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Incest मजबूरी या जरूरत

Ajju Landwalia

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संजू अपनी मां को स्कूटी पर बैठा कर निकल चुका था,,,, आसमानी रंग की पारदर्शी साड़ी में आराधना स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी जो कि अपने ही बेटे के पीछे स्कूटी पर बैठकर अपने आप को रंडी समझ रही थी क्योंकि आज वह जो कुछ करने जा रही थी वह एक रंडी ही कर सकती आज वह अपने बेटे के साथ गेस्ट हाउस में जा रही थी,,, जब से उसने अपने बेटे के मुंह से अपने पति के बारे में गेस्ट हाउस वाली बात सुनी है तब से ना जाने क्यों नाराजगी होने के बावजूद भी गेस्ट हाउस का मजा लेने के लिए उसका मन मचल रहा था और आज वह अपनी इच्छा को पूरी करने जा रही थी,,,, अपने बेटे के साथ चुदाई का सुख प्राप्त करके वह मां बेटे के बीच की सारी सीमाओं को पार कर चुकी थी सारी मर्यादा की दीवारों को गिरा चुकी थी इसलिए वह अपने बेटे से अब बिल्कुल भी शर्म और लिहाज नहीं रखती थी और ना ही आप इस बारे में सोचती थी दोनों मां बेटे के रिश्ते से बेहद दूर निकल चुके थे,,,, जहां से वापस लौट रहा आप दोनों के बस में नहीं था और वैसे भी जिस तरह का सुख हुआ दोनों भोग रहे थे उस सुख को छोड़ कर वापस आना वह दोनों चाहते भी नहीं थे दोनों एक दूसरे की बाहों में पूरी तरह से लीन हो चुके थे अपने आपको भुला चुके थे,,,,


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आज का दिन आराधना के लिए भी बेहद खास था और इस खास दिन को वह और भी ज्यादा बेहतर बनाना चाहती थी आज उसका जन्मदिन था इस बात का पता जैसे ही संजू को चला था संजू के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी क्योंकि आज के दिन ही वह अपनी मां को गेस्ट हाउस में ले जाने वाला था और उसके जन्मदिन के चलते वह इस दिन को एकदम से यादगार बना देना चाहता था,,,, आराधना भी पूरी तैयारी के साथ घर से निकली थी आज वह गेस्ट हाउस के कमरे में अपने बेटे को चारों खाने चित कर देना चाहती थी उसे अपनी जवानी का जलवा दिखा कर उसे घुटने टेकने पर मजबूर कर देना चाहती थी इसलिए वह आसमानी रंग की ट्रांसपेरेंट साड़ी पहन कर आई थी जिसमें से उसका पूरा वजूद झलकता था और अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को काबू में करने के लिए अपने बेटे के द्वारा खरीदी गई ब्रा पहन कर आई थी जो कि उसके पूरे आकार को अपने काबू में करके रखती थी और उस पर से भी वह ब्लाउज भी अपनी चूची से कम साइज का पहनी थी जिसका बटन लगाने के बावजूद भी खींचा हुआ लग रहा था और ऐसा महसूस हो रहा था कि अगर जोर जोर से सांस लेना शुरू कर दे तो आराधना के ब्लाउज का बटन अपने आप ही टूट जाए,,,, अपने बेटे की फरमाइश और उसकी ख्वाहिश का ख्याल रखते हुए वह अपनी चूत पर के बाल को वीट क्रीम से साफ कर कर आई थी और तो और उस पर हल्का सा परफ्यूम भी मार दी थी ताकि उसमें से खुशबू आ सके वैसे तो दुनिया का हर एक मर्द केंद्रीय सबसे ज्यादा मादक खुशबू वाला परफ्यूम औरत की दोनों टांगों के बीच की चूत से निकलता है और खुशबू को सुंघ कर‌ ही दुनिया का हर एक मर्द अत्यधिक उत्तेजना और तरोताजा महसूस करता है,,,,,,,



,, और यह बात आराधना भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसकी चूत की खुशबू को बेहद पसंद करता है और उसे अपने अंदर महसूस करते ही पूरी तरह से उत्तेजित हो जाता है,, और एक बार उत्तेजित हो जाने के बाद तो उसे स्वर्ग का सुख देता है इसीलिए अपनी चूत पर परफ्यूम मारने की उसे जरूरत नहीं थी लेकिन फिर भी औपचारिक रूप से वह कुछ अलग करना चाहती थी इसलिए अपनी चूत को चिकनी करके उस पर परफ्यूम मार दी थी,,,।

अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाने से पहले वह साड़ी के नीचे चड्डी नहीं पहनती थी चड्डी पहनने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी ना कि अपने बेटे के साथ रिश्ता बना देने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि वाकई में मर्दों के द्वारा चड्डी उतारने में कितना आनंद और उत्तेजना का एहसास होता है और इसी एहसास के चलते वह साड़ी के अंदर चड्डी पहनने लगी थी और वह भी सिर्फ इसलिए कि उसका बेटा उसे अपने हाथों से उतारकर उसे नहीं कर सके और इसीलिए उसने अपनी बेटी के द्वारा दिलाई गई चड्डी पहन कर अपनी चूत की शोभा बढ़ा रही थी,,,,
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स्कूटी [l] रफ्तार में आगे बढ़ी चली जा रही थी अपनी मां के खूबसूरत देंह सए आ रही मादक खुशबू को अपने अंदर लेकर संजू पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था वैसे तो उसका लंड अपनी मां की उपस्थिति में ही खड़ा हो चुका था अगर उसका बस चलता तो सड़क पर ही स्कूटी रोक कर किसी कोने में ले जाकर अपनी मां की साड़ी उठाकर उसकी चूत में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई करके शांत हो गया होता लेकिन वह अपनी उत्तेजना पर काबू करना अच्छी तरह से जानता था संयम का अभ्यास वह अच्छी तरह से कर चुका था इसीलिए तो आज इस मुकाम पर पहुंच चुका था कि इस उम्र में वह अपनी बहन अपनी मौसी के साथ-साथ अपनी मां की चुदाई कर रहा था और अपनी चचेरी बहन की सहेली को भी चोद चुका था वह दिन प्रतिदिन चुदाई के मामले में अपनी संभोग गाथा के झंडे गाड़ता चला जा रहा था,,,,, बातों के दौर को शुरू करता हुआ वह संजू बोला,,,।

मम्मी आज सच में मुझे बहुत अच्छा लग रहा है तुम स्कूटी पर मेरे पीछे बैठी हो लेकिन मुझे लगी नहीं रहे कि मेरे पीछे मेरी मम्मी बैठी है ऐसा लग रहा है कि मैं किसी जगह से एक खूबसूरत रंडी को अपनी स्कूटी पर बैठाकर गेस्ट हाउस की तरफ ले जा रहा हूं और वह भी उसे चोदने के लिए,,,।
(अपने बेटे की इस बात को उसके एहसास को सुनकर आया देना पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराते हुए बोली)

सच संजू मुझे भी ऐसा ही लग रहा है कि जैसे मैं तेरे साथ नहीं बल्कि अपने किसी कस्टमर के साथ बैठकर उसके साथ गेस्ट हाउस जा रही हूं जहां पर उसके सामने अपने सारे कपड़े उतार कर अपनी चूत उसके आगे परोस दूंगी और वह उसकी मर्जी के अनुसार मेरी चूत के साथ मेरे खूबसूरत दिल के साथ जो करना ही करेगा,,,,,

हाय तुम तो सच में एकदम रंडी का एहसास दिला रही हो,,,


क्या तू भी तेरे बाप की तरह रंडी को गेस्ट हाउस लेकर गया है क्या,,,?

नहीं मम्मी,,,, इस तरह की हरकत करने की कभी मेरी हिम्मत ही नहीं हुई,,,, लेकिन जब से पापा को किसी औरत के साथ गेस्ट हाउस में देखा था था तब से ना जाने क्यों मेरे तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी मुझे भी ना जाने क्यों किसी औरत को चोदने का मन करता था पापा की ही तरह किसी औरत को किसी लड़की को गेस्ट हाउस में ले जाने का मन करता था लेकिन ऐसा कुछ हो ही नहीं पाया क्योंकि पैसे भी नहीं थे,,,, और जब पैसे आ गए तो मुझे उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी क्योंकि तुम मिल चुकी थी,,,,
(अपने बेटे की यह बात सुनते ही आराधना की आंखों के सामने उसकी बड़ी बहन वाला दृश्य याद आने लगा जब वहां कमरे से बाहर बाथरूम की दीवार को पकड़े अपनी गांड पीछे की तरफ हवा में उठाए हुए संजू से चुदवा रही थी आराधना यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि संजू के जिंदगी में उसके आने से पहले ही उसकी बड़ी बहन आ चुकी थी,,,, वह अपनी बड़ी बहन का जिक्र छेड़ना चाहती थी लेकिन वह मजे को किरकिरा नहीं करना चाहती थी इसलिए वह किसी भी तरह से अपने बेटे का मूड खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए वह अपनी बड़ी बहन का जिक्र नहीं की,,,, और अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,)

अच्छा ही हुआ कि मैं तेरी जिंदगी में आ गई तू मेरी जवानी का रस पीने लगा वरना अगर किसी और औरत के चक्कर में पड़ जाता तो शायद तू भी तेरे बाप की तरह निकल जाता और जो सुख मुझे इस समय मिल रहा है मैं उससे भी वंचित रह जाती,,,,

नहीं मम्मी ऐसा कभी नहीं हो सकता तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत तो मैंने आज तक नहीं देखा और सच बताऊं तो तुम्हें चोदने का मजा ही कुछ और है मुझे नहीं लगता कि किसी लड़की को चोदने में भी इतना ज्यादा मजा आएगा जितना कि मुझे तुम्हें चोदने में आता है क्योंकि उम्र के इस दौर में भी तुम्हारी चूत एकदम कसी हुई है मानो कि अभी-अभी चुदवाना शुरू की हो,,,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर खास करके उसके मुंह से अपनी जवानी की तारीफ और तकलीफ में भी अपनी चूत की तारीफ सुनकर वह पूरी तरह से मदहोश और गदगद हुए जा रही थी उसे अपने बेटे पर बहुत प्यार आ रहा था इस बात का एहसास भी उसे अच्छी तरह से था कि वह उम्र के किस दौर पर है और ऐसे दौर में एक जवान लड़का उसका इस कदर दीवाना हो चुका है इस बात का एहसास उसे और भी ज्यादा जवानी का जोश भर देता था उसे और भी ज्यादा जवान कर देता था,,,,,)

मतलब कि तुझे कसी हुई चूत अच्छी लगती है,,,,

हां इसमें कोई शक नहीं है कितना मजा आता है जब तुम्हारी कश्मीरी चूत में मेरा लंड जाता है तो ऐसा लगता है कि तुम्हारी चूत ने अपने गुलाबी होठों के बीच मेरे लंड को दबा कर रखा हुआ है और तो और तुम्हारी चूत भी कितनी मस्त फूली हुई होती है एकदम कचोरी की तरह,,,, सच कहूं तो मम्मी मुझे पहले झूठ के आकार के बारे में उसके भूगोल के बारे में कुछ भी पता नहीं था जिंदगी में पहली बार तुम्हारी चूत देखकर मैं सोचकर भूगोल को अच्छी तरह से समझ पाया हूं,,,,,


पहली बार जब देखा था तो तुझे कैसा लगा था,,,


पूछो मत मम्मी मन तो कर रहा था कि खुद ही उसमें घुस जाऊं चूत की खूबसूरती तो दुनिया की किसी भी चीज की खूबसूरती के मुकाबले बेहद अतुलनीय है जिसकी तुलना किसी भी खूबसूरती से करना मुश्किल है और यह सच ही है मर्दों को दुनिया में सबसे ज्यादा खूबसूरत और प्रिय औरत की चूत ही लगती है,,,,, और तुम्हें क्या पसंद है,,,,।
(खुली सड़क पर दोपहर के समय यातायात कम ही चल रहे थे और ठंडी हवा बह रही थी हालांकि धूप ज्यादा थी लेकिन ठंडी हवा में धूप का एहसास नहीं हो रहा था देखते ही देखते संजू की स्कूटी कुछ ज्यादा ही दूर पहुंच चुकी थी और जानबूझकर संजू अपनी मां को स्कूटी पर बैठाकर शहर से दूर ले जा रहा था ताकि वहां पर कोई उसे पहचान ना सके संजू बड़े आराम से स्कूटी चला रहा था,,,, वैसे उसे जल्दी भी थी लेकिन कहीं और पहुंचने की अपने बेटे की बात सुनकर आराधना शरमा गई क्योंकि वह जानती थी कि उसे क्या कहना है आप उसे अपने बेटे के सामने शर्म महसूस होती नहीं थी लेकिन फिर भी औपचारिक रूप से वह एक औरत थी और संजू उसका बेटा होने के बावजूद भी एक मर्द था और उसके सामने इस तरह की बात करने में थोड़ा बहुत झिझक तो होती ही थी लेकिन इस समय वह जिस कार्य को करने के लिए उसकी स्कूटी के पीछे बैठी थी उस चरित्र में उसे बेशर्म बनना लाजमी था इसलिए वह अपने बेटे की सवाल का जवाब देते हुए बोली ,,,।)


तुझे हम औरतों का जो चीज पसंद है वैसे मुझे भी जैसा कि सभी औरतों को मर्दों का पसंद होता है मुझे भी तेरा लंड पसंद है सच में जब तक मैंने तेरे लंड को अपनी आंखों से देखी नहीं थी तब तक मैं तेरे पापा के लंड के हीं आकार की कल्पना क्या करती थी मुझे ऐसा ही लगता था कि दुनिया में सभी मर्दों का लंड तेरे पापा की तरह ही होगा लेकिन मेरा अनुमान मेरी धारणा मेरा सोचना सब कुछ गलत साबित हुआ जब मैं पहली बार तेरे लंड को अपनी आंखों से देखी,,, मेरे तो होश ही उड़ गए थे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि किसी का लंड ईतना मोटा लंबा और तगड़ा हो सकता है,,,,, और तेरी लंड को अपनी चूत में लेकर मैं तो पूरी तरह से निहाल हो गई थी,,,,,


सच मम्मी तुम्हें मेरा लंड बहुत अच्छा लगा था,,,

क्यों अच्छा नहीं लगेगा एक औरत को क्या चाहिए पेट की भूख के साथ-साथ टंकी भी भूख होती है उसे मिटाने के लिए एक साथी की जरूरत पड़ती है एक मर्द की जरूरत पड़ती है अभी तक तेरे पापा के साथ रहकर मुझे यही लग रहा था कि मैं एक आदमी के साथ में लेकिन तेरे से मिलने के बाद मुझे पता चला कि असली मर्द क्या होता है तेरे लंड को अपनी चूत में लेकर मुझे एहसास हुआ कि असली चुदाई क्या होती है जो कि तेरे ही द्वारा मुझे प्राप्त हो रही है,,,,

हाय मम्मी तुम्हारी यह बातें तो मुझे पागल कर देंगे मुझे इस बात की खुशी हुई कि मेरा साथ पाकर तुम भी खुश हो और इसी खुशी को दुगुनी करने के लिए ही मैं तुम्हें गेस्ट हाउस लेकर जा रहा हूं,,,,।
(दोनों मां बेटों के बीच हो रही गरमा-गरम वार्तालाप के चलते संजू के लंड के साथ-साथ आराधना की चूत भी गीली हो चुकी थी,,, वैसे भी जिस राह पर दोनों मां-बेटे चल रहे थे उस राह पर एक दूसरे के अंगों में कठोरपन आना लाजमी था,,,,)

हम लोग काफी दूर आ चुके हैं संजु,,,(सड़क के दोनों ओर नजर घुमाते हुए आराधना को दी तो संजू भी बोला)

जिस काम को करने जा रहे हैं उस काम के लिए हमेशा हर से बाहर ही आना जरूरी है क्योंकि यहां कोई पहचानने वाला नहीं है और शहर के अंदर अगर कोई हमें गेस्ट हाउस में जाते हुए देख लेगा तो गजब हो जाएगा,,

तू सच कह रहा है संजू वैसे भी अब तू औरतों के मामले में बहुत ज्यादा चलाक होता जा रहा है औरतों को किस तरह से संभालना है तुझे अच्छी तरह से आता है,,,,

कोई काम में माहिर हो चाहे ना हो लेकिन औरतों के मामले में मर्दों को हमेशा चालाक होना चाहिए वरना उसके हाथ से निकलकर औरत किसी और के हाथ में जाने में देर नहीं लगाती,,,,


यह बात तो तु सच कह रहा है,,,,,,।

(अपनी मां की बात सुनते ही संजू हाईवे के सड़क के किनारे से अपनी स्कूटी को दूसरी और संभाल कर लेते हुए जाने लगा तो आराधना बोली,,,)

आ गया क्या गेस्ट हाउस,,,,


गेस्ट हाउस को बाद में चलेंगे उससे पहले मैं तुम्हें फिल्म दिखाने ले चलता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू अपनी स्कूटी को एक बड़े से थिएटर के अंदर ले जाने लगा बरसों बाद आराधना आज किसी थिएटर में आई थी इसलिए वह बहुत खुश नजर आ रही थी थिएटर को पार्किंग मैं खड़ी करके संजू आराधना को एक पेड़ के नीचे खड़ा करके टिकट लेने लगा और जल्द ही वह दो टिकट लेकर आ गया और उत्सुकता बस आराधना बोली,,,)

क्या संजू तू मुझे थिएटर लेकर आ गया,,,

तो क्या मम्मी तुम्हें मैं आज फिल्म दिखाने ले कर आया हूं उसके बाद हम दोनों गेस्ट हाउस चलेंगे,,,,


लेकिन फिल्म कौन सी है,,,,

अरे बहुत अच्छी मूवी है चलो तो सही अंदर पता चलेगा,,,,

(इतना कहकर संजू अपनी मां का हाथ पकड़े हुए उसे थिएटर के अंदर ले जाने लगा ,,,, टिकट चेकर से टिकट चेक करा कर वह एक कोने की सीट पर जाकर बैठ गया,,,, थिएटर में भीड़ बहुत कम थी और यही तो संजू चाहता भी था,,,,

rohnny4545 Bhai,

Ekdum mast update likhi he..............maja aa raha he...........

Lekin abhi aap guesthouse pahuchane me ek update aur laga sakte ho.................aisa mujh lagta he............

Intezar rahega agli update ka
 

Alok

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Waiting for next update bhai
 

rohnny4545

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आखिरकार संजू अपनी मां के तन बदन में चुदाई की अद्भुत काम भावना को जागरूक करके अपनी मां के जन्मदिन पर ही उसे गेस्ट हाउस में उसे जमकर चोदने के लिए ले जा चुका था लेकिन गेस्ट हाउस से पहले वह किसी और प्रोग्राम को निपटाने के लिए थिएटर में लेकर चला गया जहां पर वह कोने वाली सीट लेकर बैठ गया था थिएटर में भीड़भाड़ ज्यादा बिल्कुल भी नहीं थी गिनती के ही लोग थे और संजू भी यही चाहता था,,,,, आराधना बहुत खुश थी अपने बेटे के साथ हुआ जिंदगी का अद्भुत आनंद लूट रही थी जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,, उसे तो याद भी नहीं था कि वह कब थिएटर में कोई फिल्म देखने के लिए गई थी और अशोक ने कभी उसे फिल्म दिखाने के लिए थिएटर में लेकर नहीं आया था लेकिन संजू अपनी मां की इच्छा पूर्ति के लिए उसे थिएटर में फिल्म दिखाने के लिए लेकर आया था,,,,,


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थिएटर के सीट पर बैठकर आराधना,,, बहुत खुश हो रही थी वह बार-बार अपने चारों तरफ चकर पकर देख रही थी,,, उसके लिए थिएटर बिल्कुल अनजान और अद्भुत जगह थी बड़ी-बड़ी सीट नरम नरम गद्दे वाली जिस पर अपनी भारी-भरकम गांड रखकर बैठने पर उसे बेहद आरामदायक महसूस हो रहा था,,,,, आराधना आश्चर्य जताते हुए संजू से बोली,,,।

तुम मुझे थिएटर तो ले आए हैं लेकिन फिल्म कौन सी है यह तो बताया ही नहीं,,,

मम्मी तुम फिल्म नहीं देखती ना इसलिए तुम्हें पता नहीं है इसलिए देखो तुम्हें खुद पता चल जाएगा,,,,

(और आराधना की उत्सुकता खत्म करते हुए सफेद बड़े पर्दे पर चलचित्र उभरने लगा पर्दे पर उभरते हुए चलचित्र को देख कर आराधना की खुशी का ठिकाना ना था वह खुशी के मारे समझ नहीं पा रही थी कि वह करे क्या वह कसके अपने बेटे के हाथ को पकड़कर मुस्कुराते हुए पर्दे की तरफ देख रही थी,,, संजू भी अपनी मां की खुशी देखकर खुश हो रहा था,,,, थिएटर में पूरी तरह से अंधेरा हो चुका था सभी लाइटें बंद हो चुकी थी चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा सिर्फ पर्दे का उजाला थोड़ा बहुत नजर आ रहा था,,,,,,, संजू अपने लफंगा दोस्तों के मुंह से यह सुन चुका था कि वह लोग अपनी गर्लफ्रेंड को थिएटर में ले जाकर के कोने वाली सीट पर बैठ कर उनके साथ मस्ती किया करते थे उनके होठों का चुंबन किया करते थे उनकी चूची दबाते थे और साथ ही उनकी चूत से खेलते थे यह सब सुनकर संजू को थोड़ा अजीब लगता था कि सबके बीच में बैठकर यह सब कैसे हो सकता है लेकिन थिएटर में आने के बाद उसे पूरा विश्वास हो चुका था कि सब की मौजूदगी में भी सबसे नजर बचा कर यह क्रिया की जा सकती है और इसी क्रिया को करने के लिए ही वह अपनी मां को बिना बताए थिएटर में लेकर आया था क्योंकि सब लोग अपने ही अपने में मस्त थे,,,,,।


और अपने दोस्तों की बातों से प्रेरणा लेकर संजू अपना एक हाथ अपनी मां के ब्लाउज पर रखकर उसकी चूची को दबा रहा था पहले तो आराधना एकदम से हैरान हो गई क्योंकि वह कई लोगों के बीच में बैठी हुई थी लेकिन वह लोग भी थोड़ा दूर पर ही बैठे हुए थे एक दो बार आराधना संजू के हाथ को अपनी चूची पर से हटाने लगी लेकिन तभी पर्दे पर फिल्म के हीरो का वह दृश्य नजर आने लगा जिसमें वह हीरोइन को जबरदस्ती पकड़कर उनके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर किस कर रहा था और यह दृश्य को देखकर आराधना के बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी है और इस बार भाई संजू के हाथ को अपने ब्लाउज पर से बिल्कुल भी नहीं हटाई,,,।

संजू ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की चूची को दबाना शुरू कर दिया था जो कि खरबूजे की आकार की थी ,,,, थिएटर में औरत के साथ मस्ती करने का यह उसका पहला मौका था इसलिए उसके बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी चारों तरफ अंधेरा होने का फायदा हुआ अच्छी तरह से उठा रहा था आराधना भी अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी और अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन उसे इस बात की तसल्ली थी कि सब लोग उसकी तरफ ना देख कर केवल पर्दे की तरफ देख रहे थे और परदे पर गरमा-गरम दृश्य भी पेश हो रहा था,,,,,।


ओहहहह संजू यहां पर क्यों ऐसा कर रहा है कोई देख लिया तो,,,(अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए आराधना बोली)

यहां कोई नहीं देखने वाला मम्मी सब लोग फिल्म देखने में लगे हुए हैं,,,,,


लेकिन तेरा यहां करना जरूरी है क्या,,,?

हां बहुत जरूरी है क्योंकि मैं भी थिएटर के अंदर औरत के साथ कैसे मस्ती की जाती है यह देखना चाहता हूं,,,,


क्यों गेस्ट हाउस की तरह यहां भी लोग मस्ती करते हैं क्या,,,!( आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

तो क्या मम्मी यहां पर हम जैसे जोड़े पिक्चर देखने थोड़ी आते हैं एक दूसरे से मस्ती करने के लिए आते हैं और तुम भी मजा लो फिल्म का भी और मेरी हरकत का भी,,,,(ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की चूची को कस के दबा दें हुए बोला तो आराधना के मुंह से आह निकल गई और वह बोली)

तो थोड़ा धीरे तो दबा,,,,,

क्या करूं मम्मी तुम्हारी चूची इतनी बड़ी बड़ी है कि सब्र नहीं होता,,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू थिएटर में कोने वाली सीट पर बैठकर अपनी मां के ब्लाउज का बटन खोलने लगा तो आराधना उसे रोकते हुए बोली,,)

पागल हो गया क्या मुझे शर्म आ रही है यहां पर ऐसा नहीं करने दूंगी,,,,



अरे मम्मी तुम भी क्या बुद्धू जैसी बात कर रही हो यहां पर कोई देखने वाला थोड़ी है और फिर देखना तुम्हें कितना मजा आता है,,,,,
(वैसे तो आराधना के भी तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी बाकी अपने बेटे की हरकत का मजा लेते हुए उसका सहकार करना चाहती थी लेकिन फिर भी उसे थोड़ी बहुत घबराहट हो रही थी और फिर अपने बेटे की बात सुनकर अपनी घबराहट को दूर करते हुए वह अपने हाथ को अपने बेटे के हाथ पर से हटा ली और संजू अपनी मां की इस हरकत को उसकी अनुमति समझ कर उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा वाह ब्लाउज का आखरी बटन छोड़कर सारे बटन को खोल चुका था क्योंकि मैं जानता था कि ऐसे हालात में सारे बटन खोल ना ठीक नहीं है और फिर वह अपनी मां के ब्लाउज के बटन को खोल कर उसकी ब्रा को ऊपर की तरफ करने लगा,,,,)

आहहहह क्या कर रहा है,,,,, मेरा सारा मेकअप खराब कर देगा तु,,,


वैसे भी मम्मी तुम्हें मेकअप की कोई जरूरत नहीं है तुम जैसी हो वैसे ही स्वर्ग की अप्सरा लगती हो,,,,

चल रहने दे बाते बनाने को तेरे को सिर्फ अपना काम निकालना है,,,,।

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ऐसा कुछ भी नहीं है मम्मी जो सच है वही बोल रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही बड़ी मशक्कत करते हुए वह अपनी मां की ब्रा को ऊपर की तरफ उठा दिया और अपनी मां की दोनों खरबूजे जैसे चुचियों को ब्रा से बाहर निकाल लिया अपनी मां की बड़ी-बड़ी नंगी चूचियों को ब्रा से बाहर देख कर उसके तन बदन में आग लग गई और वहां तुरंत अपना मुंह अपनी मां की चूची पर रख कर उसके निप्पल को छुहारे का दाना समझकर चाटना और पीना शुरू कर दिया,,,,, ना नूकुर करते हुए आराधना भी अपने बेटे की हरकत का मजा लेने लगी अपनी बेटी की इस हरकत पर वह पूरी तरह से बाग बाग हो गई थी क्योंकि उसका बेटा हिम्मत दिखाते हुए से थिएटर में लाकर उसके साथ मस्ती कर रहा था जैसा कि आज तक अशोक ने ना तो कभी किया था और ना ही कभी ऐसा करने की सोचा था,,,,, अपने बेटे के द्वारा अपनी चूची को मुंह में लेकर पीने से आराधना के तन बदन में उत्तेजना की लहर की लगेगी समझो पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह बारी-बारी से अपनी मां की चूची को दशहरी आम की तरह मुंह में लेकर चूसा था और एक हाथ से अपने पेंट की चेन को खोलकर अपने मोटे तगड़े लंड को बाहर निकाल दिया था और अपनी मां का हाथ पकड़ कर तुरंत उसके अपने लंड पर दिया था,,,,,,

अपने बेटे की यह हरकत आराधना को ऐसी लग रही थी कि जैसे उसकी अद्भुत क्रिया के लिए उसके इस तरह के अद्भुत कार्य के लिए उसे ट्रॉफी पकड़ा दी गई हो और वह भी अपने बेटे के लंड को ट्रॉफी समझकर बड़े जोश के साथ उसे अपनी हथेली में दबा ली थी,,,, अपने बेटे की संगत पाकर उसे अच्छी तरह से मालूम था कि अपने बेटे के लंड के साथ उसे क्या करना है और वह अपने बेटे का लंड को धीरे-धीरे मसाला शुरू कर दी थी जिससे संजू के बदन में भी जोश की लहर उठ रही थी,,,,,।

संजू दुनिया से बेखबर होकर अपनी मां की दोनों चुचियों पर जुट चुका था,,, वह अपना सारा ध्यान अपनी मां की चूचियों पर केंद्रित किया हुआ था जो कि इस समय उसे दशहरी आम की तरह मिठास से भरी हुई लग रही थी वह दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर पी रहा था और आराधना अपने बेटे के लंड को पकड़े उसे खिलाते हुए पर्दे की तरफ देख रही थी तो कभी अपने चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली कर ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है,,,, आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस तरह से थिएटर में आकर मस्ती करेगी लेकिन थिएटर का मजा उसे भी बेहद अद्भुत प्रतीत हो रहा था क्योंकि एक अजीब सा माहौल बना हुआ था चारों तरफ दर्शक बैठकर फिल्म देख रहे थे और वह जवानी का मजा लूट रही थी,,,,। बेशक यहां पर किसी के देखे जाने का डर बना हुआ था लेकिन संजू अपनी मां को शहर से बहुत दूर लेकर आया था इसलिए देखे जाने का भले लेकिन पहचाने जाने का डर बिल्कुल भी नहीं था,,,।,,,,
Sanju is tarah se apni ma ki chuchiy daba raha tha


थिएटर के अंदर अंधेरे का फायदा उठाते हुए दोनों मां-बेटे एक दूसरे के अंगों को सहला रहे थे,,, वैसे भी अपनी मां की चूचियां संजू को बेहद लाजवाब और खूबसूरत लगती थी और इस समय वह अपनी मां की चूची का रस दशहरी आम की तरह निकाल रहा था,,,,, संजू औरत के मामले में बहुत चालाक हो चुका था अगर कोई और जगह होती तो शायद वहां अपनी मां का पूरा ब्लाउज उतारकर उसे नंगी करके मजा लेता लेकिन इस‌ समय वह थिएटर के अंदर था इसलिए कपड़ों को सिर्फ थोड़ा सा खोल कर या ऊपर करके ही मजा लिया जा सकता था,,,, आराधना के हाथ में अपने बेटे का लंड बेहद गर्म लग रहा था जिसकी गर्मी उसे अपनी चूत तक महसूस हो रही थी और वह धीरे-धीरे पिघल रही थी,,,, वह अपने बेटे के लंड को बड़े ही जोर से कस के पकड़े हुए थी और उसे ऊपर नीचे करके मुठिया रही थी और इस क्रिया में उसे बहुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,, और संजू के द्वारा स्तन मर्दन और स्तनपान की वजह से उसके मुख्य से हल्की-हल्की सिसकारी भी नहीं कर रही थी जो कि केवल संजू को ही सुनाई दे रही थी और वह अपनी मां की गरमा गरम सिसकारियो की आवाज को सुनकर और भी ज्यादा उत्तेजना ग्रस्त हुआ जा रहा था,,,,, कुछ देर तक अपनी मां की चुचियों से जी भर कर खेलने के बाद संजू गहरी सांस लेते हुए अपनी मां की चूची पर से अपना मुंह हटा लिया और अपनी मां की तरफ देखने लगा आराधना भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह भी मदहोश हो चुकी थी संजू चाहता तो अपनी मां को इसी समय अपने लंड पर बैठाकर कुर्सी पर ही उसकी चुदाई कर देता लेकिन इस समय वह चुदाई नहीं करना चाहता था क्योंकि वह अपनी मां को गेस्ट हाउस में ही जमकर चोदना चाहता था इसलिए अपनी मां की तरफ एकटक देखते हुए वह पूरी तरह से मदहोश हो गया और एक हाथ अपनी मां के गर्दन के पीछे ले जा कर के उसे अपनी तरफ खींचा और उसके लाल लाल होंठों पर अपने होंठ रख कर चुंबन करने लगा इस क्रिया से आराधना पूरी तरह से मदहोश हो गई और वह अपनी हथेली का कसम अपने बेटे के लंड पर बढ़ाने लगी और संजू एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगे और देखते ही देखते वह अपनी हथेली को अपनी मां की साड़ी के अंदर उसकी मोटी मोटी जांघों के ऊपर रखकर उसे जोर जोर से मसलने लगा दबाने लगा,,,,



इस तरह से अपनी जांघों को मत ले जाने पर आराधना को थोड़ा दर्द महसूस होता था लेकिन उत्तेजना के आगे यह दर्द कुछ भी नहीं था,,,, और देखते ही देखते संजू अपनी हथेली को अपनी मां की पैंटी के ऊपर लाकर उसे कसके दबोचने लगा,,, अपनी चूत को अपने बेटे की मुट्ठी में मसलते हुए महसूस करते ही आराधना के मुंह से हल्की-हल्की आह निकलने लगी जिसकी परवाह किए बिना संजू अपनी मां की चूत को बुरी तरह से दबा रहा था मसल रहा था जो की चूत भी पूरी तरह से अपना रस छोड़ रही थी,,,, इस दौरान भी संजू अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने होंठों के बीच लेकर उसका रसपान कर रहा था,,,, मौके का फायदा किस तरह से उठाया जाता है और औरत के अंगों से किस तरह से खेला जाता था इस खेल को इस अनुभव को संजू अच्छी तरह से जानता था और समझता था इसीलिए वह हर तरह से अपनी मां को संपूर्ण सुख देना चाहता था जिससे वह आज तक वंचित रह गई थी,,,,।

आराधना अपने बेटे के हाथों पूरी तरह से मदहोशी के आलम में डूबने लगी थी जवानी का नशा परवान चढ़कर बोल रहा था आंखों में खुमारी छाई हुई थी,,, इस तरह का एहसास तो उसे अपनी जवानी के दिनों में नहीं होता था लेकिन उम्र के इस दौर में पहुंचकर उसकी जवानी पूरबहार में खिल चुकी थी,,,,, अपने बेटे के हाथ का स्पर्श पाते ही उसकी चूत पानी छोड़ने लगती थी थोड़ी यही इस समय भी उसके साथ हो रहा था वह अपनी बेटी के लंड को एक पल के लिए भी अपनी हथेली से अलग नहीं कर पाई थी अपने बेटे के लंड को देखते ही उसके बदन में ना जाने कैसी हलचल होने लगती थी,,,, आराधना मदहोश और उत्तेजित होकर अपने बेटे के चुंबन का आनंद ले रही थी वह भी इस समय पूरी तरह से भूल चुकी थी कि वह थिएटर में बैठी हुई है लोगों के बीच में उसे अब केवल अपना बेटा और उसकी हरकत ही नजर आ रही थी सामने पर्दे पर कौन सी फिल्म चल रही है इससे अब उसे कोई मतलब नहीं था,,,,,।

चड्डी के ऊपर से अपनी मां की चूत को दबोचते दबोचते संजू अपनी हथेली को अपनी मां की चड्डी के अंदर डाल दिया और फिर उसकी पनीयाई चूत को मसलना शुरू कर दिया और साथ ही अपनी एक उंगली को उसकी चूत के अंदर डाल दिया और उसे अंदर बाहर करने लगा जिस अवस्था में आराधना थिएटर की सीट पर बैठी हुई थी उस अवस्था में वह अपने बेटे की उंगली को अपनी चूत की गहराई में महसूस नहीं कर पा रही थी इसलिए अपने बेटे का साथ देते हुए वह हल्के से अपनी गांड को सीट के ऊपर उठा ली थी और अपनी दोनों टांगों को खोल दी थी जिससे उसका बेटा आराम से उसकी चूत में उंगली कर सकें,,,,।

संजू साफ तौर पर देख पा रहा था कि उसकी मां उसके कामखेड़ा में पूरी तरह से उसका साथ दे रही है इसलिए मदहोश और प्रसन्न होते हुए वह अपनी एक उंगली की जगह अपनी तो उंगली अपनी मां की चूत में डाल कर अंदर बाहर करना यह एहसास से वह पूरी तरह से गर्म हो चुका था और अपनी मां को भी गर्म कर रहा था आराधना से रहा नहीं जा रहा था और वहां जोर-जोर से अपने बेटे के लंड को मुठिया रही थी,,,,, पहले जब कभी भी वह अपने दोस्तों के मुंह से यह सुनता था कि वह अपनी गर्लफ्रेंड को थिएटर में ले जाकर के उसके साथ मस्ती किया है तो उसे विश्वास नहीं होता था लेकिन आज जब वह अपनी मां के साथ वही क्रिया कर रहा है तो उसे पूरा विश्वास हो गया था कि थिएटर के अंदर भी चुदाई संपूर्ण रूप से सफलतापूर्वक कर सकते हैं,,,, लेकिन वह मन बना लिया था कि गेस्ट हाउस में ले जाकर ही अपनी मां को चोदेगा लेकिन इस समय थिएटर के अंदर उसके तन बदन में आग लगी हुई थी और वह किसी भी तरह से अपनी आग को शांत करना चाहता था,, इसलिए अपनी चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखा तो कोई भी उसकी तरफ देख नहीं रहा था सब लोग फिल्म देखने में मशगूल हो चुके थे जो कि पर्दे पर बेहद रोमांटिक दृश्य चल रहा था और इसी का फायदा उठाते हुए संजू धीरे से अपनी सीट से बिना खड़े हुए भी उसी तरह से सीट से नीचे उतर गया और तुरंत अपनी मां की सीट के सामने आकर घुटनों के बल बैठ गए अपने बेटे की हरकत को देखते हुए आराधना समझ गई थी कि उसका बेटा क्या करना चाहता है इसलिए आराधना भी चारों तरफ देखकर अपनी भारी-भरकम गांड को एकदम आगे की तरफ लाकर सीट के किनारे पर रख दिया और अपने साथी को कमल तक उठा दी इस अवस्था में हुआ अपनी पेंटी को उतारा नहीं चाहती थी और संजू भी अच्छी तरह से समझता था इसलिए वह धीरे से अपनी मां की बेटी को एक तरफ से पकड़कर दूसरी तरफ खींच कर कर दिया और कचोरी की तरह फूली भी चुप होने की वजह से पेंटी का एक हिस्सा दूसरे हिस्से पर जाकर एकदम से अटक गया और पूरी तरह से नंगी हो गई जो की पूरी तरह से काम रस से भीगी हुई थी अब संजू को खुला दौर मिल चुका था थिएटर के अंदर अपने दोस्तों की बताई बात पर वह अपनी मां के साथ अमल कर रहा था,,,,

अगले ही पल संजू के प्यासे होठ अपनी मां की चूत पर रख कर उसके काम रस को चाटना शुरू कर दिया और अपने बेटे की हरकत से आराधना पूरी तरह से मदहोश हो गई उसके बदन में सुरसुरी सी दौड़ गई वह जैसे ही अपने बेटे के होठों को अपनी चूत पर महसूस की उसी से यह उत्तेजना कपल बर्दाश्त नहीं हुआ और अपने आप ही हुआ अपनी गांड को आगे की तरफ ठेल दी और एक हाथ अपने बेटे के सर पर रख कर उसे अपनी चूत पर दबाना शुरू कर दी देखते ही देखते संजू अपनी जीभ को अपनी मां की चूत की गहराई तक डालकर उसकी मलाई को चाटने शुरू कर दिया और आराधना पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी वह अपनी गर्मागर्म शिसकारियों पर पूरी तरह से काबू किए हुए थी,,,, क्योंकि वह जानती थी कि अगर वह जरा भी अपनी लय में शोर मचाने लगी तो सारे दर्शक फिल्म छोड़कर उन दोनों की फिल्म देखने लगेंगे इसीलिए वह अपनी भावनाओं पर अपनी उत्तेजना पर जहां तक हो सकता था काबू किए हुए थी,,,,।

अपने बेटे की जीभ को वह साफ तौर पर अपनी बुर की गहराई में महसूस कर पा रही थी जिसमें वह गोल गोल घुमा रहा था जिससे उसकी उत्तेजना और आनंद दोनों बढ़ते जा रहे थे सामने वाली सीट पूरी तरह से खाली थी इसलिए वह अपने दोनों पैरों को फैला कर उस सीट पर रख दी थी जिससे संजू को और भी ज्यादा आनंद प्राप्त हो रहा था संजू पागलों की तरह अपनी मां की चूत चाट रहा था,,,,,,,, देखते ही देखते आराधना की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और वह अपने बेटे का सर दोनों हाथों से जोर से पकड़ कर अपनी चूत पर दबाए हुए थे संजू समझ गया था कि उसकी मां का पानी निकलने वाला है इसलिए वह भी पागलों की तरह अपनी मां की चूत को चाट ना शुरू कर दिया था और देखते ही देखते हल्की सी आशा के साथ आराधना की कमर थोड़ी सी ऊपर की तरफ उठी और वह भल भला कर अपना काम रस की पिचकारी अपने बेटे के मुंह में मारने लगी,,,,, अपने बेटे की मदद से आराधना झड़ चुकी थी थिएटर के अंदर उसके बेटे ने उसका पानी निकाल दिया था आराधना कभी सोची भी नहीं थी कि थिएटर के अंदर सीट के ऊपर बैठे हुए ही उसका बेटा उसे चरम सुख की प्राप्ति कराएगा,,,,,,,

संजू ने अपना काम कर दिया था लेकिन अब बारी आराधना की थी इसलिए वो धीरे से उठा और अपनी सीट पर बैठ गया लेकिन अपने लंड को उसी तरह से पेंट के बाहर निकाले रह गया और अपनी मां का हाथ पकड़ कर फिर से अपने लंड पर रख दिया,,,, इस बार संजू ने उसे बिल्कुल भी ईशारा नहीं दिया था लेकिन आराधना को अच्छी तरह से मालूम था कि उसे क्या करना है इसलिए वह अपने आप धीरे से अपनी जगह से नीचे की तरफ बैठ गई और अपने बेटे के ठीक सामने आकर अपने बेटे का लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी और जैसे ही आराधना ने अपने बेटे के लंड को मुंह में भरकर चूसना शुरू की वैसे ही संजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी पकने लगी उसकी आंखें अपने आप ही बंद हो गई और गहरी सांस लेते हुए वह अपनी मां की खुरदरी जीभ के स्पर्श का आनंद लेने लगा,,,, आराधना अपने बेटे के प्रति अपने फर्ज को अच्छी तरह से समझती थी जिस तरह से उसके बेटे ने उसकी सेवा की थी उसी तरह सेवा भी अपने बेटे को निहाल कर देना चाहती थी देखते ही देखते आराधना पूरी तरह से अपने गले के अंदर तक उतार कर अपने बेटे के गधे जैसे लंड को चूस रही थी,,, और संजू धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे सीट पर बैठे हुए ही कर रहा था कुछ देर तक आराधना इसी तरह से अपने बेटे के लंड को चुस्ती रही,,,, संजू अपनी मां की हरकत को देखकर यही सोच रहा था कि उसके दोस्त भी इसी तरह से मजे लेते होंगे,,,, और यह भी सोच रहा था कि वह अपने दोस्तों से कहीं आगे बढ़कर और भी ज्यादा मजा दे सकता है और ले सकता है क्योंकि इतनी देर से और दोनों की काम क्रीड़ा की तरफ किसी का भी ध्यान नहीं गया था अंधेरे का फायदा उठाते हैं वह इसी समय अपनी मां की चुदाई भी कर सकता था लेकिन वह अपना मजा किरकिरा नहीं करना चाहता था वह इसी तरह से अपना पानी निकाल देना चाहता था और उसी कार्य को सफल बनाने में उसकी मां पूरी तरह से अपना सहयोग कर रही थी,,,

देखते ही देखते संजू के बदन में अकड़न बढ़ने लगी लंड की मोटाई फूलने पिचकने लगी और अगले ही पल लंड से जोरदार पिचकारी निकली और सीधा आराधना के गले के अंदर उतरने लगी आराधना अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे का पानी निकलने वाला है लेकिन वह उत्तेजना में पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी वह अपने बेटे के पानी को अपने मुंह में निकालना चाहती थी इसीलिए उसके लंड को एक पल के लिए भी अपने मुंह से बाहर नहीं निकाली और उसके गरमा गरम माल का मजा लेने लगी और तब तक अपने मुंह में से बाहर नहीं निकाली जब तक कि लंड में से आखिरी बूंद तक निकल नहीं गया,,, अपने बेटे को झाड़ देने के बाद आराधना तुरंत अपनी सीट पर बैठ गई और अपनी पेंटिंग को सही करके साड़ी को नीचे करके अपनी ब्रा को वापस अपनी स्थिति में ला कर,,,, अपने ब्लाउज के बटन को बंद करने लगी और ब्लाउज के बटन को बंद करने के बाद अपने आप को पूरी तरह से दुरुस्त करके अपने होठों पर लगे अपने बेटे के रस को रुमाल से साफ करके एकदम दुरुस्त कर ले और संजू भी अपने पेंट की चैन को बंद करके एकदम जेंटलमैन की तरह बैठ गया और थोड़ी ही देर में इंटरवल पड़ गया और थिएटर की सारी लाइटें जल उठी सही समय पर दोनों ने अपने आप को दुरुस्त कर लिया था फिल्म की कहानी से दोनों का कोई लेना-देना नहीं था दोनों को कुछ भी पता नहीं था कि फिल्म कहां से शुरू होकर कहां जा रही है दोनों अपने आप में पूरी तरह से लिखते थे अब फिल्म देखने का कोई मतलब नहीं था इसलिए संजू इंटरवल में अपनी मां को थिएटर से लेकर बाहर निकल गया लेकिन बाहर निकलने से पहले वह लोग थिएटर के बाथरूम में जाकर पेशाब करके अपने चेहरे को अच्छे से पानी से धोकर साथ कर लिए थे और फिर संजू थिएटर के बाहर आया और पार्किंग में खड़ी किया हुआ अपनी स्कूटी लेकर अपनी मां को बिठाकर थिएटर से निकल गया गेस्ट हाउस की ओर,,,,।
 
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Abhi32

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Super update bro maja aa gaya hai
 
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