Update:-175
22 जनवरी दोपहर के 2 बजे, धड़ाम से एक किराए के कमरे का दरवाजा खुलता है और काया सबसे पहले अंदर। दरवाजा खुलने से उस छोटे से कमरे में लेटी हुई लिसा उठकर खड़ी हो जाती है। पल जैसे थाम गया हो लिसा और काया के बीच। दोनो की नजरे एक दूसरे से मिलने लगी और दोनो अपने एक कदम बढ़ाकर होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगे। काया, लिसा के दोनो गाल को पकड़े, किसी मासूक की तरह उसे चूम रही थी।
तभी ऐमी वैभव के आंख को अपने हाथ से ढकती… "शर्म करो पीछे 3 लोग खड़े है।"
काया अपने हाथ के इशारे से उन्हें बाहर जाने बोली। दोनो हंसते हुए वैभव को लेकर बाहर आ गए और दरवाजा सटाकर वहीं सीढ़ियों पर बैठ गए, लगा थोड़ा प्यार जाता कर बाहर आ जाएंगे।
तभी बाहर टननननन .. टूननननननन.. छननननननन.. खटटटटटटट.. आव आराम से.. जैसी साफ और जोरदार आवाज बाहर आने लगी। ऐमी और अपस्यु वैभव को वहां से लेकर भागते हुए कहने लगे.. "हम घर फाइनल करके कॉल करते है।"…
4 फरबरी 2015.. काया के इक्छा अनुसार उसकी शादी में पुरा परिवार शरीक होने आया था। कैथोलिक रीति रिवाज से शादी थी, इसलिए चर्च को पूरा सजा दिया गया था और गेस्ट पुरा भरे पड़े थे। लिसा के पिता सोमेश दत्त अपने पत्नी और बेटे के साथ शादी में शरीक हुआ था। अपस्यु और ऐमी बेस्ट फ्रेंड के किरदार में थे, जहां ऐमी लिसा के साथ आती वहीं वैभव सबसे आगे सूट-बुट पहने और पीछे से काया अपस्यु के बाजू में हाथ देकर चली आ रही थी।
नंदनी और सोमेश दत्त दोनो आस पास बैठे थे और दोनो ही परिवार को दूल्हे के बारे में नहीं पता था। नंदनी को बस इतना पता था कि काया की शादी में उसका भी एक परिवार हो और लिसा की भी यही ख्वाहिश थी कि उसकी शादी में कोई आए की नहीं आए उसके पापा जरूर आने चाहिए। अपने पिता के बहुत करीब थी वो।
नंदनी, सोमेश से कहती… "इनकी शादी जल्दी हो जाती है। लगता है कि पहले काया की शादी होगी फिर लसीता की।
सोमेश, लिसा को आते देखा, जो जाकर काया के सामने खड़ी हो गई।… "नहीं बहनजी लगता है दोनो की शादी साथ में होगी, लेकिन दूल्हा कहीं नजर नहीं आ रहा।"
तभी पादरी अपना कार्यक्रम शुरू कर देता है। सोमेश खुश होते .. "लगता है शादी की रस्म शुरू हो गई है, कुछ देर में दूल्हे को बुलाएंगे।"..
इतने में ही दोनो एक दूसरे को अंगूठी पहनते है और होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगते है। सोमेश दत्त बेहोश। घर पर बड़ा ही आक्रोशित माहौल। बस कोई खुलकर कह नहीं पा रहा था कि शादी मतलब छोड़ा छोड़ी का इंटरकोर्स, ना की छोड़ी छोड़ी का कुछ भी। बस सब ये शादी को गलत गलत बोले जा रहे थे और लिसा मज़े लेती पूछ रही थी कि क्या गलत है।
अंत में उसकी मां ने कह ही दिया, शादी मतलब वंश बढ़ना। बच्चा कहां से लाएगी। इसपर पहले से पका हुए जवाब था वैभव। फिर एक बार सब चुप। अब आगे क्या कहे। तभी काया हर किसी हाथ जोड़कर, सबसे विनती करती हुई कहने लगी… "इतना मत सोचिए कि ये गलत है वो गलत है। हमारी भावनाएं जुड़ी है और हम अलग नहीं रह सकते।"..
ना पचने वाला रिश्ता मंजूर करके सब वहां से वापस चले गए और अपस्यु ने दोनो का 1 वीक का हनीमून पेरिस में रखवा दिया। सब तो चले गए बस सौरव रह गया, जो बेचारा अपनी कलिका को ढूंढ़ते हुए आया था।
उसकी बेबसी पर तरस खाते हुए अपस्यु उसे लेकर सबसे पहले युक्रेन पहुंचा, जहां श्रेया अपनी टीम के साथ फसी थी। कंगाल और बदहाल सी हालत में, लेकिन उन चारो ने अपनी मेहनत से मक्का को वहां लहरा दिया था। हाथ से खेत कोरकर खेती करना मुश्किल होता है, लेकिन फिर भी 500 स्क्वेयर मीटर में लंबा चौड़ा फसल उगा रखा था।
उन चारो को दूर से ही एक कार आती हुई दिखाई दी, जो बड़ी तेजी के साथ उनके पास से गुजरी और एक किनारे के फसल को रौंदकर चली गई। चारो के सीने में ऐसा दर्द उठा मानो किसी ने उनके बच्चे को घायल करके भाग गया हो।
वो कार वापस आयी और इस बार फसल के बीचों बीच रौंदने आ रही थी। जैसे ही उन चारो ने ये नजारा देखा, चारो हाथ पकड़ कर अपनी फसल के आगे खड़े हो गए। कार तेजी में बिल्कुल उनके करीब आयी। चारो ने टक्कर की सोच कर अपनी आखें मूंद ली। अचानक ही हैंड फुट ब्रेक सब एक ही बार में लगे और व्हील क्राउच करती हुई बिल्कुल उनके इंच भर के फासले से दाएं मुड़ गई।
उनकी बेकाबू धड़कने जब सामान्य हुई तब सामने से उसे अपस्यु खड़ा नजर आया। श्रेया, जेन, प्रदीप, और गुफरान चारो अपने कमर में खोसी छोटी सी चाकू लेकर उनके पीछे दौरे… "ओ पगलाए लोग मुझे मार दोगे तो यहां से निकलोगे भी नहीं। रुक जाओ यार।"
लेकिन चारो गालियां देते हुए उनके ओर भागने लगे। बहुत दौड़ने के बाद चारो थककर एक जगह बैठ गए… "मूर्खो बस इतना ही स्टम्ना रहा। खेती कर रहे हो यार, कुछ तो स्टमना दिखाओ।"..
चारो एक साथ हाथ जोड़ते… "नीचे कंटेनर ने 4 आदमी के लिए उतना खाना नहीं था कि रोज 2 वक़्त का खाकर गुजर कर सके, इसलिए 1 वक़्त के खाने पर जिंदा है। हां कभी कोई जानवर हाथ लग गया फिर पार्टी होती है।"
अपस्यु:- इस से अच्छा 200 किलोमीटर पैदल ही चल देते, 4-5 दिन में पहुंच जाते।
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प्रदीप:- पहुंचकर क्या भीख मांगते। तुमने हमें यहां ज़ीरो करके छोड़ दिया जिसका कोई अस्तित्व नहीं। काम भी उन्हीं को मिलता है जिनकी पहचान हो।
श्रेया:- कुत्ते, यहां हमे नंगा करवाते शर्म नहीं आयी तुम्हे?
अपस्यु:- सबक था जो मुझे लगता है अब तक सीख चुकी होगी। चलो 2 महीने का करावश खत्म हुआ।
जेन:- सब कुछ तो खतम हो गया। तुम्हारा शो यहां चलाया तो गया था, अब जाकर क्या करेंगे..
अपस्यु:- यहां भी तो मैंने सब कुछ खत्म कर दिया, तो क्या जिंदगी रुक गई। चारो अपना घर बसाओ और मेहनत से आगे बढ़ो। अब चलो उठो। इतना प्यारा फसल लगाई हो मेहनत से, तो क्या अपनी मेहनत से मुकाम हासिल नहीं कर सकते। टैलेंट तो है तुम चारो में।
गुफरान:- सही कहा भाई। वैसे भी जैसे जैसे खुद के मेहनत का फसल बड़ा होते देखा ना तब समझ में आया कि किसी के मेहनत का पैसा छीनने का दर्द क्या होता होगा।
अपस्यु चारो को लेकर सौरव के साथ वहां से निकल गया। रास्ते में सौरव अपना गुस्सा दिखते… "कलिका के पास जाना था यहां क्यों ले आए।".
अपस्यु:- मेरी दोस्त लिसा को यहां किसी एक लड़की से अपने साथ हुए धोक का बदला लेना है। यहां तुम दोनों में से तो किसी एक ने उसके साथ सेक्स भी किया है।
जेन:- हीहीहीही… बहुत ऊंची चीज है लिसा, प्रदीप को ब्वॉयफ्रैंड तो बनाई लेकिन ओरल से ऊपर कभी आने नहीं थी। उसका सर हमेशा उसके कमर के नीचे ही रहा कभी उसने आगे बढ़ने ही नहीं दी इन्हे..
श्रेया प्रदीप को आखें दिखती… "जेन क्या कह रही है, तुम लिसा के साथ सेक्स करना चाहते थे।"..
प्रदीप:- सॉरी बेबी.. वो तो तब की बात थी ना, जब हम मिशन पर थे।
श्रेया:- मिशन माय फुट, मै भी तो थी, अपस्यु भी तो था। हमारे बीच में कहां कुछ हुए था। ठरकी..
गुफरान:- आज प्रदीप तो गया..
जेन:- तुम्हे बहुत मज़ा आ रहा है ना सुनने में।
सौरव:- बंद करो अपनी अपनी बकवास। यहां क्या बात किया था मैंने और कहानी को कहां से कहां पहुंचा दी। चुपचाप कलिका के पास चलो।
फ्रांस का सहर पेरिस.. अपस्यु सौरव को लेकर एक होटल की रिसेप्शन पर आया। वहां उसने अपना कार्ड दिखाया और रिसेप्शन से उसे एक चाभी दे दी गई। जैसे ही अपस्यु के आने की सूचना मिली, किसी कमरे के बाहर खड़े 2 गार्ड वहां से चले गए और अपस्यु, सौरव को लेकर उस कमरे में दाखिल हुआ।
सामने कलिका को देखकर वो रुक नहीं पाया और उसे गले से लगाते हुए उसके होंठ चूमने लगा। कलिका ख़ामोश, उसने कोई प्रतिक्रिया दिए बिना सौरव से अलग हो गई, और अपस्यु को देखती हुई पूछने लगी….
"जब सब को जेल में डलवा दिए फिर मुझे यहां क्यों लाकर रखा। दिल में दर्द उठा था क्या की जेल में जैसे मेरे भाइयों के साथ हो रहा होगा वैसे ही मेरे साथ दिन रात लोग लगे ना रहे और नोचते ना रहे।"..
अपस्यु:- हां कह सकती हो, सौतेली ही सही, बहन तो हो। मेरे लिए ये शब्द ही काफी है। वो भी भाई ही है। दर्द कहीं ना कहीं थोड़ा सा है उनके लिए भी। लेकिन उसकी सजा काया ने तय की थी, जिसके लिए मेरे दि क में कुछ ज्यादा ही दर्द है। तुम्हे मैंने नहीं बाहर रखा है, तुम्हारी किस्मत ने बाहर रखा है। सौरव को तुममें अच्छाई दिखी, और तुम उसकी किस्मत से बाहर हो। मै अब चलता हूं। कम से कम इसे धोका मत देना।
कलिका:- रुको..
अपस्यु:- हां कहो क्या है?
कलिका अपस्यु से लिपटकर रोती हुई… "तुम्हे पता था ना हमे मौका मिलेगा तो हम तुम्हे मार देंगे। मेरे भाई जिस दिन जेल से बाहर आएंगे वो तुमसे बदला लेंगे, इसके बावजूद तुमने हमें जिंदा क्यों छोड़ दिया।"
अपस्यु:- पता नहीं बस कभी ख्याल नहीं आया कि किसी को मारना भी है।
कलिका:- तुम 7 साल से हमारे पीछे थे और हमे भनक तक नहीं। कुछ बातें है जो मुझे समझ में नहीं आ रही। क्या तुम मुझे उसका जवाब दे सकते हो।
अपस्यु:- शायद हां, शायद ना.. वो तो सवाल पर डिपेंड करता है।
कलिका:- हम्मम ! ठीक है तुम्हारी मर्जी.. मुझे ये बताओ की कैसे आखिर जगह बदले जाने पर भी तुम जीत गए और हम हार गए। मिश्रा बंधु का पीछा करके भी तुम हम तक नहीं पहुंच सकते थे, क्योंकि बहुत ही सिक्रेट कॉन्टैक्ट था और यदि जान भी जाते तो भी हमारे प्लान का कैसे पता चला।
अपस्यु:- "श्रेया के कारण। मै दिल्ली ऐसे ही नहीं आया हूं। होम मिनिस्टर हमारे हुक्म का इक्का था। हम शुरू से कॉन्टैक्ट में थे, बस दिखाने के लिए हमे अपने रिश्ते को नया अंगेल देना परा। उन्होंने है बताया था कि सात्त्विक आश्रम और लोकेश के बीच जंग शुरू हो चुकी है। सही समय है अपने काम को अंजाम देने का।"
"मै लोकेश पर फोकस किए था और मिश्रा परिवार से नजदीकियां बाना रहा था। उन्हें झांसे में लेने और खुद को काम का आदमी साबित करने के लिए मैंने होम मिनिस्टर का सहारा लिया और उसे मेरा फैन बनने के लिए कहा।"
"मै अपनी बजी चल चुका था, तुम्हीं लोग बीच में श्रेया को प्लॉट करके मुझसे लोकेश को खत्म करवाना चाहते थे। बस श्रेया के साथ मुझे एक ही परेशानी थी कि वो घर में घुस चुकी थी और मां कहीं भावना में आकर सब सच ना बता दे। इसलिए मां को उसकी सच्चाई बताकर उन्हे भी ड्रामा करने बोल दिया।"
"बस ऐसे ही एक रात वो दारू पिलाकर मुझसे मेरे राज उगलवाने आयी थी और मैंने उसे सुलाकर उसके अंदर मस्त एक नॉन ट्रेस वाला माईक, उसके जिस्म में फिट कर दिया। अब मेरी किस्मत या तुम्हारी बदकिस्मती, मेरा सर्विलेंस वहीं कर रही थी और कंप्यूटर रूम की सारी बातें मुझतक पहुंच रही थी।"
"वहीं से तो पता चला था कि तुम युक्रेन के ईस्ट बॉर्डर पर अपने 450 लोगों को रखी हो। मैंने भी उनके तम्बू वाले एरिया की खुदाई करवाई दी। कुल 1200 लोग काम कर रहे थे वहां नीचे, दिन रात। जबसे यहां तुम्हारे लोग पहुंचे थे।"
कलिका:- हम तो खुद से ही बेवकूफ बन गए। वैसे ये पैसे का क्या चक्कर था? बैंक वाले आए, पुलिस आयी लेकिन वहां सबने पैसों के कंटेनर को छोड़ दिया।"
अपस्यु:- 24 दिसंबर की रात को तुम लोगो को धुएं से बेहोश कर दिया था और रात को हो पैसा गायब। और रही बात मेरे कंटेनर की तो जब कभी बैंक में चोरी ही नहीं हुई तो हमारे कंटेनर में असली यूरो कहां से आ गए।
कलिका:- व्हाट्, जो पैसा चोरी नहीं हुआ उसकी सजा काट रहे मेरे भाई। आखिर कैस, कैसे फिर बैंक प्रबंधन ने चोरी कि बात कबूल की.. पुलिस और मीडिया को कैसे मैनेज किया। और वो 6 किलोमीटर में जो धुआं हुआ था, 60 कंटेनर अलग अलग जगह जाना..
अपस्यु:- हां वो सब हुआ था पर बैंक में चोरी नहीं हुई थी, बल्कि बैंक के सीईओ के साथ एक प्यारा और फेयर डील हुई थी। 300 बिलियन की चोरी करना क्या हलवा है। बीएनपी बैंक वालो को मैंने लालच दिया था कि 100 बिलियन हम तुझे 5 साल के लिए इस्तमाल करने देंगे। बदले में चोरी कि अफवाह उड़ाओ और फ्रेंच पुलिस को मैनेज करो, रही बात चोर की, तो 25 दिसंबर तक बहुत से लोग अपनी गिरफ्तारी और चोरी कबूल करने के लिए पगलाए होंगे। वहीं कबूल करवाना, उसके पास के हथियार जब्त करना और नाम कमाना। ऑन पेपर चोरी हुई, ऑन पेपर पैसे भी वापस आ गए। बीच ने लटकने वाले लंबा लटक गए।
कलिका:- मास्टर स्ट्रोक, नीलू ने सच ही कहा था, वो दुश्मन को अपने से 1000 गुना ज्यादा ताकतवर समझ कर चलता है। कैलकुलेशन की चूक अब समझ में आ रही है। तुम हम जैसों से 1000 गुना ज्यादा क्षमता वाले हो। और इस लेवल पर होने के बाद तुम प्लान करते हो की दुश्मन तुमसे 1000 गुना ज्यादा आगे है। कहां से तुम्हारी प्लांनिंग के आगे हमारी प्लांनिंग टिकती।
अपस्यु:- ठीक है अब सारी बात क्लियर हो गई है तो मै जाऊं।
कलिका:- रुको एक मिनट..
अपस्यु:- अब क्या है..
कलिका:- थोड़ी देर बैठकर मेरे साथ बातें करो ना.. प्लीज।
सौरव को लगा कि शायद इनको अकेला छोड़ना ही बेहतर होगा इसलिए अपस्यु को इशारे में बैठने के लिए बोलकर वो वहां से चला गया। अपस्यु कुछ देर ख़ामोश बस बैठा रहा…… "बैठ गया.. मुझे भी एक बात समझ में नहीं आ रही। उस दिन एंगेजमेंट में तुमने मुझे लिटल ब्रदर क्यों कहा था?"
कलिका:- बस ऐसे ही मन किया।
अपस्यु:- यकीन नहीं हुआ, फिर से पूछता हूं, उस दिन लिटल ब्रदर क्यों कही थी।
कलिका:- "बहुत छोटी थी मै जब तुम पैदा हुए थे। पहली बार मैंने तुम्हे गुरु निशी के आश्रम में देखी थी। मै भी रहती थी वहां लेकिन तुम्हारे आने के 1 महीने बाद मै चली गई थी। तुम्हे जब भी देखती तो बस मन करता बाहों में भरकर चेहरे को चूमती रहूं। इकलौती इंसानी भावना जो मेरे जहन में बसी हुई है आज तक। उसके अलावा कुछ नहीं।"
"बाकियों के लिए जों भी हो, पर दिल से मैंने कभी नहीं चाहा की तुम्हे कुछ हो। उस दिन एंगामनेट में जब तुम्हे देखी, तो बचपन की वहीं भावना जाग गई। ऐसा लगा मेरा क्यूटी सा छोटकी ब्रदर मेरे सामने है। यही कारन था कि खुद को रोक नहीं पाई।"
"फिर तस्वीरों ने उस दिन का हादसा देखी, जब तुम मां को बेनकाब कर रहे थे। लगा कि यार इसकी जगह कोई भी होता तो अबतक सबको मार चुका होता, इतने धैर्य के साथ कौन आगे बढ़ता है। फिर ख्याल आया, आज तक ये लड़का इतने बड़े गेम टिका ही केवल अपने धैर्य की वजह से है, वरना जिनके पीछे ये पड़ा था उन सब के खाते में कई मर्डर दर्ज है, जिनके बच्चे बदला लेने के ख्याल से तो आए और अपना मर्डर करवाकर लिस्ट केवल लंबी कर गए। खैर छोड़ो बिते वक़्त की बातें।"
अपस्यु:- हां छोड़ना ही बेहतर है।
कुछ देर तक दोनो ख़ामोश रहे। बस कुछ सोचते, फिर कलिका इस खामोशी को तोड़ती… "तुम्हारी पसंद काफी अच्छी है, तुम्हारी प्रेसनलिटी और कैरेक्टर से मैच करती, ऐमी। ब्यूटीफुल, क्यूट, हॉट, सेक्सी और मै उसे खिताब देना चाहूंगी मोस्ट डेंजरस गर्ल की। तुम दोनो साथ हो तो तुम्हे हरा पाना लगभग नामुमकिन। उसे साथ नहीं लाए।
अपस्यु:- वो पेरिस में ही है, लेकिन अपने दोस्तों के साथ। जहां तुम फसी थी, तुम्हे ढूंढते हुए श्रेया भी वहां फंस गई थी। उसे वहां से निकालकर यहां आ रहा हूं।
कलिका, अपस्यु को बड़े ही ध्यान से देखती… तुम चन्द्रभान रघुवंशी के बेटे बिल्कुल नहीं हो। ना ही उसके जैसा तुम्हारा दिमाग है। तुम केवल अपनी मां के बेटे हो, जो अच्छे लोगो के बीच पाला है। हां लेकिन अच्छे और दुनिया के खतरनाक लोग। चन्द्रभान रघुवंशी के तो बच्चे हम सब है।
दोनो गहरी श्वांस लेते कुछ पल के लिए फिर ख़ामोश हो गए। अपस्यु कलिका के ओर देखते उसका हाथ थाम लिया… "आगे क्या करोगी।"
कलिका:- 1000 करोड़ है बचे मेरे पास, वापस जाकर अपनी इमेज बनाऊंगी।
अपस्यु:- और पैसे चाहिए हो तो मुझसे ले लेना।
कलिका:- हाहाहाहा… शायद तुम्हारे लिए अच्छी दिख रही हूं अपस्यु, लेकिन मुझमें अच्छाई ढूंढने की कोशिश मत करो।
अपस्यु:- वादा कर दो बस किसी का बुरा नहीं करोगी, मै तुम्हे अच्छाई करने कह भी नहीं रहा।
कलिका:- मेरा इकलौता रिश्तेदार तुम और एक जिससे अब तक मिली नहीं वो है आरव, जब तक तुम दोनो मुझसे मिलते रहोगे एहसास रहेगा कि मेरा भी एक परिवार है और मेरे ये दोनो भाई मुझसे रिश्ता तोड़ लेंगे, जब मै किसी के साथ बुरा करूंगी, बस इस ख्याल से किसी का बुरा नहीं करूंगी।
अपस्यु:- और सौरव..
कलिका:- मेरे भाई हम दोनों को पता है कि पॉलिटीशियन और बिना किसी का बुरा किए ऊपर आए हो। उन्हें कोई आपत्ती नहीं होगी यदि मै किसी के साथ बुरा करती हूं तो। हां लेकिन तुम्हे या आरव को देखती रहूंगी तो किसी के साथ बुरा करने की इक्छा नहीं होगी।
अपस्यु:- ठीक है अब मै चलता हूं। सौरव अच्छा लड़का है, उसका थोड़ा ख्याल रखना।
कलिका:- यार इतने अच्छे लोगो के बीच रहने की आदत नहीं। फिर भी जिसकी वजह से जान बची है उसे मै अपनी जान बनाकर रखूंगी।
अपस्यु:- ठीक है अब तुम दोनों यहां से इंडिया वापस चली जाओ। बिजनेस सेटअप के लिए पैसे चाहिए तो बता देना, है मेरे पास।
कलिका अपस्यु के चेहरे पर अपना हाथ रखती उसके चेहरे को गौर से देखती हुई… "अपना ख्याल रखना और वक़्त मिले तो कॉल करते रहना। मेरे पास प्रयाप्त पैसा है। यें पैसा नहीं भी होता तो भी मै ज़ीरो से शुरू कर लेती। तुझे साल भर बाद पैसे चाहिए हो तो बेझिझक मांग लेना। वादा है कोई ब्लैक की कमाई नहीं, सब व्हाइट पैसा होगा।
अपस्यु:- ठीक है अब मैं चलता हूं दीदी तुम भी अपना ख्याल रखना।
कलिका दीदी सुनकर लगभग रो दी बस आशु बाहर नहीं आया। उसने हक से अपस्यु को अपने बाहों में की और उसका चेहरे चूमती हुई कहने लगी… "मेरा क्यूटी सा छोटकी ब्रदर।"..
जाते वक़्त दोनो के चेहरे पर सुकून भारी स्माइल थी। अपस्यु वहां से बाहर निकाला सौरव उसे जाते हुए रिसेप्शन पर मिल गया। अपस्यु उसे अलविदा कहते हुए वहां से चला…
जून 2015…
दक्षिण प्रशांत महासागर एक छोटा सा टापू। बिल्कुल शांत और चारो ओर हरियाली। नीले सागर की उजली रेत उस जगह को मनमोहक बाना रही थी। टापू के एक किनारे छोटा सा बोट था और टापू के पूर्वी खाली भाग में एक छोटा सा 4 सीटर प्लेन। हरे नारियल के पेड़ के बीच एक प्यारा सा कॉटेज बाना हुआ था और कॉटेज के 100 मीटर आगे बीच साइड डबल बेड लगा हुआ था, जिसके चारो ओर पतले उजले पर्दे और ऊपर उसी पर्दे की छत बनी हुई थी।
उसी के कुछ दूर आगे दो लकड़ी के बेड सन बाथ लेने के लिए लगे हुए थे, जिसपर लैदर के गद्दे लगे थे। शानदार हवा चल रही थी। अपस्यु लकड़ी की बेड पर लेटे, पीछे से सर पर टेका लगाए, नारियल पानी पीते हुए खिली धूप का मज़ा ले रहा था।
तकरीबन 50 मीटर आगे बीच थी। उस बीच से ऐमी अपने बाल को झटकती हुई समुद्र से नहाकर चली आ रही थी। लाल डोरी वाली वो ब्रा पैंटी पहने, पुरा बदन चमकता हुआ। अपस्यु अपने आंखो के आगे ठंडे नजरे ले रहा था।
ऐमी धीरे-धीरे आगे बढ़ती शॉवर के ओर पहुंची और पुरा बदन साफ करने के बाद आकर लड़की की बेड पर उल्टी लेट गई। अपस्यु ऊपर से लेकर नीचे तक उसके बदन का नजारा लेने लगा।… "बेबी सन क्रीम लगा दो जारा।" ..
अपस्यु यह सुनकर मुकुराय। ब्रा के नॉट को खोलकर उसने अपने दोनो हाथ पर सन क्रीम मला और हाथ आहिस्ता-आहिस्ता ऊपर से नीचे तक लाया। हाथ जब कमर तक पहुंची, तब अपस्यु पैंटी की नॉट को दोनो ओर से खोलकर उस ऊपर से निकालकर साइड कर दिया और फिर पूरे खुले बैंक के कर्व पर आहिस्ते से हाथ फेरते हुए सन क्रीम लेशन लगाने लगा।
ऐमी सीधी घूम गई और अपस्यु को देखती हुई… "4 महीने से सुबह साम यहां सेक्स किए जा रहे हो, बोर नहीं हुए क्या।"..
अपस्यु, मुसकुराते हुए…. "क्यों तुम्हे अब मज़ा नहीं आ रहा है क्या?"
ऐमी, गहरी श्वांस लेती… "सोचती हूं अब मज़ा धीरे धीरे कम हो जाएगा, पर अब तक तो नहीं हुआ, लेकिन.."..
अपस्यु, ऐमी को सवालिया नजरो से देखते उसके कमर के नजदीक बैठ गया। ऐमी के होंठ पर अपना होंठ रखते… "लेकिन क्या स्वीटी।"..
ऐमी:- कुछ नहीं छोड़ो।
अपस्यु:- हे, क्या हुआ.. घर की याद आ रही..
ऐमी:- वीडियो कॉल हो जाती है तो उतना नहीं अखरता, वो बात नहीं है।
अपस्यु:- फिर बात क्या है?
ऐमी:- यहां अब बोर हो गई हूं। चलो चलते है यहां से।
अपस्यु:- मै समझता हूं हमे कहां जाना है। लेकिन उसके लिए अभी हम तैयार नहीं है। जाएंगे तो जरूर, लेकिन कुछ तैयारी पुख्ता करने के बाद। हम जिसके पीछे है, वो भूत है। दि डेविल वर्सेज घोस्ट"
"एक बार फिर वही भंवर होगा लेकिन इस बार गेम अलग है। वो हमसे कई गुना ज्यादा तेज है। वो पैसे और जिस्म के भूखे नही, बस ताकत और तादात बढ़ाने में विश्वास रखते है। अब तक हर कॉन्टिनेंट में उसने अपनी छाप छोड़ी है, सबको सिर्फ़ एक नाम पता है रिजिलिएंट, लेकिन अब तक जितनो ने उसका सामना किया, उसमे से केवल एक ही बच पाया है, और तुम जानती हो वो कौन है। इसलिए गेम शुरू करने से पहले, उसके बारे में जानना जरूरी है कि हम किसके सामने खड़े है। फिर शुरू करेंगे भंवर.. दि गेम ऑफ शैडो"