Update:-6
जब दोनों बहने थोड़ी और आगे बढ़ी सामने से उन्हें अपस्यु आता हुआ नजर आया। वो दोनो अपनी ही लय में चलती रही लेकिन अपस्यु के टेढ़े-मेढे लड़खड़ाते कदम धीरे-धीरे स्थिर मुद्रा में अा गए। दोनों बहने बिना कोई ध्यान भटकाए उसके पास से निकल गई और अपस्यु वहीं खड़ा रह गया….
आरव कुछ देर तक वहीं अपार्टमेंट के गेट पर अपस्यु का इंतजार करता रहा, लेकिन जब वो वापस नहीं लौटा तो आरव खुद आगे बढ़ कर देखने चला गया। आरव ने जब अपस्यु को देखा तो ऐसा लगा रहा था मानो कोई जोगी अपने ध्यान में लीन है। बिल्कुल स्थिर मुद्रा, चेहरे पर मुस्कान और नजरें ना जाने कहां पर टिकी थी, ना तो वो आसमान देख रहा था और ना ही धरती।
आरव उसे हिलाते हुए कहता है… "उठो रेे, कहां खोया है"…
अपस्यु अपने यथावत स्थिति में बिना किसी बदलाव के अपने मुख से साची स्तुति पढ़ने लगता है…. "नीले समंदर से भी गहरी उसके कटिले नैन, जैसे मृगनैनी हो कोई… वो उसका चहकता खिला सा चेहरा, देख कर दिल खिल जाए… तराशा हुआ बदन बिल्कुल हीरे जैसा.. जिसकी चमक आखों में बस जाए"
तभी आरव उसे ठीक पीछे घुमा देता है…. "इतना खो कर काहे इमैजिनेशन कर रहा है, लेे वो सामने से अा रही है उसे देख कर बोल"
अपस्यु की नजर फिर से वही नजारा लेे रही थी जो अब से थोड़ी देर पहले लिया था। उसके मुख से निकल रहे साची पुराण अनायास ही गायब हो गए और वो फिर से उसे देखने में लीन हो गया।
इस बार भी साची बिना कोई प्रतिक्रिया दिए चुपचाप अपने लय में चलती जा रही थी। जब वो दोनो बहने उन दोनों भाइयों से थोड़े दूरी पर थी, तभी आरव साची को सुनाते हुए कहने लगा… "ओ मैडम.. मेरा भाई पागलों कि तरह तुम्हारे लिए नजरें बिछाए है, कुछ नहीं तो कम से कम एक मुस्कान ही देती चली जाओ"…
अब स्तिथि ये थी कि साची और लावणी लगभग 4 कदम की दूरी पर… अपस्यु वहीं सुकून भरी मुस्कान अपने चेहरे पर लिए साची को देख रहा था और तभी आरव ने ये कमेंट पास कर दिया। अपस्यु बिना अपना नजर साची पर से हटाए, और अपने भावों में बिना किसी बदलाव के, अपना हाथ उठाया और एक तमाचा खींच कर जड़ दिया।
वो तमाचा इतना जोरदार था कि उसकी आवाज़ दोनों बहनों के कानों तक भी पहुंची। अब चूंकि लावणी भी वहां पर थी इसलिए आरव को ये अच्छा नहीं लगा। और इस पर वो अपनी प्रतिक्रिया देते हुए झुंझलाकर कुछ कहा…
अपस्यु बस चंद सेकेंड के लिए अपनी नजर साची से हटा कर आरव पर डाला। इस वक़्त के जो भाव थे वो बिल्कुल ही उलट थे.. आंखें इतनी बड़ी कि देख कर है लगे की इसमें हैवान बस्ता हो… जैसे किसी भूखे भेड़िए की आखें हो। उसने अपने होंठ पर उंगली लगा कर "सुसससससस" की आवाज़ निकाली और शांत रहने का इशारा किया। इसके तुरंत बाद वो पुनः अपने पिछले अवस्था में वापस लौटते हुए फिर से उसी संतोषजनक मुस्कान के साथ साची को देखने लगा…
आरव को थप्पड पड़ना और फिर उसे शांत करवाना, ये देख कर दोनों बहनों के मुख से अचानक ही हंसी फुट गई और दोनों हंसती हुई वहां से बड़ी तेजी में वापस अपने घर को चली गई… इधर एक बार फिर आरव ने झुंझलाते हुए कुछ कहा और इस बार भी उसी तेवर के साथ अपस्यु उसे शांत करते हुए अपने हाथ से घर के ओर जाने का इशारा किया।
इधर दोनों भाई घर पहुंच जाते हैं और उधर दोनों बहने… अपस्यु वापस लौट कर हॉल में बने एक केबिन में घुस जाता है और अपना कंप्यूटर स्टार्ट करने लगता है… इधर आरव अपना कपड़ा बदलते हुए अपस्यु से कहता है… "तू मुझे ऐसे मत मारा कर वरना अच्छा नहीं होगा"
अपस्यु, आरव की बातों को सुन भी रहा था और बड़ी तेजी के साथ कीबोर्ड पर खट्टर-पिट्टर भी कर रहा था…. "तू ये बता 15 दिनों से कहां गायब था"…
आरव चिल्लाते हुए… "मैंने क्या कहा वो तू सुन भी रहा है"
अपस्यु, खट्टर-पिट्टार करते हुए इंटर कि दबाता है और अपने रोलिंग चेयर को घुमा कर पीछे घूम जाता है…. "तुझ से कुछ पूछ रहा हूं, कहां था 15 दिन"
आरव:- कामिना सला, पूछ तो ऐसे रहा है जैसे तुझे कुछ पता ही ना हो। ये कंप्यूटर पर तू मेरे बारे में ही कुछ खिट्टिर-पिट्टीर कर रहा था ना…
अपस्यु:- मेरे साथ हो तो एक बात हमेशा याद रखना… अपना गटर जैसा मुंह बंद रखा कर और जो पूछा उसका सीधा सीधा जवाब दे…
अपस्यु के लगातार रूखेपन से आरव के दिल में टीस सी लगती है और ना चाहते हुए भी उसके आखों में आंशु अा जाते हैं। आरव को रोता देख अपस्यु उसके पास पहुंचकर उसके आशु पोछने लगता है। पहले तिरस्कार फिर प्यार, आरव को बहुत तेज गुस्सा अा गया और वो गुस्से में फुफकारते हुए अपस्यु को धक्का देता है और नजर इधर-उधर दौड़ा कर कुछ ढूंढ़ने लगता है…
पास में ही एक देशी डंडा पड़ा होता है, आरव उसे उठा कर अपस्यु की पिटाई करने लगता है। आरव रोते रहता है और पूरे दम से अपस्यु को पीटते रहता है। पीटते-पीटते उसका गुस्सा भी शांत हो जाता है और इधर अपस्यु बस उसके गुस्से को देख मुस्कुराता रहता है और मार खाता रहता है। "हो गया तेरा" इतना कहते हुए वो उठा और अपने फोरआर्म को देखने लगा। फोरआर्म बहुत ही मजबूत जगह होती है लेकिन आरव डंडा इतना तेज चला रहा था कि हाथों पर उसके निशान साफ देखे जा सकते थे।
आरव जो पहले अपने भाई के बातों के कारण रो रहा था, अब वो अपने द्वारा कि गई हरकत और भाई के हाथ पर डंडे के लाल निशान देखकर व्याकुलता से रो रहा था। अपस्यु उसे शांत करते हुए कहने लगा…. "इसलिए मैं हमेशा कहता हूं गुस्से पर काबू रखा कर, क्योंकि ये गुस्सा अक्सर बाद में अफसोस के सिवा कुछ नहीं देता है"।
आरव "सॉरी-सॉरी" करता हुआ अपने भाई की मरहम पट्टी कर रहा था और साथ में सिकायते भी, की वो अक्सर उसके साथ बुरा व्यव्हार करता है जिसकी वजह से वो और भी ज्यादा चिड़चिड़ा होता जा रहा है।
इस पर अपस्यु उसे जवाब देते हुए कहता है… "मैं तेरे साथ ये सब करना उस दिन छोड़ दूंगा जिस दिन मुझे पता चल जाएगा कि तूने सीख लिया है कहां गुस्सा करना चाहिए और कहां अपनी भावनाओ को काबू में रखना चाहिए। साथ ही साथ कितना गुस्सा दिखना चाहिए और कितना गुस्सा अंदर छिपा रहना चाहिए"
आरव, अपस्यु की बात सुन कर नतमस्तक हो जाता है और कहता है… "ये तेरे 12 साल के उस गुरुकुल का नतीजा है जो तू इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है। वरना है तो तू मेरा भाई ही, तू भी बिल्कुल मेरे जैसा ही होता, यदि तू उस गुरुकुल में ना गया होता"
अपस्यु:- जी सत्य वचन, चल अब सच-सच बता 15 दिनों से कहां था?
आरव:- साला हैकर, रात दिन तो तू मुझ पर ही नजर रखे रहता है, तुझे नहीं पता कि मैं कहां था?
अपस्यु:- अब तू होम सेक्रेटरी के ऑफिस के एक आईएएस (IAS) से पंगे लेगा तो ऐसे ही ना छिपता फिरेगा। किसी ने तुझ पर हाथ तो नहीं उठाया।
आरव:- वो माचो के बच्चे रशियन मेड गन लिए घूम रहे थे और तुझे क्या लगता है वो मुझे हाथ और लात से मारेंगे… मै उसके हाथ लगता तो तू अब तक मुझ से बात भी ना कर रहा होता। वैसे एक बात बता तू तो अपनी आयटम को सरा दिन निहारता रहता था फिर तुझे इतनी बात कहां से पता चली।
अपस्यु:- ये सब बातें कल पूछना फिलहाल मुझे नींद लग रही है और मैं जा रहा हूं सोने।
आरव:- अपस्यु सुन तो, भाई दर्द भी हो रहा है क्या?
अपस्यु:- तेरी कसम कोई दर्द नहीं है मानसिक रूप से। हां बाकी जो इस हाथ कि क्षति हुई है उसे दवा ठीक कर देगी। चल अब मैं जा रहा हूं सोने तू भी सो जा।
आरव:- अच्छा सुन, कल कॉलेज चलेगा क्या?
अपस्यु:- कॉलेज जा कर क्या ही करूंगा मै? नह, कोई इकछा नहीं।
आरव:- नहीं बस सोचा की बता दू, तेरी और मेरी वाली दोनों दौलतराम में ही पढ़ती है।
अपस्यु जिसपर नींद सवार हो रहा था, उसकी भोहें चौड़ी हो गई…. "क्या बोल रहा है तू, तुझे कैसे पता वो दोनो उसी कॉलेज में है"।
आरव:- जिसकी तू अभी गुणगान कर रहा था ना होम सेक्रेटरी का आईएएस (IAS) उसने भी मेरे साथ ही फॉर्म जमा किया था। मै हम दोनों का और वो उन दोनों बहनों का फॉर्म भड़ा था।
अपस्यु:- क्या बात कर रहा है? लेकिन इन दोनों बहनों को देख कर लगता तो नहीं कि इनका एडमिशन स्पोर्ट्स कोटा में हुआ होगा।
आरव:- तू समझा या फिर समझाऊं कैसे हुआ दोनों बहनों का एडमिशन।
अपस्यु:- हां समझ गया। जिसके घर में मच्छर मारने के लिए भी नौकर हो और वो खुद जाए फॉर्म भरने मतलब तो साफ ही है… अपना स्पोर्ट्स कोटा और उनका पैरवी कोटा।
और फिर दोनों भाई ठहाके लगा कर हसने लगे। उसके बाद दोनों चले गए सोने। इधर साची और लावणी चोरी से घर के अंदर घुसे और सीधे लावणी के कमरे में पैक हो गए…
लावणी:- दीदी मुझे ये सब ठीक नहीं लगता।
साची:- बुरा तो मुझे भी लग रहा है लेकिन क्या कर सकते है। वो दोनो मंत्री के बेटे है और छोटे पापा तो उन्हीं के आफिस में काम भी करते है। जब वो कुछ नहीं कर सकते फिर हमें तो ये सब करना ही होगा।
लावणी:- दीदी कब तक ऐसे डर के जिएंगे… वो डर निकालने वाली कुत्ते कि थेओरी पर काम क्यों नहीं करती?
साची:- ठीक है कल से वो भी कर के देख लेंगे। वैसे आज ये दोनों भाई एकदम से अचानक बाहर कैसे घूम रहे थे।
लावणी:- मेरी हालत तो ऐसी है कि मुझे तो ये दोनों भाई याद भी नहीं रहे।
साची:- मुझे भी…
लावणी:- वैसे दी जैसे आप के साथ कुत्ते वाली घटना हुई थी ना वैसे ही डर भागने का मुझे भी एक उपाय मिला है…
साची:- क्या ?
लावणी:- यदि आप किसी चीज से डरती हैं और उस से भी ज्यादा डरावना कुछ और मिल जाता है तो पहले जिस चीज से आप डरती थी उसका डर अपने आप ही खत्म हो जाता है। जैसे कि आज हुआ.. आरव को देख कर डर नाम की कोई चीज ही नहीं रही।
साची:- तो तू क्या चाहती है अब हम इस से भी कुछ ज्यादा डराने वाला को ढूंढना चाहिए।
लावणी:- बिल्कुल नहीं, वो तो बस मेरे साथ बीती डर भागने कि विधि मुझे पता चली तो आप के साथ साझा कर दी। वैसे दीदी एक बात बोलूं आप मुझे डांटेंगी तो नहीं?
साची:- अब बता ना, इतना बाउंड्री क्यों बना रही है?
लावणी:- पक्का ना, कसम खाओ मेरी…
साची:- अब तू बताएगी या मैं सोने जाऊं…
लावणी:- दीदी तुम उस अपस्यु को वहां उन से क्यों नहीं भिड़ा देती… ये लोग आपस में उलझे रहेंगे… और हमसे पीछा छूट जाएगा…
साची, लावणी की बात सुन कर कुछ सोचती है और फिर उसे सोने के लिए कह कर वहां से चली जाती है।