• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery भटकइयाँ के फल

pprsprs0

Well-Known Member
4,106
6,255
159
Update- 17

अल्का सत्तू के नीचे लेटी उसको अपने बाहों में लिए कुछ देर तो आश्चर्य से सोचती रही, फिर बोली- मुझे विश्वास नही होता भैया, ससुरजी ने ऐसा कर्म आपके हिस्से में लिखा है।

सत्तू- विश्वास तो मुझे भी नही हुआ था मेरी प्यारी बहना.... पर....क्या तुम मेरा साथ दोगी?

अल्का ने सत्तू के चेहरे को हाथों में भर लिया और बोली- मेरे भैया साथ तो मैं वैसे भी तुम्हारा देती, अब तो एक कारण भी मिल गया...मैं कितनी भाग्यशाली हूँ...और ससुर जी को बहुत बहुत शुक्रिया जो उन्होंने इस कर्म को अंजाम देने में मेरी हिस्सेदारी को चुना.....क्या एक बहन कभी चाहेगी की उसके भाई की शादीशुदा जिंदगी में कोई समस्या आये....इसके लिए वो अपने भाई के लिए कुछ भी करेगी....कुछ भी।

सत्तू ने कामुकता को बढ़ाने के लिए बोला- कुछ भी...

अल्का- हाँ बाबा कुछ भी

सत्तू- वो भी दोगी.....अपने भैया को

अल्का ने जानबूझ के अंधेरे में सत्तू की आंखों में देखते हुए बोला- वो क्या....मेरे....भैया जी।

सत्तू- वही जहां से मेरी बहन पेशाब करती है।

अल्का ने अपना चेहरा शर्म से सत्तू के सीने में छुपा लिया।

सत्तू- अच्छा बाबा पेशाब नही....जहाँ से मेरी बहन मूतती है...मुझे उसका प्यार चाहिए।

अल्का- गंदे भैया....बहुत गंदे हो तुम....समझते भी नही, कोई भाई अपनी बहन की वो मांगता है....कैसा लगेगा मुझे बहुत शर्म आएगी.....और तो और ये पाप है।

सत्तू का लंड पूरा लोहे की तरह सख्त होकर अल्का की साड़ी के ऊपर से ही ठीक उसकी बूर पर गड़ने लगा, सत्तू के मोटे लंड के अहसाह से आनंदित तो वो भी हो रही थी पर जानबूझ के सत्तू को तड़पाने के लिए ऐसी बातें कर रही थी।

सत्तू- पाप है ये?

अल्का (धीरे से) - ह्म्म्म...बहुत बड़ा पाप।

कुछ देर के लिए चुप्पी छा जाती है, फिर अल्का ही धीरे से फिर बोली- पर पाप का अपना ही मजा होता है न भैया....मुझे अपने भैया के साथ वो मजा चाहिए.....अगर ये कर्म नही भी होता तो भी मैं अपने भैया को वो सब देती....मेरे भाई का हक़ है कि वो मुझे चखे...क्योंकि मैं अपने भैया के बिना नही रह सकती।

सत्तू- ओह! मेरी जान

सत्तू ने अपने होंठ अल्का के नरम तड़पते हुए होंठों पर रख दिये, आज पहली बार दोनों के होंठ मिले थे, दोनों बेसुध से होकर एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे, दोनों ही मदहोशी में एक दूसरे के होंठों को कभी धीरे धीरे चूमते तो कभी खा जाने वाली स्थिति तक निचोड़ते, एकाएक सत्तू ने अल्का के मुंह में अपनी जीभ डालनी चाही तो अल्का ने झट से मुंह खोला और सत्तू की पूरी जीभ अल्का के मुंह मे समा गई, अपने देवर की पूरी जीभ आज अपने मुंह में महसूस कर अल्का पूरी गनगना गयी और झट से "ओह भैया" की सिसकारी भरते हुए जीभ मुंह से निकाल कर उससे लिपट गयी।

सत्तू- क्या हुआ मेरी बहना... अच्छा नही लगा।

अल्का- बहुत मेरे भैया....बहुत.....इतनी प्यारी सी गुदगुदी हुई कि मैं झेल नही पाई...रुको थोड़ी देर।

कुछ देर रुकने के बाद अल्का ने फिर से सत्तू की आंखों में देखते अपना मुंह खोल दिया, सत्तू इशारा समझते ही पहले तो अपनी जीभ को अलका के होंठों पर गोल गोल फिराया फिर धीरे से उसके मुंह मे पूरी जीभ डाल कर पूरे मुंह के चप्पे चप्पे को छूने लगा, अल्का मस्ती में सत्तू को सहलाने लगी, सत्तू कभी अपनी जीभ को अल्का के मुंह में तालु पर छुवाता कभी अंदरूनी गालों पर रगड़ता, अलका अपना पूरा मुंह खोले अपने भैया को अपने होंठ और जीभ का रस पिलाने में मगन थी, जब सत्तू अपनी जीभ को अलका की जीभ के नीचे ले जाता तो अलका भी अपनी जीभ को ऊपर उठा लेती और फिर अपनी जीभ से सत्तू के जीभ को दबाती, काफी देर तक सत्तू की जीभ अल्का के मुखरस पीती रही, जब अल्का को मुंह खोले खोले थोड़ा दर्द होने लगा, तो उसने सत्तू की जीभ को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया, अब सत्तू थोड़ा शांत हो गया, कुछ देर अल्का सत्तू की जीभ को चूसती रही, फिर शरमाकर उससे लिपट गयी।

सत्तू- हाय मेरी बहना।

अल्का धीरे से पलटी मारकर सत्तू के ऊपर चढ़ते हुए- आया मजा...भैया।

सत्तू- बहन मजा देगी तो आएगा नही....बहन जैसा मजा कहीं नही।

सत्तू ने अल्का को फिर से नीचे पलटा और उसपर चढ़ गया, उसके गालों को चूमने लगा, अल्का हल्का हल्का सिसकने लगी, सत्तू ने अपना एक हाँथ धीरे से अल्का की दाईं चूची पर रखा तो अल्का ने एक कामुक मुस्कान से सत्तू को देखा, सत्तू उसकी आँखों में देखता हुआ पूरी चूची को ब्लॉउज के ऊपर से हथेली में भरकर हल्का सा दबाने लगा। अल्का धीरे धीरे कराहने लगी, "ओओओओहहहह...भैया...धीरे धीरे., सत्तू ने चूची दबाते दबाते निप्पल को हल्का सा मसला तो अलका तेजी से सिसक उठी, "ऊऊऊईईईई अम्मा.....धीरे से भैया, धीरे धीरे मसलों न.....दर्द होता है" अल्का की दोनों चूचीयाँ कामोत्तेजना में सख्त होती जा रही थी, सत्तू से रहा नही गया तो उसने ब्लॉउज के बटन खोलने के लिए जैसे ही हाँथ लगाया, अल्का ने सत्तू का हाँथ शर्म और उत्तेजना से काँपते अपने हांथों से थाम लिया और बोली- भैया... वो भटकइयाँ के फल हैं आपके पास?

सत्तू ने बोला- नही मेरी जान...अभी तो नही हैं।

अल्का- इसके आगे हम बढ़े तो फिर रुक नही पाएंगे, मैं ये चाहती हूं कि हम दोनों भाई बहन इस पाप का मजा उस फल के साथ लें।

अल्का के मुंह से "पाप का मजा" सुनकर सत्तू मस्त हो गया, उसे उम्मीद कम थी कि अल्का इतना खुलकर कामुक तरीके से बोलेगी, जोश में उसने कपड़ों के ऊपर से ही अपने लंड को अल्का की बूर पर हौले हौले रगड़ने लगा, "ओह मेरी बहना, काश वो फल आज ही लाया होता तो आज अपनी बहन को भोग लेता"

अल्का धीरे से सिसकते हुए बोली- तो बस एक दिन और इंतजार कर लो मेरे भैया...कल भोग लेना अपनी बहन को।

अल्का की बूर अब रिसने लगी थी।

सत्तू- अभी जा के ले आऊं जंगल से।

अल्का ने हल्का सा हंसते हुए एक मुक्का सत्तू की पीठ पर मारा- इतनी बेसब्री...पता है भोर होने में कुछ ही घंटे बाकी होंगे, बस एक दिन और...फिर भोग लेना।

सत्तू- अच्छा....भोग लेना।

अल्का- हम्म्म्म

सत्तू- हाय... मेरी बहना

अल्का शर्म से सत्तू से कस के लिपट गयी।

सत्तू- पर कहाँ कैसे, यहीं छत पर।

अल्का- नही, मेरे कमरे में।

सत्तू- पर कैसे बगल में ही सौम्या भाभी मां का कमरा है।

अल्का- दीदी और अम्मा कल रहेंगी नही न, कल वो बाबू जी के साथ तुम्हारी नानी के यहां जाएंगी, शादी का न्यौता देने।

सत्तू- और किरन।

अल्का- किरन दीदी को तो मैं संभाल लूंगी... मेरे भैया।

सत्तू दे दनादन अल्का को चूमने लगा तो अल्का हल्के से हंसते हुए उसका साथ देने लगी।


कुछ देर बाद बेमन से दोनों उठे और अलका ने गद्दे को उठाकर वापिस उसी जगह पर रख दिया और फिर दोनों दबे पांव धीरे से नीचे आ गए, सत्तू चुपके से बाहर आकर अपनी खाट पर लेट गया, और अल्का अपने कमरे में आकर बेड पर लेट गयी, नींद दोनों के ही आंखों से कोसो दूर थी, फिर भी कोशिश करते करते, बिस्तर पर करवट बदलते बदलते दोनों कुछ देर बाद सो ही गए।
Mast
 

odin chacha

Banned
1,415
3,466
143
बहुत ही उत्तेजक अपडेट था :what1: और अलका के साथ छेड़ छाड़ बहुत ही कामुक स्तर पे पहुंच चुकी है अब सत्तू के पास फल नहीं होने से आज कर्म का पहला हिस्सा एक दिन के लिए स्थगित हो गया फिर कल तो घर में कोई नही होगा फिर ये देवर,भाभी(भाई,बहन) कल रात क्या गुल खिलाते हैं ये देखना होगा....
 

Jangali107

Jangali
163
200
43
Update- 17

अल्का सत्तू के नीचे लेटी उसको अपने बाहों में लिए कुछ देर तो आश्चर्य से सोचती रही, फिर बोली- मुझे विश्वास नही होता भैया, ससुरजी ने ऐसा कर्म आपके हिस्से में लिखा है।

सत्तू- विश्वास तो मुझे भी नही हुआ था मेरी प्यारी बहना.... पर....क्या तुम मेरा साथ दोगी?

अल्का ने सत्तू के चेहरे को हाथों में भर लिया और बोली- मेरे भैया साथ तो मैं वैसे भी तुम्हारा देती, अब तो एक कारण भी मिल गया...मैं कितनी भाग्यशाली हूँ...और ससुर जी को बहुत बहुत शुक्रिया जो उन्होंने इस कर्म को अंजाम देने में मेरी हिस्सेदारी को चुना.....क्या एक बहन कभी चाहेगी की उसके भाई की शादीशुदा जिंदगी में कोई समस्या आये....इसके लिए वो अपने भाई के लिए कुछ भी करेगी....कुछ भी।

सत्तू ने कामुकता को बढ़ाने के लिए बोला- कुछ भी...

अल्का- हाँ बाबा कुछ भी

सत्तू- वो भी दोगी.....अपने भैया को

अल्का ने जानबूझ के अंधेरे में सत्तू की आंखों में देखते हुए बोला- वो क्या....मेरे....भैया जी।

सत्तू- वही जहां से मेरी बहन पेशाब करती है।

अल्का ने अपना चेहरा शर्म से सत्तू के सीने में छुपा लिया।

सत्तू- अच्छा बाबा पेशाब नही....जहाँ से मेरी बहन मूतती है...मुझे उसका प्यार चाहिए।

अल्का- गंदे भैया....बहुत गंदे हो तुम....समझते भी नही, कोई भाई अपनी बहन की वो मांगता है....कैसा लगेगा मुझे बहुत शर्म आएगी.....और तो और ये पाप है।

सत्तू का लंड पूरा लोहे की तरह सख्त होकर अल्का की साड़ी के ऊपर से ही ठीक उसकी बूर पर गड़ने लगा, सत्तू के मोटे लंड के अहसाह से आनंदित तो वो भी हो रही थी पर जानबूझ के सत्तू को तड़पाने के लिए ऐसी बातें कर रही थी।

सत्तू- पाप है ये?

अल्का (धीरे से) - ह्म्म्म...बहुत बड़ा पाप।

कुछ देर के लिए चुप्पी छा जाती है, फिर अल्का ही धीरे से फिर बोली- पर पाप का अपना ही मजा होता है न भैया....मुझे अपने भैया के साथ वो मजा चाहिए.....अगर ये कर्म नही भी होता तो भी मैं अपने भैया को वो सब देती....मेरे भाई का हक़ है कि वो मुझे चखे...क्योंकि मैं अपने भैया के बिना नही रह सकती।

सत्तू- ओह! मेरी जान

सत्तू ने अपने होंठ अल्का के नरम तड़पते हुए होंठों पर रख दिये, आज पहली बार दोनों के होंठ मिले थे, दोनों बेसुध से होकर एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे, दोनों ही मदहोशी में एक दूसरे के होंठों को कभी धीरे धीरे चूमते तो कभी खा जाने वाली स्थिति तक निचोड़ते, एकाएक सत्तू ने अल्का के मुंह में अपनी जीभ डालनी चाही तो अल्का ने झट से मुंह खोला और सत्तू की पूरी जीभ अल्का के मुंह मे समा गई, अपने देवर की पूरी जीभ आज अपने मुंह में महसूस कर अल्का पूरी गनगना गयी और झट से "ओह भैया" की सिसकारी भरते हुए जीभ मुंह से निकाल कर उससे लिपट गयी।

सत्तू- क्या हुआ मेरी बहना... अच्छा नही लगा।

अल्का- बहुत मेरे भैया....बहुत.....इतनी प्यारी सी गुदगुदी हुई कि मैं झेल नही पाई...रुको थोड़ी देर।

कुछ देर रुकने के बाद अल्का ने फिर से सत्तू की आंखों में देखते अपना मुंह खोल दिया, सत्तू इशारा समझते ही पहले तो अपनी जीभ को अलका के होंठों पर गोल गोल फिराया फिर धीरे से उसके मुंह मे पूरी जीभ डाल कर पूरे मुंह के चप्पे चप्पे को छूने लगा, अल्का मस्ती में सत्तू को सहलाने लगी, सत्तू कभी अपनी जीभ को अल्का के मुंह में तालु पर छुवाता कभी अंदरूनी गालों पर रगड़ता, अलका अपना पूरा मुंह खोले अपने भैया को अपने होंठ और जीभ का रस पिलाने में मगन थी, जब सत्तू अपनी जीभ को अलका की जीभ के नीचे ले जाता तो अलका भी अपनी जीभ को ऊपर उठा लेती और फिर अपनी जीभ से सत्तू के जीभ को दबाती, काफी देर तक सत्तू की जीभ अल्का के मुखरस पीती रही, जब अल्का को मुंह खोले खोले थोड़ा दर्द होने लगा, तो उसने सत्तू की जीभ को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया, अब सत्तू थोड़ा शांत हो गया, कुछ देर अल्का सत्तू की जीभ को चूसती रही, फिर शरमाकर उससे लिपट गयी।

सत्तू- हाय मेरी बहना।

अल्का धीरे से पलटी मारकर सत्तू के ऊपर चढ़ते हुए- आया मजा...भैया।

सत्तू- बहन मजा देगी तो आएगा नही....बहन जैसा मजा कहीं नही।

सत्तू ने अल्का को फिर से नीचे पलटा और उसपर चढ़ गया, उसके गालों को चूमने लगा, अल्का हल्का हल्का सिसकने लगी, सत्तू ने अपना एक हाँथ धीरे से अल्का की दाईं चूची पर रखा तो अल्का ने एक कामुक मुस्कान से सत्तू को देखा, सत्तू उसकी आँखों में देखता हुआ पूरी चूची को ब्लॉउज के ऊपर से हथेली में भरकर हल्का सा दबाने लगा। अल्का धीरे धीरे कराहने लगी, "ओओओओहहहह...भैया...धीरे धीरे., सत्तू ने चूची दबाते दबाते निप्पल को हल्का सा मसला तो अलका तेजी से सिसक उठी, "ऊऊऊईईईई अम्मा.....धीरे से भैया, धीरे धीरे मसलों न.....दर्द होता है" अल्का की दोनों चूचीयाँ कामोत्तेजना में सख्त होती जा रही थी, सत्तू से रहा नही गया तो उसने ब्लॉउज के बटन खोलने के लिए जैसे ही हाँथ लगाया, अल्का ने सत्तू का हाँथ शर्म और उत्तेजना से काँपते अपने हांथों से थाम लिया और बोली- भैया... वो भटकइयाँ के फल हैं आपके पास?

सत्तू ने बोला- नही मेरी जान...अभी तो नही हैं।

अल्का- इसके आगे हम बढ़े तो फिर रुक नही पाएंगे, मैं ये चाहती हूं कि हम दोनों भाई बहन इस पाप का मजा उस फल के साथ लें।

अल्का के मुंह से "पाप का मजा" सुनकर सत्तू मस्त हो गया, उसे उम्मीद कम थी कि अल्का इतना खुलकर कामुक तरीके से बोलेगी, जोश में उसने कपड़ों के ऊपर से ही अपने लंड को अल्का की बूर पर हौले हौले रगड़ने लगा, "ओह मेरी बहना, काश वो फल आज ही लाया होता तो आज अपनी बहन को भोग लेता"

अल्का धीरे से सिसकते हुए बोली- तो बस एक दिन और इंतजार कर लो मेरे भैया...कल भोग लेना अपनी बहन को।

अल्का की बूर अब रिसने लगी थी।

सत्तू- अभी जा के ले आऊं जंगल से।

अल्का ने हल्का सा हंसते हुए एक मुक्का सत्तू की पीठ पर मारा- इतनी बेसब्री...पता है भोर होने में कुछ ही घंटे बाकी होंगे, बस एक दिन और...फिर भोग लेना।

सत्तू- अच्छा....भोग लेना।

अल्का- हम्म्म्म

सत्तू- हाय... मेरी बहना

अल्का शर्म से सत्तू से कस के लिपट गयी।

सत्तू- पर कहाँ कैसे, यहीं छत पर।

अल्का- नही, मेरे कमरे में।

सत्तू- पर कैसे बगल में ही सौम्या भाभी मां का कमरा है।

अल्का- दीदी और अम्मा कल रहेंगी नही न, कल वो बाबू जी के साथ तुम्हारी नानी के यहां जाएंगी, शादी का न्यौता देने।

सत्तू- और किरन।

अल्का- किरन दीदी को तो मैं संभाल लूंगी... मेरे भैया।

सत्तू दे दनादन अल्का को चूमने लगा तो अल्का हल्के से हंसते हुए उसका साथ देने लगी।


कुछ देर बाद बेमन से दोनों उठे और अलका ने गद्दे को उठाकर वापिस उसी जगह पर रख दिया और फिर दोनों दबे पांव धीरे से नीचे आ गए, सत्तू चुपके से बाहर आकर अपनी खाट पर लेट गया, और अल्का अपने कमरे में आकर बेड पर लेट गयी, नींद दोनों के ही आंखों से कोसो दूर थी, फिर भी कोशिश करते करते, बिस्तर पर करवट बदलते बदलते दोनों कुछ देर बाद सो ही गए।
मजा आ गया अब जुबतक फ्री हो update देते रहो
:yes1:B-):yes1::yes1::yes1::yes1:
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,376
9,002
159
Bhaut jabardast update ! Chedchaad main bhi kamukta ho sakti hai bahut hee uchit varnan hai … 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

Elon Musk_

Let that sink in!
Supreme
44,829
26,399
304
Update- 16

किरन के जाने के बाद सत्तू खाट पर करवटें बदलते लेटा रहा, अल्का भौजी के पास जाने में अभी वक्त था, धीरे से उसने अभी भी खड़े हो रखे अपने लंड को मसला और जल्दी जल्दी वक्त बीतने का इंतजार करने लगा, जैसे ही उसे लगभग आधी रात का अहसास हुआ, वो धीरे से खाट से उठा, बरामदे से बाहर आकर अंधेरे में हल्का हल्का दिख रही अपनी माँ बाबू और किरन को बेसुध सोते हुए देखकर घर के अंदर दरवाजे को धीरे से खोलकर चला गया। पहले वो अल्का भौजी के कमरे में गया तो वो वहाँ थी नही, समझ गया कि भौजी मेरा इंतज़ार कर रही है, झट से दबे पांव ऊपर छत पर गया, अंधेरा तो था ही, पर आंखें अभ्यस्त हो चुकी थी, इधर उधर देखा अल्का उसे दिखी नही...धीरे से आवाज लगाई, पर कोई उत्तर नही, थोड़ा बेचैन होकर छत पर इधर उधर वो अलका को ढूंढने लगा।

तभी सीढ़ियों पर से अल्का उसे आती हुई दिखाई दी, अल्का जल्दी से भाग कर आई और सत्तू से लिपट गयी।

सत्तू अल्का को बाहों में कसते हुए- ओह भौजी...कहाँ थी तुम?

अल्का ने उत्तर देने की बजाए सत्तू से धीरे से बोला- अब भी भौजी...हम्म.....बहन हूँ न मैं।

सत्तू ने अल्का के गालों को चूमते हुए उसके बदन को कस के दबाते हुए अपने से और सटाते हुए बोला- ओह मेरी बहन

इतनी कस के अल्का को बाहों में भीचने से उसकी आआह निकल गयी और वो सिसकते हुए बोली- मेरे भैया....मेरा भाई

सत्तू- कहाँ थी अब तक?...मुझे लगा मुझे ही देर हो गयी, तेरे कमरे में गया तो तू वहां नही थी।

अल्का- वो मैं....

सत्तू- वो मैं क्या. ..हम्म

अल्का- शर्म आती है...कैसे बताऊं?

सत्तू- भाई से कैसी शर्म?

अल्का- भाई से ही तो शर्म आती है।

अल्का के ऐसा बोलने पर सत्तू ने उसकी उभरी चौड़ी गांड को हांथों में लेकर हल्का सा दबा दिया और बोला- तो मत बनाओ फिर भाई मुझे।

गांड को सहलाये जाने से अल्का हल्का सा सनसना गयी, फिर धीरे से बोली- न बाबा न, अपने भाई के बिना तो मैं जी नही सकती....पर शर्म तो आती है न भैया।

सत्तू ने अल्का का गाल चूम लिया और बोला- तो शर्माते शर्माते ही बता दे न मेरी बहना....इतनी देर कहाँ लग गयी?

अल्का धीरे से बोली- मैं....पेशाब करने गयी थी भैया।

अल्का की आवाज में शर्म साफ महसूस हो रही थी

सत्तू- पेशाब

अल्का- ह्म्म्म

सत्तू- सिटी जैसी सुर्रर्रर की आवाज आई थी

अल्का- धत्त.....बेशर्म भैया.....बहुत बेशर्म भैया हो तुम.....बहन से ऐसे पूछते हैं।

सत्तू- बता न बहना।

अल्का- हाँ आयी थी आवाज हल्की हल्की....बेशर्म

सत्तू- हाय.... पर हल्की हल्की क्यों?

अल्का- अब बस भी करो न भैया.....शर्म आ रही है मुझे

सत्तू- बता न मेरी बहना...... नही तो फिर मैं तेरे ऊपर चढ़ूंगा नही।

इतना सुनते ही अल्का और शर्मा गयी।

अल्का- मत चढ़ना मेरे ऊपर.....मुझे नही चढ़वाना।

सत्तू- सच में.......नही चढ़वाओगी मुझे अपने ऊपर।

अल्का ने शर्माते हुए एक मुक्का सत्तू की पीठ में मारा और धीरे से बोली- क्योंकि मैं धीरे धीरे पेशाब कर रही थी न, इसलिए हल्की हल्की आवाज आ रही थी....समझे बुद्धू

सत्तू- पेशाब

अलका- हम्म....पेशाब

सत्तू- पेशाब में मजा थोड़ा कम आया.... वो बोल न बहना.. जिसमे पूरा मजा आता है।

अल्का- सच में मेरे भैया न.. बहुत बेशर्म हैं।

ऐसा कहके अलका अपने होंठ सत्तू के कान के नजदीक ले गयी और बड़े ही मदहोशी से बोली- मैं धीरे धीरे मूत रही थी न भैया... इसलिए हल्की हल्की सीटी जैसी आवाज आ रही थी।

दोनों सिसकते हुए एक दूसरे को सहलाने लगे, सत्तू बोला- मेरी बहना मूतने गयी थी।

अल्का- हाँ भैया.....मैं गयी थी...मूतने

सत्तू- बहना....मुझे तेरे ऊपर चढ़ना है।

अल्का- तो चढ़ो न मेरे भैया किसने रोका है।

इतना कहकर अल्का सत्तू से अलग हुई और छत की बाउंडरी की छोटी दीवार पर सूख रहे गद्दे को उतारकर थोड़ा कोने मे ले जाकर बिछाया और उसपर झट से लेटते हुए बाहें फैलाकर सत्तू को अपने ऊपर चढ़ने के लिए आमंत्रित करते हुए बोली- आओ न भैया, अब चढ़ भी जाओ अपनी बहन पर.....रात को कोई नही आएगा यहां पर।

सत्तू तो बस टूट पड़ा अल्का के ऊपर, जैसे ही अल्का के ऊपर चढ़ा, अल्का ने उसे बाहों में कस लिया, सत्तू ने अपने दोनों हाँथ उसकी पीठ के नीचे लेजाते हुए कस के उसको बाहों में दबोच लिया, कितना गुदाज़ बदन था अल्का का, दोनों मखमली विशाल चूचीयाँ सत्तू के सीने से दब गई, अलका ने अपने पैर मोड़कर सत्तू की कमर पर लपेट दिए जिससे उसकी साड़ी ऊपर को उठ गई और जांघों तक उसके पैर निवस्त्र हो गए।

जैसे ही सत्तू को ये अहसास हुआ कि अल्का ने दोनों पैर को उसकी कमर से लपेट लिया है उसने एक हाँथ से उसके नंगे पैर को जांघों तक धीरे से सहलाया तो अल्का की मस्ती में आंखें बंद हो गयी।

सत्तू एक हाँथ से अल्का की अधखुली जांघ को सहला रहा था और दूसरे हाँथ को उसकी गर्दन के नीचे से लेजाकर उसे कस के अपने से लिपटाये उसके गालों से अपने गाल सहला रहा था।

तभी अल्का ने पूछा- भैया...एक बात पूछूं?

सत्तू- पूछ न मेरी बहना....मेरी रानी।

अल्का- तुम्हें भी वो कर्म मिला होगा न।

सत्तू- मेरी बहना मैं तुमसे आज यही बात बताने वाला था कि तुमने पहले ही पूछ लिया।

अल्का- पर मेरे भैया..जहां तक मैं जानती हूं कर्म के बारे में न तो घर का कोई सदस्य पूछ सकता है और न ही किसी को बताया जाता है।

सत्तू- बात तो सही है मेरी बहना... पर उस सदस्य को तो बताना ही होता है जो उस कर्म का हिस्सा हो।

अल्का- मतलब

सत्तू- मतलब मेरी बहन....मुझे मेरा कर्म मिल गया है और तुम उस कर्म का हिस्सा हो.....मतलब वो कर्म तुम्हारे बिना पूरा नही हो सकता।

अलका थोड़ा अचरज से- क्या?....मैं शामिल हूँ उस कर्म में?

सत्तू- हां

अल्का- ऐसा क्या कर्म है वो भैया?।....अब तो मैं पूछ सकती हूं न?

सत्तू- हाँ बिल्कुल

अल्का- तो बताओ न जल्दी...ऐसा क्या कर्म आया है तुम्हारे हिस्से में...जिसमे मैं भी शामिल हूँ।

सत्तू ने फिर इत्मीनान से अल्का को वो सारी बातें जो कागज में लिखी थी बताई, बस उसने ये बात छुपा ली कि उस कागज में ये लिखा है कि ये कर्म घर की सभी स्त्रियों के साथ करना है, उसने बस यही बोला कि उसे वह अल्का के साथ ही करना है, दरअसल उसने यह पहले ही सोच रखा था कि हर स्त्री को वो यही बोलेगा ताकि कागज में लिखे अनुसार घर की एक स्त्री को यह न पता लगे कि दूसरी स्त्री के साथ भी ये हुआ है। जब सत्तू ने अल्का को सारी बात बता दी तो अलका सुनकर सन्न रह गयी, पहले तो उसे विश्वास ही नही हुआ कि उसके अजिया ससुर जी ऐसा कर्म भी लिख सकते हैं।

Hot... Hot... Super hot... Matlab ab bhatakaiyan ke fal ki baari aane wali hai... Par man kar rha ki asli khel se pahle muh bole bhai behan ki bekaraari ke 2-3 update aur padhne ko mil jaaye
 

Elon Musk_

Let that sink in!
Supreme
44,829
26,399
304
Dear Readers

Sabse pahle to I am very sorry, bahut intzaar karaya maine, kya krun kuchh dikkat mein hun, par thik hai jo bhi hai jaisa bhi hai, kosish karunga ab kahani complete krne ki, updates ek do din ke baad se regular aane lagenge. Kahani band nahi hogi, dono hi kahaniyan band nahi hogi. Updates aayenge. Abhi ek chhota sa update diya hai, next update parson aa jayega bda sa.

Thanks dear readers

Once again I am very sorry to all my readers.

Tum aa gaye, yahi khush khabri h, itna achcha update diya , vo to sone pe suhaga hai.. vaise apki life me sab kuchh thik to h na?
 

Elon Musk_

Let that sink in!
Supreme
44,829
26,399
304
Update- 16

किरन के जाने के बाद सत्तू खाट पर करवटें बदलते लेटा रहा, अल्का भौजी के पास जाने में अभी वक्त था, धीरे से उसने अभी भी खड़े हो रखे अपने लंड को मसला और जल्दी जल्दी वक्त बीतने का इंतजार करने लगा, जैसे ही उसे लगभग आधी रात का अहसास हुआ, वो धीरे से खाट से उठा, बरामदे से बाहर आकर अंधेरे में हल्का हल्का दिख रही अपनी माँ बाबू और किरन को बेसुध सोते हुए देखकर घर के अंदर दरवाजे को धीरे से खोलकर चला गया। पहले वो अल्का भौजी के कमरे में गया तो वो वहाँ थी नही, समझ गया कि भौजी मेरा इंतज़ार कर रही है, झट से दबे पांव ऊपर छत पर गया, अंधेरा तो था ही, पर आंखें अभ्यस्त हो चुकी थी, इधर उधर देखा अल्का उसे दिखी नही...धीरे से आवाज लगाई, पर कोई उत्तर नही, थोड़ा बेचैन होकर छत पर इधर उधर वो अलका को ढूंढने लगा।

तभी सीढ़ियों पर से अल्का उसे आती हुई दिखाई दी, अल्का जल्दी से भाग कर आई और सत्तू से लिपट गयी।

सत्तू अल्का को बाहों में कसते हुए- ओह भौजी...कहाँ थी तुम?

अल्का ने उत्तर देने की बजाए सत्तू से धीरे से बोला- अब भी भौजी...हम्म.....बहन हूँ न मैं।

सत्तू ने अल्का के गालों को चूमते हुए उसके बदन को कस के दबाते हुए अपने से और सटाते हुए बोला- ओह मेरी बहन

इतनी कस के अल्का को बाहों में भीचने से उसकी आआह निकल गयी और वो सिसकते हुए बोली- मेरे भैया....मेरा भाई

सत्तू- कहाँ थी अब तक?...मुझे लगा मुझे ही देर हो गयी, तेरे कमरे में गया तो तू वहां नही थी।

अल्का- वो मैं....

सत्तू- वो मैं क्या. ..हम्म

अल्का- शर्म आती है...कैसे बताऊं?

सत्तू- भाई से कैसी शर्म?

अल्का- भाई से ही तो शर्म आती है।

अल्का के ऐसा बोलने पर सत्तू ने उसकी उभरी चौड़ी गांड को हांथों में लेकर हल्का सा दबा दिया और बोला- तो मत बनाओ फिर भाई मुझे।

गांड को सहलाये जाने से अल्का हल्का सा सनसना गयी, फिर धीरे से बोली- न बाबा न, अपने भाई के बिना तो मैं जी नही सकती....पर शर्म तो आती है न भैया।

सत्तू ने अल्का का गाल चूम लिया और बोला- तो शर्माते शर्माते ही बता दे न मेरी बहना....इतनी देर कहाँ लग गयी?

अल्का धीरे से बोली- मैं....पेशाब करने गयी थी भैया।

अल्का की आवाज में शर्म साफ महसूस हो रही थी

सत्तू- पेशाब

अल्का- ह्म्म्म

सत्तू- सिटी जैसी सुर्रर्रर की आवाज आई थी

अल्का- धत्त.....बेशर्म भैया.....बहुत बेशर्म भैया हो तुम.....बहन से ऐसे पूछते हैं।

सत्तू- बता न बहना।

अल्का- हाँ आयी थी आवाज हल्की हल्की....बेशर्म

सत्तू- हाय.... पर हल्की हल्की क्यों?

अल्का- अब बस भी करो न भैया.....शर्म आ रही है मुझे

सत्तू- बता न मेरी बहना...... नही तो फिर मैं तेरे ऊपर चढ़ूंगा नही।

इतना सुनते ही अल्का और शर्मा गयी।

अल्का- मत चढ़ना मेरे ऊपर.....मुझे नही चढ़वाना।

सत्तू- सच में.......नही चढ़वाओगी मुझे अपने ऊपर।

अल्का ने शर्माते हुए एक मुक्का सत्तू की पीठ में मारा और धीरे से बोली- क्योंकि मैं धीरे धीरे पेशाब कर रही थी न, इसलिए हल्की हल्की आवाज आ रही थी....समझे बुद्धू

सत्तू- पेशाब

अलका- हम्म....पेशाब

सत्तू- पेशाब में मजा थोड़ा कम आया.... वो बोल न बहना.. जिसमे पूरा मजा आता है।

अल्का- सच में मेरे भैया न.. बहुत बेशर्म हैं।

ऐसा कहके अलका अपने होंठ सत्तू के कान के नजदीक ले गयी और बड़े ही मदहोशी से बोली- मैं धीरे धीरे मूत रही थी न भैया... इसलिए हल्की हल्की सीटी जैसी आवाज आ रही थी।

दोनों सिसकते हुए एक दूसरे को सहलाने लगे, सत्तू बोला- मेरी बहना मूतने गयी थी।

अल्का- हाँ भैया.....मैं गयी थी...मूतने

सत्तू- बहना....मुझे तेरे ऊपर चढ़ना है।

अल्का- तो चढ़ो न मेरे भैया किसने रोका है।

इतना कहकर अल्का सत्तू से अलग हुई और छत की बाउंडरी की छोटी दीवार पर सूख रहे गद्दे को उतारकर थोड़ा कोने मे ले जाकर बिछाया और उसपर झट से लेटते हुए बाहें फैलाकर सत्तू को अपने ऊपर चढ़ने के लिए आमंत्रित करते हुए बोली- आओ न भैया, अब चढ़ भी जाओ अपनी बहन पर.....रात को कोई नही आएगा यहां पर।

सत्तू तो बस टूट पड़ा अल्का के ऊपर, जैसे ही अल्का के ऊपर चढ़ा, अल्का ने उसे बाहों में कस लिया, सत्तू ने अपने दोनों हाँथ उसकी पीठ के नीचे लेजाते हुए कस के उसको बाहों में दबोच लिया, कितना गुदाज़ बदन था अल्का का, दोनों मखमली विशाल चूचीयाँ सत्तू के सीने से दब गई, अलका ने अपने पैर मोड़कर सत्तू की कमर पर लपेट दिए जिससे उसकी साड़ी ऊपर को उठ गई और जांघों तक उसके पैर निवस्त्र हो गए।

जैसे ही सत्तू को ये अहसास हुआ कि अल्का ने दोनों पैर को उसकी कमर से लपेट लिया है उसने एक हाँथ से उसके नंगे पैर को जांघों तक धीरे से सहलाया तो अल्का की मस्ती में आंखें बंद हो गयी।

सत्तू एक हाँथ से अल्का की अधखुली जांघ को सहला रहा था और दूसरे हाँथ को उसकी गर्दन के नीचे से लेजाकर उसे कस के अपने से लिपटाये उसके गालों से अपने गाल सहला रहा था।

तभी अल्का ने पूछा- भैया...एक बात पूछूं?

सत्तू- पूछ न मेरी बहना....मेरी रानी।

अल्का- तुम्हें भी वो कर्म मिला होगा न।

सत्तू- मेरी बहना मैं तुमसे आज यही बात बताने वाला था कि तुमने पहले ही पूछ लिया।

अल्का- पर मेरे भैया..जहां तक मैं जानती हूं कर्म के बारे में न तो घर का कोई सदस्य पूछ सकता है और न ही किसी को बताया जाता है।

सत्तू- बात तो सही है मेरी बहना... पर उस सदस्य को तो बताना ही होता है जो उस कर्म का हिस्सा हो।

अल्का- मतलब

सत्तू- मतलब मेरी बहन....मुझे मेरा कर्म मिल गया है और तुम उस कर्म का हिस्सा हो.....मतलब वो कर्म तुम्हारे बिना पूरा नही हो सकता।

अलका थोड़ा अचरज से- क्या?....मैं शामिल हूँ उस कर्म में?

सत्तू- हां

अल्का- ऐसा क्या कर्म है वो भैया?।....अब तो मैं पूछ सकती हूं न?

सत्तू- हाँ बिल्कुल

अल्का- तो बताओ न जल्दी...ऐसा क्या कर्म आया है तुम्हारे हिस्से में...जिसमे मैं भी शामिल हूँ।

सत्तू ने फिर इत्मीनान से अल्का को वो सारी बातें जो कागज में लिखी थी बताई, बस उसने ये बात छुपा ली कि उस कागज में ये लिखा है कि ये कर्म घर की सभी स्त्रियों के साथ करना है, उसने बस यही बोला कि उसे वह अल्का के साथ ही करना है, दरअसल उसने यह पहले ही सोच रखा था कि हर स्त्री को वो यही बोलेगा ताकि कागज में लिखे अनुसार घर की एक स्त्री को यह न पता लगे कि दूसरी स्त्री के साथ भी ये हुआ है। जब सत्तू ने अल्का को सारी बात बता दी तो अलका सुनकर सन्न रह गयी, पहले तो उसे विश्वास ही नही हुआ कि उसके अजिया ससुर जी ऐसा कर्म भी लिख सकते हैं।

Vaise aapki lekhni me aapko salaah dena, suraj ko diya dikhane type h, par fir bhi main bolta hu, ki agar aap last wala portion me jab sattu alka ko karm ki baatein bata raha tha.. to thoda details me likhte.. like ki dono ke expression kya the.. sattu kanha kanha hath lagaya.. to thoda sa aur kamuk ho jata.. mujhe lagta hai ... Shayad ye update thoda jaldi me ho gaya.. varna aap bahut umda likhte ho..
Air bhai.. sorry agar mera comment bura lage..
 
Top