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Incest मजबूरी या जरूरत

Sanju@

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साधना की मदभरी बातें संजू की भावनाओं से खेल रही थी,,, उसके मन में अब तक किसी के लिए भी गंदे विचार नहीं आए थे,,, लेकिन जब से वह अपनी मौसी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के दर्शन किया था तब से अपनी मौसी को देखने का नजरिया उसका बदन में लगा था और आग में घी डालने का काम उसकी मौसी के विचार और उसकी बातें कर रही थी,,, साधना यह जान चुकी थी किसंतोष की गांड को देखकर पूरी तरह से पागल हो गया था और इसी का फायदा उठाते हुए वह उसी से बोल रही थी कि उससे भी खूबसूरत और अच्छी उसकी मां की गांड है क्या इस तरह से उसने भी अपनी मां की गांड देखा है,,, यह सवाल पूछ कर साधना ने अपने ही भतीजे के मन में अपनी मां के प्रति उन्माद और आकर्षण का भाव जगाने लगी थी,,, और संजू के तन बदन में आग लगा गई थी,,,संजु ने कभी सोचा भी नहीं था कि वह अपनी मौसी के प्रति इस तरह से आकर्षण में बंध जाएगा,,, बाथरूम में अनजाने में ही उसे पेशाब करते हुए देख लिया था इतने तक तो ठीक था साधना भी बात को आई गई कर सकती थी लेकिन उसके मन में भी ना जाने कैसे भी चार जन्म ले रहे थे अपने ही भतीजे से वह गंदी गंदी बातें कर रही थी और पूछ रही थी उसके विचार को जानना चाह रही थी और यही सवाल जवाब में संजू की उत्तेजना बढ़ने लगी थी साथ ही साधना भी अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,,,,,, साधना को इस बात से और ज्यादा होते इतना का अनुभव हो रहा था क्योंकि संजू ने पहली बार जिंदगी में किसी औरत की नंगी गांड को देखा था उसे पेशाब करते देखा था इस बात को जानकर वह और ज्यादा उत्साहित हो गई थी,,,, साधना आराधना से उम्र में बड़ी थी,,,,और इस उम्र में भी एक जवान लड़का प्यासी नजरों से उसकी गांड को खो रहा था यह बात उसे अंदर तक असर कर गई थी वह काफी उत्साहित हो गई थी,,,। दोनों के बीच की वार्तालाप मां की गांड पर आकर अटक गई थी संजय को जवाब दे पाता इससे पहले ही मोहिनी दरवाजे पर आकर खाना खाने के लिए आमंत्रण दे गई थी,,,, साधना भी अच्छी तरह से समझ रही थी कि अब सवाल जवाब करना ठीक नहीं था इसलिए वह उठकर जाने लगी थी और संजु को भी आने को कह रही थी,,,,बाथरूम के अंदर का लाजवाब दृश्य देखकर उसका असर अभी भी संजू के दिलों दिमाग पर छाया हुआ था,,,और इसीलिए वह अपनी मौसी को कमरे से बाहर जाता हुआ देख रहा था खास करके उसकी कमर के नीचे की घेराबंदी को जो कि बेहद लुभावनी थी,,, और मटक मटक कर चलने पर तो जान हीं ले ले रही थी,,,।


साधना और संजय दोनों कमरे से बाहर आ चुके थे और हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ गए थे,,,, गरमा गरम पोरिया और जायकेदार सब्जी के साथ-साथ मुंह मीठा करने के लिए स्वादिष्ट खीर बनी हुई थी जिसका आराधना को छोड़कर तीनों लुफ्त ले कर खा रहे थे,,,, आराधना को इस तरह से बैठी देखकर साधना बोली,,,।


अरे आराधना तू क्यों बैठी है तू भी आ कर खा लेना,,,,(साधना मुंह में निवाला डालते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं दीदी तुम सब खा लो मै तो उनके साथ ही खाती हुं,,
Sadhna



तु उनके साथ ही खाती है,,,


हां दीदी क्या करूं आदत बन चुकी है ना,,,,


मुझसे तो भाई बर्दाश्त नहीं होता मैं तो पहले ही खा लेती हूं,,,,
(आराधना तीनों को खाना परोसती जा रही थी और तीनों खाते जा रहे थे,,,, साधना को पूरी सब्जी खीर बहुत पसंद थी इसलिए वह पेट भर कर खा ली थी,,,, संजू का मन खाने में कम अपनी मौसी को ताड़ने में ज्यादा लग रहा था,,, संजू की नजरों को साधना अच्छी तरह से परख चुकी थी,,,, इसलिए खाना खाते खाते हो जानबूझकर अपनी साड़ी का पल्लू अपने कंधे से नीचे गिरा दी थी ताकि संजू को उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आने लगे,,, और ऐसा हो भी रहा था अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली बड़ी बड़ी चूची को देखकर जो कि ब्लाउज में कैद होने के बावजूद भी अपनी मादकता का असर संजू पर बनाए हुए थे,,, उसे देखकर संजू पूरी तरह से मस्त हो चुका ना पेंट में एक बार फिर से अकड़न बढ़ने लगी थी संजू चोर नजरों से रह रह कर अपनी मौसी की चूचियों पर नजर फेर ले रहा था संजू को ऐसा लग रहा था कि उसकी मौसी ने अपनी चुचियों के साईज से कम बाप का ब्लाउज पहन रखी है इसलिए उसकी चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर निकली हुई नजर आ रही थी,,,,लेकिन गौर से देखने पर संजू किस बात का एहसास हो गया कि उसकी मौसी की चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी-बड़ी है इसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था एक तरफ स्वादिष्ट व्यंजन की खाली पड़ी थी और दूसरी तरफ ब्लाउज में कैद पकवान नजर आ रहा था,,, संजू को पकवान खाने का मन कर रहा था लेकिन उसे खाने की उसमें हिम्मत नहीं थी साधना को अपने भतीजे को इस तरह से तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि संजू पूरी तरह से जवान हो चुका था और जवान लड़के उसे देखकर इस तरह से आहें भरते हो यह उसे बेहद पसंद था,,,, क्योंकि उसे लगता था कि इस नंबर में भी वह काफी खूबसूरत और गति रे बदन की मालकिन है और यह हकीकत भी था,,,, लेकिन आराधना की खूबसूरती से अगर उसकी जवानी का कंपेयर किया जाए आराधना एक कदम आगे ही थी,,,,
Sadhna or Sanju


इस समय संजू की आंखों के सामने साधना की दोनों चूचियां ब्लाउज में कैद होकर रासलीला रचा रही थी जब जब वह अपने हाथ को थाली से ऊपर की तरफ ले जाती तब तक उसकी दोनों चूचियां आपस में रगड़ जा रही थी,,,। और आपस में रगड़ खा रही चूचियों की गर्मी संजू की दोनों टांगों के बीच छा रही थी,,,,,,


देखते ही देखते तीनों ने खाना खा लिया था और आराधना बर्तन मांजने लगी थी उसकी मदद करने के लिए साधना भी वहां पहुंच गई तो आराधना ने उसे बर्तन मांजने नहीं दी और बैठने के लिए बोली मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी और कुछ देर के लिए संजू बाहर टहलने के लिए निकल गया,,,,संजू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी ना चाहते हुए भी उसके दिलो-दिमाग पर उसकी मौसी साधना छाई हुई थी उसकी मदमस्त गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड उसका पैसाब करना और उसकी चूचियों की झलक कुल मिलाकर संजू को अपनी आगोश में जकड़ी हुई थी संजू चाह कर भी अपना ध्यान दूसरी तरफ लगा नहीं पा रहा था वह टहल पर डालते अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी आखिरकार उसे चाहती क्या है अगर उसे गलत लगा होता तो वह उसे डांट देती उसे भला-बुरा कहती,,,लेकिन ऐसी किसी भी प्रकार की प्रक्रिया उसकी मौसी की तरफ से नहीं हुई थी बल्कि उसकी मौसी तो उसे से गंदे सवाल जवाब पूछ रही थी और सीधे-सीधे उसकी मां के बारे में पूछ कर संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर दी थी संजू को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी मौसी उससे इस तरह के सवाल क्यों पूछ रही है यही सब सोचते सोचते उसका दिमाग खराब हो रहा था आखिरकार काफी समय बीत जाने के बाद वह घर लौटा तो सब लोग सोने की तैयारी कर रहे थे,,,,,,।



आराधना तो अपने कमरे में सो जा मैं इन लोगों के साथ सो जाती हूं क्योंकि जीजा जी कभी भी रात को आएंगे तो अच्छा नहीं लगेगा अगर मैं तेरे कमरे में सोई रहूंगी तो,,,


ठीक है दीदी जैसी आपकी मर्जी,,,,,

(और फिर इतना कहकर आराधना अपने कमरे में चली गई और मोहिनी और संजू के साथ साधना उन लोगों के कमरे में चली गई,,,, कमरे में सोने के नाम पर ही संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो कैसे अपनी मौसी के साथ सो पाएगा क्योंकि उसके मन में उसकी मौसी को लेकर गंदे गंदे विचार आना शुरू हो गए थे उसे डर था कि उसके हाथ से कुछ इधर उधर ना हो जाए,,,, तीनों कमरे में पहुंचकर कुछ देर तक बातें करते रहे मोहिनी और संजू नीचे ही बिस्तर लगा कर सोते थे,,, अपनी मौसी से बातें करने में मोहिनी को बहुत मजा आ रहा था लेकिन संजू से तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था वह अपनी मौसी की खूबसूरती में पूरी तरह से खो चुका था खास करके उसकी नंगी गांड के दर्शन करके वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के बाद कैसी नजर आती होगी,,, ब्लाउज से बाहर आकर उसकी चूचियां किस कदर कहर ढाती होगी,,,, संजू को अपने मौसा की किस्मत पर जलन होने लगी थी कितनी खूबसूरत औरत को वह रोज चोदते होंगेरोज उसके नंगे पन का दर्शन करते हुए अपने हाथों से उसके कपड़े उतारते होंगे उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से पकड़कर दबाते होंगे उसकी बड़ी बड़ी चूची को मुंह में लेकर पीते होंगे उसके रसीली चूत में अपना लंड घुसा कर चोदते होंगे यह सब सोचते हुए संजू की हालत खराब होती जा रही थी और उसके पैंट में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,,,


बात करते-करते 12:00 बज गए थे मोहिनी को नींद आने लगी थी क्योंकि उसे झपकी लगने लगी थी इसलिए वह बोली,,,।


चलो काफी रात हो गई है सो जाते हैं वैसे भी तुम्हें नींद आ रही है मोहिनी,,,


हां मौसी मुझे जोरों की नींद आ रही है,,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी वही लेट गई और सो गई साधना जानबूझकर दोनों के बीच में सोने वाली थी इसलिए बिस्तर पर लंबी होते हुए वह संजू से बोली,,,)

संजू लाइट बंद कर दे मुझे उजाले में नींद नहीं आती,,,,।



(संजु अपनी मौसी की बात मानते हुए उठकर खड़ा हुआ है और लाइट बंद कर दिया कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छा गया,,,, कुछ भी नजर नहीं आ रहा था संजू धीरे से आकर अपनी मौसी के बगल में लेट गया उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी पहली बार बार किसी की औरत के पास सोया था ऐसा बिल्कुल भी नहीं था इससे पहले भी वह अपनी मौसी के साथ सो चुका था लेकिन आज की बात कुछ और थी,,,, पहले वह एक भतीजे की नजर से अपनी मौसी को देखा करता था लेकिन आज एक मर्द की नजर से वहां अपनी मौसी को देख रहा था और उसकी मौसी में उसे एक औरत नजर आ गई थी तब खूबसूरत कामुक औरत जिसके अंग अंग से मादकता छलक रही थी,,,,।
साधना के भी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, उसके मन में कुछ और चल रहा था,,,, संजू और साधना दोनों पीठ के बल लेटे हुए थे,,, दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी साधना खेली खाई औरत थी इसलिए वह अच्छी तरह से जानती थी कि एक जवान लड़के को किस तरह से लाइन पर लाया जाता है,,,, वह घुटना मोड़ कर अपनी सारी पर पूरी तरह से अपनी जांघों तक चढ़ा दी,,,,,, और संजू से बोली,,,।

संजू मेरे घुटने के नीचे चादर होगी जरा लाना तो मै सर के नीचे रख लु,,,
(संजीव को तो सब कुछ सामान्य और औपचारिक ही लग रहा था,,, वह उठा और बैठकर,,,, पैर की तरफ देखने लगा लेकिन लाइट बंद होने की वजह से पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था कुछ भी नजर नहीं आ रहा था इसलिए अंदाजन अपना हाथ आगे बढ़ाकर चादर उठाने को हुआ ही था कि वह अपना हाथ अपनी मौसी की जांघों पर रख दिया,,,, पल भर में उसे तो लगा जैसे कि उसे करंट लग गया हो जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की जांघ पर अपना हाथ रखा हुआ था,,,, पल भर में ही उसकी सांसे ऊपर नीचे हो गई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें नरम नरम मक्खन जैसी चिकनी जांघों को अपनी हथेली में लेते ही उसके तन बदन में आग लगने लगी थी,,,, संजू के लंड ने करवट लेना शुरू कर दिया था,,,,,,, उसका मन अपनी मौसी की चिकनी जांघों को छोड़ने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन वह ऐसा कर सकने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा था,,,। और साधना के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई थी क्योंकि एक जवान लड़का उसकी जांघों को अपनी हथेली मैं पकड़े हुए था वह चाहती थी कि संजू अपनी हथेली को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ लाया और उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार पर रख कर दबोच लें,,,, लेकिन वह ऐसा खुले शब्दों में नहीं कह सकती थी,,,, उत्तेजना के मारे अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरुस्त करते हुए संजू बोला,,,,।


मौसी अंधेरा बहुत ही कुछ नजर नहीं आ रहा है,,,,।


ठीक है एक बार लाइट चालू करके देख ले चादर कहां रखी हुई है,,,,।



(साधना जानबूझ कर उसे लाइट चालू करने के लिए बोली थी क्योंकि वह लाइट के उजाले में उसे एक बार अपनी जवानी का झलक दिखाना चाहती थी एक बार तो पहले भी वह अनजाने में देख चुका था लेकिन अब वह जानबूझकर अपनी मदमस्त कर देने वाली जवानी उसे दिखाकर अपनी आगोश में लेना चाहती थी,,, और लाइट चालू करने के नाम पर संजू का दिल जोरो से धड़कने लगा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, वह भी बेहद उत्सुक था लाइट चालू करने के लिए,,, वह बल्ब की रोशनी में अपनी मौसी की मदमस्त कर देने वाली जवानी के दर्शन करना चाहता था लेकिन इस बात से डर रहा था कि कहीं मोहिनी जाग रही होगी तो,,,, पर ऐसा लग रहा था कि जैसे संजू के मन की बात साधना अच्छी तरह से समझ रही हो इसलिए वह बोली,,,।)


मोहिनी सो गई है तू लाइट चालू करके जल्दी से चादर मुझे दे दे और फिर वापस लाइट बंद कर दे,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजक अपडेट है
साधना तो संजू को गरम करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रही है उसके दिमाक में क्या चल रहा है आखिर वह संजू से क्या करवाना चाहती हैं
क्या संजू से चूदना चाहती हैं ??
 

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आराधना भी अपने जीवन में खुशी चाहती थी जिस तरह से वह पहले रहा करती थी लेकिन शायद किस्मत में भी यही लिखा था इसलिए वह अपने जीवन के बारे में सोच कर उदास हो जाती थी,,, आराधना को देखकर किसी को भी ऐसा नहीं लगता था कि यह औरत अंदर से ईतनी दुखी है उसके चेहरे पर हमेशा एक चमक रहती थी उसकी खूबसूरती वैसे भी चांद की तरह चमकती रहती थी,,,,,,।
संजू अपनी मां को दुखी देखकर हमेशा यही सोचता रहता था कि वह ऐसा क्या करें कि उसकी मां की जीवन में फिर से खुशियां वापस आ जाए,,,, सोनू चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था,,,।

अपनी मां को रोता हुआ देखकर उसके मन में बहुत पीड़ा होती थी अपने बाप के प्रति उसे गुस्सा भी बहुत आता था,,,। रात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के कमरे में क्या हुआ होगा,,, आखिरकार संजू एक जवान लड़का था और एक औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को अच्छी तरह से जानता था,, अपनी मां को किस तरह से दुल्हन की तरह तैयार होता हुआ देखा था संजू उससे खुश था वो जानता था कि आज शादी की सालगिरह पर उसकी मां उसके पिताजी को खुश करना चाहती है,,, और संजू की अपने मन में यही चाहता था कि उसके पिताजी उसकी मां से बहुत प्यार करें उसे दुनिया की सारी खुशियां दे,,,,। लेकिन रात को अपने बाप के कड़वे वचन को सुनकर वह मन ही मन उदास हो गया था अपने बाप की गंदी बातें उसके दिल पर छुरियां चला रही थी,,,,। बार-बार उसके जेहन में उसके बाप की कहीं एक ही बात घूम रही थी कि दूसरे के लिए तैयार होकर बैठी है दूसरों से चुदवाती है,,,।अपनी मां के बारे में अपने ही बात के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर संजू को बहुत गुस्सा आ रहा था,,,। संजु अपनी मां से बहुत प्यार करता था उसकी बहुत इज्जत करता था इसलिए उसके दुख से वह खुद दुखी था वह अपनी मां के लिए कुछ करना चाहता था लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था,,,,,,,,,,,, वह छोटे-मोटे घर के काम में हमेशा अपनी मां की मदद करते रहता था,,,।


ऐसे ही एक दिन,, शाम के वक्त उसकी मां खाना बना रही थी और वह वहीं पर बैठकर सब्जियां काट रहा था,,,।

संजू में तुझे कितनी बार कहती हो कि यह सब तेरा काम नहीं है तु यह सब मत किया कर,,,।

हां मम्मी तुम सच कह रही हो लड़कों को यह सब शोभा नहीं देता,,,, वैसे भी तुम हो मैं हूं तो यह सब भैया को काम करने की जरूरत ही नहीं है,,,।(मोहिनी भी अपनी मां का साथ देते हुए बोली,,,)


तू नहीं समझेगी मोहिनी,,,,मम्मी अकेले काम करके थक जाती है भले ही कुछ कहती नहीं है किसी से शिकायत नहीं करती लेकिन फिर भी हमें समझना चाहिए,,,, इसलिए मैं हमेशा मम्मी की मदद करते रहता हुं,,,।(इतना कहकर वह फिर से सब्जी काटने में लग गया,,, अपने बेटे की बातों को सुनकर आराधना मन ही मन खुश होने लगी,,,, उसे लगने लगा था कि उसका बेटा समझदार हो रहा है,,, उसके मन में
इस बात से तसल्ली थी कि चलो पति नहीं,,, ख्याल रखता तो क्या हुआ,,, बेटा तो ख्याल रखता है,,,।,,, मोहिनी भी वहीं पास में बैठ कर अपने भाई का हाथ बता रही थी यह देख कर आराधना कि खुशी का कोई ठिकाना ना था सब कुछ ठीक-ठाक ही था बस उसके पति की तरफ से ही निराशा हाथ लगी हुई थी,,,,। जैसे-तैसे जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,,आराधना को लगने लगा था कि उसका पति उसकी तरफ अब बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता था,,,। यह बात आराधना को खलने लगी थी,,,क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि भले दो बच्चों की मां हो गई थी लेकिन अभी भी उसकी खूबसूरती बरकरार थी और सब को सही होने के बावजूद भी उसका पति उसके खूबसूरत बदन पर उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था यह बात आराधना को अचंभित कर रही थी क्योंकि कुछ नहीं तो सही आए दिन वह उसकी मर्जी जाने बिना भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना लेता था जिससे कुछ नहीं तो थोड़ा बहुत आराधना को भी तसल्ली हो जाती थी लेकिन महीनों गुजर गए थे उसके पति ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया नहीं था,,,। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए क्या करें उसे डर था कि कहीं बाहर तो उसका किसी के साथ नाजायज संबंध तो नहीं है,,, यह ख्याल उसे और ज्यादा परेशान कर देता था,,,,,,।


ऐसे ही रविवार का दिन था और आराधना की बहन जो की उम्र में उससे केवल 1 वर्ष ही बड़ी थी साधना आई हुई थी,,, उसे देख कर आराधना को बहुत खुशी हुई,,,, ।

क्या दीदी 5 महीने हो गए यही पास में रहती हो लेकिन कभी खबर नहीं लेती,,,।

क्या करूं आराधना काम बहुत रहता है दिन भर घर के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं कॉलेज जाने लगे हैं,,, सुबह उठकर नाश्ता बना फिर खाना बना घर का कामकाज करो उसी में शाम हो जाता है फिर शाम को फिर वही काम शुरू,,,, बहुत दिनों से सोच रही थी मिलने के लिए लेकिन समय ही नहीं मिल रहा था और रविवार था तो सोचो चलो आज मिल ही लेती हूं,,,,


चलो कोई बात नहीं दीदी देर आए दुरुस्त आए,,,,
( तभी मोहिनी अपने कमरे से निकलकर बाहर आई और अपनी मौसी के पांव छूते हुए बोली,,,)

नमस्ते मौसी आज याद आई है तुम्हें,,,


अब सब लोग की एक ही शिकायत है,,,, तो भैया माफी चाहती हूं इतने दिनों बाद आने के लिए,,,(मोहिनी के सामने साधना हाथ जोड़कर बोली तो मोहिनी उसे आशीर्वाद देने की मुद्रा में अपना हाथ ऊपर करके बोली,,,)

कोई बात नहीं बच्चा हम तुम्हें माफ करते हैं,,,(पर इतना कहकर मोहिनी के साथ-साथ साधना आराधना दोनों हंसने लगी,,,,)


हाथ मुंह धो लो मैं खाना परोस देती हुं,,,,,,

(थोड़ी ही देर में साधना आराधना और मोहिनी तीनों बैठकर खाना खाने लगे,,,, आराधना जानती थी कि आज रविवार है इसलिए संजीव का कोई ठिकाना नहीं है कि कब घर आएगा,,,, बात ही बात में साधना ने रमेश का जिक्र करते हुए बोली,,)


क्या बात है आराधना,,,, जीजा जी नजर नहीं आ रहे हैं आज तो रविवार है छुट्टी का दिन,,,
(साधना के मुंह से रमेश का जिक्र सुनते ही आराधना के चेहरे पर उदासी जाने लगी और यही हाल मोहिनी का भी था क्योंकि वह अपने घर के हालत को अच्छी तरह से जानती थी,,, घर में जिस तरह का क्लेश फैला हुआ है उसी से मोहिनी भलीभांति परिचित थी इसलिए अपने पापा का जिक्र होते ही वह खाना खा चुकी थी इसलिए वहां से उठ गई और बोली,,)

मम्मी मैं अपने कमरे में आराम करने जा रहे हु आप दोनों बातें करो,,,,
(आराधना की अच्छी तरह से समझ रही थी कि मोहिनी वहां से इसलिए जा रही थी कि वह अपने मन का दुख अपनी बड़ी बहन से बता सकें,,, मोहिनी चली गई बगल वाले कमरे में और कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो साधना फिर बोली)

क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रही है कुछ हुआ है क्या,,,,
(अपनी बड़ी बहन की बात सुनकर आराधना रोने लगी,,, उसे रोती हुई देखना साधना एकदम से परेशान हो गई,,)

अरे रो क्यों रही है बताएगी भी कि क्या हुआ है,,,


क्या बताऊं दीदी मेरी तो जिंदगी नरक हो गई है,,,


अरे क्या हुआ है सब कुछ तो ठीक-ठाक था अब क्या हो गया,,,,


यह पूछो दीदी क्या नहीं हुआ है,,,, जिंदगी बर्बाद हो गई है,,,, जब से शराब पीना शुरू कीए है तब से जिंदगी तबाह हो गई है,,,,,।


क्या जीजा शराब पीने लगे,,,,(साधना आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां दीदी रोटी दिनभर शराब के नशे में डूबे रहते हैं,,,,, घर गृहस्ती बच्चों बीवी का तो उन्हें शुध भी नहीं है,,,, हम लोगों की तरफ तो ध्यान ही नहीं देते,,,,


पर ऐसा क्या हो गया जो उन में इतना बदलाव आ गया,,,


क्या बताऊं दीदी,,, मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है सब कुछ सही चल रहा था लेकिन कुछ महीनों से सब कुछ तहस-नहस हो गया है धीरे धीरे वह तो मुझ पर भी ध्यान देना बंद कर दीए है,,,।

क्या मतलब मैं समझी नहीं,,,,


दीदी पहले तो सप्ताह में दो-तीन बार मेरी मर्जी जाने बिना ही मेरे साथ संबंध बना लेते थे लेकिन महीना गुजर गया लेकिन उन्होंने मेरी तरफ ठीक से देखा था कि नहीं है,,,



क्या कह रही है तू,,,(साधना एकदम आश्चर्यचकित होते हुए बोली क्योंकि इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बहन अभी भी बहुत खूबसूरत थी उसके बदन का रखरखाव एकदम सही ढंग का था मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला खूबसूरत बदन की वह अभी भी मालकिन थी फिर भी उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था यह बात उसके लिए आश्चर्य चकित कर देने वाली थी,,,,)


हां दीदी मैं सच कह रही हूं मुझे तो लगता है कि कहीं बाहर उनका किसी औरत के साथ संबंध तो नहीं है तभी तो वह ध्यान नहीं देते,,,।


भगवान ना करे ऐसा कुछ हो आराधना,,,, नहीं तो जिंदगी और ज्यादा बर्बाद हो जाएगी,,,,।
(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी उन दोनों की बातों को सुन रही थी क्योंकि वह दोनों की बातें बगल वाले कमरे में एकदम साफ सुनाई देती थी उन्हें इस बात का आभास तक नहीं था कि मोहिनी सबको सुन रही है,,,, अपने बाप के व्यवहार के बारे में सुनकर उसे भी ताज्जुब हो रहा था,,,,)


मैं क्या करूं दीदी तुम ही कुछ बताओ,,,,।


देख आराधना मर्दों को अपने बस में करने की तरकीब हर औरत के पास होती है,,,,औरत चाहे तो घर को बना दे और और अच्छा है तो घर को उजाड़ दे यह सब कुछ औरत के हाथ में होता है,,, और अपना घर एक बार फिर से बसाने के लिए तुझे सब कुछ करना होगा,,,।


क्या करना होगा ठीक है मुझे भी कुछ बताओ मैं सब कुछ करने को तैयार हूं,,,,।


देख आराधना,,,, तुझे अपना जीवन एक बार फिर से खुशियों से करने के लिए अपने पति को अपनी तरफ रीझाना,,, अगर वह पहल नहीं कर रहा है तो तुझे पहल करना होगा,,,,। तुझे जीजा को अपनी तरफ आकर्षित करना होगा इसके लिए तुझे बहुत कुछ करना होगा,,,।


मैं सब कुछ करुंगी दीदी,,, पहले बताओ तो करना क्या होगा,,,


तुझे हमेशा सज धज कर रहना होगा इस तरह से उदास चेहरा लेकर नहीं जब भी जीजा तेरे सामने आई तो तेरा चेहरा एकदम खिला होना चाहिए,,,, और यह,,,(आराधना के ब्लाउज की तरफ देख कर अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके ब्लाउज के ऊपरी कीनारी को पकड़कर उसे नीचे करते हुए बोली,,,) लो कट ब्लाउज पहना कर जिसमें से तेरी खरबूजे जैसी चूचीयां बाहर झांकती हो,,, जिसे देखकर ही जीजा के मुंह में पानी आ जाए,,,,।(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी अपनी मौसी की बात सुनकर उत्साहित होने लगी और वह बड़े ध्यान से अपनी मौसी की बात को सुनने लगी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
और हां बार-बार किसी बहाने से तो उनके सामने अपने साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया कर,,,।


क्या दीदी,,,,


क्या दीदी नहीं तुझे यही करना होगा अगर अपना घर बचाना है तो, में ,, जानती हूं कि जीजा तेरे साथ बहुत बार संबंध बना चुके हैं बहुत बार तेरी चुदाई कर चुके हैं,,,(चुदाई की बात सुनते ही मोहिनी के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी चुदाई के मतलब को वह अच्छी तरह से समझती थी,,, अपनी मौसी के मुंह से इतने खुले शब्द सुनकर,, उसे आश्चर्य हो रहा था क्योंकि वह कभी भी अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की बातें सुनी नहीं थी आज पहली बार इस तरह की गंदी बातें सुनकर मोहिनी के तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी आखिरकार वापी एक जवान लड़की थी जो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)
लेकिन फिर भी उनकी आंखों के सामने अगर कंधे से तेरे साड़ी का पल्लू गिरेगा तो ब्लाउज में से झांकती हुई बड़ी बड़ी चूची को देखकर जीजा की हालत खराब हो जाएगी और जरूर वह एक बार फिर से तेरे रूप यौवन के जाल में फंसते चले जाएंगे,,,,


अगर फिर भी ऐसा नहीं हुआ तो,,,(आराधना अपनी बड़ी बहन साधना की बात सुनकर उस पर शंका जताते हुए बोली,,,)

अरे जरूर होगा,,,, मर्दों की फितरत हीं यही है,,, और हां सच-सच बताना,, बिस्तर में शुरुआत कौन करता है,,,।

वही करते हैं मैं नहीं करती,,,,(आराधना शर्माते हुए बोली,,)


तभी तो सत्यानाश है हम औरतों की सबसे बड़ी परेशानी यही है,,, की शुरुआत खुद नहीं करती मर्दों का इंतजार करती रहती है,,, कि कब हमारे पति हम पर मेहरबान होंगे,,,,



तुम क्या करते हो दीदी,,,,


मैं अपने पति का इंतजार नहीं करती वह करें तो ठीक अगर नहीं करते हैं तो मैं खुद ही चढ बैठती हूं,,,


सच कह रही हो दीदी,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)



तो क्या,,, आखिरकार हम औरतों का भी तो कुछ अधिकार है हमारी भी तो इच्छा होती है जिसे भूख लगने पर हम खाना खाते हैं उसी तरह से हमें जिस्म की भी भूख लगती है जिसे मिटाने के लिए हमें खुद आगे बढ़ना पड़ता है,,,


तो क्या चीज है कुछ कहते नहीं तुम्हारी पहल देखकर,,,


अरे वह तो पागल हो जाते हैं उन्हें इतना मजा आता है कि पूछो मत और उसके बाद जो चुदाई होती है उसका अनुभव ही कुछ और होता है,,,,
(पास के कमरे में सुन रही मोहिनी अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पा रही थी उसकी मौसी खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही थी मोहिनी जानती थी कि उसकी मौसी चुदाई के बारे में ही बात कर रही है जिसके बारे में सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच ना जाने कैसी लहर उठने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था बस वह सुने जा रही थी,,,)

तुम नसीब वाली हो दीदी,,, जो तूम्हे इतने अच्छे पति मिले
है,,,


तेरा भी नसीब जाग जाएगा,,, मेरी बहन बस मेरी बात मान कर,,, मर्द को औरत का पहन करना बहुत अच्छा लगता है,,, इसमें उन्हें सबसे ज्यादा खुशी मिलती और जीजा को भी खुशी की जरूरत है तो उन्हें खुशी देगी तभी तेरा जीवन घर संसार बना रहेगा,,,, बाहर की औरतें जो देंगी वही तुझे भी देना है बस तरीका अलग होना चाहिए और हां,,,। तू अपनी चूत तो साफ करती है ना,,,, बालों वाली तो नहीं है,,,,


नहीं दीदी 15 दिन में एक बार क्रीम बनाकर साफ कर देती हूं वैसे मुझे भी सफाई पसंद है,,,


और जीजा को,,,


पहले तो बहुत पसंद थी हमेशा चिकनी चूत रखने के लिए कहते थे,,, लेकिन अब नहीं पता,,,
(अपनी मौसी और अपनी मम्मी के मुंह से चूत शब्द सुनकर मोहिनी की हालत खराब होने लगीपर यह जानकर आश्चर्य होने लगा कि उसकी मां 15 दिन में एक बार अपनी चूत के बाल साफ करती है और उसने आज तक अपनी चूत के बाल साफ नहीं की थी हालांकि अभी झांटों का झुरमुट नहीं हुआ था,,, बस हल्के हल्के रेशमी बाल ही आते थेलेकिन अपनी मां के मुंह से सफाई वाली बात सुनकर उसकी भी इच्छा करने लगी थी क्रीम लगाकर साफ करने के लिए,,,, खुमारी में मोहिनी की सांसे तेज चलने लगी थी,,,,)


तो फिर से साफ कर क्रीम लगाकर साफ कर उस पर हल्का सा खुशबूदार क्रीम लगा लिया कर,,,, और हां तूने कभी जीजा जी के लंड को मुंह में ली है,,,।


कैसी बातें कर रही हो दीदी,,,


तेरी प्रॉब्लम का सलूशन ढूंढ रही हुं,,,, मैं वही,, सब करने को कह रही हूं जो मर्दों को पसंद है,,।
(लंड चूसने वाली बात से मोहिनी एकदम से गनगना गई थी,,, उसने अभी तक जवान लंड नहीं देखी थी और ना ही उसे इस बात का ज्ञान था कि लंड को मुंह में लेकर चूसा जाता है,,,, धड़कते दिल के साथ अपनी मां के जवाब का इंतजार कर रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


देख इसमें शर्माने वाली कोई भी बात नहीं है तुझे सही बताने में शर्म महसूस हो रही है लेकिन मैं सही सही बता रही हूं मुझे तो अपने पति का लंड चूसने में बहुत मजा आता है,,, मेरी इस हरकत पर व चारों खाने चित हो जाते हैं,,,,।
(मोहिनी यह जानकर कि उसकी मौसी उसके मौसा का लंड चुस्ती है उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,/आराधना को भी इस बात से हैरानी हो रही थी कि उसकी बड़ी बहन उसके सामने एकदम खुले शब्दों में सब कुछ बोल दे रही हैं,,,//)

देख शर्मा मत आराधना मैं तुझे तेरा घर संसार बचाने का तरीका बता रही हूं अगर तू यह सब नहीं करेगी तो जीजा जी वाकई में बाहर किसी और औरत के साथ संबंध बनाने लगे क्या‌ तु यही चाहती है क्या तू यही चाहती है कि कोई गैर औरत वही सब करे जो मैं तुझे करने को कह रही हूं तो यह सब ना करके अपने पति को अपने हाथों से गवा दे अपने घर संसार को आग लगा दे,,,,।


नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती,,,,


तो जो मैं पूछ रही हूं उसे सच सच बता,,,,
(साधना अपनी बहन पर जोर दे रही थी जानने के लिए लेकिन आराधना को अपने मुंह से यह सब बताने में शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि इस तरह की बातों को उसने आज तक किसी से भी नहीं कही थी बगल वाले कमरे में मोहिनी भी अपनी मां के मुंह से जवाब सुनने के लिए बेताब थी,,, उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था)
बहुत ही सुंदर लाजवाब और रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
अब देखते हैं आराधना क्या जवाब देती हैं
 

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
क्या साधना के कहे अनुसार आराधना अपने पति रमेश के साथ कर पायेगी
साधना मौसी की मदमस्त चुची और गदराई गांड देखकर संजू का मन विचलित हो कर उत्तेजना महसुस कर रहा हैं
साधना जल्दी में बाथरूम की कुंडी लगाना भुल गयी और मुतने बैठ गयी जब संजू वहा पहुचेगा और मौसी की मुतते हुए गदराई गांड देखेगा तो क्या होगा वो देखते हैं आगे
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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साधना को बड़े जोरों की पेशाब लगी तो वह उठकर बाथरूम में चली गई लेकिन जल्दबाजी में वह दरवाजे की कड़ी लगाना जरूरी नहीं समझी,, क्योंकि सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे और इसीलिए वह सोचे कि कोई घर आने वाला नहीं है जब तक कोई आएगा भी तब तक वह मुत कर खड़ी हो जाएगी,,, इसीलिए वो आपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी पेंटिं को घुटनों तक खींच कर मुतने के लिए बैठ गई,,,,,, उसकी भारी-भरकम गोल गोल गोरी गांड दरवाजे की तरफ थी,, वह सामने दीवार की तरफ मुंह करके बैठी हुई थी,,, और उसी समय संजू को भी बड़े जोरों की पेशाब लगी वह इस बात से बिल्कुल अनजान था कि बाथरूम में उसकी मौसी है वह अपनी ही धुन में कमरे से बाहर निकला और एक नजर रसोई घर की तरफ डाला दरवाजा हल्का सा बंद था अंदर उसकी मां और उसकी बहन खाना बना रही थी,,,, अपने पेशाब की तीव्रता को अपने काबू में करने के लिए वह पेंट के ऊपर से अपने लंड को दबाया हुआ था और सीधे बाथरूम के ठीक सामने पहुंच गया साधना को बाथरूम के बाहर उसके आने की आहट तक महसूस नहीं हुई वह अपनी ही धुन में अपनी दोनों टांगों के बीच की बांसुरी बजाए जा रही थी,,,,,,, वह पूरी तरह से पेशाब करने में मशगूल हो चुकी थी,,,।
साधना पेशाब करते हुए

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संजू पूरी तरह से अनजान था एकदम मासूम की तरह पेशाब करने के लिए वजह से ही बाथरूम का दरवाजा खोला तो उसकी आंखों के सामने का दृश्य देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई पल भर में ही सब कुछ बदलता हुआ महसूस होने लगा तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी आंखें यह सब देख पाएंगी,,, गजब का नजारा बना हुआ था संजू पलभर में ही अपने होश खो बैठा था,,।
वो कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने नजारा ही कुछ ऐसा मदहोशी से भरा हुआ था उसकी जगह कोई भी होता तो शायद उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती,, और तो और संजू की जगह अगर दूसरा कोई होता तो शायद इसके आगे बढ़कर कुछ हरकत भी कर बैठता,,,


संजू ने जैसे बाथरूम का दरवाजा खोला था उसकी आंखों के सामने ही उसकी साधना मौसी नीचे बैठी हुई थी और पेशाब कर रही थी संजू ने कभी भी एक औरत के बारे में इस तरह की कल्पना भी नहीं किया था लेकिन आज उसकी आंखें कल्पना से भी परे वह सब देख रही थी जिसे देख पाना शायद संजू कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था,,, उसके साधना मौसी अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए मुत रही थी,,,, संजू को तो कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें बाथरूम का दरवाजा बंद कर दे या वहां से चला जाए लेकिन अद्भुत गजब का मादकता से भरा हुआ नजारा देखकर उसके होश हवास खो गए थे,,, संजू की आंखें अपनी ही मौसी की बड़ी बड़ी गांड पर टिकी हुई थी जिसे वह आज तक सिर्फ साड़ी में लिपटी हुई देखता आया था,,, लेकिन आज उसकी किस्मत में कुछ और लिखा हुआ था इसीलिए आज वह,, अपनी मौसी की नंगी गांड के दर्शन कर रहा था यह शायद उसकी जिंदगी का पहला मौका था जब वह किसी औरत की नंगी गांड को अपनी आंखों से देख रहा था अपनी खुली आंखों से वह जन्नत का नजारा देख रहा था इसलिए वह अपने होश में बिल्कुल भी नहीं था उसकी आंखो में खुमारी छाने लगी थी,,,
Sanju apni mausi ko is haal me dekhkar mast ho gaya

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पल भर में ही 4 बोतलों का नशा उसके दिलो-दिमाग पर अपना कब्जा जमा बैठा था,,,, वह आंखें फाड़े अपनी मौसी की गांड को घूरे जा रहा था,,, मानो कि जैसे कोई वह बेशकीमती खजाने का भंडार देख लिया हो,,,वैसे भी समझो उम्र के जिस दौर से गुजर रहा था ऐसे में औरत का नंगा जिस्म ही उसके लिए दुनिया का सबसे बड़ा खजाना होता है,,,,जिसे मैं अपने हाथों में भरकर उसे महसूस करने के लिए तड़प उठता है और यही हाल संजू का भी था औरत के मामले में वह पूरी तरह से अज्ञानी था लेकिन फिर भी अपनी मौसी की गांड को छू लेने की लालसा उसके मन में जाग रही थी वह अपनी मौसी की नंगी गांड को छूना चाहता था उसे सहन आना चाहता था उसे अपनी हथेली में लेकर दबाना चाहता था उसके एहसास में पूरी तरह से खो जाना चाहता था,,,,लेकिन ऐसा कर पाना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था और उसकी हिम्मत भी नहीं थी,,,।

Mohiniii

दरवाजा के खुलते ही साधना एकदम से चौंक उठी थी और पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर संजू खड़ा था साधना को भी कुछ समझ में नहीं आया कि हम क्यों करें अपनी गांड को वह साड़ी से ढक भी नहीं सकती थी क्योंकि इस समय उसके पेशाब का प्रेशर एकदम तीव्रता पर था और उसकी बुर से नमकीन सरबत भलभलाकर सामने की दीवार पर बौछारें मार रहा था,,,, पल भर के लिए साधना को भी कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वो भी हैरान थी नीचे बैठी हुई वह अपनी नजरों को ऊपर उठाकर संजू की तरफ देख रही थी मन ही मन में उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि वह दरवाजे की कड़ी क्यों नहीं लगाई,,,,,, इस हालत में आज तक उसके पति के सिवा दूसरा कोई भी नहीं देखा था आज दूसरा शख्स उसका खुद का भतीजा संजू था एकदम जवान हो चुका था और वही सोच कर साधना की भी हालत खराब हो रही थी कि संजु पूरी तरह से जवान लड़का था,,, उसी हालत में देख कर और क्या सोच रहा होगा साधना मर्दों की नजर को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए वह अपने भतीजे संजू की नजर को देखकर पहचान गई थी कि वहां उसकी गांड को देखकर ललचा रहा है,,, और ऊपर से पेशाब करते हुए संजू की क्या हालत हो रही होगी साधना कुछ कुछ समझ रही थी,,,, क्योंकि वह जानती थी कि औरत को ईस हाल में देख पाना मर्दों के लिए एक तरह से दुर्लभ ही होता है,,, लेकिन संजू को बिना किसी दिक्कत के बेहतरीन नजारा देखने को मिल गया था,,,,,,।


दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों शर्म से पानी पानी हो गए,,,,साधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे संजू को वहां से जाने के लिए बोले उसके मुंह से तो शब्द ही नहीं फूट रहे थे और संजू था कि अनजाने में ही बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ ऐसे हालात में अपनी मौसी को देख रहा था,,,, उसके कानों में साधना की बुर से आ रही सीटी की आवाज भी एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,, इस मधुर ध्वनि की तरफ ध्यान जाते हैं सोनू के पैंट में तंबू बनना शुरू हो गया था,,,, इस तरह की ध्वनि को वहां पहले भी सुन चुका था लेकिन उस समय वह कभी ध्यान नहीं दिया था लेकिन आज अनायास ही इस तरह का दृश्य देखकर उसी से जुड़ी हर हरकत पर वह पहली नजर और कान दोनों लगाए बैठा था,,,,। दोनों अजीब कशमकश में थे साधना शर्मसार हुए जा रही थी दूसरी तरफ संजीव को भी शर्म महसूस हो रही थी लेकिन अपनी मौसी की गांड देखने के लालच को वह रोक नहीं पा रहा था,,,,,,,,।साधना थे कि कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन हम मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझती थी क्योंकि इस हालात में दोनों को काफी समय हो गया था इसलिए,,,, हक लाते हुए स्वर में साधना बोली,,,।


दरवाजा बंद कर,,,, कोई आ जाएगा,,,,


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(इतना सुनकर जैसे उसके ऊपर कोई ठंडा पानी की बाल्टी डाल दिया उस तरह से उसे होश आया और वह तुरंत दरवाजा बंद करके अपने कमरे में चला गया,,,, कमरे में पहुंचकर संजू की हालत बुरी तरह से खराब हो गई थी पजामे मैं पूरी तरह से उसका तंबू तन गया था,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,। दिल की धड़कन बड़े जोरों से शोर मचा रही थी,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा,,, वह अपने मन में ही सोचने लगा,,,,

बाप रे बाप मौसी की गांड कितनी बड़ी और कितनी गोरी है,,,, बहुत खूबसूरत है,,,, मैं तो देखकर ही पागल हो गया,,,, मौसा जी को कितना मजा आता होगा,,।ऊफफफ,,, साड़ी के अंदर मैं कभी सोचा नहीं था कि मौसी इतनी खूबसूरत होंगी,,,,
(साधना की भारी भरकम गदराई गांड पूरी तरह से संजू के दिलो-दिमाग पर छा चुकी थी,,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने साधना की गांड नजर आ जा रही थी,,,, लेकिन सोचने लगा कि कहीं उसकी मौसी गुस्सा ना हो जाए वो क्या सोचेंगी उसके बारे में,,,, कैसे आंखें फाड़े देख रहा था,,,, उसकी मौसी गुस्सा करेंगे यह सोचकर संजू परेशान होने लगा बस उसी जगह की अगर उसकी मौसी ने उसकी मां को बता दी तब क्या होगा उसकी मां तो उसकी जान ही ले लेगी बदनामी होगी सो अलग,,,, संजू की हालत अब खराब होने लगी थी उसे इस बात का डर था कि उसकी मां से उसकी मां को सब कुछ बता ना दे,,,, दूसरी तरफ पेशाब कर लेने के बावजूद भी साधना वही बैठी रह गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कड़ी खुली छोड़ देने पर वहां अपने आप पर गुस्सा करे या खुश हो जाएं क्योंकि जिस तरह की चमक उसकी गान्ड को देख कर संजू की आंखों में उसे दिखाई दी थी वह पूरी तरह से साधना को रोमांचित कर गई थी,,,, उसे लगने लगा था कि इस उम्र में भी उसका बदन जवान लड़कों को आकर्षित करने में पूरी तरह से सक्षम है क्योंकि संजू की नजर उसकी गोल-गोल गांड से खिसक नही रही थी,,, कैसा खा जाने वाली नजरों से देख रहा था यही सब सोचकर साधना के तन बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी,,,,,,एक बार तो उसके मन में आया कि वह सब कुछ आराधना को बता दे लेकिन फिर कुछ सोच कर शांत हो गई फिर वह खड़ी हुई और अपनी साड़ी को ठीक कर के बाथरूम से बाहर आ गई बाथरूम से आने के बाद रसोई घर में नहीं बल्कि बगल वाले कमरे में जिसमें संजू था उसने चली गई कमरे के अंदर अपनी मौसी को देखते ही संजू घबरा गया,,,, और डरते हुए बोला,,,।


सॉरी मौसी,,, जो कुछ भी काम जाने में हुआ मुझे नहीं मालूम था कि तुम बाथरूम के अंदर हो,,,


चल कोई बात नहीं पर एक बार देख कर दरवाजा बंद तो कर देना चाहिए था ना तू तो वहीं खड़ा होकर देखता ही रह गया,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे कभी औरत को पैशाब करते हुए देखा ही नहीं है,,,,।


माफी चाहता हूं मौसी उस समय मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं,,,


क्यों ऐसा क्या हो गया था कि तुझे कुछ समझ में नहीं आया तो दरवाजा बंद करना भूल गया,,,,


अब मैं क्या बोलूं मौसी उस समय की हालत को तो मैं बता भी नहीं सकता,,,,
(संजू की बातों में साधना को मजा आने लगा था वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी वह सुनना चाहती थी कि संजु को कैसा लगा था,,,।)


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क्यों नहीं बता सकता तुझे दरवाजा खोलने की जरूरत क्या थी तुझे समझना चाहिए था ना कि अंदर कोई ना कोई जरूर होगा तभी बाहर से खुला हुआ है,,,


नहीं मौसी ऐसा कुछ भी नहीं है बाहर से भी बाथरूम के दरवाजे की कड़ी खुली ही रहती है इसलिए समझ में नहीं आया,,,,।


फिर भी संजु एक अच्छे लड़के की तरहतुझे तुरंत दरवाजा बंद कर देना चाहिए था लेकिन तूने ऐसा नहीं किया कहीं ऐसा तो नहीं कि जानबूझकर तूने दरवाजा खोला हो मुझे बाथरूम में जाती हुई तू देख लिया हो,,,।


मां कसम मौसी ऐसा कुछ भी नहीं है,,,(अपने गले पर हाथ रखकर कसम खाते हुए) मुझे तो मालूम ही नहीं था कि तुम बाथरूम के अंदर हो अगर मुझे मालूम होता तो मेरी हिम्मत होती क्या दरवाजा खोलने की,,,


चल अनजाने में ही तू ने खोल दिया लेकिन जब तूने देखा कि मैं अंदर बैठकर मुत रही हूं फिर भी तो तूने दरवाजा बंद नहीं किया और दरवाजे पर खड़ा होकर सब कुछ देखने लगा,,,, अगर मैं यही बात तेरी मां को बता दूं तो,,,,
(साधना के मन में अनजाने में ही कुछ और चलने लगा था उसे इस तरह की बातें करते हुए अच्छा लग रहा था संजू का घबराया हुआ चेहरा उसकी हड़बड़ाहट देखकर साधना मन ही मन खुश हो रही थी,,,, और संजू मां को बताने वाली बात सुनकर पूरी तरह से घबरा गया,,, क्योंकि जो कुछ भी उसकी मौसी कह रही थी उसमें सच्चाई थी वह चाहता तो तुरंत दरवाजा बंद करके वापस चला जा सकता था और ऐसा करने पर वह शायद अपनी तरफ से अपने बचाव में यह बात रख भी सकता था लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं किया था वह क्या उसकी जगह कोई और होता तो शायद वह भी ऐसा नहीं करता कौन भला साधना जैसी खूबसूरत औरत की खूबसूरत नंगी गांड देखकर अपनी नजरों का फेर लेगा,,,, संजू ने भी वही किया था,,,अपनी मौसी की बात सुनकर संजू पूरी तरह से घबरा गया था और तुरंत अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए अपनी मौसी से बोला,,,)

नहीं मौसी ऐसा बिल्कुल भी मत करना मां को मेरे ऊपर बहुत विश्वास है अगर तुम उन्हें यह सब बताओगी तो उनका दिल टूट जाएगा और वह मुझे कभी माफ नहीं करेंगे और मुझे भला बुरा समझेंगी,,,।
(संजू का इस तरह से हाथ जोड़कर माफी मांगने वाला तरीका साधना के दिल पर गहरा प्रभाव कर गया था वह आराधना से कुछ भी बताने वाली नहीं थी सिर्फ संजू को डरा रही थी फिर भी,,,, वह अपनी आंखों को नचाते हुए ‌ बोली,,,)



चल अच्छा मैं तेरी मां से नहीं बताऊंगी,,, लेकिन तुम मुझे सच सच बता तु क्या देख रहा था,,,,(यह सवाल पूछते हुए साधना धीरे से दरवाजे को बंद कर दिया हालांकि कड़ी नहीं लगाई थी और धीरे से आकर संजू के पास बैठ गई संजू को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके यह सवाल का जवाब वह कैसे दें,,,, फिर भी साधना जोर देते हुए बोल रही थी,,)
सच-सच बता दे बेटा वरना तेरी मां को कहने में मुझे समझ नहीं लगेगा गलती ही तूने ऐसा किया है,,,।


लेकिन मौसी तुम को कड़ी लगा लेनी चाहिए थी ना,,,


अगर कड़ी नहीं लगाई तो क्या तु अंदर आ जाता,,, तुझे चला जाना चाहिए था ना तुझे देख कर उसे मैं तो मुझे ऐसा ही लग रहा था कि तू बाथरूम के अंदर आ जाएगा वैसे सच सच बता क्या देख रहा था,,,


तुम्हारी वो,,,,(सर में से नजरों को नीचे किए हुए ही संजू बोला)


तुम्हारी वो क्या नाम लेकर बोल,,, पूरा जवान हो गया है लेकिन लड़की की तरह डर रहा है,,,,


मुझे शर्म आती है मौसी मैंने आज तक इस तरह का नाम नहीं लिया हूं,,,।


तो क्या हुआ मेरे सामने ले मुझे बता तू पागलों की तरह क्या देख रहा था,,,। बता दे वरना तेरी मां से सब कुछ बता दूंगी,,,


नहीं नहीं मौसी,,,,


तो बता,,,


वो,,,,वो,,,, तुम्हारी गांड,,,,
(संजू ने पहली बार खुले तौर पर इस शब्द का खुलकर नाम लिया था और वह भी एक औरत के सामने अपनी मौसी के सामने इसलिए यह शब्द बोलते हुए उसकी जब आंदोलन खड़ा रही थी लेकिन उत्तेजना के मारे उसके घुटने भी कांप रहे थे,,,। साधना अपने पति जी के मुंह से उसकी गांड सुनकर पूरी तरह से रोमांचित हो गई और मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,)


क्यों ऐसा क्या खास है मेरी गांड में जो तू पागलों की तरह घूर रहा था,,,(साधना एकदम खुले तौर पर अपनी गांड के बारे में बोल रही थीरोमांचित हो रही थी समझी मौसी के मुंह से यह शब्द सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,) बता क्या खास लगा तुझे,,,।


बड़ी-बड़ी है और एकदम गोरी है बेदाग उस पर जरा भी दाग नहीं है,,,।
(संजू के मुंह से एक तरह से वह अपनी गांड की तारीफ ही सुन रही थी उसे अच्छा भी लग रहा था बेदाग गांड की मालकिन जो थी,,,,)

किसी और की भी देखा है क्या,,,


नहीं कभी नहीं देखा,,,(शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे किए हुए ही वह बोला,,,)


क्या बात कर रहा है क्या सच में तूने कभी नहीं देखा,,,


मां कसम मऔसी कभी नहीं देखा,,,


मतलब कि यह तेरा पहली बार था पहली बार किसी औरत की नंगी गांड देख रहा था उसे पेशाब करते हुए देख रहा था,


जी मौसी,,,,


तभी इतना पागलों की तरह घुर रहा था,,,
(साधना की बात सुनकर संजू कुछ बोला नहीं तो साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) मेरे से भी ज्यादा खूबसूरत तो तेरी मां की गांड है,,, उसकी नहीं देखा क्या कभी,,,
(अपनी मौसी के मुंह से अपनी मां की गांड का जिक्र सुनते ही संजू के चेहरे के भाव बदलने लगे उसे अपनी मौसी के मुंह से अपनी मां की कांड के बारे में सुनकर गुस्सा भी आ रहा था और ना जाने अजीब सी कशमकश हो रही थी,,, कुछ बोल नहीं रहा था,,, तो उसकी मौसी जोर देते हुए बोली,,,)

क्या हुआ संजू बोलेगा नहीं,,, जैसा आज मेरी देखा है वैसे अपनी मां की भी तो देखा होगा,,, बोलना शर्मा क्यो रहा है,,,
(संजू के चेहरे पर तो हवाइयां उड़ने लगी थी है मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मौसी के सवाल का जवाब कैसे दे उसे गुस्सा आ रहा था और ना जाने क्यों उत्तेजना भी महसूस हो रही थी,,,, फिर भी वह ना में सिर हिला दिया,,,साधना को इस तरह के सवाल पूछने में उत्तेजना का अनुभव हो रहा है उसे अपनी पेंटी उत्तेजना के मारे गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,, वह और कुछ पूछती से पहले ही मोहिनी ने दरवाजा खोली और बोली,,,)

मौसी खाना तैयार हो गया है चलो चल कर खा लो,,,,


ठीक है तुम चलो मैं आती हूं,,,,(इतना कहकर संजू की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी,,, और मुस्कुराते हुए बोली,,)


चल खाना खाते हैं,,,,(इतना कहकर वह खड़ी हो गई और संजू भाई अपनी जगह पर खड़ा हो गया और दोनों कमरे से बाहर आ गए,,)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
संजु तो जीवन में पहली बार अपनी साधना मौसी की मुतते हुए गोरी गदराई बेदाग गांड देखकर मंत्रमुग्ध हो गया और उत्तेजना भी महसुस की
साधना मौसी और संजु के का वार्तालाप बहुत ही गरमागरम और मादक है बडा मजा आया
लगता हैं संजु साधना नाम की मदमस्त गदरायी घोडी पर चढ कर अपनी जवानी का उद्घाटन करने की संभावना लगती हैं देखते हैं आगे
 
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