• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery महिला कारावास

Raja maurya

Well-Known Member
5,091
10,633
173
अंदर वही सर्फ की खुशबू थी। अंदर की हवा की नमी ने 5 सेकंड में किंजल को पसीने से भर दिया। सोनिया उसे अंदर की तरफ ले गई। चारों तरफ चादरे सूखने डाली हुई थी। चादरों के बीच एक जगह मौसी बैठी थी कुर्सी पर। सामने कुर्सी पर शिफा बैठी थी। सोनिया और किंजल दोनो शिफा के साथ जाकर खड़ी हो गई। "देख लड़की इस बार तो तेरी किस्त टाइम पर आ गई। और अगली बार भी टाइम पे ही आए। ऐसे तो मैं ये किस्तों वाला काम करती नही हू। ये तो बस शिफा के कहने पे किया। आगे भी अपना काम ढंग से करना।" मौसी किंजल को ऊपर से नीचे देखती हुई बोली।
"ठीक है मौसी में थोड़ा काम करवा लू।" शिफा उठते हुए बोली। मौसी ने हाथ से जाने का इशारा किया।
शिफा ने किंजल का हाथ पकड़ा और अपने साथ ले जाने लगी। किंजल फिर शिफा के साथ चलने लगी। शिफा उसे चादरों के बीच लेकर गई। वहा बैठने की थोड़ी जगह बनी थी। पीछे से दो औरते और आई। शिफा उन दोनो को देख कर बोली। "इसपे काम करना है। पहले जंगल साफ करना है। फिर बाल ठीक करके चेहरा चमकाना है।"
"जी दीदी" एक बोली।
"चल जल्दी कपड़े उतार।" एक ने किंजल को देख कर बोला। किंजल पहले घबराई। अभी थोड़ी पहले के काम से उसकी हालत खराब हो चुकी थी। शिफा उसका चेहरा देख कर समझ गई।
"अरे कुछ नही। बस तेरा मेकअप करना है।"
किंजल ने कुर्ता उतारा। और सलवार उतार दी।
"ये भी उतार दे" दूसरी ने बोला।
किंजल ने पैंटी और ब्रा भी उतार दिए। एक कैदी ने उसका हाथ पकड़ के पास में एक बेंच पे बिठा दिया। और अपने बैग से कैंची निकली। "चल टांगे खोल। तेरा जंगल साफ करना है।" किंजल समझ गई। उसकी choot के बाल साफ करेंगे। एक औरत उसके झांटों को कैंची से काटने लगी। और दूसरी उसके सर के बालो में कंघी फिराने लगी। बहुत दिनों से कंघी ना करने के कारण बाल उलझ गए थे। फिर भी वो आराम से उसके बालो को सुलझाने लगी। टांगों के बीच बैठी औरत ने कैंची साइड में रखी और बैग से एक क्रीम निकाली। और किंजल की choot और गान्ड के आसपास लगाने लगी। थोड़ी देर बाद उसकी choot को कपड़े से साफ किया तो उसकी choot और गान्ड दोनो चिकनी हो चुकी थी।
उधर दूसरी औरत ने उसके बाल ट्रिम कर दिए थे। और चेहरे को क्लींजिंग मिल्क से साफ करना शुरू कर दिया था। इधर उसकी टांगों को फैला कर wax लगाना शुरू हो गया। थोड़ी थोड़ी दर्द के साथ किंजल की टांगे भी चिकनी होनी शुरू हो गई। चेहरे को पोंछने के बाद किंजल के शरीर का निखार ही अलग था। धीरे धीरे उसके पूरे शरीर को वैक्सिंग कर दिया गया। शिफा ने आकर उसे नई ब्रा पैंटी दी। किंजल ने वापिस अपने कपड़े पहन लिए। ये सब काम में शाम हो चुकी थी।

किंजल और शिफा दोनो बाहर आ गए। "आंटी मुझसे और ऐसा काम मत करवाओ प्लीज। मुझसे नही हो रहा है।" किंजल रुआंसी होती हुई बोली।
"देख तेरा ही फायदा है। मैं तेरे लिए अच्छे वकील का इंतजाम कर रही हूं। पर अच्छा वकील मुफ्त में नही मिलता। कोर्ट जो मुफ्त का वकील तुझे देगी। वो तुझे कभी यहां से नही निकालेगा। और ये काम तो तुझे फिर भी करना ही पड़ेगा। ये जेल में सब करवा लिया जाता है। कोई कुछ नही सुनेगा तेरी। सोच ले क्या करना है?"
शिफा चलते चलते बोली।
किंजल कुछ पल सोच में पड़ गई और चुपचाप शिफा के पीछे चल दी। दोनो वीआईपी बाथरूम की तरफ जा रहे थे। लॉन्ड्री में गर्मी से दोनो की हालत खराब थी। किंजल का चेहरा अब अलग ही चमक रहा था। बाल सुलझे हुए थे। किसी के भी मुंह में पानी आने के लायक था।

गुसलखाने में कुसुम, सोनिया, इंद्रा और तीन और वीआईपी औरत पहले से नहा रहे थे। ऐसे तो जेल में और भी वीआईपी कैदी थे। पर उनके बाहर निकलने का समय अलग अलग था। ये लोगों को खाना उनके बैरक में आ जाता था। इनके काम करने के लिए दूसरे कैदी होते थे। इसलिए ये ज्यादा बाहर नहीं निकलते थे। किंजल ने जन कपड़े उतारे तो सबकी आंखे उसके नंगे बदन पर तैरने लगी। इंद्रा ने अपने होंठो पर जीभ फिराई। शिफा सबकी आंखों को देख रही थी। किंजल की पीठ सबकी तरफ थी। वो अपने शरीर को रगड़ रगड़ कर धो रही थी। आंखे आंसुओं से भरी हुई थी। उसे पूरे शरीर पर इंद्रा की गंदगी महसूस हो रही थी। वो सब धो देना चाहती थी। उसे अब कोई इल्म नहीं था कि कुछ आंखे उसके नंगेपन को निहार रही हैं।

नहाना खतम कर सब वापिस बाहर आ गए। शाम हो चुकी। खाने की घंटी बज चुकी थी। सब मैस की तरफ चल दिए। वहां लाइन लगी हुई थी। एक लाइन में सरिता भी लगी थी। उसे मेडिकल से डिस्चार्ज कर दिया था। सोनिया इतने में सबकी थालिया ले आई। सब एक जगह बैठे खा रहे थे। दोपहर को इतना लजीज खाने के बाद किंजल से निवाला अंदर नही जा रहा था। थाली में 4 रोटी और दाल मिली थी। "कोई ना खा ले। जेल में ऐसे ही चलता है। आदत खराब मत कर लेना अपनी।" शिफा मजाक करते हुए बोली। किंजल चुपचाप खाने लगी।
कोने में एक तरफ सरिता अकेली बैठी खा रही थी। उसे डर था कि फिर उसके साथ वही सब करेंगे। कोई उसके पास नही जा रहा था। सब जानते थे उसके साथ क्या हुआ। उसके साथ दोस्ती का मतलब था अपनी मौत को बुलाना। इसी तरह दिन ढल गया।

रात को आज फिर शिफा बहुत देर बाद आई अपने बैरक में। कुसुम तब तक सो चुकी थी। शायद दवाओं का असर था। सोनिया भी अपना पजामा उतार कर लेट गई थी। शिफा ने भी कपड़ों के अंदर से अपनी ब्रा उतारी और लेट गई। सब सो गए। किंजल की आंखों से नींद कोसों दूर थी। दिन में जो हुआ उसकी आंखों के आगे घूम रहा था। आज उसे अपना बदन बहुत हल्का लग रहा था। पूरे शरीर की सफाई जो हुई थी। किंजल का हाथ बरबस ही अपनी पैंटी में चला गया। अपनी बिना बालो को choot को सहलाने में उसे अच्छा लग रहा था। सहलाते सहलाते वो पुरानी च**** की यादों में खोने लगी। पहले झड़ने में ही वो कब नींद के आगोश में चली गई
उसे पता ही नही चला।
Behtreen update bhai
 
  • Like
Reactions: Napster

Dharmendra Kumar Patel

Nude av or dp not allowed. Edited
3,288
6,403
158
बहुत बेहतरीन अपडेट
 
  • Like
Reactions: Napster

park

Well-Known Member
11,778
14,026
228
अंदर वही सर्फ की खुशबू थी। अंदर की हवा की नमी ने 5 सेकंड में किंजल को पसीने से भर दिया। सोनिया उसे अंदर की तरफ ले गई। चारों तरफ चादरे सूखने डाली हुई थी। चादरों के बीच एक जगह मौसी बैठी थी कुर्सी पर। सामने कुर्सी पर शिफा बैठी थी। सोनिया और किंजल दोनो शिफा के साथ जाकर खड़ी हो गई। "देख लड़की इस बार तो तेरी किस्त टाइम पर आ गई। और अगली बार भी टाइम पे ही आए। ऐसे तो मैं ये किस्तों वाला काम करती नही हू। ये तो बस शिफा के कहने पे किया। आगे भी अपना काम ढंग से करना।" मौसी किंजल को ऊपर से नीचे देखती हुई बोली।
"ठीक है मौसी में थोड़ा काम करवा लू।" शिफा उठते हुए बोली। मौसी ने हाथ से जाने का इशारा किया।
शिफा ने किंजल का हाथ पकड़ा और अपने साथ ले जाने लगी। किंजल फिर शिफा के साथ चलने लगी। शिफा उसे चादरों के बीच लेकर गई। वहा बैठने की थोड़ी जगह बनी थी। पीछे से दो औरते और आई। शिफा उन दोनो को देख कर बोली। "इसपे काम करना है। पहले जंगल साफ करना है। फिर बाल ठीक करके चेहरा चमकाना है।"
"जी दीदी" एक बोली।
"चल जल्दी कपड़े उतार।" एक ने किंजल को देख कर बोला। किंजल पहले घबराई। अभी थोड़ी पहले के काम से उसकी हालत खराब हो चुकी थी। शिफा उसका चेहरा देख कर समझ गई।
"अरे कुछ नही। बस तेरा मेकअप करना है।"
किंजल ने कुर्ता उतारा। और सलवार उतार दी।
"ये भी उतार दे" दूसरी ने बोला।
किंजल ने पैंटी और ब्रा भी उतार दिए। एक कैदी ने उसका हाथ पकड़ के पास में एक बेंच पे बिठा दिया। और अपने बैग से कैंची निकली। "चल टांगे खोल। तेरा जंगल साफ करना है।" किंजल समझ गई। उसकी choot के बाल साफ करेंगे। एक औरत उसके झांटों को कैंची से काटने लगी। और दूसरी उसके सर के बालो में कंघी फिराने लगी। बहुत दिनों से कंघी ना करने के कारण बाल उलझ गए थे। फिर भी वो आराम से उसके बालो को सुलझाने लगी। टांगों के बीच बैठी औरत ने कैंची साइड में रखी और बैग से एक क्रीम निकाली। और किंजल की choot और गान्ड के आसपास लगाने लगी। थोड़ी देर बाद उसकी choot को कपड़े से साफ किया तो उसकी choot और गान्ड दोनो चिकनी हो चुकी थी।
उधर दूसरी औरत ने उसके बाल ट्रिम कर दिए थे। और चेहरे को क्लींजिंग मिल्क से साफ करना शुरू कर दिया था। इधर उसकी टांगों को फैला कर wax लगाना शुरू हो गया। थोड़ी थोड़ी दर्द के साथ किंजल की टांगे भी चिकनी होनी शुरू हो गई। चेहरे को पोंछने के बाद किंजल के शरीर का निखार ही अलग था। धीरे धीरे उसके पूरे शरीर को वैक्सिंग कर दिया गया। शिफा ने आकर उसे नई ब्रा पैंटी दी। किंजल ने वापिस अपने कपड़े पहन लिए। ये सब काम में शाम हो चुकी थी।

किंजल और शिफा दोनो बाहर आ गए। "आंटी मुझसे और ऐसा काम मत करवाओ प्लीज। मुझसे नही हो रहा है।" किंजल रुआंसी होती हुई बोली।
"देख तेरा ही फायदा है। मैं तेरे लिए अच्छे वकील का इंतजाम कर रही हूं। पर अच्छा वकील मुफ्त में नही मिलता। कोर्ट जो मुफ्त का वकील तुझे देगी। वो तुझे कभी यहां से नही निकालेगा। और ये काम तो तुझे फिर भी करना ही पड़ेगा। ये जेल में सब करवा लिया जाता है। कोई कुछ नही सुनेगा तेरी। सोच ले क्या करना है?"
शिफा चलते चलते बोली।
किंजल कुछ पल सोच में पड़ गई और चुपचाप शिफा के पीछे चल दी। दोनो वीआईपी बाथरूम की तरफ जा रहे थे। लॉन्ड्री में गर्मी से दोनो की हालत खराब थी। किंजल का चेहरा अब अलग ही चमक रहा था। बाल सुलझे हुए थे। किसी के भी मुंह में पानी आने के लायक था।

गुसलखाने में कुसुम, सोनिया, इंद्रा और तीन और वीआईपी औरत पहले से नहा रहे थे। ऐसे तो जेल में और भी वीआईपी कैदी थे। पर उनके बाहर निकलने का समय अलग अलग था। ये लोगों को खाना उनके बैरक में आ जाता था। इनके काम करने के लिए दूसरे कैदी होते थे। इसलिए ये ज्यादा बाहर नहीं निकलते थे। किंजल ने जन कपड़े उतारे तो सबकी आंखे उसके नंगे बदन पर तैरने लगी। इंद्रा ने अपने होंठो पर जीभ फिराई। शिफा सबकी आंखों को देख रही थी। किंजल की पीठ सबकी तरफ थी। वो अपने शरीर को रगड़ रगड़ कर धो रही थी। आंखे आंसुओं से भरी हुई थी। उसे पूरे शरीर पर इंद्रा की गंदगी महसूस हो रही थी। वो सब धो देना चाहती थी। उसे अब कोई इल्म नहीं था कि कुछ आंखे उसके नंगेपन को निहार रही हैं।

नहाना खतम कर सब वापिस बाहर आ गए। शाम हो चुकी। खाने की घंटी बज चुकी थी। सब मैस की तरफ चल दिए। वहां लाइन लगी हुई थी। एक लाइन में सरिता भी लगी थी। उसे मेडिकल से डिस्चार्ज कर दिया था। सोनिया इतने में सबकी थालिया ले आई। सब एक जगह बैठे खा रहे थे। दोपहर को इतना लजीज खाने के बाद किंजल से निवाला अंदर नही जा रहा था। थाली में 4 रोटी और दाल मिली थी। "कोई ना खा ले। जेल में ऐसे ही चलता है। आदत खराब मत कर लेना अपनी।" शिफा मजाक करते हुए बोली। किंजल चुपचाप खाने लगी।
कोने में एक तरफ सरिता अकेली बैठी खा रही थी। उसे डर था कि फिर उसके साथ वही सब करेंगे। कोई उसके पास नही जा रहा था। सब जानते थे उसके साथ क्या हुआ। उसके साथ दोस्ती का मतलब था अपनी मौत को बुलाना। इसी तरह दिन ढल गया।

रात को आज फिर शिफा बहुत देर बाद आई अपने बैरक में। कुसुम तब तक सो चुकी थी। शायद दवाओं का असर था। सोनिया भी अपना पजामा उतार कर लेट गई थी। शिफा ने भी कपड़ों के अंदर से अपनी ब्रा उतारी और लेट गई। सब सो गए। किंजल की आंखों से नींद कोसों दूर थी। दिन में जो हुआ उसकी आंखों के आगे घूम रहा था। आज उसे अपना बदन बहुत हल्का लग रहा था। पूरे शरीर की सफाई जो हुई थी। किंजल का हाथ बरबस ही अपनी पैंटी में चला गया। अपनी बिना बालो को choot को सहलाने में उसे अच्छा लग रहा था। सहलाते सहलाते वो पुरानी च**** की यादों में खोने लगी। पहले झड़ने में ही वो कब नींद के आगोश में चली गई
उसे पता ही नही चला।
Nice and superb update....
 

Napster

Well-Known Member
5,367
14,648
188
सुबह किंजल 5 बजे उठी तो शिफा भी उसकी बगल में लेटी हुई थी। सोनिया भी पिछली बार की तरह नीचे से बिना कपड़ों के चादर लपेटे सो रही थी। किंजल उठ कर बाथरूम गई। 5:30 बजे सबका बैरक खोल दिया गया। किंजल वही बैठ गई और सोनिया शिफा के उठने का इंतजार करने लगी। उसे अकेले नहाने जाने में डर लग रहा था। इतने में कुसुम उठी। उसने देखा वो नंगी थी। उठ कर उसने कपड़े पहने। उसे भी दर्द में आराम था। या शायद इसकी आदत हो गई थी। वो भी टॉयलेट जाके आई तो देखा किंजल बैठी थी। उसने अपने कपड़े उठाए और बाहर निकलने लगी। उसे देख किंजल भी कपड़े लेकर उसके पीछे चल दी।
दोनो उसी गुसलखाने में पहुंच गए जहा वीआईपी जाते हैं। अंदर आज कोई नही था। दोनो अकेले थे। आज दोनो जल्दी आ गए थे। दोनो ने फटाफट कपड़े उतारे और अपने अपने शावर के नीचे नहाने लगे। दोनो ने अपने आप को अच्छे से साफ किया और चादर लपेट के कपड़े धोने बैठ गए। दोनो ने अपने पुराने कपड़े धोए। किंजल ने देखा कुसुम की choot बहुत फैली हुई थी। अभी भी वहा निशान दिख रहे थे। दोनो ने उठ कर कपड़े पहने। और बाहर निकल गए। अभी बाकी सब बाथरूम में लाइन लगनी शुरू हो गई थी। काई आंखे दोनो को घूर रही थी। पर दोनो ने सबको नजरंदाज किया। और मैस की तरफ बढ़ गए। अभी मैस खुला नही था। सुबह के नाश्ते की घंटी बजने में अभी टाइम था। दोनो वही पास में एक बेंच पर बैठ गए।
"आप यहां पर कैसे आई?" किंजल ने पूछा। उसे डर था कही कुसुम उसे डांट ना दे।
"मेरे पति ने एक चिट फंड कंपनी चला रखी थी मेरे नाम से। और सबका पैसा खा गया। सब केस मूझपे बना। पहले तो मुझे बोलता रहा में छुड़वा लूंगा बस दो चार दिन की बात है। पर कुछ नही हुआ। मुझे चार साल की कैद हो गई। पहले तो मुझसे मिलने आता रहा। फिर धीरे धीरे आना बंद हो गया।" कुसुम का गला भर आया।
"तो आप शिफा आंटी का काम क्यों कर रही हो?" किंजल ने फिर सवाल किया।
"मेरा बेटा है मेरी बहन के पास। मेरा पति कमीना निकला। मैं यहां अंदर थी और उसने वहां कोई दूसरी औरत रख ली। मेरी कोई सुधि नहीं ली। मेरा बेटा अभी स्कूल जाता है और मेरी बहन के पास है। मैं चाहती हूं वह अच्छे स्कूल में पढ़े। बस इस काम से उसके स्कूल की फीस जुटा लेती हूं। ताकि मेरी बहन के ऊपर कोई बोझ ना आए। मेरी सजा को डेढ़ साल बचा है। किसी तरह यह निपट जाए फिर वापस अपने बेटे के पास चली जाऊंगी।" बात खत्म करते-करते कुसुम की आंखों में आंसू भर आए। किंजल ने भी सहानुभूति में उसके कंधे पर हाथ रखा। इतने में शिफा और सोनिया वहां आ गए।
"और क्या बात चल रही है?" शिफा ने पूछा।
"कुछ नहीं वैसे ही। आप दोनों नहाकर नहीं आए क्या?" किंजल नॉर्मल होती हुई बोली। ।
"नहीं खाना खाकर जाएंगे।" सोनिया बोली।
इतने में मैस की घंटी बज गई।
"चल किंजल लाइन में लग और सबका खाना लेके आ।" शिफा ने किंजल को ऑर्डर किया और किंजल सबकी थालिया उठा के लाइन में लग गई। जल्दी आने की वजह से वो काफी आगे थी।
"वो गार्ड और ड्राइवर का इलाज कर दिया है। रिमोट एरिया में ट्रांसफर हो जाएगा उनका। औरत तो क्या औरत की आवाज को भी तरसेंगे।" शिफा ने कुसुम के सर को सहलाते हुए कहा। कुसुम फिर से फफक पड़ी।
"बस बस यहां खुले में नही।" शिफा ने उसे चुप कराया।
"अब 10-15 दिन कहीं बाहर नहीं जाएगी तू। यहां मेरे साथ ही रहना।और इस ट्रिप का अच्छा पैसा मिला है। तेरा स्कूल का काम एक ही ट्रिप में हो गया।"
सामने से किंजल हाथ में थालियां लाती दिखी। सबने अपनी अपनी थाली लेली। आज थाली में आलू का पराठा दही और अचार था। सबने अपना अपना नाश्ता खत्म किया। सोनिया उठी और चार गिलास लेकर एक काउंटर पर गई और सबके लिए चाय ले आई। चाय खत्म होते ही। शिफा ने बोला। "किंजल तू मेरे साथ चल आज।" किंजल सुनते ही सकपका गई। उसे घबराहट होने लगी कि क्या होगा। "कुसुम तू आराम कर।" बोलते ही शिफा उठ कर चल दी। सोनिया ने किंजल को इशारा किया। किंजल भी उसके पीछे चल दी। उसकी टांगे डर से कांप रही थी।
शिफा सिलाई वर्कशॉप की तरफ चल दी। किंजल भी सस्पेंस में उसके पीछे पीछे जा रही थी। सिलाई एरिया में अभी कोई नही आया था। अंदर जा कर कई मशीनें लगी थी। उन सब मशीनों को पार कर शिफा एक कोने में आई। उसने कोने में एक कपबोर्ड खोला जिसमे अलग अलग कपड़े भरे थे। उसने उसमे से एक टी शर्ट और शॉर्ट्स निकल कर पकड़ा। किंजल की तरफ मुंह कर के बोली। "चल जल्दी से अपना सलवार कमीज उतार।" किंजल अचंभित सी उसके मुंह को देखने लगी। उसे समझ ही नही आया कि करना क्या है। "समझ नही आया क्या?" शिफा ने थोड़ा कड़क के बोला। किंजल ने अपना कुर्ता उतारा और सलवार का नाड़ा खोल कर उतार दिया। उसकी पैंटी में छेद हो रखे थे। और ब्रा का स्ट्रैप भी फटने वाला था। "शाम को तुझे नए अंडरगार्मेंट दूंगी। याद दिला देना।" शिफा ने टी शर्ट और शॉर्ट्स उसकी तरफ फेंके। "जल्दी कर पहन इसे।" किंजल जल्दी जल्दी पहनने लगी। उसे डर लग रहा था कही कोई आ न जाए। टी शर्ट बिलकुल स्किन टाइट थी। उसके उभार पूरे क्लीवेज के साथ दिख रहे थे। शॉर्ट्स बिलकुल टाइट थी। गांड में प्रॉपर फिट । एक दम सेक्सी लग रही थी किंजल। "इसके ऊपर फटाफट अपने कपड़े पहन के मेरे साथ चल।" किंजल ने फटाफट अपना सलवार कमीज पहना और शिफा के पीछे पीछे चल दी।
शिफा अब वीआईपी बेरेको की तरफ जाने लगी।
बहुत ही मस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
5,367
14,648
188
वीआईपी बैरक के पास दो महिला गार्ड खड़ी थी। शिफा उसके पास रुकी। उसने शिफा के हाथ में एक चाबी दी। शिफा ने चाबी ली और आगे बढ़ गई। किंजल चुपचाप तेज कदमों से धड़कते दिल से उसके पीछे पीछे चली जा रहीं थी। सभी वीआईपी बैरकों को पार करके आखिर में एक छोटा सा बैरक था। शिफा ने बाहर से उसका ताला खोला। और किंजल की तरफ देखा। शिफा अंदर गई और किंजल भी उसके पीछे पीछे आ गई। अंदर दीवारों में स्लैब बने हुए थे जिनमे अलग अलग सामान रखा हुआ था। शिफा ने कुछ तौलिए और एक बैग उठाया। तौलिए किंजल के हाथ में पकड़ाए। शिफा ने किंजल के चेहरे को हाथो में पकड़ के अपने नजदीक किया। " देख अभी जिस बैरक में जा रहे हैं वो एक करोड़पति वीआईपी है।वो जैसा बोलेगी वैसा करना है।" किंजल का रंग सफेद पड़ता जा रहा था। दिल जैसे छाती से बाहर आने को था। "ज्यादा नखरे नही करने है।छोटी सी भी गलती हुई या किसी चीज को मना किया तो मैं भी तुझे नही बचा पाऊंगी। यहां से सीधा रास्ता फिर मौसी तरफ ही लेके जायेगा। आज के काम से ही मौसी को पहली किस्त जाने वाली है।" शिफा ने किंजल के माथे पे चूमा।किंजल की डर और पसीने से हालत खराब हो रही थी।शिफा ने किंजल की बालों में DO लगाया और खुद को लगाया। शिफा वापिस निकली। वापिस ताला लगाया और बैरकों की तरफ बढ़ने लगी।

एक बैरक की तरफ आके उसने दरवाजा को चाभी से खड़काया। बैरक के दरवाजे पर एक परदा टंगा हुआ था। परदा हटा के एक औरत ने बाहर देखा। शिफा को देखते ही दरवाजा खोल दिया। दोनो अंदर गए। और दरवाजा बंद कर दिया। किंजल ने पहली बार कोई वीआईपी बैरक अंदर से देखा था। ये उसके नए वाले बैरक जितना ही बड़ा था। एक क्वीन साइज का बेड लगा था जिसमे मच्छरदानी भी लगी थी। कूलर रखा हुआ था। बेड के साइड टेबल पे खाली ग्लास पड़ा था। साफ झलक रहा था कि इसमें किसी ने शराब पी थी।
दो सिंगल सोफे रखे थे। बेड पे इंद्रा पटेल बैठी थी। हल्के नीले रंग की नाइटी पहनी थी घुटनों तक। हाथ में एक मैगजीन थी। आंखों से पता चल रहा था नशे में है। इंद्रा ने मैगजीन साइड में रखी और किंजल को ऊपर से नीचे देखने लगी। किंजल को उसकी नजर बड़ी अजीब सी लग रही थी। शिफा ने बैग बेड पे रखा। किंजल के हाथ से तौलिए पकड़े।धीरे से उसके कान के पास बोली। "अपनी सलवार और कुर्ती उतार।" और घूर के किंजल को देखा। किंजल ने घबरा के अपनी कुर्ती और सलवार दोनो उतार दी। इंद्रा के चेहरे पे एक मुस्कान आ गई। शिफा इंद्रा के बेड के पास खड़ी हो गई। "मैडम शुरू करे?" इंद्रा बेड के किनारे पे आई। पैर नीचे किया। खड़ी हुई। और शिफा को तरफ पीठ करके घूम गई। शिफा ने उसकी नाइटी की जिप खोली और नाइटी निकल दी। नाइटी के नीचे इंद्रा पूरी नंगी थी।

शिफा ने बैग से 2 शीशी निकाली। जिनमे में तेल था। इंद्रा बेड पर बैठ गई। शिफा ने एक शीशी किंजल को पकड़ाई। और इशारे से बेड पर आने को कहा। किंजल बेड पर चढ़ गई। इंद्रा बैठ गई। "फटाफट मैडम के सर और बालों की मैसेज कर।" किंजल हिचकिचाई। उसने कभी किसी के बालो में तेल नही लगाया था। किसी और क्या खुद के बालों में भी नही लगाया था। किसी तरह उसने इंद्रा के बालो में तेल लगा के उंगलियों से मालिश करना शुरू किया। "ज्योति चल अपने काम पे लग" शिफा दरवाजे के पास बैठी औरत को बोली। वो फटाफट उठी। अपनी साड़ी अलग की। और शिफा के हाथ से तेल लेकर इंद्रा के पैरों में बैठ गई। उसके पैरों में तेल लगा कर मालिश करने लगी। टांगो को पिंडलियों की मालिश करने लगी। किंजल को खुद पर घिन्न आ रही थी की वो एक नंगी औरत के सर को मसाज दे रही है। दरवाजे पे कुछ हलचल हुई। शिफा ने परदा हटा कर देखा। एक हाथ अंदर आया। शिफा के हाथ में कुछ रखा। और वापिस परदा लगा दिया। शिफा ने अपने मुंह में सिगरेट लगाई। और लाइटर से जलाने लगी। सिगरेट जला कर उसने इंद्रा को दी। इंद्रा ने सिगरेट के कश लेने शुरू लिए। उसकी आंखे ऊपर चढ़ने लगी। एक सिगरेट शिफा ने सुलगा ली। ये गांझे वाली सिगरेट थी। पूरे कमरे में धुआं भर गया। किंजल किसी तरह अपनी सांसे रोक बैठी थी। उसका दम घुट रहा था। शिफा और इंद्रा मदहोश होने लगे। इंद्रा उठी। और एक हाथ से किंजल का हाथ पकड़ के उसे बेड की बैक पर पीठ लगा कर बिठा दिया। और खुद उसकी छाती पे सर रख आधी लेट गई। और अपनी सिगरेट के कश लेने लगी। ज्योति भी बेड पर आ गई। किंजल को समझ नही आ रहा था अब उसे क्या करना है। शिफा उठी और नशे में झूमती हुई किंजल के पास आई। किंजल के दोनो हाथ इंद्रा के चूचों पर रख दिए और लड़खड़ाते आवाज में बोली, "चल अच्छे से मालिश कर।" किंजल को लगा कि अब धरती फटे और उसमे वो समा जाए।
किंजल ने तेल लगे हाथो से उसके निपल्स को सहलाना शुरू किया। धीरे धीरे पुरे बूब्स को मालिश करने लगी। इंद्रा ने अपना एक हाथ किंजल की जांघ पर रख दिया और मसलने लगी। किंजल के मुंह से सिसकारी निकली। ज्योति भी बेड पर आ चुकी थी। और इंद्रा की जांघो में तेल लगा कर मालिश शुरू कर चुकी थी। उसके हाथ जांघों के जोड़ों तक मालिश कर रहे थे। इंद्रा अब कसमसाने लगी थी। सांसे तेज हो रही थी। शिफा सोफे से उठी और इंद्रा के बगल में बैठ गई। सिगरेट का धुआं उसने किंजल के मुंह पे छोड़ा। किंजल का पहले ही धुएं से दम घुट रहा था। उसकी आंखे धुएं से लाल हो रही थी। इंद्रा का वजन उसकी छाती पे था। वो हिल नहीं पा रही थी। आंखों में आंसू आ रहे थे। पर वो रोई नही।
ज्योति ने इंद्रा के घुटने मोड़ के टांगे फैलाई। किंजल को इंद्रा की chut दिखी। गोरी गोरी फांके। पर बड़ी और लटकी हुई। देख ही रही थी की ज्योति ने उसकी chut पर होंठ रख दिए। और जीभ से चाटने लगी। शिफा ने इंद्रा के हाथ से सिगरेट पकड़ी और दोनो की सिगरेट ऐश ट्रे में बुझा दी। इंद्रा के मुंह से आह निकली ही थी की शिफा ने अपने होंठ इंद्रा के होंठो पर रख दिए। इंद्रा तीनो के बीच तड़पने लगी। शिफा ने किंजल के हाथ हटाए और इंद्रा के उरोजों को मसलना शुरू कर दिया। इंद्रा अपने हाथ ऊपर ले गई और किंजल का टॉप ऊपर कर उसके चूचे मसलने लगी। किंजल को कुछ मजा नही आ रहा था। कूलर की ठंडी हवा उसके शरीर को ठंडा कर रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे कुछ जानवर उसे अपनी भूख मिटाने के लिए खा रहे है। वो बस अपने आंसू रोक कर बैठी थी। अचानक इंद्रा का शरीर कांपने लगा। उसने कस कर किंजल के चूचों मसल दिया। किंजल समझ गई इंद्रा का काम हो गया है। उधर इंद्रा ने दूसरे हाथ से ज्योति के बालो को कस कर पकड़ा और ज्योति का मुंह अपनी choot पर दबा दिया। एक फव्वारा ज्योति के मुंह में चला गया और ना चाहते हुए भी उसे निगलना पड़ा। इंद्रा की पकड़ ढीली पड़ गई। ज्योति ने अपना सर हटा लिया और लंबे लंबे सांस लेने लगी। किंजल को भी कुछ सुकून मिला। उसके चूचे लाल हो चुके थे। उसे दर्द हो रहा था। नाखून के निशान साफ दिख रहे थे उसके चूचों पर। ज्योति की आंखों में भी घिंन साफ दिख रही थी। वो भी ये सब करके खुश नहीं थी। जाने किस मजबूरी में कर रही थी।
इंद्रा ने शिफा की तरफ देखा। अपनी सांसे काबू की। और उठ कर बैठ गई। शिफा समझ गई। उसने फटाफट बेड के नीचे हाथ मारा और एक बॉक्स बाहर निकाला। बॉक्स में से एक व्हिस्की की बॉटल बाहर निकाली और 4 ग्लास में पेग बनाए। एक खुद पकड़ा और एक इंद्रा को पकड़ाया। एक किंजल के आगे किया तो न किंजल ने हाथ बढ़ाया न कुछ बोली। ज्योति की तरफ किया तो उसने भी न में सर हिला दिया। इंद्रा गांजे की फ्लाइट में थी। उसने एक सांस में पेग खतम किया। ऐसा लगा जैसे उसमे कोई नई ताकत आ गई। किंजल सुन्न सी उसके सामने नंगी छाती लिए वैसी ही बैठी थी। सब कुछ इतना अचानक हो रहा था उसे समझ ही नही आ रहा था की हुए क्या। तभी इंद्रा ने उसके टॉप के किनारे पकड़े और ऊपर किया। किंजल के हाथ अपने आप ऊपर उठ गए और इंद्रा ने टॉप बाहर निकाल दिया। उसे भी इस कमसिन कली को निचोड़ने में मजा आ रहा था।

इंद्रा अपने प्रोफेशनल कैरियर में हमेशा ऊंचाई पर रही। उसके इशारे पर सभी काम होते थे। अपने नीचे वाले लोगों को अपने रोब के नीचे दबा कर रखना उसे पसंद था। एक अलग ही संतोष मिलता था उसे। यही वो बिस्तर में करती थी। 45 पार करने के बाद भी बिस्तर में अपनी नीचे आदमी और औरत दोनो को रगड़ती थी। विदेशी जिगोलो को रगड़ने में तो उसे खास मजा आता था। पर जेल में आकर उसकी बहुत सी इच्छाओं पर लगाम लग गई थी। पर पैसों से क्या नही खरीदा जा सकता। उसी पैसे की ताकत से आज उसे ज्योति और किंजल जैसी मजबूर लड़कियों को मानसिक रूप से रोंदने में उसे मजा आ रहा था। किंजल की आंखों में भरे हुए आंसू उसे अलग ही मजा दे रहे थे।

इंद्रा ने किंजल की जांघो को कस के पकड़ और नीचे खींच लिया। और किंजल के ऊपर झुक गई। अब किंजल टॉपलेस बेड पर थी और इंद्रा डॉगी पोज में उसके ऊपर झुकी हुई थी। इंद्रा ने किंजल के निपल्स पर अपने होंठ रख दिए और मसल मसल कर चूसने लगी। गांजे का धुआं अब किंजल के सर पर चढ़ चुका था। उसका सर हल्का घूमने लगा। ऊपर से उसके चूचों पर इंद्रा का हमला उसे गरम करने लगा। इधर शिफा ने बैग से एक बैटरी ऑपरेटेड डिल्डो निकाला। और इंद्रा के पीछे आकर उसकी गांड सहलाने लगी। और डिल्डो अपने मुंह में डाल लिया। आधा मिनट डिल्डो को एक लन्ड की तरह चूसा और जब वो अच्छे से उसके थूक से गीला हो गया तो इंद्रा के choot के छेद पर रख दिया। और अंदर सरकाने लगी। धीरे धीरे 9 इंच का डिल्डो पूरा अंदर चला गया। इंद्रा किंजल को चूसने में मस्त थी। किंजल भी आंखे बंद कर मस्ती की दुनिया में डूब रही थी। डिल्डो पूरा अंदर जाने के बाद शिफा ने उसके दूसरे छोर पर बना एक बटन दबा दिया। डिल्डो में वाइब्रेशन शुरू हो गई। शुरू होते ही इंद्रा ने अपना सर ऊपर छत की तरफ उठा लिया और जोर जोर से आहें लेने लगी। मस्ती में किंजल के चूचे जोर जोर से भींचने लगी। अब किंजल को भी स्वाद आ रहा था। इंद्रा ने आंखे खोल कर शिफा को देखा। वो चुस्कियां लेकर अपना पेग पी रही थी। उसने आंखों से शिफा को कुछ इशारा किया। शिफा ने तुरंत हां में अपना सर हिलाया। शिफा ने अपना पेग रखा। और एक भरा हुआ पेग उठाया और ज्योति के पास गई। उसके कान में फुसफुसाई। ज्योति की आंखे खौफ से फैल गई। उसने आंखों में मिन्नत का भाव लाते हुए शिफा को देखा और ना में सर हिलाया जैसे भीख मांग रही हो। शिफा ने नजरंदाज किया और ग्लास ज्योति के होंठो को लगा दिया और उसके मुंह में व्हिस्की उड़ेलने लगी। पूरा ग्लास खतम होते ही शिफा उठी और और एक पेग बनाया। इस बार वाला पेग मोटा था। उसने फिर ज्योति को पेग पकड़ाया। इस बार ज्योति ने आंसुओं के साथ फिर पेग खतम किया। इतने में इंद्रा एक बार और झड़ी ,पर डिल्डो का वाइब्रेशन चल रहा था।
इंद्रा ने पलट कर ज्योति की तरफ देखा। उसके बहते आंसू देख उसकी आंखों में एक चमक और होंठो पर एक गर्व की मुस्कान आई। और वो फिर किंजल के होंठो पर झुक गई और गांड को थोड़ा और बाहर निकाला। इधर शिफा ने ज्योति को बालो से पकड़ा और उसके सर को शिफा की गांड की तरफ खींचते हुए बोली।"जितनी जल्दी निपटाएगी उतनी जल्दी यहां से जाएगी।" और उसका मुंह बालो से पकड़ के इंद्रा की गांड के छेद पे रख दिया। बहते आंसुओं के साथ उसने छेद को चाटना शुरू कर दिया। उसे उबकाई आने लगी। वो अचानक उठी और भाग कर बाथरूम की तरफ गई। उसने उल्टी की। अंदर से रोने की आवाज आ रही थी। लेकिन इंद्रा को उसके रोने से और सुकून मिल रहा था। ये वो औरत थी जिसे अपने नीचे काम करने वाला कोई पसंद आ जाए तो उसे प्रमोशन का लालच देकर, dog collar पहना कर अपना कुत्ता बना कर चुड़वाती थी। उसे तो ज्योति के आसुओं से मजा आ रहा था। उसकी मजबूरी उस कमरे में सिर्फ शिफा जानती थी। ज्योति वापिस आई। शिफा ने उसे फिर से बेड पे जाने का इशारा किया। इंद्रा किंजल के होंठो को चूसने में मस्त थी। वाइब्रेटर अब तक 3 बार उसका पानी निकाल चुका था। पर आज उसका नशा और आग चरम पर थे। बहुत दिनों बाद किसी बेबस की बेबसी को चोद रही थी वो। उसके अंदर का जानवर और भड़क रहा था। अब किंजल को वापिस होश आ रहा था। उसे अपने मुंह में अजीब सा स्वाद महसूस हुआ। तब उसने देखा कि कैसे इंद्रा उसके ऊपर चढ़ के कोमल अंगों को मसल रही है। इंद्रा का एक हाथ अब उसके शॉर्ट्स के अंदर था जो उसके choot के दाने को मसल रहा था। इंद्रा की आधी उंगली उसकी choot के अंदर थी। जो उसके g spot पर थी। जैसे ही इंद्रा ने किंजल के g spot और clit के दाने को एक साथ मसला किंजल का खुद पे कंट्रोल नही रहा। वो भूल गई कि वो एक मर्द नही औरत की बाहों में है। उसने इंद्रा को कस के अपनी बाहों में कस लिया। होंठ अपने आप इंद्रा के होंठों पर रख दिए।

उधर वापिस ज्योति के होंठ उसकी गांड के छेद पर थे। उसने किसी तरह अपने मन को मजबूत किया और अच्छे से चाटने लगी। इंद्रा अब मस्ती के समंदर में हिलोरे ले रही थी। किंजल की choot जिग्नेश ने बहुत बार मसली थी। पर आज जो इंद्रा ने किया वो उसे खुद समझ नही आ रहा था कि ये क्या हुआ। किंजल और इंद्रा एक दूसरे से लिपटे हुए थे। कूलर की हवा में भी पसीना पसीना थे। हर आधे मिनट में किंजल अब झड़ रही थी। आखिर इंद्रा की हिम्मत भी जवाब दे गई। नशा उसके दिमाग पर चढ़ चुका था और वो निढाल होने लगी। 14 orgasm होने के बाद किंजल की टांगे अब कांप रही थी। आधी बेहोशी की हालत में थी। इंद्रा निढाल होके किंजल पर गिर गई। शिफा ने उठ कर वाइब्रेटर उसकी choot से बाहर निकाला। वाइब्रेटर बाहर आते ही choot से गाढ़ा पानी बाहर निकला। शिफा ने वाइब्रेटर ज्योति को पकड़ाया। "जा धोकर ला।" ज्योति उठ कर बाथरूम के गई। अपने मुंह में कुल्ला किया। और वाइब्रेटर धोने लगी।

"मैडम काम हो गया?? आप satisfy हो?" शिफा ने इंद्रा को पूछा। इंद्रा किंजल के ऊपर से उठ कर उसकी बगल में लेट ते हुए। "मजा आ गया। जेल में आके पहली बार ऐसा स्वाद मिला है। चल एक पेग बना मेरे लिए। शिफा ने इंद्रा के ग्लास में फिर से पेग भरा और पकड़ा दिया। उधर से ज्योति भी बाहर आ गई। शिफा ने उसे इशारे से बुलाया। दोनो ने मिल के बेहोश पड़ी किंजल को पानी के छींटे मारे और उठाया। वो बेचारी खड़ी हुई। सोफे तक जाते जाते उसकी टांगे फिर जवाब दे गई। और वो वही सोफे पर गिर गई। उधर इंद्रा शराब के नशे में बडबडा रही थी। "ऐ शिफा। किसी मर्द का इंतजाम करदे। मेरी बच्चेदानी तरस गई है किसी लंबे लन्ड के धक्कों के लिए।" शिफा ने उसे नजरंदाज किया और किंजल को उठाया। किंजल अब उठ कर अपना कुर्ता पहने लगी। शिफा ने उसे शॉर्ट्स उतारने को बोला। किंजल ने शॉर्ट्स उतारे। टांगे कांप रही थी। पैंटी पूरी गीली थी। "इसे भी उतार दे। नही तो सलवार भी गीली हो जायेगी।"शिफा ने देख कर बोला। किंजल ने वैसा ही किया। और बिना पैंटी के सलवार पहन ली। ज्योति ने भी साड़ी वापिस बांध ली।

"तुम दोनो अपने बैरक में जाओ। मैं मैडम से बात करके आती हूं।" शिफा ने ज्योति को बोला।
"ए रुक। आज खुश कर दिया तुम सबने। आज दोपहर का खाना यही खा के जाओ। में मंगवाती हूं।" इंद्रा ने बीच में टोक कर बोला। "नही मैडम। इसकी क्या जरूरत है। आप आराम करो।" शिफा ने बोला।
"एक बार बोला ना।" इंद्रा ने रोब से कहा।। शिफा वही सोफे पर बैठ गई। इशारे से किंजल और ज्योति को भी वही बिठा लिया।
इंद्रा नंगी बेड से उठी। ग्लास रखा। और अपनी ब्रा पैंटी
पहनने लगी।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मादक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
5,367
14,648
188
इंद्रा ने अपना गाउन पहन लिया। अपने गद्दे के नीचे से एक छोटा पाउच निकाला और उसमें से एक 10 रुपए का आधा नोट निकाला। उस पर पैन से कुछ लिखा और शिफा को पकड़ा दिया। उसके कदम अभी भी डगमगा रहे थे। शिफा ने नोट पढ़ा और अपनी ब्रा में रख लिया। किंजल सोफे पर सर पीछे टिका कर आंखे बंद करके बैठी थी। उसे नींद का नशा हो रहा था। आधे घंटे बाद किसी ने बैरक का दरवाजा खटखटाया। ज्योति उठी और परदा हटा कर देखा। एक महिला कैदी हाथ में एक बड़ा लिफाफा लिए खड़ी थी। ज्योति ने दरवाजा खोल लिफाफा लिया और वापिस दरवाजा बंद कर दिया।

लिफाफा अंदर लाते ही बैरक में खाने की खुशबू फैल गई। किंजल की आंखे खुली। उसने बहुत दिनो बाद ये खुशबू महसूस की थी। ज्योति ने लिफाफा टेबल पर रखा। उसमे से पैक की हुई 4 थाली थी। पैकेट पर शहर के मशहूर हलवाई का नाम लिखा था। खाने की खुशबू से ही किंजल की आंखे खुल गई। इतने दिनों बाद उसे खाने की अच्छी खुशबू आई थी। सबने अपने अपनी थाली उठाई। उसकी सील खोली और खाने लगे। किंजल और ज्योति भूखे कुत्तों की तरह खा रहे थे। 3 मिनट में उन्होंने अपनी अपनी थाली खतम कर दी। शिफा ने दोनो को जाने का इशारा किया। दोनो उठी और बाहर जाने लगी। पीछे से इंद्रा और शिफा धीमी आवाज में कुछ बाते करने लगे। ज्योति सीधा वहा चल पड़ी जहां जेल के बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। ज्योति ने पास जाके एक बच्चे पर नजर डाली और वापिस ग्राउंड की तरफ चली गई।
किंजल को भी समझ नही आया कि कहा जाए तो वो ग्राउंड की तरफ चलने लगी। उसे अपने आप पर घिन्न आ रही थी। जब वो महिला गार्डों की बगल से निकली तो वो भी किंजल को देख तिरछी नजर से मुस्कुराई। किंजल को उनकी नजरें तीर की तरह चुभ रही थी। पहली बार किसी ने उसका शारीरिक इस्तेमाल किया था। वो भी लेस्बियन। दोपहर का सूरज सर पे था। ग्राउंड में एक कोने पर बेंच रखा था। जहा छांव नही थी। वहां कोई नही था। किंजल उस बेंच पर जा कर बैठ गई। घुटने मोड़ उनमें अपना सर छिपा कर सुबक सुबक कर रोने लगी। उसे खुद से इंद्रा के बदन को बू आ रही थी। वो नहाना चाहती थी। अपने शरीर से इंद्रा की गंदगी हटाना चाहती थी। लोग इतने गंदे होते है उसने सपने में भी नही सोचा था। उसने जुर्म किया था। पर इतनी विकृति। किंजल का रोना थम नहीं रहा था। तभी किसी ने उसके कंधे पे हाथ रखा। किंजल ने घबरा कर हाथ हटा कर देखा। ये ज्योति थी। किंजल ने वापिस अपना सर छिपा लिया। ज्योति किंजल के पास बैठ गई और उसके सर में हाथ फिराने लगी।
"देख तेरे साथ पहली बार हुआ है इसलिए तू इतना रो रही है। मुझे तो आदत हो गई है। ये जेल है। यहां मजबूरियों का फायदा उठाया जाता है। हमारा भी उठाया जा रहा है। धीरे धीरे वक्त बदल जायेगा। " ज्योति हाथ फेरते हुए बोली।
"तुम्हारी क्या मजबूरी है??" किंजल ने सर उठा के पूछा।
"तुझे बता रही हूं। पर किसी से बोलना मत। मेरा बेटा भी है मेरे साथ यहां। 7 साल का है। यहां 6 साल से ऊपर के बच्चों को नही रख सकते। पर मैने समझोता किया यहां के दलालों से। उन्होंने उसकी उम्र 2 साल कम लिखवा दी है। अब वो मेरे साथ है। बाहर मेरा कोई नही है। समझौता ना करती तो मेरा बेटा बाहर किसी अनाथालय में होता। मैं ये कभी नही चाहती। बस इसीलिए उस गंदगी को झेल लेती हू।" ज्योति आंसू पोंछते हुए बोली।

किंजल अब शांत थी। उसे समझ आ रहा था कि ये सब और चलेगा आगे।
"पर तू टेंशन मत ले। शिफा ध्यान भी रखती है। मेरे बेटे को यहां खाने पीने में कोई कमी नही होती। काम अपनी जगह है। पर सबका ध्यान भी रखती है।" ज्योति ने समझाया।

"तू यहां बैठी है? शिफा खोज रही थी तुझे।" सोनिया उनके पास आकर बोली।
किंजल ने प्रश्नवाचक नजरों से सोनिया की तरफ देखा। सोनिया उसकी आंखों में देख कर समझ गई कि वो रो रही थी। "देख ऐसे परेशान मत हो। जेल में जिंदगी ऐसे ही काटनी पड़ती है। धीरे धीरे आदत हो जायेगी। सबसे जरूरी है यहां जिंदा रहना।" सोनिया उसकी आंखों में देखते हुए बोली। "चल अब शिफा दीदी ने बुलाया है।"

किंजल खड़ी हो गई। और सोनिया के पीछे चल दी। सोनिया लॉन्ड्री की तरफ बढ़ने लगी। तो किंजल के कदम रुक गए। उसके आंखों के सामने सरिता के साथ हुआ मंजर चलने लगा। "अरे चल ना, कुछ नही होता।" सोनिया ने मुड़ कर किंजल का हाथ पकड़ा और खींचते हुए ले गई।
बहुत ही मस्त और मनभावन अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
5,367
14,648
188
अंदर वही सर्फ की खुशबू थी। अंदर की हवा की नमी ने 5 सेकंड में किंजल को पसीने से भर दिया। सोनिया उसे अंदर की तरफ ले गई। चारों तरफ चादरे सूखने डाली हुई थी। चादरों के बीच एक जगह मौसी बैठी थी कुर्सी पर। सामने कुर्सी पर शिफा बैठी थी। सोनिया और किंजल दोनो शिफा के साथ जाकर खड़ी हो गई। "देख लड़की इस बार तो तेरी किस्त टाइम पर आ गई। और अगली बार भी टाइम पे ही आए। ऐसे तो मैं ये किस्तों वाला काम करती नही हू। ये तो बस शिफा के कहने पे किया। आगे भी अपना काम ढंग से करना।" मौसी किंजल को ऊपर से नीचे देखती हुई बोली।
"ठीक है मौसी में थोड़ा काम करवा लू।" शिफा उठते हुए बोली। मौसी ने हाथ से जाने का इशारा किया।
शिफा ने किंजल का हाथ पकड़ा और अपने साथ ले जाने लगी। किंजल फिर शिफा के साथ चलने लगी। शिफा उसे चादरों के बीच लेकर गई। वहा बैठने की थोड़ी जगह बनी थी। पीछे से दो औरते और आई। शिफा उन दोनो को देख कर बोली। "इसपे काम करना है। पहले जंगल साफ करना है। फिर बाल ठीक करके चेहरा चमकाना है।"
"जी दीदी" एक बोली।
"चल जल्दी कपड़े उतार।" एक ने किंजल को देख कर बोला। किंजल पहले घबराई। अभी थोड़ी पहले के काम से उसकी हालत खराब हो चुकी थी। शिफा उसका चेहरा देख कर समझ गई।
"अरे कुछ नही। बस तेरा मेकअप करना है।"
किंजल ने कुर्ता उतारा। और सलवार उतार दी।
"ये भी उतार दे" दूसरी ने बोला।
किंजल ने पैंटी और ब्रा भी उतार दिए। एक कैदी ने उसका हाथ पकड़ के पास में एक बेंच पे बिठा दिया। और अपने बैग से कैंची निकली। "चल टांगे खोल। तेरा जंगल साफ करना है।" किंजल समझ गई। उसकी choot के बाल साफ करेंगे। एक औरत उसके झांटों को कैंची से काटने लगी। और दूसरी उसके सर के बालो में कंघी फिराने लगी। बहुत दिनों से कंघी ना करने के कारण बाल उलझ गए थे। फिर भी वो आराम से उसके बालो को सुलझाने लगी। टांगों के बीच बैठी औरत ने कैंची साइड में रखी और बैग से एक क्रीम निकाली। और किंजल की choot और गान्ड के आसपास लगाने लगी। थोड़ी देर बाद उसकी choot को कपड़े से साफ किया तो उसकी choot और गान्ड दोनो चिकनी हो चुकी थी।
उधर दूसरी औरत ने उसके बाल ट्रिम कर दिए थे। और चेहरे को क्लींजिंग मिल्क से साफ करना शुरू कर दिया था। इधर उसकी टांगों को फैला कर wax लगाना शुरू हो गया। थोड़ी थोड़ी दर्द के साथ किंजल की टांगे भी चिकनी होनी शुरू हो गई। चेहरे को पोंछने के बाद किंजल के शरीर का निखार ही अलग था। धीरे धीरे उसके पूरे शरीर को वैक्सिंग कर दिया गया। शिफा ने आकर उसे नई ब्रा पैंटी दी। किंजल ने वापिस अपने कपड़े पहन लिए। ये सब काम में शाम हो चुकी थी।

किंजल और शिफा दोनो बाहर आ गए। "आंटी मुझसे और ऐसा काम मत करवाओ प्लीज। मुझसे नही हो रहा है।" किंजल रुआंसी होती हुई बोली।
"देख तेरा ही फायदा है। मैं तेरे लिए अच्छे वकील का इंतजाम कर रही हूं। पर अच्छा वकील मुफ्त में नही मिलता। कोर्ट जो मुफ्त का वकील तुझे देगी। वो तुझे कभी यहां से नही निकालेगा। और ये काम तो तुझे फिर भी करना ही पड़ेगा। ये जेल में सब करवा लिया जाता है। कोई कुछ नही सुनेगा तेरी। सोच ले क्या करना है?"
शिफा चलते चलते बोली।
किंजल कुछ पल सोच में पड़ गई और चुपचाप शिफा के पीछे चल दी। दोनो वीआईपी बाथरूम की तरफ जा रहे थे। लॉन्ड्री में गर्मी से दोनो की हालत खराब थी। किंजल का चेहरा अब अलग ही चमक रहा था। बाल सुलझे हुए थे। किसी के भी मुंह में पानी आने के लायक था।

गुसलखाने में कुसुम, सोनिया, इंद्रा और तीन और वीआईपी औरत पहले से नहा रहे थे। ऐसे तो जेल में और भी वीआईपी कैदी थे। पर उनके बाहर निकलने का समय अलग अलग था। ये लोगों को खाना उनके बैरक में आ जाता था। इनके काम करने के लिए दूसरे कैदी होते थे। इसलिए ये ज्यादा बाहर नहीं निकलते थे। किंजल ने जन कपड़े उतारे तो सबकी आंखे उसके नंगे बदन पर तैरने लगी। इंद्रा ने अपने होंठो पर जीभ फिराई। शिफा सबकी आंखों को देख रही थी। किंजल की पीठ सबकी तरफ थी। वो अपने शरीर को रगड़ रगड़ कर धो रही थी। आंखे आंसुओं से भरी हुई थी। उसे पूरे शरीर पर इंद्रा की गंदगी महसूस हो रही थी। वो सब धो देना चाहती थी। उसे अब कोई इल्म नहीं था कि कुछ आंखे उसके नंगेपन को निहार रही हैं।

नहाना खतम कर सब वापिस बाहर आ गए। शाम हो चुकी। खाने की घंटी बज चुकी थी। सब मैस की तरफ चल दिए। वहां लाइन लगी हुई थी। एक लाइन में सरिता भी लगी थी। उसे मेडिकल से डिस्चार्ज कर दिया था। सोनिया इतने में सबकी थालिया ले आई। सब एक जगह बैठे खा रहे थे। दोपहर को इतना लजीज खाने के बाद किंजल से निवाला अंदर नही जा रहा था। थाली में 4 रोटी और दाल मिली थी। "कोई ना खा ले। जेल में ऐसे ही चलता है। आदत खराब मत कर लेना अपनी।" शिफा मजाक करते हुए बोली। किंजल चुपचाप खाने लगी।
कोने में एक तरफ सरिता अकेली बैठी खा रही थी। उसे डर था कि फिर उसके साथ वही सब करेंगे। कोई उसके पास नही जा रहा था। सब जानते थे उसके साथ क्या हुआ। उसके साथ दोस्ती का मतलब था अपनी मौत को बुलाना। इसी तरह दिन ढल गया।

रात को आज फिर शिफा बहुत देर बाद आई अपने बैरक में। कुसुम तब तक सो चुकी थी। शायद दवाओं का असर था। सोनिया भी अपना पजामा उतार कर लेट गई थी। शिफा ने भी कपड़ों के अंदर से अपनी ब्रा उतारी और लेट गई। सब सो गए। किंजल की आंखों से नींद कोसों दूर थी। दिन में जो हुआ उसकी आंखों के आगे घूम रहा था। आज उसे अपना बदन बहुत हल्का लग रहा था। पूरे शरीर की सफाई जो हुई थी। किंजल का हाथ बरबस ही अपनी पैंटी में चला गया। अपनी बिना बालो को choot को सहलाने में उसे अच्छा लग रहा था। सहलाते सहलाते वो पुरानी च**** की यादों में खोने लगी। पहले झड़ने में ही वो कब नींद के आगोश में चली गई
उसे पता ही नही चला।
बहुत ही शानदार और मस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

niks1987

New Member
27
312
64
3 दिन बीत चुके थे। जेल का सिस्टम रोज की तरह काम कर रहा था। इस जेल में भी मिलने के लिए लोग आते थे। लेकिन यहां मर्दों की जेल की तरह उतनी भीड़ नहीं होती थी। जब कभी कोई किसी कैदी को मिलने आता था तो उसे बुलावा आता था। मिलने के बाद वापस आते समय किसी की आंखों में खुशी किसी की आंखों में आंसू और कई गुस्से से भरे होते थे। पर इतने दिन में किंजल को मिलने वाला कोई नहीं आया। आज एक गार्ड ने किंजल को बोला "तुझसे मिलने कोई आया है।"

पास खड़ी शिफा बोली,"तेरा वकील होगा मैंने अपने का आदमी को बोला था जा मिलकर आ।"
किंजल गार्ड के पीछे पीछे चल दी। मीटिंग एरिया में एक बड़े कमरे में बड़ी सी जाली लगी थी जिसमें एक तरफ मिलने वाला खड़ा होता था और दूसरी तरफ कैदी। किंजल गार्ड के पीछे-पीछे मीटिंग एरिया से भी आगे निकल गई। वह और कैदी भी कुछ घूम रहे थे। दिखाओ वहां काले कोट में एक आदमी अकेला बैठा था। गार्ड ने किंजल को उस आदमी की तरफ इशारा किया और वहां से वापस चली गई। उसके हाथ में एक फाइल थी। किंजल उसके पास जाकर खड़ी हो गई। "आओ बैठो।" पिंटू की एक 45 साल का आदमी था उसने किंजल को इशारे से अपने पास बैठने को बोला। चश्मा पहन रखा था । दिखने में ही काफी अनुभवी लग रहा था। "यह कागज पर साइन कर दो। अब से मैं तुम्हारा वकील हूं। एक बार तुम्हारा केस स्टडी कर लू फिर मिलता हूं।"
"जी ठीक है।" किंजल ने सर हिलाया।
"ये जेल के कपड़े क्यों पहने है?" पिंटू ने पूछा।
"और कोई थे नही। तो इन्होंने यही दे दिए।" किंजल ने जवाब दिया।
"शिफा को बोलो दूसरे कपड़े दिलवाएगी। इनकी अभी जरूरत नहीं है। अब तुम जाओ।" वकील कागजों को देखता हुआ बोला। किंजल उठी और वापिस जाने लगी। पिंटू किंजल को जाता हुआ देख रहा था। ढीले कपड़ो में भी उसके बदन को xray निकाल रहा था। "शिफा बहुत कमिनी है तू। अपने मतलब का माल छोड़ती नही है। साला बाहर से ज्यादा तो तू अंदर कमा रही है।" पिंटू उठता हुआ अपने आप से बोला। और बाहर की तरफ चल दिया।

"क्या बोला वकील?" अंदर आते ही सोनिया ने किंजल को पूछा। "कुछ नही। बोला कैस स्टडी करके बताएगा।" किंजल ने जवाब दिया।
"ये बड़ा छुपा रुस्तम है। केस को केसे निकालते है अच्छे से जानता है। एक नंबर जुगाड़ी है। कुछ न कुछ जरूर करेगा।" शिफा हौंसला देते हुए बोली।
किंजल बाहर घूम रही थी। शिफा भी किंजल के साथ चलने लगी। "सुन तू जाके आराम कर। आज शाम को काम करना है तुझे।" किंजल ने शिफा की तरफ देखा। आंखों में घबराहट थी। शिफा बोल कर आगे बढ़ गई।
रोज की तरह दिन निकल गया। शाम को किंजल और सब अपने बैरक में बैठे थे। शिफा बैरक में आई। उसके पास एक पैकेट था। उसने पैकेट किंजल की तरफ फेंका। "चल जल्दी से पहन।"
किंजल ने पैकेट खोला। उसमे एक स्कर्ट और टी शर्ट था। किंजल शिफा की तरफ देखने लगी। "जल्दी कर देख क्या रही है।" शिफा आंखे दिखा कर बोली। "ऐ सोनिया, चल तुझे भी साथ जाना है।"
"क्या? मुझे क्यों? किसी और को भेजो ना।" सोनिया हड़बड़ा गई। वो इसके लिए तैयार नहीं थी।
"तेरे लिए ही बोला है। जल्दी कर।" शिफा जल्दी में थी।
"पर है कौन?"
"बताती हू। तू तैयार हो।" शिफा बोली।
किंजल ने चुपचाप कपड़े उतार कर स्कर्ट और टी शर्ट पहन लिया। गजब की सेक्सी लग रही थी। सोनिया और शिफा उसकी खूबसूरती देखने लगे। सोनिया ने भी जेल का सलवार कुर्ता उतार के टीशर्ट पजामा पहन लिया। किंजल का दिल जोरो से धड़क रहा था। उसे पता था ये दिन आने वाला है।
"तुम दोनो को आज दूसरी जेल में जाना है। वही पर काम करना है।" शिफा ने बाहर निकलते हुए बोला। किंजल की आंखों के आगे कुसुम की हालत घूमने लगी जो उसकी जेल से आने के बाद थी। दोनो ने खुद को काली चादर में लपेट लिया। तीनो रसोई की तरफ बढ़ने लगे। रसोई में अंदर खाना तैयार होने वाली जगह से स्टोर को तरफ गए। जहा सारा राशन और सब्जियां थी। उसके पीछे के दरवाजे से तीनो बाहर निकले। वहा एक ड्राइवर और एक महिला गार्ड जेल की bolero गाड़ी खड़े थे। गार्ड ने शिफा को देखा और ड्राइवर और गार्ड दोनो आगे की सीट पर बैठ गए। शिफा ने सोनिया को साइड में ले जाके सब समझाया। सोनिया ने जाकर किंजल का हाथ पकड़ा और उसे लेकर पिछली सीट पर बैठ गई। गाड़ी चल पड़ी। पिछले कांच काले थे।

गाड़ी गेट पर पहुंची। गेट पर खड़े गार्ड ने गेट खोला और बोलेरो बाहर सड़क पर आ गई। किंजल ने इतने दिनो बाद बाहर देखा था। पर अंधेरे में कुछ नही दिख रहा था।

"गूं गूं गूं गूं गूं।।" किंजल और सोनिया ने आवाज की दिशा में पीछे दिखा। पीछे की सीट पर एक बोरी थी जो हिल रही थी। सोनिया ने किंजल का चेहरा आगे कर दिया। और ना में सर हिलाया। किंजल ये देख डर से कांप गई। तभी गाड़ी दूसरी जेल के गेट पे आ गई। गार्ड ने हाथ बाहर निकाल इशारा किया। गेट पर खड़े गार्ड ने
गेट खोल दिया।
 

Mohdsirajali

Well-Known Member
6,489
19,705
174
3 दिन बीत चुके थे। जेल का सिस्टम रोज की तरह काम कर रहा था। इस जेल में भी मिलने के लिए लोग आते थे। लेकिन यहां मर्दों की जेल की तरह उतनी भीड़ नहीं होती थी। जब कभी कोई किसी कैदी को मिलने आता था तो उसे बुलावा आता था। मिलने के बाद वापस आते समय किसी की आंखों में खुशी किसी की आंखों में आंसू और कई गुस्से से भरे होते थे। पर इतने दिन में किंजल को मिलने वाला कोई नहीं आया। आज एक गार्ड ने किंजल को बोला "तुझसे मिलने कोई आया है।"

पास खड़ी शिफा बोली,"तेरा वकील होगा मैंने अपने का आदमी को बोला था जा मिलकर आ।"
किंजल गार्ड के पीछे पीछे चल दी। मीटिंग एरिया में एक बड़े कमरे में बड़ी सी जाली लगी थी जिसमें एक तरफ मिलने वाला खड़ा होता था और दूसरी तरफ कैदी। किंजल गार्ड के पीछे-पीछे मीटिंग एरिया से भी आगे निकल गई। वह और कैदी भी कुछ घूम रहे थे। दिखाओ वहां काले कोट में एक आदमी अकेला बैठा था। गार्ड ने किंजल को उस आदमी की तरफ इशारा किया और वहां से वापस चली गई। उसके हाथ में एक फाइल थी। किंजल उसके पास जाकर खड़ी हो गई। "आओ बैठो।" पिंटू की एक 45 साल का आदमी था उसने किंजल को इशारे से अपने पास बैठने को बोला। चश्मा पहन रखा था । दिखने में ही काफी अनुभवी लग रहा था। "यह कागज पर साइन कर दो। अब से मैं तुम्हारा वकील हूं। एक बार तुम्हारा केस स्टडी कर लू फिर मिलता हूं।"
"जी ठीक है।" किंजल ने सर हिलाया।
"ये जेल के कपड़े क्यों पहने है?" पिंटू ने पूछा।
"और कोई थे नही। तो इन्होंने यही दे दिए।" किंजल ने जवाब दिया।
"शिफा को बोलो दूसरे कपड़े दिलवाएगी। इनकी अभी जरूरत नहीं है। अब तुम जाओ।" वकील कागजों को देखता हुआ बोला। किंजल उठी और वापिस जाने लगी। पिंटू किंजल को जाता हुआ देख रहा था। ढीले कपड़ो में भी उसके बदन को xray निकाल रहा था। "शिफा बहुत कमिनी है तू। अपने मतलब का माल छोड़ती नही है। साला बाहर से ज्यादा तो तू अंदर कमा रही है।" पिंटू उठता हुआ अपने आप से बोला। और बाहर की तरफ चल दिया।

"क्या बोला वकील?" अंदर आते ही सोनिया ने किंजल को पूछा। "कुछ नही। बोला कैस स्टडी करके बताएगा।" किंजल ने जवाब दिया।
"ये बड़ा छुपा रुस्तम है। केस को केसे निकालते है अच्छे से जानता है। एक नंबर जुगाड़ी है। कुछ न कुछ जरूर करेगा।" शिफा हौंसला देते हुए बोली।
किंजल बाहर घूम रही थी। शिफा भी किंजल के साथ चलने लगी। "सुन तू जाके आराम कर। आज शाम को काम करना है तुझे।" किंजल ने शिफा की तरफ देखा। आंखों में घबराहट थी। शिफा बोल कर आगे बढ़ गई।
रोज की तरह दिन निकल गया। शाम को किंजल और सब अपने बैरक में बैठे थे। शिफा बैरक में आई। उसके पास एक पैकेट था। उसने पैकेट किंजल की तरफ फेंका। "चल जल्दी से पहन।"
किंजल ने पैकेट खोला। उसमे एक स्कर्ट और टी शर्ट था। किंजल शिफा की तरफ देखने लगी। "जल्दी कर देख क्या रही है।" शिफा आंखे दिखा कर बोली। "ऐ सोनिया, चल तुझे भी साथ जाना है।"
"क्या? मुझे क्यों? किसी और को भेजो ना।" सोनिया हड़बड़ा गई। वो इसके लिए तैयार नहीं थी।
"तेरे लिए ही बोला है। जल्दी कर।" शिफा जल्दी में थी।
"पर है कौन?"
"बताती हू। तू तैयार हो।" शिफा बोली।
किंजल ने चुपचाप कपड़े उतार कर स्कर्ट और टी शर्ट पहन लिया। गजब की सेक्सी लग रही थी। सोनिया और शिफा उसकी खूबसूरती देखने लगे। सोनिया ने भी जेल का सलवार कुर्ता उतार के टीशर्ट पजामा पहन लिया। किंजल का दिल जोरो से धड़क रहा था। उसे पता था ये दिन आने वाला है।
"तुम दोनो को आज दूसरी जेल में जाना है। वही पर काम करना है।" शिफा ने बाहर निकलते हुए बोला। किंजल की आंखों के आगे कुसुम की हालत घूमने लगी जो उसकी जेल से आने के बाद थी। दोनो ने खुद को काली चादर में लपेट लिया। तीनो रसोई की तरफ बढ़ने लगे। रसोई में अंदर खाना तैयार होने वाली जगह से स्टोर को तरफ गए। जहा सारा राशन और सब्जियां थी। उसके पीछे के दरवाजे से तीनो बाहर निकले। वहा एक ड्राइवर और एक महिला गार्ड जेल की bolero गाड़ी खड़े थे। गार्ड ने शिफा को देखा और ड्राइवर और गार्ड दोनो आगे की सीट पर बैठ गए। शिफा ने सोनिया को साइड में ले जाके सब समझाया। सोनिया ने जाकर किंजल का हाथ पकड़ा और उसे लेकर पिछली सीट पर बैठ गई। गाड़ी चल पड़ी। पिछले कांच काले थे।

गाड़ी गेट पर पहुंची। गेट पर खड़े गार्ड ने गेट खोला और बोलेरो बाहर सड़क पर आ गई। किंजल ने इतने दिनो बाद बाहर देखा था। पर अंधेरे में कुछ नही दिख रहा था।

"गूं गूं गूं गूं गूं।।" किंजल और सोनिया ने आवाज की दिशा में पीछे दिखा। पीछे की सीट पर एक बोरी थी जो हिल रही थी। सोनिया ने किंजल का चेहरा आगे कर दिया। और ना में सर हिलाया। किंजल ये देख डर से कांप गई। तभी गाड़ी दूसरी जेल के गेट पे आ गई। गार्ड ने हाथ बाहर निकाल इशारा किया। गेट पर खड़े गार्ड ने
गेट खोल दिया।
kahani acchi ja rahi hai bhai...kya kinjal sach me gunejgaar hai..jo apne maa baap ko maar kar jail aayi hai..ya koi Sazish hai...kyunki itni darpok ladki kisi ka khoon kaise kar sakti hai..any wy..aage dekhte hain kinjal ke sath kya hota hai
 
Top