Super updateकिंजल उन दोनों औरतों के पास नीचे बैठ गई शिफा और सोनिया भी उसके साथ ही अपने कपड़े लेकर बैठ गई। जैसे-जैसे वह सब कपड़े धो रही थी किंजल ने भी उनको देखकर कपड़े धोना शुरू किया। पांचों के बदन पर लिपटी हुई चादर पानी से गीली हो गई थी और उनके अंदर का सारा सामान सामने दिख रहा था। घुटने मोड़कर बैठने की वजह से पांचों को एक दूसरे की च** सामने दिखाई दे रही थी। किंजल ने देखा शिफा की मोटी मोटी जांघों के बीच में च** की मोटी मोटी फांके दिख रही थी। जैसे किसी बड़े से रस भरे सेब को काटकर रखा हो। सोनिया का रंग सावला था और च** काली। बाकी दोनों औरतों की च** बालों से भरी थी और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। किंजल अपनी टांगों को जोड़कर अपनी च** को छुपाने का बेबस सा प्रयास कर रही थी। पर फिर उससे कपड़े धोते नहीं बन रहा था। शिफा ने उसे देखा और मुस्कुराई।"तेरे पास कुछ नया नहीं है जो तेरे पास है वह हमारे पास भी है आराम से बैठ और अपने कपड़े धो।"किंजल ने शर्म से लाल होते हुए अपने घुटने फैला लिए और कपड़े धोने लगी। शिफा को उसकी बालों से भरी हुई छोटी कमसिन च** दिखाई दे रही थी। सोनिया भी उसकी टांगों के बीच ही घूर रही थी। बालों के बीच भी साफ दिखाई देता था कि उसकी च** चोदी तो हुई है लेकिन कुछ खास नहीं।
कपड़े निपटा कर तीनों उठी और वापस अपने शरीर पर पानी डाला और पहुंचकर साफ कपड़े पहन लिए। लेकिन किंजल के कपड़े गीले थे उसने समझ नहीं आ रहा था अब वह क्या करें। शिफा ने उसे वहीं दीवार के ऊपर कपड़े डालने को बोला।
"धूप तेज है आधे घंटे में सूख जाएंगे थोड़ी देर इंतजार कर ले।"
किंजल ने वैसे ही किया।
"हम दोनों बाहर जा रहे हैं थोड़ी देर में रात के खाने का टाइम हो जाएगा हम लाइन में लगकर तेरा खाना लेते हैं तू अपने कपड़े पहन के आ जाना।" शिफा बोली।
शिफा और सोनिया दोनों यह कहकर बाहर निकल गई।
सोनिया वही अंदर एक जगह बैठ गई। धीरे-धीरे दिन ढलने को आया। तभी गुसलखाने में एक औरत अंदर आई। बिल्कुल दूध जैसी गोरी बाल सलीके से बंधे हुए। जेल की साड़ी सलीके से पहनी हुई। उसने चादर में लिपटी हुई सोनिया को ध्यान से घूरा। और उन दोनों औरतों को देखते हुए बोली, "मेरे कपड़े धुल गए या नहीं?" एक कैदी खड़ी हुई और उसके हाथ में कुछ कपड़े रख दिए। फिर वह किंजल की तरफ घूमी। "तू इस गुसल खाने में क्या कर रही है? तुझे पता नहीं क्या यह वीआईपी एरिया है।"
"वो वो ....." किंजल हकला रही थी।
"शिफा दीदी के साथ आई थी यहा।" इतने में वो कपड़े धोने वाली औरत बोली।
उस औरत ने एक बार फिर पंचल को ऊपर से नीचे देखा। उसके भीगे हुई चादर में अंदर का सारा सामान देखा और बाहर निकल गई।
किंजल भी उठी उसने अपने कपड़ों को देखा काफी हद तक सूख चुके थे उसने अपनी वही चादर हटाई और कपड़े पहन लिए। और बाहर निकल गई। रात के खाने की घंटी 6:30 बज चुकी थी। किंजल खाने के एरिया की तरफ बढ़ी। सामने लाइन में से सोनिया चार थाली लेकर आई। किंजल उसी तरफ बढ़ गई। सोनिया ने किंजल को उसकी थाली पकड़ा दी। दूसरी थाली शिफा और उसी गोरी औरत को पकड़ा दी जिसे उसने सुबह बाथरूम में देखा था। "यह कुसुम है सुबह से तुझे दो बार मिली सोचा तेरी पहचान करवा दूं।" सोनिया बोली।
किंजल ने उसकी तरफ देखा और चुपचाप अपना खाना खाने लगी। किंजल बार बार कनखियों से कुसुम को देख रही थी। सबने अपना अपना खाना खतम किया और इधर उधर घूमने लगे। किंजल ने अपने बर्तन धोए और टहलने लगी। कमसिन लड़की होने की वजह से बहुत सी नजरें उसे ही घूर रही थी। उसकी निगाह एक हवलदार पर गई। जो उसे देखते हुए पेंट के ऊपर से अपना लन्ड मसल रहा था। किंजल ने उसे इग्नोर किया और आगे बढ़ गई। ऐसे लोग उसने जेल के बाहर भी बहुत देखे थे।
8 बजे घंटी बज गई। और सब अपनी अपनी बैरक में जाने लगे। किंजल भी अपनी बैरक की तरफ बढ़ गई।
अंदर जाने के बाद सब कैदियों की गिनती हुई। सब बैरक बंद कर दिए गए। किंजल अंदर शौचालय गई। किसी तरह बदबू में उसने पेशाब किया। बाहर आके अपने बिस्तर पर बैठ गई। किसी को एक दूसरे से मतलब नहीं था। बस कुछ छोटे 2 3 कैदियों के ग्रुप बने हुए थे जो आपस में बातचीत कर रहें थे।
किंजल अपना सर दीवार पे लगा कर बैठ गई। सुबह से जाग रही किंजल बैठे बैठे नींद के आगोश में जाने लगी। बदबू बहुत थी। पर आज नींद बहुत तेज थी।
"मम्मी में प्यार करती हूं उस से।" किंजल ने रुआंसी होते हुए कहा। "देख अभी पढ़ ले। ये प्यार व्यार में कुछ नही रखा। ये कोई उम्र नहीं है प्यार के चक्कर में पड़ने वाली।" मां ने समझाते हुए कहा।
"तू कल भी कॉलेज नही गई। कहा थी??" मां ने सख़्त लहजे में पूछा।
"दोस्तों के साथ मूवी देखने गई थी।" किंजल ने झूठ बोलते हुए कहा।
दोस्तों के साथ या उसी लड़के के साथ। एक बात समझ ले वो लड़का ठीक नही है। नही समझ आता तो मैं तेरा कॉलेज बंद कर दूंगी। मैं और तेरा पप्पा तेरे लिए एक से एक बड़े घर का लड़का देख के रखे हैं और तू है कि कचरे में मुंह मार रही है।"
"मम्मी प्लीज। कोई बुरा नही है वो। अच्छा ही है। पढ़ाई खत्म होते ही सेटल हो जाएगा।"किंजल ने सफाई दी।
"जब तक सख्ती नही करेंगे न तू नही मानेगी।" मम्मी ने गुस्से में कहा।
अचानक झटके से किंजल की आंख खुली। उसे कुछ नही दिख रहा था। बस सफेद रंग था आंखों के सामने। किसी ने उसके सर पे चादर से लपेट दिया था। किंजल घिसत रही थी। नीचे से सलवार उतार गई थी घिसतने की वजह से। इस से पहले वो कुछ समझ पाती उसके शरीर पे लातों और पैरों से मारा जाने लगा। किंजल चीख उठी।
"साली मादरचोड अपने ही बाप मां को मार आई और घूम रही है।"
"बहन को लोड़ी और कोई नही मिला था मर्डर करने को"
एक साथ पेट, कमर, टांगों, चूतड़ों पर लाते बरस रही थी। कीजल चीख रही थी। हाथ इधर उधर मार रही थी। सांस लेते नही बन रहा था। तभी एक पैर choot पर पड़ा। किंजल की आंखों के आगे अंधेरा आ गया। तभी उसे बैरक खुलने की आवाज आई। अचानक सब शांत हो गया। उसे वही फेंक दिया जमीन पे। जैसे किसी ने कुछ किया ही न हो।
"ए क्या लफड़ा हो रहा है इधर?" दो महिला सिपाही अंदर आए। किंजल चादर से निकलने की कोशिश कर रही थी। सिपाही देखते ही समझ गए कि यहां क्या हुआ है। दोनो ने उसकी चादर हटाई और उसे सहारा देकर खड़ा किया। किंजल सिपाही के कंधे पर ही लटक गई। उसकी टांगों में जान नही थी।
"किसने किया ये?" सिपाही ने चिल्ला के पूछा। और पास बैठी एक लेडी को लात मारी।
"मुझे क्या मालूम? मैं तो यही बैठी थी साइड में" कैदी बिफर कर बोली।
"करती हूं तुम लोगों का इलाज सुबह"
दोनो ने किंजल को सहारे से उठाया और बराक के बाहर ले आए। और वापिस बैरक बंद कर दिया।
Nice update...किंजल उन दोनों औरतों के पास नीचे बैठ गई शिफा और सोनिया भी उसके साथ ही अपने कपड़े लेकर बैठ गई। जैसे-जैसे वह सब कपड़े धो रही थी किंजल ने भी उनको देखकर कपड़े धोना शुरू किया। पांचों के बदन पर लिपटी हुई चादर पानी से गीली हो गई थी और उनके अंदर का सारा सामान सामने दिख रहा था। घुटने मोड़कर बैठने की वजह से पांचों को एक दूसरे की च** सामने दिखाई दे रही थी। किंजल ने देखा शिफा की मोटी मोटी जांघों के बीच में च** की मोटी मोटी फांके दिख रही थी। जैसे किसी बड़े से रस भरे सेब को काटकर रखा हो। सोनिया का रंग सावला था और च** काली। बाकी दोनों औरतों की च** बालों से भरी थी और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। किंजल अपनी टांगों को जोड़कर अपनी च** को छुपाने का बेबस सा प्रयास कर रही थी। पर फिर उससे कपड़े धोते नहीं बन रहा था। शिफा ने उसे देखा और मुस्कुराई।"तेरे पास कुछ नया नहीं है जो तेरे पास है वह हमारे पास भी है आराम से बैठ और अपने कपड़े धो।"किंजल ने शर्म से लाल होते हुए अपने घुटने फैला लिए और कपड़े धोने लगी। शिफा को उसकी बालों से भरी हुई छोटी कमसिन च** दिखाई दे रही थी। सोनिया भी उसकी टांगों के बीच ही घूर रही थी। बालों के बीच भी साफ दिखाई देता था कि उसकी च** चोदी तो हुई है लेकिन कुछ खास नहीं।
कपड़े निपटा कर तीनों उठी और वापस अपने शरीर पर पानी डाला और पहुंचकर साफ कपड़े पहन लिए। लेकिन किंजल के कपड़े गीले थे उसने समझ नहीं आ रहा था अब वह क्या करें। शिफा ने उसे वहीं दीवार के ऊपर कपड़े डालने को बोला।
"धूप तेज है आधे घंटे में सूख जाएंगे थोड़ी देर इंतजार कर ले।"
किंजल ने वैसे ही किया।
"हम दोनों बाहर जा रहे हैं थोड़ी देर में रात के खाने का टाइम हो जाएगा हम लाइन में लगकर तेरा खाना लेते हैं तू अपने कपड़े पहन के आ जाना।" शिफा बोली।
शिफा और सोनिया दोनों यह कहकर बाहर निकल गई।
सोनिया वही अंदर एक जगह बैठ गई। धीरे-धीरे दिन ढलने को आया। तभी गुसलखाने में एक औरत अंदर आई। बिल्कुल दूध जैसी गोरी बाल सलीके से बंधे हुए। जेल की साड़ी सलीके से पहनी हुई। उसने चादर में लिपटी हुई सोनिया को ध्यान से घूरा। और उन दोनों औरतों को देखते हुए बोली, "मेरे कपड़े धुल गए या नहीं?" एक कैदी खड़ी हुई और उसके हाथ में कुछ कपड़े रख दिए। फिर वह किंजल की तरफ घूमी। "तू इस गुसल खाने में क्या कर रही है? तुझे पता नहीं क्या यह वीआईपी एरिया है।"
"वो वो ....." किंजल हकला रही थी।
"शिफा दीदी के साथ आई थी यहा।" इतने में वो कपड़े धोने वाली औरत बोली।
उस औरत ने एक बार फिर पंचल को ऊपर से नीचे देखा। उसके भीगे हुई चादर में अंदर का सारा सामान देखा और बाहर निकल गई।
किंजल भी उठी उसने अपने कपड़ों को देखा काफी हद तक सूख चुके थे उसने अपनी वही चादर हटाई और कपड़े पहन लिए। और बाहर निकल गई। रात के खाने की घंटी 6:30 बज चुकी थी। किंजल खाने के एरिया की तरफ बढ़ी। सामने लाइन में से सोनिया चार थाली लेकर आई। किंजल उसी तरफ बढ़ गई। सोनिया ने किंजल को उसकी थाली पकड़ा दी। दूसरी थाली शिफा और उसी गोरी औरत को पकड़ा दी जिसे उसने सुबह बाथरूम में देखा था। "यह कुसुम है सुबह से तुझे दो बार मिली सोचा तेरी पहचान करवा दूं।" सोनिया बोली।
किंजल ने उसकी तरफ देखा और चुपचाप अपना खाना खाने लगी। किंजल बार बार कनखियों से कुसुम को देख रही थी। सबने अपना अपना खाना खतम किया और इधर उधर घूमने लगे। किंजल ने अपने बर्तन धोए और टहलने लगी। कमसिन लड़की होने की वजह से बहुत सी नजरें उसे ही घूर रही थी। उसकी निगाह एक हवलदार पर गई। जो उसे देखते हुए पेंट के ऊपर से अपना लन्ड मसल रहा था। किंजल ने उसे इग्नोर किया और आगे बढ़ गई। ऐसे लोग उसने जेल के बाहर भी बहुत देखे थे।
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अंदर जाने के बाद सब कैदियों की गिनती हुई। सब बैरक बंद कर दिए गए। किंजल अंदर शौचालय गई। किसी तरह बदबू में उसने पेशाब किया। बाहर आके अपने बिस्तर पर बैठ गई। किसी को एक दूसरे से मतलब नहीं था। बस कुछ छोटे 2 3 कैदियों के ग्रुप बने हुए थे जो आपस में बातचीत कर रहें थे।
किंजल अपना सर दीवार पे लगा कर बैठ गई। सुबह से जाग रही किंजल बैठे बैठे नींद के आगोश में जाने लगी। बदबू बहुत थी। पर आज नींद बहुत तेज थी।
"मम्मी में प्यार करती हूं उस से।" किंजल ने रुआंसी होते हुए कहा। "देख अभी पढ़ ले। ये प्यार व्यार में कुछ नही रखा। ये कोई उम्र नहीं है प्यार के चक्कर में पड़ने वाली।" मां ने समझाते हुए कहा।
"तू कल भी कॉलेज नही गई। कहा थी??" मां ने सख़्त लहजे में पूछा।
"दोस्तों के साथ मूवी देखने गई थी।" किंजल ने झूठ बोलते हुए कहा।
दोस्तों के साथ या उसी लड़के के साथ। एक बात समझ ले वो लड़का ठीक नही है। नही समझ आता तो मैं तेरा कॉलेज बंद कर दूंगी। मैं और तेरा पप्पा तेरे लिए एक से एक बड़े घर का लड़का देख के रखे हैं और तू है कि कचरे में मुंह मार रही है।"
"मम्मी प्लीज। कोई बुरा नही है वो। अच्छा ही है। पढ़ाई खत्म होते ही सेटल हो जाएगा।"किंजल ने सफाई दी।
"जब तक सख्ती नही करेंगे न तू नही मानेगी।" मम्मी ने गुस्से में कहा।
अचानक झटके से किंजल की आंख खुली। उसे कुछ नही दिख रहा था। बस सफेद रंग था आंखों के सामने। किसी ने उसके सर पे चादर से लपेट दिया था। किंजल घिसत रही थी। नीचे से सलवार उतार गई थी घिसतने की वजह से। इस से पहले वो कुछ समझ पाती उसके शरीर पे लातों और पैरों से मारा जाने लगा। किंजल चीख उठी।
"साली मादरचोड अपने ही बाप मां को मार आई और घूम रही है।"
"बहन को लोड़ी और कोई नही मिला था मर्डर करने को"
एक साथ पेट, कमर, टांगों, चूतड़ों पर लाते बरस रही थी। कीजल चीख रही थी। हाथ इधर उधर मार रही थी। सांस लेते नही बन रहा था। तभी एक पैर choot पर पड़ा। किंजल की आंखों के आगे अंधेरा आ गया। तभी उसे बैरक खुलने की आवाज आई। अचानक सब शांत हो गया। उसे वही फेंक दिया जमीन पे। जैसे किसी ने कुछ किया ही न हो।
"ए क्या लफड़ा हो रहा है इधर?" दो महिला सिपाही अंदर आए। किंजल चादर से निकलने की कोशिश कर रही थी। सिपाही देखते ही समझ गए कि यहां क्या हुआ है। दोनो ने उसकी चादर हटाई और उसे सहारा देकर खड़ा किया। किंजल सिपाही के कंधे पर ही लटक गई। उसकी टांगों में जान नही थी।
"किसने किया ये?" सिपाही ने चिल्ला के पूछा। और पास बैठी एक लेडी को लात मारी।
"मुझे क्या मालूम? मैं तो यही बैठी थी साइड में" कैदी बिफर कर बोली।
"करती हूं तुम लोगों का इलाज सुबह"
दोनो ने किंजल को सहारे से उठाया और बराक के बाहर ले आए। और वापिस बैरक बंद कर दिया।
किंजल उन दोनों औरतों के पास नीचे बैठ गई शिफा और सोनिया भी उसके साथ ही अपने कपड़े लेकर बैठ गई। जैसे-जैसे वह सब कपड़े धो रही थी किंजल ने भी उनको देखकर कपड़े धोना शुरू किया। पांचों के बदन पर लिपटी हुई चादर पानी से गीली हो गई थी और उनके अंदर का सारा सामान सामने दिख रहा था। घुटने मोड़कर बैठने की वजह से पांचों को एक दूसरे की च** सामने दिखाई दे रही थी। किंजल ने देखा शिफा की मोटी मोटी जांघों के बीच में च** की मोटी मोटी फांके दिख रही थी। जैसे किसी बड़े से रस भरे सेब को काटकर रखा हो। सोनिया का रंग सावला था और च** काली। बाकी दोनों औरतों की च** बालों से भरी थी और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। किंजल अपनी टांगों को जोड़कर अपनी च** को छुपाने का बेबस सा प्रयास कर रही थी। पर फिर उससे कपड़े धोते नहीं बन रहा था। शिफा ने उसे देखा और मुस्कुराई।"तेरे पास कुछ नया नहीं है जो तेरे पास है वह हमारे पास भी है आराम से बैठ और अपने कपड़े धो।"किंजल ने शर्म से लाल होते हुए अपने घुटने फैला लिए और कपड़े धोने लगी। शिफा को उसकी बालों से भरी हुई छोटी कमसिन च** दिखाई दे रही थी। सोनिया भी उसकी टांगों के बीच ही घूर रही थी। बालों के बीच भी साफ दिखाई देता था कि उसकी च** चोदी तो हुई है लेकिन कुछ खास नहीं।
कपड़े निपटा कर तीनों उठी और वापस अपने शरीर पर पानी डाला और पहुंचकर साफ कपड़े पहन लिए। लेकिन किंजल के कपड़े गीले थे उसने समझ नहीं आ रहा था अब वह क्या करें। शिफा ने उसे वहीं दीवार के ऊपर कपड़े डालने को बोला।
"धूप तेज है आधे घंटे में सूख जाएंगे थोड़ी देर इंतजार कर ले।"
किंजल ने वैसे ही किया।
"हम दोनों बाहर जा रहे हैं थोड़ी देर में रात के खाने का टाइम हो जाएगा हम लाइन में लगकर तेरा खाना लेते हैं तू अपने कपड़े पहन के आ जाना।" शिफा बोली।
शिफा और सोनिया दोनों यह कहकर बाहर निकल गई।
सोनिया वही अंदर एक जगह बैठ गई। धीरे-धीरे दिन ढलने को आया। तभी गुसलखाने में एक औरत अंदर आई। बिल्कुल दूध जैसी गोरी बाल सलीके से बंधे हुए। जेल की साड़ी सलीके से पहनी हुई। उसने चादर में लिपटी हुई सोनिया को ध्यान से घूरा। और उन दोनों औरतों को देखते हुए बोली, "मेरे कपड़े धुल गए या नहीं?" एक कैदी खड़ी हुई और उसके हाथ में कुछ कपड़े रख दिए। फिर वह किंजल की तरफ घूमी। "तू इस गुसल खाने में क्या कर रही है? तुझे पता नहीं क्या यह वीआईपी एरिया है।"
"वो वो ....." किंजल हकला रही थी।
"शिफा दीदी के साथ आई थी यहा।" इतने में वो कपड़े धोने वाली औरत बोली।
उस औरत ने एक बार फिर पंचल को ऊपर से नीचे देखा। उसके भीगे हुई चादर में अंदर का सारा सामान देखा और बाहर निकल गई।
किंजल भी उठी उसने अपने कपड़ों को देखा काफी हद तक सूख चुके थे उसने अपनी वही चादर हटाई और कपड़े पहन लिए। और बाहर निकल गई। रात के खाने की घंटी 6:30 बज चुकी थी। किंजल खाने के एरिया की तरफ बढ़ी। सामने लाइन में से सोनिया चार थाली लेकर आई। किंजल उसी तरफ बढ़ गई। सोनिया ने किंजल को उसकी थाली पकड़ा दी। दूसरी थाली शिफा और उसी गोरी औरत को पकड़ा दी जिसे उसने सुबह बाथरूम में देखा था। "यह कुसुम है सुबह से तुझे दो बार मिली सोचा तेरी पहचान करवा दूं।" सोनिया बोली।
किंजल ने उसकी तरफ देखा और चुपचाप अपना खाना खाने लगी। किंजल बार बार कनखियों से कुसुम को देख रही थी। सबने अपना अपना खाना खतम किया और इधर उधर घूमने लगे। किंजल ने अपने बर्तन धोए और टहलने लगी। कमसिन लड़की होने की वजह से बहुत सी नजरें उसे ही घूर रही थी। उसकी निगाह एक हवलदार पर गई। जो उसे देखते हुए पेंट के ऊपर से अपना लन्ड मसल रहा था। किंजल ने उसे इग्नोर किया और आगे बढ़ गई। ऐसे लोग उसने जेल के बाहर भी बहुत देखे थे।
8 बजे घंटी बज गई। और सब अपनी अपनी बैरक में जाने लगे। किंजल भी अपनी बैरक की तरफ बढ़ गई।
अंदर जाने के बाद सब कैदियों की गिनती हुई। सब बैरक बंद कर दिए गए। किंजल अंदर शौचालय गई। किसी तरह बदबू में उसने पेशाब किया। बाहर आके अपने बिस्तर पर बैठ गई। किसी को एक दूसरे से मतलब नहीं था। बस कुछ छोटे 2 3 कैदियों के ग्रुप बने हुए थे जो आपस में बातचीत कर रहें थे।
किंजल अपना सर दीवार पे लगा कर बैठ गई। सुबह से जाग रही किंजल बैठे बैठे नींद के आगोश में जाने लगी। बदबू बहुत थी। पर आज नींद बहुत तेज थी।
"मम्मी में प्यार करती हूं उस से।" किंजल ने रुआंसी होते हुए कहा। "देख अभी पढ़ ले। ये प्यार व्यार में कुछ नही रखा। ये कोई उम्र नहीं है प्यार के चक्कर में पड़ने वाली।" मां ने समझाते हुए कहा।
"तू कल भी कॉलेज नही गई। कहा थी??" मां ने सख़्त लहजे में पूछा।
"दोस्तों के साथ मूवी देखने गई थी।" किंजल ने झूठ बोलते हुए कहा।
दोस्तों के साथ या उसी लड़के के साथ। एक बात समझ ले वो लड़का ठीक नही है। नही समझ आता तो मैं तेरा कॉलेज बंद कर दूंगी। मैं और तेरा पप्पा तेरे लिए एक से एक बड़े घर का लड़का देख के रखे हैं और तू है कि कचरे में मुंह मार रही है।"
"मम्मी प्लीज। कोई बुरा नही है वो। अच्छा ही है। पढ़ाई खत्म होते ही सेटल हो जाएगा।"किंजल ने सफाई दी।
"जब तक सख्ती नही करेंगे न तू नही मानेगी।" मम्मी ने गुस्से में कहा।
अचानक झटके से किंजल की आंख खुली। उसे कुछ नही दिख रहा था। बस सफेद रंग था आंखों के सामने। किसी ने उसके सर पे चादर से लपेट दिया था। किंजल घिसत रही थी। नीचे से सलवार उतार गई थी घिसतने की वजह से। इस से पहले वो कुछ समझ पाती उसके शरीर पे लातों और पैरों से मारा जाने लगा। किंजल चीख उठी।
"साली मादरचोड अपने ही बाप मां को मार आई और घूम रही है।"
"बहन को लोड़ी और कोई नही मिला था मर्डर करने को"
एक साथ पेट, कमर, टांगों, चूतड़ों पर लाते बरस रही थी। कीजल चीख रही थी। हाथ इधर उधर मार रही थी। सांस लेते नही बन रहा था। तभी एक पैर choot पर पड़ा। किंजल की आंखों के आगे अंधेरा आ गया। तभी उसे बैरक खुलने की आवाज आई। अचानक सब शांत हो गया। उसे वही फेंक दिया जमीन पे। जैसे किसी ने कुछ किया ही न हो।
"ए क्या लफड़ा हो रहा है इधर?" दो महिला सिपाही अंदर आए। किंजल चादर से निकलने की कोशिश कर रही थी। सिपाही देखते ही समझ गए कि यहां क्या हुआ है। दोनो ने उसकी चादर हटाई और उसे सहारा देकर खड़ा किया। किंजल सिपाही के कंधे पर ही लटक गई। उसकी टांगों में जान नही थी।
"किसने किया ये?" सिपाही ने चिल्ला के पूछा। और पास बैठी एक लेडी को लात मारी।
"मुझे क्या मालूम? मैं तो यही बैठी थी साइड में" कैदी बिफर कर बोली।
"करती हूं तुम लोगों का इलाज सुबह"
दोनो ने किंजल को सहारे से उठाया और बराक के बाहर ले आए। और वापिस बैरक बंद कर दिया।
Bahut hi shaandar update diya hai niks1987 bhai....किंजल उन दोनों औरतों के पास नीचे बैठ गई शिफा और सोनिया भी उसके साथ ही अपने कपड़े लेकर बैठ गई। जैसे-जैसे वह सब कपड़े धो रही थी किंजल ने भी उनको देखकर कपड़े धोना शुरू किया। पांचों के बदन पर लिपटी हुई चादर पानी से गीली हो गई थी और उनके अंदर का सारा सामान सामने दिख रहा था। घुटने मोड़कर बैठने की वजह से पांचों को एक दूसरे की च** सामने दिखाई दे रही थी। किंजल ने देखा शिफा की मोटी मोटी जांघों के बीच में च** की मोटी मोटी फांके दिख रही थी। जैसे किसी बड़े से रस भरे सेब को काटकर रखा हो। सोनिया का रंग सावला था और च** काली। बाकी दोनों औरतों की च** बालों से भरी थी और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। किंजल अपनी टांगों को जोड़कर अपनी च** को छुपाने का बेबस सा प्रयास कर रही थी। पर फिर उससे कपड़े धोते नहीं बन रहा था। शिफा ने उसे देखा और मुस्कुराई।"तेरे पास कुछ नया नहीं है जो तेरे पास है वह हमारे पास भी है आराम से बैठ और अपने कपड़े धो।"किंजल ने शर्म से लाल होते हुए अपने घुटने फैला लिए और कपड़े धोने लगी। शिफा को उसकी बालों से भरी हुई छोटी कमसिन च** दिखाई दे रही थी। सोनिया भी उसकी टांगों के बीच ही घूर रही थी। बालों के बीच भी साफ दिखाई देता था कि उसकी च** चोदी तो हुई है लेकिन कुछ खास नहीं।
कपड़े निपटा कर तीनों उठी और वापस अपने शरीर पर पानी डाला और पहुंचकर साफ कपड़े पहन लिए। लेकिन किंजल के कपड़े गीले थे उसने समझ नहीं आ रहा था अब वह क्या करें। शिफा ने उसे वहीं दीवार के ऊपर कपड़े डालने को बोला।
"धूप तेज है आधे घंटे में सूख जाएंगे थोड़ी देर इंतजार कर ले।"
किंजल ने वैसे ही किया।
"हम दोनों बाहर जा रहे हैं थोड़ी देर में रात के खाने का टाइम हो जाएगा हम लाइन में लगकर तेरा खाना लेते हैं तू अपने कपड़े पहन के आ जाना।" शिफा बोली।
शिफा और सोनिया दोनों यह कहकर बाहर निकल गई।
सोनिया वही अंदर एक जगह बैठ गई। धीरे-धीरे दिन ढलने को आया। तभी गुसलखाने में एक औरत अंदर आई। बिल्कुल दूध जैसी गोरी बाल सलीके से बंधे हुए। जेल की साड़ी सलीके से पहनी हुई। उसने चादर में लिपटी हुई सोनिया को ध्यान से घूरा। और उन दोनों औरतों को देखते हुए बोली, "मेरे कपड़े धुल गए या नहीं?" एक कैदी खड़ी हुई और उसके हाथ में कुछ कपड़े रख दिए। फिर वह किंजल की तरफ घूमी। "तू इस गुसल खाने में क्या कर रही है? तुझे पता नहीं क्या यह वीआईपी एरिया है।"
"वो वो ....." किंजल हकला रही थी।
"शिफा दीदी के साथ आई थी यहा।" इतने में वो कपड़े धोने वाली औरत बोली।
उस औरत ने एक बार फिर पंचल को ऊपर से नीचे देखा। उसके भीगे हुई चादर में अंदर का सारा सामान देखा और बाहर निकल गई।
किंजल भी उठी उसने अपने कपड़ों को देखा काफी हद तक सूख चुके थे उसने अपनी वही चादर हटाई और कपड़े पहन लिए। और बाहर निकल गई। रात के खाने की घंटी 6:30 बज चुकी थी। किंजल खाने के एरिया की तरफ बढ़ी। सामने लाइन में से सोनिया चार थाली लेकर आई। किंजल उसी तरफ बढ़ गई। सोनिया ने किंजल को उसकी थाली पकड़ा दी। दूसरी थाली शिफा और उसी गोरी औरत को पकड़ा दी जिसे उसने सुबह बाथरूम में देखा था। "यह कुसुम है सुबह से तुझे दो बार मिली सोचा तेरी पहचान करवा दूं।" सोनिया बोली।
किंजल ने उसकी तरफ देखा और चुपचाप अपना खाना खाने लगी। किंजल बार बार कनखियों से कुसुम को देख रही थी। सबने अपना अपना खाना खतम किया और इधर उधर घूमने लगे। किंजल ने अपने बर्तन धोए और टहलने लगी। कमसिन लड़की होने की वजह से बहुत सी नजरें उसे ही घूर रही थी। उसकी निगाह एक हवलदार पर गई। जो उसे देखते हुए पेंट के ऊपर से अपना लन्ड मसल रहा था। किंजल ने उसे इग्नोर किया और आगे बढ़ गई। ऐसे लोग उसने जेल के बाहर भी बहुत देखे थे।
8 बजे घंटी बज गई। और सब अपनी अपनी बैरक में जाने लगे। किंजल भी अपनी बैरक की तरफ बढ़ गई।
अंदर जाने के बाद सब कैदियों की गिनती हुई। सब बैरक बंद कर दिए गए। किंजल अंदर शौचालय गई। किसी तरह बदबू में उसने पेशाब किया। बाहर आके अपने बिस्तर पर बैठ गई। किसी को एक दूसरे से मतलब नहीं था। बस कुछ छोटे 2 3 कैदियों के ग्रुप बने हुए थे जो आपस में बातचीत कर रहें थे।
किंजल अपना सर दीवार पे लगा कर बैठ गई। सुबह से जाग रही किंजल बैठे बैठे नींद के आगोश में जाने लगी। बदबू बहुत थी। पर आज नींद बहुत तेज थी।
"मम्मी में प्यार करती हूं उस से।" किंजल ने रुआंसी होते हुए कहा। "देख अभी पढ़ ले। ये प्यार व्यार में कुछ नही रखा। ये कोई उम्र नहीं है प्यार के चक्कर में पड़ने वाली।" मां ने समझाते हुए कहा।
"तू कल भी कॉलेज नही गई। कहा थी??" मां ने सख़्त लहजे में पूछा।
"दोस्तों के साथ मूवी देखने गई थी।" किंजल ने झूठ बोलते हुए कहा।
दोस्तों के साथ या उसी लड़के के साथ। एक बात समझ ले वो लड़का ठीक नही है। नही समझ आता तो मैं तेरा कॉलेज बंद कर दूंगी। मैं और तेरा पप्पा तेरे लिए एक से एक बड़े घर का लड़का देख के रखे हैं और तू है कि कचरे में मुंह मार रही है।"
"मम्मी प्लीज। कोई बुरा नही है वो। अच्छा ही है। पढ़ाई खत्म होते ही सेटल हो जाएगा।"किंजल ने सफाई दी।
"जब तक सख्ती नही करेंगे न तू नही मानेगी।" मम्मी ने गुस्से में कहा।
अचानक झटके से किंजल की आंख खुली। उसे कुछ नही दिख रहा था। बस सफेद रंग था आंखों के सामने। किसी ने उसके सर पे चादर से लपेट दिया था। किंजल घिसत रही थी। नीचे से सलवार उतार गई थी घिसतने की वजह से। इस से पहले वो कुछ समझ पाती उसके शरीर पे लातों और पैरों से मारा जाने लगा। किंजल चीख उठी।
"साली मादरचोड अपने ही बाप मां को मार आई और घूम रही है।"
"बहन को लोड़ी और कोई नही मिला था मर्डर करने को"
एक साथ पेट, कमर, टांगों, चूतड़ों पर लाते बरस रही थी। कीजल चीख रही थी। हाथ इधर उधर मार रही थी। सांस लेते नही बन रहा था। तभी एक पैर choot पर पड़ा। किंजल की आंखों के आगे अंधेरा आ गया। तभी उसे बैरक खुलने की आवाज आई। अचानक सब शांत हो गया। उसे वही फेंक दिया जमीन पे। जैसे किसी ने कुछ किया ही न हो।
"ए क्या लफड़ा हो रहा है इधर?" दो महिला सिपाही अंदर आए। किंजल चादर से निकलने की कोशिश कर रही थी। सिपाही देखते ही समझ गए कि यहां क्या हुआ है। दोनो ने उसकी चादर हटाई और उसे सहारा देकर खड़ा किया। किंजल सिपाही के कंधे पर ही लटक गई। उसकी टांगों में जान नही थी।
"किसने किया ये?" सिपाही ने चिल्ला के पूछा। और पास बैठी एक लेडी को लात मारी।
"मुझे क्या मालूम? मैं तो यही बैठी थी साइड में" कैदी बिफर कर बोली।
"करती हूं तुम लोगों का इलाज सुबह"
दोनो ने किंजल को सहारे से उठाया और बराक के बाहर ले आए। और वापिस बैरक बंद कर दिया।
Behtreen update Bhaiकिंजल उन दोनों औरतों के पास नीचे बैठ गई शिफा और सोनिया भी उसके साथ ही अपने कपड़े लेकर बैठ गई। जैसे-जैसे वह सब कपड़े धो रही थी किंजल ने भी उनको देखकर कपड़े धोना शुरू किया। पांचों के बदन पर लिपटी हुई चादर पानी से गीली हो गई थी और उनके अंदर का सारा सामान सामने दिख रहा था। घुटने मोड़कर बैठने की वजह से पांचों को एक दूसरे की च** सामने दिखाई दे रही थी। किंजल ने देखा शिफा की मोटी मोटी जांघों के बीच में च** की मोटी मोटी फांके दिख रही थी। जैसे किसी बड़े से रस भरे सेब को काटकर रखा हो। सोनिया का रंग सावला था और च** काली। बाकी दोनों औरतों की च** बालों से भरी थी और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। किंजल अपनी टांगों को जोड़कर अपनी च** को छुपाने का बेबस सा प्रयास कर रही थी। पर फिर उससे कपड़े धोते नहीं बन रहा था। शिफा ने उसे देखा और मुस्कुराई।"तेरे पास कुछ नया नहीं है जो तेरे पास है वह हमारे पास भी है आराम से बैठ और अपने कपड़े धो।"किंजल ने शर्म से लाल होते हुए अपने घुटने फैला लिए और कपड़े धोने लगी। शिफा को उसकी बालों से भरी हुई छोटी कमसिन च** दिखाई दे रही थी। सोनिया भी उसकी टांगों के बीच ही घूर रही थी। बालों के बीच भी साफ दिखाई देता था कि उसकी च** चोदी तो हुई है लेकिन कुछ खास नहीं।
कपड़े निपटा कर तीनों उठी और वापस अपने शरीर पर पानी डाला और पहुंचकर साफ कपड़े पहन लिए। लेकिन किंजल के कपड़े गीले थे उसने समझ नहीं आ रहा था अब वह क्या करें। शिफा ने उसे वहीं दीवार के ऊपर कपड़े डालने को बोला।
"धूप तेज है आधे घंटे में सूख जाएंगे थोड़ी देर इंतजार कर ले।"
किंजल ने वैसे ही किया।
"हम दोनों बाहर जा रहे हैं थोड़ी देर में रात के खाने का टाइम हो जाएगा हम लाइन में लगकर तेरा खाना लेते हैं तू अपने कपड़े पहन के आ जाना।" शिफा बोली।
शिफा और सोनिया दोनों यह कहकर बाहर निकल गई।
सोनिया वही अंदर एक जगह बैठ गई। धीरे-धीरे दिन ढलने को आया। तभी गुसलखाने में एक औरत अंदर आई। बिल्कुल दूध जैसी गोरी बाल सलीके से बंधे हुए। जेल की साड़ी सलीके से पहनी हुई। उसने चादर में लिपटी हुई सोनिया को ध्यान से घूरा। और उन दोनों औरतों को देखते हुए बोली, "मेरे कपड़े धुल गए या नहीं?" एक कैदी खड़ी हुई और उसके हाथ में कुछ कपड़े रख दिए। फिर वह किंजल की तरफ घूमी। "तू इस गुसल खाने में क्या कर रही है? तुझे पता नहीं क्या यह वीआईपी एरिया है।"
"वो वो ....." किंजल हकला रही थी।
"शिफा दीदी के साथ आई थी यहा।" इतने में वो कपड़े धोने वाली औरत बोली।
उस औरत ने एक बार फिर पंचल को ऊपर से नीचे देखा। उसके भीगे हुई चादर में अंदर का सारा सामान देखा और बाहर निकल गई।
किंजल भी उठी उसने अपने कपड़ों को देखा काफी हद तक सूख चुके थे उसने अपनी वही चादर हटाई और कपड़े पहन लिए। और बाहर निकल गई। रात के खाने की घंटी 6:30 बज चुकी थी। किंजल खाने के एरिया की तरफ बढ़ी। सामने लाइन में से सोनिया चार थाली लेकर आई। किंजल उसी तरफ बढ़ गई। सोनिया ने किंजल को उसकी थाली पकड़ा दी। दूसरी थाली शिफा और उसी गोरी औरत को पकड़ा दी जिसे उसने सुबह बाथरूम में देखा था। "यह कुसुम है सुबह से तुझे दो बार मिली सोचा तेरी पहचान करवा दूं।" सोनिया बोली।
किंजल ने उसकी तरफ देखा और चुपचाप अपना खाना खाने लगी। किंजल बार बार कनखियों से कुसुम को देख रही थी। सबने अपना अपना खाना खतम किया और इधर उधर घूमने लगे। किंजल ने अपने बर्तन धोए और टहलने लगी। कमसिन लड़की होने की वजह से बहुत सी नजरें उसे ही घूर रही थी। उसकी निगाह एक हवलदार पर गई। जो उसे देखते हुए पेंट के ऊपर से अपना लन्ड मसल रहा था। किंजल ने उसे इग्नोर किया और आगे बढ़ गई। ऐसे लोग उसने जेल के बाहर भी बहुत देखे थे।
8 बजे घंटी बज गई। और सब अपनी अपनी बैरक में जाने लगे। किंजल भी अपनी बैरक की तरफ बढ़ गई।
अंदर जाने के बाद सब कैदियों की गिनती हुई। सब बैरक बंद कर दिए गए। किंजल अंदर शौचालय गई। किसी तरह बदबू में उसने पेशाब किया। बाहर आके अपने बिस्तर पर बैठ गई। किसी को एक दूसरे से मतलब नहीं था। बस कुछ छोटे 2 3 कैदियों के ग्रुप बने हुए थे जो आपस में बातचीत कर रहें थे।
किंजल अपना सर दीवार पे लगा कर बैठ गई। सुबह से जाग रही किंजल बैठे बैठे नींद के आगोश में जाने लगी। बदबू बहुत थी। पर आज नींद बहुत तेज थी।
"मम्मी में प्यार करती हूं उस से।" किंजल ने रुआंसी होते हुए कहा। "देख अभी पढ़ ले। ये प्यार व्यार में कुछ नही रखा। ये कोई उम्र नहीं है प्यार के चक्कर में पड़ने वाली।" मां ने समझाते हुए कहा।
"तू कल भी कॉलेज नही गई। कहा थी??" मां ने सख़्त लहजे में पूछा।
"दोस्तों के साथ मूवी देखने गई थी।" किंजल ने झूठ बोलते हुए कहा।
दोस्तों के साथ या उसी लड़के के साथ। एक बात समझ ले वो लड़का ठीक नही है। नही समझ आता तो मैं तेरा कॉलेज बंद कर दूंगी। मैं और तेरा पप्पा तेरे लिए एक से एक बड़े घर का लड़का देख के रखे हैं और तू है कि कचरे में मुंह मार रही है।"
"मम्मी प्लीज। कोई बुरा नही है वो। अच्छा ही है। पढ़ाई खत्म होते ही सेटल हो जाएगा।"किंजल ने सफाई दी।
"जब तक सख्ती नही करेंगे न तू नही मानेगी।" मम्मी ने गुस्से में कहा।
अचानक झटके से किंजल की आंख खुली। उसे कुछ नही दिख रहा था। बस सफेद रंग था आंखों के सामने। किसी ने उसके सर पे चादर से लपेट दिया था। किंजल घिसत रही थी। नीचे से सलवार उतार गई थी घिसतने की वजह से। इस से पहले वो कुछ समझ पाती उसके शरीर पे लातों और पैरों से मारा जाने लगा। किंजल चीख उठी।
"साली मादरचोड अपने ही बाप मां को मार आई और घूम रही है।"
"बहन को लोड़ी और कोई नही मिला था मर्डर करने को"
एक साथ पेट, कमर, टांगों, चूतड़ों पर लाते बरस रही थी। कीजल चीख रही थी। हाथ इधर उधर मार रही थी। सांस लेते नही बन रहा था। तभी एक पैर choot पर पड़ा। किंजल की आंखों के आगे अंधेरा आ गया। तभी उसे बैरक खुलने की आवाज आई। अचानक सब शांत हो गया। उसे वही फेंक दिया जमीन पे। जैसे किसी ने कुछ किया ही न हो।
"ए क्या लफड़ा हो रहा है इधर?" दो महिला सिपाही अंदर आए। किंजल चादर से निकलने की कोशिश कर रही थी। सिपाही देखते ही समझ गए कि यहां क्या हुआ है। दोनो ने उसकी चादर हटाई और उसे सहारा देकर खड़ा किया। किंजल सिपाही के कंधे पर ही लटक गई। उसकी टांगों में जान नही थी।
"किसने किया ये?" सिपाही ने चिल्ला के पूछा। और पास बैठी एक लेडी को लात मारी।
"मुझे क्या मालूम? मैं तो यही बैठी थी साइड में" कैदी बिफर कर बोली।
"करती हूं तुम लोगों का इलाज सुबह"
दोनो ने किंजल को सहारे से उठाया और बराक के बाहर ले आए। और वापिस बैरक बंद कर दिया।
Nice and superb update.....किंजल उन दोनों औरतों के पास नीचे बैठ गई शिफा और सोनिया भी उसके साथ ही अपने कपड़े लेकर बैठ गई। जैसे-जैसे वह सब कपड़े धो रही थी किंजल ने भी उनको देखकर कपड़े धोना शुरू किया। पांचों के बदन पर लिपटी हुई चादर पानी से गीली हो गई थी और उनके अंदर का सारा सामान सामने दिख रहा था। घुटने मोड़कर बैठने की वजह से पांचों को एक दूसरे की च** सामने दिखाई दे रही थी। किंजल ने देखा शिफा की मोटी मोटी जांघों के बीच में च** की मोटी मोटी फांके दिख रही थी। जैसे किसी बड़े से रस भरे सेब को काटकर रखा हो। सोनिया का रंग सावला था और च** काली। बाकी दोनों औरतों की च** बालों से भरी थी और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। किंजल अपनी टांगों को जोड़कर अपनी च** को छुपाने का बेबस सा प्रयास कर रही थी। पर फिर उससे कपड़े धोते नहीं बन रहा था। शिफा ने उसे देखा और मुस्कुराई।"तेरे पास कुछ नया नहीं है जो तेरे पास है वह हमारे पास भी है आराम से बैठ और अपने कपड़े धो।"किंजल ने शर्म से लाल होते हुए अपने घुटने फैला लिए और कपड़े धोने लगी। शिफा को उसकी बालों से भरी हुई छोटी कमसिन च** दिखाई दे रही थी। सोनिया भी उसकी टांगों के बीच ही घूर रही थी। बालों के बीच भी साफ दिखाई देता था कि उसकी च** चोदी तो हुई है लेकिन कुछ खास नहीं।
कपड़े निपटा कर तीनों उठी और वापस अपने शरीर पर पानी डाला और पहुंचकर साफ कपड़े पहन लिए। लेकिन किंजल के कपड़े गीले थे उसने समझ नहीं आ रहा था अब वह क्या करें। शिफा ने उसे वहीं दीवार के ऊपर कपड़े डालने को बोला।
"धूप तेज है आधे घंटे में सूख जाएंगे थोड़ी देर इंतजार कर ले।"
किंजल ने वैसे ही किया।
"हम दोनों बाहर जा रहे हैं थोड़ी देर में रात के खाने का टाइम हो जाएगा हम लाइन में लगकर तेरा खाना लेते हैं तू अपने कपड़े पहन के आ जाना।" शिफा बोली।
शिफा और सोनिया दोनों यह कहकर बाहर निकल गई।
सोनिया वही अंदर एक जगह बैठ गई। धीरे-धीरे दिन ढलने को आया। तभी गुसलखाने में एक औरत अंदर आई। बिल्कुल दूध जैसी गोरी बाल सलीके से बंधे हुए। जेल की साड़ी सलीके से पहनी हुई। उसने चादर में लिपटी हुई सोनिया को ध्यान से घूरा। और उन दोनों औरतों को देखते हुए बोली, "मेरे कपड़े धुल गए या नहीं?" एक कैदी खड़ी हुई और उसके हाथ में कुछ कपड़े रख दिए। फिर वह किंजल की तरफ घूमी। "तू इस गुसल खाने में क्या कर रही है? तुझे पता नहीं क्या यह वीआईपी एरिया है।"
"वो वो ....." किंजल हकला रही थी।
"शिफा दीदी के साथ आई थी यहा।" इतने में वो कपड़े धोने वाली औरत बोली।
उस औरत ने एक बार फिर पंचल को ऊपर से नीचे देखा। उसके भीगे हुई चादर में अंदर का सारा सामान देखा और बाहर निकल गई।
किंजल भी उठी उसने अपने कपड़ों को देखा काफी हद तक सूख चुके थे उसने अपनी वही चादर हटाई और कपड़े पहन लिए। और बाहर निकल गई। रात के खाने की घंटी 6:30 बज चुकी थी। किंजल खाने के एरिया की तरफ बढ़ी। सामने लाइन में से सोनिया चार थाली लेकर आई। किंजल उसी तरफ बढ़ गई। सोनिया ने किंजल को उसकी थाली पकड़ा दी। दूसरी थाली शिफा और उसी गोरी औरत को पकड़ा दी जिसे उसने सुबह बाथरूम में देखा था। "यह कुसुम है सुबह से तुझे दो बार मिली सोचा तेरी पहचान करवा दूं।" सोनिया बोली।
किंजल ने उसकी तरफ देखा और चुपचाप अपना खाना खाने लगी। किंजल बार बार कनखियों से कुसुम को देख रही थी। सबने अपना अपना खाना खतम किया और इधर उधर घूमने लगे। किंजल ने अपने बर्तन धोए और टहलने लगी। कमसिन लड़की होने की वजह से बहुत सी नजरें उसे ही घूर रही थी। उसकी निगाह एक हवलदार पर गई। जो उसे देखते हुए पेंट के ऊपर से अपना लन्ड मसल रहा था। किंजल ने उसे इग्नोर किया और आगे बढ़ गई। ऐसे लोग उसने जेल के बाहर भी बहुत देखे थे।
8 बजे घंटी बज गई। और सब अपनी अपनी बैरक में जाने लगे। किंजल भी अपनी बैरक की तरफ बढ़ गई।
अंदर जाने के बाद सब कैदियों की गिनती हुई। सब बैरक बंद कर दिए गए। किंजल अंदर शौचालय गई। किसी तरह बदबू में उसने पेशाब किया। बाहर आके अपने बिस्तर पर बैठ गई। किसी को एक दूसरे से मतलब नहीं था। बस कुछ छोटे 2 3 कैदियों के ग्रुप बने हुए थे जो आपस में बातचीत कर रहें थे।
किंजल अपना सर दीवार पे लगा कर बैठ गई। सुबह से जाग रही किंजल बैठे बैठे नींद के आगोश में जाने लगी। बदबू बहुत थी। पर आज नींद बहुत तेज थी।
"मम्मी में प्यार करती हूं उस से।" किंजल ने रुआंसी होते हुए कहा। "देख अभी पढ़ ले। ये प्यार व्यार में कुछ नही रखा। ये कोई उम्र नहीं है प्यार के चक्कर में पड़ने वाली।" मां ने समझाते हुए कहा।
"तू कल भी कॉलेज नही गई। कहा थी??" मां ने सख़्त लहजे में पूछा।
"दोस्तों के साथ मूवी देखने गई थी।" किंजल ने झूठ बोलते हुए कहा।
दोस्तों के साथ या उसी लड़के के साथ। एक बात समझ ले वो लड़का ठीक नही है। नही समझ आता तो मैं तेरा कॉलेज बंद कर दूंगी। मैं और तेरा पप्पा तेरे लिए एक से एक बड़े घर का लड़का देख के रखे हैं और तू है कि कचरे में मुंह मार रही है।"
"मम्मी प्लीज। कोई बुरा नही है वो। अच्छा ही है। पढ़ाई खत्म होते ही सेटल हो जाएगा।"किंजल ने सफाई दी।
"जब तक सख्ती नही करेंगे न तू नही मानेगी।" मम्मी ने गुस्से में कहा।
अचानक झटके से किंजल की आंख खुली। उसे कुछ नही दिख रहा था। बस सफेद रंग था आंखों के सामने। किसी ने उसके सर पे चादर से लपेट दिया था। किंजल घिसत रही थी। नीचे से सलवार उतार गई थी घिसतने की वजह से। इस से पहले वो कुछ समझ पाती उसके शरीर पे लातों और पैरों से मारा जाने लगा। किंजल चीख उठी।
"साली मादरचोड अपने ही बाप मां को मार आई और घूम रही है।"
"बहन को लोड़ी और कोई नही मिला था मर्डर करने को"
एक साथ पेट, कमर, टांगों, चूतड़ों पर लाते बरस रही थी। कीजल चीख रही थी। हाथ इधर उधर मार रही थी। सांस लेते नही बन रहा था। तभी एक पैर choot पर पड़ा। किंजल की आंखों के आगे अंधेरा आ गया। तभी उसे बैरक खुलने की आवाज आई। अचानक सब शांत हो गया। उसे वही फेंक दिया जमीन पे। जैसे किसी ने कुछ किया ही न हो।
"ए क्या लफड़ा हो रहा है इधर?" दो महिला सिपाही अंदर आए। किंजल चादर से निकलने की कोशिश कर रही थी। सिपाही देखते ही समझ गए कि यहां क्या हुआ है। दोनो ने उसकी चादर हटाई और उसे सहारा देकर खड़ा किया। किंजल सिपाही के कंधे पर ही लटक गई। उसकी टांगों में जान नही थी।
"किसने किया ये?" सिपाही ने चिल्ला के पूछा। और पास बैठी एक लेडी को लात मारी।
"मुझे क्या मालूम? मैं तो यही बैठी थी साइड में" कैदी बिफर कर बोली।
"करती हूं तुम लोगों का इलाज सुबह"
दोनो ने किंजल को सहारे से उठाया और बराक के बाहर ले आए। और वापिस बैरक बंद कर दिया।