मोहिनी के अरमानों के पर लग चुके थे,,, कॉलेज में उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था रात में जो कुछ भी हुआ था और सुबह जो उसकी प्रतिक्रिया के रूप में हुआ था उसे याद करके मोहिनी इस समय भी अपनी चूत से काम रस निकलता हुआ महसूस कर रही थी,,,, मोहिनी अपने बदन में तरो ताजगी महसूस कर रही थीऐसा लग रहा था कि जैसे उसके भाई ने उसकी खूबसूरत बदन को किसी केद से आजाद कर दिया हो,,,,, मोहिनी कॉलेज में अपनी क्लास में बैठे-बैठे यही सोच रही थी कि वह अपने भाई के बारे में इससे पहले इस तरह की ख्यालात नहीं रखती थी उसे ऐसा ही लगता था कि उसका भाई बहुत सीधा है लेकिन रात को जिस तरह से उसने अपनी मर्दानगी दिखाया था उसे देखकर मोहिनी पानी पानी हो गई थी,,,, मोहिनी के जीवन का सर्वप्रथम लंड के दर्शन करना उसकी भाई के ही बदौलत मुमकिन हुआ था वरना उसने अब तक लंड के आकार के बारे में किसी भी प्रकार की धारणा नहीं बांधी थी,,, लंड इतना मोटा तगड़ा होता है और चूत में जाकर जिस तरह की खलबली मच आता है उसका एहसास मोहिनी को पहली बार हो रहा था,,,, मोहिनी के जीवन की यह बेहद यादगार रात थी जिसे वह कभी भी नहीं भूलने वाली थी,,,संजू ने उसे जिस प्रकार का अद्भुत सुख दिया था उसे सुख के बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी इतना तो जानती ही थी कि लड़कियां जिस तरह से अपने बॉयफ्रेंड से चुदवाने के लिए आतुर रहती है उसे देखते हुए मोहिनी चाहती थी कि चुदवाने में बहुत मजा आता है,,, लेकिन इतना आत्मिक सुख भी मिलता होगा इसे तो वह अनुभव करने के बाद ही समझ पाई थी,,। वह बार-बार अपनी सहेली रोहिणी की तरफ देख रही थी और मन ही मन में उसे ढेर सारी दुआएं भी दे रही थी क्योंकि जो कुछ भी मुमकिन हुआ था यह सब कुछ उसके ही बदौलत हुआ था अगर वह फ्रॉक के नीचे चड्डी ना पहन कर अपनी चूत दिखा कर लड़कों को अपने बस में करने का हुनर के बारे में ना बताती तो शायद मोहिनी आज अपने भाई से संभोग सुख की अद्भुत लीला नहीं रच पाती,,, यह सब उसकी सहेली के ही बदौलत मुमकिन हुआ था,,, अपनी सहेली की युक्ति को वह अपने भाई पर आजमा कर बनी मन बहुत खुश हो चुकी थी और अपनी जवानी का मजा भी लुट रही थी,,, अपनी सहेली की बात ना मानते हुए अगर वह अपने भाई को अपनी चूत के दर्शन ना कराती तो शायद वह अब तक कुंवारी ही रहती,,,,,,,,कॉलेज में बैठे बैठे अपने भाई के लंड के बारे में सोच रही थी कि अब तक उसने कभी भी एक जवान लंड को अपनी आंखों से नहीं देखी थी और उसकी सही साइज के बारे में भी नहीं जानती थी अपने भाई के लंड को देखने के बाद सही मायने में उसे लंड के असली भूगोल के बारे में पता चला था,,,,,,, मोहिनी की आंखों के सामने बद्री से नजर आ रहा था जब उसका भाई अपने लंड को उसकी चूत में डाल कर जोर जोर से कमर हिलाता हुआ उसे चोद रहा था,,, मोहिनी उस दृश्य को याद करके पानी पानी हो रही थी,,,, उसे इस बात का एहसास हुआ था कि चूत में चाहे जितना मोटा लंड हो प्रवेश कर ही जाता है क्योंकि अपने भाई के लंड की मोटाई को देखकर उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वह अपने भाई के मोटे लंड को अपनी चूत में आराम से ले ले कि थोड़ा बहुत दर्द सहना पड़ा था लेकिन उसके बाद वह बड़े आराम से अपने भाई की मोटे तगड़े लंड को अपनी चूत की गहराई तक ले रही थी,,,,। मोहिनी अपने ख्यालों में खोई हुई थी कि तभी रिसेस की घंटी बज गई,,,, और तब जाकर मोहिनी की तंद्रा भंग हुई,,,,।
कॉलेज की कैंटीन में रोहिणी और मोहिनी दोनों कोने वाली टेबल पर बैठई हुई थी,,, रोहिणी में ही दो दो समोसे और कोका कोला का ऑर्डर दे दी थी,,,, ऑर्डर आने में कुछ समय की देरी थी इसलिए रोहिणी मुस्कुराते मोहिनी की तरफ देख कर बोली,,,।
और सुना मोहिनी क्या चल रहा है,,,?
वही जो पहले चल रहा था,,,
पढ़ाई पढ़ाई और बस पढ़ाई,,,(पेपर पर अपने दोनों हाथ रखते हुए रोहिणी बोली)
तो क्या यही सब तो जरूरी है,,,
अरे मेरी जान माना यह सब जरूरी है लेकिन हम जिससे उम्र के दौर से गुजर रहे हैं उसमें बहुत कुछ जरूरी हो जाता है बॉयफ्रेंड मस्ती घूमना मूवी देखना और फिर चुदाई,,,,आहहह इस उमर में यह सब नहीं करोगी तो कब करोगी,,,,
(चुदाई शब्द सुनते ही मोहिनी की आंखों के सामने फिर से रात वाला तेरे से नजर आने लगा था)
मुझे यह सब नहीं करना,,, तू तो हम लोगों की हालत अच्छी तरह से जानती है अगर मैं यह सब करने लगी तो अपनी मां के सपने कैसे पूरे करूंगी,,,,
अरे यार वह तो सब लड़कियां करना चाहती हैं लेकिन उसके साथ भी तो कुछ जरूरी है तू इतनी खूबसूरत है कि तो उधर एक इशारा कर दे तो शायद 10 लड़के तेरे पीछे लार टपका ते घूमते रहेंगे,,,(रानी की इस बात से मोहिनी पूरी तरह से सहमत थी इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि वह बहुत खूबसूरत थी)
मुझे इन सब बातों में बिल्कुल भी मजा नहीं आता,,,
धत् तेरी की यह तो वही हो गया,,, भैंस के आगे बीन बजाना तुझे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ने वाला,,,मैं तो तुझे तेरी खूबसूरती का फायदा उठाने के लिए बोल रही थी तेरी जैसी अगर मैं खूबसूरत होती तो अब तक तो तहलका मचा दी होती,,,
तू भी पागल है रोहीणी,,,
नहीं यार मैं सच कह रही हूं,,,
(इतने में वेटर समोसे और कोल्ड ड्रिंक लेकर आ गया और टेबल पर रख कर चला गया और सोनी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) अरे शाली तेरे गोरे गोरे गाल कितना तेरी चूत भी एकदम गोरी होगी मक्खन मलाई,,,
अरे कुछ तो शर्म कर,,(अपने आजू-बाजू नजर डालते हुए) कोई सुन लेगा तो हम लोगों के बारे में क्या सोचेगा,,,,
यही सोचेगा कि हम दोनों प्यासी हैं और अपनी चूत में एक अच्छा सा मोटा तगड़ा लंड लेना चाहती है,,,
(रोहीणी की बात सुनते ही शर्म के मारे मोहिनी के गाल लाल हो गए और वह समोसा उठा कर खाने लगी,,,, रोहिणी भी हंसते हुए समोसा उठा ली और उसे खाना शुरु कर दी मोहिनी उसकी फ्रॉक के नीचे चड्डी ना पहनने वाली युक्ति के बारे में पूछना चाहती थी कि उसकी युक्ति काम कि,या नहीं,,, लेकिन पूछने से शर्मा रही थी फिर भी हिम्मत करके वह धीरे से बोली,,,)
अच्छा वह तेरी आइडिया का क्या हुआ कुछ बात आगे बढ़ी कि नहीं,,,
कौन सी वह चड्डी ना पहनने वाली,,,
(मोहिनी समोसे को दांत से काटते हुए हां में सिर हिला दी,)
अरे वह तो बहुत काम कर गई,,, पता है तुझे उसने मुझे शॉपिंग भी कराया इधर उधर खूब घुमाया और फिर गेस्ट हाउस भी लेकर गया,,,
गेस्ट हाउस,,,? गेस्ट हाउस महीना जहां पर ऑफिस की मीटिंग होती है,,,,(मोहिनी आश्चर्य जताते हुए बोली)
तू सच में एकदम बुद्धू है,,, गेस्ट हाउस में मीटिंग थोड़ी ना होती है गेस्ट हाउस घंटे के हिसाब से किराए पर मिलता है जिसमें कमरा होता है नरम नरम बिस्तर होता है ऐसी होती है,,, और वहां पर लड़के लड़कियों को चोदने के लिए ले जाते है,,,।
(रोहिणी की यह बात सुनते ही मोहिनी की आंखों के सामने वह दृश्य नाचने लगा जब वह अपनी आंखों से अपने पापा को एक लड़की के साथ गेस्ट हाउस के अंदर जाते हुए देखी थी,,, पल भर के लिए मोहिनी की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा वह रोहिणी की बात को अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन फिर भी वह यकीन नहीं कर पा रही थी इसलिए वह फिर से बोली,,,)
मैं तेरी बात समझ नहीं रही हूं गेस्ट हाउस मतलब वही ना जो वहां किताब की दुकान है उसी रास्ते में पडती है,,,।
हां हां वहां तीन-चार गेस्ट हाउस है और हमेशा देखने गेस्ट हाउस के बाहर लड़कियां खड़ी रहती है सज धज कर,,,
(अब मोहिनी को सब कुछ समझ में आ गया था कि उसके पापा गेस्ट हाउस में लड़की को लेकर गए थे मीटिंग के लिए नहीं बल्कि उसे चोदने के लिए उसे सारा माजरा समझ में आने लगा था क्योंकि उसके पापा उसकी मम्मी से कतराने लगे हैं,,,, घर में पैसे क्यों नहीं दे रहे हैं सारे पैसे उनकी अय्याशी में जो खर्च हो जा रहे हैं,,,, इसका मतलब उस दिन उसके भाई ने उससे झूठ बोला था उसे सब कुछ पता था लेकिन जानबूझकर वहां शायद उसे बताना नहीं चाहता था वहीं कुछ देर तक किसी ख्यालों में खोई हुई लगी तो और बड़ी उसका हाथ पकड़ कर बोली,,,)
क्या हुआ किसके याद में खो गई कहीं तुझे भी तो नहीं गेस्ट हाउस जाना है,,,
ना बाबा गेस्ट हाउस तुझे ही मुबारक मतलब तूने भी वहां पर जाकर सारे क्रिया कर्म कर ही ली,,,
हां यार लेकिन सच में बहुत मजा आया,,, उसका ज्यादा मोटा तो नहीं था लेकिन मेरी चूत की बैंड बजा दिया 3 घंटे के लिए लिया था लेकिन इन 3 घंटों में उसने मुझे कपड़े पहनने ही नहीं दिया,,,।
(रोहिणी के मुंह से ज्यादा मोटा शबद सुनकर मोहीनी की आंखों के सामने उसके भाई का खड़ा लंड नजर आने लगा जो कि ज्यादा मोटा था,,, रोहिणी की बातों को सुनकर मोहिनी बोली,,)
छी,,, कितनी गंदी है तू,,
अरे मुझे गंदी कह रही है एक बार अपनी चूत में किसी का लंड डलवा लेना तब देखना दिन-रात बस लेने का ही मन करेगा,,,
चल मेरा नहीं करने वाला,,,,(इतने में ही रिसेस पूरी होने की बेल बज गई और दोनों जल्दी-जल्दी समोसा खाकर वापस लेक्चर अटेंड करने के लिए चले गए लेकिन मोहिनी का मन अब बिल्कुल भी नहीं लग रहा था अपने पापा के चरित्र को लेकर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था अब तो कुछ ऐसा ही लगता था कि उसके पापा शराब के नशे में सब कुछ करते हैं लेकिन अब उनका असली चेहरा मोहिनी को नजर आ गया था वह अपनी मां को सब कुछ बता देना चाहती थी लेकिन एक बार अपने भाई से बात कर लेना चाहती थी कि उसने उसे झूठ क्यों बोला था,,,,)
शाम को जब वह घर पहुंची तो संजू घर पर नहीं था इस बात से उसे गुस्सा आने लगा था क्योंकि घर पर पहुंचते ही ना जाने क्यों उसकी चूत में खुजली होने लगी थी और वह अपने भाई के लंड को एक बार फिर से अपनी चूत में देना चाहती थी लेकिन उसका भाई घर पर मौजूद ही नहीं थाउसकी मां को आने में अभी 1 घंटे का समय था इतने समय में तो वहां दोनों पूरी मस्ती कर लेते,,,, मोहिनी हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो गई और चाय बनाने का की चायवह अपने लिए ही नहीं बल्कि संजू और अपनी मां के लिए भी बना रही थी ताकि वह दोनों के आने पर सिर्फ गर्म करके दे दे,,,,।
कुर्सी पर बैठकर मोहिनी चाय की चुस्की रह रही थी और अपने पापा के बारे में सोच रही थी कि उसके पापा इतने चरित्रहीन हो गए हैं कि घर में इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर बाहर बाजारू औरतों के साथ संबंध बना रहे और पैसे लुटा रहे हैं,,,,वह इस बारे में अपनी मां से बात करना चाहती थी ताकि कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,,
इन्हीं सब के बारे में सोचते सोचते धीरे-धीरे समय गुजर गया और उसकी मां ऑफिस से घर पर आ आ गई लेकिन अभी भी संजू घर पर वापस नहीं आया था संजू के ऊपर मोहिनी को बहुत गुस्सा आ रहा था,,, आराधना घर पहुंच कर हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो रही थी कि तभी संजू भी आ गया,,, उसे तिरछी नजर से गुस्से में देखते हुए बोली अच्छा हुआ तुम दोनों आ गए वरना मुझे फिर से चाय गरम करनी पड़ती,,,।
(संजू मोनी की तरफ देख कर मुस्कुराया लेकिन मोहिनी गुस्से में थी और वह बनाकर रसोई घर में चली गई संजु को उसकी यह हरकत समझ में नहीं आई,, वह हाथ मुंह धो कर फ्रेश होने लगा थोड़ी ही देर में मोहिनी ने दोबारा उन लोगों के साथ चाय पीने लगी,,,। और जब तक खाdना खा कर दोनों अपने कमरे में नहीं चले गए तब तक मोहिनी को संजू से पूछने का समय नहीं मिला था,,,, संजू से पूछने के लिए उसका मन व्याकुल हो जा रहा था और उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी,,, और संजू था कि मोहिनी को अपने हाथों से नंगी करके उसकी चूत का रस पीना चाहता था इसलिए उसे अपनी बांहों में भरकर उसके होंठों पर चुंबन करने के लिए जैसे ही अपने होंठ को आगे बढ़ाया मोहिनी उसे रोते हुए बोली,,,।