Update:-142
इधर लोगों की जब भगदड़ मची थी, तब सब सीढ़ियों कि ओर जा रहे थे और ऐमी मुस्कुराती हुई पानी टंकी के ओर। दोनो की नजर जब एक दूसरे से मिली, दोनो मुसकुराते हुए एक दूसरे को चूमने लगे और चोर की तरह नीचे उतर गए। गाड़ी तेज रफ्तार में चल रही थी और दोनो एक दूसरे को देखकर हंसते हुए घरवालों के रिएक्शन के बारे में सोच रहे थे।
ऐमी:- अपस्यु बहुत गलत किये, तुम्हारी मां हम दोनों को उल्टा टांग देगी।
अपस्यु:- वापस मोड़ लू कार..
ऐमी:- अब जब आ ही गए है तो वापस क्या जाना, चलो मासी को परेशान करते हैं।
अपस्यु:- ऐसा क्या, चलो फिर चला जाए।
दोनो रात को 2.30 बजे चले थे और 430 किलोमीटर की दूरी लगभग 2 घंटे में तय करके, प्रताप महल के पास पहुंच गए थे… "बेबी अगली तैयारी क्या फार्मूला वन की है।"..
"ऐसे इंजन के और नट्रॉक्स सस्पेंशन के साथ तो, मुझ जैसे कई फार्मूला इन रेसर मिल जाएंगे, जिसे थोक के भाव से वो लोग डिसक्वालिफाई कर देते है।'… अपस्यु कार को प्रताप महल के ठीक सामने लगाते हुए कहने लगा।
"साइड से रास्ता है, वहां से चोरों कि तरह जाया जा सकता है।" ऐमी अपने लैपटॉप निकलकर प्रताप महल के सिक्योरिटी सिस्टम को हैक करके बोलने लगी।
दोनो फिर उसी रास्ते से, बड़े सफाई के साथ प्रताप महल में दाखिल हो गए। दोनो की खुसुर-फुसुर भी महल में पहुंचने के साथ ही शुरू हो गई।… "मै रूम में नहीं जाऊंगी, तुम सैतनी करोगे, यहीं हॉल में लेटते है।"…. "पागल हो कैसा अजीब लगेगा हॉल में लेटना, कुछ देर बाद सब जाग जाएंगे और हमे फिर सोने नहीं देंगे, पंचायत होगी सो अलग। रूम में ही चलते है।"..
काफी देर समझाने के बाद भी जब ऐमी नहीं मानी तो अपस्यु ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और अपने गोद में उठाकर कमरे में ले गया। कमरे में जाते के साथ ही अपस्यु ने ऐमी को बेड पर पटक दिया और जाकर दरवाजे की कुण्डी बंद कर आया।
जबतक वो दरवाजा लगाकर वापस लौटा ऐमी अपने ऊपर के कपड़े उतारकर, केवल ब्रा और पैंटी में बैठ गई। उसे देखते ही… "काफी हॉट लग रही हो।"..
ऐमी:- मेरी जारा भी इकछा नहीं है अपस्यु, लेकिन तुम मानने तो वाले हो नहीं, इसलिए जल्दी करो, मुझे सोना भी है।
"वाह! चढ़ गया भूत तुम्हे। शुभ रात्रि, मैं चला सोने।"… अपस्यु बिस्तर पर जाकर करवट लेकर सो गया। ऐमी पीछे से उसके पीठ से चिपककर, अपना हाथ आगे करके उसके सीने पर चलाती हुई, उसके गर्दन पर किस्स करती हुई… "बेबी थक गए क्या?"
अपस्यु:- हां थका हूं, और सोने दो प्लीज..
ऐमी:- अब जब मैंने कपड़े निकाल ही लिए है तो चलो ना करते हैं।
अपस्यु, ऐमी के ओर मुड़ते हुए…. "कान पकड़ कर माफी मांगता हूं, मुझसे गलती हुई जो तुम्हे कमरे में लेकर आया। मै तो रेपिस्ट हूं ना, जो तुम्हारे साथ जबरदस्ती करता हूं।"
ऐमी, अपस्यु के आखों में झांकती हुई, होंठ हिलाकर सॉरी कहती हुई मुस्कुराने लगी और अपस्यु को बाहों में भींचकर, उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमती हुई सो गई।
सुबह के 7 बज रहे होंगे… दृश्य के माता पिता, वीर प्रताप और कंचन दोनो टहलने के लिए निकले। अपने महल के बाहर कार पार्क देखकर… "ये दृश्य सुबह-सुबह कहां गया था।"… दोनो बाहर लगी कार को देखकर यह समझ बैठे की अपस्यु ने कुछ मॉडिफाइड कार जो दृश्य को दी थी, उन्हीं में से एक कार में दृश्य कहीं बाहर गया हुआ था।
उन्हीं के पीछे दृश्य और अश्क भी निकली। दोनो हाथों में हाथ डाले आगे बढ़ ही रहे थे कि दृश्य, अश्क के कमर में हाथ डालकर खुद से चिपका लिया और उसके गले पर किस्स करने लगा….. "अति बेशर्मी कहते हैं इसे।" .. अश्क खुष्फुसती हुई अपनी प्रतिक्रिया दी और दृश्य को आखें दिखाने लगी।
अश्क अभी दृश्य का हाथ छुड़ाकर अलग ही हुई थी कि पीछे से दृश्य की दीदी पायल और उसके जीजू आकाश, दोनो को "गुड मॉर्निंग" विश किया और दोनो को देखकर हंसते हुए आगे बढ़ गए।
अश्क:- लव आप भी ना हुंह। ना वक़्त देखते हो ना जगह, बस शुरू हो जाते है। भईया और भाभी ने लगता है देख लिया।
दृश्य:- अच्छा सॉरी बाबा, प्लीज अब सुबह-सुबह अपना मूड ऑफ ना करो।
दृश्य और अश्क फुसफुसाई सी आवाज़ में निकझोंक करते हुए जैसे ही बाहर निकले…. "दोनो रात को कहां बाहर गए थे।"… पायल, दृश्य घूरती हुई पूछने लगी।
दृश्य:- हम कहीं नहीं गए थे दीदी सच कह रहे है।
पायल:- दृश्य मै क्या करूं तुम्हारा। आंटी मुझे ताने दे रही है कि "देखा तेरा भाई 24 घंटे घर पर रहने की बात नहीं मान सका।"
अश्क, दृश्य को घूरती…. "सच सच बताओ लव कहां गए थे। कम से कम मुझे तो साथ ले चलते।"..
पायल, अश्क का कान पकड़ती…. "मुझे पता है इस पूरी कांड की रचायता तुम ही हो।"..
"ऑफ ओ, पता नहीं कब ये बड़े लोग सुधरेंगे। जूनियर तुम मेरे साथ ही रहना हमेशा, इन लोगों के साथ नहीं रहना।"… जूनियर ऐमी, यानी कि पायल की बेटी उन सबको एक जगह खड़े होकर बातें करते देख, अपनी प्रतिक्रिया देती हुई, अपने साथ जूनियर दृश्य को लेकर बाहर निकल गई।
अश्क:- छोटी है पर प्वाइंट की बात कह गई। कुछ सीखो इन जूनियर्स से। चलो लव मॉर्निंग वॉक करके आते हैं, इन्हे तो हर वक़्त यही लगता है कि हम इनकी सुनते ही नहीं है।
दृश्य की मां कंचन…. क्या बात है अश्क, बहुत खूब। लगता है कुछ क्लासिकल हिंदी मूवी देखकर मुझे 60 के दशक की सास का रोल निभाना ही पड़ेगा। अब तुम दोनों जारा बताओगे की कहीं घूमने नहीं गए तो ये कार कैसे बाहर आयी। वो भी स्पेशल कार। पायल जरा इनका वो डायलॉग दोहराना तो..
पायल:- ये कोई आम कार नहीं है, मेरे भाई ने जेम्स बॉन्ड वाली कार मुझे गिफ्ट की है।
दृश्य और अश्क की नजर भी कार पर गई, दोनो एक दूसरे का चेहरा देखकर मानो इशारे में पूछ रही हो… "ये कार बाहर कैसे आयी।"
दृश्य और अश्क दोनो ने अपना हथेली चिपकाकर कार को खोलने की कोशिश करी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। 1,2 कोशिश के बाद दृश्य और अश्क दोनो एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे और उन्हें हैरान देखकर आकाश पूछने लगा…. "क्या हुआ दोनो हैरान क्यों हो।"..
अश्क:- आकाश भईया ये हमारी कार नहीं है।
कंचन, उत्सुकता से…. "क्या ये अपस्यु और ऐमी की कार है। या आरव की।"..
दृश्य:- एक बार ही तो दोनो से मिली हो, कभी मेरे लिए तो इतनी खुश नहीं हुई मां।
वीर प्रताप:- मुझे तो आजकल देखती भी नहीं, खुश होना तो दूर की बात है।
कंचन:- ख़ामोश हो जाओ सब, वो लोग यहां आए है तो गए कहां। कब आए?
कंचन की बात सुनकर हर किसी ने ढूंढ़ना शुरू किया। वहीं गांव के कुछ लोगों का कहना था कि सुबह 4 बजे के आस पास उनके यहां कार खड़ी हुई, उन्हें लगा दृश्य आया होगा।
1 घंटे तक गांव में ढूंढ लिया हर किसी ने, लेकिन यह तक पता नहीं चल पाया कि अपस्यु आया था या आरव। अंत में दृश्य ने पहले अपस्यु को कॉल लगाया, फिर ऐमी को और अंत में आरव को।
आरव कॉल उठाते हुए…. "थैंक्स भईया आपने कॉल कर दिया।"..
दृश्य:- क्या हुआ आरव..
आरव:- भईया ऐसे अनजान बनकर मत पूछो। अपस्यु ने ही कॉल लगवाया है ना यहां का हाल जानने। उससे कह देना दोनो जब दिल्ली पहुंचेंगे तो उनका जबरदस्त स्वागत होगा।
दृश्य, हंसते हुए…. "हुआ क्या वो तो बताओ।"
आरव:- कमिने ने कल रात हमारी नींद खराब करके, सबके बीच से ऐमी को लेकर भाग गया। सब बहुत गुस्सा है।
दृश्य:- अब सबके बीच में ऐमी को फसाकर रखोगे उसे परेशान करने के लिए, तो यही सब दिन देखने होंगे ना।
आरव:- हां उसने अपना काम कर दिया अब हमारी बारी है। उससे कहना हम दिल्ली के लिए अभी निकल रहे है, और अपना ख्याल रखे। जब भगोड़े हो ही गए हैं तो कहना आराम से घूमकर आ जाए। उसका स्वागत के लिए हम इंतजार कर लेंगे।
दृश्य:- हां ठीक है आरव सर, और कुछ संदेश देना है दोनो को…
आरव:- नहीं आप को संदेश देना है। दोनो से बचकर रहना, नहीं तो अपने रोमांस के चक्कर में, आपके सुखी जीवन में कब आग लगा दे आपको पता भी नहीं चलेगा। वैधानिक सूचना थी मैंने दे दिया, अब आपको मानना है तो मानो वरना आज दिन भर में तो आपके बुद्धि का विकास हो ही जाना है।
आरव की बात सुनकर दृश्य हंसते हुए कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और सभी लोगों को यहां अपस्यु और ऐमी कैसे पहुंचे उसका पुरा विवरण बता दिया। दोनो के यहां पहुंचने की कहानी जानकर सबकी हंसी निकल गई। कुछ साल पहले की वो हसीन कहानी ताज़ा हो गई, जब दृश्य और अश्क के ऊपर भी पहरा लगा होता था और दोनो ऐसा ही कुछ हरकत कर बैठते थे।
अपस्यु और ऐमी के बहाने ही सही, लेकिन हर कोई दृश्य और अश्क की एक बार फिर खिंचाई करने बैठ गया। प्रताप महल में पहले से बहुत से लोग पहुंचे थे। बीती बातों का दौड़ ऐसा चला की एक-एक करके सभी लोग आते चले गए और महफिल को ज्वाइन करते चले गए।
एक बड़ी सी महफिल, जहां 4 कपल बैठे थे जो दृश्य के लंबे सफर के शुरू के साथी रहे थे। 6 बच्चे जिनकी गैंग लीडर जूनियर ऐमी थी, वो भी वहां खेल रहे थे। कुछ अभिभावक भी उस महफिल में मौजूद थे, जिसमें एक तो कंचन और वीर प्रताप थे जो स्थाई रूप से प्रताप महल में रहा करते थे और साथ में आयी थी कंचन कि जिगरी सहेली चंद्रिका देवी और अश्क की मां। कुल मिलाकर पूरी पंचायत सुबह-सुबह लग चुकी थी और जब बीते दोनो की बात शुरू हुई, समय का पता ही नहीं चला।
सुबह के 10 बज चुके थे। ऐमी मीठी अंगड़ाई लेकर जागी और अपस्यु के बदन को अपने हाथों में समेटकर, उसके गाल पर अपनी जीभ चलाने लगी। अपस्यु भी अपने आंख मूंदे ऐमी के ओर मुर गया और उसे अपनी बाहों में समेटकर अपनी आखें खोलते हुए… "हर सुबह ऐसे ही जागता रहूं।"..
ऐमी प्यार से अपस्यु के होंठ पर अपने होंठ फिराति…. "बस कुछ दिन और बेबी, फिर हमारी शादी होगी और हमारी रोज ऐसी ही सुबह होगी।"..
अपस्यु अपना हाथ ऐमी के पीठ पर धीरे-धीरे चलाते हुए उसके ब्रा के स्ट्रिप को खोल दिया। "हिहिहिहिहिही, बेबी प्लीज अभी उक्साओ नहीं, वरना मै भी मूड में आ जाऊंगी।"..
अपस्यु, ऐमी को खुद में भींचते… "ऐसा क्यों लगता है कि आज कल तुम बहुत शरारती होती जा रही जो स्वीटी।"..
ऐमी:- मेरी सारी शरारतें तो तुम से ही है, और मुझे पुरा हक है कि मैं तुम्हे तंग करूं।
अपस्यु:- ओह हो इरादे तो बहुत खतरनाक हैं। अच्छा जाओ तैयार हो जाओ, मासी से मिलकर निकलते है।
ऐमी:- नाह, ऐसे ही कुछ देर मुझे समेटे रहो ना।
अपस्यु:- ऐमी, उठो भी, अब जाओ भी।
ऐमी:- प्लीज कुछ देर आराम करने दो ना..
अपस्यु ऐमी को छोड़कर खड़ा हो गया और अपनी आखें दिखाते… "अब तुम उठ रही हो या नहीं स्वीटी।"..
ऐमी:- नहीं उठती मै… जाओ तुम्हे जो करना है कर लो।
अपस्यु तेजी के साथ बिस्तर पर लपका और ऐमी को उल्टा घूमकर उसके कमर पर बैठ गया। अपने दोनो हाथ से ऐमी के पीठ पर मजबूत हाथ का दवाब डालते उसके पीठ दबाते हुए… "खुमारी मिटी या और बदन दबाऊं।"..
ऐमी:- आह ! बेबी मज़ा आ रहा है, ऐसे ही दबाते रहो ना। और हां थोड़े पाऊं भी दबा देना ना।
अपस्यु उसकी बात सुनकर हसने लगा। पहले ऊपर फिर नीचे। जैसे ही हाथ ऐमी के घुटनों के ओर बढ़ने लगे.. "बेबी एक मिनट उठोगे।"..
अपस्यु, ऐमी के ऊपर से हटा, ऐमी अपनी ब्रा पहनकर खड़ी हुई और अपस्यु के बाल बिखेरती हुई….. "तुम्हारा साथ होना ही जिंदगी है, लव"… कहती हुई ऐमी अपने होंठ से अपस्यु के होंठ को प्यार से स्पर्श करती… "तुम मेरी हंसी हो, तुम मेरी खुशी हो। आती हूं फ्रेश होकर।"…
ऐमी की बातों पर हंसते हुए अपस्यु लेट गया। ख्यालों में वो ऐसे डूबा कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी आंख लग गई। पानी की छींटें चेहरे पर पड़ने से अपस्यु की आंख खुली। ऐमी सूखे तौलिए से अपनी बाल झटक रही थी और अपस्यु को देखकर मुस्कुरा रही थी।…. "अब उठो भी, साढ़े 10 बज गए हैं और मुझे भूख सी लगने लगी है।"..
दोनो लगभग 11 बजे तक तैयार होकर, मासी से मिलने के लिए कमरे के बाहर आए। जैसे ही कमरे के बाहर निकले, बच्चे उन्हें देखकर डर से सब अपने माता पिता के पास आ गए, सिवाय जूनियर ऐमी के। वो अपस्यु और ऐमी को गौर से देख ही रही थी, तभी पूरी सभा कि नजर भी इन दोनों पर चली गई।