Update:- 171
31 दिसंबर… 2014… शाम के 5 बजे..
अपने लाइव प्रोग्राम और ऑनलाइन डिबेट से तहलका मचाने वाले सात्त्विक आश्रम के संचालक, एक बड़े से हॉल के मंच पर बैठे हुए थे। अपने भक्तों के अनुरोध पर अपने जीवन से जुड़ी हर घटना पर प्रकाश डालने आये थे, जिसके लाइव शो के सवाल और जवाब की प्रैक्टिस पिछले 2-3 घंटे से यहीं पर चल रही थी।
टीवी जगत के 3 बड़े चैनल ने अलग-अलग जगह के लाइव शो के राइट खरीद लिए थे। ऑडिटोरियम में बैठे तकरीबन 200 खास दर्शक, जिसमे ज्यादातर युवा थे, हर कोई दोनो का नाम लेकर चिल्ला रहे थे। ऑडिटोरियम में बाहर बड़े से मैदान में चारो ओर स्टूडेंट ही स्टूडेंट थे, जो बाहर लगे बड़े-बड़े कई सारे स्क्रीन पर इस शो को देखते और बाहर से किसी आनेवाले को बाहर ही रोके रहते। वहीं होम मिनिस्टर साहब ने चैनल के स्टूडियो के बाहर कुछ फोर्स, और रिले रूम और एडिटिंग रूम में भी फोर्स डाल चुके थे, ताकि इस प्रोग्राम को बिना बाधा के चलाया जा सके।
मंच आयोजक पूरे गर्मजोशी के साथ अनुप्रिया और महिदिपी का नाम चिल्ला रहे थे। दोनो ही मुख पर मुस्कान और चेहरे पर सरलता के साथ, दोनो हाथ उठाकर आशीर्वाद देते हुए चले आए।
महिदीपा अपने हाथो में माईक थामते…. "जय जय कार तो केवल उस प्रकृति की होनी चाहिए, जिसने हमें जीवन सृजन दिया, जीने की अनुकूल माहौल दिया, ऐसा इकोसिस्टम विकसित किया, जिसमें हर जीव-जंतु तथा पेड़०p-पौधे अपना भरन पोषण कर सके।"
मंच संचालक:- क्या बात है गुरुजी, आज ऐसा लग रहा है, जैसे लोगों को उनकी करतूत और प्रयावरण के ऊपर खूब डांट पड़ने वाली है।
अनुप्रिया:- माफ कीजिएगा संचालक महोदय, मै एक बार फिर अपने सुनने वाले को बताना चाहूंगी, हम जो यहां बोलते है उसमे ऐसा कुछ नया नहीं है जो पहले कभी आपने नहीं सुना है। मै केवल एक ही बात पर जोड़ देती हूं.. और वो क्या है…
भिड़ चिल्लाते हुए… "सुनने से कुछ नहीं होता वो हमे केवल भटकाता है, सुनने के बाद उसपर अमल करने और उस संदर्व में काम करने से होता है।"
मंच संचालक….. "क्या खूब कही आप। आप दोनो कृपया बैठ जाए। अब हम गुरु महिदिपी और अनुप्रिया की जिंदगी को और करीब से जानने के लिए, मै बुलाना चाहूंगा आप सब के चहेते और दिल्ली में इनकी जोड़ी को सबसे ज्यादा लोगो ने सराहा है, मिस्टर अपस्यु रघुवंशी। जोरदार तालियां हो जाए इनके लिए भी..
हैवी इंटेंस संगीत चारो ओर बजने लगा हो जैसे। अनुप्रिया और महिदिपी के चेहरे की रंगत बिल्कुल उड़ गई। दोनो भौचक्के खड़े होकर ऐसे देख रहे थे मानो सामने से भूत चलकर आ रहा हो।.. चेहरे की सारी खुशियां जैसे हवा हो गई हो।
"हमारा इंटरव्यू ये थोड़े ना लेने वाला था।".. अनुप्रिया थोड़ी घबराई सी आवाज में पूछने लगी।
मंच संचालक:- नहीं मैडम यही तो है ए.आर.. इनकी अनुपस्थिति में आपसे स्टूडियो का एक लड़का बस डेमो सवाल पूछ रहा था। इतने में अपस्यु वहां पहुंचकर माईक अपने हाथ में लिया और दोनो को देखकर मुस्कुराते हुए कहने लगा… "मेरे स्वागत में इतनी बड़ी हस्ती खड़ी हो गई, वहीं मेरे लिए काफी है। बैठ जाइए सर, बैठ जाइए मैम। आप दोनो कुछ घबराएं से है, तबीयत तो खराब नहीं हो गई कहीं।"..
अनुप्रिया:- संचालक महोदय जी मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही, हम जाना चाहते है।
संचालक:- सर, मैम.. 400 करोड़ का स्पॉन्सर है और आपने हमसे 200 करोड़ लिए मांग किया था, चाहिए तो 20 करोड़ और बढ़ा लीजिए लेकिन है प्रोग्राम छोड़कर मत जाइए।
महिडिपु:- पहले इस लड़के को हटाओ, फिर हम यहां रुकेंगे।
संचालक:- मैडम ये बिल्कुल नहीं जा सकता पुरा शो का फाइनेंसर यहीं है। और ये उतना भी सारिफ नहीं उसने यदि दावा ठोका ना तो कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक आपको तत्काल 400% भुगतान करना होगा।
अनुप्रिया और महिदिपी आपस में कुछ चर्चा करते, तभी माईक पर अपस्यु की आवाज गूंज गई… "लगता है अनुप्रिया और माही जी तय नहीं कर पा रहे की उन्हें सवालों के जवाब देना चाहिए या नहीं। शायद उनका भूतकाल उतना अच्छा नहीं, लेकिन इन्हीं की एक कहीं बात याद आ रही है… 'जो अपने अतीत से मुंह छिपता है जरूर या तो वो कायर है या फिर उसने अपना मुंह इतना काला किया है कि खुद की शक्ल याद नहीं करना चाहता।"..
अपस्यु की बात सुनकर महिदिपी फीका मुस्कुराया… "लगता है ये लड़का भ्रम की दुनिया से निकलकर आया है। अभी ही इसकी बातो में इतना रोष है, ऐसा प्रतीत होता है कि हमे बदनाम करने का मन बनाकर आ चुका है।"..
अपस्यु:- लेकिन आप तो गुरु कहलाते है ना महाशय। ज्ञान के प्रकाश से जो अंदर के अन्धकार को भगा दे, वो गुरु। रोष तो केवल माध्यम मार्ग है गुरुदेव, जो अंदर के विकार को निकालता है। और यदि मेरे अंदर कोई विकार है, तो उसे समझकर शांत करने हेतु आप अपने ज्ञान की वाणी मुझे दें, यही तो गुरु कर्तव्य है। फिर भी मै अपने सवाल आपसे नहीं पूछूंगा.. बल्कि लोगों ने बहुत से सवाल पूछे है, उन्हीं में से मै सवाल पूछूंगा। अब खुश है आप।
दोनो एक साथ.. "बालक हमे किसी प्रकार के सवाल से कोई भय नहीं है। जैसे तुम्हारी मर्जी हो सवाल पूछिए।"
अपस्यु:- चलिए तो शुरू करते है। ये सवाल है लगभग 20 लाख लोगों ने पूछा है.. आप दोनो के गुरु कौन थे, जिनसे आपने शिक्षा प्राप्त की थी..
अनुप्रिया:- हमारे कोई जीवित गुरु नहीं थे जिनसे हमने शिक्षा ली हो, लेकिन हां कुछ वक़्त तक हम गुरु निशी के आश्रम में रहे थे और उनकी सेवा की थी।
अपस्यु:- आप सबको मै बताना चाहूंगा कि मैंने भी अपने प्रारंभिक जीवन के कई साल गुरु निशी के "आध्यात्म गुरुकुल नमः" का छात्र रह चुका हूं। जानकर अच्छा लगा कि आपने कुछ साल उनकी सेवा की है। चलिए अब आगे बढ़ते है.. लगभग 40 हजार लोगों ने यह सवाल अभी-अभी किया है ऊपर स्क्रीन पर नजर आ रहा होगा। इस वक़्त गुरु निशी कहां है?
महिदिपी:- क्यों तुम्हे नहीं पता जो मुझसे पूछ रहे हो? तुम तो उसके शिष्य भी राज चुके हो।
अपस्यु:- सर यहां आप दोनो के जीवन के बारे में लोग जानना चाह रहे है, उनसे जुड़ी बातें। इसलिए कृपा आप अपने उत्तर दे दीजिए, मुझे कुछ जानकारी हुई तो मै साझा कर दूंगा।
अनुप्रिया:- उनकी सेवा करने के बाद मै वर्ष 1983 में अपने भाई महा के साथ देहरादून चली आयी। फिर हमने देश विदेश घूमकर गुरुकुल शिक्षा का प्रसार किया। उसके बाद फिर हमे कोई जानकारी नहीं गुरु निशी के बारे में।
अपस्यु:- हम्मम ! शायद टेक्नोलॉजी का प्रसार उस दौर में उतना नहीं रहा हो इसलिए आप संपर्क में नहीं रह पाई। दर्शकों के सवाल का जवाब देते हुए मै बता दू की गुरु निशी को वर्ष 2007 में आग के हवाले कर दिया गया था। जिन्होंने उन्हें मारा वो केवल वही तक नहीं रुके, उस आग में उनके 160 शिष्य को भी जिंदा जला दिया गया था। वहां कुछ आश्रम के बाहर के लोग भी थे, जो जीने के ग्रीष्म कालीन छुट्टी में आए थे।
उन जलने वाले बाहरी लोगों के जलने वालों में एक मेरी मां भी थी। मेरी होने वाली पत्नी जो हर साल गुरुकुल छुट्टियों में आती थी, उसकी मां और उसका भाई भी उसके आग के हवाले झोंक दिया गया था। उस घटना के साक्ष्य बने कुल 5 लोग किस्मत से बचे थे, जिसमे से एक मै, दूसरा मेरा जुड़वा भाई आरव, तीसरा पार्थ, चौथी गुरी निशी की गोद ली हुई पुत्री स्वास्तिका, और पंचवि ऐमी बच गई थी, जो गर्मियों कि छुट्टी में नैनीताल आश्रम आयी हुई थी। शायद यहां सुनने वालों को यकीन ना हो, इसलिए 2007 के उन हादसों की कुछ तस्वीरें मै आप सबसे साझा करना चाहूंगा, यह कहकर कि यदि आपका दिल कमजोर है तो यह तस्वीरें नहीं देखे।
अपनी बात कहकर अपस्यु ने खींची गई हर तस्वीर को दिखाया, जो पहाड़ के ऊपर मंदिर से उन लोगो ने फोकस करके ली थी। जहां साफ-साफ देखा जा सकता था, कुछ लोग हथियार लिए आश्रम में घूम रहे थे। एक बड़ा सा विकराल हवन कुंड कुवां, जिसमें जिंदा जलाए हुए लाश, जो एक के ऊपर ढांचे बने राख के ढेर में थे, और वहां आस पास घूमते लोग। दुनिया भर के 12 करोड़ दर्शक कब 22 करोड़ हुए किसी को पता नहीं चला।
अपस्यु से जुड़े सभी लोग पहली बार उसके मुंह से पूरी सच्चाई सुन रहे थे, आखों के सामने वो विचलित करने वाली तस्वीरें देख रहे थे। हर कोई स्तब्ध और बिल्कुल मौन सा था। अपस्यु को जानने वालों को अब समझ में आ रहा था कि क्यों वो इतना रहस्यमई है। अपस्यु के आग्रह पर फ्रांस में अनुप्रिया के बच्चो को भी ये प्रोग्राम दिखाया जा रहा था।
कंजन ने जब पहली बार अपनी बहन के बारे में सच्चाई सुनी, वो धम्म से बेहोश हो गई। पायल मुंबई में बैठी ये प्रोग्राम देख रही थी और अब पहले से ज्यादा आत्मग्लानि मेहसूस कर रही थी, क्योंकि जिस हादसे को लेकर वो अपस्यु और उसके परिवार से खफा थी, खुद उसके जीवन में भी भीषण हादसा हो चुका था।
अजिंक्य, एसपी अशोक बंसल, होम मिनिस्टर, और सौरव भी देख रहे थे। खैर अपस्यु का तो पुरा परिवार ही इस प्रोग्राम में मौजूद था, जो रो रहा था। किसी के आंसू रुके नहीं रुक रहे थे। केवल वहां शांत और मुसकुराते हुए 3 लोग थे, अपस्यु, आरव और ऐमी। कुछ आश्चर्य के भाव महिदिपी ने दिए, तो अनुप्रिया फुट फुट कर रोना शुरू कर दी। थोड़ा सा ड्रामा हुआ और फिर अपस्यु बोलना शुरू किया।
"कोई बात नहीं है, शायद आप उस दौर में मसरूफ ज्यादा थी। बहरहाल जो 2 करोड़ दर्सकों के सवाल है वो ये कि अनुप्रिया जी की शादी किससे हुई थी।".. अपस्यु गुरु निशी से हटकर सवाल का पूरा मूड चेंज कर दिया..
अनुप्रिया अपस्यु को घूरती हुई… "हमारी गुप्त शादी थी, मै लोगो के बीच इसे साझा नहीं करना चाहती।"..
अनुप्रिया का यह जवाब सुनकर तो मानो सवालों कि बौछार लग गई… "अनुप्रिया जी 10 करोड़ लोग कह रहे है, गुप्त तो गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रैंड का रिलेशन होता है, आप पति से रिश्ता गुप्त रख रही।"..
अनुप्रिया:- जी मै पुराने रिती रिवाज को मानती हूं और मै अपने पति का नाम ना तो बोल सकती हूं और ना ही लिख सकती।
अपस्यु:- जी हम आपकी भावनाओं की कदर करते है, ये सवाल हम आपके भाई महिदिपी से पूछ लेते है। सर आप ही कुछ प्रकाश डाले इस सवाल पर।
महिदिपी, माईक को ऑफ करके धीरे से कुछ कहने कि कोशिश करने लगा, तभी बैठे हुए लौंडे चिल्लाने लगे… "सर क्या भूत से विवाह हुआ था, जो लीपा पोती कर रहे हो।"..
महिदिपी, ना चाहते हुए भी…. "चन्द्रभान रघुवंशी"..
अपस्यु:- दर्शक साफ सुन नहीं पाए, क्या कहा आपने…
महिदिपी:- चन्द्रभान रघुवंशी।
अपस्यु:- "जिन लोगो को पता नहीं उन्हें मै बता दू की चन्द्रभान रघुवंशी वहीं व्यक्ति है, जिन्होंने मेरी मां को उस आग में झोंक था। उस अग्नि कुंड में पहली जिंदा जलने वाली और जिसकी चींख उन वादियों में सबसे पहले गूंजी थी। एक और बात है इसमें भी, वो चन्द्रभान रघुवंशी और कोई नहीं मेरा पिता था और मै अनुप्रिया जी का सौतेला बेटा हूं। शायद इन्हे ये बात ज्ञात ना हो।"
"चन्द्रभान रघुवंशी का एक छोटा भाई था भूषण रघुवंशी, जिनकी धरम पत्नी का नाम है नंदनी रघुवंशी, जिसके पूरे परिवार को साजिश के तहत 2006 में मार दिया गया था। आप सबने शायद 15 अगस्त की वो न्यूज देखी हो। दोनो कांड आपस में लिंक थे। चन्द्रभान रघुवंशी ने ही मेरी छोटी मां के चचेरे भाई को, मायलो ग्रुप को हथियाने का काम सौंपा था और खुद अपने छोटे भाई का कत्ल करवाकर, मेरी छोटी मा और बहन को दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया। उफ्फ ये खौफनाक इतिहास, दौलत और ताकत की जंग।"
अनुप्रिया उठकर वहां से जाने लगी तभी अपस्यु उसे रोकते हुए… "आप लोगो को शायद पता हो कि ना हो लेकिन महिदिपी के पुत्र रुद्रा और अनुप्रिया की के पुत्र युक्तेश्वर और हंस दोनो इस वक़्त फ्रांस की जेल में है। इन तीनों ने मिलकर कुछ दिन पहले फ्रांस कि बड़ी बैंक बीएनपी परिबास में 300 बिलियन यूरो की चोरी को अंजाम दिया था। ये देखिए फ्रेंच पुलिस का स्टेटमेंट.."
जैसे ही स्क्रीन पर फ्रेंच पुलिस को लोगो लाइव देखा और सुना, सब के सब शॉक्ड हो गए। अनुप्रिया और महिदिपी दोनो अपस्यु के पास आकर उसका कॉलर पकड़ते.. "तुम्हे तो मै कोर्ट में देख लूंगी लड़के, चलो माही।"..
अपस्यु:-" क्या हुआ अनुप्रिया जी महिदिपी जी.. सवालों से इतना भी क्या घबराना। शायद आपको पता नहीं तो मै बता दूं…. अभी-अभी मैंने बड़ी मुश्किल से अपने पूरे परिवार को दिल्ली के सबसे ख़तरनाक इलाके से बचाकर ला रहा हूं, जहां अनुप्रिया और महिदिपी के 2 पुराने साथी ने मेरे बचे हुए परिवार को मारने कि पूरी साजिश रच दी थी।"
अपस्यु की बात सुनकर तो जैसे अनुप्रिया और महिदिपी झटके पर झटका खा रहे थे। दोनो किसी भी तरह से यहां से निकलने की कोशिश में जुट गए लेकिन तभी अनुप्रिया की पूरी प्रमोशनल टीम मंच पर आ गई। दोनो को आराम से बिठाकर घेर लिया गया। इनके बॉडीगार्ड जो मंच पर आने के लिए पगलाए थे, उन्हें वीरदोयी का फटका लगा और वो चुपचाप जाकर कोना पकड़ लिया।
2 मिनट के इस विराम के बाद अपस्यु फिर अपनी बात आगे बढ़ने लगा……. "हां तो बात हो रही है अभी और आज के ताजा घटना की जहां 14 लोगों को मारने कि साजिश रची जा चुकी थी जिसमे मुख्य था मेरा पूरा परिवार, मेरी होने वाली पत्नी ऐमी के डैड, मेरे भाई के होने वाली पत्नी के पुरा परिवार।"
"और इस साजिश में सामिल है अनुप्रिया के नाजायज पति राजीव मिश्रा, जिनसे इनका एक पुत्र भी है युक्तेश्वर। और दूसरा है मुख्य साजिश करता है, मनीष मिश्रा जिसकी एक और नाजायज पत्नी है, जिसकी बेटी श्रेया मिश्रा को कुछ दिन पहले मेरे पीछे लगाया गया था। आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि राजीव मिश्रा और मनीष मिश्रा का परिवार ही मेरे भाई का ससुराल है। और ये दोनो भाई भी मेरे बाप के पर चिह्न पर चलते हुए अपनी ही पत्नी और बेटी का बली चढ़ाने का रहे थे। वह रे पैसा और ताकत की माया।"
"अनुप्रिया जी से मै एक बात समझने कि कोशिश कर रहा हूं, कि पहली बार मेरी मां इनके पति के हाथो मारी गई। कई सालो बाद जब अपने टूटे परिवार को जोड़ लिया, तो भी इस बार इनके नाजायज पति और उसका भाई बीच में आ गया मेरे परिवार को मारने। अनुप्रिया जी से गुजारिश है कि वो बता दे उनके और कितने पति है, जो आने वाले भविष्य में मेरे परिवार के लिए तो खतरा है ही, साथ ही साथ अपने परिवार के लिए भी ना कहीं खतरा बन जाए।"
अनुप्रिया:- कमाल का शो होस्ट किया है, ऐसा लग रहा है एडिटिंग और फिक्शनल स्तिरी से इस शो के टीआरपी में चार चांद लगाने की कोशिश की जा रही है। प्रोग्राम तो ऑर्गनाइज हुआ था मेरे जीवन पर प्रकाश डालने के लिए, और यहां मंच संचालक ना जाने क्यों अपने जीवन की कहानी को मुझसे जोड़ रहा।
बेटा जब तुम्हे अपने बारे में ही पूरी कथा बतानी थी फिर मुझे क्यों बुलाया यहां। तुम्हारी को तुम्हारे पिता ने मारा, और गलती से वो मेरा पति भी था। हां वो मेरा पति भी था, तो क्या उसने मुझे धोका नहीं दिया। उसके बाद मै बड़ी ही सलिंता से शांत बैठकर अपने चरित्र पर लांछन लगते देख रही, और तक मेरे चरित्र को भारी सभा में उछाल रहे। क्या मै तुमसे जान सकती हूं कि ऐसा कौन सा पति होगा जो अपनी पत्नी को जिंदा आग में झोंक दे? क्या कहानी रही होगी उस पति की भी, जिसकी पहले से एक पत्नी हो लेकिन किसी ट्रिया चरित्र की औरत के मोह में वो पर गया हो और उस इंसान का जब भ्रम टूटा हो, असलियत आखों से दिखी हो तब वो मजबूर होकर ऐसे कदम उठा लिया हो।
मेरा परिवार सिर्फ मै और मेरा भाई और हमारे बच्चे है। इसके अलावा कोई अपनी निजी जिंदगी में क्या कर रहा है उसका दोषी यदि मुझे बनना है तो कोई बात नहीं, हम वो भी सह लेंगे, क्यों आक्रोशित होकर धैर्य खोना हमने नहीं सीखा। शायद इस सभा में मेरी कुछ ज्यादा ही बेज्जती हो चुकी है इसलिए आप लोगो से इजाजत चाहूंगी, आप लोगों ने इस लड़के की सुनी मेरी भी सुन किए अब फैसला आओ हाथ में है। हम बीच ने जा रहे है इसके लिए क्षमा चाहती हूं।
अपस्यु जोड़ जोड़ से हंसते हुए… "अच्छा बोल लेती है आप अनुप्रिया जी, बहुत अच्छा। लेकिन मैं यहां पर जो भी बोल रहा हूं, उनके सबूतों कि कॉपी यहां के कानून व्यवस्था के पास पहुंच चुकी है। इसलिए आराम से बैठ जाओ अनुप्रिया और महिदिपी, बाहर पुलिस ही इंतजार कर रही है। जिन लाशों के सीढ़ी पर चढ़कर तुम दोनो भाई बहन यहां तक पहुंचे हो, उस कीर्तिमान को तो सुनते चले जाओ।.. अच्छा लोग बोर हो रहे है ये फैमिली ड्रामा सुनकर, इन्हे रिफ्रेश करने के लिए एक फिल्मी अमाउंट बताता हूं, साथ में सबूत भी दिखेंगे स्क्रीन पर.. पेश है अनुप्रिया और महिदिपी के जिंदगी से जुड़ी एक और सच…
"ये फिल्मी कहानी कुछ इस प्रकार है, एक क्लोज डोर मीटिंग हुई और यहां मौजूद पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने मिलकर, अपनी काली कमाई को एक जगह जमा किया, जो था अनुप्रिया का काला खाते। कारन इसके पीछे तो वर्ष 2016 में होने वाले लोकसभा इलेक्शन में, ये पुरा देश को अपने मुट्ठी में रखे।"
"ये थी एक फिल्मी कहानी अब इनकी काली कमाई दिखता हूं आपको स्क्रीन पर, जिसका सबूत और एफ आई आर हो चुका है। पैसे कैसे और कौन-कौन अकाउंट से कहां कहां पहुंचे उसका पूरा ब्योरा।"
"जो लोग ज़ीरो नही गिन पा रहे, या अंक की गणना नहीं कर पा रहे, उन्हें मै बता दू ये अमाउंट डेढ़ लाख करोड़ रुपया हैं। इस काले धन को केवल 3 लोगों ने मिलकर जमा किया है, जिसका 80 हजार करोड़ अनुप्रिया और महिदिपी, और 70 हजार करोड़ पक्ष और विपक्ष के मुख्या पार्टी के पार्टी अध्यक्ष का है। इस सच्चाई को बाहर लाने में मददगार साबित हुए श्रीमान होम मिनिस्टर और उनकी पूरी टीम, जिन्हे शक था कि राजीव मिश्रा और मनीष मिश्रा जैसा टॉप ब्रेन, जो ऊपर से दिखाने के लिए गुंडों जैसा व्यवहार करता है, अंदर से जरूर कोई खिचड़ी पका रहा है।"
"और जब उनकी छानबीन आगे बढ़ी तो उन्होंने मुझसे संपर्क किया, क्योंकि इनकी कब्र खोदने के पीछे मै तो 2007 से लगा हुआ था, जिसमें हमारी मार्गदर्शक रही मेरी मां की करीबी दोस्त और राजीव मिश्रा की धर्म पत्नी सुलेखा मिश्रा, जिसके एक छोटी सी बात ने 2008 में ही 160 शिष्यों के साथ गुरु निशी की हत्याकांड के सभी आरोपी को बेनकाब कर दिया था। उनका साफ कहना था, दोनो मिश्रा बंधु को केवल फॉलो करो, तुम्हें धीरे-धीरे सब मिल जाएंगे। वक़्त लगा इनके किए की सजा दिलवाने में लेकिन मै आज सुकून में हूं।"
15 अगस्त 2014 की सुबह के न्यूज के पीछे का कारन भी मै ही हूं, लेकिन तब मैंने अनुप्रिया और महिदिपी से अलग हुए इनके साथी विक्रम राठौड़ और प्रकाश जिंदल को उनके तत्काल गुनाह, और कुंवर सिंह राठौड़ के मर्डर में लपेटा था, लेकिन आज पूर्ण सच्चाई सबके सामने है।"
"मै हर उस इंसान से माफी चाहूंगा जिसका इस्तमाल मैंने अपने योजना के अंतर्गत किया। फिर चाहे मुझे यूएस सीनेटर प्रकाश जिंदल और इनसे अलग हुए ग्रुप को फसने के लिए, मनीष मिश्रा की बेटी साची को ट्रैप करके उसका इस्तमाल करना परा हो, या फिर मेरे दोस्त और होम मिनिस्टर जी के लड़के सौरव हो, जो मेरे एक कहने पर बिना ये सोचे कि उसके पापा सेंट्रल मिनिस्टर है और यदि वो कोई लड़की को गलत ढंग से छेड़ता है तो बहुत बदनामी होगी, फिर भी साची को ट्रैप करने के चक्कर में खुद की बेज्जती सह लिया, लेकिन दोस्त की मदद के लिए आगे खड़ा रहा।
आज सौरव और मेरे पुराने कॉन्टैक्ट सोमेश के वजह से मेरा परिवार जिंदा है। क्योंकि दिल्ली की जिन गलियों में मेरे परिवार को मारने कि योजना बनी थी, वहां 20 पुलिस वाले को सड़क पर मार दिया गया था और उस गली से एक भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। आज भी मैंने उसी सौरव और अपने पुराने एक और दोस्त जो उम्र में काफी बड़े है और जिन्हे मै अंकल कहता हूं सांसद सोमेश दत्त, वो उस गली में घुसे और मेरे पूरे परिवार को निकालने मै मदद कि।.. मै माफी चाहूंगा सोमेश दत्त की बेटी लिसा से भी, जिसे मैंने ट्रैप किया और अनुप्रिया के आश्रम भेजा सवाल जवाब करने और टीबी जगत पर उन्हें आने के लिए प्रेरित करने।
इसी क्रम में यहां मौजूद उन स्टूडेंट्स सब का भी शुक्रिया, खासकर विकास, मालविका, निशा, खुशी और उसके अन्य दोस्त, जो एक गलत राह पर भटके थे फिर मैंने उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तमाल किया और दिमाग में यह डाला की अनुप्रिया से सवाल जवाब करे। अनुप्रिया दिल की कली जरूर है लिकन वो गुरु निशी की शिष्य है, जिसके जवाब सुनकर सबका बौद्धिक विकास हुआ। उसका प्रचार हुआ और एक प्रोग्राम उसका करोड़ कि टीआरपी में गया। अनुप्रिया को मै आज के लिए इस मंच पर देखना चाहता था। ताकि आज जब मै उन लोगो को वास्तविक बता सकूं कि मै ऐसा क्यों हो गया, मैंने उनका इस्तमाल क्यों किया, जब मै ये कहानी पूरी दुनिया के सामने खुलकर बता सकूं, तब ये दोनो भी सुन सके।
मेरे इतने लंबे इंतजार के सफर के 2 मुख्य साथी, मेरे गॉडफादर और गॉडमदर जिन्होंने मुझे इस लायक ट्रेंड किया की मै इन जैसे का सामना कर पाऊं वो कुछ दिन पहले ही देश के लिए सहीद हो गए। वो जहां कहीं भी इस वक़्त होंगे, मेरी मां जहां कहीं भी होगी, मेरे साथ बड़े हुए वो 160 मित्र, ऐमी की मां और उसका भाई, मेरे अंकल, मेरी छोटी मां का पूरा मायका.. सब के सब.. आज जरूर खुश होंगे।
मै बदले कि राह पर नहीं था इसलिए इतने मौत होने के बावजूद भी मैंने किसी को नहीं मारा। मारना तो इनके लिए मुक्ति होती। बस जिस पैसे और पॉवर के लिए कइयों के मासूम जिंदगी में ये जहर घोल चुके, उसका पूरा भुगतान किए बिना इन्हे मरने कैसे देता। इनसे इनका पैसे छीनना था, सो मैंने छीन लिया। इनकी पॉवर छिन्नना था, वो भी मैंने छीन लिया। सबूत जमा कर दिए गए है, कोर्ट सजा भी तय करेगी इनका, ये वादा है। और आज नहीं मै 7 साल बाद इनसे पूछूंगा, क्या हासिल किया तुमने इतना लाश का ढेर बनाकर।
सॉरी जिन स्पॉन्सर का आज एड नहीं चल पाया, वो कृपया अपने अमाउंट वापस लेते जाएगा। इसी के साथ मै अपने और अपने परिवार के ओर से आप सभी से इजाजत चाहूंगा। अब शायद मेरा दिल रोने का हो रहा है और यहां रुक पाना काफी मुश्किल।
अपस्यु ने जैसे ही बोलना बंद किया.. स्क्रीन पर सवालों के बौछार लग गए। चन्द्रभान का क्या हुआ.. चन्द्रभान का क्या हुआ..
अपस्यु मुसकुराते हुए…. "उस रात 120-130 लोगो की टीम आयी थी, जिसमें से मात्र कुछ लोग वापस गए, बाकी अनुप्रिया जी की अनुकम्पा से इन्होंने सबूत मिटाने के नाम पर, उन्हें भी नहीं छोड़ा जिन्होंने उस कुंड में जिंदा लोगों को डाला था। उन्हीं में से एक चन्द्रभान रघुवंशी भी था, जिसे उन्ही के साथियों ने आग के हवाले कर दिया (पिता की मौत की असली वजह को छिपा लिया गया।)
एक लंबे दौर का समापन सा हो चला हो जैसे। प्रोग्राम समाप्त होते ही अपस्यु अपने आप में टूटा हुआ मेहसूस कर रहा था। ऐसे ही कुछ फीलिंग स्वास्तिका, ऐमी और आरव की भी थी। किसी से भी अब ज्यादा देर रुक पाना मुश्किल हो रहा था। वो चारो तेजी के साथ एक कमरे में दाखिल हुए और सीधे जाकर बेड पर रोना शुरू कर दिया।