Alok
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Wow tooसाधना की मदभरी बातें संजू की भावनाओं से खेल रही थी,,, उसके मन में अब तक किसी के लिए भी गंदे विचार नहीं आए थे,,, लेकिन जब से वह अपनी मौसी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन किया था तब से अपनी मौसी को देखने का नजरिया उसका बदन में लगा था और आग में घी डालने का काम उसकी मौसी के विचार और उसकी बातें कर रही थी,,, साधना यह जान चुकी थी किसंतोष की गांड को देखकर पूरी तरह से पागल हो गया था और इसी का फायदा उठाते हुए वह उसी से बोल रही थी कि उससे भी खूबसूरत और अच्छी उसकी मां की गांड है क्या इस तरह से उसने भी अपनी मां की गांड देखा है,,, यह सवाल पूछ कर साधना ने अपने ही भतीजे के मन में अपनी मां के प्रति उन्माद और आकर्षण का भाव जगाने लगी थी,,, और संजू के तन बदन में आग लगा गई थी,,,संजु ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह अपनी मौसी के प्रति इस तरह से आकर्षण में बंध जाएगा,,, बाथरूम में अनजाने में ही उसे पेशाब करते हुए देख लिया था इतने तक तो ठीक था साधना भी बात को आई गई कर सकती थी लेकिन उसके मन में भी ना जाने कैसे भी चार जन्म ले रहे थे अपने ही भतीजे से वह गंदी गंदी बातें कर रही थी और पूछ रही थी उसके विचार को जानना चाह रही थी और यही सवाल जवाब में संजू की उत्तेजना बढ़ने लगी थी साथ ही साधना भी अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,,,,, साधना को इस बात से और ज्यादा होते इतना का अनुभव हो रहा था क्योंकि संजू ने पहली बार जिंदगी में किसी औरत की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते देखा था इस बात को जानकर वह और ज्यादा उत्साहित हो गई थी,,,, साधना आराधना से उम्र में बड़ी थी,,,,और इस उम्र में भी एक जवान लड़का प्यासी नजरों से उसकी गांड को खो रहा था यह बात उसे अंदर तक असर कर गई थी वह काफी उत्साहित हो गई थी,,,। दोनों के बीच की वार्तालाप मां की गांड पर आकर अटक गई थी संजय को जवाब दे पाता इससे पहले ही मोहिनी दरवाजे पर आकर खाना खाने के लिए आमंत्रण दे गई थी,,,, साधना भी अच्छी तरह से समझ रही थी कि अब सवाल जवाब करना ठीक नहीं था इसलिए वह उठकर जाने लगी थी और संजु को भी आने को कह रही थी,,,,बाथरूम के अंदर का लाजवाब दृश्य देखकर उसका असर अभी भी संजू के दिलों दिमाग पर छाया हुआ था,,,और इसीलिए वह अपनी मौसी को कमरे से बाहर जाता हुआ देख रहा था खास करके उसकी कमर के नीचे की घेराबंदी को जो कि बेहद लुभावनी थी,,, और मटक मटक कर चलने पर तो जान हीं ले ले रही थी,,,।
साधना और संजय दोनों कमरे से बाहर आ चुके थे और हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ गए थे,,,, गरमा गरम पोरिया और जायकेदार सब्जी के साथ-साथ मुंह मीठा करने के लिए स्वादिष्ट खीर बनी हुई थी जिसका आराधना को छोड़कर तीनों लुफ्त ले कर खा रहे थे,,,, आराधना को इस तरह से बैठी देखकर साधना बोली,,,।
अरे आराधना तू क्यों बैठी है तू भी आ कर खा लेना,,,,(साधना मुंह में निवाला डालते हुए बोली,,,)
नहीं नहीं दीदी तुम सब खा लो मै तो उनके साथ ही खाती हुं,,
तु उनके साथ ही खाती है,,,
हां दीदी क्या करूं आदत बन चुकी है ना,,,,
मुझसे तो भाई बर्दाश्त नहीं होता मैं तो पहले ही खा लेती हूं,,,,
(आराधना तीनों को खाना परोसती जा रही थी और तीनों खाते जा रहे थे,,,, साधना को पूरी सब्जी खीर बहुत पसंद थी इसलिए वह पेट भर कर खा ली थी,,,, संजू का मन खाने में कम अपनी मौसी को ताड़ने में ज्यादा लग रहा था,,, संजू की नजरों को साधना अच्छी तरह से परख चुकी थी,,,, इसलिए खाना खाते खाते हो जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू अपने कंधे से नीचे गिरा दी थी ताकि संजू को उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आने लगे,,, और ऐसा हो भी रहा था अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली बड़ी बड़ी चूची को देखकर जो कि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी अपनी मादकता का असर संजू पर बनाए हुए थे,,, उसे देखकर संजू पूरी तरह से मस्त हो चुका ना पेंट में एक बार फिर से अकड़न बढ़ने लगी थी संजू चोर नजरों से रह रह कर अपनी मौसी की चूचियों पर नजर फेर ले रहा था संजू को ऐसा लग रहा था कि उसकी मौसी ने अपनी चुचियों के साईज से कम बाप का ब्लाउज पहन रखी है इसलिए उसकी चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर निकली हुई नजर आ रही थी,,,,लेकिन गौर से देखने पर संजू किस बात का एहसास हो गया कि उसकी मौसी की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी-बड़ी है इसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था एक तरफ स्वादिष्ट व्यंजन की खाली पड़ी थी और दूसरी तरफ ब्लाउज में कैद पकवान नजर आ रहा था,,, संजू को पकवान खाने का मन कर रहा था लेकिन उसे खाने की उसमें हिम्मत नहीं थी साधना को अपने भतीजे को इस तरह से तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि संजू पूरी तरह से जवान हो चुका था और जवान लड़के उसे देखकर इस तरह से आहें भरते हो यह उसे बेहद पसंद था,,,, क्योंकि उसे लगता था कि इस नंबर में भी वह काफी खूबसूरत और गति रे बदन की मालकिन है और यह हकीकत भी था,,,, लेकिन आराधना की खूबसूरती से अगर उसकी जवानी का कंपेयर किया जाए आराधना एक कदम आगे ही थी,,,,।
इस समय संजू की आंखों के सामने साधना की दोनों चूचियां ब्लाउज में कैद होकर रासलीला रचा रही थी जब जब वह अपने हाथ को थाली से ऊपर की तरफ ले जाती तब तक उसकी दोनों चूचियां आपस में रगड़ जा रही थी,,,। और आपस में रगड़ खा रही चूचियों की गर्मी संजू की दोनों टांगों के बीच छा रही थी,,,,,,
देखते ही देखते तीनों ने खाना खा लिया था और आराधना बर्तन मांजने लगी थी उसकी मदद करने के लिए साधना भी वहां पहुंच गई तो आराधना ने उसे बर्तन मांजने नहीं दी और बैठने के लिए बोली मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी और कुछ देर के लिए संजू बाहर टहलने के लिए निकल गया,,,,संजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी ना चाहते हुए भी उसके दिलो-दिमाग पर उसकी मौसी साधना छाई हुई थी उसकी मदमस्त गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड उसका पैसाब करना और उसकी चूचियों की झलक कुल मिलाकर संजू को अपनी आगोश में जकड़ी हुई थी संजू चाह कर भी अपना ध्यान दूसरी तरफ लगा नहीं पा रहा था वह टहल पर डालते अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी आखिरकार उसे चाहती क्या है अगर उसे गलत लगा होता तो वह उसे डांट देती उसे भला-बुरा कहती,,,लेकिन ऐसी किसी भी प्रकार की प्रक्रिया उसकी मौसी की तरफ से नहीं हुई थी बल्कि उसकी मौसी तो उसे से गंदे सवाल जवाब पूछ रही थी और सीधे-सीधे उसकी मां के बारे में पूछ कर संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर दी थी संजू को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी मौसी उससे इस तरह के सवाल क्यों पूछ रही है यही सब सोचते सोचते उसका दिमाग खराब हो रहा था आखिरकार काफी समय बीत जाने के बाद वह घर लौटा तो सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे,,,,,,।
आराधना तो अपने कमरे में सो जा मैं इन लोगों के साथ सो जाती हूं क्योंकि जीजा जी कभी भी रात को आएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा अगर मैं तेरे कमरे में सोई रहूंगी तो,,,
ठीक है दीदी जैसी आपकी मर्जी,,,,,
(और फिर इतना कहकर आराधना अपने कमरे में चली गई और मोहिनी और संजू के साथ साधना उन लोगों के कमरे में चली गई,,,, कमरे में सोने के नाम पर ही संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे अपनी मौसी के साथ सो पाएगा क्योंकि उसके मन में उसकी मौसी को लेकर गंदे गंदे विचार आना शुरू हो गए थे उसे डर था कि उसके हाथ से कुछ इधर उधर ना हो जाए,,,, तीनों कमरे में पहुंचकर कुछ देर तक बातें करते रहे मोहिनी और संजू नीचे ही बिस्तर लगा कर सोते थे,,, अपनी मौसी से बातें करने में मोहिनी को बहुत मजा आ रहा था लेकिन संजू से तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था वह अपनी मौसी की खूबसूरती में पूरी तरह से खो चुका था खास करके उसकी नंगी गांड के दर्शन करके वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के बाद कैसी नजर आती होगी,,, ब्लाउज से बाहर आकर उसकी चूचियां किस कदर कहर ढाती होगी,,,, संजू को अपने मौसा की किस्मत पर जलन होने लगी थी कितनी खूबसूरत औरत को वह रोज चोदते होंगेरोज उसके नंगे पन का दर्शन करते हुए अपने हाथों से उसके कपड़े उतारते होंगे उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से पकड़कर दबाते होंगे उसकी बड़ी बड़ी चूची को मुंह में लेकर पीते होंगे उसके रसीली चूत में अपना लंड घुसा कर चोदते होंगे यह सब सोचते हुए संजू की हालत खराब होती जा रही थी और उसके पैंट में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,,,
बात करते-करते 12:00 बज गए थे मोहिनी को नींद आने लगी थी क्योंकि उसे झपकी लगने लगी थी इसलिए वह बोली,,,।
चलो काफी रात हो गई है सो जाते हैं वैसे भी तुम्हें नींद आ रही है मोहिनी,,,
हां मौसी मुझे जोरों की नींद आ रही है,,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी वही लेट गई और सो गई साधना जानबूझकर दोनों के बीच में सोने वाली थी इसलिए बिस्तर पर लंबी होते हुए वह संजू से बोली,,,)
संजू लाइट बंद कर दे मुझे उजाले में नींद नहीं आती,,,,।
(संजु अपनी मौसी की बात मानते हुए उठकर खड़ा हुआ है और लाइट बंद कर दिया कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छा गया,,,, कुछ भी नजर नहीं आ रहा था संजू धीरे से आकर अपनी मौसी के बगल में लेट गया उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी पहली बार बार किसी की औरत के पास सोया था ऐसा बिल्कुल भी नहीं था इससे पहले भी वह अपनी मौसी के साथ सो चुका था लेकिन आज की बात कुछ और थी,,,, पहले वह एक भतीजे की नजर से अपनी मौसी को देखा करता था लेकिन आज एक मर्द की नजर से वहां अपनी मौसी को देख रहा था और उसकी मौसी में उसे एक औरत नजर आ गई थी तब खूबसूरत कामुक औरत जिसके अंग अंग से मादकता छलक रही थी,,,,।
साधना के भी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, उसके मन में कुछ और चल रहा था,,,, संजू और साधना दोनों पीठ के बल लेटे हुए थे,,, दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी साधना खेली खाई औरत थी इसलिए वह अच्छी तरह से जानती थी कि एक जवान लड़के को किस तरह से लाइन पर लाया जाता है,,,, वह घुटना मोड़ कर अपनी सारी पर पूरी तरह से अपनी जांघों तक चढ़ा दी,,,,,, और संजू से बोली,,,।
संजू मेरे घुटने के नीचे चादर होगी जरा लाना तो मै सर के नीचे रख लु,,,
(संजीव को तो सब कुछ सामान्य और औपचारिक ही लग रहा था,,, वह उठा और बैठकर,,,, पैर की तरफ देखने लगा लेकिन लाइट बंद होने की वजह से पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था कुछ भी नजर नहीं आ रहा था इसलिए अंदाजन अपना हाथ आगे बढ़ाकर चादर उठाने को हुआ ही था कि वह अपना हाथ अपनी मौसी की जांघों पर रख दिया,,,, पल भर में उसे तो लगा जैसे कि उसे करंट लग गया हो जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की जांघ पर अपना हाथ रखा हुआ था,,,, पल भर में ही उसकी सांसे ऊपर नीचे हो गई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें नरम नरम मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपनी हथेली में लेते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी थी,,,, संजू के लंड ने करवट लेना शुरू कर दिया था,,,,,,, उसका मन अपनी मौसी की चिकनी जांघों को छोड़ने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन वह ऐसा कर सकने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था,,,। और साधना के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी क्योंकि एक जवान लड़का उसकी जांघों को अपनी हथेली मैं पकड़े हुए था वह चाहती थी कि संजू अपनी हथेली को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ लाया और उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर रख कर दबोच लें,,,, लेकिन वह ऐसा खुले शब्दों में नहीं कह सकती थी,,,, उत्तेजना के मारे अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरुस्त करते हुए संजू बोला,,,,।
मौसी अंधेरा बहुत ही कुछ नजर नहीं आ रहा है,,,,।
ठीक है एक बार लाइट चालू करके देख ले चादर कहां रखी हुई है,,,,।
(साधना जानबूझ कर उसे लाइट चालू करने के लिए बोली थी क्योंकि वह लाइट के उजाले में उसे एक बार अपनी जवानी का झलक दिखाना चाहती थी एक बार तो पहले भी वह अनजाने में देख चुका था लेकिन अब वह जानबूझकर अपनी मदमस्त कर देने वाली जवानी उसे दिखाकर अपनी आगोश में लेना चाहती थी,,, और लाइट चालू करने के नाम पर संजू का दिल जोरो से धड़कने लगा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, वह भी बेहद उत्सुक था लाइट चालू करने के लिए,,, वह बल्ब की रोशनी में अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली जवानी के दर्शन करना चाहता था लेकिन इस बात से डर रहा था कि कहीं मोहिनी जाग रही होगी तो,,,, पर ऐसा लग रहा था कि जैसे संजू के मन की बात साधना अच्छी तरह से समझ रही हो इसलिए वह बोली,,,।)
मोहिनी सो गई है तू लाइट चालू करके जल्दी से चादर मुझे दे दे और फिर वापस लाइट बंद कर दे,,,।
much romantic update bro and great writer, good wishesसाधना की मदभरी बातें संजू की भावनाओं से खेल रही थी,,, उसके मन में अब तक किसी के लिए भी गंदे विचार नहीं आए थे,,, लेकिन जब से वह अपनी मौसी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन किया था तब से अपनी मौसी को देखने का नजरिया उसका बदन में लगा था और आग में घी डालने का काम उसकी मौसी के विचार और उसकी बातें कर रही थी,,, साधना यह जान चुकी थी किसंतोष की गांड को देखकर पूरी तरह से पागल हो गया था और इसी का फायदा उठाते हुए वह उसी से बोल रही थी कि उससे भी खूबसूरत और अच्छी उसकी मां की गांड है क्या इस तरह से उसने भी अपनी मां की गांड देखा है,,, यह सवाल पूछ कर साधना ने अपने ही भतीजे के मन में अपनी मां के प्रति उन्माद और आकर्षण का भाव जगाने लगी थी,,, और संजू के तन बदन में आग लगा गई थी,,,संजु ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह अपनी मौसी के प्रति इस तरह से आकर्षण में बंध जाएगा,,, बाथरूम में अनजाने में ही उसे पेशाब करते हुए देख लिया था इतने तक तो ठीक था साधना भी बात को आई गई कर सकती थी लेकिन उसके मन में भी ना जाने कैसे भी चार जन्म ले रहे थे अपने ही भतीजे से वह गंदी गंदी बातें कर रही थी और पूछ रही थी उसके विचार को जानना चाह रही थी और यही सवाल जवाब में संजू की उत्तेजना बढ़ने लगी थी साथ ही साधना भी अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,,,,, साधना को इस बात से और ज्यादा होते इतना का अनुभव हो रहा था क्योंकि संजू ने पहली बार जिंदगी में किसी औरत की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते देखा था इस बात को जानकर वह और ज्यादा उत्साहित हो गई थी,,,, साधना आराधना से उम्र में बड़ी थी,,,,और इस उम्र में भी एक जवान लड़का प्यासी नजरों से उसकी गांड को खो रहा था यह बात उसे अंदर तक असर कर गई थी वह काफी उत्साहित हो गई थी,,,। दोनों के बीच की वार्तालाप मां की गांड पर आकर अटक गई थी संजय को जवाब दे पाता इससे पहले ही मोहिनी दरवाजे पर आकर खाना खाने के लिए आमंत्रण दे गई थी,,,, साधना भी अच्छी तरह से समझ रही थी कि अब सवाल जवाब करना ठीक नहीं था इसलिए वह उठकर जाने लगी थी और संजु को भी आने को कह रही थी,,,,बाथरूम के अंदर का लाजवाब दृश्य देखकर उसका असर अभी भी संजू के दिलों दिमाग पर छाया हुआ था,,,और इसीलिए वह अपनी मौसी को कमरे से बाहर जाता हुआ देख रहा था खास करके उसकी कमर के नीचे की घेराबंदी को जो कि बेहद लुभावनी थी,,, और मटक मटक कर चलने पर तो जान हीं ले ले रही थी,,,।
साधना और संजय दोनों कमरे से बाहर आ चुके थे और हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ गए थे,,,, गरमा गरम पोरिया और जायकेदार सब्जी के साथ-साथ मुंह मीठा करने के लिए स्वादिष्ट खीर बनी हुई थी जिसका आराधना को छोड़कर तीनों लुफ्त ले कर खा रहे थे,,,, आराधना को इस तरह से बैठी देखकर साधना बोली,,,।
अरे आराधना तू क्यों बैठी है तू भी आ कर खा लेना,,,,(साधना मुंह में निवाला डालते हुए बोली,,,)
नहीं नहीं दीदी तुम सब खा लो मै तो उनके साथ ही खाती हुं,,
तु उनके साथ ही खाती है,,,
हां दीदी क्या करूं आदत बन चुकी है ना,,,,
मुझसे तो भाई बर्दाश्त नहीं होता मैं तो पहले ही खा लेती हूं,,,,
(आराधना तीनों को खाना परोसती जा रही थी और तीनों खाते जा रहे थे,,,, साधना को पूरी सब्जी खीर बहुत पसंद थी इसलिए वह पेट भर कर खा ली थी,,,, संजू का मन खाने में कम अपनी मौसी को ताड़ने में ज्यादा लग रहा था,,, संजू की नजरों को साधना अच्छी तरह से परख चुकी थी,,,, इसलिए खाना खाते खाते हो जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू अपने कंधे से नीचे गिरा दी थी ताकि संजू को उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आने लगे,,, और ऐसा हो भी रहा था अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली बड़ी बड़ी चूची को देखकर जो कि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी अपनी मादकता का असर संजू पर बनाए हुए थे,,, उसे देखकर संजू पूरी तरह से मस्त हो चुका ना पेंट में एक बार फिर से अकड़न बढ़ने लगी थी संजू चोर नजरों से रह रह कर अपनी मौसी की चूचियों पर नजर फेर ले रहा था संजू को ऐसा लग रहा था कि उसकी मौसी ने अपनी चुचियों के साईज से कम बाप का ब्लाउज पहन रखी है इसलिए उसकी चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर निकली हुई नजर आ रही थी,,,,लेकिन गौर से देखने पर संजू किस बात का एहसास हो गया कि उसकी मौसी की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी-बड़ी है इसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था एक तरफ स्वादिष्ट व्यंजन की खाली पड़ी थी और दूसरी तरफ ब्लाउज में कैद पकवान नजर आ रहा था,,, संजू को पकवान खाने का मन कर रहा था लेकिन उसे खाने की उसमें हिम्मत नहीं थी साधना को अपने भतीजे को इस तरह से तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि संजू पूरी तरह से जवान हो चुका था और जवान लड़के उसे देखकर इस तरह से आहें भरते हो यह उसे बेहद पसंद था,,,, क्योंकि उसे लगता था कि इस नंबर में भी वह काफी खूबसूरत और गति रे बदन की मालकिन है और यह हकीकत भी था,,,, लेकिन आराधना की खूबसूरती से अगर उसकी जवानी का कंपेयर किया जाए आराधना एक कदम आगे ही थी,,,,।
इस समय संजू की आंखों के सामने साधना की दोनों चूचियां ब्लाउज में कैद होकर रासलीला रचा रही थी जब जब वह अपने हाथ को थाली से ऊपर की तरफ ले जाती तब तक उसकी दोनों चूचियां आपस में रगड़ जा रही थी,,,। और आपस में रगड़ खा रही चूचियों की गर्मी संजू की दोनों टांगों के बीच छा रही थी,,,,,,
देखते ही देखते तीनों ने खाना खा लिया था और आराधना बर्तन मांजने लगी थी उसकी मदद करने के लिए साधना भी वहां पहुंच गई तो आराधना ने उसे बर्तन मांजने नहीं दी और बैठने के लिए बोली मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी और कुछ देर के लिए संजू बाहर टहलने के लिए निकल गया,,,,संजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी ना चाहते हुए भी उसके दिलो-दिमाग पर उसकी मौसी साधना छाई हुई थी उसकी मदमस्त गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड उसका पैसाब करना और उसकी चूचियों की झलक कुल मिलाकर संजू को अपनी आगोश में जकड़ी हुई थी संजू चाह कर भी अपना ध्यान दूसरी तरफ लगा नहीं पा रहा था वह टहल पर डालते अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी आखिरकार उसे चाहती क्या है अगर उसे गलत लगा होता तो वह उसे डांट देती उसे भला-बुरा कहती,,,लेकिन ऐसी किसी भी प्रकार की प्रक्रिया उसकी मौसी की तरफ से नहीं हुई थी बल्कि उसकी मौसी तो उसे से गंदे सवाल जवाब पूछ रही थी और सीधे-सीधे उसकी मां के बारे में पूछ कर संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर दी थी संजू को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी मौसी उससे इस तरह के सवाल क्यों पूछ रही है यही सब सोचते सोचते उसका दिमाग खराब हो रहा था आखिरकार काफी समय बीत जाने के बाद वह घर लौटा तो सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे,,,,,,।
आराधना तो अपने कमरे में सो जा मैं इन लोगों के साथ सो जाती हूं क्योंकि जीजा जी कभी भी रात को आएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा अगर मैं तेरे कमरे में सोई रहूंगी तो,,,
ठीक है दीदी जैसी आपकी मर्जी,,,,,
(और फिर इतना कहकर आराधना अपने कमरे में चली गई और मोहिनी और संजू के साथ साधना उन लोगों के कमरे में चली गई,,,, कमरे में सोने के नाम पर ही संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे अपनी मौसी के साथ सो पाएगा क्योंकि उसके मन में उसकी मौसी को लेकर गंदे गंदे विचार आना शुरू हो गए थे उसे डर था कि उसके हाथ से कुछ इधर उधर ना हो जाए,,,, तीनों कमरे में पहुंचकर कुछ देर तक बातें करते रहे मोहिनी और संजू नीचे ही बिस्तर लगा कर सोते थे,,, अपनी मौसी से बातें करने में मोहिनी को बहुत मजा आ रहा था लेकिन संजू से तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था वह अपनी मौसी की खूबसूरती में पूरी तरह से खो चुका था खास करके उसकी नंगी गांड के दर्शन करके वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के बाद कैसी नजर आती होगी,,, ब्लाउज से बाहर आकर उसकी चूचियां किस कदर कहर ढाती होगी,,,, संजू को अपने मौसा की किस्मत पर जलन होने लगी थी कितनी खूबसूरत औरत को वह रोज चोदते होंगेरोज उसके नंगे पन का दर्शन करते हुए अपने हाथों से उसके कपड़े उतारते होंगे उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से पकड़कर दबाते होंगे उसकी बड़ी बड़ी चूची को मुंह में लेकर पीते होंगे उसके रसीली चूत में अपना लंड घुसा कर चोदते होंगे यह सब सोचते हुए संजू की हालत खराब होती जा रही थी और उसके पैंट में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,,,
बात करते-करते 12:00 बज गए थे मोहिनी को नींद आने लगी थी क्योंकि उसे झपकी लगने लगी थी इसलिए वह बोली,,,।
चलो काफी रात हो गई है सो जाते हैं वैसे भी तुम्हें नींद आ रही है मोहिनी,,,
हां मौसी मुझे जोरों की नींद आ रही है,,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी वही लेट गई और सो गई साधना जानबूझकर दोनों के बीच में सोने वाली थी इसलिए बिस्तर पर लंबी होते हुए वह संजू से बोली,,,)
संजू लाइट बंद कर दे मुझे उजाले में नींद नहीं आती,,,,।
(संजु अपनी मौसी की बात मानते हुए उठकर खड़ा हुआ है और लाइट बंद कर दिया कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छा गया,,,, कुछ भी नजर नहीं आ रहा था संजू धीरे से आकर अपनी मौसी के बगल में लेट गया उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी पहली बार बार किसी की औरत के पास सोया था ऐसा बिल्कुल भी नहीं था इससे पहले भी वह अपनी मौसी के साथ सो चुका था लेकिन आज की बात कुछ और थी,,,, पहले वह एक भतीजे की नजर से अपनी मौसी को देखा करता था लेकिन आज एक मर्द की नजर से वहां अपनी मौसी को देख रहा था और उसकी मौसी में उसे एक औरत नजर आ गई थी तब खूबसूरत कामुक औरत जिसके अंग अंग से मादकता छलक रही थी,,,,।
साधना के भी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, उसके मन में कुछ और चल रहा था,,,, संजू और साधना दोनों पीठ के बल लेटे हुए थे,,, दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी साधना खेली खाई औरत थी इसलिए वह अच्छी तरह से जानती थी कि एक जवान लड़के को किस तरह से लाइन पर लाया जाता है,,,, वह घुटना मोड़ कर अपनी सारी पर पूरी तरह से अपनी जांघों तक चढ़ा दी,,,,,, और संजू से बोली,,,।
संजू मेरे घुटने के नीचे चादर होगी जरा लाना तो मै सर के नीचे रख लु,,,
(संजीव को तो सब कुछ सामान्य और औपचारिक ही लग रहा था,,, वह उठा और बैठकर,,,, पैर की तरफ देखने लगा लेकिन लाइट बंद होने की वजह से पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था कुछ भी नजर नहीं आ रहा था इसलिए अंदाजन अपना हाथ आगे बढ़ाकर चादर उठाने को हुआ ही था कि वह अपना हाथ अपनी मौसी की जांघों पर रख दिया,,,, पल भर में उसे तो लगा जैसे कि उसे करंट लग गया हो जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की जांघ पर अपना हाथ रखा हुआ था,,,, पल भर में ही उसकी सांसे ऊपर नीचे हो गई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें नरम नरम मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपनी हथेली में लेते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी थी,,,, संजू के लंड ने करवट लेना शुरू कर दिया था,,,,,,, उसका मन अपनी मौसी की चिकनी जांघों को छोड़ने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन वह ऐसा कर सकने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था,,,। और साधना के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी क्योंकि एक जवान लड़का उसकी जांघों को अपनी हथेली मैं पकड़े हुए था वह चाहती थी कि संजू अपनी हथेली को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ लाया और उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर रख कर दबोच लें,,,, लेकिन वह ऐसा खुले शब्दों में नहीं कह सकती थी,,,, उत्तेजना के मारे अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरुस्त करते हुए संजू बोला,,,,।
मौसी अंधेरा बहुत ही कुछ नजर नहीं आ रहा है,,,,।
ठीक है एक बार लाइट चालू करके देख ले चादर कहां रखी हुई है,,,,।
(साधना जानबूझ कर उसे लाइट चालू करने के लिए बोली थी क्योंकि वह लाइट के उजाले में उसे एक बार अपनी जवानी का झलक दिखाना चाहती थी एक बार तो पहले भी वह अनजाने में देख चुका था लेकिन अब वह जानबूझकर अपनी मदमस्त कर देने वाली जवानी उसे दिखाकर अपनी आगोश में लेना चाहती थी,,, और लाइट चालू करने के नाम पर संजू का दिल जोरो से धड़कने लगा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, वह भी बेहद उत्सुक था लाइट चालू करने के लिए,,, वह बल्ब की रोशनी में अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली जवानी के दर्शन करना चाहता था लेकिन इस बात से डर रहा था कि कहीं मोहिनी जाग रही होगी तो,,,, पर ऐसा लग रहा था कि जैसे संजू के मन की बात साधना अच्छी तरह से समझ रही हो इसलिए वह बोली,,,।)
मोहिनी सो गई है तू लाइट चालू करके जल्दी से चादर मुझे दे दे और फिर वापस लाइट बंद कर दे,,,।
बहुत ही अच्छा वर्णन है.....साधना की मदभरी बातें संजू की भावनाओं से खेल रही थी,,, उसके मन में अब तक किसी के लिए भी गंदे विचार नहीं आए थे,,, लेकिन जब से वह अपनी मौसी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन किया था तब से अपनी मौसी को देखने का नजरिया उसका बदन में लगा था और आग में घी डालने का काम उसकी मौसी के विचार और उसकी बातें कर रही थी,,, साधना यह जान चुकी थी किसंतोष की गांड को देखकर पूरी तरह से पागल हो गया था और इसी का फायदा उठाते हुए वह उसी से बोल रही थी कि उससे भी खूबसूरत और अच्छी उसकी मां की गांड है क्या इस तरह से उसने भी अपनी मां की गांड देखा है,,, यह सवाल पूछ कर साधना ने अपने ही भतीजे के मन में अपनी मां के प्रति उन्माद और आकर्षण का भाव जगाने लगी थी,,, और संजू के तन बदन में आग लगा गई थी,,,संजु ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह अपनी मौसी के प्रति इस तरह से आकर्षण में बंध जाएगा,,, बाथरूम में अनजाने में ही उसे पेशाब करते हुए देख लिया था इतने तक तो ठीक था साधना भी बात को आई गई कर सकती थी लेकिन उसके मन में भी ना जाने कैसे भी चार जन्म ले रहे थे अपने ही भतीजे से वह गंदी गंदी बातें कर रही थी और पूछ रही थी उसके विचार को जानना चाह रही थी और यही सवाल जवाब में संजू की उत्तेजना बढ़ने लगी थी साथ ही साधना भी अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,,,,, साधना को इस बात से और ज्यादा होते इतना का अनुभव हो रहा था क्योंकि संजू ने पहली बार जिंदगी में किसी औरत की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते देखा था इस बात को जानकर वह और ज्यादा उत्साहित हो गई थी,,,, साधना आराधना से उम्र में बड़ी थी,,,,और इस उम्र में भी एक जवान लड़का प्यासी नजरों से उसकी गांड को खो रहा था यह बात उसे अंदर तक असर कर गई थी वह काफी उत्साहित हो गई थी,,,। दोनों के बीच की वार्तालाप मां की गांड पर आकर अटक गई थी संजय को जवाब दे पाता इससे पहले ही मोहिनी दरवाजे पर आकर खाना खाने के लिए आमंत्रण दे गई थी,,,, साधना भी अच्छी तरह से समझ रही थी कि अब सवाल जवाब करना ठीक नहीं था इसलिए वह उठकर जाने लगी थी और संजु को भी आने को कह रही थी,,,,बाथरूम के अंदर का लाजवाब दृश्य देखकर उसका असर अभी भी संजू के दिलों दिमाग पर छाया हुआ था,,,और इसीलिए वह अपनी मौसी को कमरे से बाहर जाता हुआ देख रहा था खास करके उसकी कमर के नीचे की घेराबंदी को जो कि बेहद लुभावनी थी,,, और मटक मटक कर चलने पर तो जान हीं ले ले रही थी,,,।
साधना और संजय दोनों कमरे से बाहर आ चुके थे और हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ गए थे,,,, गरमा गरम पोरिया और जायकेदार सब्जी के साथ-साथ मुंह मीठा करने के लिए स्वादिष्ट खीर बनी हुई थी जिसका आराधना को छोड़कर तीनों लुफ्त ले कर खा रहे थे,,,, आराधना को इस तरह से बैठी देखकर साधना बोली,,,।
अरे आराधना तू क्यों बैठी है तू भी आ कर खा लेना,,,,(साधना मुंह में निवाला डालते हुए बोली,,,)
नहीं नहीं दीदी तुम सब खा लो मै तो उनके साथ ही खाती हुं,,
Sadhna
तु उनके साथ ही खाती है,,,
हां दीदी क्या करूं आदत बन चुकी है ना,,,,
मुझसे तो भाई बर्दाश्त नहीं होता मैं तो पहले ही खा लेती हूं,,,,
(आराधना तीनों को खाना परोसती जा रही थी और तीनों खाते जा रहे थे,,,, साधना को पूरी सब्जी खीर बहुत पसंद थी इसलिए वह पेट भर कर खा ली थी,,,, संजू का मन खाने में कम अपनी मौसी को ताड़ने में ज्यादा लग रहा था,,, संजू की नजरों को साधना अच्छी तरह से परख चुकी थी,,,, इसलिए खाना खाते खाते हो जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू अपने कंधे से नीचे गिरा दी थी ताकि संजू को उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आने लगे,,, और ऐसा हो भी रहा था अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली बड़ी बड़ी चूची को देखकर जो कि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी अपनी मादकता का असर संजू पर बनाए हुए थे,,, उसे देखकर संजू पूरी तरह से मस्त हो चुका ना पेंट में एक बार फिर से अकड़न बढ़ने लगी थी संजू चोर नजरों से रह रह कर अपनी मौसी की चूचियों पर नजर फेर ले रहा था संजू को ऐसा लग रहा था कि उसकी मौसी ने अपनी चुचियों के साईज से कम बाप का ब्लाउज पहन रखी है इसलिए उसकी चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर निकली हुई नजर आ रही थी,,,,लेकिन गौर से देखने पर संजू किस बात का एहसास हो गया कि उसकी मौसी की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी-बड़ी है इसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था एक तरफ स्वादिष्ट व्यंजन की खाली पड़ी थी और दूसरी तरफ ब्लाउज में कैद पकवान नजर आ रहा था,,, संजू को पकवान खाने का मन कर रहा था लेकिन उसे खाने की उसमें हिम्मत नहीं थी साधना को अपने भतीजे को इस तरह से तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि संजू पूरी तरह से जवान हो चुका था और जवान लड़के उसे देखकर इस तरह से आहें भरते हो यह उसे बेहद पसंद था,,,, क्योंकि उसे लगता था कि इस नंबर में भी वह काफी खूबसूरत और गति रे बदन की मालकिन है और यह हकीकत भी था,,,, लेकिन आराधना की खूबसूरती से अगर उसकी जवानी का कंपेयर किया जाए आराधना एक कदम आगे ही थी,,,,
Sadhna or Sanju
इस समय संजू की आंखों के सामने साधना की दोनों चूचियां ब्लाउज में कैद होकर रासलीला रचा रही थी जब जब वह अपने हाथ को थाली से ऊपर की तरफ ले जाती तब तक उसकी दोनों चूचियां आपस में रगड़ जा रही थी,,,। और आपस में रगड़ खा रही चूचियों की गर्मी संजू की दोनों टांगों के बीच छा रही थी,,,,,,
देखते ही देखते तीनों ने खाना खा लिया था और आराधना बर्तन मांजने लगी थी उसकी मदद करने के लिए साधना भी वहां पहुंच गई तो आराधना ने उसे बर्तन मांजने नहीं दी और बैठने के लिए बोली मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी और कुछ देर के लिए संजू बाहर टहलने के लिए निकल गया,,,,संजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी ना चाहते हुए भी उसके दिलो-दिमाग पर उसकी मौसी साधना छाई हुई थी उसकी मदमस्त गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड उसका पैसाब करना और उसकी चूचियों की झलक कुल मिलाकर संजू को अपनी आगोश में जकड़ी हुई थी संजू चाह कर भी अपना ध्यान दूसरी तरफ लगा नहीं पा रहा था वह टहल पर डालते अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी आखिरकार उसे चाहती क्या है अगर उसे गलत लगा होता तो वह उसे डांट देती उसे भला-बुरा कहती,,,लेकिन ऐसी किसी भी प्रकार की प्रक्रिया उसकी मौसी की तरफ से नहीं हुई थी बल्कि उसकी मौसी तो उसे से गंदे सवाल जवाब पूछ रही थी और सीधे-सीधे उसकी मां के बारे में पूछ कर संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर दी थी संजू को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी मौसी उससे इस तरह के सवाल क्यों पूछ रही है यही सब सोचते सोचते उसका दिमाग खराब हो रहा था आखिरकार काफी समय बीत जाने के बाद वह घर लौटा तो सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे,,,,,,।
आराधना तो अपने कमरे में सो जा मैं इन लोगों के साथ सो जाती हूं क्योंकि जीजा जी कभी भी रात को आएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा अगर मैं तेरे कमरे में सोई रहूंगी तो,,,
ठीक है दीदी जैसी आपकी मर्जी,,,,,
(और फिर इतना कहकर आराधना अपने कमरे में चली गई और मोहिनी और संजू के साथ साधना उन लोगों के कमरे में चली गई,,,, कमरे में सोने के नाम पर ही संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे अपनी मौसी के साथ सो पाएगा क्योंकि उसके मन में उसकी मौसी को लेकर गंदे गंदे विचार आना शुरू हो गए थे उसे डर था कि उसके हाथ से कुछ इधर उधर ना हो जाए,,,, तीनों कमरे में पहुंचकर कुछ देर तक बातें करते रहे मोहिनी और संजू नीचे ही बिस्तर लगा कर सोते थे,,, अपनी मौसी से बातें करने में मोहिनी को बहुत मजा आ रहा था लेकिन संजू से तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था वह अपनी मौसी की खूबसूरती में पूरी तरह से खो चुका था खास करके उसकी नंगी गांड के दर्शन करके वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के बाद कैसी नजर आती होगी,,, ब्लाउज से बाहर आकर उसकी चूचियां किस कदर कहर ढाती होगी,,,, संजू को अपने मौसा की किस्मत पर जलन होने लगी थी कितनी खूबसूरत औरत को वह रोज चोदते होंगेरोज उसके नंगे पन का दर्शन करते हुए अपने हाथों से उसके कपड़े उतारते होंगे उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से पकड़कर दबाते होंगे उसकी बड़ी बड़ी चूची को मुंह में लेकर पीते होंगे उसके रसीली चूत में अपना लंड घुसा कर चोदते होंगे यह सब सोचते हुए संजू की हालत खराब होती जा रही थी और उसके पैंट में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,,,
बात करते-करते 12:00 बज गए थे मोहिनी को नींद आने लगी थी क्योंकि उसे झपकी लगने लगी थी इसलिए वह बोली,,,।
चलो काफी रात हो गई है सो जाते हैं वैसे भी तुम्हें नींद आ रही है मोहिनी,,,
हां मौसी मुझे जोरों की नींद आ रही है,,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी वही लेट गई और सो गई साधना जानबूझकर दोनों के बीच में सोने वाली थी इसलिए बिस्तर पर लंबी होते हुए वह संजू से बोली,,,)
संजू लाइट बंद कर दे मुझे उजाले में नींद नहीं आती,,,,।
(संजु अपनी मौसी की बात मानते हुए उठकर खड़ा हुआ है और लाइट बंद कर दिया कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छा गया,,,, कुछ भी नजर नहीं आ रहा था संजू धीरे से आकर अपनी मौसी के बगल में लेट गया उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी पहली बार बार किसी की औरत के पास सोया था ऐसा बिल्कुल भी नहीं था इससे पहले भी वह अपनी मौसी के साथ सो चुका था लेकिन आज की बात कुछ और थी,,,, पहले वह एक भतीजे की नजर से अपनी मौसी को देखा करता था लेकिन आज एक मर्द की नजर से वहां अपनी मौसी को देख रहा था और उसकी मौसी में उसे एक औरत नजर आ गई थी तब खूबसूरत कामुक औरत जिसके अंग अंग से मादकता छलक रही थी,,,,।
साधना के भी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, उसके मन में कुछ और चल रहा था,,,, संजू और साधना दोनों पीठ के बल लेटे हुए थे,,, दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी साधना खेली खाई औरत थी इसलिए वह अच्छी तरह से जानती थी कि एक जवान लड़के को किस तरह से लाइन पर लाया जाता है,,,, वह घुटना मोड़ कर अपनी सारी पर पूरी तरह से अपनी जांघों तक चढ़ा दी,,,,,, और संजू से बोली,,,।
संजू मेरे घुटने के नीचे चादर होगी जरा लाना तो मै सर के नीचे रख लु,,,
(संजीव को तो सब कुछ सामान्य और औपचारिक ही लग रहा था,,, वह उठा और बैठकर,,,, पैर की तरफ देखने लगा लेकिन लाइट बंद होने की वजह से पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था कुछ भी नजर नहीं आ रहा था इसलिए अंदाजन अपना हाथ आगे बढ़ाकर चादर उठाने को हुआ ही था कि वह अपना हाथ अपनी मौसी की जांघों पर रख दिया,,,, पल भर में उसे तो लगा जैसे कि उसे करंट लग गया हो जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की जांघ पर अपना हाथ रखा हुआ था,,,, पल भर में ही उसकी सांसे ऊपर नीचे हो गई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें नरम नरम मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपनी हथेली में लेते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी थी,,,, संजू के लंड ने करवट लेना शुरू कर दिया था,,,,,,, उसका मन अपनी मौसी की चिकनी जांघों को छोड़ने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन वह ऐसा कर सकने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था,,,। और साधना के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी क्योंकि एक जवान लड़का उसकी जांघों को अपनी हथेली मैं पकड़े हुए था वह चाहती थी कि संजू अपनी हथेली को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ लाया और उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर रख कर दबोच लें,,,, लेकिन वह ऐसा खुले शब्दों में नहीं कह सकती थी,,,, उत्तेजना के मारे अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरुस्त करते हुए संजू बोला,,,,।
मौसी अंधेरा बहुत ही कुछ नजर नहीं आ रहा है,,,,।
ठीक है एक बार लाइट चालू करके देख ले चादर कहां रखी हुई है,,,,।
(साधना जानबूझ कर उसे लाइट चालू करने के लिए बोली थी क्योंकि वह लाइट के उजाले में उसे एक बार अपनी जवानी का झलक दिखाना चाहती थी एक बार तो पहले भी वह अनजाने में देख चुका था लेकिन अब वह जानबूझकर अपनी मदमस्त कर देने वाली जवानी उसे दिखाकर अपनी आगोश में लेना चाहती थी,,, और लाइट चालू करने के नाम पर संजू का दिल जोरो से धड़कने लगा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, वह भी बेहद उत्सुक था लाइट चालू करने के लिए,,, वह बल्ब की रोशनी में अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली जवानी के दर्शन करना चाहता था लेकिन इस बात से डर रहा था कि कहीं मोहिनी जाग रही होगी तो,,,, पर ऐसा लग रहा था कि जैसे संजू के मन की बात साधना अच्छी तरह से समझ रही हो इसलिए वह बोली,,,।)
मोहिनी सो गई है तू लाइट चालू करके जल्दी से चादर मुझे दे दे और फिर वापस लाइट बंद कर दे,,,।
Thanksबहुत ही अच्छा वर्णन है.....