम्हारे अतीत को लेकर अपने मन में कोई ख्याल नहीं लाएगा, और विश्वास मानो वो रिश्ते निभाने में वो बेईमान नहीं।

"तुम दोनो एक हो जाओ उसका एक स्वार्थ तो यह है कि उस घुमक्कड़ को एक स्थाई ठिकाना मिल जाए, क्योंकि मै जानती हु, यहां का काम खत्म होते ही वो फिर हमारे लिए अजनबी होने वाला है। एक तो उसे बांधे रखने की ख्वाहिश है दूसरा जब से तुम्हरे बारे में जाना है, तबसे एक टीस ही उठती है। किसी और कि गलती के लिए तुमने हर खुशियों से मुंह मोड़ लिया।"


निम्मी:- स्वास्तिका मेरे बदन को यहां नहीं नोचा गया था, बल्कि मेरे आत्मा को नोचकर निकाल दिया गया था। बस दिल की आग ही है जो मुझे जीने की मकसद दी है, उसके बाद फिर मेरा कोई अस्तित्व नहीं।


स्वास्तिका:- सिर्फ तुम्हारा ही अतीत कलेजा चीरने वाला नहीं है, उसके हंसते चेहरे के पीछे भी कई दर्द छिपे है और जो मैंने बताया ना की कल से वो हमारे लिए अजनबी हो जाएगा, वो भी उसी ओर इशारा है कि उसने भी अपने जीने का मकसद नहीं बनाया और शायद वो भी तुम्हारे तरह ही सोचता है। एक छोटी सी उम्मीद कि किरण जागी है, बस दुआ करूंगी तुम दोनो को अपना अस्तित्व एक दूसरे में मिल जाए। हो गया तुम्हारा मेकअप भी। जारा देखकर बताओ कैसा है?


निम्मी:- बहुत शानदार है। चलती हूं अब।


इधर अपस्यु अपने कमरे में सारा इंतजाम करवा चुका था। बड़ा सा स्क्रीन तो पहले से उस कमरे में लगा हुआ था और अब वो सिस्टम से भी कनेक्ट हो चुका था। सबसे पहले पहुंची कुंजल, और वो अपस्यु के पास जाकर उसके बनाए छोटे से बार काउंटर पर बैठ गई।


कुंजल:- पियक्कड़ कहीं के, पुरा बार ही खोल लिया है अपने लिए तो। अब तो लगता है आपसे बात करना छोड़ दू उसी शर्त पर ये पीने की लत भी छोड़ दोगे।


अपस्यु:- सिर्फ ऐमी को पता है ये बात, आज तुम्हे बता रहा हूं, एक्सट्रीम ठंड और पहाड़ पर सीधी चढ़ाई लगातार चढ़ने के कारण, मेरे बॉडी में एक्स्ट्रा बॉडी फ्लूइड विकसित हुआ था। हर किसी के शरीर में यह थोड़े मात्रा में पहले से पाया जाता है, लेकिन मेरे अंदर ये काफी मात्रा में उत्पन होता है।

"जब कड़ाके के ठंड में भी मै गर्मियों के आम दिन की तरह कपड़े पहनकर अपना काम पूरे ध्यान से करता, बिना कापें, तब गुरुजी का ध्यान मुझपार गया। 4 दिन की यात्रा के बाद गुरुजी मुझे एक आऊर्वेदाचर्या के पास लेकर गए और मेरे बारे में उन्हें अवगत करवाया।"

"उन्होंने पुरा निरक्षण के बाद गुरु निशी से से कहा कि चिंता का विषय नहीं है, मानव शरीर की संरचना ही कुछ ऐसी है कि शरीर में वातावरण और काम के हिसाब से कुछ चीजें विकसित होती है तो कुछ चीजों के प्रयोग ना हो पाने के कारन विलुप्त हो जाती है। मेरे शरीर ने भी ऐसा ही एक एक्स्ट्रा फ्लूइड विकसित किया है।"


कुंजल:- इससे आपके पीने का क्या संबंध..


अपस्यु:- ये फ्लूइड जब अल्कोहल के साथ मिलता है तो इसके परिणाम काफी रोचक होते है। पहला तो मैं दिन रात-पिता रहूं, ये किडनी और लिवर में पहुंचने से पहले ही मेरे लिए दवा का काम करता है और मेरे इस एक्स्ट्रा फ्लूइड को स्टेबल कर देता है जो मेरे ध्यान लगाने की शक्ति में अदभुत मदद करता है।

"मै अपने आस पास की चीजों को महसूस कर सकता हूं। एक बार जिस जगह को देख लूं, मै इंच के हिसाब से बता सकता हूं। गोली की रफ्तार को 2000 गुना भी बढ़ा दो, फिर भी मै काफी दूर से हवा में हुए परिवर्तन को भांप लेता हूं, और एक चीज जो मै अबतक सबसे छिपाते आया हूं, मै हवा की गति को भांपकर उसी तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए बच भी सकता हूं।"

"सबको लगता है कि मै धुएं की आड़ में बचने कि कोशिश करता हूं, लेकिन सच तो यह है कि हवा के गति में परिवर्तन होते ही, जैसे ही खतरे का अंदाज़ा होता है मेरा शरीर भी उसी स्पीड से प्रतिक्रिया में बचता है और कहीं बच पाना संभव नहीं होता, तो शरीर में जहां सबसे कम नुकसान हो, शरीर वहां पर वार झेल लेता है। मेरे हर विषय पढ़ने के पीछे की रुचि, मेरे कुछ नया सीखने की रुचि, और कुछ ही समय में किसी काम में महारथ हासिल करने की रुचि, इन सब का राज वो एक्स्ट्रा फ्लूइड ही है और अल्कोहल उसे स्टेबल करके दिशा प्रदान करने में मदद करता है।"


कुंजल:- आप तो सुपर स्टार निकले भईया। वैसे कहीं कोई कहानी तो नहीं बना रहे ना…..


अपस्यु:- मतलब मै इतने बड़े राज से पर्दा उठा रहा हूं, और तुम मुझे ही झूठा बोल रही।


कुंजल:- हीहीहीहीही, भईया जब आप सफाई देते हो तो बहुत मस्त दिखते हो। अच्छा सुनो ना मै क्या कह रही थी..……


अपस्यु:- हां बोल ना ?

कुंजल, कुछ सोचती हुई… "नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही"..


"हद है अपस्यु, अब यहां भी बार काउंटर"… ऐमी, अश्क के साथ कमरे में शिरकत करती हुई कहने लगी…


हाय क्या अदा थी ऐमी की, वो हल्के मेकअप के साथ, अपने लंबे और खूबसूरत तराशे बदन पर, जब वो बिजनेस क्लास वूमेन की तरह, पेंसिल हिल पर पेंसिल जीन्स और शर्ट पहने शिरकत की, अपस्यु के होश उड़े।… "कुछ देर पहले तो मै हॉटी थी, और अभी अपने होने वाली पर से नजर नहीं हट रही, कमाल है।"… अश्क, अपस्यु के आखों के सामने चूटकी बजाती अपनी बात कही और उसकी बात सुनकर तीनों ही हसने लगे।


ऐमी:- हद होती है अपस्यु, बेबी कुछ देर में हम पार्टी में तो होते ही। अब क्या सारा एन्जॉय यही कर लोगे।


कुंजल, ऐमी से….. भाभी हमारी पार्टी तो बस थोड़ी देर में शुरू होने वाली है, आधा इधर एन्जॉय करेंगे, आधा उधर एन्जॉय करेंगे..


अश्क:- सही है ये तो, बिल्कुल सही है, लेकिन एन्जॉय करने के लिए होश में होना जरूरी होगा, ना की पीकर बेहोश हो जाओ।


अपस्यु:- इसलिए तो यहां अल्कोहल की केवल एक ड्रिंक सर्व होगी, बाकी सब फ्रूट जूस पिएंगे…


"अच्छा उपाय है, हर किसी पर लागू कर दो, सिर्फ बाबा अपस्यु को छोड़कर, क्योंकि हमारा एक उनके 10 के बराबर होता है, और वो भी शायद मैंने कुछ कम बता दिया होगा।"… आरव पीछे से ताना देते हुए उनके पास आकर बैठ गया, और उसके साथ में पार्थ भी।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,007
173
Update:-132




चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।


लंबे खेल का आरंभ, अपस्यु के पार्टी हॉल में पहुंचने के साथ ही हो चुका था। अारूब की अगुवाई में टीम ठीक उसी वक़्त लोकेश के बेस के अंदर घुसी, जब अपस्यु पार्टी हॉल में पहुंचा। ऐमी के कमाल का विजन और अारूब की मदद से उसने कंट्रोल रूम को ऐसा भरमाया की वहां मौजूद लोगों को वही सब नजर आ रहा था, जैसा ऐमी उसे दिखाना चाहती थी।


अब बस जरूरत थी तो कंट्रोल रूम पर कबजे की, ताकि वाकी की मैनुअल सूचना प्रणाली भी अपने हाथ में आ जाए। 6 कार जब महल के आसपास धूल उड़ाते निकली थी, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि वो धूल क्या कमाल कर सकती थी। वो माइक्रो पैक्टिकल्स आरव और ऐमी के कमांड से, कंट्रोल रूम के अंदर पहुंच चुकी थे। धीरे-धीरे एक गुमनाम हवा, वहां काम कर रहे 20 स्टाफ को ऐसे जकड़ ली की वो हिलने की हालत में भी नहीं थे। आरव और ऐमी ने जैसे ही अपना काम खत्म किया उसने तुरंत सभी टीम को एक्शन लेने के लिए बोल दिया।


अारूब ने 20 स्नाइपर और 48 ऑफिसर की टीम को 4 हिस्सों में बांटकर, 5 स्नाइपर और 12 कचरा साफ करने वाले ऑफिसर 4 ठिकाने पर पहुंच चुके थे। इधर दृश्य ने एक्शन कहा और उधर स्नाइपर की टीम ने अपने दो टारगेट को आपस में बांटकर हेड शॉट लेना शुरू किया। मौत कब कहां से आ गई किसी को पता भी नहीं चला। एक ही वक़्त में सभी स्नाइपर ने एक्शन लिया और मात्र 5 सेकंड के अंतर से 2 गोली फायर करते हुए, सभी टारगेट को ढेर कर दिया।


40 जल्लाद जिसे मौत का खेल रचने में काफी उत्सुकता रहती थी, वो ढेर हो चुके थे और कचरा साफ करने वाले ऑफिसर, जो पहले से उनके ठिकाने से थोड़ी दूर पर घात लगाए थे, तुरंत अंदर दाखिल हुए और बिना किसी की नजर में आए सभी लाश को वैन में लोड करके, अारूब को ऑल क्लियर का संदेश भेज दिया।


इधर स्निपर से गोली निकलकर, उन वीरदोयी का भेजा निकालते हुए, उन्हें मौत कि नींद सुला रही थी और इधर कमरे में बैठा पुरा डेविल ग्रुप जोश में आकर हूटिंग करते हुए, वीडियो को दोबारा स्लो मोशन में प्ले करते हुए सभी की मौत को एन्जॉय कर रहे थे।


40 और बचे वीरदोयी के साथ भी वही खेल रचा जाना था, इसलिए टीम लोकेशन फिर से सेट की गई। वहीं प्रक्रिया फिर से दोहराई गई और उन 40 के साथ भी वही हुआ। मात्र 5 सेकंड के फासले में सभी टारगेट समाप्त हो चुके थे और पुरा कचरा साफ हो चुका था।


अारूब की टीम के काम का पहला भाग समाप्त हो चुका था और अगले काम के लिए लंबा वक़्त लिया जाना था, इसलिए उसे काया द्वारा बताए गए एक सुरक्षित ठिकाने पर इंतजार करने के लिए कहा गया। महल के जिस कमरे में सभी लोग थे खासकर आरव, ऐमी, स्वास्तिका, और पार्थ इनकी खुशी तो देखती बनती थी।


ये सभी लोग हल्के नम आशु के साथ दृश्य के सामने खड़े हो गए और अपने जाम लहराते हुए उसके सम्मान में अपना सर झुका लिया। दृश्य, अश्क और निम्मी को समझ में तो नहीं आया की मस्ती करने वाले ये लोग इतने भावुक क्यों थे, लेकिन दृश्य उनकी पिरा को भांपते हुए कहने लगा…. "तुम सब रोते हुए अच्छे नहीं लगते, वैसे भी अभी एक ही पड़ाव खत्म हुआ है, मुख्य लोग तो अभी बाकी है आज शाम का खेल तो अभी पुरा बाकी है।"…


कुंजल सबके बीच खड़ी होकर कहने लगी…. "भईया शादी का अरेंजमेंट आपने काफी बढ़िया किया है… बारातियों का स्वागत तो हो गया, अब जरा फेरे करवाकर दुल्हन को विदा करवा दीजिए, बाकी का रोना हम दुल्हन की विदाई के बाद कर लेंगे।"…


कुंजल की बात सुनकर सब लोग हंसते हुए हूटिंग करने लगे। तभी ऐमी सबको शांत करती हुई कहने लगी….. "पार्टी के अंदर मै और अपस्यु लीड करेंगे। केवल उन्हीं लोगों की लाश गिरेगी जिसकी तस्वीर हमने सबको भेजी है। यदि तस्वीर ना भी याद हो तो बता दूं कि लाश केवल वीरदोयी की गिरेगी, बाकी उनके अलावा किसी को भी मारने का फैसला मेरा और अपस्यु का होगा। दृश्य भईया, ये खासकर मै आपसे कह रही।"

दृश्य:- येस बॉस मै समझ गया।


निम्मी:- और लोकेश राठौड़..


दृश्य:- अपने चाकू तुम केवल 1 के लिए इस्तमाल करोगी और जितना कुरुर हो सकती हो उतनी कुरूर हो जाना। लोकेश केवल और केवल तुम्हारा है निम्मी।


स्वास्तिका:- अब सभी बातें क्लियर हो गई हो तो चले क्या पार्टी में… शादी को जारा शुरू से एन्जॉय किया जाए…


सभी लोग वहां से केवल अपने मोबाइल के साथ बिल्कुल खाली हाथ निकले। ठीक रात के 9 बजकर 15 मिनट पर, पार्टी में उन लोगो ने शिरकत किया। आखों के सामने सजी-सवड़ी इतनी खूबसूरत और हॉट बाला को देखकर, सभी का ध्यान उन्हीं के ओर गया। दिमाग में वो संदेश भी घूमने लगा जिसमे एक वीरदोयी ने लिखा था, "ये लड़का अपने घर की औरतों के साथ आया है, देखकर तबीयत हरी भी होगी और रात के अंधेरे में मज़ा का भरपूर मौका भी मिलेगा।" संदेश में लिखी गई बात लोगों के जहन में थी और नजरे बार-बार उनकी मादक जवानी पर।


अपस्यु बार काउंटर कर बैठा ड्रिंक एन्जॉय कर रहा था और एक-एक करके उसके दोनो ओर से, उसके सभी हमराही बैठ गए। अपस्यु बिल्कुल बीच में और 4 लोग अपस्यु के दाएं और 4 लोग अपस्यु के बाएं। अपस्यु के ठीक दाएं ऐमी और बाएं दृश्य बैठा हुआ था।


"यहां का माहौल इतना शांत और लोग ऐसे क्यों देख रहे है।"… दृश्य ने अपस्यु से पूछा।


अपस्यु, जोड़ से हंसते हुए… "ये सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोग, 5000 करोड़ की व्यवस्था में लगे है भईया… ओह भिड़, मै तो परिचय करवाना ही भुल गया.. ये हैं मशहूर, दिलदार रईश.. साहिल प्रताप सिंह। प्रताप इंडस्ट्री के अकेला वारिस और उसके बाजू में है मेरी स्वीट भाभी मिसेज अश्क प्रताप सिंह, मेरे भैया जिसके गुलाम है।"


दृश्य के बारे में जैसे ही सबने सुना एक बार फिर, भिड़ में चर्चा का विषय बना हुआ था। इधर बेटिंग के इक्छुक लोग जिन्हें अपनी जीत सुनिश्चित लग रही थी, सबने कुबेर का धन खजाना, यानी की इंटरनेशनल बैंक के पैसों को लोकेश के अकाउंट में ट्रांसफर कर चुके थे। किस-कीस ने कितने पैसे जमा करवाए है, उसको पन्ने पर लिखा जा रहा था, ताकि अंत में हिसाब के वक़्त कोई समय ना हो। 5000 करोड़ की बेटिंग में जब लोगों को जीत दिखने लगी तो महज 1 घंटे के अंदर सभी के पैसे लोकेश के अकाउंट ने पहुंच चुके थे…


लोकेश जोड़ से चिल्लाते हुए… "भाई हमारे ओर से कुल 10000 करोड़ की बेटिंग है। क्या कहते हो..


अपस्यु अपना जाम पीते हुए…. " कहीं घर के कागजात और बीवी के गहने बेचकर तो पैसा ना इकट्ठा कर लिए ये लोग लोकेश भईया?


लोकेश कुछ बोलता, उससे पहले ही पार्टी में आया एक व्हाइट कॉलर विपक्ष का मजबूत नेता कहने लगा… "अभी तो हमने अपने काले धन का आधा हिस्सा भी नहीं लगाया है। सुनो बेटा तुम्हारे पास जो वो दाएं से वो मुलायम और दूध सी चिकनी कन्या बैठी है, उसे देखकर, उसके साथ कई आशन लेने का मन कर रहा है.. उसके लिए मै 500 करोड़ तक देने को तैयार हूं.. बस यही बैठकर बोल दे भोग आसान लगाने"..


सभी गुस्से में पागल से नजर आ रहे थे, लेकिन अपस्यु अपने दाएं बाएं देखकर केवल इतना ही कहा… "आज शाम की बॉस"…. ऐमी झट से अपने टेबल से उतरी और सबको शांत रहने का इशारा करती हुई अपने कदम बढ़ाती हुई कहने लगी… लेट मी इंट्रोड्यूस माय सेल्फ… ऐमी की कदमों में तेजी आयी… "माय नेम इज ऐमी"..


वहां क्या हुआ ये तब पता चला जब ऐमी "माय नेम इज ऐमी" कहकर खड़ी हुई। उस नेता का कटा गला फर्श पर था और धर फरफराता हुआ नीचे गिर रहा था। वहीं उसके बाजू में उसका एक और साथी था, जो उस नेता का पाला हुआ मुख्य गुंडा था, उसके गले से खून की धार निकल रही थी, और वो गुंडा अपने गले को हाथों से दबोचे, घिरे धीरे नीचे गिरता जा रहा था। फर्श पर चारो ओर खून ही खून फ़ैल रहा था और कई देखने वालों ने तो वहीं उल्टियां कर दी।


चंद ही सेकंड में क्या हो गया उसे देखने के लिए, वहां लगे बड़े-बड़े स्क्रीन पर, स्लो मोशन में वीडियो प्ले हुआ। ऐमी की रफ्तार बढ़ी, तेजी से कदम बढाती उसने ड्रिंक सर्व होती ट्रे से ग्लास उठाई, थोड़े दूर आगे बढ़ी होगी और गलास का आधा हिस्सा टूटकर नीचे। ऐमी बिल्कुल हवा में और उसके पेंसिल हिल, धातु की बनी वो धारदार ब्लेड निकली, जिसे काले रंग के पेंट ने उजागर तो नही होने दिया, लेकिन हवा की रफ्तार से जब उसने अपने पाऊं चलाए तो वो नेता का गला नीचे फर्श पर था और ठीक आधे फिट की दूरी पर को गुंडा था, जिसने कान में उस नेता से कुछ कहा था। उसके गले में वो टूटा कांच का ग्लास घुसकर गला चीरते हुए बाहर निकाल चुका था।


स्क्रीन पर चले एक्शन रिप्ले देखते सबकी आखें बड़ी हो गई और अपस्यु ताली बजाता खड़ा हुआ…. "स्वीटी क्या मूव थी, अवसोम बेबी।".. इधर अश्क पागलों की तरह सिटी बजाकर रोल करती हुई कहने लगी…. "ऐमी तुम्हारे सामने तो मुझे सब हिजड़ों की ही जमात नजर आ रही। क्या मूव दिखाया है दिल खुश हो गया।"… अपस्यु के ओर से लोगों ने इतनी सीटियां बजाई की सबके कान के पर्दे उड़ गए।


पूरी भिड़ सकते में आ चुकी थी। वीरदोयी जल्लाद लोकेश के पास एक्शन की मांग के लिए पहुंचे, वहीं लोकेश अपने सभी जल्लादों को समझाकर भिड़ को शांत करके एक किनारे ले जाने के लिए कहा। भन्नया विक्रम राठौड़ गुस्से में पागल होकर कहने लगा… "उसने महज 4 शब्द बोले थे उसने अपस्यु, और तुमलोग ने यह गलत कदम उठा लिया। मै अपने लोगों को रोक रखा हूं, वरना तुम सब की लाश गिरने में 2 मिनट नहीं लगेंगे।"


ऐमी:- हट बड़बोला कहीं का। मिस्टर विक्रम राठौड़ तुम्हे हमारी लाश गिरानी है ना और सिर्फ 2 मिनट लगेंगे, तो देर किस बात की रण सज चुका है, 10000 करोड़ की बोली लग चुकी है.. शुरू कर दो लाशों का खेल। यदि तुमने 2 मिनट में अपस्यु की लाश गिरवा दी ना, तो नंदनी रघुवंशी के बाकी बच्चे पुरा मायलो ग्रुप तुम्हारे नाम कर देंगे और 10000 करोड़ अभी हम दाव पर लगाते है। वैसे तुम भिकारि, विक्रम, तुम्हारे पास तो कोई कंपनी होगी नहीं, तो यदि तुम शर्त हार जाना तो बस मेरी ननद कुंजल के सैंडल को अपने जीभ से चाट कर साफ कर देना। औकाद है तो चैलेंज एक्सेप्ट करो, वरना मैंने तो लाश गिरा दी, अब चाहो तो तुम चूड़ियां पहन कर गीदड़ धमकी देते रहो।


एक शेरनी की दहाड़ सबने सुनी, ललकार सुनकर तो शांत रहने वाला लोकेश भी पूरे तैश में आ गया। ऊपर से उसकी नजर के सामने जिसने (अपस्यु) कम से कम 15 ड्रिंक पिया हो, वो नशेड़ी भला कैसे लड़ सकता था। 1000 करोड़ कैश पहुंच चुके थे। एक ओर लोकेश के बचे 9000 करोड़ और दूसरी तरफ अपस्यु के ओर से 500 करोड़ मेघा और बचे पैसे दृश्य लगा रहा था।


स्विस के नए एकाउंट में 19000 करोड़ जमा हो चुके थे, जिसका आईडी पासवर्ड दृश्य और लोकेश के पास था। दोनो एक जगह आराम से बैठ चुके थे और बीच मे टेबल परे एक लैपटॉप को एक हाई सिक्योरिटी सेफ बॉक्स में बंद करके रखा गया था, जो 19000 करोड़ की चाभी थी। बिना उस लैपटॉप के दूसरे डिवाइस की पहली लॉगिन स्वीकृत नहीं थी।


एक ओर 20 गुना क्षमता वाला वीरदोयी का सबसे तेज लड़का और दूसरी ओर अपस्यु जो किसी भी इंसान के मुकाबले 20 गुना ज्यादा नरक की आग में जला था, और सामने अपने दिल की आग को ठंडा करने का एक मौका।


लड़ाई आमने-सामने की थी और डेविल ग्रुप रण की ओर देख रही थी। अपस्यु के दिल में अग्नि आवाहन था, युद्ध के बिगुल बज चुके थे और प्रतिशोध की जलती ज्वाला, आज जिन-जिन को मौत की सजा दे चुकी थी, उसपर कोई रहम नहीं होना था।
Sajj ho ja Apsue ran me mu na dikhiyo re ish preyeshi ki aan nibhiyo re tinka-tinka kar do inko na bhul sake in sholo ko jish aag me hum jalte rahe aaj ushka taap dikhiyo re sajj ho jaa Apsue in hizdo ko inki oukad dikhiyo re.
Behtreen shabd rachna veer rash se shushobhit Kavi samrat hridey premi hardil aziz Nain bhai laaye hai apne fankaar se ek aur nayi update. Aafreen Naajneen Benajeer.
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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Update:-131








अश्क, पार्थ से… देखो दोस्त या तो प्यार में देवदास बन जाओ या फिर प्यार को प्यार से अपने ओर आकर्षित करने की कोशिश करो, मर्जी तुम्हारी है।..


पार्थ:- नाह मै अभी प्यार के बारे में नहीं सोच रहा, ये वक़्त तो हमारे परिवार का है.. और मैं पार्थ आप सबका होस्ट, आप सबका दोस्त, यहां आप सबको आज की इस महफिल में स्वागत करता हूं। पीकर होश खोने की रात नहीं है, क्योंकि ये होश में पूरे एन्जॉय करके बेहोश होने की रात है। और इस शाम को यादगार बनाने के लिए मै अपनी खूबसूरत और हॉट दोस्त ऐमी को एक डांस के लिए इन्वाइट करना चाहूंगा।..


जैसे ही पार्थ का जोश भड़ा अनाउंसमेंट हुआ, सभी लोग हूटिंग करना शुरू कर दिए।…. "रुको, रुको, रुको… शो शुरू होने में केवल 10 मिनट रह गए हैं, तो मुझे भी एक डांस पार्टनर की जरूरत है।".... अश्क भी उनके पागलपन में शरीक होती कहने लगी।


आरव अपने घुटने पर बैठते… "भाभी, ऐसे चिल्लाकर कहोगी तो एक पार्टनर नहीं, अनेक पार्टनर की लाइन लग जाएगी।"…


अपस्यु ने म्यूज़िक प्ले कर दिया और एक ओर पार्थ नाचने लगा और दूसरी ओर आरव। ऐमी की नजर डांस करते हुए भी लगातार अपस्यु पर बनी हुई थी। जब से वो कमरे में घुसी थी, उसे ऐसा लग रहा था मानो अपस्यु का आकर्षण उसे खींच रहा है। अपस्यु भी मुसकुराते हुए बस ऐमी को देख रहा था और हवा में जाम लहराते हुए टेस्ट कर रहा था।


इसी बीच दृश्य भी पहुंच गया और वहां का नजारा देखकर थोड़ा हैरान सा हो गया। कुछ बोलने से अच्छा सीधा बार काउंटर पर चला गया… "8 बजने वाले है, प्लान पर एक्शन लेने का समय है, और ऐसे समय में तुम"..


कुंजल, दृश्य से:- सुनो भईया, क्या आपने प्लान पहले से बना लिया लिया था?


दृश्य:- हां, वो भी बिल्कुल परफेक्ट..


कुंजल:- सबको प्लान के हिसाब से उसका काम अच्छे से समझा दिया?


दृश्य:- हां बिल्कुल..


कुंजल:- यहां पर मौजूद लोगों में से उसके हिस्से का काम शुरू हो चुका है क्या?


दृश्य:- ना अभी उसमे समय है…


कुंजल:- फिर इतना टेंशन में क्यों हो, आराम से ड्रिंक लीजिए और एन्जॉय कीजिए, जब हमारा वक़्त आएगा तब हम अपना काम शुरू करेंगे।


दृश्य:- इसे लापरवाही कहते है। अपस्यु तुम सुन भी रहे हो?


कुंजल:- वो अपनी बीवी को देखने में व्यस्त है। वैसे अश्क भाभी भी कम मस्त नहीं लग रही, चाहे तो आप भी उन्हें बड़े प्यार से देख सकते है। वैसे भी आपसे नाराज होकर गई थी।


दृश्य:- है तो सबसे छोटी लेकिन बातें बड़ी-बड़ी..


कुंजल:- भईया एक बात पूछूं..


दृश्य:- हां पूछो ना..


कुंजल:- दिखने में तो आप करेला लगते हो फिर इतनी मस्त आइटम पटाई कैसे।


कुंजल अपनी बात कहकर हंसने लगी और उधर से अपस्यु का एक हाथ सीधा कुंजल के सर पर लगा, जबकि उसकी नजरें ऐमी पर ही थी…. "देखा दृश्य भईया, इनका ध्यान हमारी बातों पर ही था, लेकिन नजरे और दिल वहीं टिकी है।"..


तभी वहां का म्यूज़िक बंद हो गया.. अचानक से एक बार लाइट गई और फिर आयी…. "अब आप सब यहां आकर आराम से बिना कोई आवाज़ के शो का मज़ा ले।"… अपस्यु अपनी बात कहते हुए बड़े से स्क्रीन को चालू कर दिया और सभी लोग अपस्यु के द्वारा व्यवस्थित बार काउंटर के पास अपनी-अपनी जगह ले लिए।


अारूब एक लाइन पर दृश्य से संपर्क बनाए हुए था, साथ में सबको कमांड भी दे रहा था और इधर अपस्यु अपने लैपटॉप के स्क्रीन पर पार्टी में आए मेहमानों पर नजर दिए हुए था। पार्टी में शिरकत करते मेहमान को देख अपस्यु कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था इंतकाम और न्याय सब एक साथ मिल जाएगा।


कुछ लोग जैसे शिपिंग किंग जवेरी, साची के पिता मनीष मिश्रा, प्रकाश जिंदल और एक छिपा हुआ एक स्लीपिंग पार्टनर अमोघ अग्रवाल, एक प्राइवेट बैंक का मालिक, ये सब विक्रम राठौड़ के साथ शुरू से बने हुए थे। इसके अलावा आने वालों मेहमानों को देखकर बहुत सारी तस्वीरें खुद व खुद साफ हो गई।


पक्ष और विपक्ष के नेता जो होम मिनिस्टर के लिए गड्ढे खोद रहा था, कई नाम चिह्न बिजनेसमैन, जिन्हे काले और उजले पैसों में काफी रुचि रहती है। सरकारी पदों पर अच्छे पोस्ट को होल्ड किए कई सरकारी डिपार्टमेंट के उच्च अधिकारी और निदेशक। इन सब का साथ होना केवल इसी ओर इशारा कर रहा था कि लोकेश ने वीरदोयी की मदद से इनके कई सपने साकार किए होंगे।


इधर उस कमरे का माहौल शांत होते ही, ऐमी मुस्कुराती हुई बार काउंटर के पीछे आयी। अपस्यु की देखकर तो ऐमी कबसे खींची जा रही थी। सबकी व्यस्त देखकर ऐमी अपनी दबी अरमान को हवा देती, अपस्यु के होंठ को प्यार से चुमकर अलग हटी। अपस्यु आश्चर्य से अपनी आखें बड़ी करके वो चारो ओर देखने लगा। हर कोई अपनी नजर बड़ी सी टीवी स्क्रीन पर डाले हुए था।

अपस्यु, पहले खुद काउंटर के नीचे बैठा और ऐमी का हाथ खींचने के लिए जैसे ही अपना हाथ उपर लेकर गया, ऐमी फिर खड़ी हंसती हुई अपस्यु को अंगूठा दिखा रही थी। अपस्यु गुस्से से ऐमी को घूरा और चुपचाप उठकर खड़ा हो गया।

ऐमी अंदर ही अंदर हंसती हुई सबका ध्यान अपनी ओर खींच और सबके लिए एक ड्रिंक बनाने लगी। पहला ड्रिंक कुंजल को सर्व हुआ जो मोकटेल की जगह मार्टिनी था। कुछ नज़रों के संवाद कुंजल और ऐमी के बीच हुआ और कुंजल ऐमी की चतुराई पर हंसे बिना नहीं रह पाई।


दूसरी ओर अारूब का एक्शन पैक धमाल भी शुरू हो चुका था। अपस्यु अपने स्क्रीन से पार्टी हॉल पर नजर जमाए हुए था और सभी लोग रूम के स्क्रीन पर नजरें जमाए… अपस्यु ने दृश्य को होल्ड का सिग्नल भेजा और लगातार अपने स्क्रीन देख रहा था।


8 बजे से शुरू होने वाला मिशन 8.15 तक होल्ड पर रखा हुआ था। अपस्यु जब सुनिश्चित हो गया कि इतने मेहमानों के बीच में लोकेश अब फंस गया है, तब अपस्यु ने कंप्लीट फॉरवर्ड का इशारा किया और ऐमी के कान में कुछ समझाकर बड़े आराम से लोकेश की पार्टी के लिए निकल गया।


अपस्यु, काया को साथ लेकर पार्टी में पहुंचा। बहुत से व्हाइट कॉलर लोगों के अलावा बहुत से ब्लैक कॉलर लोग भी पहुंचे थे। माहौल किसी रंगीन पार्टी जैसा था, जिसमें बदन कि नुमाइश करती कई सारी लड़कियां ड्रिंक और स्नैक्स सर्व करती हुई, लोगों के आखों और हाथों का भी मनोरंजन कर रही थी।


अपस्यु जैसे ही अंदर घुसा, काया के कान में कुछ बोलते हुए, लोकेश के ओर बढ़ने लगा, जो इस वक़्त आपने पापा विक्रम राठौड़ और प्रकाश जिंदल के साथ खड़ा, अपने एक बिजनेस पार्टनर के. डी. जवेरी से बात कर रहा था। लोकेश की नजर जैसे ही अपस्यु पर गई, अपने दोनो हाथ खोलकर उसे वेलकम करते हुए माईक पर बोलने लगा….. "आज की शाम जिस खास होस्ट के नाम है वो हमारे बीच चला आया। क्या आप में से कोई बता सकता है कि ये कौन है?"..


कुछ को छोड़कर बाकियों को कुछ भी पता नहीं था। लोकेश 15 सेकंड का एक पॉज लेकर, फिरसे बोलना शुरू किया….

"सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वाकील अनुरुद्ध सिन्हा का होने वाला दामाद, सेंट्रल होम मिनिस्टर का मुंह बोला बेटा, दिल्ली के लोकल गैंग से लेकर मुंबई अंडरवर्ल्ड तक जिसके नाम की सुपाड़ी नहीं के सकते, प्रतप ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक का खास दोस्त, और मायलो ग्रुप का मालिक मिस्टर अपस्यु रघुवंशी।"…


"मेरा परिचय तो काफी धांसू था, लव यू ब्रो। यहां आए सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को मेरा नमस्कार। यहां मौजूद ज्यादातर लोग को मै जानता हूं, चाहे वो मशहूर बिजनेस मैन माणिकचंद जी हो या फिर शिपिंग किंग जवेरी। मै किसी से परिचय करने में रुचि नहीं रखता, मै काम करने में विश्वास करता हूं, शायद इसलिए कम वक़्त मेरा अपना मुकाम है। इसलिए प्लीज मेरे पास भिड़ लगाकर अपना परिचय देने से अच्छा है कोई काम की बात हो तो ही मेरे पास आइए, वरना ये पार्टी एन्जॉय करने के लिए है। आप भी एन्जॉय कीजिए और मुझे भी पार्टी एन्जॉय करने दीजिए।"

"एक बात और, मै शुरू से फैमिली बिजनेस करता हूं, इसलिए अपने भाई लोकेश के साथ आज खड़ा हूं। यहां आयी लड़कियों के कपड़े में थोड़ी तब्दीली मैंने कर दी है, आप सब भी अपने आचरण के तब्दीली कर लीजिए। और यदि औरत की जरूरत इतनी ही मेहसूस होती हो तो घर से अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड को लेकर चला कीजिए, क्योंकि यहां आप की जरुरत बढ़ रही होगी और पता चला कि उसकी जरूरत कोई और पूरी कर रहा हो। मुझे सुनने के लिए धायवाद, एन्जॉय दी पार्टी।"


अपस्यु अपने तेवर से वाकिफ करवाते बार काउंटर पर आकर अपना ड्रिंक एन्जॉय करने लगा और इधर लोकेश के लिए परिस्थिति से निपटना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। अपस्यु ने अपने शब्द के तीर ऐसे चला चुका था की हर कोई घायल होकर बिलबिला रहा था। लोकेश ने मेघा को इशारा से अपस्यु के पास भेजा और खुद एक वीरदोयी के कान में कुछ ऐसा कहा जिससे वो हसने लगा।


वो वीरदोयी लोकेश की बात को संदेश के तौर पर सभी वीरदोयी के पास तुरंत भेज दिया। वो लोग भी संदेश खोलकर देखते हुए हंसे और चुपके से वहां मौजूद सभी लोगों के बीच फैला दिया। इधर मेघा, अपस्यु के साथ बैठकर अपना ड्रिंक टोस्ट करने लगी।…. "हम्मम ! आते ही अपने तेवर से सबको वाकिफ करवा गए।"..


अपस्यु, मुसकुराते हुए…. "लुकिंग कूल मेघा। लगता है पार्टी के ख्याल से पिछले 5 घंटे से तैयार हो रही हो।"


मेघा:- औरतों के तैयार होने में लगे वक़्त का तुम्हे बड़ा अनुभव है, क्यों ऐमी को बिठाकर तुम खुद ही तैयार करते हो क्या?


"क्या बच्चे, ये क्या सॉफ्ट ड्रिंक पी रहा है "… अपस्यु के पास एक वीरदोयी लड़ाका खड़ा होते हुए कहने लगा… "तुम्हारी यहां जरूरत है क्या?"… मेघा ने जवाब दिया..


लड़ाका…. "मैं तो बस देखने आया था कि जिस अंदाज़ में इसने बात किया, उस अंदाज़ के लायक भी है क्या?


अपस्यु, हंसते हुए…. "तू यहां का स्टाफ है ना जाकर काम देख। काम से छुट्टी मिली है तो पार्टी एन्जॉय कर, बाकी मेरे लायक या नालायक होने का प्रूफ आराम से देते रहेंगे, अभी तू तो यहीं रहेगा ना।"


वीरदोयी लड़ाका…. बात मुझ अकेले की नहीं है, बल्कि यहां मौजूद सभी लोगों की है। बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण भी तो होने चाहिए ना सर।


अपस्यु चिल्लाते हुए कहने लगा…. "तो यहां सबको ये बात खटक रही की, बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण होने चाहिए… और बेसिकली वो गुण कौन से होने चाहिए…


वीरदोयी लड़ाका….. "हमे हराकर दिखाओ और हमारी वफादारी पाओ।"..


अपस्यु:- क्यों लोकेश ने भी यही किया था क्या?


वीरदोयी लड़का:- नहीं उसने ऐसा नहीं किया, इसलिए तो वो हमारा बॉस नहीं, हम पार्टनर्स है और सभी पार्टनर्स ने लोकेश की लीडरशिप को एक्सेप्ट किया है, और तुम हमारी जगह पर खड़े होकर, हमारे लीडरशिप को चैलेंज कर रहे… कहां से काम चलेगा मुन्ना…


अपस्यु:- "मुझे पता था कि तू मुझे लड़ने कि ही चुनौती देगा। वो क्या है ना हर ताकतवर के साथ यही समस्या होती है, उसे अक्ल से ज्यादा बड़ी भैंस लगती है, इसलिए शारीरिक बल होने के बाद भी किसी नेते के पास रहकर उसके जूते चाटना, किसी बिजनेस मैन के हाथों की कठपुतली होना, यही उनकी किस्मत है। मूल रूप से ताकत और बुद्धि का कोई मेल नहीं, और बहुत कम लोगों के पास ये दोनो साथ होते है।"

"मै फाइट करूंगा, लेकिन एक शर्त पर, कम से कम 5000 करोड़ की बेटिंग होनी चाहिए। मैं बिना किसी फायदे या नुकसान के कोई काम नहीं करता। बॉस का एटिट्यूड है इसलिए पैसा बनाऊंगा और शेर का जिगरा है इसलिए किसी भी जगह पर खड़े होने की हिम्मत है।"..


मेघा अपस्यु की बात सुनकर सिटी बजाती हुई कहने लगी…. "500 करोड़ मै लगाऊंगी अपस्यु तुम्हारे ओर से।"..


अपस्यु:- लव यू मेघा, मुझे यकीन था कि तुम्हे मेरे एटिट्यूड से कोई पंगा नहीं होगा। और बाकी के लोग आपस में सलाह मशवरा करके जल्दी से पैसों का इंतजाम करके मुझे सूचना दो, जबतक मै अपना ड्रिंक एन्जॉय करता हूं।


अपस्यु अपनी बात कहकर वापस बार काउंटर पर आकर ड्रिंक लेने लगा। प्रकाश जिंदल जो इस वक़्त अपने कुछ खास दोस्तों के बीच था, वो मेघा को अपने साथ कोने में ले जाकर, उसके फैसले पर उसे बहुत सुनाने लगा। लेकिन मेघा भी अपने फैसले को लेकर बहुत ही सुनिश्चित थी, इसलिए वो अपने पापा के खिलाफ चली गई।


एक ओर अारूब का मिशन शुरू हो चुका था, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर अपस्यु ने पुरे माहौल को ऐसा फसाया था कि हर किसी को 5000 करोड़ अपनी खोली में नजर आ रहा था। एक 21-22 का अय्याश और आवारा लड़का, वीरदोयी लड़ाका से लड़ेगा, और साथ 5000 करोड़ की शर्त।


चूंकि मामला 5000 करोड़ का था और इतने पैसे लगाना किसी एक के बूते की बात थी नही, इसलिए सब अपना ज्यादा-ज्यादा पैसा लगाने के लिए पैसों के इंतजाम में जुटे हुए थे। सबसे ज्यादा चमक तो लोकेश के ही आखों में नजर आ रहा था। लोकेश को भी कमाने की चाहत काफी बढ़ चुकी थी। 1000 करोड़ कैश तो उसके इस बेस पर था, लेकिन वो इस डील में कम से कम 2500 करोड़ लगाना चाहता था, इसलिए वो भी बंदोबस्त में जुट गया।


चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।
Wow bhai 5000cr ki fighting :o , kya hi shandaar scene hone wala hai :D
 

aman rathore

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चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।


लंबे खेल का आरंभ, अपस्यु के पार्टी हॉल में पहुंचने के साथ ही हो चुका था। अारूब की अगुवाई में टीम ठीक उसी वक़्त लोकेश के बेस के अंदर घुसी, जब अपस्यु पार्टी हॉल में पहुंचा। ऐमी के कमाल का विजन और अारूब की मदद से उसने कंट्रोल रूम को ऐसा भरमाया की वहां मौजूद लोगों को वही सब नजर आ रहा था, जैसा ऐमी उसे दिखाना चाहती थी।


अब बस जरूरत थी तो कंट्रोल रूम पर कबजे की, ताकि वाकी की मैनुअल सूचना प्रणाली भी अपने हाथ में आ जाए। 6 कार जब महल के आसपास धूल उड़ाते निकली थी, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि वो धूल क्या कमाल कर सकती थी। वो माइक्रो पैक्टिकल्स आरव और ऐमी के कमांड से, कंट्रोल रूम के अंदर पहुंच चुकी थे। धीरे-धीरे एक गुमनाम हवा, वहां काम कर रहे 20 स्टाफ को ऐसे जकड़ ली की वो हिलने की हालत में भी नहीं थे। आरव और ऐमी ने जैसे ही अपना काम खत्म किया उसने तुरंत सभी टीम को एक्शन लेने के लिए बोल दिया।


अारूब ने 20 स्नाइपर और 48 ऑफिसर की टीम को 4 हिस्सों में बांटकर, 5 स्नाइपर और 12 कचरा साफ करने वाले ऑफिसर 4 ठिकाने पर पहुंच चुके थे। इधर दृश्य ने एक्शन कहा और उधर स्नाइपर की टीम ने अपने दो टारगेट को आपस में बांटकर हेड शॉट लेना शुरू किया। मौत कब कहां से आ गई किसी को पता भी नहीं चला। एक ही वक़्त में सभी स्नाइपर ने एक्शन लिया और मात्र 5 सेकंड के अंतर से 2 गोली फायर करते हुए, सभी टारगेट को ढेर कर दिया।


40 जल्लाद जिसे मौत का खेल रचने में काफी उत्सुकता रहती थी, वो ढेर हो चुके थे और कचरा साफ करने वाले ऑफिसर, जो पहले से उनके ठिकाने से थोड़ी दूर पर घात लगाए थे, तुरंत अंदर दाखिल हुए और बिना किसी की नजर में आए सभी लाश को वैन में लोड करके, अारूब को ऑल क्लियर का संदेश भेज दिया।


इधर स्निपर से गोली निकलकर, उन वीरदोयी का भेजा निकालते हुए, उन्हें मौत कि नींद सुला रही थी और इधर कमरे में बैठा पुरा डेविल ग्रुप जोश में आकर हूटिंग करते हुए, वीडियो को दोबारा स्लो मोशन में प्ले करते हुए सभी की मौत को एन्जॉय कर रहे थे।


40 और बचे वीरदोयी के साथ भी वही खेल रचा जाना था, इसलिए टीम लोकेशन फिर से सेट की गई। वहीं प्रक्रिया फिर से दोहराई गई और उन 40 के साथ भी वही हुआ। मात्र 5 सेकंड के फासले में सभी टारगेट समाप्त हो चुके थे और पुरा कचरा साफ हो चुका था।


अारूब की टीम के काम का पहला भाग समाप्त हो चुका था और अगले काम के लिए लंबा वक़्त लिया जाना था, इसलिए उसे काया द्वारा बताए गए एक सुरक्षित ठिकाने पर इंतजार करने के लिए कहा गया। महल के जिस कमरे में सभी लोग थे खासकर आरव, ऐमी, स्वास्तिका, और पार्थ इनकी खुशी तो देखती बनती थी।


ये सभी लोग हल्के नम आशु के साथ दृश्य के सामने खड़े हो गए और अपने जाम लहराते हुए उसके सम्मान में अपना सर झुका लिया। दृश्य, अश्क और निम्मी को समझ में तो नहीं आया की मस्ती करने वाले ये लोग इतने भावुक क्यों थे, लेकिन दृश्य उनकी पिरा को भांपते हुए कहने लगा…. "तुम सब रोते हुए अच्छे नहीं लगते, वैसे भी अभी एक ही पड़ाव खत्म हुआ है, मुख्य लोग तो अभी बाकी है आज शाम का खेल तो अभी पुरा बाकी है।"…


कुंजल सबके बीच खड़ी होकर कहने लगी…. "भईया शादी का अरेंजमेंट आपने काफी बढ़िया किया है… बारातियों का स्वागत तो हो गया, अब जरा फेरे करवाकर दुल्हन को विदा करवा दीजिए, बाकी का रोना हम दुल्हन की विदाई के बाद कर लेंगे।"…


कुंजल की बात सुनकर सब लोग हंसते हुए हूटिंग करने लगे। तभी ऐमी सबको शांत करती हुई कहने लगी….. "पार्टी के अंदर मै और अपस्यु लीड करेंगे। केवल उन्हीं लोगों की लाश गिरेगी जिसकी तस्वीर हमने सबको भेजी है। यदि तस्वीर ना भी याद हो तो बता दूं कि लाश केवल वीरदोयी की गिरेगी, बाकी उनके अलावा किसी को भी मारने का फैसला मेरा और अपस्यु का होगा। दृश्य भईया, ये खासकर मै आपसे कह रही।"

दृश्य:- येस बॉस मै समझ गया।


निम्मी:- और लोकेश राठौड़..


दृश्य:- अपने चाकू तुम केवल 1 के लिए इस्तमाल करोगी और जितना कुरुर हो सकती हो उतनी कुरूर हो जाना। लोकेश केवल और केवल तुम्हारा है निम्मी।


स्वास्तिका:- अब सभी बातें क्लियर हो गई हो तो चले क्या पार्टी में… शादी को जारा शुरू से एन्जॉय किया जाए…


सभी लोग वहां से केवल अपने मोबाइल के साथ बिल्कुल खाली हाथ निकले। ठीक रात के 9 बजकर 15 मिनट पर, पार्टी में उन लोगो ने शिरकत किया। आखों के सामने सजी-सवड़ी इतनी खूबसूरत और हॉट बाला को देखकर, सभी का ध्यान उन्हीं के ओर गया। दिमाग में वो संदेश भी घूमने लगा जिसमे एक वीरदोयी ने लिखा था, "ये लड़का अपने घर की औरतों के साथ आया है, देखकर तबीयत हरी भी होगी और रात के अंधेरे में मज़ा का भरपूर मौका भी मिलेगा।" संदेश में लिखी गई बात लोगों के जहन में थी और नजरे बार-बार उनकी मादक जवानी पर।


अपस्यु बार काउंटर कर बैठा ड्रिंक एन्जॉय कर रहा था और एक-एक करके उसके दोनो ओर से, उसके सभी हमराही बैठ गए। अपस्यु बिल्कुल बीच में और 4 लोग अपस्यु के दाएं और 4 लोग अपस्यु के बाएं। अपस्यु के ठीक दाएं ऐमी और बाएं दृश्य बैठा हुआ था।


"यहां का माहौल इतना शांत और लोग ऐसे क्यों देख रहे है।"… दृश्य ने अपस्यु से पूछा।


अपस्यु, जोड़ से हंसते हुए… "ये सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोग, 5000 करोड़ की व्यवस्था में लगे है भईया… ओह भिड़, मै तो परिचय करवाना ही भुल गया.. ये हैं मशहूर, दिलदार रईश.. साहिल प्रताप सिंह। प्रताप इंडस्ट्री के अकेला वारिस और उसके बाजू में है मेरी स्वीट भाभी मिसेज अश्क प्रताप सिंह, मेरे भैया जिसके गुलाम है।"


दृश्य के बारे में जैसे ही सबने सुना एक बार फिर, भिड़ में चर्चा का विषय बना हुआ था। इधर बेटिंग के इक्छुक लोग जिन्हें अपनी जीत सुनिश्चित लग रही थी, सबने कुबेर का धन खजाना, यानी की इंटरनेशनल बैंक के पैसों को लोकेश के अकाउंट में ट्रांसफर कर चुके थे। किस-कीस ने कितने पैसे जमा करवाए है, उसको पन्ने पर लिखा जा रहा था, ताकि अंत में हिसाब के वक़्त कोई समय ना हो। 5000 करोड़ की बेटिंग में जब लोगों को जीत दिखने लगी तो महज 1 घंटे के अंदर सभी के पैसे लोकेश के अकाउंट ने पहुंच चुके थे…


लोकेश जोड़ से चिल्लाते हुए… "भाई हमारे ओर से कुल 10000 करोड़ की बेटिंग है। क्या कहते हो..


अपस्यु अपना जाम पीते हुए…. " कहीं घर के कागजात और बीवी के गहने बेचकर तो पैसा ना इकट्ठा कर लिए ये लोग लोकेश भईया?


लोकेश कुछ बोलता, उससे पहले ही पार्टी में आया एक व्हाइट कॉलर विपक्ष का मजबूत नेता कहने लगा… "अभी तो हमने अपने काले धन का आधा हिस्सा भी नहीं लगाया है। सुनो बेटा तुम्हारे पास जो वो दाएं से वो मुलायम और दूध सी चिकनी कन्या बैठी है, उसे देखकर, उसके साथ कई आशन लेने का मन कर रहा है.. उसके लिए मै 500 करोड़ तक देने को तैयार हूं.. बस यही बैठकर बोल दे भोग आसान लगाने"..


सभी गुस्से में पागल से नजर आ रहे थे, लेकिन अपस्यु अपने दाएं बाएं देखकर केवल इतना ही कहा… "आज शाम की बॉस"…. ऐमी झट से अपने टेबल से उतरी और सबको शांत रहने का इशारा करती हुई अपने कदम बढ़ाती हुई कहने लगी… लेट मी इंट्रोड्यूस माय सेल्फ… ऐमी की कदमों में तेजी आयी… "माय नेम इज ऐमी"..


वहां क्या हुआ ये तब पता चला जब ऐमी "माय नेम इज ऐमी" कहकर खड़ी हुई। उस नेता का कटा गला फर्श पर था और धर फरफराता हुआ नीचे गिर रहा था। वहीं उसके बाजू में उसका एक और साथी था, जो उस नेता का पाला हुआ मुख्य गुंडा था, उसके गले से खून की धार निकल रही थी, और वो गुंडा अपने गले को हाथों से दबोचे, घिरे धीरे नीचे गिरता जा रहा था। फर्श पर चारो ओर खून ही खून फ़ैल रहा था और कई देखने वालों ने तो वहीं उल्टियां कर दी।


चंद ही सेकंड में क्या हो गया उसे देखने के लिए, वहां लगे बड़े-बड़े स्क्रीन पर, स्लो मोशन में वीडियो प्ले हुआ। ऐमी की रफ्तार बढ़ी, तेजी से कदम बढाती उसने ड्रिंक सर्व होती ट्रे से ग्लास उठाई, थोड़े दूर आगे बढ़ी होगी और गलास का आधा हिस्सा टूटकर नीचे। ऐमी बिल्कुल हवा में और उसके पेंसिल हिल, धातु की बनी वो धारदार ब्लेड निकली, जिसे काले रंग के पेंट ने उजागर तो नही होने दिया, लेकिन हवा की रफ्तार से जब उसने अपने पाऊं चलाए तो वो नेता का गला नीचे फर्श पर था और ठीक आधे फिट की दूरी पर को गुंडा था, जिसने कान में उस नेता से कुछ कहा था। उसके गले में वो टूटा कांच का ग्लास घुसकर गला चीरते हुए बाहर निकाल चुका था।


स्क्रीन पर चले एक्शन रिप्ले देखते सबकी आखें बड़ी हो गई और अपस्यु ताली बजाता खड़ा हुआ…. "स्वीटी क्या मूव थी, अवसोम बेबी।".. इधर अश्क पागलों की तरह सिटी बजाकर रोल करती हुई कहने लगी…. "ऐमी तुम्हारे सामने तो मुझे सब हिजड़ों की ही जमात नजर आ रही। क्या मूव दिखाया है दिल खुश हो गया।"… अपस्यु के ओर से लोगों ने इतनी सीटियां बजाई की सबके कान के पर्दे उड़ गए।


पूरी भिड़ सकते में आ चुकी थी। वीरदोयी जल्लाद लोकेश के पास एक्शन की मांग के लिए पहुंचे, वहीं लोकेश अपने सभी जल्लादों को समझाकर भिड़ को शांत करके एक किनारे ले जाने के लिए कहा। भन्नया विक्रम राठौड़ गुस्से में पागल होकर कहने लगा… "उसने महज 4 शब्द बोले थे उसने अपस्यु, और तुमलोग ने यह गलत कदम उठा लिया। मै अपने लोगों को रोक रखा हूं, वरना तुम सब की लाश गिरने में 2 मिनट नहीं लगेंगे।"


ऐमी:- हट बड़बोला कहीं का। मिस्टर विक्रम राठौड़ तुम्हे हमारी लाश गिरानी है ना और सिर्फ 2 मिनट लगेंगे, तो देर किस बात की रण सज चुका है, 10000 करोड़ की बोली लग चुकी है.. शुरू कर दो लाशों का खेल। यदि तुमने 2 मिनट में अपस्यु की लाश गिरवा दी ना, तो नंदनी रघुवंशी के बाकी बच्चे पुरा मायलो ग्रुप तुम्हारे नाम कर देंगे और 10000 करोड़ अभी हम दाव पर लगाते है। वैसे तुम भिकारि, विक्रम, तुम्हारे पास तो कोई कंपनी होगी नहीं, तो यदि तुम शर्त हार जाना तो बस मेरी ननद कुंजल के सैंडल को अपने जीभ से चाट कर साफ कर देना। औकाद है तो चैलेंज एक्सेप्ट करो, वरना मैंने तो लाश गिरा दी, अब चाहो तो तुम चूड़ियां पहन कर गीदड़ धमकी देते रहो।


एक शेरनी की दहाड़ सबने सुनी, ललकार सुनकर तो शांत रहने वाला लोकेश भी पूरे तैश में आ गया। ऊपर से उसकी नजर के सामने जिसने (अपस्यु) कम से कम 15 ड्रिंक पिया हो, वो नशेड़ी भला कैसे लड़ सकता था। 1000 करोड़ कैश पहुंच चुके थे। एक ओर लोकेश के बचे 9000 करोड़ और दूसरी तरफ अपस्यु के ओर से 500 करोड़ मेघा और बचे पैसे दृश्य लगा रहा था।


स्विस के नए एकाउंट में 19000 करोड़ जमा हो चुके थे, जिसका आईडी पासवर्ड दृश्य और लोकेश के पास था। दोनो एक जगह आराम से बैठ चुके थे और बीच मे टेबल परे एक लैपटॉप को एक हाई सिक्योरिटी सेफ बॉक्स में बंद करके रखा गया था, जो 19000 करोड़ की चाभी थी। बिना उस लैपटॉप के दूसरे डिवाइस की पहली लॉगिन स्वीकृत नहीं थी।


एक ओर 20 गुना क्षमता वाला वीरदोयी का सबसे तेज लड़का और दूसरी ओर अपस्यु जो किसी भी इंसान के मुकाबले 20 गुना ज्यादा नरक की आग में जला था, और सामने अपने दिल की आग को ठंडा करने का एक मौका।


लड़ाई आमने-सामने की थी और डेविल ग्रुप रण की ओर देख रही थी। अपस्यु के दिल में अग्नि आवाहन था, युद्ध के बिगुल बज चुके थे और प्रतिशोध की जलती ज्वाला, आज जिन-जिन को मौत की सजा दे चुकी थी, उसपर कोई रहम नहीं होना था।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
ran ab saj chuka hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 

Nevil singh

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एक एक्सपेरिमेंटल बच्चा, 200 गुना ज्यादा क्षमता वाला दृश्य, आम मनुष्य की क्षमता वाले अपने भाई पर भरोसा जताए, एक छुब्द मानसिकता वाले धरती के बोझ लोकेश पर पुरा नजर डाले था। अपस्यु के अजीज साथी केवल इस इंतजार में थे कि बस ये पैसे लोकेश से दूर हो जाए, फिर एक तबाही का मंजर शुरू होगा जिसका आमंत्रण खुद लोकेश देगा और उस आने वाले वक़्त की पूरी तैयारी में पहले से कमर कस चुके थे स्वास्तिका, पार्थ और आरव।


ऐमी की ललकार उन 160 साथियों की ललकार थी, जिन्हें खोने के दर्द ने इन्हे कुछ भी कर गुजरने के काबिल बना दिया था। इन्हे ना तो उस एक वीरदोयी का डर था, जो अकेले अपनी क्षमता के दम पर पूरे डेविल ग्रुप को समाप्त कर सकता था और ना ही उनके पूरे भिड़ का कोई खौफ। सबके बीच खड़ी होकर ऐमी ने बेकौफ होकर युद्ध का बिगुल बजाया और मुस्कुराते हुए अपने सभी साथियों को देख रही थी।


बीच का एक बहुत बड़ा जगह लड़ाई के लिए खाली करवाई गई। अपने हुनर और ताकत के घमंड की ललकार वीरदोयी ने भी लगाया। अट्टहास सी हंसी के बीच बड़े ताव से कहा गया, चुन ले वो अपने हथियार और कर ले कोई भी वार, लेकिन जान देने को रहे तैयार।


अपस्यु ने जाम को अपने दोस्तों के सामने लहराया, उनके सामने सर झुकाया, मानो कह रहा हो बिल्कुल अंतिम पड़ाव अब आ गया है, पहले मै रण में जाता हूं फिर तुम सब मेरे पीछे आओ। अपने भाई के गले लगा और कानो में बड़े धीमे से कहा, ऐमी और आरव को छोड़कर यहां की बची जिंदगियां की हिफाज़त उसके जिम्मे। और सबसे आखरी में वो निम्मी से हाथ मिलता चला।


अपस्यु बिल्कुल मध्य में खड़ा हुआ, मुसकुराते हुए सबको एक बार देखा और हाथों के इशारे से उसने वीरदोयी को भेजने कहा। दुश्मन को बुलाकर अपस्यु खुद अपनी आखें मूंदे बस मेहसूस कर रहा था। लोगों के दिए हौसले के बीच वो वीरदोयी लड़ाका उतरा मैदान में, अपने हाथ में स्टील की छोटी सी मजबूत कुल्हाड़ी लिए। चलाने में आसान और आस्तीन में नीचे बड़े आराम से जिन्हे छिपाया जा सकता था।


चाइनीज और कोरियन गैंग द्वारा इस्तमाल किया जाने वाला ये एक फिट की छोटी सी कुल्हाड़ी, इस्तमाल करने का कॉन्सेप्ट शायद वहीं से प्रेरित था। हवा की तेजी से दौड़ते वो वीरदोयी लड़ाका अपस्यु के सर पर निशाना लगाया, और अपस्यु बस खुद में खोया सा, मुस्कुराते हुए हवा की गति में परिवर्तन के हिसाब से अपने अपने बदन और सर को ऐसे लहरा रहा था मानो बस खोकर वो हवा को पढ़ते हुए उसके अनुसार अपनी प्रतिक्रिया दे रहा हो।


अपस्यु मदहोश होकर जैसे ही हवा में सर को लहराया, वो वीरदोयी अपना निशाना चुककर, अपनी गति से उसके आगे बढ़ चला। निम्मी सें उधार मांगी गई वो छोटी सी चाकू जो अपस्यु के मुट्ठी में बंद थी, वीरदोयी के पीछे गले में घुसकर निकल गई और लड़खड़ाते हुए वो आगे फर्श पर बिछ कर, अपनी श्वांस तेज-तेज ले रहा था।


प्राण किसी कि मुक्ति मांग रही थी। मौजूद लोगों की आखों में अब तक ऐमी के कुरुरता के मंजर छापे थे, और अब अपस्यु एक बार और उनके रौंगटे खड़े करने बढ़ रहा था। फर्श पर बिछे उस वीरदोयी को मौत के आखरी दर्शन करवाने अपस्यु ने कदम जैसे ही बढ़ाया, एक बार और हवा की गति में उसने परिवर्तन को पाया।


ताकत की मद में जिसे मारने का सोचकर एक ही वक़्त में 2 वीरदोयी दाएं और बाएं से आगे बढ़े, उन्हें तनिक भी अंदाज़ा ना था अपस्यु के रिफ्लेक्स और रिएक्शन का। दोनो वीरदोयी तो अपनी पूरी क्षमता से दाएं और बाएं से, हवा में उछलकर हमला कर गए, लेकिन अपस्यु अपने पाऊं जमीन में फैलाकर, ठीक होते हमले के बीच बैठा और हवा में हुए इस हमले से वीरदोयी ने एक दूसरे को ही गंभीर रूप से घायल कर चुका था।


एक का कांधा गया था, तो दूसरे की पसली गई थी। वीरदोयी नीचे जब घायल अवस्था में गिर रहा था, तब नीचे मौत इंतजार कर रही थी। जमीन में परी थी उन्हीं के एक साथी की कुल्हाड़ी और हाथ में थी एक छोटी सी चाकू प्यारी। आज मौत से ना बच पाए अपस्यु ने वो तांडव दिखाया, गिरते एक वीरदोयी के गले में चाकू उतारा तो दूसरे वीरदोयी के सर पर ही एक जोरदार कुल्हाड़ी का वार कर दिया।


एक वीरदोयी प्रतिद्वंदी जिसे हराने कि बात थी, वो अब भी नीचे परा था और उसके जीवित होने से खेल अब भी जिंदा था। दोस्तों की हूटिंग चल रही थी लगातार और लोकेश के सर पर एसी में भी पसीना आए बार-बार। कहां लोकेश आज तक वो दूसरों को उकसाकर सारा माल अंदर बटोर लिया करता था, लेकिन आज खुद ही द्वेष और गुस्सा का शिकार हो चुका था।


बेखौफ मुसकुराते हुए अब जब अपस्यु आगे बढ़ा, दुश्मनों के कलेजे में कंपन हो गए। ताकत के नशे में जो इंसान और इंसानों की इंसानियत को रौंदा करते थे आज कांपते बस उनके मुख से इतना ही निकल रहा था,.. "क्या इसमें थोड़ी भी दया, करुणा और इंसानियत नहीं बची, जो इतनी बेरहमी में सबको मारता जा रहा।"


और फिर अंत में अपस्यु के कदम जैसे ही उस खिलाड़ी के पास ठहरे, जिसे मारकर बाजी खत्म करनी थी, तभी एक जोर की चींख लोकेश की निकली… "इस लड़के को खत्म कर डालो।"… शायद मायलो ग्रुप का लालच अब भी दिल से ना जा पाया, इसलिए तो लोकेश ये ना कह पाया कि मार डालो इन सब को।


हाय री किस्मत, नायकों के समूह के बीच बैठकर ये क्या गलती कर डाला, खुद ही लोकेश ने लड़ाई का आमंत्रण दे डाला। एक साथ सभी वीरदोयी ने तेज दौर लगाया था, पर मूर्खों को कहां पता था उन्हें तो अपस्यु ने आजमाया था। खेल अब आमने-सामने की थी और सबको एक साथ टूटते देख अब पूरे नायकों के समूह ने दौड़ लगाया था।


जो नहीं जा पाए थे उनमें बची थी, अश्क, निम्मी और कुंजल। लोकेश मामला हाथ से निकलता देख चुपचाप वो कुबेर के खजाने वाला लैपटॉप को हथियाया, लेकिन मेकअप के पीछे कौन उसके पास आकर बैठ चुकी थी वो भांप ना पाया। नतीजा लैपटॉप के ओर जैसे ही अपना हाथ था बढ़ाया, एक प्यारा सा खंजर उसने भेंट स्वरूप पाया।


लोकेश की हथेली के आर-पार जाता वो खंजर, निम्मी ने टेबल में ऐसा घुसाया की दर्द में लोकेश कररह गया था। विक्रम राठौड़ अपने बेटे पर ये हमला सह नहीं पाया और तिलमिला कर वो निम्मी की तरफ आया लेकिन ठीक उसी वक़्त अश्क ने अपना पाऊं उसके पाऊं में फसाकर उसे जमीन की याद दिलाई…. "क्यों बूढ़उ जी, अभी तो बेटा जिंदा है ना, ज्यादा उछलकूद किया तो वो यहीं दम तोड़ जाएगा। चलो जो पहले शर्त लगाया है वो सजा पाओ और चुपचाप जाकर अपनी जगह पर बैठ जाओ। वरना आप की ये बुढ़ी हड्डी टूटना झेल ना पाएगी और आप की जिंदगी अपंग की तरह बिस्तर पर गुजर जाएगी।"


विक्रम राठौड़ जबतक कुछ सोच ने डूबा रहा, निम्मी अपने मेकअप को हटाकर ठीक लोकेश के सामने आयी। उसे देख लोकेश को पूरा मामला ही समझ में आया। जिसे मरा समझ वो फेक आया था, उसके बदले की आग ने उसे जिलाया था और किसी भूत की तरह वो लोकेश के सामने आयी थी।


इससे पहले कि लोकेश कुछ कह पता, निम्मी का दूसरा खंजर भी इंसाफ मांगती दूसरे हथेली के आर पार थी और वो भी जाकर टेबल में घुसी थी। सिसक सा गया था लोकेश, दर्द जो बर्दाश्त के बाहर सा होता जा रहा था। विक्रम अपने बेटे का हाल देखकर घबराया और जमीन पर रेंगते हुए वो निम्मी के पाऊं में आया।


निम्मी की तेज हंसी जब गूंजी थी, विक्रम का दिल घबराया सा था, और बेटे की जान के बदले निम्मी ने हार की शर्त याद दिलाया था। जान बचाने के लिए विक्रम राठौड़ बिलबिलाए, सीधा जाकर कुंजल के पाऊं में आया। उसके सैंडल को कुत्ते की तरह चाटा फिर पुरा साफकर, अपने हाथ जोड़े वो दुर्गा और काली के समान रौद्र रूप दिखा रही देवियों से भीख मांगता खड़ा हो गया।


निम्मी मुस्कुराई और दर्द से लोकेश को छुटकारा देती उसके दोनो हाथ में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाई। दर्द तो चला गया लेकिन ऐसा लगा जैसे शरीर से वो अंग भी जा चुका था। कुंजल अट्टहास भरती कहने लगी…. "अभी हिसाब बाकी है, अभी और इंतकाम बाकी है। जिसकी हिम्मत पर तुम उछालते हो अभी तो उसका अंजाम देखना बाकी है।"..


कुंजल ने सामने की ओर ध्यान था दिलाया जहां अब नायकों के समूह ने कहर था बरसाया। साहिल अपने रौद्र रूप में जब आया, सारे मेकअप उतारने के बाद सारे वीरदोयी को उसमे काल नजर आ चुका था। सबके जहन में सिर्फ इतना आया था कि एक ये अपस्यु कम था जो ये भी यहां आया।


लेकिन कुछ ही देर में एक और भ्रम टूटता नजर आया, जब आरव और ऐमी ने अपना तांडव दिखाया। आज हाथो में वो 4 फिट के 2 रॉड नहीं थे, बल्कि 1 फिट की दो छोटी सी कुल्हाड़ी थी। ऐमी और आरव की नजरे एक दूसरे से मिली तो दोनो मुस्कुरा रहे थे। आपस में 4 फिट की दूरी बनाए एक लाइन से आरव, तो दूसरे लाइन से ऐमी ने काटने का वो नजारा दिखाया की 20 गुना ज्यादा क्षमता वाले ये एक्सपेरिमेंटल जल्लाद खुद को धराशाही पाए।


बीच में फसा अपस्यु भी आज दोनो हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े हवा की धुन पर मस्त था। लहर की भांति अपस्यु हवा के धुन पर लहराते जब दोनो हाथो से कुल्हाड़ी को भी लहराते हुए चलाता, तो बस चींख और मौत का तांडव ही गूंज कर रह जाता। ऐसा लग रहा था शिव अपनी धुन में मस्त होकर तांडव करते जा रहे है, रक्त चरण अभिषेक कर रहे थे और लाशों पर पाऊं रखकर जब उसने काटना शुरू किया तो वीरदोयी के कलेजे मूह को आने लगे।


वीरदोयी की गोल झुंड को दाएं और बाएं की लाइन से काटते हुए, ऐमी और आरव जगह बना रहे थे और अपस्यु उनके मध्य खड़ा होकर तांडव कर ही रहा था। बिजली की तरह दृश्य भी बरस रहा था और बिना कोई रहम दिखाए अपने पंजे से वीरदोयी का सिना चीरकर, सीने को फर्श पर बिछाता रहा और बिना सीने के तड़पते सरीर को वहीं फर्स पर फेंकता चला जाता।


बदले की आग स्वास्तिका और पार्थ के सीने में भी जल ही रही थी और भिड़ से भागते वीरदोयी का हिसाब उनके खाते में आ जाता। हालांकि दोनो मार कला में उतने निपुण नहीं थे, लेकिन भागते वीरदोयी पर पहले से आरव और ऐमी की बिजली गिर चुकी होती, और आखरी अंजाम के लिए दोनो को बहुत ज्यादा मेहनत ना करते हुए सीधा प्वाइंट ब्लैक रेंज चुन रखे थे। एक निशाना और खेल खल्लास।


20 मिनट में ही सभी आत्माविहीन जल्लादों का भाग्य लिखा जा चुका था। अच्छे लोग जब कूरुर होते है तो किस हद तक कूरूर हो सकते है ये हर व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोगो को समझ में जैसे ही आया, अपने प्राण बचाने वो दरवाजे की ओर भागा था, लेकिन अपस्यु कि नीति काम आयी और दरवाजे पर काया और नील के साथ उनके सभी लोग खड़े रास्ते को ऐसा रोका था कि वापस वहां बैठने के अलावा कोई जरिया नजर नहीं आया।


पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..


लंबे चले सेशन के बाद दोनो सोने चल दिए। अपस्यु सोने से पहले कुछ जरूरी काम निपटाने बैठ गया, जिसके लिए ऐमी को भी जगाना पर गया। सबसे पहले तो कॉल गया होम मिनिस्टर के पास। पूरी कहानी समझाने के बाद अपस्यु ने पूछ लिया कि 10000 करोड़ का क्या किया जाए?
Ish dard ki lahri me tandav khub machaya ri me bhi bawri ho gai sayan sang taan laga bathi jo aaya ran me jujh padi rakt ki nadiya me dubki se aanand dou aaya ho sang devran bhi dhuni laga bhitho aisho rash rachaya ho.
Bemishaal veer rash ki kaanti chahu aur bikherti ek anmol shabdmekhla aai hai Jalte Nain se agni barsati hui ek aur updat Nain bhai ki tulika se. Adhbhut Parsanshniye Durlabh Dhero paritoshik sang.
 

aman rathore

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एक एक्सपेरिमेंटल बच्चा, 200 गुना ज्यादा क्षमता वाला दृश्य, आम मनुष्य की क्षमता वाले अपने भाई पर भरोसा जताए, एक छुब्द मानसिकता वाले धरती के बोझ लोकेश पर पुरा नजर डाले था। अपस्यु के अजीज साथी केवल इस इंतजार में थे कि बस ये पैसे लोकेश से दूर हो जाए, फिर एक तबाही का मंजर शुरू होगा जिसका आमंत्रण खुद लोकेश देगा और उस आने वाले वक़्त की पूरी तैयारी में पहले से कमर कस चुके थे स्वास्तिका, पार्थ और आरव।


ऐमी की ललकार उन 160 साथियों की ललकार थी, जिन्हें खोने के दर्द ने इन्हे कुछ भी कर गुजरने के काबिल बना दिया था। इन्हे ना तो उस एक वीरदोयी का डर था, जो अकेले अपनी क्षमता के दम पर पूरे डेविल ग्रुप को समाप्त कर सकता था और ना ही उनके पूरे भिड़ का कोई खौफ। सबके बीच खड़ी होकर ऐमी ने बेकौफ होकर युद्ध का बिगुल बजाया और मुस्कुराते हुए अपने सभी साथियों को देख रही थी।


बीच का एक बहुत बड़ा जगह लड़ाई के लिए खाली करवाई गई। अपने हुनर और ताकत के घमंड की ललकार वीरदोयी ने भी लगाया। अट्टहास सी हंसी के बीच बड़े ताव से कहा गया, चुन ले वो अपने हथियार और कर ले कोई भी वार, लेकिन जान देने को रहे तैयार।


अपस्यु ने जाम को अपने दोस्तों के सामने लहराया, उनके सामने सर झुकाया, मानो कह रहा हो बिल्कुल अंतिम पड़ाव अब आ गया है, पहले मै रण में जाता हूं फिर तुम सब मेरे पीछे आओ। अपने भाई के गले लगा और कानो में बड़े धीमे से कहा, ऐमी और आरव को छोड़कर यहां की बची जिंदगियां की हिफाज़त उसके जिम्मे। और सबसे आखरी में वो निम्मी से हाथ मिलता चला।


अपस्यु बिल्कुल मध्य में खड़ा हुआ, मुसकुराते हुए सबको एक बार देखा और हाथों के इशारे से उसने वीरदोयी को भेजने कहा। दुश्मन को बुलाकर अपस्यु खुद अपनी आखें मूंदे बस मेहसूस कर रहा था। लोगों के दिए हौसले के बीच वो वीरदोयी लड़ाका उतरा मैदान में, अपने हाथ में स्टील की छोटी सी मजबूत कुल्हाड़ी लिए। चलाने में आसान और आस्तीन में नीचे बड़े आराम से जिन्हे छिपाया जा सकता था।


चाइनीज और कोरियन गैंग द्वारा इस्तमाल किया जाने वाला ये एक फिट की छोटी सी कुल्हाड़ी, इस्तमाल करने का कॉन्सेप्ट शायद वहीं से प्रेरित था। हवा की तेजी से दौड़ते वो वीरदोयी लड़ाका अपस्यु के सर पर निशाना लगाया, और अपस्यु बस खुद में खोया सा, मुस्कुराते हुए हवा की गति में परिवर्तन के हिसाब से अपने अपने बदन और सर को ऐसे लहरा रहा था मानो बस खोकर वो हवा को पढ़ते हुए उसके अनुसार अपनी प्रतिक्रिया दे रहा हो।


अपस्यु मदहोश होकर जैसे ही हवा में सर को लहराया, वो वीरदोयी अपना निशाना चुककर, अपनी गति से उसके आगे बढ़ चला। निम्मी सें उधार मांगी गई वो छोटी सी चाकू जो अपस्यु के मुट्ठी में बंद थी, वीरदोयी के पीछे गले में घुसकर निकल गई और लड़खड़ाते हुए वो आगे फर्श पर बिछ कर, अपनी श्वांस तेज-तेज ले रहा था।


प्राण किसी कि मुक्ति मांग रही थी। मौजूद लोगों की आखों में अब तक ऐमी के कुरुरता के मंजर छापे थे, और अब अपस्यु एक बार और उनके रौंगटे खड़े करने बढ़ रहा था। फर्श पर बिछे उस वीरदोयी को मौत के आखरी दर्शन करवाने अपस्यु ने कदम जैसे ही बढ़ाया, एक बार और हवा की गति में उसने परिवर्तन को पाया।


ताकत की मद में जिसे मारने का सोचकर एक ही वक़्त में 2 वीरदोयी दाएं और बाएं से आगे बढ़े, उन्हें तनिक भी अंदाज़ा ना था अपस्यु के रिफ्लेक्स और रिएक्शन का। दोनो वीरदोयी तो अपनी पूरी क्षमता से दाएं और बाएं से, हवा में उछलकर हमला कर गए, लेकिन अपस्यु अपने पाऊं जमीन में फैलाकर, ठीक होते हमले के बीच बैठा और हवा में हुए इस हमले से वीरदोयी ने एक दूसरे को ही गंभीर रूप से घायल कर चुका था।


एक का कांधा गया था, तो दूसरे की पसली गई थी। वीरदोयी नीचे जब घायल अवस्था में गिर रहा था, तब नीचे मौत इंतजार कर रही थी। जमीन में परी थी उन्हीं के एक साथी की कुल्हाड़ी और हाथ में थी एक छोटी सी चाकू प्यारी। आज मौत से ना बच पाए अपस्यु ने वो तांडव दिखाया, गिरते एक वीरदोयी के गले में चाकू उतारा तो दूसरे वीरदोयी के सर पर ही एक जोरदार कुल्हाड़ी का वार कर दिया।


एक वीरदोयी प्रतिद्वंदी जिसे हराने कि बात थी, वो अब भी नीचे परा था और उसके जीवित होने से खेल अब भी जिंदा था। दोस्तों की हूटिंग चल रही थी लगातार और लोकेश के सर पर एसी में भी पसीना आए बार-बार। कहां लोकेश आज तक वो दूसरों को उकसाकर सारा माल अंदर बटोर लिया करता था, लेकिन आज खुद ही द्वेष और गुस्सा का शिकार हो चुका था।


बेखौफ मुसकुराते हुए अब जब अपस्यु आगे बढ़ा, दुश्मनों के कलेजे में कंपन हो गए। ताकत के नशे में जो इंसान और इंसानों की इंसानियत को रौंदा करते थे आज कांपते बस उनके मुख से इतना ही निकल रहा था,.. "क्या इसमें थोड़ी भी दया, करुणा और इंसानियत नहीं बची, जो इतनी बेरहमी में सबको मारता जा रहा।"


और फिर अंत में अपस्यु के कदम जैसे ही उस खिलाड़ी के पास ठहरे, जिसे मारकर बाजी खत्म करनी थी, तभी एक जोर की चींख लोकेश की निकली… "इस लड़के को खत्म कर डालो।"… शायद मायलो ग्रुप का लालच अब भी दिल से ना जा पाया, इसलिए तो लोकेश ये ना कह पाया कि मार डालो इन सब को।


हाय री किस्मत, नायकों के समूह के बीच बैठकर ये क्या गलती कर डाला, खुद ही लोकेश ने लड़ाई का आमंत्रण दे डाला। एक साथ सभी वीरदोयी ने तेज दौर लगाया था, पर मूर्खों को कहां पता था उन्हें तो अपस्यु ने आजमाया था। खेल अब आमने-सामने की थी और सबको एक साथ टूटते देख अब पूरे नायकों के समूह ने दौड़ लगाया था।


जो नहीं जा पाए थे उनमें बची थी, अश्क, निम्मी और कुंजल। लोकेश मामला हाथ से निकलता देख चुपचाप वो कुबेर के खजाने वाला लैपटॉप को हथियाया, लेकिन मेकअप के पीछे कौन उसके पास आकर बैठ चुकी थी वो भांप ना पाया। नतीजा लैपटॉप के ओर जैसे ही अपना हाथ था बढ़ाया, एक प्यारा सा खंजर उसने भेंट स्वरूप पाया।


लोकेश की हथेली के आर-पार जाता वो खंजर, निम्मी ने टेबल में ऐसा घुसाया की दर्द में लोकेश कररह गया था। विक्रम राठौड़ अपने बेटे पर ये हमला सह नहीं पाया और तिलमिला कर वो निम्मी की तरफ आया लेकिन ठीक उसी वक़्त अश्क ने अपना पाऊं उसके पाऊं में फसाकर उसे जमीन की याद दिलाई…. "क्यों बूढ़उ जी, अभी तो बेटा जिंदा है ना, ज्यादा उछलकूद किया तो वो यहीं दम तोड़ जाएगा। चलो जो पहले शर्त लगाया है वो सजा पाओ और चुपचाप जाकर अपनी जगह पर बैठ जाओ। वरना आप की ये बुढ़ी हड्डी टूटना झेल ना पाएगी और आप की जिंदगी अपंग की तरह बिस्तर पर गुजर जाएगी।"


विक्रम राठौड़ जबतक कुछ सोच ने डूबा रहा, निम्मी अपने मेकअप को हटाकर ठीक लोकेश के सामने आयी। उसे देख लोकेश को पूरा मामला ही समझ में आया। जिसे मरा समझ वो फेक आया था, उसके बदले की आग ने उसे जिलाया था और किसी भूत की तरह वो लोकेश के सामने आयी थी।


इससे पहले कि लोकेश कुछ कह पता, निम्मी का दूसरा खंजर भी इंसाफ मांगती दूसरे हथेली के आर पार थी और वो भी जाकर टेबल में घुसी थी। सिसक सा गया था लोकेश, दर्द जो बर्दाश्त के बाहर सा होता जा रहा था। विक्रम अपने बेटे का हाल देखकर घबराया और जमीन पर रेंगते हुए वो निम्मी के पाऊं में आया।


निम्मी की तेज हंसी जब गूंजी थी, विक्रम का दिल घबराया सा था, और बेटे की जान के बदले निम्मी ने हार की शर्त याद दिलाया था। जान बचाने के लिए विक्रम राठौड़ बिलबिलाए, सीधा जाकर कुंजल के पाऊं में आया। उसके सैंडल को कुत्ते की तरह चाटा फिर पुरा साफकर, अपने हाथ जोड़े वो दुर्गा और काली के समान रौद्र रूप दिखा रही देवियों से भीख मांगता खड़ा हो गया।


निम्मी मुस्कुराई और दर्द से लोकेश को छुटकारा देती उसके दोनो हाथ में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाई। दर्द तो चला गया लेकिन ऐसा लगा जैसे शरीर से वो अंग भी जा चुका था। कुंजल अट्टहास भरती कहने लगी…. "अभी हिसाब बाकी है, अभी और इंतकाम बाकी है। जिसकी हिम्मत पर तुम उछालते हो अभी तो उसका अंजाम देखना बाकी है।"..


कुंजल ने सामने की ओर ध्यान था दिलाया जहां अब नायकों के समूह ने कहर था बरसाया। साहिल अपने रौद्र रूप में जब आया, सारे मेकअप उतारने के बाद सारे वीरदोयी को उसमे काल नजर आ चुका था। सबके जहन में सिर्फ इतना आया था कि एक ये अपस्यु कम था जो ये भी यहां आया।


लेकिन कुछ ही देर में एक और भ्रम टूटता नजर आया, जब आरव और ऐमी ने अपना तांडव दिखाया। आज हाथो में वो 4 फिट के 2 रॉड नहीं थे, बल्कि 1 फिट की दो छोटी सी कुल्हाड़ी थी। ऐमी और आरव की नजरे एक दूसरे से मिली तो दोनो मुस्कुरा रहे थे। आपस में 4 फिट की दूरी बनाए एक लाइन से आरव, तो दूसरे लाइन से ऐमी ने काटने का वो नजारा दिखाया की 20 गुना ज्यादा क्षमता वाले ये एक्सपेरिमेंटल जल्लाद खुद को धराशाही पाए।


बीच में फसा अपस्यु भी आज दोनो हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े हवा की धुन पर मस्त था। लहर की भांति अपस्यु हवा के धुन पर लहराते जब दोनो हाथो से कुल्हाड़ी को भी लहराते हुए चलाता, तो बस चींख और मौत का तांडव ही गूंज कर रह जाता। ऐसा लग रहा था शिव अपनी धुन में मस्त होकर तांडव करते जा रहे है, रक्त चरण अभिषेक कर रहे थे और लाशों पर पाऊं रखकर जब उसने काटना शुरू किया तो वीरदोयी के कलेजे मूह को आने लगे।


वीरदोयी की गोल झुंड को दाएं और बाएं की लाइन से काटते हुए, ऐमी और आरव जगह बना रहे थे और अपस्यु उनके मध्य खड़ा होकर तांडव कर ही रहा था। बिजली की तरह दृश्य भी बरस रहा था और बिना कोई रहम दिखाए अपने पंजे से वीरदोयी का सिना चीरकर, सीने को फर्श पर बिछाता रहा और बिना सीने के तड़पते सरीर को वहीं फर्स पर फेंकता चला जाता।


बदले की आग स्वास्तिका और पार्थ के सीने में भी जल ही रही थी और भिड़ से भागते वीरदोयी का हिसाब उनके खाते में आ जाता। हालांकि दोनो मार कला में उतने निपुण नहीं थे, लेकिन भागते वीरदोयी पर पहले से आरव और ऐमी की बिजली गिर चुकी होती, और आखरी अंजाम के लिए दोनो को बहुत ज्यादा मेहनत ना करते हुए सीधा प्वाइंट ब्लैक रेंज चुन रखे थे। एक निशाना और खेल खल्लास।


20 मिनट में ही सभी आत्माविहीन जल्लादों का भाग्य लिखा जा चुका था। अच्छे लोग जब कूरुर होते है तो किस हद तक कूरूर हो सकते है ये हर व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोगो को समझ में जैसे ही आया, अपने प्राण बचाने वो दरवाजे की ओर भागा था, लेकिन अपस्यु कि नीति काम आयी और दरवाजे पर काया और नील के साथ उनके सभी लोग खड़े रास्ते को ऐसा रोका था कि वापस वहां बैठने के अलावा कोई जरिया नजर नहीं आया।


पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..


लंबे चले सेशन के बाद दोनो सोने चल दिए। अपस्यु सोने से पहले कुछ जरूरी काम निपटाने बैठ गया, जिसके लिए ऐमी को भी जगाना पर गया। सबसे पहले तो कॉल गया होम मिनिस्टर के पास। पूरी कहानी समझाने के बाद अपस्यु ने पूछ लिया कि 10000 करोड़ का क्या किया जाए?
Wow bhai kya adbhut fighting scene tha :o ,
aaj to apasyu and team ne to laashon ka dher hi laga diya hai
 

Nevil singh

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पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..


अपस्यु की आवाज़ बता रही थी कि अब इंसाफ होगा, रक्त का खेल खत्म हुआ। अपस्यु की आवाज़ पर एक-एक करके जैसे सबकी हिम्मत टूटी हो, सब के सब बेसुध होकर अपनी जगह बैठकर, कुछ देर तक रोते रहे। अपस्यु के आखों में भी आशु थे, ऐसा लगा जैसे अब शरीर में उसके भी जान नही, लेकिन खुद को संभाले वो अब बस अपने बचे दुश्मनों को देख रहा था।


इसी बीच अारूब की अगुवाई वाली इटेलिजेंस टीम भी वहां पहुंच गई। उफ्फ क्या मंजर था, पूरी जगह से खून की बू आ रही थी और कटे हुए लाश के पास कुछ रोते लोग और खून में पूरे डूबे सिना ताने खड़ा 2 आदमी दृश्य और अपस्यु।


इंटेलिजेंस टीम का एक एजेंट:- माय गॉड, दरिंदगी और हैवानियत है ये.. किसने किया ये पुरा कांड..


अपस्यु एक कदम आगे आकर… "अपनी एजेंसी में बता दीजिएगा, जेके और पल्लवी खत्री के शागिर्दों ने ये पुरा कांड किया है।"


इंटेलिजेंस ऑफिसर:- आज क्या हमे पुरा कचरा साफ करने के लिए रखा गया है?


अारूब:- हम ऑर्डर फॉलो करेंगे ऑफिसर। जो आज के दिन खत्म हुए है वो कोई साधु या महात्मा नहीं है।


अपस्यु:- काया, इन लोगों को जारा दिखा दो, किन कमीनो को अरेस्ट करना है।


काया ने जैसे ही अपने द्वारा अलग किए लोगों को दिखाई, वैसे ही प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश चिल्लाने लगा… "हमे भी अरेस्ट कर लो प्लीज, हमे भी अरेस्ट कर लो।"..


जैसे ही लोकेश ने अपनी जुबान खोली, निम्मी एक बड़ी मोटी सी पीन उसके जुबान के इस पार से उस पार निकालती, उसकी जुबान बंद कर दी। सारे ऑफिसर्स देखकर ही दंग रह गए… "सर आप अपना काम करो ना, ये कुछ ज्यादा ही बोल गुहार लगा रहा था, इसलिए जुबान बंद कर दी।


अारूब:- ऑफिसर्स टेक चार्ज और इन लोगों को इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर लेकर चलो। भाई अगर प्रूफ मिल जाता तो आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती।


दृश्य:- अपस्यु इनके अरेस्ट होने की वजह दो।


अपस्यु:- कुंजल बेटा वो इनके सर्वर की बैकअप फाइल की हार्ड डिस्क दे दो।


अारूब वो हार्ड डिस्क लेने के बाद…. "थैंक्स ए लौट, हमारा काम खत्म हो गया है। हम कल तक का इंतजार करेंगे, बचे हुए मुख्य आरोपी की कहानी हम तक पहुंच जानी चाहिए।"..


अपस्यु:- मेघा, मनीष मिश्रा के साथ तुम यहां से निकलो। और हां अपने पिता को आखरी बार देखते जाना, बाकी बात मै बाद में करूंगा।


मेघा:- अपस्यु वो मेरे डैड है।


अपस्यु:- मेघा तुम्हे एक मौका मिल रहा है, और ये मौका मै तुम्हे केवल और केवल ध्रुव के वजह से दे रहा हूं, इसलिए तुम डिसाइड कर लो, तुम्हे यहां रुकना है या सुकून से आगे की जिंदगी, ईमानदारी से बितानी है।


मेघा:- सॉरी डैड, शायद स्वार्थी होना मैंने आपसे ही सीखा है। अपना ख्याल रखना।


तकरीबन 40 व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को लेकर वहां से इंटलीजेंस टीम निकल गई। साथ में 2 ड्रॉप थे मेघा और मनीष मिश्रा। उन सबके जाते ही 300 लोग उस पार्टी हॉल में पहुंच चुके थे। तकरीबन 100 वीरदोयी लड़कियां जो मन मारकर मजबूरी में उन करुर वीरदोयी के साथ फसी हुई थी, जिनको जीने का हौसला नील देती आ रही थी। इसके अलावा 20 के करीब वीरदोयी पुरुष भी बचे हुए थे जो अपने औरतों कि मजबूरी देखकर यहां रुकने और उनका कहा मानने पर विवश थे। 180 के करीब यहां के इनोसेंट स्टाफ और मज़े के लिए लाई गई लड़कियां थी जो यहां के लोगों के लिए काम करने के साथ उनका मनोरंजन भी किया करती थी।


नील:- कंट्रोल रूम में सजा में हकदार लोग चिपके है, मै चाहती हूं उस खोल दो ताकि उनका भी हिसाब इसी हॉल में हम कर दे। बहुत सोषण किया है हमारा इन हरामजादों ने।


ऐमी:- जैसा तुम चाहो।


ऐमी अपनी बात कहती कमांड ऑफ कर दी और सभी डस्ट पार्टिकल को वापस आने का कमांड दे दी।


दृश्य:- निम्मी जो शुरू किया है उसे अंजाम तक पहुंचा दो।


निम्मी:- नहीं मै नरक की आग ने जी हूं, इसने मेरे जिस्म को उन भूखे कुत्तों के सामने नहीं फेका था, बल्कि मेरे रूह को भी फेका था। मै चाहती हूं, ये जिंदा क्यों है इस बात के लिए तरसे। हर पल खुद को मारने के नए नए तरीके ढूंढे लेकिन इसे मौत ना मिले। नाह ! इसे मारना नहीं है, जिस नरक की आग से मै गुजरी हूं, उस नरक की आग ने जलाना है।


अपस्यु:- स्वास्तिका, इस धरती के बोझ को तैयार करो और मेडिकल सपोर्ट दो। लगता है दोनो बाप बेटे साथ ही रहेंगे। विक्रम राठौड़ तुम्हारे लिए तो ये अच्छी खबर है।


इतने में काया और नील के इशारे पर सभी टेक्निकल टीम के लोगों को उस हॉल में ले आया गया। उन लोगों ने जब वहां की हालत देखी और जिनके सह पर यहां के लड़कियों और औरतों को, बड़े ही निचपुर्ण ढंग से नोचते थे, उसकी लाशों के ढेर देखकर तो कितनों कि मूत निकल आयी। पहला हमला काया ने ही किया था। किसी पागल की तरह वो लगातार रोती हुई, उस अजय को जब चाकू से चीरना शुरू की, तब कई निर्दोष जो इनके सताए थे, सब की आग ऐसी भड़की की केवल लतों और घुसो से उनका काम तमाम कर दिया। ..


लगभग सारा माहौल पूर्ण रूप से शांत पर चुका था। वहां केवल 3 लोग जिंदा बचे थे, और तीनों को बांधकर बार काउंटर के पीछे डाल दिया गया था। अपस्यु काया को इशारे करते हुए कहने लगा, ये जगह तुमलोग साफ करके सभी लोग महल में मिलो।


रात के 11 बजे महल में सभा लग चुकी थी। काया और नील दोनो बराबर बैठी थी। अश्क, नील और काया की हालत देखकर शायद खुद में शर्मिंदा थी। बस यही ख्याल आता, इनके लड़कपन के दिनों में पहले उस डॉक्टर भार्गव ने इन्हे छला, और बाद में इनके अपने ही लोगों ने यहां लाकर इन्हे नोचा। उन्हें देखकर अश्क अपने कान पकड़ती हुई सॉरी कहने लगी… नील और काया दोनो ने उसके कान से हाथ हटाकर कहने लगी… "दिल में प्यार हो तो रिश्ते बने रहते है। अब फिर से मै बीते वक़्त की चर्चा नहीं कर सकती, शायद अब हम कभी ना मिले, कल तक हम ये जगह छोड़कर जा चुके होंगे। एक ही अच्छी याद लेकर जाऊंगी, मेरा बच्चा कोई दरिंदा नहीं बनेगा और तुमने हमारे लिए आशु बहाए।"..



आरव:- अरे आप सब जाने की बात क्यों कर रही हो। मै इस जगह को कमर्शियली डेवलप करने वाला हूं, नए लोगों को कहां से खोज कर लाऊंगा। इस जगह को डेवलप करने के लिए मै 2500 करोड़ देता हूं। आप दोनो यहीं रुको, और सबको पहले कि तरह लीड करो। इस जगह को अच्छे से डेवलप करो.. 4 रुपया आप प्रोफिट बनाओ, उसमे से बस 20 पैसा मुझे दे देना बाकी 3.80 रुपया आपस में बांट लो। अगर ये जगह डेवलप करने में 2500 करोड़ कम लग रहे हैं तो बता दो, मैं और फंडिंग कर दूंगा, बस ये जगह ना छोड़कर जाओ।


आरव की बात सुनकर, दृश्य हैरानी से देखते… "अबे ये क्या है, मतलब ये बहुत बड़ा बिजनेस खोपड़ी है क्या?"..


ऐमी:- येस ! पूरा मायलो ग्रुप की कमान ये सिंगल हैंड संभालने वाला है। इसकी बिजनेस करने का तरीका और आईडिया कमाल के है। ये किसी को भी फेयर टक्कर दे सकता है, बाकी गलत तरीके से कोई हमे टक्कर दे सकता है क्या।


अश्क:- नील, काया, काम भी मिल रहा है और जिम्मेदारी भी। प्लीज यहां से मत जाओ… तुम यहां रुकी रहोगी तो जूनियर और वैभव भी तुम्हरे पास आ जाएंगे। और उन दोनों से मिलने हम भी आते रहेंगे। सॉरी लव, सॉरी अपस्यु, मैंने बिना पूछे अपनी जुबान दे दी।


अश्क की बात सुनकर अपस्यु केवल ऐमी को ही देख रहा था, और ऐमी काया को… ऐसा लग रहा था जैसे अपस्यु और ऐमी का दिल जोड़ों से धड़क रहा हो और वो कुछ भी फैसला नहीं कर पा रहे।..


नील:- हम यहीं रुक रहे है। मेरा बच्चा अपनी दादा दादी के पास पल रहा है, उन्हें वहीं रहने दो। मै ही जाकर मिल लिया करूंगी। ऐमी, अपस्यु तुम्हारे बच्चे तुमसे कोई नहीं लेगा, क्योंकि सबको पता है उनके मां बाप कमजोर नहीं।


काया:- मै भी अपने बच्चे से मिल लीया करूंगी, उसे वहीं रहने दो, और दोनो ऐसे मायूस ना हो। हां लेकिन ये अश्क जुबान बहुत देती है। अश्क जी बस एक ख्वाहिश पूरी करने की जुबान दे दो। एक बार ये दृश्य बिना मेरा नाम जाने और मेरा चेहरा ठीक से देखे, मेरे साथ जो किया था, वो दोबारा अब करने बोलो, मुझे जानने के बाद, फिर मै यहां रुकती हूं।


अश्क:- हीहीहीही.. कपड़े उतारने के बाद किस बेवकूफ को नाम जानने या चेहरा देखने में इंट्रेस्ट रहता है झल्ली। जा ले जा, ना मै रोकूंगी और ना ही दृश्य को ताने दूंगी। बस इस बार ये मत कह देना, वीरदोयी अपना जबजों का वंश बढ़ने के लिए दृश्य और तुम्हरे मिलन से एक बच्चा चाहता है।…


अश्क की बात सुनकर सब लोग हंसने लगे.. इसी बीच स्वास्तिका हाथ के इशारे से दिखाने लगी, जहां पार्थ अकेले में बैठा ड्रिंक ले रहा था और उसके करीब निम्मी जा रही थी।…. स्वास्तिका इशारा करती हुई ऐमी से कहने लगी… "भाभी, प्लीज मुझे इन दोनों की बातें सुननी है।"..


ऐमी मुस्कुराती हुई सबको देखी, पार्थ के लिए हर कोई मुस्कुरा रहा था।.. ऐमी ने उस एरिया का ऑडियो कनेक्ट करके, सबके मोबाइल पर ऑडियो-वीडियो लाइव प्ले लिंक भेज दिया। हर कोई इयरपीस लगाकर, मोबाइल के जरिए कान और आंख दोनो पर लगाए…


निम्मी, पार्थ के ठीक सामने बैठकर अपनी हाथ आगे बढ़ती हुई… "हाय, मै निम्मी सिंह।"..


पार्थ:- नाइस टू मीट यू निम्मी, वैसे ये अजनबी की तरह मिलना।


निम्मी:- तुम्हरे पूरे टीम से मिली हूं, हर कोई कमाल का है और हर किसी में अद्भुत गुण, बस मै तुम्हे जज करने मै असफल हूं की तुममें कौन से गुण हैं।


पार्थ:- कमाल है जी, मैंने एक सवाल पूछा और उसका जवाब देने के बदले उल्टा एक अलग ही सवाल पूछ लिया।

निम्मी:- शायद मै गलत तरीके से मिली और मुझे तुम्हारे सवालों ने ये फील करवाया इसलिए जवाब ना देकर बात आगे बढ़ा दी।


पार्थ:- हाहाहाहा, चलो ये भी अच्छा है। और हां मुझमें कोई गुण नहीं। पहले तो ये भ्रम था कि मैं लड़कियों को पटाकर अपना काम निकाल सकता हूं, तुमसे मिला तो औक़द पता चली कि जिन लड़कियों को मैंने पटाया, वो दरसअल मुझ से खुद पटना चाहती थी।


निम्मी:- मतलब तुम इन लोगों के साथ केवल दोस्ती की वजह से हो, बाकी तुममें कुछ खास नहीं।


पार्थ:- हां मेरा दिल बहलाने के लिए मेरे दोस्त मुझसे कह देते थे कि मै ये जाल बनता हूं, वो जाल बनता हूं, लेकिन हम दोनों को ही पता था कि सब फेक है। हां लेकिन ऐसा नहीं कि मुझमें कोई खास बात नहीं। मै उनसे अलग होकर कहीं कोई गुमनाम ज़िन्दगी बिताऊं और कोई मुझे मारकर चले जाए। बस उनके कान तक ये खबर पहुंच जाए, फिर स्टेटस उनका जो भी हो, उनकी बैंक स्टोरी कितनी भी स्ट्रॉन्ग क्यों ना हो, मेरे दोस्त आएंगे और सबको साफ कर जाएंगे। सो मुझे खास बनाते हैं मेरे दोस्त और मुझे नहीं लगता कि इससे खास भी कुछ हो सकता है।


निम्मी:- हम्मम ! चलो अब मै चलती हूं। एक बार फिर से थैंक्स।


पार्थ:- ओ हसीना, शायद तुमने ठीक से सुना नहीं, मैंने कहा था जितनी लड़कियों को मैंने पटाया वो दरसअल खुद मुझसे पटना चाहती थी..


निम्मी:- तो..


पार्थ:- जब 2 महीने में इतने फासले तय करके सामने बैठ ही गई हो, तो कुछ अपने बारे में भी बताती चली जाओ..


निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।
Tum to thahre pardeshi sath kya nibhaoge subhah pahli gaadi se tum toh lout jaaoge. Khubsurat shabdo ki update ko chura kar le hi aaye Nain babu Parth aur Nimmi ke sakun bhare palo se.
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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Update:-134



पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..


अपस्यु की आवाज़ बता रही थी कि अब इंसाफ होगा, रक्त का खेल खत्म हुआ। अपस्यु की आवाज़ पर एक-एक करके जैसे सबकी हिम्मत टूटी हो, सब के सब बेसुध होकर अपनी जगह बैठकर, कुछ देर तक रोते रहे। अपस्यु के आखों में भी आशु थे, ऐसा लगा जैसे अब शरीर में उसके भी जान नही, लेकिन खुद को संभाले वो अब बस अपने बचे दुश्मनों को देख रहा था।


इसी बीच अारूब की अगुवाई वाली इटेलिजेंस टीम भी वहां पहुंच गई। उफ्फ क्या मंजर था, पूरी जगह से खून की बू आ रही थी और कटे हुए लाश के पास कुछ रोते लोग और खून में पूरे डूबे सिना ताने खड़ा 2 आदमी दृश्य और अपस्यु।


इंटेलिजेंस टीम का एक एजेंट:- माय गॉड, दरिंदगी और हैवानियत है ये.. किसने किया ये पुरा कांड..


अपस्यु एक कदम आगे आकर… "अपनी एजेंसी में बता दीजिएगा, जेके और पल्लवी खत्री के शागिर्दों ने ये पुरा कांड किया है।"


इंटेलिजेंस ऑफिसर:- आज क्या हमे पुरा कचरा साफ करने के लिए रखा गया है?


अारूब:- हम ऑर्डर फॉलो करेंगे ऑफिसर। जो आज के दिन खत्म हुए है वो कोई साधु या महात्मा नहीं है।


अपस्यु:- काया, इन लोगों को जारा दिखा दो, किन कमीनो को अरेस्ट करना है।


काया ने जैसे ही अपने द्वारा अलग किए लोगों को दिखाई, वैसे ही प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश चिल्लाने लगा… "हमे भी अरेस्ट कर लो प्लीज, हमे भी अरेस्ट कर लो।"..


जैसे ही लोकेश ने अपनी जुबान खोली, निम्मी एक बड़ी मोटी सी पीन उसके जुबान के इस पार से उस पार निकालती, उसकी जुबान बंद कर दी। सारे ऑफिसर्स देखकर ही दंग रह गए… "सर आप अपना काम करो ना, ये कुछ ज्यादा ही बोल गुहार लगा रहा था, इसलिए जुबान बंद कर दी।


अारूब:- ऑफिसर्स टेक चार्ज और इन लोगों को इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर लेकर चलो। भाई अगर प्रूफ मिल जाता तो आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती।


दृश्य:- अपस्यु इनके अरेस्ट होने की वजह दो।


अपस्यु:- कुंजल बेटा वो इनके सर्वर की बैकअप फाइल की हार्ड डिस्क दे दो।


अारूब वो हार्ड डिस्क लेने के बाद…. "थैंक्स ए लौट, हमारा काम खत्म हो गया है। हम कल तक का इंतजार करेंगे, बचे हुए मुख्य आरोपी की कहानी हम तक पहुंच जानी चाहिए।"..


अपस्यु:- मेघा, मनीष मिश्रा के साथ तुम यहां से निकलो। और हां अपने पिता को आखरी बार देखते जाना, बाकी बात मै बाद में करूंगा।


मेघा:- अपस्यु वो मेरे डैड है।


अपस्यु:- मेघा तुम्हे एक मौका मिल रहा है, और ये मौका मै तुम्हे केवल और केवल ध्रुव के वजह से दे रहा हूं, इसलिए तुम डिसाइड कर लो, तुम्हे यहां रुकना है या सुकून से आगे की जिंदगी, ईमानदारी से बितानी है।


मेघा:- सॉरी डैड, शायद स्वार्थी होना मैंने आपसे ही सीखा है। अपना ख्याल रखना।


तकरीबन 40 व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को लेकर वहां से इंटलीजेंस टीम निकल गई। साथ में 2 ड्रॉप थे मेघा और मनीष मिश्रा। उन सबके जाते ही 300 लोग उस पार्टी हॉल में पहुंच चुके थे। तकरीबन 100 वीरदोयी लड़कियां जो मन मारकर मजबूरी में उन करुर वीरदोयी के साथ फसी हुई थी, जिनको जीने का हौसला नील देती आ रही थी। इसके अलावा 20 के करीब वीरदोयी पुरुष भी बचे हुए थे जो अपने औरतों कि मजबूरी देखकर यहां रुकने और उनका कहा मानने पर विवश थे। 180 के करीब यहां के इनोसेंट स्टाफ और मज़े के लिए लाई गई लड़कियां थी जो यहां के लोगों के लिए काम करने के साथ उनका मनोरंजन भी किया करती थी।


नील:- कंट्रोल रूम में सजा में हकदार लोग चिपके है, मै चाहती हूं उस खोल दो ताकि उनका भी हिसाब इसी हॉल में हम कर दे। बहुत सोषण किया है हमारा इन हरामजादों ने।


ऐमी:- जैसा तुम चाहो।


ऐमी अपनी बात कहती कमांड ऑफ कर दी और सभी डस्ट पार्टिकल को वापस आने का कमांड दे दी।


दृश्य:- निम्मी जो शुरू किया है उसे अंजाम तक पहुंचा दो।


निम्मी:- नहीं मै नरक की आग ने जी हूं, इसने मेरे जिस्म को उन भूखे कुत्तों के सामने नहीं फेका था, बल्कि मेरे रूह को भी फेका था। मै चाहती हूं, ये जिंदा क्यों है इस बात के लिए तरसे। हर पल खुद को मारने के नए नए तरीके ढूंढे लेकिन इसे मौत ना मिले। नाह ! इसे मारना नहीं है, जिस नरक की आग से मै गुजरी हूं, उस नरक की आग ने जलाना है।


अपस्यु:- स्वास्तिका, इस धरती के बोझ को तैयार करो और मेडिकल सपोर्ट दो। लगता है दोनो बाप बेटे साथ ही रहेंगे। विक्रम राठौड़ तुम्हारे लिए तो ये अच्छी खबर है।


इतने में काया और नील के इशारे पर सभी टेक्निकल टीम के लोगों को उस हॉल में ले आया गया। उन लोगों ने जब वहां की हालत देखी और जिनके सह पर यहां के लड़कियों और औरतों को, बड़े ही निचपुर्ण ढंग से नोचते थे, उसकी लाशों के ढेर देखकर तो कितनों कि मूत निकल आयी। पहला हमला काया ने ही किया था। किसी पागल की तरह वो लगातार रोती हुई, उस अजय को जब चाकू से चीरना शुरू की, तब कई निर्दोष जो इनके सताए थे, सब की आग ऐसी भड़की की केवल लतों और घुसो से उनका काम तमाम कर दिया। ..


लगभग सारा माहौल पूर्ण रूप से शांत पर चुका था। वहां केवल 3 लोग जिंदा बचे थे, और तीनों को बांधकर बार काउंटर के पीछे डाल दिया गया था। अपस्यु काया को इशारे करते हुए कहने लगा, ये जगह तुमलोग साफ करके सभी लोग महल में मिलो।


रात के 11 बजे महल में सभा लग चुकी थी। काया और नील दोनो बराबर बैठी थी। अश्क, नील और काया की हालत देखकर शायद खुद में शर्मिंदा थी। बस यही ख्याल आता, इनके लड़कपन के दिनों में पहले उस डॉक्टर भार्गव ने इन्हे छला, और बाद में इनके अपने ही लोगों ने यहां लाकर इन्हे नोचा। उन्हें देखकर अश्क अपने कान पकड़ती हुई सॉरी कहने लगी… नील और काया दोनो ने उसके कान से हाथ हटाकर कहने लगी… "दिल में प्यार हो तो रिश्ते बने रहते है। अब फिर से मै बीते वक़्त की चर्चा नहीं कर सकती, शायद अब हम कभी ना मिले, कल तक हम ये जगह छोड़कर जा चुके होंगे। एक ही अच्छी याद लेकर जाऊंगी, मेरा बच्चा कोई दरिंदा नहीं बनेगा और तुमने हमारे लिए आशु बहाए।"..



आरव:- अरे आप सब जाने की बात क्यों कर रही हो। मै इस जगह को कमर्शियली डेवलप करने वाला हूं, नए लोगों को कहां से खोज कर लाऊंगा। इस जगह को डेवलप करने के लिए मै 2500 करोड़ देता हूं। आप दोनो यहीं रुको, और सबको पहले कि तरह लीड करो। इस जगह को अच्छे से डेवलप करो.. 4 रुपया आप प्रोफिट बनाओ, उसमे से बस 20 पैसा मुझे दे देना बाकी 3.80 रुपया आपस में बांट लो। अगर ये जगह डेवलप करने में 2500 करोड़ कम लग रहे हैं तो बता दो, मैं और फंडिंग कर दूंगा, बस ये जगह ना छोड़कर जाओ।


आरव की बात सुनकर, दृश्य हैरानी से देखते… "अबे ये क्या है, मतलब ये बहुत बड़ा बिजनेस खोपड़ी है क्या?"..


ऐमी:- येस ! पूरा मायलो ग्रुप की कमान ये सिंगल हैंड संभालने वाला है। इसकी बिजनेस करने का तरीका और आईडिया कमाल के है। ये किसी को भी फेयर टक्कर दे सकता है, बाकी गलत तरीके से कोई हमे टक्कर दे सकता है क्या।


अश्क:- नील, काया, काम भी मिल रहा है और जिम्मेदारी भी। प्लीज यहां से मत जाओ… तुम यहां रुकी रहोगी तो जूनियर और वैभव भी तुम्हरे पास आ जाएंगे। और उन दोनों से मिलने हम भी आते रहेंगे। सॉरी लव, सॉरी अपस्यु, मैंने बिना पूछे अपनी जुबान दे दी।


अश्क की बात सुनकर अपस्यु केवल ऐमी को ही देख रहा था, और ऐमी काया को… ऐसा लग रहा था जैसे अपस्यु और ऐमी का दिल जोड़ों से धड़क रहा हो और वो कुछ भी फैसला नहीं कर पा रहे।..


नील:- हम यहीं रुक रहे है। मेरा बच्चा अपनी दादा दादी के पास पल रहा है, उन्हें वहीं रहने दो। मै ही जाकर मिल लिया करूंगी। ऐमी, अपस्यु तुम्हारे बच्चे तुमसे कोई नहीं लेगा, क्योंकि सबको पता है उनके मां बाप कमजोर नहीं।


काया:- मै भी अपने बच्चे से मिल लीया करूंगी, उसे वहीं रहने दो, और दोनो ऐसे मायूस ना हो। हां लेकिन ये अश्क जुबान बहुत देती है। अश्क जी बस एक ख्वाहिश पूरी करने की जुबान दे दो। एक बार ये दृश्य बिना मेरा नाम जाने और मेरा चेहरा ठीक से देखे, मेरे साथ जो किया था, वो दोबारा अब करने बोलो, मुझे जानने के बाद, फिर मै यहां रुकती हूं।


अश्क:- हीहीहीही.. कपड़े उतारने के बाद किस बेवकूफ को नाम जानने या चेहरा देखने में इंट्रेस्ट रहता है झल्ली। जा ले जा, ना मै रोकूंगी और ना ही दृश्य को ताने दूंगी। बस इस बार ये मत कह देना, वीरदोयी अपना जबजों का वंश बढ़ने के लिए दृश्य और तुम्हरे मिलन से एक बच्चा चाहता है।…


अश्क की बात सुनकर सब लोग हंसने लगे.. इसी बीच स्वास्तिका हाथ के इशारे से दिखाने लगी, जहां पार्थ अकेले में बैठा ड्रिंक ले रहा था और उसके करीब निम्मी जा रही थी।…. स्वास्तिका इशारा करती हुई ऐमी से कहने लगी… "भाभी, प्लीज मुझे इन दोनों की बातें सुननी है।"..


ऐमी मुस्कुराती हुई सबको देखी, पार्थ के लिए हर कोई मुस्कुरा रहा था।.. ऐमी ने उस एरिया का ऑडियो कनेक्ट करके, सबके मोबाइल पर ऑडियो-वीडियो लाइव प्ले लिंक भेज दिया। हर कोई इयरपीस लगाकर, मोबाइल के जरिए कान और आंख दोनो पर लगाए…


निम्मी, पार्थ के ठीक सामने बैठकर अपनी हाथ आगे बढ़ती हुई… "हाय, मै निम्मी सिंह।"..


पार्थ:- नाइस टू मीट यू निम्मी, वैसे ये अजनबी की तरह मिलना।


निम्मी:- तुम्हरे पूरे टीम से मिली हूं, हर कोई कमाल का है और हर किसी में अद्भुत गुण, बस मै तुम्हे जज करने मै असफल हूं की तुममें कौन से गुण हैं।


पार्थ:- कमाल है जी, मैंने एक सवाल पूछा और उसका जवाब देने के बदले उल्टा एक अलग ही सवाल पूछ लिया।

निम्मी:- शायद मै गलत तरीके से मिली और मुझे तुम्हारे सवालों ने ये फील करवाया इसलिए जवाब ना देकर बात आगे बढ़ा दी।


पार्थ:- हाहाहाहा, चलो ये भी अच्छा है। और हां मुझमें कोई गुण नहीं। पहले तो ये भ्रम था कि मैं लड़कियों को पटाकर अपना काम निकाल सकता हूं, तुमसे मिला तो औक़द पता चली कि जिन लड़कियों को मैंने पटाया, वो दरसअल मुझ से खुद पटना चाहती थी।


निम्मी:- मतलब तुम इन लोगों के साथ केवल दोस्ती की वजह से हो, बाकी तुममें कुछ खास नहीं।


पार्थ:- हां मेरा दिल बहलाने के लिए मेरे दोस्त मुझसे कह देते थे कि मै ये जाल बनता हूं, वो जाल बनता हूं, लेकिन हम दोनों को ही पता था कि सब फेक है। हां लेकिन ऐसा नहीं कि मुझमें कोई खास बात नहीं। मै उनसे अलग होकर कहीं कोई गुमनाम ज़िन्दगी बिताऊं और कोई मुझे मारकर चले जाए। बस उनके कान तक ये खबर पहुंच जाए, फिर स्टेटस उनका जो भी हो, उनकी बैंक स्टोरी कितनी भी स्ट्रॉन्ग क्यों ना हो, मेरे दोस्त आएंगे और सबको साफ कर जाएंगे। सो मुझे खास बनाते हैं मेरे दोस्त और मुझे नहीं लगता कि इससे खास भी कुछ हो सकता है।


निम्मी:- हम्मम ! चलो अब मै चलती हूं। एक बार फिर से थैंक्स।


पार्थ:- ओ हसीना, शायद तुमने ठीक से सुना नहीं, मैंने कहा था जितनी लड़कियों को मैंने पटाया वो दरसअल खुद मुझसे पटना चाहती थी..


निम्मी:- तो..


पार्थ:- जब 2 महीने में इतने फासले तय करके सामने बैठ ही गई हो, तो कुछ अपने बारे में भी बताती चली जाओ..


निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai
 

Nevil singh

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निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।

एक दिन मै गांव की सरहद पर थी, जब लोकेश की गाड़ी गुजर रही थी। शायद मेरे जिंदगी कि बहुत बड़ी भुल, क्योंकि हमारे यहां देवता की तरह वो पूजा जाता था। उसकी गाड़ी जब रुकी तो मै जिंदगी में पहली बार अपनी पूरी खुशी का इजहार कर दी। मुझे लगा भले लोग है, इसलिए उनकी मेहमान नवाजी भी स्वीकार कर ली। लगा सहर के लोग है किसी के हसने या बोलने का गलत मतलब ये लोग थोड़े ना निकाल सकते है। दिल्ली में तो मुझसे भी खूबसूरत लड़कियां बेवाक होकर हर तरह की बातें कर देती है। ये लोग कंजर्वेटिव माइंड के नहीं होंगे। मेरा बहुत बरा भ्रम, जिसका खामियाजा मुझे इस तरह से देना परा की अब बस दृश्य भईया के साथ टांग जाऊंगी और उन्हीं के साथ काम करूंगी। इतनी ही कहानी है मेरे बारे में।


पार्थ:- तुम्हारी कहानी में मै नहीं?


निम्मी:- तुम भी सहर के ओपन खयालात के लोग हो पार्थ।


पार्थ:- चलो मान लो कि मेरी जगह अपस्यु होता और वो तुमसे अपने दिल की बात कर रहा होता, तो तुम क्या करती।


निम्मी:- पार्थ गलत टॉपिक है ये, यहां बात हम दोनों की है।


पार्थ:- हां क्यों नहीं। वो छोटी आंख वाला, मासूम सी सूरत वाला जिसे प्यार तो बचपन से था और चुपके से अफेयर में भी था। अफेयर में होने के बावजूद भी उसके संबंध.. संबंध मतलब फिजिकल संबंध, कम से कम 12 लड़कियों से होंगे और वो मेघा भी इसकी लिस्ट में आती है।


जैसे ही पार्थ संबंध पर था, ठीक उसी वक़्त ऐमी ने ऑडियो पॉज कर दिया.... जैसे ही ऑडियो पॉज हुआ, हर कोई हैरानी से देख रहा था। ऐमी, अपस्यु का हाथ थामकर बस मुस्कुरा रही थी। स्वास्तिका सबका कन्फ्यूजन दूर करती हुई कहने लगी…. "वो कहावत नहीं सुनी क्या, हर एक फ्रेंड कामिना होता है।"..


अश्क:- लेकिन फिर भी ये ऐमी की बच्ची कलंक है लड़कियों के नाम पर। अभी तक तो झगड़ा करके रूठ जाना चाहिए था, थोड़ा भाव खाना चाहिए था, ड्रामे 3 दिनों तक होते रहने चाहिए थे।


कुंजल:- हुंह ! जब दोनो प्यार करते है तो इतने ड्रामे क्यों? पुरानी सोच।


अश्क:- इसको कोई अब तक मिला नहीं है क्या?


ऐमी:- हमारे घर की पहली अरेंज मैरेज होगी, कुंजल की शादी।


कुंजल:- येस !!


अश्क:- ठीक है बेटा तुझसे बात मैं तेरे शादी के बाद करूंगी, और फिर जान लूंगी तेरी फिलॉस्फी भी..


आरव:- तुम सब बाहर जाकर ये ड्रामा करो, भाभी ऑडियो ऑन करो, सुनने तो दो, उस कमिने का घर बसा या नहीं?


जैसे ही ऑडियो ऑन हुई, उधर से निम्मी कह रही थी…. "किसी को गलत साबित करके खुद कैसे सही हो सकते हो पार्थ, वैसे भी यकीन बड़ी बात है। मै तुम दोनों को निंजी तौर पर नहीं जानती, फिर उनका कैरेक्टर कैसे तय कर सकती हूं?"


पार्थ:- हां दुनिया में एक चरेक्टरलेस मै ही हूं।


निम्मी:- अगर ऐसा है तो फिर पहले कैरेक्टर को ही सुधारो।


पार्थ:- अरे यार और कितना भाव खाओगी, कुछ तो बताओ की क्या करूं मै तुम्हारे लिए।


निम्मी:- अभी जितनी बातें हमारे बीच हुई है उसमे तुम्हारे सवालों के जवाब है। अपनी दिलफेंक आदतें बंद कर देना और जवाब जल्दी ढूंढ लेना, क्योंकि मै दृश्य भईया की टीम ज्वाइन कार चुकी हूं और मुझे उनके साथ काम करने में काफी मज़ा भी आ रहा है।


शायद इनकी बातें बन गई, अभी के माहौल से तो ऐसा ही लग रहा था। और बात बने भी क्यों ना, आज का तो दिन ही है हर बात के बनने का। एक लंबे से युद्ध का लगभग विराम लग चुका था। वक़्त अभी तो पूर्ण खुशी का नहीं था, किन्तु जो लोग दर्द को भी चीरकर, खुशी के पल ढूंढ लेते हो, उनके लिए तो वाकई ये बहुत बड़ा खुशी का समय चल रहा था।


फिर वही हो जाता है, अकेले खुश हुए तो क्या खुश हुए। अपस्यु के साथियों के अलावा भी कई ऐसे लोग थे जो उनके काम के परिणाम से काफी खुश थे। वहां काम कर रहे स्टाफ के लिए आज इतनी खुशी की रात थी कि उनकी खुशी देखते बनती थी। जबतक लोग बातों में लगे थे, तबतक उनके पास ही खाने से लेकर ड्रिंक तक सर्व होने लगा।


सबसे खास ट्रे तो अपस्यु के आगे लगा। उसकी पसंदीदा ड्रिंक सर्व की जाने लगी और वो सबसे बात करते हुए आराम से ड्रिंक का मज़ा लेने लगा… "अबे कितना पिएगा, तुम्हे चढ़ती है कि नहीं।"… दृश्य अपस्यु को एक हाथ मारते हुए पूछा।


आरव:- ये और इसकी ड्रिंक, कभी ना छुटने वाली है। भोले बाबा की आराधना करते-करते ये पक्का नशेड़ी बन गया हैं।


दृश्य:- पागल हो तुम लोग, 4 पेग के बाद बॉडी रिस्पॉन्ड करती है अल्कोहल। हां लोग कम, ज्यादा या बहुत ज्यादा ड्रिंक लेते है, लेकिन उन सबमें एक बात सामान्य होती है उनका नाश में होना। कितना भी छिपाने कि कोशिश क्यों ना करे नशा में है पता चल जाता है।


स्वास्तिका:- प्वाइंट तो बी नोटेड, लेकिन ये कितना भी पीकर दिखाने की कोशिश करे, पता नहीं चलता कि ये नशे में है। इसका मतलब साफ है या तो इसे पता है कि ये "क्यों" पी रहा है। या फिर इसे अपने "क्यों" का पता नहीं लेकिन अपने उसी "क्यों" के लिए पीता है। भाभी जी जारा इस राज से पर्दा उठा देंगी।


ऐमी:- अरे यार कुछ नहीं बस ये अपने ध्यान लगाने की प्रक्रिया को निपुण कर रहे है। शून्य काल तक कैसे अपने मस्तिष्क को पहुंचाया जाए, उसी की प्रैक्टिस जारी है। ये नशे के लिए नहीं बल्कि अपने मस्तिष्क में उपजे नशे को कंट्रोल करने का एक्सपेरिमेंट कर रहे। सीधा-सीधा कहूं तो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को ऑटो मोड से मैनुअल मोड पर डालने की कोशिश जारी है।


दृश्य:- कमाल का कॉन्सेप्ट है, मै भी ट्राय करूं क्या क्यूटी।


अश्क:- पहले नाजायज बच्चों पर कंट्रोल करना सीखो, अभी तो यूएस नहीं गई 2-3 साल वहां भी तो रुके थे।


सब लोगों के ठहाके निकल आए। रातें छोटी सी थी और बातें काफी लंबी। सुबह के 4 बज चुके थे। एक-एक करके हर कोई उसी हॉल में सो गया। बस केवल दृश्य और अपस्यु जागे थे। दोनो भाई एक छोटे से वॉक पर निकले..


अपस्यु:- अब कहां निकल रहे हो भाई।


दृश्य:- निजी स्वार्थ के कारन तो बहुत खून बहाया है अपस्यु, अब ऑर्डर फॉलो करूंगा। बक्शी सर ने एक रिजिलियांट ग्रुप का केस दिया है, पूरी टीम को लेकर मै उसी मिशन पर निकल रहा हूं। वैसे तुमने काफी हैरान किया, तुम्हारे रिफ्लेक्स इतने तेज थे कि कई मौकों पर मै जबतक देखता, उससे पहले तुम काम खत्म कर चुके होते। मैं तो कभी उतनी तेज रिफ्लेक्स की सोच भी नहीं सकता। तुम्हारी तैयारी इन चूहों से बहुत ऊपर की है.. फिर इतना वक़्त इंतजार क्यों?


अपस्यु:- वक़्त मैंने बदला लेने के लिए नहीं लिया था भई, बल्कि मुझे लोगों को उनके जीने कि वजह देनी थी, वरना आज जो अच्छा दिख रहा है वो कल को बुरा बनते देर नहीं लगती। इसलिए मै तो बस अपना परिवार समेट रहा था।


दृश्य:- तुमसे बहुत कुछ सीखना है अपस्यु। चाहत तो मेरी यह थी कि तुम्हे भी इस मिशन के लिए आमंत्रण दू, लेकिन मुझे यकीन है कि तुमने अपनी कहानी मुझे पूरी नहीं बताई। थोड़ा बुरा जरूर लगा है इस बात का, लेकिन शायद कुछ सोचकर ही नहीं बताया होगा।


अपस्यु:- सॉरी भईया, मै नहीं चाहता था कि आप अपना फोकस मुझ पर दे, सिर्फ इस वजह से नहीं बताया। हा लेकिन आपका मेरे पास आना, मेरे प्लान का हिस्सा था। तब मुझे निम्मी का केस तो पता नहीं था, लेकिन वीरदोयी के सामने हमारी टीम नहीं टिक पाती, इसलिए मैंने गुप्त रूप से आप तक सूचना भिजवाई थी कि आपका बच्चा मेरे पास है।


दृश्य:- पागल है तू पुरा। कितनी जल्दी और कितनी सफाई से तू प्लान कर लेता है।


अपस्यु:- हां लेकिन आप बिना प्लान के ही किसी कि भी धज्जियां उड़ा सकते हो। वैसे भाभी से मैंने अब तक माफी नहीं मांगी और शायद हिम्मत भी नहीं होगी। आपको भड़काने कि बहुत चिप ट्रिक अपनाया था मैंने।


दृश्य:- हाहाहाहा.. और भड़काने के बाद भी जिंदा बच गया, कमाल का गुट्स और कमाल की प्लांनिंग थी। वैसे उस दिन अनजाने में ही बहुत सी बातें सीखा गए, और मुझे ऐमी की याद दिला गए।


अपस्यु:- अारूब जब उनके बारे में बता रहा था, उनके जाज़्बे और आप सब के साथ की कहानी ने रुला दिया। एक स्वार्थहिन चालाक मेंटोर की कहानी जो हर खतरे से निकल सकती थी, बस दोस्ती के मोह में फस गई।


दृश्य:- सुन ना मै समर वैकेशन में सब बच्चो…

अपस्यु:- बस भाई ये समर वैकेशन की बात अभी रहने दो फिर कभी कर लेंगे। वैसे मुझ पर विश्वास दिखाकर मेरा प्लान फॉलो करने के लिए दिल से धन्यवाद।


दृश्य:- अरे ऐसे कैसे थैंक्स, हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत थी, अब मुझे तुम्हारी कैसे जरूरत थी वो एक्सप्लेन करने पर मजबूर ना कर और पहले तू मेरा सुन.. मै उन वीरदोयी के बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पाया, इसलिए मेरे ओर से उसकी जिम्मेदारी भी तू उठा लेना। कल कंपनी मर्ज के पेपर मिल जाएगा, आरव को बोलना दोनो कंपनी की रेस्पोसिबिलिटी ले लेने के लिए। मै अपनी पायल दीदी और जीजू को कंपनी से रिलीफ करना चाहता हूं, ताकि जो ज़िन्दगी जीना भूलकर कंपनी के पीछे पीस रहे है, वो छोड़कर पुरा वक़्त घर पर दे सके। वैसे भी जीजू बहुत बुरे बिजनेसमैन है यार। और अंत में मुझे बहुत से टेक्निकल सपोर्ट की जरूरत होगी, इसलिए क्या ऐमी फ्री रहेगी हमे टेक्निकल सपोर्ट देने के लिए।


अपस्यु:- सारी बातें तो अच्छी है, लेकिन ये कंपनी मर्जर कुछ ज्यादा ना हो रहा।


दृश्य:- ओह बातों बातों में मै भुल ही गया, मै वैदेही को भेज रहा हूं दिल्ली, वो तुम लोगो के साथ रहेगी। 10000 करोड़ का एक फंड मै हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के लिए सेंक्शन कर चुका हूं, लेकिन किसी पर यकीन नहीं था इसलिए वैदेही को अकेले ही रिसर्च करने के लिए कहा। स्वास्तिका से बाकी बातें हो गई है। दोनो मिलकर एक साथ काम करेंगे और दोनो की जैसी रिक्वायरमेंट हो वैसा पुरा करवा देना, पैसों की कोई चिंता मत करना।


अपस्यु:- भई वो सब तो ठीक है लेकिन कंपनी मर्जर..


दृश्य:- देख सिम्पल सी बात है हम में से तो किसी से कंपनी चलने से रही। मेरे जीजू भी हम में से एक ही है। अब किसी दूसरे के हाथ में कंपनी देने से कहीं लोकेश वाला ना हाल हो जाए, यार पैसे का सीधा रिश्ता पॉवर से होता है और पॉवर का नशा तो तू जानता ही है ना। इसलिए अब कोई बहस नहीं, और हां उस वैदेही मत कहना बल्कि वेली पुकारना।


अपस्यु:- और कोई हुक्म सर..


दृश्य:- नहीं सर, चलकर आराम किया जाए। तेरे मुताबिक जगह की पूरी बनावट कर दी गई है, अारूब ने पूरी डिटेल ऐमी से साझा कर दिया है। और हां जल्दी से अब उन्हें भी अंजाम तक पहुंचा दो, जो बचे हुए है और मुझे फिर पूरी कहानी डिटेल में बता देना।
Sab aur khushiyi ki barkha karte hue pariwaar sang aanandmaye palo ko bitate hue chali aai ek jhalli si latak jhatak karti hui sunder si nayi update.
 
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