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Incest मजबूरी या जरूरत

rohnny4545

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आराधना की तबीयत खराब होने से कुछ दिन तक मोहिनी ही शाम को खाना बनाने लगी थी क्योंकि उसे लगता था कि उसकी मां घर का सारा काम करके ऑफिस का काम करके थक जाती है उसे भी थोड़ा आराम की जरूरत है,,,, हालांकि आराधना मोहिनी के इस तरह से मदद करने से बेहद खुश थी,,, लेकिन वह मोहिनी को परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए मोहिनी के साथ वह भी खाना बनाने बैठ जाती थी,,, दूसरी तरफ आराधना का ध्यान अपने बेटे पर लगा रहता था क्लीनिक लेकर जाने पर जो कुछ भी वहां पर हुआ था उन दोनों के बीच उस बात को लेकर जिस तरह से खुले तौर पर चर्चा हुई थी उसे देखते हुए आराधना के तन बदन में उस पल को याद करके अजीब सी हलचल सी होने लगती थी,,, धीरे-धीरे उसका बेटा उसके सामने ही अश्लील शब्दों का प्रयोग करने लगा था लेकिन ना जाने क्यों आराधना अपने बेटे की इस तरह की हरकत पर एतराज जताने की जगह मन ही मन अंदर ही अंदर उसके कहे शब्दों से आनंद लेने लगी थी,,,,,,,,,, उसका बेटा जिस कदर उसके आकर्षण में पूरी तरह से बंधा हुआ था उसे देखते हुए आराधना ना चाहते हुए भी अपने बेटे के बारे में सोचने लगी थी आखिरकार वह भी एक औरत थी,, कभी-कभी तो आराधना को खुद लगने लगा था कि जो कुछ भी उसका बेटा कह रहा है उसमें शत-प्रतिशत सच्चाई है उसे भी वही सुख की जरूरत है जिस सुख के बारे में वह उससे बात करता था,,,,,,,,, आराधना जब कभी भी अपने बेटे के बारे में सोचती थी तो उसकी कही बातें याद आने लगती थी और वह उन बातों को याद करके अपने तन बदन में अजीब सी हलचल को महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो जाती थी,,, ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं होता था लेकिन जब से उसका बेटा उसका ख्याल रखने लगा था उसे समझने लगा था तब से आराधना के भी मन में ना जाने क्यों अपने बेटे को लेकर एक हरकत सी होने लगी थी,,,,,,,



दूसरी तरफ मोहिनी अभी तक अपने भाई को दुबारा अपनी चूत के दर्शन नहीं करा पाई थी,,,हालांकि उसका मन तो बहुत करता था एक बार फिर से अपने भाई के प्यासे होठों को अपनी चूत पर महसूस करने के लिए,,, उसके लंड अपनी चूत की पतली दरार पर रगड़ खाने के लिए,,,,लेकिन वहां यह सब जल्दी-जल्दी नहीं करना चाहती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके भाई को शक हो गया तो वह उसके बारे में क्या सोचेगा क्योंकि वह अपने भाई को यह जताना चाहती थी कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब कुछ अनजाने में हो रहा है,,,, इसीलिए तो मोहिनी दोबारा फ्रॉक नहीं पहनी थी और संजू अपनी बहन को फ्रॉक में देखना चाहता था उसकी चूत को अपनी आंखों से देखना चाहता था,,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,,,,,


ऐसे ही एक दिन रविवार का दिन था और छुट्टी होने की वजह से,,, कोई काम नहीं था तो मोहिनी अपने भाई को बुक खरीदने के लिए बोली थी जो कि थोड़ा दूर पर मिलता था और मोहिनी चाहती थी कि उसका भाई उसे स्कूटी पर बैठा कर ले कर जाए,,,क्योंकि उसका भी मन बहुत करता था जब वह कभी लड़के और लड़की को स्कूटी पर आते-जाते देखी थी तो वह भी उसी तरह से स्कूटी पर बैठ कर घूमने का मजा लेना चाहती थी और अब तो उसकी मां की जॉब की वजह से घर पर एक स्कूटी थी और उसी का फायदा उठाना चाहती थी और अपने मन की मुराद को पूरा करना चाहती थी इसलिए वह अपने भाई संजु से बोली,,,,।




संजू मुझे कुछ किताबे खरीदनी है,,, अगर तू स्कूटी लेकर चलता तो मैं भी तेरे साथ चलती और हम दोनों किताबें खरीद लेते,,,
(संजू का मन तो था छुट्टी के दिन स्कूटी लेकर घूमने का लेकिन वह नहीं जानता था कि उसकी बहन भी उसके साथ चलना चाहती है वह तो अंदर ही अंदर खुश होने लगा था क्योंकि जब से वह अपनी बहन की नंगी चूत का दर्शन किया था और उसके साथ थोड़ी बहुत अपनी मनमानी किया था तब से,,, उसके मन में मोहिनी के लिए अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,,, इसलिए अपनी बहन के प्रस्ताव पर वह ज्यादा सोच विचार किए बिना ही हां बोल दिया,,, उसकी मां को भी कोई एतराज नहीं था कि स्कूटी लेकर वह दोनों किताब खरीदने जाएं,,, क्योंकि वह भी दूसरे लड़कों को देखती थी घूमते हुए तो उसका भी मन करता था कि उसके बच्चे भी इसी तरह से घूमे फिरे,,, लेकिन पहले की स्थिति सही नहीं थी घर में स्कूटी नहीं थी लेकिन जब से वह जॉब करने लगी थी तब से ऑफिस की तरफ से उसे स्कूटी मिल गई थी जिससे उसके बच्चे भी अपनी इच्छा पूरी कर सकते थे,,, इसलिए संजू के जवाब देने से पहले ही वह बोली,,,)

हां चला जा संजू,,, वैसे भी किताब की दुकान थोड़ी दूरी पर है स्कूटी लेकर जाएगा तो अच्छा रहेगा,,,।


ठीक है मम्मी लेकिन पैसे,,,


तू पैसे की चिंता मत कर मेरे पास पैसे हैं रुक अभी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर आराधना अंदर कमरे में चली गई और अलमारी में से पैसे निकाल कर संजू को थमाते हुए बोली,,,)

ले और तुम दोनों कुछ खा भी लेना,,,।
(मोहिनी बहुत खुश नजर आ रही थी,,, आराधना एक तनख्वाह ले चुकी थी और उसमें के पश्चात से ही वह उन दोनों को पैसे दे रही थी संजू भी बहुत खुश था कि उसकी मां के जॉब करने से घर की काफी समस्या हल हो चुकी थी,,, बस अशोक को छोड़कर जो कि अब वह कम ही घर पर आता जाता था,,,अब इस परिवार का अशोक से केवल नाम का ही रिश्ता रह गया था,,,,, संजू और मोहिनी दोनों नाश्ता करके घर से निकल गए थे,,,संजू स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बैठने का इंतजार कर रहा था मोहिनी भी काफी खुश नजर आ रही थी वह सलवार और कमीज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी अपना उभार लेकर बाहर निकलने को मचल रही थी स्कूटी पर बैठने से पहले ही संजू एक नजर अपनी बहन पर डाल लिया था,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन की खूबसूरती उसकी मां की खूबसूरती से बिल्कुल भी कम नहीं थी बस दोनों के बदन के भराव का अंतर था,,, फिर भी इस उम्र में एक लड़की का खूबसूरत बदन जिस ढांचे में होना चाहिए था मोहिनी का पतन उसी ढांचे में तराशा हुआ था,,, छातियों की शोभा बढ़ाती दोनों नारंगी या अपने मदहोश कर देने वाले आकार के साथ मोहिनी की खूबसूरती बढ़ा रही थी नितंबों का घेराव सीमित रूप में भी बेहद मादक और घातक नजर आ रहा था,,,, संजू तो अपनी बहन के खूबसूरत पतन के बारे में सोच कर ही पागल हुआ जा रहा था और अपने आप को खुश किस्मत समझ रहा था कि बहुत से लोग उसकी बहन को कपड़ों में देखकर उसके नंगे पन की कल्पना करके अपने हाथ से हिला कर शांत हो जाते होंगे लेकिन उसने अपनी आंखों से अपनी बहन की नंगी जवानी के दर्शन कर चुका था,,, और तो और उसकी चूत की गर्मी को अपने बदन मे महसूस भी कर चुका था अपने लंड को उस पर रगड़ कर अपना पानी भी गिरा चुका था यह सब हरकत को संजू अपनी खुशकिस्मती समझ रहा था और वास्तव में ऐसा ही था,,,,।

मोहिनी स्कूटी पर दोनों टांगों को अगल-बगल करके बैठ गई थी और अपने भाई के कंधे पर दोनों हाथ रखकर उसका सहारा लेते हुए अपनी मां पर एक नजर डाली जो कि दरवाजे पर खड़ी होकर दोनों को देख रही थी,,,, और अपने भाई को चलने के लिए बोली,,,, संजू स्कूटी स्टार्ट कर के जैसे ही केयर में डालकर एक्सीलेटर दबाया वैसे ही तुरंत मोहिनी झटका खाकर आगे की तरफ अपने भाई की पीठ से सट गई,,,देखने में तो यह बेहद औपचारिक रूप से था लेकिन इसके बीच जो कुछ भी हुआ था उसे संजू अपने अंदर महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था मोहिनी की जानलेवा चूचियां सीधे-सीधे संजू की पीठ से दब गई थी और संजू अपनी बहन की चूचियों की रगड़ और दबाव को अच्छी तरह से महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,,,, यह वाक्यापल भर के लिए ही था लेकिन इस पल भर में संजू के तन बदन में अद्भुत हलचल को जन्म दे दिया था,,, क्योंकि संजू ने अपनी बहन की कड़ी निप्पल को अपनी पीठ पर चुभता हुआ महसूस किया था,,,,, लेकिन यह सब इतनी जल्दी हुआ था कि मोहिनी को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि उसकी वजह से उसका भाई पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है,,,।


electronic die

संजू स्कूटी को एक्सीलेटर देता हुआ आगे बढ़ाने लगा मोहिनी को बहुत अच्छा लग रहा था आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने भाई के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ उसकी स्कूटी पर बैठकर जा रही है,,,,,,मोहिनी के लिए यह पहला मौका था जब वह स्कूटी पर बैठकर अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी स्कूटी पर बैठना भी उसके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था,,,, स्कूटी पर बैठे-बैठे इधर-उधर देखते हुए आगे बढ़ने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप बिल्कुल भी नहीं हो रही थी क्योंकि संजु तो पहले से ही अपनी बहन की चूची की रगड़ को अपनी पीठ पर महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो गया था और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा था,,,,,,,,, संजू को भी किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं थी इसलिए वह आराम से स्कूटी चला रहा था,,,,,,, और बात की शुरुआत करते हुए वह मोहिनी से बोला,,,।

तुझे कौन सी बुक लेनी है,,,


अरे दो-तीन बुक लेनी है,,, अच्छा हुआ भैया की मां की जॉब लग गई और उन्हें आने-जाने के लिए स्कूटी मिल गई हम लोगों का भी काम आसान हो गया नहीं तो हम लोग कहां स्कूटी से घूमने वाले थे,,,


हां बात तो तू सच ही कह रही है,,,मैं भी अपने दोस्तों को गाड़ी से आती जाती देखता था तो मैं भी सोचता था कि ना जाने कब ऐसा दिन होगा कि मैं भी इसी तरह से गाड़ी से आऊंगा जाऊंगा लेकिन वहां की बदौलत देख हम दोनों स्कूटी पर घूम रहे हैं,,,,(इतना कहना था कि तभी अचानक छोटा सा खड्डा आ गया और संजू ब्रेक लगा दिया मोहिनी अपने भाई के कंधे पर हाथ रख कर बैठी हुई थी और एकाएक ब्रेक लगने की वजह से एकदम से उससे सट गई और एक बार फिर से संजीव को अपनी बहन की नरम नरम चुचियों का कड़क पन अपनी पीठ पर महसूस हुआ और इस बार संजू पूरी तरह से गनगना गया क्योंकि मोहिनी एक दम से झटका खाकर उसकी पीठ से एकदम से चिपक गई थी जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल नारंगी या एकदम दबती हुई संजू को अपनी पीठ पर महसूस हुई थी दोनों नारंगीयो का इस तरह से पीठ पर दबने की वजह से संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, और मोहिनी अपने आप को संभालते हुए बोली,,)


देख के,,,,,


देख तो रहा हूं एकाएक खड्डा आ गया,,,


चल ठीक है,,,,।



(संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया था इस बार मोहिनी को इस बात का अहसास हुआ था कि उसकी चूची पूरी तरह से उसके भाई की पीठ से सट गई थी,,, और इस बार उत्तेजना की झनझनाहट उसके तन बदन को भी झकझोर कर रख दी थी,,,, ,, रास्ते भर एक से एक होटल और एक से एक गेस्ट हाउस आता जा रहा था गेस्ट हाउस के बाहर खूबसूरत खड़ी लड़कियाें को देखकर संजू अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन इन सब से मोहिनी अनजान थी,,, उन लड़कियों को देख कर संजू अपने मन में सोच रहा था कि यह भी कितना अच्छा है मर्दों के लिए कि पैसा देखकर कुछ भी कर सकते हैं और वह लड़कियां भी पैसा लेकर कुछ भी करवाने को तैयार हो जाती हैं,,,, उसके पास पैसा होता तो शायद वह भी घंटे भर के लिए गेस्ट हाउस में जरूर जाता और वह भी एक खूबसूरत लड़की के साथ जिसे वह बिल्कुल भी जानता ना हो पहचानता ना हो,,,संजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अनजान लड़की के साथ चुदाई करने में कितना अद्भुत सुख मिलता होगा जिसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानता हो ना वह लड़की उसके बारे में जानती हो,,,, यही सब सोचकर संजू अपने मन को बहलाने की कोशिश कर रहा था कि तभी एक जगह पर रोकने के लिए मोहिनी संजू से बोली,,,।)

बस बस यहीं पर यहीं पर रोक दो,,,,
(सामने बुक की दुकान देख कर संजू भी ब्रेक मार कर स्कूटी पर साइड में लगाकर खड़ी कर दिया,,, मोहिनी स्कूटी पर से उतरी और बुक स्टॉल में प्रवेश कर गई पीछे-पीछे संजू भी,,,यहां पर दुनिया भर की किताबें रखी हुई थी हर जात की मस्जिद से लेकर के कॉलेज की किताबों तक सब का ढेर लगा हुआ था,,,,)

तो किताबें खरीद मैं तब तक दूसरी किताबे देख लो यहां पर तो किताबों का ढेर लगा हुआ है,,,


तभी तो मैं यहां आने के लिए बोली थी क्योंकि जो किताबें कहीं नहीं मिलती यहां मिल जाती हैं,,,


ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ संजु कुछ मैगजीन को लेकर उनके पन्ने पलट कर देखने लगा,,, और मोहिनी अपने लिए किताब निकलवाने लगी थोड़ी देर में मोहीनी अपनी जरूरत की किताब को निकाल कर अपने भाई से पैसे लेकर उस किताब को खरीद चुकी थी,,,, लेकिन यहां पर इतनी सारी किताबें थी कि मोहिनी एक-एक करके सारी किताबों को हाथ में लेकर देख रही थी,,, संजू की दूसरी तरफ मेगज़ीन के पन्ने छांट रहा था अभी महीने की नजर एक किताब पर पड़ी जो कि थोड़ी छोटी सी थी और उस पर लिखा था भाई का प्यार कुतुहल बस मोहिनी उस किताब को लेकर देखने लगी,,,, किताब के मुखपृष्ठ पर एक लड़का और एक लड़की की फोटो छपी हुई थी जो कि एक दूसरे को चिम्मन कर रहे थे,,,, मुखपृष्ठ के रंगीन दृश्य को देखकर मोहिनी को समझ में नहीं आया कि यह कैसा भाई का प्यार किताब है इसलिए वह पन्ने पलट कर अंदर की कुछ लाइनों को पढ़ने की कोशिश करने लगी और बीच के पन्ने को पलटते ही जिस लाइन को वह पढ़ रही थी उसे पढ़कर उसके होश उड़ गए,,,, उस लाइन में लिखा हुआ था,,, "भैया ने मुझ पर बिल्कुल भी रहे नहीं किया और पहली बार में ही अपने लंड पर तेल लगाकर मेरी बुर में डाल दिया,,,,"

इस लाइन को पढते ही मोहीनी की आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी उसने पढी थीवह सच में उस किताब में लिखा हुआ था वह अगल-बगल नजर घुमा कर देखने लगी कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,जब उसे पूरी तरह से तसल्ली हो गई कि कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा है तो वह दूसरा पन्ना पलट कर उसमें की लाइन पड़ने लगी जिसके पडते ही उसकी चूत से काम रस टपकने लगा उसमें लिखा था,,,।


आधी रात को भैया अपने कमरे से निकलकर एकदम चुप चाप चोर कदमों से मां की नजर से बचकर मेरे कमरे में आए और मैंने पहले से ही दरवाजे की कुंडी खोल रखी थी और अंदर प्रवेश करते ही भाई ने खुद दरवाजे की कुंडी लगाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी बाहों में लेकर बेतहाशा मेरे होठों का रसपान करते हुए कमीज के ऊपर से ही मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया,,,,(इतना पढ़ते ही महीने के तन बदन में आग लगने लगी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और फिर से सबकी नजरें बचाकर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,) मैं कुछ भी कर सकेंगे की स्थिति में नहीं थी मैं तो भैया की हरकत का मजा ले रही थी भैया तुरंत मेरे सलवार की डोरी खोल कर सलवार को मेरे बदन से अलग कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठाकर पलंग पर लाकर पटक दिए,,,, मेरी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,मैं पहली बार अपने भाई के लंड को देख रही थी एकदम 8 इंच का लंबा मोटा तगड़ा लंड देखकर मेरी बुर से पानी निकलने लगा,,,,।
(मोहिनी की हालत खराब होने लगी थी,,,मोहिनी की इच्छा उस किताब को वापस रखने की बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन उस किताब को खरीद भी नहीं सकती थी,,,लेकिन उसके आगे की लाइन पढ़ने के लिए वह बेहद व्याकुल नजर आ रही थी इसलिए फिर से सबसे नजर बचा कर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,।)
मैं पलंग पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,,, भैया मेरी टांग को पकड़कर अपनी तरफ खींच कर एकदम पलंग के किनारे कर दी है और अपनी उंगलियों को हरकत देते हुए मेरी पैंटी को अपनी उंगली में फंसाकर खींचना शुरू कर दिए मैं भी उनका साथ देते हुए अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाकर पेंटिंग निकलवाने में उनकी मदद करने लगी,,,और देखते ही देखते मेरे भैया ने मुझे पूरी तरह से अपनी ही तरह एकदम नंगी कर दिया था,,,यह सब कुछ मेरे लिए पहली बार था इसलिए कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन मेरा भैया बहुत जानकार था और वह अगले ही पल मेरी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने प्यासे होठों को मेरी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर हुआ जा रहा था और मैं अपने दोनों हाथ को अपने भाई के सर पर रख कर उसे उत्तेजना के मारे जोर जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी,,,,।
( ईतना पढ़ते ही मोहिनी को अपनी पेंटिं गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, मोहिनी सबसे नजर बचा कर वह पन्ना पलट कर उसका दूसरा पन्ना पड़ने लगी जिसके पढ़ते ही वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाई और उसकी चूत से बदल रस फूट पड़ा,,, उस अगले पन्ने पर लिखा था,,,) भैया का लैंड तेल लगाने की वजह से बड़े आराम से मेरी बुर के अंदर बाहर हो रहा था भैया अपनी कमर हिला हिला कर मुझे चोद रहा था मैं भी एकदम मस्ती में अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,,, मां की नजरों से बचकर उसके ही बगल वाले कमरे में हम भाई बहन चुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे,,,,(मोहिनी इससे ज्यादा पढ़ पाती इससे पहले ही संजू की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,)

हो गया मोहीनी,,,,।


ह,ह, हां,,,,, हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी उस किताब को उसी जगह पर रख दी क्योंकि उसका भी हो गया था उसका भी काम रस निकल चुका था जिससे उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,, अपनी भावनाओं पर काबू करके वह किताब की दुकान से बाहर निकल गई,,,,लेकिन उसकी सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी पेंटी में चिपचिपाहट महसूस हो रही थी,,,, उसके भाई को मोहिनी के हालत के बारे में बिल्कुल भी खबर नहीं थी वरना जिस तरह से मोहिनी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी अगर उसके भाई को जरा भी इस बात का एहसास होता तो शायद वह किसी केस था उसमें अपनी बहन को ले जाता और वही जमकर चुदाई करता,,,, स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बेठते ही संजू बोला,,,)

तुझे क्या खाना है,,,


मुझे तो चाइनीज खाना है,,,,,,


ठीक है चल तुझे चाइनीज खिलाता हूं,,,,।
(जब तक संजू स्कूटी को चाइनीस की रेस्टोरेंट्स के सामने नहीं रोक दिया तब तक मोहिनी उस किताब के बारे में सोचने लगी और उसमें लिखी हुई बातों के बारे में,,,मैंने पहली बार इस तरह की किताब पढ़ रही थी जिसमें गंदे में शब्दों में सब कुछ खुला खुला लिखा था और वह भी भाई-बहन के बीच गंदे संबंध के बारे में,,,,महीने के दिलों दिमाग पर बार-बार किताब में लिखी हुई वही सब लाइने घूम रही थी,,,,,मोहिनी की हालत वाकई में एकदम खराब हो चुकी थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और किताब में लिखी बातों को अपने भाई के साथ सच करने का सोच रही थी,,,, तभी स्कूटी खड़ी करके संजू और मोहिनी स्कूटी पर से उतर गए और संजू उसे रेस्टोरेंट में चलने के लिए बोला,,,, दोनों रेस्टोरेंट में आकर खाली टेबल पर बैठ गए और वेटर को ऑर्डर करके बातें करने लगे,,,)


आज कितना अच्छा लग रहा है ना मोहिनी इस तरह से रेस्टोरेंट में हम दोनों ने कभी नाश्ता नहीं किया होगा,,, लेकिन मम्मी की बदौलत,,, हम दोनों को ऐसा लग रहा है कि जैसे हम दोनों कोई अपना अधूरा सपना पूरा कर रहे हैं है ना,,,।


हां भाई एकदम ठीक कह रहा है मैं तो कभी सोची भी नहीं थी कि जिस तरह से हम दोनों स्कूटी पर घूमेंगे और किसी रेस्टोरेंट में नाश्ता करेंगे,,,,।
(वह दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी वेटर दो प्लेट लेकर आगे और टेबल पर रख कर चला गया दोनों कांटे वाली चम्मच से चाइनीस खाने लगे,,, रेस्टोरेंट के सामने ही गेस्ट हाउस था जिसके नीचे कुछ लड़कियां सज धज कर खड़ी थी,,,मोहिनी उन्हीं लड़कियों को देख रही थी लेकिन मोहिनी यह बात नहीं जानती थी कि वह लड़कियां गेस्ट हाउस के नीचे खड़ी क्यों है,,, मोहिनी खाते हुए वही देख रही थी कि तभी गेस्ट हाउस के सामने एक रिक्शा आकर रुकी और उसमें से एक आदमी और एक नौजवान लड़की नीचे उतरी,,,, उस आदमी को देखकर मोहिनी पहचान लिया और संजू से बोली,,,।


संजू वह देख पापा रिक्शा से अभी-अभी उतरे हैं लेकिन उनके साथ वह लड़की कौन है जो मुंह पर दुपट्टा बांधी हुई है,,,।
(मोहिनी की बात सुनकर संजू एकदम सौंपते हुए उस दिशा में देखा तो उसके भी होश उड़ गए क्योंकि रिक्शा से उतरने वाले उसके पापा ही थे और उसके साथ जो लड़की थी अपने मुंह पर दुपट्टा पानी हुई थी और वह दोनों गेस्ट हाउस के सामने उतरे थे,,, संजू को पूरा मामला समझते देर नहीं लगी थी,,,मोहिनी के पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस की सीढ़ियां चढ़ने लगे थे यह देखकर मोहिनी बोली,,,।)

भाई पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस में जा रहे हैं वह लड़की है कौन,,,?(मोहिनी आश्चर्य से गेस्ट हाउस की तरफ देखते हुए बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन संजु सब कुछ समझता था,,, लेकिन वह मोहिनी को बताना नहीं चाहता था इसलिए बात को टालने की गरज से वह बोला,,,)

अरे मोहीनी उनकी कंपनी की कोई एम्पलाई होगी मीटिंग में आए होंगे,,,।


लेकिन इस तरह से हाथ पकड़ कर,,,


अरे तो क्या हुआ,,, तू ज्यादा मत सोच जल्दी से खत्म कर हमें घर चलना है,,,,।
(संजू मोहिनी का ध्यान वहां से हटाने के लिए बोला और मोहिनी भी ज्यादा ना सोचते हुए खाना शुरु कर दी लेकिन संजू का दिमाग घूमने लगा था क्योंकि जो कुछ भी उसने आंखों से देखा था उसमें कुछ भी उसकी बातों को गलत साबित नहीं कर सकता था संजीव जानता था कि गेस्ट हाउस में उसके पापा किसी लड़की को लेकर आई थी और वह उसकी चुदाई करने के लिए निकल गए थे जिसका मतलब साफ था कि उसके पापा परिवार की जिम्मेदारी से पूरी तरह से भटक चुके हैं और जो पैसा परिवार के पीछे खर्च करना चाहिए था वह लड़की चोदने के पीछे खर्च हो रहा था,,,,संजू को अब समझ में आ गया था कि उसके पापा घर पर पैसे क्यों नहीं देती थी क्योंकि उसके पापा के पैसे इन्हीं सब कामों में खर्च हो रहे थे संजु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,, दोनों खा चुके थे और संजू मिल चुका कर रेस्टोरेन से बाहर आ गया था और स्कूटी पर अपनी बहन को बिठाकर घर की तरफ लौटने लगा था संजु इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि
मोहिनी घर पर जाकर मम्मी को सब कुछ बता देगी कि उसने पापा को किसी लड़की के साथ देखा है और उसकी मम्मी को समझते देर नहीं लगेगी कि सारा मामला क्या है इसलिए संजू रास्ते में ही मोहिनी को,,,अपने पापा के देखने वाली बात क्यों मम्मी से ना बताने के लिए बोल दिया था और मोहिनी भी इस बात से राजी हो गई थी,,,,,,।

मोहिनी दिन भर अपने पापा वाली बात तो भूल गई थी लेकिन उस किताब वाली बात को नहीं भूल पा रही थी बार-बार उस में लिखी बातें मोहिनी के दिमाग पर छा रही थी किताब में लिखी सारी बातें मोहिनी के दिमाग पर कब्जा जमाए हुए थे और इसी के चलते वह एक बार फिर से अपने भाई को अपनी चूत के दर्शन करा कर मोहित करना चाहती थी इसलिए वहां रात को सोते समय फ्रॉक पहन ली थी और जब संजू ने देखा कि उसकी बहन फ्रॉक पहनी हुई है तब अपने आप ही संजु का लंड खड़ा होने लगा,,, खाना खा कर आराधना अपने कमरे में चली गई थी और संजू और मोहिनी अपने कमरे में आ गए थे,,, अपनी बहन को फ्रॉक में देखकर संजू का दिल जोरो से धड़क रहा थाऔर वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि उस दिन की तरह आज भी उसकी बहन अगर पेंटी ना पहनी हो तो बहुत मजा आ जाए,,,,
 
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GURUOO9

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आराधना और संजू दोनों घर पर आ चुके थे अभी मोहिनी घर पर आई नहीं थी,,, आराधना को थकान सी महसूस हो रही थी इसलिए वह कुर्सी पर बैठकर गहरी सांस ले रही थी,,, संजू अपनी मां से बोला,,,।

तुम आराम करो मैं चाय बना देता हूं तब दवा पी लेना,,,


नहीं रहने दो संजु तु तकलीफ मत उठा,,,, मैं बना लूंगी,,,


अरे इसमें तकलीफ वाली कौन सी बात है अगर तुम्हारी जगह में बीमार होता तो क्या तुम मेरे लिए इतना नहीं करती आखिर मेरा भी तो कोई फर्ज बनता है,,,,।


(इतना कहने के साथ ही संजू रसोईघर में चला गया,,, लेकिन घर में दूध नहीं था इसलिए दूध लेने के लिए बाहर डेरी पर चला गया संजू के बाहर जाते ही आराधना अपने मन में सोचने लगी कि अगर संजू इतना समझदार नहीं होता तो उसका क्या होता,,,,, उसका जीवन एकदम निरर्थक हो जाता,,,आराधना अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा उसका कितना ख्याल रखने लगा है पर इसके पीछे की वजह वह जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश कर रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके प्रति उसके बेटे की आकर्षण ही उसे इतना समझदार बना रही है,,,, क्योंकि संजू का अगर उसके प्रति मां वाला और अपने प्रति बेटे वाला एहसास होता तो शायद वह उसे पाने की चाह नहीं रखता उसे भोगने की इच्छा कभी नहीं रखता,,, लेकिन संजू के लिए उसकी मां के प्रति आकर्षण मां का नहीं बल्कि एक औरत का था,,,इसलिए आराधना को कभी-कभी चिंता होने लगती थी लेकिन जिस तरह से उसने आज उसके सिर की मालिश किया और उसे क्लीनिक लेकर गया यह एहसास ही आराधना के लिए बहुत मायने रखता था जिस हालात में उसे अपने पति का साथ चाहिए था ऐसे हालात में उसे उसके बेटे का सहारा मिल रहा था,,, पति से तो अब उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,, आराधना को अपने प्रति अपने बेटे का व्यवहार देखकर अच्छा भी लगता था,,,, आराधना अपने मन में अपने बेटे के लिए सब सोच रही थी कि तभी उसे क्लीनिक वाला डॉक्टर याद आ गया कि कैसे वह उसके बेटे की आंखों के सामने ही आला से ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा दबा कर बुखार नाप रहा था,,, और तो और उसके बेटे की आंखों के सामने ही उसके हाथ में सुई लगाने की जगह जानबूझकर उसकी कमर के नीचे उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाया था और वह भी अपने हाथों से साड़ी को नीचे की तरफ खींच कर,,,,आराधना को तो इतना यकीन था कि जिस तरह से जितनी साड़ी को वह कमर से नीचे खींचा था जरूर उसे नितंबों की वह पतली लड़की की ऊपरी सतह जरूर नजर आ गई होगी,,और आराधना यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरतों के नितंबों की ऊपरी वाली लकीर एक औरत की उत्तेजना में कितनी मदद करती है,,, जरूर डॉक्टर के साथ-साथ उसके बेटे ने भी उस लकीर को देखा होगा,,,,



आराधना कुर्सी पर बैठे बैठे गहरी सांस लेते हुए अपने मन में सोचने लगी कि डॉक्टर वाली बात उसके बेटे से पूछा जाए तो उसका बेटा क्या जवाब देता है,, क्या उसके बेटे को डॉक्टर की नीयत का पता चल गया था कि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में या डॉक्टर जानबूझकर कर रहा था यही सब जानने के लिए वह अपने बेटे से पूछना चाहती थी लेकिन उसका बेटा अभी दूध लेने गया हुआ था मोहिनी के आने में अभी थोड़ा वक्त था,,,, ना जाने क्यों आराधना को अपने बेटे से बात करने में अब अजीब सी सुख की अनुभूति होने लगी थी उसे अच्छा लगने लगा था,,,,। बदन में बुखार था लेकिन आराधना राहत महसूस कर रही थी क्योंकि सर दर्द गायब हो चुका था और यही उसकी सारी उलझन की वजह भी थी वरना वह मेडिकल से कोई भी बुखार की टेबलेट लेकर ठीक हो सकती थी,,,लेकिन अपने बेटे की जीत के आगे उसकी एक भी नहीं चली और वहां क्लीनिक जाकर दवा लेकर आई,,,।

थोड़ी ही देर में दूध लेकर संजू घर पर वापस आ गया,,, संजू किचन में जाकर स्टोव चालू किया और उस पर कतीरा रखकर उसमें पानी डालने लगा ठीक रसोई घर के सामने कुर्सी पर आराधना बैठी हुई थी जहां पर दोनों एक दूसरे की नजरों के सामने थे,,,।आराधना डॉक्टर वाली बात संजू से करना चाहती थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था की शुरुआत कैसे करें,,,,। तभी बात की शुरुआत करते हुए आराधना 1 बहाने से संजू से बोली,,,।


संजू एक खुराक अभी खाना है ना,,,


हां मम्मी इसीलिए तो मैं चाय बना रहा हूं ताकि कुछ नाश्ता करके तुम चाय पी लो और उसके बाद दवा खा लो,,,।

ठीक है,,,, मैं तो समझी थी कि रात को खाना है,,,


नहीं नहीं रात को तो दूसरी खुराक खाना है अभी ना खाकर अगर रात को खाओगे तो बुखार बढ़ जाएगा,,,,।


ठीक है अच्छा हुआ तू मेरे साथ था वरना दवा कब खाना है मुझे समझ में ही नहीं आता,,,,(संजू चाय बनाना अच्छी तरह से जानता था इसलिए अपनी मां से बिना पूछे चाय बनाने की रीति को आगे बढ़ा रहा था और आराधना अपनी बात को एक बहाने से आगे बढ़ाते हुए बोली) अच्छा संजू तुझे डॉक्टर कुछ अजीब नहीं लग रहा था,,,,।


मतलब मैं समझा नहीं,,,


अरे मेरा मतलब है कि उसकी हरकतें,,,,




हां मम्मी तुम सच कह रही हो मुझे भी उसकी हरकत कुछ अजीब सी लग रही थी,,,,औरतों को कोई दोपहर इस तरह से चेकअप नहीं करता जिस तरह से वह चेकअप कर रहा था,,,।

हां वही तो,,,।


देखी नहीं कितनी बेशर्मी से आले की नोब को तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था,,,।(चाय पत्ती को उबलते हुए पानी में डालते हुए संजू बोला और उसकी बात सुनकर आराधना एकदम उत्तेजना से सिहर उठी,,, क्योंकि संजु को भी इस बात का अहसास था कि डॉक्टर जिस तरह से उसका बुखार चेक करने के लिए ब्लाउज के ऊपर से अपनी लोग को दबा रहा है वैसा नहीं किया जाता,,, फिर भी संजू की बात का जवाब देते हुए बोली,,,)


हां तो ठीक कह रहा है किसी डॉक्टर ने आज तक मेरे साथ इस तरह की हरकत नहीं किया अगर आला लगाता भी था तोब्लाउज के एकदम ऊपर के साइड पर लगा कर चेक करता था इस डॉक्टर की तरह नहीं एकदम चुचि,,,(इतना कहने के साथ ही आराधना एकदम से चौक गई और अपने शब्दों को जबान में ही रहने दे लेकिन इतने सही संजू के तन बदन में आग लग गई थी क्योंकि वह अपनी मां के मुंह से चूची शब्द सुन रहा था,,,, संजू जानबूझकर एकदम सहज बना रहा क्योंकि वह किसी भी तरह से अपनी मां को यह नहीं जताना चाहता था का उसके मुंह से चूची शब्द सुनकर उस पर किसी भी प्रकार का असर पड़ा है,,, और आराधना शर्मा कर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) एकदम ब्लाउज के ऊपर से ही बुखार नापने लगो,,,


तुम सच कह रही हो मम्मी उसकी हरकत तो मुझे भी खराब लग रही थी लेकिन क्या करूं डॉक्टर था ना इसलिए कुछ बोल नहीं पाया,,, क्योंकि कोई भी डॉक्टर इस तरह से औरतों का चेकअप नहीं करता है,,,, देख नही रही थी ब्लाउज के ऊपर से भले ही वह आला लगा कर चेक कर रहा था लेकिन उसे दबाना तो नहीं चाहिए था मैं एकदम साफ देख रहा था कि वह तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर आला रखकर उसे दबा रहा था जिससे तुम्हारी चूची,,,,(जानबूझकर हडबडाने का नाटक करते हुए) मेरा मतलब है कि ब्लाउज वाला हिस्सा दब रहा था,,,.
(अपने बेटे के मुंह से चूची शब्द सुनकर आराधना भी गनगना गई थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी थी,,,)

हां तो ठीक कह रहा था संजु इतना कोई दबाता नहीं है,,,शरीर के दूसरे भाग पर रखने के बावजूद भी हल्का-हल्का से स्पर्श करता है लेकिन इस डॉक्टर की हरकत कुछ ज्यादा ही खराब थी,,,, देखा नहीं इंजेक्शन लगाने के लिए कैसा किया उसने,,,,।


हां मम्मी मैं भी इतना तो जानता ही हूं कि औरतों को हाथ पर सुई लगाया जाता है लेकिन उस ने तो हद कर दिया,,,,


हां देखा नहीं कैसे साड़ी को नीचे करके इंजेक्शन लगाया,,,


मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था मम्मी लेकिन क्या करूं तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं थी ना इसलिए मैं कुछ बोला नहीं,,,,,

डॉक्टर को तुझे बोला तो था कि साड़ी को थोड़ा सा नीचे कर दें लेकिन तू भी नहीं कर पाया उसे अपने हाथ से करना पड़ा,,,, मुझे तो बहुत शर्म आ रही थी,,,,।


अब मैं क्या करता मम्मी तुम साड़ी ईतनी कसके बांधी हुई थी कि मेरे हाथ से नीचे आ नहीं रही थी,,,,


तू कर दिया होता तो कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन वह अपने हाथों से नीचे किया और कुछ ज्यादा ही नीचे कर दिया था,,,,।


हां मम्मी,,,(चाय एकदम पक चुकी थी चाय में उबाल आने लगी तो वह फक्कड़ से पतीले को पकड़कर नीचे उतारने लगा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मुझे भी ऐसा ही लगा क्योंकि वह साड़ी को इतना खींच दिया था कि,,,, तुम्हारी गां,,,,,,(इतना कहते ही एकदम बात को बदलते ही बोला) नजर आने लगी थी,,,,.
(आराधना समझ गई थी कि उसका बेटा क्या बोलना चाह रहा था उसके मुंह से उसे शब्दों को सुनकर आराधना की हालत खराब होने लगी उसकी फिर से टपकने लगी थी,,, आराधना जानते हुए भी फिर से संजू से बोली)


क्या नजर आने लगी थी,,,

अरे वही साड़ी कुछ ज्यादा ही खींच दीया था उस डॉक्टर ने,,,,


मतलब,,,?


(संजू को लगने लगा था कि उसकी में बातों ही बातों में खुलने लगी है और यही सही मौका है अपनी मा से कुछ अश्लील बातें करने का,,, इसलिए वह इस बार खुलकर बताते हुए बोला,,,)


मतलब की मम्मी मै कैसे बोलूं मुझे तो बताते शर्म आ रही है,,,(इतना कहते हुए वह चाय के दो कप निकालकर उसने चाय गिराने लगा,,,)




ऐसा क्या कर दिया डॉक्टर ने कुछ ज्यादा बदतमीजी किया था क्या,,,?(आराधना जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए बोली)


तो क्या मम्मी किसे बदतमीजी ही कहेंगे लेकिन पेसेंट लोग कर भी क्या सकते हैं देखी नहीं थी तुम्हारी साड़ी कितना नीचे खींच दिया था यहां तक कि तुम्हारी ,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा रुक कर दोनों कब को अपने हाथ में उठाते हुए) गांड अच्छी खासी नजर आने लगी थी और उत्तर की जो दोनों के बीच की लकीर होती है वह एकदम बिंदु की तरह नजर आ रही थी,,,,,।
(आराधना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से जिस डॉक्टर से साड़ी को नीचे की तरफ खींचा था जरूर उसे ; अच्छा शाखा संभाग नजर आने लगा होगा लेकिन फिर भी यह सब जानते हुए भी एकदम आश्चर्य से खुला का खुला छोड़ते हुए बोली)

बाप रे क्या सच में तू जो कह रहा है ऐसा ही हुआ था,,,


तो क्या मम्मी,,,, तभी तो मुझे गुस्सा आ रहा था डॉक्टर मुझे हरामी लग रहा था,,,,(चाय का कप अपनी मां को थमाते हुए) सही कहु तो वह तुम्हारी देखने के लिए ही ऐसा किया था,,,।

धत्,,,ऐसा थोड़ी है,,,(चाय का कप अपने हाथ में पकड़ते हुए)


हां मम्मी ऐसा ही है तुम नहीं जानते सारे डॉक्टर ने तुम्हारी जैसी खूबसूरत होगा तभी तक नहीं देखा होगा इसके लिए उसने ऐसी हरकत किया,,।(संजू की बातों में एक तरफ डॉक्टर के लिए शिकायत ही तो एक तरफ उसकी मां के लिए उसकी खूबसूरती की तारीफ भी थी इसलिए आराधना अपने मन में खुश हो रही थी कि अगर उसके बेटे की बात सही है तो उसकी जवानी आज भी बरकरार है जिसे देख कर आज भी मर्द पानी पानी हुआ जा रहा है,,,)


नहीं ऐसा नहीं कह सकते कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए) शायद उसके ऐसे में यह सब आता होगावैसे भी डॉक्टर से शर्म नहीं किया जाता और ना ही डॉक्टर भी शर्म करता है तभी इलाज बराबर होता है,,,)

वह तो ठीक है मम्मी लेकिन तुम नहीं जानती कि मैं जो कुछ भी कह रहा हूं एकदम पक्के तौर पर कह रहा हूं ऐसे ही हवाबाजी नहीं कर रहा हूं,,,,।


क्यों ऐसा क्या तूने अनुमान लगा दिया कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,


अब जाने दो ना मम्मी मे वह नहीं बता पाऊंगा,,,


अरे ऐसे कैसे नहीं बताएगा ,,,बता तो सही ताकि दोबारा उसकी क्लीनिक पर ना जाऊं,,,,


मैं कैसे बताऊं मुझे शर्म आ रही है,,,,।
(आराधना समझ गई कि जरूर उसके बेटे ने कुछ ऐसी चीज नोटिस की होगी जिसके बारे में वह पक्के तौर पर बोल रहा है)


शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, बता दे मैं कुछ नहीं कहूंगी,,,।

(संजू भी ज्यादा आनाकानी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसे लगने लगा था कि लोहा गर्म हो चुका है और सही मौके पर ही हथौड़े का वार करना चाहिए,,, वरना पत्थर पर सर मारने के बराबर हो जाता है,,,,)

मैं बताना तो नहीं चाहता था लेकिन मैं तुम्हें सच सच बताता हूं ताकि तुम अकेले कभी उसके लिए भी पढ़ना जाओ और ना ही मोहिनी को जाने दो,,,,।

हां हां नहीं जाऊंगी और ना मोहिनी को जाने दूंगी लेकिन बता तो सही,,,।


मम्मी मैंने साफ-साफ देखा था कि वह जानबूझकर तुम्हारी साड़ी को कुछ ज्यादा ही नीचे खींच दिया था ताकि तुम्हारी गांड को वह देख सकें और तुम्हें इंजेक्शन लगाते समय वह वह शायद कुछ ज्यादा ही मजा लेने लगा था क्योंकि मैं साफ-साफ देख पा रहा था कि पेंट में उसका आगे वाला भाग एकदम तंबू बन गया था,,, और सीधी जुबान में बोले तो,, तुम्हारी गांड देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था,,,,।
(संजय जानता था कि अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए था लेकिन दोनों के बीच के हालात बदल गए थे जिस तरह की बातचीत दोनों के बीच हो रही थी संजु को इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना ही थाक्योंकि कहीं ना कहीं उसे भी लगने लगा था कि उसकी बात नहीं सुनना चाहती हो कि वह बोलना चाहता है और अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव करने लगा था लेकिन शर्मा करो अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर लिया था,,,आराधना तो अपने बेटे के मुंह से और गांड जैसे शब्दों को सुनकर पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी उसकी चूत से मदन रस टपकने लगा थावह तो अच्छा था कि वह अपनी पैंटी निकल चुकी थी वरना फिर से उसकी पेंटी गीली हो जाती,,, संजू की बातें सुनकर आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

बाप रे इतना आराम ही था वह डॉक्टर अच्छा हुआ कि तू मेरे साथ था उसके क्लीनिक पर मैं अकेले नहीं गई वरना वरना जाने मुझे अकेला पाकर क्या-क्या हरकत करता,,,

(जिस तरह के शब्दों का प्रयोग करके संजू ने अपनी मां से डॉक्टर वाली बात बताया था और उसकी मां ने बिना एतराज जता है उसकी बात पर विश्वास करके आश्चर्य तारी थी उसे देखते हुए संजू को अपने ऊपर विश्वास हो गया था कि वह कुछ भी कहेगा उसकी मां को बुरा नहीं लगेगा इसलिए वह चुटकी लेते हुए बोला,,,)


अच्छा हुआ मम्मी की डॉक्टर ने ऊपर से साड़ी नीचे खींचा था नीचे से ऊपर नहीं सरकाया था वरना गजब हो जाता,,,


हां तो ठीक कह रहा है संजू मैंने तो आज पेंटी भी नहीं पहनी हूं,,,।
(इस बात को कह कर आराधना की हालत पूरी तरह से खराब हो गई क्योंकि वह अपने बेटे से खुले शब्दों में बात कर रही थी अपनी पेंटी के ना पहनने वाली बात कह रही थी उसकी चूत ‌फुदकने लगी थी,,,अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर संजू की आदत खराब हो गई थी और जिस तरह से उसने अपनी मां को बताया था कि उसकी गांड देखकर डॉक्टर का गंड खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था वही हाल इस समय संजू का भी था,,,अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करके उसका भी नहीं खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था और वह कुर्सी पर बैठा हुआ था उठना नहीं चाहता था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी मां की नजरों में डॉक्टर की तरह उसका भी तंबू नजर आए,,, क्योंकि वह अपनी मम्मी को यह नहीं पता ना चाहता था कि डॉक्टर की तरह उसकी भी नियत खराब है,,,, लेकिन अपनी मां की पेंटिं वाली बात सुनकर वह आश्चर्य जताते हुए बोला,,)

क्या तुम सच में पैंटी नहीं पहनी हो मैं तो मजाक कर रहा था अगर सच में डॉक्टर साड़ी ऊपर की तरफ उठाता तब तुम क्या करती,,, उठाने देती तब तो वह तुम्हारा सब कुछ देख लिया होता और मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा देखने के बाद वह अपने होश हवास में रह पाता,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर आराधना की सांसे भारी हो चली थी क्योंकि बात की गर्माहट के मर्म को अच्छी तरह से समझ रही थी क्योंकि उसका बेटा इशारों ही इशारों में डॉक्टर को चूत दिखाने वाली बात कह रहा था और कह भी रहा था कि तुम्हारी चूत देखने के बाद भले ही वह चूत सब जो अपने होठों पर ना लाया हो लेकिन उसका इशारा उसी की तरफ था,,, और यह भी कह रहा था कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने होश हवास खो बैठता तो क्या वह इतनी खूबसूरत है उसकी चूत इतनी रसीली है कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने काबू में नहीं रहता क्या संजू ने उसकी चूत को अपनी आंखों से देखा नहीं अगर देखा ना होता तो वहां यह शब्द कैसे कहता,,, आराधना जानबूझकर एकदम सहज बनते हुए बोली,,,)


ऐसा क्यों,,,?


ऐसा क्यों का क्या मतलब अगर तुम्हारी शादी हो नीचे से ऊपर की तरफ उठा था तब तो छुपाने लायक उसकी आंखों के सामने कुछ भी नहीं रह जाता क्योंकि तुमने तो आज पहनती भी नहीं पहने हो तो वह तुम्हारी सब कुछ देख लेता,,,


तेरा मतलब इससे,,(उंगली के इशारे से अपने दोनों टांगों के बीच वाली जगह को दिखाते हुए ) है,,,!


तो क्या,,,?


मैं उसे अपनी साड़ी उठाने ही नहीं देती भले मुझे बुखार से तड़पना पड़ जाता,,,,,,
(दोनों के बीच की गर्माहट भरी बातों से कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हुआ जा रहा था कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी मोहिनी आ चुकी थी,,, दरवाजे पर दस्तक होते हैं दोनों के गर्म इरादों पर मोहिनी के द्वारा ठंडा पानी गिरा दिया गया था,,, ना चाहते हुए भी दरवाजा तो खोल ना ही था,,, संजु दरवाजा खोलने के चक्कर में अभी फोन किया कि डॉक्टर जैसी हालत उसकी खुद की हो चुकी थी उसके पैंट में भी तंबू बन चुका था और कुर्सी से उठते समय जबर दरवाजे की तरफ आगे बढ़ रहा था तभी उसकी मां तिरछी नजरों से संजू के पेंट की तरफ नजर घुमाकर देख ली थी,,, और अपने बेटे की पेंट में अच्छा-खासा तंबू को देखकर अंदर ही अंदर सिहर उठी थी,,, वह समझ गई थी कि जैसी हालत डोक्टर की थी ठीक वैसी हालत उसके बेटे की भी है उसके बेटे का भी लंड खड़ा हो गया है,,,,इस दृश्य को देखकर उसकी चूत से मदन रस की बूंद टपकने लगी,,, संजू दरवाजे तक पहुंच गया और दरवाजा खोल दिया सामने मोहिनी खड़ी थी वह घर में प्रवेश करते हुए,,, चाय के कप को देखकर बोली,,)

ओहहहहह तो यहां टी पार्टी चल रही है,,,


टी पार्टी नहीं है बेवकूफ मम्मी की तबीयत खराब है अभी-अभी क्लीनिक से दवा लेकर आए हैं तो मैं चाय बना दिया ताकि मम्मी दवा पी सके,,,।
(इतना सुनते ही मोहिनीअट्टम चिंतित हो गई और तुरंत अपनी मां के पास जाकर उसके माथे पर अपना हाथ रखते हुए बोली,,)

हां मम्मी तुम्हें तो बुखार है अभी तक दवा नहीं खाई,,,


अभी खाने ही जा रही हूं,,,।


ठीक है जल्दी से तुम दवा खा कर आराम करो मैं आज का खाना बना देती हूं तुम्हें आज कुछ भी नहीं करना है,,,
(इतना सुनते ही आराधना के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे क्योंकि वह खुश थी कि उसके दोनों बच्चे उसके बारे में बहुत परवाह करते थे,,,, )

आराधना और संजू

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Wow bro romantic update tha ek dum jakas aise hi update dete raho aradhno ko sanju ke niche leta do
 

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आराधना और संजू दोनों घर पर आ चुके थे अभी मोहिनी घर पर आई नहीं थी,,, आराधना को थकान सी महसूस हो रही थी इसलिए वह कुर्सी पर बैठकर गहरी सांस ले रही थी,,, संजू अपनी मां से बोला,,,।

तुम आराम करो मैं चाय बना देता हूं तब दवा पी लेना,,,


नहीं रहने दो संजु तु तकलीफ मत उठा,,,, मैं बना लूंगी,,,


अरे इसमें तकलीफ वाली कौन सी बात है अगर तुम्हारी जगह में बीमार होता तो क्या तुम मेरे लिए इतना नहीं करती आखिर मेरा भी तो कोई फर्ज बनता है,,,,।


(इतना कहने के साथ ही संजू रसोईघर में चला गया,,, लेकिन घर में दूध नहीं था इसलिए दूध लेने के लिए बाहर डेरी पर चला गया संजू के बाहर जाते ही आराधना अपने मन में सोचने लगी कि अगर संजू इतना समझदार नहीं होता तो उसका क्या होता,,,,, उसका जीवन एकदम निरर्थक हो जाता,,,आराधना अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा उसका कितना ख्याल रखने लगा है पर इसके पीछे की वजह वह जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश कर रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके प्रति उसके बेटे की आकर्षण ही उसे इतना समझदार बना रही है,,,, क्योंकि संजू का अगर उसके प्रति मां वाला और अपने प्रति बेटे वाला एहसास होता तो शायद वह उसे पाने की चाह नहीं रखता उसे भोगने की इच्छा कभी नहीं रखता,,, लेकिन संजू के लिए उसकी मां के प्रति आकर्षण मां का नहीं बल्कि एक औरत का था,,,इसलिए आराधना को कभी-कभी चिंता होने लगती थी लेकिन जिस तरह से उसने आज उसके सिर की मालिश किया और उसे क्लीनिक लेकर गया यह एहसास ही आराधना के लिए बहुत मायने रखता था जिस हालात में उसे अपने पति का साथ चाहिए था ऐसे हालात में उसे उसके बेटे का सहारा मिल रहा था,,, पति से तो अब उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,, आराधना को अपने प्रति अपने बेटे का व्यवहार देखकर अच्छा भी लगता था,,,, आराधना अपने मन में अपने बेटे के लिए सब सोच रही थी कि तभी उसे क्लीनिक वाला डॉक्टर याद आ गया कि कैसे वह उसके बेटे की आंखों के सामने ही आला से ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा दबा कर बुखार नाप रहा था,,, और तो और उसके बेटे की आंखों के सामने ही उसके हाथ में सुई लगाने की जगह जानबूझकर उसकी कमर के नीचे उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाया था और वह भी अपने हाथों से साड़ी को नीचे की तरफ खींच कर,,,,आराधना को तो इतना यकीन था कि जिस तरह से जितनी साड़ी को वह कमर से नीचे खींचा था जरूर उसे नितंबों की वह पतली लड़की की ऊपरी सतह जरूर नजर आ गई होगी,,और आराधना यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरतों के नितंबों की ऊपरी वाली लकीर एक औरत की उत्तेजना में कितनी मदद करती है,,, जरूर डॉक्टर के साथ-साथ उसके बेटे ने भी उस लकीर को देखा होगा,,,,



आराधना कुर्सी पर बैठे बैठे गहरी सांस लेते हुए अपने मन में सोचने लगी कि डॉक्टर वाली बात उसके बेटे से पूछा जाए तो उसका बेटा क्या जवाब देता है,, क्या उसके बेटे को डॉक्टर की नीयत का पता चल गया था कि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में या डॉक्टर जानबूझकर कर रहा था यही सब जानने के लिए वह अपने बेटे से पूछना चाहती थी लेकिन उसका बेटा अभी दूध लेने गया हुआ था मोहिनी के आने में अभी थोड़ा वक्त था,,,, ना जाने क्यों आराधना को अपने बेटे से बात करने में अब अजीब सी सुख की अनुभूति होने लगी थी उसे अच्छा लगने लगा था,,,,। बदन में बुखार था लेकिन आराधना राहत महसूस कर रही थी क्योंकि सर दर्द गायब हो चुका था और यही उसकी सारी उलझन की वजह भी थी वरना वह मेडिकल से कोई भी बुखार की टेबलेट लेकर ठीक हो सकती थी,,,लेकिन अपने बेटे की जीत के आगे उसकी एक भी नहीं चली और वहां क्लीनिक जाकर दवा लेकर आई,,,।

थोड़ी ही देर में दूध लेकर संजू घर पर वापस आ गया,,, संजू किचन में जाकर स्टोव चालू किया और उस पर कतीरा रखकर उसमें पानी डालने लगा ठीक रसोई घर के सामने कुर्सी पर आराधना बैठी हुई थी जहां पर दोनों एक दूसरे की नजरों के सामने थे,,,।आराधना डॉक्टर वाली बात संजू से करना चाहती थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था की शुरुआत कैसे करें,,,,। तभी बात की शुरुआत करते हुए आराधना 1 बहाने से संजू से बोली,,,।


संजू एक खुराक अभी खाना है ना,,,


हां मम्मी इसीलिए तो मैं चाय बना रहा हूं ताकि कुछ नाश्ता करके तुम चाय पी लो और उसके बाद दवा खा लो,,,।

ठीक है,,,, मैं तो समझी थी कि रात को खाना है,,,


नहीं नहीं रात को तो दूसरी खुराक खाना है अभी ना खाकर अगर रात को खाओगे तो बुखार बढ़ जाएगा,,,,।


ठीक है अच्छा हुआ तू मेरे साथ था वरना दवा कब खाना है मुझे समझ में ही नहीं आता,,,,(संजू चाय बनाना अच्छी तरह से जानता था इसलिए अपनी मां से बिना पूछे चाय बनाने की रीति को आगे बढ़ा रहा था और आराधना अपनी बात को एक बहाने से आगे बढ़ाते हुए बोली) अच्छा संजू तुझे डॉक्टर कुछ अजीब नहीं लग रहा था,,,,।


मतलब मैं समझा नहीं,,,


अरे मेरा मतलब है कि उसकी हरकतें,,,,




हां मम्मी तुम सच कह रही हो मुझे भी उसकी हरकत कुछ अजीब सी लग रही थी,,,,औरतों को कोई दोपहर इस तरह से चेकअप नहीं करता जिस तरह से वह चेकअप कर रहा था,,,।

हां वही तो,,,।


देखी नहीं कितनी बेशर्मी से आले की नोब को तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था,,,।(चाय पत्ती को उबलते हुए पानी में डालते हुए संजू बोला और उसकी बात सुनकर आराधना एकदम उत्तेजना से सिहर उठी,,, क्योंकि संजु को भी इस बात का अहसास था कि डॉक्टर जिस तरह से उसका बुखार चेक करने के लिए ब्लाउज के ऊपर से अपनी लोग को दबा रहा है वैसा नहीं किया जाता,,, फिर भी संजू की बात का जवाब देते हुए बोली,,,)


हां तो ठीक कह रहा है किसी डॉक्टर ने आज तक मेरे साथ इस तरह की हरकत नहीं किया अगर आला लगाता भी था तोब्लाउज के एकदम ऊपर के साइड पर लगा कर चेक करता था इस डॉक्टर की तरह नहीं एकदम चुचि,,,(इतना कहने के साथ ही आराधना एकदम से चौक गई और अपने शब्दों को जबान में ही रहने दे लेकिन इतने सही संजू के तन बदन में आग लग गई थी क्योंकि वह अपनी मां के मुंह से चूची शब्द सुन रहा था,,,, संजू जानबूझकर एकदम सहज बना रहा क्योंकि वह किसी भी तरह से अपनी मां को यह नहीं जताना चाहता था का उसके मुंह से चूची शब्द सुनकर उस पर किसी भी प्रकार का असर पड़ा है,,, और आराधना शर्मा कर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) एकदम ब्लाउज के ऊपर से ही बुखार नापने लगो,,,


तुम सच कह रही हो मम्मी उसकी हरकत तो मुझे भी खराब लग रही थी लेकिन क्या करूं डॉक्टर था ना इसलिए कुछ बोल नहीं पाया,,, क्योंकि कोई भी डॉक्टर इस तरह से औरतों का चेकअप नहीं करता है,,,, देख नही रही थी ब्लाउज के ऊपर से भले ही वह आला लगा कर चेक कर रहा था लेकिन उसे दबाना तो नहीं चाहिए था मैं एकदम साफ देख रहा था कि वह तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर आला रखकर उसे दबा रहा था जिससे तुम्हारी चूची,,,,(जानबूझकर हडबडाने का नाटक करते हुए) मेरा मतलब है कि ब्लाउज वाला हिस्सा दब रहा था,,,.
(अपने बेटे के मुंह से चूची शब्द सुनकर आराधना भी गनगना गई थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी थी,,,)

हां तो ठीक कह रहा था संजु इतना कोई दबाता नहीं है,,,शरीर के दूसरे भाग पर रखने के बावजूद भी हल्का-हल्का से स्पर्श करता है लेकिन इस डॉक्टर की हरकत कुछ ज्यादा ही खराब थी,,,, देखा नहीं इंजेक्शन लगाने के लिए कैसा किया उसने,,,,।


हां मम्मी मैं भी इतना तो जानता ही हूं कि औरतों को हाथ पर सुई लगाया जाता है लेकिन उस ने तो हद कर दिया,,,,


हां देखा नहीं कैसे साड़ी को नीचे करके इंजेक्शन लगाया,,,


मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था मम्मी लेकिन क्या करूं तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं थी ना इसलिए मैं कुछ बोला नहीं,,,,,

डॉक्टर को तुझे बोला तो था कि साड़ी को थोड़ा सा नीचे कर दें लेकिन तू भी नहीं कर पाया उसे अपने हाथ से करना पड़ा,,,, मुझे तो बहुत शर्म आ रही थी,,,,।


अब मैं क्या करता मम्मी तुम साड़ी ईतनी कसके बांधी हुई थी कि मेरे हाथ से नीचे आ नहीं रही थी,,,,


तू कर दिया होता तो कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन वह अपने हाथों से नीचे किया और कुछ ज्यादा ही नीचे कर दिया था,,,,।


हां मम्मी,,,(चाय एकदम पक चुकी थी चाय में उबाल आने लगी तो वह फक्कड़ से पतीले को पकड़कर नीचे उतारने लगा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मुझे भी ऐसा ही लगा क्योंकि वह साड़ी को इतना खींच दिया था कि,,,, तुम्हारी गां,,,,,,(इतना कहते ही एकदम बात को बदलते ही बोला) नजर आने लगी थी,,,,.
(आराधना समझ गई थी कि उसका बेटा क्या बोलना चाह रहा था उसके मुंह से उसे शब्दों को सुनकर आराधना की हालत खराब होने लगी उसकी फिर से टपकने लगी थी,,, आराधना जानते हुए भी फिर से संजू से बोली)


क्या नजर आने लगी थी,,,

अरे वही साड़ी कुछ ज्यादा ही खींच दीया था उस डॉक्टर ने,,,,


मतलब,,,?


(संजू को लगने लगा था कि उसकी में बातों ही बातों में खुलने लगी है और यही सही मौका है अपनी मा से कुछ अश्लील बातें करने का,,, इसलिए वह इस बार खुलकर बताते हुए बोला,,,)


मतलब की मम्मी मै कैसे बोलूं मुझे तो बताते शर्म आ रही है,,,(इतना कहते हुए वह चाय के दो कप निकालकर उसने चाय गिराने लगा,,,)




ऐसा क्या कर दिया डॉक्टर ने कुछ ज्यादा बदतमीजी किया था क्या,,,?(आराधना जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए बोली)


तो क्या मम्मी किसे बदतमीजी ही कहेंगे लेकिन पेसेंट लोग कर भी क्या सकते हैं देखी नहीं थी तुम्हारी साड़ी कितना नीचे खींच दिया था यहां तक कि तुम्हारी ,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा रुक कर दोनों कब को अपने हाथ में उठाते हुए) गांड अच्छी खासी नजर आने लगी थी और उत्तर की जो दोनों के बीच की लकीर होती है वह एकदम बिंदु की तरह नजर आ रही थी,,,,,।
(आराधना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से जिस डॉक्टर से साड़ी को नीचे की तरफ खींचा था जरूर उसे ; अच्छा शाखा संभाग नजर आने लगा होगा लेकिन फिर भी यह सब जानते हुए भी एकदम आश्चर्य से खुला का खुला छोड़ते हुए बोली)

बाप रे क्या सच में तू जो कह रहा है ऐसा ही हुआ था,,,


तो क्या मम्मी,,,, तभी तो मुझे गुस्सा आ रहा था डॉक्टर मुझे हरामी लग रहा था,,,,(चाय का कप अपनी मां को थमाते हुए) सही कहु तो वह तुम्हारी देखने के लिए ही ऐसा किया था,,,।

धत्,,,ऐसा थोड़ी है,,,(चाय का कप अपने हाथ में पकड़ते हुए)


हां मम्मी ऐसा ही है तुम नहीं जानते सारे डॉक्टर ने तुम्हारी जैसी खूबसूरत होगा तभी तक नहीं देखा होगा इसके लिए उसने ऐसी हरकत किया,,।(संजू की बातों में एक तरफ डॉक्टर के लिए शिकायत ही तो एक तरफ उसकी मां के लिए उसकी खूबसूरती की तारीफ भी थी इसलिए आराधना अपने मन में खुश हो रही थी कि अगर उसके बेटे की बात सही है तो उसकी जवानी आज भी बरकरार है जिसे देख कर आज भी मर्द पानी पानी हुआ जा रहा है,,,)


नहीं ऐसा नहीं कह सकते कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए) शायद उसके ऐसे में यह सब आता होगावैसे भी डॉक्टर से शर्म नहीं किया जाता और ना ही डॉक्टर भी शर्म करता है तभी इलाज बराबर होता है,,,)

वह तो ठीक है मम्मी लेकिन तुम नहीं जानती कि मैं जो कुछ भी कह रहा हूं एकदम पक्के तौर पर कह रहा हूं ऐसे ही हवाबाजी नहीं कर रहा हूं,,,,।


क्यों ऐसा क्या तूने अनुमान लगा दिया कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,


अब जाने दो ना मम्मी मे वह नहीं बता पाऊंगा,,,


अरे ऐसे कैसे नहीं बताएगा ,,,बता तो सही ताकि दोबारा उसकी क्लीनिक पर ना जाऊं,,,,


मैं कैसे बताऊं मुझे शर्म आ रही है,,,,।
(आराधना समझ गई कि जरूर उसके बेटे ने कुछ ऐसी चीज नोटिस की होगी जिसके बारे में वह पक्के तौर पर बोल रहा है)


शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, बता दे मैं कुछ नहीं कहूंगी,,,।

(संजू भी ज्यादा आनाकानी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसे लगने लगा था कि लोहा गर्म हो चुका है और सही मौके पर ही हथौड़े का वार करना चाहिए,,, वरना पत्थर पर सर मारने के बराबर हो जाता है,,,,)

मैं बताना तो नहीं चाहता था लेकिन मैं तुम्हें सच सच बताता हूं ताकि तुम अकेले कभी उसके लिए भी पढ़ना जाओ और ना ही मोहिनी को जाने दो,,,,।

हां हां नहीं जाऊंगी और ना मोहिनी को जाने दूंगी लेकिन बता तो सही,,,।


मम्मी मैंने साफ-साफ देखा था कि वह जानबूझकर तुम्हारी साड़ी को कुछ ज्यादा ही नीचे खींच दिया था ताकि तुम्हारी गांड को वह देख सकें और तुम्हें इंजेक्शन लगाते समय वह वह शायद कुछ ज्यादा ही मजा लेने लगा था क्योंकि मैं साफ-साफ देख पा रहा था कि पेंट में उसका आगे वाला भाग एकदम तंबू बन गया था,,, और सीधी जुबान में बोले तो,, तुम्हारी गांड देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था,,,,।
(संजय जानता था कि अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए था लेकिन दोनों के बीच के हालात बदल गए थे जिस तरह की बातचीत दोनों के बीच हो रही थी संजु को इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना ही थाक्योंकि कहीं ना कहीं उसे भी लगने लगा था कि उसकी बात नहीं सुनना चाहती हो कि वह बोलना चाहता है और अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव करने लगा था लेकिन शर्मा करो अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर लिया था,,,आराधना तो अपने बेटे के मुंह से और गांड जैसे शब्दों को सुनकर पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी उसकी चूत से मदन रस टपकने लगा थावह तो अच्छा था कि वह अपनी पैंटी निकल चुकी थी वरना फिर से उसकी पेंटी गीली हो जाती,,, संजू की बातें सुनकर आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

बाप रे इतना आराम ही था वह डॉक्टर अच्छा हुआ कि तू मेरे साथ था उसके क्लीनिक पर मैं अकेले नहीं गई वरना वरना जाने मुझे अकेला पाकर क्या-क्या हरकत करता,,,

(जिस तरह के शब्दों का प्रयोग करके संजू ने अपनी मां से डॉक्टर वाली बात बताया था और उसकी मां ने बिना एतराज जता है उसकी बात पर विश्वास करके आश्चर्य तारी थी उसे देखते हुए संजू को अपने ऊपर विश्वास हो गया था कि वह कुछ भी कहेगा उसकी मां को बुरा नहीं लगेगा इसलिए वह चुटकी लेते हुए बोला,,,)


अच्छा हुआ मम्मी की डॉक्टर ने ऊपर से साड़ी नीचे खींचा था नीचे से ऊपर नहीं सरकाया था वरना गजब हो जाता,,,


हां तो ठीक कह रहा है संजू मैंने तो आज पेंटी भी नहीं पहनी हूं,,,।
(इस बात को कह कर आराधना की हालत पूरी तरह से खराब हो गई क्योंकि वह अपने बेटे से खुले शब्दों में बात कर रही थी अपनी पेंटी के ना पहनने वाली बात कह रही थी उसकी चूत ‌फुदकने लगी थी,,,अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर संजू की आदत खराब हो गई थी और जिस तरह से उसने अपनी मां को बताया था कि उसकी गांड देखकर डॉक्टर का गंड खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था वही हाल इस समय संजू का भी था,,,अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करके उसका भी नहीं खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था और वह कुर्सी पर बैठा हुआ था उठना नहीं चाहता था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी मां की नजरों में डॉक्टर की तरह उसका भी तंबू नजर आए,,, क्योंकि वह अपनी मम्मी को यह नहीं पता ना चाहता था कि डॉक्टर की तरह उसकी भी नियत खराब है,,,, लेकिन अपनी मां की पेंटिं वाली बात सुनकर वह आश्चर्य जताते हुए बोला,,)

क्या तुम सच में पैंटी नहीं पहनी हो मैं तो मजाक कर रहा था अगर सच में डॉक्टर साड़ी ऊपर की तरफ उठाता तब तुम क्या करती,,, उठाने देती तब तो वह तुम्हारा सब कुछ देख लिया होता और मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा देखने के बाद वह अपने होश हवास में रह पाता,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर आराधना की सांसे भारी हो चली थी क्योंकि बात की गर्माहट के मर्म को अच्छी तरह से समझ रही थी क्योंकि उसका बेटा इशारों ही इशारों में डॉक्टर को चूत दिखाने वाली बात कह रहा था और कह भी रहा था कि तुम्हारी चूत देखने के बाद भले ही वह चूत सब जो अपने होठों पर ना लाया हो लेकिन उसका इशारा उसी की तरफ था,,, और यह भी कह रहा था कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने होश हवास खो बैठता तो क्या वह इतनी खूबसूरत है उसकी चूत इतनी रसीली है कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने काबू में नहीं रहता क्या संजू ने उसकी चूत को अपनी आंखों से देखा नहीं अगर देखा ना होता तो वहां यह शब्द कैसे कहता,,, आराधना जानबूझकर एकदम सहज बनते हुए बोली,,,)


ऐसा क्यों,,,?


ऐसा क्यों का क्या मतलब अगर तुम्हारी शादी हो नीचे से ऊपर की तरफ उठा था तब तो छुपाने लायक उसकी आंखों के सामने कुछ भी नहीं रह जाता क्योंकि तुमने तो आज पहनती भी नहीं पहने हो तो वह तुम्हारी सब कुछ देख लेता,,,


तेरा मतलब इससे,,(उंगली के इशारे से अपने दोनों टांगों के बीच वाली जगह को दिखाते हुए ) है,,,!


तो क्या,,,?


मैं उसे अपनी साड़ी उठाने ही नहीं देती भले मुझे बुखार से तड़पना पड़ जाता,,,,,,
(दोनों के बीच की गर्माहट भरी बातों से कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हुआ जा रहा था कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी मोहिनी आ चुकी थी,,, दरवाजे पर दस्तक होते हैं दोनों के गर्म इरादों पर मोहिनी के द्वारा ठंडा पानी गिरा दिया गया था,,, ना चाहते हुए भी दरवाजा तो खोल ना ही था,,, संजु दरवाजा खोलने के चक्कर में अभी फोन किया कि डॉक्टर जैसी हालत उसकी खुद की हो चुकी थी उसके पैंट में भी तंबू बन चुका था और कुर्सी से उठते समय जबर दरवाजे की तरफ आगे बढ़ रहा था तभी उसकी मां तिरछी नजरों से संजू के पेंट की तरफ नजर घुमाकर देख ली थी,,, और अपने बेटे की पेंट में अच्छा-खासा तंबू को देखकर अंदर ही अंदर सिहर उठी थी,,, वह समझ गई थी कि जैसी हालत डोक्टर की थी ठीक वैसी हालत उसके बेटे की भी है उसके बेटे का भी लंड खड़ा हो गया है,,,,इस दृश्य को देखकर उसकी चूत से मदन रस की बूंद टपकने लगी,,, संजू दरवाजे तक पहुंच गया और दरवाजा खोल दिया सामने मोहिनी खड़ी थी वह घर में प्रवेश करते हुए,,, चाय के कप को देखकर बोली,,)

ओहहहहह तो यहां टी पार्टी चल रही है,,,


टी पार्टी नहीं है बेवकूफ मम्मी की तबीयत खराब है अभी-अभी क्लीनिक से दवा लेकर आए हैं तो मैं चाय बना दिया ताकि मम्मी दवा पी सके,,,।
(इतना सुनते ही मोहिनीअट्टम चिंतित हो गई और तुरंत अपनी मां के पास जाकर उसके माथे पर अपना हाथ रखते हुए बोली,,)

हां मम्मी तुम्हें तो बुखार है अभी तक दवा नहीं खाई,,,


अभी खाने ही जा रही हूं,,,।


ठीक है जल्दी से तुम दवा खा कर आराम करो मैं आज का खाना बना देती हूं तुम्हें आज कुछ भी नहीं करना है,,,
(इतना सुनते ही आराधना के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे क्योंकि वह खुश थी कि उसके दोनों बच्चे उसके बारे में बहुत परवाह करते थे,,,, )

आराधना और संजू

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Wow bro romantic update tha ek dum jakas aise hi update dete raho aradhno ko sanju ke niche leta
 

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आराधना की तबीयत खराब होने से कुछ दिन तक मोहिनी ही शाम को खाना बनाने लगी थी क्योंकि उसे लगता था कि उसकी मां घर का सारा काम करके ऑफिस का काम करके थक जाती है उसे भी थोड़ा आराम की जरूरत है,,,, हालांकि आराधना मोहिनी के इस तरह से मदद करने से बेहद खुश थी,,, लेकिन वह मोहिनी को परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए मोहिनी के साथ वह भी खाना बनाने बैठ जाती थी,,, दूसरी तरफ आराधना का ध्यान अपने बेटे पर लगा रहता था क्लीनिक लेकर जाने पर जो कुछ भी वहां पर हुआ था उन दोनों के बीच उस बात को लेकर जिस तरह से खुले तौर पर चर्चा हुई थी उसे देखते हुए आराधना के तन बदन में उस पल को याद करके अजीब सी हलचल सी होने लगती थी,,, धीरे-धीरे उसका बेटा उसके सामने ही अश्लील शब्दों का प्रयोग करने लगा था लेकिन ना जाने क्यों आराधना अपने बेटे की इस तरह की हरकत पर एतराज जताने की जगह मन ही मन अंदर ही अंदर उसके कहे शब्दों से आनंद लेने लगी थी,,,,,,,,,, उसका बेटा जिस कदर उसके आकर्षण में पूरी तरह से बंधा हुआ था उसे देखते हुए आराधना ना चाहते हुए भी अपने बेटे के बारे में सोचने लगी थी आखिरकार वह भी एक औरत थी,, कभी-कभी तो आराधना को खुद लगने लगा था कि जो कुछ भी उसका बेटा कह रहा है उसमें शत-प्रतिशत सच्चाई है उसे भी वही सुख की जरूरत है जिस सुख के बारे में वह उससे बात करता था,,,,,,,,, आराधना जब कभी भी अपने बेटे के बारे में सोचती थी तो उसकी कही बातें याद आने लगती थी और वह उन बातों को याद करके अपने तन बदन में अजीब सी हलचल को महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो जाती थी,,, ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं होता था लेकिन जब से उसका बेटा उसका ख्याल रखने लगा था उसे समझने लगा था तब से आराधना के भी मन में ना जाने क्यों अपने बेटे को लेकर एक हरकत सी होने लगी थी,,,,,,,

दूसरी तरफ मोहिनी अभी तक अपने भाई को दुबारा अपनी चूत के दर्शन नहीं करा पाई थी,,,हालांकि उसका मन तो बहुत करता था एक बार फिर से अपने भाई के प्यासे होठों को अपनी चूत पर महसूस करने के लिए,,, उसके लंड अपनी चूत की पतली दरार पर रगड़ खाने के लिए,,,,लेकिन वहां यह सब जल्दी-जल्दी नहीं करना चाहती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके भाई को शक हो गया तो वह उसके बारे में क्या सोचेगा क्योंकि वह अपने भाई को यह जताना चाहती थी कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब कुछ अनजाने में हो रहा है,,,, इसीलिए तो मोहिनी दोबारा फ्रॉक नहीं पहनी थी और संजू अपनी बहन को फ्रॉक में देखना चाहता था उसकी चूत को अपनी आंखों से देखना चाहता था,,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,,,,,


ऐसे ही एक दिन रविवार का दिन था और छुट्टी होने की वजह से,,, कोई काम नहीं था तो मोहिनी अपने भाई को बुक खरीदने के लिए बोली थी जो कि थोड़ा दूर पर मिलता था और मोहिनी चाहती थी कि उसका भाई उसे स्कूटी पर बैठा कर ले कर जाए,,,क्योंकि उसका भी मन बहुत करता था जब वह कभी लड़के और लड़की को स्कूटी पर आते-जाते देखी थी तो वह भी उसी तरह से स्कूटी पर बैठ कर घूमने का मजा लेना चाहती थी और अब तो उसकी मां की जॉब की वजह से घर पर एक स्कूटी थी और उसी का फायदा उठाना चाहती थी और अपने मन की मुराद को पूरा करना चाहती थी इसलिए वह अपने भाई संजु से बोली,,,,।


संजू मुझे कुछ किताबे खरीदनी है,,, अगर तू स्कूटी लेकर चलता तो मैं भी तेरे साथ चलती और हम दोनों किताबें खरीद लेते,,,
(संजू का मन तो था छुट्टी के दिन स्कूटी लेकर घूमने का लेकिन वह नहीं जानता था कि उसकी बहन भी उसके साथ चलना चाहती है वह तो अंदर ही अंदर खुश होने लगा था क्योंकि जब से वह अपनी बहन की नंगी चूत का दर्शन किया था और उसके साथ थोड़ी बहुत अपनी मनमानी किया था तब से,,, उसके मन में मोहिनी के लिए अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,,, इसलिए अपनी बहन के प्रस्ताव पर वह ज्यादा सोच विचार किए बिना ही हां बोल दिया,,, उसकी मां को भी कोई एतराज नहीं था कि स्कूटी लेकर वह दोनों किताब खरीदने जाएं,,, क्योंकि वह भी दूसरे लड़कों को देखती थी घूमते हुए तो उसका भी मन करता था कि उसके बच्चे भी इसी तरह से घूमे फिरे,,, लेकिन पहले की स्थिति सही नहीं थी घर में स्कूटी नहीं थी लेकिन जब से वह जॉब करने लगी थी तब से ऑफिस की तरफ से उसे स्कूटी मिल गई थी जिससे उसके बच्चे भी अपनी इच्छा पूरी कर सकते थे,,, इसलिए संजू के जवाब देने से पहले ही वह बोली,,,)

हां चला जा संजू,,, वैसे भी किताब की दुकान थोड़ी दूरी पर है स्कूटी लेकर जाएगा तो अच्छा रहेगा,,,।


ठीक है मम्मी लेकिन पैसे,,,


तू पैसे की चिंता मत कर मेरे पास पैसे हैं रुक अभी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर आराधना अंदर कमरे में चली गई और अलमारी में से पैसे निकाल कर संजू को थमाते हुए बोली,,,)

ले और तुम दोनों कुछ खा भी लेना,,,।
(मोहिनी बहुत खुश नजर आ रही थी,,, आराधना एक तनख्वाह ले चुकी थी और उसमें के पश्चात से ही वह उन दोनों को पैसे दे रही थी संजू भी बहुत खुश था कि उसकी मां के जॉब करने से घर की काफी समस्या हल हो चुकी थी,,, बस अशोक को छोड़कर जो कि अब वह कम ही घर पर आता जाता था,,,अब इस परिवार का अशोक से केवल नाम का ही रिश्ता रह गया था,,,,, संजू और मोहिनी दोनों नाश्ता करके घर से निकल गए थे,,,संजू स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बैठने का इंतजार कर रहा था मोहिनी भी काफी खुश नजर आ रही थी वह सलवार और कमीज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी अपना उभार लेकर बाहर निकलने को मचल रही थी स्कूटी पर बैठने से पहले ही संजू एक नजर अपनी बहन पर डाल लिया था,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन की खूबसूरती उसकी मां की खूबसूरती से बिल्कुल भी कम नहीं थी बस दोनों के बदन के भराव का अंतर था,,, फिर भी इस उम्र में एक लड़की का खूबसूरत बदन जिस ढांचे में होना चाहिए था मोहिनी का पतन उसी ढांचे में तराशा हुआ था,,, छातियों की शोभा बढ़ाती दोनों नारंगी या अपने मदहोश कर देने वाले आकार के साथ मोहिनी की खूबसूरती बढ़ा रही थी नितंबों का घेराव सीमित रूप में भी बेहद मादक और घातक नजर आ रहा था,,,, संजू तो अपनी बहन के खूबसूरत पतन के बारे में सोच कर ही पागल हुआ जा रहा था और अपने आप को खुश किस्मत समझ रहा था कि बहुत से लोग उसकी बहन को कपड़ों में देखकर उसके नंगे पन की कल्पना करके अपने हाथ से हिला कर शांत हो जाते होंगे लेकिन उसने अपनी आंखों से अपनी बहन की नंगी जवानी के दर्शन कर चुका था,,, और तो और उसकी चूत की गर्मी को अपने बदन मे महसूस भी कर चुका था अपने लंड को उस पर रगड़ कर अपना पानी भी गिरा चुका था यह सब हरकत को संजू अपनी खुशकिस्मती समझ रहा था और वास्तव में ऐसा ही था,,,,।

मोहिनी स्कूटी पर दोनों टांगों को अगल-बगल करके बैठ गई थी और अपने भाई के कंधे पर दोनों हाथ रखकर उसका सहारा लेते हुए अपनी मां पर एक नजर डाली जो कि दरवाजे पर खड़ी होकर दोनों को देख रही थी,,,, और अपने भाई को चलने के लिए बोली,,,, संजू स्कूटी स्टार्ट कर के जैसे ही केयर में डालकर एक्सीलेटर दबाया वैसे ही तुरंत मोहिनी झटका खाकर आगे की तरफ अपने भाई की पीठ से सट गई,,,देखने में तो यह बेहद औपचारिक रूप से था लेकिन इसके बीच जो कुछ भी हुआ था उसे संजू अपने अंदर महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था मोहिनी की जानलेवा चूचियां सीधे-सीधे संजू की पीठ से दब गई थी और संजू अपनी बहन की चूचियों की रगड़ और दबाव को अच्छी तरह से महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,,,, यह वाक्यापल भर के लिए ही था लेकिन इस पल भर में संजू के तन बदन में अद्भुत हलचल को जन्म दे दिया था,,, क्योंकि संजू ने अपनी बहन की कड़ी निप्पल को अपनी पीठ पर चुभता हुआ महसूस किया था,,,,, लेकिन यह सब इतनी जल्दी हुआ था कि मोहिनी को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि उसकी वजह से उसका भाई पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है,,,।

संजू स्कूटी को एक्सीलेटर देता हुआ आगे बढ़ाने लगा मोहिनी को बहुत अच्छा लग रहा था आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने भाई के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ उसकी स्कूटी पर बैठकर जा रही है,,,,,,मोहिनी के लिए यह पहला मौका था जब वह स्कूटी पर बैठकर अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी स्कूटी पर बैठना भी उसके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था,,,, स्कूटी पर बैठे-बैठे इधर-उधर देखते हुए आगे बढ़ने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप बिल्कुल भी नहीं हो रही थी क्योंकि संजु तो पहले से ही अपनी बहन की चूची की रगड़ को अपनी पीठ पर महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो गया था और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा था,,,,,,,,, संजू को भी किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं थी इसलिए वह आराम से स्कूटी चला रहा था,,,,,,, और बात की शुरुआत करते हुए वह मोहिनी से बोला,,,।

तुझे कौन सी बुक लेनी है,,,


अरे दो-तीन बुक लेनी है,,, अच्छा हुआ भैया की मां की जॉब लग गई और उन्हें आने-जाने के लिए स्कूटी मिल गई हम लोगों का भी काम आसान हो गया नहीं तो हम लोग कहां स्कूटी से घूमने वाले थे,,,


हां बात तो तू सच ही कह रही है,,,मैं भी अपने दोस्तों को गाड़ी से आती जाती देखता था तो मैं भी सोचता था कि ना जाने कब ऐसा दिन होगा कि मैं भी इसी तरह से गाड़ी से आऊंगा जाऊंगा लेकिन वहां की बदौलत देख हम दोनों स्कूटी पर घूम रहे हैं,,,,(इतना कहना था कि तभी अचानक छोटा सा खड्डा आ गया और संजू ब्रेक लगा दिया मोहिनी अपने भाई के कंधे पर हाथ रख कर बैठी हुई थी और एकाएक ब्रेक लगने की वजह से एकदम से उससे सट गई और एक बार फिर से संजीव को अपनी बहन की नरम नरम चुचियों का कड़क पन अपनी पीठ पर महसूस हुआ और इस बार संजू पूरी तरह से गनगना गया क्योंकि मोहिनी एक दम से झटका खाकर उसकी पीठ से एकदम से चिपक गई थी जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल नारंगी या एकदम दबती हुई संजू को अपनी पीठ पर महसूस हुई थी दोनों नारंगीयो का इस तरह से पीठ पर दबने की वजह से संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, और मोहिनी अपने आप को संभालते हुए बोली,,)


देख के,,,,,


देख तो रहा हूं एकाएक खड्डा आ गया,,,


चल ठीक है,,,,।

(संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया था इस बार मोहिनी को इस बात का अहसास हुआ था कि उसकी चूची पूरी तरह से उसके भाई की पीठ से सट गई थी,,, और इस बार उत्तेजना की झनझनाहट उसके तन बदन को भी झकझोर कर रख दी थी,,,, ,, रास्ते भर एक से एक होटल और एक से एक गेस्ट हाउस आता जा रहा था गेस्ट हाउस के बाहर खूबसूरत खड़ी लड़कियाें को देखकर संजू अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन इन सब से मोहिनी अनजान थी,,, उन लड़कियों को देख कर संजू अपने मन में सोच रहा था कि यह भी कितना अच्छा है मर्दों के लिए कि पैसा देखकर कुछ भी कर सकते हैं और वह लड़कियां भी पैसा लेकर कुछ भी करवाने को तैयार हो जाती हैं,,,, उसके पास पैसा होता तो शायद वह भी घंटे भर के लिए गेस्ट हाउस में जरूर जाता और वह भी एक खूबसूरत लड़की के साथ जिसे वह बिल्कुल भी जानता ना हो पहचानता ना हो,,,संजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अनजान लड़की के साथ चुदाई करने में कितना अद्भुत सुख मिलता होगा जिसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानता हो ना वह लड़की उसके बारे में जानती हो,,,, यही सब सोचकर संजू अपने मन को बहलाने की कोशिश कर रहा था कि तभी एक जगह पर रोकने के लिए मोहिनी संजू से बोली,,,।)

बस बस यहीं पर यहीं पर रोक दो,,,,
(सामने बुक की दुकान देख कर संजू भी ब्रेक मार कर स्कूटी पर साइड में लगाकर खड़ी कर दिया,,, मोहिनी स्कूटी पर से उतरी और बुक स्टॉल में प्रवेश कर गई पीछे-पीछे संजू भी,,,यहां पर दुनिया भर की किताबें रखी हुई थी हर जात की मस्जिद से लेकर के कॉलेज की किताबों तक सब का ढेर लगा हुआ था,,,,)

तो किताबें खरीद मैं तब तक दूसरी किताबे देख लो यहां पर तो किताबों का ढेर लगा हुआ है,,,


तभी तो मैं यहां आने के लिए बोली थी क्योंकि जो किताबें कहीं नहीं मिलती यहां मिल जाती हैं,,,


ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ संजु कुछ मैगजीन को लेकर उनके पन्ने पलट कर देखने लगा,,, और मोहिनी अपने लिए किताब निकलवाने लगी थोड़ी देर में मोहीनी अपनी जरूरत की किताब को निकाल कर अपने भाई से पैसे लेकर उस किताब को खरीद चुकी थी,,,, लेकिन यहां पर इतनी सारी किताबें थी कि मोहिनी एक-एक करके सारी किताबों को हाथ में लेकर देख रही थी,,, संजू की दूसरी तरफ मेगज़ीन के पन्ने छांट रहा था अभी महीने की नजर एक किताब पर पड़ी जो कि थोड़ी छोटी सी थी और उस पर लिखा था भाई का प्यार कुतुहल बस मोहिनी उस किताब को लेकर देखने लगी,,,, किताब के मुखपृष्ठ पर एक लड़का और एक लड़की की फोटो छपी हुई थी जो कि एक दूसरे को चिम्मन कर रहे थे,,,, मुखपृष्ठ के रंगीन दृश्य को देखकर मोहिनी को समझ में नहीं आया कि यह कैसा भाई का प्यार किताब है इसलिए वह पन्ने पलट कर अंदर की कुछ लाइनों को पढ़ने की कोशिश करने लगी और बीच के पन्ने को पलटते ही जिस लाइन को वह पढ़ रही थी उसे पढ़कर उसके होश उड़ गए,,,, उस लाइन में लिखा हुआ था,,, "भैया ने मुझ पर बिल्कुल भी रहे नहीं किया और पहली बार में ही अपने लंड पर तेल लगाकर मेरी बुर में डाल दिया,,,,"

इस लाइन को पढते ही मोहीनी की आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी उसने पढी थीवह सच में उस किताब में लिखा हुआ था वह अगल-बगल नजर घुमा कर देखने लगी कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,जब उसे पूरी तरह से तसल्ली हो गई कि कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा है तो वह दूसरा पन्ना पलट कर उसमें की लाइन पड़ने लगी जिसके पडते ही उसकी चूत से काम रस टपकने लगा उसमें लिखा था,,,।


आधी रात को भैया अपने कमरे से निकलकर एकदम चुप चाप चोर कदमों से मां की नजर से बचकर मेरे कमरे में आए और मैंने पहले से ही दरवाजे की कुंडी खोल रखी थी और अंदर प्रवेश करते ही भाई ने खुद दरवाजे की कुंडी लगाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी बाहों में लेकर बेतहाशा मेरे होठों का रसपान करते हुए कमीज के ऊपर से ही मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया,,,,(इतना पढ़ते ही महीने के तन बदन में आग लगने लगी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और फिर से सबकी नजरें बचाकर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,) मैं कुछ भी कर सकेंगे की स्थिति में नहीं थी मैं तो भैया की हरकत का मजा ले रही थी भैया तुरंत मेरे सलवार की डोरी खोल कर सलवार को मेरे बदन से अलग कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठाकर पलंग पर लाकर पटक दिए,,,, मेरी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,मैं पहली बार अपने भाई के लंड को देख रही थी एकदम 8 इंच का लंबा मोटा तगड़ा लंड देखकर मेरी बुर से पानी निकलने लगा,,,,।
(मोहिनी की हालत खराब होने लगी थी,,,मोहिनी की इच्छा उस किताब को वापस रखने की बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन उस किताब को खरीद भी नहीं सकती थी,,,लेकिन उसके आगे की लाइन पढ़ने के लिए वह बेहद व्याकुल नजर आ रही थी इसलिए फिर से सबसे नजर बचा कर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,।)
मैं पलंग पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,,, भैया मेरी टांग को पकड़कर अपनी तरफ खींच कर एकदम पलंग के किनारे कर दी है और अपनी उंगलियों को हरकत देते हुए मेरी पैंटी को अपनी उंगली में फंसाकर खींचना शुरू कर दिए मैं भी उनका साथ देते हुए अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाकर पेंटिंग निकलवाने में उनकी मदद करने लगी,,,और देखते ही देखते मेरे भैया ने मुझे पूरी तरह से अपनी ही तरह एकदम नंगी कर दिया था,,,यह सब कुछ मेरे लिए पहली बार था इसलिए कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन मेरा भैया बहुत जानकार था और वह अगले ही पल मेरी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने प्यासे होठों को मेरी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर हुआ जा रहा था और मैं अपने दोनों हाथ को अपने भाई के सर पर रख कर उसे उत्तेजना के मारे जोर जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी,,,,।
( ईतना पढ़ते ही मोहिनी को अपनी पेंटिं गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, मोहिनी सबसे नजर बचा कर वह पन्ना पलट कर उसका दूसरा पन्ना पड़ने लगी जिसके पढ़ते ही वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाई और उसकी चूत से बदल रस फूट पड़ा,,, उस अगले पन्ने पर लिखा था,,,) भैया का लैंड तेल लगाने की वजह से बड़े आराम से मेरी बुर के अंदर बाहर हो रहा था भैया अपनी कमर हिला हिला कर मुझे चोद रहा था मैं भी एकदम मस्ती में अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,,, मां की नजरों से बचकर उसके ही बगल वाले कमरे में हम भाई बहन चुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे,,,,(मोहिनी इससे ज्यादा पढ़ पाती इससे पहले ही संजू की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,)

हो गया मोहीनी,,,,।


ह,ह, हां,,,,, हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी उस किताब को उसी जगह पर रख दी क्योंकि उसका भी हो गया था उसका भी काम रस निकल चुका था जिससे उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,, अपनी भावनाओं पर काबू करके वह किताब की दुकान से बाहर निकल गई,,,,लेकिन उसकी सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी पेंटी में चिपचिपाहट महसूस हो रही थी,,,, उसके भाई को मोहिनी के हालत के बारे में बिल्कुल भी खबर नहीं थी वरना जिस तरह से मोहिनी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी अगर उसके भाई को जरा भी इस बात का एहसास होता तो शायद वह किसी केस था उसमें अपनी बहन को ले जाता और वही जमकर चुदाई करता,,,, स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बेठते ही संजू बोला,,,)

तुझे क्या खाना है,,,


मुझे तो चाइनीज खाना है,,,,,,


ठीक है चल तुझे चाइनीज खिलाता हूं,,,,।
(जब तक संजू स्कूटी को चाइनीस की रेस्टोरेंट्स के सामने नहीं रोक दिया तब तक मोहिनी उस किताब के बारे में सोचने लगी और उसमें लिखी हुई बातों के बारे में,,,मैंने पहली बार इस तरह की किताब पढ़ रही थी जिसमें गंदे में शब्दों में सब कुछ खुला खुला लिखा था और वह भी भाई-बहन के बीच गंदे संबंध के बारे में,,,,महीने के दिलों दिमाग पर बार-बार किताब में लिखी हुई वही सब लाइने घूम रही थी,,,,,मोहिनी की हालत वाकई में एकदम खराब हो चुकी थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और किताब में लिखी बातों को अपने भाई के साथ सच करने का सोच रही थी,,,, तभी स्कूटी खड़ी करके संजू और मोहिनी स्कूटी पर से उतर गए और संजू उसे रेस्टोरेंट में चलने के लिए बोला,,,, दोनों रेस्टोरेंट में आकर खाली टेबल पर बैठ गए और वेटर को ऑर्डर करके बातें करने लगे,,,)


आज कितना अच्छा लग रहा है ना मोहिनी इस तरह से रेस्टोरेंट में हम दोनों ने कभी नाश्ता नहीं किया होगा,,, लेकिन मम्मी की बदौलत,,, हम दोनों को ऐसा लग रहा है कि जैसे हम दोनों कोई अपना अधूरा सपना पूरा कर रहे हैं है ना,,,।


हां भाई एकदम ठीक कह रहा है मैं तो कभी सोची भी नहीं थी कि जिस तरह से हम दोनों स्कूटी पर घूमेंगे और किसी रेस्टोरेंट में नाश्ता करेंगे,,,,।
(वह दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी वेटर दो प्लेट लेकर आगे और टेबल पर रख कर चला गया दोनों कांटे वाली चम्मच से चाइनीस खाने लगे,,, रेस्टोरेंट के सामने ही गेस्ट हाउस था जिसके नीचे कुछ लड़कियां सज धज कर खड़ी थी,,,मोहिनी उन्हीं लड़कियों को देख रही थी लेकिन मोहिनी यह बात नहीं जानती थी कि वह लड़कियां गेस्ट हाउस के नीचे खड़ी क्यों है,,, मोहिनी खाते हुए वही देख रही थी कि तभी गेस्ट हाउस के सामने एक रिक्शा आकर रुकी और उसमें से एक आदमी और एक नौजवान लड़की नीचे उतरी,,,, उस आदमी को देखकर मोहिनी पहचान लिया और संजू से बोली,,,।


संजू वह देख पापा रिक्शा से अभी-अभी उतरे हैं लेकिन उनके साथ वह लड़की कौन है जो मुंह पर दुपट्टा बांधी हुई है,,,।
(मोहिनी की बात सुनकर संजू एकदम सौंपते हुए उस दिशा में देखा तो उसके भी होश उड़ गए क्योंकि रिक्शा से उतरने वाले उसके पापा ही थे और उसके साथ जो लड़की थी अपने मुंह पर दुपट्टा पानी हुई थी और वह दोनों गेस्ट हाउस के सामने उतरे थे,,, संजू को पूरा मामला समझते देर नहीं लगी थी,,,मोहिनी के पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस की सीढ़ियां चढ़ने लगे थे यह देखकर मोहिनी बोली,,,।)

भाई पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस में जा रहे हैं वह लड़की है कौन,,,?(मोहिनी आश्चर्य से गेस्ट हाउस की तरफ देखते हुए बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन संजु सब कुछ समझता था,,, लेकिन वह मोहिनी को बताना नहीं चाहता था इसलिए बात को टालने की गरज से वह बोला,,,)

अरे मोहीनी उनकी कंपनी की कोई एम्पलाई होगी मीटिंग में आए होंगे,,,।


लेकिन इस तरह से हाथ पकड़ कर,,,


अरे तो क्या हुआ,,, तू ज्यादा मत सोच जल्दी से खत्म कर हमें घर चलना है,,,,।
(संजू मोहिनी का ध्यान वहां से हटाने के लिए बोला और मोहिनी भी ज्यादा ना सोचते हुए खाना शुरु कर दी लेकिन संजू का दिमाग घूमने लगा था क्योंकि जो कुछ भी उसने आंखों से देखा था उसमें कुछ भी उसकी बातों को गलत साबित नहीं कर सकता था संजीव जानता था कि गेस्ट हाउस में उसके पापा किसी लड़की को लेकर आई थी और वह उसकी चुदाई करने के लिए निकल गए थे जिसका मतलब साफ था कि उसके पापा परिवार की जिम्मेदारी से पूरी तरह से भटक चुके हैं और जो पैसा परिवार के पीछे खर्च करना चाहिए था वह लड़की चोदने के पीछे खर्च हो रहा था,,,,संजू को अब समझ में आ गया था कि उसके पापा घर पर पैसे क्यों नहीं देती थी क्योंकि उसके पापा के पैसे इन्हीं सब कामों में खर्च हो रहे थे संजु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,, दोनों खा चुके थे और संजू मिल चुका कर रेस्टोरेन से बाहर आ गया था और स्कूटी पर अपनी बहन को बिठाकर घर की तरफ लौटने लगा था संजु इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि
मोहिनी घर पर जाकर मम्मी को सब कुछ बता देगी कि उसने पापा को किसी लड़की के साथ देखा है और उसकी मम्मी को समझते देर नहीं लगेगी कि सारा मामला क्या है इसलिए संजू रास्ते में ही मोहिनी को,,,अपने पापा के देखने वाली बात क्यों मम्मी से ना बताने के लिए बोल दिया था और मोहिनी भी इस बात से राजी हो गई थी,,,,,,।

मोहिनी दिन भर अपने पापा वाली बात तो भूल गई थी लेकिन उस किताब वाली बात को नहीं भूल पा रही थी बार-बार उस में लिखी बातें मोहिनी के दिमाग पर छा रही थी किताब में लिखी सारी बातें मोहिनी के दिमाग पर कब्जा जमाए हुए थे और इसी के चलते वह एक बार फिर से अपने भाई को अपनी चूत के दर्शन करा कर मोहित करना चाहती थी इसलिए वहां रात को सोते समय फ्रॉक पहन ली थी और जब संजू ने देखा कि उसकी बहन फ्रॉक पहनी हुई है तब अपने आप ही संजु का लंड खड़ा होने लगा,,, खाना खा कर आराधना अपने कमरे में चली गई थी और संजू और मोहिनी अपने कमरे में आ गए थे,,, अपनी बहन को फ्रॉक में देखकर संजू का दिल जोरो से धड़क रहा थाऔर वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि उस दिन की तरह आज भी उसकी बहन अगर पेंटी ना पहनी हो तो बहुत मजा आ जाए,,,,
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Sanju@

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,, आराधना खाना बनाते हुए अपने पति के बारे में सोच रही थी कि वह अपने पति को क्या जवाब देगी क्या बोलेगी कैसे समझाएंगी,,,लेकिन वह मन में ठान चुकी थी कि चाहे जो हो जाए वह यह जॉब को करके ही रहेगी,,, क्योंकि महीने के अंत में मिलने वाली तनख्वाह के बारे में वह पहले से ही सोच विचार कर रखी थी उन पैसों से वह घर के लिए बहुत कुछ करना चाहती थी और अधिकांशतः तौर पर वह अपनी घर की जरूरतों को पूरी करके अपने परिवार का जीवन यापन करना चाहती थी,,,,,,,,



आज खुशी के मारे आराधना ने सब्जी पूरी और खीर बनाई थी,,,,,,, खाने का समय हो गया था इसलिए आराधना अपने दोनों बच्चों को बुलाकर खुद साथ में बैठकर खाने लगी तो है पहले साथ में बैठकर खाना नहीं खाती थी अपने पति का इंतजार करती रहती थी और अपने पति के साथ ही खाना खाती थी लेकिन अपने पति के व्यवहार और उसके बेरुखी के कारण उसने अपने जीवन में धीरे-धीरे परिवर्तन लाना शुरू कर दी थी,,,, और अपने पति का इंतजार किए बिना ही अपने बच्चों के साथ खाना खाने लगी थीं,,,,,, थाली में पड़ी मीठी खीर की कटोरी को देखकर संजू को अपनी बहन की गुलाबी चूत याद आ रही थी एकदम फुली हुई कसी हुई और मालपुए के मीठे रस से भरा हुआ,,,,, अपनी बहन की गुलाबी चूत याद आते ही,,, संजू के मुंह में पानी आने लगा था और जिस तरह से संजू खीर से भरी हुई कटोरी को अपनी बहन की चूत को याद करके देख रहा था उसे देखते हुए आराधना बोली,,,।)

संजू तेरे मुंह में पानी आ रहा है ना खीर देख कर,,, ज्यादा इंतजार करने की जरूरत नहीं है खाना शुरु कर दे,,,।


हां हां खाता हूं,,,(अपनी मां की बात सुनते ही संजु हकलाहट भरे स्वर में बोला,,,वह अपनी मां को कैसे समझा था कि उसे खीर देखकर नहीं बल्कि अपनी बहन की चूत को याद करके मुंह में पानी आ रहा है,,,, वकील नहीं बल्कि अपनी बहन की चूत का रस पीना चाहता था,,,, मोहिनी भी संजू की तरफ देख रही थी,,,, और अपने भाई के भोले चेहरे को देख कर मोहिनी अपने मन में सोचने लगी कि सीधा-साधा दिखने वाला उसका भाई एक लड़की की चूत देखकर कैसा मदहोश हो गया था,,,,अपने भाई के इस तरह के चरित्र पर उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन क्या करें जो कुछ भी रात को हुआ था उसी से इनकार करना अपनी नामुमकिन था,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की हालत औरत के अंगों को देखकर हमेशा खराब हो जाती है और वह तो अपने भाई को सीधे-सीधे आसमान की सैर पर प्ले गई थी अपनी चूत दिखा कर,,,




ऐसे में उसका भाई क्या दुनिया का कोई भी मर्द होता तो मदहोश होकर पिघल जाता और वही उसके भाई ने भी किया था बस अपने लंड को उसकी चूत में डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाया,,, था,,, अपने भाई की उस हरकत को याद करके मोहिनी की चूत के इर्द-गिर्द चीटियां रेंगने लगी उसे अपनी चूत में खुजली महसूस होने लगी,,,वह अपने भाई की जीभ को फिर से अपनी चूत पर और चूत के अंदर महसूस करना चाहती थी,,,, उस पल को याद करके मोहिनी की चूत अपने आप गीली होना शुरू हो गई थी,,,,।

आराधना के साथ-साथ संजु और मोहीनी ने भी खाना खाना शुरु कर दिया था लेकिन संजु इस बात से बेचैन हुआ जा रहा था कि,,,आज उसकी बहन में फ्रॉक की जगह सलवार कमीज पहनी थी,,,, और यह देखकर संजु के अरमानों पर पानी फिर गया था,,, ऐसा नहीं था कि मोहीनी के फ्रॉक ना पहनने का मलाल केवल संजू को ही था,,,, मोहिनी भी फ्रॉक ना पहनने की वजह से खुद हैरान थी क्योंकि वह आज भी फ्रॉक कहना चाहती थी लेकिन आनन-फानन में उसे याद नहीं रहा और वह अनजाने मेरी सलवार कमीज पहन ली थी अब उसके लिए दिक्कत इस बात की हो गई थी कि वह अगर वापस अपनी सलवार कमीज उतारकर फ्रोक पहनती तो संजू को इस बात का साफ हो सकता था कि उसकी बहन जो कुछ भी कर रही है जानबूझकर कर रही है और मोहिनी ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसके भाई को जरा सा भी शक हो कि वह जानबूझकर फ्रॉक के अंदर चड्डी नहीं पहनती,,,, मोहिनी को लगने लगा कि आज की रात वह अपने मन की नहीं कर पाएगी,,, इसलिए अपने मन को मार कर सारा ध्यान भोजन ग्रहण करने में लगा दी खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था शायद आज जो मिलने की खुशी में उसकी मां की आंखों से और भी ज्यादा स्वादिष्ट खाना बन गया था,,,,,।



खाना खा लेने के बाद आराधना बर्तन मांजने लगी और मोहिनी घर में झाड़ू लगाने लगी अभी तक अशोक घर पर नहीं आया था,,,,, अभी आराधना बर्तन मांज ही रही थी कि अशोक घर में दाखिल होते ही,,, आराधना से जोर से बोला,,,।


या मैं क्या सुन रहा हूं,,,, तुम जॉब करोगी,,,,


हां अब बिल्कुल ठीक सुने हैं,,,(आराधना उसी तरह से बैठे हुए ही अशोक की तरफ देख कर बोली)


क्या तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अब मुझसे पूछे बिना ही जॉब करोगी घर से बाहर निकलोगी,,,


क्या करूं मजबूरी हो गई है,,, तुम्हें पता भी है कि 3 महीनों से घर कैसे चल रहा है आपने घर पर 3 महीने से तनख्वाह दिए हो कि नहीं,,,,


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देख मैं कुछ सुनना नहीं चाहता,,,,
(संजू और मोहिनी खड़े होकर हैरानी से सब कुछ देख रहे थे और अशोक अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) तू यह जॉब बिल्कुल भी नहीं करेगी,,,


मैं यह जॉब करके रहूंगी हम लोगों को पैसे की जरूरत है और तुम से पूरा नहीं पड़ रहा है,,,,,,(इतना कहते हुए आराधना अपनी जगह पर खड़ी हो गई,,, और आराधना का जवाब सुनकर अशोक जल भुन जा रहा था,,, वह आराधना की बातें सुनकर गुस्से से बोला)

पैसे नहीं पूरे पड रहे हैं या कुछ और,,,(इतना कहते हुए अशोक आराधना के बिल्कुल करीब पहुंच गया और उसकी वहां पकड़ कर बोला) देख रहा हूं कुछ दिनों से तेरे तेवर बदले बदले नजर आ रहे हैं,,,, मेरे से पूरा नहीं पड़ रहा है तो बाहर चुदवाने के लिए जोब का बहाना बना रही है,,,,।


यह क्या कह रहे हैं आप कुछ तो शर्म करिए मोहिनी और संजू खड़े हैं,,,,।
(मोहिनी तो अपने पापा के मुंह से चुदवाने जैसे शब्दों को सुनकर एकदम हक्की बक्की रह गई क्योंकि उसने आज तक अपने पापा की मुंह से इस तरह के शब्दों को नहीं सुनी थी जो कि अक्सर रातों को ही होती थी और वह घोड़े बेच कर सो रही होती थी लेकिन आज वह जाग रही थी अपने पापा के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर एकदम हैरान संजू भी हैरान हो गया था क्योंकि आज उसके पापा मोहिनी की मौजूदगी में इस तरह की बातें कर रहा था,,,,)




अरे तो क्या हुआ खड़े हैं तो खड़े रहने दे आखिरकार बच्चों को भी तो पता चले उनकी मां क्या गुल खिलाती है,,, किस-किस का लेती फिरती है,,,,,
(इस बार आराधना एकदम गुस्से में आ गई और एकदम क्रोधित होते हुए बोली,,,)


अशोक,,,, तुम को शर्म नहीं आती इस तरह की बातें करते हुए,,,,।

शर्म,,,, सर मैं तो तुझे आनी ही चाहिए हरामजादी,,, दूसरों का लंड तुझे पसंद आ रहा है,,, हरामी कुत्तिया,,,(इतना कहने के साथ ही अशोक ने जोर से आराधना को धक्का मारा और वह दो कदम पीछे जाकर गिरने ही वाली थी कि ,, सही समय पर फुर्ती दिखाते हुए,,, संजू अपनी मां को अपने हाथों में थाम लिया और उसे गिरने से बचा लिया अपने पापा की हरकत पर मोहिनी पूरी तरह से हथ भ्रत हो गई वह एकदम से घबरा गई वह रोने लगी,,,,संजू सोच रहा था कि सब कुछ बातों से हल हो जाएगा लेकिन उसे बीच-बचाव करना ही पड़ा अपनी मां को गिरने से बचाते हुए उसका हाथ अनजाने में ही उसकी चूची पर आ गया था जिसे सहारा देते समय वाह अपनी मां को उठाते हुए अनजाने में ही चूची को जोर से दबा दिया था पहले तो उसे लगा था कि शायद उसकी मां की बांह उसके हाथ में आ गई हैलेकिन दबाते ही उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसके हाथों में तो उसकी मां की चूची आ गई थी,,,, जल्दी से अपनी मां को खड़ी की और अपने हाथ को जल्दी से ऊंची पर से हटा दिया क्योंकि मोहिनी वहीं मौजूद थी,,,, और अपनी मां को संभालते हुए बोला,,,)

पापा मम्मी पर इल्जाम लगाते हुए पहले कभी सोचा है कि 3 महीनों से घर का खर्चा कैसे चल रहा है घर में राशन है कि खत्म हो गया है दूधवाले उधार दे रहे हैं कि नहीं,,,, इन सब के बारे में कभी सोचे हो मैं जानता हूं,,,,मम्मी मौसी के पास से उधार पैसे लेकर आई थी तब जाकर घर का राशन आया वरना सब को भूखे ही सोना पड़ता तुम्हारा क्या है तू तो दारु पी के पेट भर लेते हो,,,,,


संजू ,,,देख रहा हूं तू बहुत अपनी मां की तरफदारी करने लगा है तेरी मां ने तुझे भी कुछ दिखा दी है क्या या कुछ दे दी है,,,।
(मोहिनी तो अपने पापा की यह बात सुनकर एकदम सनन है कि उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके पापा इस तरह से बातें करेंगे अपने पापा के कहने का मतलब को मोहिनी अच्छी तरह से समझ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा उसके बड़े भाई पर इस तरह से इल्जाम लगा रहे हैं वह आंखें फाड़ सब कुछ देख रही थी और आराधना रोने लगी थी,,,, यह सब सुनकर और देख कर संजू का पारा और ज्यादा गरम हो गया वह आगे बढ़ा और अपने पापा का गिरेबान पकड़कर बोला,,,,)

बस कर अगर एक शब्द भी आकर बोला तो यहीं पर बाप बेटी का रिश्ता खत्म कर दूंगा,,, जैसा तू खुद है वैसा ही तुझे दिखाई देता है,,,, और रही बात जॉब करने की तो मम्मी है जॉब करके रहेगी मैं भी देखता हूं कौन रोकता है,, दे मम्मी को इस तरह से घुट घुट कर जीते हुए नहीं देखना चाहता उसे भी पूरा हक है अपनी जिंदगी आजादी से जीने का,,,,
(आराधना अपने बेटे की बात सुन रही थी और हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी उसका बेटा देखते ही देखते बहुत बड़ा हो गया था जो कि उसकी खुशियों के बारे में बातें कर रहा था उसकी आजादी के बारे में सोच रहा था,,,,अशोक संजू की पकड़ से पूरी तरह से हैरान था उसे इस बात का अंदाजा हो गया था कि आप संजू उससे ज्यादा तगड़ा और मजबूत हो चुका है उसके साथ झगड़ा करने में अपनी ही बेज्जती करने के बराबर है इसलिए वह गुस्से से संजू का हाथ छुड़ाते हुए बोला,,,,)

भाड़ में जाओ तुम लोग,,,,,
(और इतना कहकर कमरे से बाहर निकल गया संजू मोहिनी और आराधना में से किसी ने भी उसे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया,,,, आराधना रोते हुए कमरे की दहलीज पर बैठ गई थी और आंसू बहा रही थी उसे देखकर मानी उसके पास जाकर उसे चुप कराने लगी,,, संजू भी उन दोनों के पास जाकर बैठ गया और अपनी मां को समझाते हुए बोला,,,)

बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी सब कुछ ठीक हो जाएगा तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है,,,, तुम्हें भी खुलकर जीने का हक है,,, हम दोनों की तरफ से किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है हम लोग भी यही चाहते हैं कि तुम्हें जॉब करो और अपनी जिंदगी बेहतर करो,,,, क्योंकि घर में जो कुछ भी होता है इसे भूलने का बस यही तरीका है,,,,।
(संजू की बातों को सुनकर आराधना को धीरे बदलने लगी उसे सांत्वना मिलने लगी कि उसका बेटा और उसकी बेटी उसके बारे में अच्छा ही सोच रहे थे,,,, थोड़ी देर बाद आराधना अपने कमरे में चली गई,,,, और संजू और मोहिनी भी अपने कमरे में आ गए संजू के अरमानों पर तो पहले से ही मोहिनी ने ठंडा पानी गिरा दी थी सलवार समीज पहनकर वही सोच रहा था कि अगर आज भी मोहिनी फ्रॉक पहन कर सोएगी तो आज वह फिर से अपनी बहन की चूत का रसपान करेगा और उसमें लंड डालने की कोशिश करेगा,,,लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था दोनों बैठ कर अपने पापा के बारे में बातें कर रहे थे मोहिनी पहली बार अपने पापा के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर पूरी तरह से हैरान थी क्योंकि उसके पापा सीधे सीधे समझी और उसकी मां के बीच गलत संबंध के बारे में बोल रहे थे ,,,, मोहिनी हैरान होते हुए अपने भाई से बोली,,,)


क्या मेरे सो जाने के बाद यही सब होता था घर में,,,!


हां,,, मोहिनी रोज रात को यही सब होता था,,,,।
(संजू अपनी बहन को बहुत कुछ बताना चाहता था जो कुछ भी रात को होता था वह खुल कर बताना चाहता था लेकिन इतना सुनकर ही मोहनी रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर संजु समझ गया कि आगे बढ़ाना ठीक नहीं हैकाफी देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रह गया और कब दोनों को नींद आ गई पता ही नहीं चला,,,, सवेरे उठकर आराधना रात को जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाना चाहती थी आज उसकी जॉब का पहला दिन था इसलिए जल्दी से आहत होकर नाश्ता और खाना दोनों तैयार कर चुकी थी क्योंकि वह लेट नहीं होना चाहती थी,,,,,,,, लेकिन नहाने के बाद अपने ब्लाउज का बटन बंद करते समय उसे रात वाली अपने बेटे की हरकत याद आ गई जब हो उसे उठाने के चक्कर में उसकी चूची को दबाते हुए उसे उठा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रात को संजू के यहां पर जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था या जानबूझकर,,,, यही सब सोचकर उसके तन बदन में झनझनाहट सी फैलने लगी थी क्योंकि उसे संभालने के चक्कर में संजु ने बड़ी जोर से चूची को दबाया था जो कि अनजाने में ही उसके हाथ में आ गई थी और यही आराधना नहीं समझ पा रही थी कि ,, संजू ने जो कुछ भी किया जानबूझकर किया या अनजाने में,,,,।

जॉब का आज पहला दिन था इसलिए आराधना हल्का सा मेकअप की थी और बला की खूबसूरत लग रही थी जिसे देखकर मोहिनी भी हैरान हो गई थी वह अपनी मां को देखते हुए बोली,,,।

वाह मम्मी तुम तो आज बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,

चल रहने दे जल्दी से नाश्ता कर और कॉलेज के लिए जा तुझे भी देर हो रही होगी,,,,


इतनी भी देर नहीं हो रही हैं,, मैं समय पर पहुंच जाऊंगी,,, और तुम भी समय पर ऑफिस पहुंच जाना आज पहला दिन है ना,,,

हां मैं भी यही सोच रही हो और वैसे भी आज ऑफिस आने जाने के लिए स्कूटी मिल जाएगी तो आराम रहेगा,,,,, मैं तुझे भी तेरे कॉलेज छोड़ दूंगी,,,,


यह तो बहुत अच्छा रहेगा,,,,
(इतना क्या करवा नाश्ता करने लगी और सब्जी भी आकर नाश्ता करने लगा वह अपनी मां की खूबसूरती को अपनी आंखों से पी रहा था आज उसकी मां और भी ज्यादा बला की खूबसूरत लग रही थी लेकिन मोहिनी की मौजूदगी में वहां अपनी मां से उसकी खूबसूरती की तारीफ नहीं कर पा रहा था,,,,, थोड़ी देर में मोहिनी और संजु कॉलेज जाने के लिए निकल गए,,, और उसके बाद आराधना भी बड़ी प्रसन्नता के साथ घर से बाहर ऑफिस जाने के लिए निकल गई,,,,शाम को जब वह घर लौटी तो बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि ऑफिस से उसे स्कूटी मिली थी और भाई स्कूटी बड़े आराम से चला कर घर पर लेकर आई थी इस बात की खुशी उसे और ज्यादा थी,,,, अपनी बड़ी बड़ी गांड स्कूटी की सीट पर रखने में उसे पहले तो बहुत ही अजीब लग रहा था और तन बदन में उत्तेजना का एहसास भी हो रहा था,,,,।

आराधना को जॉब करते 10 दिन गुजर चुके थे इन 10 दिनों में वह बड़े अच्छे से अपना काम संभाल ली थी,, संजय को भी अच्छा हो गया था घर में स्कूटी होने की वजह से हुआ अभी शाम को सब्जी वगैरह लेने के लिए निकल जाता था और उसी बहाने घूम भी लेता था,,, संजू और मोहीनी का भी काम नहीं बन पा रहा था, मोहिनी का महावारी शुरू हो गया था और वह इस दौरान कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहती थी,,,,।

आराधना की तबीयत थोड़ा नरम पड़ने की वजह से वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर आ गई थी,,,
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना पूर्ण अपडेट है आराधना ने अपने बेटे की पसंद की खीर पुड़ी बनाई है और वह अपने बेटे और बेटी के साथ ही खाना खाती है खाना खाते हुए संजू मोहिनी को देखता है जो सूट सलवार पहने हुए हैं और रात में जो हुआ था उसको दोनो भाई बहन याद करके उत्तेजित हो रहे हैं
अशोक फिर से आराधना से जॉब को लेकर झगड़ा करता है और आराधना को उल्टा सीधा बोलता है मोहिनी को पता चल जाता है कि उसका बाप रात को सोने के बाद मां के साथ मारपीट और गंदी बाते करता है खेर देखते हैं आगे क्या होता है
 

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आराधना की तबीयत नरम की इसलिए वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर पहुंच चुकी थी,,,संजू घर पर लौटा तो घर के बाहर स्कूटी खड़ी देख कर उसे लगा कि आज उसकी मां जल्दी आ गई होगी इसलिए दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर प्रवेश किया तो देखा कि,,, कमरे के बाहर ही दरवाजे पर उसकी मां बैठी हुई थी उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए संजू बोला,,।

क्या हुआ मम्मी आज ऑफिस से जल्दी आ गई,,,

हां बेटा आज थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो जल्दी घर पर आ गई,,,।
(तबीयत खराब होने की सुनते ही संजु एकदम चिंतित हो गयातुरंत अपना बैग रखकर अपनी मां के पास आ गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखने लगा कि क्या हुआ है,,, माथे पर हाथ रखते ही उसे गर्माहट का अहसास हुआ तो वह चिंतित भरे स्वर में बोला,,)

तुम्हें तो बुखार है,,,,


हां थोड़ा बुखार आ गया है लेकिन मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,,


चलो मैं तुम्हें दवाखाने ले चलता हूं,,,,


शाम होने दे तब चलेंगे अभी मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,


रुको मैं तुम्हारा सर दबा देता हूं,,, बाम लगाकर,,,, बम कहां पर है,,,

वही अंदर अलमारी के ड्रोवर में होगा,,,


एक काम करो मम्मी तुम अंदर कमरे में चलो मैं बाम लगाकर मालिश कर देता हूं आराम हो जाएगा,,,



(अपने बेटे को इतना चिंता करते हुए देखकर आराधना को बहुत खुशी हो रही थी कि चलो कोई तो है उसकी सुनने वाला उसकी फिक्र करने वाला जब से आराधना जॉब करने लगी थी तब से अशोक घर पर बहुत कम आने लगा था और इस बात की चिंता आराधना को अब बिल्कुल नहीं थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह कभी नहीं सुधरने वाला,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना अपनी जगह से खड़ी हुई और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई संजू भी अपनी मां के कमरे में गया और अलमारी खोलकर ड्रोवर में से बाम निकाल लिया,,,,,, और अपनी मां के करीब आकर उसके सिरहाने बैठ गया,,,, बम का ढक्कन खोलते हुए संजू अपनी मां से बोला,,)

ज्यादा दर्द कर रहा है क्या,,?

हां बहुत दर्द कर रहा हैं,,,


चिंता मत करो 5 मिनट में आराम हो जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा सा दाम अपनी उंगली पर लेकर आना वापस बामको पास में पड़े टेबल पर रखी है और अपनी उंगली से अपनी मां के माथे मैं बाम लगाने लगा,,, संजू हल्के हाथों से अपनी मां के माथे में बाम लगा रहा था कि तभी उसकी नजर अपनी मां की छातीयो पर गई,,, अपनी मां की छातियों को देखकर राजु की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि आराधना की इच्छा होती है उसे उसके साड़ी का पल्लू हट चुका था और उसके ऊपर का एक बटन खुला हुआ था भारी-भरकम मदमस्त कर देने वाली चूचियां ब्लाउज में कैद एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,,,

राजू के दिल की धड़कन पल भर में ही तेज हो गई थी,,,आराधना को इस बारे में बिल्कुल भी आभास नहीं था क्योंकि उसकी तबीयत नरम होने की वजह से और सर दर्द की वजह से उसका सारा ध्यान उसके सर पर ही था,,, संजू की आंखों में पल भर में ही चार बोतलों का नशा छाने लगा,,, वह अपनी मां की कदर आई हुई चूचियों को ब्लाउज में कैद देख रहा था जोकि चुचियों के हिसाब से ब्लाउज का साइज थोड़ा छोटा होने की वजह से चुचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब नजर आ रही थी,, और ऊपर का पहला बटन खुला होने की वजह से संजू को उसकी मां की चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि बेहद मादकता का रूप लिए हुए थी,,, पीठ के बल लेट होने की वजह से आराधना की चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी और उसका आधे से ज्यादा भाग ब्लाउज के बाहर झांक रहा था,,,, संजू का मन बहुत ललच रहा था,,, अपनी मां की चूचियों को छूने के लिए,,, बेहद अद्भुत नजारा बना हुआ था संजू अपनी मां के सर की मालिश कर रहा था और उसकी नजरें मां की चूचियों का टिकी हुई थी,,, इस बात से बेखबर आराधना आंखों को बंद करके लेटी हुई थी,,,, कुछ देर तक इसी तरह से आंखों से ही अपनी मां की मदमस्त जवानी का रसपान करते हुए संजू बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,?




थोड़ा-थोड़ा आराम लग रहा है।(आंखों को बंद किए हुए आराधना बोली,,, संजू अपनी मां से भले उसकी तबीयत के बारे में सोच रहा था लेकिन उसकी नजरें उसकी चूचियों पर ही टिकी हुई थी जो कि सांसो की लय के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, यह नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,,,संजू अपने मन में सोच रहा था कि काश उसे अपनी मां की सूचियों की मालिश करने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ,,, ऐसा नहीं था कि संजू की नजर पहली बार अपनी मां की चूचियों पर गई थी संजू कई बार अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था जाने अनजाने में उसके अंगों को छू भी चुका था,,,,, उसकी नंगी चूचीयो के साथ-साथ उसकी रसीली चूत के भी दर्शन कर चुका था,,लेकिन जब आपकी मां की आंखों को देखता था तो उसे पहली बार का ही मजा आता है इसलिए तो इस समय भी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ब्लाउज का पहला पत्र खुला होने की वजह से पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी चूचियां ब्लाउज में से बाहर की तरफ लचक गई थी और यही संजू के तन बदन में आग भी लगा रही थी,,,,वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए उसके सिर की मालिश करने के साथ-साथ अपनी आंखों से उसकी चुचियों का रस भी पी रहा था,,,,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके पापा से बिल्कुल भी खुश नहीं है ना तो,,,,, सामाजिक जीवन में और ना ही शारीरिक,,,।

संजू अपनी मौसी की हालत को अच्छी तरह से समझता था जिस तरह से उसकी मौसी ने उसके साथ संबंध बनाकर अपनी प्यास बुझाई थी उसे देखते हुए संजू को इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों को भी भूख के साथ-साथ तन की भी खूब लगती है और वह अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मां को भी इसी की जरूरत है उसकी मां को भी तन की भूख जरूर लगती होगी परंतु,,, सामाजिक मर्यादा और अपने संस्कारों की वजह से उसकी मर्यादा की दीवार को लांघ नहीं पा रही है,,,, वरना बरसात वाली रात को ही रिश्तो के बीच की डोरी तार तार हो जाती,,,,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर कोशिश की जाए हालांकि वह पूरी कोशिश कर भी रहा था लेकिन हार नहीं मान रहा था वह जानता था कि एक न एक दिन जरूर उसकी मां अपने तन की प्याज की खातिर उसकी शरण में जरूर आएगी जैसा कि उसकी मौसी,,,, यही सब सोचकर राजू अपनी मां की चूची को स्पर्श करना चाहता था उसे दबाना चाहता था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें हो नहीं पा रही थी,,,,,,,

इस बात का आभास संजू को अच्छी तरह से था कि जो कुछ भी वह अपनी मां से चाहता है उसकी मां को भली-भांति पता है वह सब कुछ जानती है कि उसका बेटा उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता है उसे चोदना चाहता हैं और इसी के चलते वह अपनी मां की चूची को छूकर पकड़ कर देखना चाहता था कि उसकी में क्या कहती हैं,,,, यही सोचकर संजू अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा अपनी मां की चूची को पकड़ने के लिए,,,,,, आराधना की आंखें अभी भी बंद थी संजू एक हाथ से अपने मां के माथे की मालिश कर रहा था और दूसरे हाथ को उसकी चूची की तरफ आगे बढ़ा रहा था कि तभी आराधना की आंख खुल गई और संजू ने तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच लिया,,,, ऐसा लग रहा था कि आराधना को आराम हो गया था उसके चेहरे की संतुष्टि बता रही थी,,,,। आराधना की आंख खुलते ही संजू बोला।।


अब कैसा लग रहा है मम्मी,,?


अब तो बिल्कुल भी दर्द नहीं कर रहा है,,,, तेरे हाथों में तो जादू है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसका ध्यान अपनी छातियों पर गया तो वह एकदम से सिहर उठीउसे इस बात का आभास हुआ कि साड़ी का पल्लू उसकी छातियों पर से हट गया है और उसकी खुली छातियां एकदम नजर आ रही है और ऊपर से ब्लाउज का ऊपर का बटन भी खुला हुआ है जिसमें से उसकी चूचियों का आधा भाग लचक कर बाहर की तरफ निकला हुआ है यह देखते ही वहतिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ भी देख रहा था और का आभास होते ही उसकी दोनों टांगों के बीच कंपन सा महसूस होने लगा,,, प्रभात तुरंत अपने साड़ी के पल्लू से अपनी छातियों को ढक ली,,, अपनी मां की हरकत को देख कर संजू समझ गया था कि उसकी मां को आभास हो गया कि वह उसकी चूचियों को ही देख रहा है इसलिए उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला,,,)

जादू मेरे हाथों में नहीं है बल्कि इस बाम में है,,, इसकी वजह से ही तुम्हारे सर का दर्द ठीक हुआ है,,,


फिर भी बारिश तो तू नहीं किया है ना इसलिए सारा श्रेय तुझे ही जाता है,,,,।
(जिस तरह से संजू आराधना के सिरहाने बैठकर उसके सर की मालिश कर रहा था उस पर बाम लगा रहा था यह देखते हुए आराधना मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसका बेटा उसका बहुत ख्याल रख रहा था इस समय तो उसके पति से भी ज्यादा,,,ना जाने क्यों यह जानते हुए भी कि उसका बेटा उसके खूबसूरत बदन की तरफ आकर्षित होकर अपने मन में उसे चोदने की भावना रखता है फिर भी आराधना अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी बस किसी भी तरह से उन दोनों के बीच की मर्यादा की डोर को टूटने नहीं देना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी जिस तरह से उसका बेटा बाम लगाते समय भी उसकी चूचियों को घूर रहा था यह देखकर उसे अंदाजा लग गया था कि उसका बेटा किस कदर उसे चोदने की उसे पाने की भावना रखता है,,,,, संजू सर की मालिश करना बंद कर दिया था क्योंकि उसकी मां को आराम मिल गया था लेकिन अभी भी बुखार बरकरार था और धीरे-धीरे बड़े भी रहा था और बदन में दर्द भी हो रहा था इसलिए आराधना बोली,,,।


सर दर्द तो ठीक हो गया है लेकिन बुखार अभी भी है,,, तो जाकर मेडिकल से बुखार की कोई टेबलेट लेकर आ जा,,,

नहीं नहीं बिना डॉक्टर के दिखाएं इस तरह से दवा नहीं लेनी चाहिए,,,


नहीं-नहीं तू एक टेबलेट ला दे मुझे आराम हो जाएगा,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं चलो मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर चलता हूं,,,



नहीं मैं नहीं जाऊंगी तू जिद मत कर संजु,,,


तुम समझ नहीं रही हो मम्मी गोली खाने से बुखार उतर गया और बाद में फिर चड गया तब क्या करोगी ,,,


अरे तू कैसी बातें करता है,,,


नहीं मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं सच कह रहा हूं अब तुम जोब भी करती हो इसलिए तुम्हारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है,,,, ऐसे नहीं चलने वाला है मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर जाकर ही रहूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही आराधना ने कभी सोची नहीं थी और उसका बेटा बिस्तर पर से ही उसकी दोनों टांगों के बीच और उसके गर्दन के बीच हाथ डालकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,)


अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, अरे रहने दे,,, गिर जाऊंगी,,,,,,,,
(लेकिन संजू कहां मानने वाला था,,, वह अपनी मां को गोद में उठा चुका था बेहद अद्भुत और अवर्णनीय नजारा थाअपनी मां को गोद में उठाने से पहले संजू ने भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां को गोद में उठा लेगा,,,, संजू की बाजुओं का दम देखकर आराधना एकदम से हैरान हो चुकी थी,,, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे अपनी गोद में एकदम आराम से उठा लीया है,,, और संजु अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही उसे कमरे से बाहर वाले कमरे तरफ ले जाने लगा था,,,,, आराधना के चेहरे पर आश्चर्य के भाव नजर आ रहे थे इस तरह से तो उसके पति ने भी कभी अपनी गोद में नही उठाया था और ना ही उसे उठाने लायक भी था क्योंकि अशोक शरीर से उतना दमखम वाला नहीं था,,, इसलिए तो अपने बेटे के दम पर उसे नाज हो रहा था,,, संजू तो पहले से ही अपनी मां की सूचियों को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसकी वजह से पहले उसका लंड खड़ा हो गया था और इस समय जानबूझकर अपनी मां को इस तरह से गोद में उठाया हुआ था कि उसका खड़ा लंड जो की पैंट में तंबू बनाया हुआ था,, वह सीधे-सीधे नीचे से आराधना की गांड में चुभ रहा था पहले तो अफरा तफरी में आराधना का ध्यान उस तरफ बिल्कुल भी नहीं गया लेकिन जैसे-जैसे उसे अपनी गांड पर कुछ चुभता हुआमहसूस हुआ तो वैसे ही उसका ध्यान उस ओर गया तो उसे अंदाजा लगाते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर जो कुछ भी चुभ रहा है वह कुछ और नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड है इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, औरआराधना को जिस तरह से संजू ने बिना जानकारी दी उसे अपनी गोद में उठा लिया था उससे आराधना पूरी तरह से सिहर उठी थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लाश दौड़ने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना काम कर रही थी कि तभी अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते ही उसके सब्र का बांध टूट गया,,, और उसकी बुर से छल छलाकर मदन रस बहने लगा,,, आराधना झड़ने लगी थी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी,,, अपने बेटे के संसर्ग में आकर यह उसका पहला स्खलन था,, जो कि बेहद कामुकता से भरा हुआ था आराधना के जीवन का यह पहला स्खलन था जो कि बिना कुछ किए ही वह झड़ गई थी,,,, आराधना की सांसे बेहद गहरी चल रही थी संजु को तो इस बात का एहसास तक नहीं ताकि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां का पानी निकल गया है वापस जानबूझकर अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां की गांड से रगड़ रहा था उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,,,,, संजु अपनी मां को गोद में उठाएखड़ा था क्योंकि उसे भी अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था क्योंकि उसका आनंद सीधे-सीधे उसकी मां की नरम नरम गांड पर चुभ रहा था,,, आराधना झड़ चुकी थी उसके मदन रस्सी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, उसे अपनी चूत पर गुस्सा आ रहा था कि बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाई और बहने लगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।

अरे मुझे नीचे उतारेगा भी या ईसी तरह से गोद में उठाए हुए ही क्लीनिक लेकर जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही संजू मुस्कुराते अपनी मां को नीचे उतार दिया और उसकी मां बोली,,,)

तू यहीं रुक मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,(इतना कहकर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन बाथरूम में जाते-जाते तिरछी नजर अपने बेटे की पेंट की तरफ डाली तो अपने बेटे के पेंट में अपने तंबू को देखकर एकदम हैरान रह गई,,, बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस गई,,,।)
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना पूर्ण अपडेट है आराधना की तबियत खराब होने के कारण वह जल्दी घर आ जाती है घर संजू बाम के बहाने अपनी मां की चूची देखकर उत्तेजित हो जाता है वही दूसरी और आराधना भी उत्तेजित हो जाती है खेर देखते हैं आगे क्या होता है
 
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