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Romance भंवर (पूर्ण)

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Update:- 162








इसी सभा के साथ ही ऐमी और अपस्यु मुसकुराते हुए साथ निकले। आरव ने गले लगकर अपस्यु और ऐमी को विदा किया और एग्जिट प्लान के लिए हमेशा 2 रास्ते तैयार रखने का सजेशन दिया, ताकि गड़बड़ होने पर वो वहां से सुरक्षित निकल सके और बाद में उन्हें यहां देखा जाएगा।


12 दिसंबर की रात पेरिस के बीएनपी परिबास के ऊपर से एक बड़ी विमान गुजरी। रात के सीसी टीवी फुटेज में लगभग 60 ऐसे ट्रेलर थे जो कंटेनर लिए चारो दिशा में भाग रहे थे और बैंक प्रबंधन के 300 बिलियन यूरो कैश जो उनके रिजर्व में रखा रहता था, वो ले उड़े।


चोरी के तरीके को फ्रेंच पुलिस ने बाहर नहीं आने दिया, लेकिन आपस में जब डिस्कस कर रहे थे, तब उनके चोरी के तरीके देखकर दंग रह गए थे। तकरीबन 40 से 60 दिन पहले नॉन ट्रेसबाले डिवाइस बैंक में छोड़े गए। उन डिवाइस की मदद से 3 दिन पहले से ही अलार्म सिस्टम को ऐसा बिगाड़ा था कि जिसके लिए 13 तारीख को सुबह बैंक में नया अलार्म लगाया जाना था, इसलिए पुराना अलार्म निकालकर वहां 200 एडिशनल फोर्स की वयवास्था की गई थी।


कमाल तो इसके बाद और भी ज्यादा हो गया, जब एक प्लेन गुजरी और 6 किलोमीटर के दायरे को ही पुरा धुएं मै तब्दील कर दिया गया और चारो ओर हाई साउंड म्यूज़िक चला दिया गया। पूरी पुलिस इन्हीं सब कामों में लगी रह, इधर बैंक के चारो ओर और बैंक के अंदर ऐसी गैस छोड़ी गई, जिसके कारन ना तो कोई फाइट हुई ना ही कोई घायल हुआ, लोग धुएं कि चपेट में आए और बेहोश।


क्या दिलेरी के साथ वो लोगो सामने के दरवाजे से निकले थे। सीसी टीवी में उन्हें इत्मीनान से चोरी करते देखा जा सकता था। जैसे ही चोरी कि खबर बाहर अाई हर कोई शॉक्ड भी था और कई तरह के सक्रिय गैंग उन पैसों का पता लगाने में जुट चुकी थी और इधर कलिका के घर में जश्न जैसा माहौल चल रहा था।


रुद्रा नीलू से संपर्क करते… "वो पैसे लेकर कहां गया है।"..


नीलू:- हम डिएक्टिव मोड पर है, सर्विलेंस तो तुम रखे हो ना रुद्रा, तो फिर तुम्हे पता होना चाहिए।


रुद्रा:- पता नहीं दोनो ने क्या इस्तमाल किया था, इस बार हम उसके लैपटॉप को हैक नहीं कर पाए और उन्होंने अपना फोन कल रात ही किसी वीराने में फेक दिया था।


नीलू:- ओह मतलब अब तुम्हारी तरह वो भी प्राइवेट नंबर का इस्तमाल करेगा।


रुद्रा:- हमारी टीम कब पहुंचेगी उसके पास।


नीलू:- तुम्हारे तरह वो धार्य नहीं खोता है। इतना हड़बड़ी में रहोगे तो वो हाथ नहीं आएगा। तुम इस दुनिया के टॉप शिकारी का शिकार करना चाहते हो, तो शांत रहो और मुद्दा क्या है वो बताओ।


रुद्रा:- जब उसके पैसे उड़ाने है तो हम अपने कैश क्यों ले जाए। बस इसपर सोच रहा था। यदि लोकेशन का पता होता तो हम टीम के साथ हमला बोल देते।


नीलू:- इतना बेवकूफ समझा है क्या उसे। वो अभी अपने पैसे को अपने ठिकाने पर ले जा रहा होगा। आगे सुनो, पूरी फोर्स को कंट्रोल करके अपना पैसा लेकर वो निकल जाए, इसके तैयारी करने के लिए केवल अपस्यु और ऐमी ही होंगे उस इलाके में।


300 किलोमीटर का दायरा बोला है ना। मतलब वो 300 किलोमीटर को फेंसिंग करने में बिजी होंगे। वहां चारो ओर मोशन सेंसर और लैंड माइन वो तो पहले ही बिछा चुका होगा, उन सबको वो अपने कंप्यूटर से कनेक्ट करेगा। टेक्नोलॉजी से चलने वाला हथियार वो चारो ओर फिट करेगा और जब सब सुनिश्चय करेगा फिर तुम्हारे पहुंचने के ठीक पहले हमे कॉल करेगा।


अब ध्यान से सुनो, उसका पैसा उड़ाना है तो बिना उसके पैसे के करीब गए हमला करके जाने की सोचे, या बिना उसकी मर्जी से घुसने कि सोचे तो वो हवा की तरह गायब तो होगा ही, और उस क्षेत्र में किए गए फेंसिंग के कारन हम वहीं फंस जाएंगे। इसलिए जबतक उसका पैसा के पास ना पहुंचो और वो हमारे लोगो को कंप्यूटर पर बिठाकर ये ना कहे कि मेरे इशारे पर बस तुम्हे ये सब बटन प्रेस करना है, तबतक उसपर हमला करना मूर्खता है। सो डियर तुम्हारे पास डील के लिए पैसे नहीं है तो कोई बात नहीं, मुझे बता दो मैं अपस्यु के साथ होकर सेफ़ साइड खेल लूंगी। आगे तुम जानो और तुम्हारा काम, पैसे लाना ना लाना तुम्हारी मर्जी।


रुद्रा:- हम्मम समझ गया।


नीलू:- कुछ नहीं समझे हो सर आप। वो आपके डॉलर को के उड़ने के फिराक में है इसलिए 250 के जगह 300 बिलियन उड़ाया है। तुम्हे अंदाज़ा भी है 50 बिलियन क्यों एक्स्ट्रा चोरी हुए और इतने पैसे में वो अपनी जगह पर किस तरह का सिक्योरिटी डेवलप करेगा। तुम उसे तभी मात दे सकते हो जब फेयर खेलते हुए उसके पास पहुंचो, बिना भनक किए, ये सोचकर कि तुम ही फसने जा रहे हो। तब जाकर वो फसेगा।


नीलू की बात सुनने के बाद जैसे रुद्रा के अक्ल का पर्दा भी खुल गया हो। वो तुरंत ही अपने भाई बहन के साथ यूएस रवाना हो गया और लगभग 500 टॉप जल्लाद को युक्रेन के बॉर्डर पर डेरा डालकर रहने के लिए कहा। उनके अलावा 20 आईटी प्रोफेशनल भी इन लोगो ने हायर किया था।


रुद्रा अमरीकन बैंक पहुंचकर अपनी पहले से जमा राशि 220.0001 बिलियन यूएस डॉलर में से 220 बिलियन डॉलर का कैश पेमेंट उसने युक्रेन में मांगा, जिसके अरेंजमेंट के लिए उसने बैंक को 1 मिलियन यूएसडी का पेमेंट भी किया। 25% काटकर लगभग 219 बिलियन डॉलर पेमेंट के लिए और 1 बिलियन यूएसडी कैश अन्य खर्च के लिए उसने अलग कर लिए।


रुद्रा, कलिका, युक्तेश्वर और हंस के साथ 16 दिसंबर तक युक्रेन की राजधानी किएव पहुंच चुके थे। वहीं के बैंक से गुप्त रूप से कैश पेमेंट होता, जिसे ले जाने के लिए 50 लोगों की आर्म्ड फोर्स कीएव पहुंच चुकी थी।


22 दिसंबर 2014 ब्रयांस्की लेस नेचर रिजर्व, रशिया और युक्रेन के बोर्डर का क्षेत्र, जो दूर-दूर तक वीरान फैला हुआ था। ऊपर से दिसंबर का जानलेवा महीना और उस क्षेत्र मशहूर भूरे भालू, जो किसी को भी चिर सकते थे। फर के मोटे कपड़ों मै कैद 2 प्रेमी एक दूसरे के खुस्क होंठ चूम रहे थे और टेंट के अंदर आग जल रही थी।


ऐमी गहरी श्वांस लेती… "ऐसा लगता है नैनीताल के शार्दियो में हूं।"..


अपस्यु:- लेकिन तुम तो कभी शरदी में नैनीताल आयी ही नहीं।


ऐमी:- लेकिन तुम्हारे भेजे मेल को तो पढ़ा करती थी ना। वो जड़ी बूटी तुम साथ ले आए, वरना मेरी तो कुल्फी जम जाती।


अपस्यु:- तुम बेवकूफ हो, कह रहा हूं कंटेनर में रहो तो सुनती ही नहीं हो।


ऐमी:- तुम्हारे होंठ चूमने नहीं मिलेंगे ना, फिर तो मै प्यास से मार जाऊंगी।


अपस्यु:- मेरी बात सुनो, तुम जाकर कंटेनर में बैठो। मै उत्तर पूर्वी इलाके को फैंस करके आता हूं, फिर हम साथ में डिनर करेंगे।


ऐमी:- नाह चलो मै भी चलूंगी। इसका भी अपना मज़ा है बेबी।


चिन्हित इलाके में पहुंचने के 1 महीने पूर्व ही अपस्यु के दिशा निर्देश अनुसार सारे काम हो चुके थे। ऑयल, पोर्टेबल जेनरेटर, सर्व सुविधा वाली एक कंटेनर और 40 अलग अलग जगहों पर हाई क्लास टेंट लगे थे जहां ठंडी माइनस 40⁰ भी हो तो भी टेंट के अंदर रहने वालो को कोई असर ना हो। इसी के साथ कंटेनर उठाने के लिए 1 बड़ा सा क्रेन। इसके अलावा एक छोटा सा नेटवर्क स्टेशन, खाना पीना और इमरजेंसी के वक़्त जरूरत में काम आने वाली बहुत सारे सामान।


इन्हीं सब कामों के साथ अपस्यु ने सारे इलाके में फेंसिंग का भी काम कर दिया था, बस 4 दिन पहले वो पहुंचा था और तभी से घूम घूमकर मुख्य लोकेशन्स की मैनुअली जांच कर रहा था। आज के आखरी जांच के बाद अपस्यु और ऐमी दोनो अपने कंटेनर में आए।


ऐमी अपने बदन पर से वो मोटे कपड़े उतारती हुई… "ठंड में बिल्कुल सिकुड़ गई मै तो।"..


अपस्यु:- कोई नहीं अभी गर्मी देकर फैला देते है।


ऐमी:- हट बेशर्म, कैसे कैसे लैंग्वेज इस्तमाल करने लगे हो बेबी, सुनने में कितना अजीब लगता है।


अपस्यु ऐमी के पीछे आकर उसके गर्दन को चूमते हुए अपने हाथ से उसके जीन्स की बटन खोलते… "लेकिन करने में बहुत मज़ा आता है।"..


ऐमी:- छोड़ो भी क्या कर रहे हो। मुझे अकेले देखकर ये कौन सा नशा चढ़ जाता है। जब देखो तब मेरे कपड़े उतारने पर लगे रहते हो।


अपस्यु ऐमी के कानो के नीचे किस्स करते… "अच्छा ठीक है नहीं उतारता मै, अब चलो अपना मूड ठीक करो, और बताओ कि खाने में क्या लोगी।"


ऐमी:- आज छोले भटूरे खाते है ना।


अपस्यु:- बेबी ये रशिया वाले छोले भटूरे के आइटम नहीं दिए है।


ऐमी:- जानती हूं बाबा, लेकिन अब तुम पुछे तो मैंने बता दिया।


अपस्यु:- ठीक है यहां से जब लौटकर जाएंगे तो सबसे पहले हम छोले भटूरे ही खाएंगे। फिलहाल ये कॉर्न सूप और नूडल से अपनी भूख मिटाते है।


ऐमी:- 2015 की हम नई शुरवात करेंगे। जनवरी में घर में 3 शादियां भी है। हम खूब मज़े करेंगे। और..


अपस्यु:- और कुछ दिन परिवार के साथ। होली के बाद ही कहीं निकलेंगे।


ऐमी:- कहीं निकालने से वहीं ना, दोनो जो बिना सॉल्व किए हुए केस को छोड़ गए है, हम उनके लिए हम सॉल्व करके, उन दोनों को सुकून देंगे कि उनके जाने के बाद भी हमने केस सॉल्व कर दिया।


अपस्यु:- हां.. लेकिन ये आसान नहीं होगा। एक बार फिर हम भंवर में होंगे और इस बार जंग पैसे से हासिल ताकत की नहीं ही होगी, बल्कि सामना परछाई से है। गेम ऑफ शैडो।


ऐमी:- खैर छोड़ो अभी ती गेम ऑफ मनी पॉवर पर ध्यान देते है। यहां जीते तो ही आगे बढ़ेंगे।


अपस्यु:- यहां हरे भी, तो भी आगे बढ़ेंगे। यहां कुछ भी होता है तो हम पैसों को छोड़कर निकल जाएंगे। मैंने प्लान में कुछ तब्दीली की है।


ऐमी:- क्या हुआ अपस्यु पहली बार तुम्हे चिंता में देख रही हूं।


अपस्यु:- कुछ ठीक नहीं लग रहा ऐमी, ऐसा लग रहा है कोई गला घोंट रहा है और मेरा दम घुटा जा रहा है।


ऐमी:- हम्मम ! समझ गई, घर वालों की चिंता हो रही है ना।


अपस्यु:- नहीं उनकी चिंता नहीं है। उसके लिए तो आरव है। बस कुछ पॉइंट्स पर रह रह कर ख्याल जा रहा है।


ऐमी:- जैसे कि..


अपस्यु:- शायद बताने कि जरूरत नहीं है बल्कि प्लान में स्लाइड चेंज है।


ऐमी:- क्या ?


अपस्यु:- बदमाश अब कौन उकसा रहा है।..


"क्या सिर्फ तुम्हारा ही मूड हो सकता है। तुम जारी रखो।"… ऐमी अपस्यु के पैंट के ऊपर अपने हाथ का दवाब बनती हुई पूछने लगी..


अपस्यु:- कुछ नहीं बस 1 दिन का जो टाइम अपने पास रखा था, वो ना रखकर सब कुछ छोड़कर निकल जाएंगे। आह .. क्या कर रही हो ..


"तुम इधर ध्यान मत दो, और ये बताओ ऐसे अचानक से प्लान में तब्दीली क्यों? हम तो उन्हें रवाना करने के बाद निकालने वाले थे ना..".. ऐमी अपस्यु के जीन्स और अंडरवेयर को नीचे खिसकती हुई पूछने लगी।


"इतने एक्साइटमेंट में मै कन्सन्ट्रेट नहीं कर सकता। उफ्फ।"


ऐमी, लिंग पर अपना हाथ फेरना बंद करती… "बस वजह बता दो, क्यों उनके आते ही तुम निकालने कि सोच रहे।"..


अपस्यु:- आह.. काया के लिए.. प्लान में इतना मसरूफ थे, कि मैंने ये गौर नहीं किया की वो लिसा के साथ जब घूमने निकली थी भारत के अन्य क्षेत्र, तो यह बात बताने अकेली लिसा क्यों आयी थी। काया को उन लोगो ने ट्रैप किया है।


"अब इधर कन्सन्ट्रेट करो बेबी.. आई एम् फीलिंग होर्नी नाउ।…
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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Update:-164





अपस्यु:- हम्मम ! मुझसे क्या चाहते हो।


रुद्रा:- भाई तो गुस्से में लग रहा है। ऐसा लगता है नीलू और उसके साथियों से कुछ ज्यादा कि उम्मीद थी। खैर हम एक फेयर डील चाहते है।


अपस्यु:- हां मै सुन रहा हूं।


रुद्रा:- पहले तो तुम और ऐमी अपने लोकेशन से बाहर सतह पर आओ ताकि हम लोकेट कर सके तुम्हे…


अपस्यु अपने सुरंग से बाहर निकला और ऐमी अपने कंटेनर से। दोनो एक साथ खड़े हो गए…. "ओह हो तो जैसा सोचा था वैसा ही निकला। तभी ये नीलू मुझसे कह रही थी कि बिना पैसों डील के जगह पर गए तो डील संभव नहीं। और इसी जगह पर तुम्हे हराना आसान भी होगा। अच्छा हुआ जो हम वहां नहीं गए, वरना तुम तो मुझे और मेरे साथियों को बर्फ के नीचे ही दबा देते।


ऐमी:- कितना पकाते हो सर, जल्दी से प्वाइंट पर आओ।


कलिका:- "भाई थोड़ा तमीज तो सीखा देते, हम तुम्हारे बड़े भाई बहन है। खैर ये सब इंडिया में करेंगे, यहां हमे पैसे लेने है, और लेकर निकालना है। ध्यान से सुनो। हमने तुम्हे लोकेट कर लिया है, वहां कुछ आदमी नीचे उतरेंगे उन्हें आराम से वो अपना लैपटॉप दे देना, थोड़ी देर उनके साथ रुकना फिर वो चेक कर लेंगे की तुमने और कोई मास्टर कंप्यूटर या अन्य कोई डिवाइस अपने कपड़े या जिस गाड़ी से तुम हमारे ओर आओगे उसमे छिपा तो नहीं रखा है।"


"इतना होने के बाद वो तुम्हे कहेंगे जाओ और उस पार जाकर अपने साथियों को निकलो, और यूरोप से निकलकर इंडिया पहुंचो, क्योंकि अच्छा नहीं लगेगा ना कि तुम दोनो यहां मारो और तुम्हारा परिवार और दोस्त वहां। इसलिए सब साथ मारोगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। या फिर यहां से बचकर तुम हमे मारने का भी प्लान कर सकते हो, उसकी पूरी छूट हम देते हैं।"


अपस्यु:- योजना अच्छा है लेकिन एक चमत्कार तुम्हे दिखता हूं। ऐमी हमारे दायरे मै घुसे इस हेलीकॉप्टर को बाहर निकालो।


अपस्यु की बात सुनते ही ऐमी ने कुछ कमांड दिया और उनका हेलीकॉप्टर अनियंत्रित हो गया। पायलट ने तुरंत ही दिशा बदली और अपस्यु के फेंसिंग इलाके से वो हेलीकॉप्टर बाहर था।..


अपस्यु:- ओ भाई ये 250 बिलियन यूरो है, 2.5 करोड़ रुपए नहीं। मतलब यहां क्या सस्ते नशा करके आए हो। मै पैसा छोड़कर चला जाऊं। तुम्हरे लोग आएंगे मेरे नेटवर्क कंट्रोल करने, मेरा पैसा लेने और मै यहां खाली हाथ झुनझुना बजाऊं।


"नहीं एक बात बताओ मै 250 बिलियन छोड़ कर आ जाऊं और फिर तुम 5 की जगह 7 लाश गिरा दो। अच्छा गेम खेल रहें थे, लेकिन कोई बेवकूफ ही होगा जो ऐसा बकवास डील की सोचेगा भी। तुम पैसा मिलने के बाद भी जब लाश ही गीराओगे तो मारकर उनको कहानी खत्म करो। मै मेरा पैसा लेकर चला, 25% के प्रोफिट का हिस्सा तुम्हे ही देना है मुझे क्या घंटा फर्क पड़ेगा। अक्ल से पैदल ऐसे करोगे फेयर डील।


रुद्रा:- उम्मीद छोटे भाई उम्मीद। खैर तुम बताओ तुम कैसे वहां से निकल पाओगे जब मै रसियन आर्मी को भेज दूं।


अपस्यु:- पागल कहीं का.. पैसे अंडरग्राउंड है बस थोड़ा सा ब्लास्ट करके पैसे को रेलिकेट करना है और पास में ही हमारा एग्जिट प्लान है वहां से बाहर। ये कैसी कैसी बातें कर रहे हो बड़े भाई। 250 बिलियन की डील करने वाले को तुमने अनवर हटेला या पप्पू कनिया समझ रखा है क्या? फेयर डील सिम्पल है, तुम्हे मेरी जगह पर आना था तुम नहीं आए, डील अब भी वही है। तुम 25% अपना कमीसन लोगे और यहां से यूरो लेकर निकलोगे और मै डॉलर, इसमें कोई तब्दीली नहीं होगी।


उन 5 लोगों की कीमत 5 बिलियन मै देता है हूं, इससे ज्यादा की उम्मीद है तो उन्हें मार दो, 5 बिलियन में मै 10 अनमोल रत्न तैयार कर लूंगा। बकवास बहुत हो गई मै कॉल डिस्कनेक्ट करता हूं, तुम चाहो तो मेरे इलाके मै जबरदस्ती घुसपैठ कर सकते हो, पूरी रकम की चाहत में, लेकिन बता दूं इसमें जान जाने का 100% रिस्क है। चलो अब फोन रखो और सोचकर जवाब दो, तुम्हरे पास आधा घंटा है।


फोन काटते ही ये चारो भाई बहन जोड़ जोड़ से हसने लगे… "यार मै भी ना भावनाओ में बह गई थी। भुल ही गई थी कि ऐसा भी कोई प्रस्ताव होता है क्या? इन 5 लोगों की कीमत 5 बिलियन यूरो है तो फिर इसकी मां, बहन, भाई, इसका ससुर, इसके भाई का ससुर, वो इसकी दोस्त साची, काया, 10, 15 इसके भरोसे के लोग… देखना भाई हो गया ना 250 बिलियन का हिसाब क्या?"..


रुद्रा:- हां इतने में हो जाना चाहिए। चलो आराम से फेयर डील का ऑफर देते है, और यहां उसे दिखाते है कि इशारों पर कैसे नचाया जाता है, और कैसे उसके प्राण निकालते है।


रुद्रा कुछ मिनट बाद अपस्यु को वापस कॉल लगाते… "ठीक है डील मीटिंग के नॉर्म्स से होगी, मेरा कंटेनर लोड है, तुम अपने कंटेनर लेकर आओ। हम एक्सचेंज करके निकलेंगे। तुम्हारे साथियों को नीचे उतार रहा हूं देख लो। 5 बिलियन की वसूली मै इंडिया में कर लूंगा वो भी तुम्हारे डील के हिसाब से।


अपस्यु:- ठीक है लोकेशन सेंड करो कल ठीक 12 बजे दिन में हम अपने अपने कंटेनर लेकर निकल जाएंगे।


अपस्यु ने कॉल डिस्कनेक्ट किया। ऐमी हंसती हुई अपस्यु का हाथ थामती… "सरप्राइज के लिए शुरू से तैयार रहना था। शायद ये आखरी काम हो।"..


अपस्यु:- कोई नहीं ऐमी, अंजाम जो भी हो हम साथ में है।


दोनो की नजरें मिल रही थी और दोनो एक दूसरे के होंठ चूमकर कंटेनर लोड किया और चलते बने। रास्ते भर दोनो में खामोशी छायी रही। रात में आगे का सफर ना तय करके दोनो आराम से एक साथ एक दूसरे के बाहों में लेटे और चांद की रौशनी में एक दूसरे को निहारते रहे।


25 दिसंबर दिन के 12 बजे… ऐमी को सामने का कैंप दिख रहा था, जो की लगभग 300 मीटर की दूरी पर था। उन लोगो ने भी सामने से 4 कंटेनर को आते हुए देखा। चारो भाई बहन अपने भिड़ के साथ उधर से चले, और ये दोनो अपने ओर से।


कलिका:- उफ्फ कितना हैंडसम है मेरा भाई। लेकिन अफ़सोस इसकी जिंदगी बस आज की ही मेहमान है।


अपस्यु:- हम ये जानकर आ रहे है कि यहां खून के प्यासे बहुत से लोग होंगे फिर भी इतना ओवर कॉफिडेंस। ये बात कुछ हजम नहीं हुई।


रुद्रा:- दाद तो तुम्हारे कॉफिडेंस की देनी होगी। 540 लोगो के बीच घिरे हो। तुम्हारे 5 लोग स्वीट पॉयजन का शिकार है, जिसके इंजेक्शन का असर ऐसा है कि वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते, तब तक तो नहीं जबतक इसका एंटीडोट हम इन्हे नहीं दे देते। तुम्हारे ऊपर गोली उगलने वाले 2 ड्रोन है, जो हमारे उंगली के इशारे पर काम करते है, इसके अलावा वहां देखो… अरे बॉयज जारा जगह दो और सर को देखने दो।


सभी लोग जैसे ही किनारे हुए, कंटेनर फाड़कर 2 मिनी टैंकर बाहर निकले, जिसकी नली सामने खड़े 5 लोगों पर थी। रुद्रा फिर से बोलना शुरू किया… "इधर ध्यान दो मेरे भाई, इतनी तैयारी जो मैंने 1 बिलियन में की है, उसके बाद भी तुम अपना पैसा ले जा सकते हो, इतना कॉफिडेंस आता कहां से है तुम्हे। बेवकूफी मत करो और कंटेनर का ख्याल दिल से निकाल दो। तुम चुपचाप मेरी गोली खाकर मर जाओ और जब तुम मर रहे होगे, तो देख पा रहे होगे की हम कितने दरियादिल है जो तुम्हारी गर्लफ्रेंड और साथियों को यहां से जाने के लिए सेफ पैसेज दे चुके है।


ऐमी जोड़ जोड़ से हंसती हुई… "फास्ट एंड फ्यूरियस का बड़ा ही गंदा असर हुआ है। खैर एक छोटा सा नमूना हम दिखाते है, नजर जारा हमारे कंटेनर से 100 मीटर लेफ्ट पर लेना।"..


जैसे ही उन लोगों ने लेफ्ट में देखा एक बड़ा धमाका हुआ और कई फिट नीचे गड़ढे हो गया।… ऐमी चुटकी बजाती… "हेल्लो ब्रदर, इधर ध्यान देने का। एक पत्ते हिलने जैसा हरकत हुआ, तो हम तो डूबेंगे सनम लेकिन तुम्हे भी ले डूबेग।"


कलिका:- बहू काफी स्मार्ट है लेकिन एक बात भुल क्यों रही हो ऐमी, अभी और भी जलवा बाकी है। अब जारा इस स्क्रीन पर नजर डाल दो। ओह माय गॉड ये क्या हो गया.. हमने वो तुम्हारे थोड़े से जान पहचान वाले विन्नी और क्रिश तक को कैद किया है। हाय री किस्मत इन पैसों के लिए एक पूरे खानदान की जान लटकने वाली है। अपस्यु अब अच्छे बच्चे की तरह हमारा कहा मान लो।


अपस्यु, ऐमी का हाथ थामा, वहीं चिर परिचित मुस्कान उसके चेहरे पर थी।… "पैसे मिलने के बाद भी तुम मार ही दोगी, मुझे तो इस डील में किसी के भी जिंदा बचने की आस नहीं दिख रही। फिर जब सब मरेंगे ही, तो हम तुम्हे तड़पा कर क्यों ना मेरे। ऐमी छोटी सी हरकत और पूरे पैसे राख।"


ऐमी:- शौक से बेबी।


रुद्रा:- यार वाकई जैसा नीलू ने कहा था तुम बहुत ही टॉप के खिलाड़ी हो। चलो ठीक है एक काम करते है।


अपस्यु:- रहने दो बेवकूफों तुमने अपनी बाजी चल दी है अब मेरा टर्न है।.. बहुत बोल लिए और मै अब थोड़ा जल्दी में हूं क्योंकि तुमने वाकई खेल में बने रहने की बहुत कोशिश की है।.. बॉयज एंड गर्ल्स लेट दि शो बेगण


अपस्यु की बात सुनकर चारो भाई बहन उसकी बात पर हंस ही रहे थे कि तभी वहां चारो ओर धमाका होना शुरू हो गया। जिस जगह भिड़ खड़ी थी वहां लंबा सर्किल बन गया जिसमें तकरीबन नीचे 50 फिट का गद्दा और सामने की दूरी 20 फिट की। ऐसा लग रहा था जैसे इन्हे किसी मीनार पर खड़ा कर दिया गया हो।

इनके 2 टैंकर की पोजिशन जहां थी, वो पुरा का पूरा टैंकर ट्रेलर सहित नीचे भूमिगत हो गया। अपस्यु ने अपने पैसे के ट्रेलर जहां खड़ा किया था वो भी भूमिगत हो गया। डॉलर से भड़ा ट्रेलर वो भी जमीन में।


बस 10 सेकंड में ऐसा हो गया कि इन चारो ने अपना सर पकड़ लिया। तभी युक्तेश्वर ने शूट करने का ऑर्डर दिया और उधर उसका ही ड्रोन उसके पाऊं के नीचे जमीन पर गोली चलना शुरू जर दिया।… "बेवकूफों हम बुलेट प्रूफ जैकेट में है। ऐमी डेमो दिखाओ।"..


ऐमी ने बिना सोचे 3-4 गोली अपस्यु पर चला दी।.. "अब ध्यान से सुनो मेरी बात, तुमने मुझ पर शूटिंग किया तो मै तो बच जाऊंगा। लेकिन जो ड्रोन तुम्हारे उंगली के इशारे पर काम करती थी, वो अब हमारी है। मेरी स्वीटी ने तुमसे बात करते करते उसे हैक कर लिया, वो भी बिना नजरे नीचे झुकाए उस छोटे से कीपैड पर टाइप कर रही थी जो मात्र 4 इंच का है। मेरी स्वीटी है ना कमाल कि।"


नीलू:- आय आय रे, तुम दोनो ने किन जलीमो के बीच फसाया है, अब बात को खींचो मत चलो चलते है, तुम्हारा पुरा खानदान खतरे में है।


अपस्यु:- "एक मिनट बस हो गया नीलू, जारा कुछ कुछ बातें बता लेने दो। सुनो बेवकूफों मारना मेरी फितरत में नहीं है, इसलिए तुम सबको तुम्हारे नसीब के भरोसे छोड़ जा रहा हूं। आराम से नीचे की मिट्टी काटकर एक ओर की सीढी बनाओ नीचे उतरने के लिए और फिर दूसरे ओर से सीढी बनाओ ऊपर आने के लिए। जल्दी में हूं परिवार की जान खतरे मै है और तुमने सही कैलकुलेशन लगाया था, परिवार ज्यादा जरूरी है।"


"वो पैसे इस वक़्त मैं नहीं ले जा सकता, यही जमीन के नीचे दफन है। ले जा सके तो ले जाना। और एक बात तुम्हारे उस स्वीट पॉयजन का एंटीडोट हमारे पास बहुत पहले से है, गुरु निशी केवल तुम्हारी मां और मामा के गुरु नहीं थे, वो मेरे भी गुरु थे। पूरा वक़्त है सोचते रहो की भुल कहां हुई, हम तो चले। सुनो रे भाड़े के खजूर अगर किसी ने पीछे से गोली चलाई तो सबकी लाश यहीं दफन हो जाएगी।"


अपस्यु जबतक अपनी बात कह रहा था ऐमी सबको लेकर अपने साथ लाई एक हैवी ट्रेलर के पास पहुंची जिसका कंटेनर आम कंटेनर से 3 गुना ज्यादा बड़ा दिख रहा था। सबसे अलग और काफी लंबा चौड़ा… जैसे ही उस कंटेनर के चारो ओर का पर्दा हटा नजर के सामने एक 12 सीटर छोटा सा प्लेन था जिसमें बैठकर चारो उड़ गए।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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अपस्यु:- लगता है गाली सुनने का वक़्त आ गया है। मै सौरव को कॉल लगता हूं।


ऐमी:- वो पहले ही हमारे नाम से खुन्नस खाए बैठा है, लेकिन और कोई उपाय नहीं..


3-4 पूरी रिंग होने के बाद सौरव कॉल उठाते हुए… "कौन"..


अपस्यु:- तेरा बाप..


सौरव:- पिताजी अभी मै बिज़ी हूं मुझसे बात करने की कोशिश भी नहीं कीजिएगा।


अपस्यु:- सोमेश अंकल के घर पहुंचो 15 मिनट में मिस्टर सौरव वरना तुम जानते हो मै क्या कर सकता हूं।


लगभग आधे घंटे बाद… नीचे मस्त इटालियन मार्बल के फ्लोर पर एक ओर अपस्यु और ऐमी बैठे और ठीक सामने सौरव। सौरव उन दोनों को घुरे जा रहा था और ये दोनो सौरव को…


वर्ष 2010-11 जब सौरव अपस्यु से पहली बार यूएस में मिला था। सौरव अपने पिताजी के कहने पर यहां कोई भी डिग्री लेने तो चला आया, लेकिन बेचारे से वो डिग्री हो नहीं पा रहा था। इसी क्रम में सौरव की मुलाकात अपस्यु से हुई थी। एक स्वाभाविक मुलाकात जहां 2 लोग टकरा जाते है।


दोनो ही जिम्नास्टिक सीखने आते थे जहां अपस्यु को देखकर सौरव काफी प्रभावित हुआ था। फिर दोनो की मुलाकातें हुई। दोस्ती परवान चढ़ी, इसके क्रम में प्रॉक्सी करके सौरव ने अपनी डिग्री भी पा ली। यहां तक तो उसे भगवान कि कृपा से हुई दोस्ती ही नजर आयी।


लेकिन उसके बाद उसे खींचकर इंडिया लाना। सुलेखा के इंफॉर्मेशन के आधार पर सौरव को उसी कॉलेज में पहले से प्लॉट करना और फाइनली सौरव की अक्ल तब खुली जब पहली बार अपस्यु ने उसे साची को छेड़ने का काम दिया था।


फिर लड़के को समझते देर न लगी कि उसे पूरे सीसे में उतारा गया है। यहां कहानी ये बनाई गई की तुम्हारे पापा के खिलाफ मिश्रा बंधु साजिश कर रहे है। बेचारा बाप के नाम पर बेज्जती का वो दिन भी देखा जब उसे लावणी धो डाली थी और उसके बाद अपस्यु उसे घर आकर थप्पड़ मारकर गया।


उस आखरी काम के बाद फिर सौरव ने दोनो का कभी चेहरा देखना पसंद नहीं किया। वो कट लीया और अपने आखों के सामने अपने बाप को भी सीसे में उतारते हुए देख रहा था। खुन्नस तो थी लेकिन एक मात्र दोस्त भी अपस्यु ही था, जिसने उसे बहुत सहायता भी की थी।


कलिका के केस में उसे तब शॉक्ड लग गया जब भरी मीटिंग में पहले तो उसके बाप ने बेज्जती कर दी, कलिका को अपस्यु के साथ जोड़कर। ऐसा लग रहा था जैसे सबके सामने उसकी चड्डी खींच ली गई हो। उसके बाद तो दिमाग ही सन्न हो गया कि वहां चल क्या रहा है। पहले अपस्यु कलिका का सौतेला भाई निकला बाद में ये लोग उसी को रास्ते से हटाने का प्लान कर रहे थे।


उसी वक़्त सौरव के चेहरे पर तभी कुटिल मुस्कान आ गई, क्योंकि उसे समझ में आ चुका था की जल्द ही अपस्यु उससे संपर्क करेगा, फिर गिन गिन कर वो अपने बेज्जती का बदला लेगा। जो शायद मौका उसके लिए आ चुका था…


सौरव:- तेरी बहन कहां है?


अपस्यु:- उसे मरने के लिए छोड़ आया हूं।


सौरव:- मुझे उसी से शादी करनी है, वो सेफ रहेगी तभी आगे कोई बात होगी।


अपस्यु:- वो तुझे और तेरे बाप को कच्चा चबा जाएगी और डाकर तक नहीं लेगी।


सौरव:- ओके फाइन। मीटिंग यही खत्म करते है। मुझे आगे कोई बात नहीं करनी।


अपस्यु:- तुम क्या चाहते हो?


सौरव:- तेरा गला घोंट कर मार देना। और ये जो तेरे पास वो पागल बैठी है ना उसका भी।


अपस्यु:- अच्छा ठीक है जीजाजी कलिका से शादी कर लेना.. लेकिन कोई भी मन बनाओ तो वो 1 जनवरी के बाद बनना।


सौरव:- 1 जनवरी को भी यही डिमांड हुई तो..


अपस्यु:- फिर पुरा कर देंगे तेरे लिए..


सौरव:- काम क्या है वो बताओ?


अपस्यु एक तस्वीर दिखाते.. "इस लड़की को कहीं देखा है?"..


सौरव गौर से उस तस्वीर को देखते… "नहीं, नहीं देखा। क्या हुआ सो, अब इसे तुमलोग ट्रैप कर रहे हो।"


ऐमी:- ए क्या रे इतना भाव क्यों खा रहा है। सीधे मुंह भी तो बात केर सकता है।


सौरव:- दुनिया में कमीना और कामिनी की परिभाषा हो तुम दोनो, और मुझसे प्यार भरी बात की उम्मीद कर रहे। गनीमत है मेरा बाप तुम लोगो के बीच में है वरना तुम्हारे मर्डर की तो फुल प्लैनिंग कर लिया था मैंने। साले ये सात्त्विक आश्रम वाले घोंचू, चुतिया को दिखाई भी नहीं देता की ये दोनो उनके लिए कई सालो से प्लांनिंग कर रहे है, और ये लोग 2 महीने की प्लानिंग में तुमसे जितने कि कोशिश में जुटे है। जी तो किया को सारे पोल खोल दूं, फिर सोचा कहीं मेरा बाप ना लपेटे में आ जाए उन्हें डबल क्रॉस करने के चक्कर में इसलिए तू बच गया।


अपस्यु:- मैटर क्या है तुम्हे पता भी है..


सौरव:- कभी उस लायक समझ जो पुरा मैटर बताते। कमिने क्या कहे थे उस लड़की साची के केस में, मै उसे ट्रैप करूंगा, तुम जारा वहां कॉलेज में विलेन वाला ऐटिट्यूड रखना। कमीनो लड़की के हाथो मार खिलवाते शर्म भी नहीं आयी। ऊपर से मेरे घर आकर मुझे ही रफ्ता मार रहे। बेशर्मों मेरा मुंह ही नहीं खुला उस वक़्त भी, वरना पोल वहां भी खोल सकता था।


अपस्यु:- सॉरी में जानता हूं मैंने तुम्हारा इस्तमाल किया है। जब तू इतने दिनों से मेरे से खुन्नस खाए घूम रहा था तब एक मन हुआ कि तुम्हे सब बता दू, लेकिन तुम्हे सब बताने का मतलब होता की सामिल करना। और मै अपने खेल में तुम्हे सामिल करके तुम्हे खतरे में नहीं डाल सकता था। हां मानता हूं तुम्हारा कैरेक्टर मैंने बिगाड़ा था, लेकिन विश्वास करो यदि सब कुछ समय पर हुआ, तो 31 दिसंबर से लेकर 5 जनवरी तक मै तुम्हे तुम्हरे पापा का उतराधिकारी बाना दूंगा। अब चल जारा स्माइल कर।


सौरव:- मेरे साथ साथ कलिका को भी..


अपस्यु:- फिर से कलिका.... तू बावरा हो गया है..


सौरव:- और दुश्मनी ने तुझे अंधा कर दिया है। मै वहां पर था जब वो तुम्हे लिटल ब्रदर कह रही थी।


अपस्यु:- हां तो..


सौरव:- हां तो का मतलब.. वो तुम्हे सामने से बता रही थी कि उसे तुम्हारे बारे में सब कुछ पता है। बुरी है वो भी लेकिन संतुलन बना कर चलती है। अब तुम लोगो का क्या घरेलू मुद्दा है वो पता नहीं, लेकिन उसका कैरेक्टर भी डाउन नहीं होना चाहिए।


ऐमी:- बड़े भैया तुम्हारी सारी बातें हमने मान लिया। हमे तो उसमे कुछ भी अच्छा नहीं, दिखा लेकिन अगर तुमने कलिका को अच्छा परखा है, तो हम भी उसे अच्छा मानकर ही चलेंगे। अब आगे बात कर ले।


सौरव:- बताओ इस बार कहां फसा रहे हो।


अपस्यु:- अनुप्रिया के महल जैसे आश्रम में घुसना है और तुम्हे पता लगाना है कि ये लड़की काया है क्या वहां। या फिर मेरे घर वाले।


सौरव:- तुम्हारे घरवाले मतलब..


अपस्यु:- मतलब उन लोगो को अनुप्रिया ने किडनैप करवाया है, और हमे कोई क्लू नहीं मिल रहा की उन्हें किडनैप करके कहां रखा होगा।


सौरव:- यें तो सुनिश्चित है ना कि वो लोग दिल्ली में ही है।


अपस्यु:- कुछ कह नहीं सकते। हमे बिल्कुल भी पता नहीं।


सौरव:- ट्रैफिक की सीसी टीवी इमेज निकालवाऊं..


अपस्यु:- करके देख लिए, वहां उस दिन के खास जगहों की फुटेज को गायब जर दिया गया है।


सौरव:- तुमने कहा कि उन्हें किडनैप किया गया है, और उनका लाइव फुटेज देखा था, तो क्या नेटवर्क हैक करके पता नहीं कहा सकते?


अपस्यु:- लाइव फुटेज हमे बताया गया था, नेटवर्क हैक करने के बाद पता चला वहां कुछ भी नहीं है, केवल एक कंप्यूटर है। किसी ने वो इमेज उस कॉप्यूटर पर अपलोड करके फिर हमे वो लाइव फुटेज में दिखाया था।


सौरव:- मतलब साफ़ है उन्हें पता है कि इतनी बड़ी हस्ती को किडनैप किया है पुलिस या सर्विलेंस वाले ट्रेस कर सकते है, इसलिए वो हर उस चीज का इस्तमाल नहीं करेंगे जिनसे वो ट्रेस हो सकते है। यानी कि वो अनुप्रिया के आश्रम में कन्फर्म नहीं है।


अपस्यु और ऐमी एक दूसरे का चेहरा देखते… "हम समझ गए वो कहां है। एक परफेक्ट ट्रैप में।


सौरव:- अब ये परफेक्ट ट्रैप क्या होता है।


ऐमी:- ऐसा ट्रैप जहां फसने वाले तब तक नहीं निकल सकते, जबतक कि फसाने वाला उन्हें छोड़ ना दे।


सौरव:- और किसी ने छुड़ाने कि कोशिश की तो..


अपस्यु:- खुद तो जान से जाएगा ही, साथ में जो लोग फसे है, उन्हें भी खतरा है।


सौरव:- वैसे ये ट्रैप किया कैसे जाता है।


अपस्यु:- तुम्हीं तो मेरे हुक्म का इक्का हो, सब कुछ लाइव दिखाऊंगा।


सौरव:- कैसे..


ऐमी:- बस देखते जाओ.. पहले अब पता करना है कि उन्होंने है परफेक्ट ट्रैप का जाल कहां बिछा रखा है।


अपस्यु:- सौरव चिंदी चोरों से ये पता लगाने की कोशिश करो कि दिल्ली की कौन सी बस्ती में लोग अचानक ही पैसे खर्च करने के शौकीन हो गए है। इसे इनडायरेक्टली पता लगाना है। मै भी कुछ लोगों को इस काम मे लगता हूं, चलो ऐमी जारा थानेदार अजिंक्य साहब से मिल आया जाए।


रात के डेढ़ बज रहे थे, अजिंक्य के दरवाजे पर दस्तक हुई। इतनी रात गए दस्तक होना और कुछ दिनों से उसकी बहन का भी कोई पता नहीं था, दरवाजे पर दस्तक होते ही वो चौकन्ना हो गया और पीछे के रास्ते से धीमे पाऊं बाउंड्री के बाहर आया और घूमकर आगे आते हुए… "जो कोई भी हो अपने हाथ ऊपर करो, अपना हुड निकलो और आराम से पीछे मुड़ जाओ।"..


अपस्यु:- इससे ज्यादा अच्छा होगा कि आप घूमकर वापस जाइए और हमारे लिए दरवाजा खोलिए।


अजिंक्य:- तुम हो अपस्यु….. मुझे कुछ और ही शक हुआ.. रुको मै दरवाजा खोलता हूं।


अजिंक्य ने दरवाजा खोला। दोनो अंदर आकर बैठ गए। अपस्यु ने पहले उसकी सुनी फिर अपना सुनाया और उसे भी क्लू लेने के काम पर लगा दिया। लेकिन ऐतिहात से। अजिंक्य ने भी वही सवाल पूछा कि परफेक्ट ट्रैप में होता क्या है और जिस हिसाब से अपस्यु ने माहौल को समझाया, अजिंक्य ने उसे आश्वाशन दिया कि वो समझ गया है किडनैपर क्या चाह रहा है केवल 1 दिन का वक़्त दो मै वो जगह ढूंढ निकलता हूं।


28 दिसंबर दिन के 2 बजे…


"अपस्यु, अपनी 2 कार का लोकेशन ट्रेस हुआ है, दिल्ली राजस्थान के हाईवे पर।"… ऐमी अपना स्क्रीन देखती हुई कहने लगी।


अपस्यु:- 2 कार.. लेकिन वो दोनो कार वहां पहुंची कैसे..


ऐमी:- वो तो चलकर ही पता लगाया जा सकता है। शायद उन्ही इलाके में सबको कहीं किडनैप करके रखा गया हो।


अपस्यु:- हां संभव है, लेकिन हम बिना प्लांनिंग के वहां नहीं जा सकते ना, आरव और स्वास्तिका की बात अलग थी, लेकिन बाकी के लोग भी फसे है। कुत्ते ने हांथ बांध दिए है मेरे।


ऐमी:- "ऐसे हाथ पर हाथ धरे रहने से भी कोई फायदा तो नहीं होगा ना। जानते हो गलती कहां हो गई, तुमने आस्तीन में सांप को घर में जगह में दे दी और जिस बात से हम डरते थे, जिस सिचुएशन में हम कभी फसने की सोच नहीं सकते वहां फंस गए। हम 15 वीरदोयी के भरोसे परिवार को छोड़े थे और उसने पहले वीरदोयी को ही ट्रैप किया होगा।"


"आरव को बताकर जाते उनके बारे में तो हम केवल 31st की तैयारी कर रहे थे और उन आस्तीन के सांप को अनुप्रिया के साथ ही बेनकाब करते। कुछ तो सोचो, याद करो उनकी कोई बात जो क्लू दे, या फिर उस कामिनी श्रेया को ही पकड़ते है, उसके पास पक्का पूरा इंफॉर्मेशन होगा।


अपस्यु:- धैर्य से काम लो, रात तक आराम से रुकते है, यदि सौरव और अजिंक्य ने कोई खबर नहीं दी तो रात को हम निकलेंगे।


रात के तकरीबन 8.30 बजे। सोमेश के घर अजिंक्य पहुंचा। जैसे ही वो अपस्यु के पास पहुंचा… "उन लोगो का पता चल गया है। पुरानी दिल्ली के चूड़ी बाजार के पीछे का मोहल्ला हैं। एक ओर कसाई की बस्ती है और दूसरे ओर क्रिमिनल्स का कॉलोनी। दिल्ली के छीना झपटी वाले 40% केस उसी 500 मीटर के इलाके से अंजाम दिए जाते है। प्रॉपर फोर्स के बगैर किसी को वहां अरेस्ट करने भी नहीं जा सकते। अब तक उस गली में कितने लोगो को काटा होगा इस बात का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगा लो की वहां 20 पुलिसवाले मरे है।"
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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नीलू:- पटाना वटाना नहीं होगा अब सीधा मेट्रिमोनयल पर एड डालूंगी और उसमे से लड़का छांट कर शादी कर लूंगी। अब मेरी भी इक्छा होती है कि एक फैमिली हो। घर में कोई पूछने वाला हो। देर हो जाए तो डांटने वाला हो। सुकून का एक जॉब तो है ही।


ऐमी अपना लैपटॉप लाकर तुरंत टाइप करने लगी। जल्द ही सभी मेट्रिमोनयल पर प्रोफाइल तैयार था। "नीलू, यहां का काम समाप्त होते ही लड़को से मिलने के लिए तैयार हो जाओ।"


नीलू:- तुम मेरी हेल्प करोगी ना..


ऐमी:- ये भी कोई पूछने की बात है… बिल्कुल शौक से…


29 तारीख सुबह में 9 बजे…


"हमारे पास पक्की इंफॉर्मेशन में तो है कि उस 3 स्टोरी कोल्ड स्टिरेज में सबको बंधक बनकर रखा गया है, लेकिन अब तक किसी ने अपनी आखों से देखा नहीं है। दिल्ली के अन्य इलाके जहां ये परफेक्ट ट्रैप किया जा सकता था, उन इलाकों की भी रिपोर्ट आ गई है। 3 जगह और शक के दायरे में है। जिसमे एक बड़ा बाजार, दूसरा जमा मस्जिद के पीछे का इलाका और तीरारा पार्लियामेंट रोड है। पार्लियामेंट रोड के हर घर में सीसी टीवी को हम हैक कर चुके है, वहां बिल्कुल क्लीन माहौल है, लेकिन इन 2 इलाकों की छानबीन नहीं हो पाई है, क्योंकि इन इलाकों में कहीं भी कोई सीसी टीवी नहीं लगा है। कई सारे मोबाइल भी हमने हैक किए, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। कोई भी कदम उठाने से पहले हमे सुनिश्चित होना होगा कि वो कहां बंधक बनाए गए है।".. अपस्यु सबको संबोधित करते हुए कहने लगा..


नीलू:- अनुप्रिया के सर्विलेंस को हम नजरंदाज नहीं जर सकते, यहां मौजूद हर किसी का चेहरा उसके सिस्टम में है। लेकिन एक उपाय है जिसके जरिए हम पता लगा सकते है।


अपस्यु:- कैसे..


नीलू:- राठौड़ मेंशन में चोरी करवाकर। यदि 8-10 चिंदी चोर को हम राठौड़ मेंशन में घुसा दे और वहां से वो एक हैवी अमाउंट उड़ाते है तो बंटवारा कहां होगा, ऐसे किसी जगह कर जहां इनकी क्राइम की कम्युनिटी बिल्डिंग हो।


अपस्यु:- वो सब तो ठीक है लेकिन राठौड़ मेंशन में इस वक़्त इतना सारा कैश कैसे आएगा।


नीलू:- 500 करोड़ मै तुम्हे इस वक़्त उधार दे सकती हूं, लेकिन बदले में मुझे 1000 करोड़ चाहिए।


अपस्यु:- लालची कहीं की, दिए.. प्लान बताओ..


नीलू:- अजिंक्य को बोलो कि अप्रत्यक्ष रूप से ये खबर उन दोनों इलाके के थानेदार को पहुंचा देने, जहां सबके बंधक होने की गुंजाइश है। घर पर कोई नहीं है इसलिए पैसे का डाका डालने और उतने पैसे को बांटने के लिए वो लोग अपने कम्युनिटी हाउस ही जाएंगे। आगे की कहानी शायद बतानी नहीं परे।


अपस्यु:- ठीक है फिर अपने गांव से नीलेश और आदर्श को बोलो 500 करोड़ को 10 अलग अलग बैग में पैक करके ले आए। साथ में हर बैग में कैमरा लगा दे। राठौड़ मेंशन में घुसने का पास वहीं गांव के महल से जाकर कलेक्ट करेगा और मेंशन के हॉल में ही पैसा रखवा कर वहां से निकल जाए। नरफ़ा तुम 4 आदमी लेकर चोरी से स्टाफ क्वार्टर में दाखिल हो जाओ। यदि उन लोगो ने पैसा ले जाने के लिए अपना बैग इस्तमाल किया, तो तुम्हारी जिम्मेदारी होगी उन बैग में कैमरा लगाना।


सब तय हो चुका था। अजिंक्य अपने कुछ मित्रों से कुछ केस के सिलसिले में संपर्क किया और अपने इलाके की परेशानी बताते हुए कहने लगा। उसकी एक्स्ट्रा ड्यूटी राठौड़ मेंशन में लगी है। घर के लोग गायब है और रोज बैग भर-भर के पैसे जो आते है, और सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी पर आ गई है। ना तो कोई प्राइवेट सिक्यूरिटी है, और ना ही कोई लोग। साला अंदर मुश्किल से 4-5 नौकर और बाहर मै 4 लोगों के साथ। जबतक बैकअप आएगा वो लोग हमे घायल करके माल ले उड़ेंगे।


बस फिर क्या था दाना डाल दिया गया था और दिन के उजाले में ही डकैती को अंजाम से दिया जा चुका था। नरफा को कोई मेहनत नहीं करनी पड़ी, शायद ये लोग अपने इलाके को लेकर कुछ ज्यादा ही सुनिश्चित थे। लेकिन ऐमी और अपस्यु को हर परिस्थिति के लिए तैयार होना था, इसलिए जैस ही वो मेंशन में घुसे, वैसे ही उनका मोबाइल हैक हो चुका था।


लगभग एक ही वक़्त में 2 टीम चोरी के लिए पहुंच गई। पैसे को देखकर कौन हिस्सेदार बनाना चाहता है, इसलिए दोनो पक्ष में पहले जुबान की लड़ाई शुरू हुई। दोनो टीम के बीच विवाद बढ़ते देखकर, अपस्यु ने तुरंत मेंशन का सिक्योरिटी अलार्म बाजवा दिया। तुरंत ही दोनो ने आधा आधा पैसा बांटने का फैसला कर किया।


गाड़ी 2 दिशा में चली गई शाम के लगभग 5 बजे ये सुनिश्चित हो चुका था कि अजिंक्य सही कह रहा था और उसकी खबर पक्की थी। एक बार सुनिश्चित हो जाने के बाद, अजिंक्य को तुरंत ही खबर भिजवा दी गई।


29 दिसंबर रात के 8 बजे…



"तुम लोग अभी के अभी मेरे घर से निकल जाओ, वरना मजबूरन मुझे पुलिस बुलवाना पड़ेगा।".. सोमेश आक्रोशित होते हुए अपस्यु से कह रहा था।


"घर में सांप पाल रहे हो ऊपर से सभी सुविधा देकर फलने फूलने भी दे रहे तो यही हाल होगा ना। पहले दिन ही इसका फन कुचल देना था।".. सौरव भी उसकी बातों का समर्थन करने लगा।


सोमेश:- ये 7 सर वाला शेषनाग है सर, और मेरी औकात तो बस पिटारे में बंद सांप के सर कुचलने जितना है। आप तो होम मिनिस्टर के लड़के है, आपकी रेंज अलग है।


"होम मिनिस्टर के बेटे ने कि एक लड़की से जबरदस्ती शादी करने की कोशिश और अपने राजनैतिक कैरियर को ऊंचाई देने के लिए इसमें उसका पिता और संसद सोमेश दत्त भी सामिल थे।.. पापा मान जाओ वरना कल सुबह की यही हेड लाइन होगी। वैसे भी मै इस वक़्त आप लोगो से कहीं ज्यादा चर्चित तस्वीर हूं मीडिया की। भविष्य सोच लो अपना।"… लिसा धमकाती हुई कहने लगी।


सौरव, सोमेश को एक थप्पड़ मारते हुए… "कुछ देर पहले क्या कह रहे थे अपनी बेटी के इंट्रो में, पूर्ण भारतीय नारी जिसमे आदर और सम्मान कूट कूट कर भड़ा है। ये इन कमीनो के साथ मिलकर कूट कूट कर हमारा ही तेल निकालने के इरादे से है।"


सोमेश:- सर इसने पहले ऐसा कभी नहीं किया। पता नहीं क्यों आज ये पॉलिटीशियन की तरह क्यों बिहेव कर रही है।


सौरव, जोड़ से हंसते हुए… "सोमेश जी, मुझे लगता है आप अब भी नहीं समझे। पूछ लो अपनी बेटी से वो इस वक़्त किसी के प्यार में जरूर होगी, और वो लड़का इन्हीं दोनों के कोई पहचान का होगा। आप की बेटी को झांसे में लिया है दोनो ने। प्लान करके फंसाया है। और ये यूके की अनपढ़, इनके ट्रैप को नहीं समझ पाई।"..


लिसा, सौरव को एक थप्पड़ मारती…. "मुझे मेरे लवर ने सबकुछ पहले ही बता दिया था। और सारी सच्चाई जानने के बाद ही मैंने उसे हां कहा था।"..


सौरव:- बेवकूफ लड़की, वो 20वी शताब्दी का दौर था जब सच्चाई छिपकर ट्रैप करते थे। ये 21st सेंचूरी है। यहां ट्रैप करने के बाद जैसे ही इमोशंस नजर आने लगते हैं, पहली फुरसत में सच्चाई बताई जाती है, ताकि तुम जैसे मूर्ख उनके बिछाए जाल को भूलकर, मेरा सच्चा प्रेमी मानने लगो। अरे ये कमीना अपस्यु जरूर कोई तंत्र मंत्र करता है, जिससे लोग इसके झांसे में आ जाते है।


लिसा:- व्हाट्एवर मुझे तो प्यार हो गया, जाल बिछाए या जाल फैलाए मुझे मतलब नहीं। यदि काम नहीं किया तो मैंने अपने क्षेत्र के थानेदार को एसएमएस भेज दिया है, सरजी बचालो मेरा बाप, होम मिनिस्टर के बेटे के साथ मेरी जबरदस्ती शादी करवा रहा है। वैसे अपस्यु ने बताया कि एसएमएस को लीगल डॉक्यूमेंटेशन में इस्तमाल नहीं कर सकते, इसलिए मैंने मेल भी कर दिया है।


सोमेश अपनी आखें बड़ी करते… "क्या मैंने तुम्हे इसी दिन के लिए पाला था बेटा।"..


लिसा:- ऐसे नहीं मानोगे आप, मम्मी को बुलाकर आपके और आपकी वो जिला करायकर्ता सोभा राणा का अफेयर बताना ही होगा।


सोमेश:- रुक ब्लैकमेलर मै समझ गया तू मेरी ही बेटी है। उल्टा सीधा अफवाह फैलाने की जरूरत ना है मै तैयार हूं।


सौरव:- मरो तुम लोग लेकिन मै तैयार नहीं।


अपस्यु:- जीजाजी जोरू के भाई का काम नहीं करोगे तो बीवी नाराज हो जाएगी।


सौरव:- ना ये होने वाली बीवी हटके है, तुम्हारा यदि मैंने मर्डर करवा दिया तो वो मेरे पाऊं धोकर पिएगी।


अपस्यु:- 31 दिसंबर, लगभग 20 करोड़ देश-विदेश की जनता, जब महिदिपी और अनुप्रिया का प्रोग्राम देख यही होगी और तब 1 ही आदमी सौरव के लिए 2 न्यूज फ़्लैश होंगे, पहला अपने दोस्त का साथ देने के लिए विलेन बना होम मिनिस्टर का बेटा सौरव, जिसने अपनी खराब इमेज बनाकर भी दोस्त का साथ दिया, एक अहम कड़ी जोड़ने। बाद में जब उसी दोस्त की फैमिली को किडनैप कर लिया गया, उन्हें 10000 जल्लादों की भीड़ में लाकर रखा गया, तो वो लड़का सौरव, दोस्त के लिए बिना अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया। एक फेक रैली निकालकर इलाके में घुसे और सेना के कुछ ट्रेंड ऑफिसर को अंदर घुसने का पूरा अनुकूल मौका दिया, ताकि बंधको को बिना नुस्कान के निकाला जा सके। आज अगर मायलो ग्रुप के मालिको का खानदान जिंदा है तो उसका पूरा क्रेडिट सौरव कश्यप को जाता है जिसमें कदम से कदम साथ मिलाया सोमेश दत्त ने।


अपस्यु जब अपनी बातें सुना रहा था तब सोमेश और सौरव अपने गर्दन थोड़ा टेढ़ा करके, कान लगाकर पूरी बात सुन रहे थे। ऐसी बातें सुनकर ऐसा लगा जैसे कानो में मिश्री घुल रहा हो। बात पूरी होते ही दोनो एक साथ… "हम तैयार है।"..


लिसा:- ओय मूर्खो.. अभी तो कह रहे थे कि कैसे लोग इसकी बातों मै फस जाते है, अब क्या हुआ। क्यों फंस रहे उसकी बातो में। क्योंकि तुम्हे भी पता है ये जो अभी यहां बोल रहा है, वो सच में होने वाला है। चलो अब नखरे बंद कर दो दोनो और जैसा कहा जाए वैसे सिर्फ ऑर्डर फॉलो करना।


सौरव, सोमेश को देखते हुए… "आदर और संस्कार तो कूट कूट कर भरे है।"..
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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उस गली के लोगो को अपने भिड़ पर बड़ा ही गुमान था शायद और अपस्यु उनकी इस घमंड को तोड़ने के लिए कल 4 फिट की रोड नहीं, बल्कि ढाई फीट की छोटी सी कुल्हाड़ी इस्तमाल करने वाला था। किसी को मारना तो मकसद नहीं था, लेकिन सबको आदेश मिल चुके थे, जो भी सामने अाए ऐसा वार किया जाए, अंग भंग हो जाए। अगली बार भिड़ लगाने से पहले उनकी रूह तक कांप जानी चाहिए। इसके लिए गांव से खास मंगाई गई थी, चमचमाती धातु से बनी मजबूत 200 कुल्हाड़ी, जो दिखने में काफी आकर्षक हथियार लग रहा था। इसी में साथ एक्सट्रीम परिस्थिति से निपटने के लिए ड्रोन, स्मोक बॉम्ब, और ऑटोमेटिक रयफल


4 मुखिया थे उस इलाके के… नवीन, मुख्तार, अनवर और जावेद। चारो ने ऐसा इस इलाके में अपनी पकड़ बनाई हुई थी कि लोग इन्हीं के बहकावे में आकर कुछ भी करने को पागल से रहते थे। चारो में से कोई भी एक, लोगो के भिड़ को काबू में करके, अपने इशारे पर नचा सकता था। चारो की तस्वीर अजिंक्य ने अपस्यु को दे दिया था और पुलिस प्रशासन की ओर से, उस इलाके में गिरे 20 पुलिस वालों की लाश के बदले इन चारो को मौत की सजा दिए बिना ना लौटने की गुजारिश की गई थी।


अपस्यु ने पुलिस के टारगेट को भी साझा किया और साफ शब्दो में का गया... "चारो को देखते ही मार डालो।"..


रण एक बार फिर सज चुकी थी। सुबह-सुबह ही युद्ध के लिए हवन तैयार कर लिया गया था। अपस्यु युद्ध के पूर्व विजई हवन करने के बाद, हर किसी को तिलक लगाया और सूट उप करने के आदेश मिले। हर कोई किसी मल्टी मिलियनैर की तरह तैयार हुआ, हर गाड़ी में तकरीबन 20 करोड़ कैश और साथ में छिपाकर हथियार रख लिया गया था और दिखाने के लिए 1 पिस्तौल पैसे के बैग के ऊपर रख दिया गया था।


दिल्ली पुलिस के कुछ ईमानदार लोग, जिनको इन इलाके से कुछ ज्यादा ही बैर था, उसके 40 लोग उस आधे किलोमीटर के उनके दायरे से दूर, अपने हाथ में सिंगल जैमर लिए बस 2 बजने का इंतजार कर रहे थे।


दिन के 2 बजे अनुप्रिया की चमचमाती कार एक ऑडटरियम में रुकी, जहां के गेस्ट रूम में उसे और महिदिपी को रूकवाया गया। उसी के साथ मुख्य पार्टियों के कई दिग्गज नेता वहां पहले से मौजूद थे।


इसी के साथ दिन के 2 बजे गाड़ियों का काफिला गली के मुहाने तक पहुंच चुकी थी। 6 गाडियां उन लोगों की थी जो दान करने आए थे, जिसमें सबसे आगे खुली जीप में सोमेश और सौरव हाथ जोड़े लोगो का अभिवादन कर रहा था। उसके आगे एक दिल्ली पुलिस और एक सेना की जीप थी, जिनपर 6-6 हथियारबंद लोग सवार थे। पीछे से भी इसी प्रकार से सुरक्षा कर्मियों के गाड़ी का काफिला था। और इनके बीच 5 बुलेट प्रूफ कार उन उद्योगपति और एनजीओ की थी जो दान करने आए थे।


गली के पास आकर सभी गाडियां रुक गई। भिड़ ने रास्ता रोक रखा था। कुछ लुक्खे और आवारा से लड़के, हर कांच पर हाथ मारकर डिक्की खोलने को कह रहे थे। सेना के जवान उतरकर हर कार की डिक्की के पास खड़े थे और एक कार से उतरकर, नीलू अपने 3 साथियों के साथ सोमेश और सौरव के पास पहुंचे।


लड़के हर डिक्की को चेक करने बाद उनके मुखिया नवीन और जावेद को बताने लगे… "5 कार में बैग भर-भर कर पैसे है, और साथ में एक पिस्तौल भी।"


नवीन:- सांसद जी आप के जीप में एक रुपया नहीं, कहां दान केर आए।


सोमेश:- बहुत से इलाकों से होकर आ रहे है नवीन भाई।


जावेद:- ये लड़की कौन है। (नीलू को देखकर पूछा)


सोमेश:- सेल्फी वाली है, उसी के लिए दान करने आए है।


जावेद:- हा हा हा.. ये सोशल मीडिया भी कमाल की चीज है। वैसे इतनी खूबसूरत महिला हमारे साथ खड़ी हो जाए तो हम पूरे बस्ती की सेल्फी दिलवा दे, वो भी बिना एक रुपया खर्च किए।


नीलू:- लुक मिस्टर आपका जो भी नाम है। हम ये सेल्फी के लिए नहीं कर रहे, बल्कि गंदगी में रहना और खराब पानी पीने से को हैल्थ प्रॉब्लम होती है, उसी का हल ढूंढने आए है। ये हम सबका काम है और हम सबको मिलाकर करना चाहिए।


नवीन:- मिलकर काम करने में हम पुरा भरोसा रखते है। होम मिनिस्टर जी के बेटे यहां तक आए, आप संसद महोदय यहां तक आए उसका धन्यवाद। दान जिनको करना है केवल उनकी गाड़ी अंदर जाएगी। और ये पॉलिटिकल फिगर नहीं है तो इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी मेरी। आप सब अपना काफिला कहीं और ले जाइए। इस बस्ती को करने वालों की जरूरत है ना कि वोट बैंक बटोरने वालों की।


नीलू:- थैंक्स यू सो मच।


जावेद:- आप मिस हम दोनों के साथ पैदल इस इलाके को घूमिए, बाकी के कार को सेंट्रल स्टोरी में घुसा दो।


जैसे हो जावेद और नवीन की बात सोमेश और सौरव ने सुनी, दोनो राहत की श्वांस लेने लगे। लेकिन तभी अपस्यु सौरव को खींचकर अपने कार में बिठाते.. "अंकल आप बाकी को लेकर जाओ, इनकी सुरक्षा अब मेरी जिम्मेदारी।"..


सोमेश अपने काफिले और मीडिया के साथ उसके आगे निकल गया, सौरव भी अपने बॉडी गार्ड्स को आश्वासन देते पापा से कह दिया बात करने। होम मिनिस्टर से तुरंत संपर्क किया गया, अपस्यु का नाम सुनकर उन्होंने भी सभी सुरक्षाकर्मी को लौट आने के लिए कह दिया।


अपस्यु:- सौरव कार में ही बैठे रहना उतारना मत, वरना तुम्हारा गला उतार जाएगा।


सौरव:- जानता है मै इसमें क्यों बैठा हूं, जब ये लोग तुझे मारकर तुम्हारी चमरी को बदन से निकाल रहे होंगे, तब मै आराम से मज़े से देखूंगा।


अपस्यु:- वो तो वक़्त ही बताएगा।


अपस्यु की कार सबसे आगे थी जो गली में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। अपस्यु अपने कार के इंडिकेटर को ऑन किया, सभी लोग इशारा समझकर अपने कोट के नीचे, 4 स्मोक बॉम्ब डाल चुके थे। जैसे ही सबने अपने अंदर स्मोक बॉम्ब डाला, उसके तुरंत बाद सभी कार से कई तरह के पटाखे निकालकर बच्चो के ओर फेकने लगे।


बच्चे उन पटाखों को लेकर धूम धड़का मचाने लगे। धूम धड़ाके की आवाज सुनकर 2 हथियारबंद लोग मनीष और राजीव मिश्रा को अपने साथ लेकर नीचे आए, जहां उस इलाके के 2 प्रमुख लोग मुख्तार और अनवर नीचे पहले से मौजूद थे।


एक किडनैपर:- यहां इतना शोर क्यों है मुख्तार


मुख्तार:- लक्ष्मी देवी खुद चलकर हमारे बस्ती में आ रही है तो उसका स्वागत होना तो चाहिए ना। वैसे तुम्हे डरने की जरूरत नहीं है, फोर्स अंदर नहीं घुसी है केवल आलीशान कार में अमीर बिज़नेस मैन है जो एनजीओ के नाम पर करोड़ों लूटाने आए है और इसी दान को आधार बनाकर सरकार से अरबों का टेंडर लेंगे।


दूसरा किडनैपर मिश्रा बंधु से… "तुम दोनो जाओ और देखकर आओ कोई फोर्स तो नहीं, यदि फोर्स हुई और हमे सूचना नहीं मिली, तो इस बिल्डिंग की पहली सीढी चढ़ने के पूर्व ही हर किसी की कुर्सी में धमाका कर दिया जाएगा।


दोनो भाई हां बोलकर बाहर बस्ती में निकल गए। इधर जावेद और नवीन के साथ नीलू आगे-आगे गली में चल रही थी। जावेद नीलू का हाथ पकड़कर किनारे करते.. "कार को आगे जाने दीजिए मिस, आप हमे अपना प्लान बताइए।"


जावेद और नवीन नीलू को अपने साथ एक छोटे से झोपड़ी के अंदर बिठाते… "प्लान बताइए मिस।"


नीलू अपने टाई को ढीला करती शर्ट के 2 बटन को खोलती… "ये कौन सी जगह बिठा दिए मिस्टर, मुझे घुटन सी हो रही है।"..


जावेद:- यही तो हमारा दर्द है मैडम हमे इस घुटन में जीना पड़ता है। बताइए यहां बैठते ही आपने इतना खोल दिया, फिर यहां की औरतें कितना खोल देती होंगी किवाड़ बंद होने के बाद।


नीलू:- व्हाट् ????


नवीन:- लौंडा कह रहा है यहां इतनी गर्मी पड़ती है कि औरतें अपना लगभग कपड़ा उतार देती है, कितने शर्मिंदगी की बात है ना मैडम। ऊपर से यहां के लौंडे, किसी भी जुग्गी ने घुसकर पेलम पेल मचाकर 10 मिनट बाद भाग आते है। बेंचो पता ही नहीं चलता इस बस्ती में को कौन किसका बच्चा है।


नवीन की बात सुनकर जावेद मुंह फाड़ कर हसने लगता है और हंसते हंसते अपना हाथ उसके शर्ट के ऊपर से स्तन पर डाल देता है। नीलू थोड़ा पीछे हटकर अपने स्तन के ऊपर अपना हाथ रखती… "क्या तुम पागल हो गए हो मिस्टर। मै तुम्हे जेल भिजवा दूंगी।"..


जेल के बात सुनते ही नवीन अपना पिस्तौल निकलता है… "यहां का जेल भी मै हूं और कानून भी। जावेद पटक साली को ऐसा पेलेंगे की ये भी क्या याद रखेगी।


नीलू:- रुको रुको प्लीज, ऐसे जबरदस्ती मत करो। मै तुम्हारे साथ सब कुछ करूंगी लेकिन प्लीज यहां नहीं, बहुत गंदी जगह है ये। प्लीज फोर्स मत करो। चाहो तो तुम अभी मेरे साथ किसी होटल में चल दो, लेकिन प्लीज यहां नहीं। यहां हमे सबने आते भी देखा है और बाहर कुछ लोग मोबाइल का कैमरा यहीं लगाए है। मै बदनाम हो जाऊंगी।


जावेद, नीलू के होंठ को काटते.. बैन दी लोड़ी, तुझे पिलवाने के लिए मखमल का बिस्तर लेकर आऊं मै। नवीन बाहर से भगा मादरचोदों को। अभी दोनो साथ में पेलेंगे इसे आगे और पीछे से..


गली के अंदर उस वक़्त जब नीलू को किनारे किया गया। अपस्यु की कार का काफिला चंद फासला तय करके, उस 3 स्टोरी बिल्डिंग में पहुंचा। चारो ओर से पब्लिक का झुंड और एक-एक करके कार का दरवाजा खुला… "ओ भाई लोग डिक्की का दरवाजा यहां पहले खोलने का हां। चल डिक्की खोल पहले।".. तेज आवाज में अनवर बोला और सभी डिक्की का दरवाजा खुल गया।


डिक्की से हाथो हाथ कैश, 3 स्टोरी बिल्डिंग में पहुंच रहा था, तभी वहां एक हवा में फायरिंग हुई.. "मदरचोद यहां से भिड़ जल्दी हटाओ, तुम्हारे मां का यार नहीं आया है। भले लोग है, अपने पैसे हमे दान करने आए है। अरे सर लोग को अंदर बिठाओ रे।.. मुख्तार चिल्लाते हुए कहा और वहां से भीर बिल्कुल गायब सी हो गई।


आर्म्ड किडनैपर्स ने जब देखा कि मामला बस्ती वालों का है तो वो लोग अपने काम में ध्यान देने लगे। 3 स्टोरी बिल्डिंग ऐसी थी कि जिसमे आगे से मात्र एक 4 फिर का दरवाजा था बाकी पूरी कि पूरी दीवार। जैसे ही दरवाजे के आगे अनवर खड़ा हुआ, और एक एक करके बैग के साथ पिस्तौल भी अंदर जाने लगा, ठीक उसी वक़्त अपस्यु की नजर मिश्रा बंधु पर गई उसने पीछे की सीट से दोनो वीरदोयी को उतारकर मिश्रा बंधु को तुरंत कार में पैक करने के लिए कह दिया।


वीरदोयी बिजली की फुर्ती से गए और कार के दूसरे ओर से दोनो भाई को पैक कर दिया। दोनो भाई कुछ समझ पाते उससे पहले ही वो कार में थे।..


अपस्यु:- आप दोनो को बहुत कुछ कहना होगा, लेकिन उससे पहले मै कहना चाहूंगा... अभी वक़्त नहीं है बात करने का और आप दोनो के नेचर को देखते हुए यही बेहतर है.. मुंह हाथ बांध कर बिठाओ इन्हे, ताकि कोई समस्या ना खड़ी कर सके।


दोनो वीरदोयी फुर्ती दिखाते हुए मिश्रा बंधु के हाथ पाऊं मुंह बांधकर कार के पीछे लुढ़का दिए। अपस्यु उन दोनों को इशारा करते हुए कहने लगा.. सबको प्लान के मुताबिक 5 मिनट का टाइमर से करने कह दो 2 बजकर 15 मिनट पर। उसने हामी भरी और संदेश पहुंचाकर वो दोनो 2 और वीरदोयी को लेकर सबसे आगे वाली कार के पास चला आया।


बाकी के लोग उतारकर, एक-एक करके अंदर उस 3 स्टोरी बिल्डिंग में घुसने लगे। मुख्तार और अनवर वहां पैसों को देखकर उन्हें खुशी से धन्यवाद कह रहा थे। यहां हर किसी ने 2.15 के समय पर एक टाइमर लगा लिया था जिसमें मात्र 2 मिनट बचे थे। 14 वीरदोयी अंदर थे जो कि इनके पागलपन पर चुप्पी साधे धीरे-धरे नीचे के फ्लोर पर फ़ैल रहे थे।


टाइमर शुरू होते ही उन लोगो ने अपने कोट में लगे स्मोक बॉम्ब का पीन खींच दिया। इधर अपस्यु और ऐमी भी अपने कार से बाहर आए। अपस्यु वीरदोयी के हाथ का सहारा लेकर 18 फिट का जंप किया, तेजी से 2 प्लास्टिक सी4 दीवाल में लगा दिया। 5 मिनट के टाइमर में, 10 सेकंड बीतते बीतते, वहां अंदर मौजूद वीरदोयी के कोट से धुआं निकलने लगा और इधर सी4 के धमाके से बीच के फ्लोर की दीवार टूट गई।


एक ओर जुग्गी में जहां नीलू के साथ नाटक चल रहा था, जहां जावेद खड़ा होकर अपने पैंट निकल चुका था और तब तक नवीन सबको भागकर जैसे ही अंदर आया, तेज धमाका से वो दोनो चौंक गए और धमाके की आवाज सुनते ही नीलू हंसते हुए कहने लगी… "ठीक है मूर्खो अब हमारा एक्शन टाइम आ गया।"

नवीन हंसा, जावेद अपने अंडरवेयर पर हाथ फेर रहा था और नीलू, बिजली सी तेज… तेजी के साथ उसने अपना कोट निकला और पीठ में टंगी दोनो कुल्हाड़ी उसके हाथो में। जावेद और नवीन क्या संभलते, इतना तेज और जोरदार प्रहार था वो की उनका बड़ा सा मुंह खुला हुआ था और गला काटकर जमीन पर। सर कटा धर खून के फव्वारे के साथ खड़ा फर्फारा ही रहा था कि नीलू उसपर इतना तेज लात मारी की वो जुग्गी का दरवाजा फाड़कर बाहर जा गिरा।


सर कटी लाश को खून में लथपथ देखकर वहां के लोग पागलों कि तरह चीखते हुए अपने अपने घरों कि ओर हथियार निकालने भागे और इधर नीलू अपने ऊपर का सूट निकालकर लैदर ब्लैक बुलेटप्रूफ ड्रेस में आ गई और चेहरे पर भी कला बुलेटप्रूफ मास्क चढ़ा ली।


मास्क चढ़कर वो अपस्यु के ओर दौर लगा दी। इस ओर जैसे हो धमाका हुआ हर कोई अलना 2 स्मोक बॉम्ब नीचे और 2 स्मोक बॉम्ब ऊपर के फ्लोर पर डालते हुए, अपने अपने टारगेट कुर्सी के पास पहुंचे। 14 कुर्सी 14 लोग, पहुंचते ही बिना समय गंवाए हर किसी को एंटीडोट लग चुका था और हर कोई अपनी कुर्सी सहित सीधा उस दीवार से कूदते हुए बचे 2 स्मोक बॉम्ब को गाड़ियों के काफिले के पार फेंकता जा रहा था।


नीचे चार वीरदोयी बड़ी सी जाल फैलाए सबको लपक रहें थे, ऐमी और अपस्यु उन्हें पकड़ कर खिंचते हुए नीचे कर रहे थे। नीचे आते ही हर वीरदोयी कुर्सी से बंधे बंधक को निकालकर, ड्राइविंग करने वालो को ड्राइविंग सीट पर और बाकियों को आगे पीछे बिठाते जा रहे थे।

टाइमर सेट करने के महज पहले मिनट में ये सब हो चुका था और वहां मौजूद किडनैपर्स इस एक मिनट में पहले धमाके पर चौंक गए। बाद में चारो ओर ऐसा धुआं हुआ कि, जिस-जिस ने कुर्सी के पास खड़े होने की जहमत उठाई, वो बस खुद से 200 की रफ्तार से आती हुई किसी से टकराने का आभाष किया और चिंख़ते हुए जमीन पर धराशाई थे।


बस्ती में चारो ओर बात आग की तरह फ़ैल चुकी थी और वीरदोयी भी फ़ैल चुके थे। सभी लोगों को सुरक्षित बिठाने के बाद अपस्यु अकेला ही धुएं के बीच अंदर वो ट्रिपल स्टोरी बिल्डिंग में घुस गया।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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Update:- 170 (B)





दोनो हाथ में 2 छोटी सी कुल्हाड़ी और दौड़ते वक़्त ना तो इस बात की चिंता की कुछ ही दूरी पर दीवार है और वो दीवार से टकरा सकता है। हवा को मेहसूस करने की अद्भुत क्षमता और खुद के लचीले पन की ताकत के साथ वो आवाज़ को ओर तेजी से दौड़ लगा रहा था।


जहां से गुजरा फिर तो हर किसी को मेहसूस हुआ कि कोई तेजी मै उसके करीब से गुजरा, और तेज चींख के साथ अपने बहते खून को रोकने की कोशिश में जुट जाता। कोई अपने जांघ पकड़े है तो कोई अपने कंधे।


जितना अफरा तफरी का माहौल उतना ही अपस्यु को मदद मिल रहा था। हर कोई बस चींख रहे लोगों की आवाज सुनकर, घुएं में इधर उधर देखने की नाकाम कोशिश कर रहे थे और महों उनके अंदर भय सा महसूस करवा रहा था। अपस्यु वहां मौजूद हर किसी को अंधेरे का भय करवा रहा था और लोग चिल्ला चिल्ला कर बेहोश हुए जा रहे थे। इतने में नीचे का धुआं हल्का सा छंटा और भय में खड़े किडनैपर्स को थोड़ा थोड़ा दिखना शुरू हो चुका था।


कांपते 6 लोग और हाथ में पकड़ा रायफल हल्का-हल्का हिलता, खून में नहाया एक लड़का अपनी कुल्हाड़ी लिए बीच में खड़ा, बस अपनी नजरे चारो ओर दौरा रहा था। राइफल का प्वाइंट अपस्यु के ओर और अपस्यु अपने लोहे कि कुल्हाड़ी अपने कमर के ऊपर सामने के ओर किए श्वांस अपने अंदर भर रहा था और उन 6 रायफल को देख रहा था। गोलियां फायर हुई और अपस्यु अपने कुल्हाड़ी को हवा में तेज लहराते, अपने बदन को हवा की भांति ऐसे लहरा रहा था कि सारी गोलियां कुल्हाड़ी से टकराकर दाएं बाएं जाने लगी, किन्तु एक भी उसके बदन को छू ना सकी। देखते ही देखते इनकी मैगज़ीन खत्म हो गई लेकिन एक भी गोली अपस्यु को छू नहीं पाई।


"उफ्फ ! क्या जलवा दिखाया है बेबी"… सम्मान और उत्साह में जोड़दार विस्सेल साउंड सबने दिया। ऐमी के इशारे पर एक बार और बाहर धुएं कि चादर बाना दी गई थी और ऐमी के साथ सभी वीरदोयी, बिल्डिंग के अंदर का धुआं छंटते ही पहुंचे थे। जैसे ही सब दरवाजे से अंदर घुस, अपस्यु का हवा में लहराकर अपने कुल्हाड़ी को अपने बदन के चारो ओर 360⁰ में लहराना और 6 रायफल के मैगज़ीन कि गोली को इस कदर रोकते देखकर सब जोश के साथ ये कारनामा देख रहे थे।


अपस्यु का एक्शन और स्टंट जैसे ही अल्प विराम लिया, उसके बाद तो जैसे उस ट्रिपल स्टोरी बिल्डिंग में कहर बरस रहा था। पहले फ्लोर के 6 लोगो को नीचे जमीन पर धराशाही करने के बाद हर फ्लोर पर बस खून ही खून और नीचे परे घायल लोग, जिनकी चींख गली के किनारे तक गूंज रही थी।


अपस्यु नीचे के फ्लोर पर 2 और कुकर्मी को ढूंढने लगा जिसे मारने का हुक्म मिला था। कुछ ही देर में वो दोनो भी मिल गए। दर्द से करारहते हुए दीवार से टिककर बैठे थे। दोनो के पास जैस ही अपस्यु पहुंचा, दोनो उसके पाऊं में गिरते.. "हमारी जान मत लो, तुम जो कहोगे मै करूंगा।"

"रिजवान, खलील, अमरेन्द्र, नीरज, विश्वेश्वर".. अपस्यु उनके पास बैठकर नाम लेना शुरू किया और ये लोग "माफ कर दो, माफ केर दो" की गुहार लगाने लगे … "अक्षत, राजू, सलीम, नदीम, पारेख, मोहन, गुलाब, मोहित, सुरेन्द्र, आनंद, अखिल, नितिन, अस्लाम, मुकेश और 2 महीने पहले तुम्हारा हाथो मरा साजिद।"…. "हमे माफ कर दो।"..


"सॉरी दोस्त तुम्हारा टिकिट कट चुका है।".. अपस्यु बैठकर उनके मुख्य गुनाह याद करवाते, उल्टे हाथ से एक कुल्हाड़ी मुख्तार के नाके के बीचोबीच मार कर उसके चेहरे को आधा चिर दिया। ये देखकर अनवर का हार्ट फेल कर गया और वो अपना सिना पकड़े तेज दर्द से चिंख्ने लगा। अपस्यु उसके चेहरे को भी बीच से चीरते हुए उसके प्राण को शरीर से आजाद कर दिया।


अबतक बाकी के लोग भी उस बिल्डिंग का पुरा मामला साफ करके, उनके गन पर कुल्हाड़ी मारकर बर्बाद कार चुके थे। सभी तेजी के साथ नीचे अाए। 2 बजकर 25 मिनट, गड़ी गली के दूसरे ओर से बाहर निकालने के लिए तैयार थी। काया, आरव और स्वास्तिका भी अपना बुलेट प्रूफ जैकेट पहन कर अपने हाथ में कुल्हाड़ी लिए कार के बाहर खड़े हुए थे, बाकी के लोग 3 स्टोरी बिल्डिंग को लगभग साफ कर चुके थे और धुवां छंट चुका था। लोग चिल्लाते हुए दौड़ लगा दिए। कुछ लोग फायरिंग करते जा रहे थे तो कुछ लोग अपने हाथ में धारदार हथियार लिए उनके ओर दौड़े…


"जहां मारो अंग भंग हो, तरपे और जिंदगी छटपटाहट में गुजरे की डेविल ग्रुप से पंगे क्यों लिए।".. आरव दहाड़ा..


"बड़े शौक से भाई, आज इनके भिड़ की ताकत भी देखते है, यही वो लोग है ना जिन्होंने हमे कहा था कि नंगा घुमाएंगे तो भी यहां कोई पूछने वाला नहीं। आज हम पूछ लेते है, और देखते है किसकी मां ने जाना है वो पुत जो जवाब दे दे।".. सवास्टिका की ललकार..


"चलो फिर इनको आज काल के दर्शन करवाए और कल आकर पूछा जाए क्या भाई हमे नंगा नहीं घुनाएगा क्या।".. काया के आखरी शब्द और तीनों शान से कदम से कदम बढ़ाते चले। सामने से आती भिड़ में घिरे तीनों ने, साथ कुल्हाड़ी उठा कर मारा, आगे खड़े लोग के कंधे पर कुल्हाड़ी लगा और फिर सीने पर लात मारकर उन्हें पीछे धकेलते… "सिर्फ मजबूत दिलवाले ही आगे आओ।"..


कुल्हाड़ी पेट की लाइन से दाएं से बाएं चली, खून के फ़व्वारा छूटा, सामने खड़े लोग की चीख हलख़ से निकली और सीने पर लात खाकर पीछे जाकर गिरे। इसी के साथ उन तीनों के साथ 10 वीरदोयी आकर खड़े हो गए। गली के दूसरे ओर अपस्यु और ऐमी के साथ 10 वीरदोयी खड़ा था और फिर शुरू हुआ भिड़ पर काल बरसना।


सटाक सटाक सटाक.. कुल्हाड़ी चलनी अब तेज सी हो गई थी, किसी के पेट कट रहे थे तो किसी के कंधे। चींख ऐसी की आज से पहले कभी एक साथ इतने लोगों की चींख कभी किसी ने ना सुनी हो। भिड़ इतनी की आगे खड़े लोग चींख सुनकर मुत रहे थे लेकिन पीछे हटने की जगह नहीं। खून ही खून चारो ओर और पुलिस को बुलाने के लिए जब फोन कर रहे थे, तब कोई कॉल नहीं लग रहा।


तकरीबन 400 पुलिस वाले उस गली के दोनो ओर खड़े थे। चीख और डर वो लोग गली के छोड़ तक मेहसूस कर रहे थे और हर पुलिस वाला जैसे अपने आप में कुछ अच्छा मेहसूस कर रहा था। गली के छोड़ को ब्लॉक किए हर पुलिस वाले के जेहन में, इस गली के पास खड़े होकर सुने वो अभद्र गालियां और लोगों के बीच खाए थप्पड़ याद आ रहे थे, जो यहां के लोग इन्हे दिया करते थे। आज अंदर से कुछ अच्छा मेहसूस कर रहे थे।


कुछ फरियादी गली के बाहर दौरे, पुलिस वालो के पाऊं पकड़े और मदद की गुहार लगाई। कुछ पुलिस वाले अपने चेहरे पर छलके खुशी के आशु को पोछा और बाहर निकाल रहे लोगो पर डंडा चार्ज करना शुरू कर दिया। पुलिस वालों के पास भी तो दिल था, उनकी भी तो भावनाएं रही होंगी। आत्मसम्मान जहां पर खोया था उस खोए आत्मसम्मान की आह निकल रही थी।


दोनो ओर से वहां मौजूद हर ऑफिसर ने लाठी चार्ज का हुकुम दे दिया। गली के दोनो ओर से पुलिस वालों का बेरहम डंडा चल रहा था। हर पुलिसवाला इतना ही का रहा था, "अब आ जा जिसे आना है।"


आज इस गली में कहर बरस रहा था। वीरदोयी और डेविल ग्रुप की लाइन टूट चुकी थी। हर कोई भिड़ में घुसा था, अपनी कुल्हाड़ी कंधे पेट और पीठ पर चलाते हुए बस सबको धराशाही कर रहा था। चिंखे इतनी तेज की आस पास के इलाके तक गूंज जा रही थी। अजिंक्य ने एक दिन पहले ही, उस पुलिस ऑफिसर के तार छेड़े थे, जिसको इस गली में नंगा करके घुमाया गया था और वो कितना बेबस है इस बात का एहसास करवाया गया था। दिल्ली के इस इलाके के एसपी को। खुन्नस खाया एसपी मामला सुरू होते ही 1 किलोमीटर का दायरा घेर चुका था। अपने 800 पुलिस वालों को बुला चुका था।


मीडिया को उसने घुसने नहीं दिया। पॉलिटीशियन घुसने कि कोशिश कर रहे थे उनसे इतना ही कहा गया, अंदर सेंट्रल होम मिनिस्टर का बेटा फसा है। कारवाही होने तक कोई अंदर नहीं जाएगा। एडिशनल सीआरपीएफ की 4 टुकड़ी और पहुंच गई, उसके हेड एसपी से मिला। एसपी अपने नम आंखो से यहां का दास्तां बताया और फिर अंदर क्या हो रहा है उसका ब्योरा। अंत में उसने इतना ही कहा.. "आपके ऊपर है, आपको क्या करना है। हम तो आत्मसम्मान गवाए बैठे है।"


वो हेड जैसे अपने किसी मजबूर साथी का हाथ थाम रहा हो। सबको लाइन से खड़ा किया और आदेश दिया, जान बचाकर लोगों तोड़ते रहो। उन्हें तबतक तोड़ो जबतक इनके हौसले ना टूट जाए। सब लोग दूसरे और तीसरे गली से घुस गए और अब तो चारो ओर से कहर बरसना शुरू हो चुका था जिसमें रहम को कोई गुंजाइश नहीं थी। लोग भागने को आ रहे थे लेकिन अब हर भागने वाली गली में फोर्स थी, और सबके हाथ पाऊं तोड़ रही थी।


ऐसे माहौल में क्या हो जब 800 पुलिस वाले, जो पहले से यहां के लोगों के कारण आत्मसम्मान खोया सा मेहसूस करते हो, 200 सीआरपीएफ के जवान जो अपने एक मजबूर साथी की अर्जी सुनी हो, ऐसा लगा जैसे उसके बटालियन के कई साथियों को फक्र की मौत नहीं दी गई है बल्कि उसे छल करके मार दिया हो। इधर बेरहम वीरदोयी जो अकेला 1 बटालियन के बराबर थे, यहां वो 20 की संख्या में थे और फिर आक्रोशित डेविल ग्रुप, जिसके परिवार के लोगों को भी इस इलाके में जलील किया गया, अपनी ताकत का नमूना पेश किया गया था।


पागलों की तरह चिंख्ते हुए अपस्यु, भिड़ में घुसकर अपने पूरे बदन को हवा में झुककर गोल-गोल लहराते, कुल्हाड़ी के वार पर वार किए जा रहा था। हर किसी के ऊपर खून के धब्बे लगे हुए थे और सभी खून में लथपथ। तकरीबन 4000 लोग इनके हमले से घायल होकर चारो ओर गली में दर्द से चिल्ला रहे थे। भिड़ गली से बाहर भागने कि कोशिश में थी और भागने की हर जगह से जब फोर्स इन्हे अंदर धकेल रही थी, तब वीरदोयी और अपस्यु के हाथो और लोग शिकार होने आ रहे थे..


2 बजकर 20 मिनट से लेकर 3 बजकर 20 मिनट, पूरे 1 घंटे इनकी कुल्हाड़ी चलती रही। बाहर भाग रही भीड़ को जब फोर्स खदेड़ती हुई अंदर पहुंची, पहली बार फोर्स को गली के अंदर का नजारा यहां से वहां तक दिखा… इस बार पुलिस वालों और सीआरपीएफ के जवानों के चौंकने की बारी थी। सबको जैसे सांप सूंघ गया हो और स्तब्ध खड़े होकर गली में बिखरे लोगों के कटे फटे घायल शरीर को और खून से लाल हो चुके गली को देख पा रहे थे।


2 पुलिस वाला और 2 सीआरपीएफ का जवान भागते हुए एसपी और सीआरपीएफ हेड के पास पहुंचा। अंदर जो उसने देखा, वो आंखो देख सुनाया। एसपी, अजिंक्य को लेकर अंदर भगा। फोर्स के भिड़ को एक किनारे करते, उसने सबको रुकने कहा। अजिंक्य वहां की हालत देखकर दूर से ही चिल्लाया अपस्यु नहीं रुक जाओ। रुक जाओ।


अपस्यु के कानो में जैसे ही आवाज़ परी उसने अपनी कुल्हाड़ी रोकी, तेजी से चिल्लाया… "वैल डॉन डेविल्स .. अब रुक जाओ।".. जैसे ही सब रुके अपस्यु ने अपना मास्क उतरा…

"बहुत नंगा नाचे इस गली में तुम सब भिड़ के दम पर। मेरी फैमिली थी यहां और क्या क्या कहा था। … हम फिर आएंगे, आते रहेंगे.. आज के बाद किसी ने यहां भिड़ को धौंस दिखाई तो इस बार घायल करके छोड़ा है, शायद अगली बार मै तुम जैसा ना बन जाऊं, और जान से मारना ना शुरू कार दूं। तुम्हारे 4 बॉस ऊपरवाले को प्यारे हो गए, और किसी को यदि यहां का बॉस बनना हो तो मुझसे मिल लेना। सब बॉस को एक ही जगह पहुंचा दूंगा।"… अपस्यु वहां बीच में खड़ा होकर अपनी बात कहा, जबतक एसपी भी पहुंच गया।


एसपी आते ही खून में नहाए अपस्यु को गले से लगाकर रोने लगा। पीछे सीआरपीएफ का हेड था जो अपने कुछ लोगो के साथ आया था तो कुछ और करने, लेकिन रुक गया। एसपी अशोक बंसल रोते हुए उसे धन्यवाद कहने लगा।


अपस्यु उसे खुद से अलग करते… "सर इतना दिल में दर्द था तो एक बार अपनी कहानी हमसे तो कहकर देखते। बस एक रिक्वेस्ट है 5 से 7 के बीच मै अपनी कहानी आज सारी दुनिया को टीवी में बताऊंगा, प्लीज उसके बाद मुझे अरेस्ट करना। नाम अपस्यु रघुवंशी। पता राठौड़ मेंशन। शाम 7 बजे मै आपको ऑडिटोरियम में मिल जाऊंगा। फिर आप आराम से अरेस्ट केर लेना।"


अशोक:- हम्मम ! मै भी तुम्हारी कहानी देखूंगा आज शाम 5 बजे से, उसके बाद ही कोई कार्यवाही होगी। मै रास्ता साफ करवाता हूं, तुम अपनी फैमिली को लेकर निकलो।


अपस्यु:- रहने दीजिए सर… ब्वॉयज एंड गर्ल्स 2 मिनट में रास्ता क्लियर चाहिए। सर केवल और केवल मेरा नाम आना चाहिए।


आरव अपना मास्क हटाते.. अपस्यु के गले लगा… "नहीं सर पुरा ग्रुप सरेंडर करेगा, ऑडिटोरियम में ही हम सब मिलेंगे। लिखिए 16 कुल लोग थे।


ऐमी अपना मास्क उतारती… "लेडीज फर्स्ट होगी ना, पहले लड़कियां अरेस्ट होगी। सर टोटल 24 लोग लिखिए और हां घायलों को ले जाइए जल्दी वरना अभी 4 मर्डर है बाद ने पता ना कितने हो जाए।


अशोक:- तुम लोग निकलो अभी मीडिया आ गई तो बहुत प्रॉब्लम होगी। अजिंक्य केवल एम्बुलेंस आना चाहिए और कोई भी हस्पताल कर्मचारी कोई स्टेटमेंट ना दे। हर एम्बुलेंस में फोर्स रहेगी।


सीआरपीएफ हेड:- सर हम कुछ एडिशनल हेल्प कर दे।


अशोक:- मेहरबानी होगी सर। इन्हे बस घायल किया है, किसी को जान से नहीं मारा है, शिवाय 4 लोगों को, जिन्हे हमने ही कहा था मारने। ये सब प्रोफेशनल्स है और उन्हें पता था हथियार कहां चलना है। 24 लोगों ने इन कुत्तों को उनके घर में घुसकर औक़द दिखाई है। हमारी इज्जत और अपने परिवार के लिए लड़े, ना लड़ते तो 8000 की भीड़ ने 24 को मारा होता, प्लस उनकी फैमिली को, केस भी रजिस्टर नहीं हो पाता। लेकिन महज 24 लोगों ने ये कर दिया, और हम खुद की रक्षा करने वालों को ही पकड़ रहे।


तभी अजिंक्य ने उन्हें ट्रिपल स्टोरी की कहानी बताई। सब लोग वहां पहुंचे और जमीन पर बर्बाद हुए हथियार देखने लगे।… "ये सब तो लेटेस्ट वैपन है और ये लोग यहां क्या कर रहे है। ये सब तो हाई ट्रेंड आतंकवादी है।.. सीआरपीएफ वालो ने 1,2 को पहचानते हुए कहा।


अशोक मुस्कुराया और अजिंक्य के कंधे कर हाथ रखते… "किसी भी मदरचोद को आधे घंटे तक कोई मेडिकल हेल्प मत दो, और मीडिया के अहम चैनल को बुलवाया जाए। बाहर बरियर 7 बजे तक घिरा रहेगा, यहां एक टीवी लगवाओ और हम भी उस लड़के की कहानी देखेंगे….
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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31 दिसंबर… 2014… शाम के 5 बजे..


अपने लाइव प्रोग्राम और ऑनलाइन डिबेट से तहलका मचाने वाले सात्त्विक आश्रम के संचालक, एक बड़े से हॉल के मंच पर बैठे हुए थे। अपने भक्तों के अनुरोध पर अपने जीवन से जुड़ी हर घटना पर प्रकाश डालने आये थे, जिसके लाइव शो के सवाल और जवाब की प्रैक्टिस पिछले 2-3 घंटे से यहीं पर चल रही थी।


टीवी जगत के 3 बड़े चैनल ने अलग-अलग जगह के लाइव शो के राइट खरीद लिए थे। ऑडिटोरियम में बैठे तकरीबन 200 खास दर्शक, जिसमे ज्यादातर युवा थे, हर कोई दोनो का नाम लेकर चिल्ला रहे थे। ऑडिटोरियम में बाहर बड़े से मैदान में चारो ओर स्टूडेंट ही स्टूडेंट थे, जो बाहर लगे बड़े-बड़े कई सारे स्क्रीन पर इस शो को देखते और बाहर से किसी आनेवाले को बाहर ही रोके रहते। वहीं होम मिनिस्टर साहब ने चैनल के स्टूडियो के बाहर कुछ फोर्स, और रिले रूम और एडिटिंग रूम में भी फोर्स डाल चुके थे, ताकि इस प्रोग्राम को बिना बाधा के चलाया जा सके।


मंच आयोजक पूरे गर्मजोशी के साथ अनुप्रिया और महिदिपी का नाम चिल्ला रहे थे। दोनो ही मुख पर मुस्कान और चेहरे पर सरलता के साथ, दोनो हाथ उठाकर आशीर्वाद देते हुए चले आए।


महिदीपा अपने हाथो में माईक थामते…. "जय जय कार तो केवल उस प्रकृति की होनी चाहिए, जिसने हमें जीवन सृजन दिया, जीने की अनुकूल माहौल दिया, ऐसा इकोसिस्टम विकसित किया, जिसमें हर जीव-जंतु तथा पेड़०p-पौधे अपना भरन पोषण कर सके।"


मंच संचालक:- क्या बात है गुरुजी, आज ऐसा लग रहा है, जैसे लोगों को उनकी करतूत और प्रयावरण के ऊपर खूब डांट पड़ने वाली है।


अनुप्रिया:- माफ कीजिएगा संचालक महोदय, मै एक बार फिर अपने सुनने वाले को बताना चाहूंगी, हम जो यहां बोलते है उसमे ऐसा कुछ नया नहीं है जो पहले कभी आपने नहीं सुना है। मै केवल एक ही बात पर जोड़ देती हूं.. और वो क्या है…


भिड़ चिल्लाते हुए… "सुनने से कुछ नहीं होता वो हमे केवल भटकाता है, सुनने के बाद उसपर अमल करने और उस संदर्व में काम करने से होता है।"


मंच संचालक….. "क्या खूब कही आप। आप दोनो कृपया बैठ जाए। अब हम गुरु महिदिपी और अनुप्रिया की जिंदगी को और करीब से जानने के लिए, मै बुलाना चाहूंगा आप सब के चहेते और दिल्ली में इनकी जोड़ी को सबसे ज्यादा लोगो ने सराहा है, मिस्टर अपस्यु रघुवंशी। जोरदार तालियां हो जाए इनके लिए भी..


हैवी इंटेंस संगीत चारो ओर बजने लगा हो जैसे। अनुप्रिया और महिदिपी के चेहरे की रंगत बिल्कुल उड़ गई। दोनो भौचक्के खड़े होकर ऐसे देख रहे थे मानो सामने से भूत चलकर आ रहा हो।.. चेहरे की सारी खुशियां जैसे हवा हो गई हो।


"हमारा इंटरव्यू ये थोड़े ना लेने वाला था।".. अनुप्रिया थोड़ी घबराई सी आवाज में पूछने लगी।


मंच संचालक:- नहीं मैडम यही तो है ए.आर.. इनकी अनुपस्थिति में आपसे स्टूडियो का एक लड़का बस डेमो सवाल पूछ रहा था। इतने में अपस्यु वहां पहुंचकर माईक अपने हाथ में लिया और दोनो को देखकर मुस्कुराते हुए कहने लगा… "मेरे स्वागत में इतनी बड़ी हस्ती खड़ी हो गई, वहीं मेरे लिए काफी है। बैठ जाइए सर, बैठ जाइए मैम। आप दोनो कुछ घबराएं से है, तबीयत तो खराब नहीं हो गई कहीं।"..


अनुप्रिया:- संचालक महोदय जी मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही, हम जाना चाहते है।


संचालक:- सर, मैम.. 400 करोड़ का स्पॉन्सर है और आपने हमसे 200 करोड़ लिए मांग किया था, चाहिए तो 20 करोड़ और बढ़ा लीजिए लेकिन है प्रोग्राम छोड़कर मत जाइए।


महिडिपु:- पहले इस लड़के को हटाओ, फिर हम यहां रुकेंगे।


संचालक:- मैडम ये बिल्कुल नहीं जा सकता पुरा शो का फाइनेंसर यहीं है। और ये उतना भी सारिफ नहीं उसने यदि दावा ठोका ना तो कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक आपको तत्काल 400% भुगतान करना होगा।


अनुप्रिया और महिदिपी आपस में कुछ चर्चा करते, तभी माईक पर अपस्यु की आवाज गूंज गई… "लगता है अनुप्रिया और माही जी तय नहीं कर पा रहे की उन्हें सवालों के जवाब देना चाहिए या नहीं। शायद उनका भूतकाल उतना अच्छा नहीं, लेकिन इन्हीं की एक कहीं बात याद आ रही है… 'जो अपने अतीत से मुंह छिपता है जरूर या तो वो कायर है या फिर उसने अपना मुंह इतना काला किया है कि खुद की शक्ल याद नहीं करना चाहता।"..


अपस्यु की बात सुनकर महिदिपी फीका मुस्कुराया… "लगता है ये लड़का भ्रम की दुनिया से निकलकर आया है। अभी ही इसकी बातो में इतना रोष है, ऐसा प्रतीत होता है कि हमे बदनाम करने का मन बनाकर आ चुका है।"..


अपस्यु:- लेकिन आप तो गुरु कहलाते है ना महाशय। ज्ञान के प्रकाश से जो अंदर के अन्धकार को भगा दे, वो गुरु। रोष तो केवल माध्यम मार्ग है गुरुदेव, जो अंदर के विकार को निकालता है। और यदि मेरे अंदर कोई विकार है, तो उसे समझकर शांत करने हेतु आप अपने ज्ञान की वाणी मुझे दें, यही तो गुरु कर्तव्य है। फिर भी मै अपने सवाल आपसे नहीं पूछूंगा.. बल्कि लोगों ने बहुत से सवाल पूछे है, उन्हीं में से मै सवाल पूछूंगा। अब खुश है आप।


दोनो एक साथ.. "बालक हमे किसी प्रकार के सवाल से कोई भय नहीं है। जैसे तुम्हारी मर्जी हो सवाल पूछिए।"


अपस्यु:- चलिए तो शुरू करते है। ये सवाल है लगभग 20 लाख लोगों ने पूछा है.. आप दोनो के गुरु कौन थे, जिनसे आपने शिक्षा प्राप्त की थी..


अनुप्रिया:- हमारे कोई जीवित गुरु नहीं थे जिनसे हमने शिक्षा ली हो, लेकिन हां कुछ वक़्त तक हम गुरु निशी के आश्रम में रहे थे और उनकी सेवा की थी।


अपस्यु:- आप सबको मै बताना चाहूंगा कि मैंने भी अपने प्रारंभिक जीवन के कई साल गुरु निशी के "आध्यात्म गुरुकुल नमः" का छात्र रह चुका हूं। जानकर अच्छा लगा कि आपने कुछ साल उनकी सेवा की है। चलिए अब आगे बढ़ते है.. लगभग 40 हजार लोगों ने यह सवाल अभी-अभी किया है ऊपर स्क्रीन पर नजर आ रहा होगा। इस वक़्त गुरु निशी कहां है?


महिदिपी:- क्यों तुम्हे नहीं पता जो मुझसे पूछ रहे हो? तुम तो उसके शिष्य भी राज चुके हो।


अपस्यु:- सर यहां आप दोनो के जीवन के बारे में लोग जानना चाह रहे है, उनसे जुड़ी बातें। इसलिए कृपा आप अपने उत्तर दे दीजिए, मुझे कुछ जानकारी हुई तो मै साझा कर दूंगा।


अनुप्रिया:- उनकी सेवा करने के बाद मै वर्ष 1983 में अपने भाई महा के साथ देहरादून चली आयी। फिर हमने देश विदेश घूमकर गुरुकुल शिक्षा का प्रसार किया। उसके बाद फिर हमे कोई जानकारी नहीं गुरु निशी के बारे में।


अपस्यु:- हम्मम ! शायद टेक्नोलॉजी का प्रसार उस दौर में उतना नहीं रहा हो इसलिए आप संपर्क में नहीं रह पाई। दर्शकों के सवाल का जवाब देते हुए मै बता दू की गुरु निशी को वर्ष 2007 में आग के हवाले कर दिया गया था। जिन्होंने उन्हें मारा वो केवल वही तक नहीं रुके, उस आग में उनके 160 शिष्य को भी जिंदा जला दिया गया था। वहां कुछ आश्रम के बाहर के लोग भी थे, जो जीने के ग्रीष्म कालीन छुट्टी में आए थे।

उन जलने वाले बाहरी लोगों के जलने वालों में एक मेरी मां भी थी। मेरी होने वाली पत्नी जो हर साल गुरुकुल छुट्टियों में आती थी, उसकी मां और उसका भाई भी उसके आग के हवाले झोंक दिया गया था। उस घटना के साक्ष्य बने कुल 5 लोग किस्मत से बचे थे, जिसमे से एक मै, दूसरा मेरा जुड़वा भाई आरव, तीसरा पार्थ, चौथी गुरी निशी की गोद ली हुई पुत्री स्वास्तिका, और पंचवि ऐमी बच गई थी, जो गर्मियों कि छुट्टी में नैनीताल आश्रम आयी हुई थी। शायद यहां सुनने वालों को यकीन ना हो, इसलिए 2007 के उन हादसों की कुछ तस्वीरें मै आप सबसे साझा करना चाहूंगा, यह कहकर कि यदि आपका दिल कमजोर है तो यह तस्वीरें नहीं देखे।


अपनी बात कहकर अपस्यु ने खींची गई हर तस्वीर को दिखाया, जो पहाड़ के ऊपर मंदिर से उन लोगो ने फोकस करके ली थी। जहां साफ-साफ देखा जा सकता था, कुछ लोग हथियार लिए आश्रम में घूम रहे थे। एक बड़ा सा विकराल हवन कुंड कुवां, जिसमें जिंदा जलाए हुए लाश, जो एक के ऊपर ढांचे बने राख के ढेर में थे, और वहां आस पास घूमते लोग। दुनिया भर के 12 करोड़ दर्शक कब 22 करोड़ हुए किसी को पता नहीं चला।


अपस्यु से जुड़े सभी लोग पहली बार उसके मुंह से पूरी सच्चाई सुन रहे थे, आखों के सामने वो विचलित करने वाली तस्वीरें देख रहे थे। हर कोई स्तब्ध और बिल्कुल मौन सा था। अपस्यु को जानने वालों को अब समझ में आ रहा था कि क्यों वो इतना रहस्यमई है। अपस्यु के आग्रह पर फ्रांस में अनुप्रिया के बच्चो को भी ये प्रोग्राम दिखाया जा रहा था।


कंजन ने जब पहली बार अपनी बहन के बारे में सच्चाई सुनी, वो धम्म से बेहोश हो गई। पायल मुंबई में बैठी ये प्रोग्राम देख रही थी और अब पहले से ज्यादा आत्मग्लानि मेहसूस कर रही थी, क्योंकि जिस हादसे को लेकर वो अपस्यु और उसके परिवार से खफा थी, खुद उसके जीवन में भी भीषण हादसा हो चुका था।


अजिंक्य, एसपी अशोक बंसल, होम मिनिस्टर, और सौरव भी देख रहे थे। खैर अपस्यु का तो पुरा परिवार ही इस प्रोग्राम में मौजूद था, जो रो रहा था। किसी के आंसू रुके नहीं रुक रहे थे। केवल वहां शांत और मुसकुराते हुए 3 लोग थे, अपस्यु, आरव और ऐमी। कुछ आश्चर्य के भाव महिदिपी ने दिए, तो अनुप्रिया फुट फुट कर रोना शुरू कर दी। थोड़ा सा ड्रामा हुआ और फिर अपस्यु बोलना शुरू किया।


"कोई बात नहीं है, शायद आप उस दौर में मसरूफ ज्यादा थी। बहरहाल जो 2 करोड़ दर्सकों के सवाल है वो ये कि अनुप्रिया जी की शादी किससे हुई थी।".. अपस्यु गुरु निशी से हटकर सवाल का पूरा मूड चेंज कर दिया..


अनुप्रिया अपस्यु को घूरती हुई… "हमारी गुप्त शादी थी, मै लोगो के बीच इसे साझा नहीं करना चाहती।"..


अनुप्रिया का यह जवाब सुनकर तो मानो सवालों कि बौछार लग गई… "अनुप्रिया जी 10 करोड़ लोग कह रहे है, गुप्त तो गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रैंड का रिलेशन होता है, आप पति से रिश्ता गुप्त रख रही।"..


अनुप्रिया:- जी मै पुराने रिती रिवाज को मानती हूं और मै अपने पति का नाम ना तो बोल सकती हूं और ना ही लिख सकती।


अपस्यु:- जी हम आपकी भावनाओं की कदर करते है, ये सवाल हम आपके भाई महिदिपी से पूछ लेते है। सर आप ही कुछ प्रकाश डाले इस सवाल पर।


महिदिपी, माईक को ऑफ करके धीरे से कुछ कहने कि कोशिश करने लगा, तभी बैठे हुए लौंडे चिल्लाने लगे… "सर क्या भूत से विवाह हुआ था, जो लीपा पोती कर रहे हो।"..


महिदिपी, ना चाहते हुए भी…. "चन्द्रभान रघुवंशी"..


अपस्यु:- दर्शक साफ सुन नहीं पाए, क्या कहा आपने…


महिदिपी:- चन्द्रभान रघुवंशी।


अपस्यु:- "जिन लोगो को पता नहीं उन्हें मै बता दू की चन्द्रभान रघुवंशी वहीं व्यक्ति है, जिन्होंने मेरी मां को उस आग में झोंक था। उस अग्नि कुंड में पहली जिंदा जलने वाली और जिसकी चींख उन वादियों में सबसे पहले गूंजी थी। एक और बात है इसमें भी, वो चन्द्रभान रघुवंशी और कोई नहीं मेरा पिता था और मै अनुप्रिया जी का सौतेला बेटा हूं। शायद इन्हे ये बात ज्ञात ना हो।"

"चन्द्रभान रघुवंशी का एक छोटा भाई था भूषण रघुवंशी, जिनकी धरम पत्नी का नाम है नंदनी रघुवंशी, जिसके पूरे परिवार को साजिश के तहत 2006 में मार दिया गया था। आप सबने शायद 15 अगस्त की वो न्यूज देखी हो। दोनो कांड आपस में लिंक थे। चन्द्रभान रघुवंशी ने ही मेरी छोटी मां के चचेरे भाई को, मायलो ग्रुप को हथियाने का काम सौंपा था और खुद अपने छोटे भाई का कत्ल करवाकर, मेरी छोटी मा और बहन को दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया। उफ्फ ये खौफनाक इतिहास, दौलत और ताकत की जंग।"


अनुप्रिया उठकर वहां से जाने लगी तभी अपस्यु उसे रोकते हुए… "आप लोगो को शायद पता हो कि ना हो लेकिन महिदिपी के पुत्र रुद्रा और अनुप्रिया की के पुत्र युक्तेश्वर और हंस दोनो इस वक़्त फ्रांस की जेल में है। इन तीनों ने मिलकर कुछ दिन पहले फ्रांस कि बड़ी बैंक बीएनपी परिबास में 300 बिलियन यूरो की चोरी को अंजाम दिया था। ये देखिए फ्रेंच पुलिस का स्टेटमेंट.."


जैसे ही स्क्रीन पर फ्रेंच पुलिस को लोगो लाइव देखा और सुना, सब के सब शॉक्ड हो गए। अनुप्रिया और महिदिपी दोनो अपस्यु के पास आकर उसका कॉलर पकड़ते.. "तुम्हे तो मै कोर्ट में देख लूंगी लड़के, चलो माही।"..


अपस्यु:-" क्या हुआ अनुप्रिया जी महिदिपी जी.. सवालों से इतना भी क्या घबराना। शायद आपको पता नहीं तो मै बता दूं…. अभी-अभी मैंने बड़ी मुश्किल से अपने पूरे परिवार को दिल्ली के सबसे ख़तरनाक इलाके से बचाकर ला रहा हूं, जहां अनुप्रिया और महिदिपी के 2 पुराने साथी ने मेरे बचे हुए परिवार को मारने कि पूरी साजिश रच दी थी।"


अपस्यु की बात सुनकर तो जैसे अनुप्रिया और महिदिपी झटके पर झटका खा रहे थे। दोनो किसी भी तरह से यहां से निकलने की कोशिश में जुट गए लेकिन तभी अनुप्रिया की पूरी प्रमोशनल टीम मंच पर आ गई। दोनो को आराम से बिठाकर घेर लिया गया। इनके बॉडीगार्ड जो मंच पर आने के लिए पगलाए थे, उन्हें वीरदोयी का फटका लगा और वो चुपचाप जाकर कोना पकड़ लिया।

2 मिनट के इस विराम के बाद अपस्यु फिर अपनी बात आगे बढ़ने लगा……. "हां तो बात हो रही है अभी और आज के ताजा घटना की जहां 14 लोगों को मारने कि साजिश रची जा चुकी थी जिसमे मुख्य था मेरा पूरा परिवार, मेरी होने वाली पत्नी ऐमी के डैड, मेरे भाई के होने वाली पत्नी के पुरा परिवार।"

"और इस साजिश में सामिल है अनुप्रिया के नाजायज पति राजीव मिश्रा, जिनसे इनका एक पुत्र भी है युक्तेश्वर। और दूसरा है मुख्य साजिश करता है, मनीष मिश्रा जिसकी एक और नाजायज पत्नी है, जिसकी बेटी श्रेया मिश्रा को कुछ दिन पहले मेरे पीछे लगाया गया था। आप लोगों को जानकर हैरानी होगी कि राजीव मिश्रा और मनीष मिश्रा का परिवार ही मेरे भाई का ससुराल है। और ये दोनो भाई भी मेरे बाप के पर चिह्न पर चलते हुए अपनी ही पत्नी और बेटी का बली चढ़ाने का रहे थे। वह रे पैसा और ताकत की माया।"

"अनुप्रिया जी से मै एक बात समझने कि कोशिश कर रहा हूं, कि पहली बार मेरी मां इनके पति के हाथो मारी गई। कई सालो बाद जब अपने टूटे परिवार को जोड़ लिया, तो भी इस बार इनके नाजायज पति और उसका भाई बीच में आ गया मेरे परिवार को मारने। अनुप्रिया जी से गुजारिश है कि वो बता दे उनके और कितने पति है, जो आने वाले भविष्य में मेरे परिवार के लिए तो खतरा है ही, साथ ही साथ अपने परिवार के लिए भी ना कहीं खतरा बन जाए।"


अनुप्रिया:- कमाल का शो होस्ट किया है, ऐसा लग रहा है एडिटिंग और फिक्शनल स्तिरी से इस शो के टीआरपी में चार चांद लगाने की कोशिश की जा रही है। प्रोग्राम तो ऑर्गनाइज हुआ था मेरे जीवन पर प्रकाश डालने के लिए, और यहां मंच संचालक ना जाने क्यों अपने जीवन की कहानी को मुझसे जोड़ रहा।

बेटा जब तुम्हे अपने बारे में ही पूरी कथा बतानी थी फिर मुझे क्यों बुलाया यहां। तुम्हारी को तुम्हारे पिता ने मारा, और गलती से वो मेरा पति भी था। हां वो मेरा पति भी था, तो क्या उसने मुझे धोका नहीं दिया। उसके बाद मै बड़ी ही सलिंता से शांत बैठकर अपने चरित्र पर लांछन लगते देख रही, और तक मेरे चरित्र को भारी सभा में उछाल रहे। क्या मै तुमसे जान सकती हूं कि ऐसा कौन सा पति होगा जो अपनी पत्नी को जिंदा आग में झोंक दे? क्या कहानी रही होगी उस पति की भी, जिसकी पहले से एक पत्नी हो लेकिन किसी ट्रिया चरित्र की औरत के मोह में वो पर गया हो और उस इंसान का जब भ्रम टूटा हो, असलियत आखों से दिखी हो तब वो मजबूर होकर ऐसे कदम उठा लिया हो।

मेरा परिवार सिर्फ मै और मेरा भाई और हमारे बच्चे है। इसके अलावा कोई अपनी निजी जिंदगी में क्या कर रहा है उसका दोषी यदि मुझे बनना है तो कोई बात नहीं, हम वो भी सह लेंगे, क्यों आक्रोशित होकर धैर्य खोना हमने नहीं सीखा। शायद इस सभा में मेरी कुछ ज्यादा ही बेज्जती हो चुकी है इसलिए आप लोगो से इजाजत चाहूंगी, आप लोगों ने इस लड़के की सुनी मेरी भी सुन किए अब फैसला आओ हाथ में है। हम बीच ने जा रहे है इसके लिए क्षमा चाहती हूं।


अपस्यु जोड़ जोड़ से हंसते हुए… "अच्छा बोल लेती है आप अनुप्रिया जी, बहुत अच्छा। लेकिन मैं यहां पर जो भी बोल रहा हूं, उनके सबूतों कि कॉपी यहां के कानून व्यवस्था के पास पहुंच चुकी है। इसलिए आराम से बैठ जाओ अनुप्रिया और महिदिपी, बाहर पुलिस ही इंतजार कर रही है। जिन लाशों के सीढ़ी पर चढ़कर तुम दोनो भाई बहन यहां तक पहुंचे हो, उस कीर्तिमान को तो सुनते चले जाओ।.. अच्छा लोग बोर हो रहे है ये फैमिली ड्रामा सुनकर, इन्हे रिफ्रेश करने के लिए एक फिल्मी अमाउंट बताता हूं, साथ में सबूत भी दिखेंगे स्क्रीन पर.. पेश है अनुप्रिया और महिदिपी के जिंदगी से जुड़ी एक और सच…


"ये फिल्मी कहानी कुछ इस प्रकार है, एक क्लोज डोर मीटिंग हुई और यहां मौजूद पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने मिलकर, अपनी काली कमाई को एक जगह जमा किया, जो था अनुप्रिया का काला खाते। कारन इसके पीछे तो वर्ष 2016 में होने वाले लोकसभा इलेक्शन में, ये पुरा देश को अपने मुट्ठी में रखे।"

"ये थी एक फिल्मी कहानी अब इनकी काली कमाई दिखता हूं आपको स्क्रीन पर, जिसका सबूत और एफ आई आर हो चुका है। पैसे कैसे और कौन-कौन अकाउंट से कहां कहां पहुंचे उसका पूरा ब्योरा।"

"जो लोग ज़ीरो नही गिन पा रहे, या अंक की गणना नहीं कर पा रहे, उन्हें मै बता दू ये अमाउंट डेढ़ लाख करोड़ रुपया हैं। इस काले धन को केवल 3 लोगों ने मिलकर जमा किया है, जिसका 80 हजार करोड़ अनुप्रिया और महिदिपी, और 70 हजार करोड़ पक्ष और विपक्ष के मुख्या पार्टी के पार्टी अध्यक्ष का है। इस सच्चाई को बाहर लाने में मददगार साबित हुए श्रीमान होम मिनिस्टर और उनकी पूरी टीम, जिन्हे शक था कि राजीव मिश्रा और मनीष मिश्रा जैसा टॉप ब्रेन, जो ऊपर से दिखाने के लिए गुंडों जैसा व्यवहार करता है, अंदर से जरूर कोई खिचड़ी पका रहा है।"

"और जब उनकी छानबीन आगे बढ़ी तो उन्होंने मुझसे संपर्क किया, क्योंकि इनकी कब्र खोदने के पीछे मै तो 2007 से लगा हुआ था, जिसमें हमारी मार्गदर्शक रही मेरी मां की करीबी दोस्त और राजीव मिश्रा की धर्म पत्नी सुलेखा मिश्रा, जिसके एक छोटी सी बात ने 2008 में ही 160 शिष्यों के साथ गुरु निशी की हत्याकांड के सभी आरोपी को बेनकाब कर दिया था। उनका साफ कहना था, दोनो मिश्रा बंधु को केवल फॉलो करो, तुम्हें धीरे-धीरे सब मिल जाएंगे। वक़्त लगा इनके किए की सजा दिलवाने में लेकिन मै आज सुकून में हूं।"


15 अगस्त 2014 की सुबह के न्यूज के पीछे का कारन भी मै ही हूं, लेकिन तब मैंने अनुप्रिया और महिदिपी से अलग हुए इनके साथी विक्रम राठौड़ और प्रकाश जिंदल को उनके तत्काल गुनाह, और कुंवर सिंह राठौड़ के मर्डर में लपेटा था, लेकिन आज पूर्ण सच्चाई सबके सामने है।"

"मै हर उस इंसान से माफी चाहूंगा जिसका इस्तमाल मैंने अपने योजना के अंतर्गत किया। फिर चाहे मुझे यूएस सीनेटर प्रकाश जिंदल और इनसे अलग हुए ग्रुप को फसने के लिए, मनीष मिश्रा की बेटी साची को ट्रैप करके उसका इस्तमाल करना परा हो, या फिर मेरे दोस्त और होम मिनिस्टर जी के लड़के सौरव हो, जो मेरे एक कहने पर बिना ये सोचे कि उसके पापा सेंट्रल मिनिस्टर है और यदि वो कोई लड़की को गलत ढंग से छेड़ता है तो बहुत बदनामी होगी, फिर भी साची को ट्रैप करने के चक्कर में खुद की बेज्जती सह लिया, लेकिन दोस्त की मदद के लिए आगे खड़ा रहा।

आज सौरव और मेरे पुराने कॉन्टैक्ट सोमेश के वजह से मेरा परिवार जिंदा है। क्योंकि दिल्ली की जिन गलियों में मेरे परिवार को मारने कि योजना बनी थी, वहां 20 पुलिस वाले को सड़क पर मार दिया गया था और उस गली से एक भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। आज भी मैंने उसी सौरव और अपने पुराने एक और दोस्त जो उम्र में काफी बड़े है और जिन्हे मै अंकल कहता हूं सांसद सोमेश दत्त, वो उस गली में घुसे और मेरे पूरे परिवार को निकालने मै मदद कि।.. मै माफी चाहूंगा सोमेश दत्त की बेटी लिसा से भी, जिसे मैंने ट्रैप किया और अनुप्रिया के आश्रम भेजा सवाल जवाब करने और टीबी जगत पर उन्हें आने के लिए प्रेरित करने।


इसी क्रम में यहां मौजूद उन स्टूडेंट्स सब का भी शुक्रिया, खासकर विकास, मालविका, निशा, खुशी और उसके अन्य दोस्त, जो एक गलत राह पर भटके थे फिर मैंने उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तमाल किया और दिमाग में यह डाला की अनुप्रिया से सवाल जवाब करे। अनुप्रिया दिल की कली जरूर है लिकन वो गुरु निशी की शिष्य है, जिसके जवाब सुनकर सबका बौद्धिक विकास हुआ। उसका प्रचार हुआ और एक प्रोग्राम उसका करोड़ कि टीआरपी में गया। अनुप्रिया को मै आज के लिए इस मंच पर देखना चाहता था। ताकि आज जब मै उन लोगो को वास्तविक बता सकूं कि मै ऐसा क्यों हो गया, मैंने उनका इस्तमाल क्यों किया, जब मै ये कहानी पूरी दुनिया के सामने खुलकर बता सकूं, तब ये दोनो भी सुन सके।

मेरे इतने लंबे इंतजार के सफर के 2 मुख्य साथी, मेरे गॉडफादर और गॉडमदर जिन्होंने मुझे इस लायक ट्रेंड किया की मै इन जैसे का सामना कर पाऊं वो कुछ दिन पहले ही देश के लिए सहीद हो गए। वो जहां कहीं भी इस वक़्त होंगे, मेरी मां जहां कहीं भी होगी, मेरे साथ बड़े हुए वो 160 मित्र, ऐमी की मां और उसका भाई, मेरे अंकल, मेरी छोटी मां का पूरा मायका.. सब के सब.. आज जरूर खुश होंगे।

मै बदले कि राह पर नहीं था इसलिए इतने मौत होने के बावजूद भी मैंने किसी को नहीं मारा। मारना तो इनके लिए मुक्ति होती। बस जिस पैसे और पॉवर के लिए कइयों के मासूम जिंदगी में ये जहर घोल चुके, उसका पूरा भुगतान किए बिना इन्हे मरने कैसे देता। इनसे इनका पैसे छीनना था, सो मैंने छीन लिया। इनकी पॉवर छिन्नना था, वो भी मैंने छीन लिया। सबूत जमा कर दिए गए है, कोर्ट सजा भी तय करेगी इनका, ये वादा है। और आज नहीं मै 7 साल बाद इनसे पूछूंगा, क्या हासिल किया तुमने इतना लाश का ढेर बनाकर।

सॉरी जिन स्पॉन्सर का आज एड नहीं चल पाया, वो कृपया अपने अमाउंट वापस लेते जाएगा। इसी के साथ मै अपने और अपने परिवार के ओर से आप सभी से इजाजत चाहूंगा। अब शायद मेरा दिल रोने का हो रहा है और यहां रुक पाना काफी मुश्किल।


अपस्यु ने जैसे ही बोलना बंद किया.. स्क्रीन पर सवालों के बौछार लग गए। चन्द्रभान का क्या हुआ.. चन्द्रभान का क्या हुआ..


अपस्यु मुसकुराते हुए…. "उस रात 120-130 लोगो की टीम आयी थी, जिसमें से मात्र कुछ लोग वापस गए, बाकी अनुप्रिया जी की अनुकम्पा से इन्होंने सबूत मिटाने के नाम पर, उन्हें भी नहीं छोड़ा जिन्होंने उस कुंड में जिंदा लोगों को डाला था। उन्हीं में से एक चन्द्रभान रघुवंशी भी था, जिसे उन्ही के साथियों ने आग के हवाले कर दिया (पिता की मौत की असली वजह को छिपा लिया गया।)


एक लंबे दौर का समापन सा हो चला हो जैसे। प्रोग्राम समाप्त होते ही अपस्यु अपने आप में टूटा हुआ मेहसूस कर रहा था। ऐसे ही कुछ फीलिंग स्वास्तिका, ऐमी और आरव की भी थी। किसी से भी अब ज्यादा देर रुक पाना मुश्किल हो रहा था। वो चारो तेजी के साथ एक कमरे में दाखिल हुए और सीधे जाकर बेड पर रोना शुरू कर दिया।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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1 जनवरी 2015 को सुबह के न्यूज में केवल नैनीताल की ही वो घटना छाई रही। हर मीडिया हाउस अनुप्रिया और महिदिपी को ही कवर करने में लगा हुआ था। दिल्ली के उस भीषण मारपीट की न्यूज, इस न्यूज़ के आगे कहीं दब सी गई थी। इसी बीच अशोक बंसल को भी पुरा मौका मिल गया, क्योंकि जैसे ही उस शो का ओपनिंग हुआ और अपस्यु ने गुरु निशी के हत्याकांड का खुलासा किया, छप्पर तोड़ टीआरपी को देखकर, हर मीडिया हाउस वालो ने पुलिस के रिस्ट्रिक्टेड इलाके को कोई भाव ही नहीं दिया और साढ़े पांच बजते-बजते हर मीडिया हाउस ऑडिटोरियम के बाहर अपस्यु के जुड़े लोगो से सवाल जवाब करने में लग गया था।


दर्शक भी कमाल के होते है उन्हें जब मुख्य स्टोरी पसंद आती है, फिर उसके साइड लाइन में चलने वाले चीजों को भी चटकरा मार-मार कर सुनते है। विकास और उसके फ्रेंड्स के पास भी मीडिया के लोग पहुंचे। सौरव के पास भी मीडिया के लोग थे और अपस्यु ने जिन-जिन का नाम लिया उन सबके पास भी मीडिया के लोग थे।


सात्विक आश्रम को पूरी तरह लपेटने के लिए रातों रात सलेशल टीम ने 2 जगह पर रेड की। एक तो सात्त्विक आश्रम और दूसरा वहीं से 100 मीटर की दूरी पर बाना एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, जो सात्विक आश्रम की ही बेनामी संपत्ति थी और वहीं से पुरा सर्विलेंस और गुंडों को हायर करने की नीति चलती थी।


वहां के कंप्यूटर से बहुत सारे लोगो के नाम बाहर अाए जो जांच के लपेटे में थे। कई संदिग्ध वीडियो भी थे हाई प्रोफ़ाइल लोगो के, जो उन्हें भी नहीं पता कि कब लिया गया। रिमोट एसेस वैपन और ऐसे ऐसे हथियार वहां से बरामद हुए जो पूरे दिल्ली को दहला सकते थे।


1 जनवरी सुबह के 10 बजे पुलिस मुख्यालय में आला अधिकारियों की मीटिंग चल रही थी, जिसमे गर्वनर और हाई कोर्ट की एक बेंच उपस्थित थीं। जहां कल के हुए उस भीषण मारपीट पर चर्चा होनी थी। इन्वेस्टिगेशन में साफ पता चल चुका था कि ये पुरा कांड, लगभग 6000 लोगो को घायल करना और 4 मर्डर किसका किया हुआ है, लेकिन जब अपस्यु को अरेस्ट करने की बात आयी, तो तकरीबन 3000 पुलिस वालों ने यह कहकर इस्तीफा दे दिया कि…


"जितने भी घायल है वो दोषी है किडनैपिंग और मर्डर की साजिस में, सभी पर अलग-अलग थाने में केस दर्ज है। उन्होंने अलग-अलग ग्रुप के टेररिस्ट को, राजीव और मनीष मिश्रा के कहने पर पनाह दी। और यदि उन 24 लोगो ने खुद का और अपने परिवार का बचाव ना किया होता, तो यहां की भीड़ उन 20 पुलिस वालों की तरह इन्हे भी मारकर गायब कर देती और हम केस को ये कहकर क्लोज कर देते की भीर में किसने मार डाला किसी को पता ही नहीं चला। और हम ये सच्चाई मीडिया के सामने कहने से भी नहीं कतराएंगे।"


कांड भी हुए सबूत भी थे, लेकिन अपस्यु और उसके साथियों को अरेस्ट करना डिपार्टमेंट के लिए ही सर दर्द बना हुआ था। जबकि कल रात के बाद से वो देश के लिए एक हीरो के रूप में उभर कर आया था, जिसने ना केवल एक पूरे गिरोह को बेनकाब किया, बल्कि उनकी कली कमाई के पैसा-पैसा को भारत सरकार को सौंप गया। यधपी उसने सारे क्रेडिट बांट दिए हो लेकिन चेहरा तो अपस्यु ही था।


जहां इतने दोस्त थे, वहां दुश्मन भी होते ही है। इसलिए अनुप्रिया और महिदिपी के साथ फसने वालो के सागे संबंधी, इस घटना को तूल देकर अपस्यु को जेल के पीछे देखना चाहते थे वहीं डिपार्टमेंट के 3000 लोगो ने मोर्चा खोल दिया था। जज की बेंच बैठी थी जो भावनाओ पर नहीं बल्कि सबूत पर चलती है।


पाए गए दोषी के सबूत उसके और उसकी टीम की पूरी आक्रमकता को दिखा रहे थे, हालांकि पुलिस ने केवल 2 की शिनाख्त की और बाकी को नकाबपोश बताया। वहीं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता था कि जो लोग हमला करने आ रहे थे, वो उनको घायल करने की कोशिश में नहीं आ रहे थे, उनके साफ शब्द सुने जा सकते थे कि मार डालो सबको। काट डालो। किसी ने नहीं कहा कि जाने दो, छोड़ दो।


वहीं 4 लाश की तस्वीर भी सामने थी, जिसे जान से मारा गया था। हाई कोर्ट की जज के बेंच ने पुरा मामला सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहने लगे… "परिस्थिति किसी को भी हथियार उठाने पर मजबूर कर सकती है। पुलिस की नाकामी भी साफ दिखाई देती है जो आज तक इन इलाकों में चल रहे क्राइम को हटाने में और लोगो में कानून का पालन करवाने में नाकाम रही है।"

"लेकिन हालात कैसे भी हो, इनकी अनुकूल ट्रेनिग और मारने कि क्षमता किसी प्रोफेशनल की तरह है, यदि इसे नजरंदाज किया गया तो आने वाले भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता है। कोर्ट सभी बात को ध्यान में रखकर मुख्य आरोपी अपस्यु रघुवंशी और उसकी कदम से कदम साथ मिलाने वाली उसकी मंगेतर अवनी सिन्हा को अपना पक्ष रखने का एक मौका देगी। उनकी सुनवाई केवल केस से जुड़े लोगों के बीच होगी।"

"3000 पुलिस वालों का एक साथ इस्तीफा और किसी एक के बचाव मै ऐसे खड़े होना, एक गैर जिम्मेदाराना रवैया है, जो नहीं होना चाहिए था। पुलिस अपना पक्ष कोर्ट मै रखने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन इस प्रकार के कदम एक गलत व्यवस्था का सृजन करेगी, इसलिए कोर्ट सभी 3000 पुलिस वालों पर डिपार्टमेंटल इंक्वायरी चलने के आदेश देती है और इस दौरान सभी पुलिस कर्मी सस्पेंड रहेंगे, साथ ही साथ उनका इस्तीफा भी ना मंजूर किया जाता है।"

"दिल्ली का उस इलाका में प्रशासनिक वायवास्थ लाने के लिए, वहां 4 नए चौकी खोले जाएंगे और जान से मारने कि कोशिश कर रहे सभी दोषियों के खिलाफ चार्गशीग दायर करके उन पर अलग से मुकदमा चलाया जाए। साथ ही साथ कई आतंकवादी को एक जगह पनाह देने के लिए, उस इलाके में 3 टुकड़ी परा मिलिट्री फोर्स को भी तैनात किया जाए और इस मामले की तह तक जाने और पूर्ण छानबीन की जिम्मेदारी उन पर होगी। ये परा मिलिट्री फोर्स तबतक वहां बनी रहेगी, जबतक यह सुनिश्चित ना हो जाए कि वहां हर एक संदिग्ध को पकड़ ना लिया गया हो।



1 जनवरी राठौड़ मेंशन… जश्न के माहौल में डूबा हुआ समा था। इस समा में चार चांद तब लग गया जब साथ रह रही वैदेही उर्फ वैली, पहली बार सबके बीच बैठी और नम आखों से कहने लगी… "मुझे लगता था सिर्फ मेरे साथ ही बुरा हुआ है, कल शाम पता चला ये हंसने और हसाने वाला पुरा परिवार, अपने अंदर इतना दर्द समेटे है।"… सभी ने उंगली उपर उठाते हुए एक बैनर दिखा दिया.. "जिंदगी में रोने के मौके हर कदम आएंगे, इसलिए हंसकर उनका सामना करने का।"..


15 अगस्त के तरह, 1 जनवरी को भी पॉलिटिकल सरगर्मी कुछ ज्यादा ही बढ़ी हुई थी, लेकिन इस बार कोई खींचातानी नहीं थी। क्योंकि बहुत से बुड्ढे के लपेटे जाने से, नए लोग जो आगे आए थे, फिर वो पक्ष के थे या विपक्ष मे, एक सर्वदलीय मीटिंग बुलाकर होम मिनिस्टर को धन्यवाद कह रहे थे। अपस्यु ने अपनी 10% के इमाम की राशि होम मिनिस्टर को ही दे चुका था। जिसे होम मिनिस्टर ने पक्ष और विपक्ष में बांट दिया, अपस्यु रघुवंशी को भूलने की कीमत या उससे लडने की कीमत बताकर। जिसकी जैसी स्वेक्षा हो, अपस्यु रघुवंशी के लिए अपनी राय बनाकर काम करे, वो उनका स्वतंत्र मत है।


कई सारे राज जब खुले तो मिश्रा परिवार पर मानो बिजली सी गिर चुकी थी। दूसरी बिजली तो तब उन पर गिर गई जब बेटो ने ये कहकर यूएस से लौटने से मना कर दिया की वो ऐसी फैमिली का हिस्सा रहना पसंद ना करेंगे, जिसके दामन पर इतने दाग हो।


सुलेखा तो दर्द का लंबा दौर झेलते आ रही थी, शायद जिसका अंत कल रात को हो चुका था। लेकिन अनुपमा, साची और लावणी के लिए यह सच पचा पाना मुश्किल था कि मनीष और राजीव उन्हें जान से मार देना चाहते थे। सुलेखा शायद इसी दौड़ के लिए खुद को मजबूत बना रही थी, ताकि विपत्ति जब आए तो वो अपने परिवार को समेट सके, बल्कि टूटने ना दे।


ना सिर्फ उसने अपने परिवार को सहारा दे रही थी, बल्कि दोनो लड़को को समझा भी रही थी। हां लेकिन ये भी सत्य है कि कोई कितना भी बड़ा फिलॉसफर क्यों ना हो, तबतक किसी को नहीं समझा सकता, जबतक वो सुनने को राजी ना हो जाए और मिश्रा के दोनो कपूत कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थे।


1 जनवरी की देर रात अपस्यु और ऐमी वापस से उसी बस्ती में पहुंचे जहां कल दंगे हुए थे। उसे देखकर ही सबके होश गुम थे। जिस काम के लिए आया था वो काम भी तुरंत ही हो गया। राठौड़ मेंशन से चोरी किए गए 250 करोड़ रुपए। तकरीबन 50 लोगों ने बांटे थे। अपस्यु ने इधर पैसे लौटाने के लिए अनाउंस किया और उधर तुंरत सब उसके पाऊं में पैसे डालकर गया।


जमा मस्जिद के पीछे का इलाका तो और भी ज्यादा खौफ जदा था। 31st को ही वहां पता चल गया था कि किसके घर में उन्होंने चोरी कि है, ऊपर से बड़े बाजार वाले चोर ने जमा मस्जिद के पीछे वाले चोर को इक्ताल्ला कर दिया था, कि वो डेविल वहीं पहुंच रहे है। पहले तो वो सब भागने का सोचे, फिर ख्याल आया कि पैसे तो दूसरी पार्टी ने भी लिया था और खर्च तो वो भी किया होगा, लेकिन वो जिंदा है। मतलब उसे केवल पैसा चाहिए।


कुछ लुक्खों की यहां गैंग थी लेकिन उस जगह के मुकाबले ये जगह अपस्यु को पसंद आया। साथ में नदीम खान का मजाकिया अंदाज़ अपस्यु को कुछ ज्यादा ही भा गया। 2 करोड़ उसके और उसके दोस्तो के लिए छोड़कर वो जाते हुए कहता चला, चोरी छोड़कर कोई और काम शुरू कर लो। लेकिन नदीम तो अपनी सोच में काफी क्लियर था, वो भी पीछे से सुना दिया.. "सर जी चोरी समुद्र में ही करता हूं, जिन्हे चोरी हुए धन ना भी मिले तो दारू पीकर कह दे, जाने दो।"


1 जनवरी की रात एक और घटना जो देर रात घट रही थी। सोमेश को लिसा का एक पत्र मिला जिसमें उसने लिखा था, सॉरी पापा मै आपकी वो बेटी नहीं बन पाई जैसी आपको उम्मीद थी। मै यूके वापस जा रही हूं, इस उम्मीद में कि कभी आप मुझे समझ सके। मै अपने लवर के साथ जा रही हूं, शादी की सूचना आपको भीजवा दूंगी। प्लीज आप परेशान मत होना। आपकी लाडली लसीता।


2 और 3 जनवरी के दिन ऐमी और नीलू काफी मसरूफ रहे। अब तक दोनो 6 लड़को से मिल चुकी था, सातवे का इंतजार था, जो सामने से चला आ रहा था। उसके चलने के अंधा और खूबसूरत चेहरे को देख, दोनो ने मेट्रिमोनयल कि तस्वीर एक बार देखी और एक बार नजर उठा कर लड़के को देखा। नाम सुभाष कुमार, हाइट 5 फिट 11 इंच। रंग सांवला। आंखो पर दादा जी वाला चस्मा। बाल तेल में डूबे हुए। शर्ट व्हाइट चेक, पैंट बिल्कुल फैले हुए पैरेलल। और जब वो अपने नाके फलका कर हंसा तो अजंता की मूरत लग रहा था। नीलू उसे देखते ही… "मुझे ये लड़का पसंद है।"..


सुभाष:- मुझे भी आप बहुत पसंद आयी।


नीलू:- मै जॉब करती हूं।


सुभाष:- मै भी जॉब करता हूं।


नीलू:- मैं मायलो ग्रुप के प्रोजेक्ट डेवलपमेंट चीफ हूं और यदि काम आ गया तो 6 महीना या साल भर तक मुझे प्रोजेक्ट डेवलप होने तक, प्रोजेक्ट की जगह पर ही रहना पड़ता है।


सुभाष:- जी मै घरेलू लड़का हूं। जॉब भी घर से ही करता हूं। एफसीएस (fcs) में काम करता हूं। लेकिन मेरा भी आपके जैसा हाल है, यदि कोई असाइनमेंट आ गया तो महीनों या सालो घर से दूर रहना पड़ता है। फिर तो आपको इक्छा यदि हुई मिलने की, तो मेरे पास आना होगा। और एक बात, मै वर्जिन नहीं हूं।


नीलू:- मुझे कोई दिक्कत नहीं। बस शादी के बाद किसी से अफेयर मत करना।


सुभाष:- जी वादा रहा, लेकिन सेक्स ???


नीलू:- अपने नीड के हिसाब से, पर मेरे कानो तक ये बात नहीं आनी चाहिए।


सुभाष:- फैमिली प्लानिंग


नीलू:- वादा करना होगा कोई एक बच्चे के पास रहेगा, तभी कोई बच्चा प्लान करेंगे।


सुभाष:- और यदि किसी अर्जेंट वजह से दोनो को साथ निकालना परे तो।


नीलू:- ऐसे केस के लिए मेरा बहुत बड़ा मायका है।


सुभाष:- फिर रिश्ता पक्का समझे, क्योंकि मेरे घर में सिर्फ मै हूं।


निलू:- यहां भी वही हाल है। रिश्ता पक्का करते है। एक कोर्ट का केस चल रहा है उसका फैसला आने के बाद डेट तय केर लेते है।


सुभाष:- ठीक है फिर। आप को व्हाट्स एप किया है कुछ, देख लीजिए।


नीलू:- हा हा हा हा हा.. थैंक्स.. ऐसे ही संदेश भेजते रहना। कल मिलते है।


सुभाष:- हां ठीक है।


ऐमी जो तबसे दर्शक बनी हुई थी… "जीजाजी में क्या पसंद आ गया जो उसे खुल्लम खुल्ला सेक्स की छूट दी जा रही थी। उल्लू ऐसे कोई कहता है क्या वो भी शादी के लिए मिलने अाए लड़के से पहले मीट में।"


नीलू:- अच्छा बता हम दोनों में ज्यादा हॉट, सेक्सी और ब्यूटीफुल कौन हैं।


ऐमी:- मुझे नहीं पता।


नीलू:- अब नखरे क्यों कर रही है बता ना..


ऐमी:- हां ठीक है तू है..


नीलू:- चल झुटी.. मुझे सामान्य खूबसूरत कहा जाएगा और तुझे हटके। ऐसा की बार-बार देखने को जी ललचाए। लेकिन उसने सिर्फ तुम्हे पहली बार आते वक़्त देखा, उसके बाद कोशिश भी नहीं किया। हो सकता है सरिफ़ बनने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन कम से कम सामने से तो सरीफ़ है ना।


ऐमी:- इसलिए सेक्स नीड अनुसार कह दी।


नीलू:- तू अब भी नहीं समझी। वो बेलो एवरेज दिखने वाला लड़का, मेरे अनुसार नहीं उसके अनुसार की फीलिंग बता रही। बेलो एवरेज दिखने वाला लड़का कह अपने बारे में रहा था लेकिन को सवाल मेरे लिए था। जैसे उसे पूछना था, क्या तुम वर्जिन हो। लेकिन वो ऐसा ना पूछकर सीधा मुझसे कह दिया में वर्जिन नहीं।


ऐमी:- ओह समझ गई। तब तो तुमने हीरा ढूंढ लिया है बेबी.. चल पार्टी दे।


नीलू:- कहे अपने होने वाले को गाली सुना रही है। सारे पैसे दान कर दिए बेस का रखा सारा पैसा खत्म। जिंदगी अब सैलरी पर कट रही है गरीबी में।


ऐमी:- कितनी गरीबी।


नीलू:- 40 हजार।


ऐमी:- इसलिए बड़े बुजुर्ग कुछ कुछ अच्छी बात कह गए है। बेटा पैसा ज्यादा हो तो बचना सीखो। लालच बुरी बला है। लेकिन तुम् बुजुर्ग की सुनो तब ना।


नीलू:- एक बुजुर्ग पर तरस खाकर उसकी बात सुनी थी। बेचारे का दावा लेने के बाद मुश्किल से खड़ा किया और खड़ा होने के 5 मिनट बाद ढीला। फिर वो पसीने में तर होकर, पूरी रात उंगली चलाता रहा और मुझे सुनाता रहा। और मै भी बड़े मज़े से सुनती रही।


ऐमी:- तुझमें ना पल्लवी भाभी की आत्मा आ गई है।


नीलू:- कम से कम उन्हें जिंदा तो रख रही हूं। फिर तो लगता है अपस्यु को बिस्तर पर लेने का प्लान कर लेना चाहिए।


ऐमी उसकी बात सुनकर भरी कॉफी हाउस में उसे मारना शुरू केर दी और वो भागना।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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राजीव मिश्रा, मनीष मिश्रा, अनुप्रिया और महिदिपी को 31 की रात को ही रिमांड में ले लिया गया। इन लोगों के साथ साथ कुल 80 हाई प्रोफाइल लोग फसे थे, जिन्हे 3 जनवरी से 5 जनवरी के बीच चली लगातार सुनवाई के बाद सभी को दोषी पाया गया। मनीष मिश्रा, राजीव मिश्रा, अनुप्रिया और महिदिपी को आजीवन कारावास और बाकियों को उसके गुनाह के अनुसार सजा मिल गई।


5 जनवरी को ही सुनवाई में बाद चारो को जेल में शिफ्ट किया जा रहा था, तभी रास्ते में धमाका हुआ, अचानक ही सब दिखना बंद। जबतक किसी को कुछ समझ में आता, 4 कैदी फरार, जिसकी सूचना तुरंत अधिकारियों तक पहुंचाई गई और चप्पे चप्पे पर पुलिस अलर्ट।


बिल्कुल इन चारो का भी वहीं ट्रीटमेंट हुआ, जैसा विक्रम, प्रकाश और लोकेश के साथ हुआ था। एक रात रखकर बदन के सारे नाखून, बाल सब गायब। इन्हे भी शुरवात के 10 मिनट तक अंधेरे में छोड़ा गया, और उनका भविष्य दिखा दिया गया।


ये लोग थोड़ा ढिट थे, इन्होंने ऐसी प्रतिक्रिया दी, जैसे इन्हे कोई फर्क नहीं परता। फिर सामने के स्क्रीन पर फ़्लैश हुई एक तस्वीर, विक्रम, प्रकाश और लोकेश 15 अगस्त के पहले और 16 अगस्त में बाद।


तीनों चेन से बंधा बाहर आया। तेज रौशनी में कुछ देर तक उनकी आखें नहीं खुली। कुछ देर बाद उनके आखों के सामने खड़े कुछ लोग, जो धुंधले नजर आ रहे थे, वो बिल्कुल साफ दिखाई दे रहे थे। प्रकाश तो देखकर ही अपनी स्माइल देने लगा।…. "आय हाय, अपनी एक्स गर्लफ्रेंड को देखकर कैसे मुस्कान आ गई।".. ऐमी ने टोंट किया..


विक्रम और प्रकाश बस चेहरे की प्रतिक्रिया ही दे रहे थे, बाकी इतनी जान अंदर नहीं बची की आवाज निकाल सके। उनके होंठ तो हिल रहे थे, लेकिन आवाज़ ही नहीं आ रही थी। चारो उन तीनों को देखकर आश्चर्य से… "ये यहां है।"..


अपस्यु:- और मेरे दुश्मनों, आप का भविष्य भी यही है।


अब लगे चारो गिड़गिड़ाने। मिन्नते करने और रिश्तेदारी निभाने। लोकेश में थोड़ी जान बाकी थी… "ये मिश्रा हमारे लेवेल के खिलाड़ी है क्या?"


अपस्यु:- उससे भी बड़े लेवल का है लोकेश। ये लोग उस दौड़ के साथी है, जब अनुप्रिया और महिदिपी साथ में पढ़ा करते थें। तुमने सुना होगा इसके 2 छिपे हुए पार्टनर।


प्रकाश और विक्रम हां में सर हिलाते हुए सहमति देने लगे, हां हम जानते है। तभी लोकेश बोल परा… "साला मेरा कमीना भाई अपने अकाउंट पर हमसे छिपकर पैसे रखा था, अपस्यु ने उसे ट्रांसफर करके कानून कि सजा काटने भेज दिया। ऊपर से मेरी दिलदार बुआ ने मेरी भाभी को ढाई हजार करोड़ दिए है, वो तो किसी भी वक़्त छूट जाएगा। यहां तो 5 लाख में लोग छुड़ाने का इंतजाम कर लेते है।"..


अपस्यु, लोकेश की बात कर हंसते हुए… "इन लोगो को निचोड़ लिया गया है, इनके पास अब कोई पैसे नहीं।"..


मनीष अपस्यु को कोने मै ले जाते… "देखो मेरे पास बहुत पैसा है।"..


अपस्यु:- कितना पैसा है..


मनीष:- लैपटॉप लाओ..


मनीष लैपी से अकाउंट लोग इन करके अमाउंट दिखाए… "इतने है।"..


अपस्यु:- सिर्फ 10000 करोड़, इतने का तो सामान बर्बाद करके युक्रेन से आ रहा हूं।


"रुको",.... फिर दूसरा अकाउंट लॉग इन किया, वहां 5000 करोड़। ऐसे ही धीरे धीरे खींचकर अपस्यु ने उससे 25000 करोड़ निकलवा लिए। उसे अपस्यु कोने में भेज दिया। फिर अाई राजीव मिश्रा की बारी… भाई साहब के पास 6 अकाउंट और कुल 16000 करोड़ का माउंट। फिर बारी आयी दोनो भाई बहन की, जो खंगाल कर 4 लाख निकाल पाई। सबका पैसा खींचने और उनकी हाय सुनने के बाद अपस्यु जोड़ जोड़ से हंसते हुए चारो को अंदर डाल दिया। विक्रम और प्रकाश को भी अंदर भेज दिया।


लेकिन जैसे ही उसने लोकेश को अंदर करना चाहा… "हम तो भाई है एक मिनट सुन तो लो।"


अपस्यु:- जी सुना दीजिए…


लोकेश:-तुम्हरा मैंने अभी अभी अरबों का फायदा करवाया। उसपर से ये तो बेईमानी है। तुम्हे यहां केवल बुड्ढे को रखा है, इकलौता मै नेक्स्ट जेनरेशन का। फिर मेरे साथ ये नाइंसाफी क्यों?


अपस्यु:; क्योंकि तुम्हारी सजा निम्मी ने तय की थी, और वो अभी यहां नहीं है जो उससे तुम्हारा फेवर करके तुम्हारे सजा के बारे में पुछ लूं।


लोकेश:- नहीं मुझे भी मेरे भाई और अनुप्रिया के बच्चो की तरह बाहर के जेल में डालो।


अपस्यु हंसते हुए… सामने स्क्रीन पर देखो अनुप्रिया के बच्चो के लिए काया की दी हुई सजा। वैसे तुम्हे भी इसी सजा के लिए काया बोल रही थी। लेकिन मैंने माना कर दिया, कहा निम्मी के आने के बाद ही कुछ होगा।


लोकेश सामने की स्क्रीन पर देखा। रुद्रा, युक्तेश्वर और हंस झुके हुए थे, उनके पैंट नीचे पाऊं में और पीछे से एक दैत्याकार का मोटा कैदी रुद्रा के पीछे, जिसका खुला पिछ्वाड़ा दिख रहा था और रुद्रा को फ्रेच जेल की सजा से रूबरु करवा रहा था। यही हाल युक्तेश्वर और हंस का भी था। लोकेश अपना मुंह फाड़े, घोर आश्चर्य करते… "नही निम्मी को सजा ही बेहतर है।"


इन सब को अंधेरे में डालने के बाद अपस्यु और ऐमी ऊपर आए। 4 महीने में वो जगह लगभग पुरा बनकर तैयार थी, बस थोड़े काम और बाकी रह गया था। परमानेंट कुटिया बनी हुई थी, लेकिन सब वैसे ही झोपड़ी की तरह दिख रही थी। चारो ओर का वैसा ही इलाका और जिस जगह सबको जलाया गया था वहां 170 मूर्तियां वहां के लोगों की समाधि के रूप में जो बली चढ़ गए किसी की गन्दी महत्वकांछा में।


इसी के साथ एक बार फिर दोनो उसी पहाड़ी के नीचे थे, जहां के ऊपर के फूल से पहली कहानी शुरू हुई थी। अपस्यु और ऐमी के मायूस चेहरे पर आज की ये पहली खिली और सच्ची मुस्कान थी। दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए। हालांकि ऊपर चढ़ने के लिए शानदार लिफ्ट की व्यवस्था करवा दी गई थी, लेकिन दोनो ही पहाड़ पर फिर से चढ़े, बिना किसी सुरक्षा के।


ऊपर आकर दोनो ने महादेव बंदना कि और पहाड़ के किनारे बैठकर एक दूसरे के कंधे से टीके, घंटो उस जगह को देखते रहे… "आज हमारे कितने दोस्त होते नहीं। सब अपनी अपनी लाइफ में मस्त होते और हम अचानक से किसी के यहां पहुंचकर उन्हें चौंका देते।"..


अपस्यु:- हम्मम ! चलो चलते है।


दोनो पैदल ही वापस जेके और पल्लवी के कॉटेज तक आए, जहां आस पास 8-10 घर बन चुके थे, लेकिन वो कॉटेज अब भी वैसे ही खड़ा था। वो बगीचा अब भी वैसा ही था, बस आम के पेड़ के साथ कई जंगली पेड़ भी खड़े हो गए थे। ऐसा लग रहा था अभी कल ही की तो बात है, अंदर से ऐमी की आती आवाज़।


दोनो कॉटेज में घुसे और सीधा तहखाने में जाकर अपने लिए छोड़े गए वो सामान को उठा लिया, जिसे जेके और पल्लवी ने अपस्यु और ऐमी के लिए उस दौर में छोड़ा था जब ट्रेनिंग देते थे, यह कहकर कि एक दिन जब हम नहीं होंगे, फिर ये तुम्हारा होगा, संभाल कर रखना, अच्छे से समझना और इसे आगे बढ़ाते रहना।


दोनो ने उस बक्से की धूल झाड़ी और अंदर के समान को एक बार देखकर वापस बक्सा बंद कर दिया और पुराने यादों को एक बार आंखो मै संजो कर दोनो उस जगह को छोड़ दिए।


वापस दिल्ली पहुंचते ही अगले दिन हाई कोर्ट मै पेसी का नोटिस पहुंच चुका था। 31st की घटना पर फाइनल सुनवाई होनी थी। अपस्यु के साथ सभी पागल जेल जाने को आतुर। किसी तरह मनाकर सबके नाम केस से हटवाए गए। सबूत के साथ थोड़ी से छेड़छाड़ पहले दिन ही हो गई थी, जहां केवल और केवल अपस्यु और ऐमी ही दिख रहे थे।


काफी तीखी बहस चली कोर्ट में। सिन्हा जी जहां खुद ही मोर्चा संभाले हुए थे वहीं पब्लिक प्रॉसिक्यूटर भी उतना ही भिड़ा हुआ था, लेकिन सिन्हा जी के हाथ में भी कुछ नहीं था, क्योंकि सबूत पुख्ते थे और दोनो पक्षों के वकील अपना फाइनल स्टेटमेंट दे चुके थे।


हाई कोर्ट के जज की वहीं बेंच थी और शायद सजा भी पहले से तय थी। दोनो को 3 साल के लिए देश से ही तड़ीपार कर दिया गया। याधपि उन्हें दोषी करार नहीं दिया गया, सेल्फ डिफेंस के मामले को देखते उन्हें क्लीन चिट दिया गया और उनके खतरनाक इतिहास को देखते और पिछले 7 साल से एक ही बात सोचते रहने कर कारन, दोनो को 3 साल तक देश के बाहर रहने के आदेश मिले। ताकि इन 3 साल में वो लोग इन जगहों से दूर रहे जो उनकी अक्रमता को बढ़ा देती है, और अपने ट्रेनिंग के कारन ये बेहद खतरनाक साबित होंगे।


देश छोड़ने के लिए उन्हें 25 जनवरी तक वक़्त दिया गया और इसी के साथ कोर्ट कि सभा भी समाप्त हो गई। सजा के बारे में सुनकर घर के सारे लोग भन्नाए हुए थे। कुंजल और नंदनी तो रह रह अपस्यु और ऐमी का चेहरा देखती और 2 बातें कोर्ट को सुनाने लगती। काफी गुस्से में दिख रही थी दोनो।


ऐमी, खड़ी होकर नंदनी के कंधे को पीछे से पकड़कर उसके ऊपर लटकती… "मां, घूमने जा रहे है हम, 3 साल ही तो है यूं गुजर जायेंगे। और हम यहां नहीं आ सकते तो क्या हुआ आप आती रहना।"..


नंदनी:- मुझे तो इन दोनों पर ही शक हो रहा है कि ऐसी सजा खुद ही तय करवाए होंगे। दूसरे देश ऐसे कैसे भेज सकते है, फिर कोर्ट रहने और खाने पीने का पैसा दे।


सिन्हा जी:- नंदनी जी आप जज्बाती हो रही है। कोर्ट ने इन्हे कोई सजा नहीं दी है। बस उनका मानना है कि ये दोनों लंबे समय से एक ही मिशन में मानसिक रूप से ऐसे फसे है कि इन्हे जहां कहीं भी कोई मजलूम दिखेगा तो ये खतरनाक फैसला करने लगेंगे। इसलिए 3 साल का देश से बाहर रहने का आदेश मिला है ताकि इन इलाकों से जितना दूर रहेगा खुद के बारे में और अपने बारे में सोचने का मौका मिलेगा।


नंदनी:- हां! कोर्ट का ऐसा सोचना तो बिल्कुल सही है। ठीक है दोनो की शादी करवाकर 3 साल के हनीमून पर भेज देते है। दोनो को मंजूर।


अपस्यु और ऐमी मुसकुराते हुए… "हम इस कोर्ट का फैसला भी कैसे टाल सकते है।"..


रात के वक़्त दोनो भाई अकेले छत पर बैठे हाथ में बियर लिए चांद को देख रहे थे। आरव, अपस्यु को देखकर मुस्कुराते हुए कहने लगा… "साला अपनी किस्मत में अलग ही रहना लिखा है।"..


अपस्यु:- हां शायद। वैसे भी परिवार की जिम्मेदारी तुझे ही तो लेनी है।


आरव:- कमीना, और तू देश विदेश घूमते रहना। ऐसी जिंदगी क्यों चुन रहा है। तू और ऐमी साथ में तो है, यहीं रुक जा आराम से परिवार शुरू कर।


अपस्यु:- इमोशनल ना कर, हंस कर विदाई दे।


आरव:- तू जेके भईया और पल्लवी भाभी के कातिलों के पीछे जा रहा है?


अपस्यु:- अभी उसपर सोचा तो नहीं है लेकिन हां, जल्दी काम शुरू करूंगा। फिलहाल एक वैकेशन पर हूं।


"तुम ही दोनो सगे हो ना, मुझे तो भुल ही गए।"… दोनो के बीच जगह बनती कुंजल भी अपना बियर का बॉटल लिए बैठी। दोनो भाई आखें बड़ी किए… "ये क्या है।"..


कुंजल:- बियर की बोतल है, देखो लिखा है।


आरव:- हां लेकिन हमारे साथ लेकर बैठी है?


कुंजल:- अभी मै कॉलेज की सीनियर हूं और अपने दोस्तो के साथ बैठी हूं। ओक जूनियर्स।


दोनो भाई हंसते हुए.. "ओक सीनियर"..


स्माइल.. ही ही.. खी खी.. कुछ देर तक ऐसी ही आवाज़ ऊपर से आती रही, तीनों सेल्फी पर सेल्फी लेते रहे।..


कुंजल:- साची से मिले थे क्या दोनो।


आरव और अपस्यु:- नहीं मुलाकात नहीं हो पाई थी। वहां सब ठीक तो है ना..


कुंजल:- पुरा परिवार वापस गांव जा रहा था, मैंने किसी तरह समझा बुझाकर वहां तुम्हारे फ्लैट में शिफ्ट करवाया, लेकिन मेरे ख्याल से तुम दोनो को मिल लेना चाहिए। साची और लावणी के भाइयों ने इंडिया वापस आने से मना कर दिया है, कहते है, बदनाम परिवार है उनका।


अपस्यु:- 10 दिन में भागकर आएंगे तू टेंशन ना ले। चल फिलहाल चलकर मिलते है। वैसे वहां सुलेखा आंटी है इसलिए मुझे उतनी चिंता नहीं। बहुत बुरे दौड़ से गुजर रहे है थोड़ा वक़्त तो लगेगा संभलने में। क्या हमे वो वक़्त नहीं लगा था।


कुंजल:- ऐसे इमोशनल बातें करोगे तो मै चली जाऊंगी।


अपस्यु और आरव दोनो ने कुंजल के गले में हाथ डालकर उसके गर्दन को दबाते हुए… "ऐसे कैसे चली जाएगी। अच्छा सुन तुम्हे एक काम देकर जाऊं।"..


तीनों छत से नीचे आकर फ्लैट के ओर चलने लगे… "कुसुम रोज जाती है चिल्ड्रंस केयर, तुम भी क्यों नहीं उसके साथ जाती। शायद वो भी अकेली मेहसूस केर रही होगी हमारी तरह, पर दिल की मजबूत है। कभी मुझे वहां अपने चेहरे से जतायी नहीं। उसे भी एक बहन मिल जाएगी, और दोस्त भी। कभी-कभी उसे अकेले सबके साथ खेलते देखता हूं तो वहीं दर्द सा मेहसूस होता है जैसे पहले कभी मै मेहसूस करता था। कोई बाउंड्री नहीं है, तेरा मन हो तो करना।"..
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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तीनों छत से नीचे आकर फ्लैट के ओर चलने लगे… "कुसुम रोज जाती है चिल्ड्रंस केयर, तुम भी क्यों नहीं उसके साथ जाती। शायद वो भी अकेली मेहसूस केर रही होगी हमारी तरह, पर दिल की मजबूत है। कभी मुझे वहां अपने चेहरे से जतायी नहीं। उसे भी एक बहन मिल जाएगी, और दोस्त भी। कभी-कभी उसे अकेले सबके साथ खेलते देखता हूं तो वहीं दर्द सा मेहसूस होता है जैसे पहले कभी मै मेहसूस करता था। कोई बाउंड्री नहीं है, तेरा मन हो तो करना।"..


कुंजल:- स्माइल करो और कुसुम की चिंता मत करो। मै देख लुंगी। चलो अब भाभी से और साची से मिलकर आया जाए। वैसे भाभी के नाम से ही इनका चेहरा देखो कैसे खिल गया है।


कुछ ही देर में तीनों वहां पहुंचे, जैसे ही अंदर घुसे… "मासी, मौसा.. यहां।"..



कंचन अपस्यु और आरव को देखते ही दोनो को खींचकर 1-1 थप्पड़ लगाई और उसका गला पकड़कार रोती हुई कहने लगी… "मेरी बहन के मौत के पीछे की सच्चाई ही छिपा दिए। क्यों किया बता ना.. क्यों?"..


बीच से कुंजल उसकी आंसू पूछती… "हर चीज का अपना एक वक़्त होता है मासी। मकसद सच्चाई छिपाना नहीं था बल्कि, जबतक उन्हें अंजाम तक पहुंचा ना दो सच्चाई को बस दबा कर रखनी थी।"..


सभी बैठ गए डायनिंग टेबल पर, सुलेखा मिश्रा से बातें चल रही थी। वहीं लावणी कहीं गुम बस ख़ामोश हर किसी की बात पर फीकी मुस्कान दे रही थी। अपस्यु ने आरव को इशारा किया और आंख मार दिया। आरव लावणी के पास बैठा। कुछ देर तक सबकी बातें सुनता रहा, और नीचे से उसके कमर में चीकोटि काट ली। लावणी एक बार आरव को देखकर वहीं फीकी मुस्कान दी.. "अभी मन नहीं। रहने दो ना।"..


"इतनी ख़ामोश लावणी।"… आरव को लगा जैसे दिल में किसी अंदर तक पीन घुसा दिया हो… "यहां हुआ क्या है, और साची कहां है।"..


आरव के इस सवाल पर दोनो मां बेटी ख़ामोश, एक बार सवाल दोहराया गया तब सुलेखा कहने लगी…. "अनुपमा दीदी की हालत देखकर साची हताश थी। उसने पार्थ से रिश्ता तोड़ दिया और दोनो मां बेटी गांव चले गए।"


अपस्यु:- लेकिन क्यों? चलो चलते है।


सुलेखा:- नहीं रहने दो, साची जाते जाते कहती गई….. "जिस उलझन में अपस्यु ने मेरी जिंदगी फसाई थी, वहीं उलझन मेरी मां के जिंदगी में भी डाल दिया। उसने तो मुझे किसी तरह समझा दिया, लेकिन मै अपनी मां को कैसे समझाऊं की उनके जिंदगी भर का रिश्ता एक धोका था।"

"अपस्यु को कहना मेरे पीछे ना अाए, उसकी कोई गलती नहीं। मेरे पापा ने जो उसके साथ किया उसके लिए हम यही डिजर्व करते है। अपनी जिंदगी में वो आगे बढ़े, मैं भी आगे बढ़ गई हूं। अपनी समस्या का हाल मै खुद ढूंढ लूंगी, और जब मै खुद से खड़ी हो जाऊंगी, तब हम फिर से एक अच्छे दोस्त की तरह मिलेंगे। लेकिन तब तक मेरे पीछे आकर ये एहसास ना करवाए की मै असहाय हूं।"


लावणी रोती हुई आरव के गले लग गई और बिना कुछ बोले बस रोती ही रही।


अपस्यु ने तुरंत ही एक टेक्स्ट किया.. स्माइली डाला और नीचे लिखा.. "गिल्टी सा मेहसूस हो रहा है।"..


साची:- पागल हो नो मोर गिल्टी, बस वापस आने नहीं कहना। तुम्हारे लिए मै बहुत खुश हूं। मै थोड़े गुस्से में थी इसलिए छोटी मां को बहुत कुछ कह गई थी। बाद में जब ट्रेन में बैठी तो सारी बातें एक एक करके दिमाग में आती रही, फिर लगा, शायद यही जिंदगी है। मेरी चिंता मत करना। बस खुद से खड़ा होना सीख रही हूं। बुरा वक़्त आया तो खुद के भाई ने साथ छोड़ दिया, रुला गई ये बात फिर तुमसे क्या गिला, जिसमे अपनी मां को ही जिंदा जलते देखा हो। मै उन तस्वीरों को देख रही थी और मेरी रूह कांप रही थी। तुमसे मिलकर तुम पर गुस्सा निकालना चाहती थी, फिर ख्याल आया मिलने गई तो तुम जाने नहीं दोगे, इसलिए बिना मिले चली आयी।


अपस्यु:- मै अब तुमसे उस दिन मिलूंगा जब तुम खुद में सक्षम हो जाओ। बस एक बात ध्यान रखना, तुम्हारी खुद की परेशानी तो ठीक है लेकिन किसी ने तुम पर एक्स्ट्रा परेशानी लादी तो बेफिक्र होकर हमे बताना।


साची:- क्या सबके एक्स्ट्रा परेशानी के लिए तुम खड़े रहोगे अपस्यु। मेरी लाइफ की हर परेशानी मेरी है। मै खुद से झेल लूंगी। वक़्त सब सीखा देता है। शायद अब बात नहीं कर पाऊं। कभी कभी टेक्स्ट करते रहना।


अपस्यु अपने छलकते आशु पूछते हुए गांव में बैठे आईटी वाले आदर्श को कॉल लगाया, और साची का नंबर देते हुए कहने लगा… "ये कभी गुम नहीं होनी चाहिए। नजर बनी रहे और कोई गंभीर चिंता का विषय हो तो तुरंत मदद मिल जानी चाहिए।"..


अपस्यु साची से बात करके अंदर आया। कुछ हल्का मेहसूस कर रहा था। अंदर अब भी लावणी, आरव के गले लगे सुबक रही थी। कंचन अपने आने का मकसद पहले ही बता चुकी थी। सुलेखा में वो सुनंदा को ढूंढ़ती हुई अाई थी और बहन मोह में कंचन सुलेखा को अपने साथ लेने आयी थी।.. बहुत समझाने के बाद सब तय हो गया। 16 जनवरी की शादी के बाद सुलेखा कंचन के साथ चली जाएगी।


सब लोग बात करने में व्यस्त थे, माहौल धीरे धीरे नॉर्मल सा हो रहा था, इसी बीच अपस्यु वहां से निकलकर काया से मिलने चला आया। काया अपने फ्लैट में कुछ कर रही थी, अपस्यु को देखकर मुस्कुराती हुई कहने लगी… "मुझे लगा कि तुम भुल गए।"..


अपस्यु:- मै कुछ नहीं भूलता। तैयार रहना 20 जनवरी को हम यूके जाएंगे और 24 जनवरी की तुम्हारी शादी।


काया:- पागल, मुझे कोई शादी नहीं करनी, वो नीलू को ही करने कहो।


अपस्यु:- अब इमोशन छिपाने से क्या फायदा मै सब जानता हूं। एक वो पागल थी लिसा, जिसे लगा मात्र एक ट्रैप के कारन तुम साथ थी और अब तुम्हे ज्यादा परेशान नहीं करना इसलिए चली गई।


काया:- ही ही ही ही… सही तो की है।


अपस्यु:- 20 जनवरी को यूके चलो और यही बात उसके सामने कह देना।


काया:- और मना कर दू तो जिद करोगे, ड्रामे और प्लांनिंग यही ना..


अपस्यु:- हां सही है..


काया थोड़ी संजीदा होती… "वैभव से दूर रहना पिरा दे रहा है अपस्यु इसलिए मै चाहकर भी नहीं गई। यहां परी हूं, कहीं गई नहीं काम खतम करके, उससे भी नहीं समझे क्या।"..


अपस्यु:- हां समझ गया हूं कबका, इसलिए तो बापू को मैंने समझा दिया और कहा आप तो पुरा चिल्ड्रंस केयर की ही देखभाल करो। वो मान चुके है। हम भी मान चुके है। और मुझे और ऐमी को पता है कि वैभव की मां बिल्कुल कमजोर अभिभावक नहीं है।


काया अपस्यु के गले लगकर उसे सुकून दिल से धन्यवाद कहती हुई अलग हुई और खुशी खुशी साथ चलने के लिए राजी हो गई। लेकिन साथ में दिल की एक ख्वाहिश भी जाहिर कर दी। उसकी शादी में पुरा भरा पूरा माहौल चाहिए, पूरे परिवार का। इसलिए शादी कि प्लांनिंग यूके चलकर। काया के चेहरे से उसकी खुशी साफ पता चल रही थी और इधर अपस्यु उसकी खुशी देखकर वो भी खुश था।


10 जनवरी का दिन राठौड़ मेंशन में शादी की तैयारी में तब झटका लग गया जब लावणी सामने से आकर शादी से इंकार कर गई। काफी देर पूछने के बाद लावणी ने अपनी मनसा जाहिर करती हुई कह दी कि उसकी बड़ी बहन की शादी हुई नहीं, इसलिए उसका दिल गवाही नहीं दे रहा। उनका ख्याल ना करके स्वार्थ में केवल अपनी खुशी कैसे देखूं, एक ही तो बहन है।"


अपस्यु ने पुरा मामला साची को समझाया। कुछ से बाद साची का कॉल आया। उसका कॉल देखकर ही लावणी रोने लगी। उधर के भी वही हालत थे। कुछ देर बाद के बाद आंसू साफ हुए, और आगे बात होते-होते लावणी के चेहरे पर मुस्कान और फिर अंत में शर्माना। फिर फोन वो नंदनी को थमा दी। सब कुछ फिर तय समय पर ही होने तय हुआ।


16 जनवरी शाम के 6 बजे.. राठौड़ मेंशन का बड़ा सा लॉन खास गेस्ट से भड़ा हुआ था। होम मिनिस्टर साहब अपने बेटे के साथ आए थे और आजकल बाप बेटे हर जगह लगभग साथ ही घूमा करते थे। सौरव अपने बाप के पास से हटकर राठौड़ मेंशन में दाखिल हो गया। बेचारा अंदर आया और बाहर जाने लगा, क्योंकि सामने ही बहुत सारी लेडीज बैठी हुई थी। जैसे ही सौरव जाने लगा वैसे ही कुंजल भागकर गई और सौरव का हाथ पकड़कर उसे खींचकर लाती हुई औरतों के बीच बिठाकर उसका परिचय करवाने लगी.. "आप लोग इनसे मिलिए, मेरे प्यारे जीजाजी।"..


सब लेडीज सवालिया नजरो से कुंजल को देखने लगी, फिर कुंजल अपनी बात को क्लियर करती… "ये हमारी सबसे बड़ी बहन कलिका दीदी के होने वाले पति है।"..


कुंजल की बात पर सब हसने लगे। अपस्यु सबको इस बारे में पहले ही बता चुका था। फिर तो जैसे वो सभा के बीच मनोरंजन का खिलौना बन गया। इतने मज़ाक उड़ाए गए की बेचारे का कान गरम हो गया। इसी बीच अपस्यु निकल कर आया।.. "अरे जीजाजी आप औरतों के बीच क्या कर रहे है।"..


सौरव, बेबस सा चेहरा लिए… "तुम्हे ही ढूंढने आया था और इसने मुझे पकड़ कर यहां बिठा दिया।"..


अपस्यु:- इसने नहीं कुंजल ने। अब आपसे मज़ाक नहीं करेगी तो बेचारी किससे करेगी।


सौरव उस बीच से लगभग भागते हुए निकला और अपस्यु के साथ चलते… "भाई मेरे काम का क्या हुआ? कलिका भी क्या फ्रांस कि जेल में है? उसे भी चोरी के केस में फसाया है क्या?"..


अपस्यु:- 3 फरवरी को यूके पहुंच जाना शाम के 4 बजे से पहले। 4 फरवरी को तुम्हे कलिका मिल जाएगी अब शादी एन्जॉय करो, मै लोगो से मिल लेता हूं।


अपस्यु सबसे मिल ही रहा था कि सामने से साची और अनुपमा अंदर आती हुई नजर आयी। अपस्यु अनुपमा का चेहरा अपने हाथ मै थामकर उसे देखने लगा। अनुपमा फीकी सी मुस्कान देती हुई कहने लगी… "इतना अफ़सोस मत करो। तुमने कुछ नहीं किया, और जिसने किया वो अपनी हर खुशियों से मरहूम हो गया। बुरा वक़्त है धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा। चल अब मुझे छोड़ वरना मुझे ही लोग स्पेशल गेस्ट मान लेंगे।"


अपस्यु झुक कर अनुपमा के क़दमों में गिर गया। अनुपमा जब उसे खड़ा की तो वो कहने लगा… "मुझे वो दूसरी शादी की बात ओपन नहीं करनी चाहिए थी। मुझसे बहुत बड़ी भुल हो गई। कभी कभी रात को ये ख्याल सोने नहीं देता है।"


अनुपमा:- फिर सुलेखा कैसे इतने सालो से सोती होगी, जिसे ये पता था कि उसका पति धोखेबाज के साथ साथ गद्दार है। हम तुम्हारे कारन नहीं टूटे अपस्यु उल्टा तुमने तो मायाजाल से निकला है। बस इस मायाजाल से निकलने के बाद वाला दर्द संभालने में थोड़ा वक़्त लगेगा। अब जारा हट शादी में आयी हूं रुला मत।


अनुपमा के जाते ही साची अपस्यु के गले लगती… "थैंक्स पीछे नहीं आने के लिए। जिंदगी को करीब से समझने का मौका मिल रहा है।"..


अपस्यु साची के साथ वहीं किनारे लगे बेंच पर बैठते… "मै दुनिया को तो नहीं जानता लेकिन तुम्हे तो जानता हूं। ये रखो।


अपस्यु अपनी बात कहकर अपनी जेब से एक लिफाफा निकालकर दे देता है.. साची उस लिफाफे को देखकर… "इसमें क्या है अपस्यु।"..


अपस्यु:- तुम्हारे हिस्से के पैसे। अब ये मत कहना कि मै ये नहीं ले सकती। अंजाने में ही सही, तुमने जो मेरा काम किया है, उसके बिना ये सब अधूरा रहता। ये तुम्हारे काम का मेहनताना। प्लीज इसे लेने से मना मत करना वरना ऐसा लगेगा जैसे कुछ गलत करके आगे बढ़ा हूं।


साची अपस्यु का चेहरा देखकर मुस्कुराई हुई… "ठीक है रख ली, अब स्माइल करो और जाकर जयमाला स्टेज संभालो, देख तेरी सेक्सी बीवी को सब लौंडे कैसे तार रहे है। और उसकी कमर बोल ढक कर रखने, पुरा कर्वे बनाई हुई है। लाल रंग के लहंगे में देखने में बिल्कुल क़यामत लगती है उसकी कमर।


अपस्यु:- ध्रुव को क्यों छोड़ दी?


साची:- अब जाओगे यहां से। और हां हम सदा दोस्त है और रहेंगे, बस हमारी राहें अलग है। जो भी किया वो कुछ छुब्द मानसिकता के लोग थे जिन्होंने अपने ही परिवार में जहर घोल दिया, फिर चाहे वो तुम्हारे पिता हो हा मेरे। तुम उस दौर से निकल गए और मुझे थोड़ा वक़्त लगेगा, बस अफ़सोस है कि मै चाह कर भी अपने पिता का गला नहीं घोंट सकती वरना उसकी जान मै मांग लेती। कभी हिम्मत जुटा पाई तो तुम्हारे साथ मै चलूंगी उनसे मिलने और पूछूंगी की क्या हासिल कर लिया उन्होंने ये सब करके।


अपस्यु उसका हाथ थामते… "मै 3 साल के लिए बाहर जा रहा हूं। अपना ख्याल रखना और कोई भी समस्या हो तो हमे याद करना। मै कॉन्टैक्ट में रहूंगा। देखो साची मै ये नहीं कह रहा तुम आश्रित हो जाओ, बस ये समझ रहा हूं कि जब लोग साथ होते है तो उम्मीदें उन्हीं से होती है। मै उन सबको अंजाम तक पहुंचा पाया क्योंकि मैंने हर किसी से मदद ली, बिना मदद के मै एक दिन भी नहीं टिक पाता।


साची:- हम्मम ! जहां कहीं भी फसुंगी, तुम्हे और आरव को संदेश मिल जाएगा।


अपस्यु:- थैंक्स यार,


साची:- अब तुम जाओ मै भी चली स्वास्तिका के पास, लावणी के शादी में नहीं नाची तो उसका दिल टूट जाएगा, इसलिए हटो और मुझे तैयार होने के लिए जाने दो।


नाच गाना और खुशियों के बीच शादी का रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था। उसी बीच सभी जोड़े… अपस्यु-ऐमी, आरव-लावणी, स्वास्तिका-दीपेश, नीलू-सुभाष.. बैठ कर शादी का मंत्र सुन रहे थे, तभी माध्यम आवाज़ में ऐमी की आह निकल गई। ऐमी अपस्यु को धीमे कान में कहती…. "इतने सारे लोग है, यहां तो हरकतें बंद करो।"..


अपस्यु:- सबसे बात हुई तुमसे कहां हुई है, अब अभी ही मुलाकात हो रही है फुरसत से, तो मै क्या करूं।


ऐमी:- काबू रखो, वरना ये जो आंखो पर हवस का चस्मा दिख रहा है, उसे मै हारताल के बैरियर से ढक दूंगी।


अपस्यु:- अब तो शादी हो रही, एक ही कमरे में रहेंगे, कितने देर बैरियर लगाए रहोगी।


ऐमी:- दि मम्मी रिटर्स में छोटा सा फ्लैशबैक था, उसमे राजा अपनी सेक्सी पत्नी के वहां पर ताला लगा कर रखता था। ऑनलाइन सर्च मारी तो वो मिल गया।


अपस्यु:- पागल कहीं की।…


दूल्हा दुल्हन सभी फेरे के लिए खड़े हो गए। हर कोई फूल की बारिश करने लगा। इसी बीच कुंजल को ऐसा लगा जैसे फुल फेकते वक़्त किसी ने जान बूझकर धक्का मारा हो। वो नजरंदाज करती अपना ध्यान आगे लगाई, तभी उसे एहसास हुआ कि कोई बिल्कुल किनारे से उससे चिपक कर खड़ा हो गया है और कमर पर हाथ भी फेर दिया… कुंजल अपनी आखें बड़ी करती सोचने लगी… "यहां इतनी डेरिंगबाज कौन हो रहा है जो मुझे छेड़ रहा।".. जब वो थोड़ा किनारे खिसकर साइड में देखी तो उसके जीजाजी दीपेश का दोस्त निर्मल खड़ा था।


कुंजल वापस अपनी जगह पर आकर होंठ उसके कान के पास ले जाती… "यहां सीसी टीवी है चारो ओर, कहीं मेरे भाइयों ने देख लिया ना छेड़ते, तो जिंदगी उल्टी लटक जाएगी। उनके कारनामे टीवी और अखबारों से पता ना चला क्या।"


निर्मल:- देखा पढ़ा और सुना भी, तो क्या ये साले तुम्हारी जवानी पर ताला लगा देंगे। क्या तुम्हारा दिल और अरमान नहीं है।


कुंजल:- सब अरमान है और शादी के लिए रिश्ता भी देख रहे है। कोई पसंद आ गया तो हां कह दूंगी।


निर्मल:- और उस बीच..


कुंजल:- उस बीच में मतलब..


निर्मल:- शादी के लिए हां कहने और अभी के बीच के समय में क्या करोगी..


"साले लौंडे, उंगली दो तो कलाई पकड़ने के लिए तैयार रहते है।".. कुंजल मन में सोचती हुई मुस्कुराई फिर जवाब देने लगी… "तबतक पढ़ाई लिखाई और काम काज है ना।"..


निर्मल कुछ सोचते हुए… "यहां कोई ऐसी जगह नहीं, जहां सीसी टीवी कवरेज ना हो।"..


कुंजल:- क्यों क्या करना है तुम्हे?


निर्मल:- कुछ नहीं बस चलते कुछ बातें करने..


कुंजल:- जी नहीं सॉरी, यहां मेरे भाई, बहन की शादी चल रही है और वो छत पर इकलौती ऐसी जगह है जहां सीसी टीवी कवर नहीं।


निर्मल:- हां तो शादी खत्म होने के बाद मिलते है वहां।


कुंजल:- ही ही ही ही… ठीक है 6 फ्लोर पाइप से चढ़कर पहुंच गए तो मुझे कॉल कर देना मै आ जाऊंगी।


कुंजल अपनी बात कहती हुई उसे आंख मारी और अंदर ही अंदर हंसते… "अभी इस मजनू की हवा निकलेगी।"..


20 जनवरी 2015.. पुरा खानदान उठकर एयरपोर्ट पर आए हुए था। ऐमी और अपस्यु, काया और वैभव के साथ हाथ हिलाते हुए बोर्डिंग पास के एरिया में बढ़ रहे थे और इधर सब लोग उन्हें जाते हुए देख रहे थे।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 
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