“अरे मेरी मगळ (बेटी), मैंने ऐसा कब कहा? किसी भी खूंटे से बांधना होता, तो तेरी इतनी बक बक सुनती? तेरी पसंद के ही किसी वर से करूँगी तेरा विवाह! तू कह तो सही!”
“वर तो है मेरी नज़र में यजमंट्टी...” चिन्नम्मा ने कहा।
“अरे? वर है? तो अभी तक बताया क्यों नहीं?”
“बताने में हिचक रही थी मैं यजमंट्टी..”
अल्का ने चिन्नम्मा को सर हिला कर इशारा किया, लेकिन वो आज कुछ सुनने, मानने वाली नहीं थी।
“अरे यजमंट्टी, अपना अर्चित नहीं दिखता क्या आपको?”
“चिन्नू? अल्का का विवाह चिन्नू से? पागल हो गई है क्या, लक्ष्मी? यह सब तेरे यहाँ होता होगा!”
“वाह यजमंट्टी, आपके यहाँ मामा अपनी भांजी से परिणय कर सकता है, लेकिन अम्माई अपने भांजे से नहीं! यह कैसी व्यवस्था है? अपनी मोलूट्टी से पूछ कर देखिए... अगर उसको अर्चित पसंद है, तो फिर क्या परेशानी है?”
चिन्नम्मा की इस बात का अम्मम्मा के पास कोई उत्तर नहीं था।
“मुझ बुढ़िया ने यह सब रीति रिवाज़ थोड़े न बनाए हैं, लक्ष्मी!” नानी ने बुझी हुई आवाज़ में कहा, “लेकिन सोचती हूँ, तो तुम्हारी बात तो ठीक ही लगती है। अल्का, मेरी बच्ची, क्या हो गया। तू ऐसे नंगी क्यों है मेरी मोलू?” अम्मम्मा की आवाज़ में चिंता थी ।
“कुछ नहीं अम्मा...” अल्का रुकी और फिर सोच कर बोली, “मैं अपने भगवान की पूजा कर रही थी।"
“नग्न पूजा! अच्छा है.. कर ले, अपने लिए एक अच्छा सा वर भी माँग ले..”
“माँगा है माँ!” अल्का मुस्कुराई।
“भगवान तेरी प्रार्थना स्वीकार करें!” कह कर नानी ने अल्का के सर पर प्यार से हाथ फिराया और कहा, “जल्दी से अपने कपड़े ले बच्ची... चिन्नू तुझे ऐसे देखेगा तो क्या सोचेगा?”
“देखने लेने दो न यजमंट्टी; क्या पता अपनी अल्का के भाग्य में अर्चित ही लिखा हो?”
“तू फिर से शुरू हो गई, लक्ष्मी?”
“क्या इतनी बुरी बात कह दी मैंने यजमंट्टी?”
“नहीं लक्ष्मी, बुरी बात तो नहीं कही है...”
“तो फिर?”
“बस एक अलग सी बात है। पता नहीं! भगवान के खेल.. मुझ बुढ़िया की समझ से बाहर हैं। और फिर रीति रिवाज़ भी तो मानने पड़ते हैं, है न?”
“प्रेम के संयोग तो भगवान ही बनाते हैं, न यजमंट्टी!”
“सो तो है ही..”
“और यदि मैं यह कहूँ कि अपनी अल्का अर्चित को पसंद करती है, और अर्चित अल्का को, तो क्या कहोगी यजमंट्टी?”
बाण अब न केवल तूणीर से बाहर निकल गया था, बल्कि धनुष की प्रत्यंचा पर चढ़ कर अपने लक्ष्य की तरफ चल भी दिया था। अब आगे की घटनाओं पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होने वाला था।
“क्या? ये लक्ष्मी क्या कह रही है, मोलूट्टी ?”