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Incest मजबूरी या जरूरत

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संजू जानबूझकर अपनी पोजीशन को बदलते हुए अपनी मौसी को अपने ऊपर चढ़ा दिया था संजू की मौसी साधना भी पूरी तरह से उत्तेजना का प्रदर्शन करते हुए संजू की बात मानकर उसके लंड पर सवार हो गई थी और अपनी भारी भरकम गांड को जोर-जोर से जैसे किसी कपड़े पर ढोकना पीटा जाता है ठीक उसी तरह से अपनी गांड को पटक रही थी साधना में भी गजब की फुर्ती नजर आ रही थी यह सब उत्तेजना और मदहोशी का कमाल था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी संजू के साथ चुदाई करने में वैसे भी उसे अत्यंत रोमांच और आनंद की अनुभूति होती थी जो कि इस समय एकदम साफ नजर आ रहा था,,, इस पोजीशन का उपयोग संजू ने बड़ी चतुराई से किया था क्योंकि 1 घंटे से ज्यादा समय हो गया था और मनीषा किसी भी वक्त कमरे में आ सकती थी और वह मनीषा को दिखाना चाहता था कि उसकी मां कितनी ज्यादा चुदवासी है,,, साधना की गरमा गरम शिसकारी की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था,,,, जोकी घर में प्रवेश करते ही मनीषा कोई एकदम साफ सुनाई दे रहा था,,,, और इस तरह की आवाज को वह बखूबी पहचानती थी इसलिए उसके दिल की धड़कन एकदम बढ़ चुकी थी,,, देखते ही देखते हैं वहां अपनी मां के कमरे के पास दरवाजे पर पहुंच गई थी,,,।

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कमरे के दरवाजे को संजू ने जानबूझकर खुला छोड़ रखा था वैसे भी साधना को ऐसा ही लग रहा था कि घर का मुख्य दरवाजा उसने अपने हाथों से बंद की है इसलिए वह निश्चित थी और संजू ने जान बूझकर चुदाई करने के लिए साधना के कमरे का ही उपयोग किया था उसके ही बिस्तर पर उसको चोदने का प्लान बनाया था,,, क्योंकि यह बेहद उत्तेजनात्मक होता है कि किसी गैर औरत को उसके ही कमरे में उसके ही बिस्तर पर उसकी चुदाई किया जाए इससे प्राकृतिक रूप से कुछ ज्यादा उत्तेजना का एहसास होता है जो की संजू भी इसे अच्छी तरह महसूस कर रहा था,,,, साधना के जोर-जोर से उछलने से उसकी पनी आई चूत से चप,,,चप की आवाज आ रही थी जो कि वातावरण में एक अलग ही मादकता को घोल रही थी,,,।


मनीषा का दिल बड़ी जोरों से धड़क रहा था अपनी मां के कमरे पर दरवाजे पर पहुंच चुकी थी और दरवाजे पर पहुंचने के बाद उसकी नजर जैसे ही अपनी मां के कमरे के अंदर गई अंदर के नजारे को देखकर वह पूरी तरह से चौंक गई आश्चर्य से उसकी आंखें फटी की फटी रह गई अपनी मां का यह रूप हुआ पहली बार देख रही थी अपनी मां के बारे में कभी उसने इस तरह की कल्पना की नहीं की थी उसकी नजर में उसकी मां एकदम सीधी-सादी और संस्कारी औरत थी लेकिन आज उसका यह भरम पुरी तरह से टूट चुका था,,,, उसे पूरा यकीन हो गया था कि संजू ने जो किचन वाली बात उसने बताया था वह बिल्कुल सच थी वह अपनी मां का एक नया रूप देख रही थी उसे साफ-साफ बिस्तर पर का दृश्य नजर आ रहा था उसकी मां की आंखें मदहोशी में पूरी तरह से बंद थी उसके बाल एकदम खुले हुए थे वह सर से लेकर पांव तक एकदम नंगी थी और संजू के मोटे तगड़े लंबे लंड पर जोर-जोर से कूद रही थी अपनी मां की कामलीला और उसकी गजब की स्फूर्ति देखकर खुद मनीषा हैरान हो गई थी,,,, उसकी मां इतनी कामुक है उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था आज वह अपनी आंखों से देख कर समझ गई थी कि इच्छा से उम्र का कोई रिश्ता नहीं होता हर एक औरत में उसकी काम इच्छा छुपी होती है जिसे वह जब चाहे तब पूरी करने के लिए कुछ भी कर सकती है,,,।

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दरवाजे पर खड़ी मनीषा अपनी आंखों से अपनी मां की चुदाई देख रही थी और मन ही मन में संजू का धन्यवाद भी कर रही थी उसे उम्मीद नहीं थी कि संजू इतनी जल्दी उसकी मां पर काबू कर पाएगा लेकिन उसकी कई बात एकदम सच साबित हुई थी संजू उसकी मां को पूरी तरह से विश्वास में ले लिया था और उसकी चुदाई कर रहा था लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी मां इतनी जल्दी मान जाएगी और वह भी अपने ही भतीजे के साथ लेकिन सब कुछ उसकी आंखों के सामने था सब कुछ खुला का खुला था पहन के पीछे कुछ भी नहीं था ना ही कुछ भी छुपाने लायक था संजू और उसकी मां बिस्तर पर पूरी तरह से संपूर्ण नग्न अवस्था स्थिति में संभोग सुख प्राप्त कर रहे थे,,,, मनीषा साफ तौर पर अपनी मां की बड़ी-बड़ी पपाया जैसी चूचियों को देख रही थी जो की हवा में फुटबॉल की तरह उछल रहे थे जिसे संजू अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसे पकड़कर जोर-जोर से दबा रहा था,,,, मनीषा को साफ दिखाई दे रहा था की उत्तेजना के मारे उसकी मां का खूबसूरत गोरा चेहरा टमाटर की तरह लाल हो चुका था जिसके हाव-भाव हर एक धक्के साथ बदल रहे थे,,, साधना का मुंह दरवाजे की तरफ था और दरवाजे पर मनीषा खड़ी थी मनीषा सब कुछ देख रही थी लेकिन साधना कुछ भी देख नहीं पा रही थी क्योंकि वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी और वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी,,, साधना संजू के कंधों का सहारा लेकर अपनी बड़ी-बड़ी गांड पटक रही थी जो की बेहद सुहावना लग रहा था,,, अपनी मां को चुदवाते हुए देख कर खुद मनीषा की हालत खराब हो चुकी थी उसकी चूत पानी छोड़ रही थी,,,, उसे साफ दिखाई दे रहा था कि संजू अपने वादे के मुताबिक अपना काम कर चुका था अब बारी उसकी थी जो कि बड़े सफाई के साथ अपना नाटक निभाना था और वह उसे अच्छी तरह से आता था,,,, मनीषा खुद उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह दरवाजे पर खड़ी थी अब उसकी बड़ी थी नाटक को आगे बढ़ाने का ऐसा जताने का कि उसे कुछ मालूम ही नहीं है,,,,।

मनीषा पूरी तरह से तैयार थी और वह गहरी सांस लेकर अपने आप को तैयार करते हुए एकदम से चौंकने का नाटक करते हुए जोर से चिल्लाई,,,।

मम्मी,,,, यह क्या हो रहा है,,,,?

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(मनीषा नाटक के भाग रूप इतनी जोर से चौंकने का नाटक करते हुए चिल्लाई थी कि उसकी आवाज सुनकर साधना एकदम से चौंक गई थी वह मदहोशी में अपनी आंखों को बंद की हुई थी लेकिन जैसे ही उसके कानों में ही आवाज पड़ी उसकी आंखें एकदम से खुल गई और अपनी आंखों के सामने अपनी जवान बेटी को खड़ी देखकर उसके तो होश उड़ गए,,,, उसी को समझ में नहीं आया कि वह क्या करें उसे तो अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था कि वह अपनी बेटी की आंखों के सामने चुदाई का मजा लूट रही है और उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसकी बेटी यह सब अपनी आंखों से देख चुकी है साधना की आंखें फटी की फटी रह गई थी आज तेरी से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था लेकिन वह अपनी हरकत को रोक पाती इससे पहले ही वह अपनी भारी भरकम गांड को तकरीबन चार पांच बार और पटक कर संजू के लंड को अपनी चूत के अंदर ले चुकी थी और यह मनीषा अपनी आंखों से देख रही थी इसे ही वह अंदाजा लगा ली थी कि अपनी बेटी की उपस्थिति में भी उसकी मां संजू के लंड को अपनी चूत में लेने से अपने आप को रोक नहीं पाई तो वह कितनी ज्यादा चुदवासी है,,,, साधना की हालत खराब हो गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें मनीषा की आवाज सुनकर संजू भी जानबूझकर डरने का नाटक कर रहा था और अंदर ही अंदर खुश भी हो रहा था वह पीठ के बल लेटा हुआ था साधना उसके ऊपर सवार थी वह अपने सर को दरवाजे की तरफ घूमा कर मनीषा की तरफ देख रहा था,,,, कुछ देर तक कमरे में पूरी तरह से खामोशी छाई रही मनीषा भी खामोश हो चुकी थी वह बस गुस्से का नाटक करते हुए अपनी मां को और संजू को गुस्से से देख रही थी साधना अपनी हालत पर गौर करके शर्म से पानी पानी में जा रही थी क्योंकि उसकी हरकत ही इस तरह की थी कि उसकी जगह कोई भी होता तो उसकी भी स्थिति यही होती आखिरकार कौन ऐसी मां हो कि जो अपनी ही बेटी की आंखों के सामने एक जवान लड़के से चुदवा रही होगी,,,।

अपनी स्थिति का भान होते ही साधना संजू के मोटे तगड़े लंड पर से अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर उठने लगी वह संजू के लंड को अपनी चूत में से बाहर निकाल रही थी,,, जो कि एकदम रगड़ हुआ बाहर की तरफ निकल रहा था जिसे मनीषा अपनी आंखों से एकदम साफ तौर पर देख रही थी,,,, और साधना संजू के लंड को अपनी चूत से पूरी तरह से बाहर निकालती इससे पहले ही बगल में पड़ी साड़ी को अपने नंगे बदन पर डालकर अपने नंगे पन को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी और धीरे से संजू के लंड पर से उठाते हुए वह बोली,,,।

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मममममम,,,,, मनीषा,,,,तु,,,, लेकिन तू तो मूवी देखने गई थी ना,,,,,(साधना एकदम घबराहट भरे स्वर में बोली)

अच्छा ही होता अगर मैं चली गई होती,,,, तो तुम्हारा यह घिनोना रूप तो मुझे देखना नहीं पड़ता,,,,।
(सफाई देने के लिए साधना के पास कुछ नहीं था कोई कारण नहीं था उसकी चोरी पकड़ी गई थी अपनी बेटी की आंखों के सामने वहां संजू के साथ रंगे हाथ चुदाई करवाते हुए पकड़ी गई थी इसलिए वह एकदम से रोने लगी,,,, मनीषा जानती थी कि यह सब कुछ होगा इसलिए वह नाटक के रूप में वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

मैं सोच भी नहीं सकती कि तुम इस तरह की हरकत करो कि मैं तो तुम्हारे बारे में कितना अच्छा सोचती थी कि मेरी मां एकदम संस्कारी है मर्यादा वाली है लेकिन आज मेरी आंखों पर से पट्टी हट गई,,,, न जाने तुम दोनों कब से यह काम लीला कर रहे हो,,,, कभी यह संजू बार-बार मेरे घर आता था मुझे तो कभी बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि यह मेरे घर क्यों आता है बार-बार लेकिन आज मुझे समझ में आ गया कि यह क्यों बार-बार घर पर आता था,,,, सिर्फ तुम्हारे लिए तुम ही इसको बुलाती थी घर पर अपनी जवानी की प्यास बुझाने के लिए,,,,,,,।
(मनीषा की बात सुनकर संजू को इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां सच्चाई ना कह दे की बहुत पहले से यह सब चल रहा है इसलिए वह बोला,,,)

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तुम गलत समझ रही हो मनीषा दीदी जो कुछ भी हुआ आज ही हुआ है और इसमें मौसी की कोई गलती नहीं है मे ही बहक गया था,,,,(संजू भी बिस्तर पर पड़े चादर को बिस्तर से खड़े होते हुए अपने बदन को ढकने की कोशिश करते हुए बोला,,, संजू की बात सुनकर साधना संजू की तरफ देखने लगी साधना अच्छी तरह से समझ रही थी कि संजू उसे बचाने की कोशिश कर रहा है लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी बस रोए जा रही थी,,,)

कुछ भी हो मैं यह नहीं सुनना चाहती कि गलती किसकी है लेकिन मैंने अपनी आंखों से जो कुछ भी अच्छी हूं वह बिल्कुल गलत है मम्मी को ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए और तूने भी विश्वास घात कीया है,,, जिसकी सजा तुम दोनों को मिलने ही चाहिए,,,।
(मनीषा की बात सुनकर साधना जोर-जोर से रोने लगी) रोने से काम चलने वाला नहीं है मम्मी तुम्हें इतनी बड़ी गलती कर दी हो तुमने पापा को धोखा दि हो,,,, तुम्हें जरा भी एहसास है कि अगर यह सब कुछ पापा को पता चलेगा तो उन पर क्या गुजरेगी वह तो तुम पर जान छिड़कते हैं,,,,, और तुम हो कि उनके पीठ पीछे यह सब काम नीला कर रही हो मुझे तो शर्म आ रही है तुम्हें अपनी मां कहने में,,,,
Sanju apni mausi k sath Masti karta hua

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यह क्या कह रही है बेटी,,,(साधना रोते हुए बोली)

मैं बिल्कुल ठीक कह रही हूं तुम एकदम बेशर्म हो गई हो मैं सब कुछ अपनी आंखों से देखी की कितनी बेशर्मी तुम दिखा रही थी,,,, और वह भी ऊपर चढ़कर,,,, ऐसे तो तुम्हें सीढ़ियां चढ़ने में भी पैर दर्द करता है लेकिन इस समय तो तुम पूरी ताकत लगा दी हो,,,,(मनीषा इस तरह के शब्दों का प्रयोग जानबूझकर कर रही थी वह अपनी मां को पूरी तरह से शर्मिंदा कर देना चाहती थी ताकि उसके पास कोई रास्ता ना हो जिसका असर साधना पर बड़ा गहरा पड़ रहा था वह अपने लिए अपनी बेटी के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर शर्म से गड़ी जा रही थी और सिर्फ रोए जा रही थी,,, वैसे भी अपनी मौसी का इस तरह से रोना संजू से देखा नहीं जा रहा था इसलिए वह बोला,,,)

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यह क्या कह रही हो मनीषा दीदी मौसी को कुछ भी भला बुरा कहने से पहले थोड़ा सोच समझ लेती,,, एक औरत होते हुए भी तुम एक औरत के मन को नहीं समझ पा रहे हो जो कुछ भी हुआ इसमें मेरी गलती शामिल है लेकिन कभी अपनी मम्मी के बारे में सोची हो एक औरत होने के बावजूद भी तुम उन्हें भला बुरा कह रही हो क्या उनके मन में उमंगी नहीं जागती होगी क्या उनकी इच्छा नहीं करती होगी अपनी शरीर की भूख मिटाने को,,,, तुम तो एक औरत हो तुम्हें तो समझना चाहिए अपनी मां पर इस तरह के इल्जाम लगा रही हो तुम जानती हो बाहर हर घर में यही सब चलता है क्योंकि जिस तरह से हम खाना खाते हैं इस तरह से जिस को भी भूख लगती है,,,, जिसे मिटाना भी बहुत जरूरी होता है,,,,

Sanju apni mausi ka blouse kholte huye

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संजू तू तो अपना मुंह बंद ही रख मैं देख ली हूं तेरी कारगुजारी अपनी ही मौसी के साथ इस तरह का काम करते हुए तुझे शर्म नहीं आई,,,,
(नाटक के तहत दोनों के बीच वार्तालाप शुरू हो चुका था,,,, संजू अपनी मौसी के सामने मनीषा को एक औरत की स्थिति बयां कर रहा था वह बोला,,)

देखो तुम मुझे चाहे जितना भी भला बुरा कह लो लेकिन मौसी को कुछ मत कहना क्योंकि इसमें मौसी की गलती बिल्कुल भी नहीं है मैं ही भाग गया था तो नहीं जानती मौसी इस उम्र में भी कितनी खूबसूरत है मैं जब घर पर आया तो मौसी शायद टीवी देख रही थी और दरवाजा खुलते ही मैंने मौसी को देखा कि,,,
मौसी के साड़ी का पल्लू उनके कंधे से नीचे गिर गया और मौसी की छाती देखकर मुझे रहने की और मैं ही मौसी को यह सब करने के लिए उकसाया,,,,
Sanju apni mausi ki chuchi pita hua

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और तुम्हारी मौसी मान गई तुम्हारे साथ हम बिस्तर होने के लिए,,,, यही चरित्र होता है एक औरत का वह भी इस उम्र में,,,,

मनीषा दीदी तुम समझ नहीं पा रही हो औरत का उम्र से कोई लेना-देना नहीं होता यह तो इच्छा की बात है किसी भी उम्र में जाग सकती है तुम्हारे मन में भी जाग गई होगी हम दोनों को देखकर,,,,

अपना मुंह बंद रखो जो कुछ भी यहां हो रहा है मैं सब कुछ पापा को बता दूंगी बस पापा को आने दो,,,,,(इतना कहने के साथ ही मनीषा वहां से अपने कमरे की तरफ चल दी तो पीछे से आवाज लगाते हुए उसे रोकने की कोशिश करने लगा लेकिन मनीषा कमरे में चली गई संजू और साधना अभी भी एक ही कमरे में थे दोनों निर्वस्त्र थे बस साधना ने साड़ी और संजू ने चादर लपेट रखा था अपने नंगेपन को छुपाने के लिए,,,,,, संजू भी केवल घबराने का नाटक कर रहा था लेकिन बुरी तरह से फंस चुकी थी साधना वह आश्चर्य से संजू की तरफ देख रही थी,,,, और रोते हुए संजू से बोली,,,)
Sanju apnii mausi ki peticoat utarta hua

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अब क्या होगा संजू,,,, अगर तेरे मौसा को यह सब पता चल गया तो मैं तो जीते जी मर जाऊंगी,,,

मैं भी तो यही सोच रहा हूं मौसी की अब क्या किया जाए हम दोनों बुरी तरह से फंस चुके हैं,,,(ऐसा कहते हुए संजू अपनी मौसी के बगल में जाकर बैठ गया और जानबूझकर चिंता तुर होने का नाटक करने लगा,,,)

देख संजू मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है तू ही इस मुसीबत से बाहर निकाल मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है किसी तरह से मनीषा को मना ले,,,।

मौसी,,,(कुछ देर खामोश रहने के बाद) मेरी यही सोच रहा हूं लेकिन यह सब से बचने का एक ही रास्ता है अगर तुम एतराज ना करो तो,,,
Sanju or uski mausi

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कौन सा रास्ता संजू जल्दी बता मैं तो मर जाऊंगी,,,,

अगर इस राज को राज रखना है अपनी गृहस्थी बचाना है तो मेरी मानो इस खेल में मनीषा को भी शामिल कर लो,,,

क्या,,,?(एकदम आश्चर्य से और थोड़ा नाराजगी दिखाते हुए संजू से बोली,,,)

मैं बिल्कुल ठीक कह रहा हूं मौसी,,,

तुझे पता भी है संजू की तू क्या कह रहा है जरा सा भी अक्ल है,,,, तू इस खेल में मनीषा को भी शामिल करने को कह रहा है,,,, जो कि ऐसा में होने नहीं दूंगी,,,,

Sanju apni mausi ki chut se khelta hua

तुम क्या सोच रही हो मौसी की मैं अपने शौक से उसे इस खेल में शामिल करने के लिए कह रहा हूं तुम्हारी गृहस्ती बचाने के लिए कह रहा हूं वैसे भी मुझे चुदाई का सुख तुमसे और मम्मी से तो मिल ही जाता है मेरे लिए मनीषा को चोदना ना चोदना कोई बड़ी बात नहीं है,,,, मेरी प्यास बुझाने के लिए तुम हो मम्मी है मुझे इतना ही काफी है,,,, लेकिन जरा सोचो अगर मनीषा दीदी ने यहां जो कुछ भी हुआ इन सब के बारे में मौसा जी को बताती तब क्या होगा,,,, तुम किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाओगी अपने ही घर में अजनबी की तरह रहना पड़ेगा और जो बरसों से अपने घर में अपनी साख बना कर रखी हो सब मिट्टी में मिल जाएगी,,,। मेरा क्या है अगर मनीषा ने सब कुछ बात भी दी तो मेरी तो तुम लोग के सामने इज्जत जाएगी और अगर मेरी मां को बता दी तो मेरी मां तो मेरे बारे में सब कुछ जानती है तुम्हारे बारे में सब कुछ जानती है मेरा कुछ बिगड़ने वाला नहीं है बिगड़ेगा तो सिर्फ तुम्हारा,,,,
Sanju ka mooh me leti huyi

(संजू की बातों को सुनकर साधना एकदम सच में पड़ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसे कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन इतना तो समझ में आ रहा था कि संजू जो रास्ता उसे दिखा रहा था वह बिल्कुल सही था लेकिन एक मां भला इस खेल में अपनी बेटी को शामिल कैसे कर लेते लेकिन इसके सिवा उसके पास कोई रास्ता भी नहीं था अपनी इज्जत बचाने के लिए उसे अपनी बेटी को भी इस खेत में शामिल करना बेहद जरूरी हो चुका था ताकि यह राज राज बनकर रह जाए,,,,,/)

जो भी कहना है जल्दी कहो मौसी नहीं तो मैं जा रहा हूं,,,, अगर मौसा जी आ जाए तो हो सकता है मुझ पर हाथ भी उठा दे,,,,

(साधना के पास कोई रास्ता नहीं था संजू की बात मानने में ही भलाई थी इसलिए वह धीरे से बोली)

लेकिन क्या मनीषा मान जाएगी,,,

क्यों नहीं मानेगी मेरे लंड पर तुम्हें कूदते हुए जो देख लिए उसके मन में भी तो अरमान जाग गए होंगे क्योंकि वह पूरी तरह से जवान है उसकी चूत में भी पानी आता होगा उसका भी मन लंड को देखने को उसे अपनी चूत में लेने को करता ही होगा,,,।
(संजू एकदम खुलकर एक मां के सामने उसकी बेटी के बारे में बात कर रहा था और एकदम गंदी भाषा का प्रयोग करते हुए अगर ऐसे हालात न होते तो शायद साधना संजू के गाल पर तमाचा लगा दी होती लेकिन इस समय वह पूरी तरह से फंस चुकी थी इसलिए संजू की एक भी बात का वह बुरा नहीं मान रही थी उसे तो बस इस मुसीबत से बाहर निकलना था इसलिए वह संजू की तरफ देखे बिना ही बोली,,,)

सब कुछ तेरे पर है जैसा तू ठीक समझे,,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मौसी,,,(बिस्तर पर से खड़ा होता हुआ) जिस तरह से तुम पागल हो इस तरह से मेरा लंड(चादर को आगे से खोलकर अपनी मौसी को अपना खड़ा लंड दिखाते हुए) देख कर मनीषा दीदी भी पागल हो जाएगी और फिर वह भी इस खेल में शामिल हो जाएगी देखना तुम बस यही पर इंतजार करो,,,
(और इतना कहने के साथ ही संजू चादर को अपने बदन से लपेटे हुए ही वह कमरे से बाहर निकल गया वह बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि उसके मन की जो हो गई थी मां बेटी दोनों को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोदने के लिए,, साधना संजू को कमरे से बाहर निकलते हुए देख रही थी और मन में प्रार्थना कर रही थी कि किसी भी तरह से मनीषा मान जाए,,, ।

संजू सीधा मनीषा के कमरे में गया और दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगा और एकदम से खुश हो गए मनीषा मुस्कुराते हुए बोली,,,)

कमरे का हाल कैसा है,,,?

एकदम बेहाल है मनीषा,,, जो कि सिर्फ तुम्हारे वहां चलने से ही ठीक हो सकता है,,,

क्या मम्मी मान गई,,,


बिल्कुल मान गई वह मुझे बोली की चाहत तुझे जो ठीक लगता है वैसा कर लेकिन किसी भी तरह से मेरी इज्जत बचा ले,,,

बाप रे मुझे तो यकीन नहीं होता की मम्मी इतनी जल्दी मान जाएगी,,,

अरे पागल जब बात इज्जत पर आ जाती है तो सब कुछ हो सकता है अब सोचो कितना मजा आएगा एक ही बिस्तर पर मां बेटी दोनों की एक साथ लेने में,,,

धत्,,,,, मुझे तो बहुत शर्म आ रही है,,,,


जितना ज्यादा शर्माओगी उतना ज्यादा मजा आएगा सोचो एक मां के सामने उसकी बेटी को चोदने में और एक बेटी के सामने उसकी मां को चोदने में मुझे कितना मजा आएगा,,,, अपनी मां को तो देख ही चुकी हो कैसे अपनी बड़ी-बड़ी गांड मेरे लंड पर पटक रही थी,,,

हां संजू तुम सच कह रहे हो मैं भी हैरान रह गई मम्मी को देखकर बिल्कुल भी थकावट नहीं थी बल्कि एकदम फुर्ती से भरी हुई थी,,,,

चुदाई चीज ही ऐसी होती है लंगड़े को भी दौड़ता कर देती है,,,,


चलो चलते हैं बिल्कुल भी देर किए बिना,,,,(मनीषा एकदम से जल्दबाजी दिखाते हुए बोली)

पागल हो गई हो इतनी जल्दी नहीं 10 15 मिनट रुको नहीं तो कहीं मौसी समझेगी की इतनी जल्दी कैसे तैयार हो गई,,,,


मुझसे तो बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है संजू,,,

मुझसे भी तो रहा नहीं जा रहा है लेकिन क्या करूं बस थोड़ा देर और,,,,

लेकिन मैं मम्मी के सामने शुरुआत नहीं करुंगी तुमको ही सब कुछ करना होगा,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मनीषा मैं सब कुछ संभाल लूंगा तुम दोनों मां बेटी को संभालने लायक तो मैं हो ही गया हूं,,,

क्या तुम एक साथ दो-दो को खुश कर सकते हो,,,

बिल्कुल मेरी रानी तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा,,,, मेरे लंड में,,(फिर से चादर को खोलकर अपना लंड दिखाते हुए) सारी रात में तुम दोनों मां बेटी की चुदाई कर सकता हूं बिना झडे,,,(संजू के खड़े लंड को देखकर मनीषा के मुंह में पानी आ गया वह अपना हाथ बढ़ाकर संजू के लंड को पकड़ ली और उस लंड पर लगी चिकनाहट को अपनी ऊंगली यो को आपस में रगड़ते हुए बोली,,,)

मम्मी की चूत की मलाई अभी तक तुम्हारे लंड पर लगी है,,,,


तुम्हारी मम्मी पानी बहुत छोड़ती है बिल्कुल तुम्हारी तरह,,,

आखिर बेटी भी तो उन्हीं की हुं,,,,

(थोड़ी देर दीवार पर टंगी घड़ी देखने के बाद संजू बोला,,,)

चलो अब चलते हैं समय हो गया है,,,(इतना कहने के साथ ही वह मनीषा का हाथ पकड़ कर उसे अपनी मां के कमरे की तरफ ले जाने लगा,,, लेकिन कैमरे के बाहरी उसे खड़ी करके वह पहले कमर में प्रवेश किया और उसे देखते ही साधना बोली)

क्या हुआ संजू मनीषा मानी की नहीं मानी,,,,

बिल्कुल मान गई है,,, मैं कहता था ना तुम्हें चुदवाते हुए देख कर उसकी चूत भी पानी छोड़ रही होगी,,,, लेकिन तुम्हें एतराज तो नहीं है ना,,,


बिल्कुल भी ऐतराज नहीं है आखिरकार मैं भी एक औरत हूं और वह भी एक औरत है औरत होने की नाते मुझे भी उसकी मन की इच्छा को समझना चाहिए,,,, लेकिन कहां है वह,,,


यही है कमरे के बाहर मनीषा आ जाओ मौसी तैयार हो गई है,,,,(संजू किस तरह बुलाने से भी मनीषा दीवार के पीछे खड़ी रह गई उसे अपनी मां के सामने आने में शर्म महसूस हो रही थी इसलिए संजू बोला) शर्माने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है इस हमाम में हम सब नंगे हैं,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू कमरे से बाहर गया और मनीषा का हाथ पकड़ कर उसे कमरे में लेकर आया,,,,
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये मनिषा तो बडी अदाकारा निकली किस तरह से अपनी माँ और संजू को दोष देते हुए ये सब पापा को बताने का कहकर अपने रुम में चली गयी
प्लाॅन के मुताबिक संजू ने साधना को पटाया की उसे भी इस खेल में सामिल करना होगा साधना मान भी गयी फिर क्या संजू निकल पडा मनिषा के रुम में कुछ बातें करी और वापस साधना के रुम में पहुंच गये खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 

Herry

Prince_Darkness
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Alok

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Kumarshiva

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Please kosis kariyega happy ending ho
Pichhli story ki trah nhi
 
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