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Romance भंवर (पूर्ण)

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15 मिनट बाद चारों एक टेबल पर इकट्ठा हुए और जेके कुछ पुराने फाइल्स उस टेबल पर रखते हुए कहने लगा…. "जून 2007 में हुई आचार्य निशी और उनके चेलों की भीषण हत्याकांड का एक मुख्य कड़ी जो अब तक हमारे नजरों से ओझल रहा था, वो एक छोटे से सुराग से अब सामने अा चुका है।"

जेके अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहने लगा….

तुम लोग को देखकर यही एक बात दिमाग में अा रही है… ख्वाहिश एक बदल की थी हाथ पूरा आसमान लग गया। नंदनी रघुवंशी, डॉटर ऑफ कुंवर सिंह राठौड़, इस वक़्त 2000 करोड़ के संपति की मालकिन है, और यदि उसने अपने कजिन विक्रम सिंह राठौड़ को रास्ते से हटा दे, तो वो 20000 करोड़ के एम्पायर की अकेली मालकिन हो जाएगी।

जिन हवाला सिंडिकेट के पीछे तुमलोग पड़े हो उसका बरगद है… मायलो ग्रुप। बेशक मुखिया बदला नहीं है, इसे भी वही ऑपरेट कर रहा है, लेकिन जिस नीव के साथ वो आगे बढ़ा है, तुम्हारे दिमाग की नशें हिल जाएगी उसे बर्बाद करने में।

चन्द्रभान की प्लैनिंग ने भूषण रघुवंशी और मानस रघुवंशी की जान ली थी। दोनों भाइयों के बीच कभी संपत्ति को लेकर लड़ाई हुई ही नहीं। बहस तो बस इतना था कि भूषण को गैर-कानूनी पैसे कभी नहीं चाहिए थे। चन्द्रभान रघुवंशी जो भी पैसों के इधर-उधर करता, वो कंपनी के प्रॉफिट में शो करता और वो उसमे से भूषण को भी हिस्से भेजता था और बदले में चाहता था कि वो भी यही काम करे।

लेकिन भूषण ने कभी भी चन्द्रभान के प्रॉफिट का शेयर एक्सेप्ट नहीं किया और उसे अब किसी भी कीमत पर बिजनेस के 2 हिस्से चाहिए थे क्योंकि ऐसे माहौल में वो अपने भाई के साथ पार्टनरशिप पर काम नहीं कर सकता था, और यहीं से भूषण रघुवंशी पर काल मंडराने लगा।

सी.ए.बी लिमिटेड शक के दायरे में आना शुरू हो चुका था, क्योंकि वेस्ट मैनेजमेंट के जो रिसाइकिल डिवाइस सी.ए.बी इंस्टॉल्ड किया करती थी, वो गुणवत्ता के आधार पर रिजेक्ट किया जा रहा था। इनका एक प्रोडक्ट कहीं इंस्टॉल नहीं हो रहा था, फिर भी इसका प्रॉफिट में होना एक बहुत बड़ा सवाल था।

साल 2006 से प्लान बनना शुरू हुआ। ब्लैक से व्हाइट के धंधे में इन्हे मजबूत आधार चाहिए थे, इसके लिए 2 आधार को तैयार किया गया। एक आचार्य निशी के ट्रस्ट का नाम और दूसरा एक मजबूत बिजनेस एम्पायर, जिसके लिए चुना गया कुंवर सिंह राठौड़ की एम्पायर, क्योंकि चन्द्रभान मायलो ग्रुप के बारे में पूरा रिसर्च कर चुका था। चन्द्रभान ने पहले तो रिश्तेदार होने के नाते, सामने से ऑफर दिया और जब वो नही माने तब एक खेल रचा गया।

एक खूनी खेल जिसमे नंदनी के कजिन विक्रम सिंह ने उसके पूरे परिवार का केवल इकलौता वारिश छोड़ा, नंदनी रघुवंशी। अब उसके परिवार का कोई जिंदा नहीं। लगभग 80 करोड़ के बॉन्ड्स और कुछ शेयर चन्द्रभान ने अपने भाई के नाम छोड़े, ताकि भूषण के मौत के बाद, नंदनी को यह यकीन दिलाया जा सके कि उसने पूरा बटवारा पहले ही कर दिया था।

कुछ दिन नंदनी को वही फ्रांस में रखा जाना था, फिर उसके परिवार की मौत की खबर दी जाती और उसे मायलो ग्रुप का चार्ज लेने इंडिया वापस बुलाया जाता, ताकि उनके काले धंधे को एक व्हाइट फेस मिल सके। पीछे क्या चल रहा है नंदनी को कुछ पता नहीं लगने दिया जाता और पूरा गैर-कानूनी बिल उसके नाम से फाड़े जाने थे।

मास्टर माइंड चन्द्रभान की ये दोहरी नीति … एक कंपनी जो लगातार प्रॉफिट में थी और एक बहुत पुराना ट्रस्ट जिसपर सबको अटूट विश्वास था… दो मुख्य बेस जिसमे आचार्य निशी के ट्रस्ट में 100 करोड़ और 500 करोड़ का मायलो ग्रुप… कुल 600 करोड़ के बेसिक स्टार्ट के साथ हवाला का धंधा। क्या दिमाग पाया था।

भूषण के मौत का समय और तारीख सब पहले से तय हो चुका था, किंतु चन्द्रभान से एक ही चूक हुई और वो मारा गया।… इसी चक्कर में उन लोगों को कभी नंदनी मिली ही नहीं। और उस रात…

अपस्यु:- बस अब उस रात की कोई बात नहीं… ऐमी तुम ठीक हो।

ऐमी:- येस सर..

पल्लवी:- अभी तक येस सर। हिहिहिही … उस दिन फूल तोड़ते हुए अपस्यु गिरा और दिमाग पर ऐमी के चोट लगी।

ऐमी:- कैसे भाभी…

पल्लवी:- उस दिन जो हमने उपाधि वाली कहानी सुनाई थी .. अंग्रेज अपने महान लोगों को सर कहकर संबोधित करते थे…

ऐमी:- हीहीहीही.. सर निकोलस, सर न्यूटन, सर अपस्यु..

पल्लवी:- अब तो छोड़ दो, उस वक़्त तो केवल हमने तुम्हारे साथ बस एक प्रेंक किया था।

ऐमी:- अच्छा अच्छा.. वो प्रैंक था। अब रहने भी दो आप.. मेरा मुंह दबाकर मुझे उठाकर लाए थे। प्राण हलख में अटक गए थे। किडनैपिंग कहिए उसको…

अपस्यु:- एक और आस्तीन का सांप। कोई नहीं जेके भैय्या ये एहसान रहा।

जेके:- नो फ़्री सर्विस बेटा। तुम हम में से एक हो, एक अनाधिकारिक एजेंट। एक केस में मै तुम्हारी मदद कर रहा हूं, बदले में तुम भी मदद कर दिया करते हो। इसलिए फॉर्मेलिटी नहीं।

"लेकिन एक बात जो मुझे जरूरी लग रहा है बताना…. अभी उनकी जड़ें बहुत ही मजबूत है। तुम्हे अंदाज़ा भी नहीं की ये लोग कितने व्हाइट कॉलर लोगों के ब्लैक पैसे को व्हाइट करते है। इनपर कमजोर हाथ डालोगे तो समझ लो कि तुमने भारत के टॉप पॉलिटीशियन, बिजनेसमैन, ऑर्गनाइजेशन, क्रिमिनल्स और ना जाने कितने ब्यूरेक्रेट्स पर हाथ डाल दिए। एक बार मे तुम और तुमसे जुड़े सभी लोग गायब हो जाओगे, किसीको कनोकान भनक तक नहीं लगेगी। जैसे 2007 में हुआ था पूरा एक आश्रम जल गया, 160 बच्चे मर गए, एक पूरी रॉयल फ़ैमिली खत्म हो गई और किसी अखबार के छोटे कोने में भी नहीं छापा।"

"इसलिए जब भी इनको आजमाना उस वक़्त एक साथ हमले होने चाहिए। पता ना चले इन्हे की क्या हो रहा है। बौखलाकर एक दूसरे को नोचने लगे… पागलों की तरह अपना सर पीटने लगे… किसी को भी मारना मत, जिंदगी सजा लगे वो हाल करना। पूरे धैर्य के साथ आगे बढ़ना, अनुकूल समय दिखे तो इनके नेटवर्क को तोड़ते रहना और सही वक़्त पर अपने हर साथी का उस निर्मम हत्या का पूरा हिसाब लेना। और सबसे जरूरी बात"..…


अपस्यु:- जबतक हम जिंदा है तभी तक हमारा न्याय जिंदा है। हम गए तो साथ हमारा न्याय भी चला जाएगा…

जेके:- आय शाबाश… इसे कहते है सच्चा खिलाड़ी…. चलो आज की मीटिंग यहीं खत्म होती है।…

पल्लवी:- जेके तुम जाओ आज रात का प्रोग्राम मैंने अपस्यु के साथ सेट किया है। क्यों छोड़े तैयार है।

अपस्यु:- अरे यार संभालो अपनी बीवी को वो फिर पागल हो गई है।

जेके:- पागल क्यों ना हो, कल ही उसने एक कहानी पढ़ी थी.. कौन सी थी वो पल्लवी…

पल्लवी…. भाभी के साथ सुहागरात मनाई भाय्या के बगल में।

ऐमी:- मै जा रही हूं, इसे और सुनूंगी तो आत्महत्या कर लूंगी…

अपस्यु:- रुकी ऐमी… मै भी आया…

दोनों तेज नहीं चले बिल्कुल वहां से दुम दबाकर भाग गए। उसको ऐसे भागते देख पल्लवी और जेके दोनों हसने लगे। …. "तुम्हारी आखें इतनी जली-बुझी सी क्यों थी मिस्टर जुगल किशोर"… पल्लवी उसे एक हाथ मारती हुई पूछने लगी।

जेके:- यार उसे ऑफर पर ऑफर दिए जा रही थी और मैं बेचारा 4 दिन का प्यासा। पत्नी होने के बावजूद हाथों से काम चलाना पड़ रहा है।

पल्लवी:- ओह ऐसा है क्या.. कोई नहीं आज तुम्हे पूरा मौका मिलेगा मिस्टर हसबैंड। जो बैंड ऐमी ने मेरे पिछवाड़े की बजाई है, अब तो उसे तुम्हारे हाथ के मालिश की ही जरूरत होगी।

जेके:- यार क्या शानदार मूव था वो। मै तो दंग ही रह गया। लगभग वो हमला कर चुकी थी। लेकिन आखरी वक़्त का उसका वो बदलाव.. ध्यान, एकाग्रता, और पूरा बैलेंस.. कमाल की अचीवमेंट की हैं।

पल्लवी:- आज वायग्रा लेे लेना.. पूरा फ्री है तो अभी से ही तुम मेहनत करना ताकि सुबह तक तुम्हारे लिए भी कहा जा सके.. कमाल का अचीवमेंट।

अपस्यु और ऐमी दोनों भागते हुए कार में आए और वहां से जल्दी में निकल गए…. "यार ये पल्लवी भाभी कभी नहीं सुधर सकती। लास्ट ईयर नागपुर का किस्सा भूल तो नहीं।"..

अपस्यु:- मत याद दिलाओ वरना मै गाड़ी से कूद जाऊंगा।

ऐमी उसका कंधा पकड़ कर खींचती हुई उसके चेहरे को अपने चेहरे के करीब लाई और कहने लगी….. "भाभी के शिकार होने से बचने के लिए एक युवक ने कुएं में छलांग लगा दिया… हिहिहिहिही….".

अपस्यु:- बेकार सा जोक था हंसी नहीं आयी।

ऐमी:- हंसी नहीं आती हो तो मोड़ लो गाड़ी, भाभी अभी तक वहीं होंगी।

अपस्यु:- बस रे बाबा बस आज के लिए मेरी इतनी छिलाई काफी है।

ऐमी:- 11 बज रहे है, डिस्को चले क्या?

अपस्यु:- मेरे पाऊं में पहले से छाले पड़े हुए थे, ऊपर से जेके भैय्या ने अपनी स्नाइपर के ताल पर मुझे नचाया, तुम खुद डिसाइड कर लो अब।

ऐमी:- कोई बात नही.. तुम आराम करो लेकिन कल पक्का हम डिस्को चल रहे है और इसपर कोई बहस नहीं।

अपस्यु:- ठीक है पक्का.. अच्छा सुनो तुम पार्थ, आरव और स्वस्तिका को फॉल बैंक का संदेश देकर, 29 जून को बार्सिलोना में एक मीटिंग का कॉल दो।

ऐमी:- जी सर अपस्यु…

अपार्टमेंट के गेट पर अपस्यु उतर गया और ऐमी वहां से चली गई। अपस्यु मुस्कुराते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था और वो शाम के संगीत को याद करके खुश हुआ जा रहा था।

अपस्यु अपने धुन में घुसा, सामने नंदनी खड़ी थी। ये अंदर की भावना… अभी वो संगीत में डूबा था और नंदनी का चेहरा देख कर दर्द में अा गया। वो नंदनी को गले लगाकर कहने लगा…. "आप ने बहुत दर्द झेले है। सिर्फ एक सनकी की वजह से आपको ये सब झेलना पड़ा है।"

नंदनी उसे खुद से अलग करती हुई उसका मुंह सूंघने लगी…. "तुम पी कर तो नहीं आए।"

अपस्यु, नंदनी के दोनों गाल पकड़ के खींचते हुए…. "क्या आप भी ना मां, बहुत तेज भूख लगी है कुछ खाने को दो।… तभी उसकी नजर हॉल के दूसरे हिस्से पर पड़ती है…. "मां ये सब"….

नंदनी:- वो उनके यहां नियम है कि 4-5 दिनों तक खाना नहीं बनता है, अब कहां वो लोग बार-बार रेस्टुरेंट से ऑर्डर देकर इतने लोगो का खाना मंगवाते, इसलिए उस हॉल का किचेन उन लोगों को इस्तमाल करने के लिए दे दिया।

अपस्यु:- और घर में कुछ चोरी वग्रह हुई तो, या रात को किसी ने आपके गले पर चाकू रखकर सब कुछ लूट लिया तो।

नंदनी:- अपना सबकुछ तो बैंक में है, यहां लुटकर क्या करेंगे? जो भी लूटने आएंगे उन्हें मै बोल दूंगी… सुनिए आप मेरी नींद खराब मत कीजिए, जो भी ले जाना है बड़े आराम से लीजिएगा।

अपस्यु:- हाहाहाहाहा.…. मां मेरा एक काम करोगी?

नंदनी:- क्या?

अपस्यु:- मेरे रूम में जाकर वो जड़ी बूटियों वाला बैग लेे आओ ना। मै जबतक हमारे लिए खाना गर्म करके लगाता हूं।

नंदनी:- क्या हो गया, तुम्हारा चेहरा फिर जला क्या? लेकिन देखने से तो नहीं लगता की किसी ने कॉफी फेकी हो…

अपस्यु:- हा … हा … हा … मस्त जोक था। मां ला दो ना प्लीज़।

नंदनी:- अच्छा ठीक है ला देती हूं, लेकिन तुम खाना रहने दो, जाकर हाथ मुंह धोकर आराम से बैठो।

"ठीक है मां, जैसा आप कहो।"… और अपस्यु हाथ मुंह धो कर सोफे पर लेट गया। नंदनी जब बैग लेकर अाई तब उसकी नजर पहली बार उसके तलवों पर गई, जिसपर से अपस्यु ने पट्टी हटा दिया था।

बहुत ही बुरी स्थिति में उसके लाऊं की हालत थी, नंदनी से देखा नहीं गया। सर छू कर देखी तो बदन भी गरम था… अपस्यु, नंदनी को चिंता में देखकर कहने लगा…. "बस थोड़े से छाले पड़े है मां, वो लेप लगा लूंगा तो रात भर में आराम मिल जाएगा।"

नंदनी:- तुम्हे डॉक्टर से परहेज़ है क्या? ये तो बहुत बुरे कंडीशन में है बेटा।

अपस्यु:- आप चिंता ना करे मां, वो बैग ला दीजिए मै सामग्री निकाल देता हूं। आप बस गुलाब जल में इसका लेप बनाकर लगा दीजिए, सुबह तक ठीक हो जाएगा।

थोड़ी ही देर में नंदनी बैग लेकर पहुंच गई।अपस्यु ने नंदनी को सारा समान निकाल कर दे दिया, वो जल्दी में गई और ग्राइंडर में पीसकर उसका लेप तैयार करने लगी। इतने में वहां साची और लावणी भी पहुंच गई। "क्या आंटी आप दरवाजा तो बंद कर लिया करो कम से कम"… साची दरवाजे से ही तेज चिल्लाती हुई कहने लगी, शायद अपस्यु को सुना रही थी, और लावणी तो अंदर आते ही चारो ओर ताक-झांक शुरू कर दी।

नंदनी किचेन से लेप लाती हुई सीधा अपस्यु के पास ही अाई….. "वहां क्यों खड़ी हो अा जाओ।"….

साची और लावणी दोनों वहां पहुंची, नंदनी जबतक अपस्यु के बाएं तलवे में लेप लगा रही थी। दाएं पाऊं का हाल देख कर दोनों बहने सिहर गई। …. इधर नंदनी लेप लगाने के चक्कर में थोड़ी देर के लिए भूल ही गई की वहां साची और लावणी भी है। फिर उसे जब ये ख्याल आया तब वो दाएं पाऊं में लेप लगाती हुई पूछने लगी…. "किसी काम से आए थे क्या तुम दोनों।"…. नंदनी ने दोबारा पूछा, लेकिन फिर भी कोई जवाब नहीं और जब वो पीछे मुड़कर देखी तो दोनों में से कोई नहीं थी, बल्कि वहां श्रेया खड़ी थी, जो बड़े ध्यान से नंदनी को लेप लगाते हुए देख रही थी।
nice update ...hero ka baap hai kya chandrabhan ...jisne paise ke liye apne bhai ko maarne ki saajish ki aur bhabhi ko fansane ki planning par usse pehle wo marr gaya ,,par usko maara kisne ?....kya hero ke maa aur baap ki alag alag jagah maut huyi ?????..
 
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इतने बड़े कांड को सिन्हा जी, नंदनी, यहां तक कि विदेश में बैठा मिश्रा परिवार, साची, लावणी, कुंजल, आरव सब ने देखा। और जो नहीं देख पा रहे थे लोग उन्हें कॉल करके देखने बोल रहे थे।

माहौल कुछ ऐसा हुआ कि डिस्को की लड़कियों ने अपने सारे मित्रों को संदेश भेजना शुरू कर दिया। हर संदेश के पहले वीडियो और उसके नीचे लिखा होता "ये सम्मान की लड़ाई है। पुलिस को इन्हे छोड़ना ही होगा।"… फिर क्या था। रात के 12 बजने वाले होंगे। ऐमी और स्वस्तिका को थाने लाकर उन्हें अभी बिठाए 2 मिनट भी नहीं हुए थे कि पूरा पुलिस स्टेशन को कई सारे लड़के लड़कियों ने घेर लिया। और पुलिस स्टेशन का घेराव करके दोनों को रिहा करने की मांग करने लगे।

इधर न्यूज में जब सिन्हा जी ने अपनी बेटी को एक्शन करते देखा, फिर तो उन्होंने सबसे पहले अपना बॉटल निकाला, दूसरे चैनल से वीडियो को रिपीट देखा और हर एक्शन पर जाम को हवा में लहराते हुए पीने लगे। 3 पेग पिने के बाद उन्होंने सीधा बंगलौर के सबसे नामी वकील को फोन लगाया और साथ में वहां के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को कॉन्फ्रेंस में लेते हुए सीधा बोल दिए, 5 मिनट के अंदर उसकी बेटी और उसके दोस्त को बेल मिल जानी चाहिए, बाकी मै कोई फ़्री सर्विस नहीं लेता।

सिन्हा जी के कॉल पर वो मजिस्ट्रेट और वकील दोनों अपने घर से उसी वक़्त निकले पुलिस स्टेशन। निकलने से पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने मौके पर कमिशनर और सिटी एसपी को भी आने के लिए कह दिया।

हंगामे के बीच उस पुलिस स्टेशन में एक-एक करके सभी आला अधिकारियों की गाड़ी पहुंची। इधर सब अधिकारी अंदर घुसे और उधर दोनों को छोड़ दिया गया। फिर तो जैसे भीड़ में खुशी की लहर दौड़ गई थी। पूरी भीड़ दोनों को पूरा रेस्पेक्ट देते हुए उन्हें होटल तक छोड़ कर आयी।


USA.. 21 June….


दिन के लगभग 12 बज रहे होंगे। मिश्रा परिवार के सभी सभी सदस्य के बीच कुंजल अाकर बैठ चुकी थी। राजीव मिश्रा छोटे मुंह परिचय देते हुए जब मनीष से बताया कि ये उसी लड़के की बहन है जो एयरपोर्ट पर आया था, तब मनीष का चेहरा देखने लायक था।

उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वो अपने भाई को क्या कहे, क्योंकि आरव के पीछे गुंडे भेजने में मनीष का भी तो हाथ था। मनीष इससे पहले कोई प्रतिक्रिया देता सुलेखा ही बोलने लगी….

"जो भी हो हमने उस लड़के को समझने में थोड़ी सी गलती कर दी, दोनों भाई अच्छे है।"… सिर झुकाकर ही सही, बेमन से ही सही, लेकिन सुलेखा ने ये बात मान ली और उसकी बात का समर्थन ना चाहते हुए भी राजीव को करना पर गया।

दोनों दंपति के सच कबूलते ही जैसे मनीष मिश्रा भी पिघल गए हो और उन्होंने कुंजल का ऑफिशयल स्वागत किया। साथ में आरव को भी बुलवाया गया, एयरपोर्ट के हरकतों पर माफी मांगने के लिए। सब मिलकर आज साथ लंच का प्लान किए और फिर बातचीत का दौर चलता रहा।

वैसे मिश्रा परिवार में 2 लड़के भी थे और दोनों को कुंजल कुछ ज्यादा ही भा रही थी। दोनों किसी ना किसी विधि उसे अपने साथ बातचीत में लगाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे। लेकिन कुंजल को साची छोड़े तब ना वो किसी और से भी बात करे। दोनों अलग ही अपनी दुनिया बनाए खुश थे।

बच गया आरव, जो बेचारा लावणी का गुस्से से भड़ा चेहरा देखकर मायूस हो जाता और इशारों में मिन्नतें करता की प्लीज एक बार बात तो सुन लो। किंतु लावणी सब कुछ समझ कर भी ना समझने का अभिनय कर रही थी। ये सब आपस में लगे ही हुए थे कि तभी वहां के हिंदी न्यूज चैनल पर भी ऐमी और स्वस्तिका की वीडियो चलने लगी।

उसे सबसे पहले साची ने ही देखा। साची ऐमी को देखते ही कुंजल को टीवी दिखाने लगी.. और दोनों पूरा न्यूज देखने टीवी के बिल्कुल करीब पहुंच गई। यहां तो उसके हर एक्शन पर कुंजल और साची हैरान होकर एक दूसरे का मुंह ही देख रहे थे। …. "कुंजल इसे तू जानती है।"…. "हां रे जानती हूं।"…. "कुंजल ये तो बॉम्ब है यार… कुछ दिन पहले लावणी ने कही थी ये बात, पर मुझे उसके बात पर यकीन से ज्यादा तो उससे नफरत थी। लेकिन आज इसे देखकर यार गर्व टाइप फील हो रहा है।……. "मुझे तो हूटिंग करने की इच्छा हो रही है साची।"…. "मेरी भी।"..

फिर दोनों एक साथ हूटिंग करती हुई तालियां बजाने लगी। दोनों को ऐसा करते देख सब का ध्यान उधर गया… अनुपमा साची की हरकत पर गुस्सा होती उसके ऐसे व्यव्हार के लिए पूछने लगी"..

साची उसे अपने पास बुलाते न्यूज देखने बोली। अनुपमा ने जब साड़ी में एक्शन होते देखा और बीच में बोले गए वो मां के आंचल वाले डायलॉग और वो बैंक कि कहानी… फिर तो अपने बच्चों के साथ वो भी हूटिंग करने लगी।

इधर भीड़ कि नजर जैसे ही टीवी पर केन्द्रित हुई, आरव फाटक से लावणी के गाल को चूमकर सीधा खड़ा हो गया…. "तुम्हे बहुत मस्ती चढ़ रही है.. जैसा वो ऐमी ने उसके साथ किया, वहीं हाल तुम्हारा भी करूंगी… दूर रहो मुझसे।"

आरव:- मै चिल्लाने लगूंगा, यदि तुमने नहीं बताया कि गुस्से में लालाम लाल क्यों हो?

लावणी:- हुंह ! जाकर अपनी उस नॉटी गर्लफ्रेंड से पूछो। मुझ से तो तुम बात भी मत करना।

आरव:- मेरी तो एक ही नॉटी गर्लफ्रेंड है और वो तुम हो। इसलिए तुम्ही से तो पूछ रहा हूं।

लावणी:- चल झूठे, मै किसी गोरे पर यकीन कर लूं, लेकिन तुम पर नही। कम से कम उनके इतनी तो कट्सी होती है कि एक वक़्त पर एक गर्लफ्रेंड रखते है। तुम जैसा झूठा तो नहीं होते जो 3-4 गर्लफ्रेंड मेनटेन किए होते है।

आरव:- बेबी कोई तो कन्फ्यूजन है, मै तुम्हारी कसम खाता हूं कि मेरी सिर्फ 1 ही गर्लफ्रेंड है। इनफैक्ट तुम तो गर्लफ्रेंड नहीं बल्कि मेरी सफर की हमसफ़र हो।

आरव:- और वो नॉटी कौन है..

नॉटी का नाम सुनकर आरव बोलते बोलते रुका… फिर कुछ सोचा और फिर सोचकर बोलने लगा… "वहां टीवी पर देख रही हो, उसमे से तुम किसे पहचानती हो?

लावणी:- वो जो मस्त डायलॉग बोल रही है ऐमी, उसे जानती हूं।

आरव:- और उसके साथ जो है वो है नॉटी… नाम की तरह पूरी नॉटी। नॉटी, परिवार का एक प्यारा हिस्सा है.. हम दोनों भाइयों कि पहली बहन… अब तो तुम समझ गई ना या अब भी कोई क्लैरीफिकेशन बाकी है।

लावणी:- अच्छा ऐसी बात है तो प्रूफ करो..

आरव:- मानना है तो मानो ना मानना है तो मत मानो। मुझ से ये सबूत दिखाओ और बेगुनाही प्रूफ करो ये सब नहीं होता।

लावणी:- अच्छा और ये 5 मिनट से क्या चल रहा है… कौन क्लैरीफिकेशन दे रहा था और मुझे समझाने की कोशिश कर रहा था।

आरव:- नकचढ़ी कहीं की। जा रहा हूं … गुस्सा होकर..

लावणी कुछ पल बाद… गए नहीं, यहीं खड़े हो।

आरव:- हां जा ही रहा हूं.. रोकोगी भी तो नहीं रुकने वाला…

लावणी लंबी जम्हाई लेती हुई कहने लगी….. "अब एक ही बात को बोल-बोल कर सुला ही दोगे क्या?"

आरव, लावणी को आंख चढ़ा कर देखते हुए वहां से जाने लगा.. तभी लावणी उसे पीछे से रोकती हुई कहने लगी…. "अच्छा सुनो"…

आरव खुश होते उसके करीब अाकर…. "थैंक्यू.. मुझे लगा तुम्हे मेरे होने ना होने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता, अच्छा हुआ जो रोक ली।"

लावणी:- ना ना.. तुम गलत समझ रहे हो.. मैंने तो इसलिए रोका था कि यदि तुम जा रहे हो तो एक प्लेट खाना कैंसल करवा देते है। फालतू का मेरे पप्पा का बिल बढ़ेगा….

आरव नाक, आंख, कान, सब सिकोड़ते वहां से निकल गया और अाकर वीरे के पास बैठकर उससे बात करने लगा। इधर जब लावणी और आरव अपनी बातें कर रहे थे, उनको लगा वो इतने धीमे बोल रहे हैं कि कोई उन्हें नहीं सुन सकता। लेकिन उनकी पूरी बात सुलेखा ने सुन चुकी थी।


22 जून बंगलौर......


बीती रात के हंगामे को लेकर ऐमी और स्वस्तिका सुर्खियों में थी। जहां से गुजरती जो पहचान जाते बस उन्हें रोककर यही कहते की कल कमाल कर दिया… होटल से लेकर हॉस्पिटल तक हर जगह लोग घेर लेते। इन दोनों के कारनामे से अपस्यु की हसी भी नहीं रुक रही थी, साथ में अन्य लोगों की तरह उसे भी ऐमी और स्वस्तिका पर गर्व महसूस हो रहा था।

अगले दिन तीनों हॉस्पिटल में बैठे थे, साथ में बीती रात की घटना को लेकर तीनों हंसी मज़ाक कर रहे थे। तभी अपस्यु, स्वस्तिका से लावणी के बारे में पूछने लगा… "क्या उसने कॉल करके सब बता दिया।"..


स्वस्तिका अपस्यु से नंबर लेकर उसे कॉल लगाई। लावणी कॉल पिक करती… "दीदी प्रणाम"… स्वस्तिका आश्चर्य से सबके ओर देखती और सब इशारों में पूछने लगे क्या हुआ… स्वस्तिका ने स्पीकर पर फोन डाला… "क्या बोली"..

लावणी:- फोन स्पीकर पर डालकर पूरे ग्रुप को सुना रही हैं क्या दीदी.. ऐमी दीदी को भी प्रणाम कहिएगा… आपके कारनामे यूएस में भी हिट हैं।

लावणी की बात सुनकर तीनों जोड़-जोड़ से हंसने लगे… अपस्यु, कहने लगा… "लावणी कैसी हो।"

लावणी:- अच्छी हूं। वैसे आप नहीं आए बाकी सब तो यहां पहुंचे हैं।

अपस्यु:- मुझे यहां थोड़ा काम था इसलिए नहीं आ पाया। तुमलोग मज़े करो वहां।

स्वस्तिका:- सुनो लावणी तुम्हे आरव ने सब बता दिया।

लावणी:- वो नहीं भी बताता तो भी मै कल ही जान गई थी कि आप मज़ाक कर रही है।

स्वस्तिका:- नाय नाय .. झूट बोल रही ..

लावणी:- अच्छा आप मुझे एक बात बताओ, जब मैंने अपना नाम बताया ही नहीं तो आपको क्या मेरा नाम का सपना आया था।

स्वस्तिका:- शिट ! मतलब तुमने उससे झगड़ा नहीं की।

लावणी:- ऐसा भी हो सकता है क्या? मौका मिले और झगड़ा ना करूं। जब वो मुझे मानता है ना, तब मुझे बहुत अच्छा लगता है। और वो क्यूट सा चेहरा… जब मायूसी भरे चेहरे पर वो उम्मीद के साथ मेरी ओर इशारा करता है… हाय क्या बताऊं… मै आगे अपनी फीलिंग नहीं बता सकती..

तीनों एक साथ…. उफ्फ ये मोहब्बत..

लावणी:- मै अब रखती हूं बस एक संदेश के साथ.. हो सके तो आप आ जाओ, साची दीदी बिल्कुल भी खुश नहीं है और यहां उनके लिए लड़का भी फाइनल हो रहा है। अब मै रखती हूं।

लावणी ने फोन रख दिया और अपस्यु बात को अलग दिशा मोड़ते हुए कुछ अलग ही टॉपिक पर बात करना शुरू कर दिया…

सेल रिकवरी सब्सटेंस के थेरेपी के साथ अपस्यु जल्द ही ठीक हो रहा था। स्वस्तिका सबसे बचाकर हर दिन, मास्क बॉडी निकालकर उसके घाव का निरक्षण करती। 26 तारीख तक अपस्यु, ऐमी और स्वस्तिका के साथ वापस दिल्ली लौट गया। एयरपोर्ट से ऐमी अपने घर चली गई और स्वस्तिका को साथ लेकर अपस्यु सीधा अपने घर पहुंचा।

लेकिन जब वो घर पहुंचा तब उसे झटका ही मिला। घर पहुंचकर पता चला कि मां तो वहां है ही नहीं, वो 2 दिन पहले यानी कि 24 तारीख को ही यूएस के लिए निकल गई। अपस्यु आश्चर्य में पड़ गया, वो फोन निकालकर एक तरफ से सबको फोन लगाया लेकिन किसी ने भी उसके कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। वो लगातार कॉल लगता रहा लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं।

अपस्यु अपना सर पकड़ कर बैठ गया। स्वस्तिका उससे पूछने लगी कि क्या हुआ.... लेकिन अपस्यु अपने सोच में इस कदर डूबा रहा की वो स्वस्तिका के बातों पर ध्यान ही नहीं दे सका। स्वस्तिका एक बार फिर उसे टोकी और उसे अपने सोच से बाहर लाते हुए कुछ पूछना चाहती थी, लेकिन उससे पहले ही अपस्यु बोलने लगा… पार्थ को फोन लगाकर कहो 28 तक शिकागो पहुंच जाए।

इधर अपस्यु ऐमी को फोन लगाते हुए कहने लगा… डिलीट फाइल का बैकअप लेकर फाइल को प्रिंट करो, हम ये काम ख़त्म करके आज रात यूसए निकल रहे है।
nice update ..dono ne rowdy banke achcha maja chakhaya drug dealer ko ??...aur har jagah famous bhi ho gayi ...
 

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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Waiting bhai
 
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Update:-66






नंदनी तेज-तेज चिल्लाती अपनी बात कहते गई। गुस्से के साथ दर्द भी निकलता जा रहा था जो समुद्र का सिना चिर रही थी। नंदनी चुप होकर अब भी हांफ रही थी, और कुंजल अपनी मां की बात को सुनकर बस आखों में आशु लिए अपने भाई को ही देख रही थी।

अपस्यु अब भी मुस्कुरा रहा था। वो अपने एक हाथ से कुंजल के आशु पोछने लगा तो दूसरे हाथ से नंदनी का चेहरा ऊपर करके उससे कहने लगा…

"आप दोनों का दर्द मै अच्छे से समझ सकता हूं। मै एक छोटी सी कहानी बताता हूं, आप दोनों ध्यान से सुनना और फिर मेरे कुछ सवाल होंगे, उन सवालों का जवाब देना।"

"ये कहानी है एक चालक लोमड़ी की। जंगल का ये लोमड़ी बहुत ही शातिर और अपने भाव बदलने में महारत हासिल किए हुए था। वैसे वो था पूरा ही चरित्रहीन और छुब्द मानसिकता (narrow minded) का शिकार। कहीं दूर जंगल में ये अपना पाऊं पसार रहा था। अपने चालाकी के चादर के अंदर वो अपने लोगों और परिवारों का ऐसा इस्तमाल करता, की उससे बड़ा कोई भगवान नहीं।"

"ये तो हो गया उस जंगली लोमड़ी का चरित्र चित्रण, उसके बहुत से किए कारनामे है, वो फिर कभी सुना दूंगा, जब भी आप सुनना चाहे मां। अभी मै मुख्य घटना सुनता हूं। तो बात कुछ ऐसी हुई की, वो जंगली जानवर अपने जंगल के कटने से पूरा हताश हो चुका था। कहीं दूर का एक प्यारा आशियाना उस लोमड़ी को पसंद आ गया। अपने कुछ और, चालाक लोमड़ी के साथ मिलकर उसने एक योजना बनाई।"

"उस योजना के तहत उसने 160 प्यारे और मासूम लोगों को जिंदा जला दिया। हां ठीक सुना जिंदा जला दिया। उसकी एक प्यारी सी पत्नी थी, जिसे उसके इरादों की खबर लग गई थी। हां शायद उसे अपने पति के इरादों की भनक नहीं लगती, लेकिन जान से भी ज्यादा चाहने वाली उसकी एक दोस्त थी। दोनों के बीच इतना अटूट और गहरा रिश्ता था कि उसने उस लोमड़ी की पूरी जानकारी साझा कर दी।"

"उन 160 लोगों में उसने अपनी पत्नी को भी जिंदा जलाया था। देखो जरा किस्मत, उस समय उस लोमड़ी की प्यारी पत्नी के साथ, एक और प्यारी सी औरत बातें कर रही थी, वो भी अपनी बेटी का सर अपने गोद में रखकर। वो बेचारी दूसरी औरत आने वाले खतरे से बिल्कुल अनजान, वो तो बस लोमड़ी की पत्नी से उसकी दुविधा सुन रही थी और किस तरह से उस लोमड़ी और उनके साथियों को रोका जाए उसकी योजना बना रही थी।"

"इधर दोनों योजना बना रही थी और उधर योजनाबद्ध तरीके से एक 20 फिट का गड्ढा खोदा गया था, जिसमें बड़ी सी भट्टी लगाई गई। धू-धू करती आग कि लपटें 20 फिट के गद्दे से ऊपर उठती। सबसे पहली जिंदा चिता में उसने अपनी पत्नी को झोंका… आहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह.. वो चीखें। पहली चींख थी जो किसी जिंदा के जलने की आ रही थी। जो भी सुन रहे थे, उनका कलेजा दहल रहा था।"

"अपनी पत्नी को तो उस लोमड़ी ने जिंदा जलाया, और जिस वक़्त वो अपनी पत्नी को घसीट कर उस अग्नि कुंड तक ले जा रहा था, ठीक उसी वक़्त उसके एक साथी ने, लोमड़ी की पत्नी से बात कर रही उस औरत के गले में पतली रस्सी डालकर उसका गला घोंटना शुरू कर दिया। जब ये सब शुरू हुआ, तब वो बच्ची भी उठ गई, जो अपनी मां के गोद में सोई थी। उसके बालों को मुट्ठी में दबोचे उसके मुंह पर हाथ डालकर उसका एक अन्य साथी उस बच्ची को ये सब दिखा रहा था।"

"उसके आखों के सामने लोमड़ी की पत्नी को आग में फेका गया, जिसके जलने से चिल्लाना सुनकर उस लड़की का कलेजा सहम गया। वो सदमे में थी तभी दम घुटने से वो अपनी मां के छटपटाते पाऊं देख रही थी। अपनी मां कि आंखे बाहर आते हुए वो देख रही थी। और अंत में जब उसकी मां की श्वांस थम गई तब उसे भी उसी आग में फेक दिया गया।"

"इसी के साथ अब उस लड़की को भी फेका जाना था, उस आग के कुएं में जहां अंदर से एक साथ ना जाने कितनो के चिल्लाने की आवाज़ आती और दम तोड़ जाती। किंतु उस लोमड़ी के आखों में हवस आ चुकी थीं। उसने अपने साथी को यह कहकर रोक लिया कि, ये तो मारेगी ही, मै जरा इसे मज़े दे दूं वरना उपर जाकर कहेगी "कोड़ी ही मार डाला।"

"उस लड़की को बाल से घसीट कर वो एक कुटिया में ले गया। वो लड़की सहमी सी, आखें उसकी खुली थी लेकिन सरीर का कोई भी अंग काम नहीं कर रहा था। उस लोमड़ी ने लगभग उस लड़की के साथ बलात्कार कर ही चुका था। इतने में उस जगह पर उस लोमड़ी बेटा पहुंचा, जो पागलों कि तरह ना जाने कितनी दूर से पहले अपनी मां और फिर अपने साथियों की दर्दनाक चिंख्र सुनकर दौरा चला आ रहा था। जब यह घटना हो रही थी उसका बेटा रात के अंधेरे में उजला-नीला एक फूल तोड़ने निकला हुआ था।"

"पागलों की तरह जब वो लोमड़ी का बेटा दौड़ा चला आ रहा था, आग की ऊंचे लपटों की रौशनी में वो दूर से देख पा रहा था, कैसे लोमड़ी की झुंड पकड़-पकड़ कर उसके साथियों को उस अग्नि कुंड में फेक रहे थे। उसी रौशनी में फिर उसने देखा उसका लोमड़ी बाप उसके सबसे प्यारे साथी को एक कुटिया में ले जा रहा था। लड़का भागते हुए सीधा उस कुटिया में पहुंचा और अपने लोमड़ी बाप को ऐसा करते देख उसकी आखें खुली की खुली रह गई।"

"जो लड़की लगभग मरी सी केवल उसकी आखें खुली थी, उस लड़के को देख कर जोर से चिंखी और बेहोश हो गई। उस लड़के के कान में उसके अन्य साथियों की दर्दनाक चिंख उसका कलेजा दहला रही थी, और उसका बाप किसी निर्लज की तरह नंगा खड़ा हंस रहा था।"

"वो लड़का ना तो भयभीत हुआ और ना ही उसे अपने आखों के सामने अपना पिता दिखा। यह वक़्त सोचने में व्यर्थ करता वो लड़का तो कुछ और जिंदगियां उस आग में होती। उस लड़के के मन में उस वक़्त भी बदला नहीं था, उसके अंदर न्याय कि सोच जागृत थी और उसने न्याय किया। अपने पिता को पहले फांसी से टंगा और उसे लटकता हुआ छोड़ दिया। जब वो लड़का सजा तय कर रहा था, उसका कलेजा कांप गया, और जब फसी पर चढ़ा रहा था उसके हाथ कांप रहे थे, आखों से आशु बह रहा था, लेकिन नीति रचा जा चुका था और सजा तय हो चुकी थी।"

"बाप कैसा भी हो बाप था, उसी अग्निकुंड में उसका आखरी संस्कार करने के बाद, वो लड़का उस लड़की को अपने पीठ पर बांध कर पहाड़ों के ऊपर बने एक महादेव के मंदिर ले गया। नीचे अब भी भूखे भेड़िए झुंड में घूम रहे थे, और वो बेबस बस उन्हें देख रहा था।"

"बदले की आग उस लड़के के अंदर भड़क रही थी। जिसके साथ वो लड़का पल कर बड़ा हुआ, सब उसके आखों के सामने राख के ढांचे में थे, लेकिन वो बदला लेने उस वक़्त वहां जाता, तो वो लड़का भी उसी आग में राख बन जाता। उसके दिमाग में उसके गॉडफादर की सिखाई बात गूंज रही थी, यदि वो जिंदा रहेगा तभी उसका न्याय भी जिंदा रहेगा।"

"महादेव उसपर स्वयं सहाय थे। उस लड़के के 2 साथी और, अपनी जान बचाकर उस पहाड़ के ऊपर चढ़ चुके थे और उसके साथ उस लड़के का भाई भी था, जो अपनी मां को अग्नि में फेंकते देख कर ही सदमे से बेहोश हो चुका था, जिसे उसके साथियों ने ढोकर, अपने साथ उस पहाड़ के ऊपर लाए थे। तीनों बचपन के साथी, अपने कई साल साथ बिताए आशियाने और उस आशियाने के साथ उसके सभी साथी की मौत देख रहे थे।"

अपस्यु जैसे-जैसे अपनी बात कहता आगे बढ़ रहा था, वो ऐमी को अपने अंदर समेटे जा रहा था। उसके पीठ पर लगातार हाथ फेरकर मानो जताने की कोशिश कर रहा हो, वो हमेशा उसके साथ खड़ा है। नंदनी और कुंजल उसकी बात सुनकर पत्थर जैसे बन गई हो। दोनों की रूह कांप चुकी थी। अपस्यु अपनी बात समाप्त कर सबसे पहले तो तीनों को पानी पिलाया.. कुछ देर खामोश रहा.. फिर पूछना शुरू किया…

अपस्यु:- आप को पता है इस कहानी में वो लोमड़ी कौन था?

कोई कुछ नहीं बोला सब खामोश … अपस्यु अपने सवाल का खुद जवाब देते हुए कहा… "उस लोमड़ी का नाम था चन्द्रभान रघुवंशी।"

अपस्यु:- इस कहानी की वो लड़की कौन है, जानती है..

नंदनी, कुंजल यह सवाल सुनकर बस अपनी तेज धड़कन के साथ ऐमी के ओर देखने लगे.. लेकिन उनके मुंह से जैसे जुवान कहीं गुम हो गई थी, कुछ बोल नहीं पाए… अपस्यु फिर से अपने ही सवाल का जवाब देते कहने लगा… "वो लड़की ऐमी है।"

"क्या आप को पता है वो दोनों साथी कौन है जिसने उसके भाई को बचाया और आज तक अफसोस कर रहे है, कि उनमें क्षमता होने के बावजूद भी वो किसी को क्यों बचा नहीं पाए… "वो थे स्वस्तिका और पार्थ।"

"एक कली अंधेरे रात की वो दर्दनाक कहानी जिसे हमने फिर कभी याद नहीं किया। अब जब बात निकल ही आयी है तो मै यह भी बता दूं कि मां आप को हमसे ज्यादा दर्द मिला है। हमने उस दौरान कुछ खोया था तो कुछ बचाया भी था, लेकिन उस दौर में आपका सबकुछ लूट लिया गया।"

"उस दौरान आपने ना केवल अपने पति और बच्चे को खोया था, बल्कि अपने मायके के सारे लोग को भी खो चुकी थी, जिसके बारे में शायद आज तक आप को पता भी नहीं। आप ने उस दिन सही कहा था, और यह पूर्ण सत्य है कि मेरे ही बाप ने आपके पति और बच्चे का कत्ल करवाया था और आपके चचेरे भाई ने आप के मायके के पूरे परिवार को साफ कर दिया।"

"पहले दिन की बस 1 बात सही थी कि मेरे बाप ने आप लोगों के लिए 100 करोड़ की संपत्ति छोड़ी थी, लेकिन मैंने वो सभी संपति उसी दिन उस आग में जला चुका था। मैंने उन खूनी रुपयों की परछाई भी किसी पर नहीं पड़ने देना चाहता था।"

"मानता हूं आप का दर्द हम सब से गहरा है, लेकिन हमारे दर्द कि कहानी सिर्फ इतनी है कि आप ने सबको मरने के बाद देखा या सुना और हम सबने सबको अपने आखों के सामने जिंदा जलते हुए देखा, उनकी दर्द भरी चींखें सुनी।"

कुंजल रो रही थी, ऐमी रो रही थी लेकिन वहां 2 लोगों के आखों में आशु नहीं थे… एक तो अपस्यु था और दूसरी नंदनी। लगभग पूरी कहानी नंदनी के सामने थी। एक असमंजस कि स्तिथि नंदनी झेल रही थी। वो अपने हाल पर रोए या इन बच्चों के दर्द कि गहराई पर चढ़ाए उन मरहम को देखे जो साथ रहकर भी इन दोनों भाइयों ने कभी जताया तक नहीं।

नंदनी अपना फैसला कर चुकी थी और अपने ही अंदाज़ में उसने भी अपना साफ इरादा अपने बेटे के सामने रखी……

"मै साथ हूं, जितना दर्द झेलना था हमने झेल लिया। अब जो भी करेंगे वो बस उनके न्याय कि खातिर होगा, जिनका कोई दोष ना होकर भी, किसी की साज़िश का शिकार हो गए। चाहे वो कोई भी हो, हर एक को घुटने पर लाओ। जिस मकसद के लिए हमसे हमारा सब कुछ छीन लिया गया, तुम लोग सबसे पहले उनसे उनकी वो खुशी छिनो, फिर उनको इतना तड़पाओ की उन्हें ज़िन्दगी बदतर लगने लगे। हर पल कुढ़े और तिल-तिल मरते रहे और जब दर्द बेइंतहा हो जाए तो खुद अपनी ज़िंदगी से तंग आकर मौत को गले लगा ले।

नंदनी की बात सुनकर जैसे कुंजल में भी जोश भर आया हो.... आशु में डूबी आखें, सोलों में दहक रही थी, और हौसला पूरे जोश भरता… "भाई, ठीक वैसा ही करना जैसा मां ने कहा"…

ऐमी:- आप दोनों आक्रोशित ना हो। नियति अपना खेल रच चुकी है, हर काम अपने तय समय पर ही होगा। इसलिए धैर्य बनाए रखिए।

बातें खत्म करके सब ख़ामोश बस समुद्र कि लहरों को सुन रहे थे। शायद शब्द अब कुछ बचे नहीं थे, बस सबके अंदर एक ज्वाला सी धधक रही थी। कुंजल माहौल में थोड़ी तब्दीली लाते पूछने लगी…. "मां ऐमी से पूछो, ये जो बात बोलकर तुम्हे यहां लाई थी वो बात पूरी बताए"…..

नंदनी:- कौन सी बात..

कुंजल:- भुल्लकड़, वहीं इन दोनों के बीच चल क्या रहा है..

नंदनी भी पुराने माहौल से निकलकर नए माहौल में ढलती हुई पूछने लगी…. "अच्छा याद दिलाया। चलो अब दोनों में से कोई एक हम दोनों मां बेटी का सस्पेंस खत्म करो?"

ऐमी:- सर अपस्यु आप बता रहे या मै बताऊं..

अपस्यु:- तुम ही बता दो…

ऐमी:- हम दोनों की कहानी सिर्फ इतनी है कि मै इसकी और ये मेरी परछाई है। हम हमेशा एक दूसरे के साथ तो हो सकते है, लेकिन कभी एक नहीं हो सकते।

नंदनी अपस्यु को अपने दाएं तो ऐमी को बाएं ओर से अपने सीने से लगाई और कहने लगी…. "मुझे नहीं समझना कि तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है या तुम दोनों का किसी और के साथ क्या चल रहा है। बस दोनों खुश रहना और जिसके साथ भी रहना अपने बीच कभी दूरियां मत आने देना।

कुंजल:- मै भी तो रोई थी मुझे कहां गले लगाई मां।

अपस्यु और ऐमी दोनों अपनी बाहें फैलाए "यहां आ जाओ".. कुछ पल का एक दूसरे से गले लगाना भी कितना सुकून दे जाता है। ऐसा लग रहा था सब के एहसास जुड़ रहे थे एक दूसरे से।

नंदनी:- अब बताओ कि हमे क्या करना है?

अपस्यु:- पहला काम बिना किसी से झूठ बोले, किसी को अपनी पिछली जिंदगी का पता ना चलने देना।

कुंजल:- अरे ये कैसे होता है.. ऐसा भी होता है क्या?

अपस्यु:- होता क्यों नहीं। अब यहां सबको पता है मै आश्रम में पढ़ा हूं। लेकिन किसी को पता है कि मैं कौन से आश्रम में पढ़ा हूं। लोगों को पता है कि मेरे पास मेरे बाप की बहुत संपति है, मेरा बाप कौन है कोई नहीं जानता। ये सब्दों का जादू और पेश करने की ऐसी कला है, जिसमे सब सामने होकर भी कुछ भी नजर नहीं आता।

कुंजल:- मान लो मै कोई अनजान हूं और आप से सीधा पूछती हूं.. अपने पिता का नाम बताओ?

अपस्यु:- मधुवेश्वर कर्मकार सीबी रघुवंशी..

कुंजल:- क्या?

अपस्यु:- हां सही सुनी, पीछे दादा का नाम जुड़ा है।

नंदनी:- हां वो सही बोल रहा है।

कुंजल:- ओके तो इस हिसाब से पापा का नाम हुआ मधूवेश्वर कर्मकार बीपी रघुवंशी।

अपस्यु:- राईट…

ऐमी:- अपस्यु और आरव तुम्हारे कजिन नहीं है।

नंदनी और कुंजल दोनों एक साथ …. क्या ?

अपस्यु:- हां उसने सही कहा। आगे जो होने वाला है वहां ऐसा ही कहना है। मां आप कहोगी जेठ की संपत्ति क्लेम करना था, इसलिए 2 अनाथ को आपने अपने जेठ का वारिस बनाया, ताकि संपति पाया जा सके, लेकिन अब दोनों से लगाव ऐसा हो गया कि वो मेरे बेटे जैसा है।

नंदनी:- ये सब क्या मै मिश्रा परिवार को बताऊं…

अपस्यु:- ये बहुत आगे आने वाला है, बस आज समझा दिया ताकि आगे कोई भी शंका ना रहे। मिश्रा परिवार से ये मत कहना।

नंदनी:- ठीक है मै समझ गई।

ऐमी:- एक मिनट सबसे जरूरी बात तो रह ही गई…

नंदनी और कुंजल फिर से साथ में…. "क्या?"

"यहां से लौटने के बाद ना तो आप दोनों कि नजरें बदले और ना ही नजरिया। ना ही किसी से कभी भी बीती बात की कोई चर्चा होगी। जैसा कि आपने भी देखा होगा, कुंजल तो हर वक़्त हमारे साथ ही थी, लेकिन मैंने या आरव ने, कभी भी बीते वक़्त की कोई बात नहीं की और ना ही कभी बीते वक़्त जीये। आज हमारा है, और बस आज में जीना ही ज़िन्दगी है। बड़े दिनों बाद घर में खुशियां लौटी है उसका खुले दिल से स्वागत कीजिए। हमारे बड़े से परिवार के लिए ये एक यादगार क्षण है.. इसलिए इस बीच ना तो हम कोई काम करेंगे और ना ही बीते वक़्त की कोई चर्चा"….
nice update..hero ka baap to pakaa harami tha ,apne patni ko maar daala jinda jalake aur ek chhoti bachchi ka rape bhi kiya ,,,par hero chhota tha to usne baap ko kaise maara ????? ...aur phir uske chacha ko kisne maara ???
 
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"हम्मम ! बस मुझे इतना जानना था कि जब हर किसी की पहचान हो गई थी, तब उन कातिलों को आपने भरी अदालत में क्यों नहीं घेरा? उन्हें क्यों सजा नहीं दिलवा पाए, जबकि आपके पास चश्मदीद गवाह थे? आपके पास तो पैसा, पॉवर और रूतवा तीनों ही थे जिससे आप गलत को भी सच साबित कर सकते है, फिर इतने बड़े झाख्मों का हिसाब लेने में आप पीछे क्यों हट गए?


नंदनी सवाल पूछकर खामोश हो गई और सिन्हा जी के जवाब का इंतजार करने लगी। सिन्हा जी पास ही लगे बेंच पर नंदनी के साथ बैठे और कुछ पल की खामोशी के बाद कहने लगे…

"लोगों को भ्रम रहता है कि कोर्ट फैसले केवल बड़े आदमी के हक में में होता है और वहां कोई न्याय नहीं मिलता। जबकि सच्चाई ये है कि न्याय की अपनी एक प्रक्रिया होती है, वो इमोशन से नहीं बल्कि एविडेंस पर चलती है। हमारी कहानी सुनने में मार्मिक जरूर है लेकिन एक वकील होने के नाते केवल इतना ही कह सकता हूं कि इस घटना पर यदि मैंने कैसे भी करके उन्हें अदालत में खिंचा होता तो भी उसका कोई नतीजा नहीं निकलता।"..

"पहली बात तो ये की सरकार के रिकॉर्ड में गुरु निशी का आश्रम देहरादून के पास की एक जगह में है नैनीताल में नहीं। दूसरी बात उस आश्रम में किसी का रिकॉर्ड नहीं को कितने बच्चे वहां आश्रम में थे। अब ऐसी स्तिथि में पहले तो यह साबित करना होगा कि घटना गुरु निशी के आश्रम में हुई थी और वो देहरादून में ना होकर नैनीताल में है।"

"यदि इतनी बातें साबित भी कर दिया, तो वहां जो आग लगी थी और कुछ बच्चे मरे थे उसकी जिम्मेदारी 5 लोग लेंगे और उनको सजा मिल जाएगी। होगा ये की जिन्हे सजा मिलनी चाहिए वो बाहर घूमेंगे और हम उनके नजरों के सामने आ चुके हैं। इसलिए वो तैयारी करेंगे नए ज़ख्म देने की। रात के अंधेरे की वारदात जिसमे कई लोग सम्मिलित थे, उनमें कितनो की भी गिरफ्तारी क्यों ना हो जाए, उनका मुखिया बाहर ही रहेगा। कभी-कभी न्याय के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ता है, लेकिन न्याय जरूर मिलता है। विचारहीन कदम केवल और केवल खुद को नुक्सान देता है।"


नंदनी:- हम्मम ! शायद आपके पास उन मामलों का ज्यादा अनुभव है इसलिए आप बेहतर समझ सकते हैं। माफ़ कीजियेगा, पुराने ज़ख्म कुरेद दिए आपके।


सिन्हा जी:- कोई बात नहीं, आप का सवाल जायज था जिसे मै भी आज तक खुद से पूछते आ रहा हूं।


नंदनी:- फिलहाल जो जवाब मिल रहे है उसी से दिल बहलाने में ही समझदारी है। वक़्त हर किसी के सवाल का सही जवाब दे ही देगा, मुझे अपने पूरे परिवार पर पूरा भरोसा है।

सिन्हा जी:- मुझे भी…



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अपस्यु और ऐमी के लिए पहले से जिंदल की गाड़ी इंतजार कर रही थी। दोनों जैसे ही बाहर आए उनके आगे कार अाकर रुक गई। ऐमी कार में बैठते ही अपस्यु को खींचकर अपने करीब लाई और उसके होंठ से होंठ लगा कर चुमने लगी… अपस्यु भी उसे बाहों में भरकर किस्स करने लगा। दोनों की किस्स काफी लंबी चलती रही, किस्स के दौरान एक दूसरे के ऊपर लगातार हाथ फेरते रहे और एक दूसरे को किस्स करते रहे।


दोनों ने जब एक दूसरे को छोड़ा तब दोनो ही सीट पर सीधे होकर हांफ रहे थे। कुछ देर श्वांस सामान्य करने के बाद, इसबार अपस्यु ने ऐमी को खिंचा और उसके होंठ से होंठ लगाकर किस्स करने लगा। ये किस्स पहले वाले किस्स से भी ज्यादा लंबी चली। और जब एक दूसरे से अलग हुए तब वापस से हांफते हुए एक दूसरे को देखकर जोड़-जोड़ से हसने लगे…


ऐमी:- बहुत दिनों बाद इतने जोश में तुमने किस्स किया है अपस्यु, बात क्या है, किसे याद करते हुए किस्स किया जा रहा था हां।


अपस्यु अपने चेहरे पर शातिराना मुस्कान लाते हुए ऐमी को आंख मारा और कहने लगा…. "क्या करोगी जानकर, अब छोड़ो भी।"


ऐमी:- सिर्फ उसे याद करके इतने जोश में किस्स कर रहे थे, यदि उसी के साथ किस्स कर रहे होते जिसे याद कर रहे हो, तो क्या होता?


अपस्यु:- ये अमेरिका है बेबी, बताना पड़ेगा कि इतने हाई पैशन के बाद क्या होता है?


ऐमी:- कहो तो मै कोई चक्कर चला दूं क्या?


अपस्यु:- ना कोई चक्कर नहीं चल सकता। वो शादी-शुदा है और मुझसे कई साल बड़ी।


ऐमी:- हीहीहीहीही… फिर तो पक्का हो गया कि कोई नए रिश्तेदारों में से है। अब मिश्रा फैमिली में तो कोई भी ऐसा नहीं है मतलब मै समझ गई।


अपस्यु:- बस भी करो अब तो तुम हर बात ओपन ही करते चली जा रही। लगता है हम पहुंच गए…


कार एक बड़े से दरवाजे के अंदर घुसते हुए एक बड़ी ही आलीशान घर के सामने रुकी। ध्रुव खुद ही बाहर उनके स्वागत में खड़ा था और एक अच्छे मेजबान का फ़र्ज़ अदा करते हुए उसने कार का दरवाजा खोला और दोनों को देखकर "वेलकम" करने लगा।


जब से दोनों कार से नीचे उतरे, ध्रुव उनके तारीफों के फूल बांधते नहीं थक रहा था। दोनों को वो अपने साथ लेकर पूरा घर घुमाने लगा, अभी दोनों नीचे के हॉल में लगे सज्जो सामान को ही देख रहे थे कि इतने में मेघा भी वहां पहुंच गई।


मेघा अभी हॉल से गुजर ही रही थी कि ध्रुव ने उसे आवाज लगा दिया… "हे सीस, देखो तो कौन यहां आया है।"


मेघा उनके पास पहुंचकर अपना हाथ अपस्यु के ओर बढाती हुई… "हेल्लो अपस्यु"..


अपस्यु भी एक नजर उसके बदन पर डालते, उसके ओर हाथ बढ़ा दिया… "हेल्लो मेघा"…


मेघा:- ध्रुव क्या मै इस हैंडसम को अपने साथ के जा सकती हूं, पहली मुलाकात हमारे बीच कुछ अच्छा नहीं रहा था, शायद कुछ वक़्त साथ रहे तो उस दिन की गलतफहमी दूर हो जाए…


ध्रुव:- मेघा वो तो अपस्यु ही समझे, मुझे कोई प्रॉबलम नहीं।


अपस्यु:- मुझे भी कोई प्रॉबलम नहीं।


मेघा, ऐमी के ओर देखकर कहने लगी…. "हे स्वीटहार्ट, तुम्हारा बॉयफ्रेंड को कुछ देर के लिए साथ लिए जा रही हूं, कोई प्रॉबलम तो नही।


मेघा की बात सुनकर तीनों हसने लगे। इस तरह से सबको हंसते देख मेघा चिढ़ती हुई पूछने लगी…. "क्या हुआ जो ऐसे तुम लोग हंस रहे हो।"..


ऐमी:- दरअसल, हम दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं है।


मेघा:- व्हाटएवर, हे यूं हैंडसम कम विथ मी…


मेघा अपने ऐटिट्यूड में आगे चल रही थी और अपस्यु पीछे। तभी अपस्यु उसे पीछे से देखते हुए धीमे से सिटी बजाते हुए कहने लगा… "सुपर्ब बैक।" अपस्यु उतने ही तेज आवाज में बोला जितने में मेघा के कानो में हल्की आहट हो।


मेघा पीछे पलट कर अपने घमंड से भरे चेहरे पर अपने बेरुखे शब्दों को होटों से निकलती… "क्या कहा तुमने?"


अपस्यु:- वो तो यहां का इंटीरियर देख कर मुंह से सिटी निकल गया। क्या कर्व और शेप है इस जगह का, आई रिएली लाइक इट।


मेघा:- यह इंटरियर काफी हाई प्रोफ़ाइल है, हर कोई इस छूना तो दूर देख भी नहीं सकता।


अपस्यु:- क्लास कितनी भी हाई हो, बिना मजदूर के मेहनत के ऐसा इंटेरियर बनना संभव नहीं।


मेघा, अपनी घमंड भरे चेहरे पर घमंड भरी मुस्कान लाती हुई कहने लगी… "काफी तेज हो, कल मेरे डैड की इंप्रेस कर लिया और आज मुझे।".. दोनों एक बड़े से शीसे के कमरे में पहुंच गए थे जहां मेघा बैठती हुई अपनी बात पूरी की।


अपस्यु भी ठीक उसके पास बैठते…. "ये इंप्रेस करना मुझे नहीं आता। मुझे तो बस तोड़ना फोड़ना आता है।"..


मेघा:- हां कल देखी थी मै, तुम्हारी फाइटिंग स्टाइल गजब की है। तुम्हारे लिए एक जॉब है करोगे?


अपस्यु:- जॉब डिटेल प्लीज…


मेघा:- एक अंडरग्राऊंड फाइट करनी है, प्रोफेशन बॉक्सर के विरूद्ध।


अपस्यु:- नो रूल एरिया में लड़वाना है, वो भी मेरे घर से इतनी दूर यूएस में। कहीं मुझे मारने का प्लान तो नहीं है।


मेघा:- तुम्हे मरवाना कौन सी बड़ी बात है, वो तो कल शाम में ही हो जाता। तुम जानते हो मिस्टर अपस्यु मेरे डैड कभी किसी से माफी नहीं मांगते, तुममें कुछ तो बात उन्हें दिखी थी, फिर मैंने तुम पर नजर रखी, काफी इंप्रेसिव थे तुम। हां थोड़ी जुबान लंबी है पर हो तुम मास्टर पीस।


अपस्यु:- यहां मेरी तारीफ करने लाई थी या काम की भी बातें कर लें।


मेघा:- ये मेघा बहुत कम लोगों की तारीफ करती है मिस्टर अपस्यु तुम खुशनसीब हो, जिसे मैंने सराहा है।


अपस्यु:- तारीफ मेरे लिए कोई नई बात नहीं है, हर कोई करता है, मैं पहले से खुशनसीब हूं।


मेघा:- आई लाइक दिस ऐटिट्यूड।


अपस्यु:- जी बहुत-बहुत धन्यवाद..


मेघा:- तो क्या तुम्हारी मै हां समझूं..


अपस्यु:- पहले डील तो सेट हो जाए… कितने की बेटिंग है?..


मेघा:- 1 मिलियन यूएस डॉलर। अगर जीते तो तुम्हे तुम्हारे 2 करोड़ रुपए मिल जाएंगे।


अपस्यु:- डील 5 मिलियन की करो, 4 मिलियन मेरे होंगे।


मेघा, चौंकती हुई…. "तुम्हे पता भी है कि तुम क्या कह रहे हो? 50 लाख रुपए नहीं 50 लाख डॉलर लगे हैं दाव पर।


अपस्यु:- जी नहीं, मेरे 40 लाख यूएसडी लगे है और तुम्हारे 10 लाख।


मेघा, 2 ग्लास में सैंपेन डालती हुई ले आयी और एक ग्लास अपस्यु को सर्व करती हुई कहने लगी…. "तुम्हारे पैसे का सोर्स क्या है।"..


अपस्यु:- मार्केट.. 40 उठाऊंगा और 2 घंटे में उन्हें 45 लौटाऊंगा… बाकी मेरे भरोसे पर बहुत से लोग तैयार रहते हैं पैसे फेकने के लिए…


मेघा:- जितना सोची थी उससे कहीं उपर के चीज निकले… 2.5 मिलियन तुम्हारे 2.5 मिलियन मेरे। पूरे पैसे मैं लगाऊंगी, जीत गए तो मै 12.5% काटकर तुम्हे तुम्हरे पैसे दे दूंगी और यदि हार गए तो तुम मुझे 2 घंटे में 2.5 मिलियन यूएसडी लौताओगे वो भी 12% इंट्रेस्ट के साथ।


अपस्यु:- जीत तो मै जाऊंगा ही, उसकी चिंता तुम मत करो.. तुम तो बस सेलीब्रेट कैसे करना है वो सोचो।


मेघा:- जीत गए तो सेलीब्रेट भी करेंगे.. लेकिन कल पहले तुम्हे जरा अच्छे से चेक तो कर लूं।


अपस्यु:- यदि तुम्हे चेक करना है तो मै बता दूं कि मेरा फेल होना पक्का है, क्योंकि अपने से बड़ी उम्र के चेकर के साथ मै नर्वस हो जाता हूं।


मेघा:- डोंट वरी डार्लिंग, मुझे छोटे लड़कों के हैंडल करने का पूरा अनुभव है।


अपस्यु:- तो फिर ये भी तय रहा.. वैसे फाइट कब है..


मेघा:- 2 जुलाई की शाम.. तैयार रहना…


अपस्यु:- मै तो तैयार ही हूं, रिस्क तुम्हारा है, तुम तैयार रहना।


मेघा:- बिना रिस्क कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। मै भी तैयार ही हूं।


अपस्यु:- बिल्कुल सहमत। सारी बातें हो गई हो तो चलें अब..


मेघा:- हां अब चलना चाहिए। कल तैयार रहना, मुझे इंतजार करना अच्छा नहीं लगता।..


दोनों बात ख़त्म करके वापस हॉल में लौट आए। मेघा अपस्यु को छोड़कर वहां से निकाल गई, इधर ये तीनों आपस में बातें करने लगे। डिनर खत्म करने के बाद ध्रुव खुद कार ले आया दोनों को ड्रॉप करने के लिए।


ध्रुव के साथ दोनों होटल ना जाकर समुद्र किनारे आ गए और वहां के मौसम का लुफ्त उठाते दोनों वहीं बैठ गए और ध्रुव उन्हें छोड़कर वापस लौट आया। दोनों खामोश बस सामने के लहरों को देख रहे थे।


दोनों के बीच की खामोशी में जैसे कोई गहराई थी। खामोश दोनों एक दूसरे के होने को मेहसूस कर रहे थे…. "मै एक नॉर्मल लाइफ जीना चाहता हूं, जैसे आरव और लावणी जी रहे, जैसे अन्य प्रेमी युगल जी रहे।".. ऐमी का हाथ थामते हुए अपस्यु कहने लगा…


ऐमी गहरी श्वांस लेती उसे मुड़कर देखने लगी और अपस्यु के चेहरे को पढ़ते हुए पूछने लगी…. "ऐसा क्या हो गया, जो मेरा टफ हीरो टूट गया।"..


अपस्यु:- बस अंदर से कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा। ऐसा लग रहा है चल रहे माहौल में तुम कहीं अकेली दूर खड़ी हो और मै हक से तुम्हारे पास भी नहीं रह सकता।


ऐमी:- जानते हो आज कुंजल क्या बोली…


अपस्यु:- क्या बोली..


ऐमी:- उसको मुझमें भाभी दिख रही है। सुनकर मुझे अच्छा लगा था।…


अपस्यु:- मुझे लगता है कुछ भी अब छिपाने की जरूरत नहीं है…

ऐमी:- भूल गए अपनी बात, हर किसी को पूरी सच्चाई नहीं बताई जा सकती। जो जितनी बातें जानेगा उतनी ही बातें सोचेगा और उतने ही बातें डिस्कस भी करेगा। ये हम सबकी सुरक्षा के लिए जरूरी है। अभी जैसा चल रहा है चलने दो। रही बात अभी की तो तुम साची को लेकर परेशान हो ना..


अपस्यु:- हां.. एक मासूम लड़की की सच्ची फीलिंग हर्ट कर दिया।


ऐमी:- यहां हर किसी की हर पल फीलिंग हर्ट होती है। मुझे विश्वास है कि तुम यदि उसे समझना चाहोगे तो वो समझ जाएगी।


अपस्यु:- हिम्मत नहीं बची ऐमी, लगता है हम न्याय नहीं किसी बदले के पथ पर है, जहां जो मिला इस्तमाल करते हुए अपना काम निकाल रहे है। मेरी आत्मा टूट रही है।


ऐमी, अपस्यु का हाथ थामती उसे खड़ा की और साथ चलते हुए कहने लगी… "याद है अपस्यु हमने कभी एक दूसरे को आई लव यू नहीं कहा।..


अपस्यु मुस्कुराते हुए….. हां जानता हूं…


ऐमी:- तुमने मेरे खामोशी को मियामी से लौटते वक़्त सुना था, जब हम फ्लाइट में थे और कैजुअल रिलेशन की बात कर रहे थे।


अपस्यु:- हां याद है मुझे। ये भी याद है कि तुम मुझसे बात करने के बाद वहां के वाशरूम साइड की लॉबी के पास खड़ी होकर रोई थी।


ऐमी:- और तुमने दूर बैठकर मेरी भावनाओ को सुना था, समझा था।


अपस्यु:- अकेले सिर्फ मैंने ही पढ़ा था क्या.. तुम तो मेरी भावनाओ को ना जाने कबसे परख रही थी। बिना इजहार के ही प्यार था ना जाने कबसे, बस उसे मानने मै बहुत देर कर दिए दोनों।


दोनों बीच पर चांद से आ रही रौशनी के बीच एक दूसरे को देख रहे थे.. देखते देखते दोनों प्यार से एक दूसरे में खोते हुए एक दूसरे को चूमने लगे… ऐमी किस्स को तोड़ती अपने सर को अपस्यु के सर से लगाते हुए उसकी आखों में देखती हुई कहने कहीं….


"जैसा तुम्हे फील हो रहा है साची के लिए, ठीक वैसे ही मेरी भी फीलिंग है। मैंने एक पल के लिए सोचा की तुमने मुझ से रिश्ता तोड़ लिया.. बस उस एक पल को मैंने पूरे सिद्दत से मेहसूस की, और वो दर्द मै शायद बयां ना कर सकूं। उसका टूटा दिल मुझे भी चैन से सोने नहीं दे रही। हमने मिलकर उसे दर्द दिया है, हम मिलकर उसे खुशी भी देंगे।"….
nice update ...megha to yaha bhi business ka soch rahi hai ,underground fight ...
 
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Update:-74 (B)



अपस्यु:- अच्छा ऐसी बात है तो बताओ क्या तुमने अब तक ध्रुव को किस्स किया है। एक बार भी..


साची:- ये हमारा पर्सनल मैटर है, तुम्हे क्यों बताऊं।


अपस्यु:- चल झुटी, किस्स की होती तब तो जवाब होता।


साची:- इतना भेजा फ्राई कौन करता है.. इसे मजबूरी का फायदा उठाना कहते है। तुम क्या चाहते हो वो मुझे बताओ…


अपस्यु:- मै चाहता हूं कि तुम समझने की कोशिश करो, जो तुम्हारी फीलिंग है मेरे लिए वो मात्र आकर्षण है जो सिर्फ पाना चाहता है, और ना मिल पाने की स्थिति में तुम्हे दर्द हो रहा है।


साची:- गुरु जी की अब नई कहानी शुरू होगी.. लव और अट्रैक्शन के बारे में.. और फिर मेरे दिमाग के साथ खेलने की तैयारी पूरी हो चुकी है।


अपस्यु:- चलो एक डील करते है…


साची:- कैसी डील..


अपस्यु:- तुमसे कोई सवाल करूं तो सब सच-सच बताना और तुम्हे किसी भी पल ऐसा लगे कि मै तुम्हारे दिमाग के साथ खेल रहा हूं, तो तुम मुझे साफ़ मेरे मुंह पर कह देना मुझे अब कोई जवाब नहीं देना.. मंजूर..


साची:- हां मंजूर…


अपस्यु:- क्या तुम्हे मुझसे प्यार है.. अब भी..


साची:- हां..


अपस्यु:- क्या जब मैंने तुम्हे सच बताया था मेरे और ऐमी के बारे में, तब तुम्हे लगा था कि मुझे तुमसे प्यार है…


साची:- पता नहीं…


अपस्यु:- क्या उस सच को सुनते वक़्त भी तुम्हे मुझसे प्यार था।


साची:- हां..


अपस्यु:- फिर फैसला किसने लिया था कि मै तुमसे दूर रहूं?


साची:- मैंने..


अपस्यु:- तुम्हारे फैसले के बाद क्या मैंने तुम्हे फिर परेशान किया…


साची:- परेशान ना करके भी करते रहे।


अपस्यु:- क्या तुम रोई थी?


साची:- आज तक रोती हूं।


अपस्यु:- क्या तुमने मेरे बारे में सोचा था कि मुझे सच बताने की जो तुमने इतनी बड़ी सजा दी है, उससे मेरी फीलिंग हर्ट नहुई होगी? क्या तुम्हे एक बार भी ख्याल आया कि मिलकर बात ही कर ले की हमारे बीच के रिश्ते में तुम्हे ऐमी खटक रही है?


साची:- लेकिन तुमने तो खुद मुझसे कहा था ना कि तुम दोनों में से किसी को नहीं छोड़ सकते, फिर उस बात के लिए इतने सवाल क्यों?


अपस्यु:- हां मैंने ऐसा कहा था, लेकिन तुम्हे तो सच्चा प्यार था ना, तुम तो एक बार सीधे-सीधे भी तो कह सकती थी ना.. यदि साची चाहिए तो तुम्हे ऐमी को छोड़ना होगा… नहीं तो हम दोबारा कभी नहीं मिलेंगे…


साची:- इतनी बात कह देने से क्या तुम उसे छोड़ देते..


अपस्यु:- बिल्कुल नहीं…


साची:- बस तो फिर बात ही खत्म..


अपस्यु:- हां मै भी बात क्लोज ही कर रहा हूं बस इतनी सी बात के साथ की हमरे बीच के रिश्ते में जितनी भी अब तक डिस्कस हुई है, उसमे केवल तुम्हारी फीलिंग, तुम्हारी इक्छा तुम्हारी चाहते और केवल तुम है तुम हो… अब तुम मुझे बताओ कि हमारे इस रिश्ते में.. मेरी फीलिंग, मेरी चाहत और मेरे लिए कितनी बातें डिस्कस हुई है…


साची:- हां तो इस पूरे घटना का केंद्र बिंदु तो तुम ही हो, और तुम्हारे कारन ही तो मेरे साथ ये सब घटनाएं हुई है…


अपस्यु:- और इसलिए मेरी फीलिंग कोई मायने नहीं रखती… मेरी फीलिंग के साथ जब जी में आया फुटबॉल खेल दिया। तुम्हे जब जी में आया आशु बहा लिए और खुद के लिए सिंपैथी बटोर लिया, क्योंकि लड़कों पर तो धोखेबाज का टैग लगा होता है ना, उसकी कोई फीलिंग ही नहीं होती है। मैंने तुमसे ऐमी के बारे में सच बता दिया उसके बाद से तो मेरी फीलिंग मर गई ना तुम्हारे लिए…..


साची:- सॉरी.. ये सही है कि मैंने अकेले फैसला किया था लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि मैंने तुम्हारी फीलिंग के बारे में नहीं सोचा था… मै रोज इस ख्याल में रोती थी कि मैंने हम दोनों को सजा दी है। हां केवल उस घटना के बाद फिर कभी तुमसे जाता नहीं पाई की मुझे तुम्हारी फीलिंग की कदर है, और तुम दूर रहकर भी बस मुझे मेरे गम से उबारने कि कोशिश में लगे हुए थे। फिर चाहे वो तुम्हारा किसी लड़की के साथ लाइन मारने वाला फ्लॉप सीन ही क्यों ना प्लान किया हो, या फिर कुंजल और लावणी के साथ मिलकर मेरा ब्रेन वाश करना.. की तुम एक बुरे लड़के हो।


अपस्यु:- बुरा लड़का, क्रिमिनल, और ना जाने क्या क्या तुम भी तो मुझे कह चुकी हो..


साची:- "तुम्हे गुस्से और नफरत से मै कुछ भी कहूं लेकिन जो सच है वो सच है। मुझे नहीं पता कि हमारे रिश्ते के बीच तुम्हे कभी प्यार था भी या नहीं था, लेकिन तुमने मुझे हमेशा रेस्पेक्ट दिया। तुमने ही तो समझाया था कि एकतरफा सोचकर फैसला नहीं लेते, जब मै हताश थी कॉफी वाली घटना को लेकर। तुमने ही तो एहसास करवाया था कि मै जितनी गहराइयों से बातों को सोचकर खुद को सजा दे रही थी, उतनी बातें तो तुम्हारे ख्यालों में भी कभी नहीं था। हां बस मेरा दिल तब टूट गया जब मैंने तुम्हे और ऐमी को देखा। पता नहीं तुमने वो कौन से फालतू रिलेशन का जिक्र किया था मेरे साथ, लेकिन मेरा दिल मुझसे एक ही बात कहता रहा.. जो स्थान ऐमी के लिए तुम्हारे दिल में है, वो मेरा नहीं।"

तुम दोनों के रिश्ते के बीच मै तो कभी थी ही नहीं… आज भी दिल धड़क रहा की मेरा अपस्यु मुझे गले लगाकर कह दे कि चलो छोड़ो भूलते हैं पुरानी बातों को, भूल जाओ इस एंगेजमेंट को, सब कुछ मै संभाल लूंगा.. मै बिना सवाल किए साथ आ जाऊंगी.. लेकिन ये मात्र इक्छा जो कभी पूरी नहीं होगी। क्यों अपस्यु क्यों, जब तुम्हारे लाइफ में पहले से ऐमी थी तब क्यों तुम मेरी जिंदगी में आए… ऐसा भी क्या मोह था मुझसे .. या फिर मै ये मान लूं कि, एक लड़का जो ऑन स्क्रीन मेरे फैंटेसी को अपनी भूल समझकर गलत मतलब निकाला बैठा, उसका तुम बदला ले रहे थे।"


कितना उकसाने के बाद पहली बार साची अपनी दिल की पूरी बात जुबान पर ला चुकी थी। वो अपस्यु से पूरी कहानी कहकर वहीं मायूस और खामोश होकर अपस्यु के ओर देखने लगी…


अपस्यु साची का हाथ थामकर उसके आखों में आए कुछ बूंद आशु को पोछने लगा.. साची खुद में इतनी टूटी थी कि वो सामने अपस्यु को देखकर खुद को रोक नहीं पाई, और उससे लिपट कर रोने लगी…. अपस्यु उसे सांत्वना देते हुए उसे चुप कराने की कोशिश करता रहा, लेकिन साची को ऐसा लग रहा था, पहली बार वो किसी सही कंधे पर सुकून से अपना सर रखकर रो रही है।


"साची काफी देर रो ली, और ज्यादा हुआ तो आखों के आगे सिलवटें आ जाएगी.. शांत हो जाओ।"…… "बस कुछ देर और, अच्छा लग रहा है तुमसे लिपट कर रोने में।"…..


अपस्यु साची को वहीं नीचे बिठाते हुए उसके आशु साफ किए और पानी बॉटल बढ़ाते हुए कहने लगा…. "मुझे पता था यहां के सीन में तुम्हारा रोना होगा ही इसलिए पानी बॉटल का इंतजाम पहले से कर रखा था"…. साची, अपस्यु की बात सुनकर रोते-रोते हंस दी और अपने दोनों हाथ तेजी से उसपर चलती हुई मारने लगी। पानी पीकर साची कुछ शांत हुई… कुछ पल दोनों खामोश रहे, साची अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान लाती हुई कहने लगी…. "मन हल्का हो गया.. ओय मिस्टर तुम कौन हो जो मेरे पास बैठे हो।"…


अपस्यु:- अरे इतनी जल्दी मुझे पहचाने से भी इनकार…


साची:- येस.. अब कोई गिला-शिकवा नहीं बस ऐसा लग रहा है अब सब ठीक है।


अपस्यु:- नहीं अभी कुछ भी सही नहीं हुआ है… तो क्या अब मैं तुम्हे कुछ झटके दे सकता हूं?


साची अपस्यु को घूरती हुई देखने लगी…. "नो नो नो नो.. नहीं अपस्यु कोई पागलपन नहीं… मुझे कैंटीन का वो तुम्हारा साइको रूप अब भी याद है।"


अपस्यु:- भरोसा है मुझ पर..


साची:- बिल्कुल नहीं, मुझे तुम पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है.. चलो हो गया मेरा दर्द चला गया है.. और बताया तो अब कोई गिला-शिकवा नहीं बचा.. जाओ अपनी ऐमी के पास बिना ब्रश के चबाओ एक दूसरे के मुंह..


अपस्यु:- अभी सिर्फ तुम्हारा दिल का बोझ हल्का हुआ है, दिल से मेरी वो छवि नहीं गई है… बस उस छवि को निकालने दो..


साची:- बहुत कर ली तुमने बकवास, चलो यहां से..


अपस्यु:- चुप एकदम.. और ध्यान से सुनो.. क्रेज़ी बॉय की आईडी ऐमी की है जो मेरे कहने पर उसने बनाया था, मैंने कोई तुम्हारा लैपटॉप या फोन नहीं चेक किया था।


ऐसा लग रहा था जैसे अपस्यु की आत्मा साची के अंदर घुसी थी.. क्रेज़ी बॉय की सच्चाई सुनने के बाद भी वो मुस्कुरा रही थी और अपस्यु के ओर देख रही थी। अपस्यु साची की इस हालत को देखकर समझ चुका था कि उसके अंदर का क्या माहौल है। हुआ भी कुछ ऐसा ही, मुस्कुराती हुई साची अपने हाथ इधर-उधर करके कुछ ढूंढ़ रही थी और तभी उसके हाथ पत्थर लगा और उसने अपस्यु के सर पर दे मारा।


अपस्यु ने भी बचने कि कोई कोशिश नहीं किया और नतीजा सिर से खून निकलना शुरू हो चुका था। अपस्यु के सर से जैसे ही खून निकला, तुरंत वो कॉटन लिया और फटाफट उसपर उपचार करके फिलहाल के लिए खून बहने से रोक लिया। साची पर लेकिन जैसे भूत चढ़ रहा हो।


वो हर बात की समीक्षा कर रही थी, उसने सिर फूटने पर अपस्यु की पहले से कि गई व्यवस्था भी देख रही थी। दोनों आमने सामने बैठे थे, साची उसका गला पकड़ कर उसके ऊपर चढ़ गई…. "अपस्यु तुम्हारा खून करके मै जेल आज जाकर रहूंगी। लेकिन खून करके रहूंगी… जब से तुमने क्रेज़ी बॉय का नाम लिया था, मै बस दिल को तसल्ली दे रही थी कि नहीं नहीं ये अपस्यु नहीं है इसके पीछे….. तेरी तो… आज मै तुम्हे नहीं छोड़ने वाली… कमिने कुत्ते.. मां की गली नहीं दे सकती.. आंटी रेस्पेक्टेड है और मै उनकी फैन हूं… वरना अभी तुम्हे मै बताती….. साले चूतीए.. खून पी जाऊंगी मै तुम्हारा।"


अपस्यु जोर-जोर से हंसते हुए उसे अपने ऊपर से हटाया और साची के सर पर पूरी पानी की बॉटल उर्रेल दिया। साची पुतले की तरह बैठी रही और फुह-फूह करके, पानी के ऊपर फुफकार मार रही थी…. "दिमाग कुछ शांत हुआ क्या?"


साची एक फिर उसका गला पकड़ कर उसे लिटा दी और 3-4 बार उसका गला जोर जोर से दबाने के बाद 8-10 थप्पड उसे जल्दी-जल्दी में लगा कर उसी के ऊपर बैठकर अपनी श्वांस सामान्य करने लगी।


अपस्यु:- मै भी कितनी बाजारू हूं जो उन पर थप्पड मारा। वो इतने महान है और मैंने ऐसे किया अपने अपस्यु के साथ।


साची:- कॉमेडी हां… तुम्हारा खून कर दूंगी मै अपस्यु चाकू दो मुझे..


अपस्यु जोर जोर से हंसते हुए… "उसी बैग में तुम्हे चाकू भी मिल जाएगा.."


साची एक हाथ बढ़ाकर वो चाकू निकलती हुई… "तुम्हे पहले से पता था कि मुझे इसकी जरूरत भी पड़ेगी.. तुम्हे क्या लगा तुम इस नकली चाकू से मुझे भ्र्मा दोगे..


इतना बोलते-बोलते साची बड़े विश्वास के साथ, चाकू टेस्ट करने के लिए अपनी हथेली पर चला चुकी थी, तभी अपस्यु तेजी से वो बैग उठाकर चाकू और हथेली के बीच लगाया…. "ओए पागल, वो असली चाकू है, हाथ बचता नहीं रिंग डालने के लिए।"


साची उसके बाल पकड़ कर तीन चार बार वहीं नीचे पटकती हुई उसके ऊपर से हटी। गुस्सा उसका अब भी शांत नहीं हुआ था और वो गुस्से में कहने लगी… "तुम्हे पीटना है, मुझे अभी के अभी रोड चाहिए।"


इतना कहकर जैसे ही साची पीछे मुड़ी अपस्यु रेलिंग पर खड़ा था। उस रेलिंग पर खड़ा देखकर साची कहने लगी… "अब तुम रस्सी लगाकर नीचे कूदोगे यहीं ना.. और इससे मेरा गुस्सा ठंडा हो जायेगा क्या?"


"खुद ही देख लेना की रस्सी है कि नहीं बंधी"… इतना कहकर अपस्यु नीचे छलांग लगा चुका था। उस कूदते देख साची का कलेजा धक से रह गया। उसकी श्वांस ही अटक गई। वो भागकर रेलिंग के पास पहुंची.. 30 मंजिली इमारत के नीचे देखने से ही जहां देहसत पैदा हो जाए वहां से अपस्यु को छलांग लगते देख साची स्तब्ध (shocked) होकर नीचे देखने लगी।


नीचे देखते हुए उसे डर लग रहा था लेकिन किसी तरह हिम्मत बांध कर वो अपस्यु को ढूंढ़ने लगी। आस-पास नजर दौड़ा कर वो देखने लगी कि कहीं कोई रस्सी बांधकर तो नहीं कुदा लेकिन रस्सी के नाम पर कोई साक्ष्य (proof) नहीं था छत पर। साची पागलों की तरह नीचे देखने लगी…. तभी उसके बाएं ओर से लटकते हुए अपस्यु की आवाज़ आयी... "ओ मिस मै कोई सुसाइड नहीं कर रहा था, पीछे हट जाओ वरना यहां से गिरी तो फिर कुछ बचना भी नहीं है।"
nice update ..megha ka ghamand achche se toda ?...par us drink par itna bhashan diya kya wo sahi tha ya aisa hi fenk raha tha ...
aur ab saachi ko samjha raha hai par usse pyar karta bhi hai ya nahi pata nahi ..
 
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दिल्ली में जेके और पल्लवी का होना अपस्यु के लिए किसी बड़े मौके से कम नहीं था। यूएस के लिए उड़ान भरने से पूर्व ही उसे यह पता चल चुका था कि 30 जून की शाम जिंदल के लड़के और साची की एनेगामेंट तय हो चुकी है। बड़ी खबर हाथ लगी थी और अपस्यु इस बार खुद सबकी मौत तय करना चाहता था। उन चार दोषियों कि मौत भी ठीक उसी प्रकार तय की गई, जैसे उसके बचपन के साथियों को मारा गया था। वो सब किस कारन से मरे उन्हें पता नहीं था, कौन सी दुश्मनी का उनसे बदला लिया जा रहा था, किसी को भनक नहीं। सब बस जिंदा चिता में झोंके जा रहे थे और किसी को पता नहीं था कि वो क्यों झोंके जा रहे थे।


उस रात आग में झोंकने वालों 15 लोगों में से अपस्यु ने आज तक किसी को अपने हाथों से सजा नहीं दिया था, लेकिन इस बार वो ये मौका नहीं गवाना चाहता था। चारों की मौत तय हो चुकी थी, हादसे में चारो काल के गाल में समाने कि पूरी तैयारी और रूप-रेखा सब पहले से तय ही चुकी थी।


भार, ऊंचाई और समय का पुरा आकलन हो चुका था, बस जरूरत थी तो चारों को एक निश्चित समय पर, निश्चित स्थान तक लेकर आना। वक़्त था चौंकाने का, उनके बिल्कुल सामने होकर झटके देने का।


हालांकि अंदेशा तो पहले से था कि जब जिंदल अपने बेटे की एंगेजमेंट करेगा तो भारत से आने वाले कुछ लोग, उसके लिए सौगात तो लेकर ही आएगा। अपस्यु और पार्थ ने मिलकर पहले से उनके पैसों में सेंध लगाने की पूरी योजना बना चुका था, लेकिन अपस्यु ने पार्थ को भनक तक नहीं लगने दी कि उसका मुख्य टारगेट क्या है या कौन है?


29 जून को की रात उनके डॉलर से भरी वैन धू-धू करके जल रही थी और इसी के साथ जिंदल का जलता कलेजा, पांचों एंगेजमेंट की शाम देखने उस हॉल में पहुंचे थे। इसी की एक छोटी सी कड़ी मेघा से भी जुड़ी थी। लगभग 300 करोड़ जलने के बाद उन पैसों का कंपनसेशन अति आवश्यक था और अपने पार्टनर से आधी रकम की पेमेंट के लिए 3 जून तक का वक़्त लिया जा चुका था।


मेघा के लिए पहले तो ये फाइट महज अपने पैसों में एक साथ बढ़ोतरी का तरीका था इसलिए अपस्यु के साथ वो 50% के साथ राजी हो चुकी थी पैसे लगाने के लिए। लेकिन अब उसे अपने पैसों मै बढ़ोतरी के साथ 150 करोड़ का घाटा भी कवर करना था इसलिए वो इंगेजमेंट के दिन अपस्यु से मिलकर उसे बेटिंग से साइड होने के लिए कहने आयी थी और बदले में फाइट जितने के लिए उसे वो 1 मिलियन का ऑफर देने आयी थी।


लेकिन मेघा को क्या पता था कि उसकी इस हालत का जिम्मेदार वहीं है। मेघा की मनसा पर उस वक़्त आघात हो गया जब अपस्यु उससे बिना बात किए वहां से चला गया। फिर तो रही सही कसर होम मिनिस्टर ने अाकर पूरी कर दी। पहले जहां अपस्यु पर दवाब बनाने की कोशिश पर सोच चल रही थी, मंत्री जी के इतने करीबी किसी को देखकर अपस्यु अब इंटरनेशनल पॉलिटिक्स का एक हिस्सा था जिसपर हाथ डालने का सीधा मतलब था 2 देशों के कूटनीतिक संबंध के बीच हाथ डाल देना।


जिंदल को झटके पर झटके मिल रहे थे और अपस्यु उसकी हालत का पूरा आनंद उठा रहा था। लेकिन उसकी निगाहें तो अब भी कहीं और टिकी हुई थी और कहीं ना कहीं उनके पैसों में आग लगने की वजह से वो मौका भी अपस्यु के झोली में खुद ही अाकर गिर गई।


जिन पैसों में आग लगा था उसमे से 200 करोड़ के क्लायंट उन्हीं चारो… मुर्तुजा, नवीन, कृपाल और प्रताप के थे। चारो जब यूएस पहुंचे थे तभी से बिल-बिलाए हुए थे। चारो को साथ देखा गया एयरपोर्ट पर और उनकी बात कोई सुन ना ले इसलिए खुद ही कार ड्राइव करके मीटिंग करते हुए होटल पहुंचे थे।


इन चारो को एयरपोर्ट से ही साथ आते देखकर अपस्यु के आखों में शुरू से ही चमक आ चुकी थी। अपस्यु बार काउंटर पर बैठकर जब काउंटडाउन कर रहा था, ठीक उसी वक़्त चारो एक ही कार में सवार थे। इधर कार पार्किंग से निकालकर सड़क पर आ रही थी और उधर 30 माले की छत से उनकी मौत भी।


काउंटडाउन का अंत होते ही कार अपने निश्चित जगह पर खड़ी हो चुकी थी, और अनजान मौत ठीक उनके सर के ऊपर से आ रही थी। धड़ाम की जोरदार आवाज के साथ, सड़क पर छत के ऊपर रखा एक बड़ा सा बैकअप जेनरेटर ठीक उस कार के ऊपर आकर गिरी, जिसमे चारो वापस जा रहे थे और उन्हें मौका तक नहीं मिला सोचना कि मौत कहां से आ रही है।


पूर्ण लोहे के धातु की वो वस्तु जेनरेटर, जिसका वजन लगभग 300 किलोग्राम का था। 500 फिट की ऊंचाई से जब वो 9.8 m/s² कि रफ्तार से, लगभग 4 लाख 50 हजार न्यूटन फोर्स के साथ जब उस कार के उपर गिरी तो लगभग 5 फिट ऊंची कार, चिपक कर मात्र 10 इंच की बची थी, जो सड़क से लगभग 2 फिट नीचे दफन थी और उसके ऊपर वो जेनरेटर।


जिस वक़्त ये घटना हो रही थी, सभी सुरक्षा एजेंसी के जवान अपने तय समय के अनुसार 7 बजे तक सभी मुख्य नेशनल पॉलिटीशियन और कुछ इंटरनेशनल पॉलिटीशियन को होटल से सुरक्षित बाहर निकालने का अपना प्रोटोकॉल पूरा करके वहां से निकलने की तैयारी में थे।


अपस्यु और ऐमी ने 10 मिनट का ज्यादा समय अपने डांस से लिया, जिसके चलते उन चारों को 10 मिनट की देर हुई और तय समय पर उनकी कहानी को अंजाम दिया जा चुका था। यहां की सुरक्षा एजेंसी काफी प्रोफेशनल होती है। चूंकि यह मामला उनके काम से जुड़ा नहीं था इसलिए उन्होंने बिना कोई हस्तछेप किए शिकागो पुलिस को अपना काम करने दे रही थी और बस बाहर से बैठकर तमाशा देख रही थी।


इस वक़्त में, अंदर हॉल में तेज संगीत पर सब झूम रहे थे और ठीक इसी वक़्त में अपस्यु ऐमी के साथ ग्लास टोस्ट करके जाम का एक सुकून भारी चुस्की ले रहा था। जैसे ही जिंदल तक ये खबर पहुंची उसका चेहरा देखकर अपस्यु खुश हो रहा था। ऐमी को अपस्यु की बात से कुछ तो आभास हुआ था, लेकिन क्या हुआ था, और किसके साथ हुआ था, ये बातें अब तक उसके ज्ञान में नहीं था।


काम खत्म होते ही अपस्यु को अंदर से रोने कि इक्छा हो रही थी लेकिन आरव का एंगेजमेंट था। वो सबको बताना तो चाहते थे लेकिन अपस्यु के पता था, हर किसी के आखों में आशु होगा और जश्न मानने की चाह में घर में आयी इतनी बड़ी खुशी कहीं द्वितीय खुशी ना बन जाए और बदले के आग को मिला सुकून पहली खुशी, इसलिए अपस्यु किसी को बताना भी नहीं चाहता था और ना ही ये बात किसी को पता चलती क्योंकि क्राइम सीन होटल के बाहर था और जश्न का माहौल 20th फ्लोर पर।


घटना के 2 मिनट बाद जैसे ही जिंदल को ये सूचना मिली वो सिन्हा जी को छोड़कर होटल के बाहर निकला। बाहर होटल कि लॉबी में हर जाने वाले गेस्ट को रोककर उनसे पूछताछ शुरू थी। साथ में उन जवानों की डिटेल लेकर उन्हें वहां से भेजा जा रहा था।


जिंदल के मौके पर पहुंचते ही डिटेक्टिव खुद आया उससे मिलने और मिलकर घटना की जानकारी देते हुए पूछताछ करने लगा। जिंदल ने आए मेहमानों की पूरी लिस्ट उसे थामते हुए कहने लगा… 20th फ्लोर पर एक और एंगेजमेंट होना है और वहां मौजूद जितने भी लोग हैं वो होटल छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले इसलिए उनसे कल पूछताछ का आग्रह वो करने लगा।


डिटेक्टिव ने जिंदल को इनडायेक्टली हिदायत देते हुए समझा दिया कि वो एक क्राइम सीन पर उसके काम में दखलंदाजी कर रहा था। वो अपने नॉर्मल प्रोसीजर से ही आगे बढ़ेगा और हर किसी से पूछताछ, केस कि पूरी डिटेल और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही शुरू होगी। साथ में डिटेक्टिव ने होटल में मौजूद सभी गेस्ट की लिस्ट लेकर उनके पासपोर्ट डिटेल एयरपोर्ट पर भेज दिया ताकि कोई भी बिना इजाज़त देश छोड़ कर न जा सके।


नीचे पूरे गहमा-गहमी का माहौल था लेकिन 8th फ्लोर में अभी एक मां अपने बच्चों को शांत करवाकर उन्हें हंसाने में जुटी थी और यह याद दिलाने की कोशिश कर रही थी कि आज उनके घर में खुशियां आयी है और बाकी सारी बातें भूलकर इस पल का आनंद ले। वहीं 20th फ्लोर पर कुंजल, साची के साथ नाच रही थी, जिसके साथ उसकी होने वाली भाभी लावणी भी थी।


क्या हो चुका था नीचे, उसमे अपनी भूमिका निभाने वाला वीरभद्र, आरव के इंगेजमेंट वाले हॉल में था और वो उस हॉल की तैयारियों को आखरी बार परख रहा था। और इधर अपस्यु अपनी जीत का जश्न मनाने, ऐमी को पूरी तरह से चिढ़ाकर सिन्हा जी के ओर बढ़ रहा था।


एक ही वक़्त कि 2 अलग-अलग कहानी थी, जहां एक ओर खुशियां थी, वहीं दूसरे ओर चिंता और परेशानी का माहौल था। पार्टी से जिंदल अपने बेटी दामाद के साथ मनीष और राजीव को लेकर अपने बंगलो पहुंचा जहां विक्रम अपने दोनो बेटे के साथ पहले से कुछ बातें कर रहा था।


चार लोग और होते इस वक़्त जो इस मीटिंग का हिस्सा थे, लेकिन अपस्यु ने उन चारों को अपने बॉस की डांट सुनने से बचा चुका था… सभी लोग सभा में बैठे थे कि तभी विक्रम का बड़ा बेटा कवल किशोर चिल्लाते हुए कहने लगा… "प्रकाश अंकल आप से धंधा नहीं संभल रहा है, आप को ये सब छोड़ देना चाहिए।"


प्रकाश:- कवल बेहतर होगा बैठ जाओ आपस में बहस करने से कोई फायदा नहीं हैं। तुम शायद भूल रहे हो कि तुम किससे बात कर रहे।


विक्रम:- तुम बैठो कवल, प्रकाश सही कह रहा है। .. प्रकाश तुम्हारे नाक के नीचे से 300 करोड़ जला दिया गया, 4 और हमारे एजेंट एक साथ मारे गए। टोटल 1100 करोड़ का घाटा और तुम कुछ नहीं कर पाए। तुम्हे नहीं लगता कि तुम्हारी बुद्धि में जंग लगा चुका है। तुममें अब वो पहले वाली बात नहीं रही प्रकाश। मुझे लगता है तुम्हे अब धंधा मेघा और हाड़विक (मेघा का पति) पर छोड़कर तुम्हे अपने पॉलिटिक्स में ध्यान देना चाहिए।


"आप लोग प्लैनिंग करते रहने, पहले मुझे बताओ 150 करोड़ कैसे वापस कर रहे हो, ताकि मै सुनिश्चित हो जाऊं। फिर सब अपनी बकवास मीटिंग करते रहना।"….. विक्रम का छोटा बेटा लोकेश, पक्का बिजनेसमैन, डेढ़ शाना, दिमाग से मजबूत, थोड़ा अय्याश और थोड़ा लड़कीबाज, लेकिन जुबान का पक्का। जले हुए रुपए कि पेमेंट वो क्लायंट को कर चुका था, बस यहां उसे अपने 150 करोड़ चाहिए थे।


लोकेश सिंह इस हवाला सिंडिकेट का एक उभरता हुआ सितारा था जिसने 4 साल पहले ही धंधा शुरू किया था और देखते ही देखते आज के समय में इसके पास कॉन्टैक्ट्स की कोई कमी नहीं थी। भारत के साथ अन्य पड़ोसी देशों के भी पैसे वो दुनिया के किसी भी कोने में कहीं भी भिजवा सकता था। एक तरह से पूरा मध्य एशिया पर इसका एकाधिकार था।


जहां पहले इनका पूरा ग्रुप मिलकर साल भर में 50 हजार करोड़ की हवाला हेराफेरी करता था वहीं लोकेश अकेला अपने दम पर आज के समय में 40000 करोड़ का धंधा करता है। नुकसान हो या संपत्ति बेच कर देनी परे लेकिन तय समय में इसके क्लायंट को पैसे मिलने थे।


मेघा:- लोकेश 3 जुलाई को तुम्हारे पैसे मिल जाएंगे।


लोकेश:- मेघा मुझे यह मत बताओ कि मिल जाएगा, मुझे ये बताओ पैसे कैसे आएंगे। क्या कोई बोंड बेचकर दोगी, या अपने कंपनी के शेयर।


मेघा:- नहीं 2 जुलाई को 5 मिलियन की बेटिंग है, वहीं से पूरा कवरउप करूंगी।


लोकेश:- तुम्हे इतना यकीन है कि तुम्हारा फाइटर जीत जाएगा..


मेघा:- 200%


लोकेश:- ठीक है फिर मेघा, 3 जुलाई को पैसे मुझे मिल जाने चाहिए। आप सब मीटिंग करो मै चला।


विक्रम:- लोकेश हम यहां कुछ समस्या पर बात कर रहे है और तुम बीच में छोड़ कर जा रहे…


लोकेश:- पापा याद है कुछ साल पहले आप लोगों के पैसे ऐसे ही जले थे, तब आप लोगों को किसी गैंग पर शक हुआ, और उसे साफ कर दिया.. बहुत समय तक फिर कोई घटना नहीं हुई, लेकिन फिर आज ये घटना हो गई और आप लोग फिर किसी गैंग को उड़ाएंगे। अपने काम जारी रखो, कभी तीर निशाने पर तो लगेगा ही, मैं चला।


मेघा:- तुम्हारी बातों में कुछ छिपा है लोकेश, मुझे खुलकर बताओगे कहना क्या चाहते हो?


लोकेश:- हम बिजनेसमैन है कोई गुंडे नहीं। जबतक गुंडों की तरह सोचकर जिसे मन किया उसे मारते रहोगे, उससे कोई सॉल्यूशन नहीं निकालनेवाला। मेरे साथ अगर ये हुआ होता तो अबतक मै ये काम किसी प्राइवेट एजेंसी को दे चुका होता। चूहों को बिल से निकलने के लिए शातिर सांप चाहिए ना की उसके पीछे अपने भोंकने वाले कुत्तों को भेजते है।


प्रकाश:- मुझे समझ में आ गया कि मुझे क्या करना है। मैं यहां के सबसे खरनाक और शातिर एजेंसी को काम दूंगा जिसकी मदद गवर्नमेंट भी लेती है। शिकारियों का ऐसा झुंड जो पता लगाकर, घर में घुसकर, जिंदा लोगों के सीने से उसका दिल चीर कर निकालने के बाद, उसे मरता छोड़ देते है। अब यह काम वहीं करेंगे।


"इसे कहते है स्मार्ट मूव। यार बिजनेसमैन कि तरह धंधा करो। ऐसे अपने लोगों को धंधा भी कहो करने, फिर छिपे दुश्मनों की कहो पहचान करने, उसके बाद उन्ही लोगों को उनके पीछे भी लगाओ, फिर सबको ठिकाने लगाने भी कहो। कोई एक काम अच्छे से करवा लो, एक ही आदमी से 4 तरह का काम करवाओगे कहां से मनचाहा परिणाम मिलेगा।"…
nice update ..aakhir hero ne 4 ko maar hi diya par iski planning kaise ki aur wo bhi perfect timing ....ye lokesh pakka businessman hai ,ekdum sahi idea diya sabko ....
 
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Update:-79



अपस्यु उसे फ्लाइंग किस्स देते उन दोनों गोरी मैम को छोड़ा और ऐमी को बेस्ट ऑफ लक कहते हुए वापस से बार काउंटर पर चला गया। इधर डांस के बाद थोड़ा विराम लग चुका था। मनीष और राजीव सभा में पहुंच चुके थे और साथ में उसके दोनों बेटे भी.. अब आगे का कार्यक्रम शुरू होने जा रहा था।


सब खास लोग स्टेज पर आ चुके थे। डॉलर में कमानेवाले पंडित जी भी मंत्र उच्चारण शुरू कर चुके थे और नंदनी ऐमी को बोल ही रही थी कि अपस्यु को बार से उठकर यहां पर लेकर आए।


इधर डांस के बीच में जब अपस्यु ऐमी को बेस्ट ऑफ लक कहकर निकला तो सीधे बार काउंटर के पीछे गया, जहां सिन्हा जी जितने पेग लगाए थे उतने ही ग्लास उसके कॉकटेल के बनवा कर रखे हुए थे।… "क्या बापू, अकेले-अकेले 6 पेग मार चुके।"


सिन्हा जी:- छोटे, ऐमी और तेरी मां ने मिलकर पहरा लगा डाला था। इसलिए बार काउंटर तक पहुंचने में समय लग गया। वरना अपने बेटे के एंगेजमेंट में 12-15 पेग तो लगा ही चुका होता।


अपस्यु ने अपना एक पेग उठाया और सिन्हा जी के साथ टोस्ट करते हुए… "कोई ना बापू कौन सा इनका अभी नाचना खत्म हो गया है। अभी वक़्त है हमारे पास।"


जबतक इनलोगों का नाचना खत्म हुआ और सब स्टेज पर पहुंचे थे, तबतक अपस्यु और 10 पेग लगा चुका था और सिन्हा जी 8 पेग के साथ झूमना शुरू कर चुके थे। इधर नंदनी ने जैसे ही ऐमी को बुलाने के लिए कहीं, वो बार काउंटर पर अपनी नजर दी… बापू और छोटे की जोड़ी कंधे पर हाथ डाले वीरभद्र से कुछ बातें कर रहे थे। उनको देखती ही… "लो हो गई अब एंगेजमेंट"..


नंदनी:- क्या हुआ इतने चिंता में क्यों दिख रही हो?


ऐमी नंदनी को उल्टा घूमती हुई कहने लगी… "लो खुद ही देख लो"… दोनों को साथ देखकर नंदनी कहने लगी… "इन पियक्कड़ों को रेगिस्तान में भी छोड़ आओ तो भी अपना जुगाड और साथी ढूंढ़ लेंगे।"


नंदनी अपनी बात समाप्त की ही थी कि यहां की भी लाइट चली गई, लेकिन इस बार फोकस जोड़ों पर नहीं बल्कि अपस्यु और सिन्हा जी पर था, और दोनों के हाथ में थी माइक….


सिन्हा जी:- छोटे आज मेरे बेटे का एंगेजमेंट है इसलिए यहां कोई एक्शन नहीं होगा। बस रोमांस होगा..


अपस्यु:- ओय बापू.. ये क्या बोल रहे हो.. पूरी फैमिली है..


सिन्हा जी:- आे तेरी ! साले ये बैंचों फिल्म वाले, इतना ना एक्शन और रोमांस को साथ में लिख दिए की मुंह से निकल गया.. सॉरी लेडीज एंड जेंटलमैन. मेरा छोटा एक्शन नहीं करेगा बल्कि डांस करेगा.. और अब मेरे इस हैंडसम हंक के लिए एक पार्टनर की जरूरत है.. ऐमी को छोड़कर कोई भी इंटरेस्टेड गर्ल आ सकती है..


अपस्यु:- जे बात बापू.. ये सही कहा आपने .. हमारे बीच दरार डालने वाली वही है… जलती है यार अपने से वो। लेकिन… लेकिन… लेकिन .. इस से पहले की कोई डांस शुरू हो, पहले आप लोग हमारे परिवार के कुछ पलो का आनंद उठाएं..


जैसे ही वहां अंधेरा हुआ था, और इन दोनों का नाटक शुरू हुआ… मनीष, राजीव से तानो में कहने लगा… हमारे परिवार के संस्कार तो नंदनी जी ने बता दिया था, अब ये क्या है भक्तिमय माहौल।


अनुपमा:- आप भी ना, ना वक़्त देखते हो ना जगह। चुपचाप सामने पर्दे पर चल रहे तस्वीरों को देखो, संस्कार पता चल जाएगा.. शोले में तो धर्मेन्द्र भी दारू पीकर पानी टंकी पर चढ़ा था, फिर क्यों रट लगाए रहते .. मेरा फेवरेट सीन.. आगे देखो…


कई सारी खट्टी मीठी यादें थी उन तस्वीरों में। एक तस्वीर और उभर कर आयी जो काफी लेटेस्ट थी अभी कुछ देर पहले की, जिसमे नंदनी ने तीनों को गोद में सुला रखा था। इस आखरी तस्वीर के समाप्ति के साथ ही रौशनी हुई और सभी बच्चे नंदनी के कंधे से लगे खड़े थे और नंदनी उनके बीच मुस्कुरा रही थी।


स्टेज पर ये माहौल चल रहा था और नीचे कई लड़कियों की भीड़ लग चुकी थी। इस बार अपस्यु ऐमी का चेहरा देख रहा था। गुस्से में बिल्कुल बिलबिलाती, वो अपस्यु को देख रही थी।… "छोटे गाना बजवाया जाए क्या?"..


अपस्यु:- अरे बापू आज के आप मेरे डांस पार्टनर..


सिन्हा जी:- ना रे, तू वो मुझे हवा में झुलाएग, मेरे हार्ट अटैक कर जाएगा।


अपस्यु:- अरे ना बापू ऐसे आज दो हमजोली नाचेंगे.. आरव तू कुछ देर और रुक, हम दोनों जरा रंग जमा कर आए…


सिन्हा जी:- ठीक है पर हम एक ही गाने पर नाचेंगे..


अपस्यु:- कौन सा बापू…


सिन्हा जी:- साले को बोल, "मेरा तन डोले मेरा मन डोले" बजाए…


अपस्यु को जब सिन्हा जी गाने कि फरमाइश कर रहे थे तब अपने बदन को ऐसे लहराए की देखने वालों की हंसी निकल आयी।… और फिर बजने लगा नागिन के धुन वाली तन डाले मन डोले..


सभी खड़े लोग हंसते-हंसते लोटपोट थे, और वहां फ्लोर पर 20 सपेरे और एक नाग। सब अपस्यु के आगे बीन बजा रहे थे और अपस्यु सबको डसने में लगा हुआ था। अब ये दोनों नौटंकी कर रहे हो और कोई घटना ना हो। कबीर वहीं उनके पास खड़ा होकर देख ही रहा था, कि सिन्हा जी के धक्के से वो गिरा।


अपस्यु के ठीक ऊपर वो गिरा था और अपस्यु उसे थामते हुए अपने पास लिटा दिया। तेजी से उठकर अपस्यु उसके ऊपर आया और अब सपेरा अपस्यु था और नाग कबीर। उसने बहुत कोशिश की वहां से उठकर निकल जाए लेकिन 20 लोगों की भीड़ से नाग तब तक नहीं निकला जबतक नंदनी ने अाकर दोनों बापू और छोटे की जोड़ी को कान पकड़ कर ऊपर स्टेज पर ना ले आए।


कबीर जब खड़ा हुआ तब उसके पूरे कपड़े खराब हो चुके थे। कुछ लोगों के तो वाइन भी उसके कपड़े पर गिरा हुआ था। काफी गुस्से में वो लग रहा था। इधर जैसी कबीर कि हालात थी ठीक वैसी ही अपस्यु की भी थी, लेकिन अपने भाई को ठीक सामने देखते ही आरव बाहें फैलाए उसके गले से लगा और कान में कहने लगा…


"कमिने आज की पार्टी खराब होते होते बची है, मुझे तो लगा कि वो कबीर गया आज"…. "अबे आज मै एक्शन के मूड से नहीं था। वो बापू भिड़ा हुआ था किसी तरह लड़ाई फसाने के लिए। उसने नीचे नहीं लिटाया होता तो तू जानता है तेरा ससुर ही क्यों ना हो, बापू से बदतमीजी पर तो मै उसे भी का छोड़ूं।…… "हहाहा, उन्होंने कब मार नहीं फसाया है तू ये बता।"…. "अबे छोड़ बे अब कितना गले लगेगा।"..


अपस्यु ने जैसे ही आरव को छोड़ा लावणी ने अपने दोनो हाथ ऊपर कर लिए अपस्यु उसे भी गले लगाते हुए कहने लगा… "लगता है इसने बाप वाला कॉन्सेप्ट तुम्हे भी बता दिया।"…. "थैंक्स भईया, आप ने जो किया वो मेरे एंगेजमेंट का बेस्ट मोमेंट था।".. अपस्यु उससे अलग होते हुए, आरव से कहने लगा… "सुन बे अगर इसने मुझ से तेरी कुछ सिकायात की ना तो तेरी खैर नहीं।"..


"अरे अब बस भी करो भारत मिलाप, वरना यहां पूरा खानदान खड़ा है मिलाप के लिए। दोनों एक दूसरे को अंगूठी भी पहनाओ।".. पीछे से सुलेखा हंसती हुई कहने लगी… इसी के साथ दोनों की अंगूठी सेरेमनी भी पूरी हुई। सभी लोग मेलमिलाप में लगे थे और इधर अपस्यु सुलेखा को भीड़ से थोड़ा अलग ले जाकर पूछने लगा… "आप खुश तो हो ना आंटी।"


सुलेखा:- बेहद खुश हूं। ऐसा लगा जैसे ज़िन्दगी में कोई तो अच्छा काम किया।


अपस्यु:- आप तो शुरू से अच्छा काम करती आ रही हैं। आपने जो किया है, उसके लिए हिम्मत चाहिए। लोग संसार से तो लड़ सकते है, लेकिन परिवार से हार जाते है। हम सबसे बड़ी लड़ाई तो आप लड़ रही हैं।


सुलेखा:- जानता है, मेरी नजर अब भी अपनी सुनंदा को ढूंढ़ रही है। तुझमें पूरी अपनी मां कि छवि है।


अपस्यु:- आप भी तो मां की ही परछाई हो। बिल्कुल मेरी मां जैसी। जो बीत गया उसे जाने दो, और आज में जीना सीखो। देखो तो लावणी को कितनी प्यारी लग रही है। दोनों की जोड़ी कमाल कि है।


सुलेखा:- उसकी जोड़ी तो लग गई, तेरी जोड़ी कब लगेगी।


अपस्यु:- उसमे अभी समय है आंटी फिलहाल तो अभी ध्यान कहीं और है।


सुलेखा:- अच्छा सुन, कोई थर्ड पार्टी तुम्हारे टारगेट के बीच आने वाला है, जरा संभलकर रहना।


अपस्यु:- हम्मम! अब आप चिंता नहीं कीजिए, मै बिल्कुल इनके सामने और ठीक बीच में हूं। आपको अब जोखिम उठाने की जरूरत नहीं है, हर बात अब मुझे पता चल जाएगी। बस आप अपना ख्याल रखिए और हां आज से आप जितना चाहे उतना प्यार लुटा सकती है, आप के मार और संभाल के काम से भी छुट्टी।


सुलेखा:- सच !!! वैसे अचानक ये तब्दीली, कहीं सच में तो तेरे और साची के बीच कुछ चलना तो शुरू नहीं हो गया।


अपस्यु:- नहीं वो बात नहीं है। मैंने साची को समझा दिया कि जो उसके साथ हुआ वो महज एक छल था।


सुलेखा:- ये क्या कर दिया तुमने.. पूरी बात बता दी क्या ?


अपस्यु:- ना, बस उतना, जितना उसे उसके गम से उबार दे, और उतना जितना आगे भविष्य में जब उसे पता चले कि घर की भेदी आप है तो आप से उसे कभी नफरत ना रहे। बस अब इसपर प्लीज कोई सवाल नही कीजिएगा..


सुलेखा मुस्कुराती हुई… "ठीक है कोई सवाल नहीं करती, चल अब चलती हूं, आज खुशी से अपने बच्चों से मिलूंगी, और तेरी उस हिटलर मां से भी। नंदनी क्या बोली थी उस दिन अपस्यु, ऐसा लग रहा था मिश्रा जी डर से जमीन में ना घुस जाए।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. हां मैंने भी सुना, बस ये यादगार क्षण जब चल रहा था तब मै क्यों नहीं था उसी का अफसोस है।


"ऐमी, तुम्हे अपस्यु बुला रहा है। ले तू ऐमी के साथ अफसोस कर, मै चली।".. इतना कहकर सुलेखा वापस से लोगों के बीच चली आयी।… "क्या है? अब क्या जीत गए उसकी बधाइयां दूं तुम्हे।"..


अपस्यु:- तुम्हे प्यार से गले लगाकर चूमने कि इक्छा हो रही।


ऐमी:- अभी !!!

अपस्यु:- हां अभी।


"ठीक है, नो प्रॉबलम".. कहती हुई ऐमी लगभग चिपक ही चुकी थी, तभी अपस्यु एक कदम पीछे हटते हुए…. "क्या कर रही हो, सब लोग यहीं है और कुछ तो हम दोनों को ही देख रहे है।"

ऐमी:- तो वो बात बोलो जो कर सको, अपने ये 20 और 40 पेग पीकर झुमनें का नशा किसी और के पास करना।


अपस्यु:- नक्चढ़ी, आज गुस्से में तुम्हारी नाक लाल है..


ऐमी:- नजर साफ करो, वो मेकअप लगा है।


अपस्यु:- अच्छा बाबा सॉरी, माफ़ कर दो मुझे।


ऐमी:- अपस्यु तुम्हे पता है जब मै गुस्से में होती हूं तो मुझे मनाने कि कोशिश मत किया करो। गुस्सा अभी गया नहीं है और तुम्हारी हरकतें उसमे इजाफा कर रही है।


अपस्यु:- गुस्सा छोड़ भी दो, आज मूड बहुत रोमांटिक है। चलो कहीं घूम कर आते है।


"कुंजल के साथ मेरा पहले से सब प्लान बन चुका है। हुआ तो लावणी को भी साथ ले लूंगी। वैसे एक बात जानते हो"… अजीब सी खुशी जो इस वक़्त ऐमी के चेहरे पर थी, जिसे अपस्यु साफ पढ़ सकता था।


अपस्यु:- क्या ऐमी?


ऐमी:- लावणी से जब मैंने बात की आज, तो वो मुझ से कहती है.. "मुझे तो लगा आप कभी बात ही नहीं करेंगी मुझसे".. बहुत प्यार है यार वो। बिल्कुल मासूम रुई की गुड़िया हो जैसे।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. ठीक है फिर इसी खुशी में आज रात तुम और मै.. सेलीब्रेट करेंगे..


ऐमी:- हट हट हट.. छूना भी मत, पहली बात… तुम्हे याद दिलाना चाहूंगी क्या तय हुआ था….. हमारा रिश्ता छिपा रहेगा और नो रोमांस, जबतक एक ही जगह पर सब लोग हो। और दूसरी बात कोई नहीं भी होता तो भी मेरा कोई मूड नहीं है। बाय डार्लिंग हैव ए स्वीट नाइट।


"बापू के चक्कर में इसे नाराज कर दिया। कोई नहीं चलो चले हम अकेले में खुद के गम मिटाते हैं और 2-4 जाम उठाते है।".. अपस्यु खुद से ही बात करते बार काउंटर पर बैठ गया। लेकिन आज अपस्यु की किस्मत.. बार काउंटर पर जैसे ही बैठा की पास में नंदनी अाकर खड़ी हो गई। अपस्यु ने नंदनी पर ध्यान नहीं दिया और जाम को होंठ से लगाकर चुस्की लगाया ही था… "अब तू इतना बड़ा हो गया है कि अपनी मां के सामने पिएगा।"..


जैसे ही उसने सामने नंदनी को देखा बेचारा सरक गया। नंदनी उसके सर पर हाथ थपथपाती… "इतना चौंकने की क्या जरूरत थी, पीते रहता, छोटे बड़े की इज्जत और लिहाज तो सब पहले ही बेच खाया है।"..


अपस्यु, शांत होकर अपना सर नीचे झुकाए… "सॉरी मां, वो मैंने आप को नहीं देखा।"..


नंदनी:- वाह बेटा !! मुझे नहीं देखा, और ये भी ख्याल नहीं रहा होगा कि मै इसी हॉल में हूं। कुछ ढंग के बहाने बना ले, या फिर-साफ साफ बोल दे, मेरी जिंदगी में दखल मत दो। तुम आज कल के लड़के नशा बस नशे करते रहो, पर उसे छोड़ने कहो तो लाइफ में दखलंदाजी हो जाती है।


अपस्यु सरपट उतरा अपने टेबल से और कान पकड़ कर कहने लगा… "बस करो मां, ताना मारना बंद करो। समझ गया ना मै अब.. चलो भी भूख लगी है।"


नंदनी:- तुमसे जब भी मै कुछ कहती हूं, ये तेरी भूख को क्या हो जाता है? मेरी बातें कोई डाइजेस्टिव एंजाइम है क्या? अभी जब दारू की चुस्की ले रहा था तब तो तुझे भूख नहीं लगी थी?


अपस्यु:- आप पहले पी कर देखो की मै क्या पीता हूं फिर आप कुछ कहना।


नंदनी:- मतलब तू अपनी मां को शराब पीने कह रहा है। लोग हैं वरना मै भी नहीं जानती कितने थप्पड तुझे पड़ चुके होते।


अपस्यु:- नहीं मां, आप पी कर देखो, मै केवल कॉकटेल पीता हूं, जिसमे कोई नशा नहीं होता।


नंदनी:- बेटा मै तेरी मां हूं .. हूं हूं..


अपस्यु, अपना सर हां ने हिलाता… "हूं"..


नंदनी:- कल का जन्म लिया मुझे सीखने चला है कि एल्कोहलिक और नॉन-एल्कोहलिक कॉकटेल क्या होता है। और वो क्या ऊटपटांग नाम है.. एटम शैम्पेन.. ऐसे ही कुछ नाम है ना तेरे उस दारू का।


अपस्यु छोटा सा मुंह बनाए..... चलिए चल रहा हूं समझ गया कि आप मेरी मां है।


नंदनी उसे सबके बीच लेकर चलती हुई… "अच्छा हुआ समझ गया वरना और भी रास्ते थे समझाने के।"…


ठीक इसी वक़्त रात के लगभग 11 बजे, हाड़विक (मेघा का पति) और मेघा एक प्राइवेट आर्मी के संचालन ऑफिस में बैठे हुए थे। यूएसए की सबसे बड़ी प्राइवेट आर्मी सप्लाई एजेंसी जिसका मुख्यालय वॉशिंगटन डीसी में था। दोनों पूरा पता लगाने के बाद उनके शिकागो ऑफिस पहुंचे थे।


दोनों बैठकर वहां के संचालक का इंतजार कर ही रहे थे, जो कुछ ही देर में इन दोनों के सामने था।… "मिस्टर एंड मिसेज मित्तल, कहिए आप के लिए क्या कर सकते है।" (परिवर्तित भाषा)

मेघा:- मिस्टर ड्यूक फोन पर तो आपको बताई ही थी, कोई है जो घात लगाकर हमे नुकसान पर नुकसान पहुंचाते जा रहा है और हम उनकी पहचान नहीं कर पा रहे।


ड्यूक:- देखो मेघा, हम छोटे केस नहीं लेते, बेहतर होगा तुम कोई प्राइवेट डिटेक्टिव हायर कर लो।


मेघा:- अपनी फि बताओ मिस्टर ड्यूक और मेरा काम कब तक खत्म होगा। मुझे मत सिखाओ की मेरा केस बड़ा है या छोटा।


ड्यूक:- 10 मिलियन यूएसडी, वो भी एक साथ।


मेघा:- मैं 20 मिलियन दूंगी, लेकिन काम की गरेंटी होनी चाहिए।


ड्यूक:- हाहाहाहा.. बच्चों जैसी बातें कर रही हो मेघा, क्या तुम हमारे टीम को जानती भी हो। एक टीम में 2 इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर, 2 टेक्नीशियन, जरूरत के हिसाब से हम हैकर भी देते है और 10 प्रोफेशनल एसासियान। तुम्हे अब भी लगता है कि इतने स्ट्रोंग टीम के सामने कोई टिक पायेगा। इस वक़्त हमारे 5 बटालियन कई यूएस आर्मी के ब्लैक ऑप्स मिशन में है।


मेघा:- मुझे प्रोफाइल से मतलब नहीं है मिस्टर ड्यूक, मुझे बस रिजल्ट चाहिए। मै 2 गुना कीमत देने को तैयार हूं क्या तुम्हारी टीम जल्द रिजल्ट देगी।


ड्यूक ने इस मिशन इंचार्ज को अंदर बुलाकर दोनों से इंट्रोड्यूस करते हुए… "ये हैं आप के केस और अपनी टीम के इंचार्ज.... सार्जेंट जेम्स होऑप्स।


औपचारिक हाय हेल्लो के बाद सार्जेंट ने मेघा से केस फाइल लिया, एक-एक करके हर मुख्य घटना कि झलकियां देखने के बाद, उसने आज रात की घटना कि झलकियां भी देखी। केस फाइल की पूरी झलकियां देखने के बाद…


जेम्स:- मेघा अपने डैड का इन्फ्लुएंस यूज करके इस घटना को ऐक्सिडेंट करार देकर पुलिस से फाइल क्लोज करवाओ, बाकी आज से मेरी पूरी टीम इसपर इन्वेस्टिगेशन शुरू करते हैं। कल शाम की मीटिंग में बाकी की बात होगी।


मेघा 1 मिलियन का चेक देती हुई कहने लगी…. "कल के मीटिंग के बाद मै तय करूंगी की मुझे ये केस तुम्हे देना चाहिए या नहीं। अभी के लिए ये पेशगी दिए जाती हूं, पसंद नहीं आया कल का मीटिंग तो ये भी वापस ले लूंगी।"… मेघा अपनी बात कहकर जेम्स को बेस्ट ऑफ लक कहती वापस आ गई।
nice update ..paise ke maamle me megha ka ghamand laajawab hai ..10 ki jagah 20 ??...ab is maamle me agency bhi aa gayi ..dekhte hai hero aur uski team kaise deal karti hai in sabse ...
 
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nain11ster

Prime
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Doston ... Aaj kal main "Kaisa ye Ishq Hai, Ajab Sa Risk Hai"... Iss kahani ka end likhne me vyast hun .. jo mere khyal se Sunday tak pura ho jayega...

Uske baad "
Bhanwar" Ke update aane shuru honge... Jiska ek part end ho chuka hai aur final part ending ke ore hai...jo mere khyal se ab jyada dur bhi nahi hai..

Dhanywad
 
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Update 84 (B)




ज़िकोब अपना दर्द बर्दास्त करते हुए खुद में संतुलन बनाया और जैसे ही उसके दोनों हाथ हमले के लिए तैयार हुए, उसने मौका देखा और अपस्यु के गले पर झपट्टा मारते हुए उसे अपने चौड़े पंजो के बीच दबोच लिया। अपस्यु को गर्दन से पकड़कर उसने हवा में उठा लिया। एक पाऊं ज़िकोब का घायल था इसलिए संतुलन बनाने के लिए वो अपस्यु को हवा में ही उठाए, जाल के ऊपर टिकाया और उसके गर्दन को अपने गिरफ्त में लेते हुए पूरे गुस्से से उसका गला घोंटने लगा।


वहां खड़े सभी लोग "किल… किल… किल… किल.. " की हूटिंग लगाने लगे। एक बार फिर सबकी नजर दोनों पर। कोई भी इस वक़्त जश्न नहीं मना रहा था बल्कि श्वांस थामे अब या तो अपस्यु के हार मानने या उसके मरने कि राह देख रहे थे।


ज़िकोब मानसिक रूप से अपनी उंगली तुड़वाने के लिए तैयार था, लेकिन सरप्राइज बिल्कुल भी नहीं होने वाला था। इधर 40 सेकंड गुजर चुके थे और अपस्यु बिना हलचल के आखें मूंदे हुए था। अचानक ही अपस्यु ने अपनी आखें खोली और मुस्कुराते हुए ज़िकोब को किस्स भेजा।


एक पल के लिए तो ज़िकोब का भी दिमाग घूम गया, वो सोच में पर गया ये इंसान है या कोई भूत। ज़िकोब समझ चुका था वह अभी जिता नहीं है, उसे अभी और लड़ना होगा। मानसिक रूप से वो अपने ऊपर बड़े हमले के लिए खुद को तैयार किया लेकिन ठान चुका था कि वो गर्दन नहीं छोड़ने वाला।


ज़िकोब लेकिन भूल चुका था कि ठीक से खड़े रहने के लिए कानो के सहारे से संतुलन मिलता है। और जो खेल ही संतुलन और एकाग्रता का हो, वहां कान का बचाव सबसे जरूरी हो जाता है। बिना हिले डुले अब तक जो भी एनर्जी अपस्यु बचा कर रखा था, उसमे उसने पहले अपने दोनो पाऊं की ऐड़ियों से उसके कान को घंटी की तरह बजा दिया और बिना मौका गवाए उसी पर दोबारा अपने दोनो हाथों का प्रहार भी कर दिया।


ज़िकोब मानसिक रूप से खुद को बड़े हमले के लिए तैयार तो किए हुए था लेकिन कान पर हुए इस हमले से वो खुद पर संतुलन नहीं बना पाया, उसपर से उसका चोट खाया पाऊं। वो लड़खड़ा गया। लड़खड़ाने के साथ ही उसकी पकड़ भी छूट गई और वो खुद को संतुलित करता फिर से जाल पकड़ कर खड़ा हो गया।


अपस्यु के गर्दन कि तो बैंड बज चुकी थी। दोनों एक दूसरे से लगभग 5 फिट की दूरी पर होंगे और एक दूसरे को देखकर हंस रहे थे। दोनों को ही पता था जितने के लिए अभी और मेहनत की जरुरत है। दोनों ही गहरी श्वास लेते खुद से एक बार फिर तैयार किया। एक बार फिर ज़िकोब खुद को मारने का निमंत्रण देने लगा और जाल पकड़ कर खड़ा, अपस्यु के हमले का इंतजार करने लगा।


अपस्यु ने अपने जूते खोले, 5 फिट की दूरी को 15 फिट की दूरी बनाया। ज़िकोब समझ गया कि अपस्यु अब दौर कर उसपर हमला करेगा। वो भी पूरी रणनीति बना चुका था और इस बार वो अपस्यु के गति का प्रयोग उसी के खिलाफ इस्तमाल करने की पूरी मनसा बना चुका था।


अपस्यु तेजी से दौड़ते हुए उसपर हमला ना करते हुए उससे एक फिट दाएं से जाल के उपर चढ़ गया। सबको सरप्राइज करते हुए अपस्यु अपने पाऊं के अंगूठे को जाल में फसाया और नीचे लटककर अपने दोनों हाथ की पकड़ ज़िकोब के गर्दन पर बनाते हुए उसे हवा में उठा लिया।


मौत का पहला सीकंजा ज़िकोब के गर्दन में फंस चुका था। अपस्यु सबको चौकाते हुए पहले तो ज़िकोब को गला से पकड़ कर हवा में उठा लिया, फिर अपने एक हाथ के पंजे से वो जाल को फंसाकर पूरा संतुलन बनाया। अपस्यु के एक हाथ में झूलता वो 1 क्विंटल से ऊपर का इंसान, दूसरे हाथ से जाल को पकड़कर पूरा संतुलन बनाए हुए और पाऊं को जाल के छेद से लगाए वो एक एक करके ऊपर के ओर स्टेप लेने लगा। देखने वाले पूरी हैरानी से बिना पलकें झपकाए इस हैरतअंगेज कारनामे को अपने आखों से होते हुए देख रहे थे।


गिनती के हिसाब से 20 सेकंड गुजर चुके थे। ज़िकोब भी अपना पूरा धैर्य बनाए अपने दोनों हाथ का तेज थाप जाल पर दिया, ताकि अपस्यु की पकड़ छूट सके। लेकिन उसके पंजों की पकड़ इतनी मजबूत थी कि जाल पर लगाया छोटा सा झटका उसे नीचे नहीं गिराने वाली थी। ज़िकोब जमीन से 5 फिट ऊपर आ चुका था। हाथों का दवाब उसके श्वांस को रोक रही थी। इसी क्रम में ज़िकोब हाथ के थाप से जाल पर 2 और झटके दिए लेकिन इन झटकों का कोई असर नहीं था।


अंत में ज़िकोब ने अपना पाऊं हवा में लहराया, हाथ को फिर से झटके देने के पोजिशन में लाया और तेजी से, हाथ और पाऊं का झटका जाल पर लगाया। जाल पर तेज झटका लगा और साथ ही साथ ज़िकोब का भरी शरीर भी तेजी से आगे पीछे झूलने लगा। नतीजा दोनों ही अाकर नीचे गिरे।


लड़ने के लिए दोनों फिर से खड़े ही हुए थे कि दोनों ने वीसिल साउंड सुनकर अपनी जगह खड़े हो गए। पूरी भीड़ शांत खड़ी थी और स्क्रीन पर अपस्यु को विजेता घोषित किया जा रहा था।

हार के वो क्षण स्क्रीन डिस्प्ले पर चल रहा था… ज़िकोब का पहला थाप जाल पर और पब्लिक स्तब्ध.. उसी के साथ दूसरा और तीसरा थाप एक साथ और अपस्यु के जीत कि विसेल बज गई। अंदर के खेमे में पूरा हलचल। थॉमस को ऐसा झटका लगा मानो वो अब पागल हो जाएगा।


ज़िकोब बहुत ही सनकी फाइटर था लेकिन एक अच्छे प्रतिद्वंदी की हमेशा से इज्जत करते आया था। वो अपस्यु के पास आकर उसके जीत कि बधाई देते हुए कहने लगा… "तुम बहुत किस्मत वाले निकले दोस्त, और मुझसे आज बहुत बड़ी चूक हो गई।"


अपस्यु:- फिर भी तुम ही हारते दोस्त।


ज़िकोब:- वो तो तुम्हे भी पता है कि जीत किसकी होती, बस कुछ अनचाहे मूव्स के कारन तुम मुझपर हावी हो गए, जिसके बारे में मै सपने में भी नहीं सोच सकता था।


अपस्यु:- कमाल के हो तुम ज़िकोब, और हां शायद ये फाइट मै हार जाता लेकिन किस्मत भी बड़ी चीज है दोस्त। यह किस्मत मेरे जीत की नहीं है बल्कि इस फाइट के नतीजे में कोई 1 ही जिंदा बचता इसलिए किस्मत बीच में आ गई। ऊपरवाला भी नहीं चाहता की हम में से कोई भी मरे।


"वेल सेड फ्रैंड"… ज़िकोब हंसते हुए कहा और फिर दोनों रिंग के बाहर निकलने लगे। दोनों ही दयनीय हालत में रिंग से बाहर आ रहे थे। दोनों को कई लोगों के कंधों के सहारे उनके गाड़ियों तक छोड़ा गया। इधर थॉमस, ज़िकोब से हार की वजह सुनने के बाद सीधा मैनेजमेंट के पास पहुंच गया। ज़िकोब के जिस थाप को मैनेजमेंट सबमिशन समझ चुकी थी, उसे गलत करार देते हुए वो बचने का मात्र एक मूव बता रहा था। जो कि सही भी था।


थॉमस मैच को रद्द करने और री-मैच के लिए जोड़ देने लगा। मैनेजमेंट साफ तौर पर माना करती हुई कहने लगी… "ज़िकोब मौत की सिकांजे में था और यहां के 3 थाप को हम मैच ओवर ही मानते है। फिर मैनेजमेंट के फैसले के बीच में कोई ना ही आए तो अच्छा है।"


45 मिलियन जीत के साथ मेघा अंदर से पूरी खुश थी। लेकिन बाहर से घमंड मात्र की एक छोटी सी मुस्कान लिए बस अपने जीत को अपने पार्टनर के साथ सेलीब्रेट कर रही थी। आधे घंटे के अंदर मेघा और उसके साथ पैसे लगाने वाले को अपने मूलधन के साथ जीत के 45-45 मिलियन मिल चुके थे और मेघा जीत के लिमो पर सवार अपने गंतव्य के ओर चल दी।


अपस्यु अपनी टूटी-फूटी हालात में दर्द से थोड़ा तरप रहा था। उसका पूरा चेहरा खून में भिंगा और सुजा हुआ था। मेघा, अपस्यु के सूजे और खून लगे होटों को चूमती हुई कहने लगी… "तुमने कर दिखाया हीरो, यू आर सुपर्ब"…


"पागल पहले मुझे किसी हॉस्पिटल में एडमिट करवाओ, मेरी हालात तुम्हे समझ में नहीं आ रही।"… अपस्यु बड़ी मुश्किल से बोलते हुए अपनी हालत का संज्ञान मेघा को देने लगा।


मेघा:- चिल हीरो तुमने अभी-अभी 22.5 मिलियन पैसे बनाए है। तुम्हे हॉस्पिटल जाने की क्या जरूरत, तुम्हारे लिए पूरा मिनी हॉस्पिटल मैंने मंगवा लिया है।


वाकई अपस्यु जब जिंदल हाउस के गेस्ट हाउस में पहुंचा, वहां डॉक्टर्स की पूरी एक टीम पहले से पहुंची हुई थी, वो भी सभी इक्विपमेंट्स के साथ। अपस्यु के पूरे हालत का जायजा लिया गया। जबड़े की हड्डी गई, कंधा डिस्लोकेट, एक कलाई की हड्डी में खिंचाव और उसके साथ में शरीर पर अन्य छोटे बड़े चोट। पूरा आकलन और कम से कम 20 दिन का वक़्त रिकवर होने में।


चेहरे पर कटने या फटने के निशान ना आए, उसके लिए डॉक्टरों ने किसी लेजर टेक्नीक का इस्तमाल किया और पूरे चेहरे को ही 7 दिनों के लिए कवर कर दिया, केवल नाक मुंह और आंखो के हिस्से को छोड़कर। उसके देखभाल के लिए 2 नर्स और एक डॉक्टर को वहीं रखा गया था और उसी के साथ 2 हाउस सर्वेंट भी 24 घंटे की बंटी हुई ड्यूटी पर लग गए थे।


अगले दिन दोपहर को ही लोकेश के पैसों का भी पूरा भुगतान मेघा कर चुकी थी, लेकिन मेघा को इस बार भुगतान करते हुए ऐसा लगा जैसे उसके हिस्से की प्रॉफिट तो नहीं मिली, उल्टा घाटे के नाम पर जमा पूंजी भी उससे वसूली जा रही है। रात को ही जिंदल, मेघा और हाड़विक तीनों मीटिंग के लिए बैठे, जहां इस बात पर विचार होने लगा कि इस लोकेश को कैसे तोड़ा जाए।


सबने आखरी मुहर लगाते हुए यह फैसला लिया की… "जेम्स और उसकी टीम को अपना काम करने दिया जाए। उसके होते अगर पैसों की हेरा-फेरी में आगे कोई सेंध लगता है, तो वो जेम्स के हत्थे चढ़ जाएगा और सामने से वार करने वाला छिपा हुआ इंसान हम सब के सामने होगा।


"वहीं अपस्यु है तो पूरा एडा, लेकिन यदि उसे लोकेश के साथ भिड़ा दिया जाए तो नतीजे जरूर कुछ चौंकाने वाले मिल सकते है। इसके लिए पहले अपस्यु को प्रोजेक्ट क्लियर करने देते है। पहले ध्रुव इंडिया जाकर काम को सैटल करेगा बाद में मेघा वहां का चार्ज लेगी और फिर शुरू होगी लोकेश और अपस्यु के लड़वाने की प्रक्रिया।"


ऐसा लग रहा था जैसे अपस्यु ने पूरे जिंदल परिवार के पास सिर्फ एक ही नाम छोड़ा था, जो उसके उम्मीदों कि कसौटी पर सबसे खड़ा उतरता हो। स्वस्तिका की दूरदर्शिता और योजना को सुचारू रूप के साथ आगे बढ़ने का नतीजा दिखने लगा था। कौन किसके जाल में फसा ये तो आने वाला वक़्त तय करता लेकिन यहां हर कोई अपनी योजना में सफल दिख रहा था।


इसी की एक कड़ी अभी अभी इंडिया लैंड कर चुकी थी। एंगेजमेंट की रात मनीष और राजीव के बीच के झगड़े की वजह बनी थी मनीष का व्यंग जो उसने भरी सभा में नंदनी के लिए कहा था। राजीव को ये कतई पसंद नहीं आया और वो अकेले में अपने भाई से जवाब तलब करने गया।


वहीं पर विवाद ऐसा बढ़ा की मनीष ने राजीव को वह सब कह डाला जो उसे नहीं कहना चाहिए थे। धोखे के कमाई के हिस्से में भी धोखा ही मिल रहा था। मनीष ने वो सारे खर्च पैसे का हिसाब ले लिया जो अब तक उसने यूएस ट्रिप पर खर्च किए थे। मज़ा तो तब आ गया जब इंटरनेशनल अकाउंट केवल मनीष का था जिसपर दोनों भाई के ब्लैक मनी जमा होते थे।


राजीव ने जब ब्लैक मनी का हिसाब पूछा तो जवाब में मनीष ने उसे ठेंगा दिखाते हुए कहने लगा.. "ब्लैक मनी का कैसा हिसाब। सबके पास अपने ब्लैक मनी अकाउंट है, इसमें मै क्या हिसाब दूं। तुम अपने इंटरनेशनल अकाउंट से मेरे अकाउंट में हिसाब के पैसे ट्रांसफर कर सकते हो, मुझे कोई आपत्ती नहीं।" कमाल ही हो गया था। गम पीकर राजीव अपने सलारी अकाउंट से 22 लाख का पेमेंट किया और उसके खाते में अब 12 हजार रूपए बचे थे और होटल का फाइनल पेमेंट अभी बाकी था।


अपस्यु रात के वक़्त सुलेखा के साथ कुछ बातें करने पहुंचा था और तभी उन दोनों ने ये सब सुना। भाई के धोखे से जहां राजीव स्तब्ध था, वहीं सुलेखा बुझे मन से इतना ही कह रही थी… "लगता है कर्मा भी अपना काम कर रहा है, मुझे कोई गम नहीं की बड़े भाई ने ऐसा किया। ये तो खुद राजीव के कर्म है।"..


फ्लाइट लैंड करते ही राजीव अपने ऑन ड्यूटी पर था। हालांकि उसकी अंतरात्मा उसे धिक्कारते हुए आत्मसमरपण के लिए कह रही थी, लेकिन अपने कर्मों का फल भुगतने से पहले राजीव जितना हो सकता था उतना अपने पोस्ट का इस्तमाल करना चाहता था, ताकि उसे जेल होने से पहले इतना सुकून रहे की इस जीवन में कुछ तो अच्छा किया।


होम मिनिस्टर ऑफिस आज सुबह से अपना काम कर रही थीं। इसी क्रम में कई सारे रुके फाइल्स पर मंजूरी मिल गई, वहीं इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट के लिए जमीन अधिग्रहण मामले में हुई धांधली की कई फाइल खोली गई और 20 कंपनी को सम्मन भेजा गया। इसमें सबसे ज्यादा नोटिस मायलो ग्रुप को ही भेजा गया था, जिसपर आगे स्टे लग जाता तो कंपनी औंधे मुंह नीचे गिर जाती। जिन-जिन लैंड के लिए मायलो ग्रुप को सम्मन भेजा जा चुका था वहां मायलो ग्रुप के अब तक 40000 करोड़ खर्च कर चुकी थी, जिसमे 30000 करोड़ तो बैंक से उठाया गया था।
nice update ..apasyu ki fight zabardast thi ..maja aa gaya ...
 
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