साधना को बड़े जोरों की पेशाब लगी तो वह उठकर बाथरूम में चली गई लेकिन जल्दबाजी में वह दरवाजे की कड़ी लगाना जरूरी नहीं समझी,, क्योंकि सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे और इसीलिए वह सोचे कि कोई घर आने वाला नहीं है जब तक कोई आएगा भी तब तक वह मुत कर खड़ी हो जाएगी,,, इसीलिए वो आपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी पेंटिं को घुटनों तक खींच कर मुतने के लिए बैठ गई,,,,,, उसकी भारी-भरकम गोल गोल गोरी गांड दरवाजे की तरफ थी,, वह सामने दीवार की तरफ मुंह करके बैठी हुई थी,,, और उसी समय संजू को भी बड़े जोरों की पेशाब लगी वह इस बात से बिल्कुल अनजान था कि बाथरूम में उसकी मौसी है वह अपनी ही धुन में कमरे से बाहर निकला और एक नजर रसोई घर की तरफ डाला दरवाजा हल्का सा बंद था अंदर उसकी मां और उसकी बहन खाना बना रही थी,,,, अपने पेशाब की तीव्रता को अपने काबू में करने के लिए वह पेंट के ऊपर से अपने लंड को दबाया हुआ था और सीधे बाथरूम के ठीक सामने पहुंच गया साधना को बाथरूम के बाहर उसके आने की आहट तक महसूस नहीं हुई वह अपनी ही धुन में अपनी दोनों टांगों के बीच की बांसुरी बजाए जा रही थी,,,,,,, वह पूरी तरह से पेशाब करने में मशगूल हो चुकी थी,,,।
साधना पेशाब करते हुए
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संजू पूरी तरह से अनजान था एकदम मासूम की तरह पेशाब करने के लिए वजह से ही बाथरूम का दरवाजा खोला तो उसकी आंखों के सामने का दृश्य देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई पल भर में ही सब कुछ बदलता हुआ महसूस होने लगा तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी आंखें यह सब देख पाएंगी,,, गजब का नजारा बना हुआ था संजू पलभर में ही अपने होश खो बैठा था,,।
वो कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने नजारा ही कुछ ऐसा मदहोशी से भरा हुआ था उसकी जगह कोई भी होता तो शायद उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती,, और तो और संजू की जगह अगर दूसरा कोई होता तो शायद इसके आगे बढ़कर कुछ हरकत भी कर बैठता,,,
संजू ने जैसे बाथरूम का दरवाजा खोला था उसकी आंखों के सामने ही उसकी साधना मौसी नीचे बैठी हुई थी और पेशाब कर रही थी संजू ने कभी भी एक औरत के बारे में इस तरह की कल्पना भी नहीं किया था लेकिन आज उसकी आंखें कल्पना से भी परे वह सब देख रही थी जिसे देख पाना शायद संजू कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था,,, उसके साधना मौसी अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए मुत रही थी,,,, संजू को तो कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें बाथरूम का दरवाजा बंद कर दे या वहां से चला जाए लेकिन अद्भुत गजब का मादकता से भरा हुआ नजारा देखकर उसके होश हवास खो गए थे,,, संजू की आंखें अपनी ही मौसी की बड़ी बड़ी गांड पर टिकी हुई थी जिसे वह आज तक सिर्फ साड़ी में लिपटी हुई देखता आया था,,, लेकिन आज उसकी किस्मत में कुछ और लिखा हुआ था इसीलिए आज वह,, अपनी मौसी की नंगी गांड के दर्शन कर रहा था यह शायद उसकी जिंदगी का पहला मौका था जब वह किसी औरत की नंगी गांड को अपनी आंखों से देख रहा था अपनी खुली आंखों से वह जन्नत का नजारा देख रहा था इसलिए वह अपने होश में बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी थी,,, पल भर में ही 4 बोतलों का नशा उसके दिलो-दिमाग पर अपना कब्जा जमा बैठा था,,,, वह आंखें फाड़े अपनी मौसी की गांड को घूरे जा रहा था,,, मानो कि जैसे कोई वह बेशकीमती खजाने का भंडार देख लिया हो,,,वैसे भी समझो उम्र के जिस दौर से गुजर रहा था ऐसे में औरत का नंगा जिस्म ही उसके लिए दुनिया का सबसे बड़ा खजाना होता है,,,,जिसे मैं अपने हाथों में भरकर उसे महसूस करने के लिए तड़प उठता है और यही हाल संजू का भी था औरत के मामले में वह पूरी तरह से अज्ञानी था लेकिन फिर भी अपनी मौसी की गांड को छू लेने की लालसा उसके मन में जाग रही थी वह अपनी मौसी की नंगी गांड को छूना चाहता था उसे सहन आना चाहता था उसे अपनी हथेली में लेकर दबाना चाहता था उसके एहसास में पूरी तरह से खो जाना चाहता था,,,,लेकिन ऐसा कर पाना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था और उसकी हिम्मत भी नहीं थी,,,।
Mohiniii
दरवाजा के खुलते ही साधना एकदम से चौंक उठी थी और पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर संजू खड़ा था साधना को भी कुछ समझ में नहीं आया कि हम क्यों करें अपनी गांड को वह साड़ी से ढक भी नहीं सकती थी क्योंकि इस समय उसके पेशाब का प्रेशर एकदम तीव्रता पर था और उसकी बुर से नमकीन सरबत भलभलाकर सामने की दीवार पर बौछारें मार रहा था,,,, पल भर के लिए साधना को भी कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वो भी हैरान थी नीचे बैठी हुई वह अपनी नजरों को ऊपर उठाकर संजू की तरफ देख रही थी मन ही मन में उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि वह दरवाजे की कड़ी क्यों नहीं लगाई,,,,,, इस हालत में आज तक उसके पति के सिवा दूसरा कोई भी नहीं देखा था आज दूसरा शख्स उसका खुद का भतीजा संजू था एकदम जवान हो चुका था और वही सोच कर साधना की भी हालत खराब हो रही थी कि संजु पूरी तरह से जवान लड़का था,,, उसी हालत में देख कर और क्या सोच रहा होगा साधना मर्दों की नजर को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए वह अपने भतीजे संजू की नजर को देखकर पहचान गई थी कि वहां उसकी गांड को देखकर ललचा रहा है,,, और ऊपर से पेशाब करते हुए संजू की क्या हालत हो रही होगी साधना कुछ कुछ समझ रही थी,,,, क्योंकि वह जानती थी कि औरत को ईस हाल में देख पाना मर्दों के लिए एक तरह से दुर्लभ ही होता है,,, लेकिन संजू को बिना किसी दिक्कत के बेहतरीन नजारा देखने को मिल गया था,,,,,,।
दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों शर्म से पानी पानी हो गए,,,,साधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे संजू को वहां से जाने के लिए बोले उसके मुंह से तो शब्द ही नहीं फूट रहे थे और संजू था कि अनजाने में ही बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ ऐसे हालात में अपनी मौसी को देख रहा था,,,, उसके कानों में साधना की बुर से आ रही सीटी की आवाज भी एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,, इस मधुर ध्वनि की तरफ ध्यान जाते हैं सोनू के पैंट में तंबू बनना शुरू हो गया था,,,, इस तरह की ध्वनि को वहां पहले भी सुन चुका था लेकिन उस समय वह कभी ध्यान नहीं दिया था लेकिन आज अनायास ही इस तरह का दृश्य देखकर उसी से जुड़ी हर हरकत पर वह पहली नजर और कान दोनों लगाए बैठा था,,,,। दोनों अजीब कशमकश में थे साधना शर्मसार हुए जा रही थी दूसरी तरफ संजीव को भी शर्म महसूस हो रही थी लेकिन अपनी मौसी की गांड देखने के लालच को वह रोक नहीं पा रहा था,,,,,,,,।साधना थे कि कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन हम मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझती थी क्योंकि इस हालात में दोनों को काफी समय हो गया था इसलिए,,,, हक लाते हुए स्वर में साधना बोली,,,।
दरवाजा बंद कर,,,, कोई आ जाएगा,,,,
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(इतना सुनकर जैसे उसके ऊपर कोई ठंडा पानी की बाल्टी डाल दिया उस तरह से उसे होश आया और वह तुरंत दरवाजा बंद करके अपने कमरे में चला गया,,,, कमरे में पहुंचकर संजू की हालत बुरी तरह से खराब हो गई थी पजामे मैं पूरी तरह से उसका तंबू तन गया था,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,। दिल की धड़कन बड़े जोरों से शोर मचा रही थी,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा,,, वह अपने मन में ही सोचने लगा,,,,
बाप रे बाप मौसी की गांड कितनी बड़ी और कितनी गोरी है,,,, बहुत खूबसूरत है,,,, मैं तो देखकर ही पागल हो गया,,,, मौसा जी को कितना मजा आता होगा,,।ऊफफफ,,, साड़ी के अंदर मैं कभी सोचा नहीं था कि मौसी इतनी खूबसूरत होंगी,,,,
(साधना की भारी भरकम गदराई गांड पूरी तरह से संजू के दिलो-दिमाग पर छा चुकी थी,,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने साधना की गांड नजर आ जा रही थी,,,, लेकिन सोचने लगा कि कहीं उसकी मौसी गुस्सा ना हो जाए वो क्या सोचेंगी उसके बारे में,,,, कैसे आंखें फाड़े देख रहा था,,,, उसकी मौसी गुस्सा करेंगे यह सोचकर संजू परेशान होने लगा बस उसी जगह की अगर उसकी मौसी ने उसकी मां को बता दी तब क्या होगा उसकी मां तो उसकी जान ही ले लेगी बदनामी होगी सो अलग,,,, संजू की हालत अब खराब होने लगी थी उसे इस बात का डर था कि उसकी मां से उसकी मां को सब कुछ बता ना दे,,,, दूसरी तरफ पेशाब कर लेने के बावजूद भी साधना वही बैठी रह गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कड़ी खुली छोड़ देने पर वहां अपने आप पर गुस्सा करे या खुश हो जाएं क्योंकि जिस तरह की चमक उसकी गान्ड को देख कर संजू की आंखों में उसे दिखाई दी थी वह पूरी तरह से साधना को रोमांचित कर गई थी,,,, उसे लगने लगा था कि इस उम्र में भी उसका बदन जवान लड़कों को आकर्षित करने में पूरी तरह से सक्षम है क्योंकि संजू की नजर उसकी गोल-गोल गांड से खिसक नही रही थी,,, कैसा खा जाने वाली नजरों से देख रहा था यही सब सोचकर साधना के तन बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी,,,,,,एक बार तो उसके मन में आया कि वह सब कुछ आराधना को बता दे लेकिन फिर कुछ सोच कर शांत हो गई फिर वह खड़ी हुई और अपनी साड़ी को ठीक कर के बाथरूम से बाहर आ गई बाथरूम से आने के बाद रसोई घर में नहीं बल्कि बगल वाले कमरे में जिसमें संजू था उसने चली गई कमरे के अंदर अपनी मौसी को देखते ही संजू घबरा गया,,,, और डरते हुए बोला,,,।
सॉरी मौसी,,, जो कुछ भी काम जाने में हुआ मुझे नहीं मालूम था कि तुम बाथरूम के अंदर हो,,,
चल कोई बात नहीं पर एक बार देख कर दरवाजा बंद तो कर देना चाहिए था ना तू तो वहीं खड़ा होकर देखता ही रह गया,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे कभी औरत को पैशाब करते हुए देखा ही नहीं है,,,,।
माफी चाहता हूं मौसी उस समय मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं,,,
क्यों ऐसा क्या हो गया था कि तुझे कुछ समझ में नहीं आया तो दरवाजा बंद करना भूल गया,,,,
अब मैं क्या बोलूं मौसी उस समय की हालत को तो मैं बता भी नहीं सकता,,,,
(संजू की बातों में साधना को मजा आने लगा था वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी वह सुनना चाहती थी कि संजु को कैसा लगा था,,,।)
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क्यों नहीं बता सकता तुझे दरवाजा खोलने की जरूरत क्या थी तुझे समझना चाहिए था ना कि अंदर कोई ना कोई जरूर होगा तभी बाहर से खुला हुआ है,,,
नहीं मौसी ऐसा कुछ भी नहीं है बाहर से भी बाथरूम के दरवाजे की कड़ी खुली ही रहती है इसलिए समझ में नहीं आया,,,,।
फिर भी संजु एक अच्छे लड़के की तरहतुझे तुरंत दरवाजा बंद कर देना चाहिए था लेकिन तूने ऐसा नहीं किया कहीं ऐसा तो नहीं कि जानबूझकर तूने दरवाजा खोला हो मुझे बाथरूम में जाती हुई तू देख लिया हो,,,।
मां कसम मौसी ऐसा कुछ भी नहीं है,,,(अपने गले पर हाथ रखकर कसम खाते हुए) मुझे तो मालूम ही नहीं था कि तुम बाथरूम के अंदर हो अगर मुझे मालूम होता तो मेरी हिम्मत होती क्या दरवाजा खोलने की,,,
चल अनजाने में ही तू ने खोल दिया लेकिन जब तूने देखा कि मैं अंदर बैठकर मुत रही हूं फिर भी तो तूने दरवाजा बंद नहीं किया और दरवाजे पर खड़ा होकर सब कुछ देखने लगा,,,, अगर मैं यही बात तेरी मां को बता दूं तो,,,,
(साधना के मन में अनजाने में ही कुछ और चलने लगा था उसे इस तरह की बातें करते हुए अच्छा लग रहा था संजू का घबराया हुआ चेहरा उसकी हड़बड़ाहट देखकर साधना मन ही मन खुश हो रही थी,,,, और संजू मां को बताने वाली बात सुनकर पूरी तरह से घबरा गया,,, क्योंकि जो कुछ भी उसकी मौसी कह रही थी उसमें सच्चाई थी वह चाहता तो तुरंत दरवाजा बंद करके वापस चला जा सकता था और ऐसा करने पर वह शायद अपनी तरफ से अपने बचाव में यह बात रख भी सकता था लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया था वह क्या उसकी जगह कोई और होता तो शायद वह भी ऐसा नहीं करता कौन भला साधना जैसी खूबसूरत औरत की खूबसूरत नंगी गांड देखकर अपनी नजरों का फेर लेगा,,,, संजू ने भी वही किया था,,,अपनी मौसी की बात सुनकर संजू पूरी तरह से घबरा गया था और तुरंत अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए अपनी मौसी से बोला,,,)
नहीं मौसी ऐसा बिल्कुल भी मत करना मां को मेरे ऊपर बहुत विश्वास है अगर तुम उन्हें यह सब बताओगी तो उनका दिल टूट जाएगा और वह मुझे कभी माफ नहीं करेंगे और मुझे भला बुरा समझेंगी,,,।
(संजू का इस तरह से हाथ जोड़कर माफी मांगने वाला तरीका साधना के दिल पर गहरा प्रभाव कर गया था वह आराधना से कुछ भी बताने वाली नहीं थी सिर्फ संजू को डरा रही थी फिर भी,,,, वह अपनी आंखों को नचाते हुए बोली,,,)
चल अच्छा मैं तेरी मां से नहीं बताऊंगी,,, लेकिन तुम मुझे सच सच बता तु क्या देख रहा था,,,,(यह सवाल पूछते हुए साधना धीरे से दरवाजे को बंद कर दिया हालांकि कड़ी नहीं लगाई थी और धीरे से आकर संजू के पास बैठ गई संजू को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके यह सवाल का जवाब वह कैसे दें,,,, फिर भी साधना जोर देते हुए बोल रही थी,,)
सच-सच बता दे बेटा वरना तेरी मां को कहने में मुझे समझ नहीं लगेगा गलती ही तूने ऐसा किया है,,,।
लेकिन मौसी तुम को कड़ी लगा लेनी चाहिए थी ना,,,
अगर कड़ी नहीं लगाई तो क्या तु अंदर आ जाता,,, तुझे चला जाना चाहिए था ना तुझे देख कर उसे मैं तो मुझे ऐसा ही लग रहा था कि तू बाथरूम के अंदर आ जाएगा वैसे सच सच बता क्या देख रहा था,,,
तुम्हारी वो,,,,(सर में से नजरों को नीचे किए हुए ही संजू बोला)
तुम्हारी वो क्या नाम लेकर बोल,,, पूरा जवान हो गया है लेकिन लड़की की तरह डर रहा है,,,,
मुझे शर्म आती है मौसी मैंने आज तक इस तरह का नाम नहीं लिया हूं,,,।
तो क्या हुआ मेरे सामने ले मुझे बता तू पागलों की तरह क्या देख रहा था,,,। बता दे वरना तेरी मां से सब कुछ बता दूंगी,,,
नहीं नहीं मौसी,,,,
तो बता,,,
वो,,,,वो,,,, तुम्हारी गांड,,,,
(संजू ने पहली बार खुले तौर पर इस शब्द का खुलकर नाम लिया था और वह भी एक औरत के सामने अपनी मौसी के सामने इसलिए यह शब्द बोलते हुए उसकी जब आंदोलन खड़ा रही थी लेकिन उत्तेजना के मारे उसके घुटने भी कांप रहे थे,,,। साधना अपने पति जी के मुंह से उसकी गांड सुनकर पूरी तरह से रोमांचित हो गई और मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,)
क्यों ऐसा क्या खास है मेरी गांड में जो तू पागलों की तरह घूर रहा था,,,(साधना एकदम खुले तौर पर अपनी गांड के बारे में बोल रही थीरोमांचित हो रही थी समझी मौसी के मुंह से यह शब्द सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,) बता क्या खास लगा तुझे,,,।
बड़ी-बड़ी है और एकदम गोरी है बेदाग उस पर जरा भी दाग नहीं है,,,।
(संजू के मुंह से एक तरह से वह अपनी गांड की तारीफ ही सुन रही थी उसे अच्छा भी लग रहा था बेदाग गांड की मालकिन जो थी,,,,)
किसी और की भी देखा है क्या,,,
नहीं कभी नहीं देखा,,,(शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे किए हुए ही वह बोला,,,)
क्या बात कर रहा है क्या सच में तूने कभी नहीं देखा,,,
मां कसम मऔसी कभी नहीं देखा,,,
मतलब कि यह तेरा पहली बार था पहली बार किसी औरत की नंगी गांड देख रहा था उसे पेशाब करते हुए देख रहा था,
जी मौसी,,,,
तभी इतना पागलों की तरह घुर रहा था,,,
(साधना की बात सुनकर संजू कुछ बोला नहीं तो साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) मेरे से भी ज्यादा खूबसूरत तो तेरी मां की गांड है,,, उसकी नहीं देखा क्या कभी,,,
(अपनी मौसी के मुंह से अपनी मां की गांड का जिक्र सुनते ही संजू के चेहरे के भाव बदलने लगे उसे अपनी मौसी के मुंह से अपनी मां की कांड के बारे में सुनकर गुस्सा भी आ रहा था और ना जाने अजीब सी कशमकश हो रही थी,,, कुछ बोल नहीं रहा था,,, तो उसकी मौसी जोर देते हुए बोली,,,)
क्या हुआ संजू बोलेगा नहीं,,, जैसा आज मेरी देखा है वैसे अपनी मां की भी तो देखा होगा,,, बोलना शर्मा क्यो रहा है,,,
(संजू के चेहरे पर तो हवाइयां उड़ने लगी थी है मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मौसी के सवाल का जवाब कैसे दे उसे गुस्सा आ रहा था और ना जाने क्यों उत्तेजना भी महसूस हो रही थी,,,, फिर भी वह ना में सिर हिला दिया,,,साधना को इस तरह के सवाल पूछने में उत्तेजना का अनुभव हो रहा है उसे अपनी पेंटी उत्तेजना के मारे गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,, वह और कुछ पूछती से पहले ही मोहिनी ने दरवाजा खोली और बोली,,,)
मौसी खाना तैयार हो गया है चलो चल कर खा लो,,,,
ठीक है तुम चलो मैं आती हूं,,,,(इतना कहकर संजू की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,)
चल खाना खाते हैं,,,,(इतना कहकर वह खड़ी हो गई और संजू भाई अपनी जगह पर खड़ा हो गया और दोनों कमरे से बाहर आ गए,,)