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Incest मजबूरी या जरूरत

Sanju@

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आराधना की हालत पूरी तरह से खराब थी उसने कभी सपने भी नहीं सोची थी कि उसके बेटे की हरकत की वजह से इस कदर उसकी चूत अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाएगी और अपना काम रस छोड़ने लगेगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में ही झड़ गई थी,,, बेहद अद्भुत और आवरणीय अविस्मरणीय वह पल था जब आराधना अपनी बेटे की गोद में अपना काम रस छोड़ते हुए झड़ रही थी,,,, उसकी बेटी को तो इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां ने पानी छोड़ दी है,,, आराधना की गहरी चलती सांसे एक बात का सबूत थी कि संजू के लंड की चुभन साधना अपनी गांड पर बर्दाश्त नहीं कर पाई थी और झड़ गई थी,,,,, पहले तो यह की आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसे इस तरह से अपनी गोद में उठा लिया और उसकी गोद में चाहते ही ना जाने कि उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि इस तरह से उसके पति ने भी कभी उसे अपनी गोद में उठाकर इधर से उधर नहीं ले गया था ,,,। अपने बेटे की ताकत और हरकत देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से सरोबोर हो चुकी थी,,उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी पूछने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार में तो मानो भूचाल सा आ गया था,,, और बची खुची कसर को संजू के लंड की चुभन ने पूरा कर दिया था,,,जैसे ही संजू को इस बात का अहसास हुआ कि उसकी गोल-गोल कांड पर उसके बेटे का लंड चुभ रहा है इस बात के एहसास से ही उसकी चुत पानी फेंकना शुरू कर दी थी,,,, और वह अद्भुत सुख में अपने पूरे वजूद को पिघलते हुए महसूस कर रही थी,,,, आज तक इस तरह से आराधना का पानी नहीं निकला था इसलिए तो वह हैरान थी उसकी चड्डी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसीलिए वह फ्रेश होने का बहाना करके बाथरूम में घुस गई थी और बाथरूम का दरवाजा बंद करते ही वह अपनी साड़ी उठाकर सबसे पहले अपनी नजरों को अपनी चड्डी पर घुमाने लगी थी आगे का पूरा भाग पूरी तरह से पानी से सरोवर हो चुका था,,, अजीब से चिपचिपाहट महसूस करते हुए आराधना अपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अगले ही पल वह अपनी चड्डी उतार कर उसे अपने हाथों में लेकर चारों तरफ घुमा कर देखने लगी आज उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला था और तन बदन में अजीब सी सनसनी दौड़ गई थी,,,,।



इस अद्भुत मुठभेड़ में जो कुछ भी हुआ था उसी से हैरानी के साथ-साथ आराधना पूरी तरह से संतुष्टि का अहसास भी कर रही थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लग गई थी और वह नीचे बैठ कर के साफ करने लगी थी और उसकी गुलाबी चूत से इतनी तीव्रता से उसका नमकीन रस बाहर निकल रहा था कि उसमें से आ रही सीटी की आवाज बाहर खड़े संजू के कानों में एकदम साफ तौर पर सुनाई दे रही थी जिसे सुनकर संजू पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि बाथरूम में उसकी मां मुत रही है,,,पल भर में ही संजू बाथरूम के अंदर के दृश्य की कल्पना अपने मन मस्तिष्क में करने लगा था वह अपने मन में सोचने लगा था कि कैसे उसकी मां बाथरूम में घुसते ही बाथरूम का दरवाजा बंद कर ली होगी और अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी गोरी गोरी गांड से चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका कर बैठ गई होगी,,, और अपनी गुलाबी चूत के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार मार रही होगी,,,,इस तरह की कल्पना करते ही संजू उत्तेजना से भर गया था उसे लगने लगा था कि कहीं उसका लावा ना निकल जाए बड़ी मुश्किल से वह संभाले हुए था और अंदर बाथरूम में आराधना पेशाब करते हुए बाथरूम में घुसते घुसते जिस तरह के दृश्य को अपनी आंखों से देखी थी उसके बारे में सोच सोच कर पूरी तरह से हैरान थी संजू के पेंट में अद्भुत तंबू बना हुआ था जिसे देखकर आराधना समझ गई थी कि उसके बेटे के पेंट में उसका हथियार कमजोर नहीं बल्कि बेहद दमदार है जिसकी जुबान वहां अपनी गांड पर करके झड़ गई थी सिर्फ इतने से ही उसका यह हाल था तो अगर उसका बेटा अपने लंड को उसकी चूत में डालने का तब उसका क्या हाल होगा वह तो पानी पानी हो जाएगी,,,यह ख्याल मन में आते ही शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए क्योंकि अनजाने में ही यह ख्याल उसके मन में आया था कि उसके बेटे का लंड उसकी चूत में जाएगा,,,,।

आराधना,,, पेशाब कर चुकी थी और जल्दी जल्दी अपनी चड्डी को पानी से धोकर वही रस्सी पर टांग दी थी दूसरी चड्डी बाथरूम में नहीं थी इसलिए वह ऐसे ही अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके बाथरूम से बाहर निकल गई आज वह साड़ी के नीचे चड्डी नहीं पहनी थी,,,, जैसे ही आराधना बाथरूम से बाहर निकले संजू बोला,,,।



अब चले,,,

तू बगैर लिए जाएगा तो नहीं इसलिए जाना ही पड़ेगा चल,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों मां-बेटे घर से बाहर निकल कर दरवाजा बंद करके ताला लगा दी है और संजू स्कूटी चालू करके अपनी मां के पीछे बैठने का इंतजार करने लगा दरवाजे पर ताला लगाकर आराधना अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर स्कूटी पर बैठ गई और बैठने की वजह से आराधना का बदन संजू के बदन से एकदम सट गया,,,, एहसास संजू के साथ-साथ आराधना के भी तन बदन में आग लगाने लगा था,,,,)

बैठ गई हो मम्मी,

हां,,(अपना एक हाथ संजू के कंधे पर रखकर) अब चल,,,

(इतना सुनते ही संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया,,, साड़ी पहने होने की वजह से आराधना अपनी दोनों टांगों को एक तरफ करके बैठी थी जिसकी वजह से संजू को उतना मजा नहीं आ रहा था जितना कि अगर वह दोनों टांगों को दोनों तरफ करके बैठती,,, इस तरह से बैठने से संजीव अपनी पीठ पर अपनी मां की चुचियों का दबाव अच्छी तरह से महसूस कर पाता,, लेकिन इस समय ऐसा संभव बिल्कुल भी नहीं था,,, थोड़ी ही देर में दोनों क्लीनिक पहुंच गए,,,दोपहर का समय होने की वजह से क्लीनिक पर बिल्कुल भी भीड़ नहीं थी इसलिए ज्यादा ही नंबर आ गया और दोनों डॉक्टर के केबिन में चले गए,,,, डॉक्टर तकरीबन 40 साल का था,,, उसकी नजर जैसे ही आराधना पर पड़ी वह उसे देखता ही रह गया ऐसा लग रहा था कि जैसे पहली बार कोई खूबसूरत औरत उसकी क्लीनिक में आई थी,,,, डॉक्टर की गलती इसमें बिल्कुल भी नहीं थी आराधना के बदन की बनावट और उसका व्यक्तित्व ही ऐसा था कि कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो जाता था लेकिन डॉक्टर को ईस समय आराधना की बड़ी बड़ी चूची आकर्षित कर रही थी,,,,,, डॉक्टर ने दोनों को कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और दोनों मां-बेटे टेबल के सामने कुर्सी पर बैठ गए,,)




क्या तकलीफ है,,,?

जी डॉक्टर साहब मेरी मम्मी को आज बहुत तेज बुखार है सर भी दर्द कर रहा था लेकिन सर अभी दर्द नहीं कर रहा है,,,
(डॉक्टर संजु की बात को सुन रहा था लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतने बड़े लड़के की यह औरत मां है क्योंकि उसके बदन की बनावट,, इस तरह की थी कि लगता ही नहीं था कि उसका इतना बड़ा बेटा भी होगा,,,, डॉक्टर की नजर बार-बार आराधना की छातियों पर चली जा रही थी,,,, संजू की बात सुनकर डॉक्टर अपनी कुर्सी से खड़ा होता हुआ बोला,,,)

चलिए उस टेबल पर लेट जाइए चेकअप करना पड़ेगा,,,,
(आराधना इतना सुनते ही अपनी जगह से खड़ी हुई और चुपचाप जाकर उस टेबल पर लेट गई जो कि पेशेंट के लिए ही रखा गया था जिस पर पेशेंट का चेकअप होता था,,,,, डॉक्टर टेबल के करीब गया आराधना पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी उन्नत छातियां पीठ के बल लेट होने की वजह से विशाल रूप धारण करके पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज में फैल चुकी थी वह तो अच्छा था कि ऊपर साड़ी का पल्लू था वरना ऐसी हालत में देखकर डॉक्टर का पानी निकल गया होता,,, डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी छातियां और से खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए ब्लड प्रेशर नापने वाले कंपास को खोल कर उस पट्टे को आराधना कि बांह पर लपेटने लगा,,, डॉक्टर की किस्मत इसलिए बहुत अच्छी थी कि वह अपने पैसे के अनुसार आराधना को छू सकता था उसकी खूबसूरत बदन को स्पर्श कर सकता,,, इसलिए उसकी बांह पर पट्टा लपेट ते हुए डॉक्टर को उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, पीछे कुर्सी पर बैठकर संजू देख रहा था उसका ध्यान डॉक्टर पर बिल्कुल भी नहीं था कि डॉक्टर उसकी मां को गंदी नजर से देख रहा है,,, ब्लड प्रेशर के पट्टे में हवा भरते हुए एक नजर थर्मामीटर पर डालते हुए,,, बोला,,)



बीपी तो एकदम सही है,,,,(इतना कहते हुए पट्टा को वापस करने लगा,,, और पट्टे को निकालते समय बोला) आपका नाम क्या है,,,


आराधना,,,


जी आराधना जी,,,, अपना बीपी एकदम कंप्लीट है कोई दिक्कत नहीं है,,,, बस थोड़ा सा बुखार लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह आल्हा को अपने कान में लगाकर लेकर उसकी नोब को जानबूझकर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी छातियों पर लगाकर उसका बुखार नापने लगा,,, आराधना शर्मा से सीहरने लगी थी संजू कुर्सी पर बैठकर यह सब देख रहा था लेकिन जो कुछ भी डॉक्टर कर रहा था संजू को अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन वह कर भी क्या सकता था सिर्फ देखने के सिवाय और डॉक्टर था कि लोग को ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों पर दबाकर उसकी गर्मी को नाप रहा था पेंट के अंदर डॉक्टर के लंड में भी हरकत करना शुरू कर दिया था,,, गोल गोल बड़ी सूचियों को डॉक्टर अपने आला के नोब से दबा रहा था और ऐसा करने से डॉक्टर को इस बात का एहसास हुआ कि आराधना की बड़ी-बड़ी चूचियां वास्तव में कितनी नरम गरम है डॉक्टर का मन तो कर रहा था कि अपने हाथों से आराधना के ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु कर दें लेकिन डॉक्टर होने के नाते ऐसा करना मुनासिब बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी चेकअप करने के बहाने डॉक्टर ने उसकी चुचियों कोब्लाउज के ऊपर से ही छूने का सुख प्राप्त कर लिया था,,,,,।

डॉक्टर को मजा आ रहा था तो आराधना कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि डॉक्टर जानबूझकर उस लोग को कुछ ज्यादा ही जोर से दबा रहा था जिससे ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियां दब जा रही थी इससे पहले भी वह दूसरे क्लीनिक पर जा चुकी थी लेकिन इस तरह से किसी भी डॉक्टर ने उसका चेकअप नहीं किया था जिस तरह से यह डॉक्टर उसका चेकअप कर रहा था इसलिए तो आराधना कि तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, आराधना की कसमसाहटऔर उलझन और ज्यादा बढ़ गई जब डॉक्टर ने उसे गहरी गहरी सांसें लेने के लिए बोला,,,, डॉक्टर जानबूझ कर उसे गहरी सांस लेने के लिए बोल रहा था क्योंकि डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी चुचियों को उठते बैठते हुए अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता था ,,, डॉक्टर के कहे अनुसार आराधना गहरी गहरी सांस लेने लगी और ऐसा करने पर उसकी छातियों पर जो तूफान उठने लगा उसे देखकर डॉक्टर के हौसले पस्त होने लगे उसके पेंट में गदर सा मचने लगाऔर देखते ही देखते हैं उसके पैंट के आगे वाले भाग में अच्छा-खासा तंबू बन गया जो कि उस पर अभी किसी की नजर नहीं गई थी,,,, जब जब आराधना गहरी सांस अंदर की तरफ जाती थी तब तक उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर की तरफ फुटबॉल की तरह उठा रही थी जिसे लपक ने के लिए डॉक्टर पूरी तरह से लालायित नजर आ रहा था लेकिन वह आराधना के फुटबॉल नुमा चुचियों को लपक ने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा था,,, क्योंकि ऐसा करना उसके हित में बिल्कुल भी नहीं था उठती बैठती चुचियों पर अपने आला का नॉब लगाकर डॉक्टर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगा था,,,, 30 से 40 सेकंड के काम में डॉक्टर ने पूरा 5 मिनट लगा दिया था वह आराधना की चुचियों से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था,,,, अपने मन को मार कर डॉक्टर आल्हा को अपने काम से हटाकर अपने गले में लगाते हुए आराधना से बोला,,,।)

आराधना जी बुखार थोड़ा ज्यादा है इसलिए आपको टेबलेट तो दे ही रहा हूं लेकिन इंजेक्शन भी लगाना पड़ेगा,,,


नहीं नहीं डॉक्टर साहब इंजेक्शन से मुझे बहुत डर लगता है,,,


देखिए इंजेक्शन तो तुम्हें लगवाना ही पड़ेगा वरना अभी तो तुम्हारा बुखार उतर जाएगा लेकिन दो-तीन दिन बाद फिर से तुम्हें और तेज बुखार चलेगा क्योंकि तुम्हारा बुखार मलेरिया के असर का है,,,पर अगर तुम नहीं चाहती इंजेक्शन लगवाने के लिए तो मैं जिद नहीं करता हूं लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि तुम्हें सही सलाह देना,,,,
(इतना सुनते ही संजू से रहा नहीं गया और वह अपनी जगह से उठकर डॉक्टर से बोला)


कोई बात नहीं डॉक्टर आप इंजेक्शन लगा दीजिए,,,

(संजू की बात सुनते ही डॉक्टर की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था,,,)

नहीं संजू यह क्या कर रहा है तू मुझे इंजेक्शन से बहुत डर लगता है,,,


मम्मी इंजेक्शन से आराम भी चल जाएगा,,, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,।

(डॉक्टर सुई लगाने के लिए इंजेक्शन तैयार करने लगा,,, आराधना उठ कर बैठ गई थी वह अपने साड़ी का पल्लू ठीक करके अपनी बांह आगे किए हुए थी डॉक्टर सीरीज में दवा भरकर जैसे ही आराधना के पास आया तो उसे बैठा हुआ देखकर बोला,,,)

हाथ में नहीं लगाना है लेट जाओ,,,
(इतना सुनते ही आराधना संजू की तरफ देखने लगी तो आराधना के मन की बात को समझते हुए डॉक्टर बोला)

देखो यह मलेरिया से संबंधित इंजेक्शन है अगर हाथ में लगा दिया तो हाथ बहुत दर्द करेगा और तुम से हाथ उठाया नहीं जाएगा,,,,


तब तो तकलीफ हो जाएगी डॉक्टर साहब,,, नहीं नहीं आप ऐसा कीजिए कमर पर लगा दीजिए,,,(संजू अपना अभी प्राय देते हुए बोला तो डॉक्टर बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)


कमर में नहीं कुल्हे में,,,,
(इतना सुनते ही आराधना के होश उड़ गए जिस तरह की हरकत डॉक्टर ने ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों के साथ किया था उसे देखते हुए उसे लगने लगा कि डॉक्टर के मन में कुछ और चल रहा है लेकिन क्या करें वह डॉक्टर था और वह पेशेंट थी,,, डॉक्टर जो कहता है उसे मानना ही था,,,। इसलिए संजू बोला,,,)

ठीक है मम्मी तुम लेट जाओ चिंता मत करो मैं हूं ना,,,

(आराधना को इंजेक्शन से बहुत डर लगता था और वहां अपने बेटे की बात मानते हुए पेट के बल लेट गई हालांकि उसे कमर के साइड लेटना था लेकिन घबराहट में वहां पेट के बल लेट चुकी थी जिससे उसकी भारी-भरकम गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी जिसे देखकर डॉक्टर के मुंह में पानी आ रहा था और यही हाल संजू का भी था क्योंकि जिस तरह से टेबल पर उसकी मां पेट के बल लेटी हुई थी उसकी भारी-भरकम गोल-गोल गांड संजू की आंखों के सामने नाच रही थी और साड़ी इतने कस के बाद ही हुई थी कि साड़ी के ऊपर से ही नितंबों का पूरा भूगोल साफ नजर आ रहा था उसके आकार और निखार दोनों उभर कर सामने आ रहे थे,,,,।

आराधना की चिकनी मांसल कमर देख कर डॉक्टर का ईमान पर चलने लगा था उसके बीच की गहरी पतली दरार तो डॉक्टर के होश उड़ा रही थी,,, डॉक्टर का मन अपने दोनों हाथों से आराधना की चिकनी कमर पकड़ने को कर रहा था उसकी बड़ी-बड़ी गण को अपने दोनों हाथ के लिए में भर-भर कर दबाने को कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकना शायद उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था बस वहां आराधना की खूबसूरती को अपनी आंखों से पी सकता था,,,,,,

डॉक्टर सिरिंज में दवा भरकर इंजेक्शन तैयार कर चुका था वह संजू को आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे करने के लिए बोला,,, डॉक्टर का बस चलता तो वह कमर से नहीं बल्कि नीचे से साड़ी को कमर तक उठा देता और उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर शायद एकदम मदहोश हो जाता,,,, डॉक्टर की बात सुनते हीसंजू आगे बढ़ा और अपनी मां की कमर पर की साड़ी को नीचे की तरफ खींचने लगा था कि डॉक्टर अच्छे से उसके कोणों पर इंजेक्शन लगा सके,,, लेकिन साड़ी इतनी कसके बांधी हुई थी कि संजू से ठीक से नीचे खींची नहीं जा रही थी,,, तो डॉक्टर ही आगे बढ़कर आराधना की चिकनी कमर को छूते हुए आराधना की कमर पर की साड़ी को अपनी उंगली को उसकी कमर पर बनी साड़ी के अंदर डालते हुए उसे अच्छे से हथेली से पकड़ लिया,, कमर की गोरी चिकनी नरमाहट को अपनी उंगली पर महसूस करते ही डॉक्टर के तन बदन में आग लगने लगी वह लंबी सांस लेते हुए आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे की तरफ सरकाया तो साड़ी आराम से कमर से नीचे सरक गई और ऐसा करने से,,, डॉक्टर की आंखों के सामने आराधना की नितंबों की दरार के ऊपरी वाला हिस्सा जो की गोल बिंदु के रूप में नजर आ रहा था वह नजर आने लगा उसे देखते ही डॉक्टर एकदम से सुध बुध खो दियाशायद इस तरह से उसने आज तक किसी भी औरत को इंजेक्शन लगाने का प्रयास नहीं किया था आराधना को देखकर उसका ईमान डोलने लगा था और वह इसीलिए हाथ में लगाने की वजाय उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाने जा रहा था,,,,डॉक्टर को आराधना की गांड की दरार एकदम साफ नजर आ रही थी और वह भी ऊपर हिस्से की जहां से गांड की शुरुआत होती है और यह है संजू की देख रहा था संजू की हालत तो खराब होने लगी थी लेकिन जैसे ही संजू की नजर डॉक्टर के पेंट के आगे वाले भाग पर गई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि उसमे तंबू बना हुआ था जोकी संजू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां की गांड को देखकर डॉक्टर का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था संजू को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस बात का गर्व हो रहा था कि उसकी मां की खूबसूरती देखकर डॉक्टर से सहन नहीं हो रहा था उसकी जवानी डॉक्टर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा,,, था,,,।

आराधना पेट के बल अपनी आंखों को बंद किए हुए लेटी थी,, वह चाहती थी जल्द से जल्द डॉक्टर उसे इंजेक्शन लगा दे ताकि वह इंजेक्शन से होने वाले दर्द से निजात पा सके,,, डॉक्टर अपने हाथ में इंजेक्शन लेकर आराधना को लगाने के लिए तैयार था आराधना की गोरी गोरी बड़ी-बड़ी गांड की चमक डॉक्टर की आंखों में साफ नजर आ रही थी,,, अगर इस समय संजू उसके साथ ना होता तो शायद वह आराधना की गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे छूने का और भी ज्यादा सुख प्राप्त कर लेता,,,,।

डॉक्टर अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए आराधना को इंजेक्शन लगाने लगा और जैसे ही सिरिंज को आराधना की गांड में अंदर की तरफ धंसायावैसे ही आराधना के मुंह से आह निकल गई
इस तरह से डॉ आराधना को इंजेक्शन लगाते हुए




और संजू ने तुरंत अपनी मां की टांग को पकड़कर उसे सांत्वना देने लगा कि बस हो गया,,, और देखते ही देखते डॉक्टर ने सीरीज की सारी दवा को आराधना की गांड में प्रवेश करा दिया,,,और धीरे से सुई को बाहर निकाल कर अपने अंगूठे से उस जगह को गोल-गोल दबाकर उसे उसी तरह से छोड़ दिया,,, और सिरिंज को कूड़े में फेंकते हुए बोला,,,।


आप अपनी साड़ी ठीक कर लीजिए,,(और इतना कहने के साथ ही वह वापस अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया और दवा देने लगा,,,, थोड़ी देर में आराधना भी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके टेबल पर से नीचे उतर गई और दोनों मां-बेटे दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल गए और जाते-जाते डॉक्टर आराधना की कसी हुई काम को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को मसलने लगा,,,, दोनों दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल चुके थे और संजू स्कूटी पर बैठा कर अपनी मां को घर पर लेकर आ गया,,,)
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना पूर्ण अपडेट है
संजू अपनी मां को गोद एम उठाकर डाक्टर के पास ले जाता है इसी बीच में उसका लन्ड आराधना की गांड़ में महसूस होता है वह पहले से ही उत्तेजित थी और लन्ड की चुभन बर्दास्त नही कर पाई और झड़ गई वही संजू भी अपनी मां की पेशाब करने की आवाज सुनकर उत्तेजित हो गई साथ ही रही सही कसर क्लीनिक में डॉक्टर ने पूरी कर दी डॉक्टर भी आराधना को देखकर उत्तेजित हो गया और उसे छूने का एक भी मौका नहीं छोड़ा देखते हैं घर जाकर क्या होता है
 

Sanju@

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आराधना और संजू दोनों घर पर आ चुके थे अभी मोहिनी घर पर आई नहीं थी,,, आराधना को थकान सी महसूस हो रही थी इसलिए वह कुर्सी पर बैठकर गहरी सांस ले रही थी,,, संजू अपनी मां से बोला,,,।

तुम आराम करो मैं चाय बना देता हूं तब दवा पी लेना,,,


नहीं रहने दो संजु तु तकलीफ मत उठा,,,, मैं बना लूंगी,,,


अरे इसमें तकलीफ वाली कौन सी बात है अगर तुम्हारी जगह में बीमार होता तो क्या तुम मेरे लिए इतना नहीं करती आखिर मेरा भी तो कोई फर्ज बनता है,,,,।


(इतना कहने के साथ ही संजू रसोईघर में चला गया,,, लेकिन घर में दूध नहीं था इसलिए दूध लेने के लिए बाहर डेरी पर चला गया संजू के बाहर जाते ही आराधना अपने मन में सोचने लगी कि अगर संजू इतना समझदार नहीं होता तो उसका क्या होता,,,,, उसका जीवन एकदम निरर्थक हो जाता,,,आराधना अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा उसका कितना ख्याल रखने लगा है पर इसके पीछे की वजह वह जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश कर रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके प्रति उसके बेटे की आकर्षण ही उसे इतना समझदार बना रही है,,,, क्योंकि संजू का अगर उसके प्रति मां वाला और अपने प्रति बेटे वाला एहसास होता तो शायद वह उसे पाने की चाह नहीं रखता उसे भोगने की इच्छा कभी नहीं रखता,,, लेकिन संजू के लिए उसकी मां के प्रति आकर्षण मां का नहीं बल्कि एक औरत का था,,,इसलिए आराधना को कभी-कभी चिंता होने लगती थी लेकिन जिस तरह से उसने आज उसके सिर की मालिश किया और उसे क्लीनिक लेकर गया यह एहसास ही आराधना के लिए बहुत मायने रखता था जिस हालात में उसे अपने पति का साथ चाहिए था ऐसे हालात में उसे उसके बेटे का सहारा मिल रहा था,,, पति से तो अब उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,, आराधना को अपने प्रति अपने बेटे का व्यवहार देखकर अच्छा भी लगता था,,,, आराधना अपने मन में अपने बेटे के लिए सब सोच रही थी कि तभी उसे क्लीनिक वाला डॉक्टर याद आ गया कि कैसे वह उसके बेटे की आंखों के सामने ही आला से ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा दबा कर बुखार नाप रहा था,,, और तो और उसके बेटे की आंखों के सामने ही उसके हाथ में सुई लगाने की जगह जानबूझकर उसकी कमर के नीचे उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाया था और वह भी अपने हाथों से साड़ी को नीचे की तरफ खींच कर,,,,आराधना को तो इतना यकीन था कि जिस तरह से जितनी साड़ी को वह कमर से नीचे खींचा था जरूर उसे नितंबों की वह पतली लड़की की ऊपरी सतह जरूर नजर आ गई होगी,,और आराधना यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि औरतों के नितंबों की ऊपरी वाली लकीर एक औरत की उत्तेजना में कितनी मदद करती है,,, जरूर डॉक्टर के साथ-साथ उसके बेटे ने भी उस लकीर को देखा होगा,,,,



आराधना कुर्सी पर बैठे बैठे गहरी सांस लेते हुए अपने मन में सोचने लगी कि डॉक्टर वाली बात उसके बेटे से पूछा जाए तो उसका बेटा क्या जवाब देता है,, क्या उसके बेटे को डॉक्टर की नीयत का पता चल गया था कि जो कुछ भी हुआ था अनजाने में या डॉक्टर जानबूझकर कर रहा था यही सब जानने के लिए वह अपने बेटे से पूछना चाहती थी लेकिन उसका बेटा अभी दूध लेने गया हुआ था मोहिनी के आने में अभी थोड़ा वक्त था,,,, ना जाने क्यों आराधना को अपने बेटे से बात करने में अब अजीब सी सुख की अनुभूति होने लगी थी उसे अच्छा लगने लगा था,,,,। बदन में बुखार था लेकिन आराधना राहत महसूस कर रही थी क्योंकि सर दर्द गायब हो चुका था और यही उसकी सारी उलझन की वजह भी थी वरना वह मेडिकल से कोई भी बुखार की टेबलेट लेकर ठीक हो सकती थी,,,लेकिन अपने बेटे की जीत के आगे उसकी एक भी नहीं चली और वहां क्लीनिक जाकर दवा लेकर आई,,,।

थोड़ी ही देर में दूध लेकर संजू घर पर वापस आ गया,,, संजू किचन में जाकर स्टोव चालू किया और उस पर कतीरा रखकर उसमें पानी डालने लगा ठीक रसोई घर के सामने कुर्सी पर आराधना बैठी हुई थी जहां पर दोनों एक दूसरे की नजरों के सामने थे,,,।आराधना डॉक्टर वाली बात संजू से करना चाहती थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था की शुरुआत कैसे करें,,,,। तभी बात की शुरुआत करते हुए आराधना 1 बहाने से संजू से बोली,,,।


संजू एक खुराक अभी खाना है ना,,,


हां मम्मी इसीलिए तो मैं चाय बना रहा हूं ताकि कुछ नाश्ता करके तुम चाय पी लो और उसके बाद दवा खा लो,,,।

ठीक है,,,, मैं तो समझी थी कि रात को खाना है,,,


नहीं नहीं रात को तो दूसरी खुराक खाना है अभी ना खाकर अगर रात को खाओगे तो बुखार बढ़ जाएगा,,,,।


ठीक है अच्छा हुआ तू मेरे साथ था वरना दवा कब खाना है मुझे समझ में ही नहीं आता,,,,(संजू चाय बनाना अच्छी तरह से जानता था इसलिए अपनी मां से बिना पूछे चाय बनाने की रीति को आगे बढ़ा रहा था और आराधना अपनी बात को एक बहाने से आगे बढ़ाते हुए बोली) अच्छा संजू तुझे डॉक्टर कुछ अजीब नहीं लग रहा था,,,,।


मतलब मैं समझा नहीं,,,


अरे मेरा मतलब है कि उसकी हरकतें,,,,




हां मम्मी तुम सच कह रही हो मुझे भी उसकी हरकत कुछ अजीब सी लग रही थी,,,,औरतों को कोई दोपहर इस तरह से चेकअप नहीं करता जिस तरह से वह चेकअप कर रहा था,,,।

हां वही तो,,,।


देखी नहीं कितनी बेशर्मी से आले की नोब को तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था,,,।(चाय पत्ती को उबलते हुए पानी में डालते हुए संजू बोला और उसकी बात सुनकर आराधना एकदम उत्तेजना से सिहर उठी,,, क्योंकि संजु को भी इस बात का अहसास था कि डॉक्टर जिस तरह से उसका बुखार चेक करने के लिए ब्लाउज के ऊपर से अपनी लोग को दबा रहा है वैसा नहीं किया जाता,,, फिर भी संजू की बात का जवाब देते हुए बोली,,,)


हां तो ठीक कह रहा है किसी डॉक्टर ने आज तक मेरे साथ इस तरह की हरकत नहीं किया अगर आला लगाता भी था तोब्लाउज के एकदम ऊपर के साइड पर लगा कर चेक करता था इस डॉक्टर की तरह नहीं एकदम चुचि,,,(इतना कहने के साथ ही आराधना एकदम से चौक गई और अपने शब्दों को जबान में ही रहने दे लेकिन इतने सही संजू के तन बदन में आग लग गई थी क्योंकि वह अपनी मां के मुंह से चूची शब्द सुन रहा था,,,, संजू जानबूझकर एकदम सहज बना रहा क्योंकि वह किसी भी तरह से अपनी मां को यह नहीं जताना चाहता था का उसके मुंह से चूची शब्द सुनकर उस पर किसी भी प्रकार का असर पड़ा है,,, और आराधना शर्मा कर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) एकदम ब्लाउज के ऊपर से ही बुखार नापने लगो,,,


तुम सच कह रही हो मम्मी उसकी हरकत तो मुझे भी खराब लग रही थी लेकिन क्या करूं डॉक्टर था ना इसलिए कुछ बोल नहीं पाया,,, क्योंकि कोई भी डॉक्टर इस तरह से औरतों का चेकअप नहीं करता है,,,, देख नही रही थी ब्लाउज के ऊपर से भले ही वह आला लगा कर चेक कर रहा था लेकिन उसे दबाना तो नहीं चाहिए था मैं एकदम साफ देख रहा था कि वह तुम्हारे ब्लाउज के ऊपर आला रखकर उसे दबा रहा था जिससे तुम्हारी चूची,,,,(जानबूझकर हडबडाने का नाटक करते हुए) मेरा मतलब है कि ब्लाउज वाला हिस्सा दब रहा था,,,.
(अपने बेटे के मुंह से चूची शब्द सुनकर आराधना भी गनगना गई थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी थी,,,)

हां तो ठीक कह रहा था संजु इतना कोई दबाता नहीं है,,,शरीर के दूसरे भाग पर रखने के बावजूद भी हल्का-हल्का से स्पर्श करता है लेकिन इस डॉक्टर की हरकत कुछ ज्यादा ही खराब थी,,,, देखा नहीं इंजेक्शन लगाने के लिए कैसा किया उसने,,,,।


हां मम्मी मैं भी इतना तो जानता ही हूं कि औरतों को हाथ पर सुई लगाया जाता है लेकिन उस ने तो हद कर दिया,,,,


हां देखा नहीं कैसे साड़ी को नीचे करके इंजेक्शन लगाया,,,


मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था मम्मी लेकिन क्या करूं तुम्हारी तबीयत भी ठीक नहीं थी ना इसलिए मैं कुछ बोला नहीं,,,,,

डॉक्टर को तुझे बोला तो था कि साड़ी को थोड़ा सा नीचे कर दें लेकिन तू भी नहीं कर पाया उसे अपने हाथ से करना पड़ा,,,, मुझे तो बहुत शर्म आ रही थी,,,,।


अब मैं क्या करता मम्मी तुम साड़ी ईतनी कसके बांधी हुई थी कि मेरे हाथ से नीचे आ नहीं रही थी,,,,


तू कर दिया होता तो कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन वह अपने हाथों से नीचे किया और कुछ ज्यादा ही नीचे कर दिया था,,,,।


हां मम्मी,,,(चाय एकदम पक चुकी थी चाय में उबाल आने लगी तो वह फक्कड़ से पतीले को पकड़कर नीचे उतारने लगा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मुझे भी ऐसा ही लगा क्योंकि वह साड़ी को इतना खींच दिया था कि,,,, तुम्हारी गां,,,,,,(इतना कहते ही एकदम बात को बदलते ही बोला) नजर आने लगी थी,,,,.
(आराधना समझ गई थी कि उसका बेटा क्या बोलना चाह रहा था उसके मुंह से उसे शब्दों को सुनकर आराधना की हालत खराब होने लगी उसकी फिर से टपकने लगी थी,,, आराधना जानते हुए भी फिर से संजू से बोली)


क्या नजर आने लगी थी,,,

अरे वही साड़ी कुछ ज्यादा ही खींच दीया था उस डॉक्टर ने,,,,


मतलब,,,?


(संजू को लगने लगा था कि उसकी में बातों ही बातों में खुलने लगी है और यही सही मौका है अपनी मा से कुछ अश्लील बातें करने का,,, इसलिए वह इस बार खुलकर बताते हुए बोला,,,)


मतलब की मम्मी मै कैसे बोलूं मुझे तो बताते शर्म आ रही है,,,(इतना कहते हुए वह चाय के दो कप निकालकर उसने चाय गिराने लगा,,,)




ऐसा क्या कर दिया डॉक्टर ने कुछ ज्यादा बदतमीजी किया था क्या,,,?(आराधना जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए बोली)


तो क्या मम्मी किसे बदतमीजी ही कहेंगे लेकिन पेसेंट लोग कर भी क्या सकते हैं देखी नहीं थी तुम्हारी साड़ी कितना नीचे खींच दिया था यहां तक कि तुम्हारी ,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा रुक कर दोनों कब को अपने हाथ में उठाते हुए) गांड अच्छी खासी नजर आने लगी थी और उत्तर की जो दोनों के बीच की लकीर होती है वह एकदम बिंदु की तरह नजर आ रही थी,,,,,।
(आराधना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से जिस डॉक्टर से साड़ी को नीचे की तरफ खींचा था जरूर उसे ; अच्छा शाखा संभाग नजर आने लगा होगा लेकिन फिर भी यह सब जानते हुए भी एकदम आश्चर्य से खुला का खुला छोड़ते हुए बोली)

बाप रे क्या सच में तू जो कह रहा है ऐसा ही हुआ था,,,


तो क्या मम्मी,,,, तभी तो मुझे गुस्सा आ रहा था डॉक्टर मुझे हरामी लग रहा था,,,,(चाय का कप अपनी मां को थमाते हुए) सही कहु तो वह तुम्हारी देखने के लिए ही ऐसा किया था,,,।

धत्,,,ऐसा थोड़ी है,,,(चाय का कप अपने हाथ में पकड़ते हुए)


हां मम्मी ऐसा ही है तुम नहीं जानते सारे डॉक्टर ने तुम्हारी जैसी खूबसूरत होगा तभी तक नहीं देखा होगा इसके लिए उसने ऐसी हरकत किया,,।(संजू की बातों में एक तरफ डॉक्टर के लिए शिकायत ही तो एक तरफ उसकी मां के लिए उसकी खूबसूरती की तारीफ भी थी इसलिए आराधना अपने मन में खुश हो रही थी कि अगर उसके बेटे की बात सही है तो उसकी जवानी आज भी बरकरार है जिसे देख कर आज भी मर्द पानी पानी हुआ जा रहा है,,,)


नहीं ऐसा नहीं कह सकते कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,,(चाय की चुस्की लेते हुए) शायद उसके ऐसे में यह सब आता होगावैसे भी डॉक्टर से शर्म नहीं किया जाता और ना ही डॉक्टर भी शर्म करता है तभी इलाज बराबर होता है,,,)

वह तो ठीक है मम्मी लेकिन तुम नहीं जानती कि मैं जो कुछ भी कह रहा हूं एकदम पक्के तौर पर कह रहा हूं ऐसे ही हवाबाजी नहीं कर रहा हूं,,,,।


क्यों ऐसा क्या तूने अनुमान लगा दिया कि डॉक्टर की नियत खराब थी,,,


अब जाने दो ना मम्मी मे वह नहीं बता पाऊंगा,,,


अरे ऐसे कैसे नहीं बताएगा ,,,बता तो सही ताकि दोबारा उसकी क्लीनिक पर ना जाऊं,,,,


मैं कैसे बताऊं मुझे शर्म आ रही है,,,,।
(आराधना समझ गई कि जरूर उसके बेटे ने कुछ ऐसी चीज नोटिस की होगी जिसके बारे में वह पक्के तौर पर बोल रहा है)


शर्माने की जरूरत नहीं है,,,, बता दे मैं कुछ नहीं कहूंगी,,,।

(संजू भी ज्यादा आनाकानी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसे लगने लगा था कि लोहा गर्म हो चुका है और सही मौके पर ही हथौड़े का वार करना चाहिए,,, वरना पत्थर पर सर मारने के बराबर हो जाता है,,,,)

मैं बताना तो नहीं चाहता था लेकिन मैं तुम्हें सच सच बताता हूं ताकि तुम अकेले कभी उसके लिए भी पढ़ना जाओ और ना ही मोहिनी को जाने दो,,,,।

हां हां नहीं जाऊंगी और ना मोहिनी को जाने दूंगी लेकिन बता तो सही,,,।


मम्मी मैंने साफ-साफ देखा था कि वह जानबूझकर तुम्हारी साड़ी को कुछ ज्यादा ही नीचे खींच दिया था ताकि तुम्हारी गांड को वह देख सकें और तुम्हें इंजेक्शन लगाते समय वह वह शायद कुछ ज्यादा ही मजा लेने लगा था क्योंकि मैं साफ-साफ देख पा रहा था कि पेंट में उसका आगे वाला भाग एकदम तंबू बन गया था,,, और सीधी जुबान में बोले तो,, तुम्हारी गांड देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था,,,,।
(संजय जानता था कि अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए था लेकिन दोनों के बीच के हालात बदल गए थे जिस तरह की बातचीत दोनों के बीच हो रही थी संजु को इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना ही थाक्योंकि कहीं ना कहीं उसे भी लगने लगा था कि उसकी बात नहीं सुनना चाहती हो कि वह बोलना चाहता है और अपनी मां के सामने इस तरह के शब्दों का प्रयोग करके वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव करने लगा था लेकिन शर्मा करो अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर लिया था,,,आराधना तो अपने बेटे के मुंह से और गांड जैसे शब्दों को सुनकर पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी उसकी चूत से मदन रस टपकने लगा थावह तो अच्छा था कि वह अपनी पैंटी निकल चुकी थी वरना फिर से उसकी पेंटी गीली हो जाती,,, संजू की बातें सुनकर आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

बाप रे इतना आराम ही था वह डॉक्टर अच्छा हुआ कि तू मेरे साथ था उसके क्लीनिक पर मैं अकेले नहीं गई वरना वरना जाने मुझे अकेला पाकर क्या-क्या हरकत करता,,,

(जिस तरह के शब्दों का प्रयोग करके संजू ने अपनी मां से डॉक्टर वाली बात बताया था और उसकी मां ने बिना एतराज जता है उसकी बात पर विश्वास करके आश्चर्य तारी थी उसे देखते हुए संजू को अपने ऊपर विश्वास हो गया था कि वह कुछ भी कहेगा उसकी मां को बुरा नहीं लगेगा इसलिए वह चुटकी लेते हुए बोला,,,)


अच्छा हुआ मम्मी की डॉक्टर ने ऊपर से साड़ी नीचे खींचा था नीचे से ऊपर नहीं सरकाया था वरना गजब हो जाता,,,


हां तो ठीक कह रहा है संजू मैंने तो आज पेंटी भी नहीं पहनी हूं,,,।
(इस बात को कह कर आराधना की हालत पूरी तरह से खराब हो गई क्योंकि वह अपने बेटे से खुले शब्दों में बात कर रही थी अपनी पेंटी के ना पहनने वाली बात कह रही थी उसकी चूत ‌फुदकने लगी थी,,,अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर संजू की आदत खराब हो गई थी और जिस तरह से उसने अपनी मां को बताया था कि उसकी गांड देखकर डॉक्टर का गंड खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था वही हाल इस समय संजू का भी था,,,अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करके उसका भी नहीं खड़ा हो गया था उसके पैंट में तंबू बन गया था और वह कुर्सी पर बैठा हुआ था उठना नहीं चाहता था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसकी मां की नजरों में डॉक्टर की तरह उसका भी तंबू नजर आए,,, क्योंकि वह अपनी मम्मी को यह नहीं पता ना चाहता था कि डॉक्टर की तरह उसकी भी नियत खराब है,,,, लेकिन अपनी मां की पेंटिं वाली बात सुनकर वह आश्चर्य जताते हुए बोला,,)

क्या तुम सच में पैंटी नहीं पहनी हो मैं तो मजाक कर रहा था अगर सच में डॉक्टर साड़ी ऊपर की तरफ उठाता तब तुम क्या करती,,, उठाने देती तब तो वह तुम्हारा सब कुछ देख लिया होता और मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा देखने के बाद वह अपने होश हवास में रह पाता,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर आराधना की सांसे भारी हो चली थी क्योंकि बात की गर्माहट के मर्म को अच्छी तरह से समझ रही थी क्योंकि उसका बेटा इशारों ही इशारों में डॉक्टर को चूत दिखाने वाली बात कह रहा था और कह भी रहा था कि तुम्हारी चूत देखने के बाद भले ही वह चूत सब जो अपने होठों पर ना लाया हो लेकिन उसका इशारा उसी की तरफ था,,, और यह भी कह रहा था कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने होश हवास खो बैठता तो क्या वह इतनी खूबसूरत है उसकी चूत इतनी रसीली है कि उसे देखने के बाद डॉक्टर अपने काबू में नहीं रहता क्या संजू ने उसकी चूत को अपनी आंखों से देखा नहीं अगर देखा ना होता तो वहां यह शब्द कैसे कहता,,, आराधना जानबूझकर एकदम सहज बनते हुए बोली,,,)


ऐसा क्यों,,,?


ऐसा क्यों का क्या मतलब अगर तुम्हारी शादी हो नीचे से ऊपर की तरफ उठा था तब तो छुपाने लायक उसकी आंखों के सामने कुछ भी नहीं रह जाता क्योंकि तुमने तो आज पहनती भी नहीं पहने हो तो वह तुम्हारी सब कुछ देख लेता,,,


तेरा मतलब इससे,,(उंगली के इशारे से अपने दोनों टांगों के बीच वाली जगह को दिखाते हुए ) है,,,!


तो क्या,,,?


मैं उसे अपनी साड़ी उठाने ही नहीं देती भले मुझे बुखार से तड़पना पड़ जाता,,,,,,
(दोनों के बीच की गर्माहट भरी बातों से कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हुआ जा रहा था कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी मोहिनी आ चुकी थी,,, दरवाजे पर दस्तक होते हैं दोनों के गर्म इरादों पर मोहिनी के द्वारा ठंडा पानी गिरा दिया गया था,,, ना चाहते हुए भी दरवाजा तो खोल ना ही था,,, संजु दरवाजा खोलने के चक्कर में अभी फोन किया कि डॉक्टर जैसी हालत उसकी खुद की हो चुकी थी उसके पैंट में भी तंबू बन चुका था और कुर्सी से उठते समय जबर दरवाजे की तरफ आगे बढ़ रहा था तभी उसकी मां तिरछी नजरों से संजू के पेंट की तरफ नजर घुमाकर देख ली थी,,, और अपने बेटे की पेंट में अच्छा-खासा तंबू को देखकर अंदर ही अंदर सिहर उठी थी,,, वह समझ गई थी कि जैसी हालत डोक्टर की थी ठीक वैसी हालत उसके बेटे की भी है उसके बेटे का भी लंड खड़ा हो गया है,,,,इस दृश्य को देखकर उसकी चूत से मदन रस की बूंद टपकने लगी,,, संजू दरवाजे तक पहुंच गया और दरवाजा खोल दिया सामने मोहिनी खड़ी थी वह घर में प्रवेश करते हुए,,, चाय के कप को देखकर बोली,,)

ओहहहहह तो यहां टी पार्टी चल रही है,,,


टी पार्टी नहीं है बेवकूफ मम्मी की तबीयत खराब है अभी-अभी क्लीनिक से दवा लेकर आए हैं तो मैं चाय बना दिया ताकि मम्मी दवा पी सके,,,।
(इतना सुनते ही मोहिनीअट्टम चिंतित हो गई और तुरंत अपनी मां के पास जाकर उसके माथे पर अपना हाथ रखते हुए बोली,,)

हां मम्मी तुम्हें तो बुखार है अभी तक दवा नहीं खाई,,,


अभी खाने ही जा रही हूं,,,।


ठीक है जल्दी से तुम दवा खा कर आराम करो मैं आज का खाना बना देती हूं तुम्हें आज कुछ भी नहीं करना है,,,
(इतना सुनते ही आराधना के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे क्योंकि वह खुश थी कि उसके दोनों बच्चे उसके बारे में बहुत परवाह करते थे,,,, )

आराधना और संजू

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बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना पूर्ण अपडेट है संजू और आराधना की बीच क्लीनिक में जो घटित हुआ उसके बारे में बाते करना बड़ा ही उत्तेजित संवाद है मोहिनी भी अपनी मां की तबियत को लेकर परेशान हैं देखते हैं आगे क्या परिस्थितियां बनती है क्या दोनो की चुदाई हो पाती हैं या नहीं
 

Sanju@

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आराधना की तबीयत खराब होने से कुछ दिन तक मोहिनी ही शाम को खाना बनाने लगी थी क्योंकि उसे लगता था कि उसकी मां घर का सारा काम करके ऑफिस का काम करके थक जाती है उसे भी थोड़ा आराम की जरूरत है,,,, हालांकि आराधना मोहिनी के इस तरह से मदद करने से बेहद खुश थी,,, लेकिन वह मोहिनी को परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए मोहिनी के साथ वह भी खाना बनाने बैठ जाती थी,,, दूसरी तरफ आराधना का ध्यान अपने बेटे पर लगा रहता था क्लीनिक लेकर जाने पर जो कुछ भी वहां पर हुआ था उन दोनों के बीच उस बात को लेकर जिस तरह से खुले तौर पर चर्चा हुई थी उसे देखते हुए आराधना के तन बदन में उस पल को याद करके अजीब सी हलचल सी होने लगती थी,,, धीरे-धीरे उसका बेटा उसके सामने ही अश्लील शब्दों का प्रयोग करने लगा था लेकिन ना जाने क्यों आराधना अपने बेटे की इस तरह की हरकत पर एतराज जताने की जगह मन ही मन अंदर ही अंदर उसके कहे शब्दों से आनंद लेने लगी थी,,,,,,,,,, उसका बेटा जिस कदर उसके आकर्षण में पूरी तरह से बंधा हुआ था उसे देखते हुए आराधना ना चाहते हुए भी अपने बेटे के बारे में सोचने लगी थी आखिरकार वह भी एक औरत थी,, कभी-कभी तो आराधना को खुद लगने लगा था कि जो कुछ भी उसका बेटा कह रहा है उसमें शत-प्रतिशत सच्चाई है उसे भी वही सुख की जरूरत है जिस सुख के बारे में वह उससे बात करता था,,,,,,,,, आराधना जब कभी भी अपने बेटे के बारे में सोचती थी तो उसकी कही बातें याद आने लगती थी और वह उन बातों को याद करके अपने तन बदन में अजीब सी हलचल को महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो जाती थी,,, ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं होता था लेकिन जब से उसका बेटा उसका ख्याल रखने लगा था उसे समझने लगा था तब से आराधना के भी मन में ना जाने क्यों अपने बेटे को लेकर एक हरकत सी होने लगी थी,,,,,,,

दूसरी तरफ मोहिनी अभी तक अपने भाई को दुबारा अपनी चूत के दर्शन नहीं करा पाई थी,,,हालांकि उसका मन तो बहुत करता था एक बार फिर से अपने भाई के प्यासे होठों को अपनी चूत पर महसूस करने के लिए,,, उसके लंड अपनी चूत की पतली दरार पर रगड़ खाने के लिए,,,,लेकिन वहां यह सब जल्दी-जल्दी नहीं करना चाहती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके भाई को शक हो गया तो वह उसके बारे में क्या सोचेगा क्योंकि वह अपने भाई को यह जताना चाहती थी कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब कुछ अनजाने में हो रहा है,,,, इसीलिए तो मोहिनी दोबारा फ्रॉक नहीं पहनी थी और संजू अपनी बहन को फ्रॉक में देखना चाहता था उसकी चूत को अपनी आंखों से देखना चाहता था,,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,,,,,


ऐसे ही एक दिन रविवार का दिन था और छुट्टी होने की वजह से,,, कोई काम नहीं था तो मोहिनी अपने भाई को बुक खरीदने के लिए बोली थी जो कि थोड़ा दूर पर मिलता था और मोहिनी चाहती थी कि उसका भाई उसे स्कूटी पर बैठा कर ले कर जाए,,,क्योंकि उसका भी मन बहुत करता था जब वह कभी लड़के और लड़की को स्कूटी पर आते-जाते देखी थी तो वह भी उसी तरह से स्कूटी पर बैठ कर घूमने का मजा लेना चाहती थी और अब तो उसकी मां की जॉब की वजह से घर पर एक स्कूटी थी और उसी का फायदा उठाना चाहती थी और अपने मन की मुराद को पूरा करना चाहती थी इसलिए वह अपने भाई संजु से बोली,,,,।


संजू मुझे कुछ किताबे खरीदनी है,,, अगर तू स्कूटी लेकर चलता तो मैं भी तेरे साथ चलती और हम दोनों किताबें खरीद लेते,,,
(संजू का मन तो था छुट्टी के दिन स्कूटी लेकर घूमने का लेकिन वह नहीं जानता था कि उसकी बहन भी उसके साथ चलना चाहती है वह तो अंदर ही अंदर खुश होने लगा था क्योंकि जब से वह अपनी बहन की नंगी चूत का दर्शन किया था और उसके साथ थोड़ी बहुत अपनी मनमानी किया था तब से,,, उसके मन में मोहिनी के लिए अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,,, इसलिए अपनी बहन के प्रस्ताव पर वह ज्यादा सोच विचार किए बिना ही हां बोल दिया,,, उसकी मां को भी कोई एतराज नहीं था कि स्कूटी लेकर वह दोनों किताब खरीदने जाएं,,, क्योंकि वह भी दूसरे लड़कों को देखती थी घूमते हुए तो उसका भी मन करता था कि उसके बच्चे भी इसी तरह से घूमे फिरे,,, लेकिन पहले की स्थिति सही नहीं थी घर में स्कूटी नहीं थी लेकिन जब से वह जॉब करने लगी थी तब से ऑफिस की तरफ से उसे स्कूटी मिल गई थी जिससे उसके बच्चे भी अपनी इच्छा पूरी कर सकते थे,,, इसलिए संजू के जवाब देने से पहले ही वह बोली,,,)

हां चला जा संजू,,, वैसे भी किताब की दुकान थोड़ी दूरी पर है स्कूटी लेकर जाएगा तो अच्छा रहेगा,,,।


ठीक है मम्मी लेकिन पैसे,,,


तू पैसे की चिंता मत कर मेरे पास पैसे हैं रुक अभी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर आराधना अंदर कमरे में चली गई और अलमारी में से पैसे निकाल कर संजू को थमाते हुए बोली,,,)

ले और तुम दोनों कुछ खा भी लेना,,,।
(मोहिनी बहुत खुश नजर आ रही थी,,, आराधना एक तनख्वाह ले चुकी थी और उसमें के पश्चात से ही वह उन दोनों को पैसे दे रही थी संजू भी बहुत खुश था कि उसकी मां के जॉब करने से घर की काफी समस्या हल हो चुकी थी,,, बस अशोक को छोड़कर जो कि अब वह कम ही घर पर आता जाता था,,,अब इस परिवार का अशोक से केवल नाम का ही रिश्ता रह गया था,,,,, संजू और मोहिनी दोनों नाश्ता करके घर से निकल गए थे,,,संजू स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बैठने का इंतजार कर रहा था मोहिनी भी काफी खुश नजर आ रही थी वह सलवार और कमीज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी अपना उभार लेकर बाहर निकलने को मचल रही थी स्कूटी पर बैठने से पहले ही संजू एक नजर अपनी बहन पर डाल लिया था,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन की खूबसूरती उसकी मां की खूबसूरती से बिल्कुल भी कम नहीं थी बस दोनों के बदन के भराव का अंतर था,,, फिर भी इस उम्र में एक लड़की का खूबसूरत बदन जिस ढांचे में होना चाहिए था मोहिनी का पतन उसी ढांचे में तराशा हुआ था,,, छातियों की शोभा बढ़ाती दोनों नारंगी या अपने मदहोश कर देने वाले आकार के साथ मोहिनी की खूबसूरती बढ़ा रही थी नितंबों का घेराव सीमित रूप में भी बेहद मादक और घातक नजर आ रहा था,,,, संजू तो अपनी बहन के खूबसूरत पतन के बारे में सोच कर ही पागल हुआ जा रहा था और अपने आप को खुश किस्मत समझ रहा था कि बहुत से लोग उसकी बहन को कपड़ों में देखकर उसके नंगे पन की कल्पना करके अपने हाथ से हिला कर शांत हो जाते होंगे लेकिन उसने अपनी आंखों से अपनी बहन की नंगी जवानी के दर्शन कर चुका था,,, और तो और उसकी चूत की गर्मी को अपने बदन मे महसूस भी कर चुका था अपने लंड को उस पर रगड़ कर अपना पानी भी गिरा चुका था यह सब हरकत को संजू अपनी खुशकिस्मती समझ रहा था और वास्तव में ऐसा ही था,,,,।

मोहिनी स्कूटी पर दोनों टांगों को अगल-बगल करके बैठ गई थी और अपने भाई के कंधे पर दोनों हाथ रखकर उसका सहारा लेते हुए अपनी मां पर एक नजर डाली जो कि दरवाजे पर खड़ी होकर दोनों को देख रही थी,,,, और अपने भाई को चलने के लिए बोली,,,, संजू स्कूटी स्टार्ट कर के जैसे ही केयर में डालकर एक्सीलेटर दबाया वैसे ही तुरंत मोहिनी झटका खाकर आगे की तरफ अपने भाई की पीठ से सट गई,,,देखने में तो यह बेहद औपचारिक रूप से था लेकिन इसके बीच जो कुछ भी हुआ था उसे संजू अपने अंदर महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था मोहिनी की जानलेवा चूचियां सीधे-सीधे संजू की पीठ से दब गई थी और संजू अपनी बहन की चूचियों की रगड़ और दबाव को अच्छी तरह से महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,,,, यह वाक्यापल भर के लिए ही था लेकिन इस पल भर में संजू के तन बदन में अद्भुत हलचल को जन्म दे दिया था,,, क्योंकि संजू ने अपनी बहन की कड़ी निप्पल को अपनी पीठ पर चुभता हुआ महसूस किया था,,,,, लेकिन यह सब इतनी जल्दी हुआ था कि मोहिनी को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि उसकी वजह से उसका भाई पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है,,,।

संजू स्कूटी को एक्सीलेटर देता हुआ आगे बढ़ाने लगा मोहिनी को बहुत अच्छा लग रहा था आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने भाई के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ उसकी स्कूटी पर बैठकर जा रही है,,,,,,मोहिनी के लिए यह पहला मौका था जब वह स्कूटी पर बैठकर अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी स्कूटी पर बैठना भी उसके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था,,,, स्कूटी पर बैठे-बैठे इधर-उधर देखते हुए आगे बढ़ने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप बिल्कुल भी नहीं हो रही थी क्योंकि संजु तो पहले से ही अपनी बहन की चूची की रगड़ को अपनी पीठ पर महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो गया था और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा था,,,,,,,,, संजू को भी किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं थी इसलिए वह आराम से स्कूटी चला रहा था,,,,,,, और बात की शुरुआत करते हुए वह मोहिनी से बोला,,,।

तुझे कौन सी बुक लेनी है,,,


अरे दो-तीन बुक लेनी है,,, अच्छा हुआ भैया की मां की जॉब लग गई और उन्हें आने-जाने के लिए स्कूटी मिल गई हम लोगों का भी काम आसान हो गया नहीं तो हम लोग कहां स्कूटी से घूमने वाले थे,,,


हां बात तो तू सच ही कह रही है,,,मैं भी अपने दोस्तों को गाड़ी से आती जाती देखता था तो मैं भी सोचता था कि ना जाने कब ऐसा दिन होगा कि मैं भी इसी तरह से गाड़ी से आऊंगा जाऊंगा लेकिन वहां की बदौलत देख हम दोनों स्कूटी पर घूम रहे हैं,,,,(इतना कहना था कि तभी अचानक छोटा सा खड्डा आ गया और संजू ब्रेक लगा दिया मोहिनी अपने भाई के कंधे पर हाथ रख कर बैठी हुई थी और एकाएक ब्रेक लगने की वजह से एकदम से उससे सट गई और एक बार फिर से संजीव को अपनी बहन की नरम नरम चुचियों का कड़क पन अपनी पीठ पर महसूस हुआ और इस बार संजू पूरी तरह से गनगना गया क्योंकि मोहिनी एक दम से झटका खाकर उसकी पीठ से एकदम से चिपक गई थी जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल नारंगी या एकदम दबती हुई संजू को अपनी पीठ पर महसूस हुई थी दोनों नारंगीयो का इस तरह से पीठ पर दबने की वजह से संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, और मोहिनी अपने आप को संभालते हुए बोली,,)


देख के,,,,,


देख तो रहा हूं एकाएक खड्डा आ गया,,,


चल ठीक है,,,,।

(संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया था इस बार मोहिनी को इस बात का अहसास हुआ था कि उसकी चूची पूरी तरह से उसके भाई की पीठ से सट गई थी,,, और इस बार उत्तेजना की झनझनाहट उसके तन बदन को भी झकझोर कर रख दी थी,,,, ,, रास्ते भर एक से एक होटल और एक से एक गेस्ट हाउस आता जा रहा था गेस्ट हाउस के बाहर खूबसूरत खड़ी लड़कियाें को देखकर संजू अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन इन सब से मोहिनी अनजान थी,,, उन लड़कियों को देख कर संजू अपने मन में सोच रहा था कि यह भी कितना अच्छा है मर्दों के लिए कि पैसा देखकर कुछ भी कर सकते हैं और वह लड़कियां भी पैसा लेकर कुछ भी करवाने को तैयार हो जाती हैं,,,, उसके पास पैसा होता तो शायद वह भी घंटे भर के लिए गेस्ट हाउस में जरूर जाता और वह भी एक खूबसूरत लड़की के साथ जिसे वह बिल्कुल भी जानता ना हो पहचानता ना हो,,,संजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अनजान लड़की के साथ चुदाई करने में कितना अद्भुत सुख मिलता होगा जिसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानता हो ना वह लड़की उसके बारे में जानती हो,,,, यही सब सोचकर संजू अपने मन को बहलाने की कोशिश कर रहा था कि तभी एक जगह पर रोकने के लिए मोहिनी संजू से बोली,,,।)

बस बस यहीं पर यहीं पर रोक दो,,,,
(सामने बुक की दुकान देख कर संजू भी ब्रेक मार कर स्कूटी पर साइड में लगाकर खड़ी कर दिया,,, मोहिनी स्कूटी पर से उतरी और बुक स्टॉल में प्रवेश कर गई पीछे-पीछे संजू भी,,,यहां पर दुनिया भर की किताबें रखी हुई थी हर जात की मस्जिद से लेकर के कॉलेज की किताबों तक सब का ढेर लगा हुआ था,,,,)

तो किताबें खरीद मैं तब तक दूसरी किताबे देख लो यहां पर तो किताबों का ढेर लगा हुआ है,,,


तभी तो मैं यहां आने के लिए बोली थी क्योंकि जो किताबें कहीं नहीं मिलती यहां मिल जाती हैं,,,


ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ संजु कुछ मैगजीन को लेकर उनके पन्ने पलट कर देखने लगा,,, और मोहिनी अपने लिए किताब निकलवाने लगी थोड़ी देर में मोहीनी अपनी जरूरत की किताब को निकाल कर अपने भाई से पैसे लेकर उस किताब को खरीद चुकी थी,,,, लेकिन यहां पर इतनी सारी किताबें थी कि मोहिनी एक-एक करके सारी किताबों को हाथ में लेकर देख रही थी,,, संजू की दूसरी तरफ मेगज़ीन के पन्ने छांट रहा था अभी महीने की नजर एक किताब पर पड़ी जो कि थोड़ी छोटी सी थी और उस पर लिखा था भाई का प्यार कुतुहल बस मोहिनी उस किताब को लेकर देखने लगी,,,, किताब के मुखपृष्ठ पर एक लड़का और एक लड़की की फोटो छपी हुई थी जो कि एक दूसरे को चिम्मन कर रहे थे,,,, मुखपृष्ठ के रंगीन दृश्य को देखकर मोहिनी को समझ में नहीं आया कि यह कैसा भाई का प्यार किताब है इसलिए वह पन्ने पलट कर अंदर की कुछ लाइनों को पढ़ने की कोशिश करने लगी और बीच के पन्ने को पलटते ही जिस लाइन को वह पढ़ रही थी उसे पढ़कर उसके होश उड़ गए,,,, उस लाइन में लिखा हुआ था,,, "भैया ने मुझ पर बिल्कुल भी रहे नहीं किया और पहली बार में ही अपने लंड पर तेल लगाकर मेरी बुर में डाल दिया,,,,"

इस लाइन को पढते ही मोहीनी की आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी उसने पढी थीवह सच में उस किताब में लिखा हुआ था वह अगल-बगल नजर घुमा कर देखने लगी कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,जब उसे पूरी तरह से तसल्ली हो गई कि कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा है तो वह दूसरा पन्ना पलट कर उसमें की लाइन पड़ने लगी जिसके पडते ही उसकी चूत से काम रस टपकने लगा उसमें लिखा था,,,।


आधी रात को भैया अपने कमरे से निकलकर एकदम चुप चाप चोर कदमों से मां की नजर से बचकर मेरे कमरे में आए और मैंने पहले से ही दरवाजे की कुंडी खोल रखी थी और अंदर प्रवेश करते ही भाई ने खुद दरवाजे की कुंडी लगाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी बाहों में लेकर बेतहाशा मेरे होठों का रसपान करते हुए कमीज के ऊपर से ही मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया,,,,(इतना पढ़ते ही महीने के तन बदन में आग लगने लगी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और फिर से सबकी नजरें बचाकर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,) मैं कुछ भी कर सकेंगे की स्थिति में नहीं थी मैं तो भैया की हरकत का मजा ले रही थी भैया तुरंत मेरे सलवार की डोरी खोल कर सलवार को मेरे बदन से अलग कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठाकर पलंग पर लाकर पटक दिए,,,, मेरी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,मैं पहली बार अपने भाई के लंड को देख रही थी एकदम 8 इंच का लंबा मोटा तगड़ा लंड देखकर मेरी बुर से पानी निकलने लगा,,,,।
(मोहिनी की हालत खराब होने लगी थी,,,मोहिनी की इच्छा उस किताब को वापस रखने की बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन उस किताब को खरीद भी नहीं सकती थी,,,लेकिन उसके आगे की लाइन पढ़ने के लिए वह बेहद व्याकुल नजर आ रही थी इसलिए फिर से सबसे नजर बचा कर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,।)
मैं पलंग पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,,, भैया मेरी टांग को पकड़कर अपनी तरफ खींच कर एकदम पलंग के किनारे कर दी है और अपनी उंगलियों को हरकत देते हुए मेरी पैंटी को अपनी उंगली में फंसाकर खींचना शुरू कर दिए मैं भी उनका साथ देते हुए अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाकर पेंटिंग निकलवाने में उनकी मदद करने लगी,,,और देखते ही देखते मेरे भैया ने मुझे पूरी तरह से अपनी ही तरह एकदम नंगी कर दिया था,,,यह सब कुछ मेरे लिए पहली बार था इसलिए कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन मेरा भैया बहुत जानकार था और वह अगले ही पल मेरी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने प्यासे होठों को मेरी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर हुआ जा रहा था और मैं अपने दोनों हाथ को अपने भाई के सर पर रख कर उसे उत्तेजना के मारे जोर जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी,,,,।
( ईतना पढ़ते ही मोहिनी को अपनी पेंटिं गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, मोहिनी सबसे नजर बचा कर वह पन्ना पलट कर उसका दूसरा पन्ना पड़ने लगी जिसके पढ़ते ही वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाई और उसकी चूत से बदल रस फूट पड़ा,,, उस अगले पन्ने पर लिखा था,,,) भैया का लैंड तेल लगाने की वजह से बड़े आराम से मेरी बुर के अंदर बाहर हो रहा था भैया अपनी कमर हिला हिला कर मुझे चोद रहा था मैं भी एकदम मस्ती में अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,,, मां की नजरों से बचकर उसके ही बगल वाले कमरे में हम भाई बहन चुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे,,,,(मोहिनी इससे ज्यादा पढ़ पाती इससे पहले ही संजू की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,)

हो गया मोहीनी,,,,।


ह,ह, हां,,,,, हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी उस किताब को उसी जगह पर रख दी क्योंकि उसका भी हो गया था उसका भी काम रस निकल चुका था जिससे उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,, अपनी भावनाओं पर काबू करके वह किताब की दुकान से बाहर निकल गई,,,,लेकिन उसकी सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी पेंटी में चिपचिपाहट महसूस हो रही थी,,,, उसके भाई को मोहिनी के हालत के बारे में बिल्कुल भी खबर नहीं थी वरना जिस तरह से मोहिनी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी अगर उसके भाई को जरा भी इस बात का एहसास होता तो शायद वह किसी केस था उसमें अपनी बहन को ले जाता और वही जमकर चुदाई करता,,,, स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बेठते ही संजू बोला,,,)

तुझे क्या खाना है,,,


मुझे तो चाइनीज खाना है,,,,,,


ठीक है चल तुझे चाइनीज खिलाता हूं,,,,।
(जब तक संजू स्कूटी को चाइनीस की रेस्टोरेंट्स के सामने नहीं रोक दिया तब तक मोहिनी उस किताब के बारे में सोचने लगी और उसमें लिखी हुई बातों के बारे में,,,मैंने पहली बार इस तरह की किताब पढ़ रही थी जिसमें गंदे में शब्दों में सब कुछ खुला खुला लिखा था और वह भी भाई-बहन के बीच गंदे संबंध के बारे में,,,,महीने के दिलों दिमाग पर बार-बार किताब में लिखी हुई वही सब लाइने घूम रही थी,,,,,मोहिनी की हालत वाकई में एकदम खराब हो चुकी थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और किताब में लिखी बातों को अपने भाई के साथ सच करने का सोच रही थी,,,, तभी स्कूटी खड़ी करके संजू और मोहिनी स्कूटी पर से उतर गए और संजू उसे रेस्टोरेंट में चलने के लिए बोला,,,, दोनों रेस्टोरेंट में आकर खाली टेबल पर बैठ गए और वेटर को ऑर्डर करके बातें करने लगे,,,)


आज कितना अच्छा लग रहा है ना मोहिनी इस तरह से रेस्टोरेंट में हम दोनों ने कभी नाश्ता नहीं किया होगा,,, लेकिन मम्मी की बदौलत,,, हम दोनों को ऐसा लग रहा है कि जैसे हम दोनों कोई अपना अधूरा सपना पूरा कर रहे हैं है ना,,,।


हां भाई एकदम ठीक कह रहा है मैं तो कभी सोची भी नहीं थी कि जिस तरह से हम दोनों स्कूटी पर घूमेंगे और किसी रेस्टोरेंट में नाश्ता करेंगे,,,,।
(वह दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी वेटर दो प्लेट लेकर आगे और टेबल पर रख कर चला गया दोनों कांटे वाली चम्मच से चाइनीस खाने लगे,,, रेस्टोरेंट के सामने ही गेस्ट हाउस था जिसके नीचे कुछ लड़कियां सज धज कर खड़ी थी,,,मोहिनी उन्हीं लड़कियों को देख रही थी लेकिन मोहिनी यह बात नहीं जानती थी कि वह लड़कियां गेस्ट हाउस के नीचे खड़ी क्यों है,,, मोहिनी खाते हुए वही देख रही थी कि तभी गेस्ट हाउस के सामने एक रिक्शा आकर रुकी और उसमें से एक आदमी और एक नौजवान लड़की नीचे उतरी,,,, उस आदमी को देखकर मोहिनी पहचान लिया और संजू से बोली,,,।


संजू वह देख पापा रिक्शा से अभी-अभी उतरे हैं लेकिन उनके साथ वह लड़की कौन है जो मुंह पर दुपट्टा बांधी हुई है,,,।
(मोहिनी की बात सुनकर संजू एकदम सौंपते हुए उस दिशा में देखा तो उसके भी होश उड़ गए क्योंकि रिक्शा से उतरने वाले उसके पापा ही थे और उसके साथ जो लड़की थी अपने मुंह पर दुपट्टा पानी हुई थी और वह दोनों गेस्ट हाउस के सामने उतरे थे,,, संजू को पूरा मामला समझते देर नहीं लगी थी,,,मोहिनी के पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस की सीढ़ियां चढ़ने लगे थे यह देखकर मोहिनी बोली,,,।)

भाई पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस में जा रहे हैं वह लड़की है कौन,,,?(मोहिनी आश्चर्य से गेस्ट हाउस की तरफ देखते हुए बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन संजु सब कुछ समझता था,,, लेकिन वह मोहिनी को बताना नहीं चाहता था इसलिए बात को टालने की गरज से वह बोला,,,)

अरे मोहीनी उनकी कंपनी की कोई एम्पलाई होगी मीटिंग में आए होंगे,,,।


लेकिन इस तरह से हाथ पकड़ कर,,,


अरे तो क्या हुआ,,, तू ज्यादा मत सोच जल्दी से खत्म कर हमें घर चलना है,,,,।
(संजू मोहिनी का ध्यान वहां से हटाने के लिए बोला और मोहिनी भी ज्यादा ना सोचते हुए खाना शुरु कर दी लेकिन संजू का दिमाग घूमने लगा था क्योंकि जो कुछ भी उसने आंखों से देखा था उसमें कुछ भी उसकी बातों को गलत साबित नहीं कर सकता था संजीव जानता था कि गेस्ट हाउस में उसके पापा किसी लड़की को लेकर आई थी और वह उसकी चुदाई करने के लिए निकल गए थे जिसका मतलब साफ था कि उसके पापा परिवार की जिम्मेदारी से पूरी तरह से भटक चुके हैं और जो पैसा परिवार के पीछे खर्च करना चाहिए था वह लड़की चोदने के पीछे खर्च हो रहा था,,,,संजू को अब समझ में आ गया था कि उसके पापा घर पर पैसे क्यों नहीं देती थी क्योंकि उसके पापा के पैसे इन्हीं सब कामों में खर्च हो रहे थे संजु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,, दोनों खा चुके थे और संजू मिल चुका कर रेस्टोरेन से बाहर आ गया था और स्कूटी पर अपनी बहन को बिठाकर घर की तरफ लौटने लगा था संजु इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि
मोहिनी घर पर जाकर मम्मी को सब कुछ बता देगी कि उसने पापा को किसी लड़की के साथ देखा है और उसकी मम्मी को समझते देर नहीं लगेगी कि सारा मामला क्या है इसलिए संजू रास्ते में ही मोहिनी को,,,अपने पापा के देखने वाली बात क्यों मम्मी से ना बताने के लिए बोल दिया था और मोहिनी भी इस बात से राजी हो गई थी,,,,,,।

मोहिनी दिन भर अपने पापा वाली बात तो भूल गई थी लेकिन उस किताब वाली बात को नहीं भूल पा रही थी बार-बार उस में लिखी बातें मोहिनी के दिमाग पर छा रही थी किताब में लिखी सारी बातें मोहिनी के दिमाग पर कब्जा जमाए हुए थे और इसी के चलते वह एक बार फिर से अपने भाई को अपनी चूत के दर्शन करा कर मोहित करना चाहती थी इसलिए वहां रात को सोते समय फ्रॉक पहन ली थी और जब संजू ने देखा कि उसकी बहन फ्रॉक पहनी हुई है तब अपने आप ही संजु का लंड खड़ा होने लगा,,, खाना खा कर आराधना अपने कमरे में चली गई थी और संजू और मोहिनी अपने कमरे में आ गए थे,,, अपनी बहन को फ्रॉक में देखकर संजू का दिल जोरो से धड़क रहा थाऔर वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि उस दिन की तरह आज भी उसकी बहन अगर पेंटी ना पहनी हो तो बहुत मजा आ जाए,,,,
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना पूर्ण अपडेट है आराधना धीरे धीरे संजू की बातो को सही मानने लगी है लगता है उसकी चुदाई जल्दी ही होने वाली है मोहिनी संजू के साथ स्कुटी पर बैठने पर उसकी चूची की रगड़ से संजू उत्तेजित हो जाता है वही मोहिनी बुक स्टोर पर भाई बहन की कहानी पढ़कर उत्तेजित होकर चूत रस निकल जाता है वही अशोक लड़की की चुदाई में अपने पैसे उड़ा रहा है आज संजू को मोहिनी की चूत फिर से मिलेगी देखते हैं क्या अशोक की बात आराधना को बताएगा संजू या नहीं देखते हैं आगे क्या होता है
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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आराधना की तबीयत खराब होने से कुछ दिन तक मोहिनी ही शाम को खाना बनाने लगी थी क्योंकि उसे लगता था कि उसकी मां घर का सारा काम करके ऑफिस का काम करके थक जाती है उसे भी थोड़ा आराम की जरूरत है,,,, हालांकि आराधना मोहिनी के इस तरह से मदद करने से बेहद खुश थी,,, लेकिन वह मोहिनी को परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए मोहिनी के साथ वह भी खाना बनाने बैठ जाती थी,,, दूसरी तरफ आराधना का ध्यान अपने बेटे पर लगा रहता था क्लीनिक लेकर जाने पर जो कुछ भी वहां पर हुआ था उन दोनों के बीच उस बात को लेकर जिस तरह से खुले तौर पर चर्चा हुई थी उसे देखते हुए आराधना के तन बदन में उस पल को याद करके अजीब सी हलचल सी होने लगती थी,,, धीरे-धीरे उसका बेटा उसके सामने ही अश्लील शब्दों का प्रयोग करने लगा था लेकिन ना जाने क्यों आराधना अपने बेटे की इस तरह की हरकत पर एतराज जताने की जगह मन ही मन अंदर ही अंदर उसके कहे शब्दों से आनंद लेने लगी थी,,,,,,,,,, उसका बेटा जिस कदर उसके आकर्षण में पूरी तरह से बंधा हुआ था उसे देखते हुए आराधना ना चाहते हुए भी अपने बेटे के बारे में सोचने लगी थी आखिरकार वह भी एक औरत थी,, कभी-कभी तो आराधना को खुद लगने लगा था कि जो कुछ भी उसका बेटा कह रहा है उसमें शत-प्रतिशत सच्चाई है उसे भी वही सुख की जरूरत है जिस सुख के बारे में वह उससे बात करता था,,,,,,,,, आराधना जब कभी भी अपने बेटे के बारे में सोचती थी तो उसकी कही बातें याद आने लगती थी और वह उन बातों को याद करके अपने तन बदन में अजीब सी हलचल को महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो जाती थी,,, ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं होता था लेकिन जब से उसका बेटा उसका ख्याल रखने लगा था उसे समझने लगा था तब से आराधना के भी मन में ना जाने क्यों अपने बेटे को लेकर एक हरकत सी होने लगी थी,,,,,,,

दूसरी तरफ मोहिनी अभी तक अपने भाई को दुबारा अपनी चूत के दर्शन नहीं करा पाई थी,,,हालांकि उसका मन तो बहुत करता था एक बार फिर से अपने भाई के प्यासे होठों को अपनी चूत पर महसूस करने के लिए,,, उसके लंड अपनी चूत की पतली दरार पर रगड़ खाने के लिए,,,,लेकिन वहां यह सब जल्दी-जल्दी नहीं करना चाहती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके भाई को शक हो गया तो वह उसके बारे में क्या सोचेगा क्योंकि वह अपने भाई को यह जताना चाहती थी कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब कुछ अनजाने में हो रहा है,,,, इसीलिए तो मोहिनी दोबारा फ्रॉक नहीं पहनी थी और संजू अपनी बहन को फ्रॉक में देखना चाहता था उसकी चूत को अपनी आंखों से देखना चाहता था,,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,,,,,


ऐसे ही एक दिन रविवार का दिन था और छुट्टी होने की वजह से,,, कोई काम नहीं था तो मोहिनी अपने भाई को बुक खरीदने के लिए बोली थी जो कि थोड़ा दूर पर मिलता था और मोहिनी चाहती थी कि उसका भाई उसे स्कूटी पर बैठा कर ले कर जाए,,,क्योंकि उसका भी मन बहुत करता था जब वह कभी लड़के और लड़की को स्कूटी पर आते-जाते देखी थी तो वह भी उसी तरह से स्कूटी पर बैठ कर घूमने का मजा लेना चाहती थी और अब तो उसकी मां की जॉब की वजह से घर पर एक स्कूटी थी और उसी का फायदा उठाना चाहती थी और अपने मन की मुराद को पूरा करना चाहती थी इसलिए वह अपने भाई संजु से बोली,,,,।


संजू मुझे कुछ किताबे खरीदनी है,,, अगर तू स्कूटी लेकर चलता तो मैं भी तेरे साथ चलती और हम दोनों किताबें खरीद लेते,,,
(संजू का मन तो था छुट्टी के दिन स्कूटी लेकर घूमने का लेकिन वह नहीं जानता था कि उसकी बहन भी उसके साथ चलना चाहती है वह तो अंदर ही अंदर खुश होने लगा था क्योंकि जब से वह अपनी बहन की नंगी चूत का दर्शन किया था और उसके साथ थोड़ी बहुत अपनी मनमानी किया था तब से,,, उसके मन में मोहिनी के लिए अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,,, इसलिए अपनी बहन के प्रस्ताव पर वह ज्यादा सोच विचार किए बिना ही हां बोल दिया,,, उसकी मां को भी कोई एतराज नहीं था कि स्कूटी लेकर वह दोनों किताब खरीदने जाएं,,, क्योंकि वह भी दूसरे लड़कों को देखती थी घूमते हुए तो उसका भी मन करता था कि उसके बच्चे भी इसी तरह से घूमे फिरे,,, लेकिन पहले की स्थिति सही नहीं थी घर में स्कूटी नहीं थी लेकिन जब से वह जॉब करने लगी थी तब से ऑफिस की तरफ से उसे स्कूटी मिल गई थी जिससे उसके बच्चे भी अपनी इच्छा पूरी कर सकते थे,,, इसलिए संजू के जवाब देने से पहले ही वह बोली,,,)

हां चला जा संजू,,, वैसे भी किताब की दुकान थोड़ी दूरी पर है स्कूटी लेकर जाएगा तो अच्छा रहेगा,,,।


ठीक है मम्मी लेकिन पैसे,,,


तू पैसे की चिंता मत कर मेरे पास पैसे हैं रुक अभी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर आराधना अंदर कमरे में चली गई और अलमारी में से पैसे निकाल कर संजू को थमाते हुए बोली,,,)

ले और तुम दोनों कुछ खा भी लेना,,,।
(मोहिनी बहुत खुश नजर आ रही थी,,, आराधना एक तनख्वाह ले चुकी थी और उसमें के पश्चात से ही वह उन दोनों को पैसे दे रही थी संजू भी बहुत खुश था कि उसकी मां के जॉब करने से घर की काफी समस्या हल हो चुकी थी,,, बस अशोक को छोड़कर जो कि अब वह कम ही घर पर आता जाता था,,,अब इस परिवार का अशोक से केवल नाम का ही रिश्ता रह गया था,,,,, संजू और मोहिनी दोनों नाश्ता करके घर से निकल गए थे,,,संजू स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बैठने का इंतजार कर रहा था मोहिनी भी काफी खुश नजर आ रही थी वह सलवार और कमीज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी अपना उभार लेकर बाहर निकलने को मचल रही थी स्कूटी पर बैठने से पहले ही संजू एक नजर अपनी बहन पर डाल लिया था,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन की खूबसूरती उसकी मां की खूबसूरती से बिल्कुल भी कम नहीं थी बस दोनों के बदन के भराव का अंतर था,,, फिर भी इस उम्र में एक लड़की का खूबसूरत बदन जिस ढांचे में होना चाहिए था मोहिनी का पतन उसी ढांचे में तराशा हुआ था,,, छातियों की शोभा बढ़ाती दोनों नारंगी या अपने मदहोश कर देने वाले आकार के साथ मोहिनी की खूबसूरती बढ़ा रही थी नितंबों का घेराव सीमित रूप में भी बेहद मादक और घातक नजर आ रहा था,,,, संजू तो अपनी बहन के खूबसूरत पतन के बारे में सोच कर ही पागल हुआ जा रहा था और अपने आप को खुश किस्मत समझ रहा था कि बहुत से लोग उसकी बहन को कपड़ों में देखकर उसके नंगे पन की कल्पना करके अपने हाथ से हिला कर शांत हो जाते होंगे लेकिन उसने अपनी आंखों से अपनी बहन की नंगी जवानी के दर्शन कर चुका था,,, और तो और उसकी चूत की गर्मी को अपने बदन मे महसूस भी कर चुका था अपने लंड को उस पर रगड़ कर अपना पानी भी गिरा चुका था यह सब हरकत को संजू अपनी खुशकिस्मती समझ रहा था और वास्तव में ऐसा ही था,,,,।

मोहिनी स्कूटी पर दोनों टांगों को अगल-बगल करके बैठ गई थी और अपने भाई के कंधे पर दोनों हाथ रखकर उसका सहारा लेते हुए अपनी मां पर एक नजर डाली जो कि दरवाजे पर खड़ी होकर दोनों को देख रही थी,,,, और अपने भाई को चलने के लिए बोली,,,, संजू स्कूटी स्टार्ट कर के जैसे ही केयर में डालकर एक्सीलेटर दबाया वैसे ही तुरंत मोहिनी झटका खाकर आगे की तरफ अपने भाई की पीठ से सट गई,,,देखने में तो यह बेहद औपचारिक रूप से था लेकिन इसके बीच जो कुछ भी हुआ था उसे संजू अपने अंदर महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था मोहिनी की जानलेवा चूचियां सीधे-सीधे संजू की पीठ से दब गई थी और संजू अपनी बहन की चूचियों की रगड़ और दबाव को अच्छी तरह से महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,,,, यह वाक्यापल भर के लिए ही था लेकिन इस पल भर में संजू के तन बदन में अद्भुत हलचल को जन्म दे दिया था,,, क्योंकि संजू ने अपनी बहन की कड़ी निप्पल को अपनी पीठ पर चुभता हुआ महसूस किया था,,,,, लेकिन यह सब इतनी जल्दी हुआ था कि मोहिनी को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि उसकी वजह से उसका भाई पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है,,,।

संजू स्कूटी को एक्सीलेटर देता हुआ आगे बढ़ाने लगा मोहिनी को बहुत अच्छा लग रहा था आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने भाई के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ उसकी स्कूटी पर बैठकर जा रही है,,,,,,मोहिनी के लिए यह पहला मौका था जब वह स्कूटी पर बैठकर अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी स्कूटी पर बैठना भी उसके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था,,,, स्कूटी पर बैठे-बैठे इधर-उधर देखते हुए आगे बढ़ने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप बिल्कुल भी नहीं हो रही थी क्योंकि संजु तो पहले से ही अपनी बहन की चूची की रगड़ को अपनी पीठ पर महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो गया था और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा था,,,,,,,,, संजू को भी किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं थी इसलिए वह आराम से स्कूटी चला रहा था,,,,,,, और बात की शुरुआत करते हुए वह मोहिनी से बोला,,,।

तुझे कौन सी बुक लेनी है,,,


अरे दो-तीन बुक लेनी है,,, अच्छा हुआ भैया की मां की जॉब लग गई और उन्हें आने-जाने के लिए स्कूटी मिल गई हम लोगों का भी काम आसान हो गया नहीं तो हम लोग कहां स्कूटी से घूमने वाले थे,,,


हां बात तो तू सच ही कह रही है,,,मैं भी अपने दोस्तों को गाड़ी से आती जाती देखता था तो मैं भी सोचता था कि ना जाने कब ऐसा दिन होगा कि मैं भी इसी तरह से गाड़ी से आऊंगा जाऊंगा लेकिन वहां की बदौलत देख हम दोनों स्कूटी पर घूम रहे हैं,,,,(इतना कहना था कि तभी अचानक छोटा सा खड्डा आ गया और संजू ब्रेक लगा दिया मोहिनी अपने भाई के कंधे पर हाथ रख कर बैठी हुई थी और एकाएक ब्रेक लगने की वजह से एकदम से उससे सट गई और एक बार फिर से संजीव को अपनी बहन की नरम नरम चुचियों का कड़क पन अपनी पीठ पर महसूस हुआ और इस बार संजू पूरी तरह से गनगना गया क्योंकि मोहिनी एक दम से झटका खाकर उसकी पीठ से एकदम से चिपक गई थी जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल नारंगी या एकदम दबती हुई संजू को अपनी पीठ पर महसूस हुई थी दोनों नारंगीयो का इस तरह से पीठ पर दबने की वजह से संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, और मोहिनी अपने आप को संभालते हुए बोली,,)


देख के,,,,,


देख तो रहा हूं एकाएक खड्डा आ गया,,,


चल ठीक है,,,,।

(संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया था इस बार मोहिनी को इस बात का अहसास हुआ था कि उसकी चूची पूरी तरह से उसके भाई की पीठ से सट गई थी,,, और इस बार उत्तेजना की झनझनाहट उसके तन बदन को भी झकझोर कर रख दी थी,,,, ,, रास्ते भर एक से एक होटल और एक से एक गेस्ट हाउस आता जा रहा था गेस्ट हाउस के बाहर खूबसूरत खड़ी लड़कियाें को देखकर संजू अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन इन सब से मोहिनी अनजान थी,,, उन लड़कियों को देख कर संजू अपने मन में सोच रहा था कि यह भी कितना अच्छा है मर्दों के लिए कि पैसा देखकर कुछ भी कर सकते हैं और वह लड़कियां भी पैसा लेकर कुछ भी करवाने को तैयार हो जाती हैं,,,, उसके पास पैसा होता तो शायद वह भी घंटे भर के लिए गेस्ट हाउस में जरूर जाता और वह भी एक खूबसूरत लड़की के साथ जिसे वह बिल्कुल भी जानता ना हो पहचानता ना हो,,,संजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अनजान लड़की के साथ चुदाई करने में कितना अद्भुत सुख मिलता होगा जिसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानता हो ना वह लड़की उसके बारे में जानती हो,,,, यही सब सोचकर संजू अपने मन को बहलाने की कोशिश कर रहा था कि तभी एक जगह पर रोकने के लिए मोहिनी संजू से बोली,,,।)

बस बस यहीं पर यहीं पर रोक दो,,,,
(सामने बुक की दुकान देख कर संजू भी ब्रेक मार कर स्कूटी पर साइड में लगाकर खड़ी कर दिया,,, मोहिनी स्कूटी पर से उतरी और बुक स्टॉल में प्रवेश कर गई पीछे-पीछे संजू भी,,,यहां पर दुनिया भर की किताबें रखी हुई थी हर जात की मस्जिद से लेकर के कॉलेज की किताबों तक सब का ढेर लगा हुआ था,,,,)

तो किताबें खरीद मैं तब तक दूसरी किताबे देख लो यहां पर तो किताबों का ढेर लगा हुआ है,,,


तभी तो मैं यहां आने के लिए बोली थी क्योंकि जो किताबें कहीं नहीं मिलती यहां मिल जाती हैं,,,


ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ संजु कुछ मैगजीन को लेकर उनके पन्ने पलट कर देखने लगा,,, और मोहिनी अपने लिए किताब निकलवाने लगी थोड़ी देर में मोहीनी अपनी जरूरत की किताब को निकाल कर अपने भाई से पैसे लेकर उस किताब को खरीद चुकी थी,,,, लेकिन यहां पर इतनी सारी किताबें थी कि मोहिनी एक-एक करके सारी किताबों को हाथ में लेकर देख रही थी,,, संजू की दूसरी तरफ मेगज़ीन के पन्ने छांट रहा था अभी महीने की नजर एक किताब पर पड़ी जो कि थोड़ी छोटी सी थी और उस पर लिखा था भाई का प्यार कुतुहल बस मोहिनी उस किताब को लेकर देखने लगी,,,, किताब के मुखपृष्ठ पर एक लड़का और एक लड़की की फोटो छपी हुई थी जो कि एक दूसरे को चिम्मन कर रहे थे,,,, मुखपृष्ठ के रंगीन दृश्य को देखकर मोहिनी को समझ में नहीं आया कि यह कैसा भाई का प्यार किताब है इसलिए वह पन्ने पलट कर अंदर की कुछ लाइनों को पढ़ने की कोशिश करने लगी और बीच के पन्ने को पलटते ही जिस लाइन को वह पढ़ रही थी उसे पढ़कर उसके होश उड़ गए,,,, उस लाइन में लिखा हुआ था,,, "भैया ने मुझ पर बिल्कुल भी रहे नहीं किया और पहली बार में ही अपने लंड पर तेल लगाकर मेरी बुर में डाल दिया,,,,"

इस लाइन को पढते ही मोहीनी की आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी उसने पढी थीवह सच में उस किताब में लिखा हुआ था वह अगल-बगल नजर घुमा कर देखने लगी कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,जब उसे पूरी तरह से तसल्ली हो गई कि कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा है तो वह दूसरा पन्ना पलट कर उसमें की लाइन पड़ने लगी जिसके पडते ही उसकी चूत से काम रस टपकने लगा उसमें लिखा था,,,।


आधी रात को भैया अपने कमरे से निकलकर एकदम चुप चाप चोर कदमों से मां की नजर से बचकर मेरे कमरे में आए और मैंने पहले से ही दरवाजे की कुंडी खोल रखी थी और अंदर प्रवेश करते ही भाई ने खुद दरवाजे की कुंडी लगाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी बाहों में लेकर बेतहाशा मेरे होठों का रसपान करते हुए कमीज के ऊपर से ही मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया,,,,(इतना पढ़ते ही महीने के तन बदन में आग लगने लगी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और फिर से सबकी नजरें बचाकर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,) मैं कुछ भी कर सकेंगे की स्थिति में नहीं थी मैं तो भैया की हरकत का मजा ले रही थी भैया तुरंत मेरे सलवार की डोरी खोल कर सलवार को मेरे बदन से अलग कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठाकर पलंग पर लाकर पटक दिए,,,, मेरी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,मैं पहली बार अपने भाई के लंड को देख रही थी एकदम 8 इंच का लंबा मोटा तगड़ा लंड देखकर मेरी बुर से पानी निकलने लगा,,,,।
(मोहिनी की हालत खराब होने लगी थी,,,मोहिनी की इच्छा उस किताब को वापस रखने की बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन उस किताब को खरीद भी नहीं सकती थी,,,लेकिन उसके आगे की लाइन पढ़ने के लिए वह बेहद व्याकुल नजर आ रही थी इसलिए फिर से सबसे नजर बचा कर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,।)
मैं पलंग पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,,, भैया मेरी टांग को पकड़कर अपनी तरफ खींच कर एकदम पलंग के किनारे कर दी है और अपनी उंगलियों को हरकत देते हुए मेरी पैंटी को अपनी उंगली में फंसाकर खींचना शुरू कर दिए मैं भी उनका साथ देते हुए अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाकर पेंटिंग निकलवाने में उनकी मदद करने लगी,,,और देखते ही देखते मेरे भैया ने मुझे पूरी तरह से अपनी ही तरह एकदम नंगी कर दिया था,,,यह सब कुछ मेरे लिए पहली बार था इसलिए कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन मेरा भैया बहुत जानकार था और वह अगले ही पल मेरी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने प्यासे होठों को मेरी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर हुआ जा रहा था और मैं अपने दोनों हाथ को अपने भाई के सर पर रख कर उसे उत्तेजना के मारे जोर जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी,,,,।
( ईतना पढ़ते ही मोहिनी को अपनी पेंटिं गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, मोहिनी सबसे नजर बचा कर वह पन्ना पलट कर उसका दूसरा पन्ना पड़ने लगी जिसके पढ़ते ही वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाई और उसकी चूत से बदल रस फूट पड़ा,,, उस अगले पन्ने पर लिखा था,,,) भैया का लैंड तेल लगाने की वजह से बड़े आराम से मेरी बुर के अंदर बाहर हो रहा था भैया अपनी कमर हिला हिला कर मुझे चोद रहा था मैं भी एकदम मस्ती में अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,,, मां की नजरों से बचकर उसके ही बगल वाले कमरे में हम भाई बहन चुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे,,,,(मोहिनी इससे ज्यादा पढ़ पाती इससे पहले ही संजू की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,)

हो गया मोहीनी,,,,।


ह,ह, हां,,,,, हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी उस किताब को उसी जगह पर रख दी क्योंकि उसका भी हो गया था उसका भी काम रस निकल चुका था जिससे उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,, अपनी भावनाओं पर काबू करके वह किताब की दुकान से बाहर निकल गई,,,,लेकिन उसकी सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी पेंटी में चिपचिपाहट महसूस हो रही थी,,,, उसके भाई को मोहिनी के हालत के बारे में बिल्कुल भी खबर नहीं थी वरना जिस तरह से मोहिनी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी अगर उसके भाई को जरा भी इस बात का एहसास होता तो शायद वह किसी केस था उसमें अपनी बहन को ले जाता और वही जमकर चुदाई करता,,,, स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बेठते ही संजू बोला,,,)

तुझे क्या खाना है,,,


मुझे तो चाइनीज खाना है,,,,,,


ठीक है चल तुझे चाइनीज खिलाता हूं,,,,।
(जब तक संजू स्कूटी को चाइनीस की रेस्टोरेंट्स के सामने नहीं रोक दिया तब तक मोहिनी उस किताब के बारे में सोचने लगी और उसमें लिखी हुई बातों के बारे में,,,मैंने पहली बार इस तरह की किताब पढ़ रही थी जिसमें गंदे में शब्दों में सब कुछ खुला खुला लिखा था और वह भी भाई-बहन के बीच गंदे संबंध के बारे में,,,,महीने के दिलों दिमाग पर बार-बार किताब में लिखी हुई वही सब लाइने घूम रही थी,,,,,मोहिनी की हालत वाकई में एकदम खराब हो चुकी थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और किताब में लिखी बातों को अपने भाई के साथ सच करने का सोच रही थी,,,, तभी स्कूटी खड़ी करके संजू और मोहिनी स्कूटी पर से उतर गए और संजू उसे रेस्टोरेंट में चलने के लिए बोला,,,, दोनों रेस्टोरेंट में आकर खाली टेबल पर बैठ गए और वेटर को ऑर्डर करके बातें करने लगे,,,)


आज कितना अच्छा लग रहा है ना मोहिनी इस तरह से रेस्टोरेंट में हम दोनों ने कभी नाश्ता नहीं किया होगा,,, लेकिन मम्मी की बदौलत,,, हम दोनों को ऐसा लग रहा है कि जैसे हम दोनों कोई अपना अधूरा सपना पूरा कर रहे हैं है ना,,,।


हां भाई एकदम ठीक कह रहा है मैं तो कभी सोची भी नहीं थी कि जिस तरह से हम दोनों स्कूटी पर घूमेंगे और किसी रेस्टोरेंट में नाश्ता करेंगे,,,,।
(वह दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी वेटर दो प्लेट लेकर आगे और टेबल पर रख कर चला गया दोनों कांटे वाली चम्मच से चाइनीस खाने लगे,,, रेस्टोरेंट के सामने ही गेस्ट हाउस था जिसके नीचे कुछ लड़कियां सज धज कर खड़ी थी,,,मोहिनी उन्हीं लड़कियों को देख रही थी लेकिन मोहिनी यह बात नहीं जानती थी कि वह लड़कियां गेस्ट हाउस के नीचे खड़ी क्यों है,,, मोहिनी खाते हुए वही देख रही थी कि तभी गेस्ट हाउस के सामने एक रिक्शा आकर रुकी और उसमें से एक आदमी और एक नौजवान लड़की नीचे उतरी,,,, उस आदमी को देखकर मोहिनी पहचान लिया और संजू से बोली,,,।


संजू वह देख पापा रिक्शा से अभी-अभी उतरे हैं लेकिन उनके साथ वह लड़की कौन है जो मुंह पर दुपट्टा बांधी हुई है,,,।
(मोहिनी की बात सुनकर संजू एकदम सौंपते हुए उस दिशा में देखा तो उसके भी होश उड़ गए क्योंकि रिक्शा से उतरने वाले उसके पापा ही थे और उसके साथ जो लड़की थी अपने मुंह पर दुपट्टा पानी हुई थी और वह दोनों गेस्ट हाउस के सामने उतरे थे,,, संजू को पूरा मामला समझते देर नहीं लगी थी,,,मोहिनी के पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस की सीढ़ियां चढ़ने लगे थे यह देखकर मोहिनी बोली,,,।)

भाई पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस में जा रहे हैं वह लड़की है कौन,,,?(मोहिनी आश्चर्य से गेस्ट हाउस की तरफ देखते हुए बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन संजु सब कुछ समझता था,,, लेकिन वह मोहिनी को बताना नहीं चाहता था इसलिए बात को टालने की गरज से वह बोला,,,)

अरे मोहीनी उनकी कंपनी की कोई एम्पलाई होगी मीटिंग में आए होंगे,,,।


लेकिन इस तरह से हाथ पकड़ कर,,,


अरे तो क्या हुआ,,, तू ज्यादा मत सोच जल्दी से खत्म कर हमें घर चलना है,,,,।
(संजू मोहिनी का ध्यान वहां से हटाने के लिए बोला और मोहिनी भी ज्यादा ना सोचते हुए खाना शुरु कर दी लेकिन संजू का दिमाग घूमने लगा था क्योंकि जो कुछ भी उसने आंखों से देखा था उसमें कुछ भी उसकी बातों को गलत साबित नहीं कर सकता था संजीव जानता था कि गेस्ट हाउस में उसके पापा किसी लड़की को लेकर आई थी और वह उसकी चुदाई करने के लिए निकल गए थे जिसका मतलब साफ था कि उसके पापा परिवार की जिम्मेदारी से पूरी तरह से भटक चुके हैं और जो पैसा परिवार के पीछे खर्च करना चाहिए था वह लड़की चोदने के पीछे खर्च हो रहा था,,,,संजू को अब समझ में आ गया था कि उसके पापा घर पर पैसे क्यों नहीं देती थी क्योंकि उसके पापा के पैसे इन्हीं सब कामों में खर्च हो रहे थे संजु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,, दोनों खा चुके थे और संजू मिल चुका कर रेस्टोरेन से बाहर आ गया था और स्कूटी पर अपनी बहन को बिठाकर घर की तरफ लौटने लगा था संजु इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि
मोहिनी घर पर जाकर मम्मी को सब कुछ बता देगी कि उसने पापा को किसी लड़की के साथ देखा है और उसकी मम्मी को समझते देर नहीं लगेगी कि सारा मामला क्या है इसलिए संजू रास्ते में ही मोहिनी को,,,अपने पापा के देखने वाली बात क्यों मम्मी से ना बताने के लिए बोल दिया था और मोहिनी भी इस बात से राजी हो गई थी,,,,,,।

मोहिनी दिन भर अपने पापा वाली बात तो भूल गई थी लेकिन उस किताब वाली बात को नहीं भूल पा रही थी बार-बार उस में लिखी बातें मोहिनी के दिमाग पर छा रही थी किताब में लिखी सारी बातें मोहिनी के दिमाग पर कब्जा जमाए हुए थे और इसी के चलते वह एक बार फिर से अपने भाई को अपनी चूत के दर्शन करा कर मोहित करना चाहती थी इसलिए वहां रात को सोते समय फ्रॉक पहन ली थी और जब संजू ने देखा कि उसकी बहन फ्रॉक पहनी हुई है तब अपने आप ही संजु का लंड खड़ा होने लगा,,, खाना खा कर आराधना अपने कमरे में चली गई थी और संजू और मोहिनी अपने कमरे में आ गए थे,,, अपनी बहन को फ्रॉक में देखकर संजू का दिल जोरो से धड़क रहा थाऔर वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि उस दिन की तरह आज भी उसकी बहन अगर पेंटी ना पहनी हो तो बहुत मजा आ जाए,,,,
Wahh rony bhqi dil chu liya aapne, kya damdar likhte ho aisa lagta hai ki ye hum aankho se dekh rahe hai itna sunder tarike se likha hai,
Sanju apne papa ko hotel me ek ladki ke sath dekha to sab kuch samajh gaya ki uska baap kaha gayab rahta hai, paise kaha kharch karta hai wagarah, udhar Uski bahan kahani ki kitaab padh ke kamuk ho gai hai. Wo bhi sanju se apni choot chatwane ke chakkar me hai isi liye bina chaddi ki frok pahan kar baithi hai, bhai bohot hi kauk or lap_lapata update 😁😁💥💥💥💥💥💥👌👌👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥
 

Sanju@

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rohnny भाई क्यों बेचारे संजू का klpd करवा रहे हो मां बेटी दोनो की चुदाई करवा दो अब तो संजू से ।क्यों आराधना और मोहिनी की रोज रोज चड्डी गीली करवा रहे हो
 

rohnny4545

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Wahh rony bhqi dil chu liya aapne, kya damdar likhte ho aisa lagta hai ki ye hum aankho se dekh rahe hai itna sunder tarike se likha hai,
Sanju apne papa ko hotel me ek ladki ke sath dekha to sab kuch samajh gaya ki uska baap kaha gayab rahta hai, paise kaha kharch karta hai wagarah, udhar Uski bahan kahani ki kitaab padh ke kamuk ho gai hai. Wo bhi sanju se apni choot chatwane ke chakkar me hai isi liye bina chaddi ki frok pahan kar baithi hai, bhai bohot hi kauk or lap_lapata update 😁😁💥💥💥💥💥💥👌👌👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥
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Kammy sidhu

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आराधना की तबीयत खराब होने से कुछ दिन तक मोहिनी ही शाम को खाना बनाने लगी थी क्योंकि उसे लगता था कि उसकी मां घर का सारा काम करके ऑफिस का काम करके थक जाती है उसे भी थोड़ा आराम की जरूरत है,,,, हालांकि आराधना मोहिनी के इस तरह से मदद करने से बेहद खुश थी,,, लेकिन वह मोहिनी को परेशान करना नहीं चाहती थी इसलिए मोहिनी के साथ वह भी खाना बनाने बैठ जाती थी,,, दूसरी तरफ आराधना का ध्यान अपने बेटे पर लगा रहता था क्लीनिक लेकर जाने पर जो कुछ भी वहां पर हुआ था उन दोनों के बीच उस बात को लेकर जिस तरह से खुले तौर पर चर्चा हुई थी उसे देखते हुए आराधना के तन बदन में उस पल को याद करके अजीब सी हलचल सी होने लगती थी,,, धीरे-धीरे उसका बेटा उसके सामने ही अश्लील शब्दों का प्रयोग करने लगा था लेकिन ना जाने क्यों आराधना अपने बेटे की इस तरह की हरकत पर एतराज जताने की जगह मन ही मन अंदर ही अंदर उसके कहे शब्दों से आनंद लेने लगी थी,,,,,,,,,, उसका बेटा जिस कदर उसके आकर्षण में पूरी तरह से बंधा हुआ था उसे देखते हुए आराधना ना चाहते हुए भी अपने बेटे के बारे में सोचने लगी थी आखिरकार वह भी एक औरत थी,, कभी-कभी तो आराधना को खुद लगने लगा था कि जो कुछ भी उसका बेटा कह रहा है उसमें शत-प्रतिशत सच्चाई है उसे भी वही सुख की जरूरत है जिस सुख के बारे में वह उससे बात करता था,,,,,,,,, आराधना जब कभी भी अपने बेटे के बारे में सोचती थी तो उसकी कही बातें याद आने लगती थी और वह उन बातों को याद करके अपने तन बदन में अजीब सी हलचल को महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो जाती थी,,, ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं होता था लेकिन जब से उसका बेटा उसका ख्याल रखने लगा था उसे समझने लगा था तब से आराधना के भी मन में ना जाने क्यों अपने बेटे को लेकर एक हरकत सी होने लगी थी,,,,,,,

दूसरी तरफ मोहिनी अभी तक अपने भाई को दुबारा अपनी चूत के दर्शन नहीं करा पाई थी,,,हालांकि उसका मन तो बहुत करता था एक बार फिर से अपने भाई के प्यासे होठों को अपनी चूत पर महसूस करने के लिए,,, उसके लंड अपनी चूत की पतली दरार पर रगड़ खाने के लिए,,,,लेकिन वहां यह सब जल्दी-जल्दी नहीं करना चाहती थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके भाई को शक हो गया तो वह उसके बारे में क्या सोचेगा क्योंकि वह अपने भाई को यह जताना चाहती थी कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब कुछ अनजाने में हो रहा है,,,, इसीलिए तो मोहिनी दोबारा फ्रॉक नहीं पहनी थी और संजू अपनी बहन को फ्रॉक में देखना चाहता था उसकी चूत को अपनी आंखों से देखना चाहता था,,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,,,,,


ऐसे ही एक दिन रविवार का दिन था और छुट्टी होने की वजह से,,, कोई काम नहीं था तो मोहिनी अपने भाई को बुक खरीदने के लिए बोली थी जो कि थोड़ा दूर पर मिलता था और मोहिनी चाहती थी कि उसका भाई उसे स्कूटी पर बैठा कर ले कर जाए,,,क्योंकि उसका भी मन बहुत करता था जब वह कभी लड़के और लड़की को स्कूटी पर आते-जाते देखी थी तो वह भी उसी तरह से स्कूटी पर बैठ कर घूमने का मजा लेना चाहती थी और अब तो उसकी मां की जॉब की वजह से घर पर एक स्कूटी थी और उसी का फायदा उठाना चाहती थी और अपने मन की मुराद को पूरा करना चाहती थी इसलिए वह अपने भाई संजु से बोली,,,,।


संजू मुझे कुछ किताबे खरीदनी है,,, अगर तू स्कूटी लेकर चलता तो मैं भी तेरे साथ चलती और हम दोनों किताबें खरीद लेते,,,
(संजू का मन तो था छुट्टी के दिन स्कूटी लेकर घूमने का लेकिन वह नहीं जानता था कि उसकी बहन भी उसके साथ चलना चाहती है वह तो अंदर ही अंदर खुश होने लगा था क्योंकि जब से वह अपनी बहन की नंगी चूत का दर्शन किया था और उसके साथ थोड़ी बहुत अपनी मनमानी किया था तब से,,, उसके मन में मोहिनी के लिए अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,,, इसलिए अपनी बहन के प्रस्ताव पर वह ज्यादा सोच विचार किए बिना ही हां बोल दिया,,, उसकी मां को भी कोई एतराज नहीं था कि स्कूटी लेकर वह दोनों किताब खरीदने जाएं,,, क्योंकि वह भी दूसरे लड़कों को देखती थी घूमते हुए तो उसका भी मन करता था कि उसके बच्चे भी इसी तरह से घूमे फिरे,,, लेकिन पहले की स्थिति सही नहीं थी घर में स्कूटी नहीं थी लेकिन जब से वह जॉब करने लगी थी तब से ऑफिस की तरफ से उसे स्कूटी मिल गई थी जिससे उसके बच्चे भी अपनी इच्छा पूरी कर सकते थे,,, इसलिए संजू के जवाब देने से पहले ही वह बोली,,,)

हां चला जा संजू,,, वैसे भी किताब की दुकान थोड़ी दूरी पर है स्कूटी लेकर जाएगा तो अच्छा रहेगा,,,।


ठीक है मम्मी लेकिन पैसे,,,


तू पैसे की चिंता मत कर मेरे पास पैसे हैं रुक अभी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर आराधना अंदर कमरे में चली गई और अलमारी में से पैसे निकाल कर संजू को थमाते हुए बोली,,,)

ले और तुम दोनों कुछ खा भी लेना,,,।
(मोहिनी बहुत खुश नजर आ रही थी,,, आराधना एक तनख्वाह ले चुकी थी और उसमें के पश्चात से ही वह उन दोनों को पैसे दे रही थी संजू भी बहुत खुश था कि उसकी मां के जॉब करने से घर की काफी समस्या हल हो चुकी थी,,, बस अशोक को छोड़कर जो कि अब वह कम ही घर पर आता जाता था,,,अब इस परिवार का अशोक से केवल नाम का ही रिश्ता रह गया था,,,,, संजू और मोहिनी दोनों नाश्ता करके घर से निकल गए थे,,,संजू स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बैठने का इंतजार कर रहा था मोहिनी भी काफी खुश नजर आ रही थी वह सलवार और कमीज पहनी हुई थी जिसमें से उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी अपना उभार लेकर बाहर निकलने को मचल रही थी स्कूटी पर बैठने से पहले ही संजू एक नजर अपनी बहन पर डाल लिया था,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बहन की खूबसूरती उसकी मां की खूबसूरती से बिल्कुल भी कम नहीं थी बस दोनों के बदन के भराव का अंतर था,,, फिर भी इस उम्र में एक लड़की का खूबसूरत बदन जिस ढांचे में होना चाहिए था मोहिनी का पतन उसी ढांचे में तराशा हुआ था,,, छातियों की शोभा बढ़ाती दोनों नारंगी या अपने मदहोश कर देने वाले आकार के साथ मोहिनी की खूबसूरती बढ़ा रही थी नितंबों का घेराव सीमित रूप में भी बेहद मादक और घातक नजर आ रहा था,,,, संजू तो अपनी बहन के खूबसूरत पतन के बारे में सोच कर ही पागल हुआ जा रहा था और अपने आप को खुश किस्मत समझ रहा था कि बहुत से लोग उसकी बहन को कपड़ों में देखकर उसके नंगे पन की कल्पना करके अपने हाथ से हिला कर शांत हो जाते होंगे लेकिन उसने अपनी आंखों से अपनी बहन की नंगी जवानी के दर्शन कर चुका था,,, और तो और उसकी चूत की गर्मी को अपने बदन मे महसूस भी कर चुका था अपने लंड को उस पर रगड़ कर अपना पानी भी गिरा चुका था यह सब हरकत को संजू अपनी खुशकिस्मती समझ रहा था और वास्तव में ऐसा ही था,,,,।

मोहिनी स्कूटी पर दोनों टांगों को अगल-बगल करके बैठ गई थी और अपने भाई के कंधे पर दोनों हाथ रखकर उसका सहारा लेते हुए अपनी मां पर एक नजर डाली जो कि दरवाजे पर खड़ी होकर दोनों को देख रही थी,,,, और अपने भाई को चलने के लिए बोली,,,, संजू स्कूटी स्टार्ट कर के जैसे ही केयर में डालकर एक्सीलेटर दबाया वैसे ही तुरंत मोहिनी झटका खाकर आगे की तरफ अपने भाई की पीठ से सट गई,,,देखने में तो यह बेहद औपचारिक रूप से था लेकिन इसके बीच जो कुछ भी हुआ था उसे संजू अपने अंदर महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था मोहिनी की जानलेवा चूचियां सीधे-सीधे संजू की पीठ से दब गई थी और संजू अपनी बहन की चूचियों की रगड़ और दबाव को अच्छी तरह से महसूस करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,,,, यह वाक्यापल भर के लिए ही था लेकिन इस पल भर में संजू के तन बदन में अद्भुत हलचल को जन्म दे दिया था,,, क्योंकि संजू ने अपनी बहन की कड़ी निप्पल को अपनी पीठ पर चुभता हुआ महसूस किया था,,,,, लेकिन यह सब इतनी जल्दी हुआ था कि मोहिनी को इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि उसकी वजह से उसका भाई पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है,,,।

संजू स्कूटी को एक्सीलेटर देता हुआ आगे बढ़ाने लगा मोहिनी को बहुत अच्छा लग रहा था आज उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपने भाई के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ उसकी स्कूटी पर बैठकर जा रही है,,,,,,मोहिनी के लिए यह पहला मौका था जब वह स्कूटी पर बैठकर अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी स्कूटी पर बैठना भी उसके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था,,,, स्कूटी पर बैठे-बैठे इधर-उधर देखते हुए आगे बढ़ने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप बिल्कुल भी नहीं हो रही थी क्योंकि संजु तो पहले से ही अपनी बहन की चूची की रगड़ को अपनी पीठ पर महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो गया था और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा था,,,,,,,,, संजू को भी किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं थी इसलिए वह आराम से स्कूटी चला रहा था,,,,,,, और बात की शुरुआत करते हुए वह मोहिनी से बोला,,,।

तुझे कौन सी बुक लेनी है,,,


अरे दो-तीन बुक लेनी है,,, अच्छा हुआ भैया की मां की जॉब लग गई और उन्हें आने-जाने के लिए स्कूटी मिल गई हम लोगों का भी काम आसान हो गया नहीं तो हम लोग कहां स्कूटी से घूमने वाले थे,,,


हां बात तो तू सच ही कह रही है,,,मैं भी अपने दोस्तों को गाड़ी से आती जाती देखता था तो मैं भी सोचता था कि ना जाने कब ऐसा दिन होगा कि मैं भी इसी तरह से गाड़ी से आऊंगा जाऊंगा लेकिन वहां की बदौलत देख हम दोनों स्कूटी पर घूम रहे हैं,,,,(इतना कहना था कि तभी अचानक छोटा सा खड्डा आ गया और संजू ब्रेक लगा दिया मोहिनी अपने भाई के कंधे पर हाथ रख कर बैठी हुई थी और एकाएक ब्रेक लगने की वजह से एकदम से उससे सट गई और एक बार फिर से संजीव को अपनी बहन की नरम नरम चुचियों का कड़क पन अपनी पीठ पर महसूस हुआ और इस बार संजू पूरी तरह से गनगना गया क्योंकि मोहिनी एक दम से झटका खाकर उसकी पीठ से एकदम से चिपक गई थी जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल नारंगी या एकदम दबती हुई संजू को अपनी पीठ पर महसूस हुई थी दोनों नारंगीयो का इस तरह से पीठ पर दबने की वजह से संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, और मोहिनी अपने आप को संभालते हुए बोली,,)


देख के,,,,,


देख तो रहा हूं एकाएक खड्डा आ गया,,,


चल ठीक है,,,,।

(संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया था इस बार मोहिनी को इस बात का अहसास हुआ था कि उसकी चूची पूरी तरह से उसके भाई की पीठ से सट गई थी,,, और इस बार उत्तेजना की झनझनाहट उसके तन बदन को भी झकझोर कर रख दी थी,,,, ,, रास्ते भर एक से एक होटल और एक से एक गेस्ट हाउस आता जा रहा था गेस्ट हाउस के बाहर खूबसूरत खड़ी लड़कियाें को देखकर संजू अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन इन सब से मोहिनी अनजान थी,,, उन लड़कियों को देख कर संजू अपने मन में सोच रहा था कि यह भी कितना अच्छा है मर्दों के लिए कि पैसा देखकर कुछ भी कर सकते हैं और वह लड़कियां भी पैसा लेकर कुछ भी करवाने को तैयार हो जाती हैं,,,, उसके पास पैसा होता तो शायद वह भी घंटे भर के लिए गेस्ट हाउस में जरूर जाता और वह भी एक खूबसूरत लड़की के साथ जिसे वह बिल्कुल भी जानता ना हो पहचानता ना हो,,,संजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अनजान लड़की के साथ चुदाई करने में कितना अद्भुत सुख मिलता होगा जिसके बारे में वह कुछ भी नहीं जानता हो ना वह लड़की उसके बारे में जानती हो,,,, यही सब सोचकर संजू अपने मन को बहलाने की कोशिश कर रहा था कि तभी एक जगह पर रोकने के लिए मोहिनी संजू से बोली,,,।)

बस बस यहीं पर यहीं पर रोक दो,,,,
(सामने बुक की दुकान देख कर संजू भी ब्रेक मार कर स्कूटी पर साइड में लगाकर खड़ी कर दिया,,, मोहिनी स्कूटी पर से उतरी और बुक स्टॉल में प्रवेश कर गई पीछे-पीछे संजू भी,,,यहां पर दुनिया भर की किताबें रखी हुई थी हर जात की मस्जिद से लेकर के कॉलेज की किताबों तक सब का ढेर लगा हुआ था,,,,)

तो किताबें खरीद मैं तब तक दूसरी किताबे देख लो यहां पर तो किताबों का ढेर लगा हुआ है,,,


तभी तो मैं यहां आने के लिए बोली थी क्योंकि जो किताबें कहीं नहीं मिलती यहां मिल जाती हैं,,,


ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ संजु कुछ मैगजीन को लेकर उनके पन्ने पलट कर देखने लगा,,, और मोहिनी अपने लिए किताब निकलवाने लगी थोड़ी देर में मोहीनी अपनी जरूरत की किताब को निकाल कर अपने भाई से पैसे लेकर उस किताब को खरीद चुकी थी,,,, लेकिन यहां पर इतनी सारी किताबें थी कि मोहिनी एक-एक करके सारी किताबों को हाथ में लेकर देख रही थी,,, संजू की दूसरी तरफ मेगज़ीन के पन्ने छांट रहा था अभी महीने की नजर एक किताब पर पड़ी जो कि थोड़ी छोटी सी थी और उस पर लिखा था भाई का प्यार कुतुहल बस मोहिनी उस किताब को लेकर देखने लगी,,,, किताब के मुखपृष्ठ पर एक लड़का और एक लड़की की फोटो छपी हुई थी जो कि एक दूसरे को चिम्मन कर रहे थे,,,, मुखपृष्ठ के रंगीन दृश्य को देखकर मोहिनी को समझ में नहीं आया कि यह कैसा भाई का प्यार किताब है इसलिए वह पन्ने पलट कर अंदर की कुछ लाइनों को पढ़ने की कोशिश करने लगी और बीच के पन्ने को पलटते ही जिस लाइन को वह पढ़ रही थी उसे पढ़कर उसके होश उड़ गए,,,, उस लाइन में लिखा हुआ था,,, "भैया ने मुझ पर बिल्कुल भी रहे नहीं किया और पहली बार में ही अपने लंड पर तेल लगाकर मेरी बुर में डाल दिया,,,,"

इस लाइन को पढते ही मोहीनी की आंखों के सामने अंधेरा सा छाने लगा,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी उसने पढी थीवह सच में उस किताब में लिखा हुआ था वह अगल-बगल नजर घुमा कर देखने लगी कि कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,जब उसे पूरी तरह से तसल्ली हो गई कि कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा है तो वह दूसरा पन्ना पलट कर उसमें की लाइन पड़ने लगी जिसके पडते ही उसकी चूत से काम रस टपकने लगा उसमें लिखा था,,,।


आधी रात को भैया अपने कमरे से निकलकर एकदम चुप चाप चोर कदमों से मां की नजर से बचकर मेरे कमरे में आए और मैंने पहले से ही दरवाजे की कुंडी खोल रखी थी और अंदर प्रवेश करते ही भाई ने खुद दरवाजे की कुंडी लगाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी बाहों में लेकर बेतहाशा मेरे होठों का रसपान करते हुए कमीज के ऊपर से ही मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया,,,,(इतना पढ़ते ही महीने के तन बदन में आग लगने लगी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी और फिर से सबकी नजरें बचाकर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,) मैं कुछ भी कर सकेंगे की स्थिति में नहीं थी मैं तो भैया की हरकत का मजा ले रही थी भैया तुरंत मेरे सलवार की डोरी खोल कर सलवार को मेरे बदन से अलग कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठाकर पलंग पर लाकर पटक दिए,,,, मेरी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया,,,मैं पहली बार अपने भाई के लंड को देख रही थी एकदम 8 इंच का लंबा मोटा तगड़ा लंड देखकर मेरी बुर से पानी निकलने लगा,,,,।
(मोहिनी की हालत खराब होने लगी थी,,,मोहिनी की इच्छा उस किताब को वापस रखने की बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन उस किताब को खरीद भी नहीं सकती थी,,,लेकिन उसके आगे की लाइन पढ़ने के लिए वह बेहद व्याकुल नजर आ रही थी इसलिए फिर से सबसे नजर बचा कर उसके आगे की लाइन पढने लगी,,,।)
मैं पलंग पर पीठ के बल लेटी हुई थी,,,, भैया मेरी टांग को पकड़कर अपनी तरफ खींच कर एकदम पलंग के किनारे कर दी है और अपनी उंगलियों को हरकत देते हुए मेरी पैंटी को अपनी उंगली में फंसाकर खींचना शुरू कर दिए मैं भी उनका साथ देते हुए अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाकर पेंटिंग निकलवाने में उनकी मदद करने लगी,,,और देखते ही देखते मेरे भैया ने मुझे पूरी तरह से अपनी ही तरह एकदम नंगी कर दिया था,,,यह सब कुछ मेरे लिए पहली बार था इसलिए कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन मेरा भैया बहुत जानकार था और वह अगले ही पल मेरी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने प्यासे होठों को मेरी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर हुआ जा रहा था और मैं अपने दोनों हाथ को अपने भाई के सर पर रख कर उसे उत्तेजना के मारे जोर जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी,,,,।
( ईतना पढ़ते ही मोहिनी को अपनी पेंटिं गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, मोहिनी सबसे नजर बचा कर वह पन्ना पलट कर उसका दूसरा पन्ना पड़ने लगी जिसके पढ़ते ही वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाई और उसकी चूत से बदल रस फूट पड़ा,,, उस अगले पन्ने पर लिखा था,,,) भैया का लैंड तेल लगाने की वजह से बड़े आराम से मेरी बुर के अंदर बाहर हो रहा था भैया अपनी कमर हिला हिला कर मुझे चोद रहा था मैं भी एकदम मस्ती में अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल रही थी,,,, मां की नजरों से बचकर उसके ही बगल वाले कमरे में हम भाई बहन चुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे,,,,(मोहिनी इससे ज्यादा पढ़ पाती इससे पहले ही संजू की आवाज उसके कानों में पड़ी,,,)

हो गया मोहीनी,,,,।


ह,ह, हां,,,,, हो गया,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी उस किताब को उसी जगह पर रख दी क्योंकि उसका भी हो गया था उसका भी काम रस निकल चुका था जिससे उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,, अपनी भावनाओं पर काबू करके वह किताब की दुकान से बाहर निकल गई,,,,लेकिन उसकी सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी पेंटी में चिपचिपाहट महसूस हो रही थी,,,, उसके भाई को मोहिनी के हालत के बारे में बिल्कुल भी खबर नहीं थी वरना जिस तरह से मोहिनी उत्तेजना का अनुभव कर रही थी अगर उसके भाई को जरा भी इस बात का एहसास होता तो शायद वह किसी केस था उसमें अपनी बहन को ले जाता और वही जमकर चुदाई करता,,,, स्कूटी स्टार्ट करके मोहिनी के बेठते ही संजू बोला,,,)

तुझे क्या खाना है,,,


मुझे तो चाइनीज खाना है,,,,,,


ठीक है चल तुझे चाइनीज खिलाता हूं,,,,।
(जब तक संजू स्कूटी को चाइनीस की रेस्टोरेंट्स के सामने नहीं रोक दिया तब तक मोहिनी उस किताब के बारे में सोचने लगी और उसमें लिखी हुई बातों के बारे में,,,मैंने पहली बार इस तरह की किताब पढ़ रही थी जिसमें गंदे में शब्दों में सब कुछ खुला खुला लिखा था और वह भी भाई-बहन के बीच गंदे संबंध के बारे में,,,,महीने के दिलों दिमाग पर बार-बार किताब में लिखी हुई वही सब लाइने घूम रही थी,,,,,मोहिनी की हालत वाकई में एकदम खराब हो चुकी थी वह पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और किताब में लिखी बातों को अपने भाई के साथ सच करने का सोच रही थी,,,, तभी स्कूटी खड़ी करके संजू और मोहिनी स्कूटी पर से उतर गए और संजू उसे रेस्टोरेंट में चलने के लिए बोला,,,, दोनों रेस्टोरेंट में आकर खाली टेबल पर बैठ गए और वेटर को ऑर्डर करके बातें करने लगे,,,)


आज कितना अच्छा लग रहा है ना मोहिनी इस तरह से रेस्टोरेंट में हम दोनों ने कभी नाश्ता नहीं किया होगा,,, लेकिन मम्मी की बदौलत,,, हम दोनों को ऐसा लग रहा है कि जैसे हम दोनों कोई अपना अधूरा सपना पूरा कर रहे हैं है ना,,,।


हां भाई एकदम ठीक कह रहा है मैं तो कभी सोची भी नहीं थी कि जिस तरह से हम दोनों स्कूटी पर घूमेंगे और किसी रेस्टोरेंट में नाश्ता करेंगे,,,,।
(वह दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी वेटर दो प्लेट लेकर आगे और टेबल पर रख कर चला गया दोनों कांटे वाली चम्मच से चाइनीस खाने लगे,,, रेस्टोरेंट के सामने ही गेस्ट हाउस था जिसके नीचे कुछ लड़कियां सज धज कर खड़ी थी,,,मोहिनी उन्हीं लड़कियों को देख रही थी लेकिन मोहिनी यह बात नहीं जानती थी कि वह लड़कियां गेस्ट हाउस के नीचे खड़ी क्यों है,,, मोहिनी खाते हुए वही देख रही थी कि तभी गेस्ट हाउस के सामने एक रिक्शा आकर रुकी और उसमें से एक आदमी और एक नौजवान लड़की नीचे उतरी,,,, उस आदमी को देखकर मोहिनी पहचान लिया और संजू से बोली,,,।


संजू वह देख पापा रिक्शा से अभी-अभी उतरे हैं लेकिन उनके साथ वह लड़की कौन है जो मुंह पर दुपट्टा बांधी हुई है,,,।
(मोहिनी की बात सुनकर संजू एकदम सौंपते हुए उस दिशा में देखा तो उसके भी होश उड़ गए क्योंकि रिक्शा से उतरने वाले उसके पापा ही थे और उसके साथ जो लड़की थी अपने मुंह पर दुपट्टा पानी हुई थी और वह दोनों गेस्ट हाउस के सामने उतरे थे,,, संजू को पूरा मामला समझते देर नहीं लगी थी,,,मोहिनी के पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस की सीढ़ियां चढ़ने लगे थे यह देखकर मोहिनी बोली,,,।)

भाई पापा उस लड़की का हाथ पकड़कर गेस्ट हाउस में जा रहे हैं वह लड़की है कौन,,,?(मोहिनी आश्चर्य से गेस्ट हाउस की तरफ देखते हुए बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन संजु सब कुछ समझता था,,, लेकिन वह मोहिनी को बताना नहीं चाहता था इसलिए बात को टालने की गरज से वह बोला,,,)

अरे मोहीनी उनकी कंपनी की कोई एम्पलाई होगी मीटिंग में आए होंगे,,,।


लेकिन इस तरह से हाथ पकड़ कर,,,


अरे तो क्या हुआ,,, तू ज्यादा मत सोच जल्दी से खत्म कर हमें घर चलना है,,,,।
(संजू मोहिनी का ध्यान वहां से हटाने के लिए बोला और मोहिनी भी ज्यादा ना सोचते हुए खाना शुरु कर दी लेकिन संजू का दिमाग घूमने लगा था क्योंकि जो कुछ भी उसने आंखों से देखा था उसमें कुछ भी उसकी बातों को गलत साबित नहीं कर सकता था संजीव जानता था कि गेस्ट हाउस में उसके पापा किसी लड़की को लेकर आई थी और वह उसकी चुदाई करने के लिए निकल गए थे जिसका मतलब साफ था कि उसके पापा परिवार की जिम्मेदारी से पूरी तरह से भटक चुके हैं और जो पैसा परिवार के पीछे खर्च करना चाहिए था वह लड़की चोदने के पीछे खर्च हो रहा था,,,,संजू को अब समझ में आ गया था कि उसके पापा घर पर पैसे क्यों नहीं देती थी क्योंकि उसके पापा के पैसे इन्हीं सब कामों में खर्च हो रहे थे संजु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,,,,, दोनों खा चुके थे और संजू मिल चुका कर रेस्टोरेन से बाहर आ गया था और स्कूटी पर अपनी बहन को बिठाकर घर की तरफ लौटने लगा था संजु इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि
मोहिनी घर पर जाकर मम्मी को सब कुछ बता देगी कि उसने पापा को किसी लड़की के साथ देखा है और उसकी मम्मी को समझते देर नहीं लगेगी कि सारा मामला क्या है इसलिए संजू रास्ते में ही मोहिनी को,,,अपने पापा के देखने वाली बात क्यों मम्मी से ना बताने के लिए बोल दिया था और मोहिनी भी इस बात से राजी हो गई थी,,,,,,।

मोहिनी दिन भर अपने पापा वाली बात तो भूल गई थी लेकिन उस किताब वाली बात को नहीं भूल पा रही थी बार-बार उस में लिखी बातें मोहिनी के दिमाग पर छा रही थी किताब में लिखी सारी बातें मोहिनी के दिमाग पर कब्जा जमाए हुए थे और इसी के चलते वह एक बार फिर से अपने भाई को अपनी चूत के दर्शन करा कर मोहित करना चाहती थी इसलिए वहां रात को सोते समय फ्रॉक पहन ली थी और जब संजू ने देखा कि उसकी बहन फ्रॉक पहनी हुई है तब अपने आप ही संजु का लंड खड़ा होने लगा,,, खाना खा कर आराधना अपने कमरे में चली गई थी और संजू और मोहिनी अपने कमरे में आ गए थे,,, अपनी बहन को फ्रॉक में देखकर संजू का दिल जोरो से धड़क रहा थाऔर वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि उस दिन की तरह आज भी उसकी बहन अगर पेंटी ना पहनी हो तो बहुत मजा आ जाए,,,,
Wah bhai maja aa gaya too much romantic update bro and continue
 
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