• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

Prime
23,612
80,684
259
Update:-143





ऐमी, अपस्यु को देखती…. "बेबी लगता है लग गए अपने। यहां से भी भाग चले क्या?"

अपस्यु:- अच्छा सुझाव है। तुम शुरू हो जाओ।


ऐमी बिना किसी पर ध्यान दिए सीधे कंचन के पास पहुंच गई और उसके पाऊं छूती… "वाह मासी आप तो बिल्कुल चमक रही है, ब्यूटीपार्लर गई थी या ये कोई नेचरल तरीका है खुद को मेंटेन रखने का।"..


कंचन:- मै क्या करूंगी ब्यूटीपार्लर जाकर। ये सब छोड़ तुम दोनो कब आए।


"सब सो रहे थे तो बिना दिस्ट्रूब किए हम आराम कर रहे थे। जयपुर में हमे कुछ काम था, तो सोचा काम भी कर लेंगे और पुरा दिन मेरी प्यारी मासी के पास बिताएंगे।"… अपस्यु, कंजन के गाल खिंचते अपनी बात कहा और दोनो उठकर वहां से जाने लगे।


कंचन:- पूरे दिन के लिए आए थे तो अब कहां चल दिए।


ऐमी:- मासी वो अपस्यु ने बताया ना, हमे जयपुर में कुछ काम है, वहीं निपटाकर आ रहे हैं।


दोनो एक एक करके आए, अपनी बात रखी और बिना कंचन की सुने, बड़ी तेजी में वहां से निकल गए। जितनी तेजी में वहां से बाहर गए थे, उससे दुगनी तेजी में अंदर आते…. "किसने उस आरव के कहने पर हमारी गाड़ी को बुलडोजर से ब्लॉक किया है।"… ऐमी अंदर आकर गुस्से से अपनी बात कही।


उसकी बात सुनकर दृश्य और अश्क हसने लगे। ऐमी आकर वापस कंचन के पास बैठ गई। कंचन, ऐमी के दोनो गाल खींचती…. "मुझे छोड़कर कहां जा रही थी। मुझसे मिलने आयी थी ना, हां।".


ऐमी:- हां, आपसे मिलने ही आयी थी, लेकिन इतने सारे लोगों को देखकर समझ में आ गया कि आधा दिन ताना सुनने में और आधा दिन सवाल के जवाब में निकल जाएंगे, फिर आपसे बात कब होगी।


पायल:- ये तो बहुत बदतमीज लड़की है, जब हम तुम्हे जानते ही नहीं फिर तुमसे सवाल क्यों करने लगे, और भला हम तुम्हे ताने क्यों देने लगे?


ऐमी गहरी श्वांस लेती अपने चेहरे पर मुस्कान लायि…. "माफ कीजिएगा पायल दीदी, वो तो मैंने मासी और दृश्य भईया के लिए कही थी।"..


अपस्यु:- क्या मै यहां पर एक ग्रेट साइंटिस्ट को देख रहा हूं, जिनका नाम वैदेही अग्रवाल है। जेनेटिक इंजीनियरिंग की महान डॉक्टर, जिन्होंने पिछले साल अपना एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें उन्होंने बताया था कि पैतृक बीमारी जैसे की डायबिटीज, हृदय रोग इत्यादि को रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि जब आप बच्चा प्लान कर रहे हो तो उस वक़्त एक प्रकार का सप्रेशर इस्तमाल करे। इस आर्टिकल के बाद तो मेडिकल वर्ल्ड में आप ही छाई रही थी।


वैदेही उर्फ वैली आश्चर्य से अपस्यु को देखती हुई…. "क्या तुम मेडिकल के स्टूडेंट हो।"..


ऐमी:- नहीं मैम अपस्यु को पढ़ने की बीमारी है और उसे जिस विषय में रुचि हो वो पुरा पढ़ लेता है।


दृश्य:- वैली, दिल्ली तुम इन्हीं के पास रहोगी। ये है मेरा मौसेरा भाई अपस्यु, जो साहित्य का छात्र है, लेकिन ये हर सब्जेक्ट को पढ़ सकता है। और ये क्यूट सी लड़की जो दिख रही है, वो है म्यूज़िक की स्टूडेंट, लेकिन ये कंप्यूटर साइंस इसके नशों में दौड़ता है।


अपस्यु की बहन स्वास्तिका जो मेडिकल 4th ईयर पुरा करेगी, अपने यूनिवर्सिटी कि टॉपर है और हां उसने दिल्ली ऐम्स को छोड़कर पता नहीं क्यों मुंबई मेडिकल ज्वाइन कि। हां लेकिन उसका ज्ञान भी इन्हीं दोनों की तरह अव्वल दर्जे का है।


वीर प्रताप:- लगता है विद्वानों को महफिल में आ गए है, अब मै तो बचपन से ही कंचन के साथ इश्कबाजी करता रहा हूं, तो भाई अपना पढ़ाई-लिखाई केवल इतना ही रहा जितना हम बता सके कि हां अपने पास ये डिग्री है वो डिग्री है।


पायल:- फिर मैं तो और भी जीरो ही गई अंकल। मैंने तो पढ़ाई केवल शादी के लिए की थी। ऐसा लग रहा है अब हम इस महफिल में इनके मुंह देखते रह जाएंगे।


अपस्यु, वीर प्रताप के करीब बैठ गया और ऐमी पायल से चिपक गई…. "मौसा जी फिर तो एक किस्स हो ही जाए, आपने मौसी को कैसे पटाया था।"..


इधर ऐमी… "पायल दीदी जब केवल शादी के लिए पढ़ाई कर रही थी तो उस वक़्त के कुछ किस्से कहानी भी बता दो, कि आपको कैसा लड़का चाहिए था और आकाश जीजू में आपको ऐसा क्या दिख गया जो आपने इन्हे पसंद कर लिया।


अपस्यु:- ऐमी हद है, पुरा सवाल ही कॉपी कर दी।


पायल:- इसका भी नाम ऐमी है।


दृश्य:- जी हां इसका भी नाम ऐमी है और जिसे आपने आत गौर समझकर बहुत कुछ सुना दिया।


पायल:- गौर ही तो हैं। केवल नाम ऐमी होने से क्या अपने हो जाएंगे। तुम्हारी मम्मी ने जिसे इतना सहयोग किया। जिस बहन को इतना पैसे दिए, की उसने यूरोप में पुरा व्यवसाय जमा लिया, वो तुम्हारे साथ हुए इतने बड़े कांड के बाद देखने तक नहीं आए। तुम्हारे बारे में एक खोज खबर भी लिए होते तो तुम्हे नौकरों की तरह पलना नहीं पड़ता।

यहां बैठे हर एक शक्स से ज्यादा तुम में क्षमता है दृश्य, लेकिन क्या फायदा हुआ इतनी क्षमता का जब तुम्हे पढ़ने ही नहीं दिया गया। जब तुम्हे कुछ सीखने ही नहीं दिया गया। अंकल, आंटी ने जिन्हे अपनो की तरह रखा था, उन्होंने तो तुम्हारे बुरे वक़्त में एक खबर तक लेने नहीं आए। आंटी की बहन का बेटा है, तुम्हारा भाई है तुम्हे मुबारक हो, मेरे लिए है गैर ही रहेंगे और मुझे समझाने की कोई जरूरत नहीं।


पायल की बात सुनकर ऐमी उसके पास से उठ गई। चेहरे पर कोई सिकन नहीं और ना ही तीर से चुभने वाले शब्दों के लिए कोई विकार था मन में। बिल्कुल सामान्य रही और आराम से आकर अपस्यु के पास बैठ गई। अपस्यु पायल की सारी बातों को बड़े ध्यान से सुन रहा था और अपने मुख पर वही चिर परिचित मुस्कान लिए बस पायल की बात के समाप्त होने की प्रतीक्षा करता रहा…. जैसे ही पायल की बात समाप्त हुई..


अपस्यु:- मैंने काफी वक़्त लिया, लेकिन अपने मौसा और मौसी के परिवार को ढूंढने यहां आया था। मै ज्यादा सफाई देने में विश्वास नहीं रखता, हां किन्तु बात मेरी मां से जुड़ी है और लांछन उन पर लगा है, तो मै एक ही बात कहूंगा, उन्होंने आज तक जो भी किया वो निहस्वार्थ भावना से किया। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार से आपने दृश्य भईया के लिए किया या फिर मेरी मौसी ने अपनी बहन के लिए किया।"


"पूरे मामले में मै एक ही बात कहूंगा, उन्हें यदि जानकारी होती की यहां कुछ ऐसी घटना हुई है तो वो अवश्य ही यहां आती, लेकिन जब उन्हें सूचना ही गलत दी गई हो, तो वो भी क्या कर सकती थी। इसका बहुत ही बेहतरीन उदाहरण देता हूं। हमारी छोटी मां, नंदनी रघुवंशी, उनके पूरे परिवार का यहां कत्ल हो गया 2006-07 में और उन्हें ये जानकारी 2014 में हुई। जानकारी बहुत ही अहम कड़ी होती है।"


"मैं अपनी मां के संदर्व में इतना ही कहूंगा, इसके अलावा इतिहास में यदि जाएंगे तो हर दौर की कहानी में जहां बहुत कुछ बहुत बुरा हो रहा होता है, वहां कुछ अच्छा भी होता है, और मै सदा अच्छे पक्ष को याद रखता हूं और बुरे पक्ष को भूलना ही बेहतर समझता हूं, क्योंकि वो विकार पैदा करते हैं। यदि मेरी मां ने दृश्य भईया की खबर रखी होती तो शायद आपको वो कभी नहीं मिलते।"


"मानता हूं दृश्य भईया के अंदर बल और बुद्धि का कमाल का मिश्रण है, लेकिन क्या फायदा होता यदि वो अपने बल और बुद्धि में इतना आगे निकल जाते की फिर ये अपने जीवन की सबसे पेंचीदा गुत्थी ही नहीं सुलझा सकते और ज़िन्दगी एक बड़े से एसी ऑफिस में गुजर लेते। ये पूरी शृष्ठी श्रेणी क्रम में जुड़ी है। किसी एक वक़्त में होने वाली घटना कई बातों को प्रभावित करती है। इसलिए इतिहास कि गलती में झांक कर देखने के बाद कभी नहीं कहना चाहिए कि काश ऐसा हो जाता, क्योंकि आप की ये कल्पना भविष्य में होने वाली कई घटना को प्रभावित कर जाती है।"…


ऐमी:- पायल दीदी, कुछ चीजें निश्चित होती है जैसे की सिंडीकेट के अस्तित्व के पीछे की सोच, बस कुछ ऐसी घटनाएं हुई और उस जाल में मौसा जी फस गए। आकाश जीजू के प्रारंभिक जीवन, और कुछ ऐसी घटना हुई और आप उनके जीवन में चली आयी। डॉक्टर शांतनु का जेनेटिक प्रयोग और कुछ ऐसी घटना हुई और उसका हिस्सा दृश्य भईया हो गए। ऐसा नहीं है कि हमारे काश बोल देने से इतिहास कि घटना नहीं होती, वो घटना तो होकर रहती, बस फर्क इतना होता की हमारी जगह इस बात को अलग लोग चर्चा कर रहे होते।


अपस्यु:- लगता है माहौल थोड़ा तनावपूर्ण हो गया है। पायल दीदी आपकी बात चुभी जरूर है लेकिन कोई मलाल नहीं, क्योंकि आपके विकार में दृश्य भईया के लिए प्यार नजर आता है।


पायल:- कितने नाटक करते है ना ये लोग। अपनी भोली बातों से किसी और का दिल बहला लेना। तुम्हे दृश्य की जरूरत थी क्योंकि तुम्हे पता था कि वीरदोयी से तुम अकेले नहीं जीत पाओगे, इसलिए दृश्य के पीछे आए। तुम्हारा अनाथालय में बच्चो का होना भी एक साजिश का ही नतीजा है, जिसके आधार पर तुमने दृश्य का भरोसा जीता। और जितनी जानकारी तुम्हे वैली के बारे में है, अब तो मुझे यकीन हो गया है कि किसी साजिश के तहत तुम इसे अपने यहां प्रयोग करवाना चाहते हो। मैंने अपने जीवन में कई सारी घटनाएं देखी है, बातों से ये लोग पिघल सकते है मै नहीं। तुम तो इतने शातिर हो की खुद सामने से दृश्य को यह कहने पर मजबूर करवा दिए की वो प्रताप ग्रुप को मायलो ग्रुप के साथ मर्ज कर ले। अपनी बातों से इन लोगों को फसाओ मै नहीं फसने वाली।


कंचन:- अपस्यु और ऐमी नाटक अपने मासी के पास करने आए थे ना पायल, तुम्हे तो परेशानी नहीं होना चाहिए था। हां ऐमी से गलती हुई की उसने बिना जाने यह सोच लिया कि यहां पर मौजूद लोग उसकी खिंचाई करेंगे, उससे सवाल जवाब करेंगे। नहीं जानती थी ना वो भी की यहां सिर्फ उसके मासी और मौसा है बाकी सब से उनका कोई रिश्ता नहीं..


दृश्य:- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मां पायल दीदी तो बस..


कंचन:- एक दम चुप, बीच में मत बोलना। जब पायल इतना कुछ कह रही थी, तब बीच में क्यों नहीं बोले। हां तो मैं कह रही थी पहले ऐमी ने गलती की और उसे सुना दिया गया, कोई बात नहीं है, उसने भी सुन लिया कोई जवाब नहीं दिया। मैंने भी सुन लिया और कोई जवाब ना दी, यह सोचकर कि अपस्यु और एमी को आगे से ख्याल रहे इन बातों का।

लेकिन उसके बाद जब दृश्य ने तुमसे (पायल) कुछ कहा और उसकी बात पर प्रतिक्रिया देती हुई तुमने दोनो (अपस्यु और ऐमी) को सुना दिया। तुम्हे नहीं विश्वास था तो पहले दृश्य को मना कर देती, मत करो अपस्यु का काम। मत जाओ उन लोगो के फालतू के काम में टांग अड़ाने। लेकिन तुमने मना नहीं किया क्यों, क्योंकि तुम्हे भी पता था कि दृश्य तो पहले से लोकेश को मारने कि सोच रहा है, और अपस्यु भी साथ में होगा तो चिंता कम होगी। क्या केवल अपस्यु का ही स्वार्थ था उस काम के पीछे।

उसके बाद जितनी भी बातें हुई, उसका प्रस्ताव खुद दृश्य ने दिया था। तुम्हे इन दोनों को जली-कटी सुनाने से अच्छा होता की दृश्य को हर काम के लिए मना कर देती। बोल देती कोई कंपनी मर्जर नहीं होगा, वैली कहीं नहीं जाएगी। यदि दृश्य से नहीं बोला जाता, तो मुझसे कह देते, मै अपस्यु से बात कर लेती। तुमने लेकिन गलत तरीका अपनाया है पायल। चलो यहां से अपस्यु चलो ऐमी…


कंचन काफी गुस्से में नजर आ रही थी। वो ऐमी और अपस्यु को लेकर ऊपर अपने कमरे में चली गई और नीचे लोग एक दूसरे का मुंह देख रहे थे। बात शायद कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी अपने ही लोगों के बीच कंचन, पायल को सुनाकर चली गई और उसे ये बात अखर गई। ऐसा नहीं था कि पायल के भी कुछ गलत इरादे हो, वो तो अपने बीते हुए दिनो के बारे में सोचकर, किसी पर विश्वास नहीं करना चाहती थी। कुछ बहुत ही करीबी लोग थे जो खून के रिश्ते में थे और उन्होंने ही एक दर्द भरी कहानी उनके जीवन में रच दी थी, शायद यही वजह रही थी कि पायल अब किसी पर भरोसा नहीं करना चाहती थी। बात जो भी हो लेकिन माहौल तनावपूर्ण था।
 

nain11ster

Prime
23,612
80,684
259
Update:-144





तीनों कंचन के कमरे में बैठे थे और कुछ पल की खामोशी के बाद…. "क्या हुआ मासी, इतनी टेंशन में रहोगी तो कैसे काम चलेगा।".. अपस्यु ने बात शुरू की..


कंचन:- हुंह ! अपने बच्चे से मै ठीक से मिली भी नहीं और उसे फालतू में इतना सुना दिया, ये भी ना देखे मेरी बहू आयी है। एक लड़की के लिए वो सबसे बुरा पल होता है जब उसके सामने उसके पति को उल्टा सीधा सुनाया जाए, इतनी भी अक्ल नहीं थी उनमें।


ऐमी:- मासी तो आपने भी तो उन्हें सुनाने में कोई कसर थोड़े ना छोड़ी। हमारे ओर से तो आपने भी बोल ही दिया। अब छोड़ो भी बात को, इतना पकड़ कर रखोगी बात को, तो आपको ब्लड प्रेशर हो जाना है।


कंचन:- मुझे नॉर्मल करने कि कोशिश ना करो, वरना मै चपेट लगा दूंगी ऐमी। अभी मै बहुत गुस्से में हूं।


अपस्यु:- आप का गुस्सा भरा मुंह देखने आए थे हम। सोचा था थोड़े मस्ती मज़ाक और हंगामा करेंगे आपके साथ। अब आप ऐसे गुस्से में रहोगी तो हम चले जाएंगे। मासी भूख भी लगी है हमे।


कंचन:- कहीं ना मुझे नॉर्मल करने की कोशिश ना कर। चल जयपुर घूम आते है, और बाहर ही कुछ खा लेंगे। वैसे भी यहां रहूंगी तो मेरा सर दर्द करने लगेगा। रह-रह कर बातें दिमाग़ में आती रहेगी।


ऐमी:- मासी दिल्ली चलो ना, प्लीज प्लीज प्लीज…


अपस्यु:- हां मासी चलो ना…


कंचन:- में वहां जाकर क्या करूंगी…


ऐमी:- मतलब हमारे पास रहकर क्या करेगी ऐसा कहना है.. हुंह ! मुझे बुरा लगा..


कंचन, कुछ सोचती हुई…. "अच्छा चल ठीक है, चलते है दिल्ली अब तो दोनो खुश ना।"


ऐमी और अपस्यु…. "हां बहुत खुश है मासी"…


कंचन हां बोलकर अपने पैकिंग करने में लग गई, लेकिन तभी ऐमी उसका हाथ पकड़ते… "नाना, कोई पैकिंग नहीं, बल्कि हम आपके लिए शॉपिंग करेंगे।"..


कंचन:- मतलब ऐसे ही खाली हाथ चलूं…


अपस्यु:- कितने सवाल पूछती है। हर चीज में फॉर्मेलिटी। सिर्फ साथ चल दो आप, बाकी आगे क्या होता है वो हम पर छोड़ दो।


कंचन:- पता नहीं तुम दोनो के मन में क्या चल रहा है। ठीक है खाली हाथ ही चलती हूं…


कंचन को तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि वो इन दोनों की बात पर क्या कहे। ज़िन्दगी में पहली बार बिना पैकिंग के बाहर जा रही थी। कंचन ने अपने साथ जूनियर ऐमी और जूनियर दृश्य को लेती हुई, वीर प्रताप को अपने जाने के बारे में बताकर, उन दोनों के साथ निकल गई।


लगभग 2 बजे के करीब सब दिल्ली पहुंचे। ऐमी और अपस्यु ने जब खरीदारी की प्लांनिंग बताई, वो हंसती हुई दोनो के गाल थपथपाती शॉपिंग में लग गई। इधर ऐमी ने कंचन के लिए बहुत सारी चीजें शॉपिंग कर ली और अपस्यु जूनियर्स के साथ शॉपिंग कर रहा था।


कंचन साड़ी और ज्वेलरी की शॉपिंग करके ऐमी के पास पहुंचती…. "तू ना मुझसे काम करवा ले। थका दी है मुझे, आज रात मेरे पाऊं दबाने आ जाना।"


ऐमी:- रात का इंतजार काहे, अभी ही मसाज सेंटर चल दो ना।


कंचन:- क्यों तू रात में मेहंदी लगाएगी क्या?


ऐमी:- हां समझ गई, मुझे ही पाऊं दबाने होंगे।


शॉपिंग खत्म करके सभी पहुंच गए फ्लैट। अपस्यु और ऐमी आगे और कंचन जूनियर्स के साथ पीछे खड़ी थी। जैसे ही दोनो की पहली झलक मिली, कुंजल जोड़ से चिल्लाती हुई… "मां ने कहा है जबतक वो आ नहीं जाती, तबतक आप दोनो बाहर ही रहेंगे।"..


अपस्यु:- और मासी जो साथ आयी है, उनका क्या करना है, उन्हें भी बाहर खड़ा कर दूं क्या?


कुंजल दोनो के पास पहुंचती…. "कहां है मासी"..


अपस्यु और ऐमी दोनो किनारे हुए और सामने उसे कंचन दिखने लगी…. "ये दृश्य भईया की मां है। और ये दोनो क्यूट जूनियर्स दृश्य भईया के बच्चे है।"..


कंचन:- मुझे बाहर ही खड़ी रखोगी या अंदर भी आने दोगी…


कुंजल, सबको अंदर बिठाते…. "मासी आप बहुत अच्छे वक़्त में आयी है। देखो ना भैया अपनी मनमानी पर उतर आए हैं।"..


कंचन:- आज रहने दे बेटा, आज इसे कुछ सुनाओगी तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। कल पंचायत लगाएंगे और दोनो को सजा देंगे।


कुंजल, अपस्यु और ऐमी को देखते हुए…. "हिहिहिही, क्या हुआ मासी, आपको तंग करने गए थे और उल्टा इन्हे सुना दिया किसी ने"…


कंचन:- छोड़ो इसे, ये मुझे बोलकर लाया है कि दिल्ली मै खूब मस्ती करेंगे, क्या सच बोलकर लाया है या मुझे यहां बोर होना पड़ेगा।


कंचन अपनी बात कह ही रही थी कि बाहर से नंदनी, आरव और स्वास्तिका के साथ घर पहुंची। नंदनी कंचन को देखकर एक बार अचंभे में पर गई, फिर तेजी के साथ उसके पास पहुंचती… "मुझे यकीन नहीं हो रहा दीदी, आप यहां आयी है।"


कंचन:- हां यकीन कैसे होगा, याद होती तो ना कभी बुलाती।


नंदनी:- राठौड़ मेंशन में कल गृह प्रवेश का कार्यक्रम है, तो उसी सिलसिले में आज मै आपसे बात करती दीदी।


कंचन:- ओह इसलिए ये दोनो पहुंच गए मुझे लेने। लगता है तुम्हारी दिल की बात को भांप लेते हैं ये दोनो नंदनी।


नंदनी, अपस्यु के कान पकड़ती…. "दीदी, तुम जानती हो, अपस्यु बिल्कुल सुनंदा दीदी कि कॉपी है, शांत, गंभीर और उन्हीं की तरह बिल्कुल शरारती भी।"


अपस्यु:- आपने मां के बारे में ये बातें कभी नहीं बताया मुझे।


नंदनी:- हां इसलिए नहीं बताई, ताकि तुम्हारी शरारतें और ना बढ़ जाए। वैसे दीदी साथ आयी है इसलिए बच भी गए वरना तुम दोनो की खैर नहीं थी। अब जाओ तुम लोग अपना काम देखो, हम जरा गप्पे लड़ाते हैं।


सभी वहां से निकल गए और उन दोनों को अकेले बात करने के लिए छोड़ दिया गया। 1,2 घंटे घर पर बिताने के बाद अपस्यु ऐमी को लेकर जैसे ही सिन्हा जी के यहां छोड़ने जाने लगा, कुंजल भी उसके साथ हो ली।


ऐमी के घर से लौटते वक़्त… "भाई, वहां मासी के घर क्या हुआ था, किसी ने कुछ कहा था क्या?"


अपस्यु:- ना रे बाबा, बस छोटी सी गलतफहमी हो गई है। वो छोड़ ये बता अब तो दिल नहीं जलेगा ना, तू खुश है ना अब।


कुंजल:- आपने कमाल ही ऐसा किया है कि खुश ना रहूं, बेहद खुश हूं। अब सारे दुश्मन खत्म और फैमिली टाइम शुरू। अच्छा सुनो मै सोच रही थी कल से कॉलेज शुरू कर दू।


अपस्यु:- हां तो परेशानी किस बात की आ रही है?


कुंजल:- वो कॉलेज में स्पोर्ट्स शुरू हो रहे है और मै भी हिस्सा लेना चाहती हूं।


अपस्यु:- बॉक्सिंग में हिस्सा लेगी या कुस्ती में।


कुंजल:- सीट पर बैठकर सिटी बजाने में हिस्सा लुंगी।


अपस्यु, झटके से ब्रेक लगाकर कुंजल को घूरते हुए…. "अब ये मत कहना कि तुमने मेरा नाम प्रतियोगिता में डाल दिया है।"


कुंजल इधर-उधर देखती, धीमी सिटी बजाती हुई….. "बहुत ज्यादा नहीं केवल एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, डांसिंग, और जिम्नास्टिक में नाम डाला है।


अपस्यु:- एथलेटिक्स को जरा एक्सप्लेन करेंगी मैम।


कुंजल:- ऑफ ओ एथलेटिक्स मतलब एथलेटिक्स। तरह तरह की रनिंग, तरह तरह के थ्रो, लोग जंप, हाई जंप, सिर्फ इतना ही।


"सिर्फ इतना ही"… अपस्यु गुस्से में उसे घूरते हुए कहने लगा..


कुंजल:- अपना ये लुक बाद में देना, मुझे बस तुम्हे जीतते हुए देखना है।


अपस्यु:- अब मै कुछ कहूंगा तो तुम गुस्सा कर भाग जाओगी। फिर मै मनाऊंगा और तुम रोने लग जाओगी, क्योंकि मेरी बात तुम्हे बुरी लगी होगी और तुम्हे मनाने के लिए अंत में मुझे कमिटमेंट करना ही होगा। ऐसा ही है ना।


कुंजल:- वाह भईया आपके साथ एक बात कि समस्या नहीं होती, ज्यादा ड्रामा नहीं करना पड़ता।


अपस्यु:- मुझे ऐसा क्यों लग रहा है, मुझे तुम्हारी शादी करवा देनी चाहिए।


कुंजल:- तो भी मै तुम्हारे पास ही रहने वाली हूं, ये क्यों भुल जाते हो।


अपस्यु:- हां ठीक है समझ गया। दुश्मन कहीं की, जब देखो तब बॉम्ब फोड़ देती है।


कुंजल:- मुझे जीत कि सिटी बजानी है और किसी भी खेल में हारे तो देख लेना।


अपस्यु:- हां ठीक है मै पूरी कोशिश करूंगा। अच्छा सुनो अभी हम राठौड़ मेंशन चल रहे है। वहां के लोगों को थोड़ा समझा ले और उसकी भी सुन ले।


कुंजल:- ठीक है गाड़ी रोक दो, मै टैक्सी लेकर यहां से घर चली जाऊंगी।


अपस्यु कार की स्पीड बढाते…. "ऐसे कैसे अकेली भाग जाएगी। वहां बिल्कुल शांत रहना और मेरी मदद करना।"..


दोनो कुछ देर में राठौड़ मेशन पहुंच गए। अपस्यु को देखकर वहां के लोग बहुत ज्यादा खुश नहीं नजर आ रहे थे। 15 अगस्त के के बुरे झटके अब तक वहां मातम की तरह पसरा हुआ था।


लगभग घंटे भर की माथा-पच्ची के बाद ,वहां के लोग कुछ शांत हुए। हालांकि उन लोगों को अपस्यु से कोई शिकायत नहीं थी, लेकिन गम में डूबा हुआ मन कुछ शिकायतें तो जरूर करता है।


एक बात तो यह भी सत्य थी कि लोकेश और कंवल की पत्नी को 2500 करोड़ की धन राशि सौगात में मिली थी और वो दोनो उन पैसों के साथ दिल्ली छोड़ने का मन बना चुकी थी। वहीं कुसुम और उसकी मां, राठौड़ मेंशन से कहीं और शिफ्ट होने का सोच रही थी। अपस्यु ने बहुत समझाने कि कोशिश की दोनो यहीं रुक जाए, लेकिन कुसुम नहीं मानी।


अंत में यही तय हुआ कि अपस्यु उन्हें घर देगा और ये फाइनल था। कुसुम ना चाहते हुए भी हां कह दी। अगले सुबह ही राठौड़ मेंशन पुरा खाली हो चुका था और शाम तक हर कोई राठौड़ मेंशन में शिफ्ट कर चुके थे। राठौड़ मेंशन में उसके असली मालिको की वापसी हो चुकी थी, पुरा मेंशन दुल्हन की तरह चमक रही थी। हर कोई खुश थे और अपने अपने पसंद के कमरे चुन रहे थे।


अगली सुबह सब अपने-अपने काम में लगे हुए थे और अपस्यु अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए काया से मिलने चल दिया। काया कल से एक होटल मै रुकी हुई थी, बेल बाजी और काया दरवाजा खोलती…. "अपस्यु सर आपको आज फुर्सत मिली है।"..


अपस्यु:- चलो चलकर पहले तुम्हारा नया घर दिखाया जाए।


अपस्यु, काया को लेकर अपने फ्लैट ले आया… "काया मैम, चुन लीजिए ऊपर के फ्लोर से कोई भी फ्लैट, जो आपको पसंद हो।"..


अपस्यु:- कोई भी देदो, रहना ही तो है यहां..


अपस्यु, उसे अपने फ्लैट में बिठाते… "ठीक है, 301 और 302 मेरा है, 303 तुम ले लो।"..


काया:- तुम सब तो राठौड़ मेंशन में शिफ्ट कर गए हो ना, मुझे ये घर दे दो।


अपस्यु:- वो शिफ्ट किए है मै नहीं। मुझे अपना काम खत्म होने तक यहीं रहना होगा।


काया:- कल शाम तुम्हारे पुरा परिवार को देखी थी, वो तुम्हे यहां रहने को लेकर राजी नहीं होंगे।


अपस्यु:- इसी बात की चिंता तो मुझे भी है। खैर थोड़ा काम की बात हो जाए..


काया:- हां बिल्कुल, बताओ किसे फसाना है।


अपस्यु:- मतलब…


काया:- मतलब सारे वीरदोयी में मुझे यहां लेकर आए हो, इसका साफ मतलब है किसी को रूप जाल में फंसाना है ना। बस तुम भी दूसरों की तरह कपड़े उतारने मत कह देना, वरना विश्वास टूट जाएगा।


अपस्यु:- हां मुझे पता है विश्वास टूट जाएगा, लेकिन मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है, मैं मजबूर हूं।


काया, निराशा भरी मुस्कान देती…. "तुमने भी फर्क ना समझा अपस्यु। खैर तुम्हारी ऋणी हूं, इसलिए मै तुम्हारा काम करूंगी।


अपस्यु:- ऐसे मायूस ना हो, पहले बात सुन लो, मै इतना मजबूर नहीं की किसी कमिने को फसाने के लिए तुम्हे कपड़े उतारने कह दूं। और कोई अच्छा है तो उसके लिए तुम्हे क्यों लेकर आऊंगा।


काया:- पहेली बुझाना बंद करो और सीधा-सीधा मुद्दा बताओ।


अपस्यु:- यहां के एक एमपी है सोमेश, उसकी बेटी लिसा को पटाना है।


काया, चौंकती हुई…. "क्या?"


अपस्यु:- हां तुमने सही सुना, अब समझ सकती हो, मै क्यों मजबूर हूं।


काया:- हद है तुम्हरे कहने का मतलब है कि मै एक लड़की को पटाऊं, वो क्या वैसी वाली है।


अपस्यु:- हां लिसा लेस्बियन है, और तुम्हे उसी को पटाना है। हम अपने लक्ष्य की ओर बहुत ही धीमे बढ़ेंगे इसलिए कह नहीं सकते कि तुम्हे उसके साथ… तुम समझ रही हो ना।


काया:- ईईईईईईईईईईईईई… मै लड़की होकर लड़की को चुमुं। मुझ से नहीं होगा, तुम ऐमी से कह दो ये करने। कोई लड़का तो नहीं जो तुम्हारे दिल को चोट पहुंचे।


अपस्यु:- जब हम काम में होते है तो बस अपने लक्ष्य को साधने की कोशिश करते है। फिर उसमे हमारे पर्सनल इमोशंस बीच में नहीं आते। लेकिन ऐमी ये काम नहीं कर सकती।


काया:- कारन..


अपस्यु:- उसका पिताजी, सोमेश मेरा करीबी कॉन्टैक्ट में से है, और लिसा हम सब को जानती है। इसलिए वो ऐमी से पटेगी नहीं और ताज़ा-ताज़ा अभी उसका ब्रेकउप हुआ है, तो हमारे पास अच्छा मौका है।


काया:- पता होता कि ऐसा कुछ होने वाला है तो मै नीलू को भेज देती। मुझे पूरी बात समझाओ की तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है? उसी के बाद मै हां कहूंगी।


तकरीबन आधे घंटे तक अपस्यु ने अपने योजना कि लगभग सारी बातें बता दिया। काया पूरी बात ध्यान से सुनने के बाद… "ठीक है, समझ गई, उस लिसा के साथ मुझे लेस्बो होना पड़ेगा। बाकी उसे पटाने का पूरा बैकग्राउंड तो तुम ही तय करोगे।"


अपस्यु:- हां लिसा और तुम्हारी नजदीकियां का पूरा पटकथा हम लिख देंगे, बस तुम उसका और अपना पूरा ध्यान रखना। कोई हीरो बनने की जरूरत नहीं है, खतरा दिखे तो पीछे हट जाना।


काया:- तुम भुल क्यों जाते हो मै एक वीरदोयी हूं और मुझमें आम इंसानों से 20 गुना ज्यादा क्षमता है।


अपस्यु:- वेरी फनी, भले तुम 4-5 साल सीनियर हो मुझ से लेकिन यहां का बॉस मैं हूं। इसलिए बोल दिया ना कोई हीरो बनने की जरूरत नहीं है, मतलब नहीं है।


काया:- मेरे एक्शन से तुम टेंशन में क्यों आ गए अपस्यु?


अपस्यु:- क्योंकि जो कमजोर दिखते है वो दरअसल कमजोर होते नहीं है। पूर्व आकलन हमे परेशानी में डाल सकती है। मै एक ही बात जानता हूं, ऐसे सफल मिशन का क्या फायदा, जिसमें आपके साथी कहीं खो जाते है। समझी मैम।"


अपस्यु अपनी बात कहकर काया की ओर देखने लगा। काया भी अपस्यु की बातों का अभिवादन करती हुई मुस्कुराई और अपस्यु के कहे अनुसार काम करने का वादा करती हुई, अपने फ्लैट को देखने चल दी।
 
Last edited:

nain11ster

Prime
23,612
80,684
259
Mitron jin jin ko apne comment reply pichhle updates ke upar nahi mile hain unka reply is bich kar pana thoda muskil hai kyonki kaam badh gaya hai aur update likhne me kafi samay sa lag jata hai.. isliye padeshan na ho is ravivar pichhla reply karne ka kosis karunga... Tabtak main apna kaam kar raha hun update dekar .. aap apna kaam karte rahen ...

Dhanywad
 
Last edited:

Sky07

Active Member
742
3,286
138
Update:-142





इधर लोगों की जब भगदड़ मची थी, तब सब सीढ़ियों कि ओर जा रहे थे और ऐमी मुस्कुराती हुई पानी टंकी के ओर। दोनो की नजर जब एक दूसरे से मिली, दोनो मुसकुराते हुए एक दूसरे को चूमने लगे और चोर की तरह नीचे उतर गए। गाड़ी तेज रफ्तार में चल रही थी और दोनो एक दूसरे को देखकर हंसते हुए घरवालों के रिएक्शन के बारे में सोच रहे थे।


ऐमी:- अपस्यु बहुत गलत किये, तुम्हारी मां हम दोनों को उल्टा टांग देगी।


अपस्यु:- वापस मोड़ लू कार..


ऐमी:- अब जब आ ही गए है तो वापस क्या जाना, चलो मासी को परेशान करते हैं।


अपस्यु:- ऐसा क्या, चलो फिर चला जाए।


दोनो रात को 2.30 बजे चले थे और 430 किलोमीटर की दूरी लगभग 2 घंटे में तय करके, प्रताप महल के पास पहुंच गए थे… "बेबी अगली तैयारी क्या फार्मूला वन की है।"..


"ऐसे इंजन के और नट्रॉक्स सस्पेंशन के साथ तो, मुझ जैसे कई फार्मूला इन रेसर मिल जाएंगे, जिसे थोक के भाव से वो लोग डिसक्वालिफाई कर देते है।'… अपस्यु कार को प्रताप महल के ठीक सामने लगाते हुए कहने लगा।


"साइड से रास्ता है, वहां से चोरों कि तरह जाया जा सकता है।" ऐमी अपने लैपटॉप निकलकर प्रताप महल के सिक्योरिटी सिस्टम को हैक करके बोलने लगी।


दोनो फिर उसी रास्ते से, बड़े सफाई के साथ प्रताप महल में दाखिल हो गए। दोनो की खुसुर-फुसुर भी महल में पहुंचने के साथ ही शुरू हो गई।… "मै रूम में नहीं जाऊंगी, तुम सैतनी करोगे, यहीं हॉल में लेटते है।"…. "पागल हो कैसा अजीब लगेगा हॉल में लेटना, कुछ देर बाद सब जाग जाएंगे और हमे फिर सोने नहीं देंगे, पंचायत होगी सो अलग। रूम में ही चलते है।"..


काफी देर समझाने के बाद भी जब ऐमी नहीं मानी तो अपस्यु ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और अपने गोद में उठाकर कमरे में ले गया। कमरे में जाते के साथ ही अपस्यु ने ऐमी को बेड पर पटक दिया और जाकर दरवाजे की कुण्डी बंद कर आया।


जबतक वो दरवाजा लगाकर वापस लौटा ऐमी अपने ऊपर के कपड़े उतारकर, केवल ब्रा और पैंटी में बैठ गई। उसे देखते ही… "काफी हॉट लग रही हो।"..


ऐमी:- मेरी जारा भी इकछा नहीं है अपस्यु, लेकिन तुम मानने तो वाले हो नहीं, इसलिए जल्दी करो, मुझे सोना भी है।


"वाह! चढ़ गया भूत तुम्हे। शुभ रात्रि, मैं चला सोने।"… अपस्यु बिस्तर पर जाकर करवट लेकर सो गया। ऐमी पीछे से उसके पीठ से चिपककर, अपना हाथ आगे करके उसके सीने पर चलाती हुई, उसके गर्दन पर किस्स करती हुई… "बेबी थक गए क्या?"


अपस्यु:- हां थका हूं, और सोने दो प्लीज..


ऐमी:- अब जब मैंने कपड़े निकाल ही लिए है तो चलो ना करते हैं।


अपस्यु, ऐमी के ओर मुड़ते हुए…. "कान पकड़ कर माफी मांगता हूं, मुझसे गलती हुई जो तुम्हे कमरे में लेकर आया। मै तो रेपिस्ट हूं ना, जो तुम्हारे साथ जबरदस्ती करता हूं।"


ऐमी, अपस्यु के आखों में झांकती हुई, होंठ हिलाकर सॉरी कहती हुई मुस्कुराने लगी और अपस्यु को बाहों में भींचकर, उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमती हुई सो गई।


सुबह के 7 बज रहे होंगे… दृश्य के माता पिता, वीर प्रताप और कंचन दोनो टहलने के लिए निकले। अपने महल के बाहर कार पार्क देखकर… "ये दृश्य सुबह-सुबह कहां गया था।"… दोनो बाहर लगी कार को देखकर यह समझ बैठे की अपस्यु ने कुछ मॉडिफाइड कार जो दृश्य को दी थी, उन्हीं में से एक कार में दृश्य कहीं बाहर गया हुआ था।


उन्हीं के पीछे दृश्य और अश्क भी निकली। दोनो हाथों में हाथ डाले आगे बढ़ ही रहे थे कि दृश्य, अश्क के कमर में हाथ डालकर खुद से चिपका लिया और उसके गले पर किस्स करने लगा….. "अति बेशर्मी कहते हैं इसे।" .. अश्क खुष्फुसती हुई अपनी प्रतिक्रिया दी और दृश्य को आखें दिखाने लगी।


अश्क अभी दृश्य का हाथ छुड़ाकर अलग ही हुई थी कि पीछे से दृश्य की दीदी पायल और उसके जीजू आकाश, दोनो को "गुड मॉर्निंग" विश किया और दोनो को देखकर हंसते हुए आगे बढ़ गए।


अश्क:- लव आप भी ना हुंह। ना वक़्त देखते हो ना जगह, बस शुरू हो जाते है। भईया और भाभी ने लगता है देख लिया।


दृश्य:- अच्छा सॉरी बाबा, प्लीज अब सुबह-सुबह अपना मूड ऑफ ना करो।


दृश्य और अश्क फुसफुसाई सी आवाज़ में निकझोंक करते हुए जैसे ही बाहर निकले…. "दोनो रात को कहां बाहर गए थे।"… पायल, दृश्य घूरती हुई पूछने लगी।


दृश्य:- हम कहीं नहीं गए थे दीदी सच कह रहे है।


पायल:- दृश्य मै क्या करूं तुम्हारा। आंटी मुझे ताने दे रही है कि "देखा तेरा भाई 24 घंटे घर पर रहने की बात नहीं मान सका।"


अश्क, दृश्य को घूरती…. "सच सच बताओ लव कहां गए थे। कम से कम मुझे तो साथ ले चलते।"..


पायल, अश्क का कान पकड़ती…. "मुझे पता है इस पूरी कांड की रचायता तुम ही हो।"..


"ऑफ ओ, पता नहीं कब ये बड़े लोग सुधरेंगे। जूनियर तुम मेरे साथ ही रहना हमेशा, इन लोगों के साथ नहीं रहना।"… जूनियर ऐमी, यानी कि पायल की बेटी उन सबको एक जगह खड़े होकर बातें करते देख, अपनी प्रतिक्रिया देती हुई, अपने साथ जूनियर दृश्य को लेकर बाहर निकल गई।


अश्क:- छोटी है पर प्वाइंट की बात कह गई। कुछ सीखो इन जूनियर्स से। चलो लव मॉर्निंग वॉक करके आते हैं, इन्हे तो हर वक़्त यही लगता है कि हम इनकी सुनते ही नहीं है।


दृश्य की मां कंचन…. क्या बात है अश्क, बहुत खूब। लगता है कुछ क्लासिकल हिंदी मूवी देखकर मुझे 60 के दशक की सास का रोल निभाना ही पड़ेगा। अब तुम दोनों जारा बताओगे की कहीं घूमने नहीं गए तो ये कार कैसे बाहर आयी। वो भी स्पेशल कार। पायल जरा इनका वो डायलॉग दोहराना तो..


पायल:- ये कोई आम कार नहीं है, मेरे भाई ने जेम्स बॉन्ड वाली कार मुझे गिफ्ट की है।


दृश्य और अश्क की नजर भी कार पर गई, दोनो एक दूसरे का चेहरा देखकर मानो इशारे में पूछ रही हो… "ये कार बाहर कैसे आयी।"


दृश्य और अश्क दोनो ने अपना हथेली चिपकाकर कार को खोलने की कोशिश करी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। 1,2 कोशिश के बाद दृश्य और अश्क दोनो एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे और उन्हें हैरान देखकर आकाश पूछने लगा…. "क्या हुआ दोनो हैरान क्यों हो।"..


अश्क:- आकाश भईया ये हमारी कार नहीं है।


कंचन, उत्सुकता से…. "क्या ये अपस्यु और ऐमी की कार है। या आरव की।"..


दृश्य:- एक बार ही तो दोनो से मिली हो, कभी मेरे लिए तो इतनी खुश नहीं हुई मां।


वीर प्रताप:- मुझे तो आजकल देखती भी नहीं, खुश होना तो दूर की बात है।


कंचन:- ख़ामोश हो जाओ सब, वो लोग यहां आए है तो गए कहां। कब आए?


कंचन की बात सुनकर हर किसी ने ढूंढ़ना शुरू किया। वहीं गांव के कुछ लोगों का कहना था कि सुबह 4 बजे के आस पास उनके यहां कार खड़ी हुई, उन्हें लगा दृश्य आया होगा।


1 घंटे तक गांव में ढूंढ लिया हर किसी ने, लेकिन यह तक पता नहीं चल पाया कि अपस्यु आया था या आरव। अंत में दृश्य ने पहले अपस्यु को कॉल लगाया, फिर ऐमी को और अंत में आरव को।


आरव कॉल उठाते हुए…. "थैंक्स भईया आपने कॉल कर दिया।"..


दृश्य:- क्या हुआ आरव..


आरव:- भईया ऐसे अनजान बनकर मत पूछो। अपस्यु ने ही कॉल लगवाया है ना यहां का हाल जानने। उससे कह देना दोनो जब दिल्ली पहुंचेंगे तो उनका जबरदस्त स्वागत होगा।


दृश्य, हंसते हुए…. "हुआ क्या वो तो बताओ।"


आरव:- कमिने ने कल रात हमारी नींद खराब करके, सबके बीच से ऐमी को लेकर भाग गया। सब बहुत गुस्सा है।


दृश्य:- अब सबके बीच में ऐमी को फसाकर रखोगे उसे परेशान करने के लिए, तो यही सब दिन देखने होंगे ना।


आरव:- हां उसने अपना काम कर दिया अब हमारी बारी है। उससे कहना हम दिल्ली के लिए अभी निकल रहे है, और अपना ख्याल रखे। जब भगोड़े हो ही गए हैं तो कहना आराम से घूमकर आ जाए। उसका स्वागत के लिए हम इंतजार कर लेंगे।


दृश्य:- हां ठीक है आरव सर, और कुछ संदेश देना है दोनो को…


आरव:- नहीं आप को संदेश देना है। दोनो से बचकर रहना, नहीं तो अपने रोमांस के चक्कर में, आपके सुखी जीवन में कब आग लगा दे आपको पता भी नहीं चलेगा। वैधानिक सूचना थी मैंने दे दिया, अब आपको मानना है तो मानो वरना आज दिन भर में तो आपके बुद्धि का विकास हो ही जाना है।


आरव की बात सुनकर दृश्य हंसते हुए कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और सभी लोगों को यहां अपस्यु और ऐमी कैसे पहुंचे उसका पुरा विवरण बता दिया। दोनो के यहां पहुंचने की कहानी जानकर सबकी हंसी निकल गई। कुछ साल पहले की वो हसीन कहानी ताज़ा हो गई, जब दृश्य और अश्क के ऊपर भी पहरा लगा होता था और दोनो ऐसा ही कुछ हरकत कर बैठते थे।


अपस्यु और ऐमी के बहाने ही सही, लेकिन हर कोई दृश्य और अश्क की एक बार फिर खिंचाई करने बैठ गया। प्रताप महल में पहले से बहुत से लोग पहुंचे थे। बीती बातों का दौड़ ऐसा चला की एक-एक करके सभी लोग आते चले गए और महफिल को ज्वाइन करते चले गए।


एक बड़ी सी महफिल, जहां 4 कपल बैठे थे जो दृश्य के लंबे सफर के शुरू के साथी रहे थे। 6 बच्चे जिनकी गैंग लीडर जूनियर ऐमी थी, वो भी वहां खेल रहे थे। कुछ अभिभावक भी उस महफिल में मौजूद थे, जिसमें एक तो कंचन और वीर प्रताप थे जो स्थाई रूप से प्रताप महल में रहा करते थे और साथ में आयी थी कंचन कि जिगरी सहेली चंद्रिका देवी और अश्क की मां। कुल मिलाकर पूरी पंचायत सुबह-सुबह लग चुकी थी और जब बीते दोनो की बात शुरू हुई, समय का पता ही नहीं चला।


सुबह के 10 बज चुके थे। ऐमी मीठी अंगड़ाई लेकर जागी और अपस्यु के बदन को अपने हाथों में समेटकर, उसके गाल पर अपनी जीभ चलाने लगी। अपस्यु भी अपने आंख मूंदे ऐमी के ओर मुर गया और उसे अपनी बाहों में समेटकर अपनी आखें खोलते हुए… "हर सुबह ऐसे ही जागता रहूं।"..


ऐमी प्यार से अपस्यु के होंठ पर अपने होंठ फिराति…. "बस कुछ दिन और बेबी, फिर हमारी शादी होगी और हमारी रोज ऐसी ही सुबह होगी।"..


अपस्यु अपना हाथ ऐमी के पीठ पर धीरे-धीरे चलाते हुए उसके ब्रा के स्ट्रिप को खोल दिया। "हिहिहिहिहिही, बेबी प्लीज अभी उक्साओ नहीं, वरना मै भी मूड में आ जाऊंगी।"..


अपस्यु, ऐमी को खुद में भींचते… "ऐसा क्यों लगता है कि आज कल तुम बहुत शरारती होती जा रही जो स्वीटी।"..


ऐमी:- मेरी सारी शरारतें तो तुम से ही है, और मुझे पुरा हक है कि मैं तुम्हे तंग करूं।


अपस्यु:- ओह हो इरादे तो बहुत खतरनाक हैं। अच्छा जाओ तैयार हो जाओ, मासी से मिलकर निकलते है।


ऐमी:- नाह, ऐसे ही कुछ देर मुझे समेटे रहो ना।


अपस्यु:- ऐमी, उठो भी, अब जाओ भी।


ऐमी:- प्लीज कुछ देर आराम करने दो ना..


अपस्यु ऐमी को छोड़कर खड़ा हो गया और अपनी आखें दिखाते… "अब तुम उठ रही हो या नहीं स्वीटी।"..


ऐमी:- नहीं उठती मै… जाओ तुम्हे जो करना है कर लो।


अपस्यु तेजी के साथ बिस्तर पर लपका और ऐमी को उल्टा घूमकर उसके कमर पर बैठ गया। अपने दोनो हाथ से ऐमी के पीठ पर मजबूत हाथ का दवाब डालते उसके पीठ दबाते हुए… "खुमारी मिटी या और बदन दबाऊं।"..


ऐमी:- आह ! बेबी मज़ा आ रहा है, ऐसे ही दबाते रहो ना। और हां थोड़े पाऊं भी दबा देना ना।


अपस्यु उसकी बात सुनकर हसने लगा। पहले ऊपर फिर नीचे। जैसे ही हाथ ऐमी के घुटनों के ओर बढ़ने लगे.. "बेबी एक मिनट उठोगे।"..


अपस्यु, ऐमी के ऊपर से हटा, ऐमी अपनी ब्रा पहनकर खड़ी हुई और अपस्यु के बाल बिखेरती हुई….. "तुम्हारा साथ होना ही जिंदगी है, लव"… कहती हुई ऐमी अपने होंठ से अपस्यु के होंठ को प्यार से स्पर्श करती… "तुम मेरी हंसी हो, तुम मेरी खुशी हो। आती हूं फ्रेश होकर।"…


ऐमी की बातों पर हंसते हुए अपस्यु लेट गया। ख्यालों में वो ऐसे डूबा कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी आंख लग गई। पानी की छींटें चेहरे पर पड़ने से अपस्यु की आंख खुली। ऐमी सूखे तौलिए से अपनी बाल झटक रही थी और अपस्यु को देखकर मुस्कुरा रही थी।…. "अब उठो भी, साढ़े 10 बज गए हैं और मुझे भूख सी लगने लगी है।"..


दोनो लगभग 11 बजे तक तैयार होकर, मासी से मिलने के लिए कमरे के बाहर आए। जैसे ही कमरे के बाहर निकले, बच्चे उन्हें देखकर डर से सब अपने माता पिता के पास आ गए, सिवाय जूनियर ऐमी के। वो अपस्यु और ऐमी को गौर से देख ही रही थी, तभी पूरी सभा कि नजर भी इन दोनों पर चली गई
nain11ster bhai sorry for the hibernation comment, bhai we love this story and whenever you did not give an update, we felt that something is missing from our daily life, so keep updating daily
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
4,857
20,205
158
Update:-142





इधर लोगों की जब भगदड़ मची थी, तब सब सीढ़ियों कि ओर जा रहे थे और ऐमी मुस्कुराती हुई पानी टंकी के ओर। दोनो की नजर जब एक दूसरे से मिली, दोनो मुसकुराते हुए एक दूसरे को चूमने लगे और चोर की तरह नीचे उतर गए। गाड़ी तेज रफ्तार में चल रही थी और दोनो एक दूसरे को देखकर हंसते हुए घरवालों के रिएक्शन के बारे में सोच रहे थे।


ऐमी:- अपस्यु बहुत गलत किये, तुम्हारी मां हम दोनों को उल्टा टांग देगी।


अपस्यु:- वापस मोड़ लू कार..


ऐमी:- अब जब आ ही गए है तो वापस क्या जाना, चलो मासी को परेशान करते हैं।


अपस्यु:- ऐसा क्या, चलो फिर चला जाए।


दोनो रात को 2.30 बजे चले थे और 430 किलोमीटर की दूरी लगभग 2 घंटे में तय करके, प्रताप महल के पास पहुंच गए थे… "बेबी अगली तैयारी क्या फार्मूला वन की है।"..


"ऐसे इंजन के और नट्रॉक्स सस्पेंशन के साथ तो, मुझ जैसे कई फार्मूला इन रेसर मिल जाएंगे, जिसे थोक के भाव से वो लोग डिसक्वालिफाई कर देते है।'… अपस्यु कार को प्रताप महल के ठीक सामने लगाते हुए कहने लगा।


"साइड से रास्ता है, वहां से चोरों कि तरह जाया जा सकता है।" ऐमी अपने लैपटॉप निकलकर प्रताप महल के सिक्योरिटी सिस्टम को हैक करके बोलने लगी।


दोनो फिर उसी रास्ते से, बड़े सफाई के साथ प्रताप महल में दाखिल हो गए। दोनो की खुसुर-फुसुर भी महल में पहुंचने के साथ ही शुरू हो गई।… "मै रूम में नहीं जाऊंगी, तुम सैतनी करोगे, यहीं हॉल में लेटते है।"…. "पागल हो कैसा अजीब लगेगा हॉल में लेटना, कुछ देर बाद सब जाग जाएंगे और हमे फिर सोने नहीं देंगे, पंचायत होगी सो अलग। रूम में ही चलते है।"..


काफी देर समझाने के बाद भी जब ऐमी नहीं मानी तो अपस्यु ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और अपने गोद में उठाकर कमरे में ले गया। कमरे में जाते के साथ ही अपस्यु ने ऐमी को बेड पर पटक दिया और जाकर दरवाजे की कुण्डी बंद कर आया।


जबतक वो दरवाजा लगाकर वापस लौटा ऐमी अपने ऊपर के कपड़े उतारकर, केवल ब्रा और पैंटी में बैठ गई। उसे देखते ही… "काफी हॉट लग रही हो।"..


ऐमी:- मेरी जारा भी इकछा नहीं है अपस्यु, लेकिन तुम मानने तो वाले हो नहीं, इसलिए जल्दी करो, मुझे सोना भी है।


"वाह! चढ़ गया भूत तुम्हे। शुभ रात्रि, मैं चला सोने।"… अपस्यु बिस्तर पर जाकर करवट लेकर सो गया। ऐमी पीछे से उसके पीठ से चिपककर, अपना हाथ आगे करके उसके सीने पर चलाती हुई, उसके गर्दन पर किस्स करती हुई… "बेबी थक गए क्या?"


अपस्यु:- हां थका हूं, और सोने दो प्लीज..


ऐमी:- अब जब मैंने कपड़े निकाल ही लिए है तो चलो ना करते हैं।


अपस्यु, ऐमी के ओर मुड़ते हुए…. "कान पकड़ कर माफी मांगता हूं, मुझसे गलती हुई जो तुम्हे कमरे में लेकर आया। मै तो रेपिस्ट हूं ना, जो तुम्हारे साथ जबरदस्ती करता हूं।"


ऐमी, अपस्यु के आखों में झांकती हुई, होंठ हिलाकर सॉरी कहती हुई मुस्कुराने लगी और अपस्यु को बाहों में भींचकर, उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमती हुई सो गई।


सुबह के 7 बज रहे होंगे… दृश्य के माता पिता, वीर प्रताप और कंचन दोनो टहलने के लिए निकले। अपने महल के बाहर कार पार्क देखकर… "ये दृश्य सुबह-सुबह कहां गया था।"… दोनो बाहर लगी कार को देखकर यह समझ बैठे की अपस्यु ने कुछ मॉडिफाइड कार जो दृश्य को दी थी, उन्हीं में से एक कार में दृश्य कहीं बाहर गया हुआ था।


उन्हीं के पीछे दृश्य और अश्क भी निकली। दोनो हाथों में हाथ डाले आगे बढ़ ही रहे थे कि दृश्य, अश्क के कमर में हाथ डालकर खुद से चिपका लिया और उसके गले पर किस्स करने लगा….. "अति बेशर्मी कहते हैं इसे।" .. अश्क खुष्फुसती हुई अपनी प्रतिक्रिया दी और दृश्य को आखें दिखाने लगी।


अश्क अभी दृश्य का हाथ छुड़ाकर अलग ही हुई थी कि पीछे से दृश्य की दीदी पायल और उसके जीजू आकाश, दोनो को "गुड मॉर्निंग" विश किया और दोनो को देखकर हंसते हुए आगे बढ़ गए।


अश्क:- लव आप भी ना हुंह। ना वक़्त देखते हो ना जगह, बस शुरू हो जाते है। भईया और भाभी ने लगता है देख लिया।


दृश्य:- अच्छा सॉरी बाबा, प्लीज अब सुबह-सुबह अपना मूड ऑफ ना करो।


दृश्य और अश्क फुसफुसाई सी आवाज़ में निकझोंक करते हुए जैसे ही बाहर निकले…. "दोनो रात को कहां बाहर गए थे।"… पायल, दृश्य घूरती हुई पूछने लगी।


दृश्य:- हम कहीं नहीं गए थे दीदी सच कह रहे है।


पायल:- दृश्य मै क्या करूं तुम्हारा। आंटी मुझे ताने दे रही है कि "देखा तेरा भाई 24 घंटे घर पर रहने की बात नहीं मान सका।"


अश्क, दृश्य को घूरती…. "सच सच बताओ लव कहां गए थे। कम से कम मुझे तो साथ ले चलते।"..


पायल, अश्क का कान पकड़ती…. "मुझे पता है इस पूरी कांड की रचायता तुम ही हो।"..


"ऑफ ओ, पता नहीं कब ये बड़े लोग सुधरेंगे। जूनियर तुम मेरे साथ ही रहना हमेशा, इन लोगों के साथ नहीं रहना।"… जूनियर ऐमी, यानी कि पायल की बेटी उन सबको एक जगह खड़े होकर बातें करते देख, अपनी प्रतिक्रिया देती हुई, अपने साथ जूनियर दृश्य को लेकर बाहर निकल गई।


अश्क:- छोटी है पर प्वाइंट की बात कह गई। कुछ सीखो इन जूनियर्स से। चलो लव मॉर्निंग वॉक करके आते हैं, इन्हे तो हर वक़्त यही लगता है कि हम इनकी सुनते ही नहीं है।


दृश्य की मां कंचन…. क्या बात है अश्क, बहुत खूब। लगता है कुछ क्लासिकल हिंदी मूवी देखकर मुझे 60 के दशक की सास का रोल निभाना ही पड़ेगा। अब तुम दोनों जारा बताओगे की कहीं घूमने नहीं गए तो ये कार कैसे बाहर आयी। वो भी स्पेशल कार। पायल जरा इनका वो डायलॉग दोहराना तो..


पायल:- ये कोई आम कार नहीं है, मेरे भाई ने जेम्स बॉन्ड वाली कार मुझे गिफ्ट की है।


दृश्य और अश्क की नजर भी कार पर गई, दोनो एक दूसरे का चेहरा देखकर मानो इशारे में पूछ रही हो… "ये कार बाहर कैसे आयी।"


दृश्य और अश्क दोनो ने अपना हथेली चिपकाकर कार को खोलने की कोशिश करी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। 1,2 कोशिश के बाद दृश्य और अश्क दोनो एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे और उन्हें हैरान देखकर आकाश पूछने लगा…. "क्या हुआ दोनो हैरान क्यों हो।"..


अश्क:- आकाश भईया ये हमारी कार नहीं है।


कंचन, उत्सुकता से…. "क्या ये अपस्यु और ऐमी की कार है। या आरव की।"..


दृश्य:- एक बार ही तो दोनो से मिली हो, कभी मेरे लिए तो इतनी खुश नहीं हुई मां।


वीर प्रताप:- मुझे तो आजकल देखती भी नहीं, खुश होना तो दूर की बात है।


कंचन:- ख़ामोश हो जाओ सब, वो लोग यहां आए है तो गए कहां। कब आए?


कंचन की बात सुनकर हर किसी ने ढूंढ़ना शुरू किया। वहीं गांव के कुछ लोगों का कहना था कि सुबह 4 बजे के आस पास उनके यहां कार खड़ी हुई, उन्हें लगा दृश्य आया होगा।


1 घंटे तक गांव में ढूंढ लिया हर किसी ने, लेकिन यह तक पता नहीं चल पाया कि अपस्यु आया था या आरव। अंत में दृश्य ने पहले अपस्यु को कॉल लगाया, फिर ऐमी को और अंत में आरव को।


आरव कॉल उठाते हुए…. "थैंक्स भईया आपने कॉल कर दिया।"..


दृश्य:- क्या हुआ आरव..


आरव:- भईया ऐसे अनजान बनकर मत पूछो। अपस्यु ने ही कॉल लगवाया है ना यहां का हाल जानने। उससे कह देना दोनो जब दिल्ली पहुंचेंगे तो उनका जबरदस्त स्वागत होगा।


दृश्य, हंसते हुए…. "हुआ क्या वो तो बताओ।"


आरव:- कमिने ने कल रात हमारी नींद खराब करके, सबके बीच से ऐमी को लेकर भाग गया। सब बहुत गुस्सा है।


दृश्य:- अब सबके बीच में ऐमी को फसाकर रखोगे उसे परेशान करने के लिए, तो यही सब दिन देखने होंगे ना।


आरव:- हां उसने अपना काम कर दिया अब हमारी बारी है। उससे कहना हम दिल्ली के लिए अभी निकल रहे है, और अपना ख्याल रखे। जब भगोड़े हो ही गए हैं तो कहना आराम से घूमकर आ जाए। उसका स्वागत के लिए हम इंतजार कर लेंगे।


दृश्य:- हां ठीक है आरव सर, और कुछ संदेश देना है दोनो को…


आरव:- नहीं आप को संदेश देना है। दोनो से बचकर रहना, नहीं तो अपने रोमांस के चक्कर में, आपके सुखी जीवन में कब आग लगा दे आपको पता भी नहीं चलेगा। वैधानिक सूचना थी मैंने दे दिया, अब आपको मानना है तो मानो वरना आज दिन भर में तो आपके बुद्धि का विकास हो ही जाना है।


आरव की बात सुनकर दृश्य हंसते हुए कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और सभी लोगों को यहां अपस्यु और ऐमी कैसे पहुंचे उसका पुरा विवरण बता दिया। दोनो के यहां पहुंचने की कहानी जानकर सबकी हंसी निकल गई। कुछ साल पहले की वो हसीन कहानी ताज़ा हो गई, जब दृश्य और अश्क के ऊपर भी पहरा लगा होता था और दोनो ऐसा ही कुछ हरकत कर बैठते थे।


अपस्यु और ऐमी के बहाने ही सही, लेकिन हर कोई दृश्य और अश्क की एक बार फिर खिंचाई करने बैठ गया। प्रताप महल में पहले से बहुत से लोग पहुंचे थे। बीती बातों का दौड़ ऐसा चला की एक-एक करके सभी लोग आते चले गए और महफिल को ज्वाइन करते चले गए।


एक बड़ी सी महफिल, जहां 4 कपल बैठे थे जो दृश्य के लंबे सफर के शुरू के साथी रहे थे। 6 बच्चे जिनकी गैंग लीडर जूनियर ऐमी थी, वो भी वहां खेल रहे थे। कुछ अभिभावक भी उस महफिल में मौजूद थे, जिसमें एक तो कंचन और वीर प्रताप थे जो स्थाई रूप से प्रताप महल में रहा करते थे और साथ में आयी थी कंचन कि जिगरी सहेली चंद्रिका देवी और अश्क की मां। कुल मिलाकर पूरी पंचायत सुबह-सुबह लग चुकी थी और जब बीते दोनो की बात शुरू हुई, समय का पता ही नहीं चला।


सुबह के 10 बज चुके थे। ऐमी मीठी अंगड़ाई लेकर जागी और अपस्यु के बदन को अपने हाथों में समेटकर, उसके गाल पर अपनी जीभ चलाने लगी। अपस्यु भी अपने आंख मूंदे ऐमी के ओर मुर गया और उसे अपनी बाहों में समेटकर अपनी आखें खोलते हुए… "हर सुबह ऐसे ही जागता रहूं।"..


ऐमी प्यार से अपस्यु के होंठ पर अपने होंठ फिराति…. "बस कुछ दिन और बेबी, फिर हमारी शादी होगी और हमारी रोज ऐसी ही सुबह होगी।"..


अपस्यु अपना हाथ ऐमी के पीठ पर धीरे-धीरे चलाते हुए उसके ब्रा के स्ट्रिप को खोल दिया। "हिहिहिहिहिही, बेबी प्लीज अभी उक्साओ नहीं, वरना मै भी मूड में आ जाऊंगी।"..


अपस्यु, ऐमी को खुद में भींचते… "ऐसा क्यों लगता है कि आज कल तुम बहुत शरारती होती जा रही जो स्वीटी।"..


ऐमी:- मेरी सारी शरारतें तो तुम से ही है, और मुझे पुरा हक है कि मैं तुम्हे तंग करूं।


अपस्यु:- ओह हो इरादे तो बहुत खतरनाक हैं। अच्छा जाओ तैयार हो जाओ, मासी से मिलकर निकलते है।


ऐमी:- नाह, ऐसे ही कुछ देर मुझे समेटे रहो ना।


अपस्यु:- ऐमी, उठो भी, अब जाओ भी।


ऐमी:- प्लीज कुछ देर आराम करने दो ना..


अपस्यु ऐमी को छोड़कर खड़ा हो गया और अपनी आखें दिखाते… "अब तुम उठ रही हो या नहीं स्वीटी।"..


ऐमी:- नहीं उठती मै… जाओ तुम्हे जो करना है कर लो।


अपस्यु तेजी के साथ बिस्तर पर लपका और ऐमी को उल्टा घूमकर उसके कमर पर बैठ गया। अपने दोनो हाथ से ऐमी के पीठ पर मजबूत हाथ का दवाब डालते उसके पीठ दबाते हुए… "खुमारी मिटी या और बदन दबाऊं।"..


ऐमी:- आह ! बेबी मज़ा आ रहा है, ऐसे ही दबाते रहो ना। और हां थोड़े पाऊं भी दबा देना ना।


अपस्यु उसकी बात सुनकर हसने लगा। पहले ऊपर फिर नीचे। जैसे ही हाथ ऐमी के घुटनों के ओर बढ़ने लगे.. "बेबी एक मिनट उठोगे।"..


अपस्यु, ऐमी के ऊपर से हटा, ऐमी अपनी ब्रा पहनकर खड़ी हुई और अपस्यु के बाल बिखेरती हुई….. "तुम्हारा साथ होना ही जिंदगी है, लव"… कहती हुई ऐमी अपने होंठ से अपस्यु के होंठ को प्यार से स्पर्श करती… "तुम मेरी हंसी हो, तुम मेरी खुशी हो। आती हूं फ्रेश होकर।"…


ऐमी की बातों पर हंसते हुए अपस्यु लेट गया। ख्यालों में वो ऐसे डूबा कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी आंख लग गई। पानी की छींटें चेहरे पर पड़ने से अपस्यु की आंख खुली। ऐमी सूखे तौलिए से अपनी बाल झटक रही थी और अपस्यु को देखकर मुस्कुरा रही थी।…. "अब उठो भी, साढ़े 10 बज गए हैं और मुझे भूख सी लगने लगी है।"..


दोनो लगभग 11 बजे तक तैयार होकर, मासी से मिलने के लिए कमरे के बाहर आए। जैसे ही कमरे के बाहर निकले, बच्चे उन्हें देखकर डर से सब अपने माता पिता के पास आ गए, सिवाय जूनियर ऐमी के। वो अपस्यु और ऐमी को गौर से देख ही रही थी, तभी पूरी सभा कि नजर भी इन दोनों पर चली गई।
:reading1:
 

rgcrazyboy

:dazed:
Prime
1,962
3,395
159
junior amy vala seen gol kar gai ye :bat:
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
4,857
20,205
158
Update:-142





इधर लोगों की जब भगदड़ मची थी, तब सब सीढ़ियों कि ओर जा रहे थे और ऐमी मुस्कुराती हुई पानी टंकी के ओर। दोनो की नजर जब एक दूसरे से मिली, दोनो मुसकुराते हुए एक दूसरे को चूमने लगे और चोर की तरह नीचे उतर गए। गाड़ी तेज रफ्तार में चल रही थी और दोनो एक दूसरे को देखकर हंसते हुए घरवालों के रिएक्शन के बारे में सोच रहे थे।


ऐमी:- अपस्यु बहुत गलत किये, तुम्हारी मां हम दोनों को उल्टा टांग देगी।


अपस्यु:- वापस मोड़ लू कार..


ऐमी:- अब जब आ ही गए है तो वापस क्या जाना, चलो मासी को परेशान करते हैं।


अपस्यु:- ऐसा क्या, चलो फिर चला जाए।


दोनो रात को 2.30 बजे चले थे और 430 किलोमीटर की दूरी लगभग 2 घंटे में तय करके, प्रताप महल के पास पहुंच गए थे… "बेबी अगली तैयारी क्या फार्मूला वन की है।"..


"ऐसे इंजन के और नट्रॉक्स सस्पेंशन के साथ तो, मुझ जैसे कई फार्मूला इन रेसर मिल जाएंगे, जिसे थोक के भाव से वो लोग डिसक्वालिफाई कर देते है।'… अपस्यु कार को प्रताप महल के ठीक सामने लगाते हुए कहने लगा।


"साइड से रास्ता है, वहां से चोरों कि तरह जाया जा सकता है।" ऐमी अपने लैपटॉप निकलकर प्रताप महल के सिक्योरिटी सिस्टम को हैक करके बोलने लगी।


दोनो फिर उसी रास्ते से, बड़े सफाई के साथ प्रताप महल में दाखिल हो गए। दोनो की खुसुर-फुसुर भी महल में पहुंचने के साथ ही शुरू हो गई।… "मै रूम में नहीं जाऊंगी, तुम सैतनी करोगे, यहीं हॉल में लेटते है।"…. "पागल हो कैसा अजीब लगेगा हॉल में लेटना, कुछ देर बाद सब जाग जाएंगे और हमे फिर सोने नहीं देंगे, पंचायत होगी सो अलग। रूम में ही चलते है।"..


काफी देर समझाने के बाद भी जब ऐमी नहीं मानी तो अपस्यु ने उसका हाथ पकड़ कर खींच लिया और अपने गोद में उठाकर कमरे में ले गया। कमरे में जाते के साथ ही अपस्यु ने ऐमी को बेड पर पटक दिया और जाकर दरवाजे की कुण्डी बंद कर आया।


जबतक वो दरवाजा लगाकर वापस लौटा ऐमी अपने ऊपर के कपड़े उतारकर, केवल ब्रा और पैंटी में बैठ गई। उसे देखते ही… "काफी हॉट लग रही हो।"..


ऐमी:- मेरी जारा भी इकछा नहीं है अपस्यु, लेकिन तुम मानने तो वाले हो नहीं, इसलिए जल्दी करो, मुझे सोना भी है।


"वाह! चढ़ गया भूत तुम्हे। शुभ रात्रि, मैं चला सोने।"… अपस्यु बिस्तर पर जाकर करवट लेकर सो गया। ऐमी पीछे से उसके पीठ से चिपककर, अपना हाथ आगे करके उसके सीने पर चलाती हुई, उसके गर्दन पर किस्स करती हुई… "बेबी थक गए क्या?"


अपस्यु:- हां थका हूं, और सोने दो प्लीज..


ऐमी:- अब जब मैंने कपड़े निकाल ही लिए है तो चलो ना करते हैं।


अपस्यु, ऐमी के ओर मुड़ते हुए…. "कान पकड़ कर माफी मांगता हूं, मुझसे गलती हुई जो तुम्हे कमरे में लेकर आया। मै तो रेपिस्ट हूं ना, जो तुम्हारे साथ जबरदस्ती करता हूं।"


ऐमी, अपस्यु के आखों में झांकती हुई, होंठ हिलाकर सॉरी कहती हुई मुस्कुराने लगी और अपस्यु को बाहों में भींचकर, उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमती हुई सो गई।


सुबह के 7 बज रहे होंगे… दृश्य के माता पिता, वीर प्रताप और कंचन दोनो टहलने के लिए निकले। अपने महल के बाहर कार पार्क देखकर… "ये दृश्य सुबह-सुबह कहां गया था।"… दोनो बाहर लगी कार को देखकर यह समझ बैठे की अपस्यु ने कुछ मॉडिफाइड कार जो दृश्य को दी थी, उन्हीं में से एक कार में दृश्य कहीं बाहर गया हुआ था।


उन्हीं के पीछे दृश्य और अश्क भी निकली। दोनो हाथों में हाथ डाले आगे बढ़ ही रहे थे कि दृश्य, अश्क के कमर में हाथ डालकर खुद से चिपका लिया और उसके गले पर किस्स करने लगा….. "अति बेशर्मी कहते हैं इसे।" .. अश्क खुष्फुसती हुई अपनी प्रतिक्रिया दी और दृश्य को आखें दिखाने लगी।


अश्क अभी दृश्य का हाथ छुड़ाकर अलग ही हुई थी कि पीछे से दृश्य की दीदी पायल और उसके जीजू आकाश, दोनो को "गुड मॉर्निंग" विश किया और दोनो को देखकर हंसते हुए आगे बढ़ गए।


अश्क:- लव आप भी ना हुंह। ना वक़्त देखते हो ना जगह, बस शुरू हो जाते है। भईया और भाभी ने लगता है देख लिया।


दृश्य:- अच्छा सॉरी बाबा, प्लीज अब सुबह-सुबह अपना मूड ऑफ ना करो।


दृश्य और अश्क फुसफुसाई सी आवाज़ में निकझोंक करते हुए जैसे ही बाहर निकले…. "दोनो रात को कहां बाहर गए थे।"… पायल, दृश्य घूरती हुई पूछने लगी।


दृश्य:- हम कहीं नहीं गए थे दीदी सच कह रहे है।


पायल:- दृश्य मै क्या करूं तुम्हारा। आंटी मुझे ताने दे रही है कि "देखा तेरा भाई 24 घंटे घर पर रहने की बात नहीं मान सका।"


अश्क, दृश्य को घूरती…. "सच सच बताओ लव कहां गए थे। कम से कम मुझे तो साथ ले चलते।"..


पायल, अश्क का कान पकड़ती…. "मुझे पता है इस पूरी कांड की रचायता तुम ही हो।"..


"ऑफ ओ, पता नहीं कब ये बड़े लोग सुधरेंगे। जूनियर तुम मेरे साथ ही रहना हमेशा, इन लोगों के साथ नहीं रहना।"… जूनियर ऐमी, यानी कि पायल की बेटी उन सबको एक जगह खड़े होकर बातें करते देख, अपनी प्रतिक्रिया देती हुई, अपने साथ जूनियर दृश्य को लेकर बाहर निकल गई।


अश्क:- छोटी है पर प्वाइंट की बात कह गई। कुछ सीखो इन जूनियर्स से। चलो लव मॉर्निंग वॉक करके आते हैं, इन्हे तो हर वक़्त यही लगता है कि हम इनकी सुनते ही नहीं है।


दृश्य की मां कंचन…. क्या बात है अश्क, बहुत खूब। लगता है कुछ क्लासिकल हिंदी मूवी देखकर मुझे 60 के दशक की सास का रोल निभाना ही पड़ेगा। अब तुम दोनों जारा बताओगे की कहीं घूमने नहीं गए तो ये कार कैसे बाहर आयी। वो भी स्पेशल कार। पायल जरा इनका वो डायलॉग दोहराना तो..


पायल:- ये कोई आम कार नहीं है, मेरे भाई ने जेम्स बॉन्ड वाली कार मुझे गिफ्ट की है।


दृश्य और अश्क की नजर भी कार पर गई, दोनो एक दूसरे का चेहरा देखकर मानो इशारे में पूछ रही हो… "ये कार बाहर कैसे आयी।"


दृश्य और अश्क दोनो ने अपना हथेली चिपकाकर कार को खोलने की कोशिश करी, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। 1,2 कोशिश के बाद दृश्य और अश्क दोनो एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे और उन्हें हैरान देखकर आकाश पूछने लगा…. "क्या हुआ दोनो हैरान क्यों हो।"..


अश्क:- आकाश भईया ये हमारी कार नहीं है।


कंचन, उत्सुकता से…. "क्या ये अपस्यु और ऐमी की कार है। या आरव की।"..


दृश्य:- एक बार ही तो दोनो से मिली हो, कभी मेरे लिए तो इतनी खुश नहीं हुई मां।


वीर प्रताप:- मुझे तो आजकल देखती भी नहीं, खुश होना तो दूर की बात है।


कंचन:- ख़ामोश हो जाओ सब, वो लोग यहां आए है तो गए कहां। कब आए?


कंचन की बात सुनकर हर किसी ने ढूंढ़ना शुरू किया। वहीं गांव के कुछ लोगों का कहना था कि सुबह 4 बजे के आस पास उनके यहां कार खड़ी हुई, उन्हें लगा दृश्य आया होगा।


1 घंटे तक गांव में ढूंढ लिया हर किसी ने, लेकिन यह तक पता नहीं चल पाया कि अपस्यु आया था या आरव। अंत में दृश्य ने पहले अपस्यु को कॉल लगाया, फिर ऐमी को और अंत में आरव को।


आरव कॉल उठाते हुए…. "थैंक्स भईया आपने कॉल कर दिया।"..


दृश्य:- क्या हुआ आरव..


आरव:- भईया ऐसे अनजान बनकर मत पूछो। अपस्यु ने ही कॉल लगवाया है ना यहां का हाल जानने। उससे कह देना दोनो जब दिल्ली पहुंचेंगे तो उनका जबरदस्त स्वागत होगा।


दृश्य, हंसते हुए…. "हुआ क्या वो तो बताओ।"


आरव:- कमिने ने कल रात हमारी नींद खराब करके, सबके बीच से ऐमी को लेकर भाग गया। सब बहुत गुस्सा है।


दृश्य:- अब सबके बीच में ऐमी को फसाकर रखोगे उसे परेशान करने के लिए, तो यही सब दिन देखने होंगे ना।


आरव:- हां उसने अपना काम कर दिया अब हमारी बारी है। उससे कहना हम दिल्ली के लिए अभी निकल रहे है, और अपना ख्याल रखे। जब भगोड़े हो ही गए हैं तो कहना आराम से घूमकर आ जाए। उसका स्वागत के लिए हम इंतजार कर लेंगे।


दृश्य:- हां ठीक है आरव सर, और कुछ संदेश देना है दोनो को…


आरव:- नहीं आप को संदेश देना है। दोनो से बचकर रहना, नहीं तो अपने रोमांस के चक्कर में, आपके सुखी जीवन में कब आग लगा दे आपको पता भी नहीं चलेगा। वैधानिक सूचना थी मैंने दे दिया, अब आपको मानना है तो मानो वरना आज दिन भर में तो आपके बुद्धि का विकास हो ही जाना है।


आरव की बात सुनकर दृश्य हंसते हुए कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और सभी लोगों को यहां अपस्यु और ऐमी कैसे पहुंचे उसका पुरा विवरण बता दिया। दोनो के यहां पहुंचने की कहानी जानकर सबकी हंसी निकल गई। कुछ साल पहले की वो हसीन कहानी ताज़ा हो गई, जब दृश्य और अश्क के ऊपर भी पहरा लगा होता था और दोनो ऐसा ही कुछ हरकत कर बैठते थे।


अपस्यु और ऐमी के बहाने ही सही, लेकिन हर कोई दृश्य और अश्क की एक बार फिर खिंचाई करने बैठ गया। प्रताप महल में पहले से बहुत से लोग पहुंचे थे। बीती बातों का दौड़ ऐसा चला की एक-एक करके सभी लोग आते चले गए और महफिल को ज्वाइन करते चले गए।


एक बड़ी सी महफिल, जहां 4 कपल बैठे थे जो दृश्य के लंबे सफर के शुरू के साथी रहे थे। 6 बच्चे जिनकी गैंग लीडर जूनियर ऐमी थी, वो भी वहां खेल रहे थे। कुछ अभिभावक भी उस महफिल में मौजूद थे, जिसमें एक तो कंचन और वीर प्रताप थे जो स्थाई रूप से प्रताप महल में रहा करते थे और साथ में आयी थी कंचन कि जिगरी सहेली चंद्रिका देवी और अश्क की मां। कुल मिलाकर पूरी पंचायत सुबह-सुबह लग चुकी थी और जब बीते दोनो की बात शुरू हुई, समय का पता ही नहीं चला।


सुबह के 10 बज चुके थे। ऐमी मीठी अंगड़ाई लेकर जागी और अपस्यु के बदन को अपने हाथों में समेटकर, उसके गाल पर अपनी जीभ चलाने लगी। अपस्यु भी अपने आंख मूंदे ऐमी के ओर मुर गया और उसे अपनी बाहों में समेटकर अपनी आखें खोलते हुए… "हर सुबह ऐसे ही जागता रहूं।"..


ऐमी प्यार से अपस्यु के होंठ पर अपने होंठ फिराति…. "बस कुछ दिन और बेबी, फिर हमारी शादी होगी और हमारी रोज ऐसी ही सुबह होगी।"..


अपस्यु अपना हाथ ऐमी के पीठ पर धीरे-धीरे चलाते हुए उसके ब्रा के स्ट्रिप को खोल दिया। "हिहिहिहिहिही, बेबी प्लीज अभी उक्साओ नहीं, वरना मै भी मूड में आ जाऊंगी।"..


अपस्यु, ऐमी को खुद में भींचते… "ऐसा क्यों लगता है कि आज कल तुम बहुत शरारती होती जा रही जो स्वीटी।"..


ऐमी:- मेरी सारी शरारतें तो तुम से ही है, और मुझे पुरा हक है कि मैं तुम्हे तंग करूं।


अपस्यु:- ओह हो इरादे तो बहुत खतरनाक हैं। अच्छा जाओ तैयार हो जाओ, मासी से मिलकर निकलते है।


ऐमी:- नाह, ऐसे ही कुछ देर मुझे समेटे रहो ना।


अपस्यु:- ऐमी, उठो भी, अब जाओ भी।


ऐमी:- प्लीज कुछ देर आराम करने दो ना..


अपस्यु ऐमी को छोड़कर खड़ा हो गया और अपनी आखें दिखाते… "अब तुम उठ रही हो या नहीं स्वीटी।"..


ऐमी:- नहीं उठती मै… जाओ तुम्हे जो करना है कर लो।


अपस्यु तेजी के साथ बिस्तर पर लपका और ऐमी को उल्टा घूमकर उसके कमर पर बैठ गया। अपने दोनो हाथ से ऐमी के पीठ पर मजबूत हाथ का दवाब डालते उसके पीठ दबाते हुए… "खुमारी मिटी या और बदन दबाऊं।"..


ऐमी:- आह ! बेबी मज़ा आ रहा है, ऐसे ही दबाते रहो ना। और हां थोड़े पाऊं भी दबा देना ना।


अपस्यु उसकी बात सुनकर हसने लगा। पहले ऊपर फिर नीचे। जैसे ही हाथ ऐमी के घुटनों के ओर बढ़ने लगे.. "बेबी एक मिनट उठोगे।"..


अपस्यु, ऐमी के ऊपर से हटा, ऐमी अपनी ब्रा पहनकर खड़ी हुई और अपस्यु के बाल बिखेरती हुई….. "तुम्हारा साथ होना ही जिंदगी है, लव"… कहती हुई ऐमी अपने होंठ से अपस्यु के होंठ को प्यार से स्पर्श करती… "तुम मेरी हंसी हो, तुम मेरी खुशी हो। आती हूं फ्रेश होकर।"…


ऐमी की बातों पर हंसते हुए अपस्यु लेट गया। ख्यालों में वो ऐसे डूबा कि उसे पता ही नहीं चला कि कब उसकी आंख लग गई। पानी की छींटें चेहरे पर पड़ने से अपस्यु की आंख खुली। ऐमी सूखे तौलिए से अपनी बाल झटक रही थी और अपस्यु को देखकर मुस्कुरा रही थी।…. "अब उठो भी, साढ़े 10 बज गए हैं और मुझे भूख सी लगने लगी है।"..


दोनो लगभग 11 बजे तक तैयार होकर, मासी से मिलने के लिए कमरे के बाहर आए। जैसे ही कमरे के बाहर निकले, बच्चे उन्हें देखकर डर से सब अपने माता पिता के पास आ गए, सिवाय जूनियर ऐमी के। वो अपस्यु और ऐमी को गौर से देख ही रही थी, तभी पूरी सभा कि नजर भी इन दोनों पर चली गई।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
apashyu aur amy to direct mausi ke ghar pahunch kar so hi gaye hain :lol1: ,
aur idhar arav ne drishya ko ek free ki salah de di hai :D,
ab dekhte hain ki amy aur apasyu ka swagat kaise hota hai,
Waiting for next update
 
Top