• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance भंवर (पूर्ण)

15,607
32,140
259
Update:-100





अपस्यु:- अरे मैंने तो कुछ शॉपिंग भी प्लान किया था.. सोचा जब पहली बार मिला हूं तो एक गिफ्ट तो बनता है। लेकिन जब मै स्वास्तिका के लिए कार ले रहा था, तब दोनो गलतफहमी की दुकान, उन्हें लगा मै उनके लिए कार खरीद रहा हूं.. मेहनत की कमाई पर अच्छा खासा लेक्चर मुझे सुना गया। मैंने भी कहा ठीक है भाई बचा ले अपना आत्मसम्मान।


कुंजल:- हीहीहीही… कुछ भी हो, बहुत गलत किया भैय्या… देखना दीदी आपको छोड़ेगी नहीं। वैसे.. वैसे.. वैसे....


अपस्यु:- अब किस खतरे से आगाह किया जा रहा है..


कुंजल:- माय डियर ब्रो.. तुम्हे तो आरव भईया भी नहीं छोड़ने वाले..


अपस्यु:- नाह वो सबसे ज्यादा खुश होगा और वो कुछ नहीं कहेगा… क्योंकि ऐमी और आरव कट्टर दोस्त है, जो हमेशा झगड़ते पाए जाएंगे, लेकिन एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। हां ऐमी की जगह कोई और होती तो वो मेरी खूब छिलाई करता, लेकिन ऐमी है तो वो कुछ नहीं कहेगा..


कुंजल:- वूहू… भाई.. बधाई हो अभी-अभी आपने ने पूरे दिल से कबूल कर लिया की आप दोनो के बीच क्या चल रहा है…


अपस्यु आश्चर्य से कुंजल की ओर देखते हुए कहने लगा… "कंप्लीट शातिर हां.. उगलवा ली मुझसे… तुम तो बहुत शातिर निकली"..


कुंजल:- तारीफ का शुक्रिया भाई, लेकिन मै भी आपकी बहन हूं और मै अपने दोनो भाई के बारे में एक चीज अच्छे से जानती हूं, जबतक दोनो कुछ बताना ना चाहे कोई कुछ उगलवा नहीं सकता… चलो स्पीच तैयार कर लो, अभी के हॉट टॉपिक तो आप और भाभी ही हो और मै आप दोनो के मुंह से आप दोनो की कहानी सुनने के लिए काफी एक्साइटेड हूं।


लगभग 1 घंटे बाद.. हॉल में एक छोटा सा अरेंजमेंट किया गया, जहां अपस्यु और ऐमी चेयर पर ठीक सबके सामने बैठे हुए थे। वहीं दोनो दरवाजे पर "डू नाट दिस्ट्रब" का बैनर लटक रहा था और सभी लोग… नंदनी, आरव, स्वास्तिका, कुंजल, और सिन्हा जी सब बड़े खुशी से अपस्यु और ऐमी के ओर देख रहे थे।


ऐमी को छोड़कर बाकी सभी लोगों को पता था कि किसलिए दोनो सामने बैठे है। हां लेकिन जब एमी, अपस्यु को देखी और बाकी सभी घरवालों को तो उसे अंदाज़ लगाते देर नहीं लगी कि मैटर क्या है?


ऐमी गहरी श्वांस लेती अपस्यु का हाथ थाम ली। उसके हाथ और पाऊं दोनो थोड़े कांप रहे थे। दिल जोरों से धड़क रहा था और नजरें बिल्कुल नीचे जमीन को ताक रही थी, जिनसे टप, टप, टप करती आशु की बूंदे जमीन पर गिर रही थी। अपस्यु ऐमी के हाथ पर अपने हाथ रखते उसे प्यार से सहलाते हुए….


"वो छोटी सी, बिल्कुल नन्ही बुलबुल जो उड़ती, फुदकती चहचहती थी। एक दिन वो नन्ही बुलबुल हमारे आश्रम आयी थी। बिल्कुल मासूम और निर्मल जल की तरह जो झरने से नीचे बहता है और मन मोह लेते है। मै भी उसकी पहली झलक पर मोहित हो गया। हां यह बात उसे भी अभी पता चली होगी। कई बार सोचा दिल के अरमान कह दूं, लेकिन शायद बाद, बाद और बाद में कह दूंगा, सोचते-सोचते हमारे रिश्ते गहरे हो गए पर जो कहना था, शायद वो सीने में कहीं दफन रह गए।"…


ऐमी अपना हाथ छुड़ाकर ऊपर देखी, अपस्यु के चेहरे को दोनो हाथ से थामकर उसके आशु पोछती "ना" में सर हिलाते आगे और कुछ कहने से मना करने लगी… अपस्यु ऐमी के आशु साफ करते "हां" में सर हिलाकर उसके बातों पर जैसे सहमति दे रहा हो, अपने चेहरे को उसके चेहरे के करीब ले गया और सर से सर को लगाकर दोनो एक दूसरे को देखते रहे।


बातें अभी ठीक से शुरू नहीं हुई थी, लेकिन वहां मौजूद हर कोई जो महसूस कर रहा था, वो उनका दिल ही जानता था। दबी सी अरमान आशुओं में बिखरी जा रही थी, लेकिन जुबान से कह पाने की हिम्मत ना तो अपस्यु जुटा पा रहा था और ना ही ऐमी।


आरव दोनो के पास नीचे बैठकर उनके हाथों को थामकर… "जो शुरू किया है उसे पुरा करो… ना तो अपस्यु और ना ही ऐमी, किसी काम को अधूरा छोड़ते है.. सो लेडीज एंड जेंटलमैन बस एक छोटे से पॉज के बाद स्टोरी फिर शुरू होगी..


"ये ऐसे नहीं सुनेग"… स्वास्तिका अपनी बात कहती दोनो के ऊपर पानी डाल दी। लेकिन दोनो फिर भी सर से सर को लगाए, एक दूसरे को देखकर आशु बजाए जा रहे थे। कुंजल और स्वास्तिका ऐमी को उठाकर ले गए और आरव अपने भाई को संभालते उसे कमरे तक लेकर गया… "मै शुरू से जनता था दोनो एक दूसरे के लिए पागल है, लेकिन इतना पागल होंगे आज महसूस हो रहा है।".. सिन्हा जी अपने आशु साफ करते हुए कहने लगे…


नंदनी भी अपनी आशु साफ करती हुई कहने लगी… "यहां पर हर कोई अपने किसी को खो चुका है, लेकिन ये दोनो एक दूसरे के सामने रहकर, एक दूसरे को खोते आ रहे थे। लेकिन ऐसा क्यों? दोनो ही समझदार है फिर भी इतना घुटन क्यों। फिर ये दबे से अरमान क्यों जो सामने से एक दूसरे को दिखा भी नहीं रहे थे?"


सिन्हा जी:- हमें ये बात उनसे ना ही पूछे तो बेहतर होगा। बड़े लक्ष्य को भेदने के लिए शायद इन दोनो ने कुछ सोच रखा होगा।


नंदनी:- हम्मम ! मै ना तो खुद भी रो सकती हूं और ना ही इन दोनों को रोते देख सकती हूं। अनिरुद्ध जी मै अपने बेटे के लिए अपनी बहू का हाथ आपसे मांगती हूं। क्या आपको यह रिश्ता मंजूर है।


सिन्हा जी:- हां लेकिन मै कोई दहेज नहीं दूंगा।


नंदनी, कुछ पल तो समझ नहीं पाई कि सिन्हा जी कहना क्या चाह रहे लेकिन कुछ पल बाद ही…… "ऐसे कैसे दहेज नहीं देंगे.. लाखों में एक है मेरा बेटा.. ऊपर से अच्छा खासा कमाता है। देखिए दहेज तो मै लेकर रहूंगी.. वो भी सवा दो सौ करोड़ (225 करोड़).."


सिन्हा जी थोड़ी ऊंची आवाज़ में बात करते हुए… "मुझे आप जैसे लालची के घर में नहीं रिश्ता करना। चलो ऐमी…"


सिन्हा जी और नंदनी की आवाज़ पर सभी अपने अपने कमरे से बाहर निकलकर आ चुके थे और इधर ये दोनो बिना किसी की बात पर ध्यान दिए, बस दहेज़ फाइनल करने में लगे हुए थे… इसी क्रम में नंदनी अपनी बात रखती हुई..

"एक ही तो बेटी है। एक-एक केस के कई करोड़ रुपया वसूल करते हो। मारोगे तो क्या लाद कर पैसे ले जाओगे।".. नंदनी भी पूरे मूड में आती हुई कहने लगी…


सिन्हा जी:- अजी छोड़िए मेरी कमाई, आपका बेटा तो करोड़ों में कमाता है फिर क्यों दहेज की लालच आ गई।


नंदनी:- इसे लालच नहीं अधिकार कहते है अनिरुद्ध जी।


सिन्हा जी:- कोर्ट में घसीट लूंगा फिर अधिकार समझते रहना आप.. चल ऐमी यहां नहीं रुकना एक भी मिनट..


"कितनी ओवर एक्टिंग करते हो दोनो, किसी मंच कर होते तो अबतक साल भर का टमाटर और अंडे बटोर रहे होते। और कहीं हमारी वो इवेंट ऑर्गनाइजर हटेली नैना आंटी होती, तो अबतक ₹50 ओवरेक्टिंग के काट लेती।".. ऐमी बाहर आती हुई कहने लगी। इधर अपस्यु भी अपने कमरे से निकाल और दोनो एक दूसरे को देखकर खुशी से आ रहे थे।


दोनो हॉल में वापस आकर अपनी जगह बैठ गए और एक दूसरे को देखकर मंद मंद मुस्कुराने लगे.. उन्हें देखकर बाकी के लोग भी मुस्कुरा रहे थे।… इस बार ऐमी अपस्यु का हाथ थामकर बोलना शुरू की…


"मेरे छोटे छोटे नखरे हुआ करते थे और दिन भर की बक-बक.. अपस्यु और मै बेफिक्र होकर हाथों में हाथ डाले दिन भर घुमा करते थे। मै पूरे साल जून आने का इंतजार करती थी। मेरे डैड, आप सब के चहेते सिन्हा जी, उस वक़्त अपस्यु से बहुत ही बैर रखा करते थे। वो अक्सर मेरी मां से यही सिकायत करते की मेरी बच्ची पर उस लड़के ने कुछ जादू टोना कर दिया है। मै केस करके उसे जेल भेज दूंगा।..

हाहाहा.... मेरे डैड .. जिन्हें कभी फुरसत ही नहीं मिल पाया अपने काम से, कि वो आराम से 10 मिनट मुझसे बात कर सके। सॉरी डैड ये मै शिकायत नहीं कर रही, बस सीने के अंदर उस वक़्त की कुछ दबी सी याद है। मेरी मां, वो दिन भर मेरे पास बैठी रहती थी और मै जुलाई से लेकर आने वाले मय महीने तक रोज उन्हें पकाती थी.. "मुझे अपस्यु के साथ ही रहना है".. "मुझे अपस्यु के साथ ही रहना है।" वो कभी-कभी हंसती हुई मुझे चिढ़ाने के लिए देती.. "लेकिन तुम उसके साथ कैसे रह सकती हो। तुम तो अपनी मम्मी की बेटी हो ना … तो अपनी मम्मा के पास ही रहोगी ना।" और जवाब में मै सिर्फ इतना ही कहती… "जैसे आप अपनी मम्मा को छोड़कर मेरे डैड के साथ रहते हो, ठीक वैसे ही।" बड़े हक से और सीधे शब्दों में।"..


अपस्यु….

मुझे कुछ भी होता उस वक़्त तो ऐमी सीधा हॉस्पिटल में होती थी। मेरी उंगली कट गई तो बेहोश। मुझे बुखार लगा तब बेहोश। आलम कुछ ऐसा था कि मै दर्द पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था, लेकिन शायद मेरे सारे दर्द शुरू से ऐमी को महसूस होते थे, इसलिए मुझे कभी दर्द का एहसास ही नहीं हुआ।"

"बस मै ऐमी से बहुत सारी बातें करना चाहता था, लेकिन वो आती ही थी केवल 1 महीने के लिए, इसलिए सोचता अभी इसे ही सुन लेता हूं, बाद में तो बहुत सारा वक़्त ही वक़्त होगा, जब हम दोनों एक साथ होंगे एक परिणय सूत्र में।"


ऐमी:- ओय ये कब की बात है.. कबसे थे ये खयालात मुझे अभी बताओ....


अपस्यु:- 2004 की बात है शायद, जब वो मूवी वाला किस्सा हुआ था, ठीक उसके बाद..


ऐमी:- बेईमान मुझेसे कितनी बातें तुमने छिपाई, हां…


सभी घरवाले एक साथ और एक सुर में… "हमे भी सुनाओ वो मूवी वाला किस्सा।"…


अपस्यु और ऐमी दोनो को वास्तविकता का ज्ञान हुए और सबको देखकर दोनो हसने लगे…. "यह हमारे आपस की बात है और गलती से निकल गई। अब इसपर कोई सवाल नही।"… ऐमी सबको आखें दिखती कहने लगी..


"क्या वर्जिनिटी लूज हुई थी".. स्वास्तिका सवालिया नज़रों से देखते धीमे से पूछ दी।


उसके सवाल सुनकर हर कोई एक दूसरे को सवालिया नज़रों से देखने लगे और फिर सारी सवालिया नजर घूमकर दोनो पर ठहर गए… "अरे जाहिलो, वो 2004 था, कुछ तो शर्म करो, कुछ भी सोचने से पहले।".. अपस्यु ने सबके सवालों पर विराम लगाते हुए कहा…


"बस इतनी सी थी हमारी कहानी.. 2009 में हम दोनों मियामी में थे और तब वहां हमने अपने रिश्ते को नया आयाम दिया। कुछ कारन थे जिस वजह से शायद कुछ वक़्त और लगता सबको हमारे बाते में पता चलने में। कोई बात नहीं अब हर बात योजनाबद्ध हो, ऐसा संभव तो नहीं। अब हमारा हो गया.. सभा समाप्त, कहानी खत्म।"…. ऐमी खड़ी होती हुई कहने लगी..


कुंजल:- ऐसे कैसे इतनी जल्दी खत्म। अब दोनो किसी बात को लेकर इतना पर्सनल-पर्सनल करोगे, तो लोगों का क्या है दिमाग वहीं ठहर जाता है।


नंदनी:- सब बैठो चुपचाप.. और तुम दोनो भी बैठ जाओ.. अब से यदि किसी ने कुछ कहा ना तो देख लेना.. सिर्फ ये दोनो बोलेंगे और कोई भी सवाल नहीं करेगा.. चलो कंटिन्यू बेटा..

आरव:- अब तो दोनो समापन भी कर दिए मां जाने दो… हां लेकिन मैं सबके साथ कुछ साझा करना चाहता हूं।..

"हम सबको इन दोनों को देखकर अक्सर ये अफ़सोस होता था, कि ये दोनों एक दूसरे के लिए क्यों नहीं… शुरू-शुरू मे सबसे इमोशनल ऐमी हुआ करती थी। एक बार अपस्यु को गोली लगी थी, ट्रेनिंग पीरियड की घटना है।"

"अपस्यु को जैसे ही गोली लगी.. उसका पूरा चेहरा पसीने से भिंगा हुआ था.. खून ना दिखे, इसलिए अपने ऊपर कई सारे कपड़े डाले रखे थे इसने.. एक कतरा खून का इसका नहीं दिखा था। पाता नहीं अपस्यु कैसे कर रहा था ये सब, लेकिन चेहरे पर वहीं स्माइल थी और बड़ी तेजी में वो मेरे पास आकर धीमे से कहा कि.. "मुझे गोली लगी है, बिना किसी के जानकारी के ये बुलेट निकलवाओ।"..

"पता नहीं कैसे पर उस वक़्त ऐमी भी चली आयी और वो अपस्यु को देखकर थोड़ी परेशान हुई। उसने उसके ऊपर के कपड़े देखे फिर पूरी व्याकुलता से उसने ऊपर का कपड़ा हटाया और अंदर का नजारा देखकर ये बेहोश हो गई। अपस्यु एक हफ्ते में घर वापस आ गया था और ऐमी 12 दिन तक आईसीयू में रही थी।"

"अपस्यु को कुछ भी हो ना, तो हमे ऐमी को पहले देखने पड़ता था। मुझे और स्वास्तिका को हैरानी तब हो गई जब अपस्यु को 3 बुलेट लगी थी और हमारी ऐमी ने अकेले बिना मदद के, उसने अपस्यु के लिए वो सब कर दिया, जिसे हम लोग शायद बहुत सोचने के बाद भी नहीं कर पाते। इसने अपस्यु को सामने से हॉस्पिटल में एडमिट करवाया वो भी हॉस्पिटल प्रशासन के बिना नजर में आए की अपस्यु को बुलेट लगी है… क्यों नॉटी.. सही कहा ना मैंने"…


स्वास्तिका:- सही कहा आरव.. कुछ भी कर सकते है ये एक दूसरे के लिए।इन्हे इस रिश्ते में देखकर, शायद हम दोनों भी अपनी खुशी बयान नहीं कर सकते। छोटी ये तेरा एहसान रहा हम सब पर। ना जाने कब ये दोनो को ख्याल आता और ना जाने कब ये हम सबको बताता। लेकिन जब भी बताते इतना तो नहीं ही बताते। अब इनकी सजा का टाइम हो गया…


नंदनी:- कैसी सजा..


"मां आपको पता नहीं, केवल इस अपस्यु ने ही नहीं, बल्कि इस ऐमी की बच्ची ने भी हमे बहुत दर्द दिए है। एक किस्से हो इनके परेशान करने के तो मै बताऊं ना। जब भी मौका मिला है हमे ऐसे उलझकर बेबस कर देते जिसकी कोई सीमा नहीं। और हमे फसाकर दोनो बाहर बैठकर मज़े लेते रहते थे… आज मौका मिला है.. मै तो सोच रही हूं दोनो ने जब अपनी फीलिंग जाहिर कर दी है, उसके बाद तो हमेशा साथ ही दिखने वाले है… अब तो किसी के कहने से भी रुकने कहा वाले। मै तो कहती हूं 1 महीना दोनो को रूम म पैक कर दो और वो भी मोबाइल के बिना"..
nice update ..apasyu aur emi ki prem kahani dil ko chhune wali hai ?...par apsyu vikram ke pariwar ko janta nahi aisa kaise ? kusum ne donation diya aur uske baare me pata nahi lagaya ho ?
 
  • Like
Reactions: Nevil singh
15,607
32,140
259
Update:-106



आरव:- ऐसा नहीं लग रहा की जिंदगी थोड़ी बोरिंग सी हो गई है और जिंदगी एक रूम में पैक होकर रह गई है। कोई भी आहट हो तो डर सा माहौल पैदा हो जाता है।


ऐमी:- राइट … एग्जैक्टकली मेरा भी यही कहना था आज अपस्यु को..


अपस्यु:- समझ गया तुम दोनों क्या कहना चाह रहे हो। मुझे उम्मीद भी यही थी इसलिए तो तुम दोनो पर छोड़ा था कि क्या करना है। स्वास्तिका और पार्थ से अब हम कोई उम्मीद नहीं कर सकते.. उसे साइड लाइन में रखो। मां के आस पास इन दोनों के होने से हम थोड़े रिलैक्स होंगे.


आरव:- बोर मत कर.. जल्दी से राज खोल, ग्राउंड कैसे क्लियर करेंगे…


अपस्यु:- मै घुसकर पागल बनाता हूं श्रेया को.. ये साइडलाइन कहानी है, जो हमारे रेगुलर काम के साथ चलेगी। 10 दिन बाद जब तुम लौटोगे आरव, तब श्रेया की टीम पर बिजली गिरेगी… और उन्हें उलझाकर हम बीच उसी भी विक्रम को चौंकते हुए अंदर घुस जाएंगे….


तकरीबन 15 मिनट तक अपस्यु अपने योजना का पुरा विवरण सबको डेटा रहा। योजना काफी कारगर थी लेकिन इसी बीच ऐमी कहने लगी… "यह योजना है तो सही पर इसमें केवल श्रेया पर बिजली गिरेगी बस। हां विक्रम पर कहर बरसने वाला वाला है वो तो थी है लेकिन इस कामिनी और इसके टीम को सस्ते में क्यों छोड़ रहे। मै थोड़ा फर बदल करना चाहूंगी इसमें।".. ऐमी जब अपस्यु के योजना मै फर बदल कर बताने लगी, दोनो भाई के दिमाग की घंटी बज गई।


आरव:- ये सैतानी खोपड़ी अब चली है ना… पूरी डिटेल..


ऐमी लगभग 10 मिनट तक अपनी योजना को विस्तार रुप से बताई। अपस्यु और आरव के बीच बीच में सवाल आते रहे जिसके कुछ के जवाब तो ऐमी पहले से सोच चुकी थी लेकिन कुछ फसे मामले में आरव ने उसे पूरा करना का जिम्मा ले लिया। योजना पूर्णतः सामने आने के बाद तो जैसे दिमाग में पूरी कहानी ही सेट हो गई हो।


अपस्यु:- इतनी दूर की प्लैनिंग। तुमने तो श्रेया को पूरी तरह से लपेट लिया इसमें।


आरव:- योजना जटिल है, लेकिन इस एक प्लान से हम सबके आगे खड़े होंगे और सब हमारे पीछे। मैंने अपना माथा बहुत खपा लिया, अब तुम दोनो इस योजना की पूरी बारीकी को समझो। मै चला गोवा अपनी लावणी के साथ। वैसे देखा जाए तो तुम दोनो का भी हनीमून पीरियड ही माना जाएगा। कोई तो होगा नहीं, तो काम के साथ एन्जॉय करो।


अपस्यु:- काहे के मज़े .. यहां हरताल चल रहा है।


ऐमी खाली बॉटल उठाकर अपस्यु के हाथ पर मारती हुई…. "अति बेशर्मी तुममें घुस गई है। छोड़ो ये, कितने समय बाद हम सब साथ है, चलो कुछ तूफानी प्लान करते है।


अपस्यु:- नहीं मै सोने जा रहा हूं, तुम दोनो आराम से तूफानी बर्फानी सब करते रहो।


ऐमी आरव के ओर देखी और आरव चुपचाप वहां से निकल गया। जैसे ही अपस्यु कुछ दूर आगे बढ़ा होगा, छापक से उसके ऊपर पानी परा। वो गुस्से में पलटा और दोनो भाई कुछ देर तक उठापटक करने के बाद हंसते हुए खड़े हो गए।


तीनों अपने ये खूबसूरत से पल कैमरे में रिकॉर्ड कर रहे थे। कभी अनारकली और सलीम का कॉमिक रोले प्ले किया जा रहा था तो कभी टूटे दिल देवदास का। तीनों के बीच मस्ती का सिलसिला जारी रहा।



अगली सुबह…


नंदनी सुबह सुबह ही अपने समधियाना यानी कि मिश्रा हाउस में दस्तक दे चुकी थी। सुलेखा, अनुपमा और नंदनी तीनों वहीं हॉल में बैठकर बातें कर रही थी। बातों की शुरवात ही लावणी के गोवा जाने से हुई। यूं तो थोड़ी असमंजस जैसी स्तिथि बनी थी, लेकिन नंदनी को ना कहने की हिम्मत उन दोनों में तो नहीं हुई, इसलिए सुलेखा ने राजीव को कॉल लगाया।


राजीव को भी कुछ समझ में नहीं आया क्या कहे, और नंदनी को मना करने की हिम्मत वो भी नहीं जुटा पाया, इसलिए बात को उसने फिर सुलेखा पर ही फेक दिया। होना क्या था, 5 मिनट तक जब कोई फैसला दोनो नहीं ले पाई, तब नंदनी ही दोनो को सारी बातें समझते हुए… "उन्हें घूमने देने जाने चाहिए"… ऐसा अपना प्रस्ताव रखकर फैसला उन्हीं दोनो पर छोड़ दिया…


साची जो थोड़ी दूर बैठकर उनकी सारी बातें सुन रही थी… "छोटी छोटी ख्वाहिशें होती है। यहां मायका और ससुराल इतने नजदीक में है कि बेचारे दोनो पीस कर रह जाते हैं। क्यों इतना सोच रहे है, अब जाने भी दो ना। या दोनो साथ होंगे तो दिमाग की सुई एक ही जगह अटक गई है। ऐसा है तो वो कहीं भी ही सकता है। बाहर निकलो अपने जहनी पुराने ख्यालतों से और आंख खोलकर देखोगे तो पता चलेगा इनके अलावा भी दुनिया होती है।"..


सुलेखा:- दीदी मुझे तो लगता है ये अपना रास्ता साफ कर रही है लावणी के बहाने।


साची:- छोटी मां मुझे घूमने जाना हो कहीं ध्रुव के साथ और आप सब ऐस रोड़ा आटकाओगे तो मै कोर्ट मैरिज करके चली जाऊंगी, लेकिन जाऊंगी जरूर।


नंदनी:- अपस्यु से तेरी बात हुई थी क्या, क्योंकि वो भी ऐसा ही कुछ बोल रहा था।


आगे फिर ताना बाना शुरू हो गया। एक ओर तीनों ही औरतें छोटे से शहर में उस वक़्त की तात्कालिक स्तिथि को बताने लगी कि उनके ज़माने में क्या होता था और साची आज के परिवेश में लड़कियों को कैसा होना चाहिए उसपर बात कर रही थी।


सभी बैठकर बातें कर ही रही थी कि लावणी हॉल में सबको नमस्ते करती हुई बाहर जाने लगी… "कॉलेज जा रही है लावणी, 2 मिनट सुन तो".. नंदनी, लावणी को पीछे से टोकती हुई कहने लगी।


लावणी:- जी मां…


नंदनी:- जा बैग पैक कर ले, कुछ दिनों के लिए तेरी कॉलेज से छुट्टी।


लावणी ने जैसे ही यह बात सुनी उसे अपस्यु की बात याद आ गई… "दोनो को साथ वक़्त बिताना है उसके लिए जल्दी शादी करवाने क्यों कह रही हो। तुम दोनो को कहीं बाहर भेजने का इंतजाम मै करता हूं।".. अपस्यु की बातों का ख्याल आते ही लावणी अंदर से गुदगुदा गयी। लेकिन बाहर से अपने इमोशन संभालती… "कहीं फैमिली टूर है क्या मां"..


सुलेखा:- देखो तो बदमाश को। कल शाम अपस्यु के साथ गई थी, वहीं दोनो भाई बैठकर यें प्लान किए होंगे और नाटक तो देखो, जैसे कुछ जानती ही नहीं।


नंदनी, सुलेखा की बात पर चौंकती हुई…. "आप तो ऐसे बता रही है जैसे दोनो भाई को काफी करीब से जानती हो।"


नंदनी की बात सुनकर सब लोग सुलेखा को ही देखने लगे…. "बस लगा की कहीं दोनो (लावणी और आरव) बात करे तो हम मना नर दें, इसलिए अपस्यु से मिलकर अपना काम करवाया हो।


लावणी:- क्या मां आप भी। मेरा दोस्त मैक्स, 2 हफ्ते से गायब था और उसके मम्मी पापा की हालत मुझसे देखी नहीं गई इसलिए मै भईया से उसके विषय में बात करने के लिए गई थी।


सभी लोग सुनकर अफ़सोस करने लगे। चिंता जताते हुए फिर पूछने लगे… "क्या हुआ कोई खबर मिली कि नहीं।"


लावणी:- कमाल के है अपस्यु भईया, और ऐमी दीदी भी। हालांकि दोनो किसी जरूरी काम के बारे में बात कर रहे थे, शायद इंडिया गेट पर कोई प्रोग्राम था, लेकिन मेरी समस्या सुनने के बाद सारे काम कैंसल करके मैक्स को ढूंढने में लग गए। और मैक्स को ढूंढ निकाला। बेस्ट है दोनो।


अनुपमा:- और आरव..


लावणी:- वो भी बेस्ट है, लेकिन कल आरव नहीं थे ना। मैंने कॉल किया था, पर वो सब लोगों के साथ थे, तो मैंने सोचा वापस आएंगे तब बता दूंगी।


साची:- हां ठीक है, लेकिन अब जा पैकिंग कर ले..


लावणी अरमान को बिल्कुल काबू किए तेजी से अपने कमरे पहुंची और उत्साह से वूहू वुहू करके उछालने और नाचने लगी।…. "गोवा पहुंच पर भी नाच सकती है, अभी पैकिंग कर ले।"… दरवाजे पर खड़ी साची कहने लगी और बाकी सभी औरतें पीछे खड़ी होकर लावणी का उत्साह देख रही थी। हर किसी को महसूस हो रहा था कि क्यों थोड़ी सी आज़ादी इन्हे भी देनी चाहिए।


लेकिन बेचारी लावणी, दरवाजे पर सबको खड़े देख कर शर्म से पानी-पानी हो गई। वो फाटक से दरवाजा बंद करके बस लज्जाए जा रही थी। आलम ये था कि पैकिंग के बाद तभी बाहर आयी जब आरव उसे लेने आया। आंखों पर काला चश्मा चढ़ा रखी थी, ताकि किसी से नजर ना मिले और आरव के पीछे वो छिप-छिप कर चल रही थी।


रात के लगभग 11.30 बज रहे होगे, सभी लोग उड़ान भर चुके थे और अपस्यु हॉल में बैठा गाना सुनते एक अंदाजन श्रेया के आने का इंतजार कर रहा था। इसी बीच घर कि घंटी बजी और दरवाजे पर गुफरान था।… "क्या काम है गुफरान।"..


गुफरान:- सर वो कुछ पैसे चाहिए थे।


अपस्यु:- कुछ पैसे मतलब कितने..


गुफरान:- सर वो 2000 रुपए चाहिए थे।


अपस्यु:- तुम रात में मुझसे पैसे मांगने आए हो।


गुफरान:- सर वो जरूरत तो रात की है, सुबह मै आपके पैसे लौटा दूंगा।


अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है सुन तू मेरे लिए कॉकटेल का पूरा सामान ले आना, एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल..


अपस्यु ने उसे उसके 2000 रुपए दिए और बाकी अपने सामान के 20k थमा दिया। तकरीबन 5 मिनट बाद गुफरान का फोन आया और वो दुकानदार को फोन दे दिया। उस दुकानदार ने कुछ सवाल किए और सारा सामान पैक करके दे दिया।


गुफरान आकर अपस्यु को सारा समान दिया और बचे हुए पैसे वापस करके वहां से जा ही रहा था कि… "अच्छा सुनो, मां से ये सब मत बताना".. "ओह हो तो आंटी से छिपकर कांड किया जा रहा है।"..


अपस्यु:- नाईट वाक, अच्छा है, अच्छी सेहत बनाओ। हम तो चले… गुड नाईट।


श्रेया:- अच्छा है, वैसे कोई कॉल करने वाला है पर कुछ याद भी हो तो ना।


अपस्यु:- मैम अगर आपको बात करनी है तो कृपया अंदर आ जाइए, अन्यथा सुभ रात्रि क्योंकि अब मै इंतजार नहीं कर सकता।


श्रेया:- हीहीहीही.. घर में कोई नहीं ..


अपस्यु श्रेया को बीच में ही रोककर…. "तू तब से यहां खड़ा होकर क्या कर रहा है? तेरा काम हो गया ना?


गुफरान:- हां भाई।


एक नपा तुला थप्पड़ परा.. "सर से सीधा भाई। जब क्लोज होंगे तब ये इस्तमाल करना। चलो अब जाओ। और सुन पैसे कल सुबह कब वापस करोगे।"


गुफरान:- सर वो 10 बजे तक कर दूंगा।


अपस्यु:- ठीक है जाओ… हां मिस आप जारी रखिए..


श्रेया:- भूल गए ना मेरा काम?


अपस्यु:- कुछ नहीं भुला हूं सब याद है, मुझे फिलहाल आप की इजाज़त हो तो जाऊं, बहुत दिनों बाद मौका मिला है।


श्रेया, गेट से अंदर ताक-झांक करती…. "अकेले हो फिर भी इतनी हड़बड़ी मची है पीने की।"…


अपस्यु:- मै दिल्ली में थोड़े ना रहता था जो मेरे यहां कोई ज्यादा दोस्त होंगे..


श्रेया:- अच्छा पड़ोस में तुम्हारी एक दोस्त है और तुम ज्यादा कम की बात कर रहे हो।


अपस्यु श्रेया का हाथ पकड़कर खिंचते हुए अंदर किया और दरवाजा बंद करते हुए…. "तो सीधा अंदर आओ ना। अब एक सिम्पल सवाल.. क्या तुम्हे मेरे साथ बैठकर लेना है, या जाना है।"..


श्रेया:- पीकर यहां लुढ़क भी गई तो कोई फर्क नहीं पड़ना, मेरे यहां भी कोई नहीं है।


अपस्यु:- जे हुई ना बात, चलो फिर तुम आराम से बैठो आज खिदमत में हाज़िर है एटॉमिक शैम्पेन कॉकटेल …


श्रेया:- देखना कहीं एटम फटे ना, वरना यहां भूचाल सा मच जाएगा…


दोनो इधर-उधर की बातें करते हुए ड्रिंक का मज़ा लेने लगे। 1 ड्रिंक पीने के बाद श्रेया ने खुद कॉकटेल बनना शुरू की और अपस्यु को बढ़ाते जाने लगी। महज आधे घंटे में वो अपस्यु को 15 पेग पिला चुकी थी और खुद अभी तक दूसरे ड्रिंक को पकड़ी हुई थी।


अपस्यु "एक्सक्यूज मी" करते हुए उठा और लड़खड़ाते हुए किसी तरह बाथरूम तक पहुंचा। काम खत्म करके आने के बाद अपस्यु फिर बैठा। श्रेया ने फिर से ड्रिंक देना शुरू की। 3 पेग और पिलाने के बाद… "अपस्यु आज तक तुमने बताया नहीं की तुम कौन से आश्रम में पढ़े हो।"..


अपस्यु, श्रेया को गौर से देखते… "वो क्या है ना बेबी तुमने कभी पूछा ही नहीं। वैसे एक बात कहूं तुम बहुत हॉट दिखती हो। बिल्कुल रेड चिली"


श्रेया:- हीहीहीही… ये नया अवतार अपस्यु बाबू का। चलो अब पूछ लिया, बता दो..


अपस्यु:- अम्म्म ! ठीक है मै सब बताऊंगा लेकिन एक शर्त पर..


श्रेया:- कैसी शर्त..


अपस्यु:- हम एक-एक सवाल करके खेलेंगे.. एक तुम पूछो एक मै..


श्रेया:- और यदि मुझे किसी सवाल का जवाब नहीं देना हुआ था…


अपस्यु:- सिम्पल, मुझे आकर एक जबरदस्त किस्स दे देना वो भी लिप टू लिप वाला।


श्रेया:- ये क्या बकवास है? तुम होश में तो हो..


अपस्यु:- रॉक सॉलिड होश में हूं। कुछ लोगों को पचती नहीं, लेकिन मै अभी 20 पेग और ले सकता हूं। मेरी छोड़ो तुम तो होश में हो ना..


श्रेया:- हीहीहीही.. पागल हो तुम। हां मै भी होश में हूं। लेकिन ये तो चीटिंग होगी ना। मैं तो ईमानदारी से खेलूंगी, नहीं मन हुआ जवाब देने का तभी ना कहूंगी, लेकिन तुम्हारा क्या भरोसा.. कहीं जान बूझकर मुझे किस्स करने का मन हो और तुम ना कह दो तो।


अपस्यु:- ओय शुक्र करो वो मस्त वाला खेल नहीं खेला, जिसमें एक जवाब ना देने पर कपड़े उतारने कहते है। वैसे भी ऐसा कोई सवाल नही जिसका जवाब मै ना दे सकूं, गूगल भी करना पड़े तो भी जवाब दूंगा.. अब जो नहीं आता सो नहीं आता, उसमे कुछ नहीं किया जा सकता.. भरोसा हो तो खेलो नहीं तो कोई बात नहीं।


(पापा को मै कबसे इस प्लान पर काम करने कह रही थी, लेकिन वो वक़्त मांग रहे थे। कितना मुश्किल होता है बिना सीधा सवाल किए हुए जवाब निकालना ये बात थोड़े ना समझ में आएगी। ये लो देखो, दारू अंदर गई नहीं की सारे राज बाहर आने शुरू)


(अभी तो तुझे पिलाते-पिलाते 12.30 ही बजे है। तुम्हे तो आज पूरी रात जगाऊंगा जानेमन। पूछ ले सवाल तू,आज तो मेरा अतीत जान कर ही चली जाना लेकिन बातों के दौरान तुम जरा बचकर चलना जानेमन, कहीं मुंह से कुछ निकल गया तेरे, तो मेरा राज जानने के चक्कर में अपने राज मत खोल देना)
nice update ..ye shreya aur uski team kya plan kar rahi hai pata nahi ?...ab dekhte hai daaru ke bahane kaun kiska sach jaan paata hai ...
 
  • Like
Reactions: Nevil singh
15,607
32,140
259
Update:-107





(पापा को मै कबसे इस प्लान पर काम करने कह रही थी, लेकिन वो वक़्त मांग रहे थे। कितना मुश्किल होता है बिना सीधा सवाल किए हुए जवाब निकालना ये बात थोड़े ना समझ में आएगी। ये लो देखो, दारू अंदर गई नहीं की सारे राज बाहर आने शुरू)


(अभी तो तुझे पिलाते-पिलाते 12.30 ही बजे है। तुम्हे तो आज पूरी रात जगाऊंगा जानेमन। पूछ ले सवाल तू,आज तो मेरा अतीत जान कर ही चली जाना लेकिन बातों के दौरान तुम जरा बचकर चलना जानेमन, कहीं मुंह से कुछ निकल गया तेरे, तो मेरा राज जानने के चक्कर में अपने राज मत खोल देना)


"क्या हुआ, नींद लग रही है क्या? तो जाओ सो जाओ".. अपस्यु श्रेया को उसके ख्यालों से जागते हुए कहने लगा..

श्रेया:- ठीक है मुझे मंजूर है लेकिन एक शर्त तुम्हारी तो एक शर्त मेरी भी है, अगर 10 सेकंड से ज्यादा का समय लिए तो उसे झुटा जवाब मना जाएगा, ऐसी सूरत में सामने वाले के लगातार 2 सवाल का जवाब देना होगा।

अपस्यु:- और यदि 2 सवाल का जवाब नहीं दे पाया तब?

श्रेया:- 5 सवाल तक जाएगा और फिर भी नहीं बता पाए तो सामने वाले का कहा मानना होगा!

अपस्यु:- सभी शर्तों पर राजी, चलो सवाल पूछो।

श्रेया:- किस आश्रम में तुम पढे?

अपस्यु:- फुस की बनी आश्रम में।

श्रेया:- अरे मतलब आश्रम या गुरुकुल जो भी है उसका नाम पूछी मै।

अपस्यु:- जो भी हो तुम्हे पहले क्लियर पूछना चाहिए। अब मेरा टर्न है, उसके बाद तुम्हारा। बताओ कितने ब्वॉयफ्रेड रहे है तुम्हारे?

श्रेया, बॉयफ्रेंड वाले सवाल हंसती हुई कहने लगी…. "तुम्हारी पहले से एक गर्लफ्रेंड है, लेकिन दूसरी लड़की के पास कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं उस पर ध्यान है। जैसा सोची वैसा ही सवाल आया।"

अपस्यु:- 10 सेकंड हो गए है तुम्हारे..

श्रेया, हंसती हुई… "ठीक है फिर 2 सवाल पूछो"

अपस्यु:- पहला सवाल तुम्हारे कितने बॉयफ्रेंड रहे है?

श्रेया:- एक भी नहीं।

अपस्यु :- दूसरा सवाल क्या होगा जब तुम्हे कोई लड़का परपोज कर रहा हो और पीछे से तुम्हारी मां आ गई।

श्रेया:- मेरी मां नहीं… नहीं कहीं आती जाती।

अपस्यु:- गलत जवाब जब कहीं नहीं आती जाती फिर आज कहां चली गई। इसका हिसाब एंड में करेंगे। गेम के दौरान तुमने झूट बोल।

श्रेया उसकी ओर ड्रिंक बढ़ाती अजीब से हसने लगी, ऐसा मानो उसका भेजा फ्राई यहां चल रहा हो। ड्रिंक बढ़ाने के बाद… "अपने आश्रम या गुरुकुल का नाम बताओ?"

अपस्यु:- श्रीवल्लभ आश्रम, मत्तुर, कर्नाटका । मेरी बारी.. तुम्हे बॉयफ्रेंड के लिए कैसा लड़का ढूंढ रही हो?

श्रेया:- जब जरूरत होती है तब किसी को भी बॉयफ्रेंड बना लेती हूं। बस एक ही रिक्वायरमेंट होती है, कोई सीरियस एफैर नहीं। तुम बताओ तुम्हारे पापा कहां है।

अपस्यु:- इस दुनिया में नहीं रहे। तुम्हारे पापा कहां है वैसे..

श्रेया:- मेरी सौतेली मां के साथ रहते है। तुम्हारी ये धन संपत्ति तुम्हारे पापा की अर्जित है।

अपस्यु:- स्टार्टअप केवल उनका था, बाकी पुरा हम दोनों भाई का अर्जित किया हुआ है। तुम्हारे पापा क्या करते है।

श्रेया:- मुझे इसपर बात नहीं करनी..

अपस्यु, एक ड्रिंक खिंचते… "मतलब अब किस्स दोगी।"

श्रेया:- जी नहीं बस मुझे बात नहीं उसपर करनी कोई और सवाल पूछो।

अपस्यु:- ठीक है अपनी आदतें बताओ?

श्रेया:- एफबी पर लिखी है पढ़ लेना। तुम्हारे ये अजीब नाम किसने दिया?

अपस्यु:- रुको पहले, तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया, पहले उसपर बात कर लें। मैंने तुम्हारी आदत पूछ रहा था और तुम एफबी भेज रही हो। देखा जाए तो जवाब टाला है तुमने।

श्रेया:- हां तो, इतने दिन में तुमने अभी तक मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट तक ना भेजी, मुझे बुरा लगा इस बात का, इसलिए ऐसा जवाब दी।

अपस्यु:- मैंने नहीं भेजा तो तुम भेज देती, देखा जाए तो भागीदारी बराबर है।

श्रेया:- सेलेब्रिटी अकाउंट लिया है एफबी से और कहते हो रिक्वेस्ट भेजूं, तुम्हारी तो प्रोफाइल भी ओपन नहीं होती।

अपस्यु:- दिमाग से रह गई थी ये बात। वैसे भी एफबी मै ज्यादा इस्तमाल नहीं करता, इसलिए नहीं भेज पाया। चेक करो अभी भेज दिया है।

श्रेया, अपना फोन चेक करके खुश हो गई और अपस्यु के फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करती वो खड़ी होकर उसके पास चली आयी… "किस्स रोमांटिक चाहिए या लस्टी"..

अपस्यु खड़ा होते… "तुम शुरू तो करो, फिर तो किस्स खुद व खुद एडजस्ट हो जाना है।"

श्रेया हंसती हुई अपस्यु के ओर देखने लगी। अपस्यु उसके सामने खड़ा तो हुआ लेकिन खड़ा होकर भी लड़खड़ाता रहा। श्रेया उसे चेयर पर ही बैठने बोली और खुद अपने दोनो पाऊं, अपस्यु के दोनो पाऊं के ओर करती उसके चेहरे को थाम कर होंठ से होंठ लगाकर, अपस्यु के होंठ को छूकर उसके आगे बढ़ने का इंतजार करने लगी।

अपस्यु भी माहौल और मिजाज पुरा भांपते हुए, अपने होंठ को पुरजोर श्रेया के होंठ से लगाते उसे बेहताशा चूमने लगा। एक बार जब चूमना शुरू किया फिर वो छोड़ने का नाम कहां ले रहा था। श्रेया की श्वांस पूरी तरह चढ़ गई, बदन में अजीब सी सुरसुराहट होने लगी। श्रेया अपने हाथ उसके चेहरे और गर्दन पर फेरने लगी। किस्स लंबी, और लंबी होते चली गई।


श्रेया के दिमाग से सारी बातें बाहर और वासना ने उसकी जगह ले ली। जब श्रेया की श्वांस पूरी तरह चढ़ गई, अपस्यु को लग गया कि अब माहौल कुछ और ही बन रहा है, फिर वो चूमना बंद करके अपने होंठ पीछे किया और श्रेया बदहवासी में अपनी आखें मूंदे अपने होंठ आगे बढ़ती रही लेकिन अपस्यु के होंठ उसके होंठ से मिले नहीं।


अचानक ही उसे समझ में आया कि किस्स अब खत्म हो गयी है। अजीब सा उखड़ा चेहरा बनाए, वो अपनी श्वांस सामान्य करने लगी और ख़ामोश वो अपनी जगह आकर बैठ गई। वो अब भी बाहर नहीं निकाल पाई थी उन्माद के उन पलों से, बस खुद को किसी तरह सामान्य करने में लगी थी।


अपस्यु:- आह !! ये अब तक का बेस्ट किस्स था मेरी लाइफ का।

श्रेया:- रात बहुत हो गई है। मुझे अब चलना चाहिए..

अपस्यु:- ठीक है दोस्त, वैसे कोई लड़का होता तो हाथ पकड़कर बिठा भी सकता था। लेकिन कोई नहीं तुम जाओ..

श्रेया:- अच्छा और कोई लड़का होता तो उसके साथ ये किस्स वाला खेल खेलते क्या?

अपस्यु:- लड़का होता तो दोनो साथ ने नहाते, चलोगी क्या? बात करती हो। रहने दो, सिचुएशन कॉम्प्लिकेटेड हो गई है। तुम जाओ सुबह मिलता हूं और वो भूत भागने वाला काम भी कर दूंगा। और सॉरी यदि तुम्हे किस्स पसंद ना आयी हो तो।

श्रेया:- सॉरी मै थोड़ी ओवर रिएक्ट कर गई। पहले एक जाम उठाकर मूड बनाते है फिर इस खेल को जारी रखते है।

अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है वो किस्स वाला शर्त हटा रहा हूं मै।

श्रेया:- फिर मै ये नहीं खेलूंगी, बाय..

अपस्यु, अपने हाथ से ड्रिंक बनाकर सर्व करते हुए…. "तुम लड़कियों का समझ में नहीं आता, कब मूड क्या रहता है।

श्रेया, जाम को टोस्ट करती हुई…… "समझ जाते अगर मूड तो फिर मुझे भड़कना ही नहीं पड़ता।"

अपस्यु:- मतलब मै समझा नहीं..

श्रेया:- कुछ नहीं । अब मेरा टर्न है.. तुम्हारा ये बोरिंग सा नाम अपस्यु किसने रखा।

अपस्यु उसे खा जाने वाली नज़रों से घूरते हुए…. "मेरे गुरु श्री अरविंदो रामनाथम ने। किस जानवर से तुम्हे ज्यादा दर लगता है.."

श्रेया:- शातिर इंसान । चलो बताओ तुम्हारे पापा की मृत्यु कैसे हुई।

अपस्यु:- शायद हार्ट अटैक था। बहुत बच्चा था ठीक से याद नहीं और फिर कभी मां से इस बात की चर्चा नहीं की। अच्छा चलो अभी तुम बताओ किस्स करने से पहले तक तो बड़ी कॉन्फिडेंस से आयी थी, किस्स के बाद ये मूड इतना चिड़चिड़ा क्यों हो गया?

श्रेया:- मुझे नहीं जवाब देना इसका और ना ही अभी किस्स का मूड है। सो जब बॉयफ्रेंड बनाकर ले जाऊंगी तब यह किस्स दूंगी। एक-एक सवाल में बोरिंग हो रहा है गेम। थोड़ा मूड चेंज करते हैं।

अपस्यु, ड्रिंक बनाकर सर्व करते… "अरे यार ग्लास खाली तो करो?"

श्रेया:- आराम से ले रही हूं बाबा, तुम लो ना अपना, मै ले लूंगी। एक काम करो तुम ड्रिंक बनना छोड़ो, मै तुम्हे बनाकर देती हूं, तुम बस सवालों का जवाब दो। और हां एक गलत सवाल पर अब एक कपड़े उतरेंगे, सिर्फ तुम्हारे लिए, मेरे लिए किस्स वाला ही शर्त रहेगा …. बोलो मंजूर..

अपस्यु:- एक प्रॉब्लम है, सारे कपड़े उतारने के बाद मै क्या करूंगा।

श्रेया:- हीहीहीही.. पोल डांस करना। ठीक.. चलो अब जल्दी जल्दी जवाब दो.. तुम्हारा नाम..

अपस्यु:- अपस्यु रघुवंशी।

श्रेया:- तुम्हारी आदतें..

अपस्यु:- नई चीजों का ज्ञान लेना और मेरे दोस्त ये अपना प्यारा कॉकटेल पीना।

श्रेया:- दुनिया में सबसे प्यारा, कोई एक खास, जिसके लिए कुछ भी कर कर जाओ…

अपस्यु:- आरव और ऐमी.. मेरे लिए ये एक ही हैं 2 नहीं।

श्रेया:- मां से कम प्यार है, क्या उनके लिए कुछ कर गुजरने वाली फीलिंग नहीं?

अपस्यु:- इतना तो मै तुम्हारे लिए भी कर दूंगा वो भी दिमाग में बिना कोई सोच रखे कि कितना क्लोज रिलेशन है। बस मै जिन लोगों के बीच हूं, वो सब खुश रहने चाहिए। बहरहाल सबसे प्यारे की बात हो रही थी और उसमें आरव और ऐमी सबसे प्यारे है। रही बात मां की तो ये दोनो सबसे प्यारे तो जरूर है लेकिन मां के लिए मै इन दोनों को छोड़ सकता हूं।

श्रेया:- जब ऐसी बात है तो मां सबसे प्यारी हुई ना।

अपस्यु:- बेवकूफ मां ना होती तो ये अपस्यु ना होता। भले वो ऐमी और आरव जितनी प्यारी नहीं है, लेकिन वो नहीं होती तो मुझे कहीं और पैदा लेना पड़ता.. फिर तो आज का तुम्हारा ये साथ भी खत्म था समझी।

श्रेया:- हम्मम! कभी किसी का कत्ल किए हो।

अपस्यु:- नाह ।

श्रेया:- सिचुएशन ऐसी फसी तुम्हारे पास, किसी को कत्ल करना ही आखरी उपाय बचा हो, वरना तुम्हारा कोई करीबी मरा जाएगा, ऐसे सिचुएशन में क्या करोगे..

अपस्यु:- सिचुएशन आने तक इंतजार काहे करना, सर दर्द खत्म करो और आगे बढ़ो, बहुत से काम देखने है।

श्रेया:- अगर कोई किसी पर अन्याय कर रहा हो।

अपस्यु:- हर किसी की अपनी लड़ाई है और उसे खुद लड़नी पड़ती है। मै तो निर्मम स्तिथि में भी लोगों को देखता हूं तो दया नहीं दिखता।

श्रेया:- तुम काम क्या करते हो?

अपस्यु:- साहित्य से पढ़ रहा हूं?

श्रेया:- जीविका के लिए क्या करते हो?

अपस्यु:- पिताजी का धन बैंक में है, उसका ब्याज खाता हूं। सिन्हा जी के केस में हेल्प करता हूं, उससे अच्छे खासे पैसे मिल जाते है। कभी-कभी फजुल खर्च दिल खोल कर करने होते हैं तो अंडरग्राउंड फाइट लर लेता हूं। लेकिन ये दोस्तो वाला सीक्रेट, किसी को बताना मत।

श्रेया:- अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रिलेशन में हो और उसके बावजूद भी यदि किसी के साथ फिजिकल रिलेशन बनाते हो, तो क्या तुम्हारी नजर में ये धोखा होगा या नहीं?

अपस्यु:- भगवान की पूजा में कहते है, कुछ भी जूठा प्रयोग में नहीं लाया जाएगा। हम पुरा ऐतिहातन सारे काम करते हैं। लेकिन जो मिठाई, फल, फुल इत्यादि बाजार से लेते है, देने वाले का हाथ साफ था या नहीं। बाजार तक आने में वो सामान जूठा हुआ कि नहीं, ये कभी नहीं देखते। मोरल ऑफ द स्टोरी, जो नहीं दिखा वो हमेशा सुद्घ होता है, और जो नज़रों के सामने जूठा हुआ उसे फिर बदल देते हैं। सिम्पल फिलॉस्फी, जो हर किसी पर लागू होता है।

श्रेया:- कमाल की फिलॉस्फी, चरण कहां है गुरुदेव।

अपस्यु अपने दोनो पाऊं सीधा उसके जांघों पर रखते… "लो बच्ची, मत्था टेक लो, पाप कट जाएंगे।'"

श्रेया, अपस्यु के पाऊं हटाती हुई… "मेरे आज के सवाल खत्म, तुम्हारी बारी"

अपस्यु:- आज के सवाल से मतलब क्या कल भी खेलना है?

श्रेया:- नेक्स्ट टाइम जब भी मौका मिला।

अपस्यु:- तुम्हारी उम्र..

श्रेया:- 21 साल 3 महीने और 6 दिन। सॉरी रात के 12 बज गए तो 7 दिन हो गए।

अपस्यु:- तुम्हारा फिगर?
श्रेया:- 34-26-34
अपस्यु:-बॉडी वेट
श्रेया:- 58 किलोग्राम

अपस्यु:- तुम्हारी राशि?
श्रेया:- कर्क राशि।
अपस्यु:- बेस्ट फ्रेंड..
श्रेया:- कोई नहीं।

अपस्यु:- तुम्हारा ननिहाल
श्रेया:- नेपाल
अपस्यु:- क्या तुम्हे नेपाली भाषा आती है।
श्रेया:- बिल्कुल नहीं।

अपस्यु:- पैतृक स्थान..
श्रेया:- उसपर प्लीज कोई सवाल नहीं। मै उस जगह को भी याद नहीं करना चाहती जहां मेरी मां को अपमानित किया गया था।

अपस्यु:- ऐसी जगह जहां घूमना पसंद हो?
श्रेया:- चेरापूंजी, एक जिज्ञासा है की वहां की बारिश देखूं।

अपस्यु:- फेवरेट स्पोर्ट्स
श्रेया:- स्विमिंग..

अपस्यु:- मुझमें तुम्हे सबसे अच्छा क्या दिखा..
श्रेया:- कंप्लीट बैलेंस नेचर..

अपस्यु:- तुम्हे अपने आप में सबसे ज्यादा क्या पसंद है..
श्रेया:- कभी ना हार मानने वाला आत्मविश्वास।

अपस्यु:- क्या तुम्हे बुरा लगता है कि तुम्हारे पापा तुम्हारे पास ना रहकर, तुम्हारे सौतेली मां के पास रहते है।
श्रेया:- पहले लगता था अब शायद आदत हो गई है।

अपस्यु:- जिंदगी में एक काम जो बिल्कुल फुरसत में करना पसंद कर…
श्रेया:- तालाब किनारे मछली पकड़ना।

अपस्यु:- 2 किस्स.. एक झूठा जवाब.. पहले बताओ ओओओ..


अपस्यु बताओ करते हुए लड़खड़ाया, थोड़ी देर तक बड़बड़ाते रहा और फिर आराम से नींद के आगोश में चला गया। श्रेया ने घड़ी देखी, सुबह के 5 बज रहे थे। नींद उसे भी काफी लग रही थी। जागने के बाद का उसका रिएक्शन जानने के लिए श्रेया ने पहले तो 3-4 ड्रिंक ली, सोए अपस्यु से कहने लगी… "कमाल की चॉइस है तुम्हारी अपस्यु, मै भी फैन हो गई इस ड्रिंक की"… और हॉल में ही क्राउच पर जाकर सो गई।"…


सर भारी, बदन पुरा टूटा हुआ और आखें जब खुली तो शाम के 4 बज रहे थे। श्रेया चौंककर थोड़ी सक्रिय हुई, लेकिन सर इतना भारी था कि दिमाग काम ही नहीं कर रहा था। टेबल पर एक छोटा सा नोट परा हुआ था….

"मेरा कॉकटेल पीने पर मज़ा तो बहुत आता है लेकिन सोकर जागना उतना ही दुखदाई होता है। नोट के पास ही जूस रखा है, पी लेना, वरना कोई काम नहीं कर पाओगे। तुम्हारे फ्लैट की चाभी निकालने के लिए तुम्हारे तिजोरी में हाथ डालना परा उसके लिए सॉरी। आगे का वक़्त आनदमय हो, धन्यवाद।"
nice update ..par isse kisiko kuch jaankari mili hogi aisa lagta nahi ...
 
  • Like
Reactions: Nevil singh
15,607
32,140
259
Update:- 111




दोनो वहां से निकलकर पीछे के रास्ते सड़क पर आए और एक कार को बड़ी सफाई से उड़ाकर जगदीश राय के आवास तक पहुंच गए।…. "इसके घर में घुसकर मारना रिस्की है अपस्यु, पुलिस पहुंच जाएगी यहां। हम इतने तैयार भी नहीं है।".


अपस्यु:- किसने कहा हम तैयार नहीं है, पीछे देखो कौन आ रहे है।


जेके और पल्लवी पूरी तैयारी के साथ चले आ रहे थे। आते ही जेके कहने लगा…. "अबे ये कौन है जो मेरा टारगेट तुझसे मरवा रहा है।"


अपस्यु:- वो जो कोई भी है, उसका लिंक जरूर उस डायरी से है, जिसकी फोटो मैंने आपको दी थी।


जेके:- ये तो वैसे भी मरता लेकिन अभी इसे मारने का मन नहीं था। आज राठी ब्रदर्स या शुक्ला को टपकाना था।


पल्लवी:- वक़्त बहुत कम है क्योंकि 15 मिनट में पुलिस पेट्रोलिंग यहां होगी। तुम दोनो का कोई अभी पीछा तो नहीं कर रहा था ना।


ऐमी:- जो हमे फसाकर अपना काम निकलवाना चाहते थे, उनके 5 लोगों को सुला आए हैं। पीछा करने का तो सवाल ही नहीं होता।


पल्लवी:- दैट्स माय बॉय.. चलो जी अपने शागिर्द कि मदद कर दो..


जेके:- ठीक है, अपस्यु, ऐमी तुम दोनो सामने के गेट इनको उलझाओ, मैं और पल्लवी अंदर उस जगदीश को परम पिता जगदीश के पास पहुंचाकर आते हैं।


इस काम के लिए अपस्यु ने ऐमी को बाहर ही रखा, क्योंकि वो नहीं चाहता था कि हर जगह 2 लोग दिखे। अपस्यु बाउंड्री के फैंस को चेक किया, अंदाज़ा सही था, करंट दौड़ रहा था ऊपर के लोहे में।


जेके, अपस्यु को बिजली विभाग वाला ग्लोब्स थामते हुए कहा… "सिक्योरिटी गार्ड के ऑफिस में करंट ऑफ का तरीका मिल जाएगा, जल्दी करना।"


अपस्यु तेजी से उस बाउंड्री पर चढ़ गया। बॉडी तो पुरा मास्क पहले से थी, मोटे परत की ग्लोब्स लगने के बाद, झटका का कोई सवाल ही नहीं था। लेकिन अंदर आते ही मोशन सेंसर एक्टिव हो गए और तुरंत ही अलार्म भी बजने लगा।


यह एक अलर्ट अलार्म था जो केवल सिक्योरिटी वालों के लिए था। सिक्योरिटी वाले ने अपस्यु को देखा और उसने सभी गार्ड और बॉडी गार्ड को तुरंत अलर्ट अलार्म से जगाना शुरू किया। जब तक वो सभी बाहर आते, तबतक अपस्यु गेट पर खड़े गार्ड के केबिन में दाखिल हो गया और सभी अलार्म एक साथ ऑन करके फैंस करंट सप्लाई को बंद कर दिया।


अपस्यु को तो वक़्त काटना था। अपना काम करने के बाद अपस्यु ने जेके को बढ़ने के लिए संकेत दिया और खुद वहां के लॉन में आकर गार्ड से लरने की तैयारी करने लगा।


पहले तो उसपर फायरिंग शुरू हुई, लेकिन अपस्यु के बुलेट प्रूफ जैकेट के आगे सब बेअसर था। सभी गार्ड तेजी से अपस्यु के ओर दौड़े। अपस्यु भी तेजी से भागता हुआ लॉन के चक्कर लगाने लगा। अपस्यु को पकड़ने के लिए वो सभी गार्ड जो एक साथ दौड़ रहे थे, सब बिखर गए और अलग अलग दिशा से अपस्यु को पकड़ने की कोशिश करने लगे।


अपस्यु के पीछे से 2 गार्ड दौड़ लगा रहे थे और सामने से 2 चले आ रहे था। अपस्यु अपने दोनो मुट्ठी में छोटी सी चाकू दबाए आगे बढ़ा और अपने घुटनों पर आते हुए दोनो गार्ड के पाऊं को काटते हुए आगे फिसल गया और वो दोनो पीछे जाकर गिर पड़े।


अपस्यु खड़ा होकर फिर से दौड़ लगा चुका था। देखते ही देखते बिखरे हुए गार्ड अब कर्राहते हुए जमीन कर बैठे कोई पाऊं पकड़े था, तो कोई अपने पेट के स्क्रैच को संभाले था।


इधर जेके अपने तय समय पर काम खत्म करके अपस्यु को लौटने के संकेत देने ही वाला था कि वहां पुलिस के कई जीप की सायरन की आवाज़ आने लगी। अपस्यु को भनक थी कि ऐसा कुछ होने वाला है इसलिए ऐमी को वो बाहर रहने कहा था।


ऐमी बाहर अपना काम कर चुकी थी। आने वाले दो ओर के रास्ते को वो वहां बाहर खड़ी जितनी भी कार थी उससे ब्लॉक कर चुकी थी और जिन कार के पेट्रोल पाइप काट सकती थी उनके काटकर सबको आग के हवाले कर चुकी थी।


जेके दोनो की होशियारी पर खुश होते हुए अपस्यु को लौटने का संकेत दिया। जबतक 2 मुख्य मार्ग से पुलिस पैदल गस्त करती हुई पहुंचती, चारो जेके की कार में छोटी सी गली के रास्ते, जेके के ठिकाने तक पहुंच चुके थे।


इधर अपार्टमेट में पागल कर देने वाले इस सिऊंड ने पूरे अपार्टमेंट को परेशान कर रखा था और श्रेया के लिए चिंता का विषय उसके साथी की गिरती नवज थी। उसके लिए पहले से पदेशनी कम थी क्या जो अब ये साउंड। श्रेया फ्लैट नंबर102 से निकलकर अन्य लोगों की तरह ही अपार्टमेंट सेक्रेटरी के घर पर हल्ला बोल दी।


श्रेया तकरीब 5 मिनट वहां रुकी और वापस उस फ्लैट में पहुंचीं। जब वो वापस पहुंची और वहां का नजारा देखी, उसके होश ही उड़ गए। श्रेया पागलों की तरह छटपटाने लगी और नागिन सी फुफकार मारने लगी।


श्रेया अपने फ्लैट में पागलों कि तरह भटक रही थी। कुछ ही देर में उसके लोग श्रेया के फ्लैट में पहुंचे।… "तुम लोग ने 102 में देखा या नहीं।"..


गुफरान आंखों से धधकते शोले निकालते….. "5 साथी मारे गए हैं और हम यहां बस योजना बना रहे है। अभी वो कुत्ता और उसकी गर्लफ्रंड अंदर ही होगी। पहले उसे ठोको फिर समझते रहेंगे की क्या करना है।"..


तकरीबन 10 साथी उनके जमा थे, सब लोग "हां हां" करने लगे। श्रेया सबकी भावनाओ में शरीक होती हुई कहने लगी…. "पापा को अपनें लिए एक कातिल चाहिए तो कहीं और से इंतजाम करेंगे। परिणाम का बाद में सोचेंगे पहले साफ करो दोनो को। हां लेकिन सब साथ रहना। क्योंकि हमें उसे कमज़ोर नहीं समझना चाहिए।"..


जेन:- स्प्रे मारकर बेहोश करेंगे फिर इत्मीनान से उसके अंग-अंग को चीरकर अपने कलेजे कि आग को ठंडा करेंगे। सब लोग मस्क पहनो और स्प्रे लो।


बस कुछ ही पल में सब तैयार हो गए। स्टाफ क्यूटर्स के दरवाजे से सब लोग अपस्यु के फ्लैट दाखिल हुए। अंधेरे हॉल में जैसे ही उन लोगों ने रौशनी की… हॉल में लगा प्रोजेक्टर चलने लगा और वहां आवाज़ गूंजने लगी…. "मुझे मारने आए आप सभी लोगों को नमस्कार। मैं रात के 3-5 के बीच, तुम लोगों को भाड़े पर काम देने वाले जगदीश राय को साफ कर रहा होऊंगा, उसके बाद घूमने निकल जाऊं वो मूड पर है।"..

"खैर ये सब तो तुम्हारे काम की बात नहीं थी, लेकिन अब जो कह रहा हूं उसे सुनने और समझने में कोई चूक ना हो। यदि मुझे मारने कि इक्छा हो तो जगदीश राय के बंगलो आ जाना, वरना अपने 5 लोगों की लाश 102 से उठाकर निकल जाओ। कॉन्ट्रैक्ट मुझे मारने का मिला था तो मुझे मारना चाहिए था, मेरे परिवार पर हमला करना माफी के लायक नहीं।"

"तुम्हारे ग्रुप को मै केवल एक चेतावनी देकर मै छोड़ रहा हूं, कि उन पांचों की डिटेल मैंने अपने पास रख ली है। अगली बार मुझे शंका हुआ कि तुमने मेरी सुपाड़ी ली है, तो मै तुम्हारा पता लगाऊंगा। पहले मारूंगा और फिर तुम्हारी लाश से पूछना शुरू करूंगा…. "भाई बता अब तुझे किसने मुझे मारने कि सुपाड़ी दी थी, या अपने 5 लोगों का बदला लेने आया है"। ज़िन्दगी प्यारी हो तो बदला भूल जाओ वरना मृत्यु ही एक मात्र सत्य है और मैं, अपस्यु रघुवंशी, उस सत्य से तुम सबको अवगत करवा दूंगा।"…


अपस्यु का संदेश सुनने के बाद सब लोग अजीब ही गुस्से के साथ, श्रेया के फ्लैट में लौटे और हर कोई अपस्यु पर हुए आज के हमले के बारे ने पूछने लगा। किसी को खबर नहीं थी कि यह स्टेप लिया जा चुका है। श्रेया सबको शांत करती हुई कहने लगी….


"कल रात अपस्यु से बात करने के बाद मुझे लगा कि वो ऐमी या आरव के लिए कुछ भी कर सकता है। जगदीश राय पर एजेंसी वालों का सिकांजा बढ़ रहा था यदि वो गवाह बान जाता या अपना मुंह खोल देता तो पदेशानी का कारन बन जाता, इसलिए यह फैसला लिया गया था।"


गुफरान:- इसका मतलब जित्तू (वहीं आदमी जिसे ऐमी ने जहर का इंजेक्शन दिया था) को इन्हीं दोनो ने कुछ किया था और तुम कह रही थी इन दोनों (अपस्यु और ऐमी) के डिक्की में माइक्रोफोन और जीपीएस फिट करने घुसा था। तुमने हमसे पूरी कहानी छिपाई।


प्रदीप:- श्रेया, तुम्हारे बकवास प्लान के वजह से हमारे 5 साथी मारे गए। साफ शब्दों में कह गया अगली बार कुछ होगा तो हमारे ग्रुप का वो पता लगाएगा… जब तुम उसे अपने जाल म फसा ही रही थी फिर उसके परिवार पर हमला करवाने किसने कहा था। उसमे भी तुमने ऐमी को चुना। वो तो खुद भी एक ट्रेंड फाइटर है और शायद हम सब से बेहतर हो। ऊपर से दोनो को देखी थी ना इंडिया गेट पर, फिर भी उसपर हमला। जहालत है ये तो….


श्रेया:- मुझे लगा जिस लड़की से वो प्यार करता है, उसके घायल होने या मरने के बाद, वो अपना आपा खोकर बिना कुछ सोचे जगदीश राय को खत्म कर देगा और उसका वकील सिन्हा तो उसे निकाल ही लेगा, इसलिए मैंने सब कुछ प्लॉट कर दिया।


जेन उसे एक थप्पड़ खींचकर मारती…. "देख लिया उसको उकसाने का नतीजा। खुद ही कहती थी ना की उसके जैसा एक भी अपने टीम में हो फिर तो दुनिया जीत लेंगे। हर पॉवर को क़दमों में लाकर झुका देंगे। फिर क्यों उसको छेड़ दी।"


श्रेया:- कल पिए म जब उसको सुनी तो लगा कि उसे हम कुछ ज्यादा ही आंक रहे है। सेक्स और पॉवर उसकी भी ख्वाहिश है और इसका भी दिमाग आम लड़कों जितना ही है, बस एबिलिटी थोड़ी ज्यादा है।


प्रदीप:- आम लड़का, हाहाहाहा… उस भूत को आम लड़का समझ रही थी। 5 मिनट में तो उसने 4 लोगों को काट दिया। कब आया कब गया कीसी को भनक तक नहीं। तुम उसे फसाने के लिए जाल बुन रही थी और उसने डिक्की में जिसे बंद किया, उसपर बाहर से नजर रखवाए था। उसने पता भी लगा लिया कि हम जित्तू को 102 में लेकर गए है और तुम फालतू की टेक्नोलॉजी से उसके बदन में ट्रैकिंग डिवाइस ढूंढ रही थी।

"हमारे साथियों को मारने के बाद कितने विश्वास से कहता गया है कि वो अब जगदीश राय को साफ करेगा। वही जगदीश राय जिसपर 3 बार हमले करवा चुके है पर उल्टा मुह की खाने पड़ी थी। उसे तो यहां तक पता था कि उसने क्या किया और लोग उसे कहां ढूंढने आ सकते है। शुक्र करो उसने अपने घर में मौत का जाल नहीं बिछा रखा था। सामान्य सा लड़का है बस… । तुम जरा अपनी ओवर स्मार्टनेस कम करो श्रेया तो हमसब के लिए अच्छा होगा। भूत जैसे शिकारी को फसाने की चाहत है और अक्ल रत्ती भर भी नहीं।"


गुफरान भी गुस्से में लाल होते… "ऐमी को कोई मारने आया था, सिर्फ इस ख्याल से ही उसने सबकी बलि ले ली। परिवार की बीच रहने वाला मासूम सा लड़का जिसके चाकू का घाव देखकर यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ये वही मासूम है। उसे तुम इतना कम कैसे आंक सकती है। बिना सोचे जब वो इतना कर सकता है, फिर जब ध्यान स सोचकर करेगा तो अंदाज़ा भी है वो क्या कर सकता है और कहां तक घुस सकता है। बदला भूलकर पहले सबूत मिटाओ और सर्विलेंस पर रखो 24 घंटे, ताकि पता तो चले ये हमारे ग्रुप के पीछे पड़ा है कि नहीं। अच्छा हुआ वो फ्लैट ने नहीं था वरना 10 लोगों में से 5-7 को तो लपेट ही लेता।


जेन:- जिस श्रेया को हम अपने पापा की तरह चालक समझ रहे थे वो तो आज बेवकूफी कर गई और तुम गुफरान बोलते बोलते फिर से साबित कर दिए की तुम सबसे बड़े बेवकूफ हो। सब कुछ आंखों के सामने है, फिर भी ये सोच रहे हो कि उसकी जगह पर तुम 10 लोग टिक जाते। 4 सूरमा को तो 5 मिनट में उनकी जगह पर साफ कर दिया और तुम्हारे यकीन कि मै दाद देती हूं , उसके घर में घुसकर 10 लोग जाओगे मारने। बस भी करो तुम लोग और जाकर पहले सबूत मिटाओ ताकि वो हम तक पहुंचने का उसे कोई लिंक ना मिले।


श्रेया:- जेन सही कह रही है। वैसे भी अपस्यु ने यह कत्ल, यह सोचकर किया की किसी ने उसके ऐमी को मारने की कोशिश की थी, इसलिए आवेश में उसने 5 कॉन्ट्रैक्ट किलर को मारा डाला। अब उसे मारने गया है जिसने ये कॉन्ट्रैक्ट दिया था। मतलब साफ है, परिस्थिति कैसी भी हो वो अपना आपा नहीं खोने वाला। तुम सब सही कह रहे हो, हमारे 5 साथी के मरने के पीछे केवल और केवल मेरी बेवकूफी थी और अपस्यु उसे हमारा साथी के तौर पर नहीं बल्कि अलग सोच के साथ कत्ल किया है। उसके पीछे जाने से अच्छा है कि मेरी बेवकूफी को भूलकर उसे साथ मिलाकर काम किया जाए।


सभी लोग अभी बात कर ही रहे थे कि श्रेया के पास कॉल आया… "पापा आप इतनी रात को जाग क्यों रहे हो।"


पापा:- क्योंकि मै तुम्हारी पहली सफलता पर बधाई देना चाहता हूं। जिस सोच के साथ अपस्यु पर दाव खेला था वह सही हो गया। उम्मीद से परे है इसका काम और इसे मुमकिन तुम्हारी कोशिश ने बनाया है। इसे पूरे काबू में रखो ये लड़का कुछ भी कर सकता है।


श्रेया को लग गया कि हो ना हो अपस्यु ने जगदीश राय को खत्म कर दिया होगा। श्रेया ने तुरंत न्यूज लगाया और न्यूज में अभी वही चल रहा था… "मशहूर उदयोगपति जगदीश राय के घर में घुसकर, कुछ अज्ञात लोगों ने उसका कत्ल कर दिया। पुलिस मामले की छानबीन में लगी।"… टीवी की न्यूज सभी आंख फाड़े देख रहे थे और बस अपस्यु के क्षमता के बारे में पुनः आकलन करने में जुट गए।
nice update ..shreya ke logo ko maarna to samajh aaya par jagdish ray ko kyu maara ,usne to nahi di thi supari ....
 
  • Like
Reactions: Nevil singh
15,607
32,140
259
Updated:- 114




यह साल 2008 था। अपस्यु अपने दर्द को तो कुछ ही दिनों में भुल गया था किन्तु आरव और ऐमी को उबारने में लगभग 1 साल का वक़्त लग गया था। एक दिन अपस्यु अपने मां के ख्याल में डूबा हुआ था और उसे वो घटना याद आयी, जब उसने अपनी मां सुनंदा से अपने ननिहाल के बारे में पूछा था।


इस सवाल पर उसकी मां के छलकते आंसू याद गए और उन आशुओं में एक दर्द की कहानी बयां हो गई, जो उसकी बड़ी बहन कंचन और जीजा वीर प्रताप के साथ घटा था। इस घटना को याद करके अपस्यु के मन में इक्छा सी हो गई अतीत को जानने की। जानने की तलब इसलिए भी थी, की कहीं दोनो बहन के साथ हुए हादसे में कुछ कड़ियां जुड़ी तो नहीं।


अपस्यु पता लगाते हुए पहुंचा था प्रताप महल। प्रताप महल के छानबीन से अपस्यु को पता चल चुका था कि दोनो बहन के साथ बहुत ही बुरा हुआ। हालांकि वजह अलग-अलग थी, लेकिन घटना एक जैसी। अपस्यु खाली हाथ वहां से वापस आ रहा था और तभी लौटते वक़्त एक घटना हुई थी।


कुछ लोग पीछे के भुल-भुलैया में कुछ गुत्थियां सुलझा रहे थे। सफलता भी हाथ लगी और अंत में फिर वही हुआ जिसे देखकर अपस्यु हंसने लगा था। अपनो के हाथ एक धोखा। अपस्यु धोखेबाज को पहचान चुका था और वो कुछ दिन के बाद अपस्यु को दिल्ली में भी दिखा गया। वो धोखेबाज किसी और जगह नहीं बल्कि उसी एथिकल हैकर किशोर के यहां दिखा था, जो उस धोखेबाज को हैकिंग का ज्ञान दे रहा था।


अपस्यु ने बड़ी चतुराई से ऐमी को उस धोखेबाज के पीछे लगा दिया। फिर तो एक के बाद एक कहानी खुलती चली गई। हालांकि अपस्यु के अतीत से इसका कोई संबंध नहीं था, लेकिन अपने मौसेरे भाई दृश्य के धोखेबाज दोस्त के पीछे पड़ने से, अपस्यु के भविष्य कि तैयारी इतनी आगे पहुंच गई की उसके दुश्मन के पहचान होने के बाद वो काफी बौने नजर आने लगे।


अपने भाई दृश्य के इस दुश्मन के पीछा करने से अपस्यु के हाथ 2012 में एक ऐसी वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी हाथ लगी, जिसके दम पर वो किसी भी खुफिया विभाग के नेटवर्क को एसेस कर सकता था, वो भी बिना उसके नजर में आए। ऐसा भी नहीं था कि अपस्यु ने अपने भाई दृश्य से केवल कुछ लिया ही था, जिस प्रकार वो चोरी से उसके कई सारे अच्छे चीजों को अपना रहा था, ठीक उसी प्रकार वो कई ऐसे मौके पर गुप्त तरीके से उसकी मदद भी करते आया था।


साल 2012 में उसके भाई दृश्य को उसके लक्ष्य में सफलता हासिल हुई थी, उसके बाद फिर कभी अपस्यु ने उसकी खबर नहीं रखी, लेकिन उसका दिल जानता था, अनजाने में ही सही एक ना एक दिन उसके रास्ते टकराएंगे। इन सब मामलों में एक बात और सत्य थी, अपस्यु जहां अपने भाई को हीरो मानता था वहीं उसके दिल में दृश्य के लिए काफी नफरत भी भरी हुई थी।


दृश्य अपने बदले के दौर में एक ऐसी कहानी लिख रहा था, जिसके गुस्से के आगे जो आया वो तबाह सा हो गया। जब वो बदला लेने के लिए निकला था तब ना जाने कितने लोगों के खून से अपनी कहानी लिखी थी। इस कहानी को लिखने के क्रम में दृश्य यह बिल्कुल भुल चुका था कि बहुत सारे लोग पैसों के कारन केवल साथ देते है, जिनको मरना जरूरी नहीं था। और यही एक बड़ी वजह थी, जिस कारन अपस्यु दृश्य से उतनी ही नफरत भी करता था और उसके अनाथालय में उन्हीं घटना से अनाथ हुए बच्चे पल रहे थे।


मज़े की बात एक और थी। दृश्य अपने बदले के क्रम में 2 नाजायज बच्चो को भी पीछे छोड़ आया था, जिसमें से एक उसे मिल गया था जो इस वक़्त उसी के पास था। लेकिन अपने जीत के साथ ही वो अपना दूसरे बच्चे को भुल चुका था जो इस वक़्त सिन्हा जी के देख रेख में पल रहा था।


अपस्यु को भली-भांति पता था कि दृश्य को शायद ही कभी पता चले कि उसका कोई मौसेरा भाई भी है, लेकिन अपने इस नाजायज बच्चे का पता लगाकर वो एक ना एक दिन उसके दरवाजे तक जरूर पहुंचेगा, लेकिन ऐसे आरव को उठाकर पहुंचेगा उसे उम्मीद ना थी। अपस्यु और ऐमी को भी उन लोगों के दिल्ली पहुंचने से पहले तक जारा भी अंदाजा नहीं था कि आरव को दृश्य ने उठाया है। लेकिन जैसे ही दिल्ली के ट्रैफिक कैमरे से केवल उनकी इमेज गायब होनी शुरू हुई, अपस्यु और ऐमी को समझते देर ना लगी ये नया दुश्मन कौन है।


जैसे ही अपस्यु ने अपने भाई के सिक्योरिटी सिस्टम को भेदकर जैसे ही वहां कदम रखा, उन लोगों तक भी ये खबर पहुंच गई….


"भाई, लगता है मीटिंग की जगह पर कोई घुसपैठ हुई है।".. दृश्य का कंप्यूटर एक्सपर्ट और उसके छोटे भाई जैसा साथी आरूब मामले की जानकारी देते हुए दृश्य से कहने लगा।


दृश्य:- अरूब, देखो कौन घुसा है।"..


अरुब ने लैपटॉप ऑन करके जैसे ही स्क्रीन पर देखा, आश्चर्य से उसकी आखें बड़ी हो गई, और वो स्क्रीन घुमा कर सबको दिखाने लगा….


"वाउ.. क्या रोमांटिक कपल है लव, कितना पशनेटली नाच रहे है।".. दृश्य की जान अश्क उन्हें देखकर मुस्कुराती हुई कहने लगी।


दृश्य, अश्क को अपनी बाहों में समेटकर… "मै कबसे इतना पैशनेटली तुमसे एक किस्स चाह रहा हूं, उसपर कोई ध्यान ही नहीं है। सच ही लोग कहते है, शादी के बाद प्यार हवा हो जाता है।


अश्क:- इसलिए बाहर प्यार बर्षा रहे थे उसी की एक नाजायज कड़ी तो आज मै समेटने जा रही हूं, और एक परा है अपने दादा-दादी के पास। लव सच-सच बताओ और कितने नाजायज बच्चे है जो मेरी जानकारी में नहीं है।


दृश्य:- हद है क्यूटी, मै जब भी रोमांस के मूड में होता हूं, तुम पुरानी बात छेड़ देती हो।


अश्क:- मेरा मूड था अभी रोमांस का, लेकिन आपके नाजायज अफेयर मुझे याद आ गए और अब मेरा मूड आपसे झगड़ा करने का हो रहा है।


दृश्य:- हां ये अच्छा है। जारा फ्लैशबैक में जाओगी। एक बच्चा क्या 2 बच्चा ले लो, मेरे ओर से एक गिफ्ट, कौन भावनाओ में बहा था। मै किस दौर से गुजर था उस वक़्त तुम्हे याद है क्यूटी। मुझे पता है आज भी वो वाकया याद करके तुम रोती हो, लेकिन क्या ही करे, बुरा दौड़ था वो भी और हम कितने नासमझ।


अश्क, दृश्य में सिमटती हुई…. "जाने दो, बीती बातों को याद करने से केवल दर्द ही मिलेगा। चलो चलकर अपने बच्चे को वापस लाए। ना जाने वो लोग अपने बच्चे को किस तरह का हथियार के रूप में ढाल रहे होंगे…"


दृश्य:- कोई बात नहीं होगी उनसे क्यूटी, यदि हमारा प्रस्ताव मान गए तो ठीक वरना सबकी लाश पर से अपना बच्चा लेकर जाऊंगा।


इधर जबतक अपस्यु और ऐमी एक दूसरे को देखकर मदहोश होकर नाच रहे थे, दृश्य की पूरी टीम पहुंच गई…. "शुक्रिया मेरा वक़्त बचाने के लिए, वरना लगा था कि कहीं मुझे पता बताकर बुलाना ना पड़ता। देखो मेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं है तुमसे, मेरा कुछ तुम्हारे पास है उसे शांति से लौटा दो। फिर तुम अपने रास्ते और मै अपने रास्ते"… दृश्य अंदर घुसते ही अपस्यु से कहने लगा।


अपस्यु:- कमाल है बिना निजी दुश्मनी के ही तुमने मेरे भाई को उठा लिया। खैर ऐसा क्या है जो तुम्हे मुझसे चाहिए?


मुखिया:- तुम्हारे पास एक लड़का है वैभव वो और तुम्हारे अनाथालय के 60 बच्चे जो वीरदोई के है मुझे वो सब चाहिए।


अपस्यु:- ना ही मै कोई अनाथालय चलता हूं और ना ही मेरे बच्चे अनाथ है। उन सबका पिता तुम्हारे सामने खड़ा है, और जबतक मै जीवित हूं, उन्हें कोई हाथ भी नहीं लगा सकता।


"कितने प्यारे लगते है दोनो साथ में, तुम दोनो अलग रहकर काफी तरप जाओगे, इसलिए दोनो के आत्मा की तृप्ति आज ही एक साथ कर देंगे, और तुम्हारी लाश पर से उन सबको ले जाएंगे। ".. ऐमी उस जगह पर हुंकार भरती हुई कहने लगी…

अपस्यु:- जैसा तुम चाहो स्वीटहार्ट। हम दोनों तो कबसे मरने को तैयार है, बस साथ मारने का मजा और भी बढ़ जाता यदि मेरा भाई आरव भी साथ होता…


दृश्य:- मरने वाले की आखरी इक्छा पूरी कर दो आदिल, छोड़ दो उस लड़के को। और कुछ तो डिमांड तो नहीं है…


उसके कहने पर आरव को खोल दिया गया… वो भागकर अपस्यु और ऐमी के ओर आया। उसके आते ही ऐमी उसके चेहरे से लेकर पूरे बदन को व्याकुलता से देखती हुई आरव के गले लग गई…. "तुझे कहीं चोट तो नहीं आयी।"..


आरव, ऐमी से अलग होते… "नहीं आयी भाभी, तुम परेशान ना हो।"…


ऐमी:- बेबी आज मै और आरव है, आप ड्रिंक एन्जॉय करो। हमारे हथियार दो और बैकअप देते रहना।


आरव:- क्या बात कर रही हो। यार ये लोग चिड़ियाघर से भागे जरूर लगते है लेकिन सभी प्रोफेशनल है, अपस्यु को भी बोले आए।


अपस्यु, दोनो के बैग से रॉड निकालकर फेकते हुए…. "मै हूं ना, बस जो भी करना खुद पर काबू रखकर।"… फिर अपस्यु अपना बॉटल निकालकर दृश्य से कहने लगा… "अब क्या मुहरत का इंतजार कर रहे हो, आ भी जाओ।"..


जैसे ही आरव और ऐमी रॉड लेकर अपनी पोजीशन लिए, उसे देखकर दृश्य की टीम से आदिल कहने लगा…. "ये तो सिंडिकेट का लगता है। हमारे जैसी फाइटिंग स्टाइल।"..

दृश्य:- हां तो देर किस बात की है आदिल इन्हे भी उनके गुरुओं के पास जल्दी पहुंचा दो। चलकर फिर उन बचे हुए वीरदोयी से भी तो हिसाब लेना है।


आदिल ने अपने 2 लोगों को इशारा किया और वो लोग भी उन्हीं की तरह रॉड लेकर मैदान में उतर गए। वो दोनो तेजी से दौड़ते हुए ऐमी और आरव की ओर बढ़ने लगे। आरव इशारे से ऐमी को अपनी पोजीशन पर रुकने के लिए कहा और खुद तेजी से दौड़ता हुए आगे बढ़ने लगा।


जो 2 लोग दौड़ते आ रहे थे उनमें से एक अपने घुटने पर स्लाइड करते हुए आरव के पाऊं को निशाना बनाया, तो दूसरा हवा में उछलकर आरव के सर को। आरव उनकी नीति देखकर मुस्कुराए बिना नहीं रह सका और अगले ही पल आरव 360⁰ बैंक फ्लिप लेकर 3 फिट पीछे आ गया।


जो आदमी हवा से उछलकर सर को निशाना बना रहा था, वो अपना खाली वार करने के बाद सीधा आरव के सामने गिरा, जिसपर आरव ने बिना कोई रहम दिखाए अपना रॉड उसके कनपट्टी पर चला दिया और वो आदमी वहीं बेहोश।


दूसरा जो स्लाइड करते हुए आ रहा था वो सीधा ऐमी के पाऊं के पास रुका। जबतक वो खुद को दूसरे वार करने के लिए तैयार करता, उससे पहले ही ऐमी ने एक लात उसके मुंह पर दिया और वो भी बेहोश होकर किनारे हो गया।


इस तरह के लड़ाई की उम्मीद दृश्य को कतई नहीं थी। उसने आदिल के ओर इशारा किया और आदिल सहित सभी 6 लोग मैदान में कूद पड़े। तभी उन 7 में से एक लड़ाकी, अपने कपड़ों से कई सारी चाकू निकालकर लगातार फेकने लगी।


उन चाकुओं की बरसात के पीछे से, 6 लोगों की टीम भी आगे बढ़ने लगी। इधर जैसे ही चाकू फेकने शुरू हुए, आरव और ऐमी ने अपने दोनो हाथ के 4 फिट के रॉड को बीच से जोड़ते हुए उसे 8 फिट के 1 रॉड में तब्दील कर दिया और बीच से पकड़कर इतनी तेजी के साथ गोल-गोल घुमा रहे थे कि ऐसा लग रहा था कोई पंखा नाच रहा हो। सभी चाकू टकराकर दाएं बाएं गिर रहे थे।



"क्या निम्मी तुझे अपने पास बुलाकर नहीं सिखाई तो तूने तो वफादारी ही बदल ली।"… ऐमी अपने रॉड घूमती हुई कहने लगी…


तभी अपस्यु अपना एक पेग खिंचते हुए, पास परे 2 चाकू को उठाया और दोनो चाकू इस तेजी से निम्मी के उपर फेका की जबतक निम्मी को पता चलता उसे बचना है, उसके दाएं और बाएं दोनो हाथ में चाकू घुस चुका था। जैसे ही निम्मी का खून गिरा, वैसे ही पूरी टीम ठहर गई और निम्मी कर्राहते हुई अपना मस्क उतारती हुई कहने लगी…. "वफादारी तो शुरू से जैसी थी वैसी ही है, बस आपसे बहुत कुछ सीखने की चाहत थी है और सदा रहेगी।"


निम्मी को अप्पू ने थामा। अपने साथी का खून गिरते देख सब लोग आग बबूला हो गया, इसी बीच ऐमी गुस्से में खड़ी हुई, लेकिन दृश्य ने उसका हाथ पकड़कर इशारों में इंतजार करने कहने लगा..


सभी 5 लोग आदिल की अगुवाई में ऐमी और आरव को घेरे खड़े थे। सबके हाथ में एक ही जैसे रॉड और बस फर्क साइज का थोड़ा सा। आते ही सभी एक साथ टूट परे। वहीं ऐमी और आरव के बीच नज़रों का कुछ संवाद हुआ और ऐमी 2 स्टेप पीछे लेकर तेजी से दौड़ी, आरव ने जल्दी से अपना हाथ आगे किया।


ऐमी दौड़कर हवा में आरव के हाथ पर तकरीबन 4 फिट उछली, जहां आरव ने उसके उछाल को नई गति देकर तकरीबन 8 फिट उछाल दिया। ऐमी हवा में फिलिप करती, उनके घेरे के पार खड़ी हो गई। सभी लोगों का ध्यान जैसे ही भटक कर पीछे गया, आरव के अपने रॉड की मार से उन्हें अवगत करवा दिया।
nice update ..par ye kya maajra hai nimmi to gaon me rehti thi to drishya ke saath kabse kaam karne lagi ?....aur un bachcho ko kyu paana chahta hai drishya ????
 
  • Like
Reactions: Nevil singh
15,607
32,140
259
Update:- 118



कंचन:- अब तुम्हे क्या हुआ, ऐसे भागी क्यों?..


ऐमी:- मासी मेरी कमर लाल हो गई और आप पूछ रही है क्या हुआ। आपका बेटा छेड़खानी कर रहा है।


कंचन, अपस्यु को घूरती हुई…. "एक बात बता, इतनी बड़ी-बड़ी बातें करने वाला इतना बेशर्म कैसे हो सकता है। मै यहां खड़ी हूं और जारा भी लिहाज नहीं।"..


दृश्य और अश्क, दोनो (अपस्यु और ऐमी) को देख रहे थे और इन दोनों को देखते हुए, उन्हें अपने भी पुराने दिन याद आ गए। दोनो एक दूसरे के करीब, और करीब होते चले जा रहे थे। कंचन का इधर अभी पुरा फोकस अपस्यु पर ही था, तभी अपस्यु चिल्लाते हुए कहने लगा…. "मासी वो देखो दोनो को, और आप मुझे डांट रही थी।"…


छोटी छोटी नोक झोंक के बीच हंसी मज़ाक का काफी लंबा दौड़ चलता रहा। इसी बीच आधे घंटे की निजी मुलाकात दृश्य और अपस्यु के बीच भी हुई, जहां एक बार फिर दोनो के रास्ते मिल रहे थे। अपस्यु पूरी बात समझकर एक छोटी सी योजना पर दोनो साथ मिलकर काम करने के लिए राजी हो गए।


एक सुखद मुलाकात थी ये अपस्यु के लिए। जब वो वापस लौटा, तब उसकी मां का पूरा इतिहास उसके सामने था। उसकी खुशी उसके चेहरे से झलक रही थी जिसे ऐमी भी महसूस करते जा रही थी।


कुछ दिन अपस्यु और ऐमी के लिए काफी रोमांस और रोमांच से भड़ा परा था, जिसमें वो दोनो खुलकर जीने के एक अलग ही एहसास में डूबे हुए थे। वहीं श्रेया दोनो को देखकर अजीब ही कस-म-कस में दिख रही थी। श्रेया और उसकी पूरी टीम कितने भी नतीजों पर क्यों ना पहुंचे, लेकिन यह तय नहीं कर पा रहे थे कि अपस्यु को उसकी सच्चाई पता है या नहीं है।


ऊपर से श्रेया पर उसके पापा का प्रेशर बढ़ता जा रहा था, जो जल्द से जल्द अपने दूसरे टारगेट को एलिमिनेट होते देखना चाहता था, जिसके लिए श्रेया और टीम को खुलकर काम करने लिए 50 करोड़ की राशि दी गई थी।


इसी बीच अपस्यु के आमंत्रण पर मेघा भी भारत पहुंच चुकी थी, जो कि विक्रम की मेहमाननवाजी स्वीकार करती हुई राठौड़ मेंशन में अपने भाड़े के सिपाही जेम्स हॉप्स और उसकी टीम के साथ ठहरी हुई थी। उसके दिमाग में भी बहुत गहरी साजिश कहीं दूर से पक रही थी, जिसका नतीजा सोचकर वो अपने पूरी टीम के साथ पहुंची थी।


हर कोई अपने दिमाग पर बोझ दिए बस हर दिन अपने योजना को सुदृढ़ करने में लगे हुए थे। 10 दिनों की छुट्टी में अब मात्र 3 दिन बच गए थे। ऐमी, अपस्यु को रोमांस के चले एक लंबे दौर से जगाती हुई ,अब काम पर ध्यान लगाने की सलाह देने लगी, और अपस्यु के लिए अब वक़्त आ चुका था हर किसी के योजना को समझने का।



12, अगस्त 2014 की सुबह…


अपस्यु और ऐमी दोनो ही सुबह-सुबह मेघा के कॉल पर उससे मिलने राठौड़ मेंशन निकल चुके थे। एक बहुत लंबा इंतजार और फैसले के घड़ी के इतने करीब, ऐमी और आरव जब वीडियो कॉल पर थे तब उनकी एक्साइटमेंट देखने बनती थी। ..


दोनो राठौड़ मेंशन के दरवाजे पर थे, और गार्ड ने उनको बाहर खड़ा कर अंदर कॉल लगा रहे थे। तभी उस वक़्त कुसुम पूजा करके मंदिर से लौट रही थी और जब उसने दरवाजे पर अपस्यु को खड़ा देखी, उत्साह से अपने गाड़ी से बाहर निकली….. "सर आप यहां खड़े क्यों है।"..


अपस्यु:- क्या करे बड़े लोगों की हवेली है, कुछ देर तो इंतजार करना ही पड़ता है।


"यहां आप से बड़ा कौन है।".. कुसुम जैसे अपस्यु के अभिवादन में अपने शब्द कहीं हो और खुशी से चिल्लाती हुई कहने लगी, जल्दी से दरवाजा खोला जाए। गार्ड ने तुरंत दरवाजा खोला और कुसुम अपस्यु का हाथ पकड़कर वहां के हर चीज का इतिहास बताती हुई उसे लेकर आगे बढ़ने लगी।


पीछे से ऐमी कार को पार्क करती, वो भी उनके साथ हो गई। ऐमी पर नजर पड़ते ही कुसुम मुस्कुराती हुई कहने लगी…. "क्या सर जब से इन्हे परपोज किया है, हर जगह साथ लेकर ही जाते हो।"..


ऐमी:- कुसुम, तुम सर के बदले अपस्यु को भईया कह सकती हो और मुझे भाभी। चलेगा ना।


कुसुम, अपना प्यारा सा चेहरा बनाती….. "बहुत दिन के बाद मै दिल से खुश हुई हूं। मै बयान नहीं कर सकती की मै कितनी खुश हूं भईया। आप को यहां देखना मतलब, ऐसा लग रहा है किसी भक्त के घर भगवान स्वयं चलकर आए है।"


अपस्यु उसकी बातें सुनकर हंसते हुए कहने लगा…. "पहले ठीक से इंसान तो बन जाऊं, और तुम मुझे भगवान बाना रही हो।"


तीनों बात करते हुये, राठौड़ मेंशन पहुंचे। हॉल में पहुंचते ही कुसुम चिल्लाती हुई सबको इकठा करते, सबको अपस्यु से मिलवाने लगी। हर किसी को लगा कि अपस्यु कुसुम के साथ आया है, लेकिन तभी मेघा बीच में आती हुई दोबारा सब को अपस्यु का परिचय कराते हुए कहने लगी कि यह वही लड़का है जो रुकी फैक्टरी का काम आगे बढाने का काम अपने जिम्मे लिया है।


कुछ देर अपस्यु से मिलकर सब चले गए। कुसुम के आग्रह पर ऐमी उसके साथ जाकर उसका घर देखने लगी। वहीं अपस्यु डियनीग टेबल पर अपना मोबाइल रखकर मेघा और लोकेश से प्रोजेक्ट क्लीयरेंस संबंधित बातें करने लगा।


इसी बीच नंदनी का कॉल अपस्यु के मोबाइल पर आया और उसी के साथ नंदनी की तस्वीर भी स्क्रीन पर दिखने लगी। रिंग बजते ही लोकेश और मेघा का ध्यान भी फोन पर गया। फोन पर फ़्लैश होती फैमिली फोटो पर जैसे ही लोकेश की नजर गई वो दोबारा तस्वीर देखने पर विवश हो गया।


अपस्यु फोन काटकर फोन को साइलेंट पर डाला और प्रोजेक्ट के अन्य परेशानी के बारे में समझाने लगा। इस बीच नंदनी के 2-3 कॉल आए। हर बार लोकेश का ध्यान अपस्यु के फोन पर ही रहता। अपस्यु अपनी बात खत्म करते हुए नंदनी का कॉल पिक किया और कुछ देर के बाद वापस हॉल में आया।


लोकेश:- प्रोजेक्ट पर अच्छा काम किया है तुमने। वैसे तुम्हारे पापा क्या करते है अपस्यु।


अपस्यु:- वो एक हादसे में मर गए थे।


लोकेश:- ओह माफ करना। वैसे तुम्हारे पापा का क्या नाम है?


अपस्यु:- जी स्वर्गीय भूषण रहुवशी।


लोकेश:- और तुम्हारी मां का नाम?


अपस्यु:- नंदनी रघुवंशी।


"अपस्यु एक काम करना तुम अपना बायोडेटा इसे दे देना, फिलहाल तुमसे कुछ सीरियस डिस्कस करना है, उम्मीद है तुम्हारे पास वक़्त हो।"… मेघा अपस्यु को साइड ले जाकर पूछने लगी।


अपस्यु:- हाहाहाहा… आज शाम से लेकर पूरी रात फ्री ही हूं, बस तुम कहीं बिज़ी नहीं हो जाना।


मेघा:- बिल्कुल नहीं डार्लिंग, शाम को मिलती हु, तैयार रहना…..


मेघा अपनी बात कहती हुई निकल गई। अपस्यु एक बार फिर लोकेश के पास पहुंचा…. "सॉरी सर वो मेघा मैम ने बीच में टोक दिया। आप कुछ पूछ रहे थे।"..


लोकेश:- नहीं, मै बस ऐसे ही पूछ रहा था, अच्छा लगा तुमसे मिलकर।


लोकेश आगे कोई भी बात ना करते हुए, तेजी के साथ वहां से निकलकर विक्रम के कमरे में पहुंच गया और इधर ऐमी भी घूमकर लौट आई थी। दोनो वापस निकले राठौड़ मेंशन से। कार थोड़ी दूर आगे बढ़ी होगी, ऐमी अपस्यु के जांघ पर अपना हाथ फेरती उसे पैंट कि जीप तक बढ़ाने लगी… "अरे, अरे अरे.. ये क्या जर रही हो स्वीटी"..


"फीलिंग हॉर्नी बेबी, इसलिए तुम्हे रिझा रही हूं।"… ऐमी बड़ी अदा से कहने लगी।

"आज मज़ा तो मुझे भी आ रहा है, और एक अंदर से उमंग तो है, लेकिन कार में"… अपस्यु बोलते बोलते रुका…


"बेबी जल्दी से मेरी ओर देखो ना।" … जैसे ही अपस्यु मुड़ा, ऐमी उसके होठों को चूमती…. "जल्दी से कार मुक्ता अपार्टमेंट लगाओ।".. इतना कहती ऐमी नीचे झुकी और अपस्यु के पैंट के बटन को खोलती उसके जीप को नीचे की। अपस्यु अपने कमर को हल्का ऊपर किया और ऐमी पैंट को सरकाती हुई उसके पाऊं में ले आयी।


जल्द ही उसके पूरे बाल अपस्यु के जांघ पर फैले हुए थे और अपस्यु का चेहरा ऊपर अजीब ही मादक एहसाह में डूबा हुआ था। थोड़े ही देर में वो मुक्ता अपार्टमेंट में थे। दोनो एक दूसरे को देखकर हंसते हुए, तेजी से कदम बढ़ाते फ्लैट के ओर चल रहे थे।


जैसे ही दोनो फ्लैट के अंदर हुए, अपस्यु ने दरवाजा बंद किया और ऐमी उसे खींचकर अपने ऊपर लेती, होंठ से होंठ लगाकर चूसने लगी। अपस्यु भी होंठ को चूमते हुए उसके जीन्स के बटन खोलने लगा। ऐमी, अपस्यु को चूमती हुई अपने हाथ नीचे ले गई और जीन्स खोलने में अपस्यु की मदद करती, तुरंत जीन्स को पैंटी सहित निकलकर बाहर फेंक दी।


अपस्यु भी ऐमी के जीभ को अपने जीभ से लगाए उसे लगातार चूमते हुए अपने हाथ को नीचे ले जाकर फोरप्ले करने लगा। चुम्बन के बीच में ही ऐमी ठंडी आहें लेती, अपने पंजे को अपस्यु के पीठ से जकड़कर, किस्स को तोड़ती हुई बदहवासी में कहने लगाई…. "बेबी ये दीवाल मज़ा नहीं से रहा, बिस्तर पर चलो।"..


अपस्यु अपने होंठ ऐमी के गले से लगाकर उसके चूमते हुए हटा और अपने बदन से कपड़े निकालते बिस्तर तक पहुंचा, ऐमी भी पीछे-पीछे वैसे ही पहुंचीं। जैसे ही बिस्तर के पास दोनो पहुंचे, ऐमी ने धक्का देकर अपस्यु को बिस्तर पर लिटाया और उछलकर उसके कमर पर बैठती, पूर्ण मज़ा के ओर बढ़ने लगी।


ऐमी लिंग को योनि में डालकर, धीरे-धीरे अपने कमर हिलती, अपस्यु का हांथ पकड़ कर अपने स्तन पर डाली और धीरे-धीरे मज़े लेने लगी। अपस्यु भी कुछ देर स्लो मोशन धक्के का मज़ा लेते हुए बैठ गया और ऐमी के होंठ को अपने होठ से लगाते हुए, पूर्ण जोश की रफ्तार शुरू कर चुका था। जोश ऐसा की दीवाना बना दे।


ऐमी का नरम और गोरा बदन, हर धक्के की थाप पर बड़ी ही मादक तरीके से ऊपर नीचे हो रहा था। उत्साह से ऐमी, अपस्यु के पूरे होंठ को चूस रही थी और अपने दोनो पंजे अपस्यु के पीठ में पूरे घुसे हुए थे। एक कामुक पल पुरा मस्ती में बिताने के बाद, दोनो निढाल बिस्तर पर गिर गए और ऐमी अपस्यु के सीने में घुसकर खामोशी से बस उसकी धड़कने सुनने लगी…


"बेबी, बहुत लंबा साल इंतजार किया है। अब बस इसे अंजाम तक पहुंचाओ।"… ऐमी, अपस्यु में कुछ और सिमटती हुई कहने लगी।


"तुम जैसा चाहोगी वहीं होगा ऐमी। हम एक साथ बिजली गिराने वाले हैं पहले इन्हे झटकों का मज़ा तो लेने दो।"…


"हम्मम ! उस सार्जेंट जेम्स हॉप्स का क्या करोगे।"…


"जेके और पल्लवी से थोड़े देर बाद मुलाकात होने वाली है, वहीं देखते है इनका बारे में क्या निष्कर्ष निकला है।"…


"अपस्यु, बेईमान तुम्हे पता चल गया ना श्रेया के पीछे कौन है।"…


"ज्यादा बोझ क्यों लेती हो, श्रेया और उसकी टीम तो बेचारे बेकार में पीस गए हमारे बीच। टीम तो उनकी अच्छी है, लेकिन नवसिखियों की टीम है, जो ट्रेनिंग के बाद सीधा हमारे पीछे आ गए। लेकिन तुम सही कही थी, उसके साथ रहा तो हमारा भविष्य योजना काफी मजबूत होगा। जिस हिसाब से उसकी बेचैनी मै आजकल देख रहा हूं, उस हिसाब से तो लगता है कि आज से कल तक में वो अपने दूसरे टारगेट से भी भिड़ा देगी।"…


"हम्मम ! यहां हर किसी की प्लैनिंग चल रही है, और मै बेकार में आज एक्साइटेड हो गई। ये वक़्त फोकस बनाए रहने का था। बेबी, इतने दिन से रोमांस कर रहे है फिर भी आज मैंने तुम्हे फसा दिया। मुझे ये स्टेप नहीं लेना चाहिए था।"…


"पागल कहीं की। लगता है तुम्हे मज़ा नहीं आया क्या, यदि ना है तो बोल दो, मैं दूसरे राउंड के लिए तैयार हूं।"


"मुझे ना लगता है सुबह सुबह तुम्हारी वाली बेशर्मी ही घुस गई थी जो मै इतनी हॉर्नी हो गई। चलिए उठिए सर, चलकर जरा माहौल का जायजा लिया जाए।"..



इधर राठौड़ मेंशन में नंदनी की तस्वीर देखने के बाद तो जैसे लोकेश खुद में अब जीता हुआ महसूस कर रहा था। हर खींचती श्वांस में वो अपने अंदर आने वाले ताकत को महसूस करने लगा था। उसके कई सालों की योजना अब सफल होने वाली थी। लोकेश तुरंत ही अपने पिता विक्रम और मेघा के साथ प्राइवेट प्लेन में उदयपुर स्थित अपने छोटे से लंका में पहुंचा।


एक पुरा इलाका जो लोकेश के नियंत्रण में था। जहां हर तरह के अंतरराष्ट्रीय हथियार से लेकर, दुनियाभर कि नई तकनीक दिन रात लोकेश के इशारे पर काम कर रही थीं। अपनी जगह पर खड़ा होकर लोकेश अट्टहास भरी हंसते हुए विक्रम से कहने लगा….


"पापा इतने दिनों से आपको इसी दिन के लिए रोक रखा था। यें पूरी तैयारी बस जैसे आज का ही इंतजार कर रही थी। बस 2 दिन और दे दो, और मुझे जारा अपनी बुआ के बारे में छानबीन करने दो। जैसे ही यह सुनिश्चित हुआ की वही नंदनी रघुवंशी है, सबसे पहले बिजली उस राजीव मिश्रा और उसके समस्त परिवार पर गिरेगी, जो हमसे मिलकर काम करने की बजाय हमारे पार्टनर के झांसे में आकर, मेरे ही खिलाफ कार्यवाही कर रहा था। राजीव मिश्रा के साथ ही जाने वाले की लिस्ट में है होम मिनिस्टर जिसने बहुत दर्द दिए है और फिर एक बार खत्म हो जाएगा नंदनी के पुरा वंश और इस बार भी वो केवल अकेली जिंदा बचेगी।"
nice update ..agar hero ki mausi jinda hai to phir drishya kyu keh raha tha ki usko anath kar diya ..
 
  • Like
Reactions: Nevil singh

rgcrazyboy

:dazed:
Prime
1,962
3,395
159
Doston ... Aaj kal main "Kaisa ye Ishq Hai, Ajab Sa Risk Hai"... Iss kahani ka end likhne me vyast hun .. jo mere khyal se Sunday tak pura ho jayega...

Uske baad "
Bhanwar" Ke update aane shuru honge... Jiska ek part end ho chuka hai aur final part ending ke ore hai...jo mere khyal se ab jyada dur bhi nahi hai..

Dhanywad
:huh:
update pls :shout:
 
15,607
32,140
259
Update:-131








अश्क, पार्थ से… देखो दोस्त या तो प्यार में देवदास बन जाओ या फिर प्यार को प्यार से अपने ओर आकर्षित करने की कोशिश करो, मर्जी तुम्हारी है।..


पार्थ:- नाह मै अभी प्यार के बारे में नहीं सोच रहा, ये वक़्त तो हमारे परिवार का है.. और मैं पार्थ आप सबका होस्ट, आप सबका दोस्त, यहां आप सबको आज की इस महफिल में स्वागत करता हूं। पीकर होश खोने की रात नहीं है, क्योंकि ये होश में पूरे एन्जॉय करके बेहोश होने की रात है। और इस शाम को यादगार बनाने के लिए मै अपनी खूबसूरत और हॉट दोस्त ऐमी को एक डांस के लिए इन्वाइट करना चाहूंगा।..


जैसे ही पार्थ का जोश भड़ा अनाउंसमेंट हुआ, सभी लोग हूटिंग करना शुरू कर दिए।…. "रुको, रुको, रुको… शो शुरू होने में केवल 10 मिनट रह गए हैं, तो मुझे भी एक डांस पार्टनर की जरूरत है।".... अश्क भी उनके पागलपन में शरीक होती कहने लगी।


आरव अपने घुटने पर बैठते… "भाभी, ऐसे चिल्लाकर कहोगी तो एक पार्टनर नहीं, अनेक पार्टनर की लाइन लग जाएगी।"…


अपस्यु ने म्यूज़िक प्ले कर दिया और एक ओर पार्थ नाचने लगा और दूसरी ओर आरव। ऐमी की नजर डांस करते हुए भी लगातार अपस्यु पर बनी हुई थी। जब से वो कमरे में घुसी थी, उसे ऐसा लग रहा था मानो अपस्यु का आकर्षण उसे खींच रहा है। अपस्यु भी मुसकुराते हुए बस ऐमी को देख रहा था और हवा में जाम लहराते हुए टेस्ट कर रहा था।


इसी बीच दृश्य भी पहुंच गया और वहां का नजारा देखकर थोड़ा हैरान सा हो गया। कुछ बोलने से अच्छा सीधा बार काउंटर पर चला गया… "8 बजने वाले है, प्लान पर एक्शन लेने का समय है, और ऐसे समय में तुम"..


कुंजल, दृश्य से:- सुनो भईया, क्या आपने प्लान पहले से बना लिया लिया था?


दृश्य:- हां, वो भी बिल्कुल परफेक्ट..


कुंजल:- सबको प्लान के हिसाब से उसका काम अच्छे से समझा दिया?


दृश्य:- हां बिल्कुल..


कुंजल:- यहां पर मौजूद लोगों में से उसके हिस्से का काम शुरू हो चुका है क्या?


दृश्य:- ना अभी उसमे समय है…


कुंजल:- फिर इतना टेंशन में क्यों हो, आराम से ड्रिंक लीजिए और एन्जॉय कीजिए, जब हमारा वक़्त आएगा तब हम अपना काम शुरू करेंगे।


दृश्य:- इसे लापरवाही कहते है। अपस्यु तुम सुन भी रहे हो?


कुंजल:- वो अपनी बीवी को देखने में व्यस्त है। वैसे अश्क भाभी भी कम मस्त नहीं लग रही, चाहे तो आप भी उन्हें बड़े प्यार से देख सकते है। वैसे भी आपसे नाराज होकर गई थी।


दृश्य:- है तो सबसे छोटी लेकिन बातें बड़ी-बड़ी..


कुंजल:- भईया एक बात पूछूं..


दृश्य:- हां पूछो ना..


कुंजल:- दिखने में तो आप करेला लगते हो फिर इतनी मस्त आइटम पटाई कैसे।


कुंजल अपनी बात कहकर हंसने लगी और उधर से अपस्यु का एक हाथ सीधा कुंजल के सर पर लगा, जबकि उसकी नजरें ऐमी पर ही थी…. "देखा दृश्य भईया, इनका ध्यान हमारी बातों पर ही था, लेकिन नजरे और दिल वहीं टिकी है।"..


तभी वहां का म्यूज़िक बंद हो गया.. अचानक से एक बार लाइट गई और फिर आयी…. "अब आप सब यहां आकर आराम से बिना कोई आवाज़ के शो का मज़ा ले।"… अपस्यु अपनी बात कहते हुए बड़े से स्क्रीन को चालू कर दिया और सभी लोग अपस्यु के द्वारा व्यवस्थित बार काउंटर के पास अपनी-अपनी जगह ले लिए।


अारूब एक लाइन पर दृश्य से संपर्क बनाए हुए था, साथ में सबको कमांड भी दे रहा था और इधर अपस्यु अपने लैपटॉप के स्क्रीन पर पार्टी में आए मेहमानों पर नजर दिए हुए था। पार्टी में शिरकत करते मेहमान को देख अपस्यु कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था इंतकाम और न्याय सब एक साथ मिल जाएगा।


कुछ लोग जैसे शिपिंग किंग जवेरी, साची के पिता मनीष मिश्रा, प्रकाश जिंदल और एक छिपा हुआ एक स्लीपिंग पार्टनर अमोघ अग्रवाल, एक प्राइवेट बैंक का मालिक, ये सब विक्रम राठौड़ के साथ शुरू से बने हुए थे। इसके अलावा आने वालों मेहमानों को देखकर बहुत सारी तस्वीरें खुद व खुद साफ हो गई।


पक्ष और विपक्ष के नेता जो होम मिनिस्टर के लिए गड्ढे खोद रहा था, कई नाम चिह्न बिजनेसमैन, जिन्हे काले और उजले पैसों में काफी रुचि रहती है। सरकारी पदों पर अच्छे पोस्ट को होल्ड किए कई सरकारी डिपार्टमेंट के उच्च अधिकारी और निदेशक। इन सब का साथ होना केवल इसी ओर इशारा कर रहा था कि लोकेश ने वीरदोयी की मदद से इनके कई सपने साकार किए होंगे।


इधर उस कमरे का माहौल शांत होते ही, ऐमी मुस्कुराती हुई बार काउंटर के पीछे आयी। अपस्यु की देखकर तो ऐमी कबसे खींची जा रही थी। सबकी व्यस्त देखकर ऐमी अपनी दबी अरमान को हवा देती, अपस्यु के होंठ को प्यार से चुमकर अलग हटी। अपस्यु आश्चर्य से अपनी आखें बड़ी करके वो चारो ओर देखने लगा। हर कोई अपनी नजर बड़ी सी टीवी स्क्रीन पर डाले हुए था।

अपस्यु, पहले खुद काउंटर के नीचे बैठा और ऐमी का हाथ खींचने के लिए जैसे ही अपना हाथ उपर लेकर गया, ऐमी फिर खड़ी हंसती हुई अपस्यु को अंगूठा दिखा रही थी। अपस्यु गुस्से से ऐमी को घूरा और चुपचाप उठकर खड़ा हो गया।

ऐमी अंदर ही अंदर हंसती हुई सबका ध्यान अपनी ओर खींच और सबके लिए एक ड्रिंक बनाने लगी। पहला ड्रिंक कुंजल को सर्व हुआ जो मोकटेल की जगह मार्टिनी था। कुछ नज़रों के संवाद कुंजल और ऐमी के बीच हुआ और कुंजल ऐमी की चतुराई पर हंसे बिना नहीं रह पाई।


दूसरी ओर अारूब का एक्शन पैक धमाल भी शुरू हो चुका था। अपस्यु अपने स्क्रीन से पार्टी हॉल पर नजर जमाए हुए था और सभी लोग रूम के स्क्रीन पर नजरें जमाए… अपस्यु ने दृश्य को होल्ड का सिग्नल भेजा और लगातार अपने स्क्रीन देख रहा था।


8 बजे से शुरू होने वाला मिशन 8.15 तक होल्ड पर रखा हुआ था। अपस्यु जब सुनिश्चित हो गया कि इतने मेहमानों के बीच में लोकेश अब फंस गया है, तब अपस्यु ने कंप्लीट फॉरवर्ड का इशारा किया और ऐमी के कान में कुछ समझाकर बड़े आराम से लोकेश की पार्टी के लिए निकल गया।


अपस्यु, काया को साथ लेकर पार्टी में पहुंचा। बहुत से व्हाइट कॉलर लोगों के अलावा बहुत से ब्लैक कॉलर लोग भी पहुंचे थे। माहौल किसी रंगीन पार्टी जैसा था, जिसमें बदन कि नुमाइश करती कई सारी लड़कियां ड्रिंक और स्नैक्स सर्व करती हुई, लोगों के आखों और हाथों का भी मनोरंजन कर रही थी।


अपस्यु जैसे ही अंदर घुसा, काया के कान में कुछ बोलते हुए, लोकेश के ओर बढ़ने लगा, जो इस वक़्त आपने पापा विक्रम राठौड़ और प्रकाश जिंदल के साथ खड़ा, अपने एक बिजनेस पार्टनर के. डी. जवेरी से बात कर रहा था। लोकेश की नजर जैसे ही अपस्यु पर गई, अपने दोनो हाथ खोलकर उसे वेलकम करते हुए माईक पर बोलने लगा….. "आज की शाम जिस खास होस्ट के नाम है वो हमारे बीच चला आया। क्या आप में से कोई बता सकता है कि ये कौन है?"..


कुछ को छोड़कर बाकियों को कुछ भी पता नहीं था। लोकेश 15 सेकंड का एक पॉज लेकर, फिरसे बोलना शुरू किया….

"सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वाकील अनुरुद्ध सिन्हा का होने वाला दामाद, सेंट्रल होम मिनिस्टर का मुंह बोला बेटा, दिल्ली के लोकल गैंग से लेकर मुंबई अंडरवर्ल्ड तक जिसके नाम की सुपाड़ी नहीं के सकते, प्रतप ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक का खास दोस्त, और मायलो ग्रुप का मालिक मिस्टर अपस्यु रघुवंशी।"…


"मेरा परिचय तो काफी धांसू था, लव यू ब्रो। यहां आए सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को मेरा नमस्कार। यहां मौजूद ज्यादातर लोग को मै जानता हूं, चाहे वो मशहूर बिजनेस मैन माणिकचंद जी हो या फिर शिपिंग किंग जवेरी। मै किसी से परिचय करने में रुचि नहीं रखता, मै काम करने में विश्वास करता हूं, शायद इसलिए कम वक़्त मेरा अपना मुकाम है। इसलिए प्लीज मेरे पास भिड़ लगाकर अपना परिचय देने से अच्छा है कोई काम की बात हो तो ही मेरे पास आइए, वरना ये पार्टी एन्जॉय करने के लिए है। आप भी एन्जॉय कीजिए और मुझे भी पार्टी एन्जॉय करने दीजिए।"

"एक बात और, मै शुरू से फैमिली बिजनेस करता हूं, इसलिए अपने भाई लोकेश के साथ आज खड़ा हूं। यहां आयी लड़कियों के कपड़े में थोड़ी तब्दीली मैंने कर दी है, आप सब भी अपने आचरण के तब्दीली कर लीजिए। और यदि औरत की जरूरत इतनी ही मेहसूस होती हो तो घर से अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड को लेकर चला कीजिए, क्योंकि यहां आप की जरुरत बढ़ रही होगी और पता चला कि उसकी जरूरत कोई और पूरी कर रहा हो। मुझे सुनने के लिए धायवाद, एन्जॉय दी पार्टी।"


अपस्यु अपने तेवर से वाकिफ करवाते बार काउंटर पर आकर अपना ड्रिंक एन्जॉय करने लगा और इधर लोकेश के लिए परिस्थिति से निपटना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। अपस्यु ने अपने शब्द के तीर ऐसे चला चुका था की हर कोई घायल होकर बिलबिला रहा था। लोकेश ने मेघा को इशारा से अपस्यु के पास भेजा और खुद एक वीरदोयी के कान में कुछ ऐसा कहा जिससे वो हसने लगा।


वो वीरदोयी लोकेश की बात को संदेश के तौर पर सभी वीरदोयी के पास तुरंत भेज दिया। वो लोग भी संदेश खोलकर देखते हुए हंसे और चुपके से वहां मौजूद सभी लोगों के बीच फैला दिया। इधर मेघा, अपस्यु के साथ बैठकर अपना ड्रिंक टोस्ट करने लगी।…. "हम्मम ! आते ही अपने तेवर से सबको वाकिफ करवा गए।"..


अपस्यु, मुसकुराते हुए…. "लुकिंग कूल मेघा। लगता है पार्टी के ख्याल से पिछले 5 घंटे से तैयार हो रही हो।"


मेघा:- औरतों के तैयार होने में लगे वक़्त का तुम्हे बड़ा अनुभव है, क्यों ऐमी को बिठाकर तुम खुद ही तैयार करते हो क्या?


"क्या बच्चे, ये क्या सॉफ्ट ड्रिंक पी रहा है "… अपस्यु के पास एक वीरदोयी लड़ाका खड़ा होते हुए कहने लगा… "तुम्हारी यहां जरूरत है क्या?"… मेघा ने जवाब दिया..


लड़ाका…. "मैं तो बस देखने आया था कि जिस अंदाज़ में इसने बात किया, उस अंदाज़ के लायक भी है क्या?


अपस्यु, हंसते हुए…. "तू यहां का स्टाफ है ना जाकर काम देख। काम से छुट्टी मिली है तो पार्टी एन्जॉय कर, बाकी मेरे लायक या नालायक होने का प्रूफ आराम से देते रहेंगे, अभी तू तो यहीं रहेगा ना।"


वीरदोयी लड़ाका…. बात मुझ अकेले की नहीं है, बल्कि यहां मौजूद सभी लोगों की है। बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण भी तो होने चाहिए ना सर।


अपस्यु चिल्लाते हुए कहने लगा…. "तो यहां सबको ये बात खटक रही की, बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण होने चाहिए… और बेसिकली वो गुण कौन से होने चाहिए…


वीरदोयी लड़ाका….. "हमे हराकर दिखाओ और हमारी वफादारी पाओ।"..


अपस्यु:- क्यों लोकेश ने भी यही किया था क्या?


वीरदोयी लड़का:- नहीं उसने ऐसा नहीं किया, इसलिए तो वो हमारा बॉस नहीं, हम पार्टनर्स है और सभी पार्टनर्स ने लोकेश की लीडरशिप को एक्सेप्ट किया है, और तुम हमारी जगह पर खड़े होकर, हमारे लीडरशिप को चैलेंज कर रहे… कहां से काम चलेगा मुन्ना…


अपस्यु:- "मुझे पता था कि तू मुझे लड़ने कि ही चुनौती देगा। वो क्या है ना हर ताकतवर के साथ यही समस्या होती है, उसे अक्ल से ज्यादा बड़ी भैंस लगती है, इसलिए शारीरिक बल होने के बाद भी किसी नेते के पास रहकर उसके जूते चाटना, किसी बिजनेस मैन के हाथों की कठपुतली होना, यही उनकी किस्मत है। मूल रूप से ताकत और बुद्धि का कोई मेल नहीं, और बहुत कम लोगों के पास ये दोनो साथ होते है।"

"मै फाइट करूंगा, लेकिन एक शर्त पर, कम से कम 5000 करोड़ की बेटिंग होनी चाहिए। मैं बिना किसी फायदे या नुकसान के कोई काम नहीं करता। बॉस का एटिट्यूड है इसलिए पैसा बनाऊंगा और शेर का जिगरा है इसलिए किसी भी जगह पर खड़े होने की हिम्मत है।"..


मेघा अपस्यु की बात सुनकर सिटी बजाती हुई कहने लगी…. "500 करोड़ मै लगाऊंगी अपस्यु तुम्हारे ओर से।"..


अपस्यु:- लव यू मेघा, मुझे यकीन था कि तुम्हे मेरे एटिट्यूड से कोई पंगा नहीं होगा। और बाकी के लोग आपस में सलाह मशवरा करके जल्दी से पैसों का इंतजाम करके मुझे सूचना दो, जबतक मै अपना ड्रिंक एन्जॉय करता हूं।


अपस्यु अपनी बात कहकर वापस बार काउंटर पर आकर ड्रिंक लेने लगा। प्रकाश जिंदल जो इस वक़्त अपने कुछ खास दोस्तों के बीच था, वो मेघा को अपने साथ कोने में ले जाकर, उसके फैसले पर उसे बहुत सुनाने लगा। लेकिन मेघा भी अपने फैसले को लेकर बहुत ही सुनिश्चित थी, इसलिए वो अपने पापा के खिलाफ चली गई।


एक ओर अारूब का मिशन शुरू हो चुका था, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर अपस्यु ने पुरे माहौल को ऐसा फसाया था कि हर किसी को 5000 करोड़ अपनी खोली में नजर आ रहा था। एक 21-22 का अय्याश और आवारा लड़का, वीरदोयी लड़ाका से लड़ेगा, और साथ 5000 करोड़ की शर्त।


चूंकि मामला 5000 करोड़ का था और इतने पैसे लगाना किसी एक के बूते की बात थी नही, इसलिए सब अपना ज्यादा-ज्यादा पैसा लगाने के लिए पैसों के इंतजाम में जुटे हुए थे। सबसे ज्यादा चमक तो लोकेश के ही आखों में नजर आ रहा था। लोकेश को भी कमाने की चाहत काफी बढ़ चुकी थी। 1000 करोड़ कैश तो उसके इस बेस पर था, लेकिन वो इस डील में कम से कम 2500 करोड़ लगाना चाहता था, इसलिए वो भी बंदोबस्त में जुट गया।


चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।
kamaal ka update ...har koi apna attitude dikha raha hai ??....5000 crore hero ke paas hai kya ??? par hero ka plan kya hai ye abhi tak samajh nahi aaya ??...
aur sharir me chemical wali baat bhi jisse hero ko taaqat milti hai aur daaru peene se uska balance sahi rehta hai ...
 
15,607
32,140
259
Update:-133








एक एक्सपेरिमेंटल बच्चा, 200 गुना ज्यादा क्षमता वाला दृश्य, आम मनुष्य की क्षमता वाले अपने भाई पर भरोसा जताए, एक छुब्द मानसिकता वाले धरती के बोझ लोकेश पर पुरा नजर डाले था। अपस्यु के अजीज साथी केवल इस इंतजार में थे कि बस ये पैसे लोकेश से दूर हो जाए, फिर एक तबाही का मंजर शुरू होगा जिसका आमंत्रण खुद लोकेश देगा और उस आने वाले वक़्त की पूरी तैयारी में पहले से कमर कस चुके थे स्वास्तिका, पार्थ और आरव।


ऐमी की ललकार उन 160 साथियों की ललकार थी, जिन्हें खोने के दर्द ने इन्हे कुछ भी कर गुजरने के काबिल बना दिया था। इन्हे ना तो उस एक वीरदोयी का डर था, जो अकेले अपनी क्षमता के दम पर पूरे डेविल ग्रुप को समाप्त कर सकता था और ना ही उनके पूरे भिड़ का कोई खौफ। सबके बीच खड़ी होकर ऐमी ने बेकौफ होकर युद्ध का बिगुल बजाया और मुस्कुराते हुए अपने सभी साथियों को देख रही थी।


बीच का एक बहुत बड़ा जगह लड़ाई के लिए खाली करवाई गई। अपने हुनर और ताकत के घमंड की ललकार वीरदोयी ने भी लगाया। अट्टहास सी हंसी के बीच बड़े ताव से कहा गया, चुन ले वो अपने हथियार और कर ले कोई भी वार, लेकिन जान देने को रहे तैयार।


अपस्यु ने जाम को अपने दोस्तों के सामने लहराया, उनके सामने सर झुकाया, मानो कह रहा हो बिल्कुल अंतिम पड़ाव अब आ गया है, पहले मै रण में जाता हूं फिर तुम सब मेरे पीछे आओ। अपने भाई के गले लगा और कानो में बड़े धीमे से कहा, ऐमी और आरव को छोड़कर यहां की बची जिंदगियां की हिफाज़त उसके जिम्मे। और सबसे आखरी में वो निम्मी से हाथ मिलता चला।


अपस्यु बिल्कुल मध्य में खड़ा हुआ, मुसकुराते हुए सबको एक बार देखा और हाथों के इशारे से उसने वीरदोयी को भेजने कहा। दुश्मन को बुलाकर अपस्यु खुद अपनी आखें मूंदे बस मेहसूस कर रहा था। लोगों के दिए हौसले के बीच वो वीरदोयी लड़ाका उतरा मैदान में, अपने हाथ में स्टील की छोटी सी मजबूत कुल्हाड़ी लिए। चलाने में आसान और आस्तीन में नीचे बड़े आराम से जिन्हे छिपाया जा सकता था।


चाइनीज और कोरियन गैंग द्वारा इस्तमाल किया जाने वाला ये एक फिट की छोटी सी कुल्हाड़ी, इस्तमाल करने का कॉन्सेप्ट शायद वहीं से प्रेरित था। हवा की तेजी से दौड़ते वो वीरदोयी लड़ाका अपस्यु के सर पर निशाना लगाया, और अपस्यु बस खुद में खोया सा, मुस्कुराते हुए हवा की गति में परिवर्तन के हिसाब से अपने अपने बदन और सर को ऐसे लहरा रहा था मानो बस खोकर वो हवा को पढ़ते हुए उसके अनुसार अपनी प्रतिक्रिया दे रहा हो।


अपस्यु मदहोश होकर जैसे ही हवा में सर को लहराया, वो वीरदोयी अपना निशाना चुककर, अपनी गति से उसके आगे बढ़ चला। निम्मी सें उधार मांगी गई वो छोटी सी चाकू जो अपस्यु के मुट्ठी में बंद थी, वीरदोयी के पीछे गले में घुसकर निकल गई और लड़खड़ाते हुए वो आगे फर्श पर बिछ कर, अपनी श्वांस तेज-तेज ले रहा था।


प्राण किसी कि मुक्ति मांग रही थी। मौजूद लोगों की आखों में अब तक ऐमी के कुरुरता के मंजर छापे थे, और अब अपस्यु एक बार और उनके रौंगटे खड़े करने बढ़ रहा था। फर्श पर बिछे उस वीरदोयी को मौत के आखरी दर्शन करवाने अपस्यु ने कदम जैसे ही बढ़ाया, एक बार और हवा की गति में उसने परिवर्तन को पाया।


ताकत की मद में जिसे मारने का सोचकर एक ही वक़्त में 2 वीरदोयी दाएं और बाएं से आगे बढ़े, उन्हें तनिक भी अंदाज़ा ना था अपस्यु के रिफ्लेक्स और रिएक्शन का। दोनो वीरदोयी तो अपनी पूरी क्षमता से दाएं और बाएं से, हवा में उछलकर हमला कर गए, लेकिन अपस्यु अपने पाऊं जमीन में फैलाकर, ठीक होते हमले के बीच बैठा और हवा में हुए इस हमले से वीरदोयी ने एक दूसरे को ही गंभीर रूप से घायल कर चुका था।


एक का कांधा गया था, तो दूसरे की पसली गई थी। वीरदोयी नीचे जब घायल अवस्था में गिर रहा था, तब नीचे मौत इंतजार कर रही थी। जमीन में परी थी उन्हीं के एक साथी की कुल्हाड़ी और हाथ में थी एक छोटी सी चाकू प्यारी। आज मौत से ना बच पाए अपस्यु ने वो तांडव दिखाया, गिरते एक वीरदोयी के गले में चाकू उतारा तो दूसरे वीरदोयी के सर पर ही एक जोरदार कुल्हाड़ी का वार कर दिया।


एक वीरदोयी प्रतिद्वंदी जिसे हराने कि बात थी, वो अब भी नीचे परा था और उसके जीवित होने से खेल अब भी जिंदा था। दोस्तों की हूटिंग चल रही थी लगातार और लोकेश के सर पर एसी में भी पसीना आए बार-बार। कहां लोकेश आज तक वो दूसरों को उकसाकर सारा माल अंदर बटोर लिया करता था, लेकिन आज खुद ही द्वेष और गुस्सा का शिकार हो चुका था।


बेखौफ मुसकुराते हुए अब जब अपस्यु आगे बढ़ा, दुश्मनों के कलेजे में कंपन हो गए। ताकत के नशे में जो इंसान और इंसानों की इंसानियत को रौंदा करते थे आज कांपते बस उनके मुख से इतना ही निकल रहा था,.. "क्या इसमें थोड़ी भी दया, करुणा और इंसानियत नहीं बची, जो इतनी बेरहमी में सबको मारता जा रहा।"


और फिर अंत में अपस्यु के कदम जैसे ही उस खिलाड़ी के पास ठहरे, जिसे मारकर बाजी खत्म करनी थी, तभी एक जोर की चींख लोकेश की निकली… "इस लड़के को खत्म कर डालो।"… शायद मायलो ग्रुप का लालच अब भी दिल से ना जा पाया, इसलिए तो लोकेश ये ना कह पाया कि मार डालो इन सब को।


हाय री किस्मत, नायकों के समूह के बीच बैठकर ये क्या गलती कर डाला, खुद ही लोकेश ने लड़ाई का आमंत्रण दे डाला। एक साथ सभी वीरदोयी ने तेज दौर लगाया था, पर मूर्खों को कहां पता था उन्हें तो अपस्यु ने आजमाया था। खेल अब आमने-सामने की थी और सबको एक साथ टूटते देख अब पूरे नायकों के समूह ने दौड़ लगाया था।


जो नहीं जा पाए थे उनमें बची थी, अश्क, निम्मी और कुंजल। लोकेश मामला हाथ से निकलता देख चुपचाप वो कुबेर के खजाने वाला लैपटॉप को हथियाया, लेकिन मेकअप के पीछे कौन उसके पास आकर बैठ चुकी थी वो भांप ना पाया। नतीजा लैपटॉप के ओर जैसे ही अपना हाथ था बढ़ाया, एक प्यारा सा खंजर उसने भेंट स्वरूप पाया।


लोकेश की हथेली के आर-पार जाता वो खंजर, निम्मी ने टेबल में ऐसा घुसाया की दर्द में लोकेश कररह गया था। विक्रम राठौड़ अपने बेटे पर ये हमला सह नहीं पाया और तिलमिला कर वो निम्मी की तरफ आया लेकिन ठीक उसी वक़्त अश्क ने अपना पाऊं उसके पाऊं में फसाकर उसे जमीन की याद दिलाई…. "क्यों बूढ़उ जी, अभी तो बेटा जिंदा है ना, ज्यादा उछलकूद किया तो वो यहीं दम तोड़ जाएगा। चलो जो पहले शर्त लगाया है वो सजा पाओ और चुपचाप जाकर अपनी जगह पर बैठ जाओ। वरना आप की ये बुढ़ी हड्डी टूटना झेल ना पाएगी और आप की जिंदगी अपंग की तरह बिस्तर पर गुजर जाएगी।"


विक्रम राठौड़ जबतक कुछ सोच ने डूबा रहा, निम्मी अपने मेकअप को हटाकर ठीक लोकेश के सामने आयी। उसे देख लोकेश को पूरा मामला ही समझ में आया। जिसे मरा समझ वो फेक आया था, उसके बदले की आग ने उसे जिलाया था और किसी भूत की तरह वो लोकेश के सामने आयी थी।


इससे पहले कि लोकेश कुछ कह पता, निम्मी का दूसरा खंजर भी इंसाफ मांगती दूसरे हथेली के आर पार थी और वो भी जाकर टेबल में घुसी थी। सिसक सा गया था लोकेश, दर्द जो बर्दाश्त के बाहर सा होता जा रहा था। विक्रम अपने बेटे का हाल देखकर घबराया और जमीन पर रेंगते हुए वो निम्मी के पाऊं में आया।


निम्मी की तेज हंसी जब गूंजी थी, विक्रम का दिल घबराया सा था, और बेटे की जान के बदले निम्मी ने हार की शर्त याद दिलाया था। जान बचाने के लिए विक्रम राठौड़ बिलबिलाए, सीधा जाकर कुंजल के पाऊं में आया। उसके सैंडल को कुत्ते की तरह चाटा फिर पुरा साफकर, अपने हाथ जोड़े वो दुर्गा और काली के समान रौद्र रूप दिखा रही देवियों से भीख मांगता खड़ा हो गया।


निम्मी मुस्कुराई और दर्द से लोकेश को छुटकारा देती उसके दोनो हाथ में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाई। दर्द तो चला गया लेकिन ऐसा लगा जैसे शरीर से वो अंग भी जा चुका था। कुंजल अट्टहास भरती कहने लगी…. "अभी हिसाब बाकी है, अभी और इंतकाम बाकी है। जिसकी हिम्मत पर तुम उछालते हो अभी तो उसका अंजाम देखना बाकी है।"..


कुंजल ने सामने की ओर ध्यान था दिलाया जहां अब नायकों के समूह ने कहर था बरसाया। साहिल अपने रौद्र रूप में जब आया, सारे मेकअप उतारने के बाद सारे वीरदोयी को उसमे काल नजर आ चुका था। सबके जहन में सिर्फ इतना आया था कि एक ये अपस्यु कम था जो ये भी यहां आया।


लेकिन कुछ ही देर में एक और भ्रम टूटता नजर आया, जब आरव और ऐमी ने अपना तांडव दिखाया। आज हाथो में वो 4 फिट के 2 रॉड नहीं थे, बल्कि 1 फिट की दो छोटी सी कुल्हाड़ी थी। ऐमी और आरव की नजरे एक दूसरे से मिली तो दोनो मुस्कुरा रहे थे। आपस में 4 फिट की दूरी बनाए एक लाइन से आरव, तो दूसरे लाइन से ऐमी ने काटने का वो नजारा दिखाया की 20 गुना ज्यादा क्षमता वाले ये एक्सपेरिमेंटल जल्लाद खुद को धराशाही पाए।


बीच में फसा अपस्यु भी आज दोनो हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े हवा की धुन पर मस्त था। लहर की भांति अपस्यु हवा के धुन पर लहराते जब दोनो हाथो से कुल्हाड़ी को भी लहराते हुए चलाता, तो बस चींख और मौत का तांडव ही गूंज कर रह जाता। ऐसा लग रहा था शिव अपनी धुन में मस्त होकर तांडव करते जा रहे है, रक्त चरण अभिषेक कर रहे थे और लाशों पर पाऊं रखकर जब उसने काटना शुरू किया तो वीरदोयी के कलेजे मूह को आने लगे।


वीरदोयी की गोल झुंड को दाएं और बाएं की लाइन से काटते हुए, ऐमी और आरव जगह बना रहे थे और अपस्यु उनके मध्य खड़ा होकर तांडव कर ही रहा था। बिजली की तरह दृश्य भी बरस रहा था और बिना कोई रहम दिखाए अपने पंजे से वीरदोयी का सिना चीरकर, सीने को फर्श पर बिछाता रहा और बिना सीने के तड़पते सरीर को वहीं फर्स पर फेंकता चला जाता।


बदले की आग स्वास्तिका और पार्थ के सीने में भी जल ही रही थी और भिड़ से भागते वीरदोयी का हिसाब उनके खाते में आ जाता। हालांकि दोनो मार कला में उतने निपुण नहीं थे, लेकिन भागते वीरदोयी पर पहले से आरव और ऐमी की बिजली गिर चुकी होती, और आखरी अंजाम के लिए दोनो को बहुत ज्यादा मेहनत ना करते हुए सीधा प्वाइंट ब्लैक रेंज चुन रखे थे। एक निशाना और खेल खल्लास।


20 मिनट में ही सभी आत्माविहीन जल्लादों का भाग्य लिखा जा चुका था। अच्छे लोग जब कूरुर होते है तो किस हद तक कूरूर हो सकते है ये हर व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोगो को समझ में जैसे ही आया, अपने प्राण बचाने वो दरवाजे की ओर भागा था, लेकिन अपस्यु कि नीति काम आयी और दरवाजे पर काया और नील के साथ उनके सभी लोग खड़े रास्ते को ऐसा रोका था कि वापस वहां बैठने के अलावा कोई जरिया नजर नहीं आया।


पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..


लंबे चले सेशन के बाद दोनो सोने चल दिए। अपस्यु सोने से पहले कुछ जरूरी काम निपटाने बैठ गया, जिसके लिए ऐमी को भी जगाना पर गया। सबसे पहले तो कॉल गया होम मिनिस्टर के पास। पूरी कहानी समझाने के बाद अपस्यु ने पूछ लिया कि 10000 करोड़ का क्या किया जाए?
ekdum zabardast update ????..maja aa gaya ...apne aap ko taaqatwar samajhne wale virdoi ko sabne palak jhapakte hi mitti me mila diya ...
 
  • Like
Reactions: Nevil singh
15,607
32,140
259
kya yaha pe end ho gaya ??...apasyu chandrabhan ke baare me aise poochh raha tha jaise wo uska beta nahi hai ...chandrabhan ne apne hi bachcho aur patni ko us aashram me marne ke liye kyu rakha matlab usne hi maara ????
ek ne kaha chandrabhan ke 2 bete aur ek beti thi to kya beti bhi marr gayi ???? ..aur apasyu ne last me aisa kyu kaha ki nandani raghuvanshi ,,kya wo use maa nahi keh sakta tha ??...

aur ab pata chala ki top mastermind ( criminal ) ab bhi bacha hai jo anupriya hai aur uska bhai bhi bacha hai ...
par apne hi bachcho ko kyu maarne ka socha ?( shayad kisi update me kaha hai ki uske patni ko sach pata chal gaya aur wo apne dost( jo sinha ki patni thi ) ko bata di sab ) aur nandani ke husband ko kisne aur kyu maara ? abhi bahut saare sawaal hai jiska jawaab pata nahi hai ....
 
Top