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अश्क:- वो एक दौर था जो गुजर गया। गलतियां हम दोनों से हुई, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ होगा की दृश्य ने एक ही बात के लिए 4 बार नाराजगी जताई हो, और देख ना मैंने दृश्य से यहां भी झगड़ा कर लिया।
"कोई बात नहीं है दीदी, अब चलो भी तैयार हो जाओ। पहले बारातियों का स्वागत देखना है फिर बाद में हमे भी तो धमाल मचाना है।".. ऐमी अपने कपड़े बदलती हुई बात करने लगी।
अश्क:- आह ! मै तो आलसी हूं, आज तेरा एक्शन देखूंगी बस..
ऐमी:- क्यों अपने लव का एक्शन देखते-देखते बोर हो गई क्या।
अश्क:- कूल, ये फैंसी लिंगरी की शॉपिंग मुझे भी करवाएगी क्या?
ऐमी:- आप नहीं खरीदती क्या?
अश्क:- यार सोचकर जाती तो हूं कि खरीदना है, लेकिन जब वो दिखता है तो बस इत्तू सा छोटा कपड़ा लगता है कुछ समझ में ही नहीं आता।
ऐमी, स्ट्रेचेबल पेंसिल जीन्स डालती… "ठीक है जब कभी भी दिल्ली आना तो साथ चलेंगे शॉपिंग पर। अब उठो भी, वहां कहां आप बिस्तर पर जमी है। आप पहले किसी के साथ तैयार ना हुई क्या, जो ऐसे बैठकर मुझे तैयार होते देख रही है।"..
अश्क:- नाह मुझे देखना है कि जब तुम जैसी ट्रेंड फाइटर तैयार होती है तो अपने कपड़ों के साथ क्या-क्या कैरी करती है।
ऐमी:- दीदी ये फिर कभी और किसी मौके पर देखने को मिलेगा, क्योंकि आज का थीम है, उन्हीं के चराग से उन्ही का आशियाना जलाना है।
अश्क:- ओह ! चल ठीक है फिर मै भी तैयार हो लू..
इधर स्वास्तिका ने अपना बैग खोलकर बिस्तर पर सारा समान बिखेर दी, बड़ी तेजी से वो दृश्य के चेहरे पर हाथ चलाती गई, और अंत में एक गाढ़े हरे रंग की कॉन्टैक्ट लेंस दृश्य के आखों में लगाने के बाद… "ये हो गया आप का मेकअप सर"..
दृश्य:- ये सर क्या है, तू मुझे भाई नहीं मानती क्या?
स्वास्तिका:- मै रिश्ते मानने में नहीं, रिश्ते निभाने में विश्वास रखती हूं।
दृश्य:- प्वाइंट तो बी नोटेड, और हां मेरे लिए रिश्ता मुंहबोली नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा होता है, इसलिए ज्यादा बातें नहीं, और मुझे अच्छा लगेगा जब तुम हक दिखाओगी।
स्वास्तिका हंसती हुई…. "जी भईया, वैसे कैसा लगा मेकअप।"
दृश्य:- निम्मी जारा देखकर बताओ की मै पहचाना जाऊंगा या नहीं।
निम्मी:- भईया आपके करीबी को छोड़कर कोई आपको पहचान नहीं पाएगा। और कितना भी करीबी क्यों ना हो, जबतक ध्यान से ना देखे पता, नहीं चलने वाला है।
दृश्य, स्वास्तिका के दोनो गाल खिंचते…. "थैंक्यू सो मच, क्या मेरे कुछ लोगों ये कला सीखा सकती हो।"
स्वास्तिका:- बिल्कुल भाई, दिल्ली में ही रहूंगी और अपना हॉस्पिटल खोलने वाली हूं, साथ में मेरा एक सपना है कि बहुत बरा रिसर्च सेंटर भी होता, लेकिन आपकी कहानी जानने के बाद वो विचार मैंने छोड़ दिया। सो एक हॉस्पिटल और उसमे मेरे अपने छोटे-छोटे क्यूट से रिसर्च। आप भी उनको भेज देना जिन्हे ये कला सीखनी हो।
दृश्य:- ऐसा नहीं है कि रिसर्च कोई भी बुरा होता है। हां लेकिन कुछ विकृत मानसिकता के महत्वकांक्षी लोग, उस प्रयोग को अभिशाप बना देते है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि अच्छे काम छोड़ दिए जाए। जब ऐमी का टेक्निकल सपोर्ट मिलेगा, तब तुम्हारे एक्सपेरिमेंट को कोई चुरा नहीं सकता, इसलिए अपना आइडिया ड्रॉप मत करो। और हां इसी बहाने मुझे भी किसी के लिए कुछ करने का मौका मिल जाएगा…
स्वास्तिका:- किसके लिए भाई?
दृश्य:- वैदेही है…. जिसने अपने एक्सपेरिमेंट से मेरे अंदर जीवन की नई परिभाषा डाली, डॉक्टर शांतनु की बेटी। वो भी अपने पिता की तरह एक काबिल खोजकर्ता है, लेकिन उसके पिता की दुर्गति जब मुझे याद आती है, तो मेरा रूह कांप जाता है। तुम्हारे हॉस्पिटल में वो सबके बीच और तुम्हारे टीम के साथ अपना प्रयोग जारी रख सकती है। क्या तुम मेरी मदद करोगी ?
स्वास्तिका:- इसपर आराम से बैठकर बात करेंगे भाई, अभी आप जाओ मुझे निम्मी को भी तैयार करना है, आपके पीए की तरह।
दृश्य जैसे ही बाहर निकला, स्वास्तिका निम्मी का मेकअप करती… "निम्मी, एक बात कहूं।"
निम्मी:- मै जानती हूं वो बात, मैंने अपस्यु को दी है सारी बातें। इसलिए प्लीज पार्थ को लेकर कोई बात नहीं करो।
स्वास्तिका:- हम्मम ! ठीक है नहीं करती, मै अपने बारे में तो कर सकती हूं ना।
निम्मी:- हां क्यों नहीं।
स्वास्तिका:- मैंने 19 साल की उम्र में अपनी वर्जिनिटी लूज की थी। 2 टाइमपास बॉयफ्रेंड रहे है और अपनी मर्जी अनुसार सेक्स को एन्जॉय किया। फिर एक दिन दीपेश से मुलाकात हुई, दिल में प्यार वाली फीलिंग जागी, उसके बाद मेरी सारी खुशियां उससे जुड़ गई। एक बात बड़े ईमानदारी से कहूंगी, आज तक कभी मेरे दिल मे उसके पिछले अफेयर जानने का ख्याल नहीं आया और ना ही उसने कभी अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से मेरे अफेयर्स के बारे में जानने की कोशिश किया।
निम्मी:- आप लोग अलग सोसायटी में पले बढ़े हो और मैं अलग।
स्वास्तिका:- "यही तो मै भी समझाना चाहती हूं। उसने भी कई सालों से अलग सोसायटी को देखा है, आज बस तुम्हारा होकर रहना चाहता है। मै तुम्हे फोर्स नहीं कर रही लेकिन बस इतना समझना चाहती हूं कि जैसे मेरे या दीपेश के दिल में कभी अतीत को लेकर कोई ख्याल नहीं आया, ठीक वैसे ही कभी पार्थ तुम्हारे अतीत को लेकर अपने मन में कोई ख्याल नहीं लाएगा, और विश्वास मानो वो रिश्ते निभाने में वो बेईमान नहीं।
"तुम दोनो एक हो जाओ उसका एक स्वार्थ तो यह है कि उस घुमक्कड़ को एक स्थाई ठिकाना मिल जाए, क्योंकि मै जानती हु, यहां का काम खत्म होते ही वो फिर हमारे लिए अजनबी होने वाला है। एक तो उसे बांधे रखने की ख्वाहिश है दूसरा जब से तुम्हरे बारे में जाना है, तबसे एक टीस ही उठती है। किसी और कि गलती के लिए तुमने हर खुशियों से मुंह मोड़ लिया।"
निम्मी:- स्वास्तिका मेरे बदन को यहां नहीं नोचा गया था, बल्कि मेरे आत्मा को नोचकर निकाल दिया गया था। बस दिल की आग ही है जो मुझे जीने की मकसद दी है, उसके बाद फिर मेरा कोई अस्तित्व नहीं।
स्वास्तिका:- सिर्फ तुम्हारा ही अतीत कलेजा चीरने वाला नहीं है, उसके हंसते चेहरे के पीछे भी कई दर्द छिपे है और जो मैंने बताया ना की कल से वो हमारे लिए अजनबी हो जाएगा, वो भी उसी ओर इशारा है कि उसने भी अपने जीने का मकसद नहीं बनाया और शायद वो भी तुम्हारे तरह ही सोचता है। एक छोटी सी उम्मीद कि किरण जागी है, बस दुआ करूंगी तुम दोनो को अपना अस्तित्व एक दूसरे में मिल जाए। हो गया तुम्हारा मेकअप भी। जारा देखकर बताओ कैसा है?
निम्मी:- बहुत शानदार है। चलती हूं अब।
इधर अपस्यु अपने कमरे में सारा इंतजाम करवा चुका था। बड़ा सा स्क्रीन तो पहले से उस कमरे में लगा हुआ था और अब वो सिस्टम से भी कनेक्ट हो चुका था। सबसे पहले पहुंची कुंजल, और वो अपस्यु के पास जाकर उसके बनाए छोटे से बार काउंटर पर बैठ गई।
कुंजल:- पियक्कड़ कहीं के, पुरा बार ही खोल लिया है अपने लिए तो। अब तो लगता है आपसे बात करना छोड़ दू उसी शर्त पर ये पीने की लत भी छोड़ दोगे।
अपस्यु:- सिर्फ ऐमी को पता है ये बात, आज तुम्हे बता रहा हूं, एक्सट्रीम ठंड और पहाड़ पर सीधी चढ़ाई लगातार चढ़ने के कारण, मेरे बॉडी में एक्स्ट्रा बॉडी फ्लूइड विकसित हुआ था। हर किसी के शरीर में यह थोड़े मात्रा में पहले से पाया जाता है, लेकिन मेरे अंदर ये काफी मात्रा में उत्पन होता है।
"जब कड़ाके के ठंड में भी मै गर्मियों के आम दिन की तरह कपड़े पहनकर अपना काम पूरे ध्यान से करता, बिना कापें, तब गुरुजी का ध्यान मुझपार गया। 4 दिन की यात्रा के बाद गुरुजी मुझे एक आऊर्वेदाचर्या के पास लेकर गए और मेरे बारे में उन्हें अवगत करवाया।"
"उन्होंने पुरा निरक्षण के बाद गुरु निशी से से कहा कि चिंता का विषय नहीं है, मानव शरीर की संरचना ही कुछ ऐसी है कि शरीर में वातावरण और काम के हिसाब से कुछ चीजें विकसित होती है तो कुछ चीजों के प्रयोग ना हो पाने के कारन विलुप्त हो जाती है। मेरे शरीर ने भी ऐसा ही एक एक्स्ट्रा फ्लूइड विकसित किया है।"
कुंजल:- इससे आपके पीने का क्या संबंध..
अपस्यु:- ये फ्लूइड जब अल्कोहल के साथ मिलता है तो इसके परिणाम काफी रोचक होते है। पहला तो मैं दिन रात-पिता रहूं, ये किडनी और लिवर में पहुंचने से पहले ही मेरे लिए दवा का काम करता है और मेरे इस एक्स्ट्रा फ्लूइड को स्टेबल कर देता है जो मेरे ध्यान लगाने की शक्ति में अदभुत मदद करता है।
"मै अपने आस पास की चीजों को महसूस कर सकता हूं। एक बार जिस जगह को देख लूं, मै इंच के हिसाब से बता सकता हूं। गोली की रफ्तार को 2000 गुना भी बढ़ा दो, फिर भी मै काफी दूर से हवा में हुए परिवर्तन को भांप लेता हूं, और एक चीज जो मै अबतक सबसे छिपाते आया हूं, मै हवा की गति को भांपकर उसी तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए बच भी सकता हूं।"
"सबको लगता है कि मै धुएं की आड़ में बचने कि कोशिश करता हूं, लेकिन सच तो यह है कि हवा के गति में परिवर्तन होते ही, जैसे ही खतरे का अंदाज़ा होता है मेरा शरीर भी उसी स्पीड से प्रतिक्रिया में बचता है और कहीं बच पाना संभव नहीं होता, तो शरीर में जहां सबसे कम नुकसान हो, शरीर वहां पर वार झेल लेता है। मेरे हर विषय पढ़ने के पीछे की रुचि, मेरे कुछ नया सीखने की रुचि, और कुछ ही समय में किसी काम में महारथ हासिल करने की रुचि, इन सब का राज वो एक्स्ट्रा फ्लूइड ही है और अल्कोहल उसे स्टेबल करके दिशा प्रदान करने में मदद करता है।"
कुंजल:- आप तो सुपर स्टार निकले भईया। वैसे कहीं कोई कहानी तो नहीं बना रहे ना…..
अपस्यु:- मतलब मै इतने बड़े राज से पर्दा उठा रहा हूं, और तुम मुझे ही झूठा बोल रही।
कुंजल:- हीहीहीहीही, भईया जब आप सफाई देते हो तो बहुत मस्त दिखते हो। अच्छा सुनो ना मै क्या कह रही थी..……
अपस्यु:- हां बोल ना ?
कुंजल, कुछ सोचती हुई… "नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही"..
"हद है अपस्यु, अब यहां भी बार काउंटर"… ऐमी, अश्क के साथ कमरे में शिरकत करती हुई कहने लगी…
हाय क्या अदा थी ऐमी की, वो हल्के मेकअप के साथ, अपने लंबे और खूबसूरत तराशे बदन पर, जब वो बिजनेस क्लास वूमेन की तरह, पेंसिल हिल पर पेंसिल जीन्स और शर्ट पहने शिरकत की, अपस्यु के होश उड़े।… "कुछ देर पहले तो मै हॉटी थी, और अभी अपने होने वाली पर से नजर नहीं हट रही, कमाल है।"… अश्क, अपस्यु के आखों के सामने चूटकी बजाती अपनी बात कही और उसकी बात सुनकर तीनों ही हसने लगे।
ऐमी:- हद होती है अपस्यु, बेबी कुछ देर में हम पार्टी में तो होते ही। अब क्या सारा एन्जॉय यही कर लोगे।
कुंजल, ऐमी से….. भाभी हमारी पार्टी तो बस थोड़ी देर में शुरू होने वाली है, आधा इधर एन्जॉय करेंगे, आधा उधर एन्जॉय करेंगे..
अश्क:- सही है ये तो, बिल्कुल सही है, लेकिन एन्जॉय करने के लिए होश में होना जरूरी होगा, ना की पीकर बेहोश हो जाओ।
अपस्यु:- इसलिए तो यहां अल्कोहल की केवल एक ड्रिंक सर्व होगी, बाकी सब फ्रूट जूस पिएंगे…
"अच्छा उपाय है, हर किसी पर लागू कर दो, सिर्फ बाबा अपस्यु को छोड़कर, क्योंकि हमारा एक उनके 10 के बराबर होता है, और वो भी शायद मैंने कुछ कम बता दिया होगा।"… आरव पीछे से ताना देते हुए उनके पास आकर बैठ गया, और उसके साथ में पार्थ भी।